इस के महीने भर बाद ही उस ने मीनाक्षी की शादी एक दूसरे लड़के के साथ तय कर दी थी. यह शादी उस के गांव में होने वाली थी. इसलिए पूरा परिवार मीनाक्षी को गांव नुमाईडाही ले कर चला गया था.
9 मार्च, 2019 को मीनाक्षी की बारात आने वाली थी. सभी मीनाक्षी की शादी की तैयारी में लगे थे. लेकिन मीनाक्षी वहां से फरार होने का रास्ता खोज रही थी. इस बीच मौका पा कर मीनाक्षी ने बृजेश को फोन किया. बृजेश ने उसे मध्य प्रदेश के शहर सतना पहुंचने को कहा.
मीनाक्षी शादी के 15 दिन पहले 22 फरवरी, 2019 को अपना घर छोड़ कर सतना पहुंच गई, वहां बृजेश ने अपने दोस्तों के साथ उस का स्वागत किया. फिर आर्यसमाज मंदिर में जा कर दोनों ने विवाह कर लिया. मंदिर में शादी करने के बाद उन्होंने 2 मई, 2019 को मुंबई पहुंच कर कोर्टमैरिज कर ली. इस के बाद दोनों मुंबई के नारायण नगर के शिवपुरी चाल में किराए का रूम ले कर रहने लगे. बृजेश अपनी दुकान पर बैठने लगा था.
मीनाक्षी के इस कदम से राजकुमार चौरसिया की समाज, गांव और नातेरिश्तेदारी में काफी बदनामी हुई थी. बेटी की वजह से उस का सिर शर्म से झुक गया था. उसे पता चल गया था कि बेटी ने बृजेश से शादी कर ली है. जिस की टीस उस के मन की गहराई में जा कर बैठ गई थी.
कुछ दिनों बाद मीनाक्षी ने अपनी मां से फोन पर बात करनी शुरू कर दी थी. परिवार वालों ने मीनाक्षी को इस शर्त पर माफ कर दिया था कि वह कभी बृजेश के साथ मुंबई से गांव या ससुराल नहीं जाएगी.
मगर ऐसा हुआ नहीं. समय अपनी गति से चल रहा था. मीनाक्षी गर्भवती हो गई थी. इस बीच बृजेश और मीनाक्षी ने यह योजना बनाई कि डिलिवरी के बाद वे दोनों गांव जा कर बच्चे को अपने मांबाप का आशीर्वाद दिलवाएंगे.
इस बात की भनक जब राजकुमार को लगी तो वह अपनी इज्जत को ले कर परेशान हो गया. वह गांव में दोबारा अपनी बेइज्जती नहीं करवाना चाहता था, इसलिए उस ने बेटी मीनाक्षी के प्रति एक खतरनाक फैसला ले लिया. उस ने सोच लिया कि वह ऐसा करेगा कि न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी.
योजना के अनुसार, 13 जुलाई 2019 की रात राजकुमार चौरसिया ने मीनाक्षी को फोन कर के 14 जुलाई को अपने घर बुलाया और कहा कि जिस तरह से तुम लोगों ने शादी की थी, उस में वह उन्हें कुछ नहीं दे पाया था, इसलिए उस ने उस के और दामाद के लिए कुछ कपड़े आदि खरीद कर रखे हैं. वह आ कर कपड़े वगैरह ले जाए.
पिता से फोन पर बात होने पर मीनाक्षी काफी खुश हुई. उस ने यह बात पति बृजेश को बताई तो बृजेश ने उसे पिता के पास जाने से मना कर दिया. लेकिन फिर भी मीनाक्षी नहीं मानी. क्योंकि वह तो इस विश्वास में थी कि पिता ने उसे माफ कर दिया है.
इसलिए पिता का थोड़ा प्यार पा कर वह उन से मिलने उस के घर चली गई थी. रात 12 बजे जब बृजेश दुकान से घर आया तो उसे मीनाक्षी घर पर नहीं मिली. वह समझ गया कि वह अपने पिता के पास ही गई होगी.
उस ने उसी समय मीनाक्षी और उस के पिता राजकुमार चौरसिया को फोन किया, लेकिन फोन बंद आ रहा था. काम से थका होने के कारण उस ने घर में रखा खाना खाया और फिर सो गया. सुबह उसे पुलिस वालों ने आ कर जगाया था.
हुआ यह था कि 14 जुलाई, 2019 की रात 10 बजे जब मीनाक्षी पिता राजकुमार चौरसिया के घर पहुंची तो घर में उस समय कोई नहीं था. राजकुमार के परिवार वाले उस रात बाहर एक रिश्तेदार के यहां चले गए थे. राजकुमार चौरसिया पूरी तैयारी के साथ बेटी मीनाक्षी का इंतजार कर रहा था.
मीनाक्षी जैसे ही घर में दाखिल हुई तो राजकुमार उठ कर खड़ा हो गया और जैसे ही आशीर्वाद लेने के लिए वह पिता के पैर छूने को नीचे झुकी, तभी राजकुमार ने चाकू से उस के ऊपर हमला कर दिया. हमला करते समय राजकुमार ने मीनाक्षी का मुंह दबा रखा था, जिस कारण उस की चीख घुट कर ही रह गई थी.
मीनाक्षी की हत्या करने के बाद उस के शव को रिक्शा स्टैंड के पीछे डाल कर वह फरार हो गया और सीधे अपने गांव चला गया था.
पुलिस टीम ने राजकुमार चौरसिया से विस्तृत पूछताछ कर उसे उस की बेटी मीनाक्षी चौरसिया की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. कथा लिखे जाने तक राजकुमार चौरसिया जेल में बंद था. मामले का आरोपपत्र इंसपेक्टर विलाख दातीर तैयार कर रहे थे.
सौजन्य: मनोहर कहानियां