खुशबू के प्यार की दुर्गंध

पहली जून, 2002 की बात है. सुबह के 4 बज रहे थे. आगरा के खंदौली थाने में तैनात कांस्टेबल के.डी. बाबू और अंकित चौधरी गश्त से लौट रहे थे. आगराजलेसर मार्ग पर गांव आबिदगढ़ के मोड़ पर सड़क किनारे पेड़ की आड़ में एक शव जल रहा था. यह देख कर दोनों कांस्टेबलों ने अपनी बाइक रोकी और वहां पहुंच गए.

वहां शव जलता दिखा तो उन्होंने तत्काल थानाप्रभारी आनंदवीर सिंह को फोन से सूचना दी. थानाप्रभारी ने भी तत्परता दिखाई. वह थाने से कंबल ले कर मौके पर पहुंच गए. तब तक  दोनों कांस्टेबलों ने रेत आदि डाल कर किसी तरह आग बुझाने की कोशिश जारी रखी. थानाप्रभारी के पहुंचने के बाद कंबल डाल कर आग पूरी तरह बुझा दी गई.

जल रहा शव एक युवती का था. तब तक युवती का पेट और नीचे का ज्यादातर हिस्सा जल चुका था. चेहरे व हाथ का कुछ भाग भी झुलस गया था. उधर से गुजर रहे ग्रामीणों को जैसे ही इस की जानकारी मिली, वह भी वहां पहुंच गए.

थानाप्रभारी आनंदवीर सिंह ने अधजले शव का निरीक्षण किया. मृतका लगभग 20-22 साल की युवती थी.

थानाप्रभारी ने इस सनसनीखेज घटना की जानकारी से उच्चाधिकारियों को भी अवगत करा दिया. शव की शिनाख्त न होने पर पुलिस ने मौके की काररवाई निपटाने के बाद शव को मोर्चरी भिजवा दिया. यह बात पहली जून, 2022 की है.

युवती कौन थी? उस की हत्या किस ने, कहां और क्यों की? युवती के पास मोबाइल अथवा ऐसी कोई चीज भी नहीं मिली थी, जिस से उस की शिनाख्त हो सके. पुिलस का प्रयास था कि शव की शिनाख्त जल्दी हो जाए ताकि उस के हत्यारों को गिरफ्तार कर हत्या का परदाफाश किया जा सके.

मथुरा में यूपी 112 की पीआरवी पर तैनात सिपाही वीरपाल सिंह की बड़ी बेटी 20 वर्षीय खुशबू जो बलकेश्वर स्थित संत रामकृष्ण कन्या महाविद्यालय में बीकौम द्वितीय वर्ष की छात्रा थी. वह 30 मई, 2022 को सुबह  10 बजे कालेज जाने के लिए घर से निकली थी. इस के बाद वह दोपहर 3 बजे तक वापस नहीं आई.

इस पर उस के दादा रामचरन ने खुशबू को फोन किया, लेकिन काल रिसीव नहीं हुई. वह लगातार फोन मिलाते रहे. उस का मोबाइल स्विच्ड औफ आ रहा था.

किसी अनहोनी की आशंका पर उन्होंने बेटे वीरपाल सिंह को इस की जानकारी दी. वीरपाल जानकारी मिलते ही आगरा आ गए. पहले उन्होंने खुशबू की सहेलियों से पूछताछ की.

काफी तलाश करने के बाद भी जब बेटी का कोई पता नहीं चला, तब वीरपाल ने बेटी के लापता होने की रिपोर्ट आगरा के थाना एत्माद्दौला में 31 मई को दर्ज करा दी.

सिपाही वीरपाल सिंह मूलरूप से एटा जिले के जलेसर के नगला नैनसुख गांव के रहने वाले हैं. उन का परिवार थाना एत्माद्दौला क्षेत्र की शांताकुंज कालोनी में रहता है. 2 बेटियों में खुशबू बड़ी थी.

खुशबू के लापता होने पर पुलिस ने घर वालों से पूछताछ की. उन्होंने बताया कि 30 मई की सुबह 10 बजे घर से खुशबू पड़ोसी दुर्गेश के साथ उस की बाइक पर कालेज जाने के लिए निकली थी. उस की परीक्षाएं चल रहीं थीं. उस का 4 जून को पेपर था. इस के लिए उसे कालेज की लाइब्रेरी में कुछ किताबें जमा करनी थीं, जबकि कुछ किताबें ले कर आनी थीं. इस के बाद वह लापता हो गई. इस पर पुलिस ने पड़ोसी दुर्गेश से पूछताछ की. दुर्गेश ने बताया उस ने खुशबू को वाटरवर्क्स पर छोड़ दिया था.

 

पुलिस ने कई स्थानों के सीसीटीवी कैमरे भी चैक किए. खुशबू के मोबाइल की काल डिटेल्स निकाली और जांच शुरू की. पुलिस को खुशबू की आखिरी लोकेशन 30 मई की रात पौने 10 बजे ट्रांस यमुना कालोनी की मिली. इस के बाद मोबाइल स्विच्ड औफ हो गया था.

पुलिस ने ट्रांस यमुना कालोनी में भी उसे तलाशा. अब तक पुलिस के हाथ ऐसा कोई सुराग नहीं लगा था, जिस से खुशबू के बारे में जानकारी मिल पाती. पुलिस 30 मई के उन नंबरों की जांच में जुट गई, जिन पर खुशबू की बात हुई थी.

इसी बीच वीरपाल सिंह को रात को जानकारी मिली कि 20-21 साल की एक युवती की अधजली लाश थाना खंदौली पुलिस को मिली है. इस पर वीरपाल सिंह घर वालों के साथ रात में ही पोस्टमार्टम हाउस पहुंच गए.

चेहरे और कपड़ों से घर वालों ने उस शव की शिनाख्त बेटी खुशबू के रूप में की. खुशबू की हत्या की जानकारी होते ही घर में कोहराम मच गया. बेटी की मौत से मां कुसुम लता के आंसू रुक नहीं रहे थे.

वीरपाल सिंह ने अपनी बेटी की हत्या का आरोप नाऊ की सराय के नवनीत नगर निवासी आशीष तोमर पर लगाते हुए उस के खिलाफ थाना खंदौली में हत्या व सबूत मिटाने की धारा में रिपोर्ट दर्ज करा दी.

आरोप में कहा गया था कि आशीष काफी समय से उन की बेटी को परेशान कर रहा था. वह उस पर शादी का दबाव बना रहा था. शादी से इंकार करने पर उस ने खुशबू की हत्या कर दी और सबूत मिटाने के लिए शव को जलाने का प्रयास किया.

खुशबू ने 8वीं तक की पढ़ाई गांव में ही की थी. इस के बाद वह आगरा आ गई. 9वीं से 12वीं कक्षा तक एक पब्लिक स्कूल में पड़ी. वर्तमान में वह बलकेश्वर स्थित संत रामकृष्ण कन्या महाविद्यालय से बीकौम कर रही थी. यह उस का दूसरा साल था.

आशीष और खुशबू दोनों एकदूसरे को कई सालों से जानते थे. पब्लिक स्कूल में 9वीं कक्षा में आशीष और खुशबू साथसाथ पढ़ते थे. पढ़ाई के दौरान ही दोनों एकदूसरे के प्रति आकर्षित हो गए. दोनों चोरीछिपे मिलते और बातचीत करने लगे. आशीष और खुशबू दोनों ही एकदूसरे को बहुत पसंद करने लगे थे.

किसी तरह दोनों की दोस्ती की जानकारी खुशबू के घर वालों को हो गई. तब उन्होंने खुशबू को समझाने के साथ ही आशीष को भी खुशबू से दूर रहने की हिदायत दी. जहां खुशबू आशीष को प्यार करती थी तो वहीं खुशबू के सिपाही पिता उसे पसंद नहीं करते थे.

पिता वीरपाल ने आशीष को 3 बार समझाया भी था. बीकौम करने के लिए उन्होंने बेटी का एडमिशन भी गर्ल्स कालेज में करा दिया था. लेकिन आशीष पर ऐसी दीवानगी छाई थी कि समझाने के बाद भी उस ने खुशबू का पीछा नहीं छोड़ा. वह उस से मिलता और फोन पर बात भी करता.

उधर अपने पिता के डर से खुशबू ने अब आशीष से मिलना छोड़ दिया था. कभीकभी दोनों की मोबाइल पर ही बातचीत हो पाती थी. यह बात आशीष को नागवार गुजरी.

घटना से 6 महीने पहले आशीष ने खुशबू के साथ खींचे फोटो सोशल मीडिया पर डाल दिए थे. जब इस बात की जानकारी खुशबू के पिता वीरपाल को हुई तो उन्होंने आशीष के खिलाफ थाना एत्माद्दौला में शिकायत कर आशीष को थाने में बंद करा दिया.

इस पर आशीष माफी मांगने लगा, वादा  किया कि वह फिर कभी खुशबू को परेशान नहीं करेगा. तब इस पर उसे थाने से छोड़ दिया गया और शिकायत वापस ले ली गई. लेकिन आशीष बेटी की जान ले लेगा, यह किसी ने नहीं सोचा था. खुशबू की हत्या की रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस ने 2 जून, 2022 को आशीष तोमर और उस के पिता मुकेश तोमर को गिरफ्तार कर लिया. थाने ला कर दोनों से पूछताछ की गई.

आशीष ने खुशबू की हत्या का जुर्म कुबूल करते हुए बताया कि वह खुशबू से काफी समय से प्यार करता था. खुशबू भी उसे चाहती थी. दोनों मोबाइल पर एकदूसरे से बातें करते थे. वह उस से शादी करना चाहता था, लेकिन अपने घर वालों के दवाब में खुशबू शादी से मना कर देती थी.

30 मई को सोमवती अमावस्या थी. आशीष के मातापिता गंगा स्नान के लिए राजघाट गए थे. पिता मुकेश तोमर प्राइवेट ठेकेदारी का काम करते हैं. उन के जाने के बाद आशीष ने खुशबू से मिलने का अच्छा मौका देख कर उसे फोन किया और आखिरी बार मिलने का वादा कर उसे अपने घर पर बुला लिया. खुशबू के घर में आते ही आशीष ने उसे आगोश में ले लिया. दोनों एकदूसरे की गलबहियां डाले काफी देर तक बातचीत करते रहे.

शाम करीब 4 बजे खुशबू अपने घर जाने के लिए उठी. उस ने कहा, बहुत देर हो गई है. आज मैं कालेज भी नहीं जा सकी, घर वाले इंतजार कर रहे होंगे.  तब भावुक हो कर आशीष ने कहा, ‘‘खुशबू, मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं. मैं तुम्हारे बिना एक पल भी नहीं रह सकता. मैं तुम से शादी करना चाहता हूं.’’

शादी की बात करने पर खुशबू बोली, ‘‘आशीष, तुम तो जानते ही हो कि हमारा प्रेम अमर है. प्यार कभी शादी का मोहताज नहीं होता. फिर मेरे घर वाले भी तुम से शादी के अभी खिलाफ हैं.’’

उस ने शादी से इंकार कर दिया. इस पर दोनों में विवाद होने लगा. बात बढ़ गई और गुस्से में आशीष ने खुशबू की दुपट्टे से गला घोंट कर हत्या कर दी.

खुशबू की हत्या करने के बाद उस ने उस के शव को अपने पलंग के नीचे छिपा दिया. गुस्से में आशीष ने अपनी प्रेमिका की हत्या तो कर दी थी, लेकिन हत्या के बाद वह परेशान हो गया.

उस के जेहन में बारबार एक ही प्रश्न घुमड़ रहा था कि लाश को अब ठिकाने कैसे लगाया जाए? वह रात भर शव के साथ ही रहा.  पूरी रात उस की आंखों में जाग कर कटी. दूसरे दिन यानी 31 मई को उस के मातापिता आ गए.

गरमी का मौसम होने और कमरा बंद होने से लाश से दुर्गंध आने लगी थी. इस पर उस ने कमरे में धूपबत्ती भी जलाई थी. लेकिन अब दुर्गंध तेज हो गई थी. दुर्गंध आने पर पिता मुकेश तोमर ने जब आशीष से इस संबंध में पूछताछ की तो वह कुछ जबाव नहीं दे पाया.  इस पर पिता को शक हो गया. उन्होंने कमरे की तलाशी ली. तब उन्हें खुशबू का शव पलंग के नीचे मिल गया.

लड़की की लाश देख कर मुकेश तोमर घबरा गए. तब आशीष ने हत्या के बारे में उन्हें बताया, ‘‘मुझ से गलती हो गई.’’

मुकेश तोमर ने पुलिस को इस संबंध में जानकारी नहीं दी. दोनों ने शव को ठिकाने लगाने की साजिश रची. शव को रजाई के कवर में लपेट कर वापस पलंग के नीचे रख दिया.

35 घंटे तक शव पलंग के नीचे छिपाए रखने से तीक्ष्ण दुर्गंध आने लगी थी.  मंगलवार रात करीब 3 बजे उन्हें शव की गठरी बांधी. फिर उसे बाइक पर रख कर घर से 5 किलोमीटर दूर जलेसर मार्ग पर ले गए.

बाइक पिता मुकेश ने चलाई जबकि शव को ले कर आशीष बाइक पर पीछे बैठा. एक सुनसान जगह पर बाइक को रोकी. सड़क किनारे पेड़ की आड़ में शव को फेंक दिया और उस पर पैट्रोल डाल कर लाइटर से आग लगा दी.

बापबेटे की साजिश थी कि शव जलने के बाद पहचाना नहीं जा सकेगा और पुलिस उन्हें पकड़ नहीं सकेगी. लेकिन होनी को तो कुछ और ही मंजूर था.

पहली जून की सुबह 4 बजे गश्त से वापस आ रही पुलिस ने आग को बुझा कर शव पूरी तरह जलने से बचा लिया. दोनों कांस्टेबलों की सूझबूझ से छात्रा खुशबू हत्याकांड का परदाफाश आसान हो गया.

हत्यारोपी प्रेमी आशीष और उस के पिता मुकेश तोमर ने खुशबू के शव को पहले यमुना में फेंकने की योजना बनाई थी. लेकिन उन्हें लगा कि यमुना में फेंकने के लिए काफी दूर जाना पड़ेगा. इस दौरान खंदौली मार्ग पर भी आना होगा. ऐसे में पुलिस उन्हें पकड़ सकती है.

तब खाली जगह पर शव को गड्ढे में दफनाने के बारे में भी सोचा, लेकिन तब भी दोनों को लगा कि गड्ढा खोदने में काफी समय लगेगा. अंत में शव को घर से दूर फेंक कर उसे आग के हवाले करने की योजना बनाई.

आरोपी आशीष जानता था कि खुशबू के लापता होने पर पुलिस सब से पहले उस के मोबाइल की लोकेशन पता करेगी. रूह कंपा देने वाली घटना को अंजाम देने के बाद पुलिस की आंखों में धूल झोंकने के लिए शातिर आशीष प्रेमिका के मोबाइल फोन को अपनी जेब में रख कर इधरउधर घूमता रहा.

हत्या वाली 30 मई की रात लगभग पौने 10 बजे ट्रांस यमुना कालोनी में पहुंच कर मोबाइल को स्विच्ड औफ कर दिया था. उसे लगा था कि पुलिस यहीं आसपास खुशबू को तलाश करेगी. खुशबू के जूते और मोबाइल आदि आशीष के घर पर ही रह गए थे. पुलिस ने बाइक सहित सारे सबूत बरामद कर लिए.

खुशबू के घर वालों का कहना है कि घटना में और भी लोग शामिल थे. आरोपी के घर में उस की मां भी थी. पुलिस ने उसे आरोपी नहीं बनाया, जबकि उसे घर में खुशबू का लाश होने की पूरी जानकारी थी.

एसएसपी सुधीर कुमार सिंह ने खुशबू हत्याकांड का परदाफाश करते हुए बताया  कि हत्याकांड में शामिल पितापुत्र दोनों हत्यारोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है. आशीष की मां को भी आरोपी बनाया जाएगा.

पुलिस ने खुशबू की हत्या के आरोपी प्रेमी आशीष व उस के पिता मुकेश को न्यायालय में पेश किया, जहां न्यायालय के आदेश पर उन्हें जेल भेज दिया गया.

धृतराष्ट्र की तरह पुत्रमोह में पड़ कर जहां मुकेश ने बेटे आशीष के अपराध को पुलिस को बताने के बजाए 35 घंटे तक शव को पलंग के नीचे छिपाए रखा. शव ठिकाने लगाने में बेटे का पूरा साथ दिया. मुकेश के इस काम ने उसे भी हत्या का आरोपी बना दिया. यदि वह अपने बेटे के अपराध को न छिपाता तो बुढ़ापे में उसे जेल की सलाखों के पीछे न जाना पड़ता.द्य

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

4 साल बाद मिले कंकाल ने बयां की इश्क की कहानी- भाग 4

पुलिस कई दिनों तक चंद्रवीर को अपने तरीके से तलाश करती रही. सविता ने इस बीच यह शक भी व्यक्त किया कि उस के पति की हत्या कर के भूरे ने शव उस के घर में या अपने घर में गाड़ दिया है.

अपना शक दूर करने के लिए पुलिस ने भूरे और चंद्रवीर का आंगन और कमरों को खुदवा कर भी देख डाला लेकिन तब भी कोई ऐसा सूत्र नहीं हाथ आया, जिस से समझा जाता कि चंद्रवीर की हत्या कर के उस का शव जमीन में दबा दिया गया है.

पुलिस ने चंद्रवीर के मामले में काफी माथापच्ची की, जब कोई सुराग हाथ नहीं आया तो पुलिस ने चंद्रवीर के लापता होने वाली फाइल वर्ष 2021 में बंद कर दी गई.

सविता ने दिल पर पत्थर रख लिया. पहले चोरीछिपे अरुण से उस की आशनाई चलती थी अब तो अरुण का ज्यादा समय उसी के घर में बीतने लगा. सविता अपनी बेटी की गैरमौजूदगी में अरुण के साथ रास रचाती.

उस ने यह आसपड़ोस में जाहिर करना शुरू कर दिया था कि चंद्रवीर के बाद अरुण उस के परिवार का सच्चे मन से साथ दे रहा है. लोगों को क्या लेनादेना था. वैसे भी लोगों की नजर में अरुण सविता का चचेरा देवर था, कोई गैर नहीं था.

4 साल बाद फिर खुली फाइल

समय तेजी से सरकता रहा. चंद्रवीर को लापता हुए पूरे 4 साल बीत गए, तब 2021 में बंद हुई एकाएक उस की बंद धूल चाट रही फाइल दोबारा से खुल गई.

दरअसल, 4 अप्रैल, 2022 को गाजियाबाद के नए नियुक्त हुए एसएसपी मुनिराज जी. ने वह तमाम फाइलें खुलवाईं, जिन के केस अनसुलझे थे. इन्हीं में एक फाइल चंद्रवीर की भी थी.

एसएसपी मुनिराज जी. ने यह फाइल थाना नंदग्राम गेट से ले कर क्राइम ब्रांच की एसपी दीक्षा शर्मा के हवाले कर दी.

दीक्षा शर्मा ने इस केस की जांच इंसपेक्टर (क्राइम ब्रांच) अब्दुर रहमान सिद्दीकी को सौंप दी. क्राइम ब्रांच के इंसपेक्टर ने पूरी फाइल का गहराई से अध्ययन किया तो उन्हें लगा कि चंद्रवीर कोई बच्चा नहीं था जिसे चुपचाप गोद में उठा कर लापता कर दिया गया हो. यह काम 2 या उस से अधिक लोग कर सकते हैं.

वह लोग जब चंद्रवीर के घर में आए होंगे तो कुछ शोरशराबा होना चाहिए था. चंद्रवीर को खामोशी से गायब नहीं किया जा सकता. अगर कुछ आहट वगैरह हुई तो सविता और उस की बेटी ने जरूर सुनी होगी. पूछताछ इन्हीं से शुरू की जाए तो कुछ सूत्र हाथ आ सकता है.

इंसपेक्टर अपने साथ पुलिस टीम को ले कर सविता के घर पहुंच गए.

तब सविता घर पर नहीं थी. उस की 16 वर्षीय बेटी दीपा घर में ही थी. इंसपेक्टर ने उस से ही पूछताछ शुरू की. दीपा को सामने बिठा कर उन्होंने गंभीरता से पूछा, ‘‘तुम्हारा नाम दीपा है न बेटी?’’

‘‘जी,’’ दीपा ने सिर हिलाया.

‘‘तुम्हारे पापा रात के अंधेरे में लापता हुए, क्या यह बात ठीक है?’’

‘‘सर…’’ दीपा गहरी सांस भर कर एकाएक रोने लगी.

इंसपेक्टर ने उस के सिर पर प्यार से हाथ फेरा, ‘‘मुझे इतना अनुभव तो है बेटी कि कोई बात तुम्हारे सीने में दफन है, जो बाहर आना चाहती है. लेकिन तुम्हारी हिचक उसे बाहर आने से रोक रही है. क्यों, मैं ठीक कह रहा हूं न दीपा?’’

दीपा ने आंसू पोंछे और सिर हिलाया, ‘‘हां सर, मेरे दिल में एक बात 4 साल से दबी पड़ी है. मैं बताती तो किसे, मां को बताने का मतलब होता मेरी भी मौत. चाचा को भी नहीं बता सकती थी, वह मां से मिले हुए हैं. आसपड़ोस में बताती तो मेरे पिता की बदनामी होती…’’

बेटी ने बयां कर दी हकीकत

इंसपेक्टर की आंखों में चमक आ गई. चंद्रवीर के लापता होने का राज दीपा के दिल में छिपा हुआ है, यह समझते ही वह पूरे उत्साह से भर गए. सहानुभूति से उन्होंने दीपा के सिर पर फिर हाथ घुमाया, ‘‘देखो दीपा, मैं चाहता हूं कि तुम्हारे पापा के साथ न्याय हो. मुझे बताओ तुम्हारे मन में कौन सी बात दबी हुई है. डरो मत, अब तुम्हारी सुरक्षा हम करेंगे.’’

‘‘सर, मेरे पिता की हत्या हो चुकी है. मेरी मां और चाचा अरुण ने उन्हें मारा है.’’ दीपा ने बताया, ‘‘यह हत्या मेरी मां के चाचा से अवैध संबंधों के कारण हुई है.’’

‘‘ओह, क्या तुम ने अपनी आंखों से देखा था पिता की हत्या होते हुए?’’ इंसपेक्टर ने पूछा.

‘‘जी हां, उस दिन 28 सितंबर, 2018 की रात थी. अरुण चाचा को मां ने आधी रात को घर बुलाया. पापा गहरी नींद में थे. अरुण चाचा ने साथ लाए तमंचे से मेरे पापा के सिर में गोली मार दी. मैं बहुत डर गई. मैं कंबल में दुबक गई. मुझे नहीं पता कि दोनों ने पापा की लाश का क्या किया. सुबह मां ने पापा के रात में कहीं चले जाने की बात उड़ा दी और उन्हें तलाश करने का नाटक करने लगी.’’

‘‘हूं, मैं तुम्हें सरकारी गवाह बनाऊंगा. तुम्हारी सुरक्षा अब हमारी जिम्मेदारी है बेटी.’’ इंसपेक्टर ने कहा और उठ कर खड़े हो गए.

उन्होंने यह बात तुरंत एसपी (क्राइम ब्रांच) दीक्षा शर्मा को बता कर उन से आदेश मांगा. एसपी दीक्षा शर्मा ने सविता और अरुण को गिरफ्तार करने के आदेश दे दिए.

क्राइम ब्रांच टीम ने 13 नवंबर, 2022 को सविता को अरुण के घर से अरुण के साथ ही हिरासत में ले लिया. दोनों को क्राइम ब्रांच के औफिस में लाया गया और उन से सख्ती से पूछताछ की गई तो दोनों टूट गए.

सविता ने अपने पति की हत्या अरुण के साथ मिल कर करने की बात कुबूल करते हुए बताया, ‘‘साहब, मेरे अपने देवर अरुण से अवैध संबंध हो गए थे. एक दिन चंद्रवीर ने हमें आपत्तिजनक हालत में देख लिया था. उसी दिन से वह मुझे बातबात पर गाली देता और मारता था.

‘‘मैं कब तक मार खाती. मैं ने अरुण को उकसाया तो उस ने चंद्रवीर की हत्या करने के लिए 28 सितंबर, 2018 का दिन तय किया. वह पहले अपने मांबाप को मेरठ में अपने दूसरे घर में छोड़ आया फिर उस ने अपने घर में गहरा गड्ढा खोदा.

‘‘28 सितंबर की रात को वह तमंचा ले कर मेरे इशारे पर घर में आया. चंद्रवीर तब खापी कर चारपाई पर गहरी नींद सो गया था. अरुण ने उस के सिर में गोली मार दी. मैं ने चंद्रवीर के सिर से निकलने वाले खून को एक बाल्टी में भरने के लिए चारपाई के नीचे बाल्टी रख दी. ऐसा इसलिए किया कि खून से फर्श खराब न हो.’’

‘‘तुम लोगों ने लाश क्या उसी गड्ढे में छिपाई है, जिसे अरुण ने खोद कर तैयार किया था?’’ इंसपेक्टर ने प्रश्न किया.

‘‘जी सर,’’ अरुण ने मुंह खोला, ‘‘मैं ने 7 फुट गहरा गड्ढा अपने घर में खोदा था. लाश और खून सना तकिया उसी में डाल कर मिट्टी भर दी, फिर उस पर पहले की तरह फर्श बनवा दिया.’’

पति की हत्या कर शव ठिकाने लगाने के बाद भी सविता नंदग्राम थाने में हर सप्ताह चक्कर लगा कर पति को ढूंढने की गुहार लगाती थी.

हत्या की बात कुबूल करने के बाद अरुण उर्फ अनिल और सविता को विधिवत हिरासत में ले कर उन पर भादंवि की धारा 302, 201 व 120बी के तहत केस दर्ज कर लिया गया.

पुलिस ने निकलवाया 4 साल पहले दफन किया शव

मजिस्ट्रैट, क्राइम ब्रांच की टीम और एसपी (क्राइम ब्रांच) दीक्षा शर्मा की मौजूदगी में अरुण के कमरे में गड्ढा खुदवाया गया तो उस में तकिया और चंद्रवीर की सड़ीगली लाश मिली गई, जिसे बाहर निकाल कर कब्जे में ले लिया गया.

अरुण और सविता को न्यायालय में पेश कर के 2 दिन की पुलिस रिमांड पर ले लिया गया.

क्राइम ब्रांच ने रिमांड अवधि के दौरान अरुण से तमंचा और एक कुल्हाड़ी भी बरामद कर ली. वह बाल्टी भी कब्जे में ले ली गई, जिस में चंद्रवीर को गोली मारने के बार सिर से निकलने वाला खून इकट्ठा किया गया था.

खून बाथरूम में बहा कर पानी चला दिया गया था. बाल्टी का इस्तेमाल सविता ने नहीं किया था, उस ने बाल्टी धो कर कोलकी में रख दी थी.

कुल्हाड़ी के बारे में पूछने पर अरुण ने बताया, ‘‘सर, चंद्रवीर के हाथ में चांदी का कड़ा था, जिस पर उस का नाम खुदा हुआ था. इस कुल्हाड़ी से मैं ने उस का हाथ काट कर कैमिकल फैक्ट्री के पीछे गड्ढा खोद कर दबा दिया था.’’

‘‘हाथ इसलिए काटा होगा कि कड़े से लाश पहचान ली जाती, क्यों?’’ इंसपेक्टर ने पूछा.

‘‘जी हां, अगर लाश पुलिस के हाथ आती तो तब तक वह सड़ चुकी होती लेकिन इस कड़े से यह पता चल जाता कि लाश चंद्रवीर की है.’’ अरुण ने कुबूल करते हुए बताया.

क्राइम ब्रांच की टीम अरुण को कैमिकल फैक्ट्री के पीछे ले कर गई. वहां अरुण ने एक जगह बताई, जहां पुलिस ने खुदाई कर के हाथ का पिंजर बरामद कर लिया.

सभी चीजें सीलमोहर कर कब्जे में ले ली गईं. सविता और अरुण को 2 दिन बाद न्यायालय में पेश किया गया तो वहां से दोनों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाने का आदेश दे दिया.

पुलिस टीम अब चंद्रवीर की लाश जो अस्थिपंजर के रूप में थी, का डीएनए टेस्ट करवाने के प्रयास में थी ताकि यह साबित किया जा सके कि 7 फुट गहरे गड्ढे से बरामद लाश चंद्रवीर की ही है.

जिस औरत की खुशियों के लिए चंद्रवीर हमेशा एक पांव पर खड़ा रहता था, उसी औरत ने क्षणिक सुख पाने के लिए अपने देवर पर खुद को न्यौछावर कर दिया और उसी के साथ मिल कर अपने पति चंद्रवीर की जघन्य हत्या कर दी.  द्य

आनंदलोक की सैर का हर्जाना

राजस्थान के नागौर जिले का मकराना कस्बा संगमरमर पत्थर के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है. इसी मकराना कस्बे में तमाम ऐसे व्यवसायी हैं, जो मार्बल व्यवसाय कर के हर साल करोड़ों रुपए कमाते हैं. व्यवसायियों ने संगमरमर मार्बल पत्थर कटिंग की फैक्ट्रियां खोल रखी हैं. इन फैक्ट्रियों में पत्थरों की कटिंग होने के बाद और्डर के हिसाब से माल देश के अलगअलग कोनों में भेजा जाता है.

मकराना के दीपक भी मार्बल व्यवसायी हैं. घरपरिवार से संपन्न दीपक हैंडसम ही नहीं दिल के भी भले आदमी हैं. गरीबों की वह अकसर मदद किया करते थे. उन के पास रुपएपैसों की कमी नहीं थी. दीपक को मार्बल व्यवसाय से लाखों रुपए की कमाई हर महीने होती थी. वह बनठन कर रहते थे.

दीपक की हर रोज कई लोगों से मुलाकात होती रहती थी. कभी किसी व्यक्ति को रुपएपैसे की जरूरत पड़ती थी तो वह दीपक से अपना दुखड़ा कह देता. दीपक से उस का दुख देखा नहीं जाता था. वह मांगने वाले की मदद कर के दिल में सुकून महसूस करते थे.

दीपक का अपना खुशहाल परिवार था. मातापिता, भाईबहन, पत्नी और बच्चे. सभी खुशहाल और इज्जत से जीवन जी रहे थे.

यह बात आज से 3 साल पहले की है. दीपक के मोबाइल पर एक काल आई. उन्होंने काल रिसीव कर कहा, ‘‘हैलो, दीपक बोल रहा हूं. आप कौन बोल रहे हैं?’’

‘‘दीपकजी, नमस्कार. मैं गुणावती गांव से रेखा कंवर बोल रही हूं. पहचाना मुझे?’’ फोन करने वाली युवती ने कहा.

तब दीपक बोले, ‘‘रेखा कंवर! मुझे कुछ याद नहीं आ रहा. बोलिए, मैं आप की क्या सेवा कर सकता हूं?’’

‘‘दीपकजी, गुणावती गांव के जनरल स्टोर पर और ब्यूटीपार्लर में आप से कई बार मुलाकात हो चुकी है. अब पहचाना?’’ युवती बोली.

दीपक को अब कुछकुछ याद आया. वह बोले, ‘‘अच्छा, तो आप जनरल स्टोर की मालकिन रेखाजी बोल रही हैं. पहचान लिया. कहिए, कैसे याद किया?’’

‘‘दीपकजी, मैं बहुत परेशान हूं और इसी वक्त आप से मिलना चाहती हूं. मैं इस समय जनरल स्टोर पर आप का इंतजार कर रही हूं. मुझे आप पर पूरा भरोसा है कि आप अवश्य आ कर मेरा दुख और परेशानी दूर करेंगे.’’

‘‘ऐसी क्या परेशानी है, जिस से आप दुखी हैं. जरा बताएंगी?’’ दीपक ने पूछा.

‘‘आप यहां आ जाएं, फिर सब बता दूंगी. प्लीज दीपकजी, जल्दी आइएगा. मैं इंतजार कर रही हूं.’’ रेखा कंवर ने विनती भरे स्वर में कहा.

दीपक को लगा कि रेखा को जरूर कोई परेशानी है. दीपक से किसी की परेशानी या दुख देखा नहीं जाता था. वह बिना कुछ सोचेविचारे गाड़ी ले कर उसी वक्त मकराना से गांव गुणावती के लिए चल दिए.

थोड़ी देर बाद दीपक रेखा कंवर के जनरल स्टोर पर पहुंच गए. उस वक्त जनरल स्टोर पर रेखा कंवर अकेली थी. दीपक के आते ही रेखा ने दुकान बंद की. वह दीपक की गाड़ी में बैठ कर अपने घर आ गई. उस का घर पास में ही था.

दीपक भी उस के साथ उस के घर में आ गया. दोनों जब कमरे में पहुंचे तो रेखा कंवर ने कमरे का दरवाजा बंद कर अंदर से कुंडी लगा दी. दीपक ने रेखा को कुंडी लगाते देखा तो वह बोला, ‘‘कुंडी क्यों लगाई? दरवाजा खोल कर बात करना ठीक नहीं रहेगा क्या?’’

सुन कर रेखा बोली, ‘‘ऐसी बातें बंद दरवाजों के पीछे ही ठीक हैं.’’

कहने के साथ रेखा कंवर ने अपने सारे कपड़े उतार दिए. रेखा को कपड़े उतारते देख दीपक डरते हुए बोला, ‘‘रेखाजी, यह क्या कर रही हैं? मैं जा रहा हूं.’’

कहने के साथ ही दीपक कुंडी खोलने लगा. तभी रेखा ने उस का कुंडी वाला हाथ पकड़ कर अपने शरीर पर रखते हुए कहा, ‘‘अगर मेरा कहना नहीं मानोगे तो मैं हल्ला मचा कर लोगों को इकट्ठा कर के बताऊंगी कि तुम मेरे साथ रेप कर रहे थे. बेहतर होगा कि मेरा साथ दो. मेरा दिल तुम पर आ गया था.

‘‘मेरी जैसी गोरी व खूबसूरत युवती को इस हालत में देख कर भी तुम ऐसे भाग रहे हो जैसे मैं मर्द हूं और तुम औरत और मैं तुम्हारे साथ रेप करने वाली हूं. सोचना छोड़ो और आओ आनंदलोक की सैर करो.’’

कहने के साथ ही रेखा ने दीपक की कमीज भी उतार दी. दीपक इज्जतदार था. वह सोच रहा था कि अगर कोई ऐसे वक्त पर यहां आ गया और उस ने रेखा के साथ बंद कमरे में देख लिया तो इज्जत का जनाजा निकल जाएगा.

दीपक जान छुड़ाने की कोशिश कर रहा था. वहीं रेखा कंवर उस के साथ शारीरिक संबंध बनाने को उतावली हो रही थी. दीपक के न…न करने पर भी रेखा नहीं मानी और उस ने दीपक को भी कपड़ों से मुक्त कर दिया.

दीपक समझ गया था कि वह गलत युवती के पास आ गया है. अब जान छुड़ानी है तो इस के साथ शारीरिक संबंध बनाने ही पडें़गे.

दीपक ने लोकलाज छोड़ कर रेखा कंवर को बांहों में भरा और बिस्तर पर आ गया. इस के बाद दोनों के तन एकदूसरे से रगड़ने लगे. सांसों का तूफान उठा और कमरे का तापमान बढ़ गया.

रेखा गोरी रंगत की सुंदर युवती थी. उस समय रेखा 29 वर्ष की और दीपक 50 साल का था. रेखा के तन में काफी देर बाद दीपक ने अपने तन की गरमी उड़ेल कर रेखा को चूमते हुए कहा, ‘‘सच में आनंदलोक की सैर करा दी. बड़ा मजा आया.’’

सुन कर रेखा मंदमंद मुसकरा कर बोली, ‘‘मुझे तो तुम से भी ज्यादा मजा आया. आज के बाद मैं जब भी फोन करूं या तुम्हारा मन हो फोन कर के आ जाना. दोनों इसी तरह खूब मौजमस्ती किया करेंगे. आज से हम दोनों दोस्त नहीं प्रेमी हैं.’’

सुन कर दीपक बोला, ‘‘मैं डर रहा था कि कोई आ जाएगा तो मेरी इज्जत चली जाएगी. आगे से हम पूरी सावधानी से प्रेमिल संबंध जारी रखेंगे डार्लिंग.’’

उस दिन दोनों ने शारीरिक संबंध बनाने के बाद एकदूजे से विदा ली. दीपक बहुत खुश था. उस ने कभी सोचा भी न था कि एक दिन हूर जैसी युवती उस पर इस तरह फिदा हो कर पके आम सी उस के पहलू में आ गिरेगी.

3 साल पहले शुरू हुआ यह शारीरिक संबंधों का खेल अकसर दीपक और रेखा दोहराने लगे. रेखा का जब मन होता, वह दीपक के मोबाइल पर फोन कर के उसे अपने जनरल स्टोर या घर पर बुला लेती. फिर दोनों रेखा के घर में बंद कमरे में कपड़ों से मुक्त हो कर एकदूजे में समा जाते.

अधेड़ उम्र में दीपक उस का ऐसा दीवाना हुआ कि वह रुपएपैसे से रेखा की दिल खोल कर मदद करने लगा. रेखा का बचपन से सपना था कि वह किसी अमीर युवक से शादी कर के मौजमस्ती की जिंदगी बिताए. मगर गरीब मातापिता के लिए जब रोटी का जुगाड़ करना ही मुश्किल था तो ऐसे में महत्त्वाकांक्षी बेटी के लिए धनवान युवक से शादी करना सपने जैसा था.

रेखा जब जवान हुई, तब उस के मातापिता ने उस के योग्य वर की खोज शुरू की. उन की मेहनत रंग लाई और रेखा कंवर की शादी नागौर जिले के मकराना थानांतर्गत गुणावती गांव के विक्रम सिंह के साथ आज से करीब 8-9 साल पहले हो गई थी.

रेखा कंवर दुलहन बन कर जब ससुराल पहुंची तो उस के सारे अरमान बिखर गए. जैसा स्मार्ट व धनवान जीवनसाथी रेखा को चाहिए था, विक्रम वैसा नहीं था.

विक्रम सिंह गरीब था. वह कच्चे घर में रहता था और मार्बल फैक्ट्री में मार्बल कटिंग का काम करता था. कहने का मतलब यह कि विक्रम सिंह मजदूरी कर के परिवार का पालनपोषण करता था.

रेखा ने अपनी किस्मत को कोसा और पति विक्रम सिंह के साथ किसी तरह जीवन गुजारने लगी. रेखा जब अपना कच्चा मकान देखती तो उसे बहुत दर्द होता. वह चाहती थी कि उस का मार्बल का पक्का मकान हो. घर में वे सब सुखसुविधाएं हों जो एक साधनसंपन्न व्यक्ति के घर में होती हैं.

जैसी सोच थी रेखा की, उसी के अनुसार वह योजना बना रही थी. रेखा अब तक यह समझ गई थी कि अगर वह पति के भरोसे बैठी रही तो उस की इच्छाएं अधूरी ही रहेंगी. विक्रम को मजदूरी के इतने पैसे मिलते थे कि उस से बड़ी मुश्किल से रोटी का ही जुगाड़ हो पाता था.

विक्रम और रेखा अपने संयुक्त परिवार से अलग हो कर कच्चा मकान बना कर रहने लगे. रेखा का ख्वाब था पैसों में खेलना और ऐशोआराम से जीवन जीना. जब उस के ख्वाब अधूरे ही रहे तो उस ने गुणावती गांव में फैंसी जनरल स्टोर व ब्यूटीपार्लर खोल लिया. इस से थोड़ी आर्थिक स्थिति जरूर सुधरी, मगर वह जैसा चाहती थी वैसा कुछ नहीं हुआ.

रेखा कंवर सोशल मीडिया पर एक्टिव रहती थी. उस ने सोशल मीडिया के जरिए दीपक से बात करनी शुरू की और फिर चंद मुलाकातों में ही रेखा जान गई कि अगर उस के ख्वाब पूरे होने हैं तो दीपक से दोस्ती करनी होगी.

दीपक से जानपहचान बढ़ा कर उसे तकलीफ में होने की बात कह कर गांव गुणावती बुला कर अपने घर में ले जा कर शारीरिक संबंध बना लिए. उस के बाद रेखा कंवर अकसर दीपक को फोन कर के अपने घर बुला कर शारीरिक संबंध बनाती थी.

दीपक सोचता था कि रेखा का दिल उस पर आया है, इस कारण वह उस से शारीरिक संबंध बनाती है. दीपक की रेखा से गहरी छनने लगी. रेखा जबतब बहाने बना कर उस से रुपए भी ऐंठती रहती थी.

रेखा ने अपने पति विक्रम सिंह और गांव के लोगों से दीपक का परिचय अपने धर्मभाई के रूप में कराया था. रेखा कहती थी कि दीपक उस का धर्मभाई है, जो सगे भाई से भी बढ़ कर है. वह रुपएपैसे से उस की मदद करता है.

रेखा जब पैसा घर लाती तब पति पूछता, ‘‘रेखा, ये रुपए कहां से आए?’’

सुन कर रेखा कहती, ‘‘दीपक भैया ने दिए हैं. वह कहते हैं कि मैं ऐश करूं और बहन मुसीबत में दिन गुजारे. यह उन्हें अच्छा नहीं लगता है. दीपक भैया हालचाल पूछते रहते हैं. हमारी आर्थिक स्थिति देख कर मेरे लाख मना करने के बाद भी कसम दिला कर रुपएपैसे देते हैं.’’

सुन कर बेचारा पति विक्रम इसे ही सच मान लेता था. उसे भनक तक नहीं लगी थी कि उस की बीवी दीपक के साथ क्या खेल कर रही है. वह समझता था कि दीपक अच्छाभला आदमी है.

पिछले साल रेखा कंवर ने अपना कच्चा घर तोड़ कर मार्बल का मकान बनवाना शुरू कर दिया था. तब भी रेखा ने विक्रम से कहा कि उस का धर्मभाई दीपक मकान बनाने में दिल खोल कर मदद कर रहा है.

विक्रम को और क्या चाहिए था. वह आंखें मूंद कर पत्नी पर विश्वास करता था. वहीं रेखा अपने पति से विश्वासघात कर रही थी. वह धर्मभाई बने दीपक की बांहों में झूला तो झूलती ही थी, विदेशी पोर्न फिल्मों की नायिका की तरह दीपक से कई पोजीशन में शारीरिक संबंध बना कर उस की तबीयत खुश कर देती थी.

दीपक पिछले काफी समय से चिंतित व गुमसुम सा रहने लगा था. उस के घर वालों ने पूछा भी कि वह गुमसुम सा क्यों लग रहा है. मगर दीपक यह कह देता कि मुझे किस बात की चिंता होगी. आप लोगों का वहम है.

मगर परिजन व मित्रों को लगता था कि दीपक डराडरा सा रहता है. उस के माथे पर चिंता की लकीरें स्पष्ट दिख रही थीं. वह 16 अप्रैल, 2022 के बाद से एकदम गुमसुम व चिंतित हो गया. उस की जीने की इच्छा खत्म हो गई थी. उस के मन में आत्महत्या करने के विचार आ रहे थे.

दीपक ने आत्महत्या करने की ठान ली. उस ने इस बात की चर्चा किसी से नहीं की. दीपक ने सुसाइड करने से पहले एक बार अपनी बहन से मिल कर आने के बाद सुसाइड करने का मन में पक्का विचार कर लिया.

वह 22 अप्रैल, 2022 को मकराना से अपनी बहन से मिलने जयपुर पहुंचा. बहन ने भाई की हालत व गुमसुम सा देखा. तब उस ने पूछा, ‘‘क्या बात है भाईसाहब, आप बहुत दुखी लग रहे हैं. जो भी बात हो कह दो. शायद मैं कुछ मदद कर सकूं.’’

सुन कर दीपक सुबकने लगा. बहन ने सांत्वना दे कर चुप कराया. तब दीपक बोला, ‘‘मुझे एक औरत और 2 आदमी मिल कर हनीट्रैप में फंसा कर ब्लैकमेल कर रहे हैं. उन लोगों ने मुझ से 31 लाख रुपए ले लिए हैं. एक हफ्ते पहले उन लोगों ने मेरा उस महिला के साथ अश्लील वीडियो भेज कर 50 लाख रुपए मांगे हैं. रुपए नहीं देने पर अश्लील वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल करने की धमकी दे रहे हैं. मैं उन के जाल में बुरी तरह फंस गया हूं. मैं रुपए दूंगा तब वे और डिमांड करेंगे और नहीं दूंगा तो वे लोग वीडियो वायरल कर देंगे. इज्जत जाए उस से पहले मैं सुसाइड कर रहा हूं.’’

सुन कर बहन बोली, ‘‘वह औरत कौन है उस के साथ जो 2 लोग हैं, वे कौन हैं?’’

इस के बाद दीपक ने रेखा कंवर से मिलने के बाद से अब तक की पूरी कहानी विस्तार से सुना दी. सुन कर बहन बोली, ‘‘योजना के तहत रेखा ने तकलीफ में होने का नाटक कर तुम्हें घर बुलाया. इस के बाद कमरे का दरवाजा बंद कर कपड़े उतार कर तुम्हें डराधमका कर शारीरिक संबंध बनाए. उस की वीडियो बना ली ताकि भविष्य में तुम्हें ब्लैकमेल कर के रुपए ऐंठ सके. तुम मेरे साथ मकराना थाने चलो. वहां हम रिपोर्ट कर के इस गैंग को गिरफ्तार करा देंगे.’’

दीपक ने भी थाने जा कर रिपोर्ट दर्ज कराने का मन बना लिया. दोनों भाईबहन 24 अप्रैल, 2022 को मकराना थाने पहुंच गए और थानाप्रभारी प्रमोद कुमार शर्मा को सारी बात बता दी. इस के बाद रेखा कंवर, विक्रम सिंह और शैतान सिंह के खिलाफ हनीट्रैप में फंसा कर ब्लैकमेल करने की रिपोर्ट दर्ज करा दी.

थानाप्रभारी प्रमोद कुमार शर्मा को दीपक ने बताया कि रेखा ने उस के अश्लील वीडियो बना रखे थे. इस के बाद उस ने वीडियो शेयर करने की धमकी दे कर 8 लाख रुपए ले लिए. डेढ़ महीने पहले वह रेखा के पास गया तो वहां पहले से रेखा कंवर का भांजा शैतान सिंह व विक्रम सिंह मौजूद था. दोनों ने उन के पुराने वीडियो दिखा कर दबाव बनाया और रेखा से फिर से संबंध बनाने को कहा. इस का भी उस ने वीडियो बना लिया.

दीपक ने बताया कि 10 दिन पहले शैतान सिंह ने उस के मोबाइल पर वह वीडियो भेज कर धमकाया और 23 लाख रुपए ले लिए. इस के बाद वे 50 लाख रुपए देने का दबाव बनाने लगे.

23 लाख रुपए लेने के बाद शैतान सिंह ने अप्रैल के दूसरे हफ्ते में उसे धमकाया कि मामला निपटाना है तो 50 लाख रुपए लगेंगे. रुपए नहीं देने पर उस ने वीडियो वायरल करने की धमकी दी.

थानाप्रभारी प्रमोद कुमार शर्मा ने मामला दर्ज करने के बाद काररवाई करते हुए उसी दिन 24 अप्रैल, 2022 को रेखा कंवर, विक्रम सिंह व शैतान सिंह को कस्टडी में ले लिया. तीनों आरोपियों को थाने ला कर पूछताछ की.

पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने जुर्म कुबूल कर लिया. मार्बल व्यापारी दीपक को हनीट्रैप में फंसाने वाली रेखा लग्जरी लाइफ जीना चाहती थी. पति महंगे शौक पूरे नहीं कर पा रहा था. वह चाहती थी कि उस का एक आलीशान घर हो.

इस बीच दीपक के संपर्क में आई. दोनों के बीच 3 साल से रिलेशन थे लेकिन बढ़ते लालच के चलते वह व्यापारी से 50 लाख रुपए मांगने लगी, जिस से ये सारी कहानी सामने आ गई.

नागौर एसपी राममूर्ति जोशी, कुचामन सिटी एएसपी गशेराम के सुपरविजन में डीएसपी मकराना रविराज सिंह और थानाप्रभारी प्रमोद कुमार शर्मा की टीम ने आरोपी रेखा कंवर, शैतान सिंह और विक्रम सिंह को गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस ने आरोपियों के मोबाइल जब्त कर जांच के लिए भेज दिए. खैर, जो भी हो रेखा का लालच उसे ले डूबा. पूछताछ पूरी कर तीनों आरोपियों को कोर्ट में पेश कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.द्य

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित.

कथा में दीपक नाम परिवर्तित है.

बिछड़ा राही प्यार का : समीर के प्यार को क्यों ठुकरा दिया – भाग 4

‘‘नाई हैं हम साहब. गुलफ्शा को मैं ने अपने बारे में सब बता रखा था. वह मुझे पसंद करती थी, उस ने कभी मेरी जाति को ले कर सवाल नहीं किया. लेकिन उस के घर वाले इस निकाह के सख्त खिलाफ थे. वे नहीं चाहते थे कि गुलफ्शा मुझ से मिले.

‘‘उस के भाई तौहीद ने मुझे गुलफ्शा के साथ मिलते 2-3 बार देखा था. उस ने मेरे सामने गुलफ्शा को पीटा था और मुझे भी 2-3 थप्पड़ जड़ दिए थे. मुझे वह धमकी भी देता था कि अगर मैं ने गुलफ्शा का पीछा नहीं छोड़ा तो वह मुझे जान से मार देगा.’’

‘‘कल तुम गुलफ्शा से मिले थे?’’ श्री राठी ने पूछा.

‘‘हां, गुलफ्शा ने मुझे फोन कर के यहां इसलामपुर के एक रेस्टोरेंट में बुलाया था. वह बहुत परेशान और टेंशन में थी. उस ने मुझे बताया था कि उस के लिए अब्बूअम्मी ने एक लड़का देखा है जिस से उस के निकाह की बात चल रही है. लेकिन वह यह निकाह नहीं करेगी, वह मुझ पर दबाव बना रही थी कि मैं उसे ले कर भाग चलूं.

‘‘लेकिन सर, मैं इस के लिए तैयार नहीं था. मैं ने गुलफ्शा को प्यार से समझाया कि हम निकाह करेंगे. भाग कर नहीं बल्कि समाज के सामने. मेरे समझाने पर गुलफ्शा खुशीखुशी घर लौट गई थी. लेकिन सर रात में कोई… और कोई क्यों सर, उस के घर वालों ने ही उसे मार डाला. उस की जान ले ली.’’

समीर फिर सुबकने लगा. श्री राठी ने उस के कंधे पर प्यार से हाथ रखा, ‘‘यानी तुम्हारा गुलफ्शा की हत्या में कोई हाथ नहीं है?’’

‘‘मुझ से कैसी भी कसम ले लीजिए सर. मैं अपनी गुलफ्शा, जिसे मैं ने टूट कर चाहा, जिस के लिए सुनहरे सपने बुने, मैं उसे क्यों मार डालूंगा. उस की मौत ने तो मुझे अंदर तक तोड़ कर रख दिया है. मैं अब गुलफ्शा के बगैर कैसे जी पाऊंगा.’’ समीर फफक कर रोते हुए बोला.

‘‘गुलफ्शा से कैसे पहचान हुई थी समीर?’’ अनंगपाल ने प्रश्न किया.

‘‘मैं ने सब से पहले उसे इसलामपुर के बड़े बाजार में उस की सहेली के साथ देखा था. वह कोई सूट खरीदना चाह रही थी. मैं भी अपनी बहन के लिए सूट खरीदने आया था.

‘‘मैं ईद पर अपनी बहन को कीमती सूट देना चाहता था. मुझे जो सूट पसंद आया था, वही सूट गुलफ्शा को भी पसंद था लेकिन उस सूट का दुकानदार के पास एक ही पीस था.

‘‘गुलफ्शा ने मुझ से रिक्वेस्ट की कि मैं यह सूट उसे खरीदने दूं. मैं ने उस की बात मान ली और गुलफ्शा को वह सूट खरीदने दिया.

‘‘वहीं से वह मेरी ओर आकर्षित हुई थी. उस ने मेरा नाम और मोबाइल नंबर ले लिया. इस के बाद वह मुझ से फोन पर बातें करने लगी.

‘‘धीरेधीरे हमारी ये बातें मुलाकातों में बदल गईं. हम एकदूसरे से मोहब्बत करने लगे. करीब 2 साल से हमारी मोहब्बत गहरी और गहरी होती चली गई. लेकिन आप ने गुलफ्शा की हत्या की खबर सुना दी…’’

कमरे में गहरी खामोशी छा गई. अनंगपाल ही नहीं, एसएचओ खारी और अन्य एसआई यह मान चुके थे कि समीर ने गुलफ्शा को नहीं मारा. लेकिन अभी असली हत्यारा कानून की पकड़ से दूर था, इसलिए समीर को शक का लाभ नहीं दिया जा सकता था.

समीर के पिता शौकत सलमानी अपने रिश्तेदारों के साथ थाना कोतवाली आ गए थे. उन का भी यही कहना था कि समीर गुलफ्शा को सच्ची मोहब्बत करता था, उस ने उस से निकाह करने की बात उन्हें बता दी थी.

वह गुलफ्शा के घर बेटे का रिश्ता ले कर गए थे, लेकिन लड़की के भाई तौहीद ने सख्ती से यह रिश्ता ठुकराते हुए कहा था कि हम समीर को समझा दें कि वह गुलफ्शा से न मिले, वरना अंजाम बुरा होगा.

हम ने समीर को बहुत समझाया, लेकिन यह अपनी जिद पर अड़ा रहा. परिणाम गुलफ्शा को उस के भाई ने अपनी झूठी शान के लिए मार डाला. साहब, आप तौहीद को पकडि़ए, सब हकीकत सामने आ जाएगी.

शाम तक समीर को थाने में बिठाया गया. शाम को गुलफ्शा की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई, जिस में उस की हत्या का कारण गला घोटना बताया गया. उसे 2 नवंबर की रात 12 बजे से 3 बजे के बीच मारा गया था.

समीर इस वक्त घर में सोया हुआ था. उस की फोन की लोकेशन ट्रेस करने से भी पता चला कि उस का फोन रात में डासना क्षेत्र में ही था.

अब तक विनेश और सुरेंद्रपाल भी नन्हे के पड़ोसियों से पूछताछ कर के लौट आए थे. पड़ोसियों द्वारा बताया गया था कि तौहीद गुलफ्शा से मारपीट करता था. रात को भी उस ने गुलफ्शा को पीटा था. गुलफ्शा और समीर से मोहब्बत के कारण तौहीद की समाज में बदनामी हो रही थी. संभव है गुलफ्शा को उसी ने मारा हो.

एसएचओ और एसआई अनंगपाल ने सलाहमशविरा करने के बाद नन्हे के घर दबिश दी. तौहीद और मोहिद घर में ही मिल गए. लेकिन नन्हे और शमशीदा घर से फरार हो गए थे. तौहीद और मोहिद को थाने में ला कर सख्ती से पूछताछ की गई तो तौहीद टूट गया.

उस ने बेहिचक स्वीकार कर लिया कि अपनी इज्जत की खातिर उस ने अपने भाई और अम्मी के साथ मिल कर गुलफ्शा की पिटाई की और फिर तकिए से उस का मुंह दबा कर उस का गला घोट दिया. उस की लाश बाहर बरामदे में ला कर तौहीद ने ही डाली और घर का मुख्य दरवाजा भी भीतर से खोल दिया.

तौहीद का कहना था कि शाम को गुलफ्शा समीर से मिलने गई थी और घर आ कर उस से निकाह करने की जिद कर रही थी. तब गुस्से में आ कर उस ने यह कदम उठाया. ऐसी बहन को मार कर वह फांसी पर चढ़ने को तैयार है.

तौहीद के कुबूलनामे के बाद दफा 302 और 34 आईपीसी के तहत उस के साथ मोहिद को भी विधिवत गिरफ्तार कर के न्यायालय में पेश कर के जिला जेल भेज दिया गया.

फरार शमशीदा की तलाश में कथा लिखे जाने तक छापेमारी की जा रही थी. वह पुलिस के हाथ नहीं आई थी. इस मामले में नन्हे बेगुनाह था, उस के खिलाफ कोई काररवाई नहीं की गई, लेकिन वह अपनी बीवी के साथ खुद भी भूमिगत हो गया था, इसलिए उसे भी तलाशना आवश्यक हो गया था.    द्य

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

पहली मोहब्बत का जलजला

6 मई, 2022 की सुबह 10 बजे मुरादाबाद के थाना सिविल लाइंस के थानाप्रभारी रविंद्र प्रताप सिंह रोजाना की भांति अपने औफिस में बैठे कामकाज देख रहे थे. उन्हें औफिस के बाहर किसी महिला के रोने की आवाज आई तो उन्होंने घंटी बजा कर पहरे पर तैनात सिपाही को बुला कर पूछा कि कौन रो रहा है.

सिपाही ने बताया कि साहब गांव मेहलकपुर से एक महिला आई है कह रही है कल से उस का आदमी गायब है. उस का फोन भी नहीं लग रहा है. थानाप्रभारी रविंद्र प्रताप सिंह ने सिपाही से कहा कि महिला को अंदर भेजो.

महिला ने थानाप्रभारी को बताया, ‘‘साहब, मेरा नाम गीता उर्फ कुसुम पाल है. मैं मेहलकपुर में रहती हूं. मेरे पति निपेंद्र कल अकेले ही गिरिजा देवी मंदिर, जोकि रामनगर उत्तराखंड में है, घूमने गए थे.’’

‘‘जब घूमने गए थे तो तुम्हें साथ क्यों नहीं ले गए?’’ थानाप्रभारी ने पूछा.

‘‘साहब, दरअसल बात यह है कि मेरा 11 साल का एक बेटा बिराज है, जो मुरादाबाद के कांठ रोड पर स्थित कौन्वेंट स्कूल में पढ़ता है. स्कूल से लाने ले जाने के कारण मैं उन के साथ नहीं जा सकती थी.’’ महिला ने बताया.

थानाप्रभारी ने गीता से कहा, ‘‘देखो, तुम अपने रिश्तेदारों से मालूम करो कि वह रिश्तेदारी में तो कहीं नहीं है.

अगले दिन तक निपेंद्र घर नहीं लौटा तो गीता घर के कुछ लोगों के साथ एसएसपी हेमंत कुटियाल के पास पहुंची और पति निपेंद्र के गुम होने की बात बताई. एसएसपी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एसपी (सिटी) अखिलेश भदौरिया को निर्देश दिए.

कप्तान का निर्देश मिलते ही एसपी (सिटी) अखिलेश भदौरिया थाना सिविल लाइंस पहुंच गए. उन्होंने थानाप्रभारी रविंद्र प्रताप सिंह से गीता के पति निपेंद्र की गुमशुदगी दर्ज करवा दी.

एसपी (सिटी) ने सीओ आशुतोष तिवारी को अपनी निगरानी में इस मामले की जांच करने के निर्देश दिए. सीओ आशुतोष तिवारी ने एक दिन पहले ही अपना कार्यभार ग्रहण किया था. निपेंद्र के लापता होने के मामले में एसपी (सिटी) अखिलेश भदौरिया को पता चला कि मामला गंभीर है. इसलिए उन्होंने निपेंद्र के घर वालों को औफिस बुलाया.

8 मई, 2022 को निपेंद्र की मां कुशमेश देवी व छोटा भाई पविंदर कुमार एसपी (सिटी) के पास पहुंच गए. उन्होंने बताया कि साहब, हमें निपेंद्र के लापता होने का शक उस की पत्नी गीता उर्फ कुसुम पाल पर ही है. उस के अवैध संबंध शादी से पहले गांव मेहलकपुर मायके में नीरज नाम के युवक से थे. यह जानकारी मिलते ही एसपी (सिटी) अखिलेश भदौरिया ने थाना प्रभारी रविंद्र प्रताप सिंह को गीता और नीरज के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर गीता उर्फ कुसुम पाल व नीरज को गिरफ्तार करने को कहा.

थानाप्रभारी रविंद्र प्रताप सिंह भी हरकत में आ गए. वह टीम के सहयोग से गीता और नीरज को हिरासत में ले कर थाने लौट आए. उन्होंने गहनता से दोनों से पूछताछ की.

वह दोनों अपने को निर्दोष बताते रहे. तब पुलिस ने दोनों के मोबाइल नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई तो दोनों के बीच घंटों तक बात करने का ब्यौरा मिला.

5 मई, 2022 को निपेंद्र गायब हुआ था. उसी रात 12 बजे नीरज की काल गीता उर्फ कुसुम पाल के मोबाइल पर आई थी. पुलिस ने गीता से पूछा कि रात में नीरज ने क्या बात की थी, हमारे पास तुम्हारे द्वारा बात करने की सारी रिकौर्डिंग है. तुम दोनों में क्या बात हुई, हमें मालूम है.’’

इतना सुनते ही दोनों घबरा गए. उन्हांने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया. दोनों ने जो कुछ बताया एसपी (सिटी) व अन्य पुलिसकर्मियों के भी होश उड़ गए.

नीरज ने बताया, ‘‘साहब, निपेंद्र अब इस दुनिया में नहीं है. मैं ने व मेरे साथ 2 अन्य साथियों ने उस की हत्या कर लाश को जिम कार्बेट नैशनल पार्क के जगंल में फेंक दिया.

निपेंद्र की हत्या की बात सुन कर पुलिस भी चौंक गई. नीरज और गीता से पूछताछ करने के बाद निपेंद्र की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली—

जिला बिजनौर के कस्बा धामपुर टीचर कालोनी निवासी निपेंद्र की शादी गीता उर्फ कुसुम पाल निवासी गांव मेहलकपर निजामपुर, थाना सिविल लाइंस मुरादाबाद के साथ हुई थी.

मृतक निपेंद्र के पिता सुरेश पाल सिंह सिंचाई विभाग में उच्च पद पर कार्यरत थे. इन की पत्नी कुशमेश पाल है. सुरेश पाल सिंह के 2 बेटे थे. बड़े बेटे का नाम निपेंद्र पाल छोटे बेटे का नाम परविंदर था.

निपेंद्र पाल की शादी के साल भर बाद बेटा पैदा हुआ था. जिस का नाम बिराज रखा था. कुछ साल पहले सुरेश पाल सिंह का निधन हो गया था. मृत्यु के समय सुरेश पाल सिंह सर्विस में थे. मृत्यु के बाद उन की नौकरी कंपनसेशन ग्राउंड पर उन के बेटे परविंदर को मिल गई.

पिता सुरेश पाल सिंह को जो पैसा मिला, उस का बड़ा  बेटा निपेंद्र हकदार होगा. पिता सुरेश पाल सिंह के विभाग से 25 लाख रुपए मिले जो निपेंद्र को मिले. वह पैसे उस ने अपनी पत्नी गीता उर्फ कुसुम पाल के खाते में डलवा दिए थे.

गीता उर्फ कुसुम पाल अधिकतर समय अपने मायके मेहलकपुर, मुरादाबाद में ही बिताती थी. गीता की मां ने उस के लिए गांव मेहलकपुर में ही नया मकान बनवा कर दिया था, जिस में वह रहती थी.

गीता व उस की 4 बहनों के नाम 120 बीघा जमीन थी. गीता ही उसे जोतवा रही थी. मृतक निपेंद्र इंटर पास था,जबकि गीता बीएससी पास थी. निपेंद्र बेरोजगार था.

घटना से करीब 2 महीने पहले निपेंद्र धामपुर, बिजनौर से गांव मेहलकपुर में स्थित अपनी ससुराल में आ कर रहने लगा था. गीता ने अपनी व बहनों की 120 बीघा जमीन मेहलकपुर गांव के ही नीरज को बंटाई पर दे दी थी. जिस कारण नीरज गीता के घर आनेजाने लगा था. तभी उस के संबंध गीता से हो गए थे.

जब निपेंद्र मेहलकपुर गांव आया था, तब उस को खेत बंटाईदार नीरज व गीता के संबंधों का पता चला. निपेंद्र ने पत्नी गीता को बहुत समझाया कि गांव में मुझे तरहतरह की बातें सुननी पड़ रही हैं.

गीता ने कहा कि गांव वाले मुझ से रंजिश रखते हैं मुझे पहले भी तथा अब भी बदनाम करने से नहीं चूकते हैं. इस बात को ले कर निपेंद्र का पत्नी से आए दिन झगड़ा होने लगा था.

निपेंद्र ने अब ज्यादा ही शराब पीनी शुरू कर दी थी. अकसर निपेंद्र का नीरज को ले कर झगड़ा होता था कि वह घर क्यों आता है.

निपेंद्र अकसर खोयाखोया और उदास सा रहने लगा था. निपेंद्र जब शराब पी कर घर आता था तो गीता से मारपीट करने लगा था. उधर निपेंद्र के वहां रहने की वजह से नीरज व गीता की हसरतें पूरी नहीं हो पा रही थीं.

निपेंद्र हमेशा यही सोचता रहता था कि मैं ने बहुत बड़ी गलती कर दी जो पिता के मिले 25 लाख रुपए गीता के खाते में जमा कर दिए.

नीरज गीता का पहला प्यार था. शादी के बाद भी गीता नीरज को भूली नहीं थी. शादी के बाद भी नीरज का धामपुर अकसर आनाजाना था. निपेंद्र नीरज और गीता के संबंधों से बिलकुल अनभिज्ञ था. जब वह 2 महीने पहले मेहलकपुर आया तो इन संबंधों का पता चला था. नीरज जब भी गीता के घर आता तो गीता नीरज की बहुत आवभगत करती थी. निपेंद्र मन मसोस कर रह जाता था.

निपेंद्र के ससुराल में रहने की वजह से नीरज व गीता का मिलनाजुलना बिलकुल बंद हो गया था. नीरज व गीता अपनी हसरतें पूरी नहीं कर पाते थे.

घर में आए दिन होने वाले झगड़ों से निजात पाने के लिए नीरज व गीता ने एक खतरनाक योजना बना डाली. इस योजना में नीरज ने अपने चचेरे भाई मिथुन व भतीजे सौरभ को भी शामिल कर लिया था.

योजना के अनुसार 5 मई, 2022 की शाम 5 बजे निपेंद्र पेपर मिल चौराहे से घर का सामान लेने के लिए निकला, तभी गीता ने अपने प्रेमी नीरज को फोन किया कि निपेंद्र शराब पीने के लिए ठेके पर जाने के लिए निकला है. इस के बाद नीरज अपने 2 साथियों के साथ स्कौर्पियो कार से निकला. रास्ते में उसे निपेंद्र मिला गया.

नीरज ने गाड़ी रोक कर पूछा, ‘‘जीजा कहां जा रहे हो? आओ, हम तुम्हें बाजार तक छोड़ देंगे.’’

निपेंद्र गाड़ी में बैठ गया था.

‘‘क्या लेने जा रहे हो दारू?’’ नीरज बोला.

‘‘नहीं, मैं घर का सामान लेने निकला था.’’ निपेंद्र ने बताया.

निपेंद्र गाड़ी को शराब के ठेके के पास ले गया तभी नीरज का चचेरा भाई मिथुन भाग कर ठेके से एक बोतल शराब, 4 गिलास, पानी की एक बोतल, नमकीन, सिगरेट की डब्बी, पान मसाला ले कर आ गया था.

नीरज बोला, ‘‘यहां चौराहे पर पुलिस रहती है क्यों न चड्ढा पुल के आगे वहीं एकांत में गाड़ी खड़ी कर आराम से पिएंगे. चड्ढा पुल से हो कर रामनगर, उत्तराखंड के लिए रास्ता है. चारों ने गाड़ी में बैठ कर शराब पी.

ज्यादा शराब निपेंद्र को दी. जब निपेंद्र नशे में हो गया तो नीरज गाड़ी को रामनगर से ऊपर पर्यटनस्थल गिर्जिया देवी मंदिर से 7 किलोमीटर दूर वन विभाग की मुहान चौकी के पास जिम कार्बेट नैशनल पार्क के जंगल में ले गया.

वहां तीनों ने मिल कर निपेंद्र की गला घोट कर हत्या कर दी. जब तीनों ने यह देख लिया कि निपेंद्र मर चुका है तो उन्होंने उस की लाश गहरी खाई में फेंक दी.

निपेंद्र को ठिकाने लगाने के बाद नीरज ने 5 मई, 2022 की रात करीब 12 बजे अपनी प्रेमिका गीता को बता दिया कि काम हो गया है.

इतना सुनते ही गीता खुशी से झूम उठी. फोन को चूम कर बोली, ‘‘आई लव यू.’’

उस के बाद रात में ही तीनों अपने गांव मेहलकपुर आ गए थे. नीरज अपने घर न जा कर आम के बाग में रखवाली करने वाले चौकीदार की झोपड़ी में जा कर सो गया था.

योजना के मुताबिक, गीता उर्फ कुसुम पाल 6 मई, 2022 की सुबह 10 बजे अपने पति निपेंद्र की गुमशुदगी दर्ज करवाने थाना सिविल लाइंस पहुंच गई और थानाप्रभारी को पति के गायब होने की सूचना दी.

अब मुरादाबाद पुलिस को निपेंद्र की लाश बरामद करनी थी. लिहाजा पुलिस उसे ले कर रामनगर पहुंची. नीरज पुलिस को जगहजगह घुमाता रहा. गहरी खाइयां थीं. नीचे जंगली जानवरों का डर.

जिम कार्बेट नैशनल पार्क की वन विभाग की पुलिस ने भी मुरादाबाद पुलिस को सहयोग किया. निपेंद्र का शव बरामद कराने के लिए नीरज पुलिस को कभी इधर तो कभी उधर घुमाता रहा लेकिन उस का शव बरामद नहीं हो सका था.

हार कर पुलिस ने अभियुक्त नीरज व उस की प्रेमिका गीता उर्फ कुसुम पाल को 13 मई, 2022 को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. पुलिस ने निपेंद्र की हत्या में शामिल 2 अभियुक्तों मिथुन व सौरभ को भी 14 मई, 2022 को गिरफ्तार कर लिया. उन्होंने भी निपेंद्र की हत्या में साथ देने का अपराध स्वीकार कर लिया. निपेंद्र का शव बरामद करने के लिए पुलिस इन दोनों अभियुक्तों को भी रामनगर ले गई.

सौरभ और मिथुन की निशानदेही पर पुलिस ने उस जगह को ढूंढ निकाला, जहां पर निपेंद्र की हत्या कर लाश फेंकी गई थी. वहां से मुरादाबाद पुलिस ने ऊंची पहाड़ी के नीचे जा कर मृतक निपेंद्र का मोबाइल फोन, खून से सनी पैंट,

लाल शर्ट, उस की एक चप्पल, पत्थरों पर लगे बाल, अभियुक्त नीरज की दोनों चप्पलें, हत्या में प्रयुक्त स्कौर्पियो कार बरामद की.

मृतक निपेंद्र की लाश को जंगली जानवर खा गए थे. वह इलाका जंगली जानवरों का है. 10 दिन से पड़ी लाश जंगली जानवरों का निवाला बन चुकी थी. जो कपडे़ मिले थे, उन में जंगली जानवरों के दांतों के निशान (छेद) मिले थे. इससे लगा कि लाश जंगली जानवर खा चुके थे.

हत्या की आरोपी गीता उर्फ कुसुम पाल ने अपने पति निपेंद्र की हत्या के बाद अभियुक्त प्रेमी नीरज से दूसरी शादी का प्लान तैयार किया था. जो कशिश प्रेमी नीरज में थी, वह पति निपेंद्र में नहीं मिली. क्योंकि गीता के संबंध नीरज से शादी से पहले से थे.

नीरज गीता का पहला प्यार था. शादी के बाद भी वह नीरज को भुला नहीं पाई थी. वैसे प्रेमी नीरज भी शादीशुदा था. प्रेमी नीरज को यह भी पता था कि गीता के पास काफी बड़ी प्रौपर्टी है.

पुलिस ने मृतक निपेंद्र की हत्या में 2 अन्य अभियुक्तों मिथुन व सौरभ को 15 मई, 2022 को जेल भेज दिया था. पुलिस ने मृतक निपेंद्र के 11 साल के बेटे बिराज को उस की मौसी को सौंप दिया था. कथा लिखने तक उस की देखभाल मौसी कर रही थी.      द्य

अमिता और उसके प्रेमी का गुनाह

वह 10 मई 2022 की आधी रात थी. उस समय रात के 2 बज रहे थे. उस समय सोनी नेगी गहरी नींद में सो रही थी. अचानक उसे लगा कि कोई जोरजोर से उस के बैडरूम का दरवाजा खटखटा रहा है. तभी वह बैड पर उठ कर बैठ गई थी तथा उस ने पास में ही सो रहे अपने पति जितेंद्र को भी जगा दिया था.

इस के बाद सोनी बाहर दरवाजे से आ रही आवाज को सुनने लगी. सोनी ने आवाज को पहचान लिया था. वह आवाज उस की जेठानी अमिता की थी. पहले तो सोनी ने सोचा कि अमिता बेवक्त उस के बैडरूम का दरवाजा क्यों खटखटा रही है? मगर उस ने फिर भी किसी अनहोनी की आशंका के चलते दरवाजा खोल दिया था.

जैसे ही सोनी ने दरवाजा खोला तो अचानक अमिता उस के कमरे में बदहवास सी घुस आई और जल्दी में उस ने बताया, ‘‘सोनी तुम्हारे जेठजी रात को अच्छेभले खाना खा कर और शराब पी कर सोए थे, मगर अब न जाने उन्हें क्या हो गया है कि उन का शरीर सुन्न हो गया है. लगता है कि उन्हें हार्टअटैक आ गया है.’’

अमिता के मुंह से यह बात सुन कर सोनी व उस का पति जितेंद्र अमिता के बैडरूम में पहुंचे, जहां पर अमिता का पति दीपक बेसुध सा लेटा था. सोनी ने देखा कि दीपक के शरीर में कोई हलचल नहीं थी तथा उस के चेहरे व शरीर के कुछ हिस्सों पर मामूली चोटों के निशान भी थे. चोट के निशान देख कर सोनी को कुछ शक भी हुआ था.

दीपक के शरीर पर लगी चोटों के बारे में जब जितेंद्र व सोनी ने अपनी भाभी अमिता से पूछा तो अमिता उन्हें कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाई थी, बल्कि वह जल्दी से जल्दी बेसुध पड़े दीपक को पास के अस्पताल में ले जाने की जिद करने लगी.

दीपक की हालत देख कर जितेंद्र व सोनी को शक हो रहा था, मगर वे जल्दी ही दीपक को ले कर अस्पताल जाने की तैयारी करने लगे.

यह घटना देहरादून के थाना रायवाला अंतर्गत खांडगांव की है. खांडगांव से ऋषिकेश का एम्स अस्पताल मात्र 18 किलोमीटर दूर है. तभी आननफानन में जितेंद्र, अमिता व सोनी, दीपक को उपचार हेतु एम्स ले कर पहुंचे थे. एम्स के चिकित्सकों ने 34 वर्षीय दीपक को देख कर मृत घोषित कर दिया.

दीपक के शरीर पर लगी कुछ चोटों व गले में लगे कुछ निशानों को देख कर डाक्टरों को संदेह हो गया था तथा उन्होंने इस की सूचना रायवाला थाने को दे दी थी. उस वक्त रायवाला के थानाप्रभारी भुवनचंद पुजारी छुट्टी पर थे, अत: थानेदार धनंजय सिंह को एम्स में भेजा गया.

एम्स पहुंच कर जब थानेदार धनंजय ने दीपक के शव का निरीक्षण किया और दीपक की मौत के बारे में उस के घर वालों से जानकारी ली तो धनंजय को भी शक हो गया. इस के बाद थानेदार धनंजय ने दीपक के शव का पंचनामा भर कर उसे पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दिया था.

इसी प्रकार 4 दिन बीत गए थे. 15 मई, 2022 को रायवाला के थानाप्रभारी भुवनचंद पुजारी छुट्टी से लौट आए थे. जब उन्हें खांडगाव निवासी दीपक की संदिग्ध मौत के बारे में जानकारी हुई तो उन्होंने इस घटना का हर पहलू से अवलोकन किया. उन्हें यह मामला कुछ अटपटा सा लगा था.

अटपटा इसलिए लगा था कि पत्नी हार्ट अटैक के कारण पति की मौत होना बता रही थी, जबकि पति के शरीर पर कई जगह चोटों के निशान भी थे. इस के अलावा दीपक की मौत से पहले उस की नाक से खून निकल रहा था. पुजारी को यह मामला हत्या का लग रहा था. पुजारी यह जानना चाहते थे कि यदि दीपक की हत्या हुई है तो किस ने और क्यों की?

अभी पुजारी इसी कशमकश में ही उलझे थे कि उन्होंने सोचा कि दीपक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट तो बाद में ही आएगी, इस से पहले क्यों न इस मामले की सच्चाई का पता लगाया जाए. इस के लिए सब से पहले पुजारी ने देहरादून की एसओजी (ग्रामीण) के कांस्टेबल नवनीत राणा से संपर्क किया था तथा उसे जल्दी ही अमिता के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स उपलब्ध कराने को कहा.

इस के अलावा थानाप्रभारी ने दूसरा काम यह किया था कि उन्होंने रायवाला थाने के थानेदार नीरज त्यागी व सिपाहियों दिनेश महर व प्रदीप गिरी को सादे कपड़ों में खांडगांव भेजा और उन्होंने उन्हें गांव में घूम कर गांव वालों से दीपक व अमिता की आम शोहरत की जानकारी करने को कहा था.

थानाप्रभारी भुवनचंद पुजारी की यह योजना काफी सफल रही. 2 दिन के बाद पुजारी को अमिता के मोबाइल की काल डिटेल्स प्राप्त हो गई थी. काल डिटेल्स की जानकारी के अनुसार अमिता अकसर सतेंद्र नेगी नामक व्यक्ति से काफी काफी देर तक बातें करती रहती थी.

इस के अलावा उन्हें अमिता और सतेंद्र की मोबाइल बातचीत की रिकौर्डिंग भी मिल गई. उन्होंने जब रिकौर्डिंग को सुना तो अमिता खुद ही संदेह के दायरे में आ गई.

उधर खांडगांव से लौट कर थानेदार नीरज त्यागी ने जो जानकारी थानाप्रभारी पुजारी को दी थी, उसे जान कर पुजारी को संदेह ही नहीं, बल्कि पूरा विश्वास हो गया कि दीपक नेगी की हत्या में उस की पत्नी अमिता का हाथ जरूर है.

नीरज त्यागी ने उन्हें बताया कि खांडगांव में रहने वाले दीपक नेगी व अमिता के 2 बच्चे हैं. दीपक द्वारा गांव में छोटामोटा ठेका ले कर घर का खर्च चलाया जाता है. दिसंबर 2021 से दीपक के मकान का का काम चल रहा है. यह निर्माण कार्य पूर्व सैनिक ठेकेदार सतेंद्र नेगी निवासी मोहल्ला श्यामपुर ऋषिकेश की देखरेख में चलाया जा रहा है.

दीपक नेगी शराबी प्रवृत्ति का था. दीपक ने अपने मकान का ठेका सतेंद्र नेगी को 31 लाख रुपए में दिया था. निर्माण का कार्य अभी तक चल रहा है. गत कई महीनों से ठेकेदार सतेंद्र नेगी व अमिता की अतरंगता काफी बढ़ गई थी. ठेकेदार सतेंद्र नेगी वक्तबेवक्त दीपक के घर में अकसर आताजाता रहता है.

सतेंद्र द्वारा दीपक की गैरमौजूदगी में अकसर उस के घर जाने से तथा दीपक की पत्नी अमिता से अकेले में बातचीत करने के कारण, दीपक के छोटे भाई जितेंद्र व उस की पत्नी सोनी सहित मोहल्ले वालों को भी अमिता के चरित्र पर संदेह था. अमिता का पति दीपक भी अमिता को ठेकेदार सतेंद्र से अकसर दूरी बनाने के लिए कहता रहता था.

थानाप्रभारी भुवनचंद पुजारी ने थानेदार नीरज त्यागी के इस कथन को गंभीरता से लिया. ये सब जानकारियां होने के बाद पुजारी ने दीपक की मौत के मामले में एसएसपी जन्मेजय खंडूरी से इस बाबत विचारविमर्श किया था तथा इस प्रकरण में उन का निर्देशन मांगा था.

श्री खंडूरी ने दीपक की मौत के प्रकरण में उस की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद सतेंद्र व अमिता से पूछताछ करने के निर्देश दिए थे.

वह 23 मई, 2022 का दिन था. उस वक्त रायवाला के थानाप्रभारी भुवनचंद पुजारी अपने औफिस में ही बैठे थे, तभी उन्हें दीपक नेगी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिल गई. जब पुजारी ने दीपक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट को पढ़ा तो वे चौंक पड़े. इस में दीपक की मौत का कारण गला दबा कर दम घुटना बताया गया था.

इस के बाद पुजारी ने इस प्रकरण में पूछताछ के लिए अमिता व ठेकेदार सतेंद्र को बुलाया. थाने में अमिता व सतेंद्र से दीपक की मौत के मामले में पुजारी द्वारा गहन पूछताछ की गई थी. मगर जब पुजारी ने दोनों को अलगअलग ले जा कर पूछताछ की तो दीपक की मौत पर पड़ा परदा हट गया.

घटना की जानकारी देते हुए अमिता ने पुलिस को बताया कि बीते कई महीनों से ठेकेदार सतेंद्र के साथ मेरे अवैध संबंध थे, जिस की कुछकुछ जानकारी मेरे पति दीपक को हो गई थी. 10 मई, 2022 की घटना वाली रात को 12 बजे दीपक ने हम दोनों को आपत्तिजनक अवस्था में देख लिया था. इस कारण हम दोनों अपनी पोल खुलने के डर से घबरा गए थे.

तभी हम दोनों ने एकराय हो कर चुनरी से दीपक का गला घोट कर उसे मार डाला था. इस के बाद हम दोनों ने दीपक को बैड पर लिटा दिया था. फिर सतेंद्र ठेकेदार वहां से चला गया था.

थोड़ी देर बाद मैं ने साक्ष्य छिपाने के लिए अपने देवर जितेंद्र व देवरानी सोनी को अपने कमरे में बुलाया था और उन्हें दीपक को हार्ट अटैक होने की बात बताई थी.

इस के बाद पुजारी ने अमिता के ये बयान दर्ज कर लिए थे. पूछताछ के दौरान ठेकेदार सतेंद्र ने भी प्रेमिका अमिता के बयान में सहमति जताते हुए दीपक की हत्या करने की बात स्वीकार कर ली.

दीपक की मौत का परदाफाश होने के बाद पुजारी ने इस हत्या का मुकदमा दीपक के छोटे भाई जितेंद्र नेगी की तहरीर पर भादंवि की धारा 302, 201 व 34 के तहत दर्ज कर लिया था. इस के बाद पुजारी ने दीपक की हत्या के खुलासे की जानकारी एसएसपी जन्मेजय खंडूरी को दी. सतेंद्र व अमिता को पुलिस ने कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया.

आरोपी सतेंद्र पहले सेना में नौकरी करता था तथा वर्ष 2013 में सेना से वह रिटायर हुआ था. सतेंद्र का अपनी पहली पत्नी से तलाक हो गया था. इस के बाद उस ने वर्ष 2015 में दूसरी शादी कर ली थी. रिटायरमेंट के बाद सतेंद्र भवन निर्माण के ठेके लेता था. उस के 2 बच्चे हैं.

अमिता का परिवार मूलरूप से उत्तराखंड के जिला टिहरी गड़वाल का रहने वाला है तथा 8 साल पहले दीपक से उस की शादी हुई थी. 2 बच्चों की मां अमिता भी सतेंद्र के साथ वासना के दलदल में ऐसी डूबी थी कि उस ने अपना परिवार खुद ही उजाड़ लिया था.

कथा लिखे जाने तक सतेंद्र व अमिता देहरादून जेल में बंद थे. दीपक की हत्या की जांच थानाप्रभारी भुवनचंद पुजारी कर रहे थे. पुजारी विवेचना पूरी करने के बाद इस प्रकरण में सतेंद्र व अमिता के विरुद्ध चार्जशीट न्यायालय में भेजने की तैयारी कर रहे थे.  द्य

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

दिल को रंगीन बनाने की चाहत

राजधानी दिल्ली के दरियागंज इलाके में दरगाह साबरी के पास बाइक रिपेयर की वर्कशाप चलाने वाला 50 वर्षीय मोइनुद्दीन कुरैशी 17 मई, 2022 की रात करीब 10 बजे वर्कशाप बंद करके घर जाने के लिए पैदल ही निकला था कि चंद कदम चलते ही उसे लघुशंका की जरूरत महसूस हुई.

कुछ आगे कालिदास मार्ग पर वह लघुशंका के लिए रुका कि तभी बाइक से उस के पीछे आए 2 बदमाशों ने काफी नजदीक से उसे गोली मार दी और फर्राटा भरते निकल गए.

मोइनुद््दीन अपने परिवार के साथ पटौदी हाउस, दरियागंज इलाके में ही रहता था. उस के परिवार में बुजुर्ग मां के अलावा पत्नी जेबा, 2 बेटे मुइज कुरैशी, गुल कुरैशी, 18 साल की बेटी व छोटा भाई रुकनुद्दीन हैं.

मोइनुद्दीन के परिवार की 50 साल से ज्यादा पुरानी दोपहिया वाहन की वर्कशाप दरियागंज में दरगाह साबरी के पास है. उस की दुकान पर कई लड़के काम करते हैं.

मोइनुद्दीन के पीछे से आए हमलावरों ने उस पर 2 गोलियां चलाईं. एक गोली उस के पेट में और दूसरी कमर में लगी. गोली लगते ही वह जमीन पर गिर कर तड़पने लगा और पल भर में खामोश हो गया. इस के बाद चारों तरफ हल्ला मच गया.

घटनास्थल के पास ही मौजूद मोइनुद्दीन का छोटा भाई रुकनुद्दीन व उस का दोस्त साजिद भागते हुए आए और मोइनुद्दीन को एलएनजेपी अस्पताल ले गए, जहां कुछ ही देर बाद मोइनुद्दीन को मृत घोषित कर दिया गया.

कुरैशी के परिवार वाले भी अस्पताल आ पहुंचे. हर तरफ मातम पसर गया. उस की बीवीबच्चे सिर पटकपटक कर रो रहे थे. अस्पताल प्रशासन ने पुलिस को इस की सूचना दे दी.

कुछ देर में पुलिस घटनास्थल पर आई. आसपास के लोगों से पूछताछ की, मगर हमलावरों के बारे में कोई नहीं बता पाया. रात होने की वजह से लोग बाइक का नंबर भी नहीं देख पाए. बस पलक झपकते ही पूरा कांड हो गया.

मोइनुद्दीन के शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया गया. दूसरे दिन मृतक के छोटे भाई रुकनुद्दीन के बयान पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया.

इस सनसनीखेज मामले की जांच के लिए एसीपी योगेश मल्होत्रा की देखरेख में कई थानों के तेजतर्रार पुलिसकर्मियों की एक टीम का गठन किया गया. वाहन चोरी निरोधक दस्ता टीम के इंचार्ज संदीप गोदारा और स्पैशल स्टाफ के इंसपेक्टर शैलेंद्र कुमार शर्मा को भी टीम में शामिल किया गया. यानी पुलिस की अलगअलग टीमें विभिन्न बिंदुओं पर काम करने लगीं.

पुलिस ने सब से पहले घटनास्थल का मुआयना किया और वहां दुकानों और घरों में लगे तमाम सीसीटीवी कैमरों की फुटेज निकलवाई ताकि बाइक और हमलावरों की पहचान हो सके.

कई दिनों की मशक्कत के बाद पुलिस ने करीब 500 सीसीटीवी कैमरों के फुटेज खंगाले. इस छानबीन में हमलावर सफेद रंग की अपाची बाइक पर सवार दिखे. मगर उन के चेहरे हेलमेट से ढंके हुए थे. हां, बाइक का नंबर जरूर साफ नजर आ गया. पुलिस बाइक का पता कर ही रही थी कि तभी खबर आई कि वारदात में प्रयुक्त अपाची बाइक तारा होटल के नजदीक लावारिस हालत में पड़ी है.

पुलिस ने बाइक के मालिक का पता किया तो उस के मालिक ने बताया कि उस की बाइक दिसंबर, 2021 में उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले से चोरी हो गई थी, जिस की एफआईआर बाकायदा थाने में दर्ज है.

जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि मोइनुद्दीन की हत्या करने वाले बेहद प्रोफेशनल थे. चलती बाइक से किसी पर निशाना लगाना आसान नहीं होता, मगर उन का निशाना बिलकुल सधा हुआ था. पुलिस ने अनुमान लगाया कि हत्यारों ने अगर बाइक मेरठ से चुराई है तो जरूर उन का संबंध यूपी से ही होगा.

पुलिस के पास हमलावरों तक पहुंचने का यह रास्ता बंद हो गया तो उस ने घटनास्थल के आसपास के लोगों से और मृतक मोइनुद्दीन कुरैशी के घरवालों एवं दोस्तों से पूछताछ शुरू की.

एक दूसरी पुलिस टीम ने मृतक मोइनुद्दीन के परिवार के लोगों के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स और इंटरनेट मीडिया के प्लेटफार्म को भी खंगालना शुरू किया.

मृतक की पत्नी, बच्चों और अन्य स्वजनों समेत 100 से अधिक लोगों से पूछताछ हुई. पूछताछ में पता चला कि मृतक मोइनुद्दीन कुरैशी की पत्नी जेबा कुरैशी उस से उम्र में 10 साल छोटी है. मोइनुद्दीन से उस का निकाह करीब 25 साल पहले हुआ था.

मोइनुद्दीन और जेबा के 3 बच्चे हैं. 2 बेटे और एक बेटी. पड़ोसियों ने पुलिस को बताया कि मोइनुद्दीन अकसर जेबा को मारतापीटता था. 40 वर्षीय जेबा अपने पति के जुल्मों से काफी परेशान रहती थी. वह हर वक्त उस से डरीसहमी रहती थी. पता नहीं कब, किस बात पर मोइनुद्दीन खफा हो जाए और उस को रुई की तरह धुन कर रख दे, इस का कुछ पता नहीं होता था.

छोटीछोटी बात पर उस का पारा चढ़ जाता था और जवान बच्चों के सामने ही वह पत्नी की पिटाई शुरू कर देता था. उस की हरकतों से बच्चे भी डरेसहमे से रहते थे.

पुलिस ने मोइनुद्दीन की पत्नी जेबा से जब पूछताछ की तो वह काफी घबराई हुई थी. कई सवालों को घुमाफिरा कर पूछने पर उस ने अलगअलग जवाब दिए. इस से पुलिस को उस पर कुछ शक हुआ.

फिर जब जेबा के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स पुलिस ने खंगाली तो पता चला कि वह लगातार मेरठ के एक नंबर के संपर्क में रहती थी. घटना के दिन भी उस ने इस नंबर पर कई काल किए थे.

अब पुलिस ने जेबा कुरैशी से सख्ती से पूछताछ की. शुरू में तो वह पुलिस को बरगलाती रही, मगर सख्ती के आगे वह जल्दी ही टूट गई. उस ने मोइनुद्दीन की हत्या करवाने का जुर्म स्वीकार कर लिया.

जेबा ने बताया कि वह शौहर से तंग आ चुकी थी, इसलिए उस ने अपने प्रेमी और उस के साथियों के हाथों उस जालिम शौहर को हमेशा के लिए मौत की नींद सुला दिया. जेबा 25 साल तक जिस आदमी के साथ रही, जिस के 3 बच्चों की वह मां बनी, उस के जुल्मों से वह इतनी आजिज आ चुकी थी कि उसे गोली मरवाने में उसे जरा भी झिझक नहीं हुई. आखिर क्यों जेबा के दिल में पति के लिए इतनी नफरत भर गई थी?

जेबा के 3 जवान बच्चे थे. उन की पढ़ाई, शादी सब होनी थी. मगर मानसिक और शारीरिक रूप से जेबा अपने पति के हाथों इस कदर प्रताड़ना सह चुकी थी कि उस ने एक बार भी इस बारे में नहीं सोचा.

वह तो बस जल्द से जल्द मोइनुद्दीन से मुक्ति पा लेना चाहती थी. और इस काम में उस का साथ दिया उस के प्रेमी शोएब ने, जो मेरठ का रहने वाला था और फेसबुक के जरिए उस का दोस्त बन गया था.

बीते 2 सालों में उन की दोस्ती धीरेधीरे प्यार में बदल चुकी थी. हालांकि शोएब जेबा से 11 साल छोटा था और शादीशुदा भी था, मगर वह जेबा के प्यार में ऐसा दीवाना हुआ कि उस के लिए कत्ल करने को भी तैयार हो गया. दरअसल, 25 साल पहले जब जेबा का निकाह मोइनुद्दीन कुरैशी से हुआ था, तब जेबा मात्र 15 साल की थी. उस वक्त मोइनुद्दीन की उम्र 25-26 साल थी.

जल्दी ही जेबा 3 बच्चों की मां बन गई. घरगृहस्थी और बच्चों की परवरिश में उस का बचपन और जवानी दोनों खलास हो गए. उधर मोइनुद्दीन बाइक रिपेयर के काम के अलावा प्रौपर्टी डीलिंग का काम भी करने लगा था. प्रौपर्टी के धंधे में उस की दोस्ती बड़े घरों के बिगड़ैल लड़कों से हो गई. उन के संगसाथ में वह शराब पीने लगा.

बीवीबच्चों की उस ने कभी परवाह नहीं की. उस का ज्यादातर समय पतंगबाजी और शराब पीने में बीतता था. शराब पी कर मोइनुद्दीन अकसर जेबा को पीटता था. बच्चों के सामने जेबा अपने पति की मार खा कर बुरी तरह टूट जाती थी.

साल गुजरते गए और पति की मार और दुत्कार सहतेसहते जेबा ने किसी तरह बच्चों को बड़ा किया. वह बच्चों में ही मन लगाने की कोशिश करती थी, मगर दिल का एक कोना किसी के प्यार के लिए बिलकुल खाली पड़ा था.

इसी दौरान उस ने अपने मोबाइल फोन पर फेसबुक और वाट्सऐप चलाना सीख लिया. इस ने उस के सूनेपन को थोड़ा कम किया. फेसबुक पर उस के काफी दोस्त बन गए, जिन से वह अपने दिल की बातें शेयर करने लगी.

2 साल पहले फेसबुक पर उस की दोस्ती मेरठ के शोएब से हुई. मेरठ के वेस्ट कुशल नगर, लिसाड़ी रोड निवासी 29 वर्षीय शोएब ने जेबा की फोटो देखी तो वह उस पर फिदा हो गया. शादीशुदा होते हुए भी शोएब प्यार की राह पर फिसल गया. उस को इस बात से भी कोई फर्क नहीं पड़ा कि जेबा उस से उम्र में 11 साल बड़ी है और 3 जवान बच्चों की मां है.

दोनों के बीच सारा सारा दिन फोन पर प्यारमोहब्बत की बातें होने लगीं. मौका पा कर दोनों एकदूसरे से मिलने भी लगे. जेबा के सूने दिल में खुशियों की कलियां चिटखने लगीं. अरमानों ने करवट ली और जेबा शोएब के प्यार में पूरी तरह डूब गई.

ऐसा प्यार और नजदीकी उसे अपने पति मोइनुद्दीन से कभी नहीं मिली थी. जेबा ने शोएब के साथ निकाह करने का मन बना लिया, मगर इस मिलन में सब से बड़ा बाधक था उस का जालिम पति मोइनुद्दीन, जिसे ठिकाने लगाए बिना जेबा और शोएब का मिलन संभव ही नहीं था.

आखिरकार जब भावनाएं पूरी उफान पर पहुंचीं तो मोइनुद्दीन को रास्ते से हटाने की योजना बनाई गई. जेबा ने शोएब पर दबाव बनाया कि वह जल्द से जल्द मोइनुद्दीन को खत्म कर दे. उस ने शोएब से कहा कि अब वह उस से तभी मिलेगी जब वह मोइनुद्दीन को ठिकाने लगा देगा.

मोइनुद्दीन को मारना किसी अकेले के बस की बात नहीं थी. लंबीतगड़ी कदकाठी के मोइनुद्दीन को कोई अकेला आदमी काबू में नहीं कर सकता था. शोएब ने मोइनुद्दीन को ठिकाने लगाने के लिए भाड़े के हत्यारों से संपर्क साधा जो सुपारी ले कर उस का यह काम निपटा सकते थे.

शोएब ने विनीत गोस्वामी नाम के अपराधी से संपर्क किया. बमहेटा, कविनगर, गाजियाबाद के रहने वाले विनीत पर पहले से हत्या के प्रयास समेत 3 आपराधिक मामले दर्ज हैं. 6 लाख रुपए की सुपारी ले कर विनीत ने मोइनुद्दीन की हत्या करने का 2 बार प्रयास किया, मगर वह सफल नहीं हुआ.

विनीत ने शोएब के साथ कई बार मोइनुद्दीन का पीछा किया. वह किस वक्त वर्कशाप खोलता है, किस वक्त बंद करता है, वर्कशाप के आसपास किस वक्त कितने लोग होते हैं, वह अकेले घर जाता है या किसी के साथ, ये सारी बातें दोनों ने नोट कीं. और फिर 17 मई की रात शोएब और विनीत के हाथ वह मौका लग गया.

रात 10 बजे जब मोइनुद्दीन अपनी दुकान बंद कर के पैदल ही घर चलने को हुआ तो उसे लघुशंका की जरूरत महसूस हुई और वह सड़क के किनारे रुक गया. कुछ दूर अंधेरे कोने में काफी देर से उस के निकलने का रास्ता देख रहे शोएब ने बाइक स्टार्ट की.

विनीत भरी पिस्तौल लिए उस के पीछे बैठा था. जैसे ही बाइक सड़क किनारे लघुशंका के लिए खड़े मोइनुद्दीन के करीब पहुंची, विनीत ने उस पर फायर झोंक दिया. गोली उसे भेदती हुई निकल गई. मोइनुद्दीन जमीन पर गिर कर तड़पने लगा और चंद सेकेंड बाद ही खामोश हो गया.

जेबा कुरैशी से सच उगलवाने के बाद पुलिस ने मेरठ से पहले 29 वर्षीय शोएब को गिरफ्तार किया और उस के बाद गाजियाबाद से 29 वर्षीय विनीत गोस्वामी को हिरासत में ले लिया.

गिरफ्तारी के वक्त आरोपियों के पास से पुलिस को एक पिस्टल, 2 कारतूस और सुपारी की रकम के 3 लाख रुपए बरामद हुए. वारदात में इस्तेमाल चोरी की बाइक पहले ही पुलिस अपने कब्जे में ले चुकी थी.

डीसीपी श्वेता चौहान ने बताया कि सभी आरोपियों को हत्या और हत्या की साजिश रचने के आरोप में जेल भेजा जा चुका है. सभी ने अपने गुनाह कुबूल कर लिए थे.   द्य

प्यार में लगी सेंध : शिवम बना हत्यारा – भाग 3

शालू शिवम से ज्यादा छैलछबीला और कम उम्र का था, इसलिए सीमा ने शिवम को दिल से निकाल दिया और शालू को दिल में बसा लिया. इस के बाद सीमा ने शिवम मिश्रा से दूरियां बनाना शुरू कर दीं.

सीमा का यह व्यवहार शिवम मिश्रा उर्फ बांगरू को खलने लगा. बेचैन हो कर उस ने गुप्त रूप से पता किया तो उस के आश्चर्य का ठिकाना न रहा. उसे पता चला कि उस के दोस्त शालू ने उस की पीठ में प्यार का खंजर घोंपा है. उन दोनों के बीच शालू आ गया है, इसलिए सीमा उसे भाव नहीं दे रही है.

शिवम मिश्रा उर्फ बांगरू मन ही मन शालू को दुश्मन समझने लगा. शिवम मिश्रा को शालू अब कांटे की तरह खटकने लगा था. शिवम जब भी सीमा को फोन करता, वह उसे भूल जाने की सलाह देती, जबकि शिवम उसे छोड़ने को कतई तैयार न था.

सीमा को ले कर अब शिवम और शालू की दोस्ती में गांठ पड़ गई थी. दोनों में झगड़ा और मारपीट भी शुरू हो गई थी. शिवम ने कई बार सीमा को भी समझाया, लेकिन उस ने अपना रवैया नहीं बदला.

एक रोज शिवम आटो ले कर मोतीझील से हो कर गुजरा तो उस ने सीमा और शालू को मोतीझील उद्यान में हंसते हुए देखा. मोतीझील मैट्रो स्टेशन पर सवारी उतारने के बाद शिवम उन दोनों के पास आ गया.

शिवम को देख कर सीमा घबरा गई. शिवम ने सीमा से घर चलने को कहा. लेकिन वह शिवम के साथ जाने के बजाय शालू की मोटरसाइकिल पर बैठ कर उस के साथ फुर्र हो गई. यह बात शिवम को चुभ गई. उसे लगा कि यह सब शालू के कारण ही हो रहा है. अत: उसी पल उस ने शालू को ठिकाने लगाने की ठान ली.

इस के बाद शिवम मिश्रा उर्फ बांगरू ने अपने दोस्त अमित पासवान, सनी गुप्ता, रिशु गुप्ता व अभिषेक को घर बुलाया और सब को शराब पिलाई फिर दोस्तों के बीच अपना दर्द बयां किया.

अभी तक सीमा शालू का ही साथ दे रही थी. सीमा को अपने पक्ष में करने के लिए शिवम ने बहाने से उसे अपने घर बुलाया. सीमा के आने के बाद शिवम ने अपने दोस्तों को भी बुलवा लिया. शिवम व उस के दोस्तों ने सीमा पर दबाव बनाया कि शालू मुसलमान है. वह उस का शोषण कर कभी भी धोखा दे सकता है. वह उस का साथ छोड़ दे. उस ने दोस्ती में छल किया है, अत: उसे सजा जरूर मिलेगी.

सजा की बात सुन कर सीमा की रूह कांप गई. वह समझ गई कि इन लोगों के इरादे नेक नहीं हैं. अगर उस ने इन की बात नहीं मानी तो यह लोग उस के साथ कुछ भी कर सकते हैं. अत: दबाव में आ कर सीमा ने शालू का साथ छोड़ने की बात मान ली. धीरेधीरे शिवम ने सीमा को अपने पक्ष में कर लिया फिर वह भी शिवम का साथ देने को राजी हो गई.

पूरी योजना बनाने के बाद शिवम ने शालू से फिर से दोस्ती कर ली. वह उसे घर पर शराब पार्टी पर भी बुलाने लगा. शालू, शिवम के घर आता तो वह सीमा से भी मिल कर जाता.

सीमा से मिलने का शिवम विरोध भी नहीं करता. शिवम के नरम व्यवहार का शालू को ताज्जुब तो था, लेकिन वह उस के खतरनाक इरादों को भांप नहीं पाया.

5 अक्तूबर, 2022 को दशहरा पर्व था. दोपहर को शिवम ने दोस्तों को घर बुलाया और सब को शराब पिलाई. इस के बाद शालू की हत्या की योजना बनी. इस योजना में सीमा को भी शामिल किया गया.

योजना बनी कि शालू को मेला दिखाने के बहाने उस के घर से लाया जाए. यह भी योजना बनी कि बुलाने से अगर शालू न आए तो सीमा उसे काल कर के घर के बाहर बुलाए फिर अपहरण कर उसे लाया जाए.

योजना के तहत देर रात शिवम ने अमित, सनी, रिशु, अभिषेक व सीमा को घर बुलवा लिया. फिर दर्शनपुरवा के वाटर पार्क में बैठ कर सब ने आपस में विचारविमर्श किया. उस के बाद शिवम अपने दोस्त अमित, सनी व प्रेमिका सीमा को अपने आटो में बिठा कर रात 12 बजे परमपुरवा स्थित शालू के घर पहुंचा. सीमा को उस ने मसजिद के पास उतार दिया.

उस के बाद उस ने शालू को आवाज दी. शिवम की आवाज सुन कर शालू ने छज्जे से बाहर झांका. तब शिवम ने उस से कहा कि वह अरमापुर मेला देखने जा रहा है. वह भी साथ चले. शालू राजी हो गया. उस ने अपनी बहन नसीमा से कहा कि वह दोस्तों के साथ मेला देखने जा रहा है.

शिवम व उस के साथी सनी व अमित ने शालू को आटो में बिठा लिया. शिवम ने सीमा को उस के घर दर्शनपुरवा छोड़ दिया. फिर शालू को वाटर पार्क ले आए. यहां रिशु गुप्ता व अभिषेक पहले से मौजूद थे. शालू के आटो से उतरते ही रिशु, सनी व अमित उस पर टूट पड़े और मारपीट करने लगे.

इसी बीच उस ने बहन को दोस्तों द्वारा मारपीट करने व खतरनाक इरादों की जानकारी फोन कर के दे दी. तभी अभिषेक ने उस से मोबाइल फोन छीन लिया और तोड़ कर फेंक दिया. इस के बाद शालू को वह लोग पीटते हुए पार्क के अंदर लाए और सुनसान स्थान पर शिवम ने ईंट से सिर पर लगातार वार कर के शालू की हत्या कर दी.

हत्या के बाद शालू के शव को ठिकाने लगाने की योजना बनी. योजना के तहत ये लोग शव को गंगा बैराज ले जा कर गंगा नदी में फेंकना चाहते थे. लेकिन आटो की सीएनजी गैस खत्म हो जाने से आटो खड़ा हो गया.

तब इन लोगों ने शालू के शव को गुरुदेव पैलेस रेलवे क्रौसिंग के पास रेल पटरियों के बीच रख दिया. ताकि शव रेल से कट कर क्षतविक्षत हो जाए और लगे कि आत्महत्या की है. शव को फेंकने के बाद शिवम व उस के साथी फरार हो गए.

इधर सुबह तक कोई रेलगाड़ी गुजरी ही नहीं, जिस से शव सुरक्षित रहा. कुछ लोगों ने शव पटरियों के बीच पड़ा देखा तो सूचना थाना रावतपुर पुलिस को दी.

रावतपुर पुलिस ने शव की सूचना प्रसारित की तो जूही थाने के एसएचओ जितेंद्र सिंह, शेरू व उस के पिता अकमल को ले कर मौके पर आए और शव की शिनाख्त शालू के रूप में की. पुलिस ने शव कब्जे में ले कर जांच शुरू की तो त्रिकोण प्रेम में हुई हत्या का परदाफाश हुआ.

9 अक्तूबर, 2022 को पुलिस ने आरोपी शिवम मिश्रा उर्फ बांगरू, सनी गुप्ता, रिशु गुप्ता, अमित पासवान, अभिषेक व सीमा को गिरफ्तार कर कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया.   द्य

-कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में सीमा नाम काल्पनिक है.

मोहब्बत का खूनी अंजाम – भाग 3

अक्तूबर, 2017 की बात है. विभांशु दशहरे का मेला घूमने गया था. फोन कर के उस ने रुचि को भी मेले में बुला लिया था. काफी देर तक साथसाथ मेला घूमने के बाद दोनों अपनेअपने घरों को रवाना हुए. प्रेमिका से विदा होते विभांशु ने उसे फ्लाइंग किस दिया. रुचि ने मुसकरा कर इस का जवाब दे दिया.

इत्तफाक से उसी समय श्यामनारायण भी कहीं से उधर आ पहुंचा. उस ने दोनों को किस लेते देते देख लिया था. यह देख कर उस का खून खौल उठा. उस ने आव देखा न ताव, कुछ ग्रामीणों को आवाज लगा दी.

ग्रामप्रधान की आवाज सुन कर गांव के तमाम लोग वहां पहुंच गए. प्रधान ने विभांशु पर गांव की लड़की को छेड़ने का आरोप लगाया. इस के बाद तो ग्रामीण भड़क गए. विभांशु वहां से भागा तो उन्होंने दौड़ कर उसे दबोच लिया. इस के बाद उस की जम कर पिटाई की.

पिटाई के बाद भी उन्होंने विभांशु को नहीं छोड़ा बल्कि प्रधान श्यामनारायण ने उसे पुलिस के हवाले कर दिया. जीयनपुर के थानाप्रभारी ने विभांशु को लड़की छेड़ने के आरोप में जेल भेज दिया. इस तरह प्रधान ने विभांशु को जेल भिजवा कर अपनी खुन्नस निकाल ली.

घर वालों को जब यह पता चला कि लड़की छेड़ने के आरोप में विभांशु जेल में बंद है तो वे परेशान हो गए. शर्म के मारे उन का चेहरा झुक गया. किसी तरह विभांशु के बड़े भाई वकील घनश्याम पांडेय ने उस की जमानत कराई. घर वालों ने विभांशु को खूब डांटा, साथ ही समझाया कि ये इश्कविश्क का चक्कर छोड़ कर पढ़ाई पर ध्यान दो. जब समय आएगा तो किसी अच्छी लड़की से शादी करा कर गृहस्थी बसा दी जाएगी.

परिवार के दबाव में आ कर उस समय तो कह दिया कि वह ऐसा कोई काम नहीं करेगा, जिस से परिवार की बदनामी हो लेकिन वह दिल से रुचि को निकाल नहीं पाया. साथ ही वह श्यामनारायण द्वारा जेल भिजवा देने वाली बात से काफी आहत था. उस ने तय कर लिया कि वह इस का बदला जरूर लेगा.

वह प्रधान श्यामनारायण से बदला लेने का मौका ढूंढने लगा. इसी बीच 4 दिसंबर, 2017 को ग्रामप्रधान श्यामनारायण पर किसी ने हमला कर दिया. प्रधान का पूरा शक विभांशु पर आ गया. प्रधान ने तय कर लिया कि वह विभांशु को सूद के साथ इस का भुगतान करेगा. जबकि वास्तविकता यह थी कि विभांशु का उस हमले से कोई लेनादेना नहीं था और न ही उस ने ऐसा किया था.

बहरहाल, इश्क की जलन ने एक नाकाम प्रेमी श्यामनारायण राय को इंसान से शैतान बना दिया था. वह विभांशु के खून का प्यासा हो गया. वह मौके की तलाश में था लेकिन उसे मौका नहीं मिल पा रहा था.

7 दिसंबर, 2017 की शाम 6 बजे रुचि ने विभांशु को फोन कर के मिलने के लिए आजमगढ़ बुलाया. प्रेमिका के बुलावे पर वह बेहद खुश था. तैयार हो कर वह बाइक ले कर रुचि से मिलने निकल गया. घर से निकलते समय उस ने घर वालों से यही कहा था कि वह शहर जा रहा है और थोड़ी देर में आ जाएगा.

विभांशु पहले अलहलादपुर में रहने वाले अपने दोस्त दीपक सिंह के घर गया. वहां उस ने बाइक खड़ी की ओर उस की स्विफ्ट डिजायर कार ले कर प्रेमिका से मिलने आजमगढ़ रवाना हो गया. यह बात पता नहीं कैसे प्रधान श्यामनारायण को पता चल गई. फिर तो उस की बांछें खिल उठीं. वह कल्याणपुर बांसगांव से पहले खालिसपुर गांव के पास घात लगा कर बैठ गया. रात 11 बजे के करीब विभांशु स्विफ्ट डिजायर कार ले कर गुजरा.

प्रधान ने गाड़ी में विभांशु को जाते देख लिया. प्रधान मोटरसाइकिल पर था. उस ने कार का पीछा किया और ओवरटेक कर के उसे रोक लिया. सुनसान जगह पर प्रधान को देख विभांशु का माथा ठनक गया. वह कार ले कर वहां से भागना चाहा लेकिन कार के आगे प्रधान और उस की बाइक थी, इसलिए वहां से नहीं भाग सका.

सड़क पर ही दोनों के बीच बहस छिड़ गई. बात काफी बढ़ गई. मामला गालीगलौज से हाथापाई तक पहुंच गया. प्रधान श्यामनारायण का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया. उस ने कार का दरवाजा खोल कर विभांशु को खींच कर बाहर निकाल लिया. उसी समय उस ने कमर से लाइसेंसी पिस्टल निकाली और उस के सिर में गोली मार दी.

गोली लगते ही विभांशु कटे पेड़ की तरह धड़ाम से सड़क पर गिर गया और मौके पर ही उस की मौत हो गई. इस के बाद प्रधान ने फोन कर के छोटे भाई सत्यम राय उर्फ रजनीश को मौके पर बुला लिया.

श्यामनारायण और सत्यम दोनों ने मिल कर उसे कार की पिछली सीट पर डाला फिर लाश ठिकाने लगाने के लिए गांव के बाहर ले गए.

वह कार को सड़क से नीचे खेत में ले गए. वहां से वह नहर की ओर ले जा रहे थे, तभी कार कुदारन तिवारी के खेत में जा कर फंस गई. वहां से कार नहीं निकली तो वह वहीं खेत में छोड़ दी और लाश भी कुछ आगे डाल दी. इस के बाद वे घर लौट आए और इत्मीनान से सो गए.

उन्हें विश्वास था कि पुलिस को उन पर शक नहीं होगा पर जब मृतक के भाई घनश्याम पांडेय ने नामजद रिपोर्ट लिखाई तो प्रधान श्यामनारायण पुलिस से बचने के लिए घर से निकल कर सगड़ी-खालिसपुर मार्ग पर जा कर खड़ा हो गया और उधर से आने वाले वाहन का इंतजार करने लगा. इस से पहले कि वह वहां से कहीं जाता, थानाप्रभारी विजयप्रताप यादव ने उसे मुखबिर की सूचना पर गिरफ्तार कर लिया.

प्रधान श्यामनारायण राय से पूछताछ के बाद पुलिस ने उसे न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया. इस के 3 दिनों के बाद उस का छोटा भाई सत्यम राय उर्फ रजनीश भी बांसगांव से गिरफ्तार कर लिया गया. पूछताछ में उस ने भी अपना अपराध स्वीकार कर लिया.

कथा लिखे जाने तक पुलिस कार में मिली महिला की सैंडिल और उल्टी के बारे में जांचपड़ताल कर रही थी. आरोपी रुचि राय फरार चल रही थी. पुलिस उस की तलाश में जुटी हुई थी.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

धोखे में लिपटी मोहब्बत- भाग 3

शादी के बाद रंजना विनोद को साथ ले कर कई बार अपने घर आई थी. विनोद का परिचय उस ने मांबाप से खिलाड़ी मित्र के रूप में कराया था. एकदो दिन घर रह कर वह विनोद के साथ लौट जाती थी. विनोद को जीवनसाथी चुन कर रंजना खुश थी. वह भी उसे खुश रखने के लिए पैसा पानी की तरह बहाता था.

जिस सच्चाई को विनोद छिपा रहा था, आखिरकार एक दिन उस की कलई रंजना के सामने खुल ही गई. विनोद की सच्चाई खुलते ही रंजना के ख्वाबों का महल रेत के महल के समान भरभरा कर ढह गया. विनोद इतना बड़ा धोखा देगा, उस ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था. इस के बाद रंजना ने विनोद से दूरियां बना लीं.

अपनी गलतियों पर परदा डालने के लिए विनोद ने रंजना से संपर्क कर के उसे भरोसा दिलाने की काफी कोशिश की, लेकिन रंजना उस की चिकनीचुपड़ी बातों में नहीं आई. इतना ही नहीं, वह अपना मोबाइल उस से वापस लेने की जिद पर अड़ गई. मोबाइल में उस की जिंदगी का अहम राज छिपा था, जबकि विनोद उसे मोबाइल लौटाने से इनकार कर रहा था.

मोबाइल न मिलने से रंजना काफी परेशान थी. एक दिन रंजना अपनी बड़ी बहन विमला के यहां गई. वह काफी परेशान और उदास थी. उस की परेशानी और उदासी देख कर विमला से रहा नहीं गया. उस ने इस का कारण पूछा तो रंजना की आंखों से आंसू टपकने लगे और वह बहन के गले लिपट कर रोने लगी. विमला समझ नहीं पाई कि आखिर ऐसी क्या बात है.

आखिर रंजना ने सारी बातें बेझिझक बता दीं. रंजना की बात सुन कर विमला के पैरों तले से जमीन खिसक गई. रंजना ने जो गलती की थी, वह माफ करने लायक नहीं थी. बड़ी बहन ने उस के गाल पर 2 थप्पड़ रसीद कर दिए, साथ ही उसे काफी भलाबुरा भी कहा.

खैर, जो होना था हो चुका था. अब सवाल उस के निदान का था. शाम के वक्त काम से जब उस का पति शंभू मंडल घर लौट कर आया और साली रंजना को देखा तो उस की खुशी दोगुनी हो गई. रात का खाना सब ने एक साथ खाया. शंभू खाना खाने के बाद कमरे में सोने गया. उस के पीछे विमला भी आ गई. उस ने पति से रंजना की सारी बातें बता दीं. पत्नी की बात सुन कर शंभू का खून खौल उठा.

उस से रहा नहीं गया तो उस ने उसी समय ससुराल फोन कर के रंजना की करतूत अपनी सास सरबी देवी और ससुर राधाकृष्ण उर्फ वकील मंडल से बता दी. हकीकत जान कर मांबाप भी सिर पकड़ कर बैठ गए. वे यह सोच कर परेशान थे कि जब रंजना की सच्चाई बिरादरी वालों को पता चलेगी तो वे कौन सा मुंह दिखाएंगे. उन्होंने यह कह कर सब कुछ शंभू मंडल पर छोड़ दिया कि वह जो उचित समझे, करे.

सुबह हुई तो शंभू ने सब से पहले रंजना से बात की. बातचीत करने के बाद उस ने कुछ सोचा और रंजना से कहा कि उसे परेशान होने की जरूरत नहीं है. सब पहले की ही तरह ठीक हो जाएगा. वह अपनी नौकरी पर लौट जाए और मन लगा कर काम करे. जीजा की बातें रंजना को ठीक लगीं. उस ने वैसा ही किया.

रंजना सीतामढ़ी नौकरी पर लौट आई. इस बीच विनोद ने उस से फोन कर बात करने की कोशिश की, लेकिन रंजना ने उस से बात करने से साफ मना कर दिया. इस के बाद विनोद मोबाइल में सेव शादी की तसवीरें सार्वजनिक करने की धमकी दे कर उसे मानसिक रूप से प्रताडि़त करने लगा.

रंजना परेशान हो गई और घर वालों को सारी बातें बता दीं. बेटी की परेशानी देख कर सबरी देवी परेशान हो गई. उस ने दामाद शंभू से जल्द से जल्द कोई उचित कदम उठाने को कहा. इस बारे में शंभू मंडल ने रंजना के मौसेरे भाई बिट्टू, जो उसी के मोहल्ले में रहता था, से बात की. बिट्टू अपने इलाके का दबंग था.

बिट्टू और शंभू मंडल ने आपस में मिल कर रंजना की राह के कांटे को जड़ से उखाड़ने की योजना बना डाली. इस योजना में उन्होंने रंजना को भी शामिल किया. क्योंकि उस के बिना योजना को अंजाम नहीं दिया जा सकता था.

29 दिसंबर, 2016 को रंजना कालेज प्रशासन को धोखे में रख कर वहां से 2 दिनों की छुट्टी ले कर घर आई कि नया साल परिवार के साथ बिता कर लौट आएगी. घर आते समय उस ने किराए का कमरा खाली कर दिया था और सारा सामान ले कर भागलपुर चली आई थी.

30 दिसंबर को मां सबरी देवी और जीजा शंभू मंडल के कहने पर रंजना ने विनोद को नए साल को सेलिब्रेट करने के लिए भागलपुर बुलाया. रंजना के बुलाने पर विनोद 1 जनवरी, 2017 को भागलपुर आ गया.

अपने यहां आने की सूचना उस ने भागलपुर में रहने वाले अपने दोस्त संजय को दे दी थी. संजय विनोद के पास आ चुका था. विनोद को अपने साथ धोखे का अहसास तब हुआ, जब उस ने रंजना की जगह उस के बहनोई शंभू मंडल और बिट्टू को देखा.

शंभू मंडल और बिट्टू उसे रंजना के घर ले जाने के लिए अपने साथ ले कर निकले. लेकिन उसे वहां न ले जा कर तिलकामांझी थाने ले गए. संजय भी उन के साथ था. पहले से आगबबूला शंभू ने रास्ते में विनोद के गाल पर 4-5 थप्पड़ जड़ दिए थे. इस के बाद वह उसे थाने ले गया था.

थानाप्रभारी तिलकामांझी से उस ने मोबाइल चुराने की शिकायत की. विनोद के दोनों हाथ नहीं थे, उसे देख कर उन्होंने मामले को भांप लिया कि यह मामला चोरी का नहीं, बल्कि कुछ और है. जब थानाप्रभारी ने इस बाबत शंभू से पूछताछ की तो उस ने साली के मोबाइल चुराने की बात कही.

थानाप्रभारी के कहने पर उस ने अपनी साली रंजना की बात उन से करा दी. रंजना ने उन्हें बताया कि विनोद ने उस का मोबाइल चुराया नहीं है, बल्कि जबरन अपने पास रख लिया है और उसे लौटा नहीं रहा है. थानाप्रभारी ने विनोद से पूछा तो उस ने इस बात को सही बताया और रंजना का मोबाइल उसे लौटा दिया. मोबाइल ले कर दोनों थाने से चले गए और विनोद भी पटना लौट गया.

5 दिनों बाद 6 जनवरी, 2017 की शाम साढ़े 5 बजे के करीब शंभू मंडल ने विनोद को फोन किया. उस ने साली का जीवन बरबाद करने की बात कह कर उसे जान से मारने की धमकी दी.

विनोद शंभू मंडल की धमकी से डर गया. इस के ठीक आधे घंटे बाद शाम 6 बजे रामजी सिंह बेटे का हालचाल लेने के लिए फोन किया. ड्यूटी कर के औफिस से विनोद कमरे पर जा रहा था. पिता का फोन रिसीव कर के वह शंभू मंडल द्वारा जान से मारने की धमकी वाली बात बता कर रोने लगा.

वह काफी आतंकित लग रहा था. बेटे का रोना सुन कर उन्होंने उसे समझाया कि रोने के बजाए वह उसी समय उन के पास (बंगाल) आ जाए या फिर वही वहां आ जाएं. इस के बाद फोन कट गया. दरअसल विनोद ने रंजना से दूसरी शादी वाली बात घर वालों से छिपा ली थी. उस की इस नई कहानी से उस के घर वाले अनजान थे.

उस के एक घंटे बाद 7 बजे के करीब विनोद ने पिता को फोन कर के बताया कि वह भागलपुर रंजना की मां सबरी देवी से मिलने जा रहा है. उस के पास रंजना के मौसेरे भाई बिट्टू का फोन आया था. वह रंजना की मां से समझौता कराने की बात कह रहा था.

यह सुन कर रामजी सिंह का माथा ठनका. उन्होंने विनोद को वहां जाने से मना किया, लेकिन विनोद ने पिता की बात नहीं मानी और भागलपुर चला गया. वह औफिस से सीधे निकला था. फोन से ही उस ने अंकित को भागलपुर जाने की जानकारी दे दी थी. इसलिए उस के पास केवल बैग ही था. उस बैग में उस के सारे सर्टिफिकेट और टिफिन था.

7 जनवरी, 2017 की दोपहर 1 बजे भागलपुर पहुंच कर उस ने रामजी सिंह को फोन कर के अपने भागलपुर पहुंच जाने की सूचना दे दी. उस ने बिट्टू का वह नंबर भी उन्हें बता दिया था, जिस नंबर से उस ने उसे फोन किया था.

विनोद ने बिट्टू को फोन कर के बता दिया था कि वह भागलपुर पहुंचने वाला है. बिट्टू शंभू मंडल के साथ स्टेशन पहुंचा. दोनों ने उसे रिसीव किया. विनोद का बैग बिट्टू ने ले लिया था. तीनों एक ही मोटरसाइकिल पर बैठ कर रंजना के घर जाने के लिए निकले. लेकिन दोनों उसे वहां न ले जा कर सीधे कलवलिया नदी के किनारे ले गए. यह देख कर विनोद डर गया.

उस की समझ में आ गया कि उस के साथ धोखा हुआ है. उस ने भाग कर जान बचाने की कोशिश की, लेकिन उन के चंगुल से बच नहीं सका. शंभू और बिट्टू ने मिल कर उसे जमीन पर गिरा दिया. बिट्टू ने उस के दोनों पैर कस कर पकड़ लिए, जबकि मजबूत जिस्म वाला शंभू मंडल हाथों से विनोद के मुंह को तब तक दबाए रहा, जब तक उस का जिस्म ढीला नहीं पड़ गया.

अपनी संतुष्टि के लिए दोनों ने विनोद कुमार सिंह को हिलाडुला कर देखा. उस के जिस्म में कोई हरकत नहीं हुई. उस की लाश पहचानी न जा सके, इस के लिए शंभू मंडल ने साथ लाया तेजाब उस के चेहरे पर उड़ेल दिया और लाश को झाड़ी में फेंक दिया.

विनोद का सारा सामान उन्होंने नदी में डाल दिया और मोटरसाइकिल से अपने घर लौट गए. विनोद की हत्या की जानकारी उस ने सास सबरी देवी को दे दी थी. बेटी के रास्ते का कांटा साफ होने की खबर पा कर वह खुश थी. यह बात उस ने रंजना को नहीं बताई थी.

दूसरी ओर रामजी सिंह ने बेटे से बात करने के लिए शाम को जब उस के मोबाइल पर फोन किया तो उस के दोनों फोन बंद मिले. उन्होंने कई बार फोन किया, लेकिन हर बार उस का फोन बंद मिला तो वह घबरा गए.

2 दिनों बाद बेटे का पता लगाने वह पश्चिम बंगाल से पटना पहुंचे. उन्हें बेटे का कोई पता नहीं चला तो उन्होंने सचिवालय थाने में उस के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज करा दी. मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस हरकत में आई तो 17 दिनों से गायब विनोद की लाश भागलपुर में मिली.

नदी के किनारे झाड़ी के पास खेलते बच्चों की टोली ने सड़ीगली लाश देखी थी और शोर मचा दिया था. इस तरह मामला लोदीपुर थाने तक पहुंच गया.

23 जनवरी, 2017 को विनोद कुमार सिंह हत्याकांड के 4 आरोपी रंजना कुमारी, उस की मां सबरी देवी, पिता राधाकृष्ण उर्फ वकील और शंभू मंडल थाना लोदीपुर पुलिस की मदद से गिरफ्तार कर लिए गए. पांचवां आरोपी बिट्टू फरार था.

पूछताछ में शंभू मंडल ने पुलिस को बता दिया था कि विनोद का सारा सामान और मोबाइल उस ने नदी में फेंक दिया था. उस के बताए अनुसार पुलिस शंभू मंडल को भागलपुर ले गई, वहां विनोद के सामान की खोजबीन की, लेकिन उस का कोई सामान नदी से नहीं मिला.

पूछताछ के बाद चारों आरोपियों को अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. चारों आरोपी जेल में बंद हैं. सचिवालय पुलिस ने बाद में इस मुकदमे को अपहरण की धाराओं से हत्या की धाराओं में बदल दिया था.

कथा मृतक के परिजनों और पुलिस सूत्रों पर आधारित