बेवफा पत्नी और प्रेमी की हत्या – भाग 1

शोभाराम ने नफरत से दोनों लाशों को देखा. फिर वहीं बैठ कर बीड़ी सुलगा कर पीने लगा. एक लाश उस की पत्नी रागिनी की थी और दूसरी रिंकू की थी. छत पर उस ने दोनों को रंगेहाथ रंगरलियां मनाते पकड़ा था. उस के बाद उस ने दोनो की ईंट से सिर कूंच कर हत्या कर दी थी.

बीड़ी के कश के साथ शोभाराम के मन में तरहतरह के विचार आजा रहे थे. इन्हीं विचारों के बीच शोभाराम ने जेब में पड़ा मोबाइल निकाला और पुलिस कंट्रोल रूम के 112 नंबर पर काल की. उस समय रात के 12 बज रहे थे और आसमान में बादल गरज रहे थे.

शोभाराम की काल डायल 112 के एसआई पंकज मिश्रा ने रिसीव की. उन्होंने पूछा, ”बताइए, आप को क्या परेशानी है? आप कौन और कहां से बोल रहे हैं?’‘

”साहब, मेरा नाम शोभाराम दोहरे है. मैं गांव नंदपुर से बोल रहा हूं. मैं ने डबल मर्डर किया है. आप जल्दी से आ कर मुझे गिरफ्तार कर लो.’‘

शोभाराम के मुंह से डबल मर्डर की बात सुन कर पंकज मिश्रा दंग रह गए. फिर वह सोचने लगे, ‘कहीं शोभाराम शराबी तो नहीं और नशे में गुमराह कर रहा है.Ó अत: वह कड़कदार आवाज में बोले, ”इतनी रात बीतने के बावजूद अभी तक तेरा नशा उतरा नहीं, जो डबल मर्डर की सूचना दे रहा है.’‘

”साहब, मैं शराबी नही हूं. मैं पूरे होशोहवास में हूं. मैं सच बोल रहा हूं. मैं ने रागिनी और उस के प्रेमी रिंकू यादव को मार डाला है. दोनों लाशें मेरे मकान की छत पर पड़ी हैं. यकीन हो तो आ जाइएगा.’‘

शोभाराम ने जिस आत्मविश्वास के साथ बात की, उस से एसआई पंकज मिश्रा को यकीन हो गया कि वह जो बता रहा है, वह सच है. अत: उन्होंने सूचना से पुलिस अधिकारियों को अवगत कराया फिर सहयोगियों के साथ नंदपुर गांव पहुंच गए.

cDigamber Kushwaha (ASP)

शोभाराम का घर गांव के पूर्वी छोर पर था. पुलिस जीप वहीं जा कर रुकी. शोभाराम पुलिसकर्मियों को छत पर ले गया, जहां 2 लाशें पड़ी थीं. लाशें देख कर एसआई पंकज मिश्रा सिहर उठे. उन्होंने तत्काल शोभाराम को हिरासत में ले लिया. डबल मर्डर की यह घटना उत्तर प्रदेश के औरैया जिले के नंदपुर गांव में 14 जून, 2023 की रात घटी थी.

डबल मर्डर से मचा हड़कंप

डबल मर्डर की सूचना से जिले के पुलिस अधिकारियों में भी हड़कंप मच गया था. कुछ देर बाद ही एसएचओ आर.डी. सिंह, सीओ (सिटी) प्रदीप कुमार, एसपी चारू निगम तथा एएसपी दिगंबर कुशवाहा घटनास्थल पर आ गए.

cCharu Nigam (S.P.)

पुलिस अधिकारियों ने बड़ी बारीकी से घटनास्थल का निरीक्षण किया. हत्यारे शोभाराम ने बड़ी बेरहमी से दोनों की ईंट से कूंच कर हत्या की थी. मृतकों में रागिनी व रिंकू यादव था. रागिनी की उम्र 30 वर्ष के आसपास थी. रिंकू की उम्र 22 वर्ष के आसपास थी. दोनों के शव अर्धनग्नावस्था में थे. छत पर शवों के करीब ही खून से सनी ईंट पड़ी थी, जिसे पुलिस ने सुरक्षित कर लिया.

पौ फटते ही नंदपुर गांव में सनसनी फैल गई. जिस ने भी 2 हत्याओं की बात सुनी, उसी ने दांतों तले अंगुली दबा ली. कुछ ही देर में शोभाराम के घर के बाहर भारी भीड़ जुट गई. मीना यादव को जब पता चला कि शोभाराम ने उस के बेटे रिंकू को मार डाला है तो वह बदहवास हालत में घटनास्थल पहुंची और बेटे का शव देख कर फूटफूट कर रोने लगी.

महिलाओं ने उन्हें किसी तरह संभाला. रिंकू के पिता लायक सिंह होमगार्ड थे. वह सहार थाने में ड्यूटी पर थे. उन्हें बेटे की हत्या की खबर लगी तो वह भी गांव आ गए. बेटे का शव देख कर वह भी बिलखने लगे.

रिंकू यादव की हत्या से नंदपुर गांव की यादव जाति में गुस्से की आग भड़क उठी थी. उन में आक्रोश इस बात से था कि शोभाराम जैसे छोटी जाति के व्यक्ति ने उन की बिरादरी के युवक की हत्या कर दी थी. इस हत्या से उन की प्रतिष्ठा पर आंच आई है. नवयुवकों में गुस्सा कुछ ज्यादा था.

एसपी चारू निगम व एएसपी दिगंबर कुशवाहा को जब यादव बिरादरी में जन आक्रोश की जानकारी हुई तो उन्होंने कई थानों की पुलिस फोर्स को घटनास्थल पर बुलवा लिया और नंदपुर गांव की हर गली के मोड़ पर पुलिस पहरा लगा दिया. यही नहीं, उन्होंने हर स्थिति से निपटने के लिए पीएसी का कैंप भी लगा दिया.

कड़ी सुरक्षा के बीच पुलिस अधिकारियों ने मृतक रिंकू व मृतका रागिनी के शवों को सीलमोहर करा पोस्टमार्टम के लिए औरैया के जिला अस्पताल भिजवा दिया.

cRote Hue Mratak Ke Parijan

शोभाराम दोहरे को पुलिस सुरक्षा में थाना सहायल लाया गया. यहां पर पुलिस अधिकारियों ने उस से घटना के संबंध में पूछताछ की. शोभाराम ने अधिकारियों के सामने दोनों हत्याओं का जुर्म कुबूल कर पूरी घटना की जानकारी दी. उस ने इस घटना में किसी अन्य के शामिल होने से साफ इंकार किया.

चूंकि शोभाराम ने जुर्म कुबूल कर लिया था और पुलिस ने आलाकत्ल खून सनी ईंट भी बरामद कर ली थी, इसलिए एसएचओ आर.डी. सिंह ने मृतक रिंकू यादव की मां मुन्नी देवी की तहरीर पर भादंवि की धारा 302 के तहत शोभाराम के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली तथा शोभाराम को विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस पूछताछ में उस ने इस हत्याकांड की जो वजह बताई, वह एक बेवफा पत्नी की कहानी निकली.

उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जनपद के थाना रसूलाबाद के अंतर्गत एक गांव है-झकर गढ़ा. रागिनी इसी गांव की रहने वाली थी. उस के पिता राजाराम दोहरे गांव के दबंग किसान थे. 3 बहनों में रागिनी सब से छोटी, सब से दुलारी और बेहद खूबसूरत थी. राजाराम अपनी 2 बड़ी बेटियों का विवाह कर चुके थे. अब वह रागिनी का घर बसाना चाहते थे. इस बारे में घर में बात भी होने लगी थी.

शादी की चर्चा चलते ही रागिनी का मन गुदगुदाने लगा. खुली आंखों से वह जीवनसाथी के सुहाने सपने देखने लगी थी. वह सोचती कि मेरे दोनों जीजा हैंडसम हैं तो पिता मेरे लिए भी सैकड़ों में से किसी एक को चुनेंगे क्योंकि अपनी बहनों से मैं ज्यादा हसीन जो हूं.

रागिनी की तमन्ना थी कि उस का पति फिल्मी हीरो जैसा और खूब प्यार करने वाला हो. राजाराम की तलाश जारी थी. इसी तलाश के दौरान राजाराम को शोभाराम के बारे में पता चला.

जगदीश दोहरे औरैया जिले के नंदपुर गांव के रहने वाले थे. उन के परिवार में पत्नी सरला के अलावा 2 बेटियां व एक बेटा शोभाराम था. बेटियों की वह शादी कर चुके थे. शोभाराम अभी कुंवारा था. बापबेटे दोनों मिल कर अपनी जमीन पर मौसमी सब्जियों की खेती करते थे और शहर कस्बे में बेचते थे. शोभाराम राजमिस्त्री भी था.

राजाराम ने नंदपुर गांव जा कर जगदीश दोहरे से मुलाकात की और उन के बेटे शोभाराम के साथ अपनी बेटी रागिनी की शादी करने की बात की.

जगदीश की पत्नी सरला की मौत हो चुकी थी. इसलिए जगदीश भी बेटे का विवाह करने के इच्छुक थे. इसलिए पहले लड़की देखने की इच्छा जताई. इस के बाद उन्होंने झकर गढ़ा गांव जा कर रागिनी को देखा तो वह उन्हें पसंद आ गई. फिर सन 2012 की पहली लगन में रागिनी और शोभाराम का विवाह हो गया.

विवाह मंडप में रागिनी ने पहली बार पति को देखा था. शोभाराम सूट पहने था, सिर पर सेहरा बंधा था, उस के चारों ओर घर वालों का हुजूम था, इसलिए रागिनी उसे नजर भर कर देख नहीं पाई.

प्रेमिका पर विश्वास का उल्टा नतीजा

पहली ही मुलाकात में रश्मि और मनोज एकदूसरे के प्रति आकर्षित हुए तो चंद दिनों में ही उन के  दिलों में चाहत पैदा हो गई थी. यही वजह थी कि दोस्ती के बीच प्यार के खुशनुमा रंग कब भर गए, उन्हें पता नहीं चला था. मनोज और रश्मि एक ही फैक्ट्री में एकसाथ काम करते थे. दिनभर साथ रहने से भी उन का मन नहीं भरता था, इसलिए फैक्ट्री के बाहर भी दोनों मिलने लगे थे. वैसे तो दोनों एक ही मोहल्ले में रहते थे. लेकिन उन के घरों के बीच काफी दूरी थी, इसलिए रश्मि से मिलने के लिए मनोज को बहाने से उस के घर आना पड़ता था.

मनोज जब भी रश्मि के घर आता, घंटों बैठा बातचीत करता रहता. इसी आनेजाने में मनोज की दोस्ती रश्मि के पति सोनू सोनकर से भी हो गई थी. रश्मि की नजदीकी पाने के लिए मनोज अपनी कमाई का ज्यादा हिस्सा सोनू पर लुटाने लगा था. इसी से सोनू मनोज को अपना अच्छा दोस्त समझने लगा था.

सोनू से दोस्ती होने के बाद मनोज रोज ही रश्मि के घर जाने लगा. देर रात तक दोनों साथ बैठ कर खातेपीते. उस के बाद सोनू मनोज को अपने घर पर ही रुक जाने के लिए कह देता. सोनू मनोज को अपना अच्छा दोस्त मानता था, इसलिए उसे काफी महत्त्व देता था.

मनोज सोनू के साथ उठताबैठता है और खातापीता है, जब इस बात की जानकारी उस के बड़े भाई विनोद को हुई तो उस ने मनोज को रोका. लेकिन मनोज नहीं माना. तब उस ने मनोज को घर से भगा दिया. जब इस बात की जानकारी सोनू और रश्मि को हुई तो सहानुभूति दिखाते हुए सोनू ने उसे अपना छोटा भाई मान कर अपने साथ रख लिया. इस की एक वजह यह भी थी कि मनोज सोनू के लिए दुधारू गाय की तरह था.

मनोज के साथ रहने से रश्मि बहुत खुश हुई थी. फिर तो कुछ ही दिनों में मनोज और रश्मि के बीच शारीरिक संबंध बन गए. रश्मि से शारीरिक सुख पा कर मनोज उस का दीवाना हो गया. हर पल वह रश्मि के आसपास छाया की भांति मंडराता रहता. यही सब देख कर पड़ोसियों को उन पर शक हुआ तो लोग आपस में चर्चा करने लगे.

लोगों की चिंता किए बगैर मनोज और रश्मि एकदूसरे में इस तरह डूबे रहे कि उन्हें जैसे किसी बात की परवाह ही नहीं थी. इस प्रेम कहानी का अंत क्या हुआ, यह जानने से पहले आइए थोड़ा इस कहानी के पात्रों के बारे में जान लेते हैं.

रश्मि कानपुर के जूही के रतूपुरवा की रहने वाली थी. 18 साल की होते ही वह हवा में उड़ने लगी. इस उम्र की लड़कियों की तरह रश्मि भी भावी जीवन के युवराज के बारे में तरहतरह की कल्पनाएं संजोने लगी. उस का मन करता कि एक सुंदर और जोशीला युवराज उसे पलकों पर बिठा कर अपने घर ले जाए और खूब प्यार करे. इन्हीं कल्पनाओं के बीच कानपुर के ही बादशाही नाका के रहने वाले बेदी सोनकर पर उस की नजर पड़ी.

गठीले बदन का खूबसूरत बेदी उस के पड़ोसी के यहां आताजाता था. इसी आनेजाने में रश्मि की आंख लड़ी तो पहली ही नजर में वह उसे अपना दिल दे बैठी. वही क्यों, बेदी भी उस पर कुछ इस तरह फिदा हुआ कि वह भी उस की एक झलक पाने के लिए उस के घर के चक्कर लगाने लगा. चाहत दोनों ओर थी, इसलिए दोनों एकदूसरे की ओर तेजी से बढ़ने लगे.

उस समय रश्मि अल्हड़ उम्र के दौर से गुजर रही थी. इसलिए दिमाग के बजाए दिल की भावनाओं के प्रबल प्रवाह में तेजी से बहती गई. यह भी सच है कि प्यार छिपता नहीं. मोहल्ले में रश्मि और बेदी के प्यार के भी चर्चे होने लगे. जैसे ही इस बात की खबर रश्मि के घर वालों को लगी, उन्होंने उस का घर से निकलना बंद कर दिया. लेकिन वह बेदी के प्यार में पागल हो चुकी थी, इसलिए वह बगावत पर उतर आई और घर वालों के मना करने के बावजूद वह बेदी से मिलतीजुलती रही.

मातापिता ने बहुत समझाया कि बेदी शहर का कुख्यात बदमाश है, इसलिए उस से मिलनाजुलना ठीक नहीं है. उस की वजह से उस की जिंदगी बरबाद हो सकती है, लेकिन बेदी के प्यार में अंधी रश्मि बेदी से लगातार मिलतीजुलती रही.

बेदी दूसरों के लिए भले ही कितना भी बड़ा बदमाश रहा हो, रश्मि के लिए वह बहुत ही सीधा, सरल और भावुक युवक था. वह देखने में काफी हैंडसम था, इसलिए रश्मि उस पर जान छिड़कती थी. रश्मि को बेकाबू होते देख उस के मातापिता उस के विवाह के लिए लड़का ढूंढ़ने लगे.

जब इस बात की जानकारी रश्मि और बेदी को हुई तो साथ रहने के लिए उन्होंने एक योजना बना डाली. फिर उसी योजना के तहत एक दिन रश्मि चुपके से मातापिता का घर छोड़ कर बेदी के घर रहने आ गई और बिना विवाह के ही उस के साथ पत्नी की तरह रहने लगी.

बेदी से रश्मि को 2 बच्चे पैदा हुए. दोनों की जिंदगी आराम से कट रही थी. लेकिन सब्जी मंडी में जबरन वसूली के विवाद में 2003 में बेदी की हत्या हो गई. बेदी की मौत के बाद रश्मि की जिंदगी में अंधेरा छा गया. पति की मौत के बाद भी रश्मि अपने दोनों बच्चों के साथ बेदी के मातापिता के साथ रहती रही.

बेदी की मौत के करीब 2 सालों के बाद बेदी का चाचा श्यामप्रकाश उर्फ सोनू उस के घर आया तो वह रश्मि को देख कर उस पर लट्टू हो गया. इस के बाद किसी न किसी बहाने वह उस से मिलने उस के घर आने लगा. सोनू रश्मि के उम्र का ही था और देखने में भी स्वस्थ और सुंदर था, इसलिए रश्मि को भी वह भा गया.

यही वजह थी कि जब सोनू ने उस से अपने प्यार का इजहार किया तो उस के प्यार को स्वीकार कर के रश्मि बेदी के दोनों बचों को छोड़ कर सोनू के साथ आर्य समाज मंदिर में सन् 2008 में शादी कर ली. शादी के बाद कानपुर में ही वह सोनू के साथ रहने लगी. साल भर बाद ही वह सोनू के बेटे की मां बन गई. सोनू के साथ रहते हुए ही रश्मि की मुलाकात साथ काम करने वाले मनोज से हुई तो वह उसे दिल दे बैठी.

मनोज को जब पता चला कि रश्मि उसी की जाति की है तो वह उसे और अधिक प्यार करने लगा. यही नहीं, वह उसे पत्नी का दर्जा देने को भी तैयार हो गया. इस के बाद उस ने यह भी कहा कि जब उस के मातापिता और भाई को पता चलेगा कि उस ने अपने ही जाति के लड़के से शादी कर ली है तो वे भी उसे अपना लेंगे.

मनोज के इस प्रस्ताव पर रश्मि गंभीर हो गई, क्योंकि वह सोनू के साथ खुश नहीं थी. आखिर काफी सोचविचार कर रश्मि एक बार फिर मनोज के साथ भाग कर जिंदगी बसर करने का सपना देखने लगी. इस के बाद वह मनोज का कुछ ज्यादा ही खयाल रखने लगी. जब इस ओर सोनू का ध्यान गया तो उसे रश्मि और मनोज पर शक होने लगा.

सोनू भी अपराधी किस्म का आदमी था. सच्चाई का पता लगाने के लिए उस ने एक योजना बनाई. फिर उसी योजना के तहत एक दिन उस ने रश्मि से कहा कि वह अपने घर सीतापुर जा रहा है. यह कह कर वह 2 बजे दोपहर को घर से निकला, लेकिन वह सीतापुर गया नहीं. शहर में ही इधरउधर घूमता रहा. रात 11 बजे वह वापस आया और अपने कमरे के दरवाजे की झिर्री पर कान लगा कर अंदर की आहट लेने लगा. अंदर से आने वाली आवाजों से उस ने समझ लिया कि उस की योजना सफल हो गई है.

फिर तो वह जोर से चीखा, ‘‘जल्दी दरवाजा खोलो, अंदर क्या हो रहा है, मैं जान गया हूं.’’

सोनू की आवाज सुन कर कमरे के अंदर तेज हलचल हुई. उस के बाद एकदम से सन्नाटा पसर गया. लेकिन दरवाजा नहीं खुला.

सोनू एक बार फिर दरवाजा खुलवाने के लिए चिल्लाया, ‘‘दरवाजा खोल रही है या तोड़ डालूं?’’

रश्मि के दरवाजा खोलते ही सोनू अंदर आ गया. बल्ब जलाने पर दोनों के झुके सिर देख कर वह सारा माजरा समझ गया. उस ने गालियां देते हुए मनोज की लातघूसों से पिटाई शुरू कर दी.

इस के बाद उसे कमरे से भगा कर रश्मि की जम कर पिटाई की. मारपीट कर उस ने रश्मि से मनोज और उस के अवैध संबंधों की सारी सच्चाई उगलवा ली. जब रश्मि ने उसे बताया कि मनोज उसे भगा कर ले जाने वाला था तो सोनू को उस पर इतना गुस्सा आया कि उस ने मनोज की हत्या करने का निश्चय कर लिया.

सोनू ने रश्मि से कहा कि कल रात वह मनोज को यह कह कर बुलाए कि वह शराब के नशे में गुमराह हो गया था. सुबह समझाने पर उसे अपनी गलती का एहसास हो गया है, इसलिए वह माफी मांग कर पहले की तरह अपने साथ रखना चाहता है. क्योंकि मनोज ने दोस्ती के नाम पर उसे जो धोखा दिया था, उस की हत्या कर के वह उसे उस की सजा देना चाहता था. रश्मि को उस ने धमकाते हुए कहा कि अगर उस ने ऐसा नहीं किया तो वह उस के प्रेमी मनोज के साथ उस की भी हत्या कर के हमेशा के लिए कानपुर छोड़ कर चला जाएगा.

रश्मि असमंजस में फंस गई थी. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे.

चूंकि रश्मि मनोज को दिल से चाहती थी, इसलिए अगले दिन फैक्ट्री में मनोज उसे मिला तो उस ने उसे सोनू की साजिश के बारे में बता कर कहीं बाहर चले जाने के लिए कह दिया. उस ने मनोज से यह भी कहा था कि सोनू सीतापुर में एक पीएसी कंपनी कमांडर की हत्या कर के यहां छिप कर रह रहा है, इसलिए ऐसे आदमी पर भरोसा नहीं किया जा सकता. वह उसे ढूंढ़ कर निश्चित उस की हत्या कर देगा.

रश्मि की बात सुन कर मनोज डर गया और उसी समय वह कानपुर छोड़ कर जिला फतेहपुर स्थित अपने गांव चला गया. शाम को रश्मि अकेली घर आई तो सोनू ने पूछा, ‘‘मनोज कहां है?’’

‘‘वह उसी रात अपने गांव भाग गया था.’’ रश्मि ने कहा.

रश्मि की बात पर सोनू को विश्वास नहीं हुआ. उस ने रश्मि को गालियां देते हुए कहा, ‘‘वह खुद नहीं भागा, तूने उसे भगाया है. तुझ से रहा नहीं गया होगा. तू ने मेरी योजना के बारे में बता कर उसे भगा दिया होगा.’’

सोनू को रश्मि की इस धोखेबाजी से उस से भी नफरत हो गई. अब वह रोज शराब पी कर उस की पिटाई करने लगा. रश्मि को पिटाई करते हुए वह कहता भी था, ‘‘जब तक तू मनोज को नहीं बुलाती और मैं उस की हत्या नहीं कर देता, तब तक तुझे इसी तरह नियमित मारता पीटता रहूंगा.’’

रोजरोज की मारपीट से तंग आ कर आखिर एक दिन रश्मि ने अपने सहकर्मी के फोन से मनोज को फोन कर के कहा कि सोनू उस पर बहुत अत्याचार कर रहा है. इसलिए अब वह उस के साथ रहना नहीं चाहती और भाग कर उस के पास आ रही है. अब वह उसी के साथ उस की बन कर रहना चाहती है.

मनोज ने रश्मि को समझाते हुए कहा, ‘‘मैं यहां गांव में रह रहा हूं. यहां किसी तरह 2 जून की रोटी मिल जाती है, बाकी यहां कमाई का कोई जरिया नहीं है. इसलिए तुम थोड़ा इंतजार करो. मैं कोई व्यवस्था कर के तुम्हें जल्दी ही यहां बुला लूंगा. उस के बाद तुम्हें अपनी पत्नी बना कर साथ रखूंगा.’’

मनोज की इन बातों से रश्मि का कलेजा बैठ गया. वह जिंदगी के ऐसे मोड़ पर खड़ी थी, जहां उस के लिए चारों ओर अंधेरा ही अंधेरा था. काफी सोचविचार कर उस ने सोनू के साथ ही जिंदगी गुजारने का इरादा बना लिया. फिर उस ने सोनू से माफी मांगी और भविष्य में किसी तरह की कोई गलती न करने की कसम खाई. लेकिन सोनू मनोज की हत्या से कम पर उसे माफ करने को तैयार नहीं था.

जिंदगी और भविष्य के लिए रश्मि को सोनू की जिद के आगे झुकना पड़ा. वह मनोज की हत्या की साजिश में पति का साथ देने को तैयार हो गई. इस के बाद योजना के अनुसार सोनू ने नटवनटोला, किदवईनगर का अपना वह किराए का कमरा खाली कर के जूही गढ़ा में सुरजा के मकान में किराए का कमरा ले कर रहने लगा. रश्मि मनोज को फोन कर के बुलाने लगी. लेकिन मनोज कानपुर आने को तैयार नहीं था.

रश्मि के बारबार आग्रह पर मनोज को जब रश्मि से मिलने वाले सुख की याद आई तो 29 जनवरी को रश्मि से मिलने के लिए वह कानपुर आ गया. सोनू और रश्मि ने पहले की ही तरह मनोज को हाथोंहाथ लिया. दोनों उस से इस तरह हंसहंस कर बातें कर रहे कि उसे लगा सोनू ने सचमुच उसे माफ कर दिया है.

मनोज रश्मि और सोनू के जाल में पूरी तरह फंस गया. रात 8 बजे के आसपास सोनू उसे शराब के ठेके पर ले गया, जहां दोनों ने थोड़ीथोड़ी शराब पी. इस के बाद 2 बोतल ले कर वह घर आ गया. उस ने रश्मि से कहा, ‘‘आज बढि़या खाना बनाओ, बहुत दिनों बाद मेरा दोस्त आया है. आज देर रात तक हम दोनों की महफिल जमेगी.’’

रश्मि को खाना बनातेबनाते रात के 11 बज गए. इस के बाद उस ने सोनू और मनोज के लिए खाना परोसा. सोनू ने होशियारी से मनोज को बड़ेबड़े पैग बना कर ज्यादा शराब पिला दी थी. ज्यादा नशा होने की वजह से मनोज खाना खा कर अपने लिए लगे बिस्तर पर लेटते ही बेसुध हो कर सो गया.

सोनू को उस के सोने का इंतजार था. रात साढ़े 12 बजे उस ने रश्मि को अपने पास बुला कर मनोज के सिर के ऊपर से रजाई हटाने को कहा. रश्मि ने जैसे ही मनोज के सिर से रजाई हटाई, सोनू गड़ासे से उस के सिर और गरदन पर लगातार वार करने लगा.

मनोज ने अपने ऊपर हुए इस प्राणघातक हमले से बचने की कोशिश तो की, लेकिन रश्मि उस के सिर के बाल पकड़ कर नीचे दबाए थी, इसलिए वह उठ नहीं सका. लगातार वार होने से मनोज की गरदन कट गई तो वह मर गया. उस के मरते ही सोनू ने उस के हाथपैर समेट कर रस्सी से बांध दिए, ताकि वह अकड़ न जाए, क्योंकि अकड़े हुए शव को घर से बाहर ले जाने में काफी परेशानी होती.

मनोज की हत्या कर उस की लाश को ठिकाने लगाने के बारे में पूरी रात सोनू और रश्मि सोचते विचारते रहे. सोनू ने सोचा कि अगर लाश को रजाई में लपेट कर दिन में रिक्शे से बाहर ले जाया जाए तो कोई शक नहीं करेगा.

यही सोच कर उस ने मनोज की लाश को रजाई में लपेटा और रस्सी से बांध कर रजाई भराने की बात कह कर एक रिक्शा बुलाया.  रजाई में बंधी मनोज की लाश उस ने रिक्शे के पायदान पर रखा और रश्मि तथा 5 साल के बेटे के साथ रिक्शे पर बैठ कर वह स्वदेशी कौटन मिल की ओर चल पड़ा.

स्वदेशी कौटन मिल के पास सड़क के किनारे की एक चाय की दुकान पर कुछ लोगों ने रिक्शे पर रखी उस रजाई को देखा तो उन्हें शक हुआ. उन्होंने रिक्शा रोक कर सोनू से उस के बारे में पूछा तो वह सकपका गया.

एकदम से वह जवाब नहीं दे सका. काफी देर बाद उस ने कहा कि इसे वह भरवाने ले जा रहा है. उन लोगों में से किसी ने कहा, ‘‘इस तरह रस्सी से बांध कर रुई तो नहीं ले जाई जाती, इस में जरूर कुछ और है.’’

यह कह कर उस आदमी ने रजाई के अंदर हाथ डाला तो एकदम से चिल्लाया, ‘‘अरे यह रुई नहीं, किसी की लाश है.’’

सभी सोनू को पकड़ कर लातघूसों से पिटाई करने लगे. उसी बीच मौका पा कर रश्मि अपने बेटे को ले कर भाग गई. किसी ने इस बात की सूचना थाना जूही पुलिस को दी तो पुलिस ने मौके पर आ कर लाश और सोनू को कब्जे में ले लिया. थाना जूही पुलिस ने मौके की काररवाई कर के लाश को पोस्टमार्टम के लिए हैलेट अस्पताल भिजवा दी. उस के बाद थाने ला कर सोनू से पूछताछ की गई. सोनू ने मनोज की हत्या का अपना अपराध स्वीकार करते हुए पूरी कहानी पुलिस को सुना दी, जिसे आप पहले ही पढ़ चुके हैं.

पूछताछ के बाद सबइंस्पेक्टर आमोद कुमार ने सोनू की निशानदेही पर उस के कमरे से शराब की 2 खाली बोतलें, खून से सनी साड़ी, वह गड़ासा, जिस से मनोज की हत्या की गई थी और मनोज का मोबाइल फोन बरामद कर लिया. इस के बाद उन्होंने उस के खिलाफ मनोज की हत्या का मुकदमा दर्ज कर 30 जनवरी को अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

अगले दिन पुलिस ने रश्मि को भी उस समय गिरफ्तार कर लिया, जब वह कमरे पर अपने और बच्चे के कपड़े लेने आई थी. पूछताछ कर के पुलिस ने उसे भी अदालत में पेश किया, जहां से उसे भी जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

खतरनाक है रिश्तों की मर्यादा तोड़ना

पत्नी जब न बनी दोस्तों का बिछौना

खतरनाक है रिश्तों की मर्यादा तोड़ना – भाग 3

शिवचरन खून का घूंट पी कर रह गया. उस समय उस ने न तो नीलम से कुछ कहा और न ही जगराम सिंह से. लेकिन उस के हावभाव से नीलम समझ गई कि उस के मन में क्या चल रहा है. उस ने अपने भयभीत चेहरे पर मुसकान लाने की कोशिश तो बहुत की, लेकिन तनाव में होने की वजह से सफल नहीं हो पाई.

शिवचरन सोच ही रहा था कि वह क्या करे, तभी जगराम जम्हुआई लेते हुए उठा और शिवचरन को देख कर बोला, ‘‘अरे तुम इतनी जल्दी कैसे आ गए, तबीयत तो ठीक है?’’

शिवचरन ने जगराम सिंह के चेहरे पर नजरें जमा कर दबे स्वर में कहा, ‘‘तबीयत तो ठीक है, लेकिन दिमाग ठीक नहीं है.’’

इतना कह कर ही शिवचरन बाहर चला गया. उस ने जिस तरह यह बात कही थी, उसे सुन कर जगराम ने वहां रुकना उचित नहीं समझा और चुपचाप बाहर निकल गया. उस के जाते ही शिवचरन वापस लौटा और नीलम की चोटी पकड़ कर बोला, ‘‘बदलचन औरत, इस उम्र में तुझे यह सब करते शरम भी नहीं आई? वह भी उस आदमी के साथ जो तेरा भाई लगता है.’’

नीलम की चोरी पकड़ी गई थी, इसलिए वह कुछ बोल नहीं पाई. गुस्से में तप रहे शिवचरन ने नीलम को जमीन पर पटक दिया और लात घूसों से पिटाई करने लगा. नीलम चीखतीचिल्लाती रही, लेकिन शिवचरन ने उसे तभी छोड़ा, जब वह उसे मारते मारते थक गया.

इस के बाद शिवचरन नीलम पर नजर रखने लगा था. उस ने बेटों से भी कह दिया था कि जब भी मामा घर आए, वे उस से बताएं. जिस दिन शिवचरन को पता चलता कि जगराम आया था, उस दिन शिवचरन नीलम पर कहर बन कर टूटता था. अब जगराम और नीलम काफी सावधानी बरतने लगे थे. वह तभी नीलम से मिलने आता था, जब उसे पता चलता था कि घर पर न बेटे हैं और न शिवचरन.

इसी बात की जानकारी के लिए जगराम सिंह ने नीलम को एक मोबाइल फोन खरीद कर दे दिया था. इस से दोनों की रोजाना बातें तो होती ही रहती थीं, इसी से मिलने का समय भी तय होता था. एक दिन शिवचरन ने नीलम को जगराम से बातचीत करते पकड़ लिया तो मोबाइल फोन छीन कर पटक दिया. लेकिन अगले ही दिन जगराम ने उसे दूसरा मोबाइल फोन खरीद कर दे दिया.

काफी प्रयास के बाद भी शिवचरन नीलम और जगराम को अलग नहीं कर सका तो उस ने जगराम के घर जा कर उस की पत्नी लक्ष्मी से सारी बात बता दी. इस के बाद जगराम के घर कलह शुरू हो गई. यह कलह इतनी ज्यादा बढ़ गई कि लक्ष्मी ने बच्चों के साथ आत्मदाह करने की धमकी दे डाली.

पत्नी की इस धमकी से जगराम डर गया. उस ने पत्नी से वादा किया कि अब वह नीलम से संबंध तोड़ लेगा. उस ने नीलम से मिलना कम कर दिया तो इस से नीलम नाराज हो गई. इधर उस ने पैसों की मांग भी अधिक कर दी थी, जिस से जगराम को परेशानी होने लगी थी.

एक ओर जगराम सिंह अपनी पत्नी और बच्चों को छोड़ नहीं सकता था. दूसरी ओर अब नीलम से भी पीछा छुड़ाना आसान नहीं रह गया था. वह बदनाम करने की धमकी देने लगी थी. उस की धमकी और मांगों से तंग आ कर जगराम सिंह ने नीलम से पीछा छुड़ाने के लिए अपने साले लक्ष्मण के साथ मिल कर उसे खत्म करने की योजना बना डाली.

संयोग से उसी बीच नीलम ने बच्चों की ड्रेस, फीस, कापीकिताब और घर के खर्च के लिए जगराम से 10 हजार रुपए मांगे. जगराम ने कहा कि पैसों का इंतजाम होने पर वह उसे फोन से बता देगा.

24 जुलाई, 2014 की शाम 4 बजे जगराम सिंह ने नीलम को फोन किया कि पैसों का इंतजाम हो गया है, वह श्यामनगर चौराहे पर आ कर पैसे ले ले. फोन पर बात होने के बाद नीलम ने बेटों से कहा कि वह उन की ड्रेस लेने दर्जी के पास जा रही है और उधर से ही वह घर का सामान भी लेती आएगी.

नीलम श्यामनगर चौराहे पर पहुंची तो जगराम अपने साले लक्ष्मण सिंह के साथ कार में बैठा था. नीलम को भी उस ने कार में बैठा लिया. कार चल पड़ी तो नीलम ने जगराम से पैसे मांगे. लेकिन उस ने पैसे देने से मना कर दिया. तब नीलम नाराज हो कर उसे बदनाम करने की धमकी देने लगी.

नीलम की बातों से जगराम को भी गुस्सा आ गया. वह उस से छुटकारा तो पाना ही चाहता था, इसलिए पैरों के नीचे रखी लोहे की रौड निकाली और नीलम के सिर पर पूरी ताकत से दे मारा. उसी एक वार में नीलम लुढ़क गई. इस के बाद जगराम ने नीलम की साड़ी गले में लपेट कर कस दी. नीलम मर गई तो चाकू से उस के चेहरे को गोद दिया.

जगराम अपना काम करता रहा और लक्ष्मण कार चलाता रहा. चलती कार में नीलम की बेरहमी से हत्या कर के जगराम और लक्ष्मण ने देर रात उस की लाश को नौबस्ता ले जा कर हाईवे के किनारे फेंक दिया और खुद कार ले कर अपने घर चले गए.

पूछताछ के बाद 10 जुलाई, 2014 को थाना नौबस्ता पुलिस ने अभियुक्त सबइंसपेक्टर जगराम सिंह को कानपुर की अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. कथा लिखे जाने तक उस की जमानत नहीं हुई थी. उस का साला लक्ष्मण फरार था. पुलिस उस की तलाश में जगहजगह छापे मार रही थी.

— कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

खतरनाक है रिश्तों की मर्यादा तोड़ना – भाग 2

जगराम सिंह ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया तो थाना नौबस्ता पुलिस ने शिवचरन सिंह भदौरिया की ओर से नीलम की हत्या का मुकदमा सबइंसपेक्टर जगराम सिंह और उस के साले लक्ष्मण सिंह के खिलाफ दर्ज कर लिया. इस के बाद जगराम सिंह ने नीलम की हत्या की जो कहानी सुनाई, वह जिस्म के नाजायज रिश्तों में जिंदगी लेने वाली थी.

उत्तर प्रदेश के जिला फतेहपुर के कस्बा खागा के रहने वाले राम सिंह के परिवार में पत्नी चंदा के अलावा 2 बेटे पप्पू, बब्बू और बेटी नीलम उर्फ पिंकी थी. राम सिंह पक्का शराबी था. अपनी कमाई का ज्यादा हिस्सा वह शराब में उड़ा देता था. बाप की देखा देखी बड़े बेटे पप्पू को भी शराब का शौक लग गया. जैसा बाप, वैसा बेटा. पप्पू कुछ करता भी नहीं था.

नीलम उर्फ पिंकी राम सिंह की दूसरे नंबर की संतान थी. वह सयानी हुई तो राम सिंह को उस की शादी की चिंता हुई. उस के पास कोई खास जमापूंजी तो थी नहीं, इसलिए वह इस तरह का लड़का चाहता था, जहां ज्यादा दानदहेज न देना पड़े.

उस ने तलाश शुरू की तो जल्दी ही उसे कानपुर शहर के थाना चकेरी के श्यामनगर (रामपुर) में किराए पर रहने वाला शिवचरन सिंह भदौरिया मिल गया. शिवचरन सिंह शहर के मशहूर होटल लिटिल में चीफ वेटर था. राम सिंह को शिवचरन पसंद आ गया. उस के बाद अपनी हैसियत के हिसाब से लेनदेन कर के उस ने नीलम की शादी शिवचरन सिंह के साथ कर दी.

नीलम जैसी खूबसूरत पत्नी पा कर शिवचरन बेहद खुश था.  से समय गुजरने लगा. समय के साथ नीलम 2 बेटों सचिन और शिवम की मां बनी. बच्चे होने के बाद खर्च तो बढ़ गया, जबकि आमदनी वही रही. शिवचरन को 5 हजार रुपए वेतन मिलता था, जिस में से 2 हजार रुपए किराए के निकल जाते थे, हजार, डेढ़ हजार रुपए नीलम के फैशन पर खर्च हो जाते थे. बाकी बचे रुपयों में घर चलाना मुश्किल हो जाता था. इसलिए घर में हमेशा तंगी बनी रहती थी.

पैसों को ले कर अक्सर शिवचरन और नीलम में लड़ाईझगड़ा होता रहता था. रोजरोज की लड़ाई और अधिक कमाई के चक्कर में शिवचरन ने नीलम की ओर ध्यान देना बंद कर दिया. पत्नी की किचकिच की वजह से वह तनाव में भी रहने लगा. इस सब से छुटकारा पाने के लिए वह शराब पीने लगा. संयोग से उसी बीच शिवचरन के घर उस के बड़े भाई के चचेरे साले यानी नीलम की जेठानी प्रीति के चचेरे भाई जगराम सिंह का आनाजाना शुरू हुआ.

जगराम सिंह अपने परिवार के साथ बर्रा कालोनी में रहता था. वह हेडकांस्टेबल था, लेकिन इधर प्रमोशन से सबइंस्पेक्टर हो गया था. उस की ड्यूटी लखनऊ में दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री सुदीप रंजन सेन के यहां थी.

नीलम जगराम सिंह की मीठीमीठी बातों और अच्छे व्यवहार से काफी प्रभावित थी. एक तरह से नीलम उस की बहन थी, लेकिन 2 बच्चों की मां होने के बावजूद नीलम की देहयष्टि और सुंदरता ऐसी थी कि किसी भी पुरुष की नीयत खराब हो सकती थी. शायद यही वजह थी कि भाई लगने के बावजूद जगराम सिंह की भी नीयत उस पर खराब हो गई थी.

घर आनेजाने से जगराम सिंह को नीलम की परेशानियों का पता चल ही गया था, इसलिए उस तक पहुंचने के लिए वह उस की परेशानियों का फायदा उठाते हुए हर तरह से मदद करने लगा. नीलम जब भी उस से पैसा मांगती, वह बिना नानुकुर किए दे देता. अगर कभी शिवचरन पैसे मांग लेता तो वह उसे भी दे देता.

शिवचरन भले ही जगराम की मन की बात से अंजान था, लेकिन नीलम सब जानती थी. वह जान गई थी कि जगराम उस पर इतना क्यों मेहरबान है. उस की नजरों से उस ने उस के दिल की बात जान ली थी. एक तो नीलम को पति का सुख उस तरह नहीं मिल रहा था, जिस तरह मिलना चाहिए था, दूसरे जगराम अब उस की जरूरत बन गया था.

इसलिए उसे जाल में फंसाए रखने के लिए नीलम उस से हंसी मजाक ही नहीं करने लगी, बल्कि उस के करीब भी आने लगी थी. आसपड़ोस में सभी लोगों को उस ने यही बता रहा था कि यह उस के जेठानी का भाई है. इसलिए नीलम को लगता था कि उस के आने जाने पर कोई शक नहीं करेगा.

नीलम की मौन सहमति पा कर एक दिन उसे घर में अकेली पा कर जगराम सिंह ने उस का हाथ पकड़ लिया. बनावटी नानुकुर के बाद उस ने जगराम को अपना शरीर सौंप दिया. जगराम से उसे जो सुख मिला, उस ने रिश्तों की मर्यादा को भुला दिया.

इस के बाद नीलम और जगराम जब भी मौका पाते, एक हो जाते. नीलम को जगराम सिंह के साथ शारीरिक सुख में कुछ ज्यादा ही आनंद आता था, इसलिए वह उस का भरपूर सहयोग करने लगी थी. कभीकभी तो जगराम से मिलने वाले सुख के लिए वह बच्चों को बहाने से घर के बाहर भी भेज देती थी.

कुछ सालों तक तो उन का यह संबंध लोगों की नजरों से छिपा रहा, लेकिन जगराम सिंह का शिवचरन के घर अक्सर आना और घंटो पड़े रहना, लोगों को खटकने लगा. नीलम और उस के सबइंसपेक्टर भाई के हावभाव और कार्यशैली से लोगों को विश्वास हो गया कि उन के बीच गलत संबंध है.

जगराम सिंह बेहद चालाकी से काम ले रहा था. वह जब भी शिवचरन की मौजूदगी में आता, काफी गंभीर बना रहता. वह इस बात का आभास तक न होने देता कि उस के और नीलम के बीच कुछ चल रहा है. तब वह पूरी तरह से रिश्तेदार बना रहता. लेकिन एकांत मिलते ही वह रिश्तेदार के बजाय नीलम का प्रेमी बन जाता.

जब मामला कुछ ज्यादा ही बढ़ गया तो पड़ोसियों ने शिवचरन के कान भरने शुरू किए. उसने अतीत में झांका तो उसे भी संदेह हुआ. फिर एक दिन जगराम घर आया तो वह होटल जाने की बात कह कर घर से निकला जरूर, लेकिन आधे घंटे बाद ही वापस आ गया. उस ने देखा कि दोनों बेटे बाहर खेल रहे हैं और कमरे की अंदर से सिटकनी बंद है.

उस ने सचिन से पूछा, ‘‘क्या बात है, कमरे का दरवाजा क्यों बंद है, तुम्हारी मम्मी कहां हैं.?’’

‘‘मम्मी और मामा कमरे में हैं. हम कब से उन्हें बुला रहे हैं, वे दरवाजा खोल ही नहीं रहे हैं.’’ सचिन ने कहा.

शिवचरन को संदेह तो था ही, अब विश्वास हो गया. वह नीलम को आवाज दे कर दरवाजा पीटने लगा. अचानक शिवचरन की आवाज सुन कर दोनों घबरा गए. वे जल्दी से उठे और अपने अपने कपड़े ठीक किए. इस के बाद नीलम ने आ कर दरवाजा खोला. नीलम की हालत देख कर शिवचरन सारा माजरा समझ गया. उसे कुछ कहे बगैर वह कमरे के अंदर आया तो देखा जगराम सोने का नाटक किए चारपाई पर लेटा था.

खतरनाक है रिश्तों की मर्यादा तोड़ना – भाग 1

मार्निंग वौक पर निकले कुछ लोगों ने हाईवे के किनारे एक महिला की लाश पड़ी देखी तो उन्होंने  इस बात की सूचना थाना नौबस्ता पुलिस को दे दी. सूचना मिलते ही थानाप्रभारी अरुण कुमार सिंह सहयोगियों के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. वहां काफी लोग इकट्ठा थे, लेकिन उन में से कोई भी महिला की शिनाख्त नहीं कर सका.

मृतका की उम्र 35 साल के आसपास थी. वह साड़ीब्लाउज और पेटीकोट पहने थी. उस के सिर पर गंभीर चोट लगी थी, चेहरा किसी नुकीली चीज से गोदा गया था. गले में भी साड़ी का फंदा पड़ा था.

लाश की शिनाख्त नहीं हो सकी तो पुलिस ने घटनास्थल की काररवाई कर के उसे पोस्टमार्टम के लिए कानपुर स्थित लाला लाजपत राय चिकित्सालय भिजवा दिया. लेकिन घटनास्थल की काररवाई में पुलिस ने काफी समय बरबाद कर दिया था, इसलिए देर हो जाने की वजह से उस दिन लाश का पोस्टमार्टम नहीं हो सका. यह 5 जुलाई, 2014 की बात थी.

अगले दिन यानी 6 जुलाई को कानपुर से निकलने वाले समाचार पत्रों में जब एक महिला का शव नौबस्ता में हाईवे पर मिलने का समाचार छपा तो थाना चकेरी के मोहल्ला रामपुर (श्यामनगर) के रहने वाले शिवचरन सिंह भदौरिया को चिंता हुई. इस की वजह यह थी कि उस की पत्नी नीलम उर्फ पिंकी पिछले 2 दिनों से गायब थी. इस बीच उस ने अपने हिसाब से उस की काफी खोजबीन की थी, लेकिन उस का कुछ पता नहीं चला था.

अखबार में समाचार पढ़ने के बाद शिवचरन सिंह अपने दोनों बेटों, सचिन और शिवम को साथ ले कर थाना नौबस्ता पहुंचा और थानाप्रभारी अरुण कुमार सिंह को बताया कि उस की पत्नी परसों से गायब है. वह हाईवे के किनारे मिली महिला की लाश को देखना चाहता है.

चूंकि शव पोस्टमार्टम हाऊस में रखा था, इसलिए थानाप्रभारी ने उन लोगों को एक सिपाही के साथ वहां भेज दिया. शिवचरन सिंह बेटों के साथ वहां पहुंचा तो लाश देखते ही वह फूटफूट कर रो पड़ा. क्योंकि वह लाश उस की पत्नी नीलम की थी. उस के दोनों बेटे सचिन और शिवम भी मां की लाश देख कर रोने लगे थे.

इस तरह हाईवे के किनारे मिले महिला के शव की शिनाख्त हो गई थी. लाश की शिनाख्त कर शिवचरन सिंह बेटों के साथ थाने आ गए. थानाप्रभारी अरुण कुमार सिंह ने शिवचरन से पूछताछ की तो उस ने बताया कि उस की पत्नी नीलम 4 जुलाई की शाम 4 बजे से गायब है. घर से निकलते समय उस ने बच्चों से कहा था कि वह उन की स्कूली ड्रेस लेने दर्जी के यहां जा रही है. उधर से ही वह घर का सामान भी ले आएगी. लेकिन वह गई तो लौट कर नहीं आई.

आज सुबह उस ने अखबार में महिला के शव मिलने की खबर पढ़ी तो वह थाने आया और पोस्टमार्टम हाउस जा कर देखी तो पता चला कि उस की तो हत्या हो चुकी है.

‘‘हत्या किस ने की होगी, इस बारे में तुम कुछ बता सकते हो?’’ थानाप्रभारी अरुण कुमार सिंह ने पूछा.

‘‘साहब, हमें संदेह नहीं, पूरा विश्वास है कि नीलम की हत्या सबइंसपेक्टर जगराम सिंह ने की है. वह हमारे बड़े भाई का चचेरा साला है. उस का हमारे घर बहुत ज्यादा आनाजाना था. उस के नीलम से अवैध संबंध थे. पीछा छुड़ाने के लिए उसी ने उस की हत्या की है. वह अपने परिवार के साथ बर्रा में रहता है. इन दिनों उस की तैनाती लखनऊ में है.’’

शिवचरन सिंह ने जैसे ही कहा कि नीलम की हत्या सबइंसपेक्टर जगराम सिंह ने की है, थानाप्रभारी अरुण कुमार सिंह ने उसे डांटा, ‘‘तुम्हारा दिमाग खराब है. नीलम की हत्या नहीं हुई है. मुझे लगता है, उस की मौत एक्सीडेंट से हुई है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट आएगी तो पता चल जाएगा कि वह कैसे मरी है.’’

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, नीलम की हत्या बड़ी ही बेरहमी से की गई थी. उस की मौत सिर की हड्डी टूटने से हुई थी. उस के चेहरे को चाकू की नोक से गोदा गया था. गला भी साड़ी से कसा गया था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से साफ हो गया था कि नीलम की हत्या हुई थी. इस के बावजूद थानाप्रभारी अरुण कुमार सिंह ने हत्या की रिपोर्ट दर्ज नहीं की. इस का मतलब था कि जगराम सिंह ने सिफारिश कर दी थी. विभागीय मामला था, इसलिए थानाप्रभारी अरुण कुमार सिंह उस का पक्ष ले रहे थे.

हत्या के इस मामले को दबाने की खबर जब स्थानीय अखबारों में छपी तो आईजी आशुतोष पांडेय ने इसे गंभीरता से लिया. उन्होंने इस मामले को ले कर थानाप्रभारी अरुण कुमार सिंह से 2 बार बात की, लेकिन उस ने उन्हें कोई उचित जवाब नहीं दिया. इस के बाद उन्होंने क्षेत्राधिकारी ओमप्रकाश को इस मामले की जांच कर के तुरंत रिपोर्ट देने को कहा.

क्षेत्राधिकारी ओमप्रकाश ने उन्हें जो रिपोर्ट दी, उस में सबइंसपेक्टर जगराम सिंह पर हत्या का संदेह व्यक्त किया गया था. थानाप्रभारी अरुण कुमार सिंह ने जो किया था, उस से पुलिस की छवि धूमिल हुई थी, इसलिए आईजी आशुतोष पांडेय ने उन्हें लाइनहाजिर कर दिया और खुद 10 जुलाई को थाना नौबस्ता जा पहुंचे. उन्होंने सबइंसपेक्टर जगराम सिंह को थाने बुला कर पूछताछ की और उसे साथ ले कर घटनास्थल का निरीक्षण भी किया.

मृतका नीलम और जगराम सिंह के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाई गई तो उस में नीलम के मोबाइल फोन पर अंतिम फोन जगराम सिंह का ही आया था. दोनों के बीच बात भी हुई थी. इस के बाद नीलम का फोन बंद हो गया था. नीलम के मोबाइल फोन की अंतिम लोकेशन थाना चकेरी क्षेत्र के श्यामनगर की थी. काल डिटेल्स से पता चला कि जगराम और नीलम की रोजाना दिन में कई बार बात होती थी. कभीकभी दोनों की घंटों बातें होती थीं.

सारे सुबूत जुटा कर आईजी आशुतोष पांडेय ने सबइंसपेक्टर जगराम सिंह से नीलम की हत्या के बारे में पूछा तो उसने स्वीकार कर लिया कि साले की मदद से उसी ने नीलम की हत्या की थी और लाश ले जा कर नौबस्ता में हाईवे के किनारे फेंक दी थी.

पत्नी जब न बनी दोस्तों का बिछौना – भाग 4

सरिता एक सप्ताह तक खाट पर पड़ी रही तथा दर्द से छटपटाती रही. उस ने मारपीट की शिकायत न तो पुलिस में की और न ही मायके वालों को कुछ बताया. वह नहीं चाहती थी कि उस का परिवार बिखरे और वह दरदर की ठोकरें खाने को मजबूर हो. पति आज नहीं तो कल सुधर ही जाएगा.

लेकिन सरिता की यह सोच गलत थी. सरिता की चुप्पी से रमन को बढ़ावा मिला. वह उस पर और जुल्म ढाने लगा. सरिता का पति रमन सिर से पांव तक कर्ज में डूबा था. इस कर्ज को उतारने के लिए वह सरिता को गलत रास्ते पर ढकेलने की कोशिश कर रहा था. सरिता उस की बात मानने को राजी नहीं थी. जिस से वह उसे आए दिन शराब पी कर पीटता था. कभीकभी तो घर के बाहर भी निकाल देता था.

ससुर ने रमन को सुनाई खरीखोटी

सरिता पति के जुल्म सह रही थी. उस ने मायके वालों को इसलिए कभी कुछ नहीं बताया कि उस के मातापिता उस के गम में डूब जाएंगे, लेकिन इस के बावजूद किसी तरह उस के पिता कमलेश को बेटी पर ढाए जा रहे जुल्मों की बात पता चल गई. तब कमलेश पाल ने दामाद रमन को खूब बुराभला कहा और सुधर जाने की नसीहत दी. न सुधरने पर किसी हद तक जाने की धमकी भी दी.

कमलेश पाल की इस धमकी ने आग में घी का काम किया. शिकायत को ले कर रमन ने सरिता को खूब पीटा. उस दिन तो वह इतना हैवान बन गया कि पानी भरे टब में उस ने सरिता के बाल पकड़ कर उस के चेहरे को कई बार डुबोया. मासूम बेटी जोरजोर से रोने लगी तो उस के हाथ रुके. अन्यथा वह सरिता को डुबो कर मार ही डालता.

30 अगस्त, 2023 को रक्षाबंधन का त्योहार था. सरिता भाई को राखी बांधने मायके गहलों जाने लगी तो रमन ने मना कर दिया. मायके जाने को ले कर सरिता और रमन में बहस होने लगी. इसी बहस में रमन ने सरिता की पिटाई कर दी. लेकिन पिटाई के बावजूद सरिता नहीं मानी और बेटी को साथ ले कर मायके आ गई. यहां सरिता ने मारपीट की बात घर वालों को बताई तो उन का पारा चढ़ गया.

दूसरे रोज ही रमन ससुराल पहुंच गया. तब कमलेश पाल ने रमन को जम कर फटकार लगाई और खूब बेइज्जत किया. सरिता को भी साथ भेजने से इंकार कर दिया. सरिता ने भी रमन को बेइज्जत किया. अपमान का घूंट पी कर रमन वापस लौट आया. शाम को उस ने दोस्त अखिल व रंजीत संग शराब पी. फिर उस ने बेइज्जती वाली बात दोस्तों को बताई और सरिता को ठिकाने लगा कर बदला लेने की बात कही.

नशे में धुत अखिल व रंजीत दोस्त रमन का साथ देने को तैयार हो गए. इस की वजह यह भी थी कि अखिल व रंजीत को सरिता ने कई बार बेइज्जत किया था और घर से भगाया था. इस के बाद रमन, अखिल व रंजीत ने सरिता के अपहरण व हत्या की योजना बनाई. इस योजना में रंजीत ने अपने दोस्त सौरभ गौतम को भी शामिल कर लिया.

आखिर सरिता को लगा दिया ठिकाने

5 सितंबर, 2023 की सुबह 10 बजे रमन ने सरिता से मोबाइल फोन पर बात की और मारपीट के लिए माफी मांगी. साथ ही कहा कि वह शाम को उसे लेने आएगा, इंकार मत करना. सरिता से बात करने के बाद रमन ने चौबेपुर बाजार के शराब ठेके पर रंजीत, अखिल व सौरभ को बुलाया. कुछ देर में तीनों वहां आ गए. सभी ने बैठ कर शराब पी फिर सरिता की हत्या की योजना बनाई.

योजना के तहत शाम 6 बजे रंजीत, अखिल व सौरभ, केशरी निवादा गांव के पास नहर पट्टी सड़क पर गगनी देवी मंदिर के पास पहुंच गए. पीछे से रमन भी बाइक से वहां आ गया. सभी ने मिल कर आसपास के जंगल एरिया का जायजा लिया फिर आपस में बात की. इस के बाद दोस्तों को वहीं छोड़ कर रमन अपनी ससुराल गहलों चला गया.

गहलों पहुंच कर रमन ने सरिता को फोन कर गांव के बाहर बुला लिया फिर वह सरिता व बेटी अनिका को बाइक पर बिठा कर अपने घर की ओर चल पड़ा. अब तक सूरज छिप चुका था और अंधेरा छाने लगा था. रमन धीमी गति से बाइक चलाता हुआ केशरी निवादा गांव के पास पहुंचा.

तभी वहां स्थित देवी मंदिर के पास योजना के तहत अखिल, रंजीत व सौरभ ने रमन की बाइक रोक ली. सरिता कुछ समझ पाती, उस के पहले ही उन तीनों ने सरिता को दबोच लिया और घसीटते हुए जंगल की ओर ले गए. पीछे से रमन भी पहुंच गया. सरिता ने अपनी जान जोखिम में देखी तो वह उन से भिड़ गई. सभी ने मिल कर सरिता को खूब पीटा फिर उसी की चुनरी से उस का गला घोंट दिया और शव को बबूल के पेड़ के नीचे छोड़ आए.

हत्या करने के बाद अखिल, रंजीत व सौरभ तो फरार हो गए, लेकिन रमन पाल सड़क पर आया, जहां उस ने बाइक खड़ी की थी और मासूम बेटी अनिका डरीसहमी बैठी थी. उस ने ब्लेड से अपना हाथ जख्मी किया फिर शोर मचाने लगा.

रमन का शोर सुन कर कुछ लोग इकट्ठा हो गए. उन लोगों को उस ने बताया कि उसे जख्मी कर बदमाशों ने उस की पत्नी सरिता का अपहरण कर लिया है. कुछ देर बाद रमन ने पहले अपने ससुर कमलेश पाल को सरिता के अपहरण की सूचना दी फिर थाना शिवली पुलिस को सूचना दे दी.

सूचना पा कर शिवली थाने के एसएचओ एस.एन. सिंह घटनास्थल पहुंचे और सर्च औपरेशन शुरू किया. दूसरे रोज सरिता की लाश मिली.

8 सितंबर, 2023 को थाना शिवली पुलिस ने आरोपी रमन पाल, अखिल पाल व रंजीत को कानपुर देहात की कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल माती भेज दिया गया. सौरभ गौतम कथा लिखने तक फरार था. पुलिस उसे तलाश रही थी. मासूम अनिका नाना कमलेश के संरक्षण में रह रही थी.

-कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

पत्नी जब न बनी दोस्तों का बिछौना – भाग 3

सरिता मम्मी से छिपा गई हकीकत

कुछ समय बाद सरिता मायके गई तो उस का गिरा हुआ स्वास्थ्य देख कर उस की मम्मी को दुख हुआ. शादी के

पहले सरिता का खिला हुआ गुलाब सा चेहरा किसी लंबी बीमारी के मरीज जैसा मुरझा गया था. उस की आंखों के नीचे कालेकाले घेरे भी बन गए थे.

“यह तुझे क्या हो गया बेटी?’’ सरिता की मम्मी ने उस के सिर पर हाथ फेर कर पूछा, “तुझे ससुराल में कुछ तकलीफ है क्या, जो तेरी हालत ऐसी हो गई है?’’

“नहीं मम्मी, ऐसी कोई बात नहीं है,’’ सरिता फीकी मुसकराहट चेहरे पर लाती हुई बोली, “ससुराल में तो मैं बहुत खुश हूं.’’

दरअसल, सरिता नहीं चाहती थी कि वह ससुराल वालों की घटिया आदतों का बयान कर घर वालों को दुखी करे. इसलिए वह अपने दुखों का जहर खुद ही पी गई थी.

शादी के डेढ़ साल बाद सरिता ने एक बच्ची को जन्म दिया. इस का नाम उस ने अनिका रखा. अनिका के जन्म से सरिता तो खुश थी, लेकिन सासससुर व पति खुश न थे. ये लोग चाह रहे थे कि सरिता के बेटा पैदा हो. लेकिन जब बेटी पैदा हो गई तो उमा अकसर सरिता को जलीकटी सुनाने लगी. सरिता जवाब देती तो रमन उसे रुई की तरह धुन देता.

इन्हीं दिनों रमन में एक और बुराई घर कर गई. वह दोस्तों के साथ जुआ खेलने लगा. उस ने घर में पैसे देने भी बंद कर दिए. कभीकभी तो वह फैक्ट्री में मिलने वाले सारे पैसे जुए में हार जाता, जिस से घर में कलह होती. रामपाल सासबहू के झगड़े व बेटे की मारपीट से पहले ही परेशान था. इस जुए की मुसीबत ने उसे और विचलित कर दिया. इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए उस ने रमन को घर से बेदखल कर दिया.

इस के बाद रमन सरिता व बेटी अनिका के साथ अलग घर में रहने लगा. अलग होने के बाद सरिता तो खुश थी. क्योंकि उसे सास के तानों, झूठी शिकायतों और जलीकटी बातों से छुटकारा मिल गया था. लेकिन रमन खुश नहीं था, क्योंकि घरगृहस्थी का सारा बोझ अब उसी के कंधों पर आ गया था.

रमन पाल को फैक्ट्री में मामूली तनख्वाह मिलता था. उस से उस का घर का खर्च पूरा नहीं हो पाता था. वह खानेपीने का सामान चौबेपुर कस्बे की एक दुकान से लाता था. इस दुकान का मालिक अखिल पाल था. अखिल पाल रमन का बचपन का दोस्त था. आठवीं कक्षा तक दोनों साथसाथ पढ़े थे. रमन अलग रहने लगा तो अखिल उस के घर आनेजाने लगा. अखिल शराब पीने का आदी था.

दोस्त के कर्ज में दबता गया रमन

घर आतेजाते अखिल की नजर रमन की खूबसूरत पत्नी सरिता पर जमने लगी. रूपयौवन से भरपूर सरिता को अखिल पाल जब भी देखता तो मदहोश हो उठता था. रमन के घर आने पर अखिल की निगाहें सरिता को ही ढूंढा करती थीं.

सरिता को पाने के लिए धीरेधीरे उस ने रमन पर अपना जाल फेंकना शुरू कर दिया. अखिल ने मामूली तनख्वाह पाने वाले रमन को भी शराब आदि पीने का शौक लगा दिया. रमन पाल को जब भी पैसों की जरूरत होती तो अखिल से उधार ले लेता था. अखिल के कर्ज के नीचे दबे होने के कारण रमन उस की किसी बात से इंकार नहीं करता था.

सरिता को पाने की चाहत में अखिल ने अपने उधार के रुपए मांगने के बजाय उसे घर का सामान तथा पैसे भी देने शुरू कर दिए. शराब की महफिल भी रमन के घर जमने लगी. हालांकि रमन अखिल पाल की विशेष कृपा के पीछे उस के इरादे से वाकिफ था, लेकिन आराम, सुविधा व पैसे के लालच में फंसे रमन ने अखिल को सरिता के साथ बैठने व बतियाने की खुली छूट दे दी.

शुरू में तो सरिता ने इस इस ओर ध्यान नहीं दिया, लेकिन जब अखिल मनमानी करने लगा तो सरिता का माथा ठनका. शराब के नशे में जब एक रोज उस ने सरिता का हाथ पकड़ा और उस के साथ छेड़छाड़ करने लगा तो सरिता ने उस के गाल पर तमाचा जड़ दिया और उसे घर के बाहर खदेड़ दिया. अपमानित हो कर अखिल वहां से चला गया.

अखिल ने सरिता द्वारा की गई बेइज्जती की शिकायत रमन से की तो वह गुस्सा हो गया. शराब पी कर वह घर आया और सरिता की जम कर पिटाई कर दी. इस के बाद तो यह सिलसिला ही चल पड़ा. रात को अकसर वह शराब पीने के बाद बात बेबात सरिता को पीटता और उस के साथ गालीगलौज करता. सरिता अच्छी तरह जानती थी कि रमन उस के साथ मारपीट अखिल के उकसाने पर करता है.

रमन सरिता को परोसना चाहता था दोस्तों के सामने

एक शाम शराब की बोतल ले कर अखिल अपने शराबी दोस्त रंजीत उर्फ गुल्लू के साथ रमन के घर आया. रमन उन दोनों से ऐसे गले मिला जैसे वे दोनों उस के सगे भाई हों. इस के बाद महफिल जमी और तीनों ने शराब पी. कुछ देर तीनों शोरशराबा करते रहे, फिर रमन घर के बाहर चला गया.

सरिता कमरे में अकेली थी और अपनी बेटी अनिका को थपकी दे कर सुलाने की कोशिश कर रही थी. तभी भड़ाक से दरवाजा खुला. सामने अखिल व रंजीत खड़े थे. उन दोनों की आंखों में वासना के डोरे तैर रहे थे. सरिता को उन दोनों ने दबोचना चाहा तो वह भाग कर रसोई में जा पहुंची. वे दोनों वहां भी आ पहुंचे.

बचाव के लिए सरिता ने रसोई में रखा चाकू उठा लिया और बोली, “चले जाओ वरना पेट में चाकू घुसेड़ दूंगी. भूल जाऊंगी कि तुम मेरे पति के दोस्त हो.’’

सरिता के ये तेवर देख कर अखिल और रंजीत डर गए. उन का नशा उड़नछू हो गया. कुछ देर बाद रमन घर वापस आया तो दोनों ने सरिता की शिकायत की.

इस पर रमन ने सरिता को फिर पीटा और बोला, “साली, हरामजादी, कुतिया तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरे दोस्तों से भिड़ने की. हम तीनों एक प्याला, एक निवाला हैं. हर चीज मिलबांट कर खाते हैं. तुझे उन की बात मान लेनी चाहिए थी.’’

पति की बेहूदा बात सुन कर सरिता गुस्से से बोली, “लोग अपनी इज्जत बचाने के लिए दूसरों का खून तक कर देते हैं और एक तुम हो जो पत्नी को यारों के सामने परोसना चाहते हो. छि घिन आती है तुम पर. धिक्कार है तुम्हारी मर्दानगी पर.’’

यह सुनते ही रमन दांत पीसते हुए बोला, “मादरचो…रंडी. मुझे पाठ पढ़ा रही है. बेइज्जत कर रही है. आज मैं तेरी हड्डीपसली एक कर दूंगा.’’ कहते हुए रमन इंसान से हैवान बन गया. उस ने सरिता को पीटपीट कर उस की देह सुजा दी.

क्या होगा जब सरिता के पिता को रमन की सच्चाई पता लगेगी? जानने के लिए पढ़ें Family Crime Story का अंतिम भाग.

पत्नी जब न बनी दोस्तों का बिछौना – भाग 2

रमन पाल शक के दायरे में था. यह बात इंसपेक्टर एस.एन. सिंह भी अपने सीनियर अधिकारियों को बता चुके थे, अत: डीएसपी तनु उपाध्याय व एएसपी राजेश कुमार पांडेय ने रमन पाल को सामने बिठा कर सरिता की हत्या के बारे में पूछताछ की.

शुरू में लगभग 2 घंटे तक वह पुलिस अधिकारियों को गुमराह करता रहा और बदमाशों द्वारा सरिता का अपहरण व हत्या की बात कहता रहा, लेकिन जब डीएसपी तनु उपाध्याय ने कड़ा रुख अपनाया तो रमन पाल टूट गया. फिर सरिता की हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया.

रमन पाल ने बताया कि उस ने सरिता की हत्या का षडयंत्र अपने 3 दोस्तों रंजीत उर्फ गुल्लू, अखिल पाल व सौरभ गौतम के साथ मिल कर रचा था. उन तीनों ने ही अपहरण का नाटक किया, फिर हम सब ने मिल कर सरिता को मार डाला. ये तीनों चौबेपुर कस्बा में पुराने शराब ठेका के पास रहते हैं.

हत्या की निकली हैरतअंगेज कहानी

रंजीत, अखिल व सौरभ को गिरफ्तार करने के लिए इंसपेक्टर एस.एन. सिंह की अगुवाई में पुलिस टीम बनाई गई. इस टीम ने शाम 5 बजे रंजीत, अखिल व सौरभ के घर दबिश दी, लेकिन तीनों अपने घर से फरार थे. इसी बीच किसी ने इंसपेक्टर एस.एन. सिंह को फोन पर सूचना दी कि रंजीत उर्फ गुल्लू अपने दोस्त अखिल पाल के साथ बेला विधूना रोड पर स्थित शिवली नहर पुल पर मौजूद हैं.

इस सूचना पर पुलिस टीम शिवली नहर पुल पर पहुंची और रंजीत व अखिल को गिरफ्तार कर लिया. उन दोनों को थाने लाया गया. थाने की हवालात में जब उन दोनों ने रमन पाल को देखा तो समझ गए कि अब उन के बचने का कोई रास्ता नहीं है. अत: उन दोनों ने भी हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया. सौरभ फरार हो गया था.

एसएचओ एस.एन. सिंह ने सरिता की हत्या का खुलासा करने व आरोपियों को गिरफ्तार करने की जानकारी एसपी बी.बी.जी.टी.एस. मूर्ति को दी तो उन्होंने तुरंत आननफानन में पुलिस लाइन में प्रैसवार्ता आयोजित की और हत्या का खुलासा कर दिया.

चूंकि हत्यारोपियों ने अपहरण व हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया था, अत: एसएचओ एस.एन. सिंह ने मृतका के पिता कमलेश पाल की तरफ से भादंवि की धारा 364/302/120बी के तहत रमन पाल, रंजीत उर्फ गुल्लू, अखिल पाल तथा सौरभ के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली तथा इन्हें विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया.

इन से की गई पूछताछ में एक ऐसी नारी की कहानी सामने आई, जो पति को सब कुछ मानती रही और उस के जुल्म सहती रही. उस की इसी कमजोरी का फायदा उठा कर उस का पति हैवान बन गया और उस ने पत्नी को मौत की नींद सुला दिया.

उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जिले का एक चर्चित कस्बा है- रूरा. यह उत्तर रेलवे का बड़ा स्टेशन भी है. व्यापारिक कस्बा होने के कारण यहां ज्यादातर एक्सप्रेस गाड़ियों का स्टापेज है. रूरा कस्बे से 3 किलोमीटर दूर एक गांव है- गहलों. कमलेश पाल इसी गांव का निवासी है. उस के परिवार में पत्नी विमला के अलावा 2 बेटियां तथा एक बेटा लाखन था. कमलेश पाल किसान था. किसानी से ही वह परिवार का भरणपोषण करता था. बड़ी बेटी के वह हाथ पीले कर चुका था. भाईबहनों में सरिता छोटी थी.

गरीब की दौलत उस की इज्जत होती है. कमलेश पाल भी गरीब था. सरिता उस की इज्जत थी. इस पर किसी की बुरी नजर पड़े, उस के पहले ही वह उस के हाथ पीले कर के निश्चिंत हो जाना चाहता था. अत: वह अपनी खूबसूरत और भोलीभाली बेटी के लिए सही लड़के की तलाश में जुट गया था. काफी दौड़भाग के बाद उस के कदम रमन पाल के घर जा कर रुके.

रमन के पिता रामपाल कानपुर नगर के थाना चौबेपुर के गांव पनऊपुरवा के रहने वाले थे. परिवार में पत्नी उमा पाल के अलावा 2 बेटे अमन व रमन थे. अमन का विवाह हो चुका था. वह गुड़गांव (हरियाणा) में किसी फैक्ट्री में काम करता था और वहीं अपने परिवार के साथ रहता था.

रमन अविवाहित था. वह चौबेपुर कस्बा स्थित लोहिया स्टार लिंगर फैक्ट्री में सफाई कर्मचारी था. कुछ उपजाऊ खेती की जमीन भी थी, जिस की रामपाल खुद देखभाल करता था. कुल मिला कर उस की आर्थिक स्थिति ठीकठाक थी.

रमन पाल सरिता के मुकाबले कम पढ़ालिखा था और उम्र में भी बड़ा था. लेकिन घर की माली हालत ठीक समझ कर व उसे काम पर लगा देख कर कमलेश पाल ने रमन को अपनी बेटी सरिता के लिए पसंद कर लिया था. फिर सामाजिक रीतिरिवाज से 17 फरवरी, 2018 को सरिता का विवाह रमन के साथ हो गया.

सरिता को किया जाने लगा प्रताड़ित

ससुराल आने के 2 दिन बाद तो सरिता को ऐसा नहीं लगा था कि वह कहीं नई जगह आ गई है. घर में आए मेहमानों के सामने सास का व्यवहार सरिता की उम्मीदों से अधिक अच्छा था, परंतु तीसरे ही दिन सुबहसुबह सास के तेवर बदले हुए थे. सास का वह रूप देख कर सरिता का मन आशंका से कांप उठा था.

डरतेडरते उस ने हिम्मत कर के सास से पूछा, “मुझ से कुछ गलती हो गई क्या मम्मी?’’

“गलती तुझ से नहीं मुझ से हुई है, जो तेरे कंगाल बाप की चिकनीचुपड़ी बातों में आ गई.’’

“ऐसा क्या किया है मेरे पापा ने, जो आप उन्हें मेरे सामने इस तरह बोल रही हैं.’’

“अच्छा, तो तेरा 2 दिन में ही इतना रुतबा हो गया कि मैं तेरे सामने तेरे दो कौड़ी के बाप को कुछ कहने की   हिम्मत न कर सकूं. तुझे सुनना ही है तो सुन अपने बाप की करतूत. उस ने मेरे बेटे का शादी में अपमान  किया है. हमारी हैसियत के मुताबिक उसे मोटरसाइकिल तो देनी ही चाहिए थी.

“शायद तुझे नहीं मालूम कि कई लोग मेरे घर के चक्कर काट रहे थे, जो लाखों रुपए का सामान देने का वादा कर रहे थे, लेकिन हमारी ही किस्मत फूटी थी, जो हम तेरे बाप की चिकनीचुपड़ी बातों में आ कर ठगे गए.’’ उमा तमक कर एक ही सांस में बोल गई.

यह सब सुन कर सरिता को ऐसा लगा, जैसे किसी ने उस के कानों में गर्म शीशा उड़ेल दिया हो. उसे सारा घर घूमता हुआ नजर आया. वह धम्म से वहीं जमीन पर बैठ गई. उस की आंखों से आंसुओं का सैलाब फूट पड़ा. उस दिन सरिता को पहली बार अपनी सास का असली चेहरा दिखा था. उस के पिता ने उस की शादी में अपनी हैसियत के अनुसार बहुत कुछ दिया था. जबकि शादी के पहले उस के सासससुर दहेज विरोधी थे और शादी के बाद कितना अंतर आ गया था उन के रवैए में. सरिता इसे अपने भाग्य का क्रूर मजाक ही समझ रही थी.

उधर उमा पाल बराबर बड़बड़ाए जा रही थी, “चल उठ, सुबहसुबह यह रोधो कर किसे नखरे दिखा रही है?’’

अपनी मां को चिल्लाते देख कर रमन पाल कमरे में आ गया था. उस ने उमा से पूछा था, “मम्मी, क्या हो गया, क्यों चिल्ला रही हो?’’

“क्या बताऊं बेटा, हमारे तो भाग्य ही फूट गए. मैं ने बहू से रसोई में काम करने को क्या कह दिया, इस ने तो मुझे ही बुराभला कह डाला.’’ उमा पाल भोली बन कर बेटे को बताने लगी थी.

उमा का इतना कहना था कि रमन पाल बिफर पड़ा. उस ने आव देखा न ताव घुटने में मुंह छिपा कर रो रही सरिता का चेहरा बाल पकड़ कर ऊपर उठाया और बोला, “2 कौड़ी की लड़की, तेरी इतनी हिम्मत कि इस घर में आते ही मेरी मां का अपमान करे. मैं तुझे तभी माफ करूंगा, जब तू मेरी मां के पैर पकड़ कर अपनी गलती की माफी मांगेगी.’’ इतना कहने के साथ ही रमन ने सरिता को अपनी मां के पैरों पर ढकेल दिया.

सरिता ने रोतेरोते सास से पूछा, “मम्मी, क्यों आप एक के बाद एक झूठ बोल कर मुझ से कलह कर रही हो. मैं ने कब आप से कुछ कहा. आप ही तो खुद मुझे व मेरे घर वालों को बुराभला कह रही थीं कि उन्होंने दहेज में मोटरसाइकिल नहीं दी. रसोई में काम करने की बात आप ने मुझ से कहां कही?’’

उमा कुटिल मुसकान लिए चुप रही. रमन ही गुस्से में बोला, “अगर मेरी मां ने तुझे यह सब कहा तो क्या गलत कहा. यदि तेरे बाप को मेरी हैसियत का खयाल होता तो शादी में मुझे बाइक जरूर देते.’’

सरिता तड़प कर बोली, “नहीं देंगे मेरे पिता मोटरसाइकिल. एक पैसा भी मैं उन से नही मांगूंगी. यदि मुझे तुम्हारे व तुम्हारे बेटे की ऐसी सोच का पता होता तो मैं भी शादी के लिए कभी हां न करती.’’

सरिता की इस बात को चुनौती मान कर रमन कमीनेपन पर उतर आया. उस ने सरिता पर लातघूंसों की बरसात शुरू कर दी. सरिता चुपचाप मार खाती रही. उस के सभी सुहाने सपने टूट गए थे. इस के बाद तो यह क्रम ही बन गया. सास झूठी शिकायत करती और रमन सरिता को बुरी तरह पीट देता था.

क्यों रमन अपने नई ब्याहता पत्नी पर इस कदर जुल्म करता था? क्या सरिता चुपचाप ये जुल्म सहती रहेगी? पढ़ें इस क्राइम स्टोरी के अगले अंक में.