साजिश का तोहफा – भाग 4

एक पल की खामोशी के बाद मनोज दबी आवाज में बोला, ‘‘कल शाम 7 बजे के आसपास रमेश ने मुझे फोन कर के कहा कि वह नहीं चाहता कि उस की वजह से उसे और उस की मां को तकलीफ पहुंचे. इस के बाद उस ने जो कुछ कहा, मैं उसी के शब्दों में आप को बता रहा हूं.

उस ने कहा था, ‘‘तुम्हारा बाप नंबर एक का बदमाश और जालसाज था. लेकिन उस की मृत्यु के बाद इस बात को दबा दिया गया था. अगर तुम चाहते हो कि यह बात अभी भी उसी तरह दबी रहे तो तुरंत किसी आदमी के हाथ अपने वकील को एक पत्र भेज कर उसे यह मुकदमा वापस लेने को कह दो और शहर छोड़ कर चले जाओ. अगर तुम ने ऐसा नहीं किया तो जहां तुम्हारी मां रहती है, उस पूरे इलाके में उन के बारे में बता कर उन्हें बदनाम कर दिया जाएगा. उस के बाद तुम्हारी मां की क्या हालत होगी, यह तुम जानते ही हो.’’

‘‘मैं ने और स्वाति ने इस बात पर गहराई से विचार किया. हम ने सोचा कि इस उम्र में मां को क्यों परेशान किया जाए. वह चैन से रह रही हैं तो उन्हें उसी तरह चैन से रहने दिया जाए. यही सोच कर हम यहां चले आए. लेकिन जब आप यह मुकदमा लड़ ही रहें हैं और मां को सच्चाई का पता चल ही गया है तो अब आप जो कहेंगे, हम वही करेंगे.’’

‘‘एक घंटे पहले रमेश का फोन यहां भी आया था. इत्तेफाक से फोन मैं ने रिसीव किया था. वह मनोज से बात करना चाहता था, स्वाति ने कहा, लेकिन मैं ने डांट कर फोन काट दिया.’’

‘‘बहुत अच्छा किया,’’ सावित्री सोलकर ने कहा, ‘‘बेटा, यह तुम्हारा फर्ज था कि मेरे बारे में सोच कर तुम ने यह मुकदमा वापस लेने का निर्णय लिया. लेकिन जो गलत है, उस से भी भागना ठीक नहीं है. मैं अभी भी अपनी समस्याओं से निपटने की क्षमता रखती हूं. मुझे इस बात का दुख है कि तुम ने रमेश की बात पर विश्वास कर लिया कि वह तुम्हारे पिता के बारे में जो कहा, वह सही है.’’

‘‘पापा की जिंदगी पर सदैव रहस्य का परदा पड़ा रहा, शायद इसीलिए ऐसा हुआ.’’ मनोज ने सिर झुका कर कहा, ‘‘बहरहाल, मैं अपनी इस गलती पर शर्मिंदा हूं.’’

‘‘क्या आप मनोज के पिता के बारे में मुझे कुछ बताएंगी?’’ नवीन ने कहा.

‘‘क्यों नहीं,’’ सावित्री ने कहा. इस के बाद वह अतीत में खो गईं. थोड़ी देर बाद वह संभल कर बोलीं, ‘‘जब अनिल से मेरी शादी हुई, वह अपने पिता की ही कंपनी में काम करते थे, जिस में उन के पिता सोमनाथ सोलकर के आविष्कार किए हुए बिजली के सामान बनते थे. मेरे ससुर का सोचना था कि मैं ने उन के बेटे को बरबाद कर दिया है. मेरी वजह से वह निकम्मा हो गया है. जबकि सच्चाई यह थी कि अनिल को घूमने फिरने और उन स्थानों के बारे में लिखने का शौक था. अपने इसी शौक की वजह से उन्होंने कंपनी छोड़ने का निर्णय लिया.

‘‘जबकि उन के इस निर्णय में मेरी कोई भूमिका नहीं थी. उन के निर्णय पर सोमनाथ सोलकर ने खूब हंगामा किया. उन का कहना था कि मेरी वजह से उन का एकलौता बेटा अपनी राह से भटक गया है. कंपनी से अलग हो कर अनिल ने एक हवाई जहाज खरीदा और इधर उधर की यात्रा करने लगे. ट्रैवल से संबंधित उन के अनेक लेख विभिन्न पत्रिकाओं में छपने लगे.

‘‘मनोज के जन्म के बाद मेरा उन के साथ जाना कम हो गया. अब वह अकसर अकेले ही जाने लगे थे. 1985 के अप्रैल में जयपुर से आगे रेगिस्तान में उड़ते समय अनिल का जहाज दुर्घटनाग्रस्त हो गया. इस दुर्घटना में केवल जहाज का मलबा मिला था, अनिल की लाश नहीं मिली थी.’’

पल भर की चुप्पी के बाद सावित्री सोलकर ने आगे कहा, ‘‘मुझे जो याद आता है, उस के हिसाब से रमेश गायकवाड़ का मेरे ससुर सोमनाथ सोलकर से दूर का कोई संबंध है. वह उन दिनों कंपनी में ही काम करता था. अनिल की मौत के बाद वह मेरे पास आया था. उस ने मुझ से कहा था कि अनिल के बारे में कुछ ऐसी सच्चाई सामने आई है, जिस का राज बना रहना ठीक है.

‘‘उस ने मुझे कुछ पैसे देते हुए कहा कि इन्हें मेरे ससुर ने भेजे हैं और उन्होंने कहा है कि भविष्य में वह मुझ से कोई संबंध नहीं रखना चाहते. मैं ने पैसे वापस करते हुए कहा था कि मैं वे बातें जरूर जानना चाहूंगी, जिन की वजह से मेरे ससुर मुझ से संबंध खत्म करना चाहते हैं. अनिल ने ऐसा क्या किया था, जिस से उन्हें शर्मिंदगी महसूस हो रही है.

‘‘मैं ने उन से संपर्क करने की कोशिश की, उन्हें पत्र लिखे, समय मांगा, फोन पर बात करने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली. मजबूर हो कर मैं शांत हो गई. अनिल की मौत के एक साल बाद मुझे पता चला कि मेरे ससुर ने कोई इंस्टीटयूट बनवाया है, जिस का डायरेक्टर रमेश गायकवाड़ को बनाया है. इस से मुझे लगा कि उस ने अनिल पर जो आरोप लगाए थे, वे किसी साजिश के तहत लगाए थे. अब मनोज को वह चोर बता रहा है तो इस के पीछे भी कोई साजिश है.’’

‘‘मुझे लगता है कि अपनी वकील शशांक ठाकरे के साथ मिल कर वह इंस्टीटयूट में कुछ गड़बड़ कर रहा है,’’ नवीन ने कहा, ‘‘लेकिन दोनों यह काम इस तरह कर रहे हैं कि पकड़ में नहीं आ रहे हैं. रमेश रहता भी बहुत साधारण तरीके से है. शायद वे गड़बड़ी इस तरह कर रहे हैं कि इस का लाभ उन्हें भविष्य में मिले. मेरी समझ में यह नहीं आता कि सोमनाथ सोलकर अपने इंस्टीटयूट को पूरी तरह कैसे भूल गए. उन्हें इंस्टीटयूट के बारे में सब से ज्यादा मालूम होगा, क्योंकि यह उन्हीं का बनवाया है. वह कभी नहीं चाहेंगे कि उन का इंस्टीटयूट बरबाद हो. अगर किसी तरह मि. सोमनाथ सोलकर से संपर्क हो जाए तो…?

‘‘अब वह काफी बूढ़े हो चुके हैं, इसलिए बहुत कम लोगों से मिलते हैं?’’ सावित्री ने कहा, ‘‘उन का फोन नंबर भी डायरेक्टरी में नहीं है. लेकिन संयोग से मेरे पास है.’’

नवीन ने वह नंबर डायल किया तो दूसरी ओर से एक कमजोर सी आवाज आई, ‘‘सोमनाथ सोलकर स्पीकिंग.’’

नवीन ने अपना नाम बताया तो उस आवाज में थोड़ी तेजी आई, ‘‘तुम यकीनन गवाह के तौर पर मुझे अदालत में बुलाना चाहते होगे?’’

‘‘जी हां,’’ नवीन ने कहा, ‘‘इस के अलावा मैं आप को इस केस के बारे में भी कुछ बताना चाहता हूं.’’

‘‘मुझे केस के बारे में सब पता है और तुम्हारे बारे में भी.’’ सोमनाथ सोलकर ने बेरुखी से कहा, ‘‘बहरहाल मैं कल सुबह अदालत पहुंच जाऊंगा.’’

हनीमून पर दी हत्या की सुपारी – भाग 1

सन 2009 के जुलाई महीने में एनी हिंडोचा अपनी कजिन स्नेहा से मिलने ल्यूटोन गई तो वहीं उस की मुलाकात श्रीन देवानी से हुई. श्रीन स्नेहा का पारिवारिक मित्र था. श्रीन देवानी हेल्थकेयर बिजनैस का एक जानामाना नाम था. मूलरूप से भारत का रहने वाला श्रीन देवानी का परिवार लंदन के ब्रिस्टल शहर में रहता था. सालों पहले उस के घर वाले यहां आ कर रहने लगे थे. उस के पिता पीएसपी हेल्थकेयर कंपनी चलाते थे. श्रीन देवानी का जन्म वहीं हुआ था.

यूनिवर्सिटी औफ मैनचेस्टर से इकोनौमिक्स में ग्रैजुएशन कर के श्रीन वहीं एक कंपनी में एकाउंटेंट की नौकरी करने लगा था. इसी नौकरी के दौरान स्नेहा से उस की दोस्ती हुई थी. नौकरी कर के श्रीन को जब अच्छाखासा अनुभव हो गया तो उस ने अपना पारिवारिक कारोबार संभाल लिया था. नौकरी उस ने भले छोड़ दी थी, लेकिन दोस्तों से वह पहले की ही तरह मिलताजुलता रहता था.

दोस्तों से ही मिलने जुलने में श्रीन की मुलाकात स्नेहा की कजिन एनी हिंडोचा से हुई तो पहली ही मुलाकात में खूबसूरत एनी उसे कुछ इस तरह भायी कि एक बार उस के चेहरे पर उस की नजर पड़ी तो वह अपनी नजर को हटा नहीं सका.

एनी ने श्रीन देवानी के दिल में एक अजीब सी हलचल मचा दी थी. अब तक उस के संपर्क में तमाम लड़कियां आई थीं, लेकिन जो बात उस ने एनी में पाई थी, शायद वह उन में से किसी में नहीं दिखी थी. इसीलिए वह उस पर से नजर नहीं हटा सका था.

श्रीन एनी को एकटक देख रहा था. उसे इस बात की भी परवाह नहीं थी कि वह जो कर रहा है, वह अभद्रता है और उस की इस अभद्रता पर लोग उस के बारे में क्या सोचेंगे.

एनी को उस के मन की बात भांपते देर नहीं लगी थी. श्रीन भी कम आकर्षक नहीं था. सुखी और संपन्न तो था ही. एक लड़की को जिस तरह का मर्द चाहिए, वे सारे गुण उस में थे. इसलिए उस का एकटक ताकना एनी को बुरा लगने के बजाय अच्छा ही लगा था. कहा जाए तो उस का हाल भी श्रीन से कुछ अलग नहीं था.

जब दोनों के ही दिलों की हालत एक जैसी हो गई तो वे एकदूसरे की आंखों में डूब गए. तभी स्नेहा ने चुटकी लेते हुए कहा, ‘‘यहां तुम दोनों के अलावा भी तमाम लोग मौजूद हैं. उन लोगों की ओर भी देख लो.’’

श्रीन और एनी को अपनी अपनी गलती का अहसास हुआ. दोनों शरमा गए, इसलिए कुछ कह नहीं सके, सिर्फ मुसकरा कर रह गए. दोनों बातें भले ही अन्य लोगों से करते रहे, पर नजरें एकदूसरे को ही ताकती रहीं. इतना सब होने के बाद अब उन्हें एकदूसरे से यह कहने की जरूरत नहीं रह गई थी कि वे एकदूसरे के दिलों में बस चुके हैं. इस तरह उन के प्यार का इजहार नजरों से ही हो गया था.

वहां से विदा होने से पहले एनी और श्रीन ने एकदूसरे के नंबर ले लिए थे. इस के बाद उन की मोबाइल पर बात ही नहीं होने लगी, बल्कि दोनों ऐसी जगहों पर मिलने भी लगे, जहां सिर्फ वही दोनों होते थे. एकांत में मिल कर दोनों अपनेअपने दिलों की बात कह कर बेहद सुकून महसूस करते थे. ज्यादातर वे ब्रिस्टल और स्टाकहोम के बीच मिलते थे.

एकांत में एक दिन जब श्रीन ने एनी की ठोढ़ी उठा कर उस की आंखों में झांकते हुए कहा कि वह उसे बहुत प्यार करता है तो एनी उस की हथेली अपने हाथों में दबा कर बोली, ‘‘प्यार! मैं तुम्हें तुम से भी ज्यादा प्यार करती हूं. मेरी हर धड़कन, हर सांस अब तुम्हारे लिए है. तुम भले ही मुझ से दूर रहते हो, पर यादों की वजह से हर पल मेरे साथ होते हो.’’

‘‘एनी, सागर की गहराई को तो नापा जा सकता है, लेकिन दिल की गहराई को किसी भी तरह नहीं नापा जा सकता. वरना मैं भी दिखा देता कि मैं तुम्हें कितना प्यार करता हूं. तुम्हारे प्यार से इस जिंदगी को एक मकसद मिल गया है. अब इसे जीने में मजा आने लगा है. बाकी तो यह सूखी नदी जैसी थी.’’ श्रीन ने उसी तरह एनी की आंखों में झांकते हुए कहा.

‘‘तुम से प्यार करने के बाद ही मुझे भी पता चला है कि यह जिंदगी कितनी खूबसूरत होती है. तुम्हारे प्यार में बीतने वाला हर पल बहुत हसीन लगता है. मेरी जिंदगी में आ कर तुम ने इसे धन्य कर दिया. मैं तुम्हारा यह एहसान ताउम्र नहीं भूल सकती.’’ यह कहते हुए एनी भावुकता की गहराई में उतर गई.

‘‘एहसान तो तुम ने मुझ पर किया है, मेरी जिंदगी में आ कर. तुम्हारा यह प्यार मेरे लिए वह इबादत है, जो मैं मरते दम तक करता रहूंगा.’’ श्रीन ने कहा.

‘‘मुझे कभीकभी विश्वास ही नहीं होता कि मुझे तुम जैसा प्यार करने वाला मिला है. सचमुच तुम्हें पा कर मेरी जिंदगी बदल गई है.’’ एनी ने आंखें मूंद कर कहा.

प्यार मोहब्बत की बातों की कोई सीमा नहीं होती. इस के लिए तो कई जीवन भी कम पड़ जाएं. इसलिए  जब भी मिलते, इसी तरह की बातें करते रहते. मिलतेजुलते, ऐसी ही बातें करते डेढ़ साल कैसे गुजर गए, उन्हें पता ही नहीं चला.

गुजरे समय के साथ उन का प्यार गहरा होता गया. अब वे कईकई दिनों में कुछ घंटे के लिए मिलते तो उन का मन न भरता. वे चाहते थे कि उन का हर पल एकदूसरे की बांहों में गुजरे.

लेकिन इस के लिए एक बंधन की जरूरत थी. वह बंधन था शादी का और इस के लिए जरूरत थी दोनों के परिवारों की रजामंदी. दोनों भले ही पश्चिमी देशों में जन्मे और पलेबढ़े थे, लेकिन थे तो हिंदुस्तानी, जहां की संस्कृति आज भी उन के घर वालों पर हावी थी. शायद इसीलिए उन्होंने अपने प्यार को अभी तक घर वालों के सामने उजागर नहीं होने दिया था.

इसीलिए जब उन के मन में शादी का विचार आया तो एनी ने कहा, ‘‘श्रीन, शादी के लिए तुम अपने घर वालों से बात करो, क्योंकि मैं तो अपने घर वालों से कुछ कह नहीं सकती. लेकिन इतना जरूर जानती हूं कि तुम्हारे घर वाले मेरे घर रिश्ता ले कर आएंगे तो मेरे घर वाले मना नहीं करेंगे.’’

‘‘प्यार की पहल मैं ने की तो अब शादी की भी पहल मुझे ही करनी पड़ेगी.’’ श्रीन ने हंसते हुए कहा, ‘‘खैर, तुम्हारे लिए मैं यह भी करूंगा.’’

‘‘मुझ पर अधिकार पाना है तो तुम्हें यह भी करना होगा.’’

‘‘ठीक है, मैं जल्दी ही कुछ करता हूं, क्योंकि अब तुम से दूरी सहन नहीं हो रही है.’’ श्रीन ने कहा.

श्रीन ने एनी से वादा ही नहीं किया, बल्कि उस पर अमल भी किया. उस ने अपने घर वालों को अपने प्यार के बारे में बता कर एनी के घर जा कर रिश्ता मांगने के लिए कहा. उस के घर वालों को इस बात पर कोई ऐतराज नहीं था. वे बेटे की खुशी में खुश थे.

उन्हें सब से बड़ा संतोष इस बात का था कि एनी भारतीय मूल की थी. वह उन के परिवार में आराम से एडजस्ट हो जाएगी. लेकिन एनी के घर वालों से मिलने से पहले उन्होंने एनी और उस के घर वालों के बारे में पता करना जरूरी समझा.

साजिश का तोहफा – भाग 1

महाराष्ट्र सरकार के अटार्नी जनरल नण्वीन करमाकर की पत्नी अवंतिका ने रात का खाना तैयार कर के खाने को कहा तो उन्होंने टीवी पर से नजरें हटा कर कहा, ‘‘खाना हम थोड़ा देर से खाएंगे. अभी कुछ लोग आने वाले हैं.’’

‘‘कौन?’’ अवंतिका ने पूछा.

‘‘वही स्वाति और मनोज, जिन की इसी दिवाली पर तुम ने शादी कराई थी.’’

‘‘मैं किसी की शादी कराने वाली कौन होती हूं.’’ अवंतिका ने कहा, ‘‘मैं ने तो सिर्फ उन का परिचय कराया था, बाकी के सारे काम तो उन्होंने खुद किए थे. कुछ भी हो, दोनों हैं बहुत अच्छे.’’

‘‘अगर तुम कह रही हो तो अच्छे ही होंगे.’’ नवीन करमाकर ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘तुम्हें यह सुन कर दुख होगा कि मनोज जैसे ही हनीमून से लौटा, उसे नौकरी से निकाल दिया गया. सोचो, उस के साथ कितना बड़ा अन्याय हुआ. शायद इसी बारे में वह हम से मिलने आ रहा है?’’

‘‘शायद वे लोग आ भी गए.’’ अवंतिका ने कहा.

इतना कह कर अवंतिका बाहर आई और कुछ पल बाद लौटी तो उस के साथ मनोज और स्वाति थे. स्वाति छरहरे बदन की काफी सुंदर युवती थी तो मनोज भी उसी की तरह लंबे कद का मजबूत कदकाठी वाला युवक था. उस की काली आंखों से ईमानदारी साफ झलक रही थी. यह एक ऐसा जोड़ा था, जिसे देख कर कोई भी आकर्षित हो सकता था. लेकिन उस समय दोनों के चेहरों पर परेशानी साफ झलक रही थी.

औपचारिक बातचीत के बाद मनोज ने कहा, ‘‘आप तो अटार्नी जनरल हैं. मैं आप के पास इसलिए आया हूं कि आप मुझे पुलिस के हाथों पकड़वा दें.’’

मेहमान की इस इच्छा पर नवीन करमाकर ने हैरानी से कहा, ‘‘इस की भी कोई वजह होगी. बेहतर होगा कि पहले आप वजह बताएं. उस के बाद जो उचित होगा, वह किया जाएगा.’’

‘‘मेरा पूरा नाम मनोज सोलकर है,’’ मनोज ने कहा, ‘‘कोलाबा में जो सोलकर इंस्टीटयूट है, उसे तो आप जानते ही हैं, क्योंकि आप ने वहां पढ़ाई की थी.’’

मनोज के इतना कहते ही नवीन करमाकर को सोलकर इंस्टीटियूट याद आ गया. कोलाबा के उस वैभवशाली शिक्षा संस्थान और रिसर्च इंस्टीटयूट को सोमनाथ सोलकर ने सन 1970 में बनवाया था. वह खुद भी एक आविष्कारक थे. उन्हें नए नए आविष्कार करने में काफी दिलचस्पी रहती थी. उन्होंने काफी आविष्कार किए भी थे. इस संस्था की स्थापना उन्होंने विज्ञान और उद्योग के विकास के काम के लिए की थी.

‘‘मैं सोमनाथ सोलकर का पोता हूं.’’ मनोज सोलकर ने कहा तो नवीन करमाकर चौंके. वह कुछ कहते, उस के पहले ही मनोज ने कहा ‘‘लेकिन दुर्भाग्य से वह मेरे बारे में कुछ नहीं जानते. क्योंकि काफी समय पहले मेरे मातापिता से उन का झगड़ा हो गया था तो उन्होंने संबंध खत्म कर लिए थे.

मैं 4 साल का था, तभी प्लेन क्रैश में मेरे पिता की मौत हो गई थी. उन की मौत के बाद मेरे दादाजी का व्यवहार मेरे और मेरी मां के प्रति और ज्यादा कठोर हो गया था. उन्होंने हम दोनों से कभी कोई संबंध नहीं रखा. मेरी मां ने नौकरी कर के मुझे पढ़ाया लिखाया. मां के प्रयास से ही किसी तरह मैं ने अच्छी शिक्षा प्राप्त की.’’

‘‘तुम ने मुझे बताया तो था कि तुम्हारी मां को शहरी जीवन से घबराहट होने लगी थी, इसलिए कई सालों पहले वह देहाती इलाके में रहने चली गई थीं.’’ अवंतिका ने कहा.

‘‘जी हां, उन्होंने लोनावाला में अपने लिए एक मकान खरीद लिया था क्योंकि वह उन का पैतृक गांव था.’’ मनोज ने कहा, ‘‘तब तक मेरी पढ़ाई पूरी हो चुकी थी. उस के बाद मैं ने एक स्कूल में नौकरी कर ली थी. मुझे पढ़ने का शौक था. फिर बच्चों को पढ़ाने के लिए भी पढ़ना पड़ता था, इसलिए मैं किताबें लेने के लिए सोलकर इंस्टीटयूट की लाइब्रेरी जाता रहता था. पिछले साल दिसंबर में मैं लाइब्रेरी से लौट रहा था तो मेरी मुलाकात इंस्टीटयूट के डायरेक्टर रमेश गायकवाड़ से हो गई.’’

‘‘एक तरह से रमेश गायकवाड़ ही इंस्टीटयूट के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं. इंस्टीटयूट का सारा काम वही देखते हैं. उन्होंने कई बार मुझे आते जाते देखा था. उन्हें मेरे बारे में काफी कुछ पता था. वह मेरा नाम भी जानते थे. उस दिन मिलने पर उन्होंने मुझ से पूछा, ‘मुझे पता चला है कि तुम इस इंस्टीट्यूट के संस्थापक सोमनाथ सोलकर के पोते हो?’

‘‘जी मैं उन का पोता हूं.’’

‘‘तब तो आप को हमारे साथ काम करना चाहिए. सोलकर परिवार का सदस्य होने के नाते तुम्हारी जगह यहां है.’’

‘‘उस दिन हम दोनों के बीच काफी लंबी बातचीत हुई. मैं ने हामी भर दी कि स्कूल का कौंट्रैक्ट खत्म होने के बाद मैं यहां आ जाऊंगा. मैं बहुत खुश था, क्योंकि स्कूल में पढ़ाने का मुझे बहुत ज्यादा शौक नहीं था. इंस्टीटयूट के स्टाफ में शामिल के लिए मैं लालायित रहता था.’’

‘‘तो तुम्हें स्टाफ में शामिल कर लिया गया था?’’ नवीन करमाकर ने पूछा.

‘‘नहीं, रमेश गायकवाड़ ने मुझे अस्थाई नौकरी पर रखा था. उसी बीच मैं ने और स्वाति ने शादी का निर्णय लिया. मैं ने गायकवाड़ को बताया कि मैं शादी कर रहा हूं तो उस ने खुशी प्रकट करते हुए मुझे मुबारकबाद दी और हनीमून के लिए एक सप्ताह की छुट्टी भी दे दी. लेकिन हनीमून से लौट कर जब मैं इंस्टीट्यूट पहुंचा तो मुझे चोर कह कर नौकरी से निकाल दिया गया.’’

इतना कह कर मनोज ने एक लंबी सांस ली. इस के बाद कुछ देर सोचता रहा. फिर बोला, ‘‘हुआ यह कि जब मैं उसे अपनी शादी के बारे में बताने गया था तो उस ने अपने औफिस में मौजूद तिजोरी खोल कर उस में से 10 हजार रुपए निकाल कर बड़ी शान से कहा था, ‘हमारे यहां हर कर्मचारी को शादी के समय कुछ रकम तोहफे में देने की परंपरा है.’

‘‘रकम थमाते समय जैसे उसे कुछ याद आया हो इस तरह घड़ी देखते हुए उस ने कहा, ‘मुझे जरा कस्टोडियन से बात करनी है. मैं बात कर के अभी आया.

‘‘अब कह रहा है कि जो रकम जो उस ने मुझे उपहार में दी थी, वह मैं ने चोरी की थी. उस का कहना है कि जब वह कस्टोडियन से मिलने चला गया था तो मैं ने तिजोरी से वह रकम चुरा ली थी, क्योंकि भूल से वह तिजोरी खुली छोड़ गया था.’

‘‘आज उस ने मुझ से कहा कि मैं सोलकर परिवार का सदस्य हूं, इसलिए वह मेरे खिलाफ कानूनी काररवाई नहीं करना चाहता, लेकिन बदले में मुझे यह शहर छोड़ कर जाना होगा. क्योंकि अगर कभी बात खुल गई तो इस से मेरी बड़ी बदनामी होगी.’’

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री के भाई का गोवा में मर्डर

अय्याशी में डबल मर्डर : होटल मालिक और गर्लफ्रेंड की हत्या – भाग 1

जैसे ही इशिका ने घर का दरवाजा खोला, सामने कमरे में उस की मम्मी सरिता और उस के अंकल रवि ठाकुर के शव पड़े हुए थे. यह देखते ही उस की चीख निकल गई. फर्श पूरी तरह से खून से लाल हुआ पड़ा था. सरिता और रवि ठाकुर दोनों के शरीर पूरी तरह से नग्न थे.

घर का दृश्य देखते ही उस ने इस की सूचना सब से पहले पुलिस को दी. यह घटना मध्य प्रदेश के इंदौर के एरोड्रम थाना क्षेत्र में स्थित अशोक नगर में हुई थी. यहीं पर सरिता तीसरी मंजिल पर किराए के मकान में रहती थी. डबल मर्डर की सूचना पाते ही एरोड्रम थाने के एसएचओ राजेश साहू तुरंत ही पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए थे.

ममता अपने घर के काम में बिजी थी. उसी वक्त उस के मोबाइल पर किसी की काल आई. जैसे ही ममता ने अपने मोबाइल पर नजर डाली, रवि ठाकुर का फोन था. रवि बाबू का फोन देखते ही उस का दिल तेजी से धड़कने लगा. वह समझ नहीं पा रही थी कि वह उस की काल रिसीव करे या काट दे.

ममता का पति नितिन उस समय घर पर ही था. उस वक्त तो उस ने रवि की काल रिसीव नहीं की, लेकिन जैसे ही उस का पति घर से काम के लिए निकला, ममता ने रवि बाबू को काल बैक कर दी.

ममता की काल रिसीव करते ही रवि ठाकुर बोला, ”और ममता रानी, कैसी हो? क्या बात है, आजकल तो तुम हमारा फोन भी रिसीव नहीं कर रही हो?’’

”ठाकुर साहब, ऐसी कोई बात नहीं. दरअसल, उस वक्त मेरे पति घर पर ही थे, जिस वजह से मैं फोन रिसीव नहीं कर सकी. बोलिए ठाकुर साहब, कैसे फोन किया?’’ ममता ने पूछा.

तभी रवि ठाकुर ने कहा, ”ममता रानी, आज शाम को टाइम निकाल कर होटल चली आना. तुम्हारी दावत है.’’

”नहीं…नहीं…ठाकुर साहब, आज मैं आप के पास नहीं आ सकती. आज मुझे घर पर जरूरी काम है.’’

”ममता रानी, जरूरी काम तो हर रोज होते ही रहते हैं. हमारा भी आज जरूरी काम है. अगर आज तुम नहीं आई तो हमारा जरूरी काम कैसे होगा. आज तो तुम्हें आना ही पड़ेगा.’’ रवि अपनी जिद पर अड़ गया तो ममता के चेहरे पर परेशानी के भाव उभर आए थे.

फिर भी उस ने मरे मन से कहा, ”ठीक है, मैं आने की कोशिश करूंगी. लेकिन मैं आप के होटल नहीं आ पाऊंगी. अगर हम दोनों सरिता दीदी के घर पर मिलें तो ज्यादा अच्छा रहेगा.’’

रवि ठाकुर को सरिता के घर जाने में भी कोई परेशानी नहीं थी, क्योंकि सरिता के साथ भी ममता की तरह उस के गहरे संबंध थे. ममता का आज कहीं भी जाने का मन तो नहीं था. लेकिन रवि ठाकुर को मना करने की उस की हिम्मत नहीं थी.

सरिता मध्य प्रदेश के इंदौर शहर के अशोक नगर में अपनी बेटी इशिका और पति ऋषि के साथ रहती थी. दोपहर के कोई 11 बजे सरिता की बेटी इशिका कोचिंग जाने के लिए घर से निकली थी. पति भी किसी काम से घर से चला गया था. बेटी के घर से निकलते ही सरिता ने कहा था कि बेटी ठंड का मौसम है, टाइम से घर आ जाना.

इशिका को घर से निकले मुश्किल से एक घंटा भी नहीं हुआ था. तभी उस की मम्मी का उस के फोन पर मैसेज आ गया. उस ने जैसे ही मैसेज को पढ़ा तो वह हक्की बक्की रह गई. मैसेज में लिखा था, ‘बेटी कुछ लोग मुझे मारने की कोशिश कर रहे हैं. तू जल्दी से घर वापस आ जा.’

नग्न अवस्था में मिले रवि और ममता के शव

मैसेज पढ़ते ही इशिका बुरी तरह से घबरा गई. उस के बाद वह कामधाम छोड़ कर तुरंत ही घर पहुंची. घर पर अपनी मम्मी और अंकल की खून सनी लाशें देख कर वह घबरा गई. वह जोरजोर से चीखने लगी. कुछ देर बाद इशिका ने थाना एरोड्रम में फोन कर के इस मामले की सूचना दे दी.

घटनास्थल पर पहुंचते ही एसएचओ राजेश साहू ने कमरे की जांचपड़ताल की. सरिता और रवि ठाकुर के शव नग्न अवस्था में खून से लथपथ पड़े हुए थे. वहीं पर एक पुरानी तलवार भी पड़ी हुई थी.

पुलिस ने अपनी जांचपड़ताल की तो घर के दरवाजे पर भी जबरन प्रवेश के निशान पाए गए, जिस से पता चला कि हत्यारों की संख्या एक से अधिक थी. घर का दृश्य देख कर लगता था कि हत्यारों ने खून और सबूत को साफ करने की कोशिश भी की थी.

इस डबल मर्डर की सूचना पाते ही एडिशनल डीसीपी (जोन 1) आलोक शर्मा, एसीपी विवेक चौहान के साथ ही एफएसएल विशेशज्ञ भी मौके पर पहुंचे. विशेषज्ञों ने घटनास्थल से कुछ सबूत इकट्ठा किए.

पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल पर पहुंचते ही मृतका की बेटी इशिका से जानकारी ली. मृतका सरिता की बेटी इशिका ने पुलिस को जानकारी देते हुए बताया कि रवि बाबू का सरवटे बसस्टैंड इलाके में होटल है. उस की मम्मी सरिता एक ब्यूटीपार्लर चलाती थीं. दोनों में अच्छी जान पहचान और घरेलू संबंध थे, जिस के कारण दोनों ही रवि बाबू अकसर उन के घर पर आतेजाते रहते थे. रवि बाबू के 3 बच्चे थे.

इस जघन्य अपराध की तह तक पहुंचने के लिए एडिशनल डीसीपी आलोक शर्मा ने साइबर टीम के साथसाथ एक पुलिस टीम का भी गठन किया.

इस टीम में एसआई लक्ष्मण सिंह गौड़, रविराज सिंह बैस, हैडकांस्टेबल अरविंद तोमर, पवन पांडेय, कमलेश चावला, विलियम सिंह, जितेंद्र सांखला, विजय वर्मा, माखन चौधरी, कांस्टेबल संजय दांगी, विशाल दभाडे, महिला कांस्टेबल रितिका शर्मा आदि को शामिल किया गया था.

टीम का गठन होने के बाद पुलिस ने अपनी काररवाई करते हुए इस क्षेत्र में लगे लगभग 50 सीसीटीवी कैमरे खंगाले, साथ ही लगभग 100 से ज्यादा संदिग्धों से पूछताछ भी की.

कैमरों की जांच करने के बाद पुलिस को जानकारी मिली. इस दौरान मृतक रवि ठाकुर के अलावा 2 व्यक्ति (एक महिला और एक पुरुष) भी आए थे.

यह सब जानकारी जुटाने के बाद पुलिस ने रवि ठाकुर और सरिता ठाकुर के मोबाइलों की खोज की तो दोनों के मोबाइल ही गायब मिले.

पुलिस कैसे पहुंची हत्यारों तक

उस के बाद पुलिस ने दोनों के मोबाइल नंबरों को सर्विलांस पर लगा कर उन की काल डिटेल्स निकलवाई तो पता चला कि इस हत्याकांड से कुछ देर पहले ही सरिता ने अपनी सहेली ममता के फोन पर बात की थी. उसी काल डिटेल्स के द्वारा पता चला कि रवि ठाकुर सरिता के साथसाथ ममता से भी बात करता था.

पुलिस ने सीसीटीवी कैमरे की फुटेज के आधार पर ममता की शिनाख्त की तो पुलिस का शक उसी पर पक्का हो गया.

उसी शक के आधार पर पुलिस ने ममता के घर पर दबिश दी तो वह घर से गायब मिली. उस के बाद पुलिस ने उस के मोबाइल पर संपर्क करने की कोशिश की तो उस का मोबाइल भी बंद मिला. उस के मोबाइल को ट्रेस करते हुए पुलिस ने देर रात देवनगर (खजराना) से ममता उर्फ पिंकी और उस के पति नितिन को गिरफ्तार कर लिया था.

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दोनों पतिपत्नी को अपनी हिरासत में लेते ही पुलिस ने उन से इस हत्याकांड के संबंध में पूछताछ की तो दोनों ने जल्दी ही अपना अपराध स्वीकार कर लिया. ममता ने पुलिस को बताया कि काफी समय से रवि ठाकुर उस के साथ ब्लैकमेलिंग का खेल खेल रहा था.

पुलिस ने रवि ठाकुर के मोबाइल की गैलरी सर्च की तो उस में कई महिलाओं के अश्लील वीडियो मिले, जो सभी उसी के होटल में बनाए गए थे.

पुलिस को रवि ठाकुर के होटल में कई गुप्त कैमरे भी मिले, जिन के सहारे से ही वह महिलाओं के साथ अश्लील हरकतें करते हुए उन की अश्लील वीडियो बना कर उन के साथ अवैध संबंध बनाता था. पुलिस द्वारा पूछताछ के बाद इस हत्याकांड की जो कहानी उभर कर सामने आई, वह इस प्रकार थी.

मध्य प्रदेश के जिला इंदौर के नंदानगर निवासी रवि ठाकुर ने सरवटे बस स्टैंड के पास स्थित 3 होटल मां वैष्णो पैलेस, हनी और होटल सागर ठेके पर ले रखे थे. इन होटलों से रवि ठाकुर को अच्छी कमाई होती थी. सरिता ठाकुर से रवि ठाकुर की पुरानी जानपहचान थी.

साजिश का तोहफा – भाग 2

कहते कहते गुस्से की वजह से मनोज की आवाज थोड़ी ऊंची हो गई थी. उस ने आगे कहा, ‘‘लेकिन मैं अपना भविष्य बरबाद नहीं करना चाहता. चोरी का आरोप लगने के बाद मुझे कोई बढि़या नौकरी मिल नहीं पाएगी. फिर मैं खुद भी अपनी नजरों में गिरा रहूंगा. इस के अलावा वह मुझे ब्लैकमेल भी कर सकता है. इसलिए मैं यह साबित करना चाहता हूं कि मुझ पर चोरी का यह जो आरोप लगा है, वह झूठा है.’’

इतना कह कर जैसे ही मनोज चुप हुआ, स्वाति बोली, ‘‘मनोज ने अभी तक इस घटना के बारे में अपनी मां को भी कुछ नहीं बताया है. फिर इतनी शर्मनाक बात बताई भी कैसे जा सकती है.’’

‘‘तुम बता सकते हो कि रमेश ने तुम्हारे साथ ऐसा क्यों किया?’’ नवीन ने पूछा.

‘‘जी नहीं,’’ मनोज ने कहा, ‘‘मैं ने उस से पूछा तो था कि वह ऐसा क्यों हर रहा है? मैं चिल्लाया भी था कि अगर मैं चोर हूं तो वह पुलिस को बुलाए और रिपोर्ट लिखा कर मुझे जेल भिजवा दे. लेकिन उस ने जवाब देने के बजाय मुझे औफिस से निकाल दिया. वहां से आने के बाद मैं ने अपने एकाउंट से 10 हजार रुपए निकलवाए और एक आदमी के हाथों उस के पास भिजवा दिए. मैं इस मामले को किसी किनारे लगते देखना चाहता हूं, इसीलिए आप से कह रहा हूं कि आप मुझे गिरफ्तार करवा दीजिए. क्योंकि मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि मुझे क्या करना चाहिए.’’

‘‘अभी तो अवंतिका के हाथ की बनी मिठाई खा कर कौफी पियो. कल रमेश गायकवाड़ से मिलते हैं. उस के बाद सोचते हैं कि इस मामले में हमें क्या करना चाहिए.’’ नवीन करमाकर ने कहा.

अगले दिन नवीन मनोज के साथ रमेश से मिलने सोलकर इंस्टीटयूट पहुंचे. नवीन ने अपने तौर पर फोन कर के रमेश से मुलाकात का समय ले लिया था. लेकिन जब दोनों रमेश के औफिस में दाखिल होने लगे तो गेटकीपर ने मनोज को रोक लिया, ‘‘डायरेक्टर साहब ने तुम्हें अंदर न जाने देने का आदेश दिया है. इसलिए तुम अंदर नहीं जा सकते.’’

अपने इस अपमान से मनोज का चेहरा गुस्से से सुर्ख पड़ गया, लेकिन वह कुछ बोला नहीं. वह वहीं बाहर ही बैठ गया. नवीन अंदर चले गए. रमेश ने बड़े ठंडे अंदाज से नवीन का स्वागत किया. उस की बगल में एक प्रभावशाली व्यक्तित्व वाला पक्की उम्र का आदमी बैठा था. रमेश ने नवीन से उस का परिचय कराया.

उस आदमी का नाम शशांक ठाकरे था और वह इंस्टीटयूट का कानूनी सलाहकार था. परिचय करने के बाद रमेश ने कहा, ‘‘शायद आप उस नौजवान चोर के बारे में बात करना चाहते हैं, जिसे मैं ने अंदर आने से रोकवा दिया है. कृपया संक्षेप में बात करिएगा, मेरे पास समय बहुत कम है.’’

‘‘समय मेरे पास भी ज्यादा नहीं है.’’ नवीन ने कड़वे लहजे में कहा, ‘‘मैं बहुत ही संक्षेप में एकदम सीधी बात करूंगा. आप ने मनोज का इंस्टीट्यूट में आना तो बंद ही करा दिया है, अब उसे इस शहर से बाहर भेजना चाहते हैं, इस की कोई विशेष वजह?’’

रमेश के कोई जवाब देने से पहले ही संस्था के कानूनी सलाहकार शशांक ठाकरे ने कहा, ‘‘लगता है, आप उस के बचाव में आए हैं?’’

‘‘वही समझ लो. मैं चाहता हूं कि आप लोग उस के खिलाफ बाकायदा चोरी का मुकदमा दर्ज करवाएं और अपना आरोप सिद्ध करें. वरना मैं उस नौजवान को सलाह दूंगा कि वह आप के खिलाफ मानहानि का दावा करे.’’ नवीन ने कहा.

‘‘अगर ऐसी कोई कोशिश की जाती है तो मैं यही समझूंगा कि आप यह सब पैसे के लिए कर रहे हैं. हम इस बात को लोगों के सामने लाने की कोशिश् करेंगे. बहरहाल अब आप जा सकते हैं.’’ शशांक ठाकरे ने कहा.

बाहर आने के बाद नवीन ने कहा, ‘‘अंदर हुई बातचीत से मुझे यही लग रहा है कि किसी वजह से तुम्हारा इंस्टीट्यूट में आना जाना रमेश को परेशान कर रहा था. इसी वजह से उस ने ऐसा किया है. लेकिन वह चाहता तो तुम्हें किसी दूसरे तरीके से भी रोक सकता था.’’

‘‘लेकिन मुझे यहां आने से रोकने के लिए नौकरी देने और यह सब करने की क्या जरूरत थी?’’

‘‘एक नौकर पर आरोप लगाना आसान ही नहीं होता, बल्कि थोड़ी कोशिश के बाद उसे सिद्ध भी किया जा सकता है.’’ नवीन ने कहा.

‘‘रमेश की कोशिश का संबंध तुम्हारे इस संस्था के संस्थापक के पोते होने से भी हो सकता है.’’

‘‘मुझे भी यही लगता है,’’ मनोज ने कहा, ‘‘मेरे दादाजी कभी न कभी इस संस्था का दौरा करने तो आते ही होंगे. शायद रमेश नहीं चाहता कि उन से मेरी मुलाकात हो. आखिर वह मुझे उन से मिलने से रोकना क्यों चाहता था, उसे क्या डर था?’’

‘‘यह सब छोड़ो. मैं तुम्हारी ओर से मानहानि और तुम्हारे खिलाफ साजिश रचने का मुकदमा दायर करता हूं.’’ नवीन ने कहा.

मनोज ने सहमति जताई तो पूरी तैयारी कर के नवीन करमाकर ने उस की ओर से मानहानि की याचिका दायर कर दी. लेकिन उस याचिका पर जिस दिन सुनवाई होनी थी, उस दिन मनोज ने खुद आने के बजाय एक पत्र और उस के साथ चैक भेज दिया था.

फिर सुनवाई के समय नवीन ने वह पत्र और चैक अदालत को दिखाते हुए कहा, ‘‘योर औनर, मनोज सोलकर की ओर से मानहानि और उस के खिलाफ साजिश रचने की मैं ने जो याचिका दायर की थी, उस के संबंध में आज सुबह मुझे यह पत्र और चैक मिला. पत्र में उस ने लिखा है कि वह यह याचिका वापस लेना चाहता है, क्योंक वह यह शहर छोड़ कर जा रहा है. उस ने मुझे कष्ट देने के लिए क्षमा मांगते हुए मेरी फीस के तौर पर कुछ रकम का यह चैक भेजा है. पत्र पाने के बाद मैं अपने मुवक्किल के फ्लैट पर पहुंचा तो वह पत्नी के साथ सचमुच जा चुका था.’’

‘‘इस का मतलब इस याचिका को खारिज कर दिया जाए?’’ जज ने पूछा.

‘‘जी नहीं,’’ नवीन ने कहा, ‘‘मुझे लगता है, यह पत्र दूसरे पक्ष ने उस पर कोई दबाव डाल कर लिखवाया है.’’

नवीन का इतना कहना था कि दूसरे पक्ष के वकील शशांक ठाकरे ने आगे बढ़ कर कहा, ‘‘योर औनर यह आरोप सरासर गलत है. अगर याचिका दायर करने वाला याचिका वापस ले रहा है तो उस पर कार्यवाही कर के याचिका को खारिज कर देना चाहिए. जब याचिका दायर करने वाला ही नहीं है तो उस पर कार्यवाही क्या होगी?’’

‘‘वकील साहब, शायद आप भूल गए हैं कि दीवानी के दावे में दोनों पक्षों की मौजूदगी जरूरी नहीं है.’’ नवीन ने कहा.

नवीन की बात काटते हुए शशांक ने कहा, ‘‘बात दरअसल यह है कि मनोज के वकील ने ही उस पर दबाव डाल कर यह दावा कराया है. शायद इस तरह वह कुछ रकम कमाना चाहते थे. लेकिन जब मनोज को लगा कि इस मामले में कुछ नहीं होने वाला तो उस ने पीछे हट जाना ही मुनासिब समझा. इस मामले में मैं मनोज सोलकर के वकील से पूरी जिरह करना चाहता हूं.’’

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री के भाई का गोवा में मर्डर – भाग 3

नरोत्तम ढिल्लों को कैसे फंसाया जाल में

इस काम के लिए उस ने नवीन नगर, ऐशबाग, भोपाल निवासी अपनी गर्लफ्रेंड नीतू शंकर राहुजा से नरोत्तम सिंह ढिल्लों की पहचान कराई. उस ने अपनी गर्लफ्रेंड नीतू राहुजा को बताया था कि नरोत्तम सिंह ढिल्लों बहुत ही पैसे वाला आदमी है, तुम उन के साथ कुछ वक्त बिता लेना. इस से खुश हो कर ढिल्लों तुम्हें करोड़ों कपए दे देंगे, लेकिन इस के विपरीत उस ने नरोत्तम सिंह ढिल्लों को बताया था कि नीतू उन से विशेष रूप से प्रभावित है और वह अपनी इच्छा से उन से मिलने आ रही है.

शनिवार 3 फरवरी, 2024 की रात 2 बजे तक सभी पार्टी करते रहे. इसी बीच नरोत्तम सिंह ढिल्लों जितेंद्र साहू के इशारे पर नीतू के करीब आने लगे, तभी नीतू राहुजा ने ढिल्लों के गलत मंसूबे समझ कर उन की हरकतों का विरोध करना शुरू कर दिया.

नीतू ने जोर से धक्का दे कर नरोत्तम सिंह ढिल्लों को जमीन पर गिरा दिया. विवाद बढऩे पर जितेंद्र ने नीतू और अपने साथी की मदद से ढिल्लों का गला घोंट कर हत्या कर दी और उस के बाद करीब 45 लाख रुपए की नकदी व जेवर ले कर खिड़की के रास्ते वहां से फरार हो गए.

जितेंद्र साहू और नीतू राहुजा भोपाल के रहने वाले थे. जितेंद्र साहू स्टौक मार्केट में ट्रेडिंग का काम करता था, जबकि नीतू राहुजा एक इलेक्ट्रौनिक्स शोरूम में काम करती थी. नीतू राहुजा ने गोवा पुलिस को बताया कि जितेंद्र उस के ही मकान में अपनी मां के साथ रहता था. जबकि नीतू अपने मातापिता और भाई के साथ रहती थी. कुछ समय बाद एक ही मकान में रहने की वजह से उन में नजदीकियां बढऩे लगीं और फिर वे दोनों एकदूसरे से प्रेम करने लगे थे.

पूर्व मुख्यमंत्री के भाई थे नरोत्तम सिंह

पूछताछ के दौरान नीतू ने पुलिस को बताया कि 3-4 फरवरी की रात को ढिल्लों ने उस के साथ छेड़छाड़ की थी, जिस के कारण उन दोनों के बीच काफी विवाद हो गया था. उस के बाद उस ने अपने दोस्तों के साथ मिल कर ढिल्लों की हत्या कर दी और वहां से नकदी व जेवर ले कर फरार हो गए थे. 4 फरवरी, 2024 की सुबह ढिल्लों के विला की मैनेजर सीमा सिंह ने उन्हें मृत देख कर गोवा पुलिस को सूचना दी थी.

मृतक नरोत्तम सिंह ढिल्लों के पास एक समय में अमेरिका में फेरारी की डीलरशिप थी. वह वर्तमान में भारत में आतिथ्य, रियल एस्टेट, लग्जरी विला और कारों को किराए पर देने के व्यवसाय में थे. गोवा में उन से मिलने आए उन के रिश्तेदारों के अनुसार निम्स ढिल्लों विलासितापूर्ण जीवन जीने के शौकीन थे और अपनी संपत्तियों पर मेहमानों की मेजबानी करना पसंद करते थे.

नरोत्तम सिंह ढिल्लों पर 1990 के दशक में लग्जरी फेरारी कारों की बिक्री और खरीद पर कर चोरी कर के अमेरिकी सरकार को धोखा देने का आरोप लगाया गया था, जिसे उन्होंने एक बार झूठा मामला करार दिया था. नरोत्तम सिंह ढिल्लों को 2003 में पंजाब सतर्कता ब्यूरो ने शिमला के एक अपार्टमेंट से गिरफ्तार किया था.

वह अमेरिका में बादल परिवार का कारोबार देखते थे और उन के ऊपर हवाला के जरिए उन की संपत्ति विदेश ले जाने का आरोप था. बाद में उन्हें अदालत द्वारा बरी कर दिया गया था.

पंजाब की लांबी पुलिस ने उस समय कथित तौर पर नकली मुद्रा का उपयोग करने, नशीले पदार्थों का कारोबार करने, विस्फोटक अधिनियम, शस्त्र अधिनियम और विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत उन के खिलाफ मामला दर्ज किया था, लेकिन उन से कोई भी बरामदगी नहीं हो पाई थी.

मेजर भूपिंदर सिंह ढिल्लों जोकि पूर्व में प्रकाश सिंह बादल के राजनीतिक सचिव के रूप में काम कर चुके हैं और बादल परिवार के सब से पुराने सदस्यों में से एक हैं, ने कहा, ”नरोत्तम सिंह ढिल्लों के पास कई संपत्तियां हैं. उन की नृशंस हत्या से पूरा परिवार सदमे में है.’’

इसी बीच मृतक नरोत्तम सिंह ढिल्लों के चचेरे भाई पवनप्रीत सिंह बादल उर्फ बौबी ने कहा, ”निम्स के पास एक समय अमेरिका में फेरारी कार शोरूम था. इस से पहले वह कनाडा में बस गए थे. पिछले कुछ सालों से वह ज्यादातर समय गोवा में ही रह रहे थे. उन की पत्नी और बेटा दिल्ली में रहते हैं. उन की बेटी की शादी विदेश में हुई है. उन का बेटा कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने और निम्स का पार्थिव शव लेने गोवा गया था.’’

पवनप्रीत सिंह बादल ने आगे कहा, ”हमें इस की जानकारी नहीं है कि उन की किसी से भी दुश्मनी थी या नहीं. उन का मुख्य व्यवसाय गोवा, दिल्ली और शिमला में था. इस के अलावा उन के पास पंजाब के बादल गांव में कृषि भूमि और एक घर भी है.

”पुलिस ने महाराष्ट्र में एक युवा जोड़े को गिरफ्तार किया है, जो कथित तौर पर उन की हत्या की रात गोवा में उन के विला में रुके थे और उन की किराए की कार में भागने की कोशिश की थी. कार के जीपीएस से पुलिस को उन्हें पकडऩे में मदद मिली. ऐसा लग रहा था जैसे निम्स का गला घोंट दिया गया हो.’’

तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर गोवा पुलिस ने यह मामला आईपीसी की धारा 302 और 392 के तहत दर्ज कर लिया है. पुलिस ने आरोपी 32 वर्षीय जितेंद्र रामचंद्र साहू और 22 वर्षीया नीतू राहुजा को गोवा कोर्ट में पेश कर 10 दिन की रिमांड में ले कर उन से विस्तृत पूछताछ कर रही थी.

मर्डर केस का एक अन्य आरोपी कुणाल, जोकि उत्तर प्रदेश के झांसी का रहने वाला है, कथा लिखे जाने तक वह फरार था, जिसे गोवा पुलिस सरगर्मी से तलाश कर रही थी.

आज के दौर में आए दिन सोशल मीडिया की दोस्ती के साइड इफेक्ट मीडिया के माध्यम से जानने सुनने को मिलते रहते हैं.

कुछ दिनों की सोशल मीडिया की चकाचौंध और दिखावटी, चिकनी चुपड़ी दोस्ती के कारण शादीशुदा महिला या पुरुष अपनी बरसों पुरानी शादी, लोकलाज व बच्चों की परवाह किए बगैर दूसरों के साथ भाग जाने के लिए तत्पर हो जाता है. यह सब आखिर क्यों होता जा रहा है?

—कहानी पुलिस सूत्रों व जनचर्चा पर आधारित है.

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री के भाई का गोवा में मर्डर – भाग 2

कपल कार ले कर क्यों हुआ फरार

ऐसे में गोवा पुलिस भी इन दोनों मामलों को एकदूसरे से जोड़ कर देखने लगी थी और पुलिस ने फौरन कार के बारे में पता लगाना शुरू कर दिया.

जांच में पता चला कि कार उस समय महाराष्ट्र के नवी मुंबई से मुंबई की तरफ दौड़ रही थी. एक बार फिर गोवा पुलिस ने कत्ल के एकदूसरे मामले में मुस्तैदी की वैसी ही मिसाल पेश की थी. इस बार गोवा पुलिस ने एक अमीर कारोबारी के कत्ल के सिलसिले में गोवा से करीब 470 किलोमीटर दूर महाराष्ट्र के पेण इलाके से 2 संदिग्ध कातिलों को धर दबोचने में सफलता प्राप्त की.

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जब गोवा पुलिस ने नवी मुंबई पुलिस से संपर्क कर उन्हें उस संदिग्ध कार की जानकारी दी, जिस में संदिग्ध कातिल फरार हुए, उन का लोकेशन भी बताई. उस के तुरंत बाद नवी मुंबई अपराध शाखा इकाई-1 की टीम ने कार को ट्रैक करना शुरू कर दिया और आखिरकार उसे महाराष्ट्र के ही रायगढ़ जिले के अतर्गत पेण इलाके से कार में बैठे लोगों को हिरासत में ले लिया.

गोवा पुलिस की शिकायत के मुताबिक नवी मुंबई पुलिस को कार में एक संदिग्ध जोड़ा मिला, जिन्हें पुलिस ने फौरन गिरफ्तार कर लिया. वैसे तो इस जोड़े के साथ कार में एक और शख्स भी था, जो उन के साथ गोवा गया था, लेकिन वह पहले ही वहां से भाग निकला था.

इस के बाद शुरू हुआ पूछताछ का सिलसिला. मुंबई पुलिस दोनों से कार ले कर भागने की वजह जानने के साथसाथ नरोत्तम सिंह ढिल्लों के मर्डर के एंगल से भी पूछताछ करने लगी.

पहले तो काफी देर तक दोनों ने कत्ल वाली बात से इंकार किया, लेकिन जब उन की तलाशी में मृतक ढिल्लों के पास से लूटे गए गहने बरामद हो गए तो सारा मामला साफ हो गया था.

पकड़े गए जोड़े की हुई पहचान

नवी मुंबई पुलिस द्वारा पकड़े गए जोड़े की पहचान 32 वर्षीय जितेंद्र साहू और उस की 22 वर्षीय प्रेमिका नीतू शंकर राहुजा के तौर पर हुई, लेकिन दोनों से शुरू हुई पूछताछ के बाद एक कहानी जो निकल कर सामने आई, उस ने नवी मुंबई पुलिस से ले कर गोवा पुलिस तक का दिमाग ही घुमा दिया था. इस कातिल जोड़े के अनुसार कि इस कत्ल के पीछे सिर्फ लूटपाट की वजह नहीं, बल्कि धोखे और बदतमीजी की कहानी छिपी थी.

कपल ने पुलिस को बताया कि नरोत्तम सिंह ढिल्लों से उन की मुलाकात सोशल मीडिया के माध्यम से हुई थी. ढिल्लों ने उन्हें अपना परिचय देते हुए गोवा में पार्टी करने के लिए और मिलने के लिए बुलवाया था. मध्य प्रदेश के भोपाल की रहने वाली यह जोड़ी नरोत्तम सिंह ढिल्लों के बुलावे पर गोवा में उन के विला होरीजंस अजर्ड पर पार्टी करने पहुंची थी.

दोनों ने पुलिस को बताया कि 3 फरवरी, 2024 की रात को पार्टी के बाद नरोत्तम सिंह ढिल्लों अपनी मेहमान लड़की से बदतमीजी पर उतर आए थे. उस के बाद जब कपल ने उन का विरोध किया तो ढिल्लों अपने रसूख का हवाला दे कर डराने धमकाने पर उतर आए थे.

बस ठीक उस के बाद गुस्से में उन की ढिल्लों से लड़ाई हो गई और इसी लड़ाई के दौरान अपना बचाव करते हुए उन के हाथों नरोत्तम सिंह ढिल्लों का अनजाने में मर्डर हो गया था. पोस्टमार्टम जांच में मौत का कारण गला घोंटना बताया गया था.

उधर नवी मुंबई अपराध शाखा इकाई-1 के वरिष्ठ निरीक्षक अबासाहेब पाटिल ने बताया, ”गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपियों ने दावा किया है कि ढिल्लों ने आरोपी महिला का यौन उत्पीडऩ किया था, इसलिए हम दोनों आरोपियों के फोटो उजागर करने में असमर्थ हैं.

गिरफ्तार किए गए आरोपियों ने दावा किया है कि युवती के साथ यौन उत्पीडऩ करने की कोशिश करने के बाद उन्होंने नरोत्तम सिंह ढिल्लों का गला घोंट दिया था. फिर उन्होंने उन की सोने की चेन, सोने का कड़ा और मोबाइल लूट लिया. उस के बाद एक किराए की एसयूवी में मुंबई की ओर भाग गए. वे इस बात से अनजान थे कि कार में एक जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम लगा हुआ है.’’

पुलिस को कई सवालों के जवाबों की थी तलाश

दोनों आरोपी कत्ल करने के बावजूद मृतक नरोत्तम सिंह ढिल्लों पर ही बदतमीजी करने और यौन उत्पीडऩ करने का आरोप लगा रहे थे. जाहिर सी बात है कि एक सवाल यह भी था कि अगर वाकई गुस्से में आ कर ही ढिल्लों को जान ली तो फिर कत्ल के बाद उन्होंने ढिल्लों के जेवर और मोबाइल फोन जैसी कीमती चीजें क्यों लूट ली थीं?

गोवा पुलिस असल बात की तह तक पहुंचना चाहती थी कि कहीं कत्ल का मकसद केवल लूटपाट करना ही तो नहीं था? कहीं ऐसा तो नहीं है कि वे लूटपाट के अपने मकसद को छिपाने के लिए ढिल्लों के उत्पीडऩ या छेड़छाड़ वाली काल्पनिक कहानी सुना रहे हैं. गोवा पुलिस ने अब दोनों से इसी संबंध में अलगअलग विस्तृत पूछताछ करनी शुरू कर दी, जिस का नतीजा भी जल्द ही सामने आ गया था.

गोवा में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के चचेरे भाई नरोत्तम सिंह ढिल्लों उर्फ निम्स ढिल्लों की रहस्यमयी हत्या के आरोप में गिरफ्तार भोपाल का 32 वर्षीय जितेंद्र रामचंद्र साहू ही इस मामले का मास्टरमाइंड निकला. गोवा पुलिस के अनुसार जितेंद्र साहू पूर्व में नरोत्तम सिंह ढिल्लों का मैनेजर भी रह चुका था.

जितेंद्र साहू को इस बात का पता था कि नरोत्तम सिंह ढिल्लों पंजाब में राजनीतिक रसूख रखने वाले परिवार से दूर अकेले रह कर गोवा में शाही जिंदगी जीते हैं. गोवा में उन के नाम पर विलाज और होटल भी हैं. जितेंद्र विला को हड़पना चाहता था और ढिल्लों से करोड़ों रुपए हड़पना चाहता था, इसलिए उस ने नरोत्तम सिंह ढिल्लों को हनीट्रैप के जाल में फंसाने की एक फुलपू्रफ योजना बनाई थी.

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री के भाई का गोवा में मर्डर – भाग 1

विला के अंदर नरोत्तम सिंह ढिल्लों की लाश उन के बिस्तर पर पड़ी थी, चारों तरफ खून बिखरा हुआ था. उन के कपड़े भी अस्तव्यस्त नजर आ रहे थे और लाश पर कुछ चोटों के निशान भी मौजूद थे. देखने से साफ साफ लग रहा था कि ढिल्लों की मौत कोई सामान्य मौत नहीं है, बल्कि मौत से पहले उन के साथ मारपीट और ज्यादती की गई थी.

पुलिस ने लाश का जब बारीकी से निरीक्षण किया तो पाया कि नरोत्तम सिंह ढिल्लों का मोबाइल फोन और उन के सोने के जेवर भी नदारद थे. नरोत्तम सिंह ढिल्लों आमतौर पर सोने का कड़ा, सोने की चेन और सोने की बेशकीमती कई अंगूठियां पहनते थे, लेकिन हत्यारों ने हत्या करने के साथसाथ उन से लूटपाट भी की थी.

77 वर्षीय नरोत्तम सिंह ढिल्लों उर्फ निम्स ढिल्लों पंजाब के दिवंगत मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के चचेरे भाई और शिरोमणी अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल के भतीजे थे. नरोत्तम सिंह ढिल्लों पंजाब मुक्तसर के बादल गांव के मूल निवासी थे.

उत्तरी गोवा का पिलेर्ने मार्रा इलाका गोवा में अपनी एक विशिष्ट पहचान रखता है. वैसे तो पूरा का पूरा गोवा ही एक टूरिस्ट डेस्टिनेशन के तौर पर दुनिया भर में मशहूर है, लेकिन गोवा का पिलेर्ने मार्रा इलाका अपने हाईप्रोफाइल विलाज और अपनी शानदार हौस्पिटैलिटी के लिए अपनी एक अलग पहचान रखता है.

रविवार दिनांक 4 फरवरी को सुबह लगभग साढ़े 7 बजे इसी पिलेर्ने मार्रा इलाके से सुबहसुबह गोवा के पारवोरिम थाने में पुलिस को सूचना मिली कि यहां होरीजंस अजर्ड विला में एक शख्स की संदिग्ध हालत में मौत हो गई है. मरने वाला विला का मालिक है, नरोत्तम सिंह ढिल्लों हैं.

77 वर्षीय नरोत्तम सिंह उर्फ निम्स ढिल्लों की गिनती इलाके के रईसों में होती थी, जो इस पिलेर्ने मार्रा इलाके में सिर्फ एक नहीं, बल्कि 3-3 आलीशान विलाज के मालिक थे. इन में एक विला का इस्तेमाल वह खुद करते थे, जबकि बाकी के 2 विलाज को उन्होंने गेस्टहाउस बना रखा था.

नरोत्तम सिंह ढिल्लों की इस के अतिरिक्त एक और भी विशिष्ट पहचान थी, वह यह थी कि वे पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के चचेरे भाई थे. अब इतने अमीर और प्रभावशाली कारोबारी की रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत की खबर अपने आप में काफी गंभीर बात थी. लिहाजा यह खबर मिलते ही पोखोरिम थाने के एसएचओ राहुल परब ने इस की सूचना तुरंत अपने उच्चाधिकारियों को दे दी.

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एसपी नार्थ गोवा निधिन वालसन

अगले ही पल एसपी नार्थ गोवा निधिन वालसन और पारवोरिम थाने के इंसपेक्टर राहुल परब अपनी पुलिस टीम के साथ आननफानन में ढिल्लों के विला में पहुंच गए.

अब तक घटनास्थल पर पुलिस के अलावा फोरैंसिक टीम और डौग स्क्वायड भी पहुंच चुके थे. कत्ल की खबर वाकई एकदम सही थी.

विला में पहुंची पुलिस, पुलिस के खोजी कुत्ते और फोरैंसिक टीम ने अपनेअपने स्तर पर अज्ञात कातिलों के बारे में सुराग इकट्ठा करने की कोशिश की, लेकिन इस शुरुआती कोशिश में कत्ल के पीछे का मोटिव लूटपाट का ही नजर आया.

 क्यों किया गया नरोत्तम सिंह ढिल्लों का मर्डर

यह भी एक अजीब सा इत्तेफाक था कि लाश मिलने और नरोत्तम सिंह की कत्ल की जांच करने से अलग उत्तरी गोवा के ही पारवोरिम पुलिस स्टेशन में बीती रात यानी कि 3 फरवरी, 2024 की रात को एक और शिकायत मिली थी. ये दूसरी शिकायत ‘रेंट ए कार’ के तहत अपनी कार किराए पर देने वाले एक शख्स ने पुलिस से की थी.

उस ने अपनी शिकायत में कहा था कि एक दिन पहले एक कपल ने उस से एक कार किराए पर ली थी. रेंट ए कार के तहत ग्राहक कार ले कर स्टेट से यानी गोवा से बाहर नहीं जा सकता, लेकिन शिकायतकर्ता का कहना था कि कार ले कर जाने वाले लोग न सिर्फ सिर्फ गोवा से बाहर मुंबई की तरफ जा रहे हैं, बल्कि बारबार फोन करने पर भी वे लोग उस का फोन नहीं उठा रहे हैं.

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होरीजंस अजर्ड’ विला

पुलिस नरोत्तम सिंह ढिल्लों हत्याकांड की जांच बड़ी सूक्ष्मता और बारीकी से कर रही थी, लेकिन इस बीच ‘होरीजंस अजर्ड’ विला की छानबीन करतेकरते पुलिस की नजर एक सीसीटीवी फुटेज पर पड़ गई, जोकि एक पास की दूसरी बिल्डिंग के कैमरे में कैद हो गई थी.

इस फुटेज की जब गोवा पुलिस ने गहनता से जांचपड़ताल की तो पाया कि 3 फरवरी, 2024 की रात को तकरीबन साढ़े 3 बजे मृतक नरोत्तम सिंह ढिल्लों के होरीजंस अजर्ड विला से एक कार रवाना हुई थी.

सीसीटीवी फुटेज से मिला सुराग

छानबीन करने पर गोवा पुलिस को यह बात भी पता चली कि एक नौजवान कपल 3 फरवरी, 2024 की रात को उन के निजी विला पर पार्टी के लिए पहुंचा था. नरोत्तम सिंह ढिल्लों और उन के उन मेहमानों ने रात को करीब 2 बजे डिनर लिया था यानी कि कत्ल से पहले वाली रात को मृतक नरोत्तम सिंह ढिल्लों कुछ लोगों को होस्ट कर रहे थे और उन की मेहमानवाजी में लगे थे.

जाहिर सी बात है कि ऐसी परिस्थिति में पुलिस का शक अब उन मेहमानों पर ही जा टिका था, जो नरोत्तम सिंह ढिल्लों के होरीजंस अजर्ड में बीती रात को पार्टी करने पहुंचे थे. अभी पुलिस उन लोगों के बारे में और अधिक जानकारी जुटाने की कोशिश कर ही रही थी, तभी पुलिस को एक विशेष बात पता चली कि बीती रात उन के घर निकलने वाले लोगों ने मेनगेट का नहीं, बल्कि एक खिड़की का सहारा लिया था.

Khidki jaha se qatil bhage the

असल में ‘होरीजंस अजर्ड’ विला के कर्मचारियों को 4 फरवरी, 2024 की सुबह वह खिड़की खुली हुई मिली, जबकि वह आमतौर पर बंद ही रहती थी, जबकि मेनगेट बंद था. इस तरह अब तक की सारी तफ्तीश नरोत्तम सिंह ढिल्लों के अनजान मेहमानों पर पूरी तरह से टिक चुकी थी, लेकिन वो मेहमान कौन थे, कहां से आए थे, कहां गए, उन की पहचान आखिर क्या थी, ये अभी तक राज बना हुआ था.

इन दोनों ही मामलों में कुछ अजीब से इत्तफाक भी थे. अव्वल तो कार ले कर भागने वाला भी एक कपल था और नरोत्तम सिंह ढिल्लों के कत्ल में भी कपल के हाथ होने का शक था. कार की चोरी भी तकरीबन उसी दौरान हुई थी, जिस दौरान ढिल्लों की हत्या हुई थी, सब से बड़ी और खास बात तो यह थी कि दोनों ही मामले गोवा के पारवोरिम थाना इलाके में हुए थे.

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