मेजर का खूनी इश्क : शैलजा के इंकार ने ली जान – भाग 1

मेजर अमित द्विवेदी की पोस्टिंग दिल्ली में आर्मी की इंजीनियरिंग विंग में थी. वहां से करीब 3 किलोमीटर दूर उन्हें दिल्ली कैंट की औफिसर्स कालोनी में सरकारी आवास मिला हुआ था. उन का घर से औफिस आनाजाना सरकारी जिप्सी से होता था. घर से औफिस का रास्ता केवल 20 मिनट का था. 23 जून, 2018 को अमित द्विवेदी अपने औफिस से दोपहर करीब 2 बजे घर पहुंचे.

मेजर द्विवेदी घर पहुंचे तो उन की पत्नी शैलजा दिखाई नहीं दी. उन्होंने अपने 6 वर्षीय बेटे अयान से शैलजा के बारे में पूछा. अयान ने बताया कि मौम अभी अस्पताल से नहीं लौटी हैं. शैलजा को अस्पताल में इतनी देर नहीं लगनी चाहिए थी, इसलिए मेजर अमित को थोड़ी चिंता हुई.

दरअसल, शैलजा की एड़ी में दर्द रहता था, जिस का इलाज आर्मी के बेस अस्पताल में चल रहा था. दर्द की वजह से वह कई दिनों तक अस्पताल में भरती भी रही थीं. बाद में उन्हें फिजियोथेरैपी के लिए रोजाना अस्पताल जाना पड़ता था. हर रोज वह पति के औफिस जाते समय उन की जिप्सी से अस्पताल चली जाती थीं. फिजियोथेरैपी के बाद वह पति के ड्राइवर पवन को फोन कर देती थीं. पवन जिप्सी ले कर अस्पताल पहुंच जाता था और वहां से शैलजा को घर छोड़ने के बाद औफिस लौट जाता था.

उस दिन शैलजा को अस्पताल में अपना एमआरआई कराना था, जिस के लिए उन्हें देर से अस्पताल जाना था. उस दिन वह पति के साथ नहीं गई थीं. बाद में उन्होंने ड्राइवर पवन को बुला लिया था. रोजाना की तरह उस दिन वह जिप्सी को अस्पताल के अंदर न ले जा कर अस्पताल के गेट पर ही उतर गई थीं. ड्राइवर वहीं से वापस चला गया था.

मेजर अमित बेटे अयान से पत्नी के बारे में पूछ ही रहे थे कि तभी घर के अर्दली ने बताया, ‘‘सर, मेमसाहब ने घर पर फोन कर के बताया था कि उन्हें लौटने में देर हो सकती है. साहब और अयान को लंच सर्व कर देना.’’

मेजर अमित ने सोचा कि हो सकता है, शैलजा के एमआरआई की रिपोर्ट मिलने में देर हो रही हो, इसलिए घर फोन कर के देर से लौटने को कहा है. मेजर द्विवेदी ने बेटे के साथ लंच कर के पत्नी का मोबाइल नंबर मिलाया. शैलजा का फोन स्विच्ड औफ था. उन्होंने सोचा कि वह डाक्टर के रूम में होगी, कोई डिस्टर्ब न हो, इसलिए फोन बंद कर लिया होगा. वैसे भी शैलजा तेजतर्रार और सुलझी हुई महिला थीं.

लापता हुईं शैलजा

आधे घंटे बाद मेजर अमित द्विवेदी ने फिर से पत्नी का नंबर मिलाया. शैलजा का फोन अब भी स्विच्ड औफ था. तब तक दोपहर के 3 बज चुके थे. अस्पताल के सभी डाक्टर 3 बजे से पहले ही ओपीडी के सभी मरीजों को देख चुके होते हैं. एक बार अमित द्विवेदी ने सोचा कि शैलजा कहीं और चली गई होगी, लेकिन ऐसा होता तो वह घर फोन जरूर करतीं.

मेजर अमित का मन नहीं माना तो उन्होंने आर्मी अस्पताल में फोन कर के शैलजा के बारे में पूछा. वहां से पता चला कि जो डाक्टर शैलजा का इलाज कर रहे थे, शैलजा उन के पास पहुंची ही नहीं थी. यह जान कर मेजर अमित का चिंतित होना स्वाभाविक था. वैसे भी उस दिन ड्राइवर पवन ने शैलजा को अस्पताल के गेट पर उतारा था.

इस से मेजर अमित की परेशानी बढ़ गई. वह सेना की जिस इंजीनियरिंग विंग में थे, उस विंग को उन्होंने पत्नी की गुमशुदगी की सूचना दे दी. शैलजा के गायब होने की बात सुन कर मेजर अमित के साथ काम करने वाले सेना के कई अधिकारी उन के घर पहुंच गए. अमित ने उन्हें पूरी बात बता दी. इस बीच अमित ने कई बार पत्नी का फोन भी मिलाया, लेकिन वह स्विच्ड औफ ही था.

मेजर अमित के साथियों ने इस संबंध में पुलिस को सूचना देने की सलाह दी. उसी दिन यानी 23 जून को पश्चिमी दिल्ली के थाना नारायणा को पुलिस कंट्रोल रूम से दोपहर करीब डेढ़ बजे सूचना मिली थी कि बरार स्क्वायर की मुख्य सड़क पर किसी महिला का एक्सीडेंट हो गया है.

पुलिस कंट्रोल रूम को यह जानकारी एक औटो चालक दीपक ने दी थी. एक्सीडेंट की खबर मिलते ही थानाप्रभारी सुनील चौहान पुलिस टीम के साथ बरार स्क्वायर पहुंच गए.

एक्सीडेंट की जगह बरार स्क्वायर मैट्रो स्टेशन से करीब 400 मीटर दूर थी. पुलिस ने देखा वहां सड़क पर 30-35 साल की एक महिला कुचली पड़ी थी. सड़क पर दूर तक खून फैला था. उस जगह किसी कार के टायरों के निशान भी थे.

थानाप्रभारी सुनील चौहान ने टायरों के निशानों को गौर से देखा तो उन्हें मामला संदिग्ध लगा. टायरों के निशान से साफ पता चल रहा था कि उस महिला पर जानबूझ कर कई बार कार चढ़ाई गई थी.

मृतका कौन है और कहां की रहने वाली है, जानने के लिए महिला कांस्टेबल ने तलाशी ली तो मृ़तका के पास ऐसी कोई चीज नहीं मिली, जिस से उसे पहचाना जाता. पहनावे से मृतका किसी उच्च परिवार की लग रही थी.

थानाप्रभारी ने लाश का निरीक्षण किया तो मृतका के गले पर किसी पतले और तेजधार हथियार से काटने का घाव मिला. गले का घाव देख कर पुलिस को पूरा यकीन हो गया कि मामला दुर्घटना का नहीं, बल्कि हत्या का है. हत्यारा संभवत: शातिर दिमाग था, जिस ने हत्या को एक्सीडेंट का रूप देने की कोशिश की थी. चौहान ने इस की जानकारी उच्च अधिकारियों को दे दी.

कुछ ही देर में एसीपी सोमेंद्र पाल त्यागी भी वहां आ गए. उन्होंने भी घटनास्थल का निरीक्षण किया. वहां मौजूद लोगों में से कोई भी मृतका को नहीं पहचान सका. मौके पर क्राइम इनवैस्टीगेशन और फोरैंसिक टीमों को भी बुलवा लिया गया था. दोनों टीमों ने घटनास्थल से सबूत जुटाए. पुलिस ने जरूरी काररवाई कर के लाश को हरिनगर स्थित दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल की मोर्चरी में रखवा दिया.

अस्पताल की काररवाई निपटा कर थानाप्रभारी सुनील चौहान थाने लौटे ही थे, तभी मेजर अमित द्विवेदी अपने साथियों के साथ नारायणा थाने पहुंच गए. सेना के अधिकारियों को एक साथ आया देख सुनील चौहान समझ गए कि मामला गंभीर है.

शैलजा मिली तो पर लाश के रूप में

मेजर अमित द्विवेदी ने थानाप्रभारी को अपनी पत्नी शैलजा के गायब होने की बात बताई. उन्होंने बताया कि वह सुबह बेस अस्पताल गई थी, उस के बाद घर नहीं लौटी. अमित द्विवेदी ने उन्हें पत्नी का हुलिया आदि भी बता दिया. उन की बात सुन कर थानाप्रभारी के दिमाग में उस युवती की लाश का चित्र घूम गया, जिसे वह कुछ देर पहले ही दीनदयाल उपाध्याय की मोर्चरी में रखवा कर आए थे.

वजह यह थी कि मेजर द्विवेदी ने अपनी पत्नी का जो हुलिया बताया था, वह लाश से मिलताजुलता था. इत्मीनान से मेजर की बात सुन कर थानाप्रभारी ने कहा, ‘‘आज ही बरार स्क्वायर के पास एक महिला की लाश मिली है. मृतका का गला काटने के बाद किसी ने लाश को कार से कुचला था. उस की डैडबौडी दीनदयान उपाध्याय अस्पताल की मोर्चरी में रखी है.’’

शक के कफन में दफन हुआ प्यार – भाग 1

उत्तर प्रदेश के जिला गाजीपुर के थाना बहरियाबाद क्षेत्र में एक गांव है बघांव. पेशे से अध्यापक दीपचंद राम अपने परिवार के साथ इसी गांव में रहता था. उस के परिवार में पत्नी सुमन के साथसाथ 2 बेटे थे सुरेश और सुरेंद्र तथा 2 बेटियां थीं चंदना और वंदना. चंदना सब से बड़ी, समझदार और खूबसूरत लड़की थी. वह दीपचंद और सुमन की लाडली थी.

16 मार्च, 2018 की सुबह करीब 9-10 बजे चंदना मां से खेतों पर जाने को कह कर घर से बाहर निकली तो दोपहर के 1 बजे तक घर नहीं लौटी. दीपचंद और सुमन को चिंता हुई. सयानी बेटी के इस तरह से गायब हो जाने से मांबाप परेशान हो गए. उन्होंने अड़ोसपड़ोस में चंदना को ढूंढा, लेकिन उस का कोई पता नहीं चला. उन की समझ में नहीं आ रहा था कि चंदना रहस्यमय तरीके से कहां लापता हो गई.

मामला जवान बेटी से जुड़ा था, इसलिए संवेदनशील दीपचंद ने यह सोच कर इस बारे में किसी को नहीं बताया कि व्यर्थ में अंगुलियां उठने लगेंगी. धीरेधीरे शाम ढलने लगी, लेकिन चंदना घर नहीं लौटी. ऐसे में दीपचंद और सुमन की घबराहट और बेचैनी बढ़नी स्वाभाविक ही थी.

दोनों बेटी के बारे में सोचसोच कर परेशान थे. उन की बेचैनी और चंदना को ढूंढने की वजह से कुछ लोगों ने अनुमान लगा लिया था कि चंदना गायब है. फलस्वरूप धीरेधीरे यह बात पूरे गांव में फैल गई थी. गांव वाले चंदना को ले कर तरहतरह की बातें करने लगे थे. जब शाम तक चंदना का कहीं पता नहीं चला तो दीपचंद गांव के कुछ लोगों को साथ ले कर बहरियाबाद थाने पहुंचा.

थानाप्रभारी शमीम अली सिद्दीकी थाने में ही मौजूद थे. जब दीपचंद अन्य लोगों के साथ थाने पहुंचा तब तक अंधेरा घिर आया था. थानाप्रभारी ने दीपचंद से रात में थाने आने का कारण पूछा तो दीपचंद ने उन्हें पूरी बात बता दी.

मामला गंभीर था. दीपचंद की बातें सुन कर थानाप्रभारी सिद्दीकी ने लिखने के लिए एक सादा पेपर दीपचंद की ओर बढ़ा दिया और तहरीर लिख कर देने के लिए कहा. दीपचंद ने तहरीर लिख कर दे दी. पुलिस ने दीपचंद की तहरीर पर चंदना की गुमशुदगी की सूचना दर्ज कर के जरूरी काररवाई शुरू कर दी.

लहूलुहान हालत में मिली चंदना की लाश

अगली सुबह यानी 17 मार्च को बघांव का रहने वाला लल्लन यादव गांव के बाहर अपने खेत में पंपिंग सेट देखने पहुंचा. उस ने अपने खेत में पंपिंग सेट लगा रखा था. पैसा ले कर वह दूसरों के खेतों की सिंचाई किया करता था. खेतों में पहुंच कर लल्लन की नजर गेहूं की फसल पर पड़ी तो उसे कुछ अजीब सा लगा. खेत के बीच में काफी दूर तक फसल रौंदी पड़ी थी. ऐसा लग रहा था जैसे किसी जानवर ने खेत में घुस कर उत्पात मचाया हो.

पड़ताल करने के लिए लल्लन अंदर पहुंच गया. उस की नजर जब बरबाद हुई गेहूं की फसल पर पड़ी तो वह वहां का नजारा देख घबरा गया. वह वहां से भागा तो सीधा दीपचंद के घर ही जा कर रुका.

दीपचंद जिस बेटी को 24 घंटे से तलाश कर रहा था, उस की अर्द्धनग्न लाश लल्लन यादव के खेत में पड़ी थी. किसी ने उस के गले और पेट पर चाकू से अनगिनत वार कर के मौत के घाट उतार दिया था.

चंदना की लाश मिलते ही दीपचंद के घर में कोहराम मच गया. दीपचंद और गांव के तमाम लोग लल्लन के खेत पर जा पहुंचे, जहां चंदना की रक्तरंजित लाश पड़ी थी. चंदना की लाश देख कर गांव वालों ने अनुमान लगाया कि हत्यारों ने दुष्कर्म करने के बाद अपनी पहचान छिपाने के लिए उस की निर्ममतापूर्वक हत्या कर दी होगी. लोगों ने घटनास्थल देख अनुमान लगाया कि हत्यारों की संख्या 2-3 से कम नहीं रही होगी, क्योंकि काफी दूरी तक गेहूं की फसल रौंदी हुई थी.

भीड़ में से किसी ने 100 नंबर पर फोन कर के घटना की सूचना पुलिस कंट्रोलरूम को दे दी. कंट्रोलरूम से वायरलैस सेट पर यह सूचना बहरियाबाद थाने को दे दी गई. इस घटना से गांव वाले काफी गुस्से में थे. उन लोगों ने चंदना की लाश ले कर बहरियाबाद-चिरैयाकोट मार्ग (गाजीपुर-मऊ मार्ग) पर जाम लगा दिया.

कंट्रोलरूम से दी गई सूचना के आधार पर बहरियाबाद थानाप्रभारी शमीम अली सिद्दीकी पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. उन की टीम में एसआई विपिन सिंह, प्रशांत कुमार चौधरी, विकास श्रीवास्तव, संजय प्रसाद, दिनेश यादव शामिल थे. पुलिस को देखते ही ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा. वे पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारे लगाने लगे.

शमीम अली सिद्दीकी ने स्थिति की नजाकत को समझते हुए कप्तान सोमेन वर्मा को फोन कर के फोर्स भेजने का आग्रह किया. पुलिस कप्तान ने तत्काल सीओ (सैदपुर) मुन्नीलाल गौड़, सीओ (भुड़कुड़ा) प्रदीप कुमार, सीओ (जखनिया) आलोक प्रसाद सहित जिले के कई थानों के थानाप्रभारियों को मौके पर पहुंचने का आदेश दिया. वह खुद भी मौके पर पहुंच गए.

कुछ ही देर में बहरियाबाद-चिरैयाकोट मार्ग पर खाकी वरदी ही वरदी नजर आने लगीं. पुलिस ने पंचनामा के लिए चंदना की लाश लेने की कोशिश की तो प्रदर्शनकारियों ने पुलिस को लाश देने से मना कर दिया. उन की 2 मांगें थीं, पहली यह कि घटनास्थल पर डौग स्क्वायड को बुलवाया जाए और दूसरी यह कि हत्यारों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए.

गांव वालों का विरोध प्रदर्शन

पुलिस कप्तान सोमेन वर्मा ने लोगों की पहली मांग पूरी करने में असमर्थता जताई, क्योंकि जिले में डौग स्क्वायड की कोई व्यवस्था नहीं थी. अलबत्ता उन्होंने प्रदर्शनकारियों की दूसरी मांग पूरी करने का भरोसा देते हुए वादा किया कि हत्यारों को 24 घंटे के अंदर गिरफ्तार कर लिया जाएगा.

पुलिस की 5 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद एसपी वर्मा के आश्वासन पर गांव वाले शांत हुए. पुलिस ने जल्दीजल्दी पंचनामा भर कर लाश पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दी. इस के साथ ही अज्ञात हत्यारों के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया. घटना की तफ्तीश की जिम्मेदारी थानाप्रभारी शमीम अली सिद्दीकी को सौंपी गई.

चंदना की हत्या किस ने और क्यों की, पुलिस के लिए यह गुत्थी सुलझाना आसान नहीं था. थानाप्रभारी ने सब से पहले घटनास्थल का दौरा किया और फिर मृतका चंदना के घर जा कर उस के पिता दीपचंद से पूछताछ की. दीपचंद ने थानाप्रभारी को बताया कि उस की या उस की बेटी चंदना की किसी से कोई अदावत नहीं थी. वैसे भी चंदना अपने काम से मतलब रखती थी. वह किसी के घर भी ज्यादा नहीं उठतीबैठती थी.

चंदना हत्याकांड की गुत्थी काफी उलझी हुई थी. जांच अधिकारी के लिए यह मामला काफी चुनौतीपूर्ण था. उधर चंदना की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आ गई थी. रिपोर्ट में बताया गया कि उस के साथ दुष्कर्म नहीं हुआ था. उस की मौत का कारण अत्यधिक खून बहना बताया गया था.

थानाप्रभारी शमीम अली ने चंदना हत्याकांड का खुलासा करने के लिए कई मुखबिर लगा दिए थे. इसी बीच जांच के दौरान उन्हें पता चला कि चंदना अपने पास मोबाइल फोन रखती थी और सब से छिपछिपा कर किसी से अकसर बातें करती थी. यह बात वंदना के अलावा कोई नहीं जानता था.

वंदना काफी छोटी थी. थानाप्रभारी शमीम ने सोचा अगर उस से डराधमका कर पूछताछ की गई तो वह डर जाएगी और फिर शायद ही कुछ बता पाए. इसलिए उस से बड़े प्यार और मनोवैज्ञानिक तरीके से बात करनी जरूरी थी. क्या करना है, यह फैसला कर के वह दीपचंद के घर जा पहुंचे.

पुलिस के हत्थे लगा चंदना का मोबाइल फोन

उन्होंने वंदना के सिर पर बड़े प्यार से हाथ फेरते हुए पूछा, ‘‘बेटा, तुम्हारा नाम क्या है?’’

‘‘वंदना.’’ वंदना ने डरते हुए जवाब दिया.

‘‘किस क्लास में पढ़ती हो?’’

‘‘चौथी क्लास में.’’ उस ने उत्तर दिया.

‘‘क्या तुम्हें पता है कि तुम्हारी दीदी अपने पास एक मोबाइल रखती थी? वह मोबाइल कहां है?’’

‘‘जी सर, मुझे पता है दीदी अपने पास एक मोबाइल फोन रखती थी. यह भी पता है कि वह उसे कहां छिपा कर रखती थी.’’ वंदना ने कांपते स्वर में उत्तर दिया.

‘‘तो बताओ वह मोबाइल कहां छिपा कर रखती थी?’’ थानाप्रभारी ने बडे़ प्यार से उस के सिर पर हाथ फेरते हुए पूछा.

मनप्रीत कौर : कपड़ों की तरह पति बदलने वाली -भाग 3

सुखवीर द्वारा बेटी को साथ ले जाते ही मनप्रीत ने काशीपुर में ही एक किराए का कमरा ले लिया था. कमरा लेते ही मनप्रीत ने ऊंची उड़ान भरनी शुरू कर दी थी. उसी दौरान उस ने फोन के जरिए नफीस से संपर्क बढ़ा लिए थे.

नफीस उत्तर प्रदेश के जिला बिजनौर के थाना अफजलगढ़ के गांव मानियोवाला गढ़ी का रहने वाला था. वह पहले से ही शादीशुदा और 2 बच्चों का बाप था. उस का अपना ट्रक था, जिस के सहारे वह अपने परिवार का पालनपोषण करता था.

नफीस के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाते ही उस ने उसे अपने कमरे पर भी बुलाना शुरू कर दिया था. फिर उस के बाद उस ने अपने पति और अपनी बच्ची की ओर मुड़ कर भी नहीं देखा था. नफीस और मनप्रीत कौर पतिपत्नी की तरह ही रहने लगे.

नफीस का काम ही ऐसा था. वह अकसर ट्रक चलाने के कारण बाहर ही रहता था. इसी कारण उस की बीवी उस के कर्मों से अनजान बनी हुई थी.

कभीकभी तो नफीस अपनी पत्नी से काम का बहाना बना कर ट्रक ले कर जसपुर मनप्रीत कौर के पास ही चला जाता था, जहां पर वह सारी रात मौजमस्ती करने के बाद फिर सुबह ही अपने घर चला जाता था.

जब मनप्रीत कौर को लगने लगा कि नफीस उसे जीजान से चाहने लगा है तो उस ने भी उस का नाजायज फायदा उठाना शुरू कर दिया था. वह उस पर अपना पूरा अधिकार जमाने लगी थी, जिस के कारण वह उस की बीवीबच्चों से भी चिढ़ने लगी थी.

उस ने नफीस से कई बार कहा कि अगर उसे उस के साथ रहना है तो वह अपने बीवीबच्चों को भूल जाए. मनप्रीत कौर उस पर बीवी को तलाक देने की बात करते हुए अपने साथ रहने का दबाव बनाने लगी थी, जिसे नफीस बरदाश्त नहीं कर पा रहा था.

लेकिन मनप्रीत कौर भी उस की एक बहुत बड़ी कमजोरी थी. वह उसे किसी भी कीमत पर छोड़ने को तैयार नहीं था.

गांव कादराबाद में नफीस का एक दोस्त रहता था. उस के साथ उस की बहुत पुरानी दोस्ती थी. किसी कारणवश कुछ समय पहले ही उस की बीवी खत्म हो गई थी. वह कई बार अपने दोस्त को साथ ले कर मनप्रीत के पास भी आया था. जब मनप्रीत नफीस पर शादी के लिए ज्यादा ही दबाव बनाने लगी तो उस के दिमाग में एक आइडिया आया.

उस ने सोचा क्यों न वह मनप्रीत की शादी अपने दोस्त के साथ करा दे. जिस के बाद उसे उस से मिलने में किसी तरह की अड़चन भी नहीं आएगी. वह जब चाहे उस के पास जा कर अपनी हसरतें भी पूरी कर सकता है.

नफीस के मन में यह विचार आया तो उस ने अपने दोस्त के सामने मनप्रीत के साथ शादी करने वाली बात रखी. मनप्रीत कौर के साथ शादी करने वाली बात सामने आते ही उस ने तुरंत ही अपनी सहमति दे दी. उस के बाद उस ने मनप्रीत के मन की बात लेते हुए अपने दोस्त को उस से मिलवा दिया.

पहले तो मनप्रीत कौर ने उस के साथ शादी करने से साफ ही मना कर दिया. लेकिन जब उसे पता चला कि उस के पास काफी जमीनजायदाद भी है. बाद में उस ने जमीनजायदाद के लालच में उस के साथ शादी करने की हामी भर ली.

इस शादी से दोनों के मकसद पूरे होने के सपने साकार होते देख मनप्रीत जसपुर से काम छोड़ कर कादराबाद चली गई. उस के बाद वह उस के दोस्त के साथ उस की बीवी के तौर पर रहने लगी.

लेकिन नफीस का दोस्त उस के मन को नहीं भाया. वह मात्र 10 दिन उस के घर में रह कर एक रात अचानक ही वहां से गायब हो गई. उस के गायब होने से उस के दोस्त को तो ज्यादा परेशानी नहीं हुई, लेकिन नफीस उस के लिए परेशान हो उठा था. वह दिनरात उस की तलाश में जुट गया.

नफीस ने जैसेतैसे कर के उस का पता लगा ही लिया. वह हरियाणा के एक गांव में मिल गई. नफीस फिर उसे अपने साथ ले आया. वह फिर से वहीं जसपुर में आ कर रहने लगी थी.

उस के बाद उस का सारा खर्चा नफीस खुद ही उठाने लगा था. लेकिन इस के बाद भी मनप्रीत कौर उस के साथ शादी करने का दबाव बनाने लगी थी. जिस के कारण नफीस उस से तंग आ चुका था.

लौकडाउन के चलते नफीस के ट्रक के पहिए रुके तो वह भी आर्थिक तंगी से गुजरने लगा था. जिस के कारण उसे अपनी घरगृहस्थी भी चलानी मुश्किल पड़ रही थी. वहीं मनप्रीत कौर उस पर शादी करने का दबाव बना रही थी.

उसी दौरान मनप्रीत ने एक दिन नफीस से साफ शब्दों में कहा कि अगर उस ने उस के साथ शादी नहीं की तो वह उसे बलात्कार के केस में फंसा कर जेल भिजवा देगी.

मनप्रीत की धमकी सुन नफीस को दिन में ही तारे नजर आ गए. उस ने उसी दिन प्रण किया कि उसे अपनी इज्जत बचाने के लिए उस से किसी भी तरह से पीछा छुड़ाना ही होगा.

नफीस ने मनप्रीत की धमकी सुन कर भी एक साजिश के तहत उस का साथ नहीं छोड़ा था. उस के बाद वह उस से पूरी तरह से सतर्क हो गया. फिर उस के साथ पहले जैसा प्यार दिखाते हुए उस ने मनप्रीत पर पूरा विश्वास बनाए रखा. साथ ही वह उस से छुटकारा पाने के लिए हर पल नई योजनाओं को साकार रूप देने के लिए रूपरेखा भी तैयार करने लगा था.

वह हर रोज रात में क्राइम सीरियल देखने के साथसाथ मारधाड़ वाली फिल्में भी देखने लगा था. फिल्म देखने के दौरान ही उसे एक फिल्म से एक आइडिया मिल भी गया.

उस ने एक फिल्म में ऐसा ही सीन देखा, जिस में एक विलेन ने एक हीरो को ट्रक से कुचल कर मार दिया था. उस के बाद उस ने उस की पहचान छिपाने के लिए उस के चेहरे को ट्रक के पहियों से बुरी तरह से कुचल दिया था.

फिल्म का वही सीन देखने के बाद नफीस ने वही फार्मूला अपना कर मनप्रीत से पीछा छुड़ाने की योजना तैयार कर ली थी. योजनानुसार 17 सितंबर, 2021 को नफीस ट्रक ले कर काशीपुर पहुंचा. मनप्रीत के कमरे पर पहुंचते ही उस ने उस से कहा, ‘‘मनप्रीत, आज मैं बहुत खुश हूं. आज तुम जो भी मुझ से मांगोगी, वह दे दूंगा.’’

नफीस की बात सुनते ही मनप्रीत ने उस के सामने एक ही प्रस्ताव रखा, ‘‘अगर तुम मुझे कुछ देने की चाह रखते हो तो आज मुझ से शादी करने का वचन दो. मैं तभी समझूंगी कि तुम मुझ से सच्चा प्यार करते हो.’’

‘‘बस, इतनी सी बात? चलो, ठीक है मुझे तुम्हारी शर्त मंजूर है. इसी खुशी में आज तुम्हें मैं कहीं घुमाने ले जाना चाहता हूं.’’

नफीस की बात सुनते ही मनप्रीत का मुरझाया चेहरा खिल उठा. फिर उस ने प्यार से नफीस को चाय पिलाई और उस के साथ जाने की तैयारी करने लगी. मनप्रीत के तैयार होते ही वह उसे साथ ले कर अफजलगढ़ चला आया.

उस वक्त तक शाम हो चुकी थी. शाम होते ही नफीस के मन में पक रही खिचड़ी उबाल लेने लगी थी. नफीस का इरादा था कि उसे किसी सुनसान जगह पर ले जा कर ट्रक से नीचे धक्का दे कर मौत के घाट उतार डालेगा. उस के लिए उस ने हरिद्वार जाने वाली सड़क को चुन भी लिया था.

शाम होते ही मनप्रीत कौर ने नफीस के सामने खाना खाने की इच्छा जाहिर की तो उस ने ट्रक को एक ढाबे पर रोका. वहीं पर बैठ कर नफीस ने शराब पी और मनप्रीत ने बीयर.

उस के बाद दोनों ने उसी ढाबे पर खाना भी खाया. खाना खाने के दौरान ही मनप्रीत के मोबाइल पर किसी का फोन आया तो उस ने नफीस से उसे काशीपुर छोड़ने को कहा.

काशीपुर छोड़ने की बात सुनते ही नफीस को अपने किएकराए पर पानी फिरते दिखा. फिर उस ने उसे समझाते हुए कहा, ‘‘तुम्हें कल सुबह ही काशीपुर छोड़ दूंगा. आज रात हरिद्वार चलते हैं. वहीं पर रात गुजारेंगे.’’

मनप्रीत ने नफीस से साफ शब्दों में कहा कि वह आज किसी भी हालत में हरिद्वार जाने के मूड में नहीं है. इसलिए वह उसे जल्दी से काशीपुर छोड़ दे.

मनप्रीत की जिद को देख कर नफीस का माथा घूमने लगा. उसे लगा कि काशीपुर में रहते हुए उस ने किसी और से संबंध बना लिए हैं. इसी कारण वह काशीपुर जाने की जिद पर अड़ी है. उस ने मनप्रीत से बारबार फोन करने वाले का नाम पूछा तो उस ने उसे बताने से साफ मना कर दिया. इस के बाद दोनों के बीच काफी तूतूमैंमैं भी हुई.

आखिरकार, मनप्रीत की जिद के आगे नफीस को हार माननी पड़ी. फिर वह उसे ट्रक में बैठा कर काशीपुर की ओर चल दिया. उस वक्त तक बीयर का नशा मनप्रीत पर हावी हो चुका था. वह नींद में झूमने लगी थी. उस की हालत को देखते ही नफीस को लगा कि उस से छुटकारा पाने का इस से बढि़या मौका शायद नहीं मिलेगा.

मौका पाते ही उस ने ट्रक के टूल बौक्स से लोहे की रौड निकाली. रौड निकालते ही उस ने नशे में पड़ी मनप्रीत कौर के सिर पर कई वार किए.

बेहोशी की हालत में वह उस का विरोध भी नहीं कर पाई. उस के बेहोश होते ही उस ने उस का मोबाइल और आधार कार्ड अपने कब्जे में ले लिया, ताकि उस की पहचान न हो सके.

मनप्रीत के मरणासन्न हालत में जाते ही उस ने एकांत का लाभ उठाते हुए उसे ट्रक से नीचे धक्का दे दिया. उस के बाद उस की पहचान छिपाने के लिए उस ने ट्रक को आगेपीछे करते हुए उस के सिर को बुरी तरह से कुचल दिया.

मनप्रीत को मौत की नींद सुलाने के बाद वह ट्रक ले कर वापस अपने घर चला गया था. नफीस को उम्मीद थी कि अब यह केस खुल नहीं पाएगा और पुलिस इसे दुर्घटना का ही मामला समझेगी. लेकिन मनप्रीत कौर की शिनाख्त हो जाने के बाद केस खुल गया.

पुलिस ने हत्यारोपी नफीस से पूछताछ करने के बाद उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया था.

बेवफाई का बदनाम वीडियो : प्रेमी को सिखाया सबक – भाग 4

मधु सोनू की इस हरकत से दुखी हो गई. उस ने वीडियो हमेशा के लिए डिलीट करने की उस से विनती की, लेकिन सोनू के मन में तो कुछ और ही चल रहा था.

सोनू ने मधु के साथ अंतरंग रिश्ते की वीडियो को ब्लैकमेल का औजार बना लिया. वह उस वीडियो की आड़ में मधु से साथ लगातार यौन संबंध बनाने का दबाव बनाने लगा था.

मधु बारबार समझाती थी कि उस की शादी होने वाली है इसलिए ऐसा नहीं करे. वह सोनू की शादी तय होने का भी हवाला देती थी. वह सोनू से बोली, ‘‘क्यों न हम अपनेअपने नए जीवन की शुरुआत करें.’’

उस के जवाब में सोनू धमकियां देने लगा. यह सब चलता रहा और सोनू की शादी 12 मई, 2021 को हो गई. दोबारा लौकडाउन लगने की वजह से मधु की शादी की तारीख पक्की नहीं हो पाई थी.

मधु से अकेले में मिलने के लिए सोनू ने 14 और 15 मई को लगातार कई फोन किए. उस ने फोन पर ही कहा, ‘‘तुम्हारी तो शादी होने वाली है, आखिरी बार मुझ से मिल लो.’’

‘‘ठीक है, मैं तुम्हारे साथ आखिरी बार संबंध बना लूंगी, लेकिन वह मेरे अनुसार होगा. उस के लिए जगह भी मैं तय करूंगी और तरीका भी मेरे कहे का अपनाना होगा.’’ मधु ने शर्त रखी.

‘‘ कौन सी जगह? कैसा तरीका?’’ सोनू ने जिज्ञासावश पूछा.

‘‘वह सब मैं 16 तारीख को बताऊंगी. मैं चाहती हूं कि हमारी आखिरी मुलाकात यादगार बने. दिन में साढ़े 10 बजे फोन करना, मिलने की जगह बता दूंगी. मेरे कहे अनुसार संबंध बनाने होंगे. जैसजैसा मैं कहूंगी, वैसावैसा करना होगा. और हां, पहले मेरे सामने ही पुराने सभी वीडियो डिलीट करने होंगे.’’ मधु ने चुहलबाजी के साथ आकर्षक अंदाज में कहा.

मधु का प्रस्ताव सुन कर सोनू रोमांचित हो गया. उस ने झट से हां कह दी.

अगले रोज 16 मई, 2021 को ठीक 10 बजे सोनू अपने पिता की मोटरसाइकिल ले कर मधु द्वारा बताए गई जगह सिद्धम मंदिर के पास पहुंच गया. वहीं से उस ने मधु को फोन किया. 3 काल उस ने रिसीव नहीं किए. सोनू खीज उठा. उस ने फिर काल की.

इस बार मधु ने काल रिसीव करते हुए कहा कि वह 8-10 मिनट में पहुंचने वाली है. थोड़ी देर में ही मधु अपनी बुआ की 16 वर्षीया बेटी निमिषा ( बदला नाम) के साथ आ गई. सोनू ने पूछा, ‘‘कहां चलना है?’’

मधु बोली, ‘‘वहीं जहां पहले भी कई बार मिलते रहे हैं. हरगढ़ जंगल.’’

इस के बाद तीनों मोटरसाइकिल पर आधे घंटे में ही हरगढ़ जंगल के पास पहुंच गए. सोनू ने सड़क के किनारे मोटरसाइकिल लगा दी और निमिषा को वहीं रुकने के लिए कहा. फिर वह मधु के साथ भीतर जंगल में चला गया.

झाडि़यों के एक झुरमुट के बीच थोड़ी सी जगह पर दोनों बैठ गए. मधु ने अपने हैंडबैग में रखा दुपट्टे की तरह इस्तेमाल किया जाने वाला स्टाल निकाल कर बिछा दिया, जिस पर बैठ कर वे अकसर रोमांटिक बातें किया करते थे.

सोनू उस पर लेट गया. मधु ने रोमांटिक अंदाज में कहा, ‘‘आज मैं तुम्हारे हाथोंपैरों को रस्सी से बांधूंगी. आंखों पर भी पट्टी बांध दूंगी. उस के बाद हम संबंध बनाएंगे.’’

यह सुन कर सोनू को अजीब तो लगा, लेकिन वासना की आग में जलता हुआ मधु के कहे अनुसार पेट के बल लेट गया. इस से पहले मधु ने साथ लाई रस्सी से उस के हाथ और पैर बांध दिए थे. सोनू के लेटते ही मधु उस की पीठ पर सवार हो गई और पास पड़ा एक वजनी पत्थर सिर पर दे मारा.

सोनू अभी संभलता इस से पहले मधु ने पत्थर से 3-4 वार कर दिए. हाथपैर बंधे होने और आंखों पर पट्टी होने के कारण सोनू अपना बचाव नहीं कर पाया. मधु ने उस के गले को भी एक रस्सी से कस दिया.

कुछ समय में ही सोनू के शरीर से हलचल बंद हो गई. फिर उसे लात से पीठ के बल उलट दिया. मृत सोनू की आंखों की पट्टी खोली. हाथपैर की रस्सियां भी खोल दीं. गले की रस्सी लिपटी छोड़ दी.

बिछाया स्टाल निकाल कर अपने बैग में रख लिया. फिर उस ने पत्थर से उस के चेहरे पर जोर से कई वार किए. उस की जेब से एटीएम कार्ड, आधार कार्ड और मोबाइल निकाल कर अपने बैग में रख लिया.

सोनू को मौत के घाट उतारने के बाद मधु ने निमिषा को आवाज दे कर बुला कर कहा, ‘‘सोनू को हम ने मार दिया. आज मैं ने उस की बेवफाई और ब्लैकमेलिंग का बदला ले लिया है. हमेशा के लिए कांटा निकाल दिया है. तुम किसी से कुछ नहीं कहना.’’

दोनों जंगल से बाहर निकल आईं और मोटरसाइकिल की नंबर प्लेट को पत्थर मारमार कर तोड़ डाला. ऐसा करते हुए मधु की कलाई घड़ी का फीता टूट गया उस ने घड़ी तो उठा कर अपने बैग में रख ली और टूटा हुआ फीता वहीं झाडि़यों में फेंक दिया.

इस जुर्म को कबूलने के बाद मधु ने पुलिस को बताया कि वह सोनू द्वारा बनाई गई उस की अश्लील वीडियो को ले कर परेशान थी.

उस से बचने का एक ही तरीका उस के दिमाग में आया कि उसे हमेशा के लिए मौत की नींद सुला दिया जाए.

इस खुलासे के बाद मधु पटेल पर सोनू की हत्या के आरोप में आइपीसी की धाराएं 302 और 201 लगाई गई. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया.

निमिषा पर भी साक्ष्य छिपाने के जुर्म में आइपीसी की धारा 201 लगा कर उसे बाल कारागार गृह शहडोल भेज दिया गया, जबकि मधु पटेल को महिला जेल जबलपुर भेज दिया गया.

(कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित)

प्रेमी ने खोदी मोहब्बत की कब्र : भाग-3

खुशबू आकाश से बेपनाह मोहब्बत करती थी, मगर वह पिता के द्वारा दिनेश के साथ तय किए गए शादी के रिश्ते के बाद अपने भविष्य के नए सपने बुनने लगी थी.

दिनेश एक प्राइवेट कंपनी में काम करता था और स्मार्ट भी था, जबकि आकाश की माली हालत उतनी अच्छी नहीं थी. यही सोच कर खुशबू आकाश से दूरी बनाने लगी. इस से आकाश तो जैसे पागल ही हो गया.

शादी का रिश्ता तय होते ही खुशबू ने आकाश से फोन पर बातचीत भी बंद कर दी. इसे ले कर आकाश परेशान रहने लगा. आकाश ने खुशबू के साथ जीनेमरने की कसमें खाई थीं और अब आकाश को यह लगने लगा था कि खुशबू किसी दूसरे लड़के से प्रेम करने लगी है.

आकाश खुशबू की बेवफाई को बरदाश्त नहीं कर पा रहा था. वह खुशबू की हरकतों से इतना जलभुन गया था कि उस ने यह ठान लिया था कि खुशबू यदि मेरी नहीं हुई तो किसी और की भी नहीं होने दूंगा.

आकाश बारबार खुशबू को फोन करने लगा. हर दिन आने वाली फोन काल से खुशबू परेशान रहने लगी. एक दिन फोन कर के आकाश ने भावुक होते हुए खुशबू से कहा, ‘‘खुशबू, मैं तुम से एक बार मिलना चाहता हूं, प्लीज मना मत करना.’’

आकाश की हालत पर खुशबू को तरस आ गया और 31 मई, 2021 को वह आकाश से मिलने को तैयार हो गई.

31 मई की दोपहर में ब्यूटीपार्लर जाने की कह कर जैसे ही खुशबू घर से बाहर निकली तो सुभाष चौराहे पर स्कूटी लिए आकाश उसी का बेसब्री से इंतजार करता मिला. खुशबू को स्कूटी पर बैठा कर आकाश व्हीकल एस्टेट के खंडहर हो चुके दोमंजिला क्वार्टर में ले गया.

क्वार्टर चारों तरफ से झाडि़यों से घिरा हुआ था और वहां किसी का आनाजाना नहीं होता. इसी का फायदा उठा कर आकाश खंडहर हो चुके क्वार्टर की दूसरी मंजिल पर खुशबू को ले गया.

आकाश ने वहां खुशबू को एक पैकेट दिखाते हुए कहा, ‘‘देखो तो मैं तुम्हारे लिए क्या गिफ्ट लाया हूं.’’

खुशबू ने पैकेट को हाथों में लेते हुए आकाश से पूछा, ‘‘क्या गिफ्ट लाए हो?’’ ्र

‘‘खुद खोल कर देखो,’’ कहते हुए आकाश ने उसे बाहों में भरने की कोशिश की.

खुशबू ने अपने आप को उस से दूर करते हुए कहा, ‘‘देखो आकाश, अब मेरा रिश्ता तय हो गया है. अब तुम मुझे भूलने की कोशिश करो. मैं अब नई जिंदगी शुरू करना चाहती हूं.’’

खुशबू के समझाने का जैसे आकाश पर कोई असर ही नहीं हो रहा था. आकाश के मन में तो कुछ और ही चल रहा था. वह तो उस दिन यह ठान कर ही घर से निकला था कि खुशबू का कत्ल कर उसे किसी और की दुलहन नहीं बनने देगा. यानी आकाश अपनी मोहब्बत की कब्र खोदने ही आया था.

जैसे ही खुशबू ने उस से दूर होने की कोशिश की तो आकाश ने एक हाथ से खुशबू की गरदन को घेर लिया. खुशबू ने जैसे ही अपना चेहरा सामने की तरफ किया, आकाश ने दूसरे हाथ से अपनी पैंट की जेब में रखा चाकू निकाल लिया. खुशबू संभल पाती, इस के पहले ही उस ने चाकू से उस का गला रेत कर उसे मौत की नींद सुला दिया. खुशबू की हत्या कर आकाश ने उसी क्वार्टर में आसपास पड़ी झाडि़यों से शव को छिपा दिया. उस के बाद दूसरे दिन से ही खुशबू के घर पहुंच कर उस की खोजबीन करने का नाटक करने लगा.

मामले को छिपाने के लिए आकाश ने लाश को बड़ी ही सफाई से व्हीकल की खंडहरनुमा बिल्डिंग की दूसरी मंजिल में झाडि़यों में छिपा दिया था. आकाश को यकीन था कि इस खंडहर में कोई आताजाता नहीं है और कुछ ही दिनों में खुशबू की मृत देह को चीलकौवे खा जाएंगे. लेकिन कानून के लंबे हाथों से आकाश बच नहीं सका.

रांझी पुलिस के साथ क्राइम ब्रांच की पूछताछ में जब आकाश ने खुशबू की हत्या करने का जुर्म कुबूल किया तो पुलिस 24 सितंबर, 2021 को आकाश को ले कर व्हीकल एस्टेट के खंडहरनुमा र्क्वाटर की दूसरी मंजिल पर पहुंच गई. वहां पर खूशबू की लाश 4 महीनों में कंकाल बन चुकी थी.

पुलिस ने वहां से खुशबू का कंकाल बरामद किया. वहीं हत्या में प्रयुक्त चाकू और हत्या के दिन गिफ्ट में दिए गए कपड़े भी जब्त कर लिए.

घटनास्थल पर युवती के पहने हुए कपड़े और जूते भी पड़े हुए थे. कंकाल के आसपास चूडि़यां और सिर के बाल भी बिखरे हुए थे. सिर के बाल और कंकाल को फोरैंसिक टीम की मौजूदगी में पोस्टमार्टम के लिए मैडिकल कालेज भिजवाया गया.

खुशबू की गरदन सहित सिर के हिस्से के कंकाल को जांच के लिए फोरैंसिक लैब, सागर भेज दिया गया और शेष बची हुई हड्डियां खुशबू के घर वालों को एक बोरी में भर कर अंतिम संस्कार के लिए दे दीं.

नंदकिशोर और सुधा बेटी की हड्डियों के बोरे को अपनी छाती से लगा कर चीखचीख कर रो रहे थे. इस सनसनीखेज हत्या से वंशकार समाज के लोगों ने परिजनों के साथ रांझी थाने पहुंच कर विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने रांझी पुलिस पर जांच में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि पुलिस ने पहले ही गंभीरता से मामले की जांच की होती तो इस हत्याकांड का खुलासा तभी हो गया होता.

मां सुधा और पिता नंदकिशोर आरोप लगा रहे थे कि इस हत्याकांड में आकाश के अलावा उस के पिता सूरज बेन और उस के रिश्तेदार प्रकाश और बसंत बेन भी शामिल रहे हैं. उन्हें भी पुलिस गिरफ्तार करे.

जबलपुर जिले के एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा के निर्देश पर एडीशनल एसपी संजय अग्रवाल और रांझी टीआई विजय परस्ते ने प्रैस कौन्फ्रैंस कर 117 दिन पुराने गुमशुदगी के केस का परदाफाश करने की जानकारी मीडिया को दी.

24 साल के प्रेमी आकाश बेन को अपनी प्रेमिका खुशबू की हत्या कर शव छिपाने के अपराध में गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे सेंट्रल जेल जबलपुर भेज दिया गया.

आकाश जो कभी खुशबू से बेइंतहा मोहब्बत करता था, आखिरकार उसी ने मोहब्बत की कब्र खोद कर अपने प्यार को हमेशा के लिए दफन कर दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

बेवफाई रास न आई : परिवार बना प्रेमी का हत्यारा – भाग 3

ज्योति नियत समय पर घर से निकली. उस दिन उस के साथ उस की कई सहेलियां भी थीं. जैसे ही ज्योति संतोष के करीब आई, उस ने चुपके से एक कागज गिरा दिया और आगे बढ़ गई. संतोष ने जल्दी से कागज उठा कर अपनी कमीज की जेब में रख लिया. फिर ज्योति को वह तब तक निहारता रहा, जब तक उस की आंखों से ओझल नहीं हो गई.

इस के बाद वह जल्दी में जेब से कागज निकाल कर पढ़ने लगा. वह प्रेमपत्र था. ज्योति का प्रेमपत्र पढ़ने के बाद संतोष ऐसे उछला, जैसे उसे दुनिया का सब से बड़ा खजाना मिल गया हो. उस दिन के बाद से संतोष की हिम्मत और बढ़ गई. स्कूल की छुट्टी के बाद अकसर दोनों रास्ते में ही मिल जाया करते थे.

उन दिनों संतोष कोई काम नहीं करता था, लेकिन उस की ख्वाहिश थी कि उसे पुलिस विभाग में नौकरी मिल जाए. इसलिए वह तैयारी में जुट गया. साथ ही ज्योति के साथ उस की प्यार की उड़ान भी जारी रही. प्यार की बातें चाहे कोई कितनी भी छिपाने की कोशिश करें, छिपती नहीं हैं. लिहाजा इन दोनों के प्रेम के चर्चे दोनों के गांवों में होने लगे. उड़ती हुई यह खबर जब ज्योति के पिता रामकिशोर यादव तक पहुंची तो वह गुस्से से उबल पड़े. उन्होंने ज्योति का घर से बाहर निकलना बंद कर दिया.

इतना ही नहीं रामकिशोर ने शंभूपुर दमदियावन पहुंच कर संतोष के पिता हरिप्रसाद से शिकायत की. उन्होंने कहा, ‘‘आप अपने बेटे संतोष को संभाल लें. वह मेरी बेटी का स्कूल आतेजाते पीछा करता है. याद रखो, भविष्य में अगर उस ने मेरी बेटी से मिलने की कोशिश की तो इस का अंजाम बहुत बुरा होगा. ठीक से समझ लो, मैं अपनी मानमर्यादा और इज्जत से किसी को भी खिलवाड़ नहीं करने दूंगा.’’

हरिप्रसाद को बेटे की करतूतों के बारे में पता चला तो उन्हें बड़ा दुख हुआ. उन्होंने जब संतोष से यह बात पूछी तो उस ने सब सचसच बता दिया. हरिप्रसाद ने उसे समझाया कि पहले वह अपने भविष्य को देखे, नौकरी की तैयारी करे. समय आने पर वह किसी अच्छी लड़की से उस की शादी करा देंगे.

पिता ने संतोष को ठीक से समझाया तो उस पर उन की बातों का गहरा असर हुआ. लिहाजा वह अपने भविष्य की तैयारी में जुट गया. उस की मेहनत रंग लाई और उस की नौकरी उत्तर प्रदेश पुलिस में सिपाही के पद पर लग गई.

सन 2015 में उस की चंदौली जिले के चकिया थाने में पहली पोस्टिंग हुई. ये बात उस ने सब से पहले ज्योति को बताई. यहां यह बताना जरूरी है कि रामकिशोर ने भले ही संतोष के पिता को धमकी दी थी. लेकिन संतोष और ज्योति पर इस का कोई खास असर नहीं हुआ.

वे दोनों फोन के जरिए एकदूसरे के करीब बने रहे. संतोष ने ज्योति को विश्वास दिलाया कि कुछ भी हो जाए, लेकिन वह शादी उसी से करेगा. यह सुन कर ज्योति काफी खुश थी. उस ने मां के जरिए यह बात अपने पिता और परिवार वालों तक पहुंचा दी. उस की यह कोशिश रंग लाई और उस का परिवार संतोष से उस की शादी कराने के लिए राजी हो गया.

एक तो संतोष को सरकारी नौकरी मिल चुकी थी, दूसरे दोनों एक ही जातिबिरादरी के थे. जब पूरा परिवार एकमत हो गया तो रामकिशोर बेटी का रिश्ता ले कर हरिप्रसाद के पास गए और कहा कि पुरानी बातें भूल कर नए रिश्ते जोड़ते हैं.

हरिप्रसाद रामकिशोर की धमकी को भूले नहीं थे. दूसरे संतोष भी पिता के पक्ष में आ गया था, इसलिए हरिप्रसाद ने रिश्ते से इनकार कर दिया. उस ने पिता से कह दिया कि वह उसी लड़की से शादी करेगा, जिस से वह चाहेंगे. रामकिशोर शादी का प्रस्ताव ठुकराए जाने के बाद घर लौट गए.

संतोष 2 साल तक ज्योति का दैहिक शोषण करता रहा था, उसे धोखे में रखे रहा था. अंत में उस ने ज्योति से शादी करने से साफ मना कर दिया था. उस ने ज्योति से साफ कह दिया था कि घर वालों के दबाव में उसे कहीं और शादी करनी पड़ रही है. वह भी किसी अच्छे से लड़के से शादी कर ले.

यह बात ज्योति से बरदाश्त नहीं हुई. उस ने रोरो कर मां के सामने सारी सच्चाई खोल दी. यह बात जब रामकिशोर और उस के बेटे सर्वेश को पता चली तो गुस्से के मारे उन के तनबदन में आग सी लग गई. दोनों ने फैसला किया कि जिस ने ज्योति की जिंदगी बरबाद की है, उसे किसी और लड़की से शादी नहीं करने देंगे. उस ने जो गुनाह किया है, उसे उस की सजा जरूर मिलनी चाहिए.

इस बीच सर्वेश को सूचना मिल गई थी कि 29 दिसंबर, 2017 को संतोष का बरच्छा होने वाला है. इस कार्यक्रम में वह गांव आएगा. संतोष 28 दिसंबर को एक सप्ताह की छुट्टी ले कर घर आया.

तय कार्यक्रम के मुताबिक 29 दिसंबर की शाम को संतोष का बरच्छा का कार्यक्रम संपन्न हुआ. वह बहुत खुश था. 30 दिसंबर की सुबह संतोष दोस्तों के साथ गांव के बाहर निकला, तभी उस के फोन पर ज्योति का फोन आ गया. उस ने संतोष को फोन कर के छितौना गांव के अरहर के एक खेत में मिलने को बुलाया. वहां पहले से ही ज्योति के अलावा उस के पिता रामकिशोर, भाई सर्वेश के साथ गांव के मनोज यादव, संजय यादव और आनंद मौजूद थे.

संतोष के पहुंचते ही रामकिशोर यादव, संजय यादव और आनंद ने संतोष को दबोच लिया. ज्योति को उन लोगों ने वहां से हटा दिया. गुस्से में सर्वेश ने कुल्हाड़ी से संतोष के चेहरे और गरदन पर वार कर के उसे मौत के घाट उतार दिया. संतोष की हत्या करने के बाद वहां से भागते समय सर्वेश ने कुल्हाड़ी एक झाड़ी में छिपा दी. सर्वेश संतोष का फोन भी अपने साथ ले गया. रास्ते में उस ने फोन से सिम निकाल कर कहीं फेंक दी.

ज्योति के गिरफ्तार होने के 15 दिनों के भीतर गांव से एकएक कर के सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया. सभी आरोपियों ने अपनेअपने जुर्म कबूल कर लिए थे. सर्वेश की निशानदेही पर पुलिस ने झाड़ी से कुल्हाड़ी भी बरामद कर ली. कथा लिखे जाने तक किसी भी आरोपी की जमानत नहीं हुई थी. पुलिस ने अदालत में सभी आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल कर दिया था.

कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

बेवफाई का बदनाम वीडियो : प्रेमी को सिखाया सबक – भाग 3

‘‘तुम सब जानती हो, उस का भी मेरे पास सबूत हैं.’’ यह कहते हुए पुलिस ने जब उस की टूटी हुई कलाई घड़ी का फीता दिखाया, तब वह सकपका गई. उस का चेहरा पसीने से भीग गया. उस ने पीने के लिए पानी मांगा.

‘‘देखो तुम्हारी शादी होने वाली है. तुम सचसच बताओगी तब तुम्हें कुछ नहीं होगा. पुलिस जांच, सोनू की हत्या आदि के बारे में किसी को कुछ नहीं पता चलेगा. अभी मैं अकेले में सवाल कर रही हूं. कल को वकील भरी अदालत में सब के सामने करेंगे.’’

मधु पुलिस की बातों में आ गई और उस ने सोनू की हत्या करने की बात मान ली. उस ने जो बताया उस के अनुसार मधु और सोनू की प्रेम कहानी में पवित्र प्रेम की बुनियाद अनैतिक संबंध और बदले की आग पर टिकी हुई थी. मधु द्वारा बताई गई जानकारी के अनुसार सोनू की हत्या का पूरा मामला इस तरह से सामने आया—

मधु पटेल मढ़ई गांव के रहने वाले नारायण पटेल की बेटी थी. उन के बेटे साहिल की शादी प्रेमनारायण पटेल की बेटी निधि से 2019 में हुई थी.

दोनों परिवारों की खेतीबाड़ी में काफी आपसी तालेमल था. वे एकदूसरे की मदद करने को हमेशा तैयार रहते थे. सरकारी अनाज खरीद केंद्र पर धान और गेंहू की बिक्री के सिलसिले में सोनू अकसर मधु के घर आताजाता रहता था.

सोनू निधि का छोटा भाई था. इस कारण उस का बहन की ससुराल में आनाजाना शुरू हो गया था.

साहिल की छोटी बहन मधु चंचल स्वभाव की खूबसूरत  लड़की थी. वह जितनी बातूनी थी, उतनी ही शरारत और आकर्षक. मजाक तो बातबात पर करती थी.

कुछ भी बोलने में वह नहीं हिचकती थी. सोनू जब भी अपनी बहन की ससुराल आता, मधु उस की खातिरदारी करती. मजाक का रिश्ता होने के कारण उन के बीच खूब हंसीमजाक चलता रहता था. इस सिलसिले में कब उन के बीच प्रेम का अंकुर फूट पड़ा उन्हें पता ही नहीं चला.

एक बार मधु अपनी भाभी के साथ सोनू के घर आई हुई थी. संयोग से उस के आने के कुछ दिन बाद ही कोरोना वायरस संक्रमण के चलते लौकडाउन हो गया. आवागमन के सारे साधन बंद हो गए. इस कारण मधु को अपनी भाभी के घर ही रुकना पड़ा.

इस दौरान सोनू और मधु के बीच प्रेम की मधुरता और गहरी हो गई. उन पर घर के दूसरे लोगों की भी नजर बनी रहती थी, जिस से वे एकांत की ताक में रहने लगे. जब भी मौका मिलता खेतों की ओर साथ में निकल जाते या फिर पास के जंगल की और चले जाते थे.

एक दिन दोपहर का समय था. घर के लोग पास के गांव में अपने रिश्तेदार की शादी में गए हुए थे. निधि खाना बनाने में लगी थी. सोनू और मधु कमरे में बैठ कर टीवी देख रहे थे. उन के बीच हंसीमजाक का दौर भी चल रहा था.

वे कोरोना काल में शादी को ले कर चर्चा कर रहे थे. उन के बीच विवाहित जोड़े द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग के पालन पर बहस हो रही थी. बातोंबातों में सोनू रोमांटिक मूड में आ गया था. मौका देख कर सोनू मधु के गाल और होंठ छूते हुए बोला, ‘‘ अभी शादी करने वालों को सिर्फ इस से काम चलाना होगा.’’

मधु उस की हरकत से शर्मसार हो गई. उस ने उस के हाथ को झटक दिया.

सोनू बोल पड़ा, ‘‘मैं तुम से प्यार करता हूं, मधु.’’

‘‘मैं भी तुम्हें दिलोजान से चाहती हूं.’’ इतना कहना था कि सोनू ने मधु को गले लगा लिया. मधु भी खुद को नहीं रोक पाई. सोनू के गाल चूम लिए और उस की आगोश से छूट ने की कोशिश करने लगी.

‘‘मधु मैं तुम से शादी करना चाहता हूं.’’ कहते हुए सोनू ने आंख पर आ चुकी उस की बालों की लट को हटाया.

‘‘चलो हटो भी, बड़े आए शादी करने वाले. पहले अपने परिवार को तो राजी कर लो. वह रीतिरिवाज के पक्के हैं. बातबात में गोत्र, संस्कार और समाज की बात करते हैं.’’ कहते हुए मधु ने धीरे से सोनू के गालों पर थपकी दी.

‘‘वह तो मैं कर लूंगा, तुम्हें पाने के लिए सारे रीतिरीवाज तोड़ दूंगा. तुम भी अपने मांपापा से बात करना.’’ अब सोनू ने भावावेश में मधु के होंठ चूम लिए. फिर अपनी महत्त्वाकांक्षा व्यक्त की, ‘‘तुम मेरा साथ दो तो हम दोनों शादी कर जीवन भर साथ रहेंगे.’’

इसी बीच सोनू की बहन ने आवाज लगाई, ‘‘सोनू देखना बाहर दरवाजे पर कौन है. और हां, बाथरूम में मेरे लिए 2 बाल्टी पानी भी रख देना.’’

‘‘अच्छा दीदी,’’ बोलता हुआ सोनू चला गया और मधु उस के खयालों में खो गई. कहते हैं न कि इश्क का रोग लाख छिपाने पर भी नहीं छिपता है. सोनू और मधु के साथ भी ऐसा ही हुआ.

उन के प्रेम की पहली भनक निधि को लगी. उस ने दोनों को शादी करने से मना कर दिया. साफसाफ लहजे में कहा कि ऐसा नहीं हो सकता है. इस से 2 परिवारों की इज्जत समाज में गिर जाएगी.

तुम दोनों की शादी गौत्र के नियम के अनुसार गलत होगी. जिस से भविष्य में परिवार के बीच कलह पैदा हो सकती है और मेरी शादीशुदा जिंदगी भी प्रभावित हो जाएगी.

उन के प्रेम संबंध की बात परिवार के सभी बड़े लोगों को मालूम हो गई. सब से पहले निधि मधु को ले कर अपनी ससुराल चली गई. बदनामी के डर से उन्हें मिलनेजुलने पर रोक लगा दी गई.

जब प्यार पर पाबंदी बढ़ने लगी तो दोनों ने मोबाइल फोन की वीडियो काल को अपने प्यार के इजहार का जरिया बना लिया. दूसरी तरफ दोनों के परिजन उन की दूसरी जगह शादी करने के इंतजाम में लग गए.

जल्द ही मधु का रिश्ता पाटी गांव के विजय पटेल के साथ तय हो गया था. उस की सगाई भी हो गई. मधु की सगाई की रस्म होते ही सोनू गिरगिट की तरह रंग बदलने लगा.

वह मधु से मिलनेजुलना तो दूर उस से बात करने तक से कतराने लगा. जबकि उस की शादी भी कटनी जिले के गांव बासना की रहने वाली गायत्री पटेल से तय हो गई थी.

मधु सोनू द्वारा उपेक्षा किए जाने से परेशान रहने लगी थी. उसे बहुत बुरा लग रहा था. कारण सोनू ने उस के साथ प्यारमोहब्बत की कसमें खाई थीं.

खैर, किसी तरह से मधु ने अपने मन को समझा लिया था और सोनू के प्यार को भूल कर अपने नए रिश्ते के लिए खुद को तैयार करने लगी थी.

विजय के साथ अपनी शादी के सपने सजाने लगी थी, लेकिन मधु के लिए सोनू को भूलना आसान नहीं था. उस की लुभावनी बातें, वीडियो कालिंग में की गई ख्वाहिशें, मीठे चुंबनों की यादें, आगोश के चंद लमहों में लिपटा यौनसुख आदि को मधु चाह कर भी नहीं भूल पा रही थी.

हत्या की घटना के करीब 4 महीने पहले सोनू मधु के घर गया था. दोनों की शादी अलगअलग जगहों पर तय हो जाने के बाद उन के मिलनेजुलने पर पहले जैसी पाबंदी में थोड़ी ढील मिल गई थी, जिस से उन के बीच पहले की तरह मुलाकातें और बातें होने लगी थीं.

एक दिन सोनू ने मौके का फायदा उठा कर मधु के साथ एक बार फिर शरीरिक संबंध बना लिए थे. यही नहीं इस का उस ने एक वीडियो भी बना लिया था, जो उस ने उस के वाट्सएप पर भेज दिया था.

मनप्रीत कौर : कपड़ों की तरह पति बदलने वाली -भाग 1

18 सितंबर, 2021 को सुबहसुबह ही काशीपुर हरिद्वार नैशनल हाईवे पर एक औरत की लाश दिखते ही क्षेत्र में सनसनी फैल गई. लाश की बुरी हालत हो चुकी थी. रात में न जाने कितने वाहन उस के ऊपर से गुजर चुके थे. करीब 40 फीट तक सड़क पर महिला के घिसटने व टायरों के निशान मौजूद थे.

घटनास्थल को देखते ही लग रहा था कि महिला सड़क किनारे चल रही होगी. उसी वक्त किसी तेज गति से आ रहे वाहन ने महिला को टक्कर मार दी होगी. उस के बाद वह महिला वाहन की चपेट में आ कर काफी दूर तक घिसटती चली गई थी. बाद में काफी खून का रिसाव हो जाने के कारण महिला की मौके पर ही मौत हो गई थी.

जैसेजैसे यह खबर क्षेत्र में फैलती गई, घटनास्थल पर लोगों का हुजूम उमड़ता गया. आनेजाने वाले वाहन चालक भी उस महिला के शव को देखने के लिए अपनी गाडि़यां रोकरोक कर चला रहे थे. लोगों में जानने की उत्सुकता थी कि पता नहीं यह औरत कौन है और उस के साथ क्या हुआ.

तभी वहां पर मौजूद लोगों में से किसी ने थाना अफजलगढ़ में फोन कर इस घटना की जानकारी दी. हाईवे पर एक महिला की लाश पड़ी होने की सूचना पाते ही अफजलगढ़ थानाप्रभारी एम.के. सिंह व सीओ सुनीता दहिया पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचे.

मौके पर जा कर पुलिस ने देखा कि महिला का चेहरा बुरी तरह से कुचला हुआ था. मामला पेचीदा होने के कारण पुलिस ने फोरैंसिक टीम को भी मौके पर बुला लिया था. पुलिस ने अपनी काररवाई करते हुए घटनास्थल से सारे साक्ष्य जुटाए.

महिला के पहनावे को देख कर लग रहा था कि वह किसी अच्छे परिवार से रही होगी. उस ने नीले रंग की जींस और उस पर लाल टौप पहन रखा था. महिला के शव के दोनों ओर दूर तक खून से सने टायरों की रगड़ के निशान भी मिले थे.

पुलिस ने अपनी तहकीकात करते हुए उस महिला की शिनाख्त कराने की कोशिश की. किंतु वहां पर मौजूद लोगों ने उसे पहचानने से इंकार कर दिया था. मृत महिला के पास न तो किसी तरह की कोई आईडी ही पाई गई थी, न ही कोई मोबाइल फोन और न कोई पर्स ही पाया गया था. महिला के बाएं हाथ पर अंगरेजी में प्रवदीप नाम गुदा हुआ था.

जब किसी भी तरह से उस महिला की शिनाख्त नहीं हो पाई तो पुलिस ने आसपास के जिलों के थानों में इस की सूचना प्रेषित करा दी थी.

साथ ही सोशल मीडिया पर भी महिला का शव मिलने से संबधित पोस्ट वायरल की गई. लेकिन कहीं से भी उस महिला के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली.

इस पर पुलिस ने अपनी काररवाई को आगे बढ़ाते हुए उस की लाश का पंचनामा भर कर उसे पोस्टमार्टम के लिए सील कराने की काररवाई भी शुरू कर दी थी. तभी सोशल मीडिया पर महिला के कपड़े व हाथ पर प्रवदीप लिखे होने की जानकारी मिलते ही उस के मायके वाले मौके पर पहुंचे.

महिला के मायके वालों के पहुंचते ही उस की पहचान 30 वर्षीय मनप्रीत कौर पत्नी सुखवीर सिंह, निवासी भीकमपुर बन्नाखेड़ा, बाजपुर जिला ऊधमसिंह नगर, उत्तराखंड के रूप में हुई.

महिला के मायके वालों ने उस के बारे में बताया कि मृतका करीब 6 साल से अपने पति सुखवीर से अलग काशीपुर में रह रही थी. कल शाम वह अपने घर से निकली थी. लेकिन उस के बाद वह वापस नहीं लौटी.

मनप्रीत कौर की लाश मिलने की सूचना पाते ही उस का पति सुखवीर सिंह भी घटनास्थल पर पहुंच गया था. पुलिस पूछताछ में सुखवीर सिंह ने बताया कि मनप्रीत काफी समय पहले से ही उस से अलग काशीपुर में रह रही थी.

वहीं पर रहते हुए उस की दोस्ती मानियावाला गांव निवासी नफीस से हो गई थी. दोस्ती होने के बाद से ही वह उसी के साथ रह रही थी. सुखवीर ने पुलिस को बताया कि उस की हत्या भी जरूर नफीस ने ही की होगी.

इस जानकारी के मिलते ही पुलिस ने नफीस को गिरफ्तार करने के लिए उस के घर पर दबिश दी, लेकिन वह अपने घर से फरार मिला.

इस से पुलिस यह तो समझ ही चुकी थी कि मनप्रीत कौर के मर्डर में उस का ही हाथ रहा होगा. इसी कारण वह पुलिस के डर की वजह से घर से फरार हो गया. पुलिस ने उसे गिरफ्तार करने के लिए अपना जाल फैलाया.

पुलिस ने उस के मोबाइल फोन को सर्विलांस पर लगाते हुए उस की काल डिटेल्स भी निकलवा ली थी. जिस के कारण फरार नफीस की सच्चाई सामने आने लगी थी.

काल डिटेल्स से पता चला कि उस रात उस ने मनप्रीत से कई बार बात की थी. यह जानकारी मिलते ही पुलिस ने फरार नफीस को गिरफ्तार करने के लिए जगहजगह अपने मुखबिर भी तैनात कर दिए थे.

एक मुखबिर की सूचना पर 19 सितंबर, 2021 की शाम को ही आरोपी नफीस को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. पुलिस पूछताछ करने के दौरान नफीस ने अपना गुनाह स्वीकार कर लिया.

उस ने बताया कि उस का मृतका के साथ कई साल से प्रेम प्रसंग चल रहा था. वह स्वयं पहले ही शादीशुदा है. उस के बावजूद मृतका उस पर शादी के लिए दबाव बना रही थी. जिस से तंग आ कर उसे मजबूरन उस की हत्या करने के लिए मजबूर होना पड़ा.

हत्या के इस केस पर पड़ा परदा उठते ही पुलिस ने आरोपी नफीस की निशानदेही पर मर्डर में प्रयुक्त हुए लोहे की रौड और मृतका को कुचलने में प्रयोग किए गए ट्रक को भी अपने कब्जे में ले लिया था. साथ ही पुलिस ने आरोपी के पास से मृतका का मोबाइल फोन व उस का आधार कार्ड भी बरामद कर लिया.

मृतका देखनेभालने में बहुत ही सुंदर थी. आरोपी पिछले 4 साल से उस महिला के साथ ही रह रहा था. आरोपी मृतका मनप्रीत को अपनी बीवी से ज्यादा प्यार करता था. फिर ऐसा क्या हुआ कि उसे अपनी पे्रमिका को इतनी दर्दनाक मौत देने पर मजबूर होना पड़ा.

यह कहानी उन शादीशुदा औरतों के लिए एक सबक है, जो शादीशुदा होने के बावजूद भी पराए मर्दों के प्रेम में फंस जाती हैं. उस के साथ ही वह अपनी बसीबसाई जिंदगी को तबाह कर लेती हैं.

जब प्यार हुआ हाईजैक : एकतरफा प्यार की कहानी

20 जनवरी, 2018 की बात है. मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के थाना आष्टा के थानाप्रभारी बी.डी. वीरा थाने में बैठे पुराने मामलों की फाइल देख रहे थे, तभी उन्हें इलाके के समरदा गांव के पास मिट्टी की खदान में किसी युवक की लाश पड़ी होने की खबर मिली.

मामला हत्या का था, इसलिए उन्होंने उसी समय घटना की जानकारी अपने एसडीओपी और एसपी को दे दी और खुद अपनी टीम के साथ मौके लिए रवाना हो गए. समरदा गांव के पास स्थित मिट्टी की वह खदान कुछ दिनों से बंद पड़ी थी.

थानाप्रभारी जब मौके पर पहुंचे तो वहां एक युवक की लाश मिली. उस युवक की उम्र यही कोई 20 साल थी. उस का सिर कुचला हुआ था. वहीं पर खून लगा पत्थर पड़ा था. लग रहा था कि शायद उसी पत्थर से उस की हत्या की गई थी. वहीं पर बीयर की खाली बोतलें भी पड़ी थीं.

मौके के हालात देख कर थानाप्रभारी यह भी समझ गए कि उस की हत्या किसी दोस्त ने ही की होगी. बहरहाल, पहली जरूरत लाश की पहचान की थी. पुलिस ने थोड़ा प्रयास किया तो लाश की पहचान भी हो गई. पता चला कि मृतक का नाम रितिक मेहता था और वह आष्टा में राठौर मंदिर के पास रहता था.

खबर मिलने पर रितिक के घर वाले भी घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने बताया कि रितिक 19 जनवरी की सुबह लगभग 10 बजे अपने दोस्त क्लिंटन उर्फ लखन मालवीय के साथ कालेज जाने को बोल कर निकला था, जिस के बाद वह घर वापस नहीं आया.

संदेह के दायरे में आया लखन

थानाप्रभारी को पहले ही मामले में यारीदोस्ती के बीच हुई हत्या का शक था. घर वालों से पूछताछ के बाद थानाप्रभारी ने घटनास्थल की काररवाई निपटाई और लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. साथ ही थाने में हत्या का केस भी दर्ज करवा दिया गया.

चूंकि रितिक लखन के साथ गया था, इसलिए थानाप्रभारी ने तत्काल एकटीम लखन के घर बरखेड़ा गांव भेज दी. लेकिन लखन घर पर नहीं मिला और न ही उस के बारे में कोई जानकारी मिली. इस से पुलिस का शक लखन पर और भी गहरा गया. लिहाजा पुलिस टीम संभावित जगहों पर लखन को तलाशने लगी.

थानाप्रभारी बी.डी. वीरा के निर्देश पर पुलिस की दूसरी टीम आष्टा से समरदा खदान के बीच रास्ते में लगे सीसीटीवी कैमरे के फुटेज जमा करने, लखन और मृतक के मोबाइल की काल डिटेल्स तथा उन की लोकेशन निकालने के काम में जुट गई.

इस छानबीन में पुलिस ने पाया कि लखन 19 जनवरी को रितिक को उस के घर के बाहर से अपनी मोटरसाइकिल पर बैठा कर शराब की दुकान पर गया था. शराब की दुकान पर लगे सीसीटीवी कैमरे में लखन बीयर खरीदते दिख गया. उस के मोबाइल की लोकेशन भी समरदा में उसी समय पर पाई गई, जिस समय रितिक का मोबाइल स्विच्ड औफ हुआ था.

अब आष्टा थानाप्रभारी बी.डी. वीरा के सामने आरोपी की तसवीर साफ हो चुकी थी, इसलिए उन्होंने टीम के साथ अपने मुखबिरों को भी सक्रिय कर दिया. इस का नतीजा यह निकला कि 2 दिन बाद ही लखन मालवीय पुलिस के हाथ लग गया.

पकडे़ जाने पर पहले तो वह अपने आप को बेकसूर बताता रहा, लेकिन जब थानाप्रभारी ने उस से मनोवैज्ञानिक ढंग से पूछताछ की तो वह अपने ही बयानों में उलझने लगा. जिस के बाद उस ने स्वीकार कर लिया कि उस ने ही रितिक की हत्या की थी. उस ने मृतक का मोबाइल फोन और पर्स भी बरामद करा दिया.

अपने भाई की जिस मोटरसाइकिल पर वह रितिक को बैठा कर ले गया था, वह भी पुलिस ने बरामद कर ली. पूछताछ के बाद लखन ने अपने दोस्त की हत्या करने की जो कहानी बताई, वह प्यार को हाईजैक करने वाली कहानी थी—

साल भर पहले रितिक मेहता  और लखन मालवीय स्थानीय मौडल स्कूल में एक साथ पढ़ते थे. दोनों में गहरी दोस्ती थी. दोनों ही एकदूसरे के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते थे. जब वे 10वीं कक्षा में थे, उस समय लखन का दिल साथ में पढ़ने वाली एक खूबसूरत लड़की बीना पर आ गया था. लखन ने यह बात अपने दोस्त रितिक को बताई. रितिक ने दोनों की प्रेमकहानी को आगे बढ़वाने में काफी मदद की.

लखन और बीना की प्रेम कहानी शुरू हो गई, जिस में रितिक उन दोनों की पूरी मदद करता था, इसलिए बीना की रितिक से भी अच्छी बनती थी. रितिक दोनों के एकांत में मिलने की व्यवस्था के साथसाथ उस दौरान उन की चौकीदारी भी करता था.

बताया जाता है कि कई बार तो स्कूल में खाली पड़े क्लासरूम में लखन और उस की प्रेमिका के मिलन कार्यक्रम के दौरान रितिक क्लास के बाहर खड़े हो कर पहरेदारी करता था. इसी बीच रितिक भी बीना को एकतरफा चाहने लगा था. पर उस ने अपनी चाहत कभी जाहिर नहीं होने दी. रितिक ने अपने जन्मदिन पर दोस्त लखन और उस की प्रेमिका बीना को भी बुलाया था. तब बीना ने रितिक से कहा, ‘‘रितिक, तुम हमारे लिए कितना करते हो, क्या स्कूल में कोई लड़की तुम्हारी दोस्त नहीं है?’’

‘‘नहीं, मैं ने किसी लड़की को अभी तक दोस्त नहीं बनाया.’’ रितिक बोला.

‘‘रितिक, इस स्कूल में जो भी लड़की तुम्हें पसंद हो, तुम मुझे बता दो. उस से मैं तुम्हारी दोस्ती करा दूंगी.’’ बीना ने विश्वास दिलाते हुए कहा.

एक लड़की 2 दीवाने

एकतरफा ही सही, रितिक को बीना पसंद थी. भला यह बात वह उसे कैसे बता सकता था. अगर वह अपने मन की बात उसे बता देता तो उस के दोस्त लखन का दिल टूट जाता. लिहाजा उस ने अपने दिल की बात उसे नहीं बताई.

बहरहाल, लखन और बीना की प्रेम कहानी और रितिक की उन से दोस्ती लगातार चलती रही. लेकिन किसी को यह पता नहीं था कि प्रेम कहानी वाली दोस्ती एक दिन 3 में से एक दोस्त की हत्या का कारण बनेगी. कहानी में मोड़ उस समय आया, जब 12वीं की परीक्षा में बीना और रितिक तो पास हो गए, लेकिन लखन फेल हो गया.

इस से त्रिकोण का एक कोण पीछे रह गया जबकि रितिक और बीना ने एक स्थानीय कालेज में एडमिशन ले लिया. अब रितिक और बीना की मुलाकातें कालेज में ही होने लगीं. जबकि लखन का रितिक से तो बराबर मिलनाजुलना बना रहा, पर बीना से वह नहीं मिल पाता था.

प्यार भले ही एकतरफा हो, उस की तड़प दीदार के लिए बेचैन करती है. यही लखन के साथ हुआ. वह बीना से मिलने के लिए उस के कालेज के चक्कर लगाने लगा. लेकिन यह रोजरोज संभव नहीं था. इधर लखन की गैरमौजूदगी में बीना और रितिक की दोस्ती कुछ ज्यादा ही गहराने लगी.

बीना के प्रति उस के दिल में जो प्यार दबा हुआ था, वह अंगड़ाइयां लेने लगा. पर बीना तो अब भी लखन को चाहती थी और उस के बारे में अकसर रितिक से बातें भी करती रहती थी.

जबकि रितिक चाहता था कि किसी तरह बीना के दिल में लखन के प्रति नफरत पैदा हो जाए. जब वह उस से बात करनी बंद कर देगी तो वह बीना पर अपना प्रभाव जमाना शुरू कर देगा. इस के लिए रितिक ने योजनाबद्ध तरीके से बीना से लखन की बुराइयां करनी शुरू कर दीं. वह कहता कि लखन शराब पीता है, दूसरी लड़कियों पर भी नजर रखता है.

ये सब बातें सुन कर बीना को लखन से नफरत हो गई. उस के दिमाग में लखन की जो छवि बनी हुई थी, वह बदल गई. वह सोचने लगी कि लखन भी आम लड़कों की तरह ही है. उस ने लखन से मिलना तो दूर, फोन पर बात करनी भी बंद कर दी. रितिक इस से बहुत खुश हुआ. उस ने इस नाराजगी का फायदा उठाते हुए बीना से नजदीकियां बढ़ा लीं. धीरेधीरे वह रितिक को इतना चाहने लगी कि उस ने लखन से एक तरह से किनारा कर लिया.

नफरत के बीजों की फसल

लखन हमेशा की तरह रितिक से मिलने के बहाने कालेज आ कर बीना से मिलने की कोशिश करता तो रितिक भी कोई न कोई बहाना बना देता. यानी रितिक ने लखन से भी मिलना बंद कर दिया. रितिक से नजदीकी बन जाने के बाद बीना ने उस से फोन पर भी बात करनी बंद कर दी थी.

लखन कोई दूध पीता बच्चा तो था नहीं, सो धीरेधीरे उस की समझ में आने लगा कि बीना और रितिक दोनों बदल गए हैं. इस से उसे शक हुआ कि कहीं ऐसा तो नहीं, उस की गैरमौजूदगी में दोनों के अवैध संबंध बन गए हों. कालेज में कई ऐसे लड़के पढ़ते थे, जो 12वीं कक्षा में लखन के साथ पढ़े थे. इसलिए लखन ने कुछ लड़कों से मिल कर सच्चाई का पता लगाया तो उसे जल्द ही यह बात पता चल गई कि रितिक ने उस के प्यार को हाईजैक कर लिया है.

लखन को इस बात की जरा भी उम्मीद नहीं थी कि बीना के साथसाथ रितिक भी उस के साथ इतना बड़ा धोखा करेगा. इस के लिए वह रितिक को ही कसूरवार मानने लगा. उस ने सोचा कि रितिक ने ही उस की प्रेमिका को बरगलाया होगा. इसलिए उस ने रितिक से ऐसा बदला लेने की सोची, जिस की रितिक और बीना ने कभी कल्पना भी नहीं की थी.

बन गई हत्या की योजना

आष्टा थानाप्रभारी बी.डी. वीरा के अनुसार, लखन गुस्से में था. उस ने रितिक की हत्या कर के उसे हमेशा के लिए अपने और बीना के बीच से हटाने की योजना बना ली. इस योजना के तहत 19 जनवरी, 2018 को रितिक को बीयर पिलाने का लालच दे कर वह उसे अपने साथ समरदा खदान पर ले गया. समरदा में लखन की बहन की शादी हुई थी, इसलिए वह उधर के सुनसान इलाकों के बारे में जानता था.

लखन की चाल को रितिक समझ नहीं सका था, इसलिए वह उस के साथ आसानी से समरदा खदान की तरफ चला गया. खदान में बैठ कर दोनों ने बीयर पी, जिस के बाद नशा हो जाने पर लखन ने रितिक के साथ अपनी प्रेमिका बीना को ले कर विवाद करना शुरू कर दिया.

चूंकि रितिक को बीयर का नशा चढ़ गया था, इसलिए वह वहीं खदान में लेट गया. मौका देख कर लखन ने पास पड़े भारी पत्थर से कई वार कर के उस का सिर कुचल कर हत्या कर दी. इस के बाद वह उस का पर्स और मोबाइल ले कर वहां से भाग गया. बाद में उस ने सिमकार्ड तोड़ने के बाद रितिक का मोबाइल फोन पौलीथिन में रख कर अपने खेत में गाड़ दिया, जिसे बाद में पुलिस ने बरामद कर लिया.

लखन मालवीय से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया.