सूइयों के सहारे सीने में उतरी मौत

राजेश विश्वास के घर पर कोहराम मचा हुआ था. सुबहसवेरे उस की पत्नी प्रिया जोरजोर से रो रही थी और राजेश को पुकार रही थी. रोने की आवाज सुन कर पड़ोसी भी वहां आ गए. लोगों ने घर में देखा तो राजेश मृत अवस्था में पड़ा हुआ था.

लोगों ने कयास लगाया कि राजेश की  मौत हो गई है. राजेश विश्वास का बड़ा भाई  रमेश विश्वास, उस की पत्नी और समाज के लोग भी आ जुटे और फटाफट उसे यह सोच कर स्थानीय सरकारी अस्पताल ले जाया गया कि शायद उस की सांस चल रही हो, लेकिन डाक्टरों ने परीक्षण के बाद राजेश विश्वास की मृत्यु की घोषणा कर दी.

चूंकि उस की मौत संदिग्ध परिस्थितियों में हुई लग रही थी, इसलिए अस्पताल प्रशासन ने इस की सूचना धर्मजयगढ़ पुलिस को दे दी. सूचना पाते ही सुबहसवेरे एसएचओ अमित तिवारी सहयोगियों के साथ मौके पर पहुंचे और राजेश विश्वास के शव की जांच कर उस का पंचनामा बनाया गया. कागजी काररवाई पूरी कर वह थाने लौट आए.

यह करीब एक साल पहले की बात है. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के मोवा स्थित बालाजी हौस्पिटल में एक बिस्तर पर लीवर और किडनी का इलाज करवा रहे राजेश विश्वास ने रुंधे गले से बमुश्किल कहा, ”यह लाइलाज बीमारी मेरा पीछा पता नहीं कब छोड़ेगी. कितने रुपए लग गए, मगर मैं ठीक ही नहीं हो पा रहा हूं. और शायद कभी हो भी नहीं पाऊंगा…’’

यह सुनते ही उस की पत्नी प्रिया ने अपने हाथ की अंगुलियां पति राजेश के मुंह पर रख चुप कराते हुए ढांढस बंधाते कहा, ”ऐसा नहीं कहते, मर्ज जब आता है तो धीरेधीरे ठीक भी हो जाता है…’’

इस पर दुखी स्वर में राजेश ने कहा, ”मेरे गैरेज का कामधंधा बंद हो गया, इनकम का साधन भी नहीं रहा. मैं कमाऊंगा नहीं तो मेरा इलाज कैसे होगा. फिर तुम्हारे लिए भी तो कुछ जिम्मेदारियां हैं मेरी.’’

इस पर प्रिया ने कहा, ”आप के घर वाले देखो, किस तरह हाथ पैर बांधे बैठे हुए हैं. उन्हें कम से कम इस समय तो मदद के लिए आना चाहिए. कितने दिन बीत गए, मदद की बात तो दूर कोई देखने तक भी नहीं आया है.’’

ऐसी ही अनेक परेशानियों को झेलते हुए राजेश विश्वास (32 वर्ष) और प्रिया विश्वास (24 वर्ष) युगल दंपति छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के बालाजी हौस्पिटल में महीना भर रहे. इलाज के बाद जब राजेश विश्वास कुछ स्वस्थ हुआ तो दोनों वापस रायगढ़ के धर्मजयगढ़ में स्थित अपने घर आ गए.

राजेश विश्वास का प्रिया से कुछ महीनों पहले ही विवाह हुआ था. विवाह से पहले भी वह यदाकदा बीमार रहता था, मगर प्रिया को अपनी बुरी आदत और बीमारी के बारे में बिना बताए ही विवाह की डोर में बंध गया.

उन का दांपत्य जीवन धीरेधीरे आगे बढ़ रहा था और उस के साथ ही राजेश की बीमारी सामने आती चली गई. अब सब कुछ प्रिया के सामने था. मगर विवाह बंधन के बाद उस के पास और कोई दूसरा रास्ता भी नहीं था. रायपुर में इलाज चलने लगा था.

राजेश और प्रिया का जीवन इस तरह धीरेधीरे जिंदगी की दुश्वारियों से गुजरता हुआ खट्टेमीठे रिश्तों के साथ आगे बढऩे लगा.

अस्पताल में प्रिया ने की खूब सेवा

प्रिया विश्वास पति की देखरेख करती थी और जिंदगी की गाड़ी धीरेधीरे चल रही थी. वैवाहिक जीवन की शुरुआत में ही उस के चेहरे की खुशियां मानो उड़ सी गई थीं. वह चाह कर भी हंस नहीं पाती थी. पति की बीमार सूरत हमेशा उस के आगे घूमती रहती थी. वह क्या करे, जिस से कि उस का जीवन खुशियों से भर जाए. सोचती रहती थी.

उसे धीरेधीरे लगने लगा कि उस की जिंदगी रेगिस्तान बन गई है, जहां उसे आने वाले समय में दूरदूर तक कहीं भी खुशियों की आहट दिखाई नहीं दे रही थी. वह कभीकभी अपने भाग्य को रोती आंसू बहा लेती थी.

धर्मजयगढ़ के पास ही दुर्गापुर में रहने वाली प्रिया उस दिन को कोसती थी, जब उस ने राजेश को पसंद किया था और उस के प्रपोज करने पर उस के साथ जिंदगी के रास्ते तय करने की स्वीकृति दे कर विवाह बंधन में बंध गई थी.

धीरेधीरे राजेश के स्वास्थ्य को ले कर सारा सच उस के सामने आईने की तरह उजागर हो चुका था. साथ ही कभीकभी वह दुव्र्यवहार पर उतर आता था. ज्यादा शराब पीने के बाद लीवर और फिर किडनी की दिक्कत के कारण राजेश का मिजाज नरम गरम बना रहता था.

यह देखते समझते प्रिया की आंखों के आगे अंधेरा छाने लगा था. क्या वह जिंदगी भर दुखदर्द से जिएगी, यह सोच कर ही प्रिया बहुत परेशान हो गई. मगर अब देर हो चुकी थी, उस के पास रास्ता क्या बचा था?

नवंबरदिसंबर 2023 के एक दिन प्रिया पति राजेश विश्वास को बालाजी हौस्पिटल में इलाज के लिए फिर रायपुर ले आई. राजेश को अस्पताल में भरती कर लिया गया था. प्रिया सब कुछ संभाल रही थी. एक स्त्री होने के बावजूद जिस तरह राजेश का सहारा बन कर पत्नी के रूप में प्रिया ने अस्पताल में भूमिका निभाई, उस से राजेश विश्वास भी मन ही मन प्रिया का मुरीद  हो गया था.

दूसरी तरफ आत्मविश्वास के साथ हौस्पिटल के डाक्टर से बात करती और दवाइयों की व्यवस्था करती. पति के इलाज के लिए उस ने अपना सोने का एक कंगन भी बेच दिया था. यह सब राजेश देख रहा था और मन ही मन प्रिया के प्रति उस का प्रेम बढ़ता चला गया.

कभीकभी राजेश सोचता कि प्रिया जैसी पत्नी उसे मिल गई, यह उस का भाग्य ही तो है वरना कौन आज किसी का इस तरह साथ देता है.

मगर प्रिया के पत्नी भाव को देख कर राजेश की आंखें भर आती हैं. आखिरकार एक दिन राजेश से रहा नहीं गया तो उस ने कहा, ”तुम ने मुझे बताया भी नहीं और अपना सोने का कंगन बेच दिया, तुम ने भला ऐसा क्यों किया?’’

इस पर इठला कर प्रिया ने कहा, ”सोने का कंगन मैं ने अपने सुहाग के लिए बेचा है तो भला क्या गलत किया है. बताओ तो सही.’’

”नहींनहीं तुम्हें अपने गहने बेचने की जरूरत नहीं है, मै कहीं से भी रुपए की व्यवस्था कर लूंगा.’’ राजेश ने कहा.

”वह जब होगा, कर लेना, आज आप के इलाज के लिए हमे यहां रुपयों की जरूरत है. भला हमें यहां कौन पैसे देगा और फिर यह सोनाचांदी होता ही इसी दुख की घड़ी के लिए तो है.’’

”तुम ठीक कर रही हो,’’ राजेश की आंखें भींग आईं.

इसी दरमियान एक दिन राजेश और प्रिया की मुलाकात अस्पताल के कंपाउंडर फिरीज यादव उर्फ कृष से हुई. उस समय राजेश को कुछ दवाइयों की जरूरत थी और प्रिया के पास रुपए खत्म हो गए थे. प्रिया सोच रही थी कि क्या करूं. प्रिया को असमंजस में देख कर फिरीज ने पूछ लिया था, ”क्या हुआ, क्या बात है? आप दवाइयां क्यों नहीं ला रही हैं?’’

प्रिया के भावशून्य चेहरे को देख कर के शायद फिरीज समझ गया. बिना कुछ कहे उस ने प्रिया के हाथ से दवाइयां लिखा कागज ले कर उधार में दवाइयां ले कर इलाज शुरू करवा दिया. इस घटना के बाद राजेश, प्रिया विश्वास और फिरीज यादव में एक तरह से आत्मीय संबंध बनते चले गए.

धीरेधीरे प्रिया का आकर्षण फिरीज यादव के प्रति बढऩे लगा. बालाजी अस्पताल में कोई भी आवश्यकता होती, इशारा करते ही फिरीज यादव सामने खड़ा होता.

दोनों ही आपस में बातें करते. प्रिया उसे अपना सारा दुखदर्द बताती कि अब तो राजेश उस के साथ मारपीट भी करने लगा है. एक दिन तो गुस्से में उस पर मिट्टी का तेल उड़ेल दिया था और वह थाने तक चली गई थी. अब तो उस की जिंदगी मानो उजाड़ हो गई है.

प्रिया की दास्तां सुन कर फिरीज यादव सहानुभूति व्यक्त कर कोई न कोई रास्ता निकल आने की बात कह तसल्ली देता.

प्रिया को चिकनीचुपड़ी बातों में फंसा लिया कंपाउंडर ने

एक दिन बातोंबातों में फिरीज यादव ने कहा, ”तुम सचमुच ग्रेट हो, आज की दुनिया में तुम जैसा मैं ने नहीं देखा. पति के प्रति तुम्हारा समर्पण प्रेम पागलपन से भरा हुआ है. मगर एक बात कहूं, बुरा मत मानना.’’

”नहींनहीं बोलिए क्या बात है, क्या कहना चाहते हैं.’’ वह बोली.

”तुम्हारे पति राजेश ने तुम्हें धोखा दिया है, तुम से झूठ बोला और शादी कर ली.’’

”क्या झूठ बोला है मेरे सुहाग ने मुझ से.’’ अंजान सी बन प्रिया विश्वास बोली.

”वह खुद बिस्तर पर है गंभीर बीमारी से घिरा हुआ है और तुम से उस ने झूठ बोल कर विवाह कर लिया. उस ने तुम्हें बताया भी नहीं कि ऐसी बीमारियों के बाद उसे तुम से प्यार और ब्याह नहीं करना चाहिए था. यह तो सरासर धोखा है. मैं तो कहता हूं कि तुम जैसी मासूम की जिंदगी बरबाद करने का उसे क्या अधिकार था.’’

”नहींनहीं, इस में सिर्फ उन की ही गलती नहीं, यह सब ऊपर वाले का दोष है.’’ आंसू बहाते हुए प्रिया विश्वास ने कहा.

इस पर फिरीज यादव उर्फ कृष ने कहा, ”तुम जैसी भोलीभाली लड़कियां इस तरह भ्रमजाल में फंस कर अपनी जिंदगी बरबाद कर लेती हैं. मगर मैं यह मानता हूं कि तुम्हारे साथ बहुत बड़ा अन्याय हुआ है.’’

धर्मजयगढ़ वापस आ जाने के बाद राजेश और प्रिया विश्वास की जिंदगी की गाड़ी धीरेधीरे चल रही थी. राजेश कभी बीमार पड़ जाता तो स्थानीय स्तर पर ही उस का इलाज करा लेते थे. उस ने बीमारी के कारण अपने गैरेज के साथ एक स्कौर्पियो खरीद ली, जिसे वह किराए पर चला रहा था, जिस से परिवार का खर्च आराम से निकल रहा था.

एक दिन फिरीज यादव को प्रिया विश्वास ने मोबाइल पर काल की. उस ने मधुर स्वर में कहा, ”प्रिया, कैसी हो, मुझे तुम्हारी बहुत याद आती है. तुम्हारी जिंदगी का दर्द, तुम्हारा चेहरा मैं भूल नहीं पाता हूं और सोचता हूं कि इस में भला तुम्हारी मैं क्या मदद कर सकता हूं.’’

फिरीज यादव की बातें सुन कर प्रिया विश्वास ने कहा, ”क्या तुम मेरी कोई मदद नहीं कर सकते. मेरी जिंदगी दोराहे पर खड़ी है, जहां सिर्फ पतझड़ ही पतझड़ नजर आती है. सच कहूं तो मुझे समझ में नहीं आता कि मैं किस पिंजरे में आ कर फंस गई हूं. मेरा क्या होगा, मैं अब जिंदगी से निराश हो चली हूं.’’

”बताओ, मैं क्या कर सकता हूं?’’ फिरीज यादव ने असहाय स्वर में कहा.

”देखो, मेरी एक सहेली है पायल, मैं उस से दिल की हर बात करती हूं. वह कह रही थी कि तुम एक डाक्टर हो, इतने बड़े अस्पताल में हो, कुछ तो रास्ता होगा?’’ प्रिया विश्वास ने आशा के भाव से कहा.

”अच्छा कौन है पायल, बात करवाना मुझ से. खैर, तुम इतना कह रही हो तो मैं कुछ योजना बनाता हूं. मेरे अनुसार अगर तुम दोनों चल सकीं तो कुछ दिनों में तुम्हारी जिंदगी बदल जाएगी.’’

”सच! भला वह कैसे?’’ उत्सुकता से प्रिया विश्वास ने कहा.

इस के बाद फिरीज यादव ने प्रिया की सहेली पायल से बात की और फिर यह सिलसिला चल निकला. एक दिन प्रिया को विश्वास में लेते हुए भविष्य के लिए कुछ करने को कहा तो प्रिया तुरंत तैयार हो गई और फिर आगे एक ऐसी योजना बनाई गई, जिसे भविष्य में 4 लोगों ने अंजाम दिया.

फिल्म अभिनेत्री पायल को किया साजिश में शामिल

15 जनवरी, 2024 दिन सोमवार की शाम फिरीज यादव रायपुर से चल कर के खरसिया स्टेशन पर उतरा और वहां से बस से धर्मजयगढ़ पहुंच गया. यहां उसे प्रिया विश्वास के कहने पर शेख मुईन ने बाइक से पहुंच कर रिसीव किया और होटल सीएम में पहले बुक किए गए रूम में ठहराया. दूसरी तरफ राजेश और प्रिया विश्वास अपने घर पर सामान्य सा दिन व्यतीत कर रहे थे. राजेश ने देर शाम तक शराब पी और खाना खा कर रात 11 बजे बिस्तर पर लेट गया.

फिरीज यादव को प्रिया की पड़ोस में रहने वाली सहेली पायल विश्वास के कहने पर बौयफ्रेंड शेख मुईन रात को फिरीज यादव को होटल से ले कर आ गया. उस समय राजेश गहरी नींद में सो रहा था. मौका देख कर फिरीज एक इंजेक्शन राजेश के सीने में लगा रहा था तभी आधी नींद में राजेश ने चीख कर एक लात पैरों के पास खड़ी प्रिया को मारी. फिरीज यादव घबरा गया, जिस से इंजेक्शन की सुई भी टेढ़ी हो गई. मगर राजेश विश्वास अभी भी नींद में था और उस पर इंजेक्शन का असर दिखाई देने लगा था.

इस के बाद सोए हुए राजेश विश्वास के पैर उस की पत्नी प्रिया विश्वास ने पकड़े, हाथों को शेख मुईन ने पकड़ लिया और राजेश के सीने में फिरीज यादव ने एनेस्थीसिया के कुल 3 इंजेक्शन एकएक कर के लगा दिए.

इस से निपट कर फिरीज यादव ने कहा, ”प्रिया, मेरे अनुमान से अब यह कभी होश में नहीं आएगा…’’

और वह रहस्यमय ढंग से मुसकराने लगा. इस पर प्रिया बोली, ”मुझे तो शक है, कहीं यह होश में आ गया तो?’’

कुछ सोचविचार करने के बाद फिर फिरीज ने कहा, ”ऐसा है तो मैं कुछ और इंजेक्शन लगा देता हूं.’’ और उस ने 3 इंजेक्शन और सीने में लगा दिए. थोड़ी ही देर में उन्होंने महसूस किया कि राजेश विश्वास की नींद में ही मौत हो गई है.

16 जनवरी, 2024 को सुबह के समय प्रिया के रोने की आवाज सुन कर आसपड़ोस के लोग जमा हो गए. सभी लोग अचानक राजेश की मौत पर अचंभे में पड़ गए. राजेश का भाई तुरंत राजेश को अस्पताल ले गया, जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. अस्पताल प्रशासन की सूचना पर पुलिस भी अस्पताल पहुंच गई. पुलिस ने शव को कब्जे में ले कर आवश्यक काररवाई शुरू कर दी.

इस दरमियान डाक्टरों की टीम ने सनसनीखेज खुलासा किया कि मृतक राजेश विश्वास के सीने में 6 निशान सूई से इंजेक्ट हैं. यह सुनते ही एसएचओ अमित तिवारी के कान खड़े हो गए. उन्हें लगभग 10 साल पहले हुए एक हत्याकांड की याद आ गई.

छत्तीसगढ़ के बालोद शहर में ऐसे ही हृदय के पास इंजेक्शन दे कर 2 व्यक्तियों की हत्या की गई थी, जिस का आरोपी पकड़ते पकड़ते बच निकला था. अमित तिवारी ने दृढ़ निश्चय किया कि राजेश की हत्या के मामले में तत्काल जांचपड़ताल शुरू की जाएगी, ताकि आरोपी कानून की जद से बच न सके.

एसएचओ अमित तिवारी ने तत्काल अपने उच्चाधिकारियों से मार्गदर्शन लिया और जांच तेज कर दी. दूसरी तरफ राजेश विश्वास के घर और शहर का माहौल गमगीन बन गया था. राजेश विश्वास लोकप्रिय शख्स था, जिस के कारण लोग और परिचित तरहतरह की बातें करने लगे थे. पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद राजेश विश्वास का शव परिजनों को अंतिम संस्कार के लिए सौंप दिया.

17 जनवरी को आशीष विश्वास अध्यक्ष बंग समाज, धर्मजयगढ़ के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने थाने पहुंच कर के एसडीपीओ दीपक मिश्रा से मुलाकात की और मृतक राजेश विश्वास की संदिग्ध मृत्यु को ले कर एक ज्ञापन सौंपा और निष्पक्ष जांच कर के दोषियों को पकडऩे की गुहार लगाई.

राजेश विश्वास का मामला दीपक मिश्रा के निगाहों में था. उन्होंने एसपी (रायगढ़) सदानंद कुमार से मार्गदर्शन लिया और एसएचओ अमित तिवारी व साइबर सेल को जांच कर के आरोपियों को पकडऩे की जिम्मेदारी दे दी.

प्रिया ने उगल दिया सारा राज

राजेश विश्वास की पत्नी प्रिया से एसएचओ अमित तिवारी ने पूछताछ शुरू की और पहला सवाल किया, ”यह बताओ कि राजेश विश्वास की हत्या करने में और किस ने तुम्हारा साथ दिया है?’’

यह सुनते ही प्रिया विश्वास घबरा कर इधरउधर देखने लगी और कोई जवाब नहीं दिया.

इस पर अमित तिवारी ने उसे अलग से बुला कर कहा, ”देखो, अगर तुम से अनजाने में यह भूल हो गई है तो सच बता दो. आज तो मैं जा रहा हूं, मगर कल तुम्हें मैं हिरासत में ले लूंगा.’’

पुलिस ने प्रिया विश्वास के मोबाइल को अपने कब्जे में ले लिया और दूसरे दिन पाया कि बहुत सी जानकारियां मोबाइल से डिलीट कर दी गई हैं. साइबर क्राइम के सहयोग से जब मोबाइल की जानकारियां रिकवर की गईं तो कई ऐसी बातें सामने आ गईं, जिस से प्रिया विश्वास के फिरीज यादव से बातचीत और वाट्सऐप और सीसीटीवी के सबूतों से खुलासा होता चला गया कि प्रिया विश्वास का पति राजेश विश्वास की हत्या में हाथ है.

इस के बाद तथ्यों को सामने रखते हुए मनोवैज्ञानिक तरीके से प्रिया से पूछताछ की तो आखिरकार प्रिया विश्वास टूट गई और अपना अपराध स्वीकार कर के अपना इकबालिया बयान दिया, जिस की पुलिस ने वीडियो रिकौर्डिंग भी करा ली.

प्रिया से पूछताछ के बाद फिरीज यादव को रायपुर  पुलिस की मदद से मोवा में पकड़ लिया. उस से पूछताछ की गई तो उस ने बताया कि प्रिया विश्वास के प्यार में पागल हो कर उस ने राजेश विश्वास के सीने में बेहोशी के इंजेक्शन में काम आने वाली एनेस्थीसिया का प्रयोग किया था और राजेश को मौत की नींद सुला दिया. उसे विश्वास था कि पोस्टमार्टम होते होते एनेस्थीसिया का असर खत्म हो जाएगा और उसे कोई पकड़ नहीं सकता.

राजेश विश्वास की हत्या में इस तरह प्रिया विश्वास, उस की खास सहेली छत्तीसगढ़ी फिल्म अभिनेत्री और धर्मजयगढ़ निवासी पायल विश्वास और उस के बौयफ्रेंड शेख मुईन ने साथ दिया था. पुलिस ने इन्हें भी हिरासत में ले लिया और उन के बयान दर्ज कर लिए.

19 जनवरी, 2024 को पुलिस अधिकारियों ने प्रैस कौन्फ्रेंस कर के मामले का खुलासा कर दिया. एसडीपीओ (धर्मजयगढ़) दीपक मिश्रा ने मीडिया को बताया कि आरोपियों के कब्जे से हत्या की वारदात में प्रयुक्त मोटरसाइकिल, फिरीज यादव से बस टिकट, होटल के फुटेज, इस्तेमाल किए गए ग्लव्स और सिरिंज, घटना के समय फिरीज यादव द्वारा पहने गए कपड़े, सभी के मोबाइल फोन पुलिस द्वारा जब्त कर लिए.

पूछताछ में पता चला कि वारदात को अंजाम देने के लिए मृतक की पत्नी प्रिया विश्वास, प्रेमी फिरीज यादव, फिल्म अभिनेत्री पायल विश्वास और उस के प्रेमी शेख मुईन राजा ने मिल कर योजना बनाई. योजना के तहत फिरीज यादव के रुकने की व्यवस्था करने के लिए पायल विश्वास ने नकद और फोन पे के जरिए पैसे शेख मुईन को दिए थे. उस ने धर्मजयगढ़ के होटल सीएम पार्क में अपनी आईडी से रूम बुक किया.

चारों आरोपी गिरफ्तार कर भेजे जेल

फिरीज यादव उर्फ कृष रायपुर बस से 15 जनवरी की शाम धर्मजयगढ़ पहुंचा. इस केबाद शेख मुईन से वाट्सऐप काल के जरिए बात की. फिर चारों ने 15 की रात तक राजेश की हर गतिविधि पर नजर रखी और मौका देख कर जब प्रिया ने काल की तो फिरीज यादव होटल से राजेश के घर पंहुच गया.

एसएचओ अमित तिवारी के नेतृत्व में प्रिया विश्वास और पायल विश्वास को धर्मजयगढ़ के निवास से गिरफ्तार किया गया. शेख मुईन खान पहले से भाग कर छाल में छिपा बैठा था. पुलिस टीम ने छाल हाटी रोड पर घेराबंदी कर उसे गिरफ्तार कर लिया. वारदात के बाद फिरीज यादव रायपुर आ गया था. प्रिया विश्वास की गिरफ्तारी के बाद पहले से रायपुर में उपस्थित एसडीओपी दीपक मिश्रा ने रायपुर एएसपी और क्राइम डीएसपी की निगरानी में पंडरी मोवा थाना पुलिस

की मदद से उसे हिरासत में लिया.

पुलिस की जांच में यह बात सामने आई  कि फिरीज यादव ने अपने सोशल मीडिया में स्वयं को डाक्टर बताया है. पुलिस ने चारों आरोपियों फिरीज यादव उर्फ कृष उर्फ बबलू यादव (24 साल) निवासी गोपाल भौना, जिला सारंगढ़- बिलाईगढ़ हाल मुकाम दलदल सिवनी, जिला रायपुर, शेख मुईन राजा (20 साल) निवासी बेहरा पारा, धरमजयगढ़, जिला रायगढ़, प्रिया विश्वास (24 साल) निवासी धर्मजयगढ़ जिला रायगढ़ और पायल उर्फ मोनी विश्वास (28 साल) को भादंवि की धारा 302, 201, 120 के तहत गिरफ्तार कर लिया.

चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर पुलिस ने 19 जनवरी, 2024 को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में पेश किया, जहां से चारों आरोपियों को पुलिस रिमांड में जिला जेल रायगढ़ भेज दिया.

कथा लिखे जाने तक पुलिस की जांच जारी थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

लिपस्टिक की चोरी – भाग 4

निक उछल कर खिड़की की चौखट पर चढ़ गया. फिर पाइप पर लटक कर वह धीरेधीरे विलियम के औफिस की तरफ बढ़ने लगा. वह सोच रहा था कि अगर किसी ने उसे इस तरह लटकते देख लिया तो बचना मुश्किल होगा. इस से बड़ा खतरा एक और भी था. दरअसल एडगर के फ्लैट की खिड़की पर पाइप का सिरा 6 फुट अंदर था, जबकि विलियम के औफिस की खिड़की का छज्जा डेढ़-2 फुट चौड़ा था.

अगर पाइप छज्जे से हट जाता तो उस की हड्डियों का चूरा हो सकता था. तीसरी मंजिल से गिर कर बचना असंभव था. इसलिए वह बहुत सावधानी से बहुत धीरेधीरे आगे बढ़ रहा था, ताकि पाइप को झटका न लगे और वह अपनी जगह पर टिका रहे.

आखिर वह दूसरे किनारे पर पहुंच गया. पाइप छोड़ कर वह छज्जे से लटक गया. ऊपर चढ़ने में उसे कोई खास मुश्किल नहीं हुई. यह उस की खुशकिस्मती थी कि खिड़की अंदर से बंद नहीं थी. अंदर पहुंच कर निक ने फूली सांसें दुरुस्त कीं, फिर कमरे का निरीक्षण करने लगा. इस के लिए उस ने अपनी पेंसिल टौर्च निकाल ली थी.

यह एक कमरे का औफिस था. दीवार में अलमारियां बनी हुई थीं, जिन में कानून की ढेरों किताबें रखी थीं.एक तरफ फाइल कैबिनेट थी. एक लोहे की तिजोरी लगी थी. निक वेल्वेट ने पहले दराजों की तलाशी ली, फिर तिजोरी पर ध्यान दिया. वालकाट कंपनी की तिजोरी का मेक देख कर निक खुश हो गया. इसे खोलना उस के बाएं हाथ का खेल था. वह अपने सामान के साथ तिजोरी पर झुक गया.

ये दिलचस्प कहानी भी पढ़ें – जिंदगी के रंग निराले : कुदरत का बदला या धोखे की सजा? – भाग 2

3 मिनट में उस ने तिजोरी खोल ली. तिजोरी में कई खास केसेज की फाइलें रखी हुई थीं. एक खाने में उसे लिपस्टिक भी मिल गई. उस ने उसे संभाल कर जेब में रखा, फिर उसी खाने में रखी एक फाइल उठा कर पढ़ने लगा. यह किसी के कत्ल का केस था. निक को यह केस खासा दिलचस्प लगा. वह देर तक फाइल देखता रहा, पढ़ता रहा. फिर उस ने फाइल वहीं रख कर तिजोरी बंद कर दी और खिड़की से निकल कर जिस रास्ते आया था, उसी रास्ते वापसी का सफर तय करने लगा.

वह एडगर की खिड़की से करीब 4 फुट दूर था कि एक कार गली में दाखिल हुई. कार की छत पर जलने वाली नीली लाल बत्ती बता रही थी कि वह पुलिस की पैट्रोलिंग कार थी. कार गली में ठीक पाइप के नीचे रुक गई. निक को अपनी सांस रुकती हुई लगी. उस ने नीचे झांक कर देखा, 2 पुलिस वाले कार से निकल आए थे. उन में से एक के हाथ में रिवाल्वर था.

उन्होंने निक वेल्वेट को देख लिया था. एक ने चीख कर कुछ कहा पर निक की समझ में नहीं आया. एक पुलिस वाला इमारत के दरवाजे की तरफ दौड़ा. निक तेजी से आगे बढ़ने लगा, 4 फुट का फासला उसे इस वक्त जैसे 4 मील का लग रहा था. पाइप को झटके लग रहे थे. उसे डर था कि दूसरी खिड़की के छज्जे से पाइप सरक न जाए.

आखिरकार वह खिड़की तक पहुंच गया. उस ने जैसे ही पाइप को छोड़ा, एक जोरदार झटका लगा. दफ्तर वाली खिड़की के छज्जे से पाइप हट गया और वह नीचे गिरने लगा. निक चौखट पर चढ़ चुका था. उस ने जैसे ही कमरे में छलांग लगाई, गली में पाइप के गिरने की आवाज आई. पाइप शायद पुलिस की कार पर गिरा था.

निक वेल्वेट यूं ही दरवाजा बंद कर के फ्लैट से बाहर निकला तो नीचे सीढि़यों पर भारी कदमों की आवाज सुनाई दी. पुलिस वाले तेजतेज कदमों से ऊपर आ रहे थे. निक ने इधरउधर देखा और फौरन ऊपर जाने वाले जीने की तरफ दौड़ पड़ा. वहां से तीसरी इमारत में पहुंच कर पीछे के जीने से होता हुआ वह अपनी कार तक पहुंच गया. फिर उस ने इंजिन स्टार्ट कर तेजी से एक तरफ गाड़ी दौड़ा दी. अब वह पुलिस की पहुंच से बाहर था.

ये भी पढ़ें – मुट्ठी भर उजियारा : क्या साल्वी सोहम को बेकसूर साबित कर पाएगी? – भाग 2

मिस स्वीटी और निक वेल्वेट की मुलाकात एक रेस्टोरेंट में हुई. निक के साथ ग्लोरिया भी थी. बातचीत के बाद निक ने जेब से लिपस्टिक निकाल कर स्वीटी को थमाते हुए कहा, ‘‘अच्छे से चैक कर लो, वही लिपस्टिक है न?’’

‘‘हां, बिलकुल वही है. बहुत बहुत शुक्रिया. तुम ने मुझे बड़ी मुसीबत से बचा लिया.’’ स्वीटी ने लिपस्टिक को ध्यान से देख कर कहा.

‘‘अब की बार तुम बच गई, लेकिन आइंदा ऐसी हरकत मत करना, वरना…’’ निक ने बात अधूरी छोड़ दी.

‘‘…वरना क्या?’’ स्वीटी ने उलझन भरी नजरों से निक की ओर देखते हुए कहा.

‘‘वरना यह भी हो सकता है कि फांसी का फंदा तुम्हारे गले में फिट हो जाए.’’ निक रूखे स्वर में बोला.

स्वीटी का चेहरा एकदम उतर गया. कुछ पल वह निक को देखती रही, फिर बिना कुछ कहे उठ खड़ी हुई और रेस्टोरेंट से बाहर निकल गई.

‘‘क्या मामला था निक?’’ ग्लोरिया ने पूछा तो निक बोला, ‘‘यह लिपस्टिक सुबूत के तौर पर एक कत्ल के मुकदमे में पेश होने वाली थी. अगर यह अदालत तक पहुंच जाती तो स्वीटी को सजा ए मौत नहीं तो उम्रकैद जरूर हो सकती थी.’’

‘‘मैं समझी नहीं.’’

‘‘बात दरअसल यह है कि स्वीटी जेम्स नाम के एक आदमी से मोहब्बत करती थी. बहुत दिनों बाद राज खुला कि उस की दोस्त क्लारा भी जेम्स को चाहती थी. एक रात जब स्वीटी जेम्स के घर पहुंची तो वहां कोई भी नहीं था. वहां उसे ड्रेसिंग टेबल पर क्लारा का एक खत मिल गया, जो जेम्स के नाम था.

उन दोनों ने किसी और जगह मुलाकात का प्रोग्राम बनाया था. स्वीटी जल कर रह गई. उस ने गुस्से में पर्स से लिपस्टिक निकाली और जेम्स की तसवीर पर, जो ड्रेसिंग टेबल पर रखी थी, कई आड़ीतिरछी लकीरें खींच दीं. तसवीर को उस ने क्रौस भी कर दिया.

‘‘यह लिपस्टिक प्रोडक्शन मैनेजर ने उसे उसी दिन दी थी, जो बदहवासी में उस ने ड्रेसिंग टेबल पर फेंक दी और पैर पटकती हुई बाहर निकल गई. इत्तफाक से थोड़ी देर बाद क्लारा वहां पहुंच गई. उस ने लिपस्टिक उठा कर अपने पर्स में डाली और वहां से चली गई.

‘‘उसी रात किसी ने जेम्स को कत्ल कर दिया. पुलिस के ख्याल में कातिल वही था, जिस ने लिपस्टिक से जेम्स की तसवीर पर क्रौस का निशान लगाया था. पुलिस को इस लिपस्टिक की तलाश थी, ताकि उस के मालिक का पता लगाया जा सके. जेम्स के भाई ने विलियम को वकील किया, विलियम को इस लिपस्टिक की तलाश थी, ताकि इसे सुबूत के तौर पर अदालत में पेश कर सके.

‘‘विलियम को स्वीटी पर शक था. किसी तरह उसे पता चल गया था कि स्वीटी को भी उस लिपस्टिक की तलाश है. उसे यह मालूम हो गया था कि वही लिपस्टिक मिस क्लारा के कब्जे में है. उसे यह भी पता चल गया था कि स्वीटी मेरे जरिए वह लिपस्टिक हासिल करना चाहती है. इस के बाद उस ने मेरे पीछे अपने आदमी लगा दिए.

‘‘मैं जैसे ही क्लारा के घर से लिपस्टिक चुरा कर निकला, विलियम के आदमियों ने मुझे घेर लिया और मुझे बेहोश कर के लिपस्टिक ले उड़े. गनीमत यही थी कि मुझे उस की गाड़ी का नंबर याद रह गया था. फिर मैं ने तुम्हारे जरिए उस गाड़ी के मालिक के बारे में मालूमात हासिल की और पिछली रात जुगाड़ कर उस के दफ्तर में जा घुसा, जहां से यह लिपस्टिक हासिल की.

ये सस्पेंस थ्रिलर स्टोरी भी पढ़ें – कागज के टुकड़े की चोरी

‘‘उस के दफ्तर में कत्ल के केस की एक फाइल मुझे दिखी, मैं ने उसे पढ़ा तो पता चला कि कत्ल किसी और ने किया था, पर विलियम और जेम्स का भाई जेम्स के कत्ल का इल्जाम स्वीटी पर लगा कर उसे फंसाना चाहते थे. वे उसी लिपस्टिक को सुबूत के तौर पर स्वीटी के खिलाफ पेश करना चाहते थे.

‘‘लेबोरेटरी टेस्ट से जब यह साबित हो जाता कि जेम्स की तसवीर पर लकीरें स्वीटी की लिपस्टिक से लगाई गई थीं तो उन के लिए यह प्रूव करना मुश्किल नहीं था कि नफरत और जलन की भावना से तैश में आ कर पहले उस ने उस की तसवीर बिगाड़ी, फिर उसे कत्ल कर दिया. यह स्वीटी की खुशकिस्मती थी कि वह लिपस्टिक मुझे मिल गई थी.’’

‘‘ओह तो यह चक्कर था.’’ ग्लोरिया ने ताज्जुब से कहा.

‘‘यह चक्कर तो अब खत्म हो गया, पर इस बार मुझे बहुत पापड़ बेलने पड़े. मेरी जान तक खतरे में पड़ गई.’’

बातचीत के बाद दोनों रेस्टोरेंट से निकल कर दरिया के किनारे सैर को निकल गए.

लिपस्टिक की चोरी – भाग 3

क्लारा ने पिछले दिन उसे बताया था कि उस के कमरे में बिना उस की इजाजत कोई नहीं आ सकता, इसीलिए निक ने यह रिस्क लिया था. क्लारा को ठीक से लिटाने के बाद उस ने कमरे का दरवाजा बंद किया और उस की ड्रेसिंग टेबल की तलाशी लेनी शुरू कर दी. ‘लीलाली’ वाली जामुनी रंग की लिपस्टिक ड्रेसिंग टेबल की दराज में मिल गई. उस ने लिपस्टिक का केस और पुराने टिकट की डिबिया अपने पास संभाल कर रख ली. पैसों को उस ने हाथ भी नहीं लगाया. वह चाहता तो 3 लाख डौलर ले सकता था, पर यह उस के उसूल के खिलाफ था.

ये Suspense Story भी पढ़ें – एक लड़की के कत्ल का राज

नीचे आ कर वह बिना किसी रुकावट के अपनी कार तक पहुंच गया. जब वह कार में बैठ रहा था तो क्लारा की मेड सैंड्रा ने उस की ओर देख कर हाथ हिलाया. उस ने भी खुशदिली से हाथ हिला कर कार स्टार्ट कर दी. गार्ड्स ने भी फौरन गेट खोल दिया. निक आराम से गाड़ी बाहर निकाल ले गया.

करीब 2-3 मील का फासला तय करने के बाद निक ने एक मोड़ पर गाड़ी घुमाई ही थी कि अचानक एक तेज रफ्तार कार ने पीछे से आ कर उस का रास्ता रोक दिया. निक ने फुरती से ब्रेक लगाया. इस के पहले कि निक संभल पाता, आने वाली गाड़ी से 2 आदमी उतरे और उस के दाईं और बाईं ओर खड़े हो गए. तीसरा आदमी स्टीयरिंग पर बैठा था. उन की सूरत देखते ही निक समझ गया कि मामला गड़बड़ है.

निक ने सोचा कि कहीं क्लारा की बेहोशी का राज तो नहीं खुल गया. हो सकता है उसी के आदमी पीछे आ गए हों. लेकिन उस ने यह खयाल दिमाग से निकाल दिया, क्योंकि क्लारा को इतनी जल्दी होश आना मुमकिन नहीं था.

आगेपीछे सड़क बिलकुल वीरान पड़ी थी. जो आदमी निक के पास खड़ा था, वह खिड़की पर झुका, उस के हाथ में भारी रिवाल्वर था. उस का दूसरा साथी भी पिस्तौल निकाल चुका था.

‘‘कौन हो तुम लोग, क्या चाहते हो?’’ निक ने पूछा.

‘‘मेरी तरफ देखो, मैं बताता हूं कि हम कौन हैं?’’ एक आदमी ने कहा तो निक ने गरदन घुमा कर उस की तरफ देखा. तभी उस के सिर पर जोरों से रिवाल्वर का दस्ता पड़ा और उस की आंखों के आगे अंधेरा छा गया.

होश में आते ही निक वेल्वेट ने अपनी जेबें टटोलीं. उस की जेबों में सब चीजें मौजूद थीं सिवाय ‘लीलाली’ वाली उस लिपस्टिक के, जिसे वह क्लारा के पास से चुरा कर लाया था. वह सोचने लगा, ‘अगर ये लुटेरे थे तो इन्हें लिपस्टिक में क्या दिलचस्पी हो सकती थी? जेब में करीब 4 हजार डौलर थे, घड़ी थी, लेकिन उन्होंने कुछ भी नहीं लिया था.’

उस ने घड़ी पर नजर डाली. साढ़े 7 बज रहे थे. इस का मतलब वह करीब 2 घंटे बेहोश रहा था. वह सिर सहला ही रहा था कि अचानक दिमाग में धमाका सा हुआ. उसे उस गाड़ी का नंबर याद रह गया था, जिस ने रास्ता रोका था. उस ने जल्दी से वह नंबर अपनी डायरी में नोट किया और गाड़ी स्टार्ट कर दी. उस की वह रात सिर की सिंकाई में गुजरी.

ये भी पढ़ें -बेगुनाह कातिल : प्यार के जुनून में बेमौत मारी गयी रेशमा – भाग 1

निक की जिंदगी का यह पहला मौका था, जब कोई उसे इस तरह चूना लगा गया था. उन लोगों के बारे में सोचसोच कर उस का दिमाग थक गया, पर कुछ समझ में नहीं आया. इस का मतलब वह लिपस्टिक बहुत महत्त्व की थी.

दूसरे दिन सुबह नाश्ते के बाद वह सीधा मोटर व्हीकल रजिस्ट्रेशन के औफिस पहुंच गया. नंबर से पता चला कि वह गाड़ी किसी विलियम के नाम पर रजिस्टर्ड थी. यह जानकारी जुटा कर वह एक रेस्टोरेंट में घुस गया. वहां सुकून से बैठ कर उस ने ग्लोरिया को रेस्टोरेंट में आने को कहा. कौफी का और्डर दे कर वह उस की राह देखने लगा. ग्लोरिया 5-7 मिनट में पहुंच गई. निक ने उस से कहा, ‘‘ग्लोरिया, मुझे तुम से एक काम लेना है.’’

‘‘मैं पहले ही समझ गई थी कि कोई गड़बड़ है. इसलिए मैं लंच ब्रेक तक छुट्टी ले कर आई हूं.’’

‘‘यह तुम ने ठीक किया,’’ निक ने एक कागज उसे देते हुए कहा, ‘‘यह किसी विलियम का पता है. इस के बारे में पूरी मालूमात कर के आओ. मैं घर पर तुम्हारा इंतजार करूंगा. मेरा खयाल है कि तुम 12 बजे तक लौट आओगी.’’

‘‘ठीक है, अगर घर न आ सकी तो 12 बजे तक तुम्हें फोन कर दूंगी.’’ ग्लोरिया ने वादा किया.

कौफी पीने के बाद दोनों रेस्टोरेंट से निकल गए.

करीब 12 बजे फोन की घंटी बजी. निक ने लपक कर फोन उठाया. फोन ग्लोरिया का ही था. वह अपने औफिस से बोल रही थी. वह बोली, ‘‘मैं ने विलियम के बारे में मालूम कर लिया है. वह एक बड़ा वकील है और आमतौर पर क्रिमिनल केस लेता है. उस के 2 असिस्टेंट भी हैं, जो उस के साथ ही रहते हैं. इत्तफाक से मैं उन दोनों को भी देख चुकी हूं.’’

ग्लोरिया ने उन दोनों का हुलिया भी बयान कर दिया.

‘‘गुड.’’ निक ने मुसकराते हुए कहा. हुलिए के हिसाब से वे दोनों वही थे, जिन्होंने उस की कार रोकी थी. तीसरे को वह इसलिए नहीं देख सका था, क्योंकि वह कार के अंदर ही बैठा था. उस ने ग्लोरिया को शाबाशी देते हुए कहा, ‘‘तुम ने काफी बड़ा काम कर दिखाया है.’’

निक ने टेलीफोन डायरैक्टरी के जरिए विलियम के औफिस का पता मालूम कर लिया. फिर वह फ्लैट से निकल गया. विलियम का औफिस एक तंग सी गली में तीसरी मंजिल पर था. निक ने कुछ आगे जा कर गली के मोड़ पर गाड़ी रोकी और पैदल ही विलियम के औफिस के ठीक सामने वाली इमारत में घुस गया. यह उस की खुशकिस्मती थी कि इस इमारत में रिहायशी फ्लैट थे. तीसरी मंजिल पर वह उस फ्लैट के दरवाजे पर रुक गया, जो गली के पार विलियम के दफ्तर के ठीक सामने था.

निक ने उस फ्लैट का दरवाजा खटखटाया. करीब 2 मिनट बाद दरवाजा खुला. दरवाजा खोलने वाला एक खस्ताहाल आदमी था, जिस ने पुराने मैले से कपडे़ पहन रखे थे. उसे देख कर निक समझ गया कि वह बड़ी गरीबी में दिन गुजार रहा है.

‘‘मिस्टर निक्सन?’’ निक ने सवालिया अंदाज में पूछा.

‘‘नहीं, मेरा नाम एडगर है.’’ उस ने जवाब दिया.

‘‘माफ करना मिस्टर एडगर, क्या तुम मुझे अंदर आने को नहीं कहोगे?’’ कहते हुए निक ने जेब से पर्स निकाला और उस में से 10 डौलर निकाले. डौलर देख कर एडगर की आंखों में चमक आ गई. उस ने जल्दी से कहा, ‘‘अरे आओ अंदर, मिस्टर…’’

निक ने अंदर आते ही नोट उस के हाथ में दे दिया. एडगर ने झट से दरवाजा बंद कर दिया. निक कमरा देखने लगा. फर्श पर फटापुराना कालीन बिछा था. फरनीचर काफी पुराना और सस्ता सा था. वह सिटिंग रूम था. निक दूसरे कमरे में गया, जिस की एक खिड़की सड़क पर खुलती थी. खिड़की पर मैला सा परदा पड़ा हुआ था. उस कमरे में एक बेड और अलमारी के सिवाय कुछ नहीं था.

ये भी पढ़ें – आखिरी गुनाह करने की ख्वाहिश – भाग 1

निक ने खिड़की का परदा उठा कर बाहर देखा. सामने ही विलियम के दफ्तर की खुली खिड़की थी. उस के औफिस में 4 लोग बैठे थे. उन में से 2 तो वही थे, जो उसे चोट पहुंचा कर लिपस्टिक ले गए थे. टेबल के पीछे रिवाल्विंग चेयर पर एक अजनबी आदमी बैठा था. वही शायद विलियम था.

निक एडगर की तरफ देख कर बोला, ‘‘तुम्हारी हालत बहुत खराब दिख रही है.’’

‘‘मैं एक रेस्टोरेंट में वेटर था, पर शराब की लत की वजह से मेरी नौकरी चली गई. 2 महीने से बेकार हूं. 2 दिनों से कुछ खाया भी नहीं है. तुम ने मेरी बड़ी मदद कर दी है.’’

‘‘निक्सन, मेरे बचपन के दोस्त का नाम है. 20 साल पहले उस से मेरी आखिरी मुलाकात इसी फ्लैट में हुई थी. पर अब वह यहां नहीं रहता. उसे कहीं और ढूंढने जाना होगा.’’

‘‘मुझे अफसोस है, तुम्हारे दोस्त से तुम्हारी मुलाकात नहीं हो सकी.’’

‘‘लेकिन मैं कुछ और ही सोच कर परेशान हूं. मैं ने यह जाने बगैर कि मेरा दोस्त यहां है या नहीं, अपने 2 दोस्तों को पुरानी यादें ताजा करने के लिए उन्हें भी यहां बुला लिया. आज रात वे यहां पहुंचने वाले हैं. हम यहां पुरानी यादें ताजा करना चाहते थे. पर सब गड़बड़ हो गया.’’ निक ने उदासी भरे स्वर में कहा.

‘‘अगर तुम्हारे दोस्त यहां आने वाले हैं तो मुझे कोई ऐतराज नहीं है. मैं तुम्हें डिस्टर्ब नहीं करूंगा.’’ एडगर ने खुशीखुशी कहा.

‘‘गुड. क्या यह मुमकिन है कि हम तीनों दोस्त यहां मस्ती करें और तुम आज रात कहीं दूसरी जगह चले जाओ. मेरा मतलब है कि किसी होटल वगैरह में. बात दरअसल यह…’’

‘‘मैं समझ गया.’’ एडगर ने कहा, ‘‘दोस्तों के बीच अजनबी का क्या काम?’’ एडगर ने चापलूसी से कहा. निक ने 50 डौलर उसे थमाए तो मारे खुशी के उस के हाथ कांपने लगे. वह जल्दी से बोला, ‘‘यह लो चाबी, मैं जा रहा हूं. बहुत भूख लगी है. मैं कल दोपहर बाद फ्लैट पर आऊंगा. तुम ताला लगा कर चाबी पड़ोस में दे देना. अगर खुला भी छोड़ दोगे तो कोई बात नहीं. क्योंकि कुछ जाने का डर नहीं है.’’

एडगर ने चाबी निक को थमाई और खुद बाहर निकल गया. उसे डर था कि कहीं वह पैसे वापस न मांग ले.

निक उस की सादगी पर मुसकराया. उसे उम्मीद नहीं थी कि इतनी जल्दी काम बन जाएगा. एडगर के जाने के बाद वह भी फ्लैट से बाहर निकल गया.

पढ़ें ये मार्मिक कहानी – जानलेवा शर्त ने ली एक बेगुनाह की जान

इस इमारत में निक वेल्वेट की वापसी रात को साढ़े 11 बजे हुई. उस वक्त इलाके में पूरी तरह सन्नाटा छा चुका था. किसी किसी इमारत में हलकी सी रोशनी थी. इस बार भी निक ने अपनी गाड़ी फ्लैट से दूर ही खड़ी की थी. उस ने गाड़ी में से एक बंडल उठाया, जिस में 5-5 फुट के लोहे के 6 चूड़ीदार पाइप थे. ये पाइप निक ने आज दिन में ही खरीदे थे.

उस ने फ्लैट में पहुंच कर खिड़की खोल कर बाहर देखा. सड़क सुनसान थी. सामने वाली इमारत भी अंधेरे में डूबी थी. विलियम के औफिस में भी अंधेरा था. निक देर तक उस औफिस की खिड़की को ध्यान से देखता रहा. उस ने कुरसी पर बैठ कर एक सिगरेट सुलगा ली.

रात के करीब डेढ़ बजे उस ने पाइप निकाले और उन्हें सौकिट की मदद से जोड़ने लगा. हर पाइप में चूडि़यां थीं, इसलिए सब आसानी से जुड़ गए. इस तरह 30 फुट लंबा पाइप तैयार हो गया.

निक ने कमरे के बीच का दरवाजा भी खोल लिया था. पाइप तैयार होने के बाद उस ने ध्यान से बाहर देखा, कहीं कोई हलचल नहीं थी. अब मंसूबे पर काम करने का वक्त आ गया था. उस ने पाइप खिड़की से बाहर निकाला. एक इंच मोटा पाइप धीरेधीरे बाहर निकलने लगा. उसे संभालने के लिए निक को बहुत ताकत लगानी पड़ रही थी, जैसे तैसे उस ने पाइप का दूसरा सिरा विलियम के औफिस के छज्जे पर टिका दिया. फिर उस ने पाइप को अच्छे से सेट कर के एक बार फिर नीचे देखा. नीचे बिलकुल सन्नाटा था.

यह बात निक ने दिन में ही नोट कर ली थी कि गली करीब 20 फुट चौड़ी है. फिर भी उस ने सावधानी के लिए 30 फुट का पाइप लिया था. विलियम के औफिस तक पहुंचने का उसे बस यही एक रास्ता समझ में आया था. क्योंकि दिन में वह देख चुका था कि इमारत में 2-3 वर्दीवाले बंदूकधारी गार्ड्स रहते हैं और रात के वक्त उन्हें धोखा दे कर इमारत में दाखिल होना मुमकिन नहीं है. वह जो कर रहा था, उस में रिस्क तो था, पर रिस्क लिए बिना काम होना संभव नहीं था.

लिपस्टिक की चोरी – भाग 2

क्लारा के बारे में जानकारी हासिल करने के बाद निक ने स्वीटी के बारे में मालूमात की. वह वाकई कौस्मेटिक बनाने वाली कंपनी के रिसर्च डिपार्टमेंट में थी और प्रोडक्शन मैनेजर मिस्टर जैक्सन से उस का रोमांस चल रहा था. यह भी सच था कि कंपनी लीलाली नाम की एक नई लिपस्टिक बाजार में लाने वाली थी. इस से यह बात निश्चित हो गई कि स्वीटी झूठ नहीं बोल रही थी.

उसी रात निक ने अपने स्टोर में रखे ट्रंक में से टिकटों वाला एलबम निकाला. उस ने उन में से कुछ खास टिकट निकाले. उसे यकीन था कि ये टिकट क्लारा से मिलने का जरिया बनेंगे.

दूसरे दिन ग्लोरिया के दफ्तर जाने के बाद उस ने क्लारा को फोन किया. फोन किसी औरत ने उठाते ही कहा, ‘‘मिस्टर रेंबो स्मिथ बाहर गए हैं. एक हफ्ते बाद आएंगे.’’

निक जल्दी से बोला, ‘‘असल में मुझे उन की बेटी क्लारा से बात करनी है.’’

उधर से पूछा गया, ‘‘आप को मिस क्लारा से किसलिए मिलना है?’’

‘‘मेरे पास डाक टिकट के कुछ अनमोल नमूने हैं. इसी सिलसिले में मिस क्लारा से मिलना चाहता हूं.’’

‘‘एक मिनट होल्ड करें प्लीज.’’ दूसरी तरफ से कहा गया, फिर फोन में आवाज आई, ‘‘यस प्लीज.’’

‘‘मिस क्लारा, मैं जैकब बोल रहा हूं. मेरे पास डाक के कुछ नायाब टिकट हैं. मेरे दोस्त ने सलाह दी है कि मैं आप को दिखाऊं.’’ निक ने जल्दी से कहा.

‘‘किन देशों के टिकट हैं तुम्हारे पास?’’

‘‘मेरे पास ईरान, इराक और बहावलपुर रियासत के अलावा कई देशों के टिकट हैं.’’

‘‘मैं तुम्हारा कलेक्शन देखना पसंद करूंगी, शाम को मेरे घर आ जाओ.’’ क्लारा की आवाज में उत्साह था.

‘‘शाम को मुझे इन्हीं टिकटों के संबंध में किसी और क्लाइंट से मिलना है. फिलहाल मैं फ्री हूं.’’

‘‘ठीक है, अभी आ जाओ. मैं इंतजार कर रही हूं.’’

निक ने डाक टिकट संभाल कर लिफाफे में रखे और क्लारा के घर के लिए रवाना हो गया. रास्ता करीब 40 मिनट का था. वह क्लारा के घर पहुंच गया. गेट पर 2 हथियारबंद गार्ड खड़े थे. निक ने उन्हें अपने आने का मकसद बताया तो उन्होंने उसे उस शानदार इमारत के अंदर जाने की इजाजत दे दी.

ये भी पढ़ें – एक हत्या ऐसी भी : कौन था मंजूर का कातिल?

निक ने अपनी कार आगे बढ़ा दी. करीब 50 कमरों की वह इमारत बहुत बड़ी और शानदार थी. बाहर शानदार लौन था. उस ने अपनी गाड़ी पोर्च के करीब रोक दी.

अधेड़ उम्र की एक औरत दरवाजा खोल कर बाहर आई और निक को अपने साथ अंदर ले गई. एक बड़ा कारीडोर पार कर के वह उस औरत के साथ शानदार लंबेचौड़े ड्राइंगरूम में पहुंचा और एक आरामदेह सोफे पर बैठ गया. करीब 5 मिनट बाद क्लारा ड्राइंगरूम में दाखिल हुई. उस ने खुलाखुला सा महीन कपड़े का गाउन पहन रखा था.

वह आते ही बोली, ‘‘माफ करना मिस्टर जैकब, मेरा आज कहीं जाने का इरादा नहीं था. जब घर में रहती हूं तो हलकीफुलकी ड्रेस पहनना पसंद करती हूं.’’

क्लारा उस के सामने बैठ गई. निक ने उस के हुस्न से आंखें चुराईं. दोनों की बातचीत शुरू हुई तो निक को जल्द ही अंदाजा हो गया कि डाक टिकटों के बारे में उसे बहुत अच्छी जानकारी है. अभी वे लोग बातें कर ही रहे थे कि 10-12 छोटे बड़े बच्चे दौड़ते हुए ड्राइंगरूम में आ गए और शोर मचाने लगे. शोर इतना ज्यादा था कि बात करना मुश्किल था.

‘‘माइ गौड, मैं तो तंग आ गई डैडी के इन रिश्तेदारों से.’’ क्लारा ने दोनों हाथों से सिर थाम लिया.

‘‘क्या ये तुम्हारे डैडी के रिश्तेदार हैं?’’ निक ने हैरत से बच्चों को देखते हुए पूछा.

‘‘डैडी के रिश्तेदारों के बच्चे हैं. वह महीने में 2 बार अपने तमाम रिश्तेदारों को घर पर इनवाइट करते हैं. यहां उन पर कोई पाबंदी नहीं रहती. मिस्टर जैकब, मेरा खयाल है, हम लोग मेरे कमरे में चल कर बैठें तो बेहतर होगा. ये लोग हमें चैन से बातें करने नहीं देंगे.’’

ये भी पढ़ें – साजिश का तोहफा

निक ने अपने एलबम संभाले और क्लारा के साथ ऊपर उस के कमरे में आ गया. उस का कमरा कीमती चीजों से भरा हुआ था, लेकिन साफसुथरा नहीं था. ड्रेसिंग टेबल पर मेकअप का सामान बिखरा पड़ा था. कमरे की अस्तव्यस्त हालत देखते हुए उस ने कहा, ‘‘लगता है, तुम्हारे नौकर ठीक से काम नहीं करते.’’

क्लारा झेंपते हुए बोली, ‘‘नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है. मैं अपने कमरे में किसी को नहीं आने देती. मेरी इजाजत के बिना यहां कोई कदम भी नहीं रख सकता. अपनी बात करूं तो मुझे कमरा ठीक करने का टाइम नहीं मिलता.’’

निक मुसकरा कर पलंग पर बैठ गया. उस ने एक एलबम खोला और क्लारा को टिकट दिखाते हुए उन के बारे में बताने लगा. एलबम के तीसरे पन्ने में बहावलपुर रियासत के टिकट लगे थे. उन्हें देख कर क्लारा की आंखें चमकने लगीं. टिकट पर कुदरती मंजर के बीच एक बैलगाड़ी की तसवीर थी, जिस में आगे एक किसान बैठा था और पीछे गोद में बच्चा लिए एक औरत लकडि़यों पर बैठी थी. क्लारा ने टिकट देखते हुए कहा, ‘‘मैं यह टिकट लेना पसंद करूंगी. इस की कीमत बताओ.’’

‘‘मुझे अफसोस है, इस टिकट का सौदा हो चुका है. मैं बहावलपुर के 2 टिकट और दिखाता हूं.’’ निक ने पेज पलटते हुए कहा.

वह क्लारा को शाह ईरान की उलटी तसवीर वाला टिकट भी दिखाना चाहता था, पर उसे याद आया कि वह उस टिकट वाला एलबम तो घर भूल आया है. क्लारा शाह ईरान का उलटी तसवीर वाला टिकट किसी भी कीमत पर खरीदना चाहती थी. निक ने उस से कहा, ‘‘अगर मुझे कल शाम का टाइम दो तो मैं तुम्हारे लिए शाह ईरान का टिकट जरूर ले कर आऊंगा.’’

‘‘उस टिकट के लिए मैं तुम्हें मुंहमांगी कीमत दूंगी. याद रखना, कल शाम 5 बजे मैं तुम्हारा इंतजार करूंगी.’’

‘‘निश्चिंत रहिए, मैं पहुंच जाऊंगा.’’ निक ने कहा.

‘‘तुम बेहिचक आ जाना, मैं गेट पर कह दूंगी. तुम्हें कोई नहीं रोकेगा.’’ क्लारा ने कहा.

निक जब क्लारा के घर से निकला तो उस के होठों पर हलकी मुसकराहट थी.

दूसरे दिन निक ठीक 5 बजे क्लारा के घर पहुंचा. इस बार किसी ने उसे नहीं रोका. क्लारा उसे ड्राइंगरूम के दरवाजे पर ही मिल गई. आज वह बड़े सलीके के कपड़े पहने हुई थी और बहुत अच्छी लग रही थी. उस के कमरे में पहुंच कर निक सोफे पर बैठ गया. उस से थोड़ी दूरी पर बैठते हुए क्लारा ने पूछा, ‘‘टिकट लाए हो?’’

ये भी पढ़ें – मौत का सट्टा : कौन जीतेगा जिंदगी और मौत का दांव?

‘‘हां,’’ कहते हुए निक ने जेब से एक लिफाफा निकाल कर उस के सामने रख दिया. क्लारा ने बड़ी सावधानी से लिफाफे से टिकट निकाला. वह ईरान के शाह का वही टिकट था, जिस पर उस की उलटी तसवीर छपी थी. टिकट देख कर क्लारा का चेहरा चमक उठा. वह देर तक टिकट को देखती रही. फिर बोली, ‘‘मैं ने तुम्हारे लिए सुबह ही रकम का बंदोबस्त कर लिया था. उस ने उठ कर अलमारी से नोटों की मोटी सी गड्डी निकाल कर निक के सामने रख दी.’’

‘‘आज मैं तुम्हारे लिए एक और अनमोल चीज ले कर आया हूं.’’ निक ने मुसकराते हुए जेब से एक छोटी सी डिबिया निकालते हुए कहा, ‘‘यह एक अनोखा टिकट है. इस में प्राचीन सभ्यता को बताया गया है. पूरी दुनिया में यह बस एक ही टिकट है. मैं इसे तुम्हें सिर्फ दिखाने के लिए लाया हूं.’’

निक वेल्वेट ने डिबिया खोल कर क्लारा की तरफ बढ़ा दी. डिबिया में एक बहुत ही पुराना डाक टिकट रखा था. उस ने क्लारा को चेताया, ‘‘यह बहुत पुराना है, जर्जर हालत में. हाथ मत लगाना. इस में एक अजीब सी महक है, सूंघ कर देखो. खास बात यह है कि इस की प्रिंटिंग में जो स्याही इस्तेमाल की गई थी, उस में खुशबू थी, जो आज तक बरकरार है.’’

क्लारा टिकट देख कर हैरान थी. डिबिया को नाक के करीब ले जा कर वह उसे सूंघने लगी. एक मीठी सी खुशबू उस के नथुनों से टकराई तो उस ने 2-3 बार सूंघा. जरा सी देर में वह बैठेबैठे लहराने लगी और फिर बेहोश हो कर वहीं लेट गई. निक के होठों पर मुसकान आ गई. क्लोरोफार्म में डूबे टिकट ने अपना काम कर दिया था.

ये भी पढ़ें – डीपफेक : टेक्नोलॉजी का गलत इस्तेमाल

लिपस्टिक की चोरी – भाग 1

निक वेल्वेट रात को एक क्लब से दूसरे क्लब में मारा मारा फिर रहा था. इस की वजह ऐश करना नहीं, बल्कि ग्लोरिया से उस की लड़ाई  हो जाना थी. दरअसल ग्लोरिया ने निक को किसी लड़की के साथ तनहाई में रंगे हाथों पकड़ लिया था. तभी से दोनों के बीच बातचीत बंद थी. इसी चक्कर में निक देर रात तब घर लौटता था, जब ग्लोरिया सो चुकी होती थी. सुबह को वह उस के उठने से पहले ही निकल जाता था. यह लड़ाई का तीसरा दिन था. निक बाहर अकेले खाना खाखा कर तंग आ चुका था.

उस दिन वह एक शानदार रेस्टोरेंट में बैठा खाना खा रहा था कि एक खूबसूरत लड़की उस से इजाजत ले कर उस के सामने आ बैठी. उस ने नीले रंग का चुस्त लिबास पहन रखा था.

थोड़ी देर की चुप्पी के बाद लड़की ने उस से कहा, ‘‘मेरा नाम स्वीटी है मिस्टर निक वेल्वेट. मुझे आप के बारे में जैक्सन वड्स ने बताया था और आप से मिलने की सलाह दी थी. मैं बहुत परेशानी में हूं. आप की मदद की सख्त जरूरत है.’’

‘‘कैसी मदद? तुम मेरे बारे में क्या जानती हो?’’

‘‘मैं समझी थी कि जैक्सन का नाम सुन कर आप समझ जाएंगे, आप उन के लिए काम कर चुके हैं.’’

‘‘तुम मेरी शर्तों के बारे में जानती हो?’’ निक ने कहा तो वह बोली, ‘‘हां, आप किसी कीमती चीज को हाथ नहीं लगाते. ऐतिहासिक और राजनैतिक महत्त्व की कोई चीज भी नहीं चुराते. आप की फीस 25 हजार डौलर है, जो आप एडवांस में लेते हैं. मैं यह भी जानती हूं कि आप उसूलों के पक्के हैं.’’

निक ने उस लड़की को गौर से देखा, वह 24-25 साल की खूबसूरत लड़की थी. उस के चेहरे पर हलकी सी परेशानी थी.

निक ने उस से पूछा, ‘‘तुम्हें कैसी मदद चाहिए? किस चीज की चोरी कराना चाहती हो?’’

‘‘एक लिपस्टिक की.’’ लड़की बोली.

‘‘बस एक लिपस्टिक…’’ निक ने हैरत से पूछा.

‘‘बात कुछ अजीब सी है, पर मेरे लिए यह बड़ी बात है, मेरी परेशानी भी समझ सकते हो. मैं काफी देर से तुम्हारा पीछा कर रही थी. अब जा कर तुम से बात करने का मौका मिला है.’’

पलभर रुक कर लड़की ने आगे कहा, ‘‘दरअसल मैं परफ्यूम और कौस्मेटिक बनाने वाली एक बड़ी कंपनी में काम करती हूं. मेरी कंपनी ‘लीलाली’ के नाम से एक नया प्रोडक्ट बाजार में लाने वाली है. यह प्रोडक्ट एक लिपस्टिक है, जो कई रंगों के अलावा हलके शेड्स में भी तैयार की जा रही है. मैं कंपनी के रिसर्च विभाग में काम करती हूं. अभी इस नए प्रोडक्ट को बाजार में आने में एक महीना बाकी है. माल की काफी बड़ी खेप तैयार हो चुकी है. एडवरटाइजमेंट भी शुरू हो गया है.

ये भी पढ़ें – जानलेवा शर्त ने ली एक बेगुनाह की जान

‘‘चंद रोज पहले कंपनी के प्रोडक्शन मैनेजर ने इसी स्टाक में से एक लिपस्टिक मुझे गिफ्ट कर दी थी. यह गैरकानूनी और उसूल के खिलाफ हरकत थी, पर उस वक्त मुझे यह बात समझ में नहीं आई. उसूली तौर पर कोई चीज मार्केट में आने से पहले कंपनी से बाहर नहीं जानी चाहिए, पर प्रोडक्शन मैनेजर मेरी मोहब्बत में कुछ ज्यादा इमोशनल हो गया और यह गलत काम कर बैठा. उस ने चोरीछिपे एक लिपस्टिक मुझे गिफ्ट कर दी.

‘‘पता नहीं कैसे एक बड़े अफसर और डिपार्टमेंट को यह बात पता चल गई कि एक लिपस्टिक कंपनी से बाहर जा चुकी है. अभी तक किसी ने प्रोडक्शन मैनेजर पर शक नहीं किया है, लेकिन अगर हमारे नाम सामने आ गए तो हमें नौकरी से निकाल दिया जाएगा. मुमकिन है गैरकानूनी काम करने की वजह से मैनेजर को पुलिस के हवाले कर दिया जाए.’’

‘‘पर इस मसले में मैं कहां फिट होता हूं?’’ निक ने कहा.

‘‘प्रौब्लम यह है कि मेरी एक दोस्त है क्लारा. कुछ दिनों पहले क्लारा ही वह लिपस्टिक मेरे घर से ले कर गई थी. अगर इस प्रोडक्ट का नाम भी लीक हो गया तो कंपनी को लाखों डौलर का नुकसान उठाना पड़ेगा. क्लारा एक करोड़पति बाप की बेटी है और मेरी बहुत अच्छी दोस्त है. मैं लिपस्टिक वापस मांग कर उसे नाराज नहीं करना चाहती. पर वह लिपस्टिक मैं हर कीमत पर वापस पाना चाहती हूं. 2 दिन पहले मैं ने मैनेजर जैक्सन से इस बात का जिक्र किया तो उस ने तुम्हारा नाम बताया. मेरा दोस्त प्रोडक्शन मैनेजर तुम्हारी फीस देने को तैयार है.’’ कह कर स्वीटी चुप हो गई.

‘‘ठीक है, इस लिपस्टिक की कोई खास पहचान है?’’

‘‘इस नाम की कोई और लिपस्टिक बाजार में मौजूद नहीं है. यह एक जामुनी शेड की लिपस्टिक है, जिस के ढक्कन पर खूबसूरती के लिए हीरे की तरह एक छोटा सा नगीना जड़ा है. यह इमिटेशन नगीना हर लिपस्टिक पर है और उस के नीचे आर्टिस्टिक ढंग से ‘लीलाली’ लिखा हुआ है,’’ स्वीटी ने बताया.

‘‘इस के लिए तुम मुझे कितना वक्त दोगी?’’ निक ने पूछा.

‘‘ज्यादा से ज्यादा एक हफ्ता, इस से ज्यादा देर हमारे लिए बहुत खतरनाक होगी. मैं तुम्हें क्लारा का पता दे देती हूं, तुम उस पते को आसानी से ढूंढ सकते हो.’’

स्वीटी ने क्लारा का पता और फोन नंबर लिख कर निक को देते हुए बताया कि वह 6 बजे के बाद घर पर ही होती है. उसे कभी भी फोन कर सकते हो.

ये भी पढ़ें – तन्हाई : आदिल और जन्नत की नाकाम मोहब्बत

जाने से पहले स्वीटी ने एक मोटा सा लिफाफा निक वेल्वेट को सौंप दिया. उसी वक्त निक की नजर गेट पर पड़ी, जहां ग्लोरिया एक युवक के साथ दाखिल हो रही थी. चेहरे से ही वह बदमाश नजर आ रहा था. निक का खून खौल उठा. ग्लोरिया की नजर निक पर पड़ी तो वह एक पल के लिए ठिठक गई. फिर नजरें चुरा कर आगे बढ़ गई.

स्वीटी से इजाजत ले कर निक उठ खड़ा हुआ और तेजी से ग्लोरिया की तरफ बढ़ा. वह उस के पास जा कर बोला, ‘‘तुम इस वक्त यहां? और यह साहब कौन हैं?’’

‘‘तुम मनमानी करते फिरो. किसी के साथ भी ऐश करते रहो और मैं कहीं न जाऊं? मैं अपने दोस्त के साथ आई हूं. तुम्हें कोई ऐतराज है?’’

निक ग्लोरिया का हाथ पकड़ कर अपनी मेज की तरफ बढ़ गया. उस युवक ने बीच में आना चाहा तो निक ने उसे जोर का धक्का दे कर अलग हटा दिया. फिर ग्लोरिया से बोला, ‘‘आई एम सौरी, अब ऐसी भूल नहीं होगी. प्लीज मुझे माफ कर दो और लड़ाई भूल जाओ.’’

ग्लोरिया कुछ पल चुप रही, फिर मुसकरा कर निक के साथ उस की टेबल पर आ गई. निक ने ग्लोरिया को स्वीटी से मिलवाया. कुछ देर बैठ कर दोनों घर के लिए निकल पड़े. निक खुश था, क्योंकि ग्लोरिया से लड़ाई खत्म हो गई थी.

क्लारा का बाप रेंबो स्मिथ काफी मशहूर और बहुत दौलतमंद आदमी था. वह मेक्सिको में तेल के 4 कुओं का मालिक था. साथ ही कई बड़ी कंपनियों का प्रेसीडेंट भी. क्लारा की उम्र 22-23 साल थी, वह स्वीटी की क्लासफेलो और अच्छी दोस्त थी. क्लारा को उस के बाप ने पूरी आजादी दे रखी थी. वह जो चाहती थी, करती थी. मां न होने की वजह से बाप के बेजा लाड़ ने उसे बिगाड़ दिया था.

दिन भर उस की निगरानी करने के बाद निक इस नतीजे पर पहुंचा कि उस से मिलना आसान नहीं है. वह अजनबियों को अपने करीब नहीं आने देती थी. न ही हर किसी से बात करती थी. उस की हिफाजत के भी अच्छे इंतजाम थे. लेकिन निक ने उस की एक कमजोरी ढूंढ निकाली. उसे पता चला कि क्लारा को डाक टिकट जमा करने का शौक है. शौक क्या जुनून है.

एक जमाने में निक को भी डाक टिकट जमा करने का शौक था. यह क्लारा से मिलने का अच्छा बहाना हो सकता था. निक के पास डाक टिकट के कुछ नायाब और अनमोल नमूने थे, जिन की मुंहमांगी कीमत मिल सकती थी. एक टिकट तो भूतपूर्व शाह ईरान के जमाने का था, जिस पर शाह ईरान की तसवीर उलटी छपी थी. इस के अलावा एक और बहुत कीमती टिकट था. उसी टिकट जैसा एक टिकट न्यूयार्क में ढाई लाख डौलर में बिका था.

महत्त्वाकांक्षी आंचल का अंजाम – भाग 3

खूबसूरती और महत्त्वाकांक्षा बनी पतन का कारण

जवानी के साथ बढ़ती खूबसूरती ने आंचल के ख्वाबों की ऊंचाई भी बढ़ा दी. वह ग्लैमर की दुनिया में नाम कमाने के बारे में सोचने लगी. लेकिन इस के लिए न तो उस के पास अनुभव था और न ही ग्लैमर की दुनिया तक पहुंचने का रास्ता उसे पता था. अपने ख्वाबों को पूरा करने के लिए वह आधुनिक परिवेश में ढलती गई और इसी चक्कर में उस के कदम बहक गए.

उन्हीं दिनों वह वन विभाग के एक रेंजर के प्यार में उलझ गई. बाद में आंचल ने उस रेंजर की अश्लील सीडी बना ली. इस सीडी के बहाने वह रेंजर को ब्लैकमेल कर 3 करोड़ रुपए मांगने लगी. रेंजर ने पुलिस में मुकदमा दर्ज करा दिया. इस मामले में सन 2014 में पुलिस ने आंचल को गिरफ्तार किया था. आंचल को करीब ढाई महीने तक जेल में रहना पड़ा. बाद में वह जमानत पर छूट गई.

बेटी की ऐसी गुश्ताखियों से लगे सदमे के कारण पिता राकेश यादव की मौत हो गई. जेल से छूटने के बाद आंचल ज्यादा स्वच्छंद हो गई. उस ने धमतरी शहर छोड़ दिया और वह रायपुर जा कर रहने लगी.

रायपुर में उस की जानपहचान कई रईसजादों से हो गई. जल्दी ही उस की दोस्ती का दायरा रायपुर, भिलाई और दुर्ग के अलावा कई अन्य शहरों के हाईप्रोफाइल लोगों तक फैल गया. वह रायपुर में होने वाली हाईप्रोफाइल नाइट पार्टियों की शान बन गई.

रईसजादों से दोस्ती हुई तो आंचल ने रायपुर की फ्लावर वैली में किराए का एक बंगला ले लिया. साथ ही उस ने लग्जरी कार भी ले ली.

वह आधुनिक तौरतरीकों और शानोशौकत से ग्लैमरस लाइफ जीने लगी. कभीकभी वह धमतरी भी आ जाती थी. साथ ही कभी उस की मां या भाई भी रायपुर आ जाते थे. इस बीच भाई सिद्धार्थ ने धमतरी में किराए पर टैक्सी चलाने का काम शुरू कर दिया था.

आंचल भले ही रायपुर में रहती थी, लेकिन उस की स्वच्छंदता और चालचलन के किस्से धमतरी में रह रहे भाई सिद्धार्थ और मां ममता के कानों तक पहुंच जाते थे. उन्हें मौडर्न लाइफ स्टाइल के नाम पर आंचल का अश्लीलता बिखेरने वाले छोटेछोटे कपड़े पहन कर पार्टियों में शामिल होना और शराब पीना अच्छा नहीं लगता था. इस से उन के परिवार की बदनामी हो रही थी.

आंचल के कारण सिद्धार्थ और ममता को लोगों के ताने सुनने पड़ते थे. बदनामी की वजह से सिद्धार्थ की शादी भी नहीं हो रही थी. इसे ले कर आंचल और सिद्धार्थ में अकसर विवाद होता रहता था. आंचल और सिद्धार्थ के बीच पिता की संपत्ति का भी विवाद था.

आंचल ने 3 डौगी पाल रखे थे. इन में से एक डौगी का नाम उस ने अपने छोटे भाई सिद्धार्थ उर्फ जिमी के नाम पर जिमी रखा हुआ था. कई बार आंचल अपने भाई को जलील करने के लिए उस के टुकड़ों पर पलने वाला कुत्ता तक कह देती थी. बेटी के रहने सहने के ढंग और भाई के साथ उस के व्यवहार से मां भी परेशान थी.

गुस्से में उबला खून बना खतरनाक

25 मार्च को आंचल रायपुर से पेशी के सिलसिले में धमतरी आई थी. वह अपनी कार से अपने 3 पालतू कुत्ते भी लाई थी. शाम करीब 7 बजे अपनी काले रंग की कार से वह घर पहुंची. थोड़ी देर बाद उस का भाई सिद्धार्थ से पुरानी बातों को ले कर विवाद हो गया.

इस पर आंचल ने भाई से कहा कि तुम मेरी कमाई पर पल रहे हो. तुम्हारी औकात घर के पालतू कुत्ते जिमी जैसी है. यह सुन कर सिद्धार्थ को गुस्सा आ गया. उस ने आंचल को 2 तमाचे जड़ दिए.

चांटे खाने से तिलमिलाई आंचल ने अपने बैग से चाकू निकाला और सिद्धार्थ पर हमला कर दिया. इस से सिद्धार्थ के हाथ पर जख्म हो गया और खून रिसने लगा. खून बहता देख कर सिद्धार्थ अपना आपा खो बैठा.

उस ने आंचल से चाकू छीन लिया और उसी से आंचल के पेट पर कई वार किए. फिर उस ने तब तक उस पर गला दबाए रखा जब तक कि उस के प्राण नहीं निकल गए.

इस घटना के वक्त आंचल की मां ममता घर में ही थी. वह बाथरूम में काम कर रही थी. ममता बाथरूम से कमरे में आई तो आंचल फर्श पर पड़ी थी उस के पेट से खून बह रहा था और सांसें थम चुकी थीं. सिद्धार्थ ने मां को सारी बात बता दी. मां भी आंचल की हरकतों और तानों से त्रस्त थी. इसलिए वह बेटे का साथ देने को तैयार हो गई. आखिर मांबेटे ने मिल कर आंचल का शव ठिकाने लगाने की योजना बनाई.

आंचल का शव घर में पड़ा छोड़ कर सिद्धार्थ उस का मोबाइल ले कर बाइक से मकई चौक गया. वहां उस ने पान खाया, फिर म्युनिसिपल स्कूल के पास आ कर आंचल का मोबाइल स्विच औफ कर दिया. इस के बाद सिद्धार्थ घर लौट आया.

सिद्धार्थ ने मां की मदद से आंचल की कार की डिक्की में उस की लाश रखी. फिर वह पुलिस और सीसीटीवी कैमरों से बचने के लिए कार ले कर जिला अस्पताल के बगल से जाने वाली पतली गली में हो कर म्युनिसिपल स्कूल के पास पहुंचा.

वहां से वह बस्तर रोड पर निकल गया. गुरुर और कनेरी होते हुए वह गंगरेल नहर पर पहुंच गया. नहर पर पहुंच कर उस ने डिक्की से आंचल की लाश कार से निकाली. नहर के किनारे ले जा कर उस ने लाश को रस्सी के सहारे एक भारी पत्थर से बांधा और लाश नहर में लुढ़का दी.

नहर में आंचल का शव फेंकने के बाद सिद्धार्थ ने उस की घड़ी, मोबाइल फोन, सोने का ब्रेसलेट आदि चीजें वालेदगहन के पास फेंक दीं.

घर वापस लौट कर सिद्धार्थ ने आंचल की कार में लगे खून के धब्बों को साफ किया. इस से पहले मां ने कमरे में फर्श पर फैले खून को साफ कर दिया था. आंचल की लाश ठिकाने लगाने के बाद मांबेटे ने पुलिस को बताने के लिए झूठी कहानी रच ली.

दूसरे दिन नहर में आंचल का शव मिलने और शिनाख्त होने के बाद वे पुलिस को यही बताते रहे कि 25 मार्च की रात 9 बजे आंचल जब घर आई तो उस के मोबाइल पर काल आ गई थी. इस के बाद वह काल करने वाले को अपशब्द कहते हुए बाहर चली गई और फिर वापस नहीं लौटी.

पूछताछ के दौरान पुलिस को सिद्धार्थ की कलाई पर कटे का निशान नजर आया. कलाई में कट का निशान लगने के बारे में सिद्घार्थ और उस की मां ने अलगअलग बातें बताईं. इलाज कराने की बात पर भी दोनों ने अलगअलग अस्पतालों के नाम बताए. इस से पुलिस का शक मांबेटे पर गहरा गया.

छिप न सका अपराध

पुलिस ने आंचल की कार की तलाशी ली तो उस में खून के निशान मिले. इस के अलावा सीसीटीवी कैमरे खंगालने पर भगवती अस्पताल के पास से रात करीब 9 बजे आंचल की कार जाती हुई दिखाई दी. आंचल की कार में सिद्धार्थ के फिंगरप्रिंट भी मिल गए.

कई ठोस सबूत मिलने के बाद पुलिस ने जब सिद्धार्थ को हिरासत में ले कर पूछताछ की तो वह जल्दी ही टूट गया. इस के बाद उस ने आंचल की हत्या की सारी कहानी पुलिस को बता दी.

पुलिस ने सिद्धार्थ के बयानों के आधार पर उस की मां ममता यादव को भी गिरफ्तार कर लिया. सिद्धार्थ की निशानदेही पर आंचल की घड़ी, मोबाइल फोन ब्रैसलेट आदि बरामद हो गए. वह चाकू भी बरामद हो गया, जिस से आंचल की हत्या की गई थी.

यह विडंबना रही कि ग्लैमरस जिंदगी जीने की तमन्ना में आधुनिकता का लबादा ओढ़ कर स्वच्छंद उड़ान भरने वाली आंचल न तो अपनी जिंदगी जी सकी और ना ही अपने परिवार को सुकून से रहने दिया. उस के जिंदगी जीने के तौरतरीकों से हंसता खेलता परिवार बिखर गया. आंचल के खून से हाथ रंग कर  भाई और मां जेल पहुंच गए.

महत्त्वाकांक्षी आंचल का अंजाम – भाग 2

आंचल के संबंध हाईप्रोफाइल लोगों से होेने और एक बार पहले ब्लैकमेलिंग के चक्कर में जेल जाने से पुलिस ने अनुमान लगाया कि यह हत्या योजनाबद्ध तरीके से की गई है. इसलिए पुलिस ने आंचल के संपर्क वाले लोगों को जांच के दायरे में लिया. साथ ही धमतरी में लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज खंगालने का काम भी शुरू किया. पुलिस ने आंचल का मोबाइल तलाशने और उस की लोकेशन का पता लगाने की भी कोशिश की. लेकिन कुछ पता नहीं चला.

आंचल की हत्या का मामला हाईप्रोफाइल होने के कारण दुर्ग रेंज के आईजी हिमांशु गुप्ता 27 मार्च को थाना गुरुर पहुंचे. उन्होंने इस मामले में पुलिस अधिकारियों से आवश्यक जानकारी ली और उन्हें दिशानिर्देश दिए. आईजी ने धमतरी के एसपी बालाजी राव को भी इस मामले में बालोद पुलिस का सहयोग करने को कहा.

आंचल के धमतरी और रायपुर में रहने और कई शहरों के रईसजादों से संपर्क होने की वजह से जांच कई नजरिए से होनी जरूरी थी. इस के लिए पुलिस की 5 अलगअलग टीमें बनाई गईं. इन टीमों ने अलगअलग लोगों को ध्यान में रख कर जांच शुरू की. इन में एक कोण पैसे और ब्लैकमेलिंग का भी था.

आंचल ने रायपुर के वीआईपी रोड स्थित फ्लावर वैली में करीब 35 हजार रुपए महीना किराए पर बंगला ले रखा था. 28 मार्च को पुलिस ने आंचल के इस बंगले की तलाशी ली. तलाशी में पुलिस को सीडी, लैपटौप, पैनड्राइव, वन विभाग के अफसरों के नाम लिखे कुछ दस्तावेज आदि मिले.

पुलिस ने इन की जांच पड़ताल की. लेकिन कहीं से भी आंचल की हत्या का कोई क्लू नहीं मिला. पुलिस ने आंचल की फ्रैंड्स से भी पूछताछ कर के हत्या का कारण जानने का प्रयास  किया, लेकिन ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली, जिस से इस मामले में उम्मीद की कोई किरण नजर आती.

पुलिस की जांच का फोकस आंचल के दोस्तों, हाईप्रोफाइल लोगों और उस के घर वालों पर था. पुलिस ने कुछ बिंदुओं पर जांच शुरू की. ऐसा कर के पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही थी कि आंचल कब और किस समय कहां जाती थी और किन लोगों के ज्यादा संपर्क में थी.

अपने महंगे शौक पूरे करने और ग्लैमरस जिंदगी जीने के लिए आंचल के पास आमदनी के क्या स्रोत थे, यह भी जानने की कोशिश की गई. यह भी पता लगाया गया कि 25 मार्च को दिन भर उस की किनकिन लोगों से मोबाइल पर बात हुई थी. उस दिन वह रायपुर से धमतरी आई तो किनकिन लोगों को इस बात की जानकारी थी और किन लोगों से उस की मुलाकात हुई.

साथ ही यह भी कि रात 9 बजे वह बाइक पर बैठ कर किस के साथ गई थी. इस के अलावा एक पुलिस टीम को सीसीटीवी कैमरे खंगालने और आंचल के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई.

साइबर सेल की मदद से पुलिस ने आंचल के मोबाइल की काल डिटेल्स निकाली. पता चला कि 25 मार्च को आंचल के फोन पर 40 से ज्यादा लोगों के काल आए थे. इन में कई हाईप्रोफाइल लोगों के अलावा रायपुर व भिलाई के रहने वाले उस के दोस्त भी शामिल थे. पुलिस ने इन में से कई लोगों से पूछताछ की.

जांच के लिए कई कोण मिले पर सब बेकार साबित हुए

जांच में पुलिस को यह भी पता चला कि जगदलपुर के एक व्यक्ति ने आंचल के पिता राकेश यादव से 50 लाख रुपए में उन का धमतरी का मकान और जमीन खरीदी थी. बाद में आंचल ने पिता की मानसिक स्थिति खराब होने की बात कह कर इस सौदे से इनकार कर दिया था. इस पर मकान खरीदने वाले ने आंचल के खिलाफ पुलिस में मुकदमा दर्ज कराया था. पुलिस ने जमीन खरीदने वाले शख्स को जांच के दायरे में ले कर पूछताछ की.

जांच में पुलिस को कोलकाता के एक कथित तांत्रिक बाबा से भी आंचल के संपर्कों का पता चला. बाबा आंचल से मिलने रायपुर भी आता था. आंचल इस बाबा के जरिए कोई सिद्धि हासिल कर सफलता की ऊंचाइयों पर पहुंचना चाहती थी.

बाद में इस बाबा से आंचल का मोहभंग हो गया था. बाबा से पीछा छुड़ाने के बाद आंचल को अहसास हुआ कि वह ठगी गई है. आंचल ने अपने करीबी कुछ लोगों को बताया था कि बाबा ने पैसे हड़पने के साथ उस का शोषण भी किया था. हालांकि बाबा के खिलाफ आंचल ने पुलिस में कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई थी.

पुलिस ने आंचल के ब्लैकमेलिंग के पुराने मामले को ध्यान में रख कर वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों से भी पूछताछ की. लेकिन ऐसी कोई बात सामने नहीं आई, जिस से आंचल के हत्यारों का सुराग मिल पाता.

सभी एंगलों पर चल रही जांचपड़ताल के बीच 27 मार्च की शाम दुर्ग के आईजी हिमांशु गुप्ता और बालोद के एसपी एम.एल. कोटवानी ने धमतरी में आंचल के घर जा कर उस की मां ममता यादव और भाई सिद्धार्थ से पूछताछ की. इस पूछताछ में पुलिस को आंचल की हत्या के बारे में कुछ अहम सुराग मिले. इस के बाद पुलिस ने जांच की दिशा तय कर ली.

आवश्यक तथ्य  जुटाने के बाद पुलिस ने 30 मार्च की शाम आंचल के भाई सिद्धार्थ यादव को हिरासत में ले लिया. उसे थाने ला कर सख्ती से पूछताछ की गई. बाद में उसे आंचल की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया. सिद्धार्थ से पूछताछ के आधार पर उस की मां ममता यादव को भी गिरफ्तार  किया गया. मांबेटे से पूछताछ में जो कहानी उभर कर सामने आई. उस का कारण था आंचल की वजह से होने वाली परिवार की बदनामी.

धमतरी के रहने वाले राकेश यादव आबकारी विभाग में निरीक्षक थे. उन का छोटा सा परिवार था. इस परिवार में पत्नी ममता यादव के अलावा बड़ी बेटी थी आंचल और छोटा बेटा था सिद्धार्थ. राकेश यादव ने दोनों बच्चों आंचल और सिद्धार्थ को बड़े लाड़प्यार से पाला. आंचल ने धमतरी के एक इंग्लिश मीडियम स्कूल से 12वीं तक की पढ़ाई करने के बाद ग्रैजुएशन की. इस के बाद उस ने एक निजी बीमा कंपनी में काम करना शुरू कर दिया.

कहा जाता है कि तीखे नाकनक्श वाली आंचल जैसेतैसे जवान होती गई, वैसेवैसे उस की खूबसूरती गजब ढाने लगी. आंचल जब आइने में अपना चेहरा देखती थी तो उसे अपनी खूबसूरती पर रश्क होता. उस की सहेलियां भी उसे हीरोइन कह कर चिढ़ाती थीं. वे उस से कहती थीं कि तू इतनी खूबसूरत है कि फिल्मी हीरोइन भी तेरे आगे पानी भरेंगी.

महत्त्वाकांक्षी आंचल का अंजाम – भाग 1

छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में गुरुर थाने से करीब 5-7 किलोमीटर दूर स्थित धानापुरी गांव के कुछ लोग सुबह 8 बजे जब गंगरेल भिलाई नहर में नहाने गए तो वहां उन्होंने एक युवती की लाश तैरती देखी.

ग्रामीणों ने इस की सूचना धानापुरी की सरपंच योगेश्वरी मानिक सिन्हा और गुरुर थाना पुलिस को दी. पुलिस ने वहां पहुंच कर नहर में तैरती लाश को बाहर निकलवाया. लाश किसी युवती की थी, जिस की उम्र करीब 30 साल थी. लाश के हाथपैर और गला रस्सी से बंधा हुआ था. रस्सी को एक भारी पत्थर से बांधा गया था. मृतका के पेट पर चाकू से वार करने के 2 निशान थे. पुलिस जब नहर से लाश निकालने की काररवाई कर रही थी, तब आसपास के काफी ग्रामीण एकत्र हो गए.

पुलिस ने मौके पर मौजूद लोगों से युवती की शिनाख्त कराने के प्रयास किए. लेकिन कोई भी उस युवती को नहीं पहचान सका. युवती चुस्त कुरता और सलवार पहने थी. मृतका की हथेली पर अंग्रेजी में ए. यादव लिखा था और बाएं हाथ पर पंखुड़ी का टैटू बना हुआ था.

इस बीच, बालोद के एसपी एम.एल. कोटवानी भी मौके पर पहुंच गए. निरीक्षण कर उन्होंने अनुमान लगाया कि युवती की हत्या रात को की गई होगी और उस के शव को करीब 10 किलोमीटर के दायरे से ला कर वहां फेंका गया है.

लाश को पत्थर से बांध कर संभवत: इसलिए फेंका गया होगा कि वह पानी के नीचे डूबी रहे. लेकिन गंगरेल नहर में बहाव तेज होने से लाश पत्थर सहित पानी के साथ बह कर धानापुरी की तरफ आ गई.

प्राथमिक काररवाई के बाद पुलिस ने युवती के शव को सरकारी अस्पताल भिजवा दिया. आगे की जांच के लिए सब से पहले लाश की शिनाख्त जरूरी थी, कपड़ों और टैटू से लग रहा था कि युवती किसी खातेपीते परिवार की और बड़े शहर की रहने वाली थी. समझदारी से काम लेते हुए पुलिस ने युवती के शव के फोटो वाट्सएप के जरिए सोशल मीडिया पर डाल दिए.

इस का परिणाम भी जल्दी ही सामने आ गया. कई लोगों ने उस शव की शिनाख्त आंचल यादव के रूप में की. पुलिस को केवल मृतका का नाम पता चला था, बाकी जानकारी नहीं मिली थी. इस पर पुलिस ने आंचल यादव नाम की युवतियों के फेसबुक अकाउंट खंगाले.

इस में आंचल यादव नाम के एक फेसबुक अकाउंट पर लगी फोटो से लाश का हुलिया मेल खा रहा था. आंचल के फेसबुक अकाउंट पर एक ऐसी फोटो भी मिल गई. जिस में उस के हाथ पर पंखुड़ी का टैटू साफ नजर आ रहा था. टैटू का मिलान होने पर यह तय हो गया कि लाश आंचल यादव की ही है.

आंचल की लाश की हुई शिनाख्त

फेसबुक अकाउंट और अन्य सूत्रों से पुलिस को पता चला कि आंचल गुरुर से 5-7 किलोमीटर दूर जिला मुख्यालय धमतरी की विवेकानंद कालोनी की रहने वाली थी. वह धमतरी के अलावा छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में भी रहती थी.

शव की विश्वसनीय शिनाख्त मृतका के घर वाले कर सकते थे. इस के लिए गुरुर थाना पुलिस ने धमतरी सिटी कोतवाली पुलिस से संपर्क किया. धमतरी पुलिस के सहयोग से गुरुर थाना पुलिस का संपर्क आंचल के परिवार से हो गया.

पुलिस की सूचना पर आंचल के भाई सिद्धार्थ ने अस्पताल जा कर शव की शिनाख्त की. शव आंचल यादव का ही था. पुलिस ने पोस्टमार्टम कराने और आवश्यक काररवाई के बाद देर शाम आंचल का शव उस के भाई सिद्धार्थ को सौंप दिया. बालोद थाने में हत्या का मामला पहले ही दर्ज कर लिया गया था.

पुलिस ने आंचल के बारे में जानकारी लेने के लिए उस के परिवार वालों से पूछताछ की. उस की मां ममता यादव ने बताया कि आंचल एक दिन पहले यानी 25 मार्च को रायपुर से अदालत की किसी पेशी के सिलसिले में धमतरी आई थी. उस रात वह करीब 9 बजे अपनी कार से धमतरी में विवेकानंद कालोनी स्थित घर पर पहुंची थी.

घर पहुंचते ही उस के मोबाइल पर एक काल आई. फोन पर बात करने के बाद आंचल घर से चली गई. मां ने उसे रात में जाने से रोका भी था, लेकिन वह नहीं मानी और थोड़ी देर में लौट आने की बात कह कर घर से बाहर निकल गई.

पुलिस ने अपने स्तर पर आंचल यादव के बारे में पता करवाया. पता चला कि ग्लैमरस लाइफ जीने वाली आंचल का धमतरी, भिलाई और रायपुर के अलावा छत्तीसगढ़ व अन्य कई बड़े शहरों के हाई प्रोफाइल लोगों से संपर्क था. वह अकसर रायपुर की पेज थ्री पार्टियों और क्लबों में नजर आती थी. उसे लग्जरी कारों का भी शौक था.

तीखे नाकनक्श वाली आंचल जिस शानोशौकत और आधुनिकता से रहती थी, उस से लोगों का अनुमान था कि वह मौडलिंग करती है और छत्तीसगढ़ की छौलीवुड हीरोइन है. आंचल ने अपने फोटोशूट कराने के लिए पर्सनल फोटोग्राफर रखा हुआ था. हालांकि लोगों ने आंचल को कभी मौडलिंग करते या  किसी फिल्म अथवा एलबम वगैरह में नहीं देखा था, लेकिन उस का रहनसहन और जीवनशैली किसी फिल्मी हीरोइन से कम नहीं थी. इसलिए सभी उसे मौडल या हीरोइन समझते थे.

आंचल रोजाना फेसबुक व सोशल मीडिया पर एक्टिव रहती थी. वह फेसबुक पर रोजाना अपना एक ग्लैमरस फोटो अपलोड करती थी. अपने फेसबुक अकाउंट पर 25 मार्च को शाम 4 बज कर 7 मिनट पर अंतिम बार उस ने एक कुत्ते के साथ वाला फोटो अपलोड किया था. आंचल के फेसबुक पर 22 हजार से ज्यादा फौलोअर थे.

प्रारंभिक जांच पड़ताल में यह बात भी सामने आई कि फरवरी 2014 में वन विभाग के एक रेंजर की अश्लील सीडी बना कर आंचल ने उसे ब्लैकमेल कर 3 करोड़ रुपए मांगे थे. इस मामले में उसे पुलिस ने गिरफ्तार भी किया था. कुछ दिन बाद जेल से छूटने पर आंचल ने अपना गृहनगर धमतरी छोड़ दिया था और रायपुर में अकेली रहने लगी थी. आंचल ने अपनी फेसबुक प्रोफाइल पर खुद को रिलायंस लाइफ इंश्योरेंस कंपनी की एक्जीक्यूटिव सेल्स मैनेजर बताया था.

शौर्ट पोस्टमार्टम रिपोर्ट में आंचल की हत्या की पुष्टि हो गई. उस के पेट में चाकू से वार करने के निशान थे. यह स्पष्ट नहीं हुआ था कि हत्या से पहले उस के साथ दुष्कर्म हुआ था या नहीं. पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टर ने रिपोर्ट में लाश के करीब 12 घंटे तक पानी में रहने की बात कही थी.

इस से पुलिस ने अनुमान लगाया कि घर से निकलने के कुछ ही देर बाद आंचल की हत्या कर दी गई होगी. मां ने बताया था कि आंचल के पास मोबाइल था. लेकिन पुलिस को कोई मोबाइल फोन नहीं मिला था.

रहस्य बन गई थी आंचल की हत्या

आंचल के घर वालों ने 27 मार्च को धमतरी में उस की लाश का अंतिम संस्कार कर दिया. आंचल के शव की अंत्येष्टि के बाद पुलिस ने उस के घर वालों से पूछताछ की. इस में वही बात सामने आई कि 25 मार्च की रात 9 बजे आंचल के मोबाइल पर किसी की काल आई थी.

उस के बाद वह अपनी कार घर पर छोड़ कर कहीं चली गई थी. वह किस के साथ गई, इस के बारे में आंचल की मां और भाई ने अनभिज्ञता जताई. मां ने इतना जरूर बताया कि आंचल किसी के साथ बाइक पर बैठ कर गई थी.

बाल्टी में लाश : हादसा या हत्या?

बाल्टी में बच्चा पड़ा था. अगले पल जब बाल्टी पर नजर गई तब उगमराज की चीख निकल गई. असल में 7 महीने का गुन्नू (Gunnu) बाल्टी के पानी में ही (Balti Me Mili Lash) औंधे मुंह उलटा पड़ा था.

उसे तुरंत बाहर निकाला गया. उगमराज चीखते हुए बोले, ”किस ने किया ऐसा. गुन्नू बाल्टी के पानी में कैसे आ गया?…और बाल्टी यहां कहां से आई? कौन लाया इसे यहां..?’’

एक तरफ शोभा अपने बेटे की मौत के गम को नहीं झेल पा रही थी, दूसरी तरफ घर के सभी लोग इस बात को ले कर परेशान थे कि वह कौन निर्दयी कौन हो सकता है, जिस ने मासूम बच्चे को इतनी बेरहमी से मारा होगा? पुलिस भी इस का कोई कारण नहीं तलाश पाई थी.

राजस्थान (Rajasthan) के पाली (Pali) जिले का एक कस्बा है बर. यहां की न्यू कालोनी में रहने वाले चंपालाल चौहान के घर सुबह से ही गहमागहमी थी. उन के यहां एक घरेलू आयोजन चल रहा था. वहां आसपास के लोगों के साथ पड़ोसी भीकमचंद चौहान भी आमंत्रित थे. भीकमचंद के खुशहाल परिवार में 2 बेटे थे उत्तम चंद और उगमराज.

उत्तम चंद के परिवार में 2 बेटे और एक बेटी थी, जबकि उगमराज के घर 10 साल की बेटी के बाद 7 माह पहले ही एक बेटा पैदा हुआ था. उसे पूरा परिवार प्यार से गुन्नू बुलाता था. गुन्नू अपनी मां शोभा की तो आंखों का तारा था. वह उसे पलभर के लिए भी अपनी आंखों से ओझल नहीं होने देती थी. दरअसल, बेटी के जन्म के बाद बड़ी मुश्किल से गुन्नू का जन्म हुआ था. इस से पहले वह 4 बार गर्भपात की पीड़ा भी झेल चुकी थी.

balti-me-lash-family-gunnu

दोनों भाइयों की खुशहाल जिंदगी संयुक्त परिवार में बीत रही थी. आपसी मेलजोल बना हुआ था. उन के परिवार के लोग चंपालाल परिवार के बुलावे पर दिन में करीब 3 बजे उन के घर गए थे. संयोग से उस वक्त गुन्नू सो रहा था. उस की मां शोभा ने अपने कमरे में लगे झूले में सुला कर दरवाजे की कुंडी बाहर से लगा दी थी. उस वक्त भीकमचंद के मकान में मरम्मत का काम भी चल रहा था. वहां 6 मजदूर काम पर लगे हुए थे.

शोभा को गुन्नू के सोने के समय का पता था. इस कारण वह उसे सोता छोड़ कर पड़ोस में चली गई थी. 2 जुलाई, 2023 की शाम के करीब पौने 5 बजे शोभा का पति उगमराज मजदूरों के काम को देखने के लिए अपने घर गया. मजदूरों से मिल कर वह अपने कमरे में भी गया. वहां झूले पर गुन्नू को नहीं पाया तो उसे थोड़ी चिंता हुई. कारण, शोभा ने उसे बताया था कि वह गुन्नू को झूले पर सुला कर आई है.

उगमराज को न जाने क्या सूझी तुरंत चंपालाल के घर चला गया. वहां शोभा की गोद में गुन्नू को नहीं पा कर पूछ बैठा, ”गुन्नू कहां है?’’

शोभा गुन्नू के बारे में अचानक पूछे जाने पर हैरान हो गई. वह बोली, ”गुन्नू कहां है! झूले पर सो रहा होगा.’’

”…लेकिन वह तो झूले में नहीं है.’’

”नहीं है… क्या मतलब है तुम्हारा? उसे तो मैं अपने कमरे में झूले पर सुला आई थी. मैं ने बताया तो था तुम्हें.’’ शोभा आश्चर्य से बोली.

”वो वहां नहीं है.’’

”तो फिर उसे झूले से कौन ले गया? कहीं उस झूले से जमीन पर तो नहीं गिर गया?’’ बोलती हुई शोभा तुरंत अपने घर गई. उन की बातें उगमराज की भाभी गुड़िया  ने भी सुनी. वह भी शोभा और उगमराज के साथ अपने देवर के कमरे में आ गई. सभी ने देखा झूला खाली था. नीचे जमीन पर या आसपास भी गुन्नू नहीं दिख रहा था.

घर में सभी गुन्नू के नहीं मिलने पर चिंतित हो गए. वे इधर उधर ढूंढने लगे. उसे तलाशते हुए उगमराज घर के स्टोर रूम में चला गया. वहां रखी बाल्टी से उस के पैर टकरा गए. उस में रखा पानी छलक कर उस के पैर पर जा गिरा.

उगमराज खीझता हुआ बोला, ”स्टोररूम में बाल्टी, वह भी पानी से भरी हुई? यह मजदूरों का ही काम होगा. शोभा की नजर बाल्टी पर गई तो उस में उस का बेटा गुन्नू पड़ा था.

”पानी की बाल्टी में यह कैसे आ गया?’’ कहते हुए शोभा ने झट से गुन्नू को अपने सीने लगा लिया. लेकिन यह क्या, उस ने पाया कि उस की सांसें और दिल की धड़कनें सभी बंद हैं. वह रोने लगी. चीखने लगी. बिफरने लगी. बोली, ”चलो, जल्द ले चलो इसे डाक्टर के पास!’’

उगमराज और दूसरे लोगों ने बच्चे की नाक के पास हाथ ले जा कर चैक किया, उस की सांसें जरा भी नहीं चल रही थी. उस की मौत हो चुकी थी.

gunnu--ka-shav

इस की सूचना पुलिस को भी दे दी गई. बर थाने के एसएचओ सुखदेव सिंह उगमराज के घर आ गए. उन्होंने बच्चे के मातापिता और घर के अन्य सदस्यों से किसी पर शक होने की जानकारी लेनी चाही. किसी ने इस बारे में कुछ नहीं बताया. कुछ लोगों ने वहां काम करने वाले मजदूरों पर संदेह जताया, लेकिन उन से पूछताछ पर कोई ठोस जानकारी नहीं मिल पाई.

थोड़ी देर के लिए बच्चे की हत्या का आरोप घर में काम करने वाले मजदूरों पर भी लगा, लेकिन उन से पूछताछ के बाद कोई नतीजा नहीं निकला.

घटना के अगले दिन 3 जुलाई, 2023 को बच्चे के मातापिता और दूसरे परिजनों ने सरपंच महेंद्र चौहान के साथ अस्पताल में काफी हंगामा किया और हत्यारे की गिरफ्तारी की मांग करने लगे.

इस हंगामे की सूचना पा कर जेतारण की सीओ सीमा चोपड़ा अस्पताल पहुंच गईं. उन्होंने किसी तरह धरना प्रदर्शन को शांत करवाया और गुन्नू की हत्या का मामला बर थाने में दर्ज करवा दिया. रिपोर्ट में संदेह के आधार पर 2 लोगों पर हत्या का आरोप लगाया गया.

इस वारदात की जांच के सिलसिले में सीओ सीमा ने घटनास्थल की जांच की. उन्होंने पाया कि भीकमचंद के मकान की पहली मंजिल पर निर्माण का कार्य चल रहा था. वहां मजदूरों के अलावा राजमिस्त्री भी थे. मरम्मती का काम भीकमचंद और उन की पत्नी की देखरेख में ही चल रहा था. जांच के दौरान परिजनों का पूरा विवरण जुटाया गया.

पुलिस की पूछताछ 2 दिनों तक लगातार हुई. परिवार, रिश्तेदार, मजदूर और पासपड़ोस के दोस्त आदि से भी गहन पूछताछ हुई. उन से निकाले गए निष्कर्ष के आधार पर शक की सुई परिवार के ही एक सदस्य पर जा टिकी. वह और कोई नहीं मृतक की चाची गुड़िया  थी.

पुलिस ने पाया कि गुन्नू की मौत से सब से ज्यादा दुखी गुड़िया   थी. उस का रोरो कर बुरा हाल था. रोने से उस की भी तबीयत खराब हो गई थी, जिस से उसे अस्पताल में भरती करवाना पड़ा था.

पानी भरी उस बाल्टी की भी जांच की गई, उस में सुनहरे रंग के सितारे नजर आ रहे थे. उसे देखते ही जांच अधिकारी का माथा ठनका, क्योंकि उसी तरह के कुछ सितारे गुड़िया  के चेहरे पर भी चिपके हुए थे और उस ने जो चुन्नी ओढ़ रखी थी, उस पर भी वैसे ही गोल्डन रंग के सितारे लगे हुए थे. जांच की इस जानकारी के बाद पुलिस का गुड़िया  पर शक होना स्वाभाविक था. अब जरूरत इस की पुष्टि होने की थी.

हालांकि इस बारे में जांच टीम आश्वस्त थी कि गुन्नू की हत्या में गुड़िया  का हाथ हो सकता है. उस की स्थिति में सुधार होने पर सुखेदव सिंह ने पूछताछ के लिए उसे थाने बुलवाया. पूछताछ के लिए जांच टीम ने काफी समझदारी से काम लिया. उस से मनोवैज्ञानिक तरीके सवाल पूछे गए.

पहले तो गुड़िया  ने खुद को निर्दोष बताया, लेकिन जल्द ही वह सीओ सीमा चोपड़ा के उलझे हुए सवालों में फंस गई. उसे बाल्टी में मिले गोल्डन सितारों के बारे में बताया गया और उसे झूठ बोलने वाली मशीन से पूछताछ करवाने की बात कही.

सीमा ने उस से पूछा, ”सचसच बताना, तुम 2 जुलाई को उस वक्त मजदूरों के लिए चाय बनाने के लिए घर आई थी न, जिस समय गुन्नू की मां चंपालाल के यहां खाना खा रही थी?’’

”हां, आई थी.’’ गुड़िया  बोली.

”तुम ने चाय बनाई थी?’’

”नहीं, मैं ने चाय नहीं बनाई थी.’’ गुड़िया  तुरंत बोली.

”तब तुम ने चंपालाल के घर पर महिलाओं से क्यों बोला कि मजदूरों को चाय पिला कर आ रही है?’’

इस क्रौस सवाल पर गुड़िया  उलझ गई. जवाब देने के बजाए ‘हां’ ‘न’ करने लगी. उस की सकपकाहट को देख कर सीमा चौधरी ने एक जबरदस्त डांट लगाई और झापड़ मारने के लिए हाथ उठाया ही था कि गुड़िया  घबराहट के साथ बोल पड़ी, ”जी…जी मैडम! में बताती हूं…सब कुछ बताती हूं…’’ बोलते बोलते गुड़िया  रोने लगी.

कुछ सेकेंड बाद दुपट्टे से आंसू पोंछती हुई बोलने लगी, ”मुझ से बहुत बड़ा अपराध हो गया, मैं ने गुन्नू की हत्या का अपराध किया है. मुझे जो सजा देनी है, दे दीजिए, लेकिन उस से गुन्नू वापस तो नहीं आ जाएगा न!’’

”तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई एक दुधमुंहे बच्चे को मारने की? उसे तुम ने बेरहमी से पानी में डुबो कर मार डाला… तुम तो बड़ी निर्दयी हो.’’ सीओ डपटती हुई बोली.

”मैडमजी, यही तो मुझे समझ में नहीं आया… मैं ने यह सब संपत्ति के लालच में किया. मैं चाहती थी कि हमारी पुश्तैनी संपत्ति मेरे बेटों को ही मिले… मैं लालच में अंधी हो गई थी.’’

गुड़िया  द्वारा फैमिली क्राइम (Family Crime) करने की बात स्वीकार लिए जाने के बाद उसे न्यायिक हिरासत में ले लिया गया. उस के बाद जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी—

थाना बर के अंतर्गत न्यू कालोनी में रहने वाले भीकमचंद ने दोनों बेटों उत्तमचंद और उगमराज को अलगअलग कपड़े की दुकान खुलवा दी थी. उत्तमचंद की दुकान बालुंदा गांव में थी, जबकि उगमराज की दुकान बर में ही थी.

दोनों सुबह होते ही अपनीअपनी दुकानों के लिए निकल पड़ते थे. दिन भर दुकान संभालने के बाद शाम को घर वापस लौट आते थे. दोनों संयुक्त परिवार में ही रह रहे थे. परिवार में सब कुछ ठीक चल रहा था, सिर्फ गुड़िया  के मन में ही खलबली मची रहती थी.

उसे बेटे की कमी खलती थी. जब भी वह शोभा के छोटे बेटे गुन्नू को देखती थी, उस के दिल में एक टीस उभरती थी, किंतु मन मसोस कर रह जाती थी. गुन्नू के जन्म के बाद से ही उस के व्यवहार में बदलाव आ गया था. इस के जन्म से पहले गुड़िया  चाहती थी कि देवर उगमराज उस के 2 बेटों में से एक को गोद ले ले.

इस के पीछे उस की मानसिकता संपत्ति का बंटवारा होने से रोकने की थी. उसे पता था कि संपत्ति का आधा भाग गोद दिए बेटे को मिल जाएगा. किंतु गुन्नू के पैदा होने पर उस की सोच पर पानी फिर गया. उस के बाद उस के दिमाग को संपत्ति के एक और हकदार की बात कचोटने लगी.

गुड़िया  को संपत्ति के बंटवारे का डर सताने लगा. वह देवरानी शोभा से जलने लगी. क्योंकि उस की हरसत पर पानी फिर गया था. उस के बाद ही उस ने गुन्नू की हत्या की योजना बना ली थी. उसे सिर्फ मौके की तलाश थी, जो उसे चंपालाल के यहां घरेलू आयोजन के मौके पर 2 जुलाई को मिल गया था.

aropi-gudiya-devi-balti-me-lash

उस रोज गुड़िया  भी चंपालाल के यहां कार्यक्रम में शामिल थी. कार्यक्रम के दौरान जब भोजन की तैयार होने लगी, तब गुड़िया  मजदूरों को चाय देने के बहाने से अपने घर आ गई. वहां उस ने गुन्नू को झूले में सोया देखा. उस की आंखों में तब तक चमक आ चुकी थी. वह स्टोर में रखी बाल्टी बाहर ले आई. उस में मटके का पानी भर दिया. पानी भरी बाल्टी दोबारा स्टोर में रख आई.

गुड़िया  ने गहरी नींद में सो रहे गुन्नू को उल्टा कर के पानी भरी बाल्टी में डाल दिया. वह पानी में छटपटाने लगा. कुछ देर तक उस की छटपटाहट वह देखती रही. जब उस की सांस रुकने के बाद पानी के बुलबुले आने बंद हो गए, तब गुड़िया  चुपके से चंपालाल के यहां कार्यक्रम में चली आई.

गुन्नू के पानी में छटपटाने के दरम्यान गुड़िया  की सितारों लगी चुन्नी पानी में गिर कर गुन्नू की देह पर लिपट गई थी. जिस से उस के कुछ सितारे बाल्टी के तले और गुन्नू के शरीर पर भी चिपक गए थे.

गुड़िया  द्वारा अपना जुर्म स्वीकारे जाने के बाद उस के बयान को कलमबद्ध कर लिया गया था. पूरे मामले की जांच के बाद गुड़िया  5 जुलाई, 2023 को कोर्ट में पेश कर दी गई थी. वहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

अय्याशी में डबल मर्डर : होटल मालिक और गर्लफ्रेंड की हत्या