लाली मेरे प्यार की : प्यार की राह में मिली मौत – भाग 1

‘‘भैया, मैं लाली के बिना नहीं जी सकता,’’ विकेश रुंधे गले से बोला. उस की सुर्ख आंखों से झरझर आंसू बह रहे थे, ‘‘कुछ करो न भैया.’’

‘‘तू रो मत विकेश,’’ तसल्ली देता हुआ बिट्टू सामने खड़े विकेश को समझा रहा था, ‘‘अरे, पगले पहले तू ये मोती जैसे बहते आंसुओं को पोंछ, फिर देखता हूं हमें क्या करना है. मुझ से तेरी ये हालत देखी नहीं जाती भाई.’’

‘‘पर…पर वो भैया मेरे दिल से निकलती ही नहीं. दिल को समझाता हूं तो उस की भोली सूरत आंखों के सामने आ जाती है. भाई, तुम्हीं बताओ कि ऐसी हालत में मैं क्या करूं? दिल से उस की यादों को कैसे भुलाऊं? कैसे निकालूं?’’

‘‘वक्त बड़ेबड़े जख्मों को समय का मरहम लगा कर भर देता है मेरे भाई. तेरे भी जख्म जख्म जरूर भर जाएंगे. बस, थोड़ा सब्र करना होगा.’’

‘‘सब्र ही तो नहीं होता अब मुझ से. जब से उस की शादी की बात मैं ने सुनी है, जलन के मारे मेरा दिल भुनता ही जा रहा है.’’

‘‘तेरा ही नहीं भाई, मेरा भी दिल जल रहा है. मेरे से भी प्यार किया था उस ने. जितना तेरे दिल को चोट पहुंची है, उतनी ही चोट मेरे दिल को भी पहुंची है. कैसे भुला सकता हूं मैं उस की बेवफाई को. कभी नहीं. न तो उस की यादों को मैं अपने दिल से जुदा कर सकता हूं और न करूंगा.’’

‘‘मैं तो कहता हूं भाई, जैसे हमें धोखा दे कर वह तीसरे की बाहों में सिमट रही है…’’ कहतेकहते विकेश बीच में रुक गया.

‘‘ठीक है, सिमट जाने दो उसे.’’ उस की अधूरी बात बिट्टू ने पूरी की, ‘‘सिमट गई तो क्या हुआ? उसे हम इतनी आसानी से नहीं भूलने देंगे. तू चिंता क्यों करता है?’’ इस के बाद विकेश और बिट्टू घंटों बातें करते रहे. गुस्से के मारे दोनों के चेहरे तमतमा उठे थे.

दरअसल, विकेश और बिट्टू रिश्ते में दोनों चचेरे भाई थे. दोनों ही बिहार के बेगूसराय जिले के अहमदपुर (घाघरा) के रहने वाले थे. वे दोनों ही एक ही लड़की लाली से प्यार करते थे. फिर अचानक न जाने उन के बीच में ऐसा क्या हुआ कि लाली ने दोनों को छोड़ कर तीसरे से ब्याह रचा लिया. इसी बात को ले कर दोनों परेशान थे और उन के मन में कोई खतरनाक योजना खाका बना रही थी.

20 वर्षीय लक्की उर्फ लाली नंदकिशोर साद की बेटी थी. उस से 3 छोटे और भी भाईबहन थे. नंदकिशोर मेहनतमजदूरी कर के अपने परिवार का भरणपोषण करते थे. उन के बच्चों में लाली वास्तव में कीचड़ में खिले कमल जैसी थी, जिसे पाने के लिए इश्क के बाजार में दीवानों की कतारें लगी थीं.

हर कोई उस के दिल के कोरे पन्नों पर अपने प्रेम की अमर दास्तान लिखने के लिए बेताब हुआ जा रहा था. मगर, उस ने अपने दिल को परांदे के पीछे छिपा रखा था.

बात 6 अगस्त, 2022 की है. शाम के कोई साढ़े 7 बजे थे. लाली अपनी मां सुशीला से दिशा मैदान के लिए कह कर घर से अकेली निकली थी. उस के घर शौचालय नहीं था. गांव के अधिकतर पुरुष और महिलाएं खुले मैदान में जाते थे. सो लाली भी बाहर गई थी.

उसे गए काफी देर हो गई, मगर वह घर वापस नहीं लौटी थी तो मां को बेटी की चिंता सताने लगी और वह बेटी के लौटने की राह ताकने लगी थी.

जंगल में खून से लथपथ मिली लाली की लाश

रात के करीब 10 बज गए और लाली तक घर नहीं लौटी थी. यह देख कर लाली के मांबाप और घर के सभी लोग परेशान हो गए कि वह कहां गायब हो गई. उस के साथ कहीं कोई अनहोनी तो नहीं हो गई. यह सोच कर मां का कलेजा जोरों से धड़कने लगा.

इधर पिता नंदकिशोर भी परेशान थे. पूरे गांव में बेटी को ढूंढ लिया, लेकिन उस का कहीं पता नहीं चला. और रात भी गहराती जा रही थी. ऐसे में नंदकिशोर को यह समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे. कहां जाए? आखिर बेटी किस हाल में होगी.

उस ने मन ही मन प्रार्थना की कि बेटी जहां कहीं भी हो, सहीसलामत और सुरक्षित हो. सुबह होते उसे ढूंढ ही लेंगे.

रात जैसेतैसे पतिपत्नी की आंखों में कटी. दोनों ही बेटी के आने की आस में रात भर सोए नहीं थे. जब भी दरवाजा खटकने की आवाज होती, वे चौंक जाते थे. उन्हें ऐसा लगता था जैसे उन की बेटी लाली वापस घर लौट आई हो, लेकिन पलभर बाद यह भ्रम कांच के समान टूट जाता था. जब वे दरवाजे की ओर सूनी आंखों से देखते थे. हवा के तेज झोकों से दरवाजा खटकता था.

बहरहाल, नंदकिशोर और उन की पत्नी सुशीला पूरी रात बेटी की सलामती के लिए प्रार्थना करते रहे.

अगली सुबह 7 अगस्त होते ही नंदकिशोर गांव के अपने कुछ लोगों को साथ ले कर गांव के बाहर स्थित खलीफा बाबा मंदिर वाले घने और बड़े बगीचे की ओर बेटी की तलाश में निकल पड़े. बेटी की तलाश करते हुए सभी बगीचे में छिटक गए थे और उस की तलाश में जुट गए थे.

बेटी की तलाश करते हुए गांव वाले जैसे ही मंदिर से 20 कदम आगे बढ़े होंगे कि वहां का दिल दहला देने वाला दृश्य देख कर बुरी तरह चौंक गए. सहसा उन्हें अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था कि जो उन की आंखें देख रही हैं, वह सच भी हो सकता है.

10 गज की दूरी पर लाली की लाश पड़ी थी. नजदीक जा कर देखा तो पता चला कि किसी ने तेज धारदार हथियार से गला रेत कर उस की बड़ी बेरहमी से हत्या कर दी थी. लाश देख कर गांव वालों के मुंह से इतनी दर्दनाक चीख निकली थी कि पूरा बगीचा गूंज गया.

चीख सुन कर नंदकिशोर दौड़ कर जब वहां पहुंचे तो वहां का दृश्य देख कर घबरा गए. आखिरकार वही हुआ, जिस की उन्हें आशंका थी.

बेटी की खून से तरबतर लाश देख कर वह सिर पर हाथ रख कर जमीन पर जा बैठे और रोने लगे. नंदकिशोर को रोता देख गांव वाले भी वहां पहुंच गए.

नेक, हंसमुख और चंचल प्रवृत्ति की लाली थी कि अपनी चिकनीचुपड़ी बातों से सामने खड़े रोते हुए को भी पलभर में हंसा देती थी और हत्यारों ने ऐसी लड़की की जिंदगी ही छीन ली.

बहरहाल, गांव वाले नंदकिशोर को सहारा देते हुए वहां से घर वापस ले आए. थोड़ी ही देर में लाली की हत्या की खबर समूचे गांव में फैल गई. उस की हत्या की खबर मिलते ही सभी गांव वाले बगीचे में पहुंच गए. घटना की सूचना बखरी थाने को भी मिल चुकी थी.

विधवा का करवाचौथ : अंजलि का नया रूप

वह कोई दैवीय शक्तियों का मालिक नहीं था, लेकिन महज तजुर्बे से औरतों की बौडी लैंग्वेज का विशेषज्ञ बन गया था. वह औरतों के हावभाव देख कर ही ताड़ लेता था कि कहां कामयाबी की गुंजाइश ज्यादा है. जहां भी उसे संभावनाएं दिखतीं, वहां वह तनमनधन से जुट जाता था और जल्द ही अपने मकसद में कामयाब भी हो जाता था.

उस ने कितनी औरतों से उन की सहमति से शारीरिक संबंध बनाए थे, यह बताने को अब रामचरण जिंदा नहीं रहा, लेकिन कटनी के उस के जानने वाले बेहिचक बताते हैं कि ऐसी औरतों की तादाद किसी भी सूरत में दर्जन भर से कम नहीं हो सकती.

कटनी के एक प्राइवेट स्कूल में ड्राइवर की नौकरी कर रहे रंगीनमिजाज रामचरण की एकलौती कमजोरी औरतें थीं. जवानी से ही उसे तरहतरह की औरतों से संबंध बनाने का शौक या रोग कुछ भी कह लें, लग गया था. हालांकि घर में उस की पत्नी थी, जो जीजान से उसे चाहती थी और उस की इस फितरत से वाकिफ भी थी.

लेकिन घरगृहस्थी न उजड़े और बच्चों पर कलह का बुरा असर न पड़े, यह सोच कर उस ने खामोश रहने में ही भलाई समझी.

रामचरण की इन हरकतों का चूंकि घरगृहस्थी की सुखशांति पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा था, इसलिए गाड़ी ठीकठाक चल रही थी. रामचरण की एक और खूबी यह थी कि वह कभी किसी प्रेमिका से जोरजबरदस्ती नहीं करता था. कम पढ़ेलिखे इस शख्स को यह ज्ञान जाने कहां से मिल गया था कि 2 बालिग अगर सहमति से शारीरिक संबंध बनाते हैं तो उन्हें नाजायज करार देने वाले खुद गलत हैं.

मरजी के सौदे में यकीन करने वाले रामचरण को बीते कुछ सालों से लगने लगा था कि उस की जिस्मानी ताकत और यौनोत्तेजना में कमी आ रही है, लिहाजा उस ने कुछ आयुर्वेदिक और मर्दाना ताकत बढ़ाने वाली इश्तहारी दवाओं के बाद स्थाई रूप से वियाग्रा का सेवन शुरू कर दिया था, जो वाकई असरकारक दवा साबित हुई थी.

स्कूल की जिंदगी में रम चुके रामचरण की ड्राइवरी का हर कोई कायल था और वक्त की पाबंदी व ईमानदारी के मामले में भी उस की मिसाल दी जाती थी. इन सब खूबियों और बातों से परे रामचरण की खोजी निगाहें हर वक्त नए शिकार यानी ऐसी औरतों की तलाश करती रहती थीं, जिन्हें शीशे में उतार कर अपनी हवस मिटा सके.

इसी तलाश में एक दिन उस ने स्कूल की नई बाई (चपरासी) अंजलि बर्मन को देखा तो देखता ही रह गया. सांवली रंगत वाली अंजलि की उम्र 29 साल थी और वह खासी खूबसूरत और गठीले बदन की मालकिन थी. अंजलि को देखते ही इस अधेड़ बहेलिए ने जैसे मन ही मन संकल्प कर लिया कि जैसे भी हो, इस चिडि़या का शिकार करना है.

इस बाबत जब उस ने अंजलि को अपने स्तर पर टटोला तो नतीजा उस के हक में आया. लेकिन इस बात का भी अंदाजा हुआ कि स्कूल की यह नईनवेली बाई आसानी से उस के काबू में नहीं आने वाली. इस के लिए उसे थोड़ी मेहनत करनी पड़ेगी. इस चुनौती को स्वीकार करते हुए उस ने अपने नए मकसद की तरफ पहला कदम बढ़ा दिया.

विधवा अंजलि 2 बच्चों की मां थी और कटनी की एक बस्ती में रह रही थी. ये दोनों बातें रामचरण को सुकून देने वाली थीं. अपने स्तर की छानबीन में उसे यह भी पता चला कि विधवा होने के बावजूद अंजलि का कोई प्रेमी या आशिक नहीं है तो उस की बांछें और भी खिल उठीं.

स्कूल में रोज अंजलि से उस का सामना होता था. रामचरण ने जब अपने स्टाइल में उस से नजदीकियां बढ़ानी शुरू कीं तो अंजलि चौंकी. इस की वजह यह थी कि रामचरण उस से उम्र में लगभग दोगुना था. साथ ही घरगृहस्थी तथा बालबच्चेदार भी. इस के बाद भी वह उस पर डोरे डाल रहा था.

लेकिन जल्दी ही कुछ बातें उसे अपने हक की लगने लगीं. अंजलि को भी सुरक्षित ढंग से मर्द की और जिस्मानी सुख की जरूरत थी, यह बात स्त्री मनोविज्ञान का ज्ञाता हो चुका रामचरण पहली बार में ही ताड़ गया था. इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए वह यही अहसास अंजलि को भी करा रहा था.

जाहिर है, किसी बाहरी नौजवान से अंजलि का नाम जुड़ता तो उस की बदनामी होती और स्कूल वाले उसे नौकरी से बाहर करने में एक मिनट भी न लगाते. एक तरह से रामचरण की बड़ी उम्र और सहकर्मी होना किसी भी तरह का शक पैदा न करने वाली बातें थीं.

तजुर्बा और हालात दोनों काम आए तो जल्द ही रामचरण की रातें अंजलि के घर गुजरने लगीं. वह जानता था कि जितना ज्यादा वह अंजलि को बिस्तर में संतुष्टि देगा, वह उतनी ही उस की दीवानी और मुरीद होती जाएगी. ऐसा करने के लिए उस ने वियाग्रा की खुराक बढ़ा दी थी.

अंजलि की संगत में आ कर खुद को जवान महसूस करने वाले रामचरण के सिलेबस में त्रियाचरित्र का यह पाठ नहीं था कि जवान औरत को बातें भी रोमांटिक और जवानों जैसी चाहिए. मर्द कितनी ही शारीरिक संतुष्टि दे दे, पर उम्र का फर्क कहीं न कहीं झलक ही जाता है. एक वक्त ऐसा भी आता है जब ताकत बढ़ाने वाली दवाइयां भी एक हद के बाद असर दिखाना बंद कर देती हैं.

अंजलि की तरफ से बेफिक्र और अभिसार में डूबे रामचरण को कतई अहसास नहीं था कि उस का अनुभव उसे धोखा दे रहा है और मौत दबेपांव उस की तरफ बढ़ी चली आ रही है. वह 10 अक्तूबर की सुबह थी, जब दमोह जिले के हिंडोरिया थाने के थानाप्रभारी पी.डी. मिंज को खबर मिली कि दमोह कटनी रेलवे लाइन के गेट नंबर 3 पर एक लाश पड़ी है. यह सूचना उन्हें रेलवे गेट के चौकीदार दीपक मंडल ने दी थी.

मामला संगीन था, इसलिए पी.डी. मिंज तुरंत अपनी टीम के साथ घटनास्थल के लिए रवाना हो गए. चलने से पहले उन्होंने वारदात की खबर दमोह के एसपी विवेक अग्रवाल को देने की अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली थी.

लाश देख कर ही उन की समझ में आ गया था कि इस में शक की कोई गुंजाइश नहीं कि मामला बेरहमी से की गई हत्या का है. रेलवे पुलिया के नीचे पड़े मृतक की उम्र 50-55 साल थी. लाश के आसपास जानकारी देने वाला कोई सुराग नहीं मिला था, पर मृतक की तलाशी में उस की जेब से 2 चीजें बरामद हुईं, जिस में एक था मोबाइल फोन और दूसरी चौंका देने वाली चीज थी वियाग्रा का पूरा पत्ता.

इस चौंका देने वाली चीज से एक बात साफ जाहिर हो रही थी कि मामला जायज या फिर नाजायज संबंधों का था. तय था कि इस में कोई औरत भी शामिल थी. लेकिन जो भी था, सच जानना जरूरी था. इस के लिए मृतक की शिनाख्त जरूरी थी.

यह काम बहुत ज्यादा मुश्किल नहीं था. लाश की जेब से मिले मोबाइल फोन के नंबरों ने मिनटों में साफ कर दिया कि मृतक का नाम रामचरण बर्मन है और वह इंद्रा ज्योतिनगर कटनी का रहने वाला है.

रामचरण के फोन में मिले नंबरों पर बात करने से उस की शिनाख्त तो हो गई, पर यह कोई नहीं बता सका कि वह कटनी से दमोह कैसे पहुंच गया था. उस की पत्नी और घर वाले भी यह बात नहीं बता सके थे.

मामला जल्द सुलझाने की गरज से एसपी विवेक अग्रवाल ने पी.डी. मिंज के नेतृत्व में एक टीम गठित कर दी, जिस में थाना पटेरी के थानाप्रभारी रमा उदेनिया के साथ बांदकपुर चौकी के इंचार्ज पी.डी. दुबे को भी शामिल किया गया.

मामला हाथ में आते ही इस टीम ने सब से पहले रामचरण की काल डिटेल्स खंगाली तो पता चला कि उस की सब से ज्यादा बातें अंजलि बर्मन से हुई थीं. दिलचस्प और मामला लगभग सुलझा देने वाली एक बात यह भी थी कि 9 अक्तूबर को अंजलि के मोबाइल फोन की लोकेशन आनू गांव की मिल रही थी, जो घटनास्थल के नजदीक था.

शक की कोई गुंजाइश नहीं थी कि हत्या की इस वारदात में अंजलि का हाथ न हो या वह इस कत्ल के बारे में न जानती हो. इसलिए जब उस से पूछताछ की गई तो शुरुआती नानुकुर के बाद उस ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. इस के बाद उस ने जो कहानी सुनाई, वह इस प्रकार थी—

अपने और रामचरण के संबंधों की बात तो अंजलि ने नहीं स्वीकारी, लेकिन ईमानदारी से यह जरूर बता दिया कि हत्या में उस का साथ 28 साल के सूरज पटेल के अलावा उस के दोस्तों 24 साल के संतोष पटेल और 26 साल के जगत पटेल ने दिया था.

अंजलि के मुताबिक रामचरण उस पर बुरी नजर रखता था और उस से नाजायज संबंध बनाने के लिए दबाव डाल रहा था. स्कूल में जानपहचान होने के बाद रामचरण ने सीधे शारीरिक संबंध बनाने की मांग कर डाली थी, अंजलि इनकार करने के साथ उस से दूरी बना कर रहने लगी थी.

तजुर्बेकार रामचरण ने आदत के मुताबिक इस इनकार को इकरार समझा और उस के पीछे पड़ गया. अकसर आधी रात को वह फोन कर के उस से सैक्सी बातें करते हुए शारीरिक संबंध बनाने के लिए कहता.

पिछले कुछ दिनों से अंजलि की दोस्ती सूरज से हो गई थी. जब उस ने अपनी यह परेशानी उसे बताई तो वह रामचरण को रास्ते से हटाने को तैयार हो गया. इस बाबत उस ने अपने दोस्तों संतोष और जगत से बात की तो वे उस का साथ देने को तैयार हो गए.

इस के बाद चारों ने मिल कर रामचरण की हत्या की योजना बनाई और फिर उस पर अमल कर डाला. इन का सोचना यह था कि रामचरण को कटनी से दूर ले जा कर मारा जाए तो लाश की शिनाख्त नहीं हो सकेगी और वे बच जाएंगे.

योजना के मुताबिक, हादसे के कुछ दिन पहले जब रामचरण ने अंजलि से जिस्मानी ताल्लुक बनाने की मांग की तो इस बार उस ने मना करने के बजाय उसे उकसाने वाली यानी सैक्सी बातें कीं. रामचरण को मेहनत रंग लाती दिखी. फोन पर अंजलि ने कहा था कि वाकई उस ने उस जैसा दीवाना नहीं देखा, पर यहां कटनी में ऐसा करने से बदनामी हो सकती है, इसलिए इच्छा पूरी करने के लिए कहीं बाहर चलना पड़ेगा.

रामचरण की हालत तो अंधा क्या चाहे 2 आंखें वाली थी, इसलिए वह अंजलि के कहे अनुसार बांदकपुर चलने को तैयार हो गया. तय हुआ कि सैक्स करने से पहले दोनों बांदकपुर के मंदिर में दर्शन करेंगे.

पहले अंजलि ने उसे करवाचौथ वाले दिन चलने को कहा था, पर औरतों के रसिया रामचरण को अपनी पत्नी की भावनाओं और व्रत का पूरा खयाल था, इसलिए 9 अक्तूबर का दिन तय हुआ. त्रियाचरित्र तो अपना रंग दिखा ही रहा था, पुरुष चरित्र भी उन्नीस नहीं था, जो यह कह रहा था कि करवाचौथ के दिन पत्नी का व्रत खुलवाना है, इसलिए अगले दिन चलेंगे.

9 अक्तूबर को तय वक्त पर रामचरण ने अंजलि को अपनी मोटरसाइकिल पर बैठाया और बांदकपुर की तरफ चल पड़ा. जाने से पहले उस ने वियाग्रा का पूरा पत्ता खरीद कर जेब में रख लिया था.

बांदकपुर जाने के बाद दोनों अंधेरा होने का इंतजार करने लगे, जिस से संबंध बनाने में सहूलियत हो. अंधेरा होते ही इस इलाके से वाकिफ रामचरण अंजलि को आनू गांव की रेलवे पुलिया के नीचे ले गया, जहां आमतौर पर सुनसान रहता है. इस के पहले उस ने वियाग्रा की दो गोलियां खा ली थीं.

रामचरण को जरा भी अहसास नहीं था कि प्रेयसी भले ही पहलू में है, पर मौत भी उस के पीछे दौड़ रही है. सूरज और उस के दोस्त अंजलि के इशारे पर उन का पीछा कर रहे थे. जैसे ही रामचरण पुलिया के नीचे सहवास के लिए अंजलि के ऊपर झुका, सूरज और उस के दोस्तों ने उसे खींच लिया.

इस के बाद तीनों ने रामचरण के साथ मारपीट कर के उस का गला दबा दिया. फिर उस के सिर पर पत्थर से वार कर के उस की हत्या कर दी.

हत्या कर के चारों कटनी आ गए, पर मोबाइल फोन की लोकेशन ने इन्हें पकड़वा दिया. अंजलि का कहना था कि रामचरण उसे धमकी देता रहता था कि अगर उस ने उस की बात नहीं मानी तो वह सूरज और उस के प्रेमप्रसंग को आम कर देगा. अंजलि इस धमकी से डर गई थी, क्योंकि एक विधवा के प्रेमप्रसंग और नाजायज संबंधों से बदनामी होती तो उस की नौकरी जानी तय थी.

कटनी में किसी ने अंजलि के पुलिस को दिए बयान से इत्तफाक नहीं रखा. उलटे यह चर्चा आम रही कि रामचरण से ऊब जाने के बाद उस ने सूरज से पींगे बढ़ानी शुरू कर दी थीं, इस से रामचरण नाराज था. एक दिन रामचरण ने उसे सूरज के साथ रंगरलियां मनाते रंगेहाथों पकड़ भी लिया था. इस पर दोनों में खूब झगड़ा भी हुआ था.

सच जो भी हो, पर अब अंजलि अपने आशिक सहित जेल में है, जिस ने हत्या जैसे जघन्य अपराध को अंजाम देने से पहले अपनी मासूम बच्चियों के भविष्य के बारे में बिलकुल नहीं सोचा, जिन की कोई गलती नहीं थी.

‘वेलेंटाइन डे’ में कैसे बदली ‘एसिड अटैक’ की खुशियां

एसिड अटैक का शिकार हुई रूपाली ने कभी सोचा भी नहीं था कि उसके जीवन में वेलेंटाइन डे मनाने और कैडिल लाइट डिनर करने का मौका आयेगा. लखनऊ में होटल नोवाटेल ने रूपाली और उसके पति कुलदीप को 14 फरवरी के दिन कैडिल लाइट डिनर करने का मौका दिया तो रूपाली अपने जिंदगी में मिले दर्द को छिपा नहीं सकी. उत्तर प्रदेश के गाजीपुर की रहने वाली रूपाली के बचपन का नाम रेनू था.

रेनू देखने में बहुत संदुर थी तो उसका नाम रूपाली रख दिया गया. रूपाली जब बडी हुई उसे फिल्मो में काम करने का शौक हुआ. उत्तर प्रदेश के पूर्वाचंल में भोजपुरी फिल्में बहुत बनती है. रूपाली को भी भोजपुरी फिल्म ‘दहेज प्रथा’ में काम करने आ अवसर मिल गया. रूपाली के सपने पूरे होने लगे. रूपाली को पता नहीं था कि यही उसके जीवन के सबसे दुख भरे दिन शुरू होने वाले है. फिल्म की शूटिंग शुरू हुई. तो वहां अजय नाम का कैमरामैन रूपाली पर फिदा हो गया. वह उससे शादी करने के सपने देखने लगा.

रूपाली इसके लिये तैयार नहीं थी. ऐसे में अजय ने रूपाली की मां से भी बात की. रूपाली की मां ने भी जब इससे इंकार कर दिया तो अजय ने धमकी दी कि ‘तुमको अपनी बेटी के चेहरे पर बहुत घमंड है. अब यह चेहरा घमंड लायक नहीं रहेगा’. फिल्म की शूटिंग के लिये जब रूपाली को बुलाया गया तो उसने कहा कि अगर अजय वहां होगा तो वह काम करने नहीं आयेगी. फिल्म वालों ने उसको भरोसा दिलाया कि अजय वहां नहीं होगा. इस बात पर रूपाली काम करने के लिये तैयार हुई.

रूपाली को पता नहीं था कि वह साजिश का शिकार हो चुकी है. ज बवह फिल्म की शूटिंग करने पहुंची तो उसे अजय वहां दिखा. पर सभी ने कहा कि कोई बात नहीं तुम शूटिंग करो. शूटिंग के बाद जब आराम का समय हुआ तो खाना मिला. इस खाने में कुछ मिला था. जिसके खाने के बाद रूपाली गहरी नींद में सो गई. सोते में ही उस पर एसिड अटैक हुआ.

crime

दर्द से चीखती रूपाली को अच्छा इलाज नहीं मिला. बाद में टीवी के समाचार में देखने के बाद एक डाक्टर ने आगे बढ कर उसके इलाज में मदद की. रूपाली के लिये सबसे बुरी बात यह थी कि चेहरे के साथ उसकी आंखों में एसिड पड चुका था.

वहां जख्म गहरा था. आंखों की रोशनी जाने का खतरा था. एक साल से अधिक का समय उसके इलाज में समय लगा. इलाज के बाद जब उसने अपने चेहरे को देखा तो उसका हौसला टूट चुका था. जिदंगी में निराशा आ चुकी थी. घर में सभी लोगों का व्यवहार रूपाली के खिलाफ था. ऐसिड अटैक के लिये उसको ही दोष दिया जा रहा था.

रूपाली को सबसे अधिक दुख देने वाले उसके पिता का व्यवहार था. पिता ने इलाज के समय मे भी डाक्टर को कहा था कि इसके जिंदा रहने से अच्छा है कि जहर दे कर मार दिया जाय. घर आने के बाद भी यही व्यवहार रहा. मां रूपाली का सहयोग करती थी. तब पिता ने उनके साथ झगडा किया और कहा कि अगर वह रूपाली के साथ रहेगी तो उसको तलाक दे देंगे.

यह बात रूपाली को चुभ गई. रूपाली को उस समय काम करने के लिये शीरोज संस्था में मौका मिला वह गाजीपुर से लखनऊ आ गई. शीरोज में काम करने के दौरान ही रूपाली की मुलाकात कुलदीप से हुई. कुलदीप लखीमपुर का रहने वाला था और शीरोज में काम करता था. रूपाली और कुलदीप मेे पहले जानपहचान, दोस्ती, प्यार और फिर शादी हो गई. कुलदीप के परिवार वालों ने रूपाली केा स्वीकार कर लिया. रूपाली को 2 साल की बेटी दीपांशी भी है.

होटल नोवाटेल के जनरल मैनेजर सुनील वर्मा ने जब रूपाली और कुलदीप को वेलेटाइन डे के दिन कैंडिल लाइट डिनर का टिकट दिया तो रूपाली ओर कुलदीप की खुशियों का ठिकाना नहीं रहा. रूपाली कहती है आज वह किसी के उपर बोझ नहीं है. अब परिवार के लोग उससे वापस जुड़ना चाहते है. वेलेंटाइन डे रूपाली और कुलदीप के जीवन की यादगार शाम बन गई है.

विकट की वासना : क्या था उस लड़की का कसूर

15 मार्च, 2017 की सुबह गोवा के पणजी से करीब 80 किलोमीटर दूर थाना काणकोण पुलिस को किसी ने सूचना दी कि आगोंद और देववांग स्थित कडेंला के जंगल में एक विदेशी युवती का शव पड़ा है. सूचना मिलते ही थाना काणकोण में ड्यूटी पर तैनात इंसपेक्टर फिलोमेनो कोस्ता कुछ सिपाहियों को साथ ले कर घटनास्थल पर पहुंच गए.

लाश की स्थिति देख कर ही लग रहा था कि दुष्कर्म के बाद युवती की हत्या की गई है. मृतका के शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था. उस की हत्या भी बड़ी बेरहमी से की गई थी. शिनाख्त न हो सके, इस के लिए हत्यारे ने मृतका का चेहरा किसी नुकीली चीज से बिगाड़ दिया था.

इंसपेक्टर फिलोमेनो कोस्ता ने इस घटना की जानकारी अधिकारियों को दे दी थी. यही वजह थी कि वह लाश और घटनास्थल का निरीक्षण कर के लाश की शिनाख्त कराने की कोशिश कर रहे थे, तभी गोवा के पुलिस उपायुक्त संभी नावरिश के साथ थाना काणकोण के थानाप्रभारी उत्तम राऊत और देसाई भी फोरैंसिक टीम के साथ पहुंच गए. फोरैंसिक टीम का काम निपट गया तो सभी ने एक बार फिर घटनास्थल और लाश का निरीक्षण किया.

घटनास्थल पर बीयर की एक टूटी बोतल के अलावा ऐसी कोई भी चीज नहीं मिली थी, जिस से मृतका या हत्यारे के बारे में कुछ पता चलता. उस टूटी हुई बीयर की बोतल में खून लगा था, इस से पुलिस ने अंदाजा लगाया कि युवती की हत्या करने के बाद इसी बोतल से उस का चेहरा बिगाड़ा गया था.

घटनास्थल की सारी औपचारिकताएं पूरी कर के पुलिस लाश को पोस्टमार्टम के लिए गोवा स्थित मैडिकल कालेज भिजवा दिया गया.

घटनास्थल की काररवाई निपटाने के बाद थाने लौट कर पुलिस ने विदेशी युवती की हत्या का मामला दर्ज कर लिया और हत्यारे तक पहुंचने के बारे में विचार करने लगी. लेकिन हत्यारे तक तभी पहुंचा जा सकता था, जब उस युवती के बारे में कुछ पता चलता.

विदेशी युवती की लाश का पोस्टमार्टम 2 डाक्टरों के पैनल ने किया. पुलिस का अनुमान था कि मृतका की हत्या और उस के साथ की गई जबरदस्ती में एक से अधिक लोग शामिल रहे होंगे. लेकिन पुलिस का यह अनुमान गलत निकला, क्योंकि पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टरों और फोरैंसिक टीम की रिपोर्ट के अनुसार, दुष्कर्म और हत्या एक ही आदमी ने की थी. लेकिन वह क्रूरता की सारी हदें पार कर गया था.

विदेशी युवती की हत्या का मामला था, इसलिए पुलिस ने इस मामले को काफी गंभीरता से ही नहीं लिया, बल्कि मामले की जांच में तेजी से जुट भी गई. इस मामले पर पुलिस उपायुक्त संभी नावरिश नजर ही नहीं रखे हुए थे, बल्कि जांच की बागडोर भी खुद ही संभाले हुए थे. उन्होंने थानाप्रभारी उत्तम राऊत और अन्य अधिकारियों के साथ बैठक कर जांच की रूपरेखा तैयार की और सभी को विदेशी युवती के बारे में पता लगाने के लिए लगा दिया.

संयोग से युवती के बारे में पता चलने में ज्यादा देर नहीं लगी. पुलिस वालों ने जब समुद्र किनारे आनंद ले रहे विदेशी पर्यटकों से लाश की फोटो दिखा कर पूछताछ की तो कलाई पर बने टैटू को देख कर उस के दोस्तों ने उस की पहचान डेनियल मैकलागलिन के रूप में की. पता चला कि आयरलैंड से होली का त्यौहार मनाने गोवा आई डेनियल मैकलागलिन करीब 18 घंटे से गायब है.

डेनियल मैकलागलिन की हत्या हो चुकी है, यह जान कर उस के दोस्त परेशान हो उठे. जैसे ही डेनियल की हत्या की खबर गोवा में फैली, थोड़ी ही देर में थाना काणकोण के सामने विदेशी पर्यटकों की भीड़ लग गई. इस भीड़ में विदेशी पत्रकार भी थे. विदेशी पर्यटकों की नाराजगी को देखते हुए संभी नावरिश ने आश्वासन दिया कि वह जल्द से जल्द हत्यारे को गिरफ्तार कर लेंगे.

इस के बाद कुछ पर्यटक मोमबत्ती और फूलों का गुलदस्ता ले कर डेनियल को श्रद्धांजलि देने घटनास्थल पर भी गए. डेनियल के बारे में पूरी जानकारी मिल गई तो पुलिस ने उस की हत्या की जानकारी उस के घर वालों को दे दी थी. सूचना मिलते ही उस के घर वाले गोवा आ गए और उस की शिनाख्त कर दी.

घर वालों के आने से पुलिस पर हत्यारे की गिरफ्तारी का दबाव बढ़ गया था. पुलिस का मानना था कि डेनियल की हत्या किसी अपराधी प्रवृत्ति के ही युवक ने की है, इसलिए पुलिस ऐसे युवकों के बारे में पता लगाने लगी. कुछ युवकों को थाने बुला कर पूछताछ भी की गई, लेकिन कुछ पता नहीं चला.

हत्या के इस मामले में इंसपेक्टर फिलोमेनो कोस्ता कुछ ज्यादा ही दिलचस्पी ले रहे थे. इसलिए पुलिस अधिकारियों ने उन्हें ही इस मामले की जांच सौंप दी. सहयोगियों की मदद से वह उन युवकों के बारे में पता कर रहे थे, जिन की गतिविधियां विदेशी पर्यटकों के बीच संदिग्ध थीं. काफी कोशिश के बाद भी जब वह हत्यारे तक नहीं पहुंच सके तो उन्होंने गोवा और काणकोण के समुद्री किनारे पर बने पबों और रेस्टोरेंटों में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज निकलवा कर देखी.

उन की यह तकनीक सफल रही और एक फुटेज में उन्हें डेनियल एक युवक के साथ जाती दिखाई दे गई. उस युवक को वह पहचानते थे. उस का नाम विकट भगत था और वह गोवा का शातिर अपराधी था. उस के जिला बदर का मामला जिलाधिकारी के पास विचाराधीन था.

विकट भगत एक शातिर अपराधी था, इसलिए पुलिस को उस तक पहुंचने में ज्यादा परेशानी नहीं हुई. उसे उस समय गिरफ्तार कर लिया गया, जब वह मुंबई जाने की तैयारी कर रहा था. गिरफ्तारी के बाद पुलिस अधिकारियों ने जब उस से विस्तार से पूछताछ की तो डेनियल की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी—

गोवा का समुद्री किनारा विदेशी पर्यटकों को काफी आकर्षित करता है. इस की एक वजह यह भी है कि वहां कोकेन, चरस और एलएसडी जैसी नशे की चीजें आसानी से मिल जाती हैं. शाम होते ही यहां रेव पार्टियां शुरू हो जाती हैं, जो गोवा के वातावरण में रंगीनियां और मदहोशियां घोलती हैं.

इस बात का फायदा यहां के अपराधी प्रवृत्ति के लोग खूब उठाते हैं. अपराधी प्रवृत्ति के लोग विदेशियों की कमजोरी पकड़ कर उन्हें उन के पसंद की चीज उपलब्ध करा कर उन से दोस्ती गांठ लेते हैं. इस के बाद मौका मिलते ही इस का फायदा उठाने से नहीं चूकते. इस में सब से ज्यादा फंसती हैं विदेशी महिलाएं. वे ऐसे लोगों के झांसे में जल्दी आ जाती हैं.

जाल में फंसते ही ये शातिर लोग उन की कमजोरी का पूरा फायदा उठाते हैं. कभीकभी ऐसी महिलाओं को जान भी गंवानी पड़ती है. डेनियल का भी ऐसा ही मामला था. इस के पहले भी इंग्लैंड की रहने वाली 14 साल की स्कारलेट की हत्या हो चुकी थी.

डेनियल का हत्यारा 23 वर्षीय विकट भगत भी ऐसा ही शातिर अपराधी था. वह गोवा की पणजी तहसील के थाना काणकोण का रहने वाला था. स्वस्थ और सुंदर विकट के घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, जिस की वजह से वह ज्यादा पढ़लिख नहीं सका. पिता के पास थोड़ी जमीन थी, उसी पर खेती कर के वह किसी तरह परिवार को पाल रहे थे. जिम्मेदारियों को निभाने के चक्कर में वह बेटे पर ज्यादा ध्यान नहीं दे सके, जिस की वजह से वह आवारा ही नहीं, अपराधी भी बन गया.

अभावग्रस्त और आवारा दोस्तों के साथ रहने की वजह से 13 साल की उम्र में ही विकट अपराध की राह पर चल पड़ा था. अपने कुछ आवारा दोस्तों के साथ वह पूरा दिन गोवा और काणकोण के समुद्री किनारों पर घूमता रहता और विदेशी पर्यटकों की पसंद की चीजें यानी चरस, गांजा, कोकेन, एलएसडी जैसे मादक पदार्थ उपलब्ध कराता.

ऐसे में ही मौका मिलने पर कभीकभी विकट विदेशी पर्यटकों का सामान भी उड़ा देता. उस सामान को बेच कर वह दोस्तों के साथ मौजमजा करता. जैसेजैसे उस की उम्र बढ़ती गई, वैसेवैसे वह शातिर होता गया. वह पढ़ालिखा भले कम था, लेकिन गोवा के माहौल में रहने की वजह से अंगरेजी अच्छी बोल लेता था.

18 साल का होतेहोते विकट शातिर अपराधी बन गया था. अब वह बड़ी आसानी से गोवा आने वाले विदेशी पर्यटकों के बीच अपनी पैठ बना कर अपने वाकचातुर्य से उन का विश्वास जीत लेता था. इस के बाद मौका मिलते ही वह उन के साथ विश्वासघात करने से नहीं चूकता था.

मार्च, 2014 में पहली बार काणकोण पुलिस ने विकट भगत को उस समय गिरफ्तार किया था, जब वह किसी विदेशी पर्यटक के सामान पर हाथ साफ कर रहा था. पूछताछ में उस ने विदेशी पर्यटकों के साथ किए गए बीसों अपराध स्वीकार किए थे. लेकिन ठोस सबूत न होने की वजह से वह अदालत से जल्दी ही बरी हो गया था.

28 वर्षीया डेनियल मेकलागालिन और विकट भगत की मुलाकात नवंबर, 2015 में गोवा में हुई थी. उस समय डेनियल अपने कुछ दोस्तों के साथ गोवा घूमने आई थी. तब गाइड बन कर विकट ने उसे गोवा ही नहीं घुमाया था, बल्कि उस की हर तरह से मदद भी की थी. यही वजह थी कि डेनियल की विकट से गहरी दोस्ती हो गई थी.

जब तक डेनियल गोवा में रही, विकट उस की सेवा में लगा रहा. अपने सेवाभाव से उस ने डेनियल को इस तरह प्रभावित किया कि अपने देश लौट कर भी वह उसे भुला नहीं सकी. खूबसूरत डेनियल मैकलागलिन आयरलैंड की रहने वाली थी. वहां वह एक बार में काम करती थी. जितनी वह तन की गोरी थी, उतनी ही वह मन की भी सुंदर थी.

खूबसूरत डेनियल को गरीबों के प्रति काफी लगाव था. उस से गरीबों का दुख देखा नहीं जाता था. यही वजह थी कि वह अपनी कमाई का एक हिस्सा गरीबों में दान करती थी. यह बात वहां के अखबारों से सामने आई है.

भारत घूम कर डेनियल अपने देश लौट गई, लेकिन उस का दिल गोवा में ही रह गया था. अपने देश पहुंच कर भी वह गोवा के मनोहारी दृश्यों और समुद्री किनारों को नहीं भूल पाई थी. इस के अलावा विकट भी उस का गहरा दोस्त बन गया था. दोनों फेसबुक और वाट्सऐप पर घंटों चैटिंग करते थे.

3 फरवरी, 2017 को डेनियल एक बार फिर टूरिस्ट वीजा पर अपने दोस्तों के साथ गोवा आई. गोवा आने की सूचना उस ने विकट को पहले ही दे दी थी, इसलिए उस के गोवा पहुंचते ही विकट उस से मिलने पहुंच गया. उस के आने से विकट काफी खुश था.

इस के बाद दोनों गोवा की कई रंगीन रेव पार्टियों में शामिल हुए. डेनियल विकट के साथ घंटों घूमतीफिरती और बातें करती. इस का विकट ने कुछ अलग ही अर्थ निकाला. उसे लगा कि डेनियल उसे प्यार करने लगी है. उस का सोचना था कि विदेशी औरतें दिलफेंक और खुले विचारों की होती हैं. वे सैक्स में किसी तरह का परहेज नहीं करतीं. उस ने डेनियल को भी इसी तरह की समझा.

जबकि डेनियल ऐसी नहीं थी. फिर भी वह डेनियल के पीछे पड़ गया. वह डेनियल को सैक्स के लिए राजी कर पाता, उस के पहले ही होली का त्यौहार आ गया. डेनियल ने भी दोस्तों के साथ होली खेली. उस ने थोड़ी भांग भी खा ली थी. होली खेल कर देह पर लगा रंग समुद्र के पानी में साफ कर रही थी, तभी उसे विकट भगत अपने 4-5 दोस्तों के साथ आता दिखाई दे गया. विकट ने भी डेनियल को देख लिया था. उस समय डेनियल ऐसे कपड़ों में थी कि विकट की नजर उस की देह पर चिपक कर रह गई.

डेनियल को उस स्थिति में देख कर विकट की हवस जाग उठी. मन में तूफान उठा तो वह दोस्तों को भेज कर खुद डेनियल के पास पहुंच गया. उसे देख कर डेनियल पानी से बाहर आ गई. लेकिन उस के बालों से अभी भी पानी टपक रहा था, साथ ही उस के कपड़े भी भीग कर शरीर से चिपके थे, जो विकट के मन में दबी वासना को भड़का रहे थे.

पानी से बाहर आने के बाद डेनियल विकट से बातें करते हुए समुद्र के किनारे धूप में टहलती रही. विकट के मन में क्या चल रहा है, डेनियल को इस बात का आभास नहीं हो सका. उस के कपड़े सूख गए तो वह विकट के साथ जा कर एक रेस्टोरेंट में बैठ गई. खाना खाते हुए वह विकट से बातें करती रही. बातें करते हुए विकट ने डेनियल को एक नई जगह दिखाने को कहा तो वह उस के साथ चलने को राजी हो गई.

इस के बाद वह डेनियल को अपनी मोटरसाइकिल पर बिठा कर कडेंला के जंगल की ओर चल पड़ा. जंगल में सुनसान जगह पर मोटरसाइकिल रोक कर उस ने डेनियल से शारीरिक संबंध बनाने की इच्छा जाहिर की तो वह राजी नहीं हुई. यही नहीं, उस ने विकट को आड़े हाथों लेते हुए खूब खरीखोटी भी सुनाई. उस का कहना था कि  वह उस का दोस्त है, इसलिए उसे दोस्त के बारे में ऐसा नहीं सोचना चाहिए.

लेकिन वासना की आग में अंधे विकट भगत पर डेनियल की बातों का कोई असर नहीं हुआ. वह उस के साथ जबरदस्ती करने लगा. डेनियल ने उस का जम कर विरोध किया. अपने मकसद में कामयाब होते न देख विकट को गुस्सा आ गया. वह डेनियल के साथ मारपीट करने लगा. डेनियल भी उस से भिड़ गई, जिस से विकट को भी चोटें आईं.

आसानी से काबू में आते न देख विकट ने डेनियल का गला पकड़ कर दबा दिया. डेनियल बेहोश कर गिर पड़ी तो विकट ने उस के सारे कपड़े उतार कर अपनी वासना की आग ठंडी की.

डेनियल के साथ जी भर कर मनमानी करने के बाद उसे लगा कि होश में आने के बाद यह उसे पकड़ा सकती है तो उस ने उस की हत्या कर दी. इस के बाद उस की पहचान न हो सके, उस ने साथ लाई बीयर की बोतल को तोड़ कर उस का चेहरा बिगाड़ दिया. इस के बाद उस का सारा सामान ले कर वापस आ गया. पुलिस ने हत्या के इस मामले को मात्र 36 घंटे में सुलझा लिया था. पूछताछ के बाद पुलिस ने उसे गोवा के मैट्रोपौलिटन मजिस्ट्रैट की अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. आगे की जांच इंसपेक्टर फिलोमेनो कोस्ता कर रहे थे.

काजल का असली रंग : बेटे को पढ़ाने वाले टीचर से बनाए संबंध – भाग 1

वासना की आग ऐसी भड़की कि पतिपत्नी के उस रिश्ते को भी भूल गई, जिस के लिए 12 साल पहले उस ने सात जन्मों का बंधन निभाने का वादा किया था. उस ने प्रेमी संग मिल कर पति की हत्या कर डाली. प्रेमी ने योजना तो ऐसी बनाई थी कि पति की हत्या में मायके वाले ही फंस जाएं और वह प्रेमिका संग मौज मनाता रहे. लेकिन उन के मंसूबों पर तब पानी फिर गया, जब उन की काल डिटेल्स में 13 सौ बार बातचीत करने का पता चला.

35 वर्षीय दिलीप कुमार पाठक बिहार के बेगूसराय जिले के थाना तेघरा के गांव रानीटोल में अपनी ससुराल आया था. उस की पत्नी काजल उर्फ कंचन एकलौते बेटे अंश को ले कर सालों से मायके में रह रही थी. अंश मामा के घर रह कर ही पढ़ता था. काजल भी वहीं रहते हुए एक नर्सरी स्कूल में पढ़ाती थी.

वैसे भी दिलीप की माली हालत ठीक नहीं थी. वह प्रौपर्टी डीलिंग का काम करता था. प्रौपर्टी डीलिंग के इस धंधे में उस ने अपनी सारी जमापूंजी लगा दी थी. इस धंधे में उसे इतना घाटा हुआ था कि वह पैसेपैसे के लिए मोहताज हो गया था. अपनी स्थिति सुधारने के लिए ही उस ने पत्नी और बेटे को ससुराल भेजा था.

उस ने सोचा था कि जब तक हाथ खाली है, तब तक पत्नी और बच्चे को मायके में रहने दे. पैसों का थोड़ा इंतजाम हो जाने के बाद उन्हें वापस बुला लेगा. इसीलिए उस ने काजल और बेटे अंश को रहने के लिए ससुराल भेज दिया था.

उस दिन 25 नवंबर, 2017 की तारीख थी. शाम साढ़े 6 बजे के करीब दिलीप घर से अकेला ही बेटे की कौपी खरीदने चौर बाजार के लिए निकला. उस ने पत्नी से कहा कि कौपी खरीद कर थोड़ी देर में लौट आएगा. उसे घर से निकले काफी देर हो चुकी थी. देखतेदेखते रात के 10 बज गए, लेकिन दिलीप लौट कर घर नहीं आया. इस से काजल और अंश दोनों परेशान हो गए. दोनों की समझ में नहीं आ रहा था कि वे क्या करें. इतनी रात गए उसे कहां ढूंढें.

परेशान काजल को जब कुछ नहीं सूझा तो उस ने देवर विनीत के पास ससुराल फोन कर के पूछा कि दिलीप वहां तो नहीं गए हैं? शाम 5 बजे के करीब बाजार जाने के लिए कह कर घर से पैदल ही निकले थे, लेकिन अभी तक लौट कर नहीं आए. मेरा तो सोचसोच कर दिल बैठा जा रहा है.

भाभी के मुंह से भाई के बारे में ऐसी बात सुन कर विनीत भी परेशान हो गया कि आखिर बिना कुछ बताए भाई कहां चला गया. फिर उस ने बड़े भाई दिलीप के फोन पर काल की तो उस का फोन स्विच्ड औफ था. उस ने कई बार उस से बात करने की कोशिश की लेकिन हर बार फोन बंद मिला. आखिर उस ने यह बात घर वालों को भी बता दी.

दिलीप के घर वाले जिला समस्तीपुर में रहते थे. वहां से बेगूसराय थोड़ी दूरी पर था. विनीत ने सोचा अब तो सुबह ही कुछ हो सकता है. उस ने रात तो जैसेतैसे काट ली. सुबह होते ही वह भाई का पता लगाने रानीटोल पहुंच गया.

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वहां पहुंच कर उसे पता चला कि रानीटोल से सटी बूढ़ी गंडक नदी के किनारे हृष्टपुष्ट गोरे रंग और औसत कदकाठी के एक युवक की लाश पाई गई है. लाश का जो हुलिया बताया जा रहा था, वह काफी कुछ उस के भाई दिलीप से मेल खा रहा था. यह सुन कर विनीत थोड़ा विचलित हो गया कि कहीं लाश भाई की तो नहीं है. हो सकता है, उस के साथ कोई घटना घट गई हो.

जितनी भी जल्दी हो सकता था, वह मौके पर पहुंच गया. वहां काफी भीड़ जमा थी. भीड़ को चीरता हुआ वह लाश तक पहुंच गया. लाश दाईं करवट पड़ी थी. हत्यारों ने उस की गरदन पर किसी तेज धारदार हथियार से पीछे से वार किया था. पास ही पूजा की सामग्री पड़ी थी और लाश के ऊपर अधखुली पीली मखमली चादर पड़ी थी.

ऐसा लग रहा था, जैसे मृतक जब पूजा कर रहा था, तभी हत्यारे ने मौका देख कर उस पर पीछे से वार कर दिया हो. विनीत लाश देख कर पहचान गया कि लाश उस के भाई की है. वह भाई की लाश से लिपट कर बिलखबिलख कर रोने लगा.

गांव वाले भी लाश को देखते ही पहचान गए थे कि काजल के पति दिलीप की लाश है. जैसे ही काजल को पति की हत्या की सूचना मिली तो वह गश खा कर गिर गई. घर में रोनापीटना शुरू हो गया. घर वाले वहां पहुंच गए, जहां दामाद का शव पड़ा था.

जहां से दिलीप का शव बरामद हुआ था, वह इलाका समस्तीपुर जिले के थाना मुफस्सिल में पड़ता था. थाना मुफस्सिल को घटना की सूचना मिल चुकी थी. थानाप्रभारी पवन सिंह पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंच गए थे. पवन सिंह ने इस बात की सूचना पुलिस अधीक्षक दीपक रंजन और डीएसपी मोहम्मद तनवीर अहमद को दे दी थी.

वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी वहां पहुंच गए. घटनास्थल और लाश का निरीक्षण करने के बाद थानाप्रभारी पवन सिंह ने मृतक के भाई से पूछताछ की तो उस ने बताया कि दिलीप के पास उस का एक सेलफोन था, जो गायब है.

घटनास्थल पर पूजा की सामग्री के अलावा दूसरी कोई चीज नहीं मिली थी. पुलिस ने पूजा सामग्री और चादर अपने कब्जे में ले ली. कागजी काररवाई करने के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी गई. फिर पुलिस थाने लौट आई.

विनीत ने अपने भाई दिलीप की हत्या की तहरीर थाने में दे दी, जिस के आधार पर पुलिस ने भादंवि की धारा 302, 34 के तहत अज्ञात हत्यारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर के जांच शुरू कर दी.

दिलीप पाठक हत्याकांड का खुलासा करने के लिए एसपी दीपक रंजन ने डीएसपी तनवीर अहमद के नेतृत्व में एक टीम गठित कर दी. डीएसपी तनवीर अहमद ने घटनास्थल का दौरा कर के स्थिति को समझने की कोशिश की. परिस्थितियां बता रही थीं कि हत्या के इस मामले में मृतक का कोई अपना ही शामिल था. वह कौन था, इस का पता लगाना जरूरी था.

पुलिस ने मृतक के भाई विनीत पाठक से दिलीप की किसी से दुश्मनी के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि उस की किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी. काजल ने भी यही कहा. इसी दौरान एक मुखबिर ने चौंकाने वाली जानकारी दी. उस ने बताया कि दिलीप और उस की पत्नी काजल के बीच काफी मनमुटाव चल रहा था.

प्रारंभिक जांच के दौरान तनवीर अहमद को काजल की हरकतें खटकी भी थीं, लेकिन उस के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं थे, इसलिए उन्होंने उस से सीधे बात करना ठीक नहीं समझा था.

डीएसपी मोहम्मद तनवीर अहमद ने दिलीप और काजल के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई. काजल के फोन की डिटेल्स देख कर उन के होश उड़ गए. उस के फोन पर डेढ़ महीने में एक ही नंबर से 13 सौ फोन आए थे. कई काल तो ऐसी थीं, जिन में उसी नंबर से 2 से 3 घंटे तक बातचीत की गई थी.

यह नंबर पुलिस के शक के दायरे में आ गया. पुलिस ने उस नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई तो वह नंबर लक्ष्मण कुमार पासवान, निवासी रातगांव करारी, थाना-तेघरा, जिला बेगूसराय का निकला. पुलिस ने बिना समय गंवाए उसी दिन लक्ष्मण के घर पर दबिश दी और उसे पूछताछ के लिए थाने ले आई.

पूछताछ में लक्ष्मण टूट गया. उस ने अपना अपराध स्वीकार करते हुए बताया कि उस ने काजल के कहने पर उस के पति दिलीप की हत्या की थी. काजल उस की प्रेमिका थी. यह सुन कर सभी अधिकारी स्तब्ध रह गए. क्योंकि देखने में भोलीभाली लगने वाली औरत नागिन से भी जहरीली निकली, जिस ने इश्क के नशे में अपने पति को ही डंस लिया.

स्वार्थ के रिश्ते : नलिनी और अमित के बीच कैसा रिश्ता था

घटना 27 जुलाई, 2018 की है. उस दिन कोर्ट में शीलेश की पत्नी नलिनी के बयान होने थे. शीलेश तो कोर्ट जाने के लिए तैयार हो गया था, नलिनी तैयार हो रही थी. शीलेश पत्नी से जल्द तैयार होने की कह कर किराए की गाड़ी लेने के लिए चला गया.

उस समय दोपहर के 12 बजे बजने वाले थे. थोड़ी देर बाद शीलेश जब घर वापस आया तो उस ने पत्नी को आवाज दी, ‘‘नलिनी, गाड़ी आ गई है, जल्दी आ जाओ.’’

आवाज देने के बाद भी जब कोई जवाब नहीं मिला तो वह अंदर कमरे में गया. वहां का दृश्य देखते ही उस के होश उड़ गए, मुंह से चीख निकल गई. नलिनी पंखे पर फंदा लगा कर लटकी हुई थी. वह जोरजोर से रोने लगा. उस के रोने की आवाज सुन कर आसपास के लोग आ गए. पत्नी की सांस चल रही है या नहीं, जानने के लिए शीलेश ने लोगों की मदद से नलिनी को फंदे से नीचे उतारा. लेकिन तब तक उस की मौत हो चुकी थी.

किसी ने इस की सूचना थाना जसराना को दे दी. सूचना मिलने पर थानाप्रभारी मुनीश चंद्र और सीओ प्रेमप्रकाश यादव मौके पर पहुंच गए. कमरे से कोई सुसाइड नोट वगैरह नहीं मिला. पुलिस ने शव का निरीक्षण करने के बाद उसे पोस्टमार्टम के लिए जिला चिकित्सालय भेज दिया.

इस के बाद पुलिस ने मृतका के घर वालों से बात की तो पति शीलेश ने आरोप लगाया कि अगर पुलिस समय रहते काररवाई करती तो नलिनी को शायद आत्महत्या नहीं करनी पड़ती. इस के लिए गुनहगार वे लोग भी हैं, जिन के खिलाफ नलिनी ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी.

उत्तर प्रदेश के जिला फिरोजाबाद के थाना जसराना का एक गांव है औरंगाबाद. शीलेश चंद्र अपनी पत्नी नलिनी और 10 साल के बेटे के साथ इसी गांव में रहता था. उस ने घर में ही परचून की दुकान खोल रखी थी, इस के अलावा वह जीवनबीमा का काम भी करता था. इस सब से उसे अच्छीखासी आमदनी हो रही थी.

नलिनी ग्रैजुएट थी. साल 2015 में उस ने ग्रामप्रधान का चुनाव लड़ा था. चुनाव के समय गांव के ही अमित उर्फ छटंकी ने नलिनी का पूरा चुनावी प्रबंधन देखा था और हर तरह से सहयोग भी किया था. गांव के रिश्ते से अमित नलिनी को चाची कहता था.

चुनाव के दौरान दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ गई थीं. चुनाव में नलिनी कुछ वोटों के अंतर से हार भले ही गई थी, लेकिन इस बीच उस के अमित से अवैध संबंध बन गए थे.

कहने को 24 साल का अमित नलिनी से उम्र में 12 साल छोटा था, लेकिन वह अच्छी कदकाठी का गबरू जवान था. नलिनी भी हंसमुख व चंचल स्वभाव की आकर्षक नैननक्श वाली महिला थी.

घातक रिश्ता नलिनी और अमित का

अमित के 5 भाई थे. इन में से 4 भाई शहर में रह कर अपना काम कर रहे थे, जबकि अमित गांव में अपने बड़े भाई के साथ रहता था. अमित अपने भाइयों में सब से छोटा था. इसी वजह से सब प्यार से उसे छटंकी कहते थे. नलिनी और अमित दोनों एकदूसरे के प्यार में इस तरह डूबे कि उन्हें घर व गांव वालों का कोई डर ही नहीं रहा.

गुजरते समय के साथ दोनों के संबंध गहरे होते गए. शीलेश जब बीमा के काम से बाहर चला जाता, तो अमित चाची के घर पहुंच जाता. अमित ने होशियारी यह दिखाई कि नलिनी के साथ बिताए अंतरंग क्षणों को उस ने अपने मोबाइल में कैद कर लिया था.

नलिनी अमित को दिलोजान से चाहती थी. यह सिलसिला पिछले लगभग 4 सालों से चल रहा था. अवैध संबंध भला किसी के छिपे हैं जो इन के छिप जाते. कानाफूसी से होते हुए यह खबर पूरे गांव में चर्चा का विषय बन गई.

शीलेश पत्नी पर बहुत विश्वास करता था. जब उसे पत्नी के बारे में पता लगा तो वह तिलमिला गया. गुस्से में उस का खून खौल उठा. उस ने पत्नी को जम कर खरीखोटी सुनाने के साथ ही अमित को भी बुराभला कहते हुए अपने घर न आने की सख्त हिदायत दे दी.

इसी बात को ले कर 16 जून, 2018 को शीलेश और अमित में विवाद इतना बढ़ गया कि मारपीट तक हो गई. मामला बढ़ने पर पुलिस मौके पर पहुंच गई. पुलिस ने दोनों पक्षों के खिलाफ शांति भंग की काररवाई की. इस मामले में अमित गिरफ्तार भी हुआ. जमानत के बाद उस ने मन ही मन एक खतरनाक निर्णय ले लिया था.

अमित ने अपने मोबाइल से नलिनी के कई अश्लील फोटो खींचे थे. साथ ही कई वीडियो भी बना रखी थीं. उस ने शीलेश को दबाव में लेने और सबक सिखाने के लिए सोशल मीडिया पर नलिनी के अश्लील फोटो और वीडियो वायरल कर दिए. वायरल हुए वीडियो और फोटो वाट्सऐप और फेसबुक के जरिए दोनों के परिवारों तक पहुंच गए.

फोटो और वीडियो देख कर घर वालों के होश उड़ गए. उधर गांव के युवक अश्लील वीडियो व फोटो मोबाइल पर देख कर मजे लेने के साथ ही शीलेश के ऊपर फब्तियां भी कसने लगे. इस के चलते पतिपत्नी का घर से बाहर निकलना तक मुश्किल हो गया.

शीलेश खून का घूंट पी कर रह गया. आखिर उस ने अमित व उस के साथियों के खिलाफ 20 जून, 2018 को थाना जसराना में मुकदमा दर्ज कराने के लिए तहरीर दी. पुलिस ने इस मामले में दिलचस्पी न ले कर पहले जांच कर के रिपोर्ट दर्ज करने की बात कही.

आरोपियों पर ब्लैकमेलिंग का आरोप

लोगों की फब्तियों से शीलेश और नलिनी गहरे मानसिक तनाव से गुजर रहे थे. आखिर किसी की सिफािरश के बाद पुलिस ने 16 जुलाई को अमित उर्फ छटंकी, अनिल व उस के भाई जितेंद्र के खिलाफ आईटी एक्ट में मुकदमा दर्ज कर लिया. दबाव में पुलिस ने रिपोर्ट तो दर्ज कर ली लेकिन उस ने आरोपियों के खिलाफ काररवाई नहीं की.

आरोपी खुले में ऐसे ही घूमते रहे. इस पर शीलेश और नलिनी ने उच्चाधिकारियों के औफिसों के कई चक्कर लगाए. इस के बाद थाना पुलिस ने नलिनी के आत्महत्या करने से 4 दिन पहले यानी 23 जुलाई, 2018 को नलिनी को बयान देने के लिए थाने बुलाया. उस के बयान के बाद 24 जुलाई को पुलिस ने उस का मैडिकल कराया.

पीडि़ता के बयानों के आधार पर मुकदमे में पुलिस ने गैंगरेप की धारा भी जोड़ दी. 27 जुलाई को पीडि़ता के कोर्ट में बयान होने थे. लेकिन वह बयान देने के लिए कोर्ट जाने को तैयार नहीं थी. जबकि पति आरोपियों के खिलाफ बयान देने का दबाव डाल रहा था.

काफी दबाव के बाद वह कोर्ट जाने के लिए तैयार हुई. 27 जुलाई को शीलेश और नलिनी ने कोर्ट जाने की तैयारी कर ली थी. इस के लिए शीलेश किराए की गाड़ी लेने गया था. जब वह लौट कर आया तो उसे नलिनी पंखे से लटकी मिली.

शीलेश का कहना है कि उस के गाड़ी लेने के लिए जाने के बाद नलिनी ऊहापोह में फंस गई होगी. क्योंकि गांव में उस की बहुत बदनामी हो चुकी थी, वह पड़ोसियों और घर वालों से आंखें नहीं मिला पा रही थी. उसे एक तरफ कुआं तो दूसरी तरफ खाई दिखाई दे रही थी. वह अमित के विरुद्ध कोर्ट में बयान नहीं देना चाहती थी. लेकिन अमित से प्यार के चलते हो रही बदनामी से वह पूरी तरह टूट चुकी थी.

पीडि़ता के पति शीलेश ने पत्नी द्वारा आत्महत्या करने पर तीनों आरोपियों पर पत्नी के साथ दुष्कर्म करने, उस के अश्लील वीडियो व फोटो बना कर वायरल करने तथा ब्लैकमेलिंग करने का आरोप लगाया. उस ने कहा कि आरोपी और उन के परिजन उसे व नलिनी को धमकी दे रहे थे कि वह अपनी रिपोर्ट वापस ले लें, नहीं तो अंजाम और ज्यादा खतरनाक होगा.

उस का आरोप था कि पुलिस समय से काररवाई करती तो नलिनी को आत्महत्या के लिए बाध्य नहीं होना पड़ता. जब मीडिया में पुलिस की लापरवाही वाली बात आई तो पुलिस उच्चाधिकारी हरकत में आए. उच्चाधिकारियों ने इस मामले की अलग से जांच बैठा दी.

थानाप्रभारी मुनीश चंद्र और इस मामले की विवेचना कर रहे इंसपेक्टर सोमपाल सिंह सैनी तीनों आरोपियों की गिरफ्तारी में जुट गए. मुख्य आरोपी अमित पर दबाव बनाने के लिए पुलिस उस की भाभी रामप्यारी और बहनोई को थाने ले आई. बाद में बहनोई को थाने से छोड़ दिया गया.

आरोपी अमित ने भी की आत्महत्या

पीडि़ता द्वारा आत्महत्या किए अभी 12 घंटे ही बीते थे. उस का शव पोस्टमार्टम के बाद गांव पहुंच भी नहीं पहुंच पाया था कि 28 जुलाई, 2018 की रात में रेप के मुख्य आरोपी अमित उर्फ छटंकी ने भी अपने घर के बरामदे में पड़े लोहे के जाल पर फंदा लगा कर आत्महत्या कर ली.

29 जुलाई की सुबह जब गांव वाले सो कर उठे तो उन्हें इस घटना की जानकारी मिली. इस से गांव में सनसनी फैल गई. सूचना मिलने पर पुलिस थाने से अमित की भाभी रामप्यारी को ले कर गांव पहुंच गई.

पुलिस ने अमित के शव को फंदे से उतार कर जरूरी काररवाई की और शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया. अमित के पास से पुलिस ने एक सुसाइड नोट भी बरामद किया, जिस में लिखा था कि मेरी मौत का कोई जिम्मेदार नहीं है.

नलिनी ने मेरे लिए जान दी है. मैं भी उस के लिए जान दे रहा हूं. मेरी जान मुझे मिस कर रही है. मैं आ रहा हूं सनम. उस ने सुसाइड नोट में यह भी लिखा कि अनिल और उस का भाई जितेंद्र बेकुसूर हैं. सोशल साइट पर फोटो और वीडियो मैं ने ही वायरल किए थे.

रामप्यारी ने बताया कि सोशल साइट पर अश्लील फोटो नलिनी के पति शीलेश और अमित ने डाले थे. गांव के ही एक व्यक्ति के घर पर नलिनी के पति, देवर व गांव के कुछ लोगों की मीटिंग हुई थी. उस का आरोप था कि नलिनी को इन लोगों ने ही मारा है. मरने के बाद उसे पहले फंदे पर लटकाया फिर फंदे से उतार कर शोर मचा दिया गया.

रामप्यारी ने आगे बताया कि उस दिन इन लोगों ने हमारे साथ मारपीट के अलावा घर में आगजनी भी की. अमित के भाई वीर सिंह ने स्पष्ट रूप से स्वीकार किया कि नलिनी से अमित के संबंध पिछले 4 साल से थे. वह अमित से पैसे लेती रहती थी, इसलिए उस के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज नहीं कराना चाहती थी.

दबाव में उस ने रिपोर्ट तो लिखवा दी लेकिन वह उस के खिलाफ कोर्ट में बयान देने को मना कर रही थी, पर उस का पति गवाही देने के लिए उस पर दबाव डाल रहा था. नलिनी की मौत के बाद उस के पति, देवर व अन्य लोगों ने अमित को फंदे पर लटका कर उस की हत्या कर दी.

अमित द्वारा आत्महत्या कर लेने की सूचना पा कर एसएसपी सचिंद्र पटेल, एसपी (ग्रामीण) महेंद्र सिंह और कुछ देर बाद आईजी (आगरा रेंज) राजा श्रीवास्तव भी गांव पहुंच गए. तब तक मामले ने तूल पकड़ लिया था.

ग्रामीणों में भी आक्रोश था. गांव वालों का आरोप था कि नलिनी की मौत के बाद पुलिस दबिश दे कर आरोपियों को जल्दी गिरफ्तार करने का दावा कर रही थी, किसी की गिरफ्तारी तो हुई नहीं, उलटे आरोपी ने अपने ही मकान में गले में फंदा लगा कर आत्महत्या कर ली.

आखिर पुलिस के दबिश देने के दावे में कितनी सच्चाई थी? आईजी ने भी घटनास्थल पर पहुंच कर नलिनी और अमित के घर वालों व ग्रामीणों से बात की.

वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को इस मामले में थाना पुलिस की लापरवाही की जानकारी मिल चुकी थी. आईजी राजा श्रीवास्तव के निर्देश पर एसएसपी सचिंद्र पटेल ने मामले को गंभीरता से ले कर थानाप्रभारी मुनीश चंद्र और विवेचक इंसपेक्टर सोमपाल सिंह सैनी के विरुद्ध काररवाई करते हुए दोनों को निलंबित कर दिया.

फिरोजाबाद के थाना उत्तर में तैनात अतिरिक्त थानाप्रभारी रणवीर सिंह को जसराना का थानाप्रभारी नियुक्त किया गया. एसएसपी ने बताया कि मामले की जांच कराई जा रही है. गांव में बने तनाव को देखते हुए फोर्स तैनात कर दी गई.

आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला

इस मामले में अमित के भाई ताराचंद, नलिनी के पति शीलेश और देवर के अलावा गांव के ही 2 अन्य लोगों के खिलाफ अमित को आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा दर्ज हुआ. इस संबंध में एसपी (ग्रामीण) महेंद्र सिंह का कहना था कि जांच के बाद आरोपियों के खिलाफ काररवाई होगी. उधर नए थानाप्रभारी रणवीर सिंह ने फोटो व वीडियो वायरल करने में सहयोगी रहे 2 सगे भाइयों अनिल और जितेंद्र को गिरफ्तार कर लिया. उन से पूछताछ करने के बाद उन्हें अदालत में पेश कर जेल भेज दिया.

नलिनी के पति से झगड़ा होने के बाद अगर अमित संयम से काम लेता और बदला लेने के लिए फोटो और वीडियो वायरल करने जैसा गलत कदम न उठाता तो नलिनी और उसे आत्महत्या करने को बाध्य न होना पड़ता. गुस्से के वशीभूत अमित ने जो कदम उठाया, देखा जाए तो वह आत्मघाती था. अमित का यह कदम नलिनी और खुद उस के लिए फांसी का फंदा बन गया.

– कथा में पीडि़ता व उस के पति के नाम परिवर्तित हैं

फर्जी पत्रकार की दीवानगी – भाग 1

23जुलाई, 2022 को शाम को करीब 6 बजे का वक्त था. मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के बरेला थानांतर्गत गौर पुलिस चौकी की टीम डायल 100 वाहन से गश्त के लिए निकली थी.

गश्त के दौरान पुलिस की गाड़ी जैसे ही मंगेली गांव के पास नर्मदा नदी पर बने भटौली पुल पर पहुंची तो पुल पर खड़ी एक काली फिल्म लगी स्विफ्ट कार को देख कर चौकी इंचार्ज टेकचंद शर्मा ने ड्राइवर को गाड़ी रोकने का निर्देश दिया.

गाड़ी से उतर कर पुलिस टीम ने शक के आधार पर कार की जांच की तो कार के अंदर का नजारा देख कर उन के होश उड़ गए. कार की पिछली सीट पर एक जवान और खूबसूरत लड़की की लाश पड़ी थी.

कार की अगली सीट पर आजतक 24×7 नाम के चैनल की माइक आईडी, बादल पटेल के नाम का पहचान पत्र के साथ एक पिस्तौल रखी हुई थी. लड़की की लाश की बगल में कार की चाबी थी और कार के नीचे चप्पल पड़ी हुई थी.

मामला चूंकि हाईवे पर लड़की के मर्डर का था, लिहाजा गौर चौकी इंचार्ज ने जैसे ही घटना की जानकारी अपने सीनियर अधिकारियों को दी तो कुछ समय बाद ही बरेला पुलिस थाने के टीआई जितेंद्र यादव, जबलपुर की डीएसपी अपूर्वा किलेदार डौग स्क्वायड और एफएसएल की टीम के साथ मौके पर पहुंच गईं.

पुलिस टीम घटनास्थल पर जांच कर ही रही थी कि अचानक मोबाइल फोन की रिंग बज रही थी. रिंग की आवाज कार की छत के ऊपर रखे एक मोबाइल फोन से आ रही थी. चौकी इंचार्ज टेकचंद शर्मा ने जैसे ही काल रिसीव की तो दूसरी तरफ से आवाज आई, ‘‘बादल तुम कहां हो? दीदी अभी तक घर नहीं आई हैं, आप के साथ हैं क्या?’’

‘‘हैलो, तुम कौन हो और किस से बात कर रहे हो?’’ चौकी इंचार्ज बोले.

‘‘मैं अंकित बोल रहा हूं, बादल कहां है और आप कौन बोल रहे हैं?’’ फोन करने वाले ने कहा.

‘‘मैं गौर पुलिस चौकी का इंचार्ज टेकचंद शर्मा बोल रहा हूं. ये बादल कौन है, जिस से तुम बात करना चाहते हो?’’

‘‘सर, मैं जबलपुर के जोगनी नगर रामपुर से अंकित केवट बोल रहा हूं. बादल पटेल एक टीवी चैनल का रिपोर्टर है, जो मेरी दीदी का दोस्त है. बादल ने मुझे दिन के करीब 2 बजे फोन कर के दीदी के बारे में पूछा तो मैं ने उसे बताया था कि दीदी औफिस में हैं. शाम 6 बजे तक जब दीदी घर नहीं पहुंचीं तो मैं ने अंदाजा लगाया कि दीदी बादल के साथ होंगी. यही सोच कर मैं ने बादल पटेल को काल किया है,’’ अंकित बोला.

‘‘यहां भटौली पुल पर कार में एक लड़की का मर्डर हुआ है. तुम तुरंत नर्मदा नदी के भटौली पुल पर आ जाओ,’’ इतना कह कर उन्होंने फोन काट दिया.

अंकित से हुई बातचीत से लग रहा था कि बादल पटेल ने जिस लड़की का मर्डर किया है, वह अंकित की बहन अनिभा भी हो सकती है. पुलिस अंकित के आने का बेसब्री से इंतजार कर रही थी, जिस से मृतक लड़की की पहचान हो सके.

घटनास्थल पर कार में मिले आईडी कार्ड, पिस्तौल, कार की चाबी और कार के पास उतरी हुई चप्पलों से मौके पर मौजूद एडिशनल एसपी प्रदीप कुमार शेंडे, एफएसएल टीम की डा. नीता जैन को पहली नजर में देखने पर यह लग रहा था कि बादल पटेल ने पहले  युवती पर पिस्टल से गोली चला कर मौत के घाट उतारा होगा, उस के बाद वह हत्या करने के बाद खुद नर्मदा नदी के पुल से कूद गया होगा.

पुलिस बादल पटेल की तलाश में जुट गई. तलाशी के दौरान कुछ लोगों ने बताया था कि एक युवक को नदी में कूदते देखा था. पुलिस ने इसी आधार पर गोताखोर बुला कर नर्मदा नदी में बादल की खोजबीन शुरू कर दी.

पुलिस टीम और एफएसएल एक्सपर्ट घटनास्थल का बारीकी से मुआयना कर ही रहे थे, तभी अंकित केवट भी वहां पहुंच गया. अंकित ने जैसे ही कार में पड़ी लाश देखी तो उस के मुंह से चीख निकल पड़ी. अंकित को यकीन ही नहीं हो रहा था, कार में पड़ी लाश उस की बहन अनिभा की है.

पुलिस टीम ने उसे ढांढस बंधाते हुए पूछताछ की तो उस ने बताया कि 25 साल की उस की बहन अनिभा केवट पेटीएम कंपनी में टीम लीडर के तौर पर काम करती थी. उस की ड्यूटी सुबह 6 बजे से शाम 4 बजे तक थी.

23 जुलाई, 2022 को सुबह 6 बजे घर से पेटीएम कंपनी के औफिस के लिए निकली थी. रोजाना की तरह वह 4 बजे के बाद जब घर नहीं लौटी तो मां को चिंता हुई.

अंकित को मालूम था कि अनिभा की जानपहचान इंद्रनगर रांझी निवासी पत्रकार  बादल पटेल से थी. चूंकि बादल ने दिन के करीब 2 बजे उसे फोन भी किया था, इस वजह से अंकित ने यह अनुमान लगाया कि अनिभा बादल के साथ होगी. जब शाम के करीब 6 बजे अंकित ने बादल को काल किया तो फोन गौर चौकी इंचार्ज ने उठाया.

जिस सफेद रंग की स्विफ्ट कार में अनिभा का मर्डर हुआ था, उस का नंबर एमपी 20सीजे 9414 था. कार के रजिस्ट्रेशन के आधार पर पुलिस ने जांच की तो यह कार बजरंग नगर रांझी निवासी थियोफिल विजय कुमार लाल के नाम पर रजिस्टर्ड थी.

सिरफिरे आशिक का हाईवोल्टेज ड्रामा : विभा के साथ क्या हुआ

जिस ने भी सुना, उस ने मिसरोद का रास्ता पकड़ लिया. कोई सिटी बस से गया तो कोई औटो से. किसी ने टैक्सी ली तो कुछ लोग अपने वाहन से मिसरोज जा पहुंचे. बीती 13 जुलाई की अलसुबह मिसरोद में कोई ऐसी डिस्काउंट सेल नहीं लगी थी, जिस में किसी जहाज के डूब जाने से कपड़ा व्यवसायी या निर्माता को घाटे में आ कर मुफ्त के भाव कपड़े बेचने पड़ रहे हों, बल्कि जो हो रहा था, वह निहायत ही दिलचस्प और अनूठा ड्रामा था, जिसे भोपाल के लोग रूबरू देखने का मौका नहीं चूकना चाहते थे.

भोपाल होशंगाबाद रोड पर पड़ने वाला मिसरोद कस्बा अब भोपाल का ही हिस्सा बन गया है. इस इलाके में तेजी से जो रिहायशी कालोनियां विकसित हुई हैं, उन में से एक है फौर्च्यून डिवाइन सिटी.

इस कालोनी में खासे खातेपीते लोग रहते हैं. इन्हीं में से एक हैं बीएसएनएल (भारत संचार निगम लिमिटेड) से रिटायर हुए एम.पी. श्रीवास्तव. एजीएम जैसे अहम पद से रिटायर्ड एम.पी. श्रीवास्तव ने वक्त रहते फौर्च्यून डिवाइन सिटी में फ्लैट ले लिया था.

एम.पी. श्रीवास्तव नौकरी से तो रिटायर हो गए थे, लेकिन जवान हो गई दोनों बेटियां विभा और आभा की शादी की चिंता से मुक्त नहीं हो पाए थे. रिटायरमेंट के बाद उन का अधिकांश समय बेटियों के लिए योग्य वर ढूंढने में गुजर रहा था. साधनसंपन्न घर में सब कुछ था. साथ ही खुशहाल परिवार में 2 होनहार बेटियां और कुशल गृहिणी साबित हुई उन की पत्नी चंद्रा, जिन्हें पति से ज्यादा बेटियों के हाथ पीले होने की चिंता सताती थी.

13 जुलाई को श्रीवास्तवजी के फ्लैट नंबर 503 में जो चहलपहल हुई, उस की उम्मीद श्रीवास्तव दंपति ने सपने में भी नहीं की थी. ऐसी शोहरत जिस से हर शरीफ शहरी बचना चाहता है, कैसी और क्यों थी, पहले उस की वजह जान लेना जरूरी है.

इस संभ्रांत संस्कारी कायस्थ परिवार की बड़ी बेटी का नाम विभा है, जिस की उम्र 31 साल है. विभा पढ़ाईलिखाई में तो होशियार है ही, साथ ही उस की पहचान उस के सांवले सौंदर्य की वजह से भी है. एमटेक करने के बाद महत्त्वाकांक्षी विभा ने बजाय नौकरी करने के मुंबई का रास्ता पकड़ लिया था. चाहत थी मौडल बनने की.

विभा महत्त्वाकांक्षी ही नहीं, बल्कि प्रतिभावान भी थी. इसी के चलते करीब 3 साल पहले एक समारोह में कायस्थ समाज ने उसे सम्मानित भी किया था. उसी साल विभा ने एक ब्यूटी कौंटेस्ट में भी हिस्सा लिया था, जिस में वह विजेता रही थी.

इस सब से उत्साहित विभा को भी लगने लगा था कि अगर कोशिश की जाए तो उस के लिए सेलिब्रिटी बनना कोई मुश्किल काम नहीं है. उस ने अपनी यह इच्छा मांबाप को बताई तो उन्होंने उसे निराश नहीं किया. उन लोगों ने उसे मुंबई जाने की इजाजत दे दी.

मौडलिंग और फिल्मों में काम करने की सोच लेना तो आसान काम है, लेकिन ग्लैमर की इस दुनिया में अपना मुकाम बनाना हंसीखेल नहीं है. यह बात विभा को मुंबई जा कर समझ आई. लेकिन विभा हिम्मत हारने वालों में से नहीं थी. वह  काम हासिल करने के लिए लगातार संघर्ष करती रही. बोलचाल की भाषा में कहें तो वह स्ट्रगलर थी.

मुंबई में रोजाना हजारों स्ट्रगलर हाथ में एलबम लिए निर्माता निर्देशकों और नामी कलाकारों के यहां धक्के खाते हैं. सचमुच दाद देनी होगी ऐसे नवोदित कलाकारों को, जो सुबह उठ कर देर रात तक चलते दौड़ते नहीं थकते. उस वक्त उन के जेहन में उन नामी कलाकारों के संघर्ष की छवि बसी होती है जो कभी उन्हीं की तरह स्ट्रगलर थे.

मीडिया भी ऐसे किस्से खूब बढ़ाचढ़ा कर पेश करता है. मसलन देखो कल का चाय या फल बेचने वाला या फिर पेशे से कंडक्टर कैसे शोहरत के शिखर पर पहुंच गया और अब अरबों की दौलत का मालिक है.

कामयाब होना है तो धक्के तो खाने ही पड़ेंगे, यह बात मुंबई पहुंचने वाला हर स्ट्रगलर जानता है. विभा भी जानती थी. स्ट्रगल के दौरान विभा की मुलाकात रोहित नाम के युवक से हुई जो खुद भी स्ट्रगलर था.

मूलत: उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ का रहने वाला रोहित भी छोटामोटा कलाकार था और किसी बड़े मौके की तलाश में था.

विभा और रोहित की जानपहचान पहले दोस्ती में और फिर दोस्ती प्यार में बदल गई, इस का अहसास दोनों को उस वक्त हुआ, जब रोहित ने विभा पर बेजा हक जमाना शुरू कर दिया.

छोटे शहरों की बनिस्बत मुंबई की दोस्ती और प्यार में फर्क कर पाना बेहद मुश्किल काम है. वजह यह कि फिल्म इंडस्ट्री में कोई वर्जना नहीं होती. वहां कलाकार की पहचान उस की कामयाबी के पैमाने से होती है, जबकि विभा और रोहित अभी कामयाबी के सब से निचले पायदान पर खड़े थे. कामयाबी की सोचना तो दूर की बात है, अभी उन के कदम जरा भी आगे नहीं बढ़ पाए थे.

जमीन पर खड़ेखड़े ही विभा को अहसास हो गया था कि जितना उसे मिलना था, उतना मिल चुका. लिहाजा अब वापस भोपाल लौट जाए और मम्मीपापा जहां कहें, वहां शादी कर ले. वजह यह कि रोहित उस पर शादी के बाबत दबाव बनाने लगा था जो उस से बरदाश्त नहीं हो पा रहा था.

पर वापसी के पहले विभा ने एक आखिरी कोशिश इस सोच के साथ शौर्ट मूवी बना कर की थी कि अगर मूवी चल निकली तो आगे के रास्ते और किस्मत के दरवाजे खुदबखुद खुलते चले जाएंगे. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. उलटे जो हुआ वह उस की बनाई रील का रीयल लाइफ में उतर आना था.

अपनी बनाई मूवी में विभा ने अपनी पूरी कल्पनाशीलता, रचनात्मकता और प्रतिभा झोंक दी थी. इस मूवी की प्रोड्यूसर उस की छोटी बहन आभा थी. मूवी के कथानक के आधार पर उस ने उस का नाम फ्रायडे नाइट रखा था.

फ्रायडे नाइट की कहानी मसालों से भरपूर थी, जिस की शूटिंग विभा ने अपने ही फ्लैट पर की थी. इस कहानी की मुख्य पात्र भी वही थी, जो एक लड़के से प्यार करने लगती है. लड़का विभा को धोखा दे देता है तो वह तिलमिला उठती है.

इस के पहले वह अपने प्रेमी के सामने रोतीगिड़गिड़ाती है, लेकिन उस पर कोई फर्क नहीं पड़ता. एक वक्त ऐसा भी आता है, जब विभा की हालत पागलों जैसी हो जाती है और इसी गुस्से में वह एक सख्त फैसला ले लेती है.

यह सख्त फैसला होता है अपने बेवफा प्रेमी का कत्ल कर देने का, जिसे वह एक शुक्रवार की रात को अंजाम देती है. विभा को लगा था कि उस की फिल्म बाजार में आते ही हाहाकार मचा देगी और बौलीवुड उसे हाथोंहाथ ले लेगा.

अपनी फिल्म को ले कर विभा ने कई चैनलों के चक्कर लगाए, लेकिन उसे किसी ने भाव नहीं दिया. अंतत: उस ने 2 साल पहले इस फिल्म को यूट्यूब पर अपलोड कर दिया. यूट्यूब पर भी नतीजे उम्मीद के मुताबिक नहीं मिले. फ्रायडे नाइट को देखने वालों की संख्या मुश्किल से 5 अंकों में पहुंच पाई.

13 जुलाई को हजारों लोग विभा के पांचवीं मंजिल स्थित उस फ्लैट की तरफ उत्सुकता से देख रहे थे, जहां कभी फ्रायडे नाइट की शूटिंग हुई थी. इन में कितने ही लोग उस वीडियो को भी देख रहे थे जिसे रोहित ने वायरल किया था.

इस वीडियो में रोहित लाल बनियान में नजर आ रहा था और विभा पलंग पर बेहोश पड़ी थी. वीडियो में रोहित गुहार लगाता नजर आ रहा था कि देखो पुलिस और विभा के घर वाले हम बच्चों पर कितना जुल्म ढा रहे हैं.

रोहित के मुताबिक वह और विभा दोनों एकदूसरे से प्यार करते थे और शादी करना चाहते थे. लेकिन विभा के घर वाले इस के लिए तैयार नहीं थे. आज जब वह विभा से मिलने आया तो उन्होंने पुलिस बुला ली. पुलिस वालों ने दोनों की इतनी पिटाई की कि शरीर के कई हिस्सों से खून बह रहा है. उस ने बहता हुआ खून भी दिखाया.

वीडियो वायरल होने की देर थी कि लोग मुफ्त का तमाशा देखने मिसरोद की तरफ दौड़ पड़े. रोहित का यह कहना गलत नहीं था कि विभा के घर वालों ने पुलिस बुला ली है.

पुलिस घटनास्थल पर मौजूद तो थी लेकिन यह सोच कर सकपकाई हुई थी कि इस सिचुएशन से कैसे निपटा जाए. मतलब यह कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे. यानी विभा की जान भी बच जाए और रोहित को गिरफ्तार भी कर लिया जाए.

दरअसल उस दिन सुबह करीब 7 बजे मिसरोद थाना इंचार्ज एस.के. चौकसे को एम.पी. श्रीवास्तव के फोन पर इत्तला दी थी कि रोहित नाम के एक युवक ने उन के फ्लैट में जबरन घुस कर उन की बड़ी बेटी विभा को फ्लैट के आखिरी कमरे में बंधक बना रखा है. उन्हें यह बात तब पता चली जब वह दूध लेने फ्लैट से बाहर निकले थे.

मामला गंभीर था और संभ्रांत कालोनी से ताल्लुक रखता था, इसलिए 3 सदस्यीय पुलिस टीम जल्द ही फार्च्यून डिवाइन सिटी पहुंच गई. पुलिस दल का नेतृत्व एसआई एस.एस. राजपूत कर रहे थे. उन्होंने सारा मामला समझ कर रोहित को बहलाफुसला कर काबू में करने की कोशिश की लेकिन वह कामयाब नहीं हुए.

सुबहसुबह पुलिस को आया देख कालोनी के लोग विभा के घर के नीचे इकट्ठा हो कर माजरा समझने की कोशिश करने लगे थे. उन्हें इतना ही पता चल पाया कि श्रीवास्तवजी के घर कोई सिरफिरा घुस आया है, जिस ने उन की बड़ी बेटी को बंधक बना लिया है और तरहतरह की धमकियां दे रहा है.

रोहित को इस बात की आशंका थी कि विभा के मातापिता पुलिस को बुलाएंगे इसलिए वह सतर्क था. एम.पी. श्रीवास्तव उन की पत्नी चंद्रा और छोटी बेटी आभा हलकान थीं कि अंदर कमरे में विभा पर रोहित जाने क्याक्या जुल्म ढा रहा होगा. इस डर की वजह रोहित के हाथ में देसी कट्टे का होना था.

एसआई राजपूत ने रोहित से बात करने की कोशिश की तो उस ने मोबाइल चार्जर की मांग की. राजपूत से चार्जर लेने के लिए रोहित ने दरवाजा थोड़ा खोला तो उन्होंने हाथ अड़ा कर पूरा दरवाजा खोलने की कोशिश की, लेकिन रोहित इस स्थिति के लिए तैयार था. उस ने कैंची से राजपूत के हाथ पर हमला कर दिया और उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी. चोट से तिलमिलाए एसआई राजपूत ने हाथ वापस खींच लिया तो रोहित ने चार्जर ले कर कमरा फिर से बंद कर लिया.

पुलिस को आया देख विभा की हिम्मत बढ़ी और उस ने रोहित का विरोध किया. इस पर झल्लाए रोहित ने विभा के हाथ और गले पर कैंची से वार कर के उसे घायल कर दिया. खून बहने से विभा बेहोश हो गई तो उस ने उसे बिस्तर पर पटक दिया और इसी हालत में वीडियो शूट कर वाट्सऐप पर डाल दिया.

इस वीडियो के वायरल होते ही भोपाल में हड़कंप मच गया. थोड़ी देर में पुलिस के आला अफसर भी मौके पर पहुंच गए. एसपी (साउथ) राहुल लोढा ने भी रोहित से बातचीत कर के उस की मंशा जाननी चाही. शुरू में तो वह बात करने से कतराता रहा लेकिन खामोश रहने से बात नहीं बन रही थी, इसलिए उस ने जल्द ही अपने दिल की बात जाहिर कर दी कि वह विभा से प्यार करता है और उस से शादी करना चाहता है.

इस दौरान पुलिस ने रोहित के पिता को भी खबर कर दी थी, इसलिए वह अलीगढ़ से भोपाल के लिए निकल गए थे. दरअसल, रोहित की एक शर्त यह भी थी कि वह अपने पिता के आने के बाद ही दरवाजा खोलेगा.

यह पुलिस और प्रशासन का इम्तिहान था. वजह अपनी पर उतारू हो आया रोहित विभा को जान से भी मार सकता था. ऐसे में पुलिस वालों ने उस की हर बात मानने में ही भलाई समझी और लगातार उस से बात कर के उसे उलझाए रखा.

रोहित ने दूध मांगा तो वह भी उसे दिया गया, लेकिन वह दरवाजा खोलने को तैयार नहीं था, इसलिए दूध की बोतल छत से रस्सी से लटका कर दी गई. रोहित ने बोतल का दूध लेने से मना कर दिया क्योंकि उसे डर था कि कहीं उस में कोई नशीला या बेहोश कर देने वाला पदार्थ न हो. इस के बाद उस ने हर चीज पैक्ड मांगी जो उसे मुहैया कराई गई.

उधर रोहित द्वारा जारी वीडियो में विभा लहूलुहान और बेहोश दिखाई दे रही थी, जिसे देख कर उस के मांबाप और बहन की चिंता बढ़ती जा रही थी. वीडियो में रोहित एसआई एस.एस. राजपूत को भी कोसता नजर आया. दोपहर होतेहोते स्थिति और विकट हो चली थी. रोहित कुछ समझने को तैयार नहीं था और बारबार विभा से शादी करने की रट लगाए जा रहा था. खाना और पानी भी उसे बालकनी से दिया गया था, जो उस की मांग के मुताबिक पैक्ड था.

जब खूब हल्ला मच गया तो शाम के करीब 5 बजे आला पुलिस अधिकारी हाइड्रोलिक मशीन के जरिए 5वीं मंजिल तक पहुंचे और रोहित से बातचीत की. हाइड्रोलिक मशीन पर राहुल लोढ़ा के साथ एसडीएम दिशा नागवंशी और एएसपी रामवीर यादव थे.

इन लोगों ने खिड़की से रोहित से बात की और उसे भरोसा दिलाया कि उस की शादी विभा से करवा दी जाएगी, इस में कोई अड़चन इसलिए नहीं है क्योंकि दोनों बालिग हैं और शादी के लिए राजी हैं.

राहुल लोढ़ा ने समझदारी से काम लेते हुए रोहित को आश्वस्त किया कि शादी रजिस्टर्ड होगी, क्योंकि एसडीएम भी उन के साथ हैं. चूंकि बंद कमरे में शादी नहीं करवाई जा सकती थी, इसलिए उन्होंने रोहित से बाहर आने के लिए कहा.

रोहित समझ तो रहा था कि यह पुलिस की चाल भी हो सकती है, लेकिन अब तक 12 घंटे गुजर चुके थे और वह थकने लगा था. वह बारबार विभा को धमका रहा था. होश में आ चुकी विभा की समझ में भी आ गया था कि इस सिरफिरे से छुटकारा पाने का एक ही तरीका है कि उस की बात मान ली जाए.

मेरी नहीं हुई तो मैं तुम्हें किसी और की भी नहीं होने दूंगा. अगर किसी और से शादी की तो मार डालूंगा, जैसे फिल्मी डायलौग बोलने वाले राहुल को थोड़ी तसल्ली तब हुई, जब विभा ने स्टांप पेपर पर शादी की सहमति दे दी.

इधर पुलिस वाले भी कुछ इस तरह से पेश आ रहे थे, मानो बाहर आते ही दोनों की शादी करा देंगे. रोहित को लग रहा था कि वह प्यार की जंग जीत गया है, जमाना उस के सामने झुक गया है.

वह पूरी ठसक से बाहर निकल आया. इस के पहले उस ने कुछ मीडियाकर्मियों से वीडियो कालिंग के जरिए बात की और जीत का निशान अंगरेजी का ‘वी’ अक्षर बनाते हुए खुशी जाहिर की थी.

बाहर आते ही पुलिस ने सिरफिरे आशिक रोहित को गिरफ्तार कर लिया और विभा सहित उसे इलाज के लिए अस्पताल भेज दिया, क्योंकि दोनों के शरीर से काफी खून बह चुका था. वहां गुस्से में मौजूद महिलाओं ने रोहित की जूतेचप्पलों और लातघूसों से खूब धुनाई की.

इलाज के बाद रोहित को हिरासत में ले लिया गया और विभा को घर जाने दिया गया. अस्पताल में विभा ने बताया कि वह रोहित से प्यार नहीं करती, उस ने तो खुद के बचाव के लिए शादी के हलफनामे पर दस्तखत कर दिए थे.

विभा की मां चंद्रा ने खुलासा किया कि एक साल से रोहित विभा के पीछे पड़ा था और उसे तरहतरह से तंग कर रहा था. इसी साल होली के मौके पर 28 मार्च को भी वह उन के घर में घुस आया था, तब भी उस के हाथ में कट्टा था. इस की शिकायत थाने में लिखाई गई थी और पुलिस ने रोहित को गिरफ्तार भी किया था, लेकिन बाद में उसे कोर्ट से जमानत मिल गई थी.

इधर मथुरा तक आ गए रोहित के पिता रेशमपाल को जैसे ही ड्रामे के खात्मे की जानकारी मिली, वह वहीं से वापस लौट गए. उन्होंने यह जरूर बताया कि वह रोहित की बेजा हरकतों से आजिज आ चुके हैं. इसीलिए कुछ दिन पहले उन्होंने उसे अपनी जायदाद से बेदखल कर दिया था. गांव में प्रधानी के चुनाव के दौरान रोहित द्वारा शराब चुराए जाने की बात भी उन्होंने बताई.

रेशमपाल ने ईमानदारी से यह भी बताया कि रोहित ने कई दफा इस लड़की (विभा) से फोन पर उन की बात कराई थी. यानी लोगों का यह अनुमान गलत नहीं था कि मामला उतना एकतरफा नहीं था, जितना विभा बता रही थी. उस ने भले ही रोहित से प्यार की बात नहीं स्वीकारी, पर यह जरूर कह रही थी कि रोहित का असली चेहरा सामने आने के बाद उस ने उस से दूरियां बनानी शुरू कर दी थीं.

जाहिर है माशूका की इसी बेरुखी से रोहित झल्लाया हुआ था. उसे विभा बेवफा नजर आने लगी थी, लेकिन वह उसे दिलोदिमाग से निकाल नहीं पा रहा था. गिरफ्तारी के दूसरे दिन रोहित पुलिस वालों से यह कहता रहा कि उन एसपी साहब को लाओ, जिन्होंने शादी करवाने का वादा किया था.

उस के मुंह से यह सुन कर सभी को उस पर हंसी भी आई और तरस भी. पुलिस वाले इस ड्रामे को थर्सडे नाइट कहते नजर आए, क्योंकि इस की शुरुआत गुरुवार 12 जुलाई से हुई थी.

श्रीवास्तव परिवार अभी सदमे से उबरा नहीं है और न ही लंबे समय तक उबर पाएगा. रोहित ने 12 घंटे जो ड्रामा किया, उस की दहशत उन के सिर चढ़ कर बोल रही है. खुद विभा आशंका जता रही है कि अगर रोहित को जमानत मिली तो वह फिर उसे नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेगा.

रोहित के पिता रेशमपाल का भी यही कहना है कि रोहित को जमानत नहीं मिलनी चाहिए. कथा लिखने तक रोहित को जमानत नहीं मिली थी, पर भोपाल के सीनियर वकीलों का कहना है कि कुछ देर से ही सही, उसे जमानत मिल ही जाएगी. इसलिए बदनामी झेल चुके श्रीवास्तव परिवार को संभल कर रहना चाहिए.

जब प्यार में आया ट्विस्ट – भाग 4

पूनम की नजदीकियां देवर के दोस्त अरुण से बढ़ीं तो पूनम को अरुण में वह सब खूबियां नजर आईं, जो वह चाहती थी. अरुण मजबूत कदकाठी और रौबीले चेहरे वाला आकर्षक युवक था. वह अच्छा पैसा कमाता था और दिल खोल कर खर्च करता था. इसलिए पूनम उस की ओर आकर्षित हो गई.

रोजरोज की मुलाकात से दोनों के बीच की दूरियां मिटती गईं और दोनों के बीच हंसीमजाक व शारीरिक छेड़छाड़ होने लगी. एक रोज पूनम को घर में अकेला पा कर अरुण ने शारीरिक छेड़छाड़ शुरू की तो पूनम भी खुद को रोक न पाई. इस के बाद तो मानो 2 जिस्मों के अरमानों की होड़ लग गई. जल्द ही हसरतें बेलिबास हो गईं और उन के बीच नाजायज संबंध बन गए.

अरुण ने संदीप की भाभी पूनम से संबंध बनाए तो वह अपनी प्रेमिका सीमा से दूरी बनाने की कोशिश करने लगा. सीमा को शक हुआ तो उस ने अरुण पर नजर रखनी शुरू कर दी. कुछ समय बाद ही सीमा को पता चल गया कि अरुण ने संदीप की भाभी पूनम से नाजायज रिश्ता बना लिया है. इस बात को ले कर सीमा और अरुण के बीच खूब बहस हुई. सीमा ने उसे खूब खरीखोटी सुनाई.

वर्ष 2018 में अरुण कुमार के मातापिता ने उस का विवाह शिवराजपुर कस्बा निवासी मंगली कुरील की बेटी नीतू से कर दिया. शादी के बाद नीतू अपने पति अरुण के साथ पनकी कलां में रहने लगी. एक साल बाद नीतू ने बेटे को जन्म दिया. बेटे के जन्म के बाद जहां नीतू खुश थी, वहीं उस के सासससुर भी खुशी से फूले नहीं समा रहे थे.

प्रेमी अरुण की शादी की जानकारी सीमा को हुई तो उस ने अरुण से सवालजवाब किए. खरीखोटी भी सुनाई. उस के बाद उस ने अरुण का साथ छोड़ दिया. हां, इतना जरूर था कि अरुण के फोन करने पर वह जबतब काल रिसीव कर लेती थी और बात कर लेती थी. शादी हो जाने के बाद भी अरुण ने अय्याशी का दामन नहीं छोड़ा था. गुपचुप तरीके से उस का शारीरिक मिलन पूनम से होता रहता था.

अरुण सीमा का पहला प्यार था, सो वह उसे भुला नहीं पा रही थी. इसी निराशा भरे माहौल में सीमा की मुलाकात संदीप कश्यप से हुई. संदीप सीमा का गम समझता था, सो उस का झुकाव सीमा की ओर हो गया.

सीमा को भी सहारा चाहिए था, इसलिए उस ने संदीप की दोस्ती कुबूल कर ली. जल्द ही दोस्ती प्यार में बदल गई. इस के बाद सीमा और संदीप के बीच शारीरिक रिश्ता भी बन गया.

सीमा अब अरुण से नफरत करने लगी थी, इसलिए उस की जिंदगी में जहर घोलने के लिए उस ने दूसरे प्रेमी संदीप के कान भरने शुरू कर दिए. सीमा ने बताया कि अरुण ने उस के साथ प्यार में छल किया है और गर्भ भी गिरवाया था.

सीमा ने कहा कि अरुण ने मेरे साथ ही विश्वासघात नहीं किया है, वह तुम्हारी पीठ में भी इज्जत का छुरा घोंप रहा है. उस के तुम्हारी भाभी पूनम से भी नाजायज संबंध हैं. पूनम भाभी भी उस की इतनी दीवानी है कि उन्होेंने 10 हजार रुपए तथा कुछ जेवर भी अरुण को दे दिए हैं.

सीमा की बात सुन कर संदीप को गुस्सा तो बहुत आया, लेकिन वह गुस्सा पी गया. उस ने सुनीसुनाई बातों पर विश्वास करना सही नहीं समझा. उस ने सच्चाई का पता लगाने के लिए सारी बात बड़े भाई पवन को बताई.

फिर दोनों ने मिल कर पूनम को ठोकपीट कर सारी सच्चाई उगलवा ली. पूनम ने नाजायज रिश्तों और रुपया-जेवर अरुण को देने की बात कुबूल कर ली.

इधर अरुण को सीमा और संदीप के रिश्तों की बात पता चली तो उस ने सीमा को समझाया कि वह संदीप से रिश्ता खत्म कर किसी अच्छे घर में शादी कर ले. साथ ही फोन पर संदीप को धमकाया कि वह सीमा से नाता तोड़ ले अन्यथा अंजाम अच्छा नहीं होगा.

अरुण की धमकी और भाभी के साथ नाजायज संबंधों ने संदीप की खोपड़ी घुमा दी. उस ने अरुण को सबक सिखाने की ठान ली. इस के बाद उस ने बड़े भाई पवन और चचेरे भाई अमित उर्फ गुड्डू के साथ मिल कर अरुण की हत्या की योजना बनाई. योजना के तहत संदीप ने देसी कट्टा और कारतूसों का भी इंतजाम कर लिया.

16 जुलाई, 2022 की दोपहर बाद संदीप ने अरुण को फोन किया और बताया कि किसान नगर में एक मकान की स्लैब पड़नी है. आ कर साइट देख लो. 15 हजार रुपया एडवांस भी मिल जाएगा. हम तुम्हें शराब ठेके पर मिलेंगे.

‘‘ठीक है, मैं जल्द ही आ रहा हूं. तुम इंतजार करो.’’ कह कर अरुण ने फोन काट दिया. उस के बाद अरुण पत्नी नीतू से काम की बात पक्की करने की बात कह कर घर से निकल गया.

शाम लगभग 4 बजे अरुण किसान नगर ठेके पर पहुंचा. उस समय वहां पर संदीप, उस का भाई पवन तथा चचेरा भाई अमित उर्फ गुड्डू मौजूद थे. संदीप ने बताया कि मकान बनवाने वाला गंगरौली गांव का रहने वाला है. वहीं बात पक्की होगी. अरुण झांसे में आ गया और संदीप के साथ चल दिया.

शाम ढलते अरुण, संदीप, पवन और अमित के साथ गंगरौली गांव के बाहर रिंद नदी किनारे एक खेत पर पहुंचा. वहां बैठ कर चारों ने शराब पी. अरुण को जानबूझ कर कुछ ज्यादा शराब संदीप ने पिलाई. अब तक अंधेरा छा गया था और चारों ओर सन्नाटा फैला था.

उचित मौका देख कर पवन और अमित ने अरुण को दबोच लिया फिर संदीप ने तमंचे से अरुण के सीने में गोली मार दी. अरुण की हत्या के बाद संदीप व उस के साथियों ने खेत में गड्ढा खोद कर शव को दफना दिया और सबूत मिटाने के लिए खेत की जुताई कर दी.

इधर जब अरुण घर वापस नहीं आया तो नीतू ने पति की गुमशुदगी थाना पनकी में दर्ज कराई. एसएचओ अंजन कुमार सिंह काल डिटेल्स के आधार पर जांच करने सपई गांव पहुंचे और शक के आधार पर अमित उर्फ गुड्डू को हिरासत में लिया. गुड्डू ने अरुण की हत्या का खुलासा किया और गड्ढे में दफन शव को बरामद कराया.

21 जुलाई, 2022 को पुलिस ने हत्यारोपी अमित कुमार उर्फ गुड्डू तथा संदीप कश्यप को कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया. तीसरे आरोपी पवन कश्यप ने अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया था.द्य

-कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में सीमा नाम काल्पनिक है.