मौडल नेहा का हनीट्रैप रैकेट – भाग 4

चैट करने के दौरान धीरेधीरे नेहा उर्फ मेहर सोशल मीडिया के दोस्तों से नजदीकियां बढ़ाने लगती थी. वह उन से अब खुल कर बातें करती, उन को यह जताने की कोशिश करती कि वह उन से दिल से प्यार करने लगी है. इस के बाद वह उन से खुल कर सैक्स चैट करने लग जाती थी. जब युवक उस के जाल में फंस जाते थे, तब वह उन्हें अपने घर बुलाने के लिए आमंत्रित करती थी.

जो युवक पूरी तरह से उस के जाल में फंस जाते थे तो नेहा के घर उस से मिलने आ जाते थे. इस के लिए नेहा उर्फ मेहर ने बंगलुरु में एक फ्लैट किराए पर ले रखा था. यहां पर उस ने हनीट्रैप में युवाओं को फंसाने के सारे इंतजाम कर रखे थे. जब युवक मेहर के घर पर आते थे तो वह बिकिनी पहन कर उन का जोरदार  स्वागत करती थी.

जैसे ही युवक आते, सब से पहले वह उन्हें अपने गले से लगा लेती थी. उस के बाद उन को किस करती थी. इसी दौरान कमरे में छिपे उस के अन्य साथी चुपके से उन दोनों की वीडियो बना लेते थे. वीडियो बना कर नेहा के साथी अचानक सामने आ जाते थे और युवकों को धमकाने लग जाते थे.

मौडल मेहर अब तक 12 पीडि़तों से कर चुकी है उगाही

पुलिस पूछताछ मैं नेहा उर्फ मेहर ने स्वीकार किया है कि उस का गिरोह अब तक 12 लोगों से जबरन वसूली कर चुका है. कर्नाटक पुलिस इस गिरोह के और भी अन्य मामलों में शामिल होने की आशंका जता रही है. पुलिस ने बताया कि इस गिरोह का एक अन्य आरोपी नदीम अभी तक फरार है, जिस को पुलिस सरगर्मी से तलाश कर रही है.

कथा लिखी जाने तक कर्नाटक पुलिस गिरफ्तार चारों आरोपियों से पूछताछ कर के उन्हें जेल भेज चुकी थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित कहानी में गोपाल कृष्णनन परिवर्तित नाम है.

हनीट्रैप क्या है? कैसे फंसते हैं इस में लोग?

असल में हनीट्रैप का इस्तेमाल हमारे देश में प्राचीन काल से ही होता रहा है. प्राचीन समय में राजा महाराजाओं के पास विषकन्याएं हुआ करती थीं, जो उन के सब से खतरनाक दुश्मन को मारने या कोई भेद निकालने के काम आती थीं. असल में ये सब वे बच्चियां होती थीं, जो अकसर राजाओं की अवैध संतानें होती थीं.

जैसे दासियों के साथ उन के संपर्क में आई संतानें अथवा गरीब बच्चियां कुछ दिनों बाद इन्हें जहरीली बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाती थी. इन्हें कम उम्र में ही कम मात्रा में अलगअलग तरह का जहर देना शुरू कर दिया जाता था. फिर धीरेधीरे जहर की मात्रा बढ़ाई जाती थी. इस प्रक्रिया में, अधिकतर बच्चियां मर जाया करती थीं, कुछ विकलांग हो जाती थीं, मगर जो बच्चियां सहीसलामत रहतीं, उन्हें और भी अधिक घातक बनाया जाता था.

उस के बाद उन को नृत्य गीत, सजनेसंवरने और दूसरों को आकर्षित करने की कला में पारंगत बनाया जाता था ताकि वे किसी से भी बातचीत कर उन्हें अपने वश में कर सकें . युवा होतेहोते वे युवतियां इतनी घातक और जहरीली हो जाती थीं कि उन के शरीर का स्पर्श भी जानलेवा हो जाता था.

उस विषकन्या का पूरा शरीर यानी कि उन का थूक, पसीना और खून सब कुछ जहरीला हो चुका होता था, इसलिए इन से किसी भी प्रकार का शारीरिक संबंध जानलेवा साबित होता था. इन विषकन्याओं का इस्तेमाल दूसरे राजाओं, सेनापतियों को मारने या फिर जरूरी जानकारियों को हासिल करने के लिए किया जाता था.

आजकल यह भी प्रचलन में है कि दुश्मन देश की खूबसूरत महिला एजेंट्स सेना के अधिकारियों और सेना के जवानों को अपने हुस्न के जाल में फंसाती हैं. दुनिया का हर देश हर वक्त अपने दुश्मन को मात देने की कोशिशों में लगा रहता है. वर्तमान युग की जंग सीधी जंग नहीं होती और हर बार केवल जंग के मैदान में ही मात नहीं दी जाती, बल्कि खुफिया तरीकों से भी अब अपने दुश्मनों को मात देने का प्रचलन बढ़ता जा रहा है.

‘हनीट्रैप’ जैसा कि नाम से ही जाहिर है कि हनी यानी शहद और ट्रैप मतलब जाल, एक ऐसा मीठा जाल जिस में फंसने वाले को कभी अंदाजा भी नहीं हो पाता कि वह किस तरह इस में फंस गया है. दुश्मन देश की खूबसूरत एजेंट्स सेना के अधिकारियों व अन्य कर्मचारियों को अपने हुस्न के जाल में फंसा कर उन से महत्त्वपूर्ण जानकारियां हासिल कर लेती हैं. पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई भी अकसर भारतीय थल सेना, वायुसेना और नौसेना से जुड़े लोगों को हनीट्रैप में फंसाने की कोशिश करती रहती है.

आजकल कुछ युवतियां मोटी रकम वसूलने के लिए लोगों को हनीट्रैप में फांस रही हैं.

असली पुलिस पर भारी नकली पुलिस – भाग 1

शबाना परवीन सबइंसपेक्टर बनना चाहती थी, इसलिए बीए करने के बाद वह मन लगा कर सबइंसपेक्टर की परीक्षा की तैयारी करने लगी  थी. पिता असलम खान भी उस की हर तरह से मदद कर रहे थे.

मध्य प्रदेश पुलिस में सबइंसपेक्टर की जगह निकली तो शबाना परवीन ने आवेदन कर दिया. मेहनत कर के परवीन ने परीक्षा भी दी, लेकिन रिजल्ट आया तो शबाना परवीन का नाम नहीं था, जिस से उस का चेहरा उतर गया.

बेटी का उतरा चेहरा देख कर असलम ने उस की हौसलाअफजाई करते हुए फिर से परीक्षा की तैयारी करने को कहा. परवीन फिर से परीक्षा की तैयारी में लग गई. लेकिन अफसोस कि अगली बार भी वह सफल नहीं हुई.  लगातार 2 बार असफल होने से परवीन के सब्र का बांध टूट गया. पिता ने उसे बहुत समझाया और फिर से परीक्षा की तैयारी करने को कहा. लेकिन परवीन की हिम्मत नहीं पड़ी.

परवीन 20 साल से ऊपर की हो चुकी थी. आज नहीं तो कल उस की शादी करनी ही थी. नौकरी के भरोसे बैठे रहने पर उस की शादी की उम्र निकल सकती थी. रही बात नौकरी की तो शौहर के यहां रह कर भी वह तैयारी कर सकती थी.

इसलिए असलम खान परवीन के लिए लड़का देखने लगे. थोड़ी भागादौड़ी के बाद उन्हें राजस्थान के कोटा शहर में एक लड़का मिल गया. अफसर खान एक शरीफ खानदान से था और अपना बिजनैस करता था. असलम को लगा कि परवीन इस के साथ सुखचैन से रहेगी. इसलिए अफसर खान के घर वालों से बातचीत कर के असलम ने शबाना परवीन की शादी उस से कर दी.

शादी के बाद परवीन अपनी घरगृहस्थी में रम गई. एक साल बाद वह एक बेटे की मां भी बन गई. मां बनने के बाद उस की जिम्मेदारियां और बढ़ गईं. वह घरपरिवार में व्यस्त जरूर हो गई थी, लेकिन अभी भी पुलिस की वरदी पहनने की उस की तमन्ना खत्म नहीं हुई थी.

यही वजह थी कि अकसर वह इंदौर आतीजाती रहती थी. अफसर खान कभी पूछता तो वह कहती, ‘‘तुम्हें तो पता ही है कि मैं पुलिस सबइंसपेक्टर की तैयारी कर रही हूं. उसी के चक्कर में इंदौर आतीजाती हूं.’’

परवीन का इंदौर आनाजाना कुछ ज्यादा ही हो गया तो एक दिन अफसर खान ने उसे समझाया, ‘‘तुम्हें नौकरी करने की क्या जरूरत है. अल्लाह का दिया हमारे पास क्या कुछ नहीं है. रुपए पैसे तो हैं ही, एक खूबसूरत बेटा भी है. इसी को संभालो और खुश रहो.’’

लेकिन परवीन इस में खुश नहीं थी. वह पुलिस की नौकरी के लिए अपनी जिद पर अड़ी थी. इसलिए घर में रोज किचकिच होने लगी. दोनों के बीच तनाव बढ़ने लगा. पति के लाख समझाने पर भी परवीन नहीं मानी. अफसर खान ज्यादा रोकटोक करने लगा तो एक दिन परवीन ने साफसाफ कह दिया, ‘‘अब हमारी और तुम्हारी कतई निभने वाली नहीं है. इसलिए तुम मुझे तलाक दे कर मुक्त कर दो.’’

अफसर खान अपनी बसीबसाई गृहस्थी बरबाद होते देख परेशान हो उठा. उसे कोई राह नहीं सूझी तो उस ने अपने ससुर को फोन किया. असलम खान ने भी कोटा जा कर बेटी को समझाया. लेकिन परवीन टस से मस नहीं हुई. मजबूर हो कर अफसर खान को तलाक देना ही पड़ा. तलाक के बाद परवीन अपने 5 साल के बेटे को ले कर अपने पिता के घर उज्जैन आ गई.

पिता के घर आने के बाद भी परवीन का वही हाल रहा. वह पिता के घर से भी सुबह इंदौर के लिए निकल जाती तो देर रात तक लौटती. ऐसा कई दिनों तक हुआ तो एक दिन असलम खान ने पूछा, ‘‘बेटी, तुम रोज सुबह निकल जाती हो तो देर रात तक लौट कर आती हो, इस बीच तुम कहां रहती हो?’’

‘‘आप को पता नहीं,’’ परवीन ने कहा, ‘‘अब्बू, मैं ने मध्य प्रदेश पुलिस की सबइंसपेक्टर की परीक्षा दे रखी है. जल्दी ही मुझे नौकरी मिलने वाली है.’’

‘‘सच…?’’ असलम खान ने हैरानी से पूछा.

‘‘हां अब्बू… अब जल्दी ही आप को मेरे सबइंसपेक्टर होने की खुशखबरी मिलने वाली है.’’ परवीन ने कहा.

और फिर कुछ दिनों बाद सचमुच परवीन ने घर वालों को खुशखबरी दी कि वह प्रदेश पुलिस की परीक्षा पास कर के सबइंसपेक्टर हो गई है. असलम खान को बेटी की बात पर भरोसा तो नहीं हुआ, फिर भी उन्होंने उस की बात मान ली. लेकिन जब एक दिन परवीन सब इंसपेक्टर की वरदी में घर पहुंची तो असलम खान परवीन को देखते ही रह गए. वह चहकते हुए अब्बू से बोली, ‘‘देखो अब्बू ,मैं दरोगा हो गई हूं. मेरे कंधे पर 2 सितारे चमक रहे हैं.’’

मारे खुशी के असलम खान की आंखों में आंसू आ गए. उन के मुंह से शब्द नहीं निकल रहे थे. वह कुछ कहते, उस के पहले ही साथ लाए मिठाई के डिब्बे से एक टुकड़ा मिठाई उस के मुंह में ठूंसते हुए परवीन ने कहा, ‘‘अब्बू, पुलिस वरदी में मै कैसी लग रही हूं?’’

असलम ने अल्लाह को सजदा करते हुए कहा, ‘‘अल्लाह ने हमारी तमन्ना पूरी कर दी. मेरी बेटी बहुत सुंदर लग रही है. तू बेटी नहीं बेटा है. लेकिन बेटा, इस समय तुम्हारी पोस्टिंग कहां है?’’

‘‘अभी तो मैं इंदौर के डीआरपी लाइन में हूं. जल्दी ही किसी थाने में पोस्टिंग हो जाएगी. एक साल तक मेरी ड्यूटी इंदौर में रहेगी. उस के बाद मेरा तबादला उज्जैन हो जाएगा. जब तक तबादला नहीं हो जाता, मुझे उज्जैन से इंदौर आनाजाना पड़ेगा. जरूरत पड़ने पर वहां रुकना भी पड़ सकता है.’’ परवीन ने कहा.

इस के बाद तो असलम खान ने पूरे मोहल्ले में मिठाई बंटवाई तो सभी को पता चल गया कि परवीन सबइंसपेक्टर हो गई है. लोग उस की मिसालें देने लगे. बात थी ही मिसाल देने वाली. एक साधारण घर की बेटी का दरोगा बन जाना छोटी बात नहीं थी, वह भी शादी और एक बेटे की मां बन जाने के बाद.

परवीन रोजाना बस से इंदौर जाती और देर रात तक वापस घर आ जाती थी. कभीकभार न आती तो फोन कर देती कि आज वह घर नहीं आ पाएगी. उस के सबइंसपेक्टर होते ही घर के सभी वाहनों पर पुलिस का लोगो चिपकवा दिया गया था, जिस से चैकिंग में कोई पुलिस वाला उन्हें परेशान न करे.

लूट फार एडवेंचर – भाग 1

तीनों बैंकों से कुल मिला कर लगभग 65 लाख की लूट हुई थी. किसी भी बैंक में 21 लाख से कम की रकम नहीं थी, जो इन तीनों दोस्तों की कल्पना के अनुरूप ही थी. तीनों लूट के बाद एकदूसरे से अनजान अलगअलग शहर में चले गए.

दूसरे दिन देश के सभी अखबारों और न्यूज चैनलों और सोशल मीडिया पर सिर्फ और सिर्फ इस दुस्साहसी घटनाओं का ही जिक्र था. पुलिस और प्रशासन अपनी नाकामी से हाथ मल रही थी. लंबे समय तक लोगों के होंठों पर इस घटना का बखान था.

“अब हम तीनों को लूट का पैसा वापस बैंकों को लौटाना है. मैं इस बोझ के साथ मरना नहीं चाहता कि हम ने अपने स्वार्थ के लिए जनता की गाढ़ी कमाई के पैसों को लूटा. आज हम तीनों स्थापित हैं और इस कंडीशन में हैं कि उन पैसों को बिना किसी आपत्ति के वापस लौटा सकते हैं.” जगन बोला.

20 दिनों के बाद तीनों दोस्त एक बार फिर गेलार्ड कैफे में पार्टी कर रहे थे. सभी न्यूजपेपर्स और चैनल्स पर उन के एडवेंचर की कहानियां सुनाई जा रही थीं.

जगन, छगन और मगन गहरे दोस्त थे. तीनों ही अच्छे खिलाड़ी थे. काफी दिनों बाद वे फुरसत में बैठे बातें कर रहे थे. उसी दौरान छगन बोला, “शहर में नया डेस्टिनेशन खुला है. जहां पर एडवेंचरस एक्टिविटीज करवाई जाती हैं. हम लोग भी चलें. काफी दिनों से कोई एडवेंचर किया भी नहीं है.”

“किस तरह की एक्टिविटीज करवाते हैं वहां पर?” मगन ने कौतूहल से पूछा.

“500 फीट ऊपर रोप क्लाइंबिंग, रौक क्लाइंबिंग, पैरासिलिंग, रिवर राफ्टिंग जैसी कई एक्टिविटीज इन्वौल्व हैं उस में.” छगन ने बताया.

“कितनी टिकट है उस की?” मगन ने फिर प्रश्न किया.

“वैसे तो एक हजार रुपए पर हैड है. लेकिन अगर हम तीनों चलते हैं तो मैं कहीं से जुगाड़ कर कुछ कम करवा सकता हूं,” छगन उत्साहित हो कर बोला.

“अरे मूर्खों, अगर अपनी जेब से पैसा खर्च कर के एडवेंचर किया तो क्या किया? एडवेंचर तो वह है, जो हम करें और उस के लिए दुनिया हमें याद करे और हमें पैसे भी मिलें.” जगन जो अब तक चुपचाप दोनों की बातें सुन रहा था, बीच में बोल पड़ा.

“क्या ऐसा हो सकता है? हमें हमारे एडवेंचर के बदले कौन मूर्ख पैसे देगा?” छगन उपहास से बोला.

“क्यों अपने आप को कमतर आंकें हम? याद रखो, हम तीनों के ही नाम के अंत में गन है. हम चाहें तो ऐसा फायर कर सकते हैं, जिस की तीव्रता की कल्पना सिर्फ सपनों में ही की जा सकती है. मैं खुद एक रेसलर हूं, मगन जूडो कराटे और छगन को ताइक्वांडो जैसे खेल में महारथ हासिल है. हम तीनों खिलाड़ी चाहें तो इतना बड़ा एडवेंचर कर सकते हैं कि दुनिया वाले दांतों तले अंगुली दबाने को मजबूर हो सकते है,” जगन बोला.

“सच है, जब हम में खुद में इतना हुनर है तो क्यों न ऐसा कोई एडवेंचर करें?” मगन बोला.

“मगर ऐसा एडवेंचर होगा क्या?” छगन ने पूछा.

“यह तो हम तीनों को मिल कर सोचना पड़ेगा,” जगन बोला.

“देखो, ऐसा कोई सा भी एडवेंचर जो खतरनाक की श्रेणी में आता हो, जिस में जान का जोखिम हो. पुलिस और प्रशासन की जानकारी के बगैर नहीं किया जा सकता है,” मगन ने जानकारी दी.

“जान हमारी है रिस्क हमारा है तो इस के लिए किसी भी अपने या पराए को जानकारी क्यों दी जाए? और जो कुछ भी होगा, इस के नतीजे के जवाबदेह भी हम ही होंगे. मजा तो तब है कि जब हम अपनी सोची हुई एडवेंचरस घटना को अंजाम दें और बरसों तक लोग उस घटना को घटना के नाम से याद करें न कि हमारे नाम से.” जगन बोला.

“तो क्या तूने ऐसा कोई कारनामा सोच रखा है, ऐसा कोई एडवेंचर करने का?” मगन ने पूछा.

“नहीं. अभी तक तो नहीं. यदि हम मिल कर सोचें तो शायद कुछ योजना बना सकें. यदि योजना सफल रही तो 50-60 लाख रुपए तो हासिल हो ही जाएंगे,” जगन बोला.

“यह कौन सा काम है? इस में लाइफ रिस्क कितना है?” छगन ने पूछा.

“अगर एडवेंचरस काम करने में जान का रिस्क न हो तो वह एडवेंचर ही कैसा? तुम लोग एडवेंचर के द्वारा ही पैसा बनाना चाहते हो न? तो मेरा आइडिया ही सब से उत्तम होगा.” जगन बोला.

“ऐसा कौन सा आइडिया सोचा है तुम ने?” मगन ने कौतूहल से पूछा.

“बिना खूनखराबा किए, बिना वास्तविक हथियार के बैंकों को लूटने का. और वह भी एक नहीं 3 बैंकों को लूटने का.” जगन बिना किसी रूपरेखा के सीधे और स्पष्ट बोला.

“क्याऽऽ.. यह कैसा एडवेंचर है? यह काम तो गैरकानूनी होगा.” मगन के चेहरे पर डर के भाव साफ दिखाई पड़ रहे थे.

एडवेंचर के बारे में जानने की बड़ी उत्सुकता

“अगर पकड़े गए तो जेल में बंद होंगे हम,” छगन भी मगन की बात से सहमत था.

“तुम लोगों का डर सही है. मगर एडवेंचर तो वही है जो लोगों को दांतों तले अंगुली दबाने को मजबूर कर दे. किसी और ने अगर वही काम तुम से पहले कर दिया तो उसे लीक पर चलना कहा जाएगा, एडवेंचर नहीं.”

“तुम्हें एडवेंचर की परिभाषा मालूम है? ऐसा कोई काम जिस में साहस, शौर्य और पराक्रम होने के साथ ही सर्वप्रथम किया हो. वही रियल एडवेंचर है.”

“हां, यह डर निश्चित ही जायज है कि अगर हम पकड़े गए तब क्या होगा. इस के परिणाम के बारे में ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है. उस समय केवल जेल ही हमारा घर होगा.

“दूसरी तरफ अगर हम सफल होते हैं तो इतिहास में एक साहसी टीम के रूप में जाने जाएंगे और लोग हमारा उदाहरण देंगे. तुम लोगों को एक मशहूर विज्ञापन की टैग लाइन तो याद ही है न? डर के आगे सिर्फ जीत है. हमें अपनी योजना भी कुछ इसी तरह बनानी है कि हम अपने डर को अपने आत्मविश्वास से समाप्त कर देंगे.” जगन दोनों को समझाता हुआ बोला.

“हां, तो समझाओ जगन, योजना क्या है.” छगन बोला.

“योजना साहसिक और विस्फोटक है. हमें एक ही दिन में 3 बैंकों में लूट की वारदात को अंजाम देना है और वह भी बिना किसी वास्तविक हथियार के.” जगन बोला.

“क्या? 3 बैंकों में एक ही दिन में लूट? वह भी बिना किसी वास्तविक हथियार के?” छगन आश्चर्य से बोला.

“हां, यही तो एडवेंचर होगा हमारी योजना का. हमें सिर्फ एक जोरदार धमाका करने वाली एयरगन चाहिए होगी, जो दूर से असली जैसी लगे. इस के अलावा हमें 3 अच्छे और मजबूत किस्म के ताले और रुपए भरने के लिए बड़ी साइज के बैग्स.” जगन ने अपनी योजना के लिए प्रारंभिक जरूरत बतलाई.

“वहां तोता मैना जैसे पक्षी होंगे, जो एयरगन के धमाके से उड़ जाएंगे और हम रुपए थैलों में भर कर टहलते हुए निकल जाएंगे,” मगन मजाक करता हुआ बोला.

“तीन बैंकों को लूटना है तो कम से कम एक व्हीकल तो चाहिए ही. ऐसे कामों में हम अपना व्यक्तिगत व्हीकल तो इस्तेमाल कर ही नहीं सकते,” छगन बोला.

“बिलकुल सही है. हम अपना व्हीकल इस्तेमाल करेंगे भी नहीं, बल्कि हम तो बैंक का ही व्हीकल उपयोग करेंगे.” जगन शांत भाव से बोला.

“बैंक का व्हीकल? वो कैसे?” छगन के स्वर में अविश्वास था.

“हमारे पास में रहने वाले रहमत एक सीएमएस वैन के ड्राइवर हैं. वह रोज शाम को काम खत्म होने के बाद गाड़ी को अपने घर के सामने ही पार्क करता है. मेरी उस से अच्छी जानपहचान है. मैं ने पिछले 3 दिनों में 3 बार उस वैन से कालोनी के चक्कर लगाए है. कल तो चालाकी से उस की वैन की चाबी का इंप्रैशन एक नरम साबुन पर ले लिया है. मोबाइल में चाबी का फोटो भी रखा हुआ है.” जगन उत्साह से बोला.

“यह लो पहले कदम पर ही गलती. रहमत तो तुम्हें जानता ही है न? वारदात को अंजाम देने के बाद तफ्तीश में रहमत तो फंसेगा ही और वह तुम्हारा ही नाम लेगा.” छगन बोला.

एक लाश ने लिया प्रतिशोध – भाग 1

स्लेड ने तय कर लिया था कि उसे किसी भी तरह स्पेल्डिंग की हत्या करनी है. क्योंकि उसे पता था कि अगर उस ने स्पेल्डिंग की हत्या नहीं की तो वह उस का कैरियर बरबाद कर देगा. एक वकील होने के नाते उसे बचाव  के लिए दलीलें देनी तो आती थीं, लेकिन हत्या किस तरह की जाए कि न तो मैडिकल साइंस पकड़ सके और न कानून. क्योंकि जब हत्या साबित ही नहीं होगी तो वह पकड़ा ही नहीं जाएगा.

स्पेल्डिंग की हत्या कैसे की जाए, इस पर वह काफी दिनों तक सोचता रहा. इस की वजह यह थी कि वह नहीं चाहता था कि हत्या जैसे अपराध में फंस कर उस का कैरियर और जिंदगी बरबाद हो. क्योंकि कैरियर और जिंदगी बचाने के लिए ही तो वह हत्या जैसा जघन्य अपराध करने पर विचार कर रहा था. लेकिन उस की समझ में यह नहीं आ रहा था कि वह स्पेल्डिंग की हत्या कैसे करे कि कानून की नजरों से साफ बच जाए.

आज की तरह तब इंटरनेट तो था नहीं कि इंटरनेट पर सर्च कर के वह हत्या की तरकीब खोज निकालता. यह ऐसा काम था, जिस के लिए किसी से सीधे सलाह भी नहीं ली जा सकती थी. स्लेड को किसी भी तरह स्पेल्डिंग की हत्या करनी थी. जब उसे कोई उपाय नहीं सूझा तो उस ने अपने दोस्त डा. मैथ्यू से हत्याओं पर चर्चा कर के कोई तरीका निकालने का विचार किया.

इस के लिए उस ने उन्हें एक शाम खाने पर बुला लिया. खाना खाते हुए स्लेड ने कहा, ‘‘आजकल अपराध कुछ ज्यादा ही होने लगे हैं. खासकर हत्या जैसे अपराधों की तो जैसे बाढ़ सी आ गई है. लगता है, पुलिस हत्यारों को पकड़ नहीं पा रही है?’’

‘‘ऐसी बात नहीं है, हत्यारा कितनी भी होशियारी से हत्या करे, उस से कोई न कोई चूक हो ही जाती है. और फिर उसी चूक की वजह से वह पकड़ा जाता है. तब उस की कश्ती किनारे पर आ कर भी डूब जाती है. हत्या करने के बाद सब से कठिन काम है लाश को ठिकाने लगाना. लेकिन तुम्हें पता होना चाहिए कि मैं इस काम को बखूबी अंजाम दे सकता हूं.’’ डा. मैथ्यू ने कहा.

‘‘जी हां.’’ स्लेड ने कहा. लेकिन वह जानता था कि इस मामले में उसे डा. मैथ्यू से कहीं ज्यादा अनुभव है.

‘‘दरअसल यह बहुत ही खतरनाक और पेचीदा मसला है. यह इतना मुश्किल काम है कि मेरी समझ में यह नहीं आता कि लोग कत्ल करने जैसा गैरबुद्धि वाला काम करते ही क्यों हैं?’’

‘‘मेरा भी कुछ ऐसा ही खयाल है,’’ स्लेड ने कहा. लेकिन मन में वह कुछ और ही सोच रहा था. उस का खयाल था कि इस दुनिया में आदमी के लिए कोई भी काम कठिन नहीं है.

‘‘लोग सोचते हैं कि किसी को जहर दे कर मारना बहुत आसान है,’’ डा. मैथ्यू ने आगे कहा, ‘‘लेकिन उन्हें पता नहीं होता कि पोस्टमार्टम में जहर का पता लग जाता है. और जब हत्या का पता चल जाएगा तो हत्यारा पकड़ा ही जाएगा. मेरा तो काम ही जहर का पता लगाना है. मैं ही क्या, जाहिल से जाहिल डाक्टर भी जहर का पता लगा सकता है.’’

‘‘मैं आप की राय से पूरा इत्तफाक रखता हूं, डाक्टर.’’ स्लेड ने कहा.

चूंकि वह स्पेल्डिंग की हत्या के लिए जहर का इस्तेमाल करने की सोच ही नहीं रहा था, इसलिए उसे इस बारे में विचार ही नहीं करना था. उस ने तो कोई और ही उपाय सोच रखा था.

‘‘अगर तुम जहर दे कर हत्या नहीं करते तो लोग यही सोचेंगे कि वह अपनी मौत मरा होगा. हत्या करने के बाद अगर हत्यारा बचना चाहता है तो वह कुछ ऐसी तिकड़म करे कि लोगों को लगे कि मृत व्यक्ति ने खुदकुशी की है. मगर मेरी तरह तुम भी जानते हो कि यह काम इतना आसान नहीं है. वैसे भी खुदकुशी के मामले में बड़ी गहराई से जांच होती है. तुम खुद वकील हो, खुदकुशी के कितने मामलों को तुम ने निपटाए हैं. तुम्हें तो पता ही है कि ऐसे मामलों में कितनी परेशानी होती है. और फिर नतीजा क्या निकलता है?’’

‘‘आप ने सही कहा,’’ स्लेड ने कहा.

उस ने इस मामले पर काफी गहराई से विचार किया था. काफी सोचविचार कर वह इस नतीजे पर पहुंचा था कि इस तरह स्पेल्डिंग की हत्या कर लाश को गायब करेगा कि उसे कोई पकड़ नहीं पाएगा. अगर स्पेल्डिंग की लाश मिल भी गई तो पुलिस यही समझेगी कि उस ने आत्महत्या की है.

‘‘हां, तो मैं उसी मसले पर फिर आता हूं. हत्यारे के लिए लाश से पीछा छुड़ाना आसान नहीं है.’’ डा. मैथ्यू ने कहा.

‘‘जी हां,’’ स्लेड ने कहा, ‘‘आप बिलकुल सही कह रहे हैं.’’

लेकिन स्लेड को पूरा विश्वास था कि स्पेल्डिंग की लाश से वह आसानी से पीछा छुड़ा लेगा.

‘‘जानते ही हो, लाश को ठिकाने लगा कर उस से मुक्ति पाना बहुत ही कठिन काम है,’’ डा. मैथ्यू ने कहा, ‘‘कुछ लोग रासायनिक पदार्थों और तेजाब से लाश को जला गला देते हैं. लेकिन एक डाक्टर होने के नाते मैं इस तरकीब को पसंद नहीं करता.’’

‘‘वह क्यों?’’ स्लेड ने पूछा.

‘‘लाश कितनी भारी होती है. उसे उठाना, ढोना, संदूक, तहखाने या नदीनाले में छिपाते फिरना, कितना खतरनाक काम है.’’

‘‘आप ठीक कह रहे हैं. मैं ने इस के बारे में पहले कभी नहीं सोचा.’’ स्लेड ने कहा. जबकि उसे लग रहा था कि डाक्टर बिलकुल बेकार की बातें कर रहा है.

‘‘वैसे एक ऐसी तरकीब है, जिस में बचने की काफी गुंजाइश है. वकील होने के नाते तुम उस में जरूर दिलचस्पी लोगे, क्योंकि इस में एक कानूनी नुक्ता है.’’

‘‘कौन सा?’’ स्लेड ने अचकचा कर पूछा.

‘‘जब तक तुम किसी अभियुक्त को मुजरिम नहीं साबित कर देते, तब तक उसे सजा नहीं दिला सकते. और जब तक लाश नहीं मिल जाती, तब तक किसी अपराधी को पकड़ने या उस पर मुकदमा चलाने का सवाल ही नहीं उठता. किसी को हत्यारा साबित करने के लिए लाश का मिलना बहुत जरूरी है.’’

‘‘आप ने बिलकुल सही कहा. हैरानी की बात यह है कि इतनी बढि़या बात मेरे जेहन में पहले क्यों नहीं आई?’’ स्लेड ने कहा.

लेकिन अचानक उसे लगा कि उस के मुंह से यह बात निकल कैसे गई? उस ने तुरंत खुद को सहज बनाने की कोशिश की. उस ने अपने दिल की खुशी भी छिपाई, ताकि डाक्टर जान न सके कि उस के मन में क्या है.   जबकि डाक्टर ने उस की बात पर गौर ही नहीं किया था.

उस ने कहा, ‘‘मेरे खयाल से लाश को पूरी तरह से नष्ट करना आसान नहीं है. लेकिन अगर कोई अपराधी लाश गायब करने में सफल हो जाता है तो निश्चित ही वह पकड़ में नहीं आएगा. उस पर कितना भी जबरदस्त शक क्यों न हो. पुलिस बिना लाश बरामद किए उस के खिलाफ सुबूत नहीं जुटा पाएगी. इस तरह के कत्ल की कहानी सचमुच एक अनोखी कहानी होगी.’’

‘‘जरूर,’’ स्लेड ने हंसते हुए कहा. इस के बाद उस ने मन ही मन सोचा, ‘सचमुच स्पेल्डिंग के कत्ल की कोई कहानी नहीं बन सकेगी.’

‘‘अच्छा स्लेड, अब मैं चलूंगा. खाते खाते काफी बकबक कर ली. तुम्हारी इस शानदार दावत के लिए बहुत बहुत शुक्रिया. आज मौसम भी कुछ ठीक नजर नहीं आ रहा है. अब चल देना ही ठीक है.’’ डा. मैथ्यू ने उठते हुए कहा.

क्या स्लेड हत्या करने में कामयाब हो सकेगा ? जानने के लिए पढ़ें crime thriller story का अगला भाग..

15 शादियां करने वाला लुटेरा दूल्हा – भाग 4

उस ने बताया कि बचपन से ही उस की अपने मांबाप से नहीं बनती थी. इसलिए उस ने घर छोड़ दिया था. शक्लसूरत अच्छी थी, इसलिए उस ने सोचा कि चलो कन्नड़ फिल्मों में भाग्य आजमाते हैं. उस ने कन्नड़ फिल्मी दुनिया का रुख किया, पर वहां उसे कोई काम नहीं मिला. इस से महेश को बहुत बड़ा झटका लगा. क्योंकि वह ज्यादा पढ़ालिखा भी नहीं था कि उसे कोई ढंग की नौकरी मिल पाती. उस की समझ में नहीं आया कि अब वह क्या करे.

तभी उस ने किसी अखबार में समाचार पढ़ा कि कोई व्यक्ति मैट्रीमोनियल साइट से विवाह कर के पत्नी के लाखों रुपए ले कर फरार हो गया है. उस ठग की कहानी पढ़ कर उस के दिमाग में आइडिया आया कि इस तरह विवाह कर के भी पैसा कमाया जा सकता है. बस, उस ने सोच लिया अब वह भी इसी तरह विवाह कर के पैसे कमाएगा.

मन में यह विचार आते ही महेश ने मैट्रीमोनियल साइट पर अपनी फेक आईडी बनानी शुरू की. किसी में डाक्टर तो किसी में इंजीनियर तो किसी में सौफ्टवेयर इंजीनियर तो किसी में बिजनैसमैन तो किसी में सरकारी अफसर बन कर उस ने प्रोफाइल बना डालीं.

करीब 35 साल की महिलाओं को फांसता था महेश

मजे की बात यह थी कि वह साइट पर जा कर यह उन्हीं महिलाओं को चुनता था, जिन की उम्र 35 साल या उस से अधिक होती थी. अगर डिवोर्सी होती तो उसे और अधिक बेहतर लगती. लेकिन अमीर होनी चाहिए और देखने में ठीकठाक लगनी चाहिए.

जब शुरुआत हुई तो जैसा शुरू में बताया गया है, ठीक उसी तरह बात होती और फिर शादी की तारीख तय हो जाती. शुरू में ही महेश लडक़ी वालों से बता देता था कि उस के मांबाप नहीं हैं. परिवार में प्रौपर्टी के बंटवारे को ले कर झगड़ा चल रहा है, इसलिए परिवार का भी कोई सदस्य शादी में नहीं आएगा. बस, दोचार रिश्तेदार और दोस्त ही विवाह में आ सकते हैं.

इसलिए महेश के विवाह में उस की ओर से दसपांच लोग ही शामिल होते थे. लेकिन ये लोग भी न उस के रिश्तेदार होते थे और न दोस्त. ये लोग किराए के होते थे. इस तरह के लोगों को उसे ढूंढने भी नहीं जाना पड़ता था. क्योंकि उस ने कन्नड़ फिल्मों में काम करने के लिए खूब धक्के खाए थे, इसलिए तमाम जूनियर कलाकारों से उस की जानपहचान हो गई थी.

अपने विवाह पर वह इन्हीं लोगों को किसी को 3 हजार पर तो किसी को 5 हजार पर तो किसी को 10 हजार रुपए पर यानी हुलिए के हिसाब से फीस दे कर बाराती के रूप में ले आता था. उन्हें पैसे तो मिलते ही थे, अच्छे से अच्छे होटल में ठहरने के साथ में अच्छे से अच्छा खाना मिलता था और विदाई के समय कुछ न कुछ उपहार भी मिल जाते थे.

विवाह होते ही किराए के बाराती अपने घर चले जाते और महेश पत्नी को ले कर मैसूर आ जाता, जहां यह शादी होते ही किराए का एक घर ले लेता था. अपने घर के बारे में तो वह पहले ही बता देता था कि पुश्तैनी प्रौपर्टी को ले कर उस का झगड़ा चल रहा है.

इस के बाद वह किसी पत्नी से कहता कि उसे क्लीनिक खोलनी है तो किसी से कुछ और कह कर पैसे ले लेता था. जो न देतीं उन के पैसे और गहने चुरा कर किसी न किसी बहाने यह कह कर निकल जाता था. जाते समय वह यह भी कह जाता था कि वह उस के बारे में किसी को कुछ नहीं बताएगीं, पुलिस को भी नहीं, क्योंकि प्रौपर्टी के झगड़े में कुछ भी हो सकता है, उस की जान भी ली जा सकती है और पुलिस से भी पकड़वा कर जेल भिजवाया जा सकता है. क्योंकि करोड़ों की प्रौपर्टी का मामला है.

3 पत्नियों से उस के हैं 5 बच्चे

इसी तरह महेश ने एक डाक्टर से भी डाक्टर बन कर विवाह कर लिया था. शादी के बाद महेश डाक्टर पत्नी के साथ क्लीनिक भी गया और वहां एक डाक्टर के रूप में अपने तमाम फोटो खींच लिए थे. उन्हीं फोटो को उस ने एक डाक्टर के रूप में मैट्रीमोनियल साइट पर पोस्ट कर दिए थे.

इसी तरह कोई इंजीनियर या कोई और मिल जाती तो उस के औफिस में जा कर फोटो खींच पर मैट्रीमोनियल साइट पर पोस्ट कर देता. इसी तरह उस ने कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में कुल 15 शादियां कर डालीं. इन 15 शादियों में से 3 पत्नियों से उसे 5 बच्चे भी हुए. पर किसी भी पत्नी के साथ महेश एक महीने से अधिक नहीं रहा. इस के बाद वह किसी काम की बात कह कर निकल जाता.

जब महेश को गए ज्यादा समय हो जाता और दूसरी ओर उस के गहने और पैसे भी लुट गए होते, तब उन की समझ में आता कि उन के साथ धोखा हुआ है. पर वे अपना यह दर्द कहें किस से. क्योंकि वे अपना यह दर्द किसी से कहतीं तो जगहंसाई ही होती. इसलिए कोई भी महिला किसी से भी अपनी यह तकलीफ नहीं बताती थी. क्योंकि इस के लिए वह खुद को दोषी मानती थीं.

2013 में बेंगलुरु की एक महिला, जो इंजीनियर थी, उस ने भी महेश से विवाह किया था. 3 दिन बाद जब यह उसे छोड़ कर चला गया था और लौट कर नहीं आया था, तब उस ने उस के खिलाफ रिपोर्ट लिखाई थी. तब पुलिस ने उस की रिपोर्ट पर खास ध्यान नहीं दिया था.

अगर उसी समय पुलिस ने ऐक्शन लिया होता तो तमाम महिलाएं इस ठग लुटेरे दूल्हे का शिकार होने से बच जातीं. पुलिस की लापरवाही का ही नतीजा था कि महेश शादियों पर शादियां करता गया और उस ने 15 शादियां कर डालीं. इस के बाद जो जानकारी मिली थी, उस के अनुसार 9 महिलाएं उस से शादी करने की कतार में थीं. उसे 9 पत्नियां मिल चुकी थीं, जो अलगअलग पेशे वाली थीं. वह जल्दी ही 9 शादियां और करने वाला था, लेकिन इस से पहले ये 9 शादियां होतीं, पुलिस उस तक पहुंच गई और ये 9 महिलाएं बरबाद होने से बच गईं.

मजे की बात यह थी कि महेश ने जितनी भी शादियां कीं, इन में कोई भी महिला गांव देहात की अनपढ़ महिला नहीं थी. सब की सब उच्चशिक्षित थीं, कोई डाक्टर तो कोई इंजीनियर, यहां तक कि असिस्टेंट प्रोफेसर भी थीं. सभी उस के झांसे में आ गईं और शादी के बाद किसी ने उस के खिलाफ रिपोर्ट भी नहीं दर्ज कराई.

पूछताछ में महेश ने यह भी बताया कि कुछ लड़कियां तो विवाह करतेकरते रह गईं. इस की वजह यह थी कि महेश ज्यादा पढ़ालिखा तो था नहीं, इसलिए वह जो अंगरेजी बोलता था, उस में गलतियां बहुत होती थीं. वह अच्छी अंगरेजी बोल नहीं पाता था, इसलिए सामने वाली लड़कियों को शक हो गया कि एक डाक्टर हो कर यह इतनी गलत अंगरेजी बोल रहा है. इसलिए उन्होंने उस से शादी नहीं की थी.

महेश का कहना था कि अगर वह अच्छी अंगरेजी बोल लेता तो 15 ही नहीं, अब तक वह कम से कम सौ शादियां कर चुका होता. लोगों को दिखाने के लिए बेंगलुरु के तुमकुरु में उस ने अपना एक नकली क्लीनिक भी बना रखा था, जहां वह कभीकभी डाक्टर के रूप में बैठता भी था. लोगों को शक न हो, इस के लिए उस ने एक नर्स भी नौकरी पर रखी थी.

एसआई राधा एम के अनुसार महेश नायक ने 15 शादियां कर के अब तक करीब 3 करोड़ के गहनों और रुपयों की चोरी की है. संपत्ति के नाम पर उस के पास 2 कारें थीं, लेकिन कोई मकान आदि नहीं है. पत्नियों के पैसे और गहने चुरा कर वह विलासितापूर्ण जीवन जीता था. पत्नियों को छोड़ कर जाने के बाद वह होटलों में ठहरता था.

उस ने जब पहली शादी की थी, तब वह 24 साल का था. इन 19 सालों में उस ने 15 शादियां कर ली थीं. पुलिस ने आरोपी महेश केबी से पूछताछ के बाद उसे भादंवि की धारा 420 (धोखाधड़ी और बेईमानी), 406 (आपराधिक विश्वासघात), 506 (आपराधिक धमकी), 380 (चोरी) के तहत गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में निशा बदला हुआ नाम है

मौडल नेहा का हनीट्रैप रैकेट – भाग 3

रोमांस हो गया छूमंतर

उन के कमरे में पहुंचते ही गोपाल के चेहरे से हवाइयां सी उडऩे लगी थीं. वे दोनों पुरुष पूर्णरूप से नग्न गोपाल के वीडियो बना रहे थे. उन्हें देख कर गोपाल ने नेहा से कहा, “नेहाजी, ये लोग कौन हैं और यहां पर कैसे आ गए?”

“देख भाई, हम नेहा के दोस्त हैं. अब तू हमें यह बता कि क्या तू भी नेहा से प्यार करता है?” उन में से एक आदमी बोला.

“हां, मैं नेहाजी से प्यार करता हूं. वह भी मुझे प्यार करती हैं. इसीलिए नेहाजी ने ही मुझे अपने रूम पर बुलाया था,” गोपाल ने कहा.

“देख गोपाल ,नेहा का नाम मेहर है. मेहर एक मुसलिम युवती है. उस के साथ तुझे निकाह करना होगा अपना धर्म बदल कर इसलाम धर्म स्वीकार करना पड़ेगा. बोल, अब यह सब तू कर पाएगा?” अब दूसरे आदमी ने गोपाल को धमकाते हुए कहा.

“देखो भाई, प्यार में धर्म या मजहब कोई मायने नहीं रखता. मैं हिंदू हूं और अगर नेहाजी मुसलिम भी हैं तो मैं उन्हें स्वीकार कर सकता हूं.” गोपाल ने कहा.

“अबे चूतिए, लगता है कि तुझे हमारी बात समझ में नहीं आ पा रही है. अब मैं तुझे समझाता हूं. थोड़ा ध्यान से सुन. तुझे नेहा उर्फ मेहर से निकाह करने के लिए अपना धर्म छोड़ कर इसलाम धर्म स्वीकार करना होगा. इस के लिए सब से पहले हम तेरा खतना करेंगे, उस के बाद तुझे मसजिद में ले जा कर मुसलिम धर्म स्वीकार करना होगा और तुझे मुसलिम बनना पड़ेगा. बोल, तुझे ये सब मंजूर है?” उन में से पहले आदमी ने गोपाल को धमकाते हुए कहा.

“देख भाई गोपाल, अगर तुझे इस मुसीबत से छुटकारा पाना है तो कुछ जेब ढीली करनी पड़ेगी.” नेहा उर्फ मेहर ने कहा.

“नेहाजी, मुझे आप से तो यह बिलकुल भी उम्मीद नहीं थी.” गोपाल ने कहा.

“कभीकभी जिंदगी में ऐसे मोड़ भी आ जाते हैं, जिन से बच कर निकलना ही सेहत के लिए फायदेमंद होता है. मेरे आदमी तुम्हारा कोई और जुलूस वायरल कर दें, उस से पहले तुम्हें कुछ देना पड़ेगा.” नेहा ने कहा.

“नेहाजी, मेरे पास जो कुछ भी है, मैं दे दूंगा, बस आप अपने आदमियों से कहें कि मुझे कपड़े पहनने दें.” गोपाल ने गिड़गिड़ाते हुए कहा.

नेहा ने इशारा किया तो उन में से एक आदमी ने गोपाल के कपड़े उसे दे दिए. और गोपाल ने जब अपने कपड़े पहन लिए तो उन में से एक आदमी ने गोपाल के पर्स से सारे रुपए निकाल लिए. इस के अलावा उन्होंने गोपाल से 7 लाख रुपए औनलाइन भी ट्रांसफर करवा लिए थे.

गोपाल आटो में बैठ कर जब अपने घर आया तो उस ने हिसाब लगाया कि उस के पर्स और जेब में पूरे 50 हजार रुपए कैश था. उस के बाद उस के मोबाइल में उस का एक अकाउंट नंबर फीड था, जिस में से नेहा और उस के गिरोह ने उस के खाते से पूरे 7 लाख रुपए भी निकाल लिए थे.

वह यह सोच कर शुक्र मना रहा था कि साढ़े 7 लाख रुपए दे कर उस का पिंड छूट गया, मगर आज उसे एक फोन प्रकाश की ओर से आया और अब उस से 20 लाख रुपए की डिमांड की गई. वह अब अच्छी तरह से समझ चुका था कि वह एक मकडज़ाल में फंस गया है और उस से बाहर निकलने का एक ही रास्ता बचा है कि उसे पुलिस के पास जा कर सब कुछ सचसच बता देना चाहिए तभी उस का कुछ उद्धार हो सकता है.

गोपाल की रिपोर्ट पर हुई काररवाई

गोपाल कृष्णनन ने 2 दिन की छुट्टी ली और दूसरे दिन सुबहसुबह बेंगलुरु के डीसीपी (अपराध) बद्रीनाथ एस के कार्यालय पहुंच गया और अपनी पूरी आपबीती डीसीपी को सुना दी. चूंकि यह मामला बेंगलुरु के पुत्तेनहल्ली पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आता था. गोपाल कृष्णनन को पुत्तेनहल्ली थाने भेज दिया, जहां डीसीपी के आदेश पर उस की रिपोर्ट दर्ज कर ली गई.

बी. दयानंद, आईपीएस, पुलिस आयुक्त बेंगलुरु ने तुरंत आवश्यक दिशानिर्देश जारी कर त्वरित काररवाई के लिए डी. देवराज, पुलिस उपायुक्त (उत्तर), डा. एस.डी. शरणप्पा, संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध), आर. श्रीनिवास गौड़ा, पुलिस उपायुक्त (केंद्रीय), बद्रीनाथ एस., पुलिस उपायुक्त (अपराध टू), डा. भीमशंकर एस. गुलेड, पुलिस उपायुक्त (पूर्व) और रमन गुप्ता, अपर पुलिस आयुक्त (प्रशासन प्रभारी) के नेतृत्व में विशेष टीमों का गठन कर दिया गया.

गठित टीमों द्वारा पहली अगस्त, 2023 को हनीट्रैप में लोगों को फंसाने और उन से उगाही करने वाले 3 लोगों को पुलिस ने बेंगलुरु से जाल बिछा कर गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तार होने वाले अब्दुल खादर, शरण प्रकाश और यासीर थे. ये तीनों मैसूर के रहने वाले थे. ये तीनों आरोपी विभिन्न आपराधिक मामलों में केंद्रीय कारागार में बंद थे तो इन की जेल में ही आपस में दोस्ती हो गई थी.

इन के साथ इन का एक और साथी नदीम था, जो फिलहाल पुलिस की गिरफ्त में नहीं आया था. इन चारों ने बेंगलुरु की मशहूर मौडल नेहा उर्फ मेहर के साथ दोस्ती की और लोगों को हनीट्रैप में फंसा कर मोटी रकम वसूलने का लालच दिया, जिस के बाद नेहा उर्फ मेहर भी इन के गिरोह में शामिल हो गई थी.

तीनों अभियुक्तों से पुलिस ने कड़ी पूछताछ कर नेहा उर्फ मेहर के बारे में जानकारी ली तो पता चला कि नेहा मुंबई में भी मौडलिंग का काम करती थी जबकि हनीट्रैप का काम बेंगलुरु में किया जाता था. नेहा उर्फ मेहर को गिरफ्तार करने के लिए कर्नाटक पुलिस की एक विशेष टीम को मुंबई रवाना किया गया जहां से नेहा उर्फ मेहर को 16 अगस्त, 2023 को गिरफ्तार कर लिया गया.

खुद को मौडल बता कर करती थी अपना प्रचार

नेहा का असली नाम मेहर है. इस के सोशल मीडिया में नेहा नाम से अकाउंट्स बना रखे थे. अपने इन अकाउंट्स में उस ने अपनी मौडलिंग की तसवीरें लगा रखी थीं. सोशल मीडिया में वह हर समय ऐक्टिव रहा करती थी. वह कमउम्र के युवक, धनी लोगों, और अच्छी नौकरी करने वाले युवकों और पुरुषों को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजती थी. उस की फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर लेते थे तो वह फिर उन से दिल खोल कर चैट करने लगती थी.

15 शादियां करने वाला लुटेरा दूल्हा – भाग 3

महेश कर चुका था 15 शादियां

इस के बाद पुलिस ने उस महिला से यह जानना चाहा कि वह उस शातिर के जाल में फंसी कैसे? इस के बाद उस ने महेश के जाल में फंसने की जो कहानी सुनाई, वह निशा की कहानी से बिलकुल मिलती थी यानी उस ने भी महेश से शादी डौट कौम के जरिए ही शादी की थी.

शादी के एक सप्ताह बाद ही महेश उस से मुंबई किसी सर्जरी के लिए जाने की बात कह कर गया तो आज तक लौट कर नहीं आया. वह खुद को ही दोषी मान रही थी. शर्म और संकोच की वजह से वह अपनी व्यथा किसी से कह नहीं पा रही थी. अगर किसी से कहती तो लोग उस का ही मजाक उड़ाते और बदनामी ऊपर से होती. इसी बदनामी के डर से वह चुप थी. उस के भी गहने और रुपए महेश चुरा ले गया था.

उस महिला की कहानी सुन कर एसआई राधा एम को समझते देर नहीं लगी कि यह एक तरह का विवाह स्कैंडल है. इस के बाद वह उन अन्य महिलाओं से भी मिलीं, जिन्होंने अभी तक उन का सहयोग नहीं किया था. जब उन महिलाओं को भी शादी के वे फोटो दिखाए गए, तो सभी ने वही कहानी सुनाई कि महेश उन से भी यही कह कर गया था कि उस का प्रौपर्टी का झगड़ा है, इसलिए अगर पुलिस या कोई पूछने आए तो वह उस के बारे में कुछ बताएंगी नहीं, क्योंकि लोगों से उस की जान का खतरा तो है ही, पुलिस आ गई तो उसे पकड़ कर जेल में डाल सकती है. इसलिए किसी से उस के बारे में कुछ न बताएं.

एसआई राधा एम को लगा कि महेश ने जब एक ही बात सब से कही है तो अब इस आदमी का पकड़ा जाना बहुत जरूरी हो गया है. लेकिन वह उसे पकड़ें कैसे? क्योंकि उस के बारे में न तो उन महिलाओं को कुछ पता है, जो उस की पत्नियां थीं और न उन्हें ही उस के बारे में कुछ पता था. उन के पास सिर्फ एक नंबर था, जिस की काल डिटेल्स में केवल इनकमिंग काल थीं.

उन्होंने उस काल डिटेल्स रिपोर्ट को दोबारा खंगाला तो उस में 9 नंबर और मिले. उन्होंने जब उन 9 नंबरों पर फोन कर के पता किया कि वे इस आदमी को क्यों फोन कर रही हैं तो पता चला कि अभी उन की शादी नहीं हुई है. वह महेश से शादी करने के लिए लाइन में है यानी वेटिंग लिस्ट में हैं.

मजे की बात यह थी कि इन लोगों ने भी उस से शादी डौट कौम के माध्यम से ही संपर्क किया था. जबकि महेश किसी से डाक्टर तो किसी से इंजीनियर तो किसी से सीए या मैनेजिंग डायरेक्टर बन कर मिला था और शादी के तीसरे दिन सभी से कोई न कोई बहाना बना कर वही एक बात समझा कर घर से गया तो लौट कर नहीं आया था. आता भी कैसे, सारे गहने और रुपए वह साथ ले कर जो गया था.

यानी उस ने जिस से भी विवाह किया था, उस की इज्जत तो लूटी ही, उस के गहने और रुपए भी लूट लिए थे. अब पुलिस को समझते देर नहीं लगी कि यह कोई छोटा मोटा नहीं, बहुत बड़ा मामला है यानी महेश बहुत बड़ा ठग और लुटेरा है, जो महिलाओं को शादी के बहाने लूट और ठग रहा है.

एसआई राधा एम को विश्वास हो गया कि ये जो अन्य 9 महिलाएं हैं, महेश इन से विवाह कर के इन्हें भी लूटने वाला है. तब उन्होंने उन महिलाओं से बात की और उन्हें बताया कि आप लोग जिस आदमी से विवाह के लिए तैयार बैठी हैं, वह आदमी पहले ही 15 विवाह कर चुका है और उन सभी महिलाओं के गहने और रुपए चुरा कर गायब है. इसलिए आप लोग होशियार हो जाएं अन्यथा आप लोग भी उन 15 महिलाओं की तरह मुसीबत में फंस सकती हैं और अपना सब कुछ लुटा सकती हैं.

9 युवतियां और करने वाली थीं उस से शादी

राधा एम ने इन से यह बात इसलिए कही थी, क्योंकि इन 9 महिलाओं से भी उस का रिश्ता पक्का हो चुका था और कुछ ही महीनों में इन सब से वह बारीबारी से एक एक से विवाह करने वाला था. पुलिस के लिए इस आदमी को पकडऩा बहुत जरूरी हो गया था. पर उन की समझ में नहीं आ रहा था कि वह इस आदमी तक पहुंचे कैसे. क्योंकि वह न तो एक फोन यूज करता था और न एक सिम. उन्हें लगा कि वह मोबाइल नंबर से इस आदमी तक नहीं पहुंच सकती तो उन्होंने उस के घर वालों के बारे में पता किया.

महेश के घर वाले बेंगलुरु के बनशंकरी में रहते थे. पुलिस उस के घर पहुंची तो पता चला कि उस के मांबाप, भाईबहन सभी हैं. लेकिन उन्हें पता नहीं है कि महेश कहां है? क्योंकि वह सालों से घर नहीं आया था और न ही कभी किसी से संपर्क किया था.

जब कोई रास्ता नहीं सूझा तो राधा एम ने एक बार फिर उस के फोन की काल डिटेल्स पर नजर फेरनी शुरू की. इस बार उन्हें एक ऐसा नंबर मिला, जिस पर उस ने काल की थी. पुलिस ने इस नंबर के बारे में पता किया तो वह आदमी उन्हें मिल गया. वह फिल्मों काम करने वाला एक जूनियर कलाकार था, जो महेश की कई शादियों में दिखाई दिया था.

इसी आदमी के सहारे एसआई राधा एम महेश केबी नायक तक पहुंच गईं और बेंगलुरु के तुमकुरु स्थित उस के नकल क्लीनिक से उसे गिरफ्तार कर लिया. इस के बाद महेश से पूछताछ शुरू हुई. इस पूछताछ में पुलिस को पता चला कि उस का नाम महेश केबी नायक था, उम्र 35 साल और पढ़ाई के नाम पर वह केवल पांचवीं पास था. लेकिन वह अंगरेजी बड़े ही कौन्फिडेंस के साथ बोलता था. देखने में वह काफी हैंडसम था.

पूछताछ में पहले महेश नायक ने भी हर अपराधी की तरह पुलिस को गोलगोल घुमाने की कोशिश की थी. लेकिन राधा एम ने अब तक उस के खिलाफ इतने सबूत इकट्ठा कर लिए थे कि वह उस के चक्कर में आने वाली नहीं थीं. उन्होंने जब सारे सबूत उस के सामने रखे तो वह टूट गया और सच्चाई बताने को मजबूर हो गया.

क्या थी महेश की सच्चाई? जानेंगे कहानी के अगले भाग में…

मौडल नेहा का हनीट्रैप रैकेट – भाग 2

गोपाल था मल्टीनैशनल कंपनी में मैनेजर

गोपाल कृष्णनन अब समझ नहीं पा रहा था कि आगे क्या करना है. गोपाल मैसूर का रहने वाला था, बीटेक और उस के बाद एमबीए करने के बाद उस का चयन बेंगलुरु की एक मल्टीनैशनल कंपनी में सेल्स मैनेजर के पद पर हो गया था. गोपाल अभी जवान था. उस का अभी विवाह भी नहीं हुआ था. गोपाल शाम को औफिस से आने के बाद खाली रहता था. उस ने बेंगलुरु की एक सोसाइटी में किराए पर फ्लैट ले रखा था.

खाना बनाने वाली बाई सुबह और रात का खाना शाम को निपटा कर अपने घर चली जाया करती थी. जबकि साफसफाई करने वाली बाई सुबह घर की साफसफाई, बाथरूम सफाई और पोंछा और डस्टिंग कर के चली जाती थी. देर शाम को गोपाल कृष्णनन जब औफिस से लौटता था तो व्हिस्की के 2-4 पैग लगा कर खाना खा लिया करता था. उस के बाद वह फेसबुक, इंस्टाग्राम, टेलीग्राम आदि सोशल मीडिया पर मशगूल हो जाया करता था.

ऐसे ही एक दिन टेलीग्राम के माध्यम से उस की मुलाकात नेहा उर्फ मेहर से हुई. गोपाल ने नेहा उर्फ मेहर का नाम गूगल पर सर्च करना शुरू किया तो उसे पता चला कि नेहा कर्नाटक की रहने वाली है और मुंबई में मौडलिंग करती है. नेहा का नाम बड़ा चर्चित था. वह एक आइकौन थी और उस के बावजूद गोपाल कृष्णनन से दोस्ती करना चाहती थी.

गोपाल इस मौके को बिलकुल भी गंवाना नहीं चाहता था. इसलिए गोपाल नेहा उर्फ मेहर को फालो करने के साथसाथ उस का फेसबुक फ्रेंड भी बन चुका था. आए दिन उन की चैटिंग होती रहती थी.

नेहा से मिलने को उतावला था गोपाल

ऐसे ही एक दिन नशे में गोपाल ने नेहा को मैसेज कर दिया, “नेहाजी, आप तो इतने हौट हौट मैसेज करती रहती हो, कभी हम से मिलने का दिल नहीं करता आप का?”

“अरे क्यों नहीं गोपालजी, आप तो मेरे बेहद करीबी हो गए हैं. आप से मिलने का मन तो मेरा भी बहुत करता है. मगर आप यह बात भी जानते होंगे कि मैं काफी बिजी रहती हूं. कभी मुंबई में तो कभी बेंगलुरु में.” नेहा ने कहा.

“इस का मतलब यह हुआ कि आप से अब तो मुलाकात हो पाना नामुमकिन ही है. आप ने तो हमारा दिल ही तोड़ दिया!” गोपाल ने मायूसी से कहा.

“अरे यार, हम तो दिल तोडऩे का नहीं बल्कि दिल जोडऩे का काम करते हैं. जब मैं बेंगलुरु आऊंगी तो आप से मिलने की कोशिश जरूर करूंगी. क्या आप मुझ से मिलना चाहेंगे?” नेहा ने नशीले स्वर में कहा.

“नेहाजी, आप से मिलने को तो मेरा दिल न जाने कब से मचल रहा है. आप ने मेरे दिल की हसरत पूरी ही कर दी. आप का दिल से धन्यवाद. अब आप बताएं, आप का दीदार हमें कब हो सकेगा?” गोपाल ने खुशामद की.

“देखिए गोपालजी, कल संडे है. मैं मुंबई से 2 दिन के लिए बेंगलुरु एक इवेंट के लिए आ रही हूं. आप सुबह 9 बजे मुझे मिल सकते हैं.” नेहा ने कहा.

“नेहाजी, रविवार को तो मेरी भी छुट्टी रहती है. मैं आप से मिलने, आप का दीदार करने और आप से हग करने जरूर पहुंच जाऊंगा. मगर आप से कहां मुलाकात हो पाएगी. आप कहीं ये सब मेरा दिल रखने के लिए तो नहीं कह रही हैं. मुझे तो बिलकुल भी विश्वास नहीं हो पा रहा है. कभीकभी तो मुझे ऐसा लग रहा है कि कहीं मैं सपना तो नहीं देख रहा हूं. पर नेहाजी, यह शायद सपना तो बिलकुल भी नहीं है.” गोपाल ने जल्दीजल्दी से अपने दिल की बात कह ही डाली थी.

“जब कल आप की मुझ से मुलाकात होगी तो हकीकत भी सामने होगी. जैसे आप मुझ से प्यार करते हो, वैसे ही मैं भी आप से प्यार करती हूं. अब तक तो आप को फोटो या वीडियो चैटिंग में ही देखा था, जब हमतुम सामने होंगे तो तब क्या नजारा होगा.” नेहा ने नशीली आवाज में कहा.

“नेहाजी, अब तो आप ने मेरी रातों की नींद उड़ा डाली है. सारी रात आप के ही ख्वाबों में कट जाएगी मेरी.” गोपाल ने आहें भरते हुए कहा.

“गोपालजी, अब आज की रात सब्र कर लीजिए. कल तो हमारी मुलाकात हो ही रही है.” कहते हुए नेहा ने फोन काट दिया. उस पूरी रात गोपाल सो नहीं पाया. रात उस ने करवटें बदलते ही गुजार दी थी. दूसरे दिन सुबहसुबह साढ़े 8 बजे गोपाल नेहा के बताए हुए एड्रेस पर पहुंच गया. नेहा का फ्लैट ग्राउंड फ्लोर पर था. 3 बैडरूम का फ्लैट था.

नेहा ने खुद उतारे गोपाल के कपड़े

घंटी बजाने पर नेहा ने मुसकराते हुए दरवाजा खोल दिया. कमरे में दाखिल होते ही गोपाल को एक विचित्र सा अहसास हुआ. पूरे वातावरण में शांति और खुशबू बिखरी हुई थी. जिस कमरे में नेहा गोपाल को ले गई थी, उस की खिडक़ी खुली थी. परंतु परदा पूरी तरह से खिंचा हुआ था. हालांकि कमरे में ऊपर रोशनदान भी लगा हुआ था, मगर उस में से बहुत ही धीमा प्रकाश आ रहा था. कमरे में रोशनी चांद की तरह बिखरी हुई सी दिखाई दे रही थी.

जैसा कि आज तक गोपाल ने फोटो में नेहा को देखा था, मगर जब उस ने उसे अपने रूबरू देखा तो वह आसमान से उतरी एक अप्सरा की तरह लग रही थी. गोपाल ने आव देखा न ताव वह झट से नेहा के पास गया और उसे अपनी बाहों में जोरों से जकड़ लिया.

करीब 2-3 मिनट तक दोनों आलिंगनबद्ध रहे, उस के बाद नेहा ने अपने आप को गोपाल की बाहों से छुड़ा लिया और अगले ही पल गोपाल की शर्ट के बटन खोलने लगी. गोपाल के सीने पर बालों में अब नेहा की नर्म नर्म अंगुलियां सर्प की तरह रेंगने लगी थीं, यह सब देख कर और अपने शरीर में महसूस करते हुए गोपाल का दिल अब बेकाबू सा हो गया था. उस ने अगले ही पल नेहा को अपनी मजबूत बाहों में भर लिया था. नेहा ने भी अपने अधर गोपाल के गरम गरम होंठों पर रख दिए थे.

इस केबाद नेहा ने गोपाल के शरीर से सारे कपड़े एकएक कर के उतारने शुरू कर दिए थे. गोपाल यह सब देख कर अपने आप पर काबू नहीं कर पा रहा था. वह अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंचने ही वाला था कि तभी 2 व्यक्ति वहां पर आ धमके.

15 शादियां करने वाला लुटेरा दूल्हा – भाग 2

पति के खिलाफ लिखा दी रिपोर्ट

जब निशा से नहीं रहा गया तो तीसरे दिन उस ने महेश को फोन किया. उस का फोन ही नहीं मिला. फोन नौट रिचेबलबताता रहा. इसी तरह एक सप्ताह बीत गया. महेश का फोन नहीं आया और वह उसे फोन करती थी तो फोन लगता नहीं था. निशा परेशान थी.

इसी बीच उस ने अपनी अटैची खोली तो पता चला कि उस की सारी ज्वैलरी और साथ लाए करीब 15 लाख रुपए गायब हैं. वह भौचक्क रह गई. इस का मतलब था घर पर किसी ने चुरा लिए. वह परेशान हो उठी. अब क्या करे? पति था कि फोन भी नहीं उठा रहा था. अपना दर्द वह कहे किस से.

इसी तरह एक सप्ताह और बीत गया. निशा को लगा कि कहीं कुछ गड़बड़ जरूर है. तभी एक दिन एक महिला उस के घर आ धमकी. उस ने कहा कि महेश उस का पति है. इस बात को ले कर दोनों में काफी झगड़ा भी हुआ. इस से निशा को लगा कि उस के साथ धोखा हुआ है. यह अहसास होते ही वह थाना मैसूर सिटी जा पहुंची और पुलिस को अपनी पूरी कहानी बता कर रिपोर्ट दर्ज करा दी.

रिपोर्ट दर्ज कर के थाना मैसूर (सिटी) पुलिस ने इस मामले की जांच सबइंसपेक्टर राधा एम. को सौंप दी. उन्होंने इस मामले की जांच शुरू की. उन के पास डाक्टर साहब के एक नंबर के अलावा और कुछ नहीं था, जिसे निशा ने दिया था. उस पर फोन लग नहीं रहा था. क्योंकि वह नंबर अब बंद हो चुका था. उन्होंने जांच आगे बढ़ाने के लिए जब उस नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई तो उसे देख कर वह दंग रह गई, क्योंकि इस नंबर से कभी कोई फोन किया ही नहीं गया था. केवल उस पर फोन आए थे.

राधा एम. ने जब यह पता किया कि इस नंबर पर जो फोन आते थे, वे किस के थे तो पता चला कि इस नंबर पर जो भी फोन आए थे, वे सभी के सभी महिलाओं के फोन थे. उन्हें यह बात बड़ी अजीब लगी कि यह कैसा आदमी है, जिस ने कभी किसी को अपने नंबर से फोन नहीं किया और इस नंबर पर जो भी फोन आए थे, वे सब के सब के औरतों के थे.

उन की समझ में यह नहीं आया कि आखिर चक्कर क्या है? उन्हें लगा कि कहीं कुछ तो गड़बड़ जरूर है. एसआई राधा एम ने उन नंबरों को टटोलना शुरू किया, जिन महिलाओं के फोन उस नंबर पर आए थे. लेकिन किसी भी महिला ने उन से ठीक से बात नहीं की यानी उन्हें इस बारे में कुछ भी नहीं बताया कि वह कहां है. साफ था कि उन्होंने पुलिस का सहयोग नहीं किया था.

राधा एम ने बहुत कोशिश की, पर कोई भी महिला उन की मदद करने को तैयार नहीं थी. राधा एम परेशान थीं कि वह करे तो क्या करें. मजे की बात यह थी कि वह जिस भी महिला को फोन करती थी, वह यही कहती कि महेश उस का पति है. इस से राधा एम और परेशान थीं कि आखिर महेश की कितनी पत्नियां हैं? पर कोई भी पत्नी यह बताने को तैयार नहीं थी कि महेश कहां है. इस से वह समझ गईं कि इस मामले में बहुत बड़ी गड़बड़ है.

पुलिस जुट गई जांच में

इस के बाद राधा एम ने उन महिलाओं से मिलना शुरू किया, पर मिलने पर भी ये महिलाएं कुछ बताने को तैयार नहीं थीं. बस, ये महिलाएं यही कहती रहीं कि महेश उन का हसबैंड है. पर वह कहां है, यह उन्हें पता नहीं है. ये महिलाएं महेश के बारे में पुलिस को बताती भले ही कुछ नहीं थीं, पर पुलिस इन से उन की शादी का फोटो जरूर ले लेती थी.

इसी तरह एसआई राधा एम ने उन सभी महिलाओं के महेश के साथ के शादी के फोटो इकट्ठा कर लिए. इस से यह साबित हो गया कि महेश अलगअलग महिलाओं से विवाह करता है और किसी न किसी बहाने से उन्हें छोड़ कर निकल लेता है. वह ऐसा क्यों कर रहा है, यह तो तभी पता चलता, जब कोई महिला पूछताछ में सहयोग करती.

आखिर राधा एम ने एक ऐसी महिला को पकड़ा, जो सब से ज्यादा बोल रही थी, इसलिए राधा एम ने उस से पर्सनली बात करने का विचार किया. वह उस के पास पहुंची और नंबर दिखा कर कहा, “देखिए यह नंबर है. आप कह रही हैं कि यह मेरे पति का नंबर है तो बता दीजिए वह कहां हैं?”

“हां, यह मेरे पति का नंबर है, पर मुझे नहीं पता कि वह कहां हैं और मालूम भी होगा तो भी मैं नहीं बताऊंगी कि वह कहां हैं.” उस महिला ने कहा.

एसआई राधा एम ने देखा कि यह महिला कुछ बताने को तैयार नहीं है तो हार कर उन्होंने वे तसवीरें निकालीं, जो अलगअलग महिलाओं से ले कर आई थीं. उन में दुलहनें तो अलगअलग थीं, पर दूल्हा एक ही था.

इन तसवीरों को दिखा कर राधा एम ने कहा, “यह आदमी सिर्फ आप का ही दूल्हा नहीं है. देखिए, आप जैसी इस की कितनी दुलहनें हैं, जो आप की ही तरह कह रही हैं कि यह मेरा हसबैंड है, पर मुझे नहीं पता कि यह इस समय कहां है. आप की ही तरह कोई सहयोग करने को तैयार नहीं है कि मैं इस आदमी को गिरफ्तार कर के इस की सच्चाई लोगों के सामने ला सकूं.”

जब राधा एम ने उस महिला के सामने महेश की सारी पोल खोल दी तो उस ने कहा, “ठीक है, अब आप जो भी पूछेंगी, मैं वह बताने को तैयार हूं.”

“अच्छी बात है. हम यही तो चाहते थे.” राधा एम ने कहा.

उस महिला ने कहा, “जब वह बाहर जाने लगे थे तो उन्होंने कहा था कि अगर मेरे बारे में कोई कुछ पूछने आए, वह पुलिस ही क्यों न हो, किसी को कुछ बताना मत. क्योंकि हमारा प्रौपर्टी को ले कर आपस में झगड़ा चल रहा है. करोड़ों को प्रौपर्टी का मामला है. कभी भी कुछ भी हो सकता है. बस, इस से ज्यादा मुझे उन के बारे में और कुछ नहीं मालूम.”

कहानी के अगले भाग में पढ़ें, कैसे आया ये शातिर पुलिस की गिरफ्त में …

षडयंत्र : पैसों की चाह में