Hindi Crime Story : लापता युवक का 10 साल बाद मिला कंकाल, नोकिया फोन से खुला मौत का राज

Hindi Crime Story : हाल ही में मौत का एक ऐसा मामला सामने आया है, जिस ने सभी को झकझोर कर रख दिया है. एक कमरे से आ रही तेज दुर्गंध ने इलाके में सनसनी फैला दी. जिसे देख आस पास के लोग हैरान हो गए और तुरंत पुलिस को सूचित किया. मौके पर पहुंची पुलिस ने एक कमरे में कंकाल बरामद किया. यह कंकाल किस का था? इस का हत्यारा कौन था? इन सभी सवालों ने पुलिस को भी उलझा कर रख दिया है. चलिए जानते हैं कि इस चौंकाने वाली घटना को विस्तार से

यह सनसनीखेज घटना हैदराबाद के नामपल्ली इलाके की है. जहां 14 जुलाई, 2025 को उस समय हड़कंप मच गया, जब लोगों को पता चला कि 10 साल से लापता अमीर खान का कंकाल एक बंद कमरे में पड़ा था. घटना तब सामने आई, जब स्थानीय युवक क्रिक्रेट खेल रहे थे तो उन की बौल उस घर में जा गिरी, जिस में कंकाल था. बौल लेने गया युवक कंकाल को घर में देखकर दंग रहा गया. उस के पैरों के नीचे की जमीन खिसक गई.

वह दौड़ता हुआ वहां से भागा और इस के बाद उस ने तुरंत आसपास के लोगों को यह बताया. पुलिस को सूचित किया गया. पुलिस टीम ने मौके पर पंहुच कर जांच शुरु कर दी. इस के बाद पुलिस घर के पास पहुंची और ताला तोड़ा तो अदंर एक कंकाल पड़ा हुआ था और उसके साथ एक पुराना नोकिया फोन भी मिला. इस फोन की मदद से पुलिस को मृतक की पहचान करने मे सफलता मिली.

पुलिस को बाद में जांच द्वारा पता चल सका कि यह कंकाल 55 साल के अमीर खान का है, जो 10 साल से लापता था. पुलिस की जांच के अनुसार घर करीब 7 साल से बंद था.

पुलिस को शुरुआत में लगा की किसी ने अमीर की हत्या की होगी. लेकिन फोन की जांच ने पूरा मामला बदल दिया. पुलिस ने जब फोन को चार्ज किया तो उस में करीब 84 मिस्ड कौल थीं, जो उस के दोस्तों और रिश्तेदोरों की थीं. पुलिस ने बताया की ये मिस्ड कौल 2015 के आसपास की गई थीं, जब अमीर खान लापता हुआ था.

पुलिस के अनुसार, अमीर खान घर नामपल्ली इलाके में अकेला रहा करता था. अमीर के अब्बू का नाम मुनीर खान था और उन के 10 बच्चे थे. इन में अमीर खान 10 तीसरे नंबर का था.
परिवार के सभी लोग अलग अलग जगह रहा करते हैं.

पुलिस को शक है कि अकेलेपन और किसी स्वास्थ्य प्रोब्लम के कारण उस की मौत हुई होगी. पुलिस ने कंकाल को फोरैंसिक जांच के लिए भेज दिया है. मामले की जांच गहराई से एसीपी (आसिफनगर) किशन कुमार की देखरेख में चल रही है. Hindi Crime Story

Hindi Stories : पुलिस अफसर रूपा तिर्की की मौत बनी रहस्य, सुसाइड या साजिश थी

Hindi Stories : रूपा तिर्की एक तेजतर्रार पुलिस अधिकारी थी. बैचमेट एसआई शिव कुमार से वह प्यार करती थी, लेकिन शिव कुमार उस से शादी करने से कतरा रहा था. उस की वादाखिलाफी से वह इस कदर तनाव में आ गई कि…

बात 3 मई, 2021 की है. शाम को करीब 7 बजे का समय रहा होगा. सबइंसपेक्टर मनीषा कुमारी ड्यूटी पूरी करने के बाद अपने क्वार्टर पर पहुंची. उस का क्वार्टर अपनी बैचमेट एसआई रूपा तिर्की के क्वार्टर के सामने था. रूपा तिर्की झारखंड के साहिबगंज जिला मुख्यालय पर महिला थानाप्रभारी थीं और मनीषा साहिबगंज में ही नगर थाने में तैनात थी. मनीषा जब क्वार्टर पर पहुंची, तो रूपा का कमरा अंदर से बंद था. इस का मतलब था कि रूपा अपनी ड्यूटी से आ चुकी थी. रूपा का हालचाल पूछने के लिए मनीषा ने उस के रूम का दरवाजा खटखटाया, लेकिन अंदर से कोई जवाब नहीं मिला.

कई बार की कोशिशों के बाद भी जब रूपा ने कमरा नहीं खोला तो मनीषा सोच में पड़ गई. वैसे भी शाम के करीब 7 ही बजे थे. इसलिए सोने का समय भी नहीं हुआ था. मनीषा ने आसपास के लोगों को बुला कर एक बार फिर रूपा को आवाज देते हुए जोर से दरवाजा खटखटाया, लेकिन इस बार भी कमरे के अंदर से कोई हलचल नहीं हुई. आखिर मनीषा ने दरवाजा तोड़ने का फैसला किया. लोगों की मदद से दरवाजा तोड़ कर मनीषा जब कमरे के अंदर घुसी तो रूपा पंखे के एंगल से एक रस्सी के सहारे लटकी हुई थी. यह देख कर मनीषा हैरान रह गई. उस ने एक पुलिस अफसर के तौर पर रूपा की नब्ज टटोल कर देखी, लेकिन उस में जीवन के कोई लक्षण नजर नहीं आए.

एकबारगी तो वह सोच में पड़ गई कि क्या करे और क्या नहीं करे? फिर उस ने सब से पहले एसपी साहब को सूचना देना उचित समझा. सूचना मिलने पर साहिबगंज एसपी अनुरंजन किस्पोट्टा, एसडीपीओ राजेंद्र दुबे और दूसरे पुलिस अफसर मौके पर पहुंच गए. पुलिस अफसरों ने मौकामुआयना किया. रूपा ने फांसी लगा कर खुदकुशी कर ली थी. अफसरों ने कमरे की तलाशी ली. चीजों को उलटपुलट कर देखा, ताकि कुछ पता चल सके कि रूपा ने यह कदम क्यों उठाया, लेकिन न तो कोई सुसाइड नोट मिला और न ही ऐसी कोई बात पता चली, जिस से रूपा के आत्महत्या करने के कारणों पर कोई रोशनी पड़ती.

पुलिस अफसर समझ नहीं पाए कि ऐसा क्या कारण रहा कि रूपा ने खुदकुशी कर ली? अविवाहित रूपा 2018 बैच की तेजतर्रार महिला सबइंसपेक्टर थी. अफसरों ने रूपा के परिवार वालों को फोन कर के इस घटना की सूचना दी. रूपा के परिजन झारखंड की राजधानी रांची के पास रातू गांव के कांटीटांड में रहते थे. रूपा के फांसी लगाने की बात सुन कर उस के मातापिता अवाक रह गए. रात ज्यादा हो गई थी. पुलिस ने रूपा का शव फांसी के फंदे से उतरवा कर पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भिजवा दिया. दूसरे दिन 4 मई को रूपा के परिवार वाले साहिबगंज पहुंच गए. रूपा की मां पद्मावती उराइन ने पुलिस को बताया कि 3 मई को दोपहर करीब 3 बजे रूपा से उन की बात हुई थी.

तब रूपा ने कहा था कि वह जो पानी पी रही है, वह दवा जैसा कड़वा लग रहा है. बेटी की इस बात पर मां ने उस से तबीयत के बारे में पूछा. रूपा ने मां को बताया कि उस की तबीयत ठीक है. इस पर मां ने उसे आराम करने की सलाह दी थी. महिला थानाप्रभारी बनने पर रूपा को जब पुलिस की सरकारी गाड़ी मिली तो दोनों उसे ज्यादा टार्चर करने लगी थीं. दोनों ने कुछ दिन पहले रूपा को किसी हाईप्रोफाइल केस को मैनेज करने के लिए एक नेता पंकज मिश्रा के पास भी भेजा था. पंकज मिश्रा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का नजदीकी रहा है. परिवार वालों ने कहा कि रूपा ने आत्महत्या नहीं की, बल्कि उस की हत्या की गई है. मां ने बेटी की हत्या का आरोप लगाते हुए साहिबगंज एसपी को तहरीर दी.

उन्होंने इस मामले में कमेटी गठित कर पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की. उन्होंने कहा कि उस की बेटी के क्वार्टर के सामने रहने वाली एसआई मनीषा कुमारी और ज्योत्सना महतो हमेशा रूपा को टार्चर करती थीं. वे उस से जलती थीं और हमेशा उसे नीचा दिखाने की कोशिश करती थीं. मां ने लगाया हत्या का आरोप मां पद्मावती ने मौके पर मौजूद रहे लोगों से पूछताछ के बाद रूपा की हत्या करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उस के शव को पंखे से लटकाया गया था. पंखे और पलंग की दूरी काफी कम थी. शव पंखे से तो लटका था, लेकिन घुटने पलंग पर मुड़े हुए थे. गले में रस्सी के 2 निशान थे. शरीर के कुछ अंगों पर जगहजगह दाग भी थे.

शव ध्यान से देखने से लग रहा था कि उस के हाथों को पकड़ा गया था. घुटने पर भी मारने के निशान थे. उस के कपड़े भी आधेअधूरे थे. रूपा की मौत के मामले में साहिबगंज के जिरवाबाड़ी ओपी थाने के एसआई सतीश सोनी के बयान के आधार पर केस दर्ज कर लिया गया. पुलिस ने जांचपड़ताल के लिए रूपा का क्वार्टर भी सील कर दिया.  मामला एक पुलिस अधिकारी की मौत का था. दूसरे यह संदिग्ध भी था. इसलिए साहिबगंज के उपायुक्त ने कार्यपालक दंडाधिकारी संजय कुमार और परिजनों की मौजूदगी में शव का मैडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम कराने और इस की वीडियोग्राफी कराने के आदेश दिए. उपायुक्त के आदेश पर पुलिस ने 3 डाक्टरों के मैडिकल बोर्ड से रूपा के शव का पोस्टमार्टम कराया.

पोस्टमार्टम कराने के बाद पुलिस की ओर से साहिबगंज के पुलिस लाइन मैदान में रूपा तिर्की को अंतिम विदाई दी गई. सशस्त्र पुलिस की टुकड़ी ने उन्हें सलामी दी. एसपी अनुरंजन किस्पोट्टा, साहिबगंज के एसडीपीओ राजेंद्र दुबे, बरहरवा के एसडीपीओ प्रमोद कुमार मिश्रा और राजमहल के एसडीपीओ अरविंद कुमार के अलावा अनेक थानाप्रभारियों तथा पुलिस जवानों ने फूलमालाएं अर्पित कर रूपा को श्रद्धांजलि दी. बाद में रूपा का शव परिवार वालों को सौंप दिया गया. रूपा का शव 5 मई की सुबह रूपा के पैतृक गांव रातू के काठीटांड पहुंचा. उसी दिन रूपा का अंतिम संस्कार कर दिया गया. शवयात्रा में गांव के लोगों के साथ राज्यसभा सांसद समीर उरांव, विधायक बंधु तिर्की, रांची की महापौर आशा लकड़ा, महिला आयोग की आरती कुजूर, प्रमुख सुरेश मुंडा सहित अनेक जनप्रतिनिधि भी शामिल हुए, लेकिन पुलिस और प्रशासन का कोई बड़ा अधिकारी वहां नहीं पहुंचा.

सीबीआई जांच की उठी मांग एक तेजतर्रार पुलिस अफसर के तथाकथित रूप से आत्महत्या करने की बात रूपा के गांव में किसी के गले नहीं उतर रही थी. उस के पिता सीआईएसएफ जवान देवानंद उरांव और मां पद्मावती सहित सभी घर वालों का आरोप था कि रूपा की हत्या किसी साजिश के तहत की गई है और इसे आत्महत्या का नाम दिया जा रहा है. रूपा 2018 में पुलिस एसआई बनने से पहले बैंक औफ इंडिया में काम करती थी. उस ने रांची के सेंट जेवियर कालेज से पढ़ाई पूरी की थी. उसे नवंबर 2020 में ही साहिबगंज में महिला थानाप्रभारी बनाया गया था. उस ने यह जिम्मेदारी संभालने के बाद महिला उत्पीड़न रोकने के लिए कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए थे.

मामला गंभीर था. रूपा की 2 बैचमेट महिला सबइंसपेक्टरों और मुख्यमंत्री के करीबी नेता पंकज मिश्रा पर आरोप लग रहे थे. रूपा की मौत को हत्या मानते हुए लोगों ने सोशल मीडिया पर ‘जस्टिस फौर रूपा’ शुरू कर दिया. रूपा के परिजनों को न्याय दिलाने के लिए झारखंड के कई प्रमुख नेता भी आगे आ गए. भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने रूपा की मौत को मर्डर मिस्ट्री बताते हुए इस की सीबीआई से जांच कराने की मांग की. उन्होंने कहा कि रूपा के परिवार वालों के आरोप से यह मामला संदेहास्पद है. मरांडी ने कहा कि ऐसे राजनीतिक प्रभावशाली व्यक्ति पर आरोप लगे हैं, जो मौजूदा सरकार में कुख्यात रहा है.

प्रदेश भाजपा महिला मोर्चा ने भी सीबीआई जांच की मांग करते हुए राज्यपाल को औनलाइन ज्ञापन भेजा. मांडर के विधायक बंधु तिर्की ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर कहा कि रूपा किसी बड़ी साजिश की शिकार हुई है. इसलिए इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए. बोरियो से सत्तारूढ़ गठबंधन के झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक लोबिन हेंब्रम ने भी इस मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग उठाई. राज्यसभा सांसद समीर उरांव ने कहा कि मामले में आरोपी पंकज मिश्रा पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का हाथ है. मिश्रा साहिबगंज में सब तरह के वैधअवैध काम करता है.

एसआईटी को सौंपी जांच मामला तूल पकड़ता जा रहा था. जिस पंकज मिश्रा पर आरोप लगाए गए, वह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का साहिबगंज में प्रतिनिधि है. आरोपों से घिरने पर सफाई देते हुए मिश्रा ने कहा कि वह पिछले महीने मधुपुर चुनाव में व्यस्त था. इस के बाद कोरोना पौजिटिव होने पर रांची के मेदांता अस्पताल में भरती थे. घटना से एकदो दिन पहले ही अस्पताल से डिस्चार्ज हुए थे. रूपा तिर्की से मुलाकात की बातें सरासर गलत हैं. पुलिस चाहे तो काल डिटेल निकलवा कर जांच करा सकती है. भारी राजनैतिक दबाव पड़ने पर पुलिस ने मामले की तेज गति से जांच शुरू कर दी. एसपी ने इस के लिए डीएसपी (मुख्यालय) संजय कुमार के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया.

एसआईटी में बरहड़वा एसडीपीओ पी.के. मिश्रा, इंसपेक्टर (राजमहल ) राजेश कुमार और 2 महिला पुलिस अधिकारियों को शामिल किया गया. जांच अधिकारी जिरवाबाड़ी थाने की एसआई स्नेहलता सुरीन को बनाया गया. मौके के हालात देख कर पुलिस इसे आत्महत्या मान रही थी, लेकिन रूपा के परिवार वाले इसे हत्या बता रहे थे. सोशल मीडिया पर भी मामला बढ़ रहा था. 2 महिला सबइंसपेक्टरों और एक नेता पर लगे आरोपों को देखते हुए सभी बिंदुओं पर जांच करना जरूरी थी. फोरैंसिक टीम ने 5 मई, 2021 को साहिबगंज पहुंच कर रूपा के क्वार्टर की जांचपड़ताल की और साक्ष्य जुटाए. मौके पर मिली पानी से भरी बोतल व गिलास से अंगुलियों के निशान लिए. कई दूसरी जगहों से भी फिंगरप्रिंट लिए.

पुलिस जांचपड़ताल में जुटी थी, इसी बीच एक औडियो वायरल हो गया. चर्चा रही कि इस औडियो में रूपा तिर्की के पिता और एक युवक की बातचीत थी. यह कोई और नहीं रूपा का बैचमेट एसआई शिवकुमार कनौजिया बताया गया. यह औडियो सामने आने से पता चला कि रूपा का शिवकुमार से अफेयर चल रहा था. औडियो में रूपा के पिता उस युवक से रूपा की शादी के संबंध में बात कर रहे थे. युवक बाचतीत में रूपा को समझाने की बात कह रहा था ताकि वह कोई गलत कदम न उठा ले. औडियो सामने आने के बाद यह मामला ज्यादा उलझ गया. एक पुलिस एसआई की संदिग्ध मौत का मामला होने के कारण झारखंड पुलिस एसोसिएशन ने भी इस की जांच शुरू कर दी.

रांची से एसोसिएशन के प्रांतीय उपाध्यक्ष अरविंद्र प्रसाद यादव, संताल परगना प्रक्षेत्र मंत्री हरेंद्र कुमार, रविंद्र कुमार, पप्पू सिंह, जिला उपाध्यक्ष सुखदेव महतो, सचिव सहमंत्री शमशाद अहमद आदि ने साहिबगंज पहुंच कर मामले की जांच की. इन पदाधिकारियों ने प्रताड़ना के आरोपों से घिरी रूपा की बैचमेट एसआई मनीषा कुमारी और ज्योत्सना से भी कई घंटे तक पूछताछ की. सामने आया बौयफ्रैंड का नाम पुलिस ने मामले की तह में जाने के लिए रूपा के मोबाइल फोन की जांच कर काल डिटेल्स निकलवाई और उस के वाट्सऐप मैसेज, चैटिंग, एसएमएस और वीडियो वगैरह देखे. इस में पता चला कि उस ने आखिरी बातचीत अपने बौयफ्रैंड शिवकुमार कनौजिया से की थी.

रूपा ने शिवकुमार को कई मैसेज भी भेजे थे. शिवकुमार झारखंड के चाइबासा जिले में टोकलो पुलिस थाने में तैनात था. शिवकुमार से पूछताछ करनी जरूरी थी. इसलिए एसआईटी ने उसे साहिबगंज बुलाया. इस बीच, रूपा के परिवार वालों की मांग पर जांच अधिकारी स्नेहलता सुरीन को बदल कर राजमहल इंसपेक्टर राजेश कुमार को इस मामले की जांच सौंप दी गई. आदिवासी समाज की प्रतिभाशाली महिला पुलिस एसआई रूपा तिर्की की संदिग्ध मौत की उच्चस्तरीय जांच की मांग को ले कर पूरे झारखंड में लोग आंदोलन करने लगे. छात्र संगठन, महिला संगठन और आदिवासी संगठनों के अलावा सत्ताधारी दल कांग्रेस सहित विपक्षी दल भाजपा, जनता दल (यू) आजसू आदि ने इस मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग सरकार से की.

सत्ताधारी विधायकों ने कहा कि इस घटना से आदिवासी समुदाय में आक्रोश है. सोशल मीडिया पर रूपा को इंसाफ दिलाने के लिए अभियान चल रहे हैं. इस से सरकार की छवि धूमिल हो रही है. लोग हम से सवाल पूछ रहे हैं कि इस की जांच होगी या नहीं. ऐसी हालत में सरकार को सीबीआई जांच से पीछे नहीं हटना चाहिए. झारखंड प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश ने रांची के पास रातू गांव में रूपा के घर पहुंच कर पूरे मामले की जानकारी ली. बाद में उन्होंने कहा कि यह हाईप्रोफाइल मामला है. इस में मुख्यमंत्री के संरक्षण प्राप्त लोगों का हाथ है. इसलिए झारखंड पुलिस से न्याय की उम्मीद नहीं है.

रूपा होनहार लड़की थी, उसे धोखे में रख कर मार डाला गया. झारखंड में आगे किसी आदिवासी बेटी के साथ ऐसी घटना नहीं हो, इसलिए इस घटना से परदा उठना जरूरी है. आंदोलन बढ़ते जा रहे थे. रूपा को न्याय दिलाने के लिए महिलाएं प्रदर्शन कर रही थीं. कैंडल मार्च निकाल रही थीं. वहीं, पुलिस की जांच में नईनई बातें सामने आने से मामला उलझता जा रहा था. साहिबगंज पुलिस और झारखंड सरकार की बदनामी हो रही थी.  रूपा के बौयफ्रैंड शिवकुमार कनौजिया को 8 मई को साहिबगंज थाने बुला कर एसआईटी में शामिल अफसरों ने पूछताछ की. उस से रूपा से मुलाकात होने से ले कर अफेयर और शादी की बातों के बारे में सवाल पूछे. उस से रूपा से मुलाकातों और मोबाइल पर चैटिंग वगैरह के संबंध में भी पूछताछ की गई.

करीब 8 घंटे तक पुलिस अधिकारी उस से लगातार पूछताछ करते रहे. बौयफ्रैंड एसआई को भेजा जेल शिवकुमार से पूछताछ के बाद एसआईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट एसपी को सौंप दी. इस रिपोर्ट के आधार पर साहिबगंज पुलिस ने 9 मई को एसआई शिवकुमार कनौजिया को रूपा की खुदकुशी का जिम्मेदार मानते हुए गिरफ्तार कर लिया. जांच में सामने आए तथ्यों के आधार पर पुलिस ने पहले दर्ज किए केस को आत्महत्या के लिए उकसाने में परिवर्तित कर शिवकुमार कनौजिया के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया. बाद में शिवकुमार को पुलिस ने उसी दिन अदालत के समक्ष पेश कर जेल भेज दिया. एसपी अनुरंजन किस्पोट्टा का कहना था कि एसआईटी ने जो जांच रिपोर्ट सौंपी, उस में कहा गया कि शिवकुमार ने रूपा की भावनाओं को आहत किया.

इस कारण रूपा ने खुदकुशी की. जांच में पुलिस को एक औडियो भी मिला था. इस औडियो में रूपा तिर्की और उस के प्रेमी एसआई शिवकुमार कनौजिया के बीच बातचीत थी. इस में शिव बातचीत के दौरान रूपा से कई तरह की आपत्तिजनक बातें भी कह रहा था. शिव की इन बातों पर रूपा ने कहा था कि सही से बात करो शिव, नहीं तो हम सुसाइड कर लेंगे. पुलिस ने रूपा को प्रताडि़त करने का आधार बना कर ही शिवकुमार को गिरफ्तार किया.  कहा जाता है कि 2018 बैच के पुलिस एसआई रूपा और शिव कुमार की मुलाकात ट्रैनिंग के दौरान हुई थी. यह मुलाकात धीरेधीरे प्यार में बदल गई. रूपा को शिव पर भरोसा था. वह उस से शादी करना चाहती थी. यह बात भी सामने आई है कि शिव कुमार रूपा से प्यार का नाटक करता था. वह अकसर उस से पैसे मांगता रहता था.

एक बार उस ने मोटरसाइकिल भी मांगी थी. केवल यूज करना चाहता था बौयफ्रैंड वह रूपा से आपत्तिजनक स्थिति में वीडियो काल करने का भी दबाव बनाता था. वह रांची में जमीन खरीदने के लिए रूपा पर दबाव बना रहा था. कहता था कि रांची में आदिवासी की जमीन वह अपने नाम से नहीं खरीद सकता. रूपा जब शिव पर शादी करने का दबाव बनाती, तो वह कोई न कोई बहाना बना देता था. वायरल वीडियो में वह रूपा के पिता से कह रहा था कि वह अंतरजातीय विवाह नहीं करना चाहता. इसलिए अपनी बेटी को समझाएं. पुलिस का दावा है कि रूपा ने आत्महत्या करने से पहले शिव से बात की थी. यह बात भी सामने आई है कि रूपा और शिव कुमार कभीकभार धनबाद में मिलते थे.

इस के लिए रूपा साहिबगंज से अपने ड्राइवर के साथ धनबाद जाती थी और शिवकुमार चाईबासा से आता था. फिर दोनों किसी तय स्थान पर मिलते थे. पुलिस के अनुसार, रूपा की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी आत्महत्या किए जाने की बात ही सामने आई है. एसपी का कहना है कि रूपा के परिवार वालों ने एसआई मनीषा कुमारी और ज्योत्सना के अलावा पंकज कुमार मिश्रा पर जो आरोप लगाए, उस के संबंध में कोई साक्ष्य नहीं मिले. जांच में इन लोगों की संलिप्तता या षडयंत्र के कोई सबूत नहीं मिले. भले ही पुलिस ने इस मामले का खुलासा कर रूपा के बौयफ्रैंड शिव कुमार को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन रूपा के परिवार वाले इस से संतुष्ट नहीं हैं.

साहिबगंज से एसआईटी के पुलिस अधिकारी 10 मई को रूपा के मातापिता के बयान दर्ज करने रांची के रातू गांव पहुंचे तो लोगों ने उन का विरोध कर नारेबाजी की. लोगों ने कहा कि पुलिस की ओर से इस मामले को दूसरी दिशा में ले जाने की कोशिश की जा रही है. रूपा के पिता देवानंद उरांव और मां पद्मावती ने पुलिस अधिकारियों से सवालजवाब किए और कहा कि एसआईटी की जांच धोखा है. लोगों ने इस मामले की जांच सीबीआई से ही कराने की मांग की. बाद में पुलिस अधिकारियों ने लोगों को समझाबुझा कर रूपा के परिवार वालों के बयान दर्ज किए.  साहिबगंज पुलिस का कहना है कि अभी इस मामले की जांच चल रही है. रूपा के साहिबगंज स्थित सरकारी क्वार्टर के बगल में रहने वाले पुलिसकर्मी और उस के परिवार से भी पूछताछ की गई है.

अभी विसरा रिपोर्ट का भी इंतजार है, क्योंकि रूपा ने घटना वाले दिन दोपहर में अपनी मां से बात करते हुए कहा था कि उसे पानी पीने में कड़वा लग रहा है. बहरहाल, साहिबगंज पुलिस की जांच से न तो रूपा के परिवार वाले संतुष्ट हैं और न ही गांव वाले. आदिवासी संगठन भी इसे छलावा बता रहे हैं. रूपा के रातू स्थित आवास पर 11 मई को विभिन्न सामाजिक संगठनों की बैठक हुई. इस में सर्वसम्मति से कहा गया कि पुलिस प्रशासन रूपा के चैट को वायरल कर उस के चरित्र हनन का प्रयास कर रहा है. मामले में असली अपराधियों को बचा कर लीपापोती का प्रयास किया जा रहा है. साहिबगंज एसपी की रिपोर्ट के आधार पर चाईबासा जिले में टोकलो पुलिस थाने में तैनात रहे एसआई शिवकुमार को 11 मई को निलंबित कर दिया गया था.

अभी यह मामला सुलग रहा है और राजनीतिक रूप से भी गरमाया हुआ है. सवाल यही रह गया कि रूपा की मर्डर मिस्ट्री का राज खुलेगा या नहीं? क्या यह मामला प्रेम प्रसंग तक ही सिमट कर रह जाएगा? क्या पुलिस रूपा की मां पद्मावती के आरोपों की तह तक पहुंचेगी? Hindi Stories

 

Crime Story : पूर्व डिप्टी सीएम के बेटे, बहू और पोती की हत्या बड़े बेटे ने की, मां ने खोला राज

Crime Story : पूर्व उपमुख्यमंत्री प्यारेलाल कंवर ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि जो करोड़ों रुपए की संपत्ति उन्होंने अपने बच्चों के लिए जुटाई है, वही उन के परिवार में खून बहाने का जरिया बनेगी. काश! अपने जीते जी वह संपत्ति का बंटवारा कर जाते तो शायद…

छत्तीसगढ़ के औद्योगिक कोरबा जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है गांव भैंसमा. यह गांव छत्तीसगढ़ के पूर्व उपमुख्यमंत्री स्वर्गीय प्यारेलाल कंवर के गृहग्राम के रूप में जाना जाता है. कांग्रेस के महत्त्वपूर्ण आदिवासी क्षत्रप होने के कारण प्यारेलाल कंवर अविभाजित मध्य प्रदेश के दौरान सत्तर के दशक में पहली बार कांग्रेस सरकार में आदिम जाति कल्याण विभाग मंत्री बने. आगे राजस्व मंत्री के अलावा अस्सी के दशक में मध्य प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष और 90 के दशक में वह दिग्विजय सिंह मंत्रिमंडल में उपमुख्यमंत्री भी रहे. 21 अप्रैल, 2021 की सुबह की बात है. कोरबा के एसपी अभिषेक सिंह मीणा अभी सोए हुए ही थे कि उन का मोबाइल फोन बारबार बजने लगा.

उन्होंने फोन रिसीव किया तो देखा कोई अज्ञात नंबर था. उधर से आवाज आई, ‘‘सर, मैं गांव भैंसमा से बोल रहा हूं. यहां प्यारेलाल कंवर जी के बेटे और उन के परिवार के सदस्यों का मर्डर कर दिया गया है.’’

और फोन कट गया. एसपी अभिषेक सिंह मीणा को कोरबा जिले में पदस्थ हुए लगभग 2 साल हो चुके थे, इसलिए वह कोरबा के राजनीतिक और सामाजिक वातावरण को भलीभांति जानतेसमझते थे. वह जानते थे कि स्वर्गीय प्यारेलाल कंवर अविभाजित मध्य प्रदेश की राजनीति में एक बड़ा नाम हुआ करते थे. उन के परिवार में हत्या की बात सुन उन्होंने मामले की गंभीरता को समझ कर अधीनस्थ पुलिस अधिकारियों को फोन किया. सारी जानकारी ले कर तत्काल घटनास्थल पर पहुंचने की हिदायत देते हुए कहा कि वह स्वयं भी 15 मिनट में घटनास्थल पर पहुंच रहे हैं. देखते ही देखते कोरबा जिले से निकल कर संपूर्ण छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश  में यह खबर आग की तरह फैल गई कि प्रदेश में कांग्रेस के बड़े नेता प्यारेलाल कंवर के बेटे हरीश कंवर (36), उन की पत्नी सुमित्रा कंवर (32) और बेटी आशी (4 वर्ष) की अज्ञात लोगों ने नृशंस हत्या कर दी है.

पुलिस विभाग के अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे. इसी समय लोगों का हुजूम घटनास्थल के मकान के बाहर लगा हुआ था और लोग बड़े ही चिंतित घटना के संदर्भ में कयास लगा रहे थे. सूचना मिलते ही सुबह करीब 6 बजे राजनीति में प्यारेलाल कंवर के शिष्य रहे जय सिंह अग्रवाल,जो वर्तमान में कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार में राजस्व एवं आपदा कैबिनेट मंत्री हैं, घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने परिजनों से बातचीत कर के मामले की गंभीरता को समझने के बाद पुलिस अधिकारियों से बातचीत की. एसपी अभिषेक सिंह मीणा घटनास्थल पर आ चुके थे. उन्होंने तत्काल डौग स्क्वायड टीम बुलवाई और पुलिस टीम को निर्देश दिया  कि जितनी जल्दी हो सके इस संवेदनशील हत्याकांड के दोषियों को पकड़ कर कानून के हवाले करना होगा.

एडिशनल एसपी कीर्तन राठौड़ की अगुवाई में एक पुलिस टीम बनाई  गई, जो मामले की जांच में जुट गई.  मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुला लिया गया. पुलिस ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. हत्यारों ने हरीश कंवर, उन की पत्नी सुमित्रा और बेटी आशी की हत्या किसी धारदार हथियार से की थी, इसलिए घर में खून ही खून बिखरा था. पुलिस अधिकारियों ने हरीश कंवर के भाइयों व परिवार के अन्य सदस्यों से बात की. परिवार के सभी लोग राजनीति में ऊंची पहुंच रखते थे और समाज में उन की प्रतिष्ठा थी, इसलिए पुलिस अधिकारियों को इस बात का भी अंदेशा था कि कहीं इस घटना को ले कर लोगों का आक्रोश न फूट जाए. इसलिए पुलिस अधिकारी बड़ी ही तत्परता से इस तिहरे हत्याकांड की जांच में जुट गए.

पुलिस ने मौके की काररवाई करनी शुरू की. एसपी अभिषेक सिंह मीणा के निर्देश पर कई पुलिस टीमें अलगअलग ऐंगल से इस मामले की जांच में जुट गईं. जांच के दौरान खोजी कुत्ता घटनास्थल से करीब 100 मीटर दूर भैंसमा बाजार स्थल पर मौजूद एक पेड़ के पास जा कर ठहरा और वहां से चीतापाली की ओर जाने वाले मार्ग की ओर आगे बढ़ा. सीसीटीवी से मिला सुराग इस संकेत का पुलिस ने पीछा किया और कुत्ते का पीछा करते हुए पुलिस गांव ढोंगदरहा होते हुए सलिहाभाठा-नोनबिर्रा मार्ग तक पहुंची. आगे सलिहाभाठा डैम के पास जले हुए कपड़ों के अवशेष के पास जा कर कुत्ता रुक गया. पुलिस ने वह अवशेष जब्त कर लिए. पुलिस की एक टीम घटनास्थल के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरों को तलाशने लगी.

पड़ोसी के घर के बाहर लगे सीसीटीवी की फुटेज देखी तो उस में 2 संदिग्ध लोग हरीश कंवर के घर में घुसते दिखाई दिए. पुलिस की दूसरी टीम को जांच में यह भी पता चला कि आज ही किसी ने डायल 112 नंबर पर फोन कर के इस मार्ग पर सड़क दुर्घटना की सूचना दी थी. मौके पर पहुंची एंबुलेंस ने परमेश्वर कंवर नामक युवक को करतला अस्पताल में भरती कराया है. यह जानकारी मिलने पर पुलिस ने आसपास के लोगों से पूछताछ की तो पुलिस को वहां कोई सड़क हादसा न होने की जानकारी मिली. इस के बाद पुलिस अस्पताल में भरती परमेश्वर कंवर के पास पहुंची. पमेश्वर कंवर मृतक हरीश कंवर के बड़े भाई हरभजन कंवर का साला था, जो ग्रैजुएशन की पढ़ाई कर रहा था.

जांच में पुलिस को उस की आंख और चेहरे के आसपास जख्म दिखे, जो दुर्घटना के नहीं लग रहे थे. लग रहा था जैसे वह किसी धारदार हथियार के हों. पुलिस ने उस से पूछताछ की तो वह कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सका. इस से पुलिस को उस पर शक हो गया. उस से तिहरे हत्याकांड के बारे में पूछताछ की तो वह पुलिस को इधरउधर की बातें कर के खुद को बचाने की कोशिश करता रहा, मगर जब कड़ी पूछताछ हुई तो उस ने सच स्वीकार कर लिया. उस ने बताया कि अपने दोस्त सुरेंद्र कंवर की सलाह पर रामप्रसाद के साथ मिल कर उस ने यह वारदात की. उस से पूछताछ में पता चला कि यह कांड किसी और ने नहीं बल्कि हरीश कंवर के बड़े भाई हरभजन कंवर और उस की पत्नी धनकंवर ने कराया है.

पुलिस जांच में यह स्पष्ट हो गया कि हत्या हरीश के बड़े भाई हरभजन के सहयोग से  उस के साले मुख्य अभियुक्त परमेश्वर कंवर द्वारा अंजाम दी गई है. धीरेधीरे सारे तथ्य एकदूसरे से मिलते चले गए और उसी रोज शाम होतेहोते हरीश कंवर परिवार हत्याकांड से परदा उठ गया. परमेश्वर कंवर से पूछताछ करने के बाद पुलिस टीम ने उसी समय मृतक के भाई हरभजन कंवर, उस की पत्नी धनकंवर व नाबालिग बेटी रंजना को भी हिरासत में ले लिया. इन सभी से पूछताछ के बाद इस तिहरे हत्याकांड की जो कहानी सामने आई, इस प्रकार निकली—

स्वर्गीय प्यारेलाल कंवर के 4 बेटे और 3 बेटियां थीं. सब से बड़े बेटे हरबंश कंवर, दूसरे हरदयाल कंवर, तीसरे हरभजन कंवर और चौथे सब से छोटे थे हरीश कंवर. एक बेटी हरेश कंवर वर्तमान में जिला पंचायत, कोरबा की अध्यक्ष हैं. बाकी 2 बड़ी बेटियां शासकीय नौकरी में हैं. प्यारेलाल कंवर के दूसरे नंबर के पुत्र हरदयाल कंवर जो अधिवक्ता थे, का लगभग 5 साल पहले निधन हो चुका है. वर्तमान में हरवंश, हरभजन और हरीश कंवर प्यारेलाल के 3 बेटे जीवित थे. हरीश कंवर प्यारेलाल कंवर के रहते उन की विरासत को संभालते हुए कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय हुए और सन 2010 में जिला पंचायत का चुनाव लड़ा मगर पराजित हो गए.

उन्होंने प्यारेलाल कंवर के संरक्षण में राजनीति की शुरुआत की. आगे पूर्व मुख्यमंत्री अजीत कुमार जोगी के साथ अपनी तालमेल बिठा ली. अजीत जोगी का हरीश को पुत्रवत स्नेह मिलता था और हरीश ने अपने रामपुर विधानसभा क्षेत्र में अजीत जोगी और उन के बेटे अमित जोगी को बुला कर कुछ राजनीतिक कार्यक्रम किए थे. उन्होंने एक बहुचर्चित लैंको पावर प्लांट के खिलाफ आंदोलन कर स्थानीय भूविस्थापितों के लिए बिगुल फूंका था. आगे स्थितियां ऐसी बनती चली गईं कि कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर पहुंच गई थी. ऐसे में जहां अजीत जोगी ने अपना एक अलग खेमा पूरे प्रदेश में तैयार कर लिया था, वहीं उन के 36 के संबंध स्थानीय बड़े नेताओं के साथ बने हुए थे. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डा. चरणदास महंत, भूपेश बघेल, जयसिंह अग्रवाल वगैरह अपने एक अलग खेमे में थे.

ऐसे में कांग्रेस के इस खेमे से हरीश कंवर की दूरी बनती चली गई और हरीश कंवर खुल कर छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रहे अजीत कुमार जोगी के स्थानीय झंडाबरदार बन गए. दूसरे खेमे ने हरीश कंवर को तवज्जो देनी बंद कर दी. आगे चल कर जब अजीत जोगी ने ‘जनता कांग्रेस जोगी’ पार्टी का गठन किया तो हरीश कंवर इस पार्टी में ग्रामीण अध्यक्ष, कोरबा बन कर शामिल हो गए और क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाने लगे. पूरे परिवार की धमक थी राजनीति में दूसरी तरफ प्यारेलाल कंवर के अनुज श्यामलाल कंवर जो पुलिस में डीएसपी पद से सेवानिवृत्त हो चुके थे, वह कांग्रेस नेता डा. चरणदास महंत के क्षेत्रीय खेमे से जुड़ गए थे. इस तरह परिवार में भी खेमेबाजी सामने आ चुकी थी.

श्यामलाल कंवर सन 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी से विधायक निर्वाचित हुए थे. इधर हरीश कंवर अजीत जोगी के पक्ष में चले गए और उन्होंने उन का झंडा थाम लिया था. सन 2018 के विधानसभा चुनाव में श्यामलाल कंवर को फिर विधानसभा का प्रत्याशी कांग्रेस पार्टी ने बनाया. दूसरी तरफ अजीत प्रमोद कुमार जोगी ने भी अपना प्रत्याशी फूल सिंह राठिया को खड़ा कर दिया. कांग्रेस के इस झंझावात में श्यामलाल कंवर चारों खाने चित हो गए और तीसरे नंबर में आ कर ठहर गए. प्यारेलाल कंवर का परिवार राजनीति से अब दूर हो चुका था और सामान्य जीवन व्यतीत कर रहा था. अजीत कुमार जोगी की पार्टी के धराशाई होने के बाद हरीश कंवर राजनीति के हाशिए पर आ गए थे और अपने गांव भैंसमा में उन्होंने खाद, बीज की एक दुकान खोल ली थी.

मूलरूप से काश्तकार परिवार प्यारेलाल कंवर के वंशज अपना जीवनयापन शांतिपूर्वक कर रहे थे. इसी बीच भैंसमा में एक ऐसा नृशंस हत्याकांड हुआ, जिसे कोरबा के इतिहास में कभी भी भुलाया नहीं जा सकेगा. धनकंवर को थी धन की लालसा दरअसल, हरभजन कंवर की पत्नी धनकंवर ने जब सुना कि हरीश कंवर ने पैतृक संपत्ति पर लगभग अपना कब्जा स्थापित कर लिया है तो उस ने पति हरभजन के कान भरने शुरू कर दिए. एक दिन वह मौका देख कर बोली, ‘‘ऐसे कैसे चलेगा, तुम क्या सब कुछ छोटे (हरीश) को दे दोगे, क्या हमारा उस पर कोई हक नहीं है.’’

हरभजन ने हंसते हुए कहा, ‘‘तुम्हें किस बात की कमी है, मैं तो किसान हूं. हमें चाहिए क्या, 2 वक्त की रोटी मिल ही जाती है. हमारे 2 बेटे हैं, फिर हमें क्या चिंता है.’’

पत्नी ने यह सुन कर कहा, ‘‘आप बहुत भोलेभाले हो. भोपाल की, यहां की करोड़ों रुपए की संपत्ति क्या अकेले हरीश की हो जाएगी, हमारा भी तो उस पर अधिकार है.’’

हरभजन ने समझाया, ‘‘अभी संपत्ति का कोई बंटवारा तो पिताजी ने किया नहीं था, सब कुछ हरीश की देखरेख में है, कहां कुछ कोई ले जाएगा.’’

पत्नी धनकंवर तड़प कर बोली, ‘‘ सचमुच आप बहुत ही भोले हो. वह सारी धान की  पैदावार को भी बेच देता है. लाखों रुपए का बोनस अपनी तिजोरी में भर रहा है और तुम भोलेभंडारी बन कर बैठे रहो. एक दिन हम लोगों को यह हरीश धक्के मार के घर से भी निकाल देगा, तब तुम पछताओगे.’’

यह सुन कर हरभजन ने नाराज होते हुए कहा, ‘‘तो मैं क्या करूं, तुम ही बताओ, हम ने उसे गोद में खिलाया है, मेरा सगा भाई है वह. उसे मैं क्या बोलूं और कैसे बोलूं.’’

पत्नी धनकुंवर ने कहा, ‘‘पैसों और जमीन जायजाद के मामले में मैं ने देखा है कि कोई किसी का नहीं होता, बड़े भैया के निधन के बाद क्या उन के परिवार वालों को मानसम्मान की जिंदगी मिल रही है? तुम खुद देखो हरीश सिर्फ अपने बीवीबच्चों की खुशी में ही लगा रहता है. अगर उसे अपने भाई के परिवार के प्रति जरा भी संवेदना होती तो क्या उस के परिवार की हालत इतनी खराब होती? अभी भी समय है बंटवारा कर लो…’’

‘‘मैं क्या छोटे को बंटवारे के बारे में कहूंगा. उस का रंगढंग तो तुम जानती ही हो, वह किसी की बात कहां सुनता है और सुन कर दूसरे कान से निकाल देता है.’’ हरभजन कंवर ने कहा.

‘‘मगर यह कैसे चल सकता है, मैं यह सब बरदाश्त नहीं कर सकती,’’ उफनती नदी की धारा की तरह कहती धनकुंवर अपने रोजाना के कामकाज में लग गई.

इधर रोजरोज के वादविवाद से त्रस्त  अंतत: हरभजन कंवर ने हथियार डाल दिए और कहा, ‘‘ठीक है, तुम्हें जैसा अच्छा लगे बताओ.’’

धनकंवर ने अपने भाई परमेश्वर कंवर, जोकि पास ही के गांव फत्तेगंज में रहता था और अकसर भैंसमा आया करता था, से धीरेधीरे बातचीत कर के उसे अपने मन मुताबिक बना लिया. भाई के साथ रची साजिश  धनकंवर ने एक दिन उस से कहा, ‘‘भाई, तुम बहन की कोई मदद नहीं कर रहे, ऐसा भाई भी किस काम का.’’

इस पर परमेश्वर ने कहा, ‘‘बहन आखिर तुम क्या चाहती हो, मुझे बताओ.’’

परमेश्वर की जानकारी में जमीनजायदाद का विवाद पहले ही आ चुका था. उसे लगता था कि जरूर यही कोई बात होगी जो बहन कहने वाली है.

…और हुआ भी यही. बहन धनकुंवर ने कहा, ‘‘छोटे (हरीश) ने सारी संपत्ति पर अधिकार जमा लिया है. क्या कुछ ऐसा करें कि बात बन जाए. तुम कोई ऐसा वकील देखो, जो हमें न्याय दिला सके.’’

परमेश्वर ने कहा, ‘‘वकील और कोर्ट कचहरी के चक्कर में तो न जाने कितना समय लग जाएगा. क्यों न हम…’’ कह कर परमेश्वर चुप हो गया. बहन धनकंवर ने परमेश्वर के मौन होने पर कहा, ‘‘चुप क्यों हो गए? क्या कहना चाहते हो?’’

परमेश्वर ने धीरे से कहा, ‘‘क्यों न हम हरीश को ही रास्ते से हटा दें.’’

‘‘क्या मतलब… क्या कहना चाहते हो?’’ वह बोली.

‘‘सीधी सी बात है, मैं कहना चाहता हूं हरीश का खात्मा.’’ उस ने बात स्पष्ट की.

सोच कर के धनकंवर ने कहा, ‘‘वाह, यह तो बहुत अच्छा होगा, मगर यह कैसे संभव होगा?’’

‘‘उस की फिक्र मत करो. हां, कुछ पैसा लगेगा, मैं अपने एक दोस्त को तैयार करता हूं, उसे मैं जैसे कहूंगा वह करेगा. तुम बस जीजाजी को संभाल लेना.’’

बहन ने कहा, ‘‘भाई, तुम उन की चिंता मत करो, मैं उन्हें समझाने की कोशिश करती हूं. मैं तो बारबार उन्हें कहती रहती हूं. मगर वह मेरी सुनते ही नहीं, अब मैं कोशिश करूंगी कि ठीक से उन्हें मना ही लूं.’’

इस चर्चा और घटनाक्रम के बाद परमेश्वर और बहन धनकंवर दोनों ने मिल कर हरीश कंवर की कहानी का पटाक्षेप करने की योजना बनानी शुरू कर दी. हरीश कुंवर के परिवार को खत्म करने की जो योजना बनी, उसे 21 अप्रैल 2021  दिन बुधवार सुबहसवेरे 4 बजे अमलीजामा पहनाया गया. हरीश (36 वर्ष), पत्नी सुमित्रा ( 32 ) अपनी 4 वर्षीय बेटी आशी के साथ अभी नींद में ही थे कि भाई हरभजन परिवार सहित सुबह हमेशा की तरह अपने कमरे से सुबह की सैर के लिए निकल गया. पिता हरभजन के निकलते ही उस की 16 वर्षीय बेटी रंजना (काल्पनिक नाम) ने अपने मामा परमेश्वर कंवर को मोबाइल पर मैसेज किया कि पापा सैर पर निकल गए हैं.

यह मैसेज मिलते ही परमेश्वर ने अपने दोस्त रामप्रसाद मन्नेवार को फोन किया और दोनों थोड़ी ही देर में भैंसमा स्थित हरीश कंवर के पैतृक आवास के पास आ गए. बेरहमी से किए 3 कत्ल यहां उन्हें खबर नहीं थी कि चौराहे पर एक दुकान पर सीसीटीवी कैमरा लगा है, जिस में दोनों के आने का वीडियो फुटेज रिकौर्ड हो गया है. दोनों हरीश कंवर के कमरे में चले गए और बकरी को रेतने का हथियार (कत्ता) निकाल कर हरीश पर हमला कर दिया. दोनों के एक साथ धारदार हथियार से हमला करने से हरीश कंवर हड़बड़ा कर खून से लथपथ उठ खड़े हुए. उन्होंने अपना बचाव करने की कोशिश की, मगर दोनों ने उन पर लगातार हमले किए.

हरीश ने साहस के साथ अपने आप को बचाने का खूब प्रयास किया और हमलावरों से हथियार छीनने की कोशिश की, मगर सफल नहीं हो पाए. अंतत: दोनों ने मिल कर हरीश को वहीं मौत की नींद सुला दिया. होहल्ला सुन कर हरीश कंवर की पत्नी सुमित्रा उठ खड़ी हुई और पति का बचाव करने आगे बढ़ी कि उन्हें भी दोनों ने मिल कर धारदार हथियार से हमला कर मार डाला. 4 साल की आशी चिल्लाहट सुन कर के उठ कर रो रही थी. दोनों हत्यारों ने बच्ची आशी की भी वहीं नृशंस हत्या कर दी. इस के बाद वे कमरे से बाहर निकले तो शोरगुल सुन कर हरीश की 82 वर्षीय मां जीवनबाई वहां पहुंचीं. उन्हें बहुत कम दिखाई देता था. वह चिल्लाहट सुन कर ‘क्या है…क्या हो गया’ पूछने लगीं तो उन्हें कोई जवाब न दिया. दोनों ने उन्हें धक्का देते हुए नीचे गिरा दिया और वहां से भाग खड़े हुए.

हत्याकांड को अंजाम दे कर दोनों बाहर आए तो सुबह के लगभग साढ़े 4 बज रहे थे. अभी चारों ओर अंधेरा ही था. परमेश्वर और रामप्रसाद घर के बाहर आए और दोनों ने यह योजना बनाई कि जब तक मामला शांत नहीं हो जाता, दोनों अलगअलग हो जाएं और जब स्थितियां ठीक होंगी तो मुलाकात की जाएगी. परमेश्वर आगे बढ़ा तो उसे यह खयाल आया कि उस के कपड़े खून से सन गए हैं और उस के चेहरे पर चोट आई है, जहां से खून बह रहा है. मगर वह आगे गांव सलिहाभाठा की ओर बढ़ गया. आगे सिंचाई विभाग के डैम के पास  उस ने अपने रक्तरंजित कपड़ों को जला दिया और डैम में नहाधो कर उस ने डायल 112 नंबर पर फोन कर के खुद का एक्सीडेंट होने की सूचना दे दी. फिर वह करतला अस्पताल में भरती हो गया.

दूसरी तरफ रामप्रसाद कोरबा जिला के समीप जिला चांपा जांजगीर के एक गांव में अपने रिश्तेदार के यहां चला गया. जहां से नगरदा थाना पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर उरगा पुलिस के हवाले कर दिया. देर शाम को एसपी अभिषेक सिंह मीणा ने एसपी औफिस में एक पत्रकार वार्ता आयोजित कर सभी आरोपियों को प्रैस के समक्ष उपस्थित कर सारे घटनाक्रम से परदा उठा दिया. पुलिस ने हरीश कंवर, उन की सुमित्रा और बेटी आशी की हत्या के आरोप में आरोपियों हरभजन कंवर, पत्नी धनकंवर, बेटी रंजना, साले परमेश्वर कंवर और उस के दोस्त रामप्रसाद मन्नेवार और सुरेंद्र कंवर के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201, 120बी के तहत गिरफ्तार कर कोरबा के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष पेश किया, जहां से रंजना के अलावा सभी आरोपियों को जेल भेज दिया गया. रंजना को बाल सुधार गृह भेजा गया. Crime Story

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

Hindi Crime Story : दोस्त संग मिलकर प्रेमिका का गला घोंटा फिर शव नहर में फेंका

Hindi Crime Story : पति से अनबन होने के बाद रोनिका सिंह मायके आ गई. दूसरा पति पाने की चाहत उसे सोनू पटेल तक ले गई. सोनू रोनिका का पति तो नहीं बन सका लेकिन…

थानाप्रभारी चंद्रभान सिंह को सुबह 8 बजे सूचना मिली कि दुवाही गांव के पास शारदा सहायक नहर में किसी महिला की लाश पड़ी है. सूचना मिलते ही थानाप्रभारी पुलिस टीम के साथ घटनास्थल की ओर रवाना हो गए. रवाना होने से पहले उन्होंने अपने उच्चाधिकारियों को भी सूचित कर दिया था. यह बात 20 फरवरी, 2021 की है. थाना मऊ आइमा से दुवाही गांव करीब 4 किलोमीटर दूर था, अत: पुलिस को वहां पहुंचने में 20-25 मिनट का समय लगा. गांव के पास ही नहर किनारे भीड़ जुटी थी. वहीं पर नहर में एक महिला की लाश पड़ी थी. उन्होंने साथ आए पुलिसकर्मियों की मदद से महिला के शव को पानी से बाहर निकाला. फिर निरीक्षण में जुट गए. उन्होंने इस की सूचना अपने उच्चाधिकारियों को भी दे दी.

महिला की उम्र 28 वर्ष के आसपास थी. उस की मांग में सिंदूर तथा पैरों में बिछिया थे, जिस से स्पष्ट था कि वह शादीशुदा थी. उस के गले में रगड़ के निशान भी थे. देखने से ऐसा लग रहा था कि महिला की हत्या रस्सी से गला घोंट कर की गई होगी. चंद्रभान सिंह अभी घटनास्थल का निरीक्षण कर ही रहे थे कि सूचना पा कर एसएसपी (प्रयागराज) सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी व एसपी (गंगापार) धवल जायसवाल भी वहां आ गए. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया और वहां मौजूद कई लोगों से पूछताछ की. घटनास्थल पर सैकड़ों लोग मौजूद थे. लेकिन कोई भी शव को पहचान न सका था. जाहिर था कि मृतका महिला दुवाही एवं उस के आसपास के गांव की नहीं थी. उस की हत्या कहीं और की गई थी और शव को नहर में फेंका गया था.

महिला के शव की शिनाख्त न होने पर पुलिस अधिकारियों के निर्देश पर थानाप्रभारी ने जरूरी काररवाई करने के बाद शव पोस्टमार्टम के लिए प्रयागराज भिजवा दिया. इस के बाद एसएसपी सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी ने इस ब्लाइंड मर्डर का परदाफाश करने की जिम्मेदारी एसपी (गंगापार) धवल जायसवाल व थानाप्रभारी चंद्रभान सिंह को सौंपी. दूसरे दिन मृत महिला की फोटो, हुलिया सहित प्रयागराज के समाचार पत्रों में छपी. फोटो देख कर फाफामऊ निवासी संदीप सिंह का माथा ठनका. वह तुरंत अपनी मौसी गायत्री के घर पहुंचा. उस ने अखबार में छपी फोटो दिखाई तो गायत्री घबरा गई और रोने लगी.

कुछ देर बाद गायत्री संदीप के साथ थाना मऊ आइमा पहुंची. वहां मौजूद थानाप्रभारी को उस ने बताया, ‘‘सर, मेरा नाम गायत्री है. मैं कोरांव थाने के खजूरी खुर्द गांव की रहने वाली हूं. मुझे शक है कि अखबार में जो फोटो छपी है, वह हमारी बेटी रोनिका सिंह की है.’’

गायत्री की बात सुन कर थानाप्रभारी चंद्रभान सिंह की बांछे खिल उठीं. उन्हें लगा कि अब मृत महिला की शिनाख्त हो जाएगी. अत: वह गायत्री को अपने साथ ले कर पोस्टमार्टम हाउस आए और युवती का शव उन्हें दिखाया. शव देखते ही गायत्री फूट कर रो पड़ी. उस ने बताया कि यह शव उस की बेटी रोनिका सिंह का ही है. चंद्रभान सिंह ने गायत्री को धैर्य बंधाया फिर उस से पूछताछ की. गायत्री ने बताया कि उस ने रोनिका सिंह का विवाह करछना (प्रयागराज) निवासी महीप सिंह के साथ किया था. लेकिन पति से अनबन के चलते वह नैनी में रहने लगी थी. एक तरह से उस ने पति से रिश्ता खत्म कर लिया था. पता नहीं बेटी की हत्या किस ने और क्यों कर दी.

‘‘कहीं तुम्हारी बेटी की हत्या उस के पति ने तो नहीं कर दी?’’ चंद्रभान सिंह ने आशंका जताई.

‘‘नहीं सर, मुझे उस पर शक नहीं है. वह तो सीधासादा इंसान है.’’ गायत्री ने जवाब दिया.

प्रभारी निरीक्षक चंद्रभान सिंह ने मृत महिला की शिनाख्त होने की जानकारी पुलिस अधिकारियों को दी. फिर रोनिका सिंह के हत्यारों को पकड़ने के लिए पूरी ताकत झोंक दी. उन्होंने सब से पहले मृतका के पति महीप सिंह को पूछताछ के लिए थाने बुलवा लिया और उस से कड़ी पूछताछ की. महीप सिंह ने बताया कि रोनिका फैशनपरस्त, मनचली और स्वच्छंद थी. उस की कमाई से वह संतुष्ट नहीं थी, जिस से उस ने नाता तोड़ लिया था और मायके में रहने लगी थी. बाद में पता चला कि वह नैनी (प्रयागराज) में रह रही है. वह रंगीनमिजाज थी. उस के किसी आशिक ने ही उस की हत्या की होगी. लेकिन उस का रोनिका की हत्या से कोई वास्ता नहीं है.

चंद्रभान सिंह को भी लगा कि महीप सिंह कातिल नहीं है. अत: उन्होंने उसे थाने से इस हिदायत के साथ घर भेज दिया कि जरूरत पड़ने पर उसे उपस्थित होना पड़ेगा. थानाप्रभारी ने जांच आगे बढ़ाई और मकान मालिक से पूछताछ की, जहां नैनी में रोनिका सिंह किराए पर रहती थी. मकान मालिक ने बताया कि रोनिका सिंह से मिलने सोनू नाम का युवक उस के पास अकसर आता था. कभीकभी वह रात में रुक भी जाता था. रोनिका सिंह सोनू को अपना खास रिश्तेदार बताती थी. अब थानाप्रभारी चंद्रभान सिंह ने सोनू का पता लगाने और उसे गिरफ्तार करने में अपनी ताकत लगा दी. एसपी (गंगापार) धवल जायसवाल उन का पूरा सहयोग कर रहे थे.

उन्होंने क्राइम ब्रांच की टीम को भी इंसपेक्टर चंद्रभान सिंह के सहयोग के लिए लगा दिया. उन्होंने सर्विलांस सेल का भी सहयोग लिया. मृतका की मां गायत्री से रोनिका सिंह का मोबाइल नंबर थानाप्रभारी को मिल गया था. उस फोन नंबर की काल डिटेल्स निकलवाने पर पाया गया कि रोनिका सिंह एक मोबाइल नंबर पर सब से ज्यादा बातें करती थी. इस नंबर की छानबीन की गई तो पता चला कि यह मोबाइल नंबर सोनू कुमार पटेल निवासी मातादीन का पुरा, फाफामऊ (प्रयागराज) के नाम दर्ज है. सोनू का पता मिल गया तो थानाप्रभारी ने सोनू का मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगवाया तो उस की लोकेशन ट्रेस होने लगी. सर्विलांस सेल से मिली जानकारी के आधार पर 2 मार्च, 2021 की सुबह करीब 7 बजे फाफामऊ बसअड्डे से पुलिस ने सोनू को हिरासत में ले लिया.

सोनू को थाना मऊ आइमा ला कर पूछताछ की गई. साधारण पूछताछ में वह पुलिस को गुमराह करता रहा. लेकिन सख्ती करने पर वह टूट गया और रोनिका सिंह की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. उस ने बताया कि रोनिका सिंह की हत्या उस ने अपने 2 साथियों रामनरेश प्रजापति तथा नंचू पासी उर्फ संदीप की मदद से की थी और शव को मऊ आइमा थाना क्षेत्र के दुवाही गांव के समीप शारदा नहर में फेंक दिया था. चंद्रभान सिंह ने सोनू की निशानदेही पर गेहूं के खेत से मृतका का आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, 2 टूटे मोबाइल फोन, पाकेट डायरी, लेडीज पर्स तथा रस्सी बरामद की. पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त कार भी बरामद कर ली.

यह कार शिवकुटी के तेलियरगंज, स्वराजनगर निवासी संतोष कुमार की थी, जिसे वह सोनू के गैराज में मरम्मत के लिए खड़ी कर गए थे. बरामद सामान को पुलिस ने सबूत के तौर पर सुरक्षित कर लिया. हत्या में शामिल सोनू के साथियों रामनरेश प्रजापति व नंचू पासी उर्फ संदीप को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस ने उन के घरों पर छापा मारा. लेकिन दोनों फरार थे. भरसक प्रयास के बाद भी कथा लिखे जाने तक पुलिस दोनों को पकड़ नहीं सकी थी. चंद्रभान सिंह ने रोनिका सिंह हत्याकांड का परदाफाश करने तथा उस के आशिक हत्यारे को गिरफ्तार करने की जानकारी एसपी (गंगापार) धवल जायसवाल को दी. इस के बाद उन्होंने पुलिस सभागार में प्रैसवार्ता कर रोनिका सिंह की हत्या का खुलासा किया.

थानाप्रभारी चंद्रभान सिंह ने मृतका की मां गायत्री को वादी बना कर भादंवि की धारा 302/201 के तहत सोनू कुमार पटेल, रामनरेश प्रजापति तथा नंचू पासी उर्फ संदीप के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली तथा सोनू कुमार पटेल कोे न्यायसम्मत गिरफ्तार कर लिया. पुलिस जांच में एक ऐसी औरत की कहानी सामने आई, जिस ने दूसरे पति की चाहत में अपनी जान गंवा दी. प्रयागराज जिले के कोरांव थाना अंतर्गत एक गांव है-खजूरी खुर्द. गुलाब सिंह इसी गांव के निवासी थे. परिवार में पत्नी गायत्री के अलावा एक बेटी थी रोनिका सिंह. गुलाब सिंह सांस के रोगी थे. इलाज के बावजूद उन की मृत्यु हो गई थी. गायत्री ने ही किसी तरह कर बेटी को पालपोस कर बड़ा किया था.

गायत्री घरबाहर के कामों में व्यस्त रहती थी. इस का परिणाम यह हुआ कि सुंदर और चंचल रोनिका निरंकुश हो गई. इसी निरंकुशता के चलते रोनिका सिंह गांव के आवारा लड़कों के साथ घूमने लगी. वह कहां जाती थी, किसलिए जाती थी, देखने वाले खूब समझते थे. गांव में रोनिका की बदनामी हुई तो गायत्री परेशान हो उठी, ‘यह लड़की हमारी नाक कटा कर रहेगी. हम किसी को मुंह दिखाने लायक भी नहीं बचेंगे.’ इज्जत बचाने के लिए गायत्री ने आननफानन में 5 साल पहले रोनिका का विवाह महीप सिंह से कर दिया. महीप सिंह करछना (प्रयागराज) का रहने वाला था. पेशे से वह ड्राइवर था. रोनिका फैशनपरस्त, चंचल स्वभाव की युवती थी, जबकि महीप सिंह सीधासादा इंसान था.

ड्राइवर होने के कारण उसे कईकई दिनों तक घर से बाहर रहना पड़ता था. रोनिका को पति से दूरी बरदाश्त नहीं थी. पति से दूर रहने पर रोनिका चिड़चिड़ी हो गई. जब पति घर लौटता तो वह उस से झगड़ती. दोनों में अनबन बढ़ी तो रोनिका पति का घर छोड़ कर मायके आ गई. गायत्री ने बेटी को बहुत समझाया, लेकिन वह ससुराल जाने को राजी नहीं हुई. रोनिका मां की परेशानी नहीं बढ़ाना चाहती थी. अत: उस ने मां का घर छोड़ दिया और नैनी (प्रयागराज) में आ कर किराए पर कमरा लेकर रहने लगी. इसी मकान में कुछ महिलाएं मार्केटिंग का काम करती थीं. उन के साथ रोनिका भी मार्केटिंग करने लगी.

मार्केटिंग के काम के दौरान ही एक रोज रोनिका सिंह की मुलाकात सोनू कुमार पटेल से हुई. पहली मुलाकात में ही दोनों एकदूसरे से प्रभावित हुए. उस के बाद दोनों की मुलाकातें अकसर होने लगीं. मोबाइल फोन पर भी बातें होने लगी. सोनू रोनिका के कमरे पर भी जाने लगा. परिणाम यह हुआ कि जल्दी ही दोनों के बीच अवैध रिश्ता बन गया. सोनू कुमार पटेल फाफामऊ के मातादीन का पुरा का रहने वाला था. वह कुशल मोटर मैकेनिक भी था और खूब कमाता था. फाफामऊ के शांतिपुरम में उस का मोटर गैराज था. वह शादीशुदा व 2 बच्चों का बाप था. सोनू के दिल में न रोनिका के लिए चाहत थी, न मन के किसी कोने में प्यार. वह तो सिर्फ उस का तन पाने को लालायित रहता था.

रूपसी रोनिका सोनू के बल की दीवानी थी. महीप सिंह से उस का मन खट्टा हो गया था. अब उसे दूसरे पति की चाहत थी. वह सोनू की पत्नी बन कर उस के साथ रहना चाहती थी. रोनिका को हासिल करने के लालच में सोनू भी उसे विवाह के सब्जबाग दिखाया करता था. रोनिका और सोनू के बीच कुछ माह मौजमस्ती से बीते. उस के बाद रोनिका सोनू पर विवाह करने का दबाव डालने लगी. वह उसे विवाह न करने पर फंसाने की भी धमकी देने लगी. लेकिन सोनू तो शादीशुदा था. वह रोनिका से शादी करना ही नहीं चाहता था. रोनिका सिंह से पीछा छुड़ाने का कोई दूसरा रास्ता नहीं मिला तो सोनू ने अपने दोस्त रामनरेश प्रजापति तथा नंचू पासी उर्फ संदीप के साथ मिल कर रोनिका की हत्या की योजना बनाई.

योजना के तहत 19 फरवरी, 2021 की शाम करीब 5 बजे सोनू कुमार पटेल ने अपने गैराज से कार निकाली, यह कार संतोष कुमार की थी, जो उस के गैराज में मरम्मत के लिए आई थी. इस कार में सोनू के दोस्त रामनरेश प्रजापति व नंचू पासी भी थे. फाफामऊ तिराहा पहुंच कर सोनू ने रोनिका को फोन किया और घूमने के बहाने उसे बुला लिया. रोनिका बनसंवर कर आ गई, फिर वे सोरांव की ओर चल पड़े. रास्ते में सोनू ने रोनिका को समझाया कि वह शादीशुदा है, इसलिए वह उस से शादी नहीं कर सकता. हम दोनों यूं ही मौजमस्ती करते रहेंगे. यह सुन कर रोनिका भड़क गई और धमकी देने लगी कि शादी नहीं करोगे तो वह पुलिस में यौनशोषण का मामला दर्ज करा कर उसे जेल भिजवा देगी.

रोनिका की धमकी से सोनू का गुस्सा सातवें आसमान पर जा पहुंचा. उस ने रोनिका को दबोच लिया और चलती कार में रामनरेश की मदद से रस्सी से गला घोंट दिया. हत्या के बाद उन्होंने शव को मऊ आइमा थाने के दुवाही गांव के समीप शारदा नहर में फेंक दिया. रोनिका के दोनों मोबाइल फोन तोड़ कर तथा उस का पर्स, आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, डायरी, रस्सी आदि सामान घटनास्थल से कुछ दूर गेहूं के एक खेत में फेंक दिया. फिर कार से वे वापस फाफामऊ आ गए और कार शांतिपुरम स्थित अपने गैराज में खड़ी कर तीनों फरार हो गए. 20 फरवरी, 2021 को दुवाही गांव के कुछ लोगोें ने सहायक शारदा नहर में महिला की लाश देखी तो सूचना मऊ आइमा पुलिस को दी.

सूचना मिलते ही थानाप्रभारी चंद्रभान सिंह मौके पर आए और शव को कब्जे में लेकर जांच शुरू की. जांच में अवैध रिश्तों में हुई हत्या का परदाफाश हुआ. 3 मार्च, 2021 को पुलिस ने सोनू कुमार पटेल को प्रयागराज कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया. कथा संकलन तक अन्य 2 अभियुक्त फरार थे. Hindi Crime Story

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Family Crime : मां ने ही बेटे को उतारा मौत के घाट, वजह जानकर रह जाएंगे दंग

Family Crime :  कहते हैं पूत कपूत भले बन जाए, लेकिन माता कभी कुमाता नहीं बनती. लेकिन एकलौते बेटे जितेंद्र के अत्याचारों ने आखिर गीता देवी को कुमाता बनने के लिए मजबूर कर ही दिया…

राजस्थान के भरतपुर जिले और उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले की सीमाएं एकदूसरे से सटी हुई हैं. इसी सीमा पर भरतपुर जिले की ग्राम पंचायत जाटौली रथभान का गांव कोलीपुरा बसा हुआ है. इसी साल 21 मार्च की बात है. पौ फट गई थी, लेकिन सूरज निकलने में अभी देर थी. कुछ लोग खेतों की तरफ जा रहे थे, तभी उन्होंने कोलीपुरा गांव के पास एक खेत में एक युवक का शव पड़ा देखा. कुछ लोगों ने शव के पास जा कर देखा. वहां शराब की बोतल, गिलास, नमकीन और पानी के पाउच पड़े थे.

खेत में लाश मिलने की बात जल्दी ही आसपास के गांवों में फैल गई. इस के बाद कोलीपुरा समेत दूसरे गांवों के लोग भी मौके पर जमा हो गए. किसी गांव वाले ने पुलिस को इस की सूचना दे दी. सूचना मिलने पर भरतपुर जिले की चिकसाना थाना पुलिस मौके पर पहुंच गई. पुलिस ने लाश का मुआयना किया. करीब 25 साल के उस युवक की कनपटी पर गोली लगी हुई थी. लग रहा था कि उसे नजदीक से गोली मारी गई थी. पुलिस ने वहां इकट्ठा लोगों से मृतक युवक के बारे में पूछताछ की. लोगों ने शव देख कर उस की शिनाख्त कर ली. उस का नाम जितेंद्र उर्फ टल्लड़ था. वह मथुरा जिले के ओल गांव के रहने वाले नत्थी सिंह का बेटा था.

एकलौता बेटा था जितेंद्र कोलीपुरा गांव में जिस जगह जितेंद्र की लाश मिली थी, वह जगह उस के गांव से करीब दोढाई किलोमीटर ही दूर थी. उस जगह से कुछ ही दूरी पर शराब का ठेका भी था. पुलिस ने मौके पर मौजद कोलीपुरा गांव के लोगों से पूछताछ की. इस में पता चला कि एक दिन पहले यानी 20 मार्च की शाम को 7-8 बजे के आसपास गांव वालों ने 3-4 युवकों को उस जगह देखा था. गांव वालों से पूछताछ में जो बातें पता चलीं, उस से पुलिस ने अंदाजा लगाया कि जितेंद्र अपने दोस्तों के साथ रात में खाली खेत में शराब पी रहा होगा. इस दौरान किसी बात पर उन दोस्तों में झगड़ा हो गया होगा. झगड़े में ही किसी ने उसे गोली मार दी होगी. गोली पास से मारी गई, जो उस की आंख के नीचे कनपटी पर धंस गई.

लाश की शिनाख्त हो गई थी. मृतक जितेंद्र का गांव भी वहां से ज्यादा दूर नहीं था. इसलिए थानाप्रभारी ने एक सिपाही ओल गांव भेज कर उस के घर वालों को मौके पर बुला लिया. घर वालों ने लाश की शिनाख्त जितेंद्र के रूप में कर दी. उन्होंने पुलिस को बताया कि जितेंद्र कल शाम को आसपास घूमने जाने की बात कह कर घर से निकला था. इस के बाद वह रात को घर नहीं लौटा. रात को उस की तलाश भी की, लेकिन पता नहीं चला. पुलिस ने जितेंद्र के घर वालों से जरूरी पूछताछ की. इस के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए सरकारी अस्पताल भिजवा दी. पोस्टमार्टम कराने के बाद उसी दिन पुलिस ने लाश जितेंद्र के घर वालों को दे दी.

एकलौते जवान बेटे जितेंद्र की लाश देख कर उस की मां गीता दहाड़े मार कर रोने लगी. जितेंद्र की मौत से दुखी दोनों बहनों और बहनोइयों की आंखों से भी आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे. जवान मौत का गम तो पूरे गांव को था. फिर वे तो घर के लोग थे. उन का रोना, विलाप करना स्वाभाविक था. मृतक के चाचा राधाचरण ने जितेंद्र की हत्या का मामला भरतपुर जिले के चिकसाना पुलिस थाने में दर्ज करा दिया. थानाप्रभारी रामनाथ सिंह गुर्जर ने इस मामले की जांच खुद अपने हाथ में ले ली. पुलिस ने शुरू की जांच मृतक जितेंद्र के पिता नत्थी सिंह की मौत हो चुकी थी. जितेंद्र शादीशुदा था. करीब 9 महीने पहले उस की शादी ज्योति से हुई थी. ज्योति के साथ वह खुश था.

पतिपत्नी में किसी तरह की कोई अनबन नहीं थी. दोनों का दांपत्य जीवन सुखी था. परिवार में केवल 2 ही प्राणी थे. जितेंद्र की मां गीता और उस की पत्नी ज्योति. पुलिस ने इन दोनों से पूछताछ की, लेकिन न तो कातिलों के बारे में कुछ पता चला और न ही कत्ल के कारण का राज सामने आया. पुलिस ने ओल गांव के लोगों से भी पूछताछ की, लेकिन कोई खास बात पता नहीं चली. यह बात जरूर पता चली कि जितेंद्र के घर उस की 2 शादीशुदा बहनों और बहनोइयों का आनाजाना रहता था. पुलिस ने दोनों बहनोइयों विपिन और सुनील से भी पूछताछ की, लेकिन जितेंद्र की हत्या के बारे में ऐसा कोई सुराग नहीं मिला, जिस से कातिलों तक पहुंचा जा सके.

जांचपड़ताल में मृतक जितेंद्र की किसी से दुश्मनी या खराब चालचलन की बात भी सामने नहीं आई. यह पता चला कि जितेंद्र शराब पीने का आदी था. शराब पी कर वह घर में क्लेश और अपनी मां से मारपीट करता था. जितेंद्र के घर वालों और गांव वालों से पूछताछ में कोई बात पता नहीं चलने पर पुलिस ने ओल गांव से कोलीपुरा तक 2 किलोमीटर के दायरे में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखने का फैसला किया. सीसीटीवी फुटेज में एक पलसर बाइक पुलिस के संदेह के दायरे में आई. पुलिस ने नंबरों के आधार पर इस बाइक के मालिक का पता लगाया. इस के बाद पुलिस ने महेंद्र ठाकुर को पकड़ा. वह मथुरा जिले के फरह थानांतर्गत परखम गांव का रहने वाला है.

किराए के हत्यारे ने उगला राज सख्ती से पूछताछ में महेंद्र ठाकुर ने जितेंद्र की हत्या का राज उगल दिया. उस ने जो बताया, उस से पुलिस को भी एक बार तो भरोसा नहीं हुआ कि कोई मां भी अपने बेटे को मरवा सकती है. पुलिस ने महेंद्र ठाकुर को गिरफ्तार कर लिया. उस से पूछताछ के आधार पर मृतक के बहनोई विपिन को भी गिरफ्तार कर लिया. विपिन मथुरा जिले के फरह थाना इलाके के गांव सनोरा का रहने वाला है. विपिन से पूछताछ के बाद पुलिस ने पहली अप्रैल को जितेंद्र की मां गीता देवी को भी गिरफ्तार कर लिया. इन से पूछताछ में जो कहानी उभर कर सामने आई, वह एक मां की अपनी कोख से पैदा किए एकलौते बेटे के प्रति नफरत की इंतहा की कहानी है.

मथुरा जिले के ओल गांव के रहने वाले नत्थी सिंह के परिवार में उस की पत्नी गीता देवी के अलावा 2 बेटियां और एक बेटा था. नत्थी के पास खेतीबाड़ी थी. इस से अच्छी गुजरबसर हो जाती थी. घरपरिवार में मौज थी. किसी तरह की कोई कमी नहीं थी. नत्थी सिंह की कुछ साल पहले मृत्यु हो गई. गीता देवी पर परिवार की जिम्मेदारी आ गई. दोनों बेटियां जवान हो रही थीं. इसलिए उसे उन के हाथ पीले करने की ज्यादा फिक्र थी. रिश्तेदारों से पूछ परखने के बाद उस ने अपनी दोनों बेटियों की शादी पास के ही गांव सनोरा में एक ही परिवार में तय कर दी. सनोरा गांव भी मथुरा जिले के फरह थाना इलाके में आता है. गीता ने सनोरा गांव के रहने वाले विपिन से बड़ी बेटी की शादी कर दी और विपिन के छोटे भाई सुनील से छोटी बेटी की शादी कर दी.

बेटियों की शादी के बाद गीता देवी के सिर से एक बोझ सा उतर गया. उस की आधी चिंता खत्म हो गई. दोनों बेटियां पास के ही गांव में ब्याही थीं, इसलिए उन का जब मन होता, मां गीता के पास आ जाती थीं. गीता का दोनों बेटियों से ज्यादा मोह था. इसलिए बेटी या जमाई आते तो वह खुले हाथ से उन पर पैसे खर्च करती थी. उन्हें दान या शगुन देने में कोई कंजूसी नहीं करती थी. कभी कोई दुखतकलीफ होती तो गीता फोन कर दोनों में से किसी भी बेटी को अपने पास बुला लेती. 2-4 दिन रुक कर वे चली जातीं. गीता का मन अपनी बेटियों में ज्यादा लगता था. होने को तो वे जितेंद्र की ही बहनें थी, लेकिन मां का बेटियों के प्रति लाडप्यार देख कर जितेंद्र को कोफ्त होती थी.

शराब पी कर कलह करता था जितेंद्र जितेंद्र शराब पीता था. उस की इस बुरी लत पर मां टोकती थी. बहनें जब घर पर होतीं, तो वे भी जितेंद्र को लताड़ लगाती थीं. मां और बहनों के टोकने पर उसे बुरा लगता था. ऐसा 1-2 बार नहीं, बीसियों बार हुआ. धीरेधीरे जितेंद्र के मन में मां और बहनों के प्रति गुस्सा बढ़ने लगा. शराब पीने के बाद जितेंद्र कई बार अपनी मां से मारपीट करने लगा. पहले तो मां और बहनबहनोइयों ने उसे समझाया, लेकिन उस के दिमाग में यह बात बैठ गई कि मां उस से ज्यादा प्यार दोनों बहनों को करती है. इस से जितेंद्र के मन में हीनभावना बढ़ती गई.

वह मां की बातों पर ऐतराज जताने लगा. मां जब अपनी बेटियों और जमाई को पैसे या कोई सामान देती तो जितेंद्र को बुरा लगता था. वह घर में मां से झगड़ा करता और उसे पीटता था. बुढ़ापे की ओर बढ़ रही गीता बेटे की रोजरोज की पिटाई को आखिर कब तक बरदाश्त करती. घर में हालत यह हो गए कि मां और बेटा दोनों एकदूसरे से नफरत करने लगे. दोनों नफरत की आग में जलते थे. जितेंद्र तो अपनी नफरत की आग को मां की पिटाई कर शांत कर लेता था, लेकिन गीता क्या करती? वह जवान बेटे का मुकाबला भी नहीं कर सकती थी. एक दिन गीता ने अपने बड़े जमाई विपिन को घर बुला कर सारी बातें बताईं. विपिन को पहले से ही अपने साले जितेंद्र की सारी हरकतों के बारे में पता था.

विपिन को यह भी पता था कि जितेंद्र को समझानेबुझाने का कोई फायदा नहीं है. उस ने अपनी सास को कोई न कोई रास्ता निकालने का भरोसा दिया और यह सुझाव दिया कि जितेंद्र की शादी कर दी जाए. हो सकता है शादी के बाद वह सुधर जाए. गीता को भी यह बात ठीक लगी. उस ने रिश्ता ढूंढ कर पिछले साल जितेंद्र की शादी कर दी. ज्योति से उस की शादी धूमधाम से हो गई. गीता ने सोचा था कि शादी के बाद बेटा सुधर जाएगा. शादी का लड्डू खा कर जितेंद्र ज्योति के साथ खुश था. इसी हंसीखुशी के बीच, शादी के कुछ समय बाद ही ज्योति गर्भवती हो गई.

मां ने कराया गर्भपात ज्योति के गर्भवती होने से जितेंद्र खुश था, लेकिन गीता के मन में इस की जरा भी खुशी नहीं थी. बेटे के अत्याचारों से नफरत की आग में सुलगती गीता नहीं चाहती थी कि घर में कोई नया वारिस आए. इसलिए उस ने बहू ज्योति को भरोसे में ले कर उस का ढाई महीने का गर्भपात करा दिया. दरअसल, गीता के पास करीब 50 लाख रुपए की संपत्ति थी. यह संपत्ति वह अपनी दोनों बेटियों को देना चाहती थी. बेटे जितेंद्र को संपत्ति में से फूटी कौड़ी भी नहीं देना चाहती थी. जितेंद्र जब गीता को पीटता था, तो वह कई बार यह बात कह चुकी थी. जितेंद्र को भी इस का अंदेशा था कि पैतृक संपत्ति में से मां उसे कुछ नहीं देगी. इसीलिए वह मां पर अत्याचार और अपनी बहनों का विरोध करता था.

शादी के बाद भी बेटा जितेंद्र नहीं सुधरा. वह अपनी मां पर अत्याचार करता रहा, तो गीता उस से तंग आ गई. उस ने अपने बड़े जमाई विपिन के साथ मिल कर जितेंद्र की रोजरोज की पिटाई से छुटकारा पाने के लिए उस का काम तमाम करने की योजना बनाई. विपिन को इस में अपना फायदा नजर आया. एक तो जितेंद्र मां के लाडप्यार के कारण अपनी बहनों से भी नफरत करता था. इसलिए विपिन ने सोचा कि यदि जितेंद्र नाम का कांटा निकल जाएगा तो नफरत की झाड़ी हमेशा के लिए कट जाएगी. फिर सास गीता भी बेटे की रोज की पिटाई से बच जाएगी. इस के अलावा गीता की संपत्ति भी उस के हाथ में आ जाएगी.

विपिन ने अपनी सास के भरोसे का फायदा उठाया. योजना के तहत, उस ने सास का खाता अपने नजदीकी बैंक में ट्रांसफर करवा लिया और खुद नौमिनी बन गया. गीता के बैंक खाते में करीब 7 लाख रुपए थे. गीता ने विपिन की मदद से इसी साल जनवरी महीने में मथुरा जिले के कुख्यात सुपारी किलर छविराम ठाकुर के गैंग को अपने बेटे जितेंद्र की हत्या की 3 लाख रुपए की सुपारी दे दी. उसी दिन एडवांस के रूप में उसे 50 हजार रुपए भी दे दिए. छविराम ठाकुर ने अपनी गैंग के शार्पशूटर महेंद्र ठाकुर को जितेंद्र की हत्या का जिम्मा सौंप दिया.

मां ही बनी हत्यारिन योजनाबद्ध तरीके से महेंद्र ठाकुर ने शराब पिलाने के बहाने जितेंद्र से दोस्ती की. इस के बाद 20 मार्च की शाम महेंद्र ने जितेंद्र को बुलाया. महेंद्र के साथ एकदो लोग और भी थे. उन्होंने कोलीपुरा गांव के पास ठेके से शराब खरीदी. इन सभी ने पास ही एक खाली खेत में बैठ कर शराब पी. रात करीब 8-साढ़े 8 बजे शराब का दौर खत्म हुआ तो जितेंद्र ने अपने घर जाने की बात कही. महेंद्र ने उसे पकड़ कर वापस बैठा लिया और तमंचा निकाल कर उस की कनपटी पर गोली मार दी. जितेंद्र कुछ बोलता, उस से पहले ही उस के प्राण निकल गए.

सीसीटीवी फुटेज के आधार पर महेंद्र ठाकुर की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने जितेंद्र की हत्या के मामले में उस के बहनोई विपिन और मां गीता को भी गिरफ्तार कर लिया. गीता को अपने ही बेटे की हत्या कराने का कतई मलाल नहीं था. उस ने कहा, ‘‘मैं ने उसे जनम दिया और मैं ने ही उसे मरवा दिया, इस का कोई अफसोस नहीं है. पति की मौत के बाद दोनों बेटियां ही मेरा खयाल रखती थीं. बेटा तो रोज पैसे मांगता और मारपीट करता था. कभी बेटियां मेरे पास आ जातीं, तो वह उन का विरोध करता था.

‘‘वह मेरे बैंक खाते और सारी संपत्ति का अकेला ही मालिक बनना चाहता था. मैं ने उसे कई बार समझाया, लेकिन वह किसी भी कीमत पर दोनों बहनों को स्वीकार नहीं करता था. मैं उस की रोजरोज की कलह से तंग आ गई थी. इसलिए उसे रास्ते से हटाना ही उचित समझा. कोई नया वारिस न आए, इसलिए बहू ज्योति का भी गर्भपात करा दिया.’’ सभी आरोपियों से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उन्हें कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. Family Crime

Hindi Crime Story : पति के दोस्त की गर्दन कटर से काटकर मार डाला

Hindi Crime Story : कमल और पप्पन मिल कर गांजे की तसकरी करते थे. पप्पन का 2 लाख का माल पकड़ा गया और उसे जेल जाना पड़ा तो उसे शक हुआ कि कमल ने मुखबिरी की है. उस ने यह बात अपनी पत्नी रानी को भी बता दी. फिर रानी ने ऐसा दांव खेला कि कमल तब शिकार बना जब वह…

23 सिंतबर की शाम रात में बदलने को थी. विदिशा के सिविललाइंस थानाप्रभारी कमलेश सोनी रात के समय में अपने थाना क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था चाकचौबंद करने की कवायद में लगे थे. तभी उन के पास आए एक युवक ने जो जानकारी दी, वह चौंका देने वाली थी. युवक भोपाल का रहने वाला था, जिस के साथ उस की मां सविता सिंधी भी थाने आई थी. दोनों ने टीआई कमलेश सोनी को बताया कि उन के पति कमल सिंधी की हत्या कर दी गई है, जिस का शव हालाली कालोनी में एफसीआई गोदाम के पास रहने वाले पप्पन सिंधी के घर के अंदर पलंग में पड़ा है.

हत्या के मामले की ऐसी सूचना विरली ही होती है. आमतौर पर लाशें नदी, तालाबों या फिर सुनसान जगहों पर मिलती हैं. लेकिन यहां फरियादी खुद लाश के ठिकाने की जानकारी ले कर थाने आया था. बहरहाल, हत्या का ममला गंभीर होता है, सो टीआई सिविललाइंस कमलेश सोनी तत्काल पुलिस टीम के साथ हालाली कालोनी के लिए रवाना हो गए. हालाली कालोनी के उस मकान में लगभग 50 वर्षीय पप्पन सिंधी अपने परिवार के साथ रहता था. पुलिस ने घर के अंदर जा कर देखा. तलाशी ली तो पाया कि कमरे में पड़े पलंग के बौक्स के अंदर कमल सिंधी की लाश बुरी तरह खून से लथपथ हालत में पड़ी थी.

जाहिर है पलंग के बौक्स के अंदर तो उस का कत्ल किया नहीं गया होगा. बौक्स में उसे लाश छिपाने की गरज से डाला गया होगा. इसलिए मौके की बारीकी से जांच करने पर यह साफ हो गया कि फर्श से खून साफ करने की कोशिश की गई थी. यानी कमल की हत्या उसी मकान में की गई थी. सविता ने बताया कि यहां पप्पन की दूसरी पत्नी रानी, उस की बहन मोनिका और एक सहेली अंजलि के अलावा घर का नौकर अभिषेक लोधी रहता था. लेकिन उस वक्त सभी घर से लापता थे. जबकि खुद पप्पन को कुछ समय पहले ही विदिशा पुलिस ने 200 किलो गांजे के साथ पकड़ा था, इसलिए वह जेल में था.

मामला गंभीर था, इसलिए वारदात की सूचना पा कर एसपी विनायक वर्मा, एडिशनल एसपी संजय साहू और सीएसपी विकास पांडे भी एफएसएल की टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. जांच में सामने आया कि मृतक कमल का गला काटने के अलावा उस के सिर पर किसी भारी चीज से चोट की गई थी, जिस से उस का भेजा निकल कर बाहर आ गया था. शुरुआती पूछताछ में मृतक कमल की पत्नी सविता ने बताया कि वे लोग मूलरूप से भोपाल के बैरागड़ में रहते हैं. पप्पन और कमल गहरे दोस्त होने के कारण भाइयों की तरह रहते थे. पप्पन के जेल जाने के बाद कमल कभीकभी पप्पन की पत्नी रानी की मदद करने यहां आता था.

उस ने आगे बताया कि वे आज एक परिचित और अपने बेटे के साथ थाने द्वारा जब्त की गई अपनी गाड़ी सुपुर्दगी में लेने अदालत गए थे. कमल भी उन के साथ था. लेकिन दोपहर के समय कमल ने अचानक कहा कि उसे कुछ याद आ गया है. वह 10-15 मिनट में लौट आएगा. इस के बाद वह अदालत से अपनी कार ले कर कहीं चला गया था. जब कमल काफी देर तक वापस नहीं आया तो उन्होंने उसे फोन लगाया. इस पर कमल ने बताया कि रानी को कुछ पैसों की जरूरत है इसलिए वह पप्पन के घर आया हुआ है. कुछ देर में कोर्ट पहुंच जाएगा. हो चुका था कत्ल इस के बाद भी कमल घंटों बीत जाने पर वापस नहीं आया.

उस का मोबाइल भी स्विच्ड औफ हो गया तो कमल का बेटा अपने पिता की खबर लेने पप्पन के घर पहुंचा. पप्पन के घर पर कोई नहीं था लेकिन घर का दरवाजा खुला पड़ा था. जब वह अंदर पहुंचा तो उसे पलंग के बौक्स में अपने पिता का शव पड़ा मिला, जिस के बाद उस ने अपनी मां को खबर की. मामला अजीब था. लाश पप्पन के घर में मिली इसलिए यह तो लगभग साफ था कि हत्यारे भी इसी घर में मौजूद रहे होंगे. इसलिए शक पप्पन के परिवार वालों पर ही था. लेकिन हत्या करने के बाद लाश को यूं अधखुले पलंग के बौक्स में पटक कर बिना दरवाजा बंद किए भागने की बात पुलिस के गले नहीं उतर रही थी.

सब लोग मृतक की कार में ही बैठ कर फरार हुए थे, जिन की तलाश के लिए एसपी विनायक वर्मा ने एडिशनल एसपी संजय साहू, सीएसपी विकास पांडे और सिविल लाइंस टीआई कमलेश सोनी के नेतृत्व में एक टीम गठित कर दी. टीआई कमलेश सोनी ने जांच शुरू की तो पता चला कि पप्पन के जेल चले जाने के बाद घर में पप्पन की पत्नी रानी की छोटी बहन मोनिका भी उस के साथ आ कर रहने लगी थी. इस के अलावा रानी की एक युवा सहेली अंजलि भी ज्यादातर समय रानी के साथ उस के घर में ही रहती थी. पप्पन का एक नौकर था अभिषेक लोधी. अभिषेक मालिक के जेल जाने के बाद पूरी तरह इसी घर में रहने लगा था.

पूछताछ में टीआई सोनी को इस तरह के संकेत भी मिले द्भिद्बक अभिषेक का बर्ताव मालिक के जेल जाने के बाद घर के मालिक जैसा हो गया था. वहीं घर में रहने वाली रानी, मोनिका और अंजलि से मिलने के लिए कई युवकों का आनाजाना भी बना रहता था. जांच में सामने आया कि मृतक कमल खुद भी पहले पप्पन के साथ मिल कर नशीले पदार्थों की तसकरी का काम करता था. लेकिन पप्पन अकेला पकड़ा गया था. और उस के जेल जाने के बाद कमल अकसर रानी और उस की सहेली अंजलि से मिलने यहां आता रहता था. इन तमाम जानकारियों से टीआई सोनी समझ गए कि पूरे कुएं में भांग घुली है.

इसलिए उन्होंने आरोपियों की धरपकड़ के लिए अपनी टीम के साथ कुछ खास मुखबिर भी तैनात कर दिए, जिस से तीसरे दिन ही सभी आरोपी पकड़े गए. पकड़े गए लोगों में पप्पन की पत्नी रानी, रानी की बहन मोनिका एवं सहेली अंजलि, नौकर अभिषेक लोधी तथा अभिषेक के दोस्त सतीश मेहरा, मोहन उर्फ बिट्टू रघुवंशी और 2 अन्य नाबालिग भी पुलिस गिरफ्त में आ गए. इन के पास से पुलिस ने मृतक कमल की कार, हत्या में प्रयुक्त कटर और फावड़ा भी बरामद कर लिया. सभी आरोपियों को अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल तथा अपाचारियों को बाल सुधार गृह भेज दिया गया. जिस के बाद नशे और सैक्स

के काकटेल में डूबी यह कहानी इस प्रकार सामने आई. कमल सिंधी के बारे में बताया जाता है कि वह कभी पप्पन के साथ मिल कर गांजे की तसकरी किया करता था. पप्पन की 2 पत्नियां थीं, जिन में से रानी केवट अभी केवल 25 साल की थी, इसलिए वह अपनी इसी जवान पत्नी के साथ विदिशा की हलाली कालोनी में रहता था. पप्पन और कमल के संबंध कुछ समय पहले उस समय बिगड़े जब पप्पन को विदिशा पुलिस ने 2 क्विंटल गांजे के साथ गिरफ्तार कर लिया. इस मामले में पप्पन तो जेल चला गया, लेकिन उसे शक था कि उस के खिलाफ कमल ने मुखबिरी की थी. इस से न केवल उस का लाखों का माल पकड़ा गया बल्कि उसे जेल भी जाना पड़ा था.

नफरत भी शारीरिक संबंध भी पप्पन को शक था तो फिर उस की पत्नी रानी भी कमल पर शक करने लगी, जिस से वह कमल से रंजिश रखने लगी थी. क्योंकि उस को लगता था कि उस के बुरे दिनों के लिए कमल ही जिम्मेदार है. लेकिन ये नफरत कुछ अलग किस्म की थी. बताया जाता है कि रानी कमल से नफरत तो करती थी, लेकिन साथ ही उस के साथ उस के अवैध संबंध भी बन गए थे. इसलिए कमल अकसर वक्त बिताने रानी के पास आया करता था. रानी काफी खुले विचारों की युवती थी. उस की दोस्ती अपनी जैसी कई युवतियों से थी. इसलिए पप्पन के जेल जाने के बाद रानी की छोटी बहन मोनिका और 20 साल की एक सहेली अंजलि ने रानी के घर को ही अपना ठिकाना बना लिया था.

इस बात का सब से बड़ा फायदा पप्पन का नौकर अभिषेक उठा रहा था. पप्पन के जेल जाने के बाद अपनी शारीरिक जरूरत पूरी करने के लिए रानी अभिषेक का उपयोग करने लगी थी. मालकिन से संबंध बनाने के बाद अभिषेक खुद भी मालिक की तरह बर्ताव करने लगा. मोनिका और अंजलि भी उसी नाव में सवार थीं, जिस में रानी सफर कर रही थी. इसलिए तीनों के बीच कोई परदा नहीं था. रात में रानी, मोनिका और अंजलि एक ही कमरे में सोती थीं, जहां एक कोने में रानी और अभिषेक अंजलि और मोनिका के सामने खुलेआम अपनी कामलीला करते थे. जिस के चलते कभीकभी लाइव शो में इन दोनों के साथ अंजलि भी शामिल हो जाती थी.

कुल मिला कर रानी के घर नौकरी करते हुए अभिषेक की पांचों अंगुलियां घी में थीं. क्योंकि नशे के काले कारोबार में पप्पन ने खूब पैसा कमाया था सो उस के जेल जाने के बाद भी रानी के ऐश में कोई कमी नहीं आई थी. लेकिन पैसा कब तक चलता. रानी, उस की बहन तथा सहेली और अभिषेक चारों मिल कर रोज दारूमुर्गा की दावत उड़ाते थे. इसलिए कुछ ही समय में रानी को पैसों की तंगी होने लगी. रानी अकसर जेल में बंद अपने पति से मिलने जाया करती थी, इसलिए उस ने जब यह बात पप्पन को बताई तो उस ने कहा कि उस ने कमल के कहने पर उस के एक आदमी को बड़ी रकम दी है. इसलिए कमल को बोलो वह उस से पैसा वापस ला कर तुम्हें दे.

रानी और कमल में तो खास किस्म की दोस्ती भी थी, इसलिए रानी को लगा कि कमल उस की मदद करेगा. उस ने कमल को पप्पन की कही बात बता कर पैसा वापस मांगा. कमल ने जिसे पैसा दिलवाया था, वह अब पैसा नहीं लौटा रहा था या पैसों को ले कर कमल के मन में पाप आ गया था, जो भी हो रानी को वह पैसा नहीं मिल पा रहा था. लेकिन ऐसा भी नहीं कि कमल रानी की मदद नहीं कर रहा था. कभीकभी वह घर आ कर कुछ पैसे दे जाता था. लेकिन रानी जानती थी कि कमल जितने पैसे दे कर जाता था, उस से कहीं ज्यादा का वह ऐश भी कर लेता था.

कमल रानी की 20 साल की सहेली अंजलि का तो दीवाना हो गया था जो शराब पी कर प्राय: रानी के घर में ही पड़ी रहती थी. इसलिए कमल की हरकतों से तंग आ चुकी रानी उस पर बारबार पैसों के लिए दबाव बनाने लगी. लेकिन जब उस ने देखा कि कमल पैसा देना नहीं चाहता तो उस ने कमल को खत्म करने की योजना बना कर अभिषेक को इस काम के लिए और लड़कों की मदद लेने को कहा. रानी जानती थी कि कमल शारीरिक रूप से बेहद मजबूत है. उसे काबू करना उन 3 लड़कियों और एकमात्र पुरुष अभिषेक के वश की बात नहीं थी.अभिषेक रानी का गुलाम जैसा था जो दिनरात सेवा करने के अलावा रानी के इशारे पर उस की शारीरिक जरूरत भी पूरी करता था.

इसलिए उस ने अपने दोस्त सतीश मेहरा, मोहन उर्फ बिट्टू रघुवंशी तथा 2 नाबालिग दोस्तों से बात की. इन सभी को यह बात पता थी कि अभिषेक अपनी मालकिन और उस की सहेली के साथ ही सोता है, इसलिए चारों ने एक स्वर में कहा कि इस से उन्हें क्या फायदा होगा. इस पर अभिषेक ने चारों से वादा कर लिया कि काम पूरा होने के बाद वह अंजलि के साथ सभी को एकएक बार ऐश करवा देगा. अंजलि चारों को पसंद थी, इसलिए वे कमल की हत्या में उस का साथ देने के लिए राजी हो गए. इस के बाद रानी ने 23 सिंतबर को कमल का फाइनल हिसाब करने की योजना बना कर दोपहर में उसे फोन लगाया कि उसे कुछ पैसों की सख्त जरूरत है.

उस समय कमल अपनी पत्नी सविता और बेटे के साथ कोर्ट में था, इसलिए वह कुछ देर में लौट कर आने की बात कह कर कोर्ट से अपनी कार ले कर सीधे पप्पन के घर पहुंच गया. कमल की हत्या की तारीख तय हो चुकी थी, इसलिए अभिषेक लोधी पहले से ही अपने चारों दोस्तों को ले कर मकान के ऊपर बन रही मंजिल पर छिप कर बैठा था. जबकि नीचे अंजलि उसे अपने साथ बिस्तर पर ले जाने को तैयार बैठी थी. दरअसल, योजना यही थी कि कमल के आने पर अंजलि उसे अपने साथ बिस्तर पर ले जाएगी और जब कमल पूरी तरह निर्वस्त्र होगा तब बाकी के लोग मिल कर उस की हत्या कर देंगे. कमल पप्पन के घर पहुंचा तो वहां अंजलि और मोनिका के साथ रानी नीचे वाले हिस्से में मौजूद थी. रानी ने कमल से मीठीमीठी बातें कीं और चाय बनाने अंदर चली गई.

चूंकि रानी के घर में किसी तरह का परदा नहीं चलता था, सब एकदूसरे के सामने ही खुलेआम ऐश करते थे. इसलिए जब रानी अंदर चाय बनाने गई तो कमल रानी की छोटी बहन मोनिका के सामने ही अंजलि को ले कर बिस्तर में घुस गया. ऐसे वक्त पर की हत्या अंजलि को पहले ही पता था कि आज कमल को मदहोश करना है, इसलिए वह कमल के साथ जल्द ही गहरी सांसें लेने लगी तो कमल भी पागलों की तरह जल्द से जल्द अपना सफर पूरा करने की कोशिश करने लगा. इसी बीच रानी चाय ले कर बाहर आ गई. उस ने कमल को अंजलि के साथ बुरी तरह हांफते देखा तो वह समझ गई कि अब कमल अंजलि के नशे से जल्द बाहर निकल आएगा.

इसलिए वह चुपचाप कटर ले कर उस बिस्तर पर चढ़ी, जिस पर कमल और अंजलि आपस में गुंथे हुए थे और मौका देख कर उस ने एक झटके में कमल की गरदन कटर से रेत दी. चूंकि उत्तेजना में डूबा कमल उस समय गहरी सांसें ले रहा था, इसलिए गला कटते ही सांस के साथ निकले खून के फव्वारे से अंजलि बुरी तरह भीग गई. इधर गले पर कटर चलते ही कमल समझ गया कि रानी का इरादा ठीक नहीं है, इसलिए गरदन में गहरा घाव होने के बाद भी वह उसी अवस्था में पीछे के दरवाजे की तरफ भागा जो गली में खुलता था. कमल गली से हो कर भागना चाहता था, लेकिन रानी ने उसे मौका नहीं दिया और उस के दरवाजे तक पहुंचने से पहले ही उस पर टूट पड़ी.

यह देख कर उस ने अभिषेक और उस के साथियों को नीचे बुला लिया जो मकान के काम के लिए रखे फावड़े ले कर नीचे आए और सभी ने मिल कर कमल के सिर पर फावड़ों से वार करना शुरू कर दिया, कुछ ही देर में कमल का भेजा सिर से बाहर आ गया और उस की मौत हो गई. यही रानी और उस की टीम चाहती थी. इसलिए कमल की मौत पर सब ने एकदूसरे को बधाई दी. अब लाश को ठिकाने लगाने की जरूरत थी. इस के लिए रात का वक्त तय किया गया. जिस के बाद कमल के शव को पलंग के बौक्स के अंदर पटक कर उन्होंने फर्श पर पड़ा खून साफ किया और फिर रात में लौट कर आने की योजना बना कर सभी वहां से निकल गए.

लेकिन इस से पहले कि वे रात में आ कर कमल की लाश ठिकाने लगाते, सविता की रिपोर्ट पर सिविल लाइन टीआई कमलेश सोनी वहां पहुंच चुके थे. सभी आरोपी फरार हो गए लेकिन एसपी विनायक वर्मा, एडिशनल एसपी संजय साहू और सीएसपी विकास पांडेय के नेतृत्व में सिविल लाइन थाना टीआई कमलेश सोनी की टीम ने 2 नाबालिग आरोपियों सहित सभी 8 आरोपियों को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया. hindi crime story

 

सीवर का ढक्कन : क्या हुआ उन मासूमों के साथ

Kahaniyan Crime Story in Hindi : आज तीसरे दिन कर्फ्यू में 4 घंटे की छूट दी गई थी. इंस्पैक्टर राकेश अपनी पुलिस टीम के साथ हालात पर काबू पाने के लिए गश्त पर निकले हुए थे. रास्ते में आम लोगों से ज्यादा रैपिड ऐक्शन फोर्स के जवान नजर आ रहे थे. सड़कों के किनारे लगे अधजले, अधफटे बैनरपोस्टर दंगों की निशानदेही कर रहे थे.

अपनी गाड़ी से आगे बढ़ते हुए इंस्पैक्टर राकेश ने देखा कि एक सीवर का ढक्कन ऊपरनीचे हो रहा था. उन्होंने फौरन गाड़ी रुकवाई. सीवर के करीब पहुंचने पर मालूम हुआ कि अंदर से कोई सीवर के ढक्कन को खोलने की कोशिश कर रहा था. इंस्पैक्टर राकेश ने जवानों से ढक्कन हटाने को कहा.

सीवर का ढक्कन खुलने के बाद जब पुलिस का एक सिपाही अंदर झांका तो दंग रह गया. वहां 2 नौजवान गंदे पानी में उकड़ू बैठे हुए थे. उन के कपड़े कीचड़ में सने हुए थे. उन के चेहरे पर मौत का खौफ साफ नजर आ रहा था.

ढक्कन खुलते ही वे दोनों नौजवान हाथ जोड़ कर रोने लगे. उन के गले से ठीक ढंग से आवाज भी नही निकल पा रही थी. उन में से एक ने किसी तरह हिम्मत कर के कहा, “सर… हमें बाहर निकालें…”

बहरहाल, कीचड़ से लथपथ और बदबू में सने हुए उन दोनों लड़कों को बाहर निकाला गया. इस बीच एंबुलैंस भी वहां आ चुकी थी.

बाहर निकलने के बाद वे दोनों लड़के गहरी गहरी सांसें लेने लगे. दोनों के पैरों को कीड़े मकोड़ों ने काट खाया था, जिन से अभी भी खून बह रहा था. उन के शरीर के कई हिस्सों पर जोंक चिपकी हुई खून पी रही थीं और तिलचट्टे व कीड़े रेंग रहे थे. उन्हें झाड़ने या हटाने की भी ताकत उन में नहीं बची थी.

उन दोनों को जल्दीजल्दी एंबुलैंस में लिटाया गया. एंबुलैंस चलने के पहले ही एक नौजवान बोल पड़ा, “अंदर 2 जने और हैं सर…”

पुलिस टीम को यह समझते देर नहीं लगी कि सीवर में 2 और लोग फंसे हुए हैं. पुलिस का एक जवान सीवर में झांकते हुए बोला, “सर, अंदर 2 डैड बौडी नजर आ रही हैं.”

इंस्पैक्टर राकेश के मुंह से अचानक निकला, “उफ…”

बड़ी मशक्कत से उन दोनों लाशों को बाहर निकाला गया, जो पानी में फूल कर सड़ने लगी थीं. बदबू के मारे नाक में दम हो गया था.

अगले दिन जिंदा बचे उन दोनों लड़कों के बयान से मालूम हुआ कि उन में से एक का नाम महेश और दूसरे का नाम मकबूल है. मरने वाले माजिद और मनोहर थे.

उन में से एक ने बताया, “हम लोग नेताजी का भाषण सुनने आए थे. अभी भाषण शुरू भी नहीं हुआ था कि सभा स्थल के बाहर कहीं से धमाके की आवाज सुनाई पड़ी. पलक झपकते ही अफवाहों का बाजार गरम हो गया और लोगों में भगदड़ मच गई. ‘आतंकवादी हमला’ का शोर सुन कर हम लोग भी भागने लगे.

“लोग अपनी जान बचाने के लिए जिधर सुझाई दे रहा था, उधर भागे जा रहे थे. उसी भगदड़ में कुछ लोग मौके का फायदा उठा कर लूटपाट करने में मसरूफ हो गए. हालात की गंभीरता को देखते हुए घंटेभर में कर्फ्यू का ऐलान होने लगा. पुलिस की गाड़ियों के सायरन चीखने लगे. साथ छूटने के डर से हम चारों ने एकदूसरे का हाथ पकड़ रखा था.

घरों और दुकानों के दरवाजे बंद हो चुके थे. कहां जाएं, किस के घर में घुसें… कौन इस आफत में हमें पनाह देगा, यह समझ में नही आ रहा था. यह सोचते हुए हम चारों दोस्त भागे जा रहे थे कि तभी पीछे गली से गुजर रही पुलिस की गाड़ी से फायरिंग की आवाज आई. ऐसा लगा जैसे वह फायरिंग हम लोगों पर की गई थी.

“हम लोग हांफ भी रहे थे और कांप भी रहे थे. दौड़ने के चक्कर में हम में से किसी एक का पैर सीवर के अधखुले ढक्कन से टकराया. वह लड़खड़ा कर गिरने लगा. हाथ पकड़े होने के चलते हम चारों ही एकसाथ गिर पड़े.

“हम लोगों को तत्काल छिपने के लिए सीवर ही महफूज जगह लगा. इस तरह एक के बाद एक हम चारों लोग सीवर में उतरते चले गए और उस का ढक्कन किसी तरह से बंद कर लिया… और फिर…” इतना कह कर वह लड़का रोने लगा. देखते ही देखते वही सीवर 2 नौजवानों की कब्रगाह जो बन गया था.

Social Crime : अमीर शख्‍स ने 6 लाख के लिए जला दिया भिखारी को

Social Crime : अनूपसिंह अमीर आदमी था, शायद इसलिए उस ने ख्वाब भी अमीरी का देखा. लेकिन वह यह बात भूल गया कि स्वप्निल रश्मियां जिन अंधेरों में ख्वाब बुनती हैं उन का कोई अस्तित्व नहीं होता, क्योंकि उजाले से वह…

5 दिसंबर, 2019 की सुबह करीब 10 बजे की बात है. पंजाब के तरनतारन जिले के थाना हरिके के प्रभारी इंसपेक्टर जरनैल सिंह को फोन पर किसी अज्ञात व्यक्ति से सूचना मिली कि हरिके से पट्टी जाने वाली रोड के किनारे एक लाश पड़ी है, जिस का चेहरा जला हुआ है. लाश के पास कुछ डाक्युमेंट्स पड़े हैं और एक कार भी खड़ी है. यह खबर सुनते ही थानाप्रभारी उसी समय कुछ पुलिसकर्मियों को साथ ले कर घटनास्थल की तरफ रवाना हो गए. इंसपेक्टर जरनैल सिंह पुलिस टीम के साथ आधे घंटे में मौके पर पहुंच गए. उन्होंने जब मृतक की लाश का मुआयना किया तो वह इतनी ज्यादा जली हुई थी कि उसे पहचानना संभव नहीं था. मृतक का गला भी कटा हुआ था. पेट पर भी कई घाव थे.

लाश के पास ही एक आधार कार्ड, पैन कार्ड, एटीएम कार्ड और फोटो पड़े थे. वहां पड़े डाक्युमेंट पर अनूप सिंह पुत्र तरलोक सिंह, निवासी वाहेगुरु सिटी, चभाल रोड, अमृतसर लिखा था. लाश के पास ही पीबी02सी एल9351 नंबर की शेवरले कार खड़ी थी. कार का ड्राइवर के साइड वाला दरवाजा खुला था. इस आधार पर इंसपेक्टर जरनैल सिंह ने अनुमान लगाया कि कार शायद मृतक की होगी. या फिर हत्यारों ने इसी कार में हत्या कर के लाश यहां ला कर डाली होगी और उस की पहचान छिपाने के लिए चेहरा जला दिया होगा. इंसपेक्टर जरनैल सिंह ने इस घटना की सूचना एसएसपी धु्रव दहिया, एसपी जगजीत सिंह वालिया और डीएसपी कंवलजीत सिंह को भी दे दी. कुछ ही देर में वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंच गए. उन्होंने भी लाश का मुआयना किया.

पुलिस अधिकारियों ने सड़क के किनारे खड़ी कार की जांच की. कार के भीतर से मिट्टी के तेल की एक खाली बोतल मिली. जांच के दौरान कार की पिछली सीट पर खून के सूखे धब्बे मिले. इस का मतलब हत्यारों ने इसी कार में पहले अनूप की गला रेत कर हत्या की और फिर पहचान छिपाने के लिए लाश पर मिट्टी का तेल छिड़क कर उसे आग के हवाले कर दिया. घटनास्थल से मिले तमाम दस्तावेजों में एक मोबाइल नंबर भी बरामद हुआ था. इंसपेक्टर जरनैल सिंह ने जब उस नंबर पर फोन किया तो किसी करनदीप सिंह ने काल रिसीव की. इंसपेक्टर जरनैल सिंह ने करनदीप सिंह से पूछा, ‘‘क्या आप वाहेगुरु सिटी के रहने वाले किसी अनूप सिंह को जानते हैं?’’

‘‘हां सर, जानता हूं,’’ करनदीप सिंह बोला, ‘‘वह मेरे बड़े भाई हैं. लेकिन बात क्या है सर, आप उन के बारे में क्यों पूछ रहे हैं?’’

‘‘दरअसल, तरनतारन जिले की हरिके पट्टी रोड पर एक जली हुई लाश मिली है. लाश के पास से तमाम दस्तावेज भी मिले हैं. उन्हीं दस्तावेजों में यह नंबर मिला है. आप यहां आ कर लाश देख लीजिए कि कहीं वह लाश अनूप की तो नहीं है.’’

‘‘ठीक है सर, मैं अभी पापा को ले कर वहां पहुंचता हूं.’’ कह कर करनदीप सिंह ने काल डिसकनेक्ट कर दी. करनदीप सिंह ने जब यह बात अपने परिवार में बताई तो घर में रोना शुरू हो गया. क्योंकि अनूप एक दिन पहले यानी 4 दिसंबर को कार ले कर घर से निकला था और अभी तक घर नहीं लौटा था. रोतेरोते घर वालों का बुरा हाल हो गया था, क्योंकि नए साल 2020 के फरवरी महीने में अनूप की शादी होनी थी. रहस्य की पर्त से हटी धुंध हरिके अमृतसर से करीब 80-90 किलोमीटर दूर है. इसलिए तरलोक सिंह छोटे बेटे करनदीप सिंह को साथ ले कर तरनतारन के लिए रवाना हो गए और डेढ़ घंटे में घटनास्थल पर जा पहुंचे. एसएसपी धु्रव दहिया को छोड़ कर सभी आला अफसर मौके पर मौजूद थे. करनदीप सिंह ने वहां पड़ी लाश बड़े गौर से देखी लेकिन वह उसे नहीं पहचान सका.

लाश के पास से जो दस्तावेज मिले थे, वे उन्होंने अपने भाई अनूप के बताए. वहां खड़ी शेवरले कार भी उस ने पहचान ली, कार उस के बड़े भाई अनूप की ही थी. कार और दस्तावेजों की पहचान के बाद पुलिस ने अनुमान लगाया कि लाश अनूप सिंह की ही होगी. करनदीप सिंह ने इन सबूतों के आधार पर लाश की पहचान अपने भाई अनूप सिंह के रूप में कर दी. पुलिस ने जब तरलोक सिंह से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि उन का 27 वर्षीय बेटा अनूप कल रात करीब साढ़े 11 बजे इसी कार से दिल्ली के लिए रवाना हुआ था. उस ने कहा था कि वह किसी पार्टी से मिलने जा रहा है. उस के साथ नौकर काका उर्फ करन भी था. हम सब हैरान हैं कि उस की कार यहां कैसे पहुंच गई.

यह कह कर पितापुत्र दोनों रोने लगे. पुलिस ने किसी तरह दोनों को सांत्वना दे कर चुप कराया और कागजी काररवाई पूरी कर ली. काररवाई के बाद पुलिस ने लाश पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दी. इंसपेक्टर जरनैल सिंह ने तरलोक सिंह की तहरीर पर अज्ञात हत्यारों के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201 के तहत मामला दर्ज कर के जांच शुरू कर दी. अगले दिन यानी 6 दिसंबर को पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आ गई. रिपोर्ट पढ़ कर इंसपेक्टर जरनैल सिंह हैरान रह गए. रिपोर्ट में बताया गया कि मृतक का किसी तेजधार हथियार से गला रेता गया था, जिस से उस की मौत हुई. मृतक के पेट पर भी कई घाव मिले.

डाक्टरों ने मृतक की उम्र करीब 20 वर्ष बताई थी, जबकि उस के घर वालों ने अनूप की उम्र 25 साल बताई थी. इस बात से इंसपेक्टर सिंह हैरान थे. पोस्टमार्टम के बाद लाश पुलिस ने पिता तरलोक सिंह को सौंप दी. मृतक की आयु में अंतर और उस के घर वालों के हावभाव देख कर इंसपेक्टर जरनैल सिंह को थोड़ा अजीब लग रहा था. जिस घर में जवान बेटे की खौफनाक तरीके से मौत हुई हो, वह भी तब जब घर में उस की शादी की तैयारियां चल रही हों, तो उस परिवार पर वज्रपात जैसा माहौल होना चाहिए. लेकिन तरलोक सिंह के परिवार में ऐसा कुछ नहीं दिख रहा था. खटकने वाली यह बात जरनैल सिंह ने एसएसपी धु्रव दहिया और एसपी जगजीत सिंह को बताई. इस पर वरिष्ठ अधिकारियों ने इंसपेक्टर जरनैल सिंह को कुछ दिशानिर्देश दिए. उन्हीं दिशानिर्देशों के आधार पर इंसपेक्टर सिंह ने जांच की दिशा बदल दी.

दरअसल, अनूप कोई छोटामोटा आदमी नहीं था. वह अमृतसर का नामचीन कोल्डड्रिंक व्यवसायी था, करोड़ों के बिजनैस का मालिक. परेशान करने वाला बड़ा सवाल यह था कि कोई उस की हत्या क्यों करेगा?

हत्या से अथवा बाद में किसी बदमाश की ओर से फिरौती की डिमांड भी नहीं की गई थी, जिस से यह साबित होता कि बदमाशों ने फिरौती के लिए अनूप का अपहरण कर के हत्या कर दी होगी. इस से भी बड़ी बात यह थी कि अनूप के साथ उस का पुराना नौकर काका उर्फ करन भी गया था. उस का कहीं पता नहीं था. उस का मोबाइल फोन भी बंद आ रहा था. इन तमाम सवालों को ले कर इंसपेक्टर सिंह परेशान थे और गुत्थियां सुलझाने में लगे थे. इंसपेक्टर जरनैल सिंह ने अनूप के छोटे भाई करनदीप सिंह को टारगेट कर लिया. बातचीत के आधार पर उन्हें ऐसा लग रहा था कि अनूप की मौत के पीछे का राज करनदीप जानता है. उन्होंने करनदीप सिंह को थाने ला कर उस से मनोवैज्ञानिक तरीके से पूछताछ शुरू की.

खुलने लगा रहस्य करनदीप उन के सवालों के आगे ज्यादा देर नहीं टिक सका. उस ने इंसपेक्टर सिंह के सामने घुटने टेक दिए और रोते हुए पांव पकड़ कर गिड़गिड़ाने लगा, ‘‘मुझे माफ कर दो साहब, रब दी सौं, मैं और झूठ नहीं बोल सकता. जली हुई लाश मेरे भाई की नहीं बल्कि वह एक भिखारी की थी.’’

करनदीप के मुख से हैरान कर देने वाला सच सुन कर इंसपेक्टर सिंह अचंभित रह गए. उन्होंने चौंकने वाले अंदाज में करनदीप से सवाल किया, ‘‘लाश अनूप की नहीं, एक भिखारी की है, तो अनूप कहां है?’’

‘‘अनूप जिंदा है सर,’’ फिर उस ने पूरी घटना विस्तार से बता दी. अनूप के जिंदा होने की बात सुन कर इंसपेक्टर सिंह जल्द से जल्द उसे सब के सामने सहीसलामत पेश करने के लिए उतावले हो गए. क्योंकि पिछले 2 दिनों से मीडिया ने अखबारों में व्यापारी अनूप सिंह की हत्या की खबर छापछाप कर पुलिस की नाक में दम कर दिया था. पुलिस की कार्यप्रणाली पर तरहतरह के सवाल उठा कर उन का काम करना तक दूभर कर रखा था. खैर, इंसपेक्टर जरनैल सिंह ने करनदीप सिंह को हिरासत में ले लिया. उन्होंने अनूप का मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगा दिया. सर्विलांस के जरिए अनूप की लोकेशन टोहाना, जिला फतेहाबाद, हरियाणा में मिली. इंसपेक्टर सिंह पुलिस टीम और करनदीप को साथ ले कर फतेहाबाद पहुंच गए.

जरनैल सिंह ने अपनी सूझबूझ और दिनरात की मेहनत की बदौलत अनूप सिंह और उस के नौकर काका उर्फ करन को गिरफ्तार कर लिया. यह बात 6 दिसंबर, 2019 की रात की है. इंसपेक्टर जरनैल सिंह दोनों को गिरफ्तार कर के फतेहाबाद से तरनतारन ले आए. अनूप और नौकर काका को सहीसलामत गिरफ्तार करने की जानकारी उन्होंने एसएसपी धु्रव दहिया और एसपी जगजीत सिंह वालिया को दे दी. आरोपियों को गिरफ्तार किए जाने की जानकारी मिलते ही एसपी जगजीत सिंह वालिया हरिके थाना पहुंच गए. उन्होंने तीनों आरोपियों अनूप सिंह, करनदीप सिंह और काका उर्फ करन से अलगअलग पूछताछ की. पूछताछ में अनूप ने जो चौंकाने वाली जानकारी दी, उसे सुन कर एसपी वालिया भी हैरत में रह गए.

7 दिसंबर, 2019 को एसपी जगजीत सिंह वालिया ने थाना परिसर में पत्रकारवार्ता का आयोजन कर जब अनूप सिंह और उस के नौकर को पत्रकारों के सामने पेश किया तो सभी आश्चर्यचकित रह गए. खुद की हत्या की साजिश रचने वाले व्यापारी अनूप से जब पत्रकारों ने झूठी कहानी रचने के बारे में पूछा तो उस ने चौंकाने वाला ऐसा सच बताया, जिसे सुन कर सभी का कलेजा दहल गया था. 27 वर्षीय अनूप सिंह अमृतसर के झब्बाल रोड पर स्थित वाहेगुरु सिटी कालोनी का मूल निवासी है. उस के पिता का नाम तरलोक सिंह है. 3 भाईबहनों में वह सब से बड़ा है. उस से छोटी बहन और एक भाई करनदीप सिंह है. तरलोक सिंह वाहेगुरु सिटी कालोनी के सब से अमीर व्यक्ति हैं. उन के बड़े बेटे अनूप सिंह की शहर के शक्तिनगर में कोल्डड्रिंक्स एजेंसी है, जिस का गोदाम अन्नगढ़ में है.

यह बिजनैस अनूप सिंह का है, जिसे पिता तरलोक सिंह और छोटा भाई करनदीप सिंह संभालते थे. सालों की कड़ी मेहनत और लगन के बाद कोल्डड्रिंक्स के बिजनैस से अनूप ने इतना कमा लिया था कि उस के पास जरूरत की सभी भौतिक वस्तुओं के साथसाथ आलीशान कोठी थी. वह शेवरले कार से चलता था. पापा और छोटे भाई के लिए उस ने दूसरी कारें दे रखी थीं. घर में कई नौकरचाकर थे. अनूप का रहनसहन किसी राजामहाराजा से कम नहीं था. अच्छे से अच्छा खाना, ब्रांडेड कपड़े पहनना, लग्जरी कार और स्पोर्ट्स बाइक चलाना उस के शगल थे. बिजनैस की आय से उस ने अपने लिए 6 करोड़ रुपए की जीवनबीमा पौलिसी ले रखी थी. इस के अलावा उस ने लगभग 75 लाख रुपए के कर्ज का भी बीमा कराया हुआ था. यह कर्ज उस की मौत के बाद ही माफ हो सकता था.

जितना बड़ा आदमी उतना ही मोटा लालच अनूप अपने व्यापारी दोस्तों से तकरीबन एक करोड़ रुपए का कर्ज ले चुका था. कर्ज की रकम लौटाने को ले कर वह काफी परेशान था. लेनदारों के तकाजे दिनबदिन बढ़ते जा रहे थे. इस से अनूप बुरी तरह परेशान था. भारीभरकम कर्ज से निजात पाने का उसे कोई रास्ता नहीं दिखाई दे रहा था. 19 जनवरी, 2020 को बहन की शादी और 14 फरवरी, 2020 को खुद अनूप की शादी की तारीखें निश्चित हो गई थीं. दोनों की शादियों में लाखों रुपए खर्च होने थे. रुपयों के इंतजाम को ले कर अनूप और उस के पिता तरलोक सिंह परेशान थे. अनूप दिनरात यही सोचता रहता था कि जल्द से जल्द कैसे इन कर्जों से मुक्ति पाए.

इन्हीं परेशानियों के चलते अनूप के दिमाग में एक खौफनाक विचार आया. यह खौफनाक विचार था खुद की फरजी मौत का नाटक करने का. यह विचार आते ही अनूप का चेहरा खिल उठा और वह खुद को तनावमुक्त महसूस करने लगा. अनूप ने जीवन बीमा के 6 करोड़ रुपयों को ले कर योजना बनाई. वह जानता था कि उस के मरते ही लिया गया कर्ज पूरी तरह माफ हो सकता है और जीवन बीमा के 6 करोड़ रुपए भी मिल सकते हैं. बीमे की उस बडी़ रकम से वह अपनी पहचान बदल कर कहीं और जा कर ठाठ से रह सकता था. अनूप ने इस खतरनाक योजना को अमलीजामा पहनाने की कवायद शुरू कर दी. वह जानता था कि यह काम उस के अकेले के वश का नहीं है, इसलिए उस ने इस योजना में अपने छोटे भाई करनदीप और सब से पुराने और वफादार नौकर काका उर्फ करन को शामिल कर लिया.

अनूप ने योजना इतनी फूलप्रूफ बनाई थी कि इस की भनक उस के मांबाप या दादी और बहन तक को नहीं लग पाई. यह दिसंबर 2019 के पहले सप्ताह की बात है. योजना के अनुसार, अनूप को अपनी कदकाठी से मेल खाते एक ऐसे इंसान की जरूरत थी जो अकेला हो, जिस की मौत के बाद आगेपीछे रोने वाला कोई न हो. उस ने किसी ऐसे व्यक्ति की जोरशोर से तलाश शुरू कर दी. आखिरकार उस की तलाश तरनतारन जिले में जा कर पूरी हुई. उस ने बलि का बकरा बनाने के लिए वहां के एक भिखारी को चुना, जो सड़कों पर भीख मांग कर अपना पेट भरता था. इत्तफाक से उस की कदकाठी और शरीर की लंबाई अनूप जैसी थी.

अनूप की खोज पूरी हो चुकी थी. वह योजना को जल्द से जल्द पूरी कर लेना चाहता था. 25 दिसंबर, 2019 की रात साढ़े 11 बजे अनूप अपनी शेवरले कार पीबी02सी एल9351 ले कर दिल्ली के लिए रवाना हुआ. उस ने मांबाप से झूठ बोलते हुए कहा कि वह एक पार्टी से मिलने दिल्ली जा रहा है. घर से निकलने से पहले अनूप ने अपना आधार कार्ड, पैन कार्ड, एटीएम कार्ड, रस्सी, उस्तरा, दरांती, कुल्हाड़ी, अंगरेजी शराब की बोतल, प्लास्टिक के गिलास और एक लीटर वाली प्लास्टिक की बोतल में मिट्टी का तेल भर कर कार में पिछली सीट के नीचे छिपा दिया था. अनूप जब भी दिल्ली जाता था, अकेला ही जाता था. लेकिन इस बार उस ने नौकर करन को साथ ले लिया था. यह देख कर पिता तरलोक सिंह को कुछ अजीब लगा, लेकिन वह कुछ सोच कर चुप रह गए थे.

कार खुद अनूप चला रहा था. कार ले कर अनूप जब घर से निकला तो उस के पीछे करनदीप भी अपनी कार ले कर चल दिया. करनदीप ने पापा से कहा था कि भाई को कुछ दूर छोड़ कर लौट आऊंगा. बेटे की बात सुन कर तरलोक सिंह कुछ नहीं बोले और मुसकरा कर मुख्य गेट बंद कर के अंदर कमरे में आ गए थे. अनूप योजना के मुताबिक चल रहा था. वह दिल्ली जाने के बजाए तरनतारन की ओर निकला. रात करीब 12 बजे के आसपास वह तरनतारन के हरिके इलाके में पहुंचा तो ठंड से सिकुड़ा एक भिखारी सड़क के बाईं ओर बैठा मिल गया. यह वही भिखारी था जिसे अनूप ने कुछ दिनों पहले तलाश किया था.

उसे देखते ही अनूप ने कार रोक दी. करनदीप ने भी उसी के पीछे अपनी कार लगा दी और दरवाजा खोल कर बाहर आ गया. और भाई के पास जा पहुंचा. भिखारी को अनूप ने भावनात्मक प्रलोभन दे कर अपनी कार में बैठा लिया. नौकर करन ने प्लास्टिक के 4 गिलासों में अंगरेजी शराब उड़ेल कर सभी को बांट दी. अंगरेजी शराब देख कर भिखारी के मुंह से लार टपकने लगी. उसे क्या पता था कि यही शराब उस की जिंदगी का आखिरी जाम साबित होगी. शराब पिलाने वाला कोई दानीदाता नहीं, बल्कि साक्षात यमराज है.

थोड़ी देर बाद जब भिखारी के सिर पर शराब का नशा सवार हुआ तो उस ने अपना रंग दिखाया. तभी अनूप ने सीट के नीचे से उस्तरा निकाल कर उस के गले पर चला दिया. उस समय करन और करनदीप सिंह भिखारी को हाथों से दबोचे हुए थे. अचानक हमले से भिखारी डर गया और उन की पकड़ से छूटने के लिए संघर्ष करने लगा. अनूप ने देखा कि मामला बिगड़ रहा है तो उस ने दरांती निकाली और उस के पेट में कई वार कर के उसे मौत के घाट उतार दिया. तीनों ने उसे हिलाडुला कर देखा, वह मर चुका था. उस के बाद उन तीनों ने उसे कार से बाहर निकाला. अनूप के कहने पर नौकर करन ने मिट्टी का तेल उस के ऊपर उड़ेल दिया और आग लगा दी.

भिखारी की लाश को अनूप की लाश साबित करने के लिए कार के पास नीचे सड़क पर अनूप ने अपना आधार कार्ड, पैन कार्ड और एटीएम कार्ड डाल दिए ताकि आसानी से यह साबित हो सके कि मरने वाला अमृतसर का व्यापारी अनूप सिंह है. यह साबित होेते ही जीवन बीमा के 6 करोड़ रुपए उस के घर वालों को मिल जाते. अपनी शेवरले कार भी लाश के पास खड़ी कर के तीनों करनरदीप की कार से भाग निकले. खुद की फरजी मौत की मसालेदार कहानी गढ़ कर नौकर काका उर्फ करन को साथ ले कर अनूप हरियाणा के फतेहाबाद के टोहाना स्थित अपने एक दोस्त के घर पहुंच गया. उस ने अपना मोबाइल फोन बंद कर दिया था. साथ ही उस ने अपने बाल और दाढ़ी कटवा दी थी ताकि कोई उसे आसानी से न पहचान सके.

उधर करनदीप जब देर रात घर पहुंचा तो दरवाजा पिता तरलोक सिंह ने खोला. उस के चेहरे की रंगत उड़ी देख उन्होंने पूछा तो करनदीप बात टाल गया. तरलोक सिंह ने भी बेटे की बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया. उन्हें क्या पता था कि 6 करोड़ रुपए के लालच में पड़ कर उन के बेटे किसी बड़ी साजिश को अं%E

Rajasthan Crime : ठेकदारों को पैसा नहीं दिया तो कर लिया अपहरण

Rajasthan Crime : नैचुरल पावर एशिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को बाड़मेर के गांव उत्तरलाई में सोलर प्लांट लगाना था. इस के लिए नैचुरल पावर कंपनी ने बंगलुरु की सबलेट कंपनी को ठेका दिया, जो काम अधूरा छोड़ कर भाग गई. प्लांट की स्थिति जानने के लिए जब हैदराबाद से कंपनी के एमडी के. श्रीकांत रेड्डी अपने दोस्त सुरेश रेड्डी के साथ बाड़मेर आए तो…    

हैदराबाद निवासी के. श्रीकांत रेड्डी नैचुरल पावर एशिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर थे. हैदराबाद की यह कंपनी भारत के विभिन्न राज्यों में सरकारी कामों का ठेका ले कर काम करती है. इस कंपनी को राजस्थान के जिला बाड़मेर के अंतर्गत आने वाले उत्तरलाई गांव के पास सोलर प्लांट के निर्माण कार्य का ठेका मिला था. बड़ी कंपनियां प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए छोटीछोटी कंपनियों को अलगअलग काम का ठेका दे देती हैं. नैचुरल पावर एशिया प्रा. लि. कंपनी ने भी इस सोलर प्लांट प्रोजेक्ट का टेंडर सबलेट कर दिया था

बंगलुरू की इस सबलेट कंपनी ने बाड़मेर और स्थानीय ठेकेदारों को प्लांट का कार्य दे दिया. ठेकेदार काम करने में जुट गएतेज गति से काम चल रहा था कि इसी बीच नैचुरल पावर एवं सबलेट कंपनी के बीच पैसों को ले कर विवाद हो गया. ऐसे में सबलेट कंपनी रातोंरात काम अधूरा छोड़ कर स्थानीय ठेकेदारों का लाखों रुपयों का भुगतान किए बिना भाग खड़ी हुई. स्थानीय ठेकेदारों को जब पता चला कि सबलेट कंपनी उन का पैसा दिए बगैर भाग गई है तो उन के होश उड़ गए क्योंकि सबलेट कंपनी ने इन ठेकेदारों से करोड़ों का काम करवाया था, मगर रुपए आधे भी नहीं दिए थे. स्थानीय ठेकेदार नाराज हो गए. उन्होंने एमइएस के अधिकारियों से मिल कर अपनी पीड़ा बताई. एमइएस को इस सब से कोई मतलब नहीं था.

मगर जब काम बीच में ही रुक गया तो एमईएस ने मूल कंपनी नैचुरल पावर एशिया प्रा. लि. से कहा कि वह रुके हुए प्रोजेक्ट को पूरा करे. तब कंपनी ने अपने एमडी के. श्रीकांत रेड्डी को हैदराबाद से उत्तरलाई (बाड़मेर) काम देखने पूरा करने के लिए भेजा. के. श्रीकांत रेड्डी अपने मित्र सुरेश रेड्डी के साथ उत्तरलाई (बाड़मेर) पहुंच गए. यह बात 21 अक्तूबर, 2019 की है. वे दोनों राजस्थान के उत्तरलाई में पहुंच चुके थे. जब ठेकेदारों को यह जानकारी मिली तो उन्होंने अपना पैसा वसूलने के लिए दोनों का अपहरण कर के फिरौती के रूप में एक करोड़ रुपए वसूलने की योजना बनाई.

ठेकेदारों ने अपने 3 साथियों को लाखों रुपए का लालच दे कर इस काम के लिए तैयार कर लिया. यह 3 व्यक्ति थे. शैतान चौधरी, विक्रम उर्फ भीखाराम और मोहनराम. ये तीनों एक योजना के अनुसार 22 अक्तूबर को के. श्रीकांत रेड्डी और सुरेश रेड्डी से उन की मदद करने के लिए मिलेश्रीकांत रेड्डी एवं सुरेश रेड्डी मददगारों के झांसे में गए. तीनों उन के साथ घूमने लगे और उसी शाम उन्होंने के. श्रीकांत और सुरेश रेड्डी का अपहरण कर लिया. अपहर्त्ताओं ने सुनसान रेत के धोरों में दोनों के साथ मारपीट की, साथ ही एक करोड़ रुपए की फिरौती भी मांगी

अपहर्त्ताओं ने उन्हें धमकाया कि अगर रुपए नहीं दिए तो उन्हें अपनी जान से हाथ धोना पड़ेगा. अनजान जगह पर रेड्डी दोस्त बुरे फंस गए थे. ऐसे में क्या करें, यह बात उन की समझ में नहीं रही थी. दोनों दोस्त तेलुगु भाषा में एकदूसरे को तसल्ली दे रहे थेचूंकि अपहर्त्ता केवल हिंदी और राजस्थान की लोकल भाषा ही जानते थे, इसलिए रेड्डी बंधुओं की भाषा नहीं समझ पा रहे थे. यह बात रेड्डी बंधुओं के लिए ठीक थी. इसलिए वे अपहर्त्ताओं के चंगुल से छूटने की योजना बनाने लगेअपहर्त्ता मारपीट कर के दिन भर उन्हें इधरउधर रेत के धोरों में घुमाते रहे. इस के बाद एक अपहर्त्ता ने के. श्रीकांत रेड्डी से कहा, ‘‘एमडी साहब अगर आप एमडी हो तो अपने घर वालों के लिए हो, हमारे लिए तो सोने का अंडा देने वाली मुरगी हो.

इसलिए अपने घर पर फोन कर के एक करोड़ रुपए हमारे बैंक खाते में डलवा दो, वरना आप की जान खतरे में पड़ सकती है.’’ कह कर उस ने फोन के श्रीकांत रेड्डी को दे दिया. श्रीकांत रेड्डी बहुत होशियार और समझदार व्यक्ति थे. वह फर्श से अर्श तक पहुंचे थे. उन्होंने गरीबी देखी थी. गरीबी से उठ कर वह इस मुकाम तक पहुंचे थेश्रीकांत करोड़पति व्यक्ति थे. वह चाहते तो करोड़ रुपए अपहर्त्ताओं को फिरौती दे कर खुद को और अपने दोस्त सुरेश रेड्डी को मुक्त करा सकते थे, मगर वह डरपोक नहीं थे. वह किसी भी कीमत पर फिरौती दे कर अपने दोस्त और खुद की जान बचाना चाहते थे

अपहत्ताओं ने अपने मोबाइल से के. श्रीकांत रेड्डी के पिता से उन की बात कराई. श्रीकांत रेड्डी ने तेलुगु भाषा में अपने पिताजी से बात कर कहा, ‘‘डैडी, मेरा और सुरेश का उत्तरलाई (बाड़मेर) के 3 लोगों ने अपहरण कर लिया है और एक करोड़ रुपए की फिरौती मांग रहे हैं. आप इन के खाते में किसी भी कीमत पर रुपए मत डालना

‘‘जिस बैंक में मेरा खाता है, वहां के बैंक मैनेजर से मेरी बात कराना. आप चिंता मत करना, ये लोग हमारा बाल भी बांका नहीं करेंगे. हमें मारने की सिर्फ धमकियां दे सकते हैं ताकि रुपए ऐंठ सकें. आप बैंक जा कर मैनेजर से मेरी बात कराना. बाकी मैं देख लूंगा.’’

इस स्थिति में भी उन्होंने धैर्य और साहस से काम लिया. उन्होंने नैचुरल पावर कंपनी के अन्य अधिकारियों को भी यह बात बता दी. इस के बाद वह कंपनी के अधिकारियों के साथ हैदराबाद की उस बैंक में पहुंचे, जहां श्रीकांत रेड्डी का खाता थाश्रीकांत रेड्डी ने बैंक मैनेजर को मोबाइल पर सारी बात बता कर कहा, ‘‘मैनेजर साहब, मैं अपने दोस्त के साथ बाड़मेर में कंपनी का काम देखने आया था, लेकिन मददगार बन कर आए 3 लोगों ने हमारा अपहरण कर लिया और एक करोड़ की फिरौती मांग रहे हैं. आप से मेरा निवेदन है कि आप 25 लाख रुपए का आरटीजीएस करवा दो

‘‘लेकिन ध्यान रखना कि यह धनराशि जारी करते ही तुरंत रद्द हो जाए. ताकि अपहर्त्ताओं को धनराशि खाते में आने का मैसेज उन के फोन पर मिल जाए लेकिन बदमाशों को रुपए नहीं मिले.’’ उन्होंने यह बात तेलुगु और अंग्रेजी में बात की थी, जिसे अपहर्त्ता नहीं समझ सके. बैंक मैनेजर ने ऐसा ही किया. बदमाशों से एमडी के पिता और कंपनी के अधिकारी लगातार बात करते रहे और झांसा देते रहे कि जैसे ही 75 लाख रुपए का जुगाड़ होता है, उन के खाते में डाल दिए जाएंगे. चूंकि एक अपहर्त्ता के फोन पर खाते में 25 लाख रुपए जमा होने का मैसेज गया था इसलिए वह मान कर चल रहे थे कि उन्हें 25 लाख रुपए तो मिल चुके हैं और बाकी के 75 लाख भी जल्द ही मिल जाएंगे

अपहर्त्ताओं ने के. श्रीकांत रेड्डी से स्टांप पेपर पर भी लिखवा लिया था कि वह ये पैसा ठेके के लिए दे रहे हैं. अपहर्त्ता अपनी योजना से चल रहे थे, वहीं एमडी, उन के पिता और कंपनी मैनेजर अपनी योजना से चल रहे थे. उधर नैचुरल पावर कंपनी के अधिकारी ने 24 अक्तूबर, 2019 को हैदराबाद से बाड़मेर पुलिस कंट्रोल रूम को कंपनी के एमडी के. श्रीकांत रेड्डी और उन के दोस्त सुरेश रेड्डी के अपहरण और अपहत्ताओं द्वारा एक करोड़ रुपए फिरौती मांगे जाने की जानकारी दे दी. कंपनी अधिकारी ने वह मोबाइल नंबर भी पुलिस को दे दिया, जिस से अपहर्त्ता उन से बात कर रहे थे

बाड़मेर पुलिस कंट्रोल रूम ने यह जानकारी बाड़मेर के एसपी शरद चौधरी को दी. एसपी शरद चौधरी ने उसी समय बाड़मेर एएसपी खींव सिंह भाटी, डीएसपी विजय सिंह, बाड़मेर थाना प्रभारी राम प्रताप सिंह, थानाप्रभारी (सदर) मूलाराम चौधरी, साइबर सेल प्रभारी पन्नाराम प्रजापति, हैड कांस्टेबल महीपाल सिंह, दीपसिंह चौहान आदि की टीम को अपने कार्यालय बुलायाएसपी शरद चौधरी ने पुलिस टीम को नैचुरल पावर कंपनी के एमडी और उन के दोस्त का एक करोड़ रुपए के लिए अपहरण होने की जानकारी दी उन्होंने अतिशीघ्र उन दोनों को सकुशल छुड़ाने की काररवाई करने के निर्देश दिए. उन्होंने टीम के निर्देशन की जिम्मेदारी सौंपी एएसपी खींव सिंह भाटी को.

इस टीम ने तत्काल अपना काम शुरू कर दिया. साइबर सेल और पुलिस ने कंपनी के मैनेजर द्वारा दिए गए मोबाइल नंबरों की काल ट्रेस की तो पता चला कि उन नंबरों से जब काल की गई थी, तब उन की लोकेशन सियाणी गांव के पास थीबस, फिर क्या था. बाड़मेर पुलिस की कई टीमों ने अलगअलग दिशा से सियाणी गांव की उस जगह को घेर लिया जहां से अपहत्ताओं ने काल की थी. पुलिस सावधानीपूर्वक आरोपियों को दबोचना चाहती थी, ताकि एमडी और उन के साथी सुरेश को सकुशल छुड़ाया जा सके

पुलिस के पास यह जानकारी नहीं थी कि अपहर्त्ताओं के पास कोई हथियार वगैरह है या नहीं? पुलिस टीमें सियाणी पहुंची तो अपहर्ता सियाणी से उत्तरलाई होते हुए बाड़मेर पहुंच गए. आगेआगे अपहर्त्ता एमडी रेड्डी और उन के दोस्त सुरेश रेड्डी को गाड़ी में ले कर चल रहे थे. उन के पीछेपीछे पुलिस की टीमें थींएसपी शरद चौधरी के निर्देश पर बाड़मेर शहर और आसपास की थाना पुलिस ने रात से ही नाकाबंदी कर रखी थी. अपहर्त्ता बाड़मेर शहर पहुंचे और उन्होंने बाड़मेर शहर में जगहजगह पुलिस की नाकेबंदी देखी तो उन्हें शक हो गया. वे डर गए. वे लोग के. श्रीकांत रेड्डी और सुरेश रेड्डी को ले कर सीधे बाड़मेर रेलवे स्टेशन पहुंचे. बदमाशों ने दोनों अपहर्त्ताओं को बाड़मेर रेलवे स्टेशन पर वाहन से उतारा. तभी पुलिस ने घेर कर 3 अपहर्त्ताओं शैतान चौधरी, भीखाराम उर्फ विक्रम एवं मोहनराम को गिरफ्तार कर लिया.

शैतान चौधरी और भीखाराम उर्फ विक्रम चौधरी दोनों सगे भाई थे. पुलिस तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर थाने ले आई. अपहरण किए गए हैदराबाद निवासी नैचुरल पावर एशिया प्रा. लि. कंपनी के एमडी के. श्रीकांत रेड्डी और उन के दोस्त सुरेश रेड्डी को भी थाने लाया गयापुलिस ने आरोपी अपहरण कार्ताओं के खिलाफ अपहरण, मारपीट एवं फिरौती का मुकदमा कायम कर पूछताछ कीश्रीकांत रेड्डी ने बताया कि उत्तरलाई के पास सोलर प्लांट निर्माण का ठेका उन की नैचुरल पावर एशिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी हैदराबाद को मिला था

उन की कंपनी ने यह काम सबलेट कंपनी बंगलुरु को दे दिया. सबलेट कंपनी ने स्थानीय ठेकेदारों को पावर प्लांट का कार्य ठेके पर दिया. कार्य पूरा होने से पूर्व सबलेट कंपनी और नैचुरल पावर एशिया कंपनी में पैसों के लेनदेन पर विवाद हो गया. सबलेट कंपनी ने जितने में ठेका नैचुरल कंपनी से लिया था, उतना पेमेंट नैचुरल कंपनी ने सबलेट कंपनी को कर दिया. मगर काम ज्यादा था और पैसे कम थे. इस कारण सबलेट कंपनी ने और रुपए मांगेनैचुरल पावर कंपनी ने कहा कि जितने रुपए का ठेका सबलेट को दिया था, उस का पेमेंट हो चुका है. अब और रुपए नैचुरल कंपनी नहीं देगी

तब सबलेट कंपनी सोलर प्लांट का कार्य अधूरा छोड़ कर भाग गई. सबलेट कंपनी ने स्थानीय ठेकेदारों को जो ठेके दिए थे, उस का पेमेंट भी सबलेट ने आधा दिया और आधा डकार गई. तब एमइएस ने मूल कंपनी नैचुरल पावर एशिया प्रा. लि. के एमडी को बुलाया. मददगार बन कर शैतान चौधरी, भीखाराम उर्फ विक्रम चौधरी और मोहनराम उन से मिलेउन के लिए यह इलाका नया था. इसलिए उन्हें लगा कि वे अच्छे लोग होंगे, जो मददगार के रूप में उन्हें साइट वगैरह दिखाएंगे. मगर ये तीनों ठेकेदारों के आदमी थे, जो दबंग और आपराधिक प्रवृत्ति के थे

इन्होंने ही उन का अपहरण कर एक करोड़ रुपए की फिरौती मांगी. एमडी रेड्डी ने इस अचानक आई आफत से निपटने के लिए अपनी तेलुगु और अंग्रेजी भाषा का प्रयोग कर के सिर्फ स्वयं को बल्कि अपने दोस्त को भी बचा लिया. पुलिस अधिकारियों ने थाने में तीनों अपहर्त्ताओं से पूछताछ की. पूछताछ में आरोपियों ने अपने अन्य साथियों के नाम बताए, जो इस मामले में शामिल थे और जिन के कहने पर ही इन तीनों ने एमडी और उन के दोस्त का अपहरण कर एक करोड़ की फिरौती मांगी थी. तीनों अपहर्त्ताओं से पूछताछ के बाद पुलिस ने 25 अक्तूबर, 2019 को अर्जुनराम निवासी बलदेव नगर, बाड़मेर, कैलाश एवं कानाराम निवासी जायड़ु को भी गिरफ्तार कर लिया. इस अपहरण में कुल 6 आरोपी गिरफ्तार किए गए थे. आरोपियों को थाना पुलिस ने 26 अक्तूबर 2019 को बाड़मेर कोर्ट में पेश कर के उन्हें रिमांड पर ले लिया.

पूछताछ में आरोपियों ने स्वीकार किया कि उन लोगों का ठेकेदारी का काम है. कुछ ठेकेदार थे और कुछ ठेकेदारों के मुनीम कमीशन पर काम ले कर करवाने वाले. अर्जुनराम, कैलाश एवं कानाराम छोटे ठेकेदार थे, जो ठेकेदार से लाखों रुपए का काम ले कर मजदूर और कारीगरों से काम कराते थेसबलेट कंपनी ने जिन बड़े ठेकेदारों को ठेके दिए थे. बड़े ठेकेदारों से इन्होंने भी लाखों रुपए का काम लिया था. मगर सबलेट कंपनी बीच में काम छोड़ कर बिना पैसे का भुगतान किए भाग गई तो इन का पैसा भी अटक गया. मजदूर और कारीगर इन ठेकेदारों से रुपए मांगने लगे, क्योंकि उन्होंने मजदूरी की थी. जब ठेकेदारों ने पैसा नहीं दिया तो ये लोग परेशान हो गए

ऐसे में इन लोगों ने जब नैचुरल पावर कंपनी के एमडी के आने की बात सुनी तो इन्होंने उस का अपहरण कर के फिरौती के एक करोड़ रुपए वसूलने की योजना बना लीइन लोगों ने सोचा था कि एक करोड़ रुपए वसूल लेंगे तो मजदूरों एवं कारीगरों का पैसा दे कर लाखों रुपए बच जाएंगेसभी आरोपियों से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उन्हें न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया.

Jaipur crime news : नौकरानी ने करवाई मालिक के घर में 24 लाख की चोरी

Jaipur crime news : कृष्णकांत गुप्ता अपनी नौकरानी प्रिया को मोटी सैलरी के अलावा सारी सुविधाएं देते थे ताकि वह खुश रहे. इस के बावजूद प्रिया ने अपने प्रेमी नदीम के साथ मिल कर कृष्णकांत गुप्ता से ऐसा विश्वासघात किया कि…   

18 जुलाई, 2018 की बात है. रात के करीब 11 बजने वाले थे. रिटायर्ड बैंक अधिकारी कृष्णकांत गुप्ता ने कुछ देर पहले ही रात का भोजन किया था. इस के बाद कुछ देर टीवी देखा और ड्राइंग रूम में बैठ कर पत्नी चंद्रकांता से इधरउधर की बातें कीं. गुप्ता और उन की पत्नी जब घरपरिवार की बातें कर रहे थे तो उन की 10 महीने की पोती नितारा दादी की गोद में ही सो गई थी. इस बीच नौकरानी प्रिया ने भोजन के बरतन वगैरह साफ कर लिए थे.

अब कोई काम भी नहीं था. कृष्णकांत गुप्ता को नींद आने लगी तो उन्होंने पत्नी चंद्रकांता से कहा, ‘‘मैं तो सोने जा रहा हूं. तुम भी दिन भर की थकी हुई हो, अब सो जाओ और नितारा को भी अपनी गोद से बिस्तर पर लिटा दो.’’

‘‘हां, मैं भी थक गई हूं, अपने कमरे में जा कर सोती हूं.’’ चंद्रकांता ने कहा.

कृष्णकांत गुप्ता ड्राइंग रूम से उठ कर अपने कमरे में जाने लगे तो उन्हें अपने मकान के पोर्च में कुछ हलचल सी महसूस हुई. उन्होंने गेट खोल कर देखा तो 3 अनजान लोग घर के अंदर खड़े मिले. उन्होंने उन लोगों से पूछा, ‘‘क्या बात है, तुम कौन हो और यहां क्यों खड़े हो?’’

कृष्णकांत गुप्ता के सवालों से घबरा कर वे तीनों आदमी सौरी बोलते हुए यह कह कर वहां से चले गए कि रात के अंधेरे में हम गलती से रामदेव का घर समझ कर आप के घर के अंदर गए. हमें रामदेव के घर जाना है. वे तीनों अनजान आदमी भले ही वहां से चले गए. लेकिन गुप्ताजी के मन में कई तरह की शंकाएं उठने लगीं. कृष्णकांत गुप्ता जयपुर के गोपालपुरा बाईपास पर स्थित पौश कालोनी 10बी स्कीम में रहते थे. 3 साल पहले ही वह इलाहाबाद बैंक से अधिकारी पद से रिटायर हुए थेइस मकान में वह अपनी पत्नी चंद्रकांता और 10 महीने की पोती नितारा के साथ रहते थे. उन का बेटा अंकुर और बहू अंकिता मुंबई में रहते हैं. बेटा अंकुर मुंबई में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) में काम करता है

कृष्णकांत गुप्ता ने घर के छोटेमोटे कामकाज और पोती की देखभाल के लिए एक नौकरानी प्रिया साहू को काम पर रख लिया था. उसे रहने के लिए अपने मकान में ही एक कमरा दे दिया था. उसे वह 16 हजार रुपए महीने की सैलरी देते थे. वह पश्चिम बंगाल की रहने वाली थी. कृष्णकांत गुप्ता को शंका हुई तो उन्होंने कालोनी समिति के अध्यक्ष हंसराज और सचिव गोपाल को फोन कर के अपने घर बुलाया. इसी के साथ उन्होंने पुलिस को भी सूचना दे दी. 3 संदिग्ध लोगों की बात सुन कर कालोनी के लोग उन के यहां जमा हो गए. लोगों ने रात में ही गलियों में घूम कर उन संदिग्ध लोगों को ढूंढा, लेकिन वे नहीं मिले.

इस बीच सूचना पा कर 2 पुलिसकर्मी वहां पहुंच गए. कृष्णकांत गुप्ता ने उन्हें अपने यहां आए 3 संदिग्ध लोगों के बारे में बताया तो उन पुलिस वालों ने भी मोटरसाइकिल से गलियों के चक्कर लगाए और वहां से चले गए. तब तक रात के करीब 1 बज गए थे. उन तीनों अनजान लोगों का कुछ पता नहीं चला तो कालोनी के लोग भी गुप्ताजी को सावधान रहने की बात कह कर अपनेअपने घर जा कर सो गए. तड़के करीब 3 बजे कृष्णकांत गुप्ता अपने कमरे में जब गहरी नींद में सो रहे थे तो उन की नींद घर में कुछ लोगों की हलचल की आवाज से टूट गई. वह कुछ समझ पाते, इस से पहले ही 2-3 बदमाश उन के घर में घुस आए और उन का मुंह हाथपैर साड़ी चुनरी से बांध दिए. इस के बाद बदमाश चंद्रकांता के कमरे में पहुंचे. बदमाश उन्हें चाकू दिखा कर धमकाते हुए उन के पति के कमरे में ले आए.

इस के बाद बदमाशों ने उन के घर से तमाम कीमती सामान बटोर लिया. बदमाशों ने अलमारी के ऊपर रखे चांदी के बरतन उतारने के लिए चंद्रकांता से कहा तो चंद्रकांता ने अपने पैर में रौड लगी होने की वजह से ऊपर चढ़ने से इनकार कर दियाबदमाशों ने चाकू दिखा कर उन्हें जान से मारने की धमकी दी तो चंद्रकांता ने कहा कि टेबल पर चढ़ कर गिरने से मरूंगी, इस से अच्छा है कि तू ही मुझे मार दे. बाद में एक बदमाश ने टेबल पर चढ़ कर चांदी के बरतन उतारे. लूटपाट के दौरान बदमाशों ने अपने साथ टिफिन में लाया खाना भी खाया. उस टिफिन को बाद में वह मकान के बाहर फेंक गए थे.

करीब आधे घंटे तक लूटपाट करने के बाद बदमाश वहां से करीब 15 लाख रुपए के गहने, चांदी के बरतन और ढाई लाख रुपए नकद बटोरने के बाद गुप्ता दंपति की 10 महीने की पोती नितारा को साथ ले जाने की धमकी देने लगे. इस पर चंद्रकांता बिफर गईं. वह बोलीं कि सब कुछ ले जाओ लेकिन मेरी पोती की तरफ आंख उठा कर भी मत देखना. मेरे जीते जी तुम मेरी पोती को नहीं ले जा सकते. चंद्रकांता का रौद्र रूप देख कर बदमाशों ने नितारा को तो छोड़ दिया लेकिन वह 3 मोबाइल फोन और एक टैबलेट तथा कृष्णकांत गुप्ता का एटीएम कार्ड भी ले गए. बदमाशों ने लूटे गए माल को बैगों में भर लिया. फिर उन्होंने चंद्रकांता और उन की पोती को एक कमरे में बंद कर दिया और कृष्णकांत गुप्ता को दूसरे कमरे में.

इस के बाद बदमाश पोर्च में खड़ी गुप्ताजी की टोयटा इटियोस कार नंबर आरजे14सी आर5236 में सवार हो कर नौकरानी प्रिया को भी अपने साथ ले गए. जिस समय बदमाश घर में लूटपाट कर रहे थे, उस समय नौकरानी प्रिया चुपचाप तमाशा देख रही थी. प्रिया अपना सारा सामान समेट कर उन बदमाशों के साथ चली गई थी. बदमाशों के जाने के बाद चंद्रकांता ने कमरे की खिड़की से पड़ोसियों को कई आवाजें लगाईं, लेकिन किसी ने नहीं सुनीं. इस बीच, दूसरे कमरे में हाथपैर बंधे पड़े कृष्णकांत ने किसी तरह खुद को आजाद किया. उन्होंने पत्नी चंद्रकांता को आवाज दी तो पता चला कि वह कमरे में बंद है. उन्होंने पत्नी और पोती को कमरा खोल कर बाहर निकाला. इस के बाद मौर्निंग वाक पर निकले कालोनी के लोगों को बुला कर वारदात की जानकारी दी.

इस के बाद पुलिस को सूचना दी गई. शिप्रापथ थाना पुलिस ने मौके पर पहुंच कर जांचपड़ताल शुरू की. फिंगरप्रिंट एक्सपर्ट्स ने मकान से अंगुलियों के निशान लिए. डौग स्क्वायड की भी मदद ली गई. बाद में डीसीपी डा. विकास पाठक और अन्य पुलिस अधिकारी भी मौके पर पहुंचे और गुप्ता दंपति से बदमाशों के हुलिया, बोलचाल आदि के बारे में पूछताछ की. पूछताछ में पता चला कि घर में लूटपाट करते हुए 3 बदमाश नजर आए थे. इन में एक ने सफेद रंग की शर्ट और 2 बदमाशों ने टीशर्ट जींस पहन रखी थी. बदमाशों के साथ प्रिया के भी जाने से यह बात साफ हो गई कि नौकरानी प्रिया पहले से ही बदमाशों से मिली हुई थी

उसी ने बदमाशों के लिए मकान का गेट खोला था. बाद में वह उन्हीं बदमाशों के साथ चली गई. पुलिस का अनुमान था कि घर में भले ही 3 बदमाश घुसे थे, लेकिन उन के साथी आसपास बाहर निगरानी पर जरूर रहे होंगे. पुलिस ने नौकरानी प्रिया साहू के बारे में जांचपड़ताल की तो पता चला कि करीब 4 महीने पहले जयपुर सर्वेंट सेंटर के मार्फत उसे 16 हजार रुपए महीने की तनख्वाह पर रखा था. तब उन्हें बताया गया था कि प्रिया साहू 3 साल तक भीलवाड़ा में एक डाक्टर के घर पर भी काम कर चुकी हैएजेंसी ने प्रिया का पुलिस वेरिफिकेशन होने का भी दावा किया था. उसी समय कृष्णकांत गुप्ता ने प्रिया को सैलरी के अलावा रहने और खानेपीने की सुविधाएं देने की बात कही थी. कुछ दिनों अपने यहां काम पर रखने के बाद कृष्णकांत गुप्ता ने प्रिया को मुंबई में अपने बेटेबहू के पास एक महीने तक काम करने के लिए भी भेजा था.

पुलिस ने जब जयपुर सर्वेंट सेंटर के संचालक फहीम को थाने बुला कर पूछताछ की तो पता चला कि उस ने प्रिया का पुलिस सत्यापन नहीं कराया था. इस के अलावा उस का नाम प्रिया नहीं बल्कि परवीन खातून था. प्रिया फर्राटे से अंगरेजी बोलती थी और समझती भी थी लेकिन वह हिंदी नहीं जानने और घड़ी में समय नहीं देखने आने की बात कहती थी. कृष्णकांत ने पुलिस को बताया कि बेटे ने अमेरिका से लाया हुआ एक मोबाइल फोन वारदात से 12 घंटे पहले ही कुरियर से भेजा था. बदमाश उन दोनों के फोनों के अलावा उस नए मोबाइल को भी ले गए. चंद्रकांता जिस टैबलेट पर रात को समय काटने के लिए फिल्म वगैरह देखती थी. वह टैबलेट भी बदमाश ले गए थे.

वारदात की सूचना मिलने पर कृष्णकांत गुप्ता के बेटेबहू भी 19 जुलाई को ही मुंबई से जयपुर पहुंच गए. गुप्ता के बड़े भाई अशोक गुप्ता जयपुर के ही प्रतापनगर और छोटे भाई अनिल मानसरोवर में रहते हैंचंद्रकांता के सासससुर भी जयपुर में मानसरोवर कालोनी में रहते हैं. उन की बेटी भी पति के साथ हैदराबाद से जयपुर गई. वारदात का पता चलने पर उन के घर रिश्तेदारों और जानपहचान वालों की भीड़ जुड़ने लगी थी. पुलिस के लिए चुनौती की बात यह थी कि कालोनी के जिस मकान में डकैती की वारदात हुई, उस के पास ही राजस्थान के पूर्व पुलिस महानिदेशक मनोज भट्ट और जयपुर के महापौर अशोक लाहोटी रहते थे. वारदात का पता चलने पर महापौर कृष्णकांत गुप्ता के घर पहुंचे और मामला दर्ज कराने उन के साथ शिप्रापथ थाने भी गए.

मामला दर्ज होने पर डीसीपी (दक्षिण) डा. विकास पाठक ने अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (दक्षिण) मनोज चौधरी के निर्देशन और एसीपी (मानसरोवर) दीपक कुमार की अध्यक्षता में एक विशेष टीम गठित की. इस के अलावा अभियुक्तों की तलाश में शिप्रापथ थानाप्रभारी सुरेंद्र यादव और श्यामनगर थानाप्रभारी अनिल कुमार जैमिनी के नेतृत्व में 2 अलगअलग टीमें पश्चिम बंगाल भेजी गईं. इन में एक पुलिस टीम हवाई मार्ग से गई थी. इस बीच पुलिस अपने तरीके से बदमाशों के बारे में सुराग लगाती रही. इस में पता चला कि वारदात से करीब 20 दिन पहले कृष्णकांत के घर पर नौकरानी प्रिया से मिलने एक युवक आया था. प्रिया ने उस युवक को अपना पति बताया था.

पुलिस कृष्णकांत गुप्ता की उस कार का भी पता लगाने में जुट गई, जिस में सवार हो कर बदमाश नौकरानी के साथ भागे थे. जांच में पता चला कि वह कार जयपुर से आगरा रोड हो कर 19 जुलाई की सुबह करीब साढ़े 10 बजे आगरा का मथुरा टोलनाका पार कर के गई थी. इस के अलावा गुप्ता के एटीएम कार्ड से गाजियाबाद में 3 बार में 12 हजार रुपए निकाले गए थे. ये जानकारियां मिलने पर पुलिस की एक टीम गाजियाबाद भेजी गई. तकनीकी जानकारियों और खुफिया सूचनाओं के आधार पर वारदात के पांचवें दिन जयपुर पुलिस ने 23 जुलाई, 2018 को नौकरानी परवीन खातून उर्फ प्रिया के अलावा उस के प्रेमी नदीम और एक अन्य बदमाश आमिर खान उर्फ समीर खान को गाजियाबाद से गिरफ्तार कर लिया

इन के कब्जे से पुलिस ने कृष्णकांत गुप्ता की लूटी गई कार और वारदात में प्रयोग किए 2 चाकू तथा 34 हजार 460 रुपए नकद बरामद किए. इन बदमाशों ने लूट का बाकी सामान अपने एक अन्य साथी के पास होना बताया. इस के बाद पुलिस ने 24 जुलाई को वारदात के मुख्य मास्टरमाइंड दयाराम सिंह को दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया. बाद में 26 जुलाई को पांचवें आरोपी दिलशाद को भी गिरफ्तार किया गया. इन अभियुक्तों से पुलिस ने गुप्ता के घर से लूटे गए गहने, चांदी के बरतन अन्य सामान बरामद कर लिया. बदमाशों ने लूटी गई धनराशि में से करीब एक लाख रुपए खर्च कर दिए थे. चूंकि वारदात में 5 लोग शामिल थे, इसलिए पुलिस ने केस में डकैती की धाराएं जोड़ दीं

इन के अलावा पुलिस ने फरजी दस्तावेज के आधार पर परवीन खातून को प्रिया साहू के नाम से गुप्ता के घर पर नौकरानी पर लगवाने वाले जयपुर सर्वेंट सेंटर के संचालक फहीम को भी 26 जुलाई को गिरफ्तार कर लिया. इन सभी आरोपियों से पूछताछ के बाद डकैती डालने की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी

नदीम उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के कांठ थाना इलाके के गांव पैगंबरपुर सुखवासी लाल के रहने वाले आरिफ का बेटा था. कांठ थाने के गांव बिच्छपुरी का रहने वाला आमिर खान उर्फ समीर खान और पास के ही गांव देहरी जुम्मन का रहने वाला दयाराम उर्फ विकास करीब डेढ़ साल पहले यूपी की जेल में बंद थेचूंकि तीनों एक ही जिले के रहने वाले थे, इसलिए तीनों की ही जेल में दोस्ती हो गई. वहां से जमानत पर बाहर आने के बाद भी ये आपस में एकदूसरे के संपर्क में रहे. बाद में नदीम अहमदाबाद चला गया. अहमदाबाद में प्रिया की बड़ी बहन अपने पति के साथ रहती थी. वह नदीम के साथ ही एक फैक्ट्री में काम करती थी. प्रिया की बहन ने नदीम को अपना एक मोबाइल फोन बेचा था. उस फोन में प्रिया के घर वालों के नंबर भी सेव थे

उस फोन में जो नंबर लड़कियों के नाम से सेव थे, फुरसत मिलने पर नदीम एकएक कर के उन नंबरों पर बात करता. इसी दौरान एक दिन उस ने प्रिया का नंबर मिलाया. प्रिया ने उस से प्यार से बात की. नदीम को उस की बातें अच्छी लगीं. इस के बाद वह अकसर प्रिया से बातें करने लगा. प्रिया का अपने पति से तलाक हो चुका था. वह अकेली रहती थी. धीरेधीरे नदीम और प्रिया की दोस्ती हो गई. परवीन खातून उर्फ प्रिया कोलकाता के 24 परगना में रहने वाले आबिद हुसैन की बेटी थी. परवीन खातून घरों में नौकरानी का काम और नवजात शिशुओं की देखभाल का काम करती थी. उस ने प्रिया साहू के नाम से फरजी आईडी बनवा रखी थी. इस आईडी के जरिए वह जयपुर सर्वेंट सेंटर के माध्यम से कृष्णकांत गुप्ता के घर पर नौकरी करने आई थी.

प्रिया उर्फ परवीन खातून ने ही अपने प्रेमी नदीम को जयपुर में रिटायर्ड बैंक अधिकारी कृष्णकांत गुप्ता के घर की सारी जानकारी दी थी. उस ने नदीम को बताया था कि यह अमीर परिवार है और घर में केवल बुड्ढेबुढि़या और उन की पोती रहती है. प्रिया से गुप्ता के परिवार की जानकारी हासिल करने के बाद नदीम ने प्रिया से शादी करने का वादा भी कर दिया था. इस के बाद वारदात से पहले 5 जुलाई, 2018 को नदीम अपने साथी दयाराम उर्फ विकास के साथ जयपुर चला आयानदीम उस दिन अकेला ही गुप्ता के घर जा कर प्रिया से मिला और उसे शादी करने का विश्वास दिलाने के लिए अंगूठी पहनाई. इस दौरान प्रिया ने गुप्ता और उन की पत्नी चंद्रकांता को बताया था कि वह उस का पति है. प्रिया ने नदीम को चायनाश्ता भी कराया था

नदीम ने कुछ देर प्रिया से बातचीत के दौरान ही गुप्ता के मकान की रेकी कर ली. नदीम के साथी दयाराम ने गुप्ता के मकान के बाहर रह कर कालोनी की रेकी की और आनेजाने के रास्ते देखे. इस के बाद पूरी योजना बना कर नदीम, आमिर और दयाराम 18 जुलाई को जयपुर पहुंचे. वे सीधे कृष्णकांत गुप्ता के घर पहुंचे. वे तीनों रात को 11 बजे ही वारदात के लिए पहुंच गए. लेकिन कृष्णकांत गुप्ता ने उन्हें देख लिया तो वे वहां से भाग कर आसपास छिप गए. बाद में उन्होंने रात करीब ढाई बजे परवीन खातून उर्फ प्रिया के मोबाइल पर फोन कर के गेट खुलवाया और लूटपाट की वारदात की.

वारदात के बाद वे नौकरानी प्रिया को साथ ले कर गुप्ता की टोयटा इटियोस कार से भाग गए थे. इस के बाद पुलिस ने काल डिटेल्स और एटीएम कार्ड प्रयोग करने की लोकेशन के आधार पर अभियुक्तों तक पहुंचने में सफलता हासिल की. गिरफ्तार अभियुक्त नदीम के खिलाफ चोरी, बलात्कार और आर्म्स एक्ट के 5 मामले विभिन्न थानों में दर्ज हैं. आमिर खान उर्फ समीर खान के खिलाफ भी 8 आपराधिक मामले गुड़गांव, नोएडा, गाजियाबाद मुरादाबाद में दर्ज हैं. आमिर खान ने लूट की वारदात के बाद कृष्णकांत की कार की फरजी आरसी और खुद का फरजी ड्राइविंग लाइसेंस भी बनवा लिया था

अभियुक्त दयाराम उर्फ विकास के खिलाफ चोरी, अपहरण, लूट, एनडीपीएस एक्ट आदि के 9 मामले दर्ज हैं. गुप्ता के घर डाली गई डकैती में गिरफ्तार पांचवें अभियुक्त दिलशाद ने बाकी चारों आरोपियों को गाजियाबाद में फ्लैट में छिपाने में मदद की थी. वह इस वारदात में भी शामिल था. दिलशाद अपहरण के मामले में मुरादाबाद में गिरफ्तार हो चुका है. पुलिस ने जयपुर सर्वेंट सेंटर के संचालक फहीम को गिरफ्तार कर जांचपड़ताल की तो पता चला कि उस की भूमिका कई मामलों में संदिग्ध हैफहीम ने केवल प्रिया उर्फ परवीन खातून को ही फरजी पहचानपत्र के आधार पर नौकरी नहीं दिलवाई बल्कि कई अन्य लड़कियों को भी कोलकाता से ला कर राजस्थान में कई अन्य लोगों के घरों में बतौर नौकरानी रखवाया था

इन लड़कियों की पुलिस तसदीक कराने का काम सेंटर संचालक फहीम ही करता था, लेकिन फहीम जानबूझ कर इन युवतियों के फरजी नाम पते से पहचानपत्र बनवा कर लोगों की जानमाल को खतरे में डालता था, इसलिए पुलिस ने उस के खिलाफ अलग से मुकदमा दर्ज किया. यह विडंबना रही कि प्रिया उर्फ परवीन खातून जिस नदीम के साथ जीवन भर साथ निभाने के सपने देख रही थी, उसी नदीम और उस के साथियों के साथ वह जेल पहुंच गई. प्रिया ने केवल गुप्ता परिवार के साथ ही विश्वासघात नहीं किया बल्कि नौकरानी की पूरी जमात से भरोसा उठा दिया.