राजेश की ऊपर की कमाई तो पहले ही बंद हो चुकी थी, अब नौकरी भी चली गई. दूसरी नौकरी के लिए उस ने बहुत कोशिश की, लेकिन कहीं जुगाड़ नहीं बन सका. कहीं कोई उम्मीद भी नजर नहीं आ रही थी. मौजमजे की जिंदगी जी रहा राजेश दवरे एक एक पैसे के लिए मोहताज हो गया. उस का अपना और घर का खर्च कैसे चले, इस बात को ले कर वह परेशान रहने लगा.
अपनी इस स्थिति के लिए राजेश डा. मुकेश चांडक और उन के बेटे युग को जिम्मेदार मान रहा था. उसे लगता था कि यह सब युग की वजह से हुआ है. वह इस बात को हजम नहीं कर पा रहा था. उसे डा. मुकेश चांडक और युग से पहले ही नफरत थी. कहीं कामधाम न मिलने की वजह से धीरेधीरे वह बढ़ती ही गई और हालात यह हो गए कि वह डा. मुकेश चांडक से अपमान का बदला लेने और युग को उस के किए की कठोर से कठोर सजा देने के बारे में सोचने लगा.
इसी सोचनेविचारने में उस के दिमाग में युग के अपहरण की बात आ गई. उस ने सोचा कि युग का अपहरण कर के वह उसे खत्म कर देगा. उस के बाद फिरौती के रूप में डाक्टर से मोटी रकम वसूल करेगा. इस से बाप बेटे दोनों को सबक मिल जाएगा.
राजेश दवरे की यह योजना खतरनाक तो थी ही, उस के अकेले के वश की भी नहीं थी. इस के लिए उसे एक साथी की जरूरत थी. उस ने साथी की तलाश शुरू की तो उस की नजर अपने दोस्त अरविंद सिंह पर टिक गई. उस ने उसे अपनी योजना समझा कर मोटी रकम का लालच दिया तो वह उस का साथ देने को तैयार हो गया.
राजेश दवरे ने अरविंद से कहा था कि युग का अपहरण कर के वह डा. मुकेश चांडक से 15 करोड़ रुपए फिरौती में वसूल करेगा. इस से उस का बदला भी पूरा हो जाएगा और मिली हुई रकम से दोनों पार्टनशिप में एक अच्छा सा होटल खरीदेंगे, जिस में बीयर बार खोल कर दोनों मौजमस्ती करेंगे.
25 वर्षीय अरविंद सिंह राजेश दवरे के पड़ोस में ही रहता था. उस का परिवार काफी संपन्न था, लेकिन आवारा दोस्तों के साथ रहने की वजह से वह बिगड़ गया था. राजेश के साथ रहते हुए उसे भी मौजमस्ती का शौक लग गया था. इसीलिए वह राजेश के बहकावे में आ गया था. राजेश को डा. मुकेश चांडक के बारे में सब पता था. वह जानता था कि डा. चांडक अपने लाडले बेटे युग के लिए आसानी से 10-15 करोड़ रुपए दे देगा.
अरविंद तैयार हो गया तो युग को उठाने की जिम्मेदारी राजेश ने उसे ही सौंपी. क्योंकि उसे युग और सोसायटी के गार्ड पहचानते थे. वह यह भी जानता था कि युग उस के साथ कभी नहीं जाएगा. इसलिए उस ने अरविंद को युग के बारे में सब कुछ समझा कर उसे धोखा देने के लिए अपनी वह शर्ट दे दी, जो उसे क्लिनिक में काम करते समय पहनने को दी गई थी.
1 सितंबर को अरविंद सिंह पूरी तैयारी कर के अपनी स्कूटी से उस सोसायटी में जा पहुंचा, जिस में डा. चांडक परिवार के साथ रहते थे. उस समय दिन के पौने 4 बज रहे थे. उस ने सोसायटी के गार्ड से युग के बारे में पूछा. तब तक युग स्कूल से आया नहीं था. अरविंद की यही गलती गिरफ्तारी की वजह बनी. गार्ड ने उसे बताया था कि युग 4 बजे आएगा. 4 बजे युग की स्कूल बस आई तो वह स्कूटी ले कर उस के पास जा पहुंचा.
बस से उतर कर युग घर की ओर बढ़ा तो अरविंद ने उस के सामने आ कर कहा, ‘‘युग जल्दी चलो, तुम्हारे पापा ने तुम्हें बुलाया है.’’
चूंकि अरविंद डा. मुकेश चांडक की क्लिनिक में पहनी जाने वाली शर्ट पहने था, इसलिए युग को उस पर सहज ही विश्वास हो गया. उस ने अपना स्कूल बैग सिक्योरिटी गार्ड की खाली पड़ी कुर्सी पर फेंका और अरविंद सिंह की स्कूटी पर कूद कर बैठ गया. अरविंद उसे ले कर सोसायटी के बाहर रास्ते में खड़े राजेश के पास जा पहुंचा. युग कुछ समझ पाता, उस के पहले ही राजेश दवरे ने क्लोरोफार्म में भीगी रूमाल उस की नाक पर रख दी, जिस से वह बेहोश हो गया. इस के बाद वह पीछे बैठ गया.
राजेश दवरे और अरविंद सिंह ने युग का अपहरण तो आसानी से कर लिया, लेकिन अब उसे वे छिपा कर रखे कहां, इस की उन के पास कोई व्यवस्था नहीं थी. इसलिए उन्होंने उसे तुरंत ठिकाने लगाने यानी खत्म करने की योजना बना डाली. वे उस की हत्या करने के इरादे से उसे शहर से बाहर खापरघेड़ा की ओर ले कर चल पड़े.
शहर से 20 किलोमीटर दूर लोणखेरी पहुंचतेपहुंचते अंधेरा हो चुका था. उन्हें इस बात का भी डर सता रहा था कि अगर युग को होश आ गया तो संभालना मुश्किल हो जाएगा. इसलिए वे जल्द से जल्द युग को ठिकाने लगा देना चाहते थे.
लोणखेरी के पास सड़क पर उन्हें एक पुल दिखाई दिया तो उन्होंने स्कूटी रोक दी. वह स्थान सुनसान था. युग को उठा कर दोनों पुल के नीचे ले गए. अब तक युग को होश आ गया था. वह समझ गया कि वे उसे वहां क्यों ले आए हैं. वह रोते हुए प्राणों की भीख मांगने लगा. लेकिन नफरत की आग में जल रहे राजेश दवरे को उस मासूम पर बिलकुल दया नहीं आई और गला दबा कर उस ने उसे मार डाला.
युग को मौत के घाट उतार कर उन्होंने स्कूटी में रखे पेचकस से एक गड्ढा खोदा और शव को उसी में रख कर ढंक दिया. युग की हत्या करने के बाद उन्होंने डा. चांडक को फोन कर के 15 करोड़ की फिरौती मांगी, लेकिन वे रकम लेने की जगह तय कर पाते, उस के पहले ही पकड़ लिए गए.
पूछताछ में उन्होंने पुलिस को बताया कि फिल्म इनकार में जिस तरह फिरौती की रकम ली गई थी, उसी तरह वे फिरौती की रकम लेना चाहते थे. फिल्म में फिरौती की रकम बैग में भर कर चलती ट्रेन से फेंकने की बात दिखाई गई थी. पुलिस ने दोनों को साथ ले जा कर पुल के नीचे से युग का शव बरामद कर लिया था, जिसे पोस्टमार्टम के बाद घर वालों की सौंप दिया गया था.
पूछताछ के बाद इंसपेक्टर सुधीर नंदनवार ने राजेश दवरे और अरविंद सिंह को थाना लकड़गंज पुलिस के हवाले कर दिया. थाना लकड़गंज के थानाप्रभारी एस.के. जैसवाल ने वह स्कूटी भी बरामद कर ली थी, जिस से उन्होंने युग का अपहरण किया था.
इस के बाद दोनों के खिलाफ अपहरण और हत्या का मुकदमा दर्ज कर के अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. नागपुर के पुलिस कमिश्नर ने थाना गणेशपेढ की पुलिस टीम को 5 हजार रुपए का नकद इनाम दे कर सम्मानित किया था, क्योंकि इस टीम ने मात्र 12 घंटे में इस मामले को सुलझा लिया था.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित