Noida News : प्यार में फंसाया फिर किया अपहरण और मांगी 70 लाख की फिरौती

Noida News : गौरव हलधर डाक्टरी की पढ़ाई करतेकरते प्रीति मेहरा के जाल में ऐसा फंसा कि जान के लाले पड़ गए. डा. प्रीति को गौरव को रंगीन सपने दिखाने की जिम्मेदारी उस के ही साथी डा. अभिषेक ने सौंपी थी. भला हो नोएडा एसटीएफ का जिस ने समय रहते…

एसटीएफ औफिस नोएडा में एसपी कुलदीप नारायण सिंह डीएसपी विनोद सिंह सिरोही के साथ बैठे किसी का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. तभी अचानक दरवाजा खुला और सामने वर्दी पर 3 स्टार लगाए एक इंसपेक्टर प्रकट हुए. उन्होंने अंदर आने की इजाजत लेते हुए पूछा, ‘‘मे आई कम इन सर.’’

‘‘इंसपेक्टर सुधीर…’’ कुलदीप सिंह ने सवालिया नजरों से आगंतुक की तरफ देखते हुए पूछा.

‘‘यस सर.’’

‘‘आओ सुधीर, हम लोग आप का ही इंतजार कर रहे थे.’’ एसपी कुलदीप सिंह ने सामने बैठे विनोद सिरोही का परिचय कराते हुए कहा,  ‘‘ये हैं हमारे डीएसपी विनोद सिरोही. आप के केस को यही लीड करेंगे. जो भी इनपुट है आप इन से शेयर करो फिर देखते हैं क्या करना है.’’

कुछ देर तक उन सब के बीच बातें होती रहीं. उस के बाद कुलदीप सिंह अपनी कुरसी से खड़े होते हुए बोले, ‘‘विनोद, मैं एक जरूरी मीटिंग के लिए मेरठ जा रहा हूं. आप दोनों केस के बारे में डिस्कस करो. हम लोग लेट नाइट मिलते हैं.’’

इस बीच उन्होंने एसटीएफ के एएसपी राजकुमार मिश्रा को भी बुलवा लिया था. कुलदीप सिंह ने उन्हें निर्देश दिया कि गौरव अपहरण कांड में अपहर्त्ताओं को पकड़ने में वह इस टीम का मार्गदर्शन करें. एसपी के जाते ही वे एक बार फिर बातों में मशगूल हो गए. सुधीर कुमार सिंह डीएसपी विनोद सिरोही और एएसपी मिश्रा को उस केस के बारे में हर छोटीबड़ी बात बताने लगे, जिस के कारण उन्हें पिछले 24 घंटे में यूपी के गोंडा से ले कर दिल्ली के बाद नोएडा में स्पैशल टास्क फोर्स के औफिस का रुख करना पड़ा था. इस से 2 दिन पहले 19 जनवरी, 2021 की बात है. उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के एसपी शैलेश पांडे के औफिस में सन्नाटा पसरा हुआ था. क्योंकि मामला बेहद गंभीर था और पेचीदा भी.

पड़ोसी जिले बहराइच के पयागपुर थाना क्षेत्र के काशीजोत की सत्संग नगर कालोनी के रहने वाले डा. निखिल हलधर का बेटा गौरव हलधर गोंडा के हारीपुर स्थित एससीपीएम कालेज में बीएएमएस प्रथम वर्ष का छात्र था. वह कालेज के हौस्टल में रहता था. गौरव 18 जनवरी की शाम तकरीबन 4 बजे से गायब था. इस के बाद गौरव को न तो हौस्टल में देखा गया न ही कालेज में. 18 जनवरी की रात को गौरव के पिता डा. निखिल हलधर के मोबाइल फोन पर रात करीब 10 बजे एक काल आई. काल उन्हीं के बेटे के फोन से थी, लेकिन फोन पर उन का बेटा गौरव नहीं था.

फोन करने वाले ने बताया कि उस ने गौरव का अपहरण कर लिया है. गौरव की रिहाई के लिए आप को 70 लाख रुपए की फिरौती देनी होगी. जल्द पैसों का इंतजाम कर लें, वह उन्हें बाद में फोन करेगा. डा. निखिल हलधर ने कालबैक किया तो फोन गौरव ने नहीं, बल्कि उसी शख्स ने उठाया, जिस ने थोड़ी देर पहले बात की थी. डा. निखिल ने बेटे से बात कराने के लिए कहा तो उस ने उन्हें डांटते हुए कहा, ‘‘डाक्टर, लगता है सीधी तरह से कही गई बात तेरी समझ में नहीं आती. तू क्या समझ रहा है कि हम तुझ से मजाक कर रहे हैं? अभी तेरे बेटे की लेटेस्ट फोटो वाट्सऐप कर रहा हूं देख लेना उस की क्या हालत है.

और हां, एक बात कान खोल कर सुन ले, यकीन करना है या नहीं ये तुझे देखना है. यह समझ लेना कि पैसे का इंतजाम जल्द नहीं किया तो बेटा गया तेरे हाथ से. ज्यादा टाइम नहीं है अपने पास.’’

अभी तक इस बात को मजाक समझ रहे निखिल हलधर समझ गए कि उस ने जो कुछ कहा, सच है. कुछ देर बाद उन के वाट्सऐप पर गौरव की फोटो आ गई, जिस में वह बेहोशी की हालत में था. जैसे ही परिवार को इस बात का पता चला कि गौरव का अपहरण हो गया है तो सब हतप्रभ रह गए. निखिल हलधर संयुक्त परिवार में रहते थे. उन के पूरे घर में चिंता का माहौल बन गया. बात फैली तो डा. निखिल के घर उन के रिश्तेदारों और परिचितों का हुजूम लगना शुरू हो गया. डा. निखिल हलधर शहर के जानेमाने फिजिशियन थे, शहर के तमाम प्रभावशाली लोग उन्हें जानते थे. उन्होंने शहर के एसपी डा. विपिन कुमार मिश्रा से बात की.

उन्होंने बताया कि गौरव गोंडा में पढ़ता था और घटना वहीं घटी है, इसलिए वह तुरंत गोंडा जा कर वहां के एसपी से मिलें. डा. निखिल हलधर रात को ही अपने कुछ परिचितों के साथ गोंडा रवाना हो गए. 19 जनवरी की सुबह वह गोंडा के एसपी शैलेश पांडे से मिले. शैलेश पांडे को पहले ही डा. निखिल हलधर के बेटे गौरव के अपहरण की जानकारी एसपी बहराइच से मिल चुकी थी. डा. निखिल हलधर ने शैलेश पांडे को शुरू से अब तक की पूरी बात बता दी. एसपी पांडे ने परसपुर थाने के इंचार्ज सुधीर कुमार सिंह को अपने औफिस में बुलवा लिया था. क्योंकि गौरव जिस एससीपीएम मैडिकल कालेज में पढ़ता था, वह परसपुर थाना क्षेत्र में था.

सारी बात जानने के बाद एसपी शैलेश पांडे ने कोतवाली प्रभारी आलोक राव, सर्विलांस टीम के इंचार्ज हृदय दीक्षित तथा स्वाट टीम के प्रभारी अतुल चतुर्वेदी के साथ हैडकांस्टेबल श्रीनाथ शुक्ल, अजीत सिंह, राजेंद्र , कांस्टेबल अमित, राजेंद्र, अरविंद व राजू सिंह की एक टीम गठित कर के उन्हें जल्द से गौरव हलधर को बरामद करने के काम पर लगा दिया. एसपी पांडे ने टीम का नेतृत्व एएसपी को सौंप दिया. पुलिस टीम तत्काल सुरागरसी में लग गई. पुलिस टीमें सब से पहले गौरव के कालेज पहुंची, जहां उस के सहपाठियों तथा हौस्टल में छात्रों के अलावा कर्मचारियों से जानकारी हासिल की गई. नहीं मिली कोई जानकारी मगर गौरव के बारे में पुलिस को कालेज से कोई खास जानकारी नहीं मिल सकी.

इंसपेक्टर सुधीर सिंह डा. निखिल हलधर के साथ परसपुर थाने पहुंचे और उन्होंने निखिल हलधर की शिकायत के आधार पर 19 जनवरी, 2021 की सुबह भादंसं की धारा 364ए के तहत फिरौती के लिए अपहरण का मामला दर्ज कर लिया. एसपी शैलेश पांडे के निर्देश पर इंसपेक्टर सुधीर कुमार सिंह ने खुद ही जांच की जिम्मेदारी संभाली. साथ ही उन की मदद के लिए बनी 6 पुलिस टीमों ने भी अपने स्तर से काम शुरू कर दिया. चूंकि मामला एक छात्र के अपहरण का था, वह भी फिरौती की मोटी रकम वसूलने के लिए. इसलिए सर्विलांस टीम को गौरव हलधर के मोबाइल की काल डिटेल निकालने के काम पर लगा दिया गया.

मोबाइल की सर्विलांस में उस की पिछले कुछ घंटों की लोकेशन निकाली गई तो पता चला कि इस वक्त उस की लोकेशन दिल्ली में है. पुलिस टीमें यह पता करने की कोशिश में जुट गईं कि गौरव का किसी से विवाद या दुश्मनी तो नहीं थी. लेकिन ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली. गौरव और उस से जुड़े लोगों के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर ले लिया गया था. पुलिस की टीमें लगातार एकएक नंबर की डिटेल्स खंगाल रही थीं. गौरव के फोन की लोकेशन संतकबीर नगर के खलीलाबाद में भी मिली थी. पुलिस की एक टीम बहराइच तो 2 टीमें खलीलाबाद व गोरखपुर रवाना कर दी गईं. खुद इंसपेक्टर सुधीर सिंह एक पुलिस टीम ले कर दिल्ली रवाना हो गए.

20 जनवरी की सुबह दिल्ली पहुंचने के बाद उन्होंने सर्विलांस टीम की मदद से उस इलाके में छानबीन शुरू कर दी, जहां गौरव के फोन की लोकेशन थी. लेकिन अब उस का फोन बंद हो चुका था इसलिए इंसपेक्टर सुधीर सिंह को सही जगह तक पहुंचने में कोई मदद नहीं मिली. इस दौरान गोंडा में मौजूद गौरव के पिता डा. निखिल हलधर को अपहर्त्ता ने एक और फोन कर दिया था. उस ने अब फिरौती की रकम बढ़ा कर 80 लाख कर दी थी और चेतावनी दी थी कि अगर 22 जनवरी तक रकम का इंतजाम नहीं किया गया तो गौरव की हत्या कर दी जाएगी.

दूसरी तरफ जब गोंडा एसपी शैलेश पांडे को पता चला कि दिल्ली पहुंची पुलिस टीम को बहुत ज्यादा कामयाबी नहीं मिल रही है तो उन की चिंता बढ़ गई. अंतत: उन्होंने एसटीएफ के एडीजी अमिताभ यश को लखनऊ फोन कर के गौरव अपहरण कांड की सारी जानकारी दी और इस काम में एसटीएफ की मदद मांगी. अमिताभ यश ने एसपी शैलेश पांडे से कहा कि वे अपनी टीम को नोएडा में एसटीएफ के औफिस भेज दें. एसटीएफ के एसपी कुलदीप नारायण गोंडा पुलिस की पूरी मदद करेंगे.

पांडे ने दिल्ली में मौजूद इंसपेक्टर सुधीर सिंह को एसटीएफ के एसपी कुलदीप नारायण से बात कर के उन के पास पहुंचने की हिदायत दी तो दूसरी तरफ एडीजी अमिताभ यश ने नोएडा फोन कर के एसपी कुलदीप नारायण सिंह को गौरव हलधर अपहरण केस की जानकारी दे कर गोंडा पुलिस की मदद करने के निर्देश दिए. यह बात 20 जनवरी की दोपहर की थी. गोंडा कोतवाली के इंसपेक्टर सुधीर सिंह नोएडा में एसटीएफ औफिस पहुंच कर एसपी एसटीएफ कुलदीप नारायण सिंह तथा डीएसपी विनोद सिरोही से मिले.

विनोद सिरोही बेहद सुलझे हुए अधिकारी हैं. उन्होंने अपनी सूझबूझ से कितने ही अपहरण करने वालों और गैंगस्टरों को पकड़ा है. उन्होंने उसी समय अपहर्त्ताओं को दबोचने के लिए इंसपेक्टर सौरभ विक्रम सिंह, एसआई राकेश कुमार सिंह तथा ब्रह्म प्रकाश के साथ एक टीम का गठन कर दिया. काल डिटेल्स से मिले सुराग अपराधियों तक पहुंचने का सब से बड़ा हथियार इन दिनों इलैक्ट्रौनिक सर्विलांस है. एसटीएफ की टीम ने उसी समय गौरव के फोन की सर्विलांस के साथ उस की सीडीआर खंगालने का काम शुरू कर दिया. गौरव के फोन की काल डिटेल्स खंगाली तो उस में एक ऐसा नंबर मिला, जिस में उस के फोन पर कुछ दिनों से एक नए नंबर से न सिर्फ काल की जा रही थी, बल्कि यह नंबर गौरव की कौन्टैक्ट लिस्ट में ‘माई लव’ के नाम से सेव था.

दोनों नंबरों पर 5 से 18 जनवरी तक 40 बार बात हुई थी और हर काल का औसत समय 10 से 40 मिनट था. इस नंबर से गौरव के वाट्सऐप पर अनेकों काल, फोटो, वीडियो का भी आदानप्रदान हुआ था. इस नंबर के बारे में जानकारी एकत्र की गई तो यह नंबर दिल्ली के एक पते पर पंजीकृत पाया गया. लेकिन जब पुलिस की टीम उस पते पर पहुंची तो पता फरजी निकला. जब इस नंबर की लोकेशन खंगाली गई तो पुलिस टीम यह जान कर हैरान रह गई कि 18 जनवरी की दोपहर से शाम तक इस नंबर की लोकेशन गोंडा में हर उस जगह थी, जहां गौरव के मोबाइल की लोकेशन थी.

पुलिस टीम समझ गई कि जिस के पास भी यह नंबर है, उसी ने गौरव का अपहरण किया है. पुलिस टीमों ने इसी नंबर की सीडीआर खंगालनी शुरू कर दी. पता चला कि यह नंबर करीब एक महीना पहले ही एक्टिव हुआ था और इस से बमुश्किल 4 या 5 नंबरों पर ही फोन काल्स की गई थीं या वाट्सऐप मैसेज आएगए थे.   एसटीएफ के पास ऐसे तमाम संसाधन और नेटवर्क होते हैं, जिन से वह इलैक्ट्रौनिक सर्विलांस के माध्यम से अपराधियों की सटीक जानकारी एकत्र करने के साथ उन की लोकेशन का भी सुराग लगा लेती है. एसटीएफ ने रात भर मेहनत की. जो भी फोन नंबर इस फोन के संपर्क में थे, उन सभी की कडि़यां जोड़ कर उन की मूवमेंट पर नजर रखी जाने लगी.

रात होतेहोते यह बात साफ हो गई कि अपहर्त्ता नोएडा इलाके में मूवमेंट करने वाले हैं. वे अपहृत गौरव को छिपाने के लिए दिल्ली से किसी दूसरे ठिकाने पर शिफ्ट करना चाहते हैं. बस इस के बाद सर्विलांस टीमों ने अपराधियों की सटीक लोकेशन तक पहुंचने का काम शुरू कर दिया और गोंडा पुलिस के साथ एसटीएफ की टीम ने औपरेशन की तैयारी शुरू कर दी. 21 जनवरी की देर रात गोंडा पुलिस व एसटीएफ की टीमों ने ग्रेटर नोएडा में यमुना एक्सप्रेसवे जीरो पौइंट के पास अपना जाल बिछा दिया. पुलिस टीमें आनेजाने वाले हर वाहन पर कड़ी नजर रख रही थीं. किसी वाहन पर जरा भी संदेह होता तो उसे रोक कर तलाशी ली जाती. इसी बीच एक सफेद रंग की स्विफ्ट डिजायर कार पुलिस की चैकिंग देख कर दूर ही रुक गई.

उस गाड़ी ने जैसे ही रुकने के बाद बैक गियर डाल कर पीछे हटना और यूटर्न लेना शुरू किया तो पुलिस टीम को शक हो गया. एसटीएफ की टीम एक गाड़ी में पहले से तैयार थी. पुलिस की गाड़ी उस कार का पीछा करने लगी जो यूटर्न ले कर तेजी से वापस दौड़ने लगी थी. देखते ही पहचान लिया गौरव को मुश्किल से एक किलोमीटर तक दौड़भाग होती रही. आखिरकार नालेज पार्क थाना क्षेत्र में एसटीएफ की टीम ने डिजायर कार को ओवरटेक कर के रुकने पर मजबूर कर दिया. खुद को फंसा देख कार में सवार 3 लोग तेजी से उतरे और अलगअलग दिशाओं में भागने लगे. एसटीएफ को ऐसे अपराधियों को पकड़ने का तजुर्बा होता है. पीछा करते हुए एसटीएफ तथा गोंडा पुलिस की दूसरी टीम भी वहां पहुंच चुकी थी.

पुलिस टीमों ने जैसे ही हवाई फायर किए, कार से उतर कर भागे तीनों लोगों के कदम वहीं ठिठक गए. पुलिस टीमों ने तीनों को दबोच लिया. उन्हें दबोचने के बाद जब पुलिस टीमों ने स्विफ्ट डिजायर कार की तलाशी ली तो एक युवक कार की पिछली सीट पर बेहोशी की हालत में पड़ा था. इंसपेक्टर सुधीर सिंह युवक की फोटो को इतनी बार देख चुके थे कि बेहोश होने के बावजूद उन्होेंने उसे पहचान लिया. वह गौरव ही था. पुलिस टीमों की खुशी का ठिकाना न रहा, क्योंकि अभियान सफल हो गया था. पुलिस टीमें तीनों युवकों के साथ गौरव व कार को ले कर एसटीएफ औफिस आ गईं.

इंसपेक्टर सुधीर सिंह ने गौरव के पिता डा. निखिल व एसपी गोंडा शैलेश पांडे को गौरव की रिहाई की सूचना दे दी. वे भी तत्काल नोएडा के लिए रवाना हो गए. गौरव के अपहरण में पुलिस ने जिन 3 लोगों को गिरफ्तार किया था, उन में से एक की पहचान डा. अभिषेक सिंह निवासी अचलपुर वजीरगंज, जिला गोंडा के रूप में हुई. वही इस गिरोह का सरगना था और फिलहाल बाहरी दिल्ली के बक्करवाला में डीडीए के ग्लोरिया अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर 310 में किराए पर रहता था. डा. अभिषेक सिंह पेशे से चिकित्सक था और नांगलोई-नजफगढ़ रोड पर स्थित राठी अस्पताल में काम करता था.

उस के साथ पुलिस ने जिन 2 अन्य लोगों को गिरफ्तार किया, उन में नीतेश निवासी थाना निहारगंज, धौलपुर, राजस्थान तथा मोहित निवासी परौली, थाना करनलगंज गोंडा शामिल थे. जब उन तीनों से पूछताछ की गई, तो अपहरण की जो कहानी सामने आई, वह काफी दिलचस्प थी.  डा. अभिषेक सिंह ने गौरव का अपहरण करने के लिए हनीट्रैप का इस्तेमाल किया था. यानी गौरव को पहले एक खूबसूरत लड़की के जाल में फंसाया गया था. जब गौरव खूबसूरती के जाल में फंस गया तो उस का फिरौती वसूलने के लिए अपहरण कर लिया गया.

मूलरूप से गोंडा के अचलपुर का रहने वाला डा. अभिषेक सिंह 2013-2014 में बेंगलुरु के राजीव गांधी यूनिवर्सिटी औफ हेल्थ साइंस से बीएएमएस की पढ़ाई करने के बाद जब अपने शहर लौटा तो उस के दिल में बड़े अरमान थे. डाक्टरी के पेशे से बहुत सारी कमाई करने और बड़ा सा बंगला बनाने के सपने देखे थे. लेकिन कुछ समय बाद ही ये सपने चकनाचूर होने लगे. अच्छी नौकरी नहीं मिली तो बन गया अपराधीउसे गोंडा के किसी भी अस्पताल में ऐसी नौकरी नहीं मिली, जिस से अच्छे से गुजरबसर हो सके. छोटेछोटे अस्पतालों में नौकरी करने के बाद तंग आ कर डा. अभिषेक 2018 में दिल्ली आ गया. यहां कई अस्पतालों में नौकरी करने के बाद वह सन 2019 में नजफगढ़ के राठी अस्पताल में नौकरी करने लगा.

हालांकि इस अस्पताल में उसे पहले के मुकाबले तो अच्छी तनख्वाह मिलती थी, लेकिन इस के बावजूद वह अपनी जिंदगी से संतुष्ट नहीं था. इसी दौरान डा. अभिषेक की दोस्ती उसी अस्पताल में काम करने वाली एक लेडी डाक्टर प्रीति मेहरा से हो गई. प्रीति भी बीएएमएस डाक्टर थी. खूबसूरत और जवान प्रीति प्रतिभाशाली थी. उस के दिल में भी अपना अस्पताल बनाने की महत्त्वाकांक्षा पल रही थी. लेकिन इस सपने को पूरा करने में समर्थ नहीं होने के कारण अक्सर मानसिक परेशानी से घिरी रहती थी. जब अभिषेक से उस की दोस्ती हुई तो लगा कि वे दोनों एक ही मंजिल के मुसाफिर हैं. दोनों की दोस्ती जल्द ही प्यार में बदल गई.

दोनों के सपने भी एक जैसे थे, लाचारी भी एक जैसी थी. लेकिन सपनों को पूरा करने की धुन दोनों पर सवार थी. पिछली दीपावली पर नवंबर, 2019 में जब अभिषेक अपने घर गोंडा गया तो उस की मुलाकात अपनी बुआ के बेटे रोहित से हुई. बुआ की शादी बहराइच के पयागपुर इलाके में हुई थी. रोहित भी पयागपुर में ही रहता था. रोहित की जानपहचान मोहित सिंह से भी थी. मोहित सिंह गोंडा में रहने वाले अभिषेक के दोस्त राकेश सिंह का साला था. मोहित दिल्ली के करोलबाग की एक दुकान में काम करता है. रोहित भी मोहित को जानता है. रोहित व मोहित दोनों की जानपहचान एससीपीएम कालेज गोंडा से आयुर्वेदिक चिकित्सा की पढ़ाई कर रहे गौरव हलधर से थी.

दोनों ही गौरव के अलावा उस के परिवार के बारे में भी अच्छी तरह से जानते थे. अभिषेक जब दीपावली पर अपने घर गया तो पयागपुर से बुआ का बेटा रोहित उस के घर आया हुआ था. रोहित के सामने अभिषेक का दर्द छलक गया. शराब पीने के बाद उस ने रोहित से यहां तक कह दिया कि अगर उसे चोरी, डाका या किसी का अपहरण भी करना पड़े तो वह पीछे नहीं हटेगा. अभिषेक की बात सुनते ही रोहित का माथा ठनक गया. पहले तो उस ने अभिषेक को समझाना चाहा. लेकिन अभिषेक नहीं माना और बोला भाई बस तू एक बार किसी ऐसे शिकार के बारे में बता दे, जिस से मेरा सपना पूरा करने के लिए रकम मिल सकती हो.

अभिषेक नहीं माना तो रोहित ने उसे गौरव हलधर के बारे में बताया और उस के पूरे परिवार की जानकारी भी दे दी. रोहित ने अभिषेक को बताया कि डा. निखिल हलधर का बेटा गौरव गोंडा में ही फर्स्ट ईयर की पढ़ाई कर रहा है. अगर किसी तरीके से उस का अपहरण कर लिया जाए तो फिरौती के रूप में बड़ी रकम मिल सकती है. डा. अभिषेक ने जब डा. प्रीति मेहरा को गौरव का अपहरण करने की अपनी योजना के बारे में बताया तो उस ने नाराजगी नहीं जताई बल्कि खुश हुई और उस ने ही अपनी तरफ से सुझाव दिया कि गौरव का अपहरण करने में वह खुद उस की मदद करेगी.

प्रीति ने अभिषेक को बताया कि एक जवान लड़के का अगर अपहरण करना हो तो किसी जवान लड़की को उस के सामने चारा बना कर डाल दो, वह खुदबखुद उस जाल में फंस जाएगा. अभिषेक से उस ने गौरव का नंबर देने के लिए कहा तो अभिषेक ने उसे रोहित से गौरव का नंबर ले कर दे दिया. इस के बाद डा. प्रीति मेहरा ने एक रौंग नंबर के बहाने गौरव को काल कर बातचीत का सिलसिला शुरू कर दिया. पहली ही बार में बात करने के बाद गौरव उस के जाल में फंस गया और दोनों का एकदूसरे से परिचय कुछ ऐसा हुआ कि उस दिन के बाद वे दोनों एकदूसरे से बात करने लगे.

प्रीति मेहरा वीडियो काल के जरिए जब गौरव से बात करती तो कई बार गौरव को अपने नाजुक अंग दिखा कर अपने लिए उसे बेचैन कर देती. दरअसल, साजिश के इस मुकाम तक पहुंचने से पहले डा. अभिषेक ने इसे अंजाम देने के लिए कुछ लोगों को भी अपने साथ जोड़ लिया था. करोलबाग में कपड़े की दुकान पर काम करने वाले मोहित को जब अभिषेक ने गौरव का अपहरण करने की योजना बताई और उस से मदद मांगी तो मोहित ने अभिषेक को अपने एक दोस्त  नितेश से मिलवाया. दरअसल, नितेश व मोहित एक ही जिम में व्यायाम करने के लिए जाते थे. इसीलिए दोनों के बीच दोस्ती थी. नितेश इंश्योरेंस कराने का काम करता था.

इंश्योरेंस के साथ वह लोगों के बैंक में खाते खुलवाने से ले कर उन्हें लोन दिलाने का काम करता था. इसीलिए फरजी आईडी से ले कर जाली आधार कार्ड व पैन कार्ड बनाने में उसे महारथ हासिल थी. मोहित ने उसे मोटी रकम मिलने का सब्जबाग दिखा कर अपहरण की इस वारदात में अपने साथ मिला लिया. इस के बाद नितेश ने 3 आईडी तैयार कीं और उन्हीं आईडी के आधार पर उस ने 3 सिमकार्ड खरीदे. फरजी आईडी से खरीदे गए तीनों सिम कार्ड डा. प्रीति मेहरा, डा. अभिषेक व मोहित ने अपने पास रख लिए. डा. प्रीति ने तो अपने सिम कार्ड का इस्तेमाल गौरव हलधर से दोस्ती करने के लिए शुरू कर दिया. लेकिन अभिषेक व मोहित ने अपहरण करने से चंद रोज पहले ही अपने सिम कार्ड का इस्तेमाल किया था.

प्रीति मेहरा ने गौरव को अपने प्रेमजाल में इस तरह फंसा लिया कि वह उस के एक इशारे पर कुछ भी करने को तैयार था. जब सब ने यह देख लिया कि शिकार जाल में फंसने का तैयार है तो प्रीति ने गौरव को वाट्सऐप मैसेज दिया कि वह 18 जनवरी को उस से मिलने गोंडा आ रही है. रोहित भी उस समय दिल्ली आया हुआ था. दिल्ली से स्विफ्ट डिजायर कार ले कर डा. अभिषेक, डा. प्रीति मेहरा, मोहित, रोहित व नितेश गोंडा पहुंच गए. गोंडा पहुंचने से पहले रोहित बहराइच में ही उतर गया. इधर गोंडा पहुंच कर डा. प्रीति ने एक राहगीर से किसी बहाने फोन ले कर गौरव को मिलने के लिए फोन किया और उस के कालेज से एक किलोमीटर दूर एक जगह पर बुलाया.

प्रीति मेहरा का रंगीन वार प्रीति के मोहपाश में फंसा गौरव वहां चला आया. गौरव को प्रीति ने अपने साथ कार में बैठा लिया, जहां बैठे बाकी अन्य लोगों ने उसे दबोच कर नशे का इंजेक्शन दे दिया. इस के बाद वे गोंडा से चल दिए. उन की योजना गौरव को संतकबीर नगर के खलीलाबाद में रहने वाले सतीश के घर पर छिपाने की थी. वे वहां पहुंच भी गए, लेकिन बाद में इरादा बदल दिया और कुछ ही देर में कार से दिल्ली के लिए रवाना हो गए. 18 जनवरी की रात को ही दिल्ली पहुंच गए. रास्ते में गाजियाबाद के पास उन्होंने गौरव के फोन से गौरव के पिता निखिल को फिरौती के लिए पहला फोन कर 70 लाख की फिरौती की मांग की.

इसके बाद उन्होंने गौरव को अभिषेक के बक्करवाला स्थित डीडीए फ्लैट में छिपा दिया. नितेश या मोहित उसे खाना देने जाते थे और डा. अभिषेक व प्रीति उसे लगातार नशे के इंजेक्शन देते थे ताकि वह होश में आ कर शोर न मचा दे. उन लोगों ने कई बार गौरव के साथ मारपीट भी की. इधर रोहित ने जब गोंडा व बहराइच में गौरव के अपहरण कांड को ले कर छप रही खबरों के बारे में अभिषेक को बताया कि पुलिस की एक टीम दिल्ली में गौरव की तलाश कर रही है तो अभिषेक ने गौरव को अपने फ्लैट से कहीं दूसरी जगह रखने की योजना बनाई.

इसीलिए डा. अभिषेक मोहित व नितेश के साथ 21 जनवरी की रात को गौरव को बेहोशी का इंजेक्शन दे कर उसे कार से ले कर ग्रेटर नोएडा जा रहा था, तभी पुलिस ने सर्विलांस के जरिए उन की लोकेशन का पता लगा कर उन्हें दबोच लिया. नितेश के पिता व गोंडा पुलिस के नोएडा पहुंचने के बाद एसटीएफ ने उन्हें  गोंडा पुलिस के हवाले कर दिया. इधर पुलिस को जब इस में रोहित व सतीश नाम के 2 और लोगों के शामिल होने की खबर लगी तो गोंडा पुलिस की टीम ने दबिश दे कर उसी रात रोहित व सतीश को भी गिरफ्तार कर लिया.

लेकिन इस पूरे घटनाक्रम की खबर पा कर डा. प्रीति फरार हो चुकी थी. उस की तलाश में एसटीएफ और गोंडा पुलिस ने कई जगह छापे मारे, लेकिन वह पुलिस की पकड़ में नहीं आई. गोंडा पुलिस ने प्रीति की गिरफ्तारी पर 25 हजार के इनाम की घोषणा की थी. जिस के बाद गोंडा पुलिस ने 1 फरवरी को प्रीति को उस के गांव धौर जिला झज्जर, हरियाणा से गिरफ्तार कर लिया. मूलरूप से हरियाणा की प्रीति मेहरा वर्तमान में दिल्ली के प्रेमनगर में रहती थी. फिलहाल सभी आरोपी न्यायिक हिरासत में जेल में हैं. कैसी विडंबना है कि सालों की मेहनत के बाद डाक्टर बनने वाले अभिषेक व प्रीति अपने अधूरे ख्वाब को पूरा करने के लिए शार्टकट से पैसा कमाने के चक्कर में जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गए.

डीजीपी ने फिरौती के लिए हुए अपहरण कांड का खुलासा कर आरोपियों को गिरफ्तार करने वाली गोंडा पुलिस की टीम को पुरस्कृत करने की घोषणा की है.

—कथा पुलिस की जांच, पीडि़त व अभियुक्तों के बयान पर आधारित

 

वेबसीरीज : CHIDIYA UDD

Web Series : वेब सीरीज चिडिय़ा उड़ की कहानी अंडरवल्र्ड और मुंबई के रेड लाइट एरिया कमाठीपुरा की पृष्ठभूमि पर आधारित है. आबिद सुरती के उपन्यास ‘केज’ पर आधारित यह शो इस विचार की खोज करता है कि अगर कोई व्यक्ति खुले रूप से आजादी चाहता है तो पिंजरे में कैद नहीं रखा जा सकता…  

 

कलाकार: जैकी श्रौफ, भूमिका मीणा, रवि कोठारी, सिकंदर खेर, मधुर मित्तल, मीता वशिष्ठ, मयूर मोरे, फ्लोरा सैनी, आभा परमार, उपेन चौहान, नबिया अंसारी, मोहित सिंह, शुभंकर दास, रोहन वर्मा, सुखविंदर चहल, प्रसन्ना शर्मा, शिवराज वाल्वेकर, अर्विका गुप्ता, गोपाल सिंह, छाया ठाकुर

निर्देशक: रवि जाधव, निर्माता: पम्मी बावेजा, हरमन बावेजा, विक्की बाहरी लेखक: मोहिंदर प्रताप सिंह,

चिंतन गांधी ओटीटी: अमेजन एमएक्स प्लेयर, संगीत: रोशिन बालू

वेब सीरीज (Web Series) ‘चिडिय़ा उड़’ 15 जनवरी, 2025 को ओटीटी प्लेटफार्म अमेजन एमएक्स प्लेयर पर रिलीज

की गई है. वेब सीरीज ‘चिडिय़ा उड़’ की कहानी पूरी तरह से प्रौस्टिट्यूशन के दलदल में लिप्त लोगों के जीवन की सच्चाई को बयां करती है. इस वेब सीरीज की कहानी 1990 के दशक की मुंबई की खतरनाक दुनिया की है. यह आबिद सुरती के मशहूर उपन्यास ‘केज’ पर आधारित है. कहानी के केंद्र में सेहर नाम की लड़की है, जो राजस्थान से एक छोटे गांव से सपने की उड़ान ले कर मुंबई आई है. लेकिन वह जिस्मफरोशी के दलदल में फंस जाती है. वह खुद को वेश्यालय की जंजीरों से मुक्त करने के लिए संघर्ष करती है, जहां उस के रास्ते में कादिर खान (जैकी श्रौफ) खड़ा है, जिस का इस बदनाम दुनिया पर राज चलता है.

इस वेब सीरीज में कादिर खान का किरदार अभिनेता जैकी श्रौफ ने निभाया है, जबकि सेहर मिर्जा के रोल में भूमिका मीणा, सिकंदर खेर (अकरम खान), रवि कोठारी (निनाद), मीता वशिष्ठ (रेशमा बाई), मयूर मोरे (सत्तार), मधुर मित्तल (बाबू राव), फ्लोरा सैनी (सुरैया), आभा परमार (हबीबा बेगम), उपेन चौहान (धनंजय राणा), नबिया अंसारी (नीति), अर्विका गुप्ता (चंपा), शिवराज वाल्वेकर (सतपुले), सुखविंदर चहल (राणा), प्रसन्ना शर्मा (एसआई प्रभा), गोपाल सिंह (राजू भाई), शुभंकर दास (गफूर) और छाया ठाकुर (फिरोजा) की भूमिकाओं में हैं.

एपिसोड नंबर 1

एपिसोड नंबर एक का नाम ‘ए रनवे लाइफ’ रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत में एक डैडबौडी दिखाई जाती है, जहां पर काफी संख्या मे लोग हैं. वहां पर काफी बरसात हो रही है. वहां पर रेशमा बाई (मीता वशिष्ठ) को दिखाया गया है. फ्लैशबैक में गाना चल रहा है तभी वहां पर कादिर खान (जैकी श्रौफ) आ कर गोलीबारी कर देता है. अगले दृश्य में सेहर को दिखाया गया है, जो राजस्थान के छोटे से गांव में रहती है. उस का कुछ लोग अपहरण कर उसे राणा (सुखविंदर चहल) को सौंप देते हैं. राणा सेहर के साथ जबरदस्ती करने लगता है तो सेहर उसे धक्का दे देती है और राणा उस नवनिर्मित मकान में लगे बांस से टकरा जाता है, जिस के कारण पूरी छत उस के ऊपर गिर जाती है.

सेहर वहां से भाग कर अपने घर पर आ कर अपनी मां सुरैया (फ्लोरा सैनी) को सब कुछ बता देती है. सुरैया अपनी बेटी सेहर को ले कर वहां से भाग निकलती है. इधर राणा के आदमी राणा के बेटे धनंजय राणा (उपेन चौहान) को यह बात बता देते हैं तो धनंजय मांबेटी को ढूंढने के लिए अपने आदमी भेज देता है. राणा के लोगों को पता चलता है कि सुरैया सेहर को ले कर हाईवे की तरफ भाग रही थी. अगले दृश्य में हाईवे पर सुरैया राजू भाई (गोपाल सिंह) को सेहर को मुंबई ले जाने के लिए रिक्वेस्ट करती है.

सुरैया कहती है कि मेरी बेटी सोने की खान है. तेरा ही फायदा होगा. यह तो तुझे कमा कर खिलाएगी. उस के बाद सुरैया राजू को 15 हजार रुपए भी गांव से भगाने के एवज में दे देती है. उस के बाद सेहर राजू के साथ एक ट्रक में चढ़ जाती है. उस ट्रक में और भी बहुत सी लड़कियां होती हैं. उन का ट्रक सहीसलामत मुंबई पहुंच जाता है. अगले दृश्य में सत्तार (मयूर मोरे) उन सभी लड़कियों को खाना खिलाने आता है, तभी वहां पर बाबूराव (मधुर मित्तल) आ कर वह राजू को हड़काने लग जाता है. सेहर राजू को देख कर हंसने लगती है और फिर सत्तार से पूछती है कि वह कौन है, जो राजू की क्लास ले रहा है. तब सत्तार सेहर को बताता है कि बाबूराव राजू का बौस है.

तभी वहां पर सत्तार आ कर सेहर से पूछता है कि तुम यहां अकेले, उन के साथ क्यों नहीं गई तुम? सेहर उसे बताती है कि मैं सो गई थी और कमरे से बाहर निकल जाती है. अगले दृश्य में कादिर वहां पर आ जाता है, जहां पर लड़कियों की नीलामी हो रही है और वह रेशमा बाई (मीता वशिष्ठ) को अपने पास बिठा लेता है. यह देख कर हबीबा बेगम (आभा परमार) को बहुत बुरा लगता है. अब वहां पर स्टेज के ऊपर लड़कियों की बोली लगने लगती है, जिन में कुछ लड़कियां अकरम खान (सिकंदर खेर) और कुछ बाबूराव (मधुर मित्तल) की होती हैं. इन दोनों में से जिन के ग्रुप की लड़कियों की बोली सब से ज्यादा लगेगी, वही आगे चल कर कादिर खान (जैकी श्रौफ) की गद्ïदी संभालेगा.

अगले दृश्य में बाबूराव राजू को फोन कर के सेहर और दूसरी लड़की को ढूंढने का आदेश देता है. इधर उस छोटी लड़की नीति (नबिया अंसारी) को हम अकरम के पास देखते हैं, जो अपने साथियों गफूर (शुभंकर दास) और परशु (रोहन वर्मा) को उसे कहीं ले जा कर जान से मारने के लिए कहता है, लेकिन गफूर और परशु उस छोटी लड़की नीति को मारने के बजाए बेचने के लिए चले जाते हैं.

इधर सेहर भागतेभागते लोगों से अपनी दोस्त चंपा (अविका गुप्ता) के बारे में पूछती है तो उसे पता चलता है कि चंपा हबीबा बेगम (आभा परमार) के कोठे पर धंधा करती थी, लेकिन एड्स होने के कारण उसे वहां से निकाल दिया गया था. तभी गफूर छोटी बच्ची नीति को ले कर बेचने के लिए कार में ले कर आता है. लड़की चिल्लाने लगती है तो सेहर उसे देख लेती है और वह शीशा तोड़ कर उसे अपने साथ ले कर भागती है. तभी राजू सेहर पर गोली चला देता है, जो उस की बांह में लग जाती है तो वह नीति को छोड़ कर वहां से भाग निकलती है. उस के बाद राजू नीति को ले कर चला जाता है और पहला एपिसोड समाप्त हो जाता है.

पहले एपिसोड की बात करें तो शुरू में एक डैडबौडी को दिखाया गया है, वह किस की थी, वहां गोलीबारी क्यों हो रही थी, वह पात्र कौन था, उस का इंट्रोडक्शन ही गायब है. लड़कियों की नीलामी हो रही है तो वहां पर सेहर अचानक कैसे आ जाती है और फिर कादिर खान उसे क्यों भगा देता है, यह बात बिलकुल भी समझ से बाहर है. इस के अतिरिक्त कहानी में भी भटकाव दिखाई दे रहा है. अभिनय की बात करें तो कोई भी कलाकार अपने अभिनय से दर्शकों को संतुष्ट करने में सफल नहीं रहा है.

एपिसोड नंबर 2

दूसरे एपिसोड का नाम ‘शैडोज ऐट प्ले’ रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत में सेहर अपनी सहेली चंपा को ढूंढ लेती है. सेहर के गोली लगी होती है, इसलिए चंपा उसे ले कर एक डाक्टर के पास जाती है. डाक्टर उस की बांह से गोली निकाल लेता है तो सेहर उस गोली को अपने लौकेट में संभाल लेती है. अगले दृश्य में इंसपेक्टर सतपुले (शिवराज वाल्वेकर) कादिर खान से मिलने आता है और उसे कहता है कि राजू और गफूर के बीच गोलीबारी की खबर पुलिस तक पहुंच चुकी है. कादिर अब अपने बेटे अकरम को फोन कर के बुलाता है तो अकरम गफूर को फोन कर के पूछता है कि क्या तुम ने उस बच्ची नीति को मार डाला?

गफूर घबरा कर बताता है कि नहीं बौस. तभी बाबूराव बच्ची नीति को ले कर कादिर के पास आ जाता है. अकरम भी वहां पर आ जाता है. अगले दृश्य में अकरम गफूर को बुरी तरह से पीटता है और कहता है कि मेरे कहने के बाद भी तूने उस बच्ची को क्यों नहीं मारा? उसे बेचने के लिए क्यों ले गया तू? तब गफूर कहता है कि मैं उसे बेचने के लिए नहीं ले गया था. वहां पर तो एक लड़की आ कर उसे हम से छीन कर ले गई थी. उस लड़की को गोली भी लगी है. अकरम अपने साथियों को सेहर को ढूंढने के लिए भेज देता है. परशु (रोहन वर्मा) सेहर को ढूंढते हुए डाक्टर के पास अपने साथियों को ले कर पहुंच जाता है. परशु को देखते ही सेहर छिप जाती है.

परशु और उस के साथियों के जाने के बाद और सेहर डाक्टर के पास आ जाती है. डाक्टर उसे एक शर्ट पहनने के लिए देता है और सेहर से कहता है कि इसे पहन लो, इस से तुम्हारा जख्म छिप जाएगा. बाहर तुम्हें गुंडे ढूंढ रहे हैं. सेहर शर्ट पहन कर चंपा के साथ बाहर आ जाती है. चंपा सेहर से कहती है कि जख्म को छिपाने से क्या तुम बच जाओगी. अगले दृश्य में राणा के आदमी सेहर की मां सुरैया को गांव में ढूंढ लेते हैं और उसे ले कर धनंजय राणा (उपेन चौहान) के पास ले कर आते हैं. इधर बाबूराव बैंकाक पहुंच जाता है और वहां पर सैक्स वर्कर की मुखिया आईवी से मिलता है और उसे इंडिया आने का उस के साथ काम करने का न्यौता देता है. बाबूराव आईवी से कहता है कि तुम अपनी बौस से मेरी मुलाकात करा दो, मेरे पास एक बिजनैस डील है.

इधर गफूर अपने आदमियों से कहता है कि हर लड़की का हाथ चेक करो. जिस के हाथ में गोली लगी हो, उसे खींच कर अकरम भाई के पास ले कर आओ. इधर चंपा सेहर को ले कर अपने घर आ जाती है तो सेहर चंपा से कहती है कि मुझे एक बार रेशमा बाई (गीता वशिष्ठ) के पास ले चलो. मैं चार पैसे कमाऊंगी तो तेरे भी काम आएंगे. तुझे भी मैं पैसे दूंगी. तू बस एक बार मुझे उस के पास ले कर तो चल. इस के बाद दूसरा एपिसोड समाप्त हो जाता है.

दूसरे एपिसोड का विश्लेषण करें तो कहानी में भटकाव ही भटकाव नजर आ रहा है. पुलिस का इंसपेक्टर जिस्मफरोशी करने वाले बदमाश कादिर खान के पास हाजिरी लगाने आ रहा है. यह बात यकीन से परे लगती है. दूसरी बात यह है कि बाबूराव भी सेहर के पीछे पड़ा है और दूसरी ओर गफूर भी पड़ा है. यहां पर यदि सेहर को मुंह पर कपड़ा डाल कर, मास्क लगा कर अपना चेहरा भी छिपाते हुए दिखाया जाता तो कहानी वास्तविक लग सकती थी. अभिनय की दृष्टि से भी कलाकारों का अभिनय फीका रहा है.

एपिसोड नंबर 3

तीसरे एपिसोड का नाम ‘हंटर एंड प्रे’ रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत में बाबूराव को आईवी अपनी बौस से मिलाने के लिए ले जाती है तो बाबूराव उस से कहता है कि वह आईवी को अपनी कुछ लड़कियों के साथ मेरे साथ मुंबई भेज दे. ये लड़कियां मुंबई में हमारी लड़कियों को ट्रेंड करेंगी, क्योंकि मैं मुंबई में एक आधुनिक मसाज पार्लर खोल रहा हूं. बाबूराव उसे 40 प्रतिशत हिस्से में बात फाइनल कर देता है.

अगले दृश्य में राजू इंसपेक्टर सतपुले से कहता है कि हमें एक लड़की की तलाश है, जिस की बांह पर गोली लगी है. तुम रेड का इंतजाम करो और थाने में लड़कियों को पकड़ कर लाओ. मैं एक कमरे की खिड़की से छिप कर देखता रहूंगा. तुम बस इशारा कर देना, मैं उस लड़की को पकड़ लूंगा. अगले दृश्य में धनंजय राणा डाक्टर से अपने पिता सुखविंदर चहल यानी कि राणा के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी लेता है और अपने पिता को उस अस्पताल से घर भेजने के लिए कहता है. उधर चंपा हबीबा बेगम से अपनी सहेली सेहर का 30 हजार रुपए में सौदा तय कर देती है.

अगले दृश्य में महिला पुलिस एकएक कर के लड़कियों को थाने में चैक कर रहे हैं, तभी सेहर की नजर खिड़की पर छिपे राजू पर पड़ जाती है तो वह वहां से तुरंत भाग खड़ी होती है. उस को भागते देख राजू उस के पीछे दौड़ पड़ता है और वहां पर गफूर यह देख लेता है और वह भी राजू के पीछे दौडऩे लगता है. उस का पीछा करते हुए गफूर पिस्टल ले कर सीढिय़ों पर चढऩे लगता है. जैसे ही गफूर उसे पकडऩे को होता है, तभी सेहर उसे जोर से धक्का दे देती है, जिस के कारण वह बालकनी से सीधे आ कर जमीन पर गिर जाता है और उस की मौत हो जाती है. राजू उसे जमीन पर मृत देख कर वहां से भाग जाता है.

अकरम अपने साथियों से कहता है कि बाबूराव के आदमियों ने ही गफूर को मारा है, उधर सेहर यह बात चंपा को बता देती है तो चंपा कहती है कि अब अकरम तुझे नहीं छोड़ेगा. सेहर डर जाती है तो चंपा उस से कहती है कि मेरे पास तुम्हारे लिए एक जुगाड़ है. अगले दृश्य में इंसपेक्टर सतपुते राजू से कहता है कि कहीं तूने तो नहीं टपका डाला गफूर को. राजू उसे अपने पास बिठाता है. अगले दृश्य में गफूर का जनाजा उस के घर से निकलता है तो गफूर की अम्मी कादिर से कहती है कि गफूर अपने बाप से ज्यादा अपने मामा से प्यार करता था.

सेहर अब अपना नाम बदल कर नया नाम निशा रख लेती है. इधर इंसपेक्टर सतपुते राजू को कहता है कि देख अकरम को यह बात पता नहीं है कि उस दिन तू और गफूर थाने से उस लड़की के पीछे भागे थे, इसलिए अच्छा यही रहेगा कि अब तू मुझे संभाल और मैं तुझे संभालता हूं. इधर बाबूराव बैंकाक से वापस आ कर राजू और अपने आदमियों पर गफूर मर्डर के लिए बरसता है, गालियां देता है. कादिर अपने कमरे में चुपचाप बैठा गफूर के बारे में सोच रहा होता है तभी उस का बेटा अकरम आ कर उसे कहता है कि बाबूराव ने ही गफूर को मरवाया है.

अब कब्रिस्तान में गफूर को दफन किया जा रहा है तो वहां पर बाबूराव भी आ जाता है. अकरम उस से भलाबुरा कहने लगता है तो बाबूराव कादिर से कहता है कि कादिर भाई यदि आप को मुझ पर शक है तो आप मुझे भी इधर ही दफन कर डालो. अगले दृश्य में सेहर नहा रही है तभी हबीबा बेगम का दलाल उसे गजरा पहन कर धंधे में आने के लिए कहता है. दोनों के बीच कुछ अश्लील बातें भी होती हैं. सेहर दलाल से अपनी अम्मी को फोन करने के लिए मांगती है तो दलाल कहता है कि अब हबीबा बेगम ही तेरी अब्बूअम्मी हैं. बस, अब तू रेडी हो कर आजा फटाफट. और फिर तीसरा एपिसोड यहीं पर समाप्त हो जाता है.

तीसरे एपिसोड में गंदीगंदी बातों और गालियों का भरपूर मात्रा में प्रयोग किया गया है. पुलिस को तो वेश्याओं के दलाल से भी बदतर दिखाया गया है. यह लेखक की गलती को साफसाफ दर्शाता है. इस के अतिरिक्त बाबूराव का चरित्र जिस अभिनेता यानी कि मधुर मित्तल ने जिस तरह से अभिनीत किया है, उस में वह गुंडा कम और जोकर ज्यादा दिखाई दे रहा है.

एपिसोड नंबर 4

चौथे एपिसोड का नाम ‘टेल औफ बेट्रेयल’ रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत में सेहर उर्फ निशा कोठे पर ग्राहकों को आकर्षित कर रही है. हबीबा उस के पास कुछ ग्राहक भेजती है तो वे सभी ग्राहक हबीबा के पास आ कर सेहर की तारीफ कर के जाते हैं. अगले दृश्य में कादिर अकरम और बाबूराव व सभी गुंडों को अपने पास बुलाता है, वहां पर अकरम और बाबूराव लडऩे लगते हैं. अकरम कहता है कि सेहर एक लड़की को ले कर भागी थी. तब राजू कहता है कि सेहर तो मर गई. वहां पर इंसपेक्टर सतपुते भी कहता है कि वह हमारा पुलिस का औपरेशन था, वह लड़की तो मर गई.

इस के बाद कादिर कमाठीपुर की आगे की 4 गलियां अकरम और पीछे की 4 गलियां दोनों में बांट देता है. इधर एक गुंडा बाबूराव पर रास्ते में चाकू से वार कर उसे बुरी तरह से घायल कर देता है तो यह कादिर देख लेता है और उसे अपनी कार में बिठा कर उस का इलाज करवाता है. अगले दृश्य में बाबूराव अपने बंदों राजू वगैरह को अपने आधुनिक मसाज पार्लर के बारे में बताता है कि अब मैं 8 का 60 कर के दिखाऊंगा.

अगले दृश्य में गांव में एक पुलिस इंसपेक्टर हुक्म बजाने धनंजय राणा के पास आता है तो धनंजय उसे राजू का नंबर देते हुए कहता है कि इसे मारना है, क्योंकि यह गांव की एक लड़की को ले कर भागा है. इंसपेक्टर सतपुते को कादिर बुला कर कहता है कि तेरी चौकी से 4 किलोमीटर दूर गफूर मर गया, तुझे भनक भी नहीं लगी. अब मुझे वह लड़की चाहिए. वह या तो कातिल है या गवाह. अगला दृश्य कोठे का है, जहां सेहर को 2 बच्चियों के रोने की आवाज सुनाई पड़ती है. वह कमरे को खोल कर उन दोनों बच्चियों से खेल कर उन का मन हलका करने की कोशिश करने लगती है तो दलाल सेहर की शिकायत हबीबा बेगम से कर देता है.

अगले दृश्य में बाबूराव बैंकाक की लड़की आईवी के साथ शारीरिक संबंध बना रहा है. उधर सेहर सिगरेट का धुंआ उड़ाते हुए मस्ती में एक रेस्टोरेट में पहुंच जाती है, वहां उसे सत्तार मिल जाता है. दोनों एक कमरा बुक करते हैं. दूसरी ओर हबीबा बेगम के कोठे पर राजू का गुंडा परशु (रोहन वर्मा) कोठे की सभी लड़कियों के हाथों पर गोली के निशान चेक करने लगता है. तभी वहां पर बाबूराव का आदमी उन लोगों को रोकते हुए कहता है कि ये गलियां बाबूराव की हैं, अकरम की नहीं. वहां पर आपस में मारपीट होने लग जाती है. हबीबा कहती है कि ये मेरा पिंजरा है, गली तेरे बाप की है तो क्या? परशु को वहां से बाबूराव के गुंडे मारपीट कर के भगा देते हैं. इसी के साथ चौथा एपिसोड समाप्त हो जाता है.

चौथे एपिसोड की बात करें तो इस में एक कवि को कविता कहते हुए फिर विकृत, घृणित सैक्स करते हुए दिखाया गया है. आज तक किसी कवि का ऐसा चारित्रिक पतन न तो कभी पढ़ा गया है और न ही सुना गया है. दूसरा इस एपिसोड में धनंजय राणा का पिता अपने बेटे को बता रहा है कि राजू सेहर को ले कर मुंबई भागा है जबकि शुरू में ही सेहर के द्वारा उस पर छत गिरने के कारण वह कोमा में चला गया था. अब यह बात उसे यदि सपने में किसी ने बताई हो तो कहा नहीं जा सकता, यह सब लेखक और निर्देशक की अयोग्यता को प्रदर्शित करता है. अभिनय भी सभी कलाकारों का स्तरहीन रहा है.

एपिसोड नंबर 5

पांचवें एपिसोड का नाम ‘सीक्रेट्स एंड चेन्स’ रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत में धनंजय राणा (उपेन चौहान) अपने पिता राणा (सुखविंदर चहल) को घर पर खाना खिला रहा है तो राणा अपने बेटे से कहता है कि देख बेटे तू अकेले मेरे लिए परेशान हो रहा है तो तू मेरे लिए एक नर्स रख दे. अगले दृश्य में सत्तार सेहर के कोठे पर पहुंच कर उस का ग्राहक बन कर सारी बातें उसे बता देता है कि राजू और इंसपेक्टर सतपुते उसे मारने का प्लान बना चुके हैं. उस के बाद सेहर के साथ कोठे में कई ग्राहकों द्वारा सैक्स करते हुए दिखाया गया है.

यहां पर सेहर को पुरानी यादें उस के गांव की याद आने लगती है. चंपा को वह अपनी बहन समझती थी. वह दिन और आज का दिन इस दुनिया में रिश्तों की जरूरत नहीं, बल्कि जरूरतों के रिश्ते होते हैं. 10 ग्राहक निपटाने के बाद सेहर जब सैक्स करने से मना कर देती है तो हबीबा बेगम और दलाल उसे बुरी तरह से पीटने लगते हैं. तभी वहां पर एक लेडी सबइंसपेक्टर प्रभा (प्रसन्ना शर्मा) आ जाती है और वहां की तलाशी लेने लगती है. यह सूचना सेहर ने सत्तार को और सत्तार ने लेडी सबइंसपेक्टर को दी थी, जिस से एसआई प्रभा आखिरकार उन 2 नाबालिग लड़कियों को हबीबा के कोठे से बरामद कर हबीबा सहित कोठे की सभी लड़कियों को गिरफ्तार थाने में ले आती है.

उधर बाबूराव मसाज पार्लर में लड़कियों और गोटया का इंतजार कर रहा होता है, तभी राजू को घनंजय राणा का फोन आता है. वह कहता है कि जिस सेहर को तू यहां से ले कर भागा था, उसे 24 घंटे के भीतर मुझे सौंप कर जा. तब राजू उसे कहता है कि सेहर की तो किसी ने गोली मार कर हत्या कर दी है. अगले दृश्य में कादिर अकरम को समझाता है कि तू अब सुधर जा, तुझे गोटया को गोली मारने की क्या जरूरत थी. तभी एक आदमी बताता है कि हबीबा बेगम को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. अकरम कहता है अब्बू आप चिंता मत करो मैं देखता हूं. इधर थाने में सबइंसपेक्टर प्रभा कोठे की लड़कियों को समझा कर उन के बयान ले कर साइन लेती है.

सेहर कहती है आप ने बड़ी ईमानदारी का काम किया है पर इन लोगों की पहुंच काफी ऊपर तक है. आप दोनों मासूम लड़कियों को उन के घर छुड़वा दो. अगले दृश्य में इंसपेक्टर सतपुते अपने थाने में आता है तो हबीबा कहती है देखो न साहब, इन लोगों ने क्या हाल बना दिया हमारा. तब महिला कांस्टेबल बताती है कि सबइंसपेक्टर प्रभा ने छापा मार कर 2 नाबालिग लड़कियों को कोठे से बरामद किया है. तभी वहां पर अकरम आ कर इंसपेक्टर सतपुते को खींच कर उस के औफिस में ले जा कर खुद उस की कुरसी पर बैठ कर उसे जम कर गालियां देता है.

तभी वहां पर सबइंसपेक्टर प्रभा पहुंच जाती है तो सतपुते उसे कहता है कि उस ने प्रोसीजर का उल्लंघन किया और बिना सीनियर को बताए क्यों रेड मारी. प्रभा उसे सब बताती है तो सतपुते कहता है कि ईमानदारी अच्छी चीज है, पर अगली बार से प्रोसीजर और रैंक का खयाल रखना. अभी इन को छोड़ दो. अगले दृश्य में सत्तार सेहर को अपने घर ले कर आ जाता है तो सेहर उस के गले लग कर उसे चूम लेती है. सेहर कहती है कि मुझ पर एक उपकार और कर दो. मुझे रेशम बाई (मीता वशिष्ठ) के कोठे पर भरती करवा दो. मैं यहां पर कुछ बनने आई हूं. रेशम बाई का पिंजरा अकरम की गली में आता है तो बाबूराव या राजू वहां पर जाने की हिम्मत नहीं करेंगे.

इधर थाने में सबइंसपेक्टर प्रभा हबीबा से साइन करवाती है. तब हबीबा पूछती है कि मेरी लड़कियों को कब छोड़ेगे तो प्रभा कहती है कि मेरे पास और कोई काम नहीं है क्या जो तेरे बेतुके सवालों का जबाव दूं. हबीबा अपनी लड़कियों से कहती है कि तुम लोग डरना मत, मैं जल्दी तुम्हें छुड़वाती हूं. सेहर तभी अपने घर पर फोन करती है तो उधर दूसरी तरफ धनंजय राणा दिखाई देने लगता है और इस तरह पांचवां एपिसोड भी समाप्त हो जाता है.

पांचवें एपिसोड का विश्लेषण करें तो इस में बस कहानी नहीं बल्कि टुकड़ोंटुकड़ों में घसीटते हुए दृश्य दिखाए गए हैं. एक थाने के इंसपेक्टर का कुरसी पर एक गुंडा आ कर बैठ जाता है और इंसपेक्टर को गालियां और धमकी दे रहा है. यह दृश्य कभी भी वास्तविक नहीं लगते. इस एपिसोड में भी कलाकारों का अभिनय निम्न दरजे का रहा है.

एपिसोड नंबर 6

इस एपिसोड का नाम ‘बैटल टू सरवाइव’ यानी कि जीवित रहने की लड़ाई रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत में फोन की घंटी बज रही है, दूसरी तरफ गांव में धनंजय राणा अपनी एक्सरसाइज पूरी करने के बाद घर के अंदर आ कर नौकर से पूछता है कि बाबा को दवाई दे दी है न. तब तक फोन की घंटी बंद हो जाती है. अगले दृश्य में सत्तार सेहर को समझाता है कि तू चंपा के बारे में गलत मत सोच. क्योंकि एड्स का दर्द नशे से ही दूर हो सकता है. इधर सारी लड़कियां जेल से छूट कर कोठे पर आ जाती हैं, जिन में सेहर नहीं होती तो दलाल सेल्वा हबीबा बेगम से कहता है कि मुझे पता है वह कहां पर हो सकती है और तेजी से चला जाता है.

अकरम और बाबूराव को कादिर अपने पास बुला कर समझाता है कि गोलियां चलाना बंद करो, नहीं तो मैं तुम दोनों से कोठे की सारी गलियां ले लूंगा. इधर रेशमा बाई (मीता वशिष्ठ) के कोठे पर डाक्टर आ कर कोठे की सभी लड़कियों को एड्स की जानकारी देता है और उन का चेकअप कर रहा है. सेल्वा सेहर को ढूंढने चंपा के कमरे में आता है तो खिड़की से छिप कर सेहर उसे देखती है. मगर चंपा मर चुकी होती है तो सेल्वा वहां से चला जाता है. अगले दृश्य में सत्तार रेशमा बाई से सेहर को अपने कोठे पर शामिल होने के लिए रिक्वेस्ट करता है तो वह कहती है कि रात का सेहर को मेरे पास ले कर आ जाना. अब सेहर चंपा के कमरे में फूटफूट कर रोने लगती है और उसे चंपा के साथ बिताए हुए पलों की बहुत याद आती है.

अगले दृश्य में सेहर सत्तार से मिलने बुरके में आती है और इसे बताती कि चंपा मर गई है. इधर सबइंसपेक्टर प्रभा चंपा की लाश को एंबुलेंस में पोस्टमार्टम कराने के लिए ले जाती है. इस के बाद कादिर खान इंसपेक्टर सतपुते को अपने घर पर बुला कर धमकी देते हुए कहता है मैं ने तुझे 36 घंटे दिए. अब तू या तो सेहर को या गफूर के कातिल को मेरे सामने ले कर हाजिर हो, नहीं तो मैं तेरा बुरा हश्र कर दूंगा. अगले दृश्य में बाबूराव को बाथटब में लड़कियां मसाज देते हुए नहला रही हैं, तभी कादिर का फोन आता है और वह बाबूराव को कहता है कि मैं ने तेरे नाम पर केवल 4 गलियां की थीं, पूरा मोहल्ला नहीं.

तू कल अपनी बैंकाक वाली लड़की के साथ आ कर मुझ से मिल. दूसरे दिन बाबूराव आईवी को ले कर कादिर के पास जाता है तो कादिर के आदमी उस की और आईवी की तलाशी लेते हैं. अगले दृश्य में कादिर बाबूराव को डांटता है कि मेरे पैसे में खुद तू बैंकाक जाएगा और फिर मेरा ही धंधा चौपट करेगा. कादिर कहता है कि तू नया धंधा खोल, मुझे कोई आपत्ति नहीं है पर 70 टका मेरा. बाबूराव कहता है कि भाई मेरी तो बैंकाक वाली से 50 टका में डील हुई. कादिर कहता है तेरी जान मेरे पास और जुबान उस के पास, अब तू सोच. उधर चंपा की लाश का सेहर अंतिम संस्कार करती है. इस में सत्तार उस के पास रहता है.

अगले दृश्य में इंसपेक्टर सतपुते कंप्यूटर में सेहर के फोटो को पहचान कर उस के प्रिंटआउट निकाल कर अपने पुलिस अधिकारियों व सहयोगियों को देते हुए कहता है कि यह लड़की एक मर्डर केस में सस्पेक्ट है. तुम लोगों के पास 48 घंटे हैं, चलो लग जाओ. अगले दृश्य में सत्तार बुरका पहना कर सेहर को रेशम बाई से मिलवाता है. रेशम बाई कहती है इधर तुम को अब चिंता करने की जरूरत नहीं है. अच्छा ध्यान रखेंगे तुम्हारा. 3 टाइम का खाना, 2 टाइम चाय, हफ्ते में एक दिन की छुट्टी और महीने में एक बार डाक्टर से चेकअप होगा. जाते समय सत्तार से सेहर कहती है कि तुम्हारा किस तरह से शुक्रिया अदा करूं. सत्तार कहता है कि मैं तुम से मिलने आताजाता रहूंगा. फिर सेहर सोचती है कि सच कहा था सत्तार ने कि इतने जल्दी यह सब हजम नहीं होगा और इसी के साथ छठां एपिसोड समाप्त हो जाता है.

छठे एपिसोड में गंदे दृश्यों की भरमार दिखाई गई है. पुलिस की स्थिति कुत्तों से भी बदतर दिखाई गई है. अभिनय की दृष्टि से भी सभी कलाकारों का अभिनय औसत दरजे का रहा है.

एपिसोड नंबर 7

सातवें एपिसोड का नाम ‘मेमोरीज ऐंड स्कार्स’ के नाम से रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत में पुलिस वाले सेहर की फोटो जगहजगह दिखा कर उस के बारे में पता कर रहे हैं. सबइंसपेक्टर प्रभा सेहर की फोटो दिखा कर सत्तार से पूछती है और कहती है कि कादिर भाई के भतीजे गफूर के मर्डर का शक है इस के ऊपर. कादिर भाई के हाथ लगने से पहले यदि हमारे पास आ जाए तो शायद बच सकती है. अब सत्तार रेशमा बाई से सेहर को बाहर घुमाने की इजाजत ले कर उसे अपने साथ ले जाता है. सत्तार सेहर को पिक्चर हाल में फिल्म दिखा रहा है, तभी सेहर उस का मुंह चूम लेती है तो पीछे से एक दर्शक पीछे से कहता है कि यही सब करना था तो पीछे वाली सीट पकड़ लेते.

दोनों बहुत खुश हैं, तभी सत्तार सेहर को बता देता है कि पुलिस उसे गफूर के मर्डर में ढूंढ रही है. वह कहता है कि प्रभा अच्छी पुलिस वाली है. उस के सामने सरेंडर कर दे, वह तुझे बचा लेगी. सेहर कहती है कि प्रभा तो हबीबा और सेल्वा को भी अंदर करना चाहती थी, बोल कर पाई? सत्तार अपना फोन सेहर को उस की अम्मी से बात करने के लिए देता है. सेहर फोन लगा कर हैलो कहती है तो दूसरी तरफ गांव में घनंजय राणा सेहर की आवाज को सुन कर भौंचक्का रह जाता है और फोन काट देता है.

अगले दृश्य में अकरम के गुंडे उसे बताते हैं कि गोटया बता रहा था कि राजू ने गफूर के कातिल को देखा है तो अकरम उन्हें राजू का किडनैप कर सुमड़ी में लाने के लिए कहता है. इधर इंसपेक्टर सतपुते राजू से कहता है कि कादिर भाई ने मुझे जिंदा रहने के लिए 36 घंटे का वक्त दिया है. इसलिए जो भी सच्चाई है तू उसे बाबूराव को बता दे. वैसे उस सेहर को तो मैं ढूंढ ही लूंगा. अब अकरम आईवी के पास आ कर उस से अपने साथ काम करने को कहता है तो वह मना कर देती है तो अकरम उसे धमकी दे कर चला जाता है. इधर प्रभा पंडित से जिस ने चंपा का अंतिम संस्कार किया था, उसे अपने साथ ले जा कर स्केच आर्टिस्ट से उस का स्केच बनवा लेती है.

उधर रेशमा बाई की पीठ में असहनीय दर्द होने लगता है तो सेहर उस की मालिश करने लगती है. सेहर उसे बताती है कि पिछले हफ्ते हबीबा बेगम के कोठे से लड़कियों को पूछताछ के लिए पुलिस उठा कर थाने ले गई थी, मगर आप का रुतबा तो बड़ा है. तब रेशमा बाई बताती है कि कादिर भाई के लिए रेशमा बाई का पिंजरा काफी करीब है. तब सेहर सोचने लगती है कि जब हम गांव में फल चुराते हुए पकड़े जाते थे, तब भाग कर मालिक की छत पर ही छिप जाते थे. आदमी अपने दुश्मन को हर जगह ढूंढता है सिवाय अपने घर के आंगन के. उधर गुंडे राजू की जम कर पिटाई कर रह हैं. जब राजू पानी मांगता है तो एक गुंडा अपने पैंट की जिप खोल कर उस को पेशाब ही पिला देता है. सबइंस्पेक्टर प्रभा अब सत्तार को सेहर का स्केच दिखा कर पूछती है कि उन लड़कियों को पकड़वाने के लिए इसी ने टिप दी थी न?

अगले दृश्य में सबइंसपेक्टर प्रभा सत्तार से कहती है देख, मैं यह नहीं जानती कि तेरा और सेहर का रिश्ता क्या है, अब सेहर से कहो कि मेरे पास आए और सरेंडर कर दे. मैं उसे बचाने के लिए अपनी जान लगा दूंगी. सत्तार अपनी बाइक पर बैठ कर अब अपने और सेहर के बारे में सोचता हुआ कहीं जा रहा है. अगले सीन में सेहर कोठे पर एक ग्राहक के साथ सैक्स संबंध बना रही है, तभी दूसरी ओर सत्तार बाइक से संतुलन खो कर जमीन पर गिर जाता है और सड़क पर गिर कर दर्द से तड़प रहा है. अकरम के गुंडे आ कर अकरम को बताते हैं कि आप ने कहा था कि राजू को किडनैप कर के लाओ, मगर अकरम भाई वह तो शहर से ही गायब हो गया है. अकरम कहता है कि यदि उसे तुम लोगों ने नहीं उठाया तो वह कहां गायब हो गया.

इधर राजू को धनंजय राणा ने किडनैप कराया था, जो अभी राजू को धमका रहा है और इसी के साथ सातवां एपिसोड समाप्त हो जाता है. सातवें एपिसोड की बात करें तो इस एपिसोड में राजस्थान पुलिस का काम मुंबई पुलिस के मुकाबले बेहतर दिखाया गया है, जबकि पूरे भारत में मुंबई पुलिस की धाक है. लेकिन लेखक ने मुंबई पुलिस का तो काम ही तमाम कर के रख दिया है. अभिनय की निगाह से भी सैक्स के अलावा इस एपिसोड में देखने लायक और कुछ भी नहीं है.

एपिसोड नंबर 8

इस एपिसोड का नाम ‘द फाइनल शो डाउन’ रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत में धनंजय बिजली का करेंट लगा कर राजू से सेहर के बारे में पूछताछ कर रहा है. अगले दृश्य में शरीर पर चोटों से ग्रसित सत्तार रेशम बाई के कोठे पर सेहर उर्फ निशा से मुलाकात करना चाहता है. उसे रेशम बाई वहां से भगा देती है. इस के अगले दृश्य में नेपाल से अकरम का आदमी नेपाली बल्ली ट्रक से लड़कियां उतार रहा है. इधर रेशमा बाई की पीठ पर सेहर उर्फ निशा तेल से मालिश कर रही है. रेशमा बताती है कि कल तुझ से मिलने सत्तार आया था, वह सेहर को प्यार न करने के लिए समझाती है.

इघर धनंजय राजू से इंसपेक्टर सतपुते को फोन करने को कहता है तो राजू सतपुते से कहता है कि मैं तुझे एक नंबर भेज रहा हूं. इस नंबर से सेहर ने अपनी मां को घर पर फोन किया था और उसे पकड़ कर सीधे मेरे पास लाना, कादिर भाई के पास नहीं. क्योंकि उस लड़की सेहर ने ही गफूर को मारा था, जिस का मैं गवाह हूं. अगले दृश्य में अब कादिर के गुंडे सत्तार को उल्टा लटका कर उस की जम कर पिटाई कर रहे हैं. उधर रेशम बाई सेहर से कहती है कि यदि तुम कुछ बात छिपाओगी या मेरे पिंजरे में कुछ आफत आई तो तुम्हें छोड़ूंगी नहीं.

अगले दृश्य में सत्तार उल्टा लटका कराह रहा है, तभी अकरम हाथ में बड़ी छुरी ले कर सत्तार के पेट पर वार कर उसे क्रूरता से मार डालता है. इधर राजू धनंजय से उसे छोडऩे के लिए कहता है. तभी इंसपेक्टर सतपुते का फोन आता है. वह राजू से कहता है कि लड़की सेहर मिल गई है, बोल कहां लाने का है. राजू कुछ बोलने वाला होता है तो धनंजय उसे इशारा करते हुए बाद में आने को कहता है. फिर सतपुते का फोन स्विच औफ हो जाता है. तब धनंजय राजू से कहता है कि बात कुछ और है, ये सतपुते हमें चूतिया बना रहा है. इधर अकरम आईवी के पास आ कर कहता है कि मेरी कमर में दर्द हो रहा है, जरा मालिश कर दे. आईवी उसे कहती है कि तुम्हारे साथ मैं केवल बिजनैस करूंगी और कुछ नहीं और मुझे मसाज पार्लर के लिए अनुभवी लड़कियां चाहिए, नई लड़कियां नहीं.

अगले दृश्य में सबइंसपेक्टर प्रभा को एक गोदाम के अंदर सत्तार की लाश मिलती है, जिसे देख कर वह बहुत दुखी हो जाती है. अगले दृश्य में अकरम रेशमा बाई के कोठे पर पहुंच कर उस से कहता है कि अब बाबूराव की विदाई का वक्त आ गया है. अकरम रेशमा बाई से कहता है कि मुझे मसाज पार्लर के लिए तुम्हारी लड़कियां चाहिए, बदले में नेपाल से आई नई लड़कियां मैं तुझे दे दूंगा. बोल कितने रुपए चाहिए तुझे. रेशमा उसे कहती है कि ये सब लड़कियां मेरा परिवार है और परिवार का सौदा नहीं होता. अकरम उसे धमकी देता हुआ गुस्से से वहां से चला जाता है. इधर सतपुते अपनी टीम के साथ धनंजय के अड्ïडे में राजू की तलाश में घुस जाता है. धनंजय और सतपुते के बीच काफी जंग होती है और वहां पर जब सतपुते राजू को अपने साथ ले जा रहा होता है तो धनंजय पीछे से गोली मार कर राजू की हत्या कर देता है.

अब अकरम अपने गुंडों को ले कर रेशमा बाई के कोठे पर पहुंच कर उसे लड़कियां सौंपने को कहता है, तभी कादिर का फोन अकरम को आता है कि तू कुछ नहीं करेगा, मैं आ रहा हूं. कादिर के आने पर रेशमा उस से अकरम की शिकायत करती है. कादिर यहां पर अपने बेटे का ही पक्ष लेता है और रेशमा से कहता है कि अकरम तेरा बेटा नहीं, बल्कि नजमा का बेटा है. कल सुबह 11 बजे तू अपनी सभी लड़कियों को अकरम को सौंपेगी और नेपाल से जो लड़कियां आई हैं, उन्हें तू अकरम से खरीदेगी वरना तेरे खानदान के साथ तुझे भी यहीं दफना दूंगा और फिर कादिर और अकरम वहां से चले जाते हैं.

इधर धनंजय राणा सभी कोठों पर जा कर सेहर को ढूंढने लगता है. अकरम और उस के गुंडे साथ में रहते हैं. इधर डाक्टर सेहर के पास आ कर बता देता है कि इंसपेक्टर सतपुते सत्तार को अपने साथ अकरम के पास ले गया, जहां अकरम ने सत्तार को जान से ही मार डाला. धनंजय अब हबीबा बेगम के कोठे पर सेहर को तलाश करता है. सबइंसपेक्टर प्रभा थाने में इंसपेक्टर सतपुते से कहती है कि तुम ने ही सत्तार को मरवाया है. इस पर सतपुते उसे इस केस से बाहर कर देता है और औफिस से बाहर भगा देता है. धनंजय राणा कादिर के पास आ कर कहता है कि अब रेशमा बाई का पिंजरा बाकी रह गया है. चलो, वहां पर सेहर की तलाश करते हैं. कादिर कहता है कि वहां पर जनाजा निकल रहा है, वहां आज नहीं जाएंगे तो धनंजय कहता कि जिसे मरना था वह मर गई, अब जिसे मारना है उस पर ध्यान देते हैं तो कादिर उसे परमिशन दे देता है.

दूसरी ओर बाबूराव के घर पर उस के कुछ पुराने साथी हथियार ले कर उस का साथ देने आ जाते हैं. अगले दृश्य में जोरजोर से आसमान में बिजली चमकने लगती है और फिर तेज वर्षा होने लगती है. कोठे में छाते ले कर लड़कियां खड़ी हैं, तभी वहां पर अकरम आता है और अपनी पिस्टल अपने साथी को दे कर फातिमा बी की कब्र पर दुआ पढ़ता है. सेहर उस को घूरघूर कर दूर से देखती है. अकरम दुआ पढ़ते हुए फातिमा के सिर पर हाथ रख कर जैसे ही नीचे हाथ डालता है, वैसे ही रेशमा बाई बाबू चिल्लाती है. उस के बाद वहां पर चारों तरफ से गोलियां चलने लगती हैं.

अगले दृश्य में फ्लैशबैक में रेशमा बाई और बाबूराव की मुलाकात दिखाई जाती है, जहां रेशमा बाई बाबूराव से कह रही है कि बाबूराव तुम से आगे बढऩे का आइडिया मैं ने अकरम को दिया था. अगर तुम अब बोलो कि आज की स्थिति में तुम मुझे जान से मारोगे या मेरे साथ मिल जाओगे. इधर सीन अब वर्तमान में आ जाता है. बाबूराव अकरम पर गोली चलाता है. इधरउधर और ऊपर से गोलियां बरस रही हैं. कोठे की लड़कियां इधरउधर बदहवास अपनी जान बचाने के लिए दौड़ रही है. अकरम बाबूराव को मारने वाला ही होता है, तभी दृश्य एक बार फिर फ्लैशबैक में चला जाता है. रेशम बाई सेहर को बताती है कि सतपुते सत्तार को ले कर अकरम के पास गया था. अकरम ने ही बेदर्दी से सत्तार की हत्या कर दी थी.

तुम अब अकरम को मरे हुए देखना चाहती हो न. तभी सेहर वर्तमान में अकरम पर गोली चला देती है. अकरम घायल हो जाता है तो सेहर भूखी शेरनी की तरह पीछे से उस के कंधे पर चढ़ कर उस का गला दबाने लगती है. अकरम जमीन पर गिर जाता है तो सेहर अकरम के सीने पर गोली चला देती है. उस को तड़पता हुआ देख कर कादिर वहां आ कर कहता है मेरा बच्चा अकरम तू ठीक है न बेटा. धनंजय राणा, कादिर और सेहर अब आमनेसामने पिस्तौल ताने आ जाते हैं. तभी सेहर सोचती है मुसीबत से जितना दूर भागो, वह आप के दरवाजे पर आहट दे ही देती है. ये पहली बार नहीं था कि मैं ने अपनी मौत को अपने सामने खड़ा देखा था. लेकिन मंजिल तक पहुंचने के लिए मौत से सामना करना ही पड़ता है और फिर इस तरह इस एपिसोड के साथसाथ ये वेब सीरीज भी समाप्त हो जाती है.

आठवें एपिसोड की बात करें तो इस में भी स्थिरता कहीं दिखाई नहीं देती. सीरीज के अंतिम समय में कादिर और सेहर आमनेसामने बीच में अकरम और एक कोने में खून से लथपथ धनंजय को दिखाया गया है. इन में से कौन जिंदा बचा या मरा, यह सस्पेंस दर्शकों के ऊपर थोप दिया है. यदि अंतिम दृश्य में इस बात की सच्चाई लेखक और निर्देशक द्वारा दिखाई जाती तो वेब सीरीज का अंत तो कम से कम और बेहतर हो सकता था. यदि पूरी वेब सीरीज ‘चिडिय़ा उड़’ की समीक्षा करें तो सैक्स ट्रेड के भीतर की आंतरिक राजनीति की खोज में बहुत ज्यादा कल्पना की कमी है. सत्ता संघर्ष, विश्वासघात और पारस्परिक संबंध पूरी तरह से पूर्वानुमानित हैं और एक बिंदु के बाद दर्शकों को कहानी में कोई दिलचस्पी नहीं रहती. किसी भी स्तर पर दर्शकों को आश्चर्यचकित करने का कोई प्रयास नहीं किया गया है.

यह समझना भी मुश्किल है कि उपन्यास में ऐसा क्या था, जो चौंकाने वाला था कि इस वेब सीरीज को 8 एपिसोड और 5 घंटे के लंबे प्रारूप से रूपांतरित करना पड़ा. वेब सीरीज के लेखक मोहिंदर प्रताप सिंह और चिंतन गांधी के चरित्र चित्रण के प्रयास स्पष्ट हैं, लेकिन उन्हें शो को अतीत में सैक्स व्यापार पर बनी कई फिल्मों से अलग करने के लिए और अधिक प्रयास करना चाहिए था. सच कहें तो वेब सीरीज चिडिय़ा उड़ ने उद्योग को साल की शुरुआत में फिर से ग्राउंड जीरो पर वापस ला दिया है, जिस में कोई भी नयापन नहीं है.

जैकी श्रौफ

मशहूर फिल्म अभिनेता जैकी श्रौफ का जन्म पहली फरवरी, 1957 को मुंबई में हुआ था. जैकी का असली नाम जयकिशन काकुभाई श्रौफ है. इसे जग्गू दादा के नाम से भी जाना जाता है. इस के पिता का नाम कटुभाई व माता का नाम रीटा श्रौफ है. जैकी श्रौफ मुंबई के बालकेश्वर इलाके में एक चाल में रहा करता था. फिल्मों में आने से पहले इस ने कुछ विज्ञापनों में एक मौडल के रूप में काम किया था. जैकी को सब से पहले देव आनंद साहब की फिल्म ‘स्वामी दादा’ में एक छोटी सी भूमिका मिली थी. 1983 में निर्मातानिर्देशक सुभाष घई ने इस को अपनी एक फिल्म ‘हीरो’ में प्रमुख भूमिका प्रदान की. खुशकिस्मती से यह फिल्म बहुत ही ज्यादा सफल हुई और जैकी रातोरात एक बड़ा सितारा बन गया. 80 के दशक में जैकी ने अपनी प्रेमिका आयशा दत्त से विवाह कर लिया. आयशा बाद में एक फिल्म निर्मात्री भी बनी.

जैकी अपनी पत्नी के साथ जैकी श्रौफ एंटरटेनमेंट लिमिटेड नामक मीडिया कंपनी भी चलाता है. इन के 2 बच्चे हैं एक बेटा और एक बेटी. बेटे का नाम टाइगर (जय हेमंत) और बेटी का नाम कृष्णा है. टाइगर श्रौफ भी एक मशहूर फिल्म अभिनेता है. जैकी की प्रमुख फिल्में ‘हीरा पन्ना’, ‘हीरो’, ‘तेरी मेहरबानियां’, ‘पाले खान’, ‘कर्मा’, ‘दिलजला’, ‘कुदरत का कानून’, ‘रामलखन’, ‘दूध का कर्ज’, ‘सौदागर’, ‘प्रेम दीवाने’, ‘गर्दिश’, ‘रूप की रानी चोरों का राजा’, ‘रंगीला’, ‘कलिंगा’, ‘अग्निसाक्षी’, ‘बार्डर’, ‘बंधन’, ‘लावारिस’, ‘फूल और आग’, ‘मिशन कश्मीर’, ‘रिफ्यूजी’, ‘कुरबानी’, ‘हैप्पी न्यू ईयर’, ‘हाउसफुल 3’, ‘सरकार 3’ और ‘साहो’ हैं.

जैकी श्रौफ को 1990 में ‘परिंदा’ फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ फिल्मफेयर अभिनेता के अवार्ड से सम्मानित किया गया. फिल्म ‘1942: ए लव स्टोरी’ के लिए वर्ष 1995 में फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ सह अभिनेता, वर्ष 1996 में ‘रंगीला’ फिल्म के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ सह अभिनेता, वर्ष 2007 में हिंदी सिनेमा में उत्कृष्ट योगदान के लिए विशेष औनर जूरी पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

भूमिका मीणा

अभिनेत्री भूमिका मीणा का जन्म राजस्थान के जयपुर में हुआ था. इस की प्रारंभिक शिक्षा महारानी गायत्री देवी गल्र्स स्कूल, जयपुर से हुई. जहां से इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की. वर्धमान महावीर मैडिकल कालेज (वीएमएमसी), सफदरजंग अस्पताल, नई दिल्ली से वर्ष 2012-2017 में बैचलर औफ मैडिसन ऐंड बैचलर औफ सर्जरी (एमबीबीएस) की पढ़ाई पूरी की. 27 वर्षीय डा. भूमिका मीणा शैक्षणिक रूप से प्रतिभाशाली छात्रा थी, जो नृत्य, नाटक और सार्वजनिक भाषण सहित विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लिया करती थी.

भूमिका मीणा ने 2017 में नई दिल्ली अक्षरा थिएटर से अपने पेशेवर अभिनय करिअर की शुरुआत की, जहां पर उन्होंने ‘एलिस एंड कृष्णा इन वंडरलैंड’ (2017), ‘प्यार एक धोखा है’ (2018) जैसे नाटकों में अभिनय किया. अभिनय में अपनी रुचि को बढ़ाने के लिए भूमिका मुंबई गई. उन्होंने थिएटर आट्र्स ऐंड रिसर्च के लिए आदिशक्ति प्रयोगशाला, मुंबई में अतुल मोंगिया द्वारा द आर्टिस्ट कलेक्टिव और न्यूयार्क में ली स्ट्रैसबर्ग थिएटर ऐंड फिल्म इंस्टीट्यूट में अपना अभिनय का प्रशिक्षण पूरा किया. भूमिका मीणा ने ‘डाइंग’ (2020), ‘कशमकश’ (2022) और ‘चूहेदानी’ (2022) जैसी लघु फिल्मों में अभिनय किया. इस के बाद वह टेलीविजन सीरीज ‘स्लम गोल्फ’ (2023) में मुख्य भूमिका में दिखाई दी थी. उन्होंने फिल्म ‘दुकान’ (2024) में किंजल का किरदार निभाया, जो सरोगेसी पर केंद्रित था.

भूमिका की एक छोटी बहन लक्षिता मीणा है, जो पढ़ाई कर रही है. भूमिका मीणा को वर्ष 2019 में लघु फिल्म ‘चूहेदानी’ (2022) के लिए गोल्डन जूरी फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिल चुका है. अभी भूमिका मुंबई में रहती हैं और इन्हें नृत्य और बागवानी का शौक भी है.

प्रस्तुति: नवीन पोखरियाल

वेब सीरीज : MOHREY

Web series in Hindi : मुकुल अभयंकर द्वारा निर्देशित वेब सीरीज मोहरे(MOHREY) क्राइम और थ्रिलर की शैली में बनाई गई है. सीरीज एक ऐसे पुलिस अधिकारी की कहानी है, जो क्रिमिनल्स को पकडऩे के लिए अपनी जान तक जोखिम में डाल देता है.

लेखक: चारुदत्ता भगत, आदित्य पारुलेकर, निर्देशक: मुकुल अभयंकर, ओटीटी: एमएक्स प्लेयर

कलाकार: जावेद जाफरी, नीरज काबी, गायत्री भारद्वाज, सुचित्रा पिल्लई, आशिम गुलाटी, पुलकित मकोल, प्रदन्या मोटघरे, अमित सिंह, शैलेश दातार और नेहा बाम इस वेब सीरीज के टाइटल से ही पता चलता है कि इस में क्या दिखाया गया होगा. किसी भी फिल्म या सीरीज को अच्छा बनाने के लिए अच्छी स्क्रिप्ट के साथ अच्छे और प्रभावित करने वाले डायलौग का होना जरूरी है. पर मोहरेमें यही बात खटकती है. 

सीरीज की कहानी और डायलौग लिखने वाले मुकुल अभयंकर और उन के सहायक चारुदत्त भागवत एवं आदित्य पारुलेकर ने सीरीज को अच्छी बनाने के लिए मेहनत तो बहुत की है, पर ये लेखक सीरीज को जमा नहीं पाए. सीरीज जगहजगह खिंचती सी लगती है.

एपिसोड नंबर 1

सीरीज की कहानी को रोमांचक और दिलचस्प बनाने की कोशिश तो की गई है. शायद इसीलिए सीरीज के शुरुआत में ही कबड्डी के कप्तान की पीटपीट कर हत्या करते हुए दिखाया गया है. यही घटना डौन बास्को का परिचय कराती है. डौन बास्को की भूमिका जानेमाने कलाकार जावेद जाफरी ने की है. वैसे तो जावेद की पहचान हास्य भूमिकाओं के लिए है, पर इस सीरीज में उसे विलेन बनाया गया है. शायद इसीलिए उस ने विलेन की भूमिका भी कौमेडियन की तरह ही निभाई है. 

डौन बास्को ने कबड्डी टीम के हारने के लिए 50 करोड़ लगाए थे. लेकिन टीम जीत जाती है, जिस से उस के 50 करोड़ रुपए डूब गए थे. इसीलिए वह कबड्ïडी टीम के कैप्टन सुनील दरपत की पिटाई करवा रहा था. उस ने कप्तान सुनील दलपत को जिंदा ही कोफीन में बंद करवा दिया था, जिस से उस की मौत हो गई थी. बास्को का कोफीन का बिजनैस तो था ही, दवा की भी एक कंपनी थी. इस के बाद अर्जुन नाम का एक सबइंसपेक्टर सुनील दलपत की तलाश में बास्को के यहां आता है और उस से सुनील के बारे में पूछताछ करता है. यहीं पर अर्जुन की बहस बास्को के खास आदमी रजा से होती है, पर बास्को उसे शांत करा देता है. 

एसआई अर्जुन का रोल करने वाला असीम गुलाटी पुलिस अधिकारी कम बास्को का नौकर लगता है. सीरीज में पुलिस की भूमिका करने वाला एक भी व्यक्ति में पुलिस वाला व्यक्तित्त्व दिखाई नहीं देता. रजा की भूमिका करने वाला अमित सिंह खुद को हर वक्त डौन दिखाने की कोशिश करता रहता है, जिस से वह और भी ज्यादा खराब लगता है. क्योंकि उसे देख कर साफ लगता है कि उस में बनावटीपन है. यही बात पूरी सीरीज में खटकती है.

इस के बाद कलाकृतियों (पेंटिंग) के एक एग्जीबिशन के दौरान मुख्यमंत्री आते हैं तो पत्रकार राकेश जैन उन से कप्तान सुनील दलपत के बारे में पूछते हैं, पर सीएम बहाना देते हैं. तभी सीएम पर हमला होता है. इस घटना में मुख्यमंत्री के सारे गार्ड मारे जाते हैं, पर मुख्यमंत्री बच जाते हैं. पर इस बात का किसी को पता नहीं होता. इस में पत्रकार अश्मि घायल हो जाती है. 

सीरीज में मुख्यमंत्री की भूमिका शैलेश दातार ने की है. अपनी इस भूमिका में वह कहीं से भी फिट नहीं बैठता. एक राजनेता जिस तरह काइयां और होशियार दिखाई देता है, वैसा उस में कुछ भी नहीं दिखाई देता. वह एक व्यापारी जैसा लगता है. ऐसा ही पत्रकार अश्मि की भूमिका करने वाली प्रदन्या मोटघरे के साथ भी है. वह कहीं से भी रिपोर्टर नहीं लगती. उसे देख कर लगता है कि वह किसी इंजीनियरिंग कालेज की छात्रा है.

मुख्यमंत्री के मरने की खबर से उपमुख्यमंत्री जोशी सीएम बनने की तैयारी में लग जाता है. इसी बीच माइकल नाम का एसआई अश्मि से मुख्यमंत्री पर हुए अटैक के बारे में पूछने आता है. माइकल अश्मि को पसंद आ जाता है, इसलिए वह उस से और भी बातें करने लगती है. एसआई माइकल की भूमिका पुलकित मकोल ने की है, जो पुलिस अधिकारी कम लल्लू ज्यादा लगता है. मुख्यमंत्री की हत्या कराने का आरोप बास्को पर लगता है. खुद को निर्दोष बताने के लिए वह प्रैस कौन्फ्रैंस कर रहा था तो राकेश जैन उस से कुछ ऐसे सवाल करते हैं, जिन से चिढ़ कर वह प्रैस कौन्फ्रैंस खत्म कर देता है. तभी टीवी पर मुख्यमंत्री का इंटरव्यू आता दिखाई देता है. इस से सभी को पता चलता है कि सीएम जीवित हैं.

डिप्टी सीएम जोशी बास्को से मिलने आता है और उस से कहता है कि सीएम बच कैसे गया? तब बास्को कहता है कि उस की रिकार्डिंग उस के पास है. यहां पता चलता है कि सीएम को बचाने वाला भी बास्को था और मरवाने वाला भी वही था. दूसरी ओर अश्मि का मकान मालिक उसे मकान खाली करने को कहता है तो वह एक महिला शेरिल के यहां शिफ्ट हो जाती है. शेरिल बेकरी चलाती थी और अकेली ही रहती थी.  उस के पूरे परिवार को मार कर जला दिया गया था. शेरिल का रोल सुचित्रा पिल्लई ने किया है. मंझी हुई अभिनेत्री होने के कारण उस ने अपनी भूमिका के साथ न्याय किया है. न्याय तो अपनी भूमिका के साथ जावेद जाफरी ने भी किया है, पर उस की भमिका में कौमेडियन वाला पुट आ गया है.

डौन बास्को (MOHREY) से नाराज सीएम उसे औकात में लाने के लिए जब्बार नाम के पुलिस अधिकारी को दिल्ली से बुलाता है, जो बास्को का पुराना दुश्मन था. जब्बार टास्क फोर्स का गठन करता है, जिस में 5 लोगों के नाम थे. जब्बार का रोल नीरज काबी ने किया है. वैसे तो नीरज काबी अच्छा कलाकार है, पर एक तेजतर्रार पुलिस अधिकारी जैसा उस का व्यक्तित्व दिखाई नहीं देता. इसी बीच पत्रकार राकेश जैन को रजा ट्रेन से गिरा कर मार देता है. टास्क फोर्स में अर्जुन का भी नाम था, पर जब्बार उसे निकाल देता है और उसे गद्ïदार कहता है, जिस से नाराज हो कर अर्जुन उस पर हाथ उठा देता है.

एपिसोड नंबर 2

दूसरे एपिसोड की शुरुआत में दिखाया जाता है कि अर्जुन को जेल में कुछ लोग पीट रहे हैं. यह सजा उसे जब्बार पर हाथ उठाने के लिए मिली थी. उसे नौकरी से भी निकाल दिया गया था. आगे अन्ना नाम का आदमी बास्को को बताता है कि जब्बार वापस आ गया है. इस से बास्को तनाव में आ जाता है. वही यह भी बताता है कि अर्जुन ने उसे मारा है, जिस से उसे नौकरी से हटा कर जेल भेज दिया गया है. बास्को अर्जुन को अपनी वकील रिचेल के माध्यम से बाहर निकलवाता है तो अर्जुन उस के लिए काम करने लगता है. जब्बार अर्जुन की जगह माइकल को अपनी टीम में रखता है, जो मुख्यमंत्री के किलर को गोली मार देता है, जबकि पुलिस उसे जिंदा पकडऩा चाहती थी. अश्मि को जब राकेश जैन की मौत का पता चलता है तो वह जान जाती है कि यह एक्सीडेंट नहीं मर्डर था.

अर्जुन को रिचेल पसंद आ गई थी. बास्को शिरेल से मिलने आता है तो पता चलता है कि वह बास्को की बहन है, पर शिरेल बास्को से बहुत नाराज थी. यह नाराजगी क्यों थी, यह आगे पता चलेगा. दूसरी ओर जब्बार माइकल के बारे में जांच करवाता है, ताकि उस पर भरोसा किया जा सके. दूसरी ओर बास्को अर्जुन को भड़का कर अपनी टीम में शामिल कर लेता है.

एपिसोड नंबर 3

तीसरे एपिसोड की शुरुआत में हम देखते हैं कि बास्को अर्जुन को बताता है कि सुनील दलपत को उसी ने मारा है, जिसे सभी ढूंढ रहे हैं. यह कह कर बास्को हंसने लगता है, जिस से अर्जुन को लगता है कि वह मजाक कर रहा है. दूसरी ओर अश्मि शेरली से पूछती है कि उस के परिवार के साथ क्या हुआ था? शेरली बताती है कि उस के पति को मार दिया गया था और घर में आग लगा दी गई थी, जिस में उस के दोनों बेटे भानु और आदित्य मर गए थे.

दूसरी ओर सीएम जब्बार से कहता है कि अर्जुन जब्बार से मिल गया है, जबकि वह उस का कुछ नहीं कर पा रहा है. जब्बार अपने औफिस आता है और माइकल की परीक्षा लेता है, जिस में वह पास हो जाता है. तब जब्बार को लगता है कि वह उस पर आंख मूंद कर भरोसा कर सकता है. इस के बाद जब्बार बास्को के यहां जा कर उसे धमकी देता है कि वह किसी भी हालत में बच नहीं पाएगा. रिचेल अर्जुन को बताती है कि उसे बास्को की फार्मा कंपनी में नौकरी मिल गई है. पर वह रहेगा बास्को के साथ ही. बास्को ने रजा को फोन किया तो वह अर्जुन के साथ अड्ïडे पर पहुंच जाता है. बास्को अन्ना से सुनील की लाश को दफनाने को कहता है तो रजा अर्जुन को अपने धंधे के बारे में समझाता है. 

इसी के साथ शेरिल रात को कब्रिस्तान के पास से जा रही थी, तभी वह कुछ लोगों को कोफीन सहित एक आदमी को दफनाते देखती है. यह बात वह अश्मि को बताती है तो अश्मि फोन कर के माइकल को बुला लेती है. माइकल कौफीन निकलवा कर देखता है, जिस में किसी अन्य की लाश थी. जबकि इन लोगों को लगा था कि उस में सुनील की लाश है. जबकि बास्को ने सुनील की लाश उस कौफीन से पहले ही गायब करा दी थी. अब सुनील की लाश को ठिकाने लगाने की जिम्मेदारी अन्ना रजा को सौंपता है. अन्ना की भूमिका यहां विनोद जयवंत ने की है. विनोद ने अपनी भूमिका के साथ न्याय करने की कोशिश तो की है, पर शायद डायरेक्टर ने करने नहीं दी.  

आगे के दृश्य में दिखाया जाता है कि शेरिल से एक आदमी मिलने आता है, जो अर्जुन था. उन की बातों से पता चलता है कि अर्जुन शेरिल का बड़ा बेटा भानु था, जिसे उस ने आग से बचा कर पति के दोस्त के पास भेज दिया था. अर्जुन के बारे में कोई कुछ नहीं जानता. सभी यही जानते हैं कि वह एक डकैत का बेटा है. इसीलिए जब्बार ने उसे बेइज्जत किया था.

एपिसोड नंबर 4

चौथे एपिसोड के शुरुआत में दिखाया जाता है कि शेरिल अर्जुन को बास्को से दूर रहने के लिए कहती है. पर अर्जुन के पीछे जब्बार पड़ा था, इसलिए वह मजबूरन बास्को का साथ दे रहा था. यहीं पता चलता है कि शेरिल के घर आग बास्को ने ही लगाई थी और उस के पति को मार दिया था. इसीलिए शेरिल बास्को से नफरत करती थी. यह सुन कर अर्जुन चिल्लाता है, जिसे सुन कर अश्मि ऊपर आने लगती है. तब अर्जुन मुंह छिपा कर भाग जाता है. सीएम का आदमी आ कर उन्हें बताता है कि जोशी 20 विधायक ले कर गायब है. इस का मतलब यह था कि अब वह कभी भी उन्हें हटा कर सीएम बन सकता है. 

यह जान कर सीएम के होश उड़ जाते हैं. तब वह बास्को से मिल कर अपनी कुरसी बचाने की गुजारिश करता है. इस के लिए सीएम उसे 200 एकड़ जमीन गिफ्ट करता है, साथ ही इस के लिए भी राजी हो जाता है कि जब्बार को वापस भेज देगा. आगे अर्जुन रिचेल से मिलता है. रिचेल ने ही अर्जुन को जेल से निकलवाया था. उस ने सीरीज में वकील की भूमिका की थी. उस का असली नाम गायत्री भारद्वाज है. वह सुंदर तो है, पर उस का काम सुंदर नहीं है. अर्जुन और रिचेल एक रेस्टोरेंट में बैठ कर काफी बातें करते हैं. यहीं रिचेल अर्जुन को अपने घर समय बिताने के लिए बुलाती है. तभी बास्को का फोन आने से अर्जुन चला जाता है.

रजा शेरिल से मिलने आता है और कहता है कि वह उसे अपनी मां की तरह मानता है. उसी समय वहां बास्को आ जाता है. शेरिल बास्को की बेइज्जती कर देती है, जिस से बास्को का हाथ उठ जाता है, लेकिन रजा उसे पकड़ लेता है और ले कर चला जाता है. बास्को अर्जुन से कहता है कि उसे जोशी और उन एमएलए को ढूंढना होगा, क्योंकि उस ने वादा कर लिया है कि वह कैसे भी सीएम की कुरसी बचाएगा. अर्जुन कहता है कि जोशी जहां भी होगा, वहां शराब और लड़कियां खूब जा रही होंगी. यह सुन कर बास्को अर्जुन की तारीफ करता है, जो रजा को अच्छा नहीं लगता.

आगे सुनील दलपत के दोस्त उस का फोन ला कर उस की पत्नी को दे कर बताते हैं कि उन्हें यह फोन स्पोट्र्स रूम से मिला था. वह यह बात पुलिस वालों को बताती है. पुलिस आती, उस के पहले वहां रजा पहुंच जाता है और सुनील दलपत की पत्नी को मार कर फोन ले कर चला जाता है. दलपत की पत्नी की भूमिका संध्या भारद्वाज ने की है. वह बहुत कम समय के लिए सीरीज में दिखाई दी हैं, इसलिए उस के काम के बारे में कुछ भी कहना उचित नहीं होगा.

पुलिस आती है तो उसे वहां सुनील की पत्नी और उस के पिता की लाशें मिलती हैं. रजा वहां से सीधे रिचेल के घर जाता है, क्योंकि उस के पास रिचेल के घर की दूसरी चाबी थी. वह उस के लिए चौकलेट भी ले कर आया था. इस का मतलब था कि रजा रिचेल से प्यार करता था. आगे जोशी दिखाई देता है, जो लड़कियों के साथ मजे कर रहा था. एक लड़की अर्जुन को फोन करती है कि वह काम पर लग गई है. इस का मतलब उन लड़कियों को अर्जुन ने भेजा था. दूसरी ओर रजा देखता है कि रिचेल के फोन पर अर्जुन का फोन आया है. वह मैसेज भी देखता है. अब उसे जलन होने लगती है कि अर्जुन यहां भी आ गया.

एपिसोड नंबर 5

पांचवें एपिसोड की शुरुआत सीएम की प्रैस कौन्फ्रैंस से होती है. मीडिया वाले उन से पूछ रहे थे कि जोशी उन के विधायक ले कर गायब है, क्या उन की सरकार जाने वाली है

सीएम मुसकराते हुए जवाब देते हैं कि जोशी जल्दी ही वापस आ जाएगा. आगे जोशी 2 लड़कियों के साथ एंजौय करता दिखाई देता है. लड़कियां उसे ताकत की दवा खिला रही होती हैं. सीरीज में इस दृश्य को जिस तरह रोमांटिक दिखाना चाहिए था, वैसा कुछ भी नहीं है. यह दृश्य एकदम नाटकीय और बनावटी लगता है, इसलिए दर्शक इस का आनंद नहीं उठा पाते. अर्जुन रिचेल के घर जाता है, जहां दोनों खूब हंसहंस कर बातें करते हैं.

उधर दवा खाने के बाद जोशी की मौत हो जाती है, जिसे देख कर एक विधायक घबरा जाता है. वह सीएम को फोन करता है तो सीएम कहता है कि वह सभी विधायकों को ले कर वापस आ जाए, उन्हें कुछ नहीं होगा. यह बात जोशी की मौत के मामले की जांच करने आया जब्बार सुन लेता है, जिस से उसे पता चल जाता है कि यह सब सीएम ने करवाया है. सीएम जब्बार को फोन कर के कहता है कि जोशी की मौत नेचुरल लगनी चाहिए. तब जोशी को होटल की ऊपरी मंजिल से नीचे फेंक दिया जाता है और कहा जाता है कि विधायकों के वापस चले जाने से जोशी ने शर्म से सुसाइड कर लिया है.

दूसरी ओर अर्जुन और रिचेल डेट करते हुए आपस में खूब बातें करते हैं. उस समय रिचेल के घर में रजा भी मौजूद था और कबर्ड से उन्हें देख रहा था. रिचेल और अर्जुन शारीरिक संबंध बनाने वाले होते हैं, लेकिन रजा से यह देखा नहीं जाता तो वह वहां आई एक बिल्ली को मार देता है और फ्लावर पौट तोड़ देता है. तब रिचेल का मूड औफ हो जाता है और दोनों कुछ कर नहीं पाते.

माइकल जोशी को पोस्टमार्टम के लिए ले जा रहा होता है तब उस के पास अश्मि का फोन आता है. वह उसे जोशी की खबर कवर करने के लिए बुला लेता है. आगे जब्बार को जोशी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलती है तो उसे पता चलता है कि जोशी की मौत ताकत की दवा खाने से हुई थी. जब्बार जब उस दवा के बारे में पता करता है तो जानकारी मिलती है कि वह दवा बास्को की कंपनी में बनती है. उधर बास्को उन दोनों लड़कियों को छिपाना चाहता था, जो जोशी के साथ होटल में थीं. इस से वह सीएम को ब्लैकमेल करना चाहता था. साथ ही वह जोशी की उस रात वाली वीडियो वायरल करवा देता है, जिस से सीएम की पार्टी की बदनामी होती है. 

सीएम दोनों लड़कियों को मरवा देता है. फिर वीडियो के बारे में बास्को से पूछता है तो वह मना कर देता है. आगे बास्को रजा से सुनील के फोन के बारे में पूछता है तो रजा बताता है कि फोन तो गायब हो गया है. बास्को उसे खूब धमकाता है और उसे बेइज्जत करते हुए कहता है कि अगर वह फोन पुलिस के हाथ लग गया तो सब खत्म हो जाएगा. जब्बार को सीएम की बातों से लगता है कि वह कोई गेम खेल रहा है.

एपिसोड नंबर 6

छठे एपिसोड की शुरुआत में हम देखते हैं कि सीएम जब्बार को खूब खरीखोटी सुनाता है तो जब्बार 7 दिन का समय मांगता है और कहता है कि वह एक सप्ताह में बास्को के गले तक पहुंच जाएगा. आगे प्रैस कौन्फ्रैंस में सीएम मीडियाकर्मियों से कहता है कि यह जो खूनखराबा हो रहे हैं, इन की जांच जब्बार साहब कर रहे हैं. यह एक सप्ताह में इस का खुलासा कर देंगे. दूसरी ओर बास्को को कहीं से जोशी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बारे में पता चल जाता है. तब वह अन्ना से सुनील की लाश के बारे में पूछता है कि उसे ठिकाने लगा दिया या नहीं? फिर वह सीएम का इंटरव्यू देखता है और उसे फोन करता है कि उस ने तो जब्बार को वापस भेजने को कहा था, जबकि उस ने तो उसे एक सप्ताह का टाइम और दे दिया. 

तब सीएम बास्को की बेइज्जती कर के कहता है कि एक सप्ताह में भी वह उस का कुछ नहीं कर पाएगा और उस के बाद वह उसे वापस भेज देगा. बास्को अर्जुन को डांटता है कि वह उन लड़कियों को नहीं संभाल पाया और किसी ने उन्हें मार दिया. तब अर्जुन कहता है कि जब्बार ने उन्हें नहीं मरवाया. क्योंकि उस के लिए तो वे सबूत थीं. बास्को की समझ में यह बात आ जाती है. आगे रिचेल को घर की सफाई में एक फोन मिलता है, जिसे देख कर वह चौंक जाती है. 

यह सुनील का वही फोन था, जिसे रजा रख कर भूल गया था. पर रिचेल को यह नहीं पता था. वह अर्जुन को बुलाती है और उस फोन के बारे में बताती है. फोन खुलने पर अर्जुन जान जाता है कि यह फोन सुनील दलपत का है, इसलिए वह उसे ले जा कर बास्को को दे देता है. फोन पा कर बास्को खुश हो जाता है. 

दूसरी ओर जब्बार को माइकल 

पर शक होता है कि यह बास्को से मिला है. इस के लिए वह अपने शागिर्द चौहान से उस पर नजर रखने को कहता है कि यह किसकिस से मिलता है. डीसीपी चौहान की भूमिका पंकज विष्णुपूलकर ने की है.  माइकल अश्मि से मिलने जाता है, तभी वहां रिचेल आ जाती है, जो माइकल की बेस्ट फ्रैंड थी. दोनों ही अनाथाश्रम में एक साथ पलेबढ़े थे. वह माइकल से लिपट जाती है. चौहान दूर से यह सब देख रहा था. वह यह सब जब्बार को बताता है तो जब्बार माइकल को बुला कर तमाम सवाल करता है. फिर कहता है कि बगल के कमरे में एक आदमी है, जिसे वह मार दे तो उसे उस पर विश्वास हो जाएगा. 

माइकल उस आदमी को गोली मार देता है. वह आदमी कोई और नहीं, बास्को का खास आदमी अन्ना था. तब जब्बार कहता है कि अब उसे उस पर विश्वास हो गया है. अब वह कहीं भी जा सकता है. माइकल चर्च जाने की बात करता है, क्योंकि उस ने किसी को बेमतलब जान से मारा था. माइकल चर्च जाता है, जहां उस की बगल में बास्को बैठा था. माइकल अन्ना को मारने के लिए माफी मांगता है तो बास्को कहता है कि कभीकभी विश्वास दिलाने के लिए अपनों को भी मारना पड़ता है.

एपिसोड नंबर 7

सातवें एपिसोड के शुरू में दिखाया जाता है कि माइकल सचमुच में बास्को से मिला था. उसी ने माइकल को पढ़ालिखा कर पुलिस अफसर बनवाया था. सुनील का फोन खुलता है तो उस की लोकेशन रिचेल के घर की मिलती है. जब्बार अपनी टीम के साथ रिचेल के घर पहुंच जाता है और वारंट दिखा कर उस के घर की तलाशी लेता है. पर घर में उन्हें कुछ नहीं मिलता. तब जब्बार अर्जुन और रिचेल के कपड़े उतरवा कर उन की तलाशी लेता है. रिचेल इस बात से नाराज हो कर केस करने की धमकी देती है. 

जब्बार गुस्सा हो कर चला जाता है. तभी माइकल वहां आता है और रिचेल से कहता है कि जब्बार से पंगा लेना ठीक नहीं है. तब अर्जुन और माइकल में बहस होने लगती है. रिचेल नाराज हो कर दोनों को भगा देती है. बास्को के सामने अन्ना की लाश रखी थी. बास्को उदास था. रजा कहता है कि वह माइकल को गोली मार देगा, क्योंकि उस ने अन्ना को मारा है. बास्को उसे रोकता है और सुनील के फोन के बारे में पूछता है. अर्जुन फोन निकाल कर देता है. यहां पता चलता है कि फोन रिचेल के कबर्ड से मिला था. पुलिस के आने से पहले अर्जुन ने उसे छिपा दिया था. 

गुस्सा हो कर बास्को रजा को मारने लगता है कि वह रिचेल के फ्लैट पर क्यों गया था? बास्को के हावभाव देख कर लगता है कि रिचेल उस की कुछ लगती है. वह रजा से रिचेल के फ्लैट की चाबी ले कर उसे धक्के मार कर भगा देता है. अर्जुन बास्को से बताता है कि जब्बार ने रिचेल के घर की तलाशी तो ली ही, उन के कपड़े भी उतरवाए. यह जान कर बास्को को बहुत गुस्सा आता है और वह जब्बार के घर जा कर उस से कहता है कि उस ने फिर कभी रिचेल के करीब जाने की कोशिश की तो वह उसे जान से मार देगा. जब्बार उस से कहता है कि रिचेल उस की कुछ लगती है क्या? उस के साथ उसे बहुत मजा आता होगा. तब बास्को उस के मुंह पर थूक चला जाता है. जब्बार उस थूक को इकट्ठा कर के उस का डीएनए टेस्ट कराता है.

दूसरी ओर रजा फ्रीजर खोल कर कहता है कि यही बास्को की बरबादी का कारण बनेगा. वह सीएम को एक वीडियो भेज कर उन से मिलने जाता है. वीडियो में दोनों लड़कियां मरी पड़ी थीं और सुनील की लाश भी फ्रीजर में रखी थी. मुख्यमंत्री उसे मिलने के लिए बुलाते हैं तो वह कहता है कि वह बास्को को मारना चाहते हैं न, वह भी उन्हें मारना चाहता है. तब पता चलता है कि रजा ने ही दोनों लड़कियों को मारा था.  सीएम कहते हैं कि वह बास्को के साथ ही रहे और अगला बास्को वही बनेगा. रजा चला जाता है तो सीएम अपने सेक्रेटरी से कहता है कि इन लोगों का कोई वजूद नहीं है. बस इन से अपना काम निकलवाते रहो.

एपिसोड नंबर 8

आठवें एपिसोड के शुरू में हम देखते हैं कि डीसीपी चौहान और लेडी कांस्टेबल रिचेल के घर आते हैं और उस दिन के लिए उस से माफी मांगते हैं कि उस दिन उन्हें उस के कपड़े नहीं उतरवाने चाहिए थे. लेडी कांस्टेबल वाशरूम चली जाती है रिचेल का डीएनए लेने के लिए. वह उस का बाल ले लेती है. तब पता चलता है कि उन्हें जब्बार ने ही भेजा था. जब्बार बास्को और रिचेल का डीएनए टेस्ट कराने को कहता है.  इस के आगे हम देखते हैं कि लोग एक लेखक का इंटरव्यू ले रहे थे, जिस ने अपनी किताब में गैंगवार और गैंगस्टर के बारे में लिखा था. लोग उन से पूछते हैं कि इस में उस ने बास्को का नाम क्यों नहीं लिखा? तब कोई कहता है कि बास्को ने ही तो यह किताब छपवाई है. 

आगे रजा बास्को से मिलने आता है और उस से माफी मांगता है. पहले बास्को उस की खूब बेइज्जती करता है, फिर साथ रख लेता है. तब अर्जुन को पता चलता है कि रजा को बास्को ने बचाया था, जब उस का पिता मर गया था और मां भाग निकली थी. यह सुन कर अर्जुन को लगता है कि कहीं यह उस का छोटा भाई आदित्य तो नहीं है. वह सीधे अपनी मां शेरिल के पास जाता है और पूछता है कि उसे लगता नहीं कि उस का छोटा भाई जिंदा है? पर शेरिल मना कर देती है. 

अर्जुन रिचेल के बारे में कहता है कि वह उसे पसंद है. इस पर शेरिल कहती है कि वह माइकल के साथ यहां आ चुकी है. तभी अश्मि आ जाती है तो अर्जुन चुपके से चला जाता है. अश्मि वह किताब पढऩे लगती है, जिस में लिखा था कि शेरिल का पति गैंगस्टर था. जबकि शेरिल ने उसे बताया था कि वह बहुत शरीफ थे. अश्मि इस बारे में पता करती है. उसे कुछ फोटो भी मिलते हैं. वह घर आ रही होती है, तभी बास्को के आदमी उसे उठा ले जाते हैं. 

बास्को उस से कहता है कि वह उस के साथ कुछ नहीं करेगा. बस, उस ने उसे यह बताने के लिए बुलाया है कि जब्बार कोई दूध का धुला नहीं है. उस ने उस के पिता को मारा था. बात सामने आने पर उस का ट्रांसफर हो गया था. सीएम ने उसे फिर बुला लिया है. उस ने उस के आदमी अन्ना को माइकल से मरवा दिया है. जब्बार रिचेल को अननोन नंबर से फोन कर के कहता है कि वह उस के पिता जैसा है और उस से मिलना चाहता है. यह सुन कर रिचेल रोने लगती है. 

अश्मि घर पहुंचती है और शेरिल को बताती है कि माइकल भी खूनी है और जब्बार भी. शेरिल वे फोटो देखती है, जो अश्मि ने इकट्ठा किए थे. शेरिल के होश उड़ जाते हैं. उधर रिचेल माइकल को बुला कर कहती है कि उसे उस के परिवार के बारे में पता चल सकता है. बस, वह यह पता कर के बताए कि वह फोन कहां से आया था. तभी वहां अर्जुन आ जाता है और रिचेल से पूछता है कि वह कहां गायब थी? उसे उस ने कितने फोन किए हैं. माइकल को देख कर अर्जुन को बुरा लगता है. पर माइकल उस से कहता है कि शायद रिचेल को उस के परिवार के बारे में पता चल सकता है. इतना कह कर माइकल चला जाता है. 

दूसरी ओर अश्मि टीवी पर आती है और कहती है कि उसे उस के सोर्स से पता चला है कि जब्बार ने भी कई खून किए हैं. यह समाचार सीएम भी देख रहा था. वह जब्बार से कहता है कि अब वह जांच रोक दे, क्योंकि उसे उस की बुराई करनी होगी. इस के लिए जब्बार उसे रोकता है और कहता है कि वह बास्को को उठाना चाहता है, क्योंकि उसी की कंपनी की दवा से डिप्टी सीएम जोशी की मौत हुई थी. अश्मि घर आती है तो माइकल उस से कहता है कि उसे यह सब टीवी पर कहने की क्या जरूरत थी. 

तब गुस्से में अश्मि कहती है कि उस ने भी तो मर्डर किया है. माइकल पूछता है कि उसे कहां से पता चला तो शेरिल कहती है कि कल इसे बास्को के आदमी उठा कर ले गए थे. वहीं पता चला होगा. माइकल बास्को को फोन कर के कहता है कि उसे अश्मि से यह सब बताने की क्या जरूरत थी. बास्को कहता है कि रजा लौट आया है, लेकिन अब उसे उस पर भरोसा नहीं है. शेरिल अश्मि से कहती है कि उसे यह सब नहीं करना चाहिए था. तब अश्मि वह किताब दिखा कर शेरिल से कहती है कि उस ने तो कहा था कि उस का परिवार मारा गया था, पर इस में तो लिखा है कि वह गैंग का हिस्सा थे और गैंगवार में मारे गए थे.

यह देख कर शेरिल के होश उड़ गए. गुस्से में वह अश्मि को अपने घर से जाने के लिए कहती है कि जब उसे उस पर विश्वास नहीं है तो वह उस के यहां रहने लायक नहीं है. आगे रजा रिचेल के घर जाता है और कहता है कि वह उस से प्यार करता है. उसे उस के साथ चलना होगा. सीएम बास्को को पकडऩे वाला है. अब अगला बास्को वही बनेगा. 

रिचेल उस के साथ जाने से मना करती है तो रजा खुद की कनपटी पर पिस्तौल रख कर गोली मारने की धमकी देता है. बास्को खूब शराब पीता है. उसी समय शिरेल आ कर उसे खूब खरीखोटी सुनाने लगती है कि उस का पति सिर्फ उस का ड्राइवर था. जबकि सभी उसे उस की गैंग का हिस्सा बना रहे हैं. शेरिल उसे तमाचा मार कर चली जाती है. बास्को खूब हंसता है और अर्जुन से कहता है कि इसे लगता है कि इस का पूरा परिवार खत्म हो गया है, पर मैं ने उस आग से इस के एक बेटे को बचा लिया था. 

अर्जुन पूछता है कि वह कौन है? तब बास्को कहता है कि वह उस के लिए ही काम करता है. इतना कह कर बास्को सो जाता है. इस के बाद रजा और माइकल दिखाई देते हैं यानी उन्हीं दोनों में एक अर्जुन का भाई हो सकता है.

नीरज काबी

सीरीज में जब्बार की भूमिका निभाने वाले नीरज काबी का जन्म 12 मार्च, 1968 को बिहार के जमशेदपुर में हुआ था, जो अब झारखंड में है. उस ने स्कूली पढ़ाई लोयोला स्कूल से की थी. इस के बाद उस ने सिंबायोसिस कालेज, पुणे से कंप्यूटर साइंस में डिप्लोमा किया था. नीरज के पिता का नाम तुषार काबी तो मां का नाम जरीन काबी है. उस का एक भाई पार्थ काबी है तो एक बहन राधिका विरदी है. उस का विवाह फैशन डिजाइनर दीपिका कोस्टा से हुआ है. उस की एक बेटी शताक्षी काबी है.

नीरज काबी एक अभिनेता, निर्देशकप्रशिक्षक है, जो प्रदर्शन, निर्देशन, प्रशिक्षण और अनुसंधान में शामिल थिएटर और फिल्म रेजीडेंसी बनाने की दिशा में काम कर रहा है. पिछले 2 दशकों से वह प्रसिद्ध राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रंगमंच और फिल्म निर्देशकों के साथ एक पेशेवर अभिनेता के रूप में काम कर रहा है. नीरज ने 1996 से अभिनेताओं, बच्चों और अन्य उद्योगों के लिए रंगमंच और अभिनय कार्यशालाओं का आयोजन करने के लिए पूरे देश की यात्रा की है. उस ने 1998 से मुंबई में एक पेशेवर थिएटर अभिनेता के रूप में काम करना शुरू किया था. उस ने अनेक नाटकों में मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं. 

उस ने फ्रांस के जीन जैक्स बेलोट और एरिक बिग्नर, इजरायल के गिल एलन, यूएसए के रेने मिग्लियाचियो, भारत के अतुल कुमार, रेहान इंजीनियर और नसीरुद्दीन शाह जैसे अंतरराष्ट्रीय और भारतीय निर्देशकों के साथ काम किया है. सिनेमा में नीरज काबी ने 1997 से काम करना शुरू किया था. फिल्म में काम पाने के लिए उस ने बहुत संघर्ष किया है. फिल्म इंडस्ट्री में तमाम नौकरियां करने के बाद उसे काम मिलना शुरू हुआ था. काम मिलने के बाद नीरज काबी को अनेक पुरस्कार और सम्मान मिले हैं.

सुचित्रा पिल्लई 

इस वेब सीरीज (MOHREY) में शेरिल की भूमिका निभाने वाली सुचित्रा पिल्लई का जन्म 27 अगस्त, 1970 को केरल के अर्नाकुलम में हुआ था. स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद उस ने मुंबई के बांद्रा स्थित फादर कांसेकाओ रौड्रिक्स कालेज आफ इंजीनियरिंग से इलेक्ट्रौनिक से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, पर इंजीनियरिंग के बजाय उस ने कला में अपना करिअर चुना. पढ़ाई पूरी होते ही वह लंदन चली गई, जहां बच्चों के थिएटर से जुड़ गई. साल 1993 से उस ने फिल्मों में अभिनय करना शुरू किया. उसे एक फ्रांसीसी फिल्म ले प्रिक्स डी उन फेमेमें पहली भूमिका के साथसाथ अंगरेजी फिल्म गुरु इन सेवनमें एक भूमिका की पेशकश की गई. 

वहां कई फिल्मों में काम करने के बाद सुचित्रा मुंबई आ गई और वीजे की नौकरी करने लगी. वह पहली बार अपाचे इंडियन और फिर दिल चीज है क्याके म्यूजिक वीडियो में दिखाई दी. फिर उस ने टीवी शो में काम करना शुरू किया. सुचित्रा ने हौलीवुड की फिल्मों में भी अभिनय किया है. सुचित्रा ने साल 2017 में द लौंग आइलैंड इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवलऔर द मिलान इंटरनेशनल फिल्ममेकर्स फेस्टिवलमें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का अवार्ड जीता है. उस ने अब तक 25 फिल्मों, 15 टीवी शो में तथा 10 वेब सीरीज में काम किया है. 

साल 2001 में उस ने एल्बम मेरे लिएमें एक गाना गा कर गायक के रूप में शुरुआत की. इस के बाद उस ने कुछ और गाने भी गाए हैं. वह अपनी आवाज में डबिंग भी करती है. सुचित्रा जब 20 साल की थी, तब उस ने पवन मलिक से शादी की थी और फिर तलाक ले लिया था. 

साल 2005 में उस ने डेनमार्क के इंजीनियर लार्स केजेल्डसन से शादी की. लार्स से उस की मुलाकात एक कौमन फ्रैंड के घर हुई थी. उस की एक बेटी भी है.

 

वेबसीरीज : HARIKATHA

Web series : ‘हरिकथावेब सीरीज में उच्च जाति के कुछ लोग निम्न जाति के दास नाम के बालक की मां को पीटपीट कर मार देते हैं तो दास भगवान विष्णु के अवतार का भेष धारण कर मां के हत्यारों और दुराचारियों की एकएक कर हत्या करता है. लगातार हो रही हत्याओं को सुलझाने में पुलिस औफीसर तक की जान चली जाती है.

निर्माता: विश्वप्रसाद टीजी, विवेक कुचिबोटला और कृति प्रसाद, निर्देशक: रमेश मूर्ति और मैगी, लेखक: सुरेश जय, ओटीटी: डिज्नीप्लस हौटस्टार

कलाकार: राजेंद्र प्रसाद, श्रीकांत, मौनिका रेड्डी, दिवि वधाता, पुजिता पोन्नदा, श्रेया कोट्टम, अर्जुन अंबाती, रुचिरा सादिनेनी, विक्रम सत्यसाची, सुमन झा और ऊषाश्री.

वेब सीरीज   (Web series) हरिकथा’  (HARIKATHA) दिनांक 15 दिसंबर, 2024 को रिलीज हो चुकी है. यह हिंदी के साथसाथ साउथ भाषाओं और मराठी व बंगाली में भी मौजूद है. इस की कहानी एक ऐसे गांव में सेट की गई है, जहां के लोगों का मानना है कि भगवान खुद हत्या कर के उन्हें सजा देने के लिए उतर रहे हैं. यह सब घटनाएं देख कर गांव वाले काफी डर और घबरा जाते हैं. उन्हें लगता है कि ये मौतें ईश्वरीय दंड का हिस्सा हैं. एक पुलिस अधिकारी उस गांव में आता है और इस विश्वास को चुनौती देता है कि हत्याओं के पीछे ईश्वर का हाथ तो नहीं है. जब वह इन अनसुलझे रहस्यों की जांच करता है तो इस प्रक्रिया में वह अपने परिवार को ही खो बैठता है.

इस वेब सीरीज की कहानी दर्शकों को यह सोचने के लिए मजबूर कर देती है कि इन हत्याओं के पीछे वास्तव में कौन हो सकता है? क्या वास्तव में भगवान ही इन लोगों को सजा दे रहे हैं या कुछ और हो रहा है? क्या पुलिस अधिकारी इन रहस्यों को सुलझा कर इन हत्याओं को रोक सकता है? इस वेब सीरीज का ट्रेलर एक चौंकाने वाले पल से समाप्त होता है.

इस वेब सीरीज  (Web series) में पुलिस अधिकारी विराट की भूमिका श्रीकांत ने निभाई है, जबकि राजेंद्र प्रसाद (रंगाचारी), श्रेया कोट्टम (वैदेही), पुजिता पोन्नदा (लिसा), अर्जुन अंबाती (भरत), दिवि वधाता (चमंथी), रुचिरा सादिनेनी (स्वाति), विक्रम सव्यसाची (मार्थांडा), मौनिका रेड्डी (अंजलि), सुमन झा (हरि) और उषाश्री (ईरम्मा) की भूमिकाओं में हैं.

एपिसोड नंबर 1

पहले एपिसोड की शुरुआत गीता के श्लोक से होती है और फिर 1982 के एक कोर्ट के दृश्य को दिखाया जाता है, जिस में हथौड़े से लोगों का मर्डर करने के जुर्म में दास नामक युवक को 18 साल की सजा सुनाई जाती है. दास माइनर था, इस वजह से उसे जुबिनायल ले जाने लगते हैं. पुलिस वैन में एक कांस्टेबल दास को जातिगत टिप्पणी कर देता है, जिस से गुस्सा हो कर द्वास पुलिस कांस्टेबल अपर्णा के हथियार से ही उस का खून कर देता है. अगला दृश्य 1990 का दिखाया जाता है, जहां विशाखापट्टनम में पुलिस अधिकारी विराट (श्रीकांत) ने एक बड़े शातिर क्रिमिनल को पकड़ कर लौकअप रूप में बंद कर रखा है. 

उस अपराधी को पकडऩे पुलिस फोर्स आ रही होती है, ताकि उसे जेल भेजा जा सके, तभी वहां पर विराट (श्रीकांत) की पत्नी अंजलि (मौनिका रेड्डी) पुलिस स्टेशन आ जाती है, जिस का उस दिन जन्मदिन भी होता है. विराट के क्रिमिनल के साथ बिजी होने के कारण अंजलि अपना जन्मदिन पुलिस वालों के साथ मनाती है. वहां पर उस क्रिमिनल को छुड़ाने के लिए थाने में कई आतंकी आ जाते हैं. एक आतंकी उस क्रिमिनल को कैद से छुड़ाने अपनी राइफल ले कर आगे बढ़ता है तो वहां मौजूद विराट का दोस्त भरत उस से भिड़ जाता है. उसी दौरान आतंकी की गोली अंजलि के सीने पर लग जाती है और एक गोली विराट को लग जाती है, जिस से विराट घायल हो कर गिर जाता है, जबकि अंजलि की मृत्यु हो जाती है.

इस के बाद कुछ साल पहले का दृश्य सामने आता है, जहां अराकू वैली में 2 व्यक्तियों की नृशंस हत्या हुई थी. तभी वहां पर लिसा (पुजितो पोन्नदा), जोकि एक टीवी रिपोर्टर है, आ कर वीडियो रिकौर्डिंग करने लगती है तो पुलिस औफिसर भरत (अर्जुन अंबाती) उसे रिकौर्डिंग करने से रोक देता है. अब वहां पर गांव का प्रतिभाशाली आदमी और वहां का बौस केशव आ जाता है. जिन 4 लोगों की हत्या हुई थी, वे दोनों केशव के ही आदमी थे. भरत केशव से पूछता है कि इन दोनों को किस ने मारा होगा.

पुलिस को घटनास्थल से कुछ दूरी पर वह हथियार भी मिल जाता है, जिस से हत्या की गई थी. अगले दृश्य में सभी गांव वाले अपने सरपंच से कहते हैं कि हम सभी को अपनी देवी देवरम्मा के पास जाना चाहिए, क्योंकि जिस हथियार से इन दोनों की हत्या की गई है, वह हथियार परशुराम के फरसे की तरह था.  अब सभी गांव वाले सरपंच के साथ देवरम्मा के दर्शन के लिए जाते हैं. वहां पर देवी देवरम्मा को प्रसन्न करने के लिए बकरे की बलि चढ़ाई जाती है और सभी देवरम्मा की पूजा करते हैं. उस के बाद देवरम्मा बलि के खून को छू कर कहती है, देवता सभी पर रुष्ट हैं. वे सभी को मार डालेंगे. साथ ही यहां पर लिसा (पुजिता पोन्नदा) भी होती है, जो सभी दृश्यों को कैमरे में रिकौर्ड करती दिखाई दे रही है.

अगले दृश्य में हम एक वुमनाइजर को देखते हैं, जो अय्याश है. वह अपने साथी से कहता है कि आज रात मंदाकिनी को बुला लो, मेरा उस के साथ प्यार करने का मन है. तब उस का साथी काशी कहता है कि मंदाकिनी आज गांव में नहीं है. तभी लाउडस्पीकर पर घोषणा हो रही होती है कि आज रात को गांव में नाटक मंडली द्वारा हिरण्यकश्यप वध का मंचन किया जा रहा है. वुमनाइजर अपने साथी काशी से कहता है कि आज रात तो नाटक देखना पड़ेगा, क्योंकि आज मंदाकिनी तो गांव में है ही नहीं.

अगले दृश्य में सभी गांव वाले नाटक देखने लगते हैं, तभी वहां पर चमंथी (दिवि वधाता) आती है, जो एक वैध भी है. उस की सहेली चमंथी से देर में आने का कारण पूछती है तो वह बताती है कि मंदाकिनी गांव में लौट आई है. उस से मैं ने बाजार से कुछ दवाइयां मंगाई थीं, इसलिए मैं उस के पास चली गई थी. यह बात वुमनाइजर सुन लेता है. वह अब मंदाकिनी से मिलने अपनी बाइक पर चल पड़ता है, लेकिन तभी उस की बाइक खराब हो जाती है तो वह पैदल ही निकल पड़ता है. 

जैसे ही वह जंगल के पास पहुंचता है तो तेज हवाएं शुरू हो जाती हैं. इस पर वह एक पेड़ से टकरा जाता है, तभी उस पेड़ पर अचानक भगवान नृसिंग प्रकट हो जाते हैं और वह उस वुमनाइजर को अपनी जांघ पर रख कर उसे बीच से फाड़ देते हैं. तभी इस घटना को गांव का एक व्यक्ति वीरू देख लेता है, जो यह देख कर वहां से भाग जाता है. अगले दृश्य में वीरू अपने घर पर चारपाई पर लेटा हुआ है और वह सारी रात की बातें गांव वालों को बताता है. उसे चमंथी दवाई देती है, लेकिन वह दवाई नहीं पीता. वह सभी गांव वालों को जंगल में उस जगह पर ले जाता है, जहां पर वुमनाइजर का मर्डर हुआ था. वहां पर लिसा रिकौर्डिंग करती है तो पुलिस औफीसर भरत उसे रिकौर्डिंग करने से मना कर देता है. सभी गांव वालों को भी अब यह लगने लगता है कि स्वयं भगवान आ कर दुष्टों का नरसंहार कर रहे हैं. 

अगले सीन में लिसा नाटक मंडली के अभिनेता रंगाचारी (राजेंद्र प्रसाद) से उन का इंटरव्यू लेती है. उधर विराट अपनी बेटी स्वीटी को घुमाने जंगल ले जाता है. विराट के दिमाग का साउंड रिसीविंग सिस्टम ब्लौक होने के कारण उसे सुनने में काफी दिक्कत होती है. स्वीटी जंगल में खेलने लगती है, तभी वहां पर कुछ कुत्ते विराट पर हमला कर देते हैं. उस की आवाज सुन कर चमंथी वहां पर आ जाती है. दोनों में परिचय होता है.

अगले सीन में सभी लोग गांव में नाटक देख रहे होते हैं, तभी वहां पर एक आदमी आ कर भरत के कान में कुछ कहता है, जिसे सुन कर भरत वहां पर किसी व्यक्ति की स्कूटी ले कर जंगल की ओर निकल जाता है. उसे जंगल में जाते देख कर लिसा अपना कैमरा ले कर उस का पीछा करने लगती है. भरत जब जंगल के बीच में पहुंचता है तो वहां पर उसे बहुत सारे जंगली सूअर उसे घेर लेते हैं और उन से बचने के लिए वह कांटों से भरे गहरे गड्ढे में गिर जाता है. फिर जंगल में बहुत तेज आंधीतूफान आ जाता है, जिस से लिसा जमीन पर गिर जाती है और उस का सिर एक पत्थर से टकराने के कारण वह बेहोश हो जाती है. उस के बाद गड्ढे में गिरे भरत को एक सांप डस लेता है जिस से भरत की मृत्यु हो जाती है. इसी के साथ पहला एपिसोड भी समाप्त हो जाता है

यदि पहले एपिसोड का विश्लेषण करें तो इस में देवरम्मा चरित्र को दिखाया गया है, जिसे लोग भगवान मानते हैं और उसे बलि भी देते हैं. आज के आधुनिक युग में ऐसा अंधविश्वास दिखाना गले से नहीं उतर पाता. दूसरा जब पूरे देश में बलि प्रथा लगभग समाप्त हो चुकी हो तो उसे दिखाना उचित नहीं लगता.  यहां पर लेखक व निर्देशक ने ऐसे दृश्यों को दिखा कर ठीक नहीं किया. अभिनय की दृष्टि से भी कलाकारों का अभिनय औसत दरजे का रहा है. 

एपिसोड नंबर

दूसरे एपिसोड की शुरुआत में मुजरिम दास की 18 वर्ष की आयु होने पर उसे पुलिसकर्मी एक जीप से जेल ले जाते हैं. रास्ते में जंगल में पुलिसकर्मियों को लघुशंका होने के कारण दोनों पुलिस वाले लघुशंका के लिए उतर जाते हैं. तभी टायलेट करते समय एक पुलिस वाले के जूते के ऊपर पेशाब की बूंदें गिर जाती हैं तो वह पुलिस वाला दास से अपने जूते साफ करने को कहता है, जिस से गुस्सा हो कर दास उस पुलिस वाले की कुल्हाड़ी से हत्या कर देता है. दूसरा पुलिसकर्मी जब दास पर इस बात के लिए गुस्सा करता है तो दास उस की भी हत्या कर डालता है और वहां से भाग कर अपने घर में चला जाता है. 

अगले दृश्य में विराट भरत का दाह संस्कार करता है. भरत के मरने से विराट की बेटी स्वीटी और विराट को बहुत दुख होता है. विराट जब भरत की अस्थियां नदी में प्रवाहित करता है, तभी भरत की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आ जाती है. पुलिस कांस्टेबल वामन राव विराट को बताता है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मर्डर का एंगल नजर नहीं आ रहा है. घर पर स्वीटी अपने पापा विराट से कहती है कि मेरे ही कारण भरत अंकल की मौत हुई, क्योंकि उस दिन यदि मैं उन्हें अपने साथ नाटक ले जाने की जिद न करती तो वे जिंदा होते. 

स्वाति जब पानी भर कर ला रही होती है तो गांव की औरतें उसे सुनाते हुए कहती हैं कि यह स्वाति कितनी बदनसीब है, जिस की शादी होने से पहले ही उस का पति मर गया. रात के समय विराट को भरत की मौत का सपना आता है तो वह घबरा कर उठ जाता है और वह देखता है कि उस की बेटी स्वीटी नींद में भी भरत की मौत का जिम्मेदार खुद को मान रही थी. यह देख कर विराट उदास हो जाता है. अगले दिन विराट पुलिस स्टेशन जा कर कांस्टेबल वामन राव से पूछता है कि उस रात क्या हुआ था. विराट को अब पुलिस विभाग की ओर से भरत व अन्य लोगों की मौत की जांच के लिए भेजा गया है. 

तब कांस्टेबल वामन राव कहता है कि उस रात भरत सर के कान में कुछ कह कर एक आदमी आया था. उस के बाद भरत सर वहां से मेरी स्कूटी ले कर सीधे जंगल की ओर चले गए थे. विराट उस से कहता है कि यह केस हमें सौल्व करना होगा, क्योंकि मैं अपनी बेटी स्वीटी के दिल से उस के अंकल भरत की मौत का गिल्ट निकालना चाहता हूं और फिर इस से यह भी पता चल जाएगा कि इस के पीछे भगवान ही है या कोई और ही कातिल है. अगले सीन में चमंथी नहाने के लिए झरने के पास जा रही होती है, तभी वहां पर विराट आ जाता है और चमंथी से कहता है कि आप को अकेले इस तरह जंगल में नहीं जाना चाहिए. यहां काफी खतरा है. फिर विराट नदी के किनारे जा कर खड़ा हो जाता है, तभी वहां पर स्वाति आ जाती है. विराट स्वाति से पूछता है कि भरत कभी किसी बड़े केस में इन्वौल्व तो नहीं था. 

इस पर स्वाति कहती है कि भरत ने तो कभी भी किसी बड़े केस को हाथ तक नहीं लगाया था. उस के बाद विराट गांव वालों से पूछताछ करता है तो सभी कहते हैं कि भरत एक सीधासादा इंसान था. तभी ढोलनगाड़ों की आवाज सुनाई देती है. सभी गांव वाले वहां पर इकट्ठे हो जाते हैं तो वहां पर गांव के सरपंच ने ही सब को बुलाया हुआ था. सरपंच गांव वालों से कहता है कि भगवान हम सब से नाराज हैं, इसलिए जब तक भगवान का गुस्सा शांत नहीं हो जाता, तब तक कोई भी गांव का आदमी जंगल में नहीं जाएगा. 

रात के वक्त सभी गांव वाले आपस में बात करते हैं कि हम सभी को (HARIKATHA) जंगल से ही रोजीरोटी मिलती है, अब हम जंगल में ही नहीं जा पाएंगे तो हमारा गुजारा कैसे हो पाएगा. अगले दृश्य में गांव का एक आदमी साइकिल से जा रहा होता है तो वह एक दृश्य देख कर वापस गांव आ कर सभी को उस स्थान पर ले कर आता है, जहां पर आने से पता चलता है कि किसी ने गांव के सरपंच की हत्या कर उस के शव को एक पेड़ से लटका दिया था. तभी वहां पर पुलिस औफीसर विराट आता है और गांव वालों से करता है कि यह मर्डर भगवान ने नहीं, बल्कि इसी गांव के किसी आदमी ने किया है. इस पर गांव वाले विराट को काफी बुराभला कहने लगते हैं. 

अब विराट पुलिस स्टेशन आ कर अब तक मरे सभी लोगों की केस फाइल मंगवाता है. वामन राव सारी फाइलें ले कर आता है. तब विराट उस से पूछता कि इन सभी मौतों में कौमन क्या है? वामन राव बताता है कि ये सभी मरने वाले लोग इसी गांव के निवासी थे. तब विराट कहता है कि इस के अलावा कुछ और अलग बात जरूर है, जिसे तुम समझ नहीं पाए हो. तभी पुलिस स्टेशन में एक महिला अपने मृत पति की पोस्टमार्टम रिपोर्ट मांगने आती है क्योंकि बैंक के लोग उसे बिना पोस्टमार्टम रिपोर्ट के पैसे देने में आनाकानी कर रहे थे. 

तब पुलिस औफीसर विराट को पता चलता है कि उस महिला का पति भी रात को नाटक देखने गया थे, जिस के बाद उस की मौत हो गई थी. यह सुन कर विराट उस केस की विस्तृत छानबीन करता है, तब उसे यह पता चलता है कि अब तक मरे हुए सभी लोग रात को नाटक देखने गए थे.उस के बाद विराट सीधा नाटक कंपनी के संचालक व अभिनेता रंगाचारी के घर जा कर उस का गला पकड़ कर कहता है कि अब  तुम मुझे सब कुछ सचसच बता दो, तुम ने सारे लोगों को क्यों मारा है

इस पर रंगाचारी कहता है कि मुझे तो रात में शो के दौरान ठीक से दिखाई भी नहीं देता, क्योंकि मेरी आंखें कमजोर हैं तो फिर मैं भला उन लोगों का खून कैसे कर सकता हूं. तभी वहां पर स्पीकर से जोरजोर से शोर होने लगता है, जिस के कारण विराट के कानों में काफी परेशानी होने लगती है. तब यह देख कर एक आदमी आ कर लाउडस्पीकर को बंद कर देता है. उस के बाद रंगाचारी विराट से कहता है कि आज रात आप खुद नाटक देखने आ जाना, जिस से आप को यह पता चल जाएगा कि वास्तव में ये सब मर्डर कौन कर रहा है और इसी के साथ एपिसोड समाप्त हो जाता है.

इस एपिसोड में जो (HARIKATHA) अपराधी दास है, जब सभी पुलिस वालों को और अन्य लोगों को यह बात पता है कि यह ऊंचनीच या अछूत की बातें सुन कर तैश में आ जाता है तो वे बारबार उसे क्यों इस तरह प्रताडि़त कर रहे हैं. इस के बाद उस के पास पुलिस वालों को मारने के लिए आखिर एकाएक हथियार कैसे मिल गया? यदि वह सजायाफ्ता है तो उस के हाथों में हथकड़ी क्यों नहीं थी? ये सब देख कर यह सीन काल्पनिक सा लगता है. 

दूसरी बात यह है कि दास के रूप में जिस कलाकार को दिखाया गया है, वह अभिनय करने की दृष्टि से कहीं से कहीं तक कलाकार नहीं लगता, बस एक नौसिखिया सा नजर आता है. अभिनय की दृष्टि से भी इस एपिसोड में कलाकारों का अभिनय केवल औसत दरजे का रहा है.

एपिसोड नंबर 3

इस एपिसोड की शुरुआत में हम फिर उसी बाल अपराधी दास को देखते हैं, जो कुछ लोगों को मार रहा है. अगले दृश्य में गांव का गुंडा केशव गांव वालों से कहता है कि एक न एक दिन तो सभी को मरना है, पर आज डोरा की बारी है. चमंथी विराट से कहती है कि मुझे पूरा विश्वास था कि आज तुम नाटक देखने जरूर आओगे. उस के बाद विराट कांस्टेबल वामन राव से पूछता है कि आज यहां पर जितने भी लोग नाटक देख रहे हैं, उन का करेक्टर अब तक मरे हुए लोगों से कहीं मिलता तो नहीं है? यानी कि जिन्होंने कभी नीच हरकत की हो. 

तब वामन राव बताता है यहां पर 3 आदमी हैं, जिन में पहला प्रभाकर, दूसरा केशव और तीसरा डोरा है. प्रभाकर और केशव के बीच में वर्चस्व की लड़ाई चल रही है और जो यह तीसरा डोरा बैठा है, वह क्रिमिनल्स की लिस्ट में पहले नंबर पर है. चौथे नंबर पर विराज है, जो एक नंबर का लड़कीबाज है. विराट वामन राव से कहता है कि अपने आदमियों से कहो कि इन सभी पर अपनी नजर रखें. तब कांस्टेबल वामन राव अपने आदमियों को काम पर लगा देता है. फिर विराट भी उन को देखता रहता है. वे सभी चारों लोग अपनेअपने घर जाने लगते हैं. 

तभी वामन राव का विराट को फोन आता है वह बताता है कि डोरा जंगल की ओर गया है. तब विराट जंगल में डोरा का पीछा करने लगता है, वह देखता है कि डोरा वहां पर किसी से अपनी गलतियों की माफी मांग रहा है और जिस से माफी मांग रहा है, वह कोई और नहीं बल्कि विष्णु भगवान के वामन अवतार हैं. उस के बाद भगवान वामन देव डोरा को 3 कदम आगे आने का आदेश देते हैं, फिर जैसे ही डोरा आगे की ओर बढ़ता है वैसे ही एक विशालकाय पेड़ डोरा के ऊपर गिर जाता है, जिस से डोरा की मौत हो जाती है. 

फिर वहां पर भगवान वामन देव कांस्टेबल वामन राव को आशीर्वाद दे कर वहां से चले जाते हैं. तभी विराट को जंगल में लिसा का कैमरा मिलता है और उसी समय विराट के पीछे से कोई अचानक भाग कर गायब हो जाता है. अगले दिन कांस्टेबल वामन राव गांव वालों को बताता है कि कल रात खुद भगवान वामन देव ने उसे आ कर आशीर्वाद दिया था. यह सब सुन कर गांव भर में सभी लोग अब जगहजगह कांस्टेबल वामन राव की बातें करते दिखाई देते हैं. 

उस के बाद थाने में विराट किसी केस को सौल्व करने के लिए केस की कड़ी से कड़ी मिला रहा होता है, तभी वहां पर कांस्टेबल वामन राव आ जाता है और मेज पर कैमरा देख कर वह विराट से कहता है कि यह कैमरा तो लिसा का है. विराट उस से लिसा के बारे में पूछता है तो वामन राव उसे बताता है कि लिसा न्यूज चैनल वीएनसी की तरफ से यहां की मौतों के बारे में जानकारी इकट्ठा कर रही थी. 

विराट नाटक मंडली के लोगों को थाने बुला कर उन से सख्ती से सत्य उगलवाने की कोशिश करता है, तभी वहां पर एक नया सबइंसपेक्टर आ जाता है और वह विराट को थाने से बाहर निकाल देता है. अगले दृश्य में लिसा को अब होश आ चुका था. फिर अब हम विराट को देखते हैं वह उस जगह पर बैठा शराब पी रहा होता है, जहां पर उस के दोस्त भरत की मृत्यु हुई थी. विराट नशे में कहता है कि मैं अपने दोस्त के हत्यारे को एक दिन जरूर पकड़ लूंगा. 

उसी समय वहां पर लिसा आ जाती है और अपने कैमरे की कैसेट ले कर वहां से चली जाती है, जो उस दिन जंगल में गिर गई थी, जब भरत का मर्डर हुआ था और लिसा पत्थर लगने से बेहोश हो गई थी. उस की यह कैसेट उस दिन यहीं पर गिर गई थी. अगले दृश्य में रंगाचारी अपने घर पर आता है तो वहां पर विराट उस का इंतजार कर रहा होता है. विराट रंगाचारी से कहता है कि जिसे मैं ने उस दिन देखा था, उस की हाइट 5 फीट की थी और उस के बाल सफेद थे. मुझे पूरा विश्वास है कि वह आदमी तुम्हारी नाटक मंडली में से ही एक है, मगर वह अभी यहां पर नहीं है. यह बात तुम सब अच्छी तरह से जान लो कि लोगों को अब मुझ से भगवान भी नहीं बचा सकता, क्योंकि मुझे अब कातिल का पता चल गया है और फिर यहीं पर तीसरा एपिसोड भी समाप्त हो जाता है.

इस एपिसोड में भी लेखक और निर्देशक कहानी को दिखाने में भटकाव की स्थिति में दिखाई दे रहे हैं. विराट को किस ने सभी केसों को सौल्व करने का आदेश दिया और फिर एक एसआई आ कर विराट को थाने से बाहर कर देता है. कहानी में ऐसा लग रहा है कि मानो लेखक कहानी लिखतेलिखते न जाने कहां भटक गया है. अभिनय की दृष्टि से भी यह एपिसोड औसत दरजे का रहा है.

एपिसोड नंबर 4

इस एपिसोड की शुरुआत में एसआई अजय को एसपी का फोन आता है कि तुम इन मर्डर केस को जल्द सौल्व करो, जिस से जल्दी ही तुम्हारा प्रमोशन भी हो जाएगा. अब कहानी फ्लैशबैक में चली जाती है, जहां पर रंगाचारी की बेटी और दामाद की मौत हो जाती है और केवल उन दोनों की बेटी वैदेही (श्रेया कोट्टम) ही जीवित रहती है. रंगाचारी अपनी नातिन से बेहद प्यार करता है और उसे पढऩे बाहर भेज देता है, जहां से वह डाक्टर बन कर आती है. जब वैदेही घर पहुंचती है तो काफी लोग आ जाते हैं. तब लोग कहते हैं कि यहां गांव में चमंथी तो है, फिर वैदेही की क्या जरूरत है. 

इस पर चमंथी कहती है कि मैं तो किसी भी बीमारी को कुछ समय के लिए ही रोक सकती हूं, लेकिन वैदेही तो एक डाक्टर है, जो बीमारी को जड़ से ही खत्म कर देगी. अब वैदेही गांव वालों की मदद करती है तो सभी उस से बहुत खुश रहते हैं. एक दिन केशव की मां की तबीयत खराब हो जाती है तो वैदेही उस का इलाज करने उस के घर जाती है तो वैदेही को देख कर केशव की नीयत खराब हो जाती है और वह उसे पाने के लिए सोचने लगता है. दूसरी सुबह रंगाचारी और वैदेही अपने घर जा रहे होते हैं, तभी तेज आंधीतूफान आ जाता है. 

तभी वहां पर केशव अपनी जीप ले कर आ जाता है और वह रंगाचारी को धक्का दे कर सड़क पर गिरा देता है और वैदेही को अपनी जीप पर बैठा कर अपने घर ले आता है. वैदेही उस से छूटने के लिए बहुत कोशिश करती है किंतु वह कामयाब नहीं हो पाती और केशव वैदेही से रेप कर देता है. रंगाचारी सरपंच के घर पर जा कर उसे सारी बातें बता कर उस से मदद मांगता है. सरपंच रंगाचारी को ले कर केशव के घर पर जाता है और फिर वह रंगाचारी को केशव के घर के बाहर खड़ा रहने को कह कर खुद केशव के कमरे मे जाता है तो वहां वैदेही के सौंदर्य को देख कर वह अपने आप पर संयम नहीं कर पाता और वह भी वैदही का रेप कर देता है. 

जब काफी देर तक न तो वैदेही का पता चलता है और न ही सरपंच घर से बाहर आता है तो रंगाचारी खुद घर के अंदर वैदेही को ढूंढने लगता है लेकिन उसे वहां पर न तो वैदेही मिलती है और और न ही सरपंच कहीं पर दिखाई देता है. अगले सीन में केशव वैदेही को अपने अन्य दोस्तों के पास ले जाता है, जहां पर उस के सभी दोस्त वैदेही के साथ रेप करते हैं. उस के बाद गुंडे केशव के आदमी वैदेही को मरणासन्न अवस्था में सड़क में फेंक कर वहां से चले जाते हैं. रंगाचारी इधरउधर पागलों की तरह वैदही को ढूंढ रहा होता है तो उसे वैदेही सड़क पर मरणासन्न अवस्था में मिल जाती है. 

वह रंगाचारी को अपनी सारी आपबीती बता कर उस से यह वायदा लेती है कि वह यह बात किसी को भी नहीं बताएंगे, क्योंकि इस के कारण केवल रंगाचारी को बदनामी ही मिल सकेगी और फिर वैदेही की मौत हो जाती है. वैदेही की लाश के सामने रंगाचारी और उस का परिवार शपथ लेता है कि जिसजिस ने भी वैदेही के साथ कुकर्म किया है, वे उन में से किसी को भी नहीं छोड़ेंगे. अब रात के समय नाटक के समय केशव पुलिस औफीसर अजय और विराट नाटक देख रहे होते हैं और नाटक खत्म होने के बाद अजय और विराट सभी नाटक करने वालों को एक स्थान पर इकट्ठा कर उन्हें वहीं रोक लेते हैं. 

अगली सुबह केशव रंगाचारी से कहता है कि अब अगला नाटक कब होगा, मुझे तुम जरूर बताना, में देखने अवश्य ही आऊंगा. तभी वहां पर केशव के गैंग का एक आदमी आ कर केशव को बताता है कि बौस हमारे साथी विराट भार्गव का भी मर्डर हो गया है यह सुन कर केशव के होश उड़ जाते हैं. तब रंगाचारी केशव से कहता है अरे भई नाटक तो अब पूरा हुआ है, अभी कुछ नाटक करने तो और भी बाकी हैं. अब पुलिस औफीसर विराट भार्गव की लाश की विस्तृत जांच कर के सीधा जंगल की ओर चला जाता है. वहां पर उसे कपड़े का एक टुकड़ा मिलता है. तभी इसे कुछ आवाज सुनाई पड़ती है तो वह अपने कान से रुई निकाल लेता है और कुछ आवाजें सुनता है. 

आवाज का पीछा करते हुए विराट काफी दूर निकल जाता है, जहां पर जंगल के एक कोने में उसे एक घर दिखाई देता है. विराट घर के अंदर जाता है तो वह वहां पर भगवान विष्णु के सभी अवतारों के कपड़े देखता है. उसे बड़ा आश्चर्य होता है, तभी घर में एक आदमी घुसता है. उसे देख कर विराट उस से पूछता है कि तुम कौन हो? इस पर वह आदमी जोरजोर से थाल बजाने लगता है, जिस के शोर से विराट को बहुत तकलीफ होने लगती है. शोर से सिर घूमने लगता है और विराट को जोर का चक्कर सा आ जाता है और उस का सिर वहां पर रखी मेज के नुकीले कोने से टकरा जाता है. मेज उस के पैरों पर गिर जाती है और वह बुरी तरह घायल हो कर जमीन पर गिर जाता है. 

विराट को जमीन पर गिरा देख वह व्यक्ति अब थाल बजाना बंद कर देता है. जमीन पर गिरा हुआ विराट उस व्यक्ति से एक बार फिर पूछता है कि तुम कौन हो तब वह आदमी बताता है कि मैं भगवान हूं और इसी के साथ चौथा एपिसोड भी समाप्त हो जाता है. इस चौथे एपिसोड में वास्तविकता कम और नाटकीयता कुछ अधिक नजर आ रही है. जब रंगाचारी सरपंच को ले कर केशव के घर पर जाता है तो सरपंच रंगाचारी को घर के बाहर खड़े होने को कह कर खुद अंदर चला जाता है और फिर वैदेही से रेप भी कर डालता है. उस के बाद वे सभी वैदेही सहित घर के अंदर से भी गायब हो जाते हैं. 

एक व्यक्ति जिस की नातिन का अपहरण किया गया हो, वह भला घर के बाहर कैसे और क्यों रुक कर इतनी देर इंतजार कर सकता है. यह दृश्य केवल लेखक और निर्देशक के दिमाग की एक उपज ही हो सकती है. क्योंकि वास्तविक रूप से यह कभी भी संभव नहीं हो सकता. इस को किसी और तरीके से दिखाया जा सकता था. अभिनय की दृष्टि से भी कोई भी कलाकार प्रभावित नहीं कर पाया है.

एपिसोड नंबर 5

एपिसोड की शुरुआत में हम देखते हैं कि जो आदमी पिछले एपिसोड की समाप्ति पर विराट से अपने आप को भगवान कह रहा था, वह तो भगवान नहीं बल्कि बाल अपराधी दास था. इस के बाद दास विराट को बताता है कि जब एक बार वह अपनी मां के साथ मंदिर में गया था तो उस ने वहां पर एक आदमी से पूछा भी था कि भगवान ने हमें नीची जाति में पैदा क्यों किया, जो सभी उच्च जाति के लोग हम से इतनी नफरत करते हैं. फिर वह आदमी दास से कहता है कि यह तो बस भगवान की लीला है. 

इस के बाद फिर रात को नींद में दास भगवान का नाम ले कर उन से कहता है कि हे भगवान आप ने हमें ऐसा जन्म क्यों दिया है, जो सब लोग हम से दूरदूर रहते हैं और हम से बात करना तक पसंद नहीं करते.  यह सब देख कर उस की मां दूसरे दिन दास को मंदिर में ले कर जाती है तो वह जब मंदिर में जा कर भगवान की मूर्ति से यह प्रश्न करता है तो उसे तब वहीं पर साक्षात भगवान के दर्शन हो जाते हैं, जिन्हें देख कर दास बेहोश हो कर जमीन पर गिर जाता है. उस के बाद उस की मां उसे ले कर अपने घर चली जाती है. 

अगले दिन स्कूल में टीचर सभी बच्चों से सवाल पूछते हैं, जिस के प्रत्युत्तर में दास अपना हाथ उस प्रश्न के उत्तर को देने के लिए उठा देता है. लेकिन वह टीचर उस पर बिलकुल ध्यान ही नहीं देता और देख कर भी उसे अनदेखा कर देता है, क्योंकि दास एक निम्न जाति का था. इस के साथ ही दास को अन्य बच्चों से अलग दूर बिठाया जाता था. दास जब अपने घर पर स्कूल की छुट्टी के बाद आता है तो कुछ लोग उस की मां को बुरी तरह से पीट रहे थे. उन लोगों का यह कहना था कि दास की मां ने चोरी की है. यह सब देख कर दास अपनी मां से लिपट जाता है. 

इस के बाद वे लोग दास की भी बुरी तरह से पिटाई कर देते हैं. इसी मारपीट के दौरान दास की मां का सिर एक पत्थर से टकरा जाता है, जिस के कारण उस की वहीं पर मौत हो जाती है. लेकिन उस की मां की मृत्यु हो जाने पर भी एक आदमी जब दास की मां की मृत देह पर लात मारने लगता है तो दास बरदाश्त नहीं कर पाता और वह वहीं पर उस आदमी की हत्या कर देता है. उस के बाद दास को जेल हो जाती है. 

अब दृश्य फिर से वर्तमान में आ जाता है, जहां पर दास विराट को आगे बताता है कि जेल से निकलने के बाद मैं ने उन सभी आदमियों को मार डाला, जिन के कारण मेरी मां की जान गई थी. दास आगे बताता है कि उस के बाद मेरा बदला बस भगवान से था, जिन के कारण मेरी मां और मेरा ये हाल हुआ था, इसलिए मैं उस दिन नाटक में भगवान को मारने गया था, मगर वहां पर कृष्ण भगवान की छवि को देखते ही मैं बेहोश हो गया था. फिर अगले दिन रंगाचरी दास का इलाज करवा कर उसे होश में लाता है. दास तब रंगाचारी से कहता है कि रंगाचारीजी, बस आप मुझे एक बार भगवान बना दीजिए. फिर रंगाचारी वहां पर उपस्थित लोगों से कहता है कि इसे खाना खिला कर यहां से भेज दो, यह तो न जाने क्या अनापशनाप बक रहा है. 

सभी वहां से चले जाते हैं तब वहां पर दास को वैदेही मिलती है, जो उसे अपनी नाटक मंडली में शामिल कर लेती है. इस दौरान दास को वैदेही का नेचर अच्छा लगने लगता है, क्योंकि वैदेही ऊंचीनीची जाति को बिलकुल मानती ही नहीं थी. एक दिन दास नाटक मंडली से छुट्टी ले कर अपने गांव अपनी मां का वार्षिक श्राद्ध करने के लिए चला जाता है और अपने गांव से वापस लौटते समय वह एक सुंदर सी साड़ी वैदेही के लिए खरीद कर ले कर ले आता है. लेकिन वहां पहुंचने पर उसे पता चलता है कि वैदेही की तो निर्मम हत्या कर दी गई है. यह सुन कर वह बुरी तरह से टूट जाता है. 

इस के अगले दिन जब लोकलाज के भय से रंगाचारी आत्महत्या करने के इरादे से नदी में कूदने जा रहा होता है तो दास दौड़ कर रंगाचारी को पकड़ कर रोक लेता है. दास फिर रंगाचारी से कहता है कि आप मुझे भगवान बना दीजिए, मैं फिर किसी को भी छोड़ूंगा नहीं और आप को न्याय दिला कर रहूंगा. जिस पर रंगाचारी और उस के परिवार और नाटक मंडली के लोग दास की बात मान लेते हैं. 

फिर रंगाचारी कहता है कि इसे भगवान बना दो. रंगाचारी दास का रुद्राभिषेक करता है और कहता है कि अब होगी हरिकथा, जिस में सब राक्षस मारे जाएंगे. अब सीन वर्तमान में आ जाता है, जहां विराट जमीन पर घायल अवस्था में गिरा हुआ है. विराट दास से कहता है कि फिर तुम ने भरत का मर्डर क्यों किया? तब दास जोरजोर से डमरू बजाने लगता है और यह शोर सहन न कर पाने के कारण विराट बेहोश हो जाता है. अब अगले दिन चमंथी जड़ीबूटी व दवाइयों का मदद से विराट को होश में लाती है और विराट वहां से चला जाता है. 

विराट अब एसआई अजय के पास आ कर कहता है कि इन सभी मर्डर के पीछे रंगाचारी का हाथ है. अगले दृश्य में रंगाचारी अपनी नाटक मंडली से कहता है कि अब यह हमारा आखिरी नाटक होगा और उस के अवतार के रूप में कल्कि अवतार होगा और इसी के साथ पांचवां एपिसोड भी समाप्त हो जाता है. पांचवें एपिसोड का विश्लेषण करें तो यहां पर लेखक ने दास के चरित्र का भगवान की मूर्ति के दर्शन करने पर बेहोश होता दिखाया है तथा यह भी चित्रित करने का प्रयास किया है कि दास को साक्षात भगवान के दर्शन होते हैं. यह सब मात्र लेखक के दिमाग की उपज हो सकती है.

एपिसोड नंबर 6

एपिसोड की शुरुआत में हम लिसा को देखते हैं, जो गांव वालों की साइकिल पर बैठ कर अपनी नाटक मंडली की ओर जा रही है. अगले दृश्य में विराट रंगाचारी के पास आ कर कहता है कि तुम अब यह सब मर्डर करना रोक दो, पुलिस को अपना काम कर लेने दो. तुम्हें हत्यारा बनने की जरूरत नहीं है. तब रंगाचारी विराट से कहता है कि तुम्हारी पुलिस के बस का कुछ भी नहीं है. यह सब हम नहीं बल्कि भगवान कर रहे हैं. अगले दृश्य में एसआई अजय केशव को चेतावनी देता है कि तुम अब बच कर रहना, क्योंकि अब मरने का नंबर तुम्हारा ही है. लेकिन केशव उस की बात को हंसी में उड़ा देता है. 

उस के बाद अजय और केशव नाटक देखने लगते हैं, तभी वहां पर कल्कि अवतार में दास आ जाता है और वह केशव को मारने वाला ही होता है कि तभी वहां पर अजय आ कर उसे बचा लेता है. फिर वहां से दास भाग जाता है और अजय उस का पीछा करने लगता है. विराट भी वहां आ कर अब अजय और दास के पीछे भागने लगता है. तभी अजय दास को गोली मार देता है. विराट उसे रोकने की कोशिश करता है कि वह दास को न मारे. दास घायल हो कर जमीन पर गिर जाता है. अब अजय दास पर दूसरी गोली चलाने लगता है तभी चमंथी आ कर अजय पर डंडे से वार कर देती है. 

चमंथी अजय की जान लेने की कोशिश करती है तो विराट आ कर चमंथी को रोक लेता है. इसी हाथापाई के दौरान घायल दास आ कर अजय को जान से मार देता है और खुद भी जमीन पर गिर कर तड़पने लगता है. विराट दास के पास जाता है तो दास उस से कहता कि वैदेही के साथ जिसजिस ने भी बुरा कृत्य किया था, सब के सब मारे गए हैं. बस अब केवल केशव ही बाकी रह गया है. उसे तुम जरूर देख लेना, क्योंकि मुझे तुम्हारे ऊपर पूरा विश्वास है. इस के बाद दास का मृत्यु हो जाती है. 

अगले दिन रंगाचारी अपने गांव से सदासदा के लिए जाने लगता है. वह जाते समय काफी दुखी लग रहा था, क्योंकि गांव से उस की बहुत सारी यादें जुड़ी हुई थीं. अगले दृश्य में केशव कहीं जा रहा होता है, तभी वहां पर एक आदमी नकाब ओढ़ कर घोड़े पर बैठ कर आता है और फिर एक ही झटके में केशव की गरदन काट देता है. तब हमें पता चलता कि वह नकाब पहने हुए आदमी और कोई नहीं बल्कि विराट होता है. तब हमें यह पता चलता है कि विराट ने दास और रंगाचारी से वायदा किया था कि वह उन लोगों को जरूर न्याय दिलवाएगा, साथ ही हमें यह पता भी चलता कि विराट ने अपनी बेटी स्वीटी भी रंगाचारी को सौंप दी थी और रंगाचारी से कहा था कि तुम इसे अब अपनी नातिन वैदेही के रूप में समझना क्योंकि मैं तो अब मरने वाला ही हूं. विराट की इस भेंट को रंगाचारी ने दिल से स्वीकार भी कर लिया था. 

अगले दृश्य में चमंथी विराट से कहती है कि सब कुछ तो अब ठीकठाक हो ही गया है, परंतु मुझे ऐसा लग रहा है कि तुम अभी भी कुछ ढूंढ रहे हो. अब हमें यह पता चलता है कि दास ने मरते समय विराट से कहा था कि मैं भरत को मारने गया तो अवश्य था, लेकिन वहां पर भरत की हत्या किसी ने पहले ही कर दी थी, इसलिए विराट को भरत के खूनी की तलाश अभी भी थी. वह भरत के कातिल को किसी भी तरह ढूंढना चाहता था. तभी वहां लिसा विराट के सामने रिकौर्डर ले कर आ जाती है. फिर जब वे सभी उस वीडियो को देखते हैं तो उन्हें पता चलता है कि भरत की हत्या भगवान ने स्वयं आ कर की थी. 

यह सब देख कर वहां पर सभी हैरान हो जाते हैं. फिर विराट उन्हें बताता है कि भरत ने केशव से डर कर रंगाचारी की बिलकुल भी मदद नहीं की थी, जबकि रंगाचारी कई बार वैदेही पर हुए जुल्म की सजा दिलाने के लिए भरत के पास आया था. शायद इसीलिए भगवान ने खुद आ कर भरत को मार डाला था और फिर यहीं पर वेब सीरीज हरिकथा संभवामि युगे युगे समाप्त हो जाती है. इस आखिरी एपिसोड में तो लेखक और निर्देशक ने पूरी कहानी को ही भटकाने का पूरा प्रयास कर डाला है, जिस पर किसी को भी यकीन नहीं हो सकता. अभिनय की दृष्टि से भी इस एपिसोड में सभी कलाकारों का प्रदर्शन फीका रहा है. 

यदि हम पूरी वेब सीरीज का विश्लेषण करें तो हरिकथा: संभवामि युगे युगेमें न तो थ्रिलर है और न ही ड्रामा और न ही इस के रोमांच में कोई ताकत है. वेब सीरीज   (Web series) में स्पष्ट रूप से बताने और हत्यारे की कार्यप्रणाली को चित्रित करने में बहुत समय लगता है. कहानी को कहने का तरीका मौत के मुंह में जाने वाले कथानकों से भरा हुआ है. आज लेखकों और निर्देशकों के लिए अपराधियों की कहानियों को सहानुभूति तरीके से चित्रित करना और व्यवस्था तथा भेदभावपूर्ण समाज को असली खलनायक के रूप में चित्रित प्रदर्शित करना बेहद फैशनेबल हो गया है. हरिकथा संभवामि युगे युगेकम से कम तब बेहतर होती, अगर इस में प्रतिशोध का महिमामंडन किए बिना सही और गलत के बीच एक संतुलित दृष्टिकोण प्रस्तुत किया जाता. कुल मिला कर यह वेब सीरीज देखने लायक नहीं है. 

श्रीकांत अभिनेता श्रीकांत का जन्म 23 मार्च, 1968 को गंगावती, कर्नाटक में हुआ था. श्रीकांत ने कर्नाटक विश्वविद्यालय से वाणिज्य स्नातक की उपाधि प्राप्त की और फिल्मों में अपना करिअर बनाने के लिए चेन्नै चला गया. श्रीकांत मुख्यरूप से तेलुगु सिनेमा में अपने काम के लिए जाना जाता है. उस ने अब तक 120 से अधिक फिल्मों में काम किया है. श्रीकांत ने स्वराभिषेकमजैसी फिल्म में अभिनय किया है, जिस ने वर्ष 2004 में तेलुगु में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता था. श्रीकांत को एक राज्य नंदी पुरस्कार और एक फिल्मफेयर पुरस्कार दक्षिण मिला है.

श्रीकांत की एक और फिल्म विरोधीका प्रीमियर भारतीय पैनोरमा खंड में 2011 में भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में हुआ था. श्रीकांत कन्नड, मलयालम और तमिल फिल्मों सहित कुछ अन्य भाषाओं की फिल्मों में भी नजर आया था. श्रीकांत ने 20 जनवरी, 1997 को अहा के साथ विवाह किया और उन के 2 बेटे रोशन, रोहन और एक बेटी मेघा है.

पुजिता पोन्नदा

तेलुगु अभिनेत्री पुजिता पोन्नदा का जन्म 5 अक्तूबर, 1989 को विशाखापत्तनम में हुआ था. पुजिता ने एसआरएम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान से बीटेक किया है. पुजिता पोन्नदा एक तेलुगु परिवार से है और चेन्नै में पलीबढ़ी है. बचपन से ही पुजिता को अभिनय का बड़ा शौक था और वह हमेशा से फिल्म इंडस्ट्री में बड़ा नाम कमाने का सपना देखती थी. पुजिता ने टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज में सौफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में काम करने के बाद लघु फिल्मों से अपने अभिनय करिअर की शुरुआत की. 

उसे तेलुगु फिल्म उद्योग में पहला ब्रेक 2018 में फिल्म रंगस्थलमसे मिला. सुकुमार द्वारा निर्देशित इस फिल्म में प्रसिद्ध कलाकार सामेया आनी और रामचरण मुख्य भूमिकाओं में थे. इस के अलावा 2019 में पुजिता ने कल्किफिल्म में भी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इस फिल्म में पुजिता एक पत्रकार थी, जिस के लिए उसे अलग तरह के कौशल और बारीकियों को भी प्रदर्शित करना पड़ा था. 

पुजिता पोन्नदा अपने अभिनय पेशे के अतिरिक्त सोशल मीडिया पर भी सक्रिय रहती है और अपने सभी प्रशंसकों को अपने निजी और पेशेवर जीवन की झलकियां दिखा कर प्रोत्साहित करती रहती है. पुजिता ने अभी तक विवाह नहीं किया है.