डीपफेक : टेक्नोलॉजी का गलत इस्तेमाल

जब से प्रो. वरिंदर कालेज के मास कम्युनिकेशन विभाग में आए थे, तब से इस विभाग में स्टूडेंट्स काफी बढ़ गए थे. हर स्टूडेंट प्रो. वरिंदर के पढ़ाने के तरीके से प्रभावित था. यह हिमाचल के रहने वाले थे और कालेज के हौस्टल में ही रहते थे. सभी स्टूडेंट्स उन के दीवाने थे, क्योंकि वह काफी हैंडसम थे.

किसी को भी अंदाजा नहीं था कि प्रो. वरिंदर का अश्लील वीडियो वायरल हो जाएगा. सभी तरफ इस वीडियो की ही चर्चा हो रही थी. प्रो. वरिंदर खुद हैरान थे कि यह कैसे हो सकता है.

कालेज, शहर, देशविदेश में यह वीडियो जंगल की आग की तरह फैल गया था. प्रिंसिपल गुरदयाल सिंह ने प्रो. वरिंदर को अपनी केबिन में बुलाया और उस वायरल वीडियो के बारे में पूछा.

”सर, यह वीडियो मेरा नहीं है.’’ प्रो. वङ्क्षरदर ने प्रिंसिपल साहब को सफाई दी.

”लेकिन वीडियो में तो आप ही हैं. वरिंदरजी, आप खुद देखो न, आप खुद हो, साथ में लड़की नैना है, जो बार बार आप से कई टौपिक पर पूछती रहती थी. यह कमरा, बैडरूम, दीवार अपने ही हैं. दीवार पर अलगअलग स्टिकर लगे हुए हैं. यह कमरा तो अपने ही हौस्टल का ही है. सौरी वरिंदरजी, हम कालेज की बदनामी नहीं करा सकते. जब तक यह वीडियो वाली बात साफ नहीं हो जाती, सच्चाई पता नहीं चल जाती, प्लीज आप कालेज मत आना. मुझे इस की जानकारी पुलिस को देनी पड़ेगी.’’

”पर सर, मैं नहीं हूं. जो लड़की है वह मेरी स्टूडेंट है, फिर मैं यह कैसे कर सकता हूं.’’ प्रो. वङ्क्षरदर ने कहा.

प्रिंसिपल गुरदयाल सिंह ने खुद ही इंसपेक्टर को फोन मिलाया और कहा, ”मलकीतजी, कालेज जल्दी आना.’’

इंसपेक्टर मलकीत सिंह पिं्रसिपल का दोस्त था.

”कोई खास वजह?’’ इंसपेक्टर मलकीत ने पूछा.

”मेरे कालेज के प्रो. वरिंदर हैं, उन का एक वीडियो काफी वायरल हो रहा है.’’

”अच्छा…. वो वाला वीडियो… यह तो काफी वायरल है. मैं आता हूं.’’ इंसपेक्टर ने कहा.

प्रो. वरिंदर काफी उदास थे. उन का एक स्टूडेंट रमन उन्हें काफी हौसला दे रहा था. रमन मास कम्युनिकेशन का स्टूडेंट था. उसे तकनीकी जानकारी बहुत थी. अच्छे वीडियो बनाता था. उसे फोटोग्राफी का भी शौक था. मौडलिंग भी करता था. कालेज के स्टूडेंट्स को ले कर वह शार्ट मूवीज भी बनाता रहता था.

उस ने प्रो. वङ्क्षरदर से कहा, ”सर,  आप चिंता न करें. हम इस का हल ढूंढ निकालेंगे.’’

प्रो. वरिंदर को रमन की बातें सुन कर हौसला मिलता था कि मेरा यह कितना खयाल रख रहा है.

इंसपेक्टर मलकीत सिंह पुलिस टीम के साथ कालेज पहुंच गए. कालेज में छुट्टी होने के कारण स्टूडेंट्स नहीं थे. पुलिस ने प्रिंसिपल गुरदयाल के साथ काफी लंबी बातचीत की. प्रो. वरिंदर को भी बुलाया.

”प्रो. साहब, यह वीडियो आप की है?’’ इंसपेक्टर मलकीत सिंह ने पूछा.

”नहीं सर, मेरी नहीं है.’’ प्रो. वङ्क्षरदर ने बताया.

”पर लग तो आप ही रहे हैं.’’

”नहीं सर, यह मेरी वीडियो नहीं है.’’

”यह लड़की कौन है?’’

”सर, यह लड़की नैना है. पर सर, मैं तो इस लड़की से मिला ही नहीं. बस यह किसी टौपिक के बारे में मुझ से पूछती और चली जाती थी. वह हमेशा अपनी सहेलियों के साथ ही आती थी.

“पर प्रोफेसर साहब, यह वीडियो तो आप की ही लगती है.’’

”नहीं इंसपेक्टर साहब, यह मैं नहीं हूं. आप मेरा रिकौर्ड चैक करवा सकते हैं.’’

”रिकौर्ड तो सामने ही है,’’ इंसपेक्टर मलकीत ने हंसते हुए कहा.

”नहीं सर, सच मानो मैं नहीं हूं.’’

वीडियो देख कर प्रिंसिपल को क्यों आया पसीना

इस मौके पर लड़की नैना को भी बुलाया गया, जो काफी रो रही थी. वह भी बोली, ”सर, यह मैं नहीं हूं. मैं तो अकेली सर को मिली ही नहीं. जब भी मिली हूं तो मेरी सहेलियां नमिता, नीतिका साथ में ही होती थीं.’’

”बेटा हम समझते हैं, पर आप हमारा साथ दोगे तो अच्छा रहेगा.’’ इंसपेक्टर ने समझाया.

”सर, मैं सच कहती हूं, यह मैं नहीं हूं. मैं तो अकेले कभी सर से मिली ही नहीं.’’

वे बात ही कर रहे थे कि प्रिंसिपल गुरदयाल के चेहरे पर पसीना छलक आया था. वह कोई वीडियो मोबाइल पर देख रहे थे, जिस में 2 निर्वस्त्र लड़कियां थीं…

इंसपेक्टर मलकीत सिंह ने कहा, ”गुरदयाल सिंहजी क्या हुआ..?’’

प्रिंसिपल ने साइड में इंसपेक्टर मलकीत को ले जा कर वीडियो दिखाते हुए कहा, ”यह भी कालेज की लड़कियों का है जो बिलकुल नंगी हैं और एकदूसरे के साथ चिपक रही हैं.’’

नीचे एक मैसेज भी लिखा था ‘आप देखते जाओ, मेरे पास आप के कालेज के काफी वीडियो हैं. जो एक के बाद एक बाहर आऐंगे. हां प्रिंसिपल साहब, आप के वीडियो भी हैं मेरे पास… जितने मरजी एक्सपर्ट बुला लें, आप को नहीं पता चलेगा कि वीडियो कहां से लोड हो रही है.’

इंसपेक्टर मलकीत ने प्रो. वरिंदर और नैना को जाने को कहा.

”गुरदयालजी, यह मामला सिर्फ प्रो. वरिंदर और नैना का नहीं है. यह तो आप के कालेज का मामला लगता है. ये दोनों लड़कियां कौन हैं?’’

”ये हमारे कालेज की ही रानी और मोना हैं. ये इतनी घटिया हरकत कर सकती हैं, मैं ने सोचा नहीं था.’’

इंसपेक्टर ने प्रिंसिपल गुरदयाल, प्रो. वरिंदर, नैना, रानी, मोना सभी के मोबाइल नंबर लिए और कालेज से चले गए. उन को थाने से फोन आया था कि गांव के सरपंच ने अपनी बुजुर्ग मां को घर से बाहर निकाल दिया है, सारा गांव ही थाने आया है.

प्रिंसिपल की हालत बहुत खराब थी. प्रो. वरिंदर का मामला सुलझा नहीं था कि एक और वीडियो सामने आ गया. प्रिंसिपल सोच में डूबे थे कि स्टूडेंट रमन उन के पास आया, ”सर, मेरे कई दोस्त एक्सपर्ट हैं, जो पता लगा सकते हैं कि वीडियो कहां से अपलोड हो रहे हैं. ये साइबर एक्सपर्ट हैं.’’

रमन की बात प्रिंसिपल गुरदयाल को अच्छी लगी. रमन ने प्रिंसिपल के कहने पर अपने एक्सपर्ट दोस्तों को कालेज के बाहर ही रूम ले कर दे दिया. वे खोज खबर में लग गए. रमन अपने दोस्तों के साथ रात को जाम भी छलकाने लगा.

प्रिंसिपल गुरदयाल को उम्मीद थी कि बहुत जल्दी ही दोषी पकड़ा जाएगा.

शाम 5 बजे कालेज से सभी स्टूडैंट्स चले जाते थे. इंसपेक्टर मलकीत अपनी टीम के साथ आए और काफी बातें कीं.

”आप की पत्नी डा. नीता कहां है?’’ इंसपेक्टर मलकीत ने प्रिंसिपल से पूछा.

पत्नी का नाम सुन कर प्रिंसिपल हैरान हो गए.

प्रिंसिपल का चेहरा पढ़ते हुए वह बोले, ”जी हां, आप की पत्नी डा. नीता जी…’’

”मेरी पत्नी से कई साल से बोलचाल बंद है. हमारे संबंध ठीक नहीं हैं. क्या यह मेरी पत्नी ने..?

”नहीं, नहीं… मैं ने ऐसा नहीं कहा. दरअसल, हम ने कालेज के कई पुराने लोगों से बात की तो पता चला कि आप की पत्नी के साथ आप के संबंध ठीक नहीं हैं.’’ इंसपेक्टर ने कहा.

डा. नीता क्यों हुई पति के खिलाफ

इंसपेक्टर मलकीत ने उन से डा. नीता का मोबाइल नंबर लिया. उन्होंने डा. नीता को थाने बुलाया. पूछताछ करने पर डा. नीता ने कहा, ”इस प्रिंसिपल ने तो मेरी जिंदगी ही बरबाद कर दी. मैं पछता रही हूं इन से शादी कर के.’’

”डा. नीताजी, आप यह बताएं कि आप के पति प्रिंसिपल गुरदयाल कैसे आदमी हैं?

”बहुत ही घटिया हैं,’’ डा. नीता ने बिंदास कहा, ”मैं तो शादी कर के पछता रही हूं. मुझे पता है कि मैं ने अपनी बेटी को कैसे पाला. फिर विदेश भेजा, इन को तो पूरी जिंदगी कालेज से ही फुरसत नहीं मिली. मैं तो डाक्टर थी, काम अच्छा था तो मैं ठीक रही, नहीं तो मैं भी इन के साथ किताबों में गुम हो जाती.’’

”डा. नीता, कालेज के एक प्रोफेसर का वीडियो काफी वायरल हुआ है. इसी के लिए मैं ने आप को बुलाया है.’’ इंसपेक्टर ने कहा.

”आप का मतलब यह मैं ने किया…’’

”नहीं, हम यह नहीं कह रहे हैं कि आप ने किया, हमें तो सिर्फ यह जानना था कि आप के पास भी कारण है कि प्रिंसिपल साहब को बदनाम करने का…’’

”क्या फालतू सवाल है? मुझे इन को बदनाम करना होता तो 12 साल पहले ही कर देती, जब मैं इन से अलग हुई थी. नहीं, यह सब झूठ है. आप मेरा मोबाइल चैक कर सकते हैं… मेरा नंबर तो आप के पास है ही, मेरी बेटी का यह नंबर है.

आप के पास तो अडवांस टैक्निक है, आप पता कर सकते हैं. हमारे रिश्ते बेशक ठीक नहीं हैं, मैं एक डाक्टर के नाते ऐसा नहीं कर सकती. मेरी भी सोशल इमेज है. मेरे अस्पताल जा कर भी आप मेरे बारे में पूछ सकते हैं.’’ डा. नीता ने सफाई दी.

”वह हम पता लगा लेंगे, लेकिन जब तक यह केस हल नहीं हो जाता, आप शहर के बाहर हमें बता कर जाना.’’

रमन और उस की टीम कोई न कोई खबर बना कर प्रिंसिपल गुरदयाल से काफी पैसे ले चुकी थी. रमन और दोस्तों का शाम का दारू और लेट नाइट बार डांस अच्छा चल रहा था.

इंसपेक्टर ने प्रो. वरिंदर को फिर थाने बुलाया. उन्होंने पूछा, ”आप के प्रिंसिपल सर कैसे हैं?’’

”सर अच्छे हैं.’’

”उन के पत्नी के साथ रिलेशन कैसे हैं?’’ इंसपेक्टर मलकीत ने पूछा.

”इतना ही पता है कि पत्नी अलग रहती है और बेटी विदेश में है.’’

रमन प्रिंसिपल से जब भी मिलता तो कुछ न कुछ पैसे ले लेता.

”सर, ये वीडियो विदेश की आईडी से लोड किए गए हैं.’’ सीआईए स्टाफ के रणजीत सिंह की टीम ने जांच कर इंसपेक्टर मलकीत से कहा.

इंसपेक्टर मलकीत ने प्रो. वरिंदर को फिर बुलाया और उन से पूछा, ”आप की यहां पर कोई दुश्मनी, कालेज स्टडी समय हिमाचल में कोई दुश्मनी आदि तो नहीं थी?’’

”दुश्मनी तो मेरी किसी से नहीं… लेकिन एक बार रमन के साथ झगड़ा हुआ था, जब इस ने एक लड़की की कुछ अश्लील तसवीरें खींची थीं. मैं ने रमन को मना किया था तो उस ने सौरी भी बोला था कि आगे से ऐसा नहीं करेगा… यह बात जब प्रिंसिपल सर को पता चली तो उन्होंने रमन को थप्पड़ मारा था. यह मामला तो 2 साल पहले का है. पर रमन तो अब काफी बदल चुका है.’’ प्रो. वरिंदर ने बताया.

पुलिस ने कई ऐंगल से इस को ध्यान से देखा. अपने खबरी भी अलर्ट किए. हर छोटी से छोटी जानकारी हासिल की.

छात्रों ने प्रिंसिपल से किस बात का लिया बदला

संडे का दिन था, प्रिंसिपल गुरदयाल सिंह नाश्ता कर रहे थे. तभी इंसपेक्टर मलकीत पुलिस टीम के साथ कालेज के हौस्टल में पहुंच गए. गुरदयाल ने उन से नाश्ता करने को कहा.

तभी इंसपेक्टर ने कहा, ”नहीं सर, पहले काम बाकी बातें और नाश्ता बाद में. प्रिंसिपल साहब, आप यह बताएं कि पिछले कुछ दिनों से आप एक नंबर पर पैसे ट्रांसफर कर रहे हैं. वह बैंक खाता यूपी का है, लेकिन पैसे कालेज के एटीएम से निकाले जा रहे हैं.’’

”पैसे… कौन से पैसे…’’ प्रिंसिपल ने अनजान बनते हुए कहा.

”प्रिंसिपल साहब, झूठ न बोलो, असल मुद्दे पर आओ.’’

प्रिंसिपल को पता चल गया था कि अब झूठ बोल कर कोई फायदा नहीं, इसलिए उन्होंने हकीकत बयां कर दी.

उन्होंने कहा, ”दरअसल, हमारे कालेज के स्टूडेंट रमन ने मुझ से कहा था कि उस के कई दोस्त साइबर एक्सपर्ट हैं. वह पता कर लेंगे कि वीडियो कहां से अपलोड हुई है.’’

”फिर पता चला?’’ इंसपेक्टर मलकीत ने पूछा.

”नहीं…’’

”प्रिंसिपल साहब, यह सब फ्रौड है. यह तो यूपी बिहार के टौप के क्रिमिनल हैं, जो आप को लाखों का चूना लगा रहे हैं.’’

प्रिंसिपल ने अपनी गलती मानी. कालेज के नजदीक नया बाजार में रमन को, जो घर किराए पर ले कर दिया था, पुलिस ने वहां रेड की तो सभी फरार हो चुके थे.

रमन के कई मोबाइल नंबर थे. पुलिस ने अलगअलग स्थानों पर रेड कर के रमन को रेलवे स्टेशन से पकड़ लिया, लेकिन उस के साथी फरार हो गए.

थाने पहुंचते ही रमन ने सारे राज उगल दिए. उस ने कहा, ”मैं ने प्रिंसिपल साहब से बदला लेने के लिए यह सब किया. प्रिंसिपल साहब ने सब स्टूडैंट्स के सामने मुझे थप्पड़ मारे थे, वह भी प्रो. वरिंदर की वजह से. फिर मैं ने डीपफेक तकनीक से चेहरे बदल कर यह सब किया.’’

रमन ने आगे बताया, ”सर, इस वीडियो में वरिंदर सर नहीं हैं, न ही वह लड़की… यह सब मैं ने तैयार करवाए. जो 2 लड़कियों का वीडियो था, वह किसी विदेश की साइट से लिया वीडियो था. मेरे पास मौडलिंग की काफी फोटो थीं, उन्हीं से मैं ने आसानी से वीडियो तैयार कर लिया. वीडियो के पीछे जो बैकग्राऊंड है, वह हमारे कालेज की है.

रमन की स्टोरी सुन कर पुलिस हैरान थी.

पुलिस ने रमन के महंगे मोबाइल को जब देखा तो उस में और भी वीडियो मिले, जिन्हें देख कर इंसपेक्टर मलकीत हैरान रह गए. लड़कियों के नहाने के कई असल वीडियो भी थे. पुलिस ने रमन के कमरे की तलाशी ली तो वहां से ढेर सारी अश्लील मैगजीन, कई लड़कियों के नग्न फोटो, विदेशी अश्लील फिल्में, क्राइम पर लिखी गई कई किताबें मिलीं.

पुलिस यह भी देख कर दंग रह गई कि प्रिंसिपल गुरदयाल का वीडियो तैयार किया जा रहा था. वहां से पुलिस ने कंप्यूटर, सीडी, हार्डडिस्क, टूटा लैपटाप अपने कब्जे में ले लिया.

हकीकत सामने आने के बाद प्रिंसिपल साहब को विश्वास हो गया कि प्रो. वरिंदर बेकुसूर हैं, इसलिए उन्होंने प्रो. वरिंदर को फिर कालेज में रख लिया. इस के बाद उन्होंने कालेज में मोबाइल लाने पर सख्त पाबंदी लगा दी. डीपफेक का राज उजागर कर पुलिस ने रमन के साथियों को भी गिरफ्तार कर लिया.

हनीमून पर दी हत्या की सुपारी

साजिश का तोहफा

हनीमून पर दी हत्या की सुपारी – भाग 3

पुलिस ने 18 नवंबर, 2010 को जोलाइल मंगेनी को केपटाउन की अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. इस के बाद पुलिस ने 20 नवंबर को मजिवामाडोडा क्वेब और जोला टोंगो को गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में इन दोनों ने भी अपना अपराध स्वीकार कर लिया.

21 नवंबर को एनी देवानी का शव लंदन पहुंचा, जहां उस का अंतिम संस्कार कर दिया गया.

22 नवंबर को जोला टोंगो और मजिवामाडोडा को अदालत में पेश किया गया तो अदालत में टोंगो ने जो बयान दिया, वह चौंकाने वाला था. उस ने बताया कि एनी की हत्या की साजिश किसी और ने नहीं, उस के पति श्रीन देवानी ने रची थी. उसी ने पैसे दे कर एनी की हत्या कराई थी. इस हत्या के लिए उस ने 15 हजार रेंड दिए थे. जोला टोंगो ने ही पैसे दे कर मजिवामाडोडा क्वेब और जोलाइल मंगेनी से एनी की हत्या कराई थी.

जोलाइल मंगेनी ने गोली मार कर एनी की हत्या की थी तो मजिवामाडोडा क्वेब ने एनी के शरीर से सारे गहने उतारे थे, जिन में व्हाइट गोल्ड की चेन, डायमंड ब्रेसलेट और एक जियार्जियो अरमानी की घड़ी थी.

एनी की हत्या उस के पति श्रीन देवानी ने कराई थी, यह खुलासा होने पर उस के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज कर लिया गया. श्रीन लंदन में था, इसलिए इस बात की जानकारी वहां की पुलिस को देने के साथ जरूरी दस्तावेज भी भिजवा दिए गए थे.

लंदन पुलिस ने श्रीन देवानी को गिरफ्तार कर लिया. जबकि उस का कहना था कि उसी की नवविवाहिता पत्नी की हत्या हुई है और उसे ही दोषी ठहराया जा रहा है. वह उसे दिल से प्यार करता था. उसी के कहने पर वह उसे साउथ अफ्रीका ले गया था.

श्रीन के घर वाले साउथ अफ्रीकी पुलिस पर सवाल उठा रहे थे कि वहां सुरक्षा के ठीक इंतजाम नहीं हैं. वहां के लोगों का ध्यान हटाने के लिए पुलिस ने ऐसा किया है, ताकि कोई वहां के सुरक्षा इंतजामों पर सवाल न खड़ा कर सके.

एनी की हत्या के जुर्म में गिरफ्तार होने के बाद श्रीन स्टे्रस और्डर की बीमारी से ग्रस्त हो गया. उस की मानसिक स्थिति बिगड़ गई थी.

4 मई, 2011 को अदालत में श्रीन देवानी के मामले की एक्स्ट्रा एडीशन सुनवाई हुई. 5 मई, 2011 को बेलमार्श के मजिस्ट्रेटों ने उसे सिस्सी क्राइम कह कर पुकारा और 18 जुलाई, 2011 तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी.

18 जुलाई को श्रीन देवानी को जज रिडल की अदालत में पेश किया गया. साइकियाट्रिक एक्सपर्ट ने अदालत को बताया कि अगर श्रीन देवानी को लगता है कि उसे परेशान किया जा रहा है तो वह स्वयं को खत्म कर सकता है. इसलिए उसे जेल न भेजा जाए. बहरहाल अदालत ने जमानत की सुनवाई के लिए अगली तारीख दे दी.

अगली तारीख यानी 10 अगस्त, 2011 को प्राप्त दस्तावेजों से अदालत ने मान लिया कि श्रीन देवानी ने ही अपनी पत्नी एनी देवानी की सुपारी दे कर हत्या कराई थी.

21 सितंबर, 2011 को श्रीन देवानी की जमानत की अरजी पर सुनवाई थी. इस सुनवाई पर साउथ अफ्रीका पुलिस ने बताया कि पकड़े गए तीनों आरोपियों ने स्वीकार किया है कि श्रीन देवानी ने ही जोला टोंगो के साथ साजिश रच कर एनी की हत्या की सुपारी दी थी. इसलिए उसे जमानत पर छोड़ना ठीक नहीं है.

दूसरी ओर 26 सितंबर 2011 को साउथ अफ्रीका के होम सेके्रटरी येरेसा ने श्रीन देवानी की अफ्रीका में एक्स्ट्राडिशन सुनवाई के और्डर पर हस्ताक्षर कर दिए थे, जिस से श्रीन देवानी के प्रत्यर्पण का रास्ता साफ हो गया था.

लेकिन 30 सितंबर को श्रीन देवानी के वकीलों ने उस के मानसिक रूप से बीमार होने का हवाला दे कर एक अपील दायर कर दी थी. 13 दिसंबर, 2011 को इस पर बहस के दौरान श्रीन देवानी के वकीलों ने कहा कि वह अपने बचाव के लिए मानसिक बीमारी का बहाना नहीं बना रहा है. वह वाकई में बीमार है. ऐसी स्थिति में उस के एक्स्ट्राडिशन और्डर रद्द कर दिए जाने चाहिए.

14 दिसंबर, 2011 को अदालत ने साउथ अफ्रीका पुलिस से पूछा कि श्रीन देवानी की सुनवाई साउथ अफ्रीका में ठीक से हो सकती है या नहीं? 16 दिसंबर को अदालत ने आगे की कार्यवाही के लिए 31 जुलाई, 2012 की तारीख तय कर दी. इस तारीख को अदालत ने प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर श्रीन देवानी के प्रत्यर्पण पर अस्थाई रोक लगा दी. दूसरी ओर साउथ अफ्रीका की अदालत ने 8 अगस्त, 2012 को अभियुक्त मजिवामाडोडा क्वेब को एनी देवानी की हत्या के मामले में दोषी मानते हुए 25 साल के कैद की सजा सुनाई.

श्रीन देवानी ने अदालत से प्रार्थना की थी कि उस के मानसिक रूप से बीमार रहने तक उस के साथ नरमी बरती जाए. डाक्टरों के अनुसार 32 वर्षीय श्रीन देवानी पोस्ट ट्रौमेटिक स्ट्रेस डिसौर्डर और डिप्रेशन का शिकार था. उस के साइकियाट्रिस्ट डा. पौल केट्रेल ने अदालत में कहा था कि उसे जमानत दे कर दिमागी तौर पर राहत दी जानी चाहिए. उसे जिस पुनर्वास वार्ड में रखा गया है, वहां उस का फ्लाइट रिस्न बढ़ सकता है.

जोलाइल मंगेनी ने कोर्ट में स्वीकार कर लिया था कि उसी ने एनी देवानी की गोली मार कर हत्या की थी, इसलिए उसे हत्या का दोषी करार देते हुए 5 दिसंबर, 2012 को उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई. उसी के साथ टैक्सी ड्राइवर जोला टोंगो को साजिश रचने के आरोप में 18 साल की कैद की सजा सुनाई गई थी.

जुलाई, 2013 को अदालत ने कहा था कि अगर श्रीन देवानी की दिमागी बीमारी ठीक हो गई है तो अदालत में पेश किया जाए. लेकिन श्रीन देवानी का मेंटल हेल्थ अस्पताल में इलाज चल रहा था, इसलिए उसे अदालत में पेशी से छूट मिल गई. फिर भी मुख्य मजिस्ट्रेट हावर्ड रिडल ने कहा कि उसे इसी महीने कोर्ट में पेश होना होगा.

तमाम सुनवाई के बाद आखिर 24 जुलाई, 2013 को अदालत ने आदेश दिया कि श्रीन देवानी को अपनी पत्नी एनी की हत्या के मामले में साउथ अफ्रीका की अदालत में सुनवाई के लिए पेश होना होगा. अदालत का कहना था कि श्रीन देवानी काफी समय से अपना इलाज करा रहा है. अब तक वह ठीक हो गया होगा, इसलिए अब इस मामले में देर करना ठीक नहीं होगा.

श्रीन देवानी बीमारी की वजह से भले ही  साउथ अफ्रीका की अदालत में पेश नहीं हुआ था, लेकिन अदालत ने प्राप्त सुबूतों के आधार पर उसे एनी देवानी की हत्या की सुपारी देने और साजिश रचने का दोषी करार दे दिया था. अदालत का मानना था कि अब वह स्वस्थ हो चुका है, इसलिए यहां ला कर सजा सुनाने की कार्यवाही की जानी चाहिए.

अदालत श्रीन देवानी को क्या सजा देती है, यह तो उस के अदालत में पेश होने के बाद ही पता चलेगा. मजे की बात यह है कि हत्या के इस मामले में दोषियों को तो सजा मिल गई, लेकिन अभी तक यह पता नहीं चला है कि जिस पत्नी को श्रीन जान से ज्यादा प्यार करता था, उसी की जान लेने के लिए इतनी बड़ी साजिश क्यों रची?

श्रीन देवानी के कुछ दोस्तों का कहना है कि शादी के कुछ दिनों बाद ही वह एनी को ले कर अपसेट रहने लगा था. उस ने एनी के मोबाइल पर उस के किसी पुरुष मित्र का मैसेज पढ़ लिया था. शायद इसी वजह से वह परेशान था. चरित्र पर संदेह होने की वजह से ही वहां ले जा कर उस ने उस की हत्या करा दी थी.

बात कुछ भी हो,  यह साबित ही हो चुका है कि एनी की हत्या उसी ने कराई थी. इसलिए अब वह ज्यादा दिनों तक सजा से बच नहीं पाएगा.

साजिश का तोहफा – भाग 5

इस का मतलब साफ था कि रमेश और शशांक पहले ही उन्हें अपने हिसाब से सब कुछ बता चुके थे. ऐसे में उन से कुछ अच्छी उम्मीद नहीं की जा सकती थी. दूसरी ओर से फोन कट चुका था. नवीन ने भी मायूसी से रिसीवर रख दिया.

‘‘गवाही देने सोमनाथ सोलकर अदालत आ रहे हैं, यह मीडिया वालों के लिए बे्रकिंग न्यूज थी. वह बर्फ की तरह सफेद बालों वाले लंबे कद के प्रभावशाली व्यक्तित्त्व के थे. मनोज सोलकर भी अदालत में मौजूद था. उस ने अदालत के सामने सच्चाई रख कर मुकदमा जारी रखने की दरख्वास्त की. सोमनाथ सोलकर ने काफी दिलचस्पी से उस का बयान सुना. रमेश के वकील ने उस के बयान को मनगढ़ंत कहानी बताया.’’

नवीन ने सोमनाथ सोलकर को जिरह के लिए कटघरे में बुलाया. गीता पर हाथ रख कर शपथ लेते समय वह बड़ी नागवारी से नवीन को देख रहे थे. नवीन ने बड़े सधे स्वर में कहा, ‘‘मैं ने समाचार पत्रों की सहायता से आप के बारे में कुछ जानकारियां जुटाई हैं. इस के अलावा कुछ सावित्री सोलकर ने बताया है. आप की उम्र 90 साल के करीब है.’’

‘‘मैं 90 का अंक पार कर चुका हूं,’’ सोमनाथ ने कहा, ‘‘तुम मेरी उम्र को छोड़ो और जो पूछना है, वह पूछो.’’

‘‘मैं पूछने चल रहा हूं,’’ नवीन ने संयम से कहा, ‘‘आप ने 1980 में अपनी कंपनी से रिटायरमेंट लिया और अपने नाम पर इस्टीटयूट स्थापित किया. क्या यह सही है?’’

‘‘सही है.’’ सोमनाथ ने कहा.

‘‘जहां तक आप के निजी जीवन का संबंध है, आप की पत्नी को मरे काफी अरसा गुजर चुका है और आप ने उस के बाद शादी नहीं की. आप का एकलौता बेटा अनिल 1981 में हवाई जहाज की दुर्घटना में मारा गया. उस के संबंध में सुनने में आया है कि वह जालसाज था. मैं इस तकलीफ भरे विषय पर बहस नहीं करना चाहता था. लेकिन मि. रमेश ने मुझे इस बारे में जानने के लिए विवश किया है. क्या मैं पूछ सकता हूं कि उन्होंने ऐसा क्या किया था, जिस से उन्हें जालसाज बताया जा रहा है?’’

‘‘मैं इस बारे में कोई बात नहीं करना चाहता.’’ सोमनाथ ने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा.

‘‘आप का पोता आप के लिए अजनबी है, लेकिन आप ने दुनिया देखी है. आप उस की ओर देखें, वह आप को चोर और बेइमान नजर आता है,’’ नवीन ने पैंतरा बदला, ‘‘क्या आप को लगता है, वह झूठ बोल रहा है?’’

‘‘वकील अपने मुवक्किलों को तरह तरह की कहानियां रटा देते हैं.’’ सोमनाथ ने कहा. उन की बात से यही लगा कि वह किसी भी स्थिति में नरम होने को तैयार नहीं हैं.

‘‘क्या आप को यह बात विचित्र नहीं लगती कि मि. रमेश ने आप को बगैर बताए आप के पोते को इंस्टीटयूट में नौकरी पर रख लिया था?’’

रमेश और शशांक उन्हें हर बात के लिए पहले से ही तैयार कर के लाए थे सोमनाथ ने कहा, ‘‘इस की नौबत ही नहीं आई. उस के पहले ही लड़के ने खुद को चोर साबित कर दिया. अच्छा हुआ कि रमेश ने मुझे हालात से आगाह कर दिया. अब इंस्टीटयूट में गड़बड़ी सिद्ध करने की कोशिशें की जा रही हैं, ताकि एक चालाक वकील कुछ रकम कमा सके.

‘‘मैं चाहता तो अदालत में आने से मना कर सकता था, लेकिन मैं इसलिए आया हूं कि इंस्टीटयूट के बारे में किसी तरह का स्कैंडल न खड़ा हो. इंसटीटयूट में इस तरह की व्यवस्था की गई है कि किसी भी तरह से गड़बड़ी संभव नहीं है. रमेश और शशांक मेरे पुराने, विश्वसनीय और ईमानदार साथी ही नहीं हैं, बल्कि रमेश तो हमारे दूर के रिश्तेदार भी हैं.’’

सोमनाथ सोलकर ने इंस्टीटयूट के संबंध में शुरुआती इन्वेस्टमेंट, उस के गठन और अन्य आर्थिक मामलों की जानकारी देने से मना कर दिया था. नवीन को मालूम था कि इंस्टीटयूट एक ट्रस्ट की देखरेख में काम कर रहा था. शहर में वकीलों की 4 ही ऐसी फर्में थीं, जो ट्रस्टों के गठन के लिए नियमावली आदि तैयार करती थीं. ऐसे में यह मालूम करना मुश्किल नहीं था कि किस फर्म ने इंस्टीटयूट के गठन की रूपरेखा तैयार की थी. इस के बाद उस फर्म से उस के कागजातों की कापी अदालत में पेश कराई जा सकती थी.

नवीन ने 2 घंटे के लिए जज से अदालती कार्यवाही स्थगित करा ली. रमेश ने बहुत शोर मचाया कि विपक्षी वकील विभिन्न बहानों से मुकदमे की कार्यवाही लंबी खींच रहा है. लेकिन जज ने मुकदमे के महत्त्व को देखते हुए नवीन की मांग मान ली थी.

दोबारा मुकदमे की कार्यवाही लंच के बाद शुरू हुई. अदालत में मौजूद लोगों के मन में एक अजीब सी बेचैनी थी कि पता नहीं क्या होने वाला है. नवीन ने ठाकुर ट्रस्ट कंपनी के अधिकारी को पेश कर के कहा, ‘‘इन्हीं की फर्म की देखरेख में इंस्टीटयूट चल रहा है. इन्हीं के पास इंस्टीटयूट में निवेश से संबंधित सारे कागजात हैं, जिन्हें अदालत में पेश करने या किसी वकील को निरीक्षण के लिए देने में मुझे कोई हर्ज नहीं लगता, क्योंकि यह कोई चोरी का काम नहीं है. ट्रस्ट एक तरह से जनता की संपत्ति होती है.’’

इस के बाद नवीन ने उस आदमी की फाइल से एक पेपर ले कर सोमनाथ सोलकर को दूर से दिखाते हुए कहा, ‘‘इस पेपर के अनुसार आप ने शुरू में निवेश के तौर पर ठाकुर ट्रस्ट कंपनी को 100 करोड़ रुपए दिए थे, ताकि इंस्टीटयूट को स्थापित किया जा सके.’’

नवीन ने देखा, वकील शशांक का चेहरा कुछ बदला बदला सा लग रहा था, जिसे वह छिपाने की कोशिश कर रहा था. अब उस का प्रतिरोध भी कुछ कम हो रहा था. वह चिल्लाया, ‘‘मुझे आपत्ति है यो रऔनर, मौजूदा केस से इस ट्रस्ट का कोई संबंध नहीं है.’’

‘‘अदालत इस बारे में बहस करने का आदेश दे चुकी है.’’ जज ने कहा.

नवीन ने उस कागज को पढ़ते हुए कहा, ‘‘इस में लिखा है कि निश्चित समय पर ट्रस्ट की आमदनी की रिपोर्ट मि. सोमनाथ सोलकर को दी जाती रहेगी. इस के अलावा इस से भी महत्त्वपूर्ण यह है कि सोमनाथ सोलकर जब भी चाहेंगे, किसी भरोसेमंद व्यक्ति के माध्यम से ट्रस्ट की शर्तों, प्रबंधन या इंस्टीटयूट को चलाने के तरीके के बारे में कोई भी बदलाव कर सकेंगे.’’

इस के बाद नवीन ने सोमनाथ सोलकर की ओर देखते हुए कहा, ‘‘क्या आप के वकील मि. शशांक ने इस बारे में कभी आप को कुछ बताया था?’’

‘‘यह मेरा आपस का मामला था’’ सोमनाथ सोलकर ने सख्ती से कहा.

अय्याशी में डबल मर्डर : होटल मालिक और गर्लफ्रेंड की हत्या – भाग 3

रवि ठाकुर ममता की मजबूरी का फायदा उठाते हुए आए दिन उसे अपनी हवस का शिकार बनाने लगा था. जब ममता उस की हरकतों से परेशान हो गई तो उस ने यह बात एक दिन अपने पति को यह बात बता दी.

यह बात सुनते ही नितिन बौखला उठा. इस जानकारी के बाद नितिन और ममता के बीच काफी मनमुटाव भी पैदा हो गया था. जिस के कारण कई दिनों तक दोनों के बीच लड़ाई झगड़ा भी हुआ था.

ममता ने पति को यह भी बता दिया कि इस सब की जिम्मेदार सरिता ठाकुर ही है. उसी ने उस के साथ संबंध बनाने के लिए उसे मजबूर किया था. इस के बाद नितिन और ममता उस से पीछा छुड़ाने के लिए किसी रास्ते की तलाश में लग गए. रास्ता भी ऐसा कि जिस से उन्हें रवि का पैसा भी न देना पड़े और उस से हमेशा हमेशा के लिए पीछा भी छूट जाए.

सलाह मशविरा के बाद दोनों ने सरिता ठाकुर और रवि ठाकुर को मौत के घाट उतारने का फैसला कर लिया. प्लानिंग के लिए उन्होंने करीब एक महीने तक क्राइम सीरियल देखे. तब पतिपत्नी दोनों ने मिल कर दोनों को मौत के घाट उतारने की योजना बनाई. फिर वह उसी योजना के तहत रवि ठाकुर के फोन आने का इंतजार करने लगे.

सरिता के घर पहुंच कर ममता और उस के पति ने क्या किया

9 दिसंबर, 2023 को रवि ठाकुर ने ममता को फोन कर होटल आने के लिए कहा. इस पर ममता ने कह दिया, ”मैं आज आप के होटल पर नहीं आ सकती. अगर आप को आना है तो आप सरिता ठाकुर के घर आ जाना.’’

सरिता ठाकुर के घर जाने में रवि को कोई परेशानी वाली बात नहीं थी. उस के बाद रवि ठाकुर ने ममता से कह दिया कि ठीक है, वह सरिता के घर पर ही पहुंच जाएगा.

उसी वक्त ममता ने सरिता को फोन कर बता दिया कि रवि ठाकुर और मैं आप के घर आने वाले हैं. यह बात सुनते ही सरिता ठाकुर ममता और रवि ठाकुर के आने का इंतजार करने लगी. उस वक्त सरिता का पति ऋषि भी किसी काम से बाहर गया हुआ था.

दोनों की हत्या की योजना बनाने के बाद ममता अपने पति नितिन को साथ ले कर सरिता के घर पहुंची, लेकिन ममता के साथ उस के पति नितिन को देख कर उसे कुछ हैरानी भी हुई.

सरिता ने ममता को एक तरफ बुला कर उस के पति के आने का कारण पूछा तो उस ने बताया कि वह किसी काम से बाहर जा रहे थे. फिर बोले कि मुझे भी उधर ही जाना है. वह मुझे छोडऩे के लिए ही आए हैं.

यह जानकारी मिलते ही सरिता ठाकुर दोनों के लिए चाय बनाने के लिए किचन में चली गई. सरिता ठाकुर के किचन में जाते ही नितिन ने उस के घर का दरवाजा अंदर से बंद कर दिया. उस के बाद उस ने उस के घर में ही रखी तलवार से सरिता ठाकुर की हत्या कर दी.

सरिता की हत्या करने के बाद ममता ने दरवाजे पर लगा कुंदा खोल दिया. उस के बाद नितिन सरिता के अंदर वाले कमरे में छिप गया. उस के बाद जैसे ही रवि ठाकुर सरिता के घर पर पहुंचा तो ममता ने फिर से सरिता के घर का बाहर वाला दरवाजा अंदर से बंद कर दिया.

उस के बाद उस ने रवि ठाकुर को बाहर वाले कमरे में ही रोक लिया. रवि ठाकुर ने उस वक्त सरिता के बारे में पूछा तो ममता ने कहा कि सरिता दीदी बहुत ही चालाक हैं, वह बाजार का बहाना बना कर इसलिए चली गई, ताकि हम दोनों खुल कर मौजमस्ती कर सकें.

इतना कहते ही ममता ने रवि बाबू पर अपना प्यार दिखाते हुए उस के होंठों पर एक जोरदार किस कर दी. आप चिंता न करें, वह इतनी जल्दी घर वापस आने वाली नहीं.

इतना कहने के बाद ही ममता ने रवि ठाकुर को अपनी आगोश में ले लिया. फिर वह रवि ठाकुर के साथ अश्लील हरकतें करने लगी. जिस के बाद ममता को अकेला पा कर रवि ठाकुर भी उस के साथ संबंध बनाने के लिए बैचेन हो उठा था.

हत्या करने के बाद ममता ने सरिता की बेटी को क्या मैसेज भेजा

रवि ठाकुर के कामुक होते ही ममता ने उस के कपड़े उतार दिए. उस के बाद रवि ठाकुर ने भी उस से कपड़े उतारने को कहा तो उस ने कहा कि उसे आप के सामने कपड़े उतारते हुए शर्म आती है. यह कहते ही ममता ने रवि ठाकुर की आंखों पर पट्टी बांध दी.

रवि ठाकुर की आंखों पर पट्टी बांधते ही नितिन तलवार ले कर आया और सामने खड़े रवि पर ताबड़तोड़ बार कर दिए. जिस के तुरंत बाद उस की भी मौके पर ही मौत हो गई.

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हत्यारे ममता और नितिन 

सरिता ठाकुर और रवि ठाकुर की हत्या करने के बाद ममता और नितिन ने दोनों को एक ही कमरे में ले जा कर डाल दिया. उन्होंने सरिता के भी कपड़े उतार कर नग्न कर दिया था. उस के बाद ममता ने ही सरिता के मोबाइल से उस की बेटी को मारने का मैसेज भेज दिया था. ताकि उस की बेटी को उन पर किसी तरह का कोई शक न हो.

दोनों को बेरहमी से खत्म करने के बाद पतिपत्नी ने वहां पर फैले खून को साफ करने की कोशिश की. उस के बाद दोनों उस के कमरे से निकल कर बाहर से दरवाजा बंद करने के बाद आटो से फरार हो गए.

ममता ने रवि ठाकुर और सरिता का मोबाइल भी अपने पास रख लिए थे. अपने घर पहुंचते ही दोनों ने अपने पहने कपड़े जला दिए.

इस हत्याकांड के खुलासे के बाद पुलिस ने आरोपियों की निशानदेही पर आरोपियों के जले कपड़े और दोनों मृतकों के कपड़े के साथसाथ हत्या में प्रयुक्त तलवार भी बरामद कर ली.

—कथा लिखने तक पुलिस मामले की तफ्तीश कर रही थी.

साजिश का तोहफा – भाग 6

अदलत में मौजूद हर आदमी उत्सुक था, जबकि नवीन को अपनी मेहनत बेकार जाती महसूस हो रही थी. उन्होंने महसूस किया कि सोमनाथ सोलकर पर उन के सवालों का कोई असर नहीं हो रहा है.

उन्होंने वह कागज हवा में लहराते हुए भावनात्मक लहजे में कहा, ‘‘मि. सोमनाथ, इंस्टीटयूट की स्थापना का निर्णय आप का एक महान कार्य था, इस के पीछे आप की नेक भावना थी. यही वजह थी, उस समय आप ने 100 करोड़ रुपए का निवेश किया. लेकिन जो लाइन मैं ने पढ़ी है, उस के शब्दों के महत्त्व का आप अंदाजा नहीं लगा सके. उस लाइन को स्वीकार कर के वास्तव में आप ने 2 साजिश करने वालों को अपनी नेक भावना से खेलने की इजाजत दे दी. आप को लगता नहीं कि आप से भी गलती हो सकती है, आप को भी तो कोई मूर्ख बना सकता है?’’

नवीन ने कागज सोमनाथ के सामने रख कर कहा, ‘‘एक बार फिर आप इसे ध्यान से पढि़ए और उस के अर्थ व उद्देश्य की तह तक पहुंचने की कोशिश कीजिए.’’

तभी शशांक ने उन के पास आ कर कहा, ‘‘विश्वास कीजिए मि. सोमनाथ, इस में चिंता की ऐसी कोई बात नहीं है, ये सभी बातें हम ने आपस में सलाह कर के तय की थीं.’’

सोमनाथ सोलकर के चेहरे के भाव बदल गया. उन्होंने अपने वकील को घूरते हुए कहा, ‘‘शायद तुम मुझे इसे पढ़ने से रोकने की कोशिश कर रहे हो?’’

उन्होंने बड़े ही ध्यान से उस लाइन को पढ़ा. इस के बाद नवीन की ओर देखते हुए थोड़ी नरमी से कहा, ‘‘मुझे तो बताया गया था कि ट्रस्ट को सही ढंग से चलाने के लिए यह लाइन बहुत जरूरी है. बहरहाल मैं ने कभी ऐसे किसी पेपर पर हस्ताक्षर नहीं किए, जिस से ट्रस्ट की शर्तों और नियमों या दूसरे मामलों में कोई भी परिवर्तन लाया जा सके.’’

‘‘हो सकता है, आप ने अनजाने में ऐसे किसी कागज पर हस्ताक्षर कर दिए हों.’’ नवीन ने कहा. उन का दिमाग तेजी से काम कर रहा था. उन्हें विश्वास था कि रमेश ओर शशांक के पास ऐसा कोई कागज जरूर मौजूद था, जिस का फायदा वे सोमनाथ सोलकर के जीवन में भले नहीं उठा सकते थे, लेकिन उन की मौत के बाद उन्हें फायदा हो सकता था. शायद इसीलिए वे उन की मौत का इंतजार कर रहे थे. अब वह कौन सा कागज हो सकता था.

‘‘क्या आप ने मि. शशांक से अपना कोई वसीयतनामा तैयार कराया है?’’ नवीन ने अचानक पूछा.

‘‘हां, मैं अपना मकान और कुछ रकम रमेश के नाम छोड़ना चाहता था. मेरे विचार से वह इस का अधिकारी भी है. वसीयतनामा शशांक ही तैयार कर के लाया था और वह उसी के पास रखा भी है. उस में वही कुछ लिखा है, जो मैं चाहता था.’’

‘‘आप को याद होगा कि वह वसीयत औपचारिक अंदाज में शुरू हुई होगी कि अगर कोई कर्ज हो तो उसे अदा कर दिया जाए, फलां नौकर को यह दे दिया जाए. इस तरह की छोटी छोटी और कम महत्त्व की बातें शुरू में लिखी गई होंगी?’’ नवीन ने पूछा.

‘‘हां, शायद कुछ इसी तरह लिखा था.’’ सोमनाथ सोलकर अपने दिमाग पर जोर डालते हुए बोले, ‘‘और मकान आदि रमेश के नाम करने का जिक्र अंत में था. लेकिन यह सब भी उसी पहले पेज पर था.’’

‘‘योर औनर, अदालत को उस वसीयत को एक नजर जरूर देखना चाहिए.’’ नवीन ने कहा, ‘‘संभव है, वसीसयतनामे का पहला पेज बदल दिया गया हो. क्योंकि वसीयत करने वाले और गवाहों के हस्ताक्षर आमतौर पर अंतिम पेज पर होते हैं.’’

‘‘मुझे आपत्ति है, योरऔनर.’’ शशांक ने बैठी बैठी सी आवाज में कहा. उस का चेहरा सफेद पड़ चुका था. वह सोमनाथ सोलकर की ओर देख कर दयनीय स्वर में बोला, ‘‘मैं आप को विश्वास दिलाता हूं मि. सोमनाथ…’’

लेकिन सोमनाथ ने उस की बात को बीच में ही काट कर कहा, ‘‘मैं वह वसीयतनामा देखना चाहता हूं.’’

नवीन ने जल्दी से कहा, ‘‘मुझे पूरा विश्वास है कि वसीयतनामा का पहला पेज बदला जा चुका है. इसीलिए रमेश और शशांक मनोज सोलकर के इंस्टीटयूट में आने जाने से डर गए थे, क्योंकि मि. सोमनाथ इंस्टीटयूट के मुआयने पर आते रहते थे.

इन दोनों महानुभावों को लगा कि अगर कहीं दादा पोते की मुलाकात हो गई और उन के संबंध सुधर गए तो मि. सोमनाथ सोलकर उसे अपनी वसीयत में शामिल करने के लिए वसीयत निकलवा सकते हैं. उस के बाद वह वसीयतनामा बेकार हो जाता और जिस जालसाजी के सहारे रमेश और शशांक जीवन गुजार रहे थे, वह किसी काम की न रहती. अब मैं मि. रमेश से कहूंगा कि वह उठ कर अदालत को असलियत बताएं.’’

रमेश अपने स्थान से उठा तो उस का चेहरा सफेद पड़ चुका था, जो बिना कहे ही सारी सच्चाई कह रहा था. वह मरियल सी आवाज में बोला, ‘‘मैं सम्मानित जज महोदय से अकेले में कुछ बात करना चाहता हूं, क्योंकि सब के सामने कहने लायक मेरे पास अब कुछ नहीं बचा है.’’

‘‘मुझ से कहने सुनने से कुछ नहीं होगा. तुम लोगों ने जो साजिश रची है, उस से अब तुम्हें मि. सोमनाथ और मनोज ही बचा सकते हैं. इसलिए जो कुछ कहना है, उन्हीं से कहो.’’ जज ने कहा.

‘‘काम तो इन लोगों ने जेल भिजवाने वाला किया है, लेकिन रमेश ने मेरी बहुत सेवा की है. भले ही लालच में की है, लेकिन की तो है ही, इस के अलावा वह मेरा रिश्तेदार भी है. इसलिए इस के गुनाहों की सिर्फ यही सजा है कि यह अपने पद से इस्तीफा दे कर चुपचाप इंस्टीट्यूट छोड़ दे. उसी के साथ यह ठाकरे भी अपना इस्तीफा सौंप दे.’’ सोमनाथ सोलकर ने कहा.

अब कहने सुनने को कुछ रह ही नहीं गया था, इसलिए इस के बाद अदालत उठ गई.

शाम को नवीन के घर पर एक प्रेस कांफे्रंस आयोजित की गई, जिस में सोमनाथ सोलकर बहू और पोते के साथ सोमनाथ सोलकर भी मौजूद थे. बहू और पोते के साथ वह काफी प्रसन्न नजर आ रहे थे. संवाददाताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मुझे आज पता चला है कि अपने बेटे की मौत के बाद मैं ने उस की विधवा और अपने पोते के साथ कितना अत्याचार किया है. लेकिन रमेश ने मेरी आंखों पर ऐसी पट्टी बांध दी थी कि मैं असलियत देख ही नहीं पाया.

वह मेरी इलेक्ट्रिक कंपनी में कैशियर था. कुछ जाली चैक दिखा कर वह यह विश्वास दिलाने में सफल हो गया था कि वह जालसाजी अनिल द्वारा की गई थी. तब तक अनिल मर चुका था, इसलिए असलियत सामने नहीं आ सकी थी.

‘‘उस का सोचना था कि बेटे से विमुख होने के बाद मैं उसे अपना वारिस बना लूंगा. लेकिन जब उस ने देखा कि मैं ने अपनी ज्यादातर संपत्ति से इंस्टीटयूट स्थापित कर दिया है और उसे ट्रस्ट के अंतर्गत कर दिया है तो उस ने शशांक के साथ मिल कर इंस्टीटयूट को ही नहीं, मेरी मौत के बाद सारी चलअचल संपत्ति ही हड़प लेने की योजना बना डाली.

‘‘लेकिन संयोग से नवीन करमाकर, जिन्होंने अपनी इज्जत दांव पर लगा कर वीच आए तो न केवल इस साजिश का पर्दाफाश किया, बल्कि मुझे मेरी बहू और पोते से भी मिलवा दिया. अब मैं शायद उन ज्यादतियों की कुछ भरपाई कर सकूंगा, जो मैं ने इन के साथ की हैं.’’

हनीमून पर दी हत्या की सुपारी – भाग 2

एनी का जन्म स्वीडन के मेरिस्टाड शहर में हुआ था. इस के पहले उस का परिवार युगांडा में रहता था. लेकिन जब युगांडा में ईदी अमीन का शासन हुआ तो उस ने एशियाई लोगों को युगांडा छोड़ने पर मजबूर कर दिया था. सभी को स्वीडन के मेरिस्टाड शहर भेज दिया गया था. तभी एनी का परिवार भी वहां आ गया था. यहीं एनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर के नौकरी कर रही थी.

सारी जानकारी जुटा कर श्रीन के घर वाले एनी के घर रिश्ता मांगने पहुंचे तो उस के घर वालों को जैसे विश्वास ही नहीं हुआ. रिश्ता खुद उन के घर चल कर आया था. वे लोग भी उन्हीं की तरह भारतीय मूल के थे. आर्थिक स्थिति भी बेहतर थी.

लड़का सुंदर और सुशील होने के साथ व्यवसाय में लगा था. कोई ऐब भी नहीं था. इस सब के अलावा सब से बड़ी बात यह थी कि लड़का और लड़की एकदूसरे को प्यार करते थे. इसलिए न करने का सवाल ही नहीं था.

दोनों परिवारों की सहमति पर शादी तय हो गई. इस के बाद पेरिस के होटल रिट्ज में रिंग सेरेमनी हो गई. चूंकि दोनों परिवार भारतीय मूल के थे, उन के अधिकतर रिश्तेदार भारत में रहते थे, इसलिए तय हुआ कि शादी वे भारत में करेंगे. शादी का दिन और जगह भी तय कर ली गई.

29 अक्तूबर, 2010 को बाहरी मुंबई के लेक पोवई रिसौर्ट में हिंदू रीतिरिवाजों से श्रीन और एनी शादी के पवित्र बंधन में बंध गए. श्रीन के अरमानों की डोली में बैठ कर एनी लंदन आ गई. शादी की खुशी में यहां भी दोस्तों और परिचितों के लिए एक पार्टी आयोजित की गई.

एनी हिंडोचा अब एनी देवानी बन गई. एनी हनीमून मनाने साउथ अफ्रीका जाना चाहती थी, जबकि श्रीन पश्चिम के किसी देश जाना चाहता था. कई दिनों तक दोनों में इसी विषय पर चर्चा होती रही. लेकिन दोनों ही अपनी जिद पर अड़े थे.

एनी साउथ अफ्रीका घूमना चाहती थी, जबकि श्रीन इस के लिए तैयार नहीं था. वह यह जरूर कह रहा था कि फिर कभी वह उसे साउथ अफ्रीका घुमा लाएगा. लेकिन अचानक श्रीन का मन बदल गया.

उस ने साउथ अफ्रीका जाने के लिए हां कर करते हुए कहा, ‘‘मैं तुम्हें इतना प्यार करता हूं कि इस छोटी सी बात के लिए तुम्हें निराश नहीं कर सकता. और फिर फर्क ही क्या पड़ता है, हनीमून पश्चिम के किसी देश में मनाया जाए या साउथ अफ्रीका में.’’

नवंबर के दूसरे सप्ताह में हनीमून पर जाने की तैयारी हो गई. 11 नवंबर को दोनों साउथ अफ्रीका के केपटाउन पहुंच गए. कमरे वगैरह पहले से ही बुक थे, इसलिए उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई. अगले दिन सुबह तैयार हो कर श्रीन कहीं जाने लगा तो एनी ने कहा, ‘‘अकेलेअकेले कहां जा रहे हो?’’

‘‘पता करने जा रहा हूं कि यहां कौन कौन सी जगह घूमने लायक है. फिर टैक्सी का भी तो इंतजाम करना होगा. मैं सब पता कर के कुछ देर में आता हूं.’’ कह कर श्रीन चला गया. श्रीन ने लौट कर बताया कि कल सुबह ही टैक्सी आ जाएगी. टैक्सी ड्राइवर अच्छा मिल गया है. वही गाइड का भी काम करेगा. उसे अंगरेजी अच्छी आती है.

13 नवंबर, 2010 को 10 बजे के आसपास श्रीन एनी को ले कर होटल से निकला. टैक्सी गेट पर खड़ी थी. टैक्सी ड्राइवर था जोला टोंगो. वह वहीं का रहने वाला था.

पूरा दिन टोंगो श्रीन और एनी को घुमाता रहा. रात का खाना भी उन लोगों ने बाहर ही खाया. वे काफी दूर निकल गए थे. लौटते समय रात 11 बजे के करीब उन की टैक्सी केपटाउन से 5-6 किलोमीटर दूर टाउनशिप गुगुलेथू से गुजर रही थी तो 2 लोगों ने अचानक सामने आ कर टैक्सी रोक ली.

एनी ने जोला टोंगो से कहा भी कि इतनी रात को गाड़ी रोकना ठीक नहीं है. पता नहीं ये लोग कौन हैं. लेकिन उस ने उस की बात नहीं मानी और गाड़ी रोक दी.

टोंगो ने शीशा खोल कर जानना चाहा कि उन्होंने गाड़ी क्यों रुकवाई है तो दोनों में से एक व्यक्ति ने ड्राइवर टोंगो की कनपटी से रिवाल्वर सटा कर टैक्सी से नीचे आने को कहा. टोंगो चुपचाप नीचे आ गया. पीछे की सीट पर बैठे एनी और श्रीन हैरान परेशान थे.  डर के मारे एनी की तो आवाज ही नहीं निकल रही थी.

टोंगो के उतरने के बाद रिवाल्वर सटाने वाला आदमी ड्राइविंग सीट पर बैठ गया तो उस का साथी उस की बगल वाली सीट पर बैठ गया. दोनों ने अपनी भाषा में कुछ बात की और फिर ड्राइवर की बगल वाली सीट पर बैठे व्यक्ति ने एनी और श्रीन की ओर रिवाल्वर तान कर कहा, ‘‘चुपचाप बैठे रहना. अगर शोर मचाया तो गोली मार दूंगा.’’

एनी एवं श्रीन और ज्यादा डर गए. ड्राइवर जोला टोंगो को वहीं छोड़ कर टैक्सी चल पड़ी. टैक्सी हरारे पहुंची तो श्रीन को सड़क पर फेंक कर टैक्सी फिर आगे बढ़ गई. श्रीन किसी तरह नजदीकी पुलिस स्टेशन पर पहुंचा और एनी के अपहरण की सूचना दी.

पुलिस तुरंत हरकत में आ गई. 14 नवंबर, 2010 की सुबह टैक्सी वेस्ट लिंगेलिथ में लावारिस हालत में खड़ी मिली. टैक्सी की पिछली सीट पर एनी देवानी की लाश पड़ी थी. उस की गरदन में गोली मारी गई थी. सीने और जांघों पर खरोंच के निशान थे. ऊपर का कपड़ा कमर तक उठा हुआ था और अंडरवियर घुटनों के नीचे तक खिसकी हुई थी.

वेस्टर्न केप पुलिस ने अपहरण, डकैती और हत्या का मामला दर्ज कर लिया. मामला विदेशी पर्यटक से जुड़ा था, इसलिए वेस्टर्न के विनिस्टर एल्बर्ट फ्रिटज ने लोगों से अपील की कि अगर कोई इस हत्या के बारे में कोई जानकारी दे सकता है तो आगे आ कर पुलिस की मदद करे. पुलिस को भी त्वरित काररवाई के आदेश दिए गए थे.

मामला काफी संगीन था. पुलिस ने अपनी पूरी ताकत लगा दी. परिणामस्वरूप तीसरे दिन 16 नवंबर को पुलिस ने एक आदमी को गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में उस ने खुद को निर्दोष बताते हुए 26 वर्षीय जोलाइल मंगेनी पर शक जाहिर किया. इस के बाद उस की निशानदेही पर 17 नवंबर को जोलाइल मंगेनी को गिरफ्तार कर लिया गया.

जोलाइल मंगेनी से पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तो उस ने अपना अपराध स्वीकार करते हुए बताया कि उसी ने गोली चला कर एनी देवानी की हत्या की थी. इस वारदात में टैक्सी ड्राइवर जोला टोंगो और मजिवामाडोडा क्वेब भी शामिल था. जोला टोंगो के कहने पर ही उस ने और मजिवामाडोडा क्वेब ने एनी की हत्या की थी. इस के लिए उन्हें मोटी रकम दी गई थी.

साजिश का तोहफा – भाग 3

अदालत में मौजूद सभी लोगों की नजरें नवीन पर जम गईं. सभी उन्हें शक की नजरों से देख रहे थे. नवीन के लिए अब यह मामला मनोज की ही नहीं, अपनी भी इज्जत का सवाल बन गया था.

उस ने रमेश गायकवाड़ को कठघरे में बुला कर जिरह शुरू की, ‘‘क्या यह सही नहीं है कि मनोज सोलकर को इंस्टीटयूट में आते जाते देख कर आप ने खुद नौकरी के लिए औफर दिया था? क्या आप इस वास्तविकता से परिचित नहीं थे कि वह संस्था के संस्थापक सोमनाथ सोलकर का पोता है?’’

‘‘जी हां, इसीलिए तो मैं ने औफर दी थी. किसी छोटे मोटे झगड़े की वजह से दादा पोते एक दूसरे से दूर हो गए थे, इसलिए मैं ने सोचा कि यहां आने पर दोनों कभी मिल सकते हैं. लेकिन वह तो चोर निकला.’’

इस के बाद लंबी सांस ले कर उस ने घटना के बारे में बताना शुरू किया, ‘‘एक दिन मेरे पास आ कर उस ने कहा कि वह शादी कर रहा है. मैं ने उसे मुबारकबाद देने के साथ एक सप्ताह की छुट्टी दे दी. उसी बीच एक जरूरी काम से मैं औफिस से 1-2 मिनट के लिए बाहर जाना पड़ा. जरूरत के लिए कुछ रकम हमारे औफिस की तिजोरी में पड़ी रहती है. मैं वापस आया तो वह काफी घबराया हुआ लग रहा था.

उस समय मैं ने ध्यान नहीं दिया. लेकिन अगले दिन रकम गिनी तो उस में 10 हजार रुपए कम निकले. तब मेरा ध्यान मनोज पर गया. उस की घबराहट से मुझे लगा कि वह रकम उसी ने ली है, इसीलिए वह परेशान था.’’

‘‘तुम ने उसे चोरी में फंसाने के लिए तिजोरी खुली छोड़ी थी. जबकि 10 हजार रुपए तुम ने खुद उसे यह कह कर दिए थे कि संस्थान की परंपरा है कि कर्मचारी की शादी पर रुपए उपहार में देता है.’’

‘‘यह झूठ है,’’ रमेश ने थोड़ी ऊंची आवाज में कहा, ‘‘मनोज हनीमून से वापस आया तो मैं ने उसे बताया कि उस की चोरी पकड़ी जा चुकी है. अपनी हरकत की वजह से वह जेल जा सकता है. लेकिन अगर वह चोरी की गई रकम वापस कर दे तो मैं उस के खिलफ कोई कारर्रवाई नहीं करूंगा. उस ने भी यही बात कह कर बरगलाने की कोशिश की थी, जो आप कह रहे हैं. फिर भी उस ने 10 हजार रुपए भिजवा दिए. अब ऐसे आदमी को कौन नौकरी पर रखेगा, मैं ने भी उसे नौकरी से निकाल दिया.’’

‘‘योर औनर, हकीकत यह थी कि इन लोगों को इस बात का डर सता रहा था कि कहीं दादा और पोते की मुलाकात हो गई और फिर उन में मेलजोल हो गया तो…?’’ नवीन ने कहा, ‘‘लेकिन इस डर का भी कोई न कोई आधार होगा? यह आदमी इंस्टीटयूट में सब से बड़े पद पर आसीन है और यह काला सफेद कुछ भी कर सकता है. मुझे लगता है कि इंस्टीटयूट में जरूर कोई गड़बड़ी हो रही है. इसलिए मैं दरख्वास्त करता हूं कि इंस्टीटयूट के आर्थिक और इंतीजामी मामलों की कायदे से जांच कराई जाए.’’

इस पर इंस्टीटयूट के कानूनी सलाहकार शशांक ठाकरे ने कहा, ‘‘माननीय अदालत को यह बताना जरूरी है कि हर साल इंस्टीटयूट का एकाउंटस सही समय पर आडिट कराया जाता है. इसी के साथ यह भी बता दूं कि पिछले कई सालों से रमेशजी इंस्टीटयूट को कायदे से चला रहे हैं. आज तक इन पर कोई दाग नहीं लगा है. इन का रहन सहन भी अपनी आमदनी के हिसाब से ही है.’’

इस जिरह से इस मुकदमे में जान तो पैदा हो गई थी, लेकिन न्यायाधीश ने यह कहते हुए इंस्टीटयूट के खातों की जांच कराने से मना कर दिया कि वह जरा से संदेह पर इंस्टीटयूट के एकाउंटस की जांच और उस के मामलों में दखल देने की इजाजत नहीं दे सकते.

बहरहाल, नवीन ने कुछ तर्क दे कर अगले दिन सुनवाई के लिए न्यायाधीश को तैयार कर लिया. उन्होंने वादा किया कि कल वह मनोज को अदालत में अवश्य पेश करेंगे. उन की पत्नी अवंतिका को पूरा विश्वास था कि मनोज लोनावाला में अपनी मां के पास गया होगा. अगर वहां नहीं हुआ तो उस की मां को जरूर मालूम होगा कि वह कहां है.

मनोज सचमुच मां के यहां ही था. नवीन और आवंतिका को वहां देख कर वह हैरान रह गया था. पहले तो उस का मन हुआ था कि वह उन से मिले ही न. लेकिन उसे लगा कि एक गलती तो उस ने पहले ही की है. अब उन से मुंह छिपा कर दोबारा गलती करना ठीक नहीं है. वह शर्मिंदा तो था ही, फिर भी मिला.

लेकिन नवीन और अवंतिका उस से जिस तरह मिले थे, उस से उस की सारी झिझक और शर्मिंदगी दूर हो गई थी. उन्हें अंदर ला कर उस ने अपनी मां का परिचय कराया. मां के बालों में भले ही सफेदी झलक रही थी, मगर वह अब भी एक आकर्षक व्यक्तित्व की स्वामिनी थीं. उन का नाम सावित्री सोलकर था.

स्वाति भी आ गई थी. सावित्री अभी तक मनोज के हालात से अनजान थीं. जब नवीन ने उन्हें सारी बात बताई तो लंबी सांस लेते हुए उन्होंने कहा, ‘‘इसे देख कर ही मुझे लग रहा था कि यह मुझ से कुछ छिपा रहा है.’’

इस के बाद नवीन ने मनोज की ओर देखते हुए कहा, ‘‘तुम्हारे चले आने के बावजूद मैं ने तुम्हारे पत्र के आधार पर अदालती काररवाई शुरू करा दी है, क्योंकि मुझे पूरा विश्वास है कि वह पत्र तुम ने अपनी मर्जी से नहीं लिखा था.’’

अय्याशी में डबल मर्डर : होटल मालिक और गर्लफ्रेंड की हत्या – भाग 2

पुलिस कैसे पहुंची हत्यारों तक

सरिता ठाकुर इंदौर में ही एक ब्यूटीपार्लर चलाती थी. सरिता ठाकुर का ब्यूटीपार्लर भी ठीकठाक चलता था. ब्यूटीपार्लर चलाने के दौरान उस के पास हर तरह की महिलाएं आती थीं. यही कारण था कि सरिता ठाकुर अधिकांश महिलाओं की कुंडली भलीभांति जानती थी.

सरिता ठाकुर और रवि ठाकुर के बीच काफी समय से प्रेम प्रसंग चला आ रहा था. उसी के चलते सरिता रवि ठाकुर के पैसे से मालामाल हो गई थी. यही कारण था कि सरिता ठाकुर हर वक्त रवि ठाकुर के लिए कुछ भी करने को तैयार रहती थी.

रवि ठाकुर काफी पैसे वाला था. अपना पैसा वह ब्याज पर भी देने का काम करता था. इस सब में सरिता ठाकुर की ही भागीदारी होती थी. वही उस के लिए ऐसे ग्राहक ढूंढ कर लाती थी, जिन्हें पैसों की जरूरत होती थी.

सरिता ठाकुर के पास हर रोज ऐसी कई महिलाएं आती थीं, जिन्हें पैसों की सख्त जरूरत होती थी. उस के बाद सरिता उन को रवि ठाकुर के पास ले जा कर उस से मिलवाती और फिर उसे उस की जरूरत के हिसाब से उसे पैसा दिलवाती थी. उस पैसे की वापसी की जिम्मेदारी भी सरिता ठाकुर की ही होती थी.

अगर कोई महिला उस का पैसा नहीं लौटा पाती तो वह उसे अपने होटल पर बुलाता और फिर उस की मजबूरी का फायदा उठा कर उस के साथ अवैध संबंध बना लेता था. वह इसी धंधे के सहारे अपनी मनमाफिक महिलाओं के साथ अवैध संबंध बना कर अपनी हवस को मिटाने लगा था.

धीरेधीरे रवि ठाकुर और सरिता ठाकुर के बीच बने संबंध इतने मजबूत हो गए थे कि वह अपने घर भी बहुत ही कम जाता था. उस का सरिता के पास ही ज्यादातर आनाजाना था. सरिता ने अशोक नगर में एक 3 मंजिला मकान में ऊपर का फ्लोर ले रखा था. वह अधिकांश रातें उसी के पास गुजारता था.

सरिता ठाकुर रवि के पास क्यों लाती थी नईनई महिलाएं

ममता देवी भी सरिता ठाकुर की जानपहचान की थी. उस की जानपहचान भी उसी के ब्यूटीपार्लर में हुई थी. सरिता ठाकुर का व्यवहार ममता को बहुत ही अच्छा लगा था. यही कारण था कि कुछ ही दिनों में दोनों में अच्छी दोस्ती हो गई.

उसी दौरान ममता को किसी काम के लिए कुछ पैसों की जरूरत आ पड़ी. उस के लिए उस ने सरिता से जिक्र किया तो सरिता ने कहा, ”बहन, तुम्हें मेरे होते परेशान होने की जरूरत नहीं. तुम्हें जितने पैसे चाहिए, मैं उस की व्यवस्था करा दूंगी.’’

उस के बाद वह एक दिन टाइम निकाल कर उसे साथ ले कर रवि ठाकुर के होटल पहुंची. ममता देखने भालने में सुंदर थी. उस को देखते ही रवि ठाकुर उस की खूबसूरती पर मर मिटा.

सरिता ने रवि ठाकुर से ममता का परिचय कराया. उस के बाद सरिता के कहने पर उस ने उसे कुछ रुपए उधार दे दिए. ममता को पैसे देते वक्त रवि ठाकुर ने उस का मोबाइल नंबर भी ले लिया था.

ममता के मोबाइल लेने के बाद रवि ठाकुर उसे टाइम बेटाइम फोन करता रहता था. जिस के कारण ममता भी खुश थी कि कई होटलों का मालिक होते हुए भी रवि उसे फोन कर उस की खैर खबर लेता रहता है, जिस के कारण ममता भी उस पर बहुत विश्वास करने लगी थी.

उसी विश्वास के चलते एक दिन रवि ठाकुर ने ममता को अपने होटल में बुलाया और उस के साथ शारीरिक संबंध स्थापित कर लिए. उस समय तो ममता ने उस का विरोध नहीं किया, लेकिन इस के बाद में रवि ठाकुर आए दिन उस को होटल में बुलाने लगा था, जो बाद में ममता को खलने लगा. वह उस के पास जाने से आनाकानी करती तो वह उस से अपने रुपए वापस करने की धौंस देने लगा था.

रवि ठाकुर अय्याशी केवल ममता के साथ ही नहीं करता था. बल्कि उस ने इसी तरह से कई महिलाओं को अपने जाल में फंसा रखा था. उन महिलाओं की मजबूरी ही ऐसी थी कि वह न तो रुपए ही लौटा सकती थीं और न ही उस के पास जाने से मना कर सकती थीं.

ममता को यह भी पता चल गया था कि इस सब में सरिता ठाकुर की मिलीजुली साजिश थी. वो ही औरतों को फंसाती और फिर रवि ठाकुर के सामने परोस देती थी. उसे इस दलदल से निकलने का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था.

एक दिन रवि ठाकुर ने ममता को फोन मिलाया तो वह उस वक्त टायलेट में गई हुई थी. रवि ठाकुर ने कई बार उसे फोन मिलाया, लेकिन वह उसे उठा नहीं पाई. उसी वक्त उस का पति नितिन बाहर से घर आ गया. ममता का फोन बारबार बजने के कारण नितिन ने ही उसे रिसीव किया. नितिन के रिसीव करते ही रवि ठाकुर ने फोन काट दिया.

उस के बाद नितिन ने अपनी ओर से उसे फोन लगाया तो उस ने रिसीव नहीं किया, जिस से नितिन को कुछ शक हो गया. तब तक ममता भी टायलेट से बाहर आ गई थी. नितिन ने उस के आते ही बताया कि रवि ठाकुर का फोन था.

रवि ने ममता के पास क्यों भेजी अश्लील वीडियो

तब ममता ने बात टालने के लिए कह दिया कि वह अपने पैसे वापस मांग रहा है. तब नितिन ने ममता से कहा कि उस से कह देना कि उस के पैसे वापस करने में कुछ और वक्त लगेगा. उस के बाद नितिन कुछ काम से घर से निकल गया.

तब ममता ने रवि ठाकुर को फोन किया तो उस ने रिसीव करते हुए कहा कि आज शाम वक्त निकाल कर कुछ समय के लिए होटल आ जाना. ममता ने आने से मना किया तो थोड़ी देर बाद ही रवि ठाकुर ने उस के मोबाइल पर एक वीडियो सेंट कर दी. ममता ने उसे देखा तो उस के होश ही उड़ गए.

यह वीडियो उसी के साथ बनाए गए संबंधों की थी. उस के थोड़ी देर बाद ही रवि ठाकुर का फोन आ गया, ”ममता रानी, हमारी वीडियो आप को कैसी लगी? अगर आप को सही लगी तो यह आप के पति के नंबर पर भी भेज दूं. शायद उसे भी पसंद आ जाए.’’

यह बात सुनते ही ममता को दिन में तारे नजर आ गए. उस ने सोचा कि यह वीडियो उस के पति ने देख ली तो वह तो उस की जान ही ले लेगा.

उस दिन उसे पहली बार लगा कि वह बुरी तरह से फंस चुकी है. उस ने इस बात की शिकायत सरिता से की तो सरिता ने भी उसे उलटा जबाव दिया, ”अगर तुम्हें यह सब बुरा लग रहा है तो रवि बाबू के पैसे लौटा दो.’’

सरिता की यह बात ममता को बहुत ही बुरी लगी. फिर वह सरिता से भी नफरत करने लगी थी, लेकिन उसे उस दलदल से निकलने का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था.