पत्नी जब न बनी दोस्तों का बिछौना – भाग 1

जब अखिल मनमानी करने लगा तो सरिता का माथा ठनका. शराब के नशे में जब एक रोज उस ने सरिता का हाथ पकड़ा और उस के साथ छेड़छाड़ करने लगा तो सरिता ने उस के गाल पर तमाचा जड़ दिया और उसे घर के बाहर खदेड़ दिया. अपमानित हो कर अखिल वहां से चला गया.

एक शाम सरिता कमरे में अकेली थी और अपनी बेटी अनिका को थपकी दे कर सुलाने की कोशिश कर रही थी. तभी भड़ाक से दरवाजा खुला. सामने अखिल व रंजीत खड़े थे. उन दोनों की आंखों में वासना के डोरे तैर रहे थे. सरिता को उन दोनों ने दबोचना चाहा तो वह भाग कर रसोई में जा पहुंची. वे दोनों वहां भी आ पहुंचे.

बचाव के लिए सरिता ने रसोई में रखा चाकू उठा लिया और बोली, “चले जाओ वरना पेट में चाकू घुसेड़ दूंगी. भूल जाऊंगी कि तुम मेरे पति के दोस्त हो.’’

इस पर रमन ने सरिता को फिर पीटा और बोला, “साली, हरामजादी, कुतिया तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरे दोस्तों से भिड़ने की. हम तीनों एक प्याला, एक निवाला हैं. हर चीज मिलबांट कर खाते हैं. तुझे उन की बात मान लेनी चाहिए थी.’’

सरिता का पति रमन सिर से पांव तक कर्ज में डूबा था. इस कर्ज को उतारने के लिए वह सरिता को गलत रास्ते पर ढकेलने की कोशिश कर रहा था. सरिता उस की बात मानने को राजी नहीं थी. जिस से वह उसे आए दिन शराब पी कर पीटता था.

कानपुर देहात जिले के थाना शिवली के एसएचओ एस.एन. सिंह को सूचना मिली कि केशरी निवादा गांव के पास से सरिता नाम की विवाहित युवती का कुछ बदमाशों ने अपहरण कर लिया है और उसे जंगल की ओर ले गए हैं. यह सूचना 5 सितंबर, 2023 की रात 8 बजे सरिता के पति रमन पाल ने फोन के जरिए दी थी.

चूंकि खबर किडनैपिंग की थी, इसलिए इंसपेेक्टर एस.एन. सिंह पुलिस टीम के साथ जल्द ही घटनास्थल पहुंच गए. उस समय गांव के बाहर नहर की पक्की सड़क पर कुछ ग्रामीण मौजूद थे. उन ग्रामीणों में से एक व्यक्ति बदहवास हालत में निकल कर आया और एसएचओ से बोला, “साहब, मेरा नाम रमन पाल है, मेरी पत्नी सरिता का बदमाशों ने अपहरण कर लिया है. उसे जल्द ढूंढने की कोशिश करें. कहीं ऐसा न हो कि उस के साथ कोई अनहोनी हो जाए.’’ इतना कह कर वह फूटफूट कर रोने लगा.

इंसपेक्टर एस.एन. सिंह ने रमन पाल को धैर्य बंधाया, फिर पूरी घटना विस्तार से बताने को कहा. तब रमन पाल ने बताया कि वह चौबेपुर थाने के पनऊ पुरवा गांव का रहने वाला है. उस की ससुराल गहलों गांव में है.

आज वह पत्नी सरिता को लेने ससुराल गया था. वह सरिता व मासूम बेटी अनिका को बाइक पर बिठा कर अपने गांव की ओर शाम 7 बजे रवाना हुआ. जब वह केशरी निवादा गांव के पास मैथा नहर रोड पर गगनी देवी मंदिर के नजदीक पहुंचा, तभी 3 बदमाशों ने उस की बाइक रोकी और सरिता से छेड़खानी करने लगे. विरोध करने पर वे उस से उलझ गए और चाकू से हमला किया, जिस से उस का हाथ जख्मी हो गया और खून बहने लगा.

इस के बाद वे सरिता को उठा कर जंगल की ओर ले गए. कुछ देर तक वह समझ नहीं पाया कि क्या करे. थोड़ी देर बाद उस ने पहले ससुर कमलेश पाल को फिर पुलिस को सूचना दी. रमन पाल की बात पर विश्वास कर पुलिस ने सर्च औपरेशन शुरू कर दिया, लेकिन कोशिश बेकार रही. न तो सरिता का कुछ पता चला और न ही बदमाशों का. रात का गहरा अंधेरा भी छा गया था, अत: हताश हो कर पुलिस वापस थाने आ गई.

रमन पाल घायल था. उस के हाथ से खून बह रहा था. इंसपेक्टर एस.एन. सिंह ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शिवली में रमन पाल के हाथ की मरहमपट्टी कराई, फिर उसे थाने ले आए. बेटी सरिता के अपहरण की सूचना पा कर सुबह कमलेश पाल भी थाना शिवली पहुंच गया. वह बेहद दुखी था.

एसएचओ एस.एन. सिंह ने उस से पूछताछ की तो कमलेश पाल ने बताया कि उस का दामाद रमन पाल बेहद कमीना व नीच इंसान है. वह जुुआरी व शराबी भी है. मेरी बेटी को वह जानवरों की तरह पीटता है और भूखाप्यासा रखता है. वह इंसान नहीं, हैवान है. सरिता के अपहरण की वह नौटंकी कर रहा है. उस ने या तो सरिता को बेच दिया है या फिर उस के साथ कोई अनहोनी हुई है. सारा रहस्य रमन पाल के ही सीने में छिपा है.

कमलेश पाल की बात एसएचओ को भी सच लगी. क्योंकि घटनास्थल पर उन्हें अपहरण का कोई सबूत नहीं मिला था, न ही लूट की बात सच थी. क्योंकि सरिता के शरीर पर न तो आभूषण थे और न ही उन दोनों के पास नकदी थी. घटना का ऐसा गवाह भी नहीं था, जिस ने यह सब देखा हो. मासूम अनिका डरीसहमी थी. वह कुछ भी बोल नहीं पा रही थी.

एसएचओ एस.एन. सिंह को लगा कि रमन पाल कुछ छिपा रहा है. अत: उन्होंने उस से एक बार फिर पूछताछ शुरू की. लेकिन वह यही कहता रहा कि उस की पत्नी सरिता का बदमाशों ने अपहरण किया है. वह उसे कहां ले गए, क्या किया, उसे कुछ भी मालूम नहीं है.

सुबह 10 बजे शिवली थाने की पुलिस फिर से सरिता की खोज में घटनास्थल पहुंची. साथ में सरिता का पिता कमलेश व पति रमन पाल भी था. इस बार पुलिस ने बड़ी सावधानी से नहर के किनारे झाड़ियों व जंगल में सरिता को ढूंढना शुरू किया. डौग स्क्वायड भी मौके पर पहुंच कर झाड़ियों में सरिता की खोज शुरू कर दी.

खोजी कुत्ते से टीम को सफलता नहीं मिली, लेकिन खोज में जुटा शिवली थाने का सिपाही रामवीर हांफतादौड़ता हुआ आया और इंसपेक्टर एस.एन. सिंह से बोला, “सर, बबूल के पेड़ के नीचे एक युवती की लाश पड़ी है. आप वहां जल्दी चलिए.’’

इंस्पेक्टर एस.एन. सिंह पुलिसकर्मियों के साथ बबूल के पेड़ के पास पहुंचे. पेड़ के नीचे एक महिला का शव पड़ा था. उस के गले में पीला दुपट्टा लिपटा था. देख कर लग रहा था कि दुपट्टे से गला कस कर उस की हत्या की गई थी. उस के शरीर पर चोटों के निशान थे. कुछ पुराने जख्म भी थे. शव के पास ही चप्पल व टूटी चूड़ियां पड़ी थीं. देखने से ऐसा लग रहा था कि महिला का मृत्यु से पहले हत्यारों से संघर्ष हुआ था. महिला की उम्र 30 वर्ष के आसपास थी.

महिला के शव को जब कमलेश पाल ने देखा तो वह फफक पड़ा और इंसपेक्टर एस.एन. सिंह से बोला, “साहब, यह लाश मेरी बेटी सरिता की है.’’

रमन पाल ने भी लाश की शिनाख्त अपनी पत्नी सरिता के रूप में की और वह रोने धोने लगा. इंसपेक्टर एस.एन. सिंह ने उन दोनों को धैर्य बंधाया और जल्दी ही सरिता के हत्यारों को गिरफ्तार करने की तसल्ली दी.

एस.एन. सिंह ने सरिता की अपहरण के बाद हत्या किए जाने की सूचना पुलिस अधिकारियों को दी तो कुछ देर बाद ही एसपी बी.बी.जी.टी.एस. मूर्ति, एएसपी राजेश कुमार पांडेय तथा डीएसपी तनु उपाध्याय घटनास्थल पर आ गईं.

पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया तथा घटना के संबंध में एसएचओ एस.एन. सिंह से जानकारी हासिल की. निरीक्षण के बाद पुलिस अधिकारियों ने सरिता के शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल माती भिजवा दिया.

एक ही घुड़की में उगल डाला राज

मृतका सरिता के पिता कमलेश पाल तथा पति रमन पाल को थाने लाया गया. यहां डीएसपी तनु उपाध्याय ने कमलेश पाल से पूछताछ की तो उस ने कहा कि उस की बेटी का हत्यारा कोई और नहीं, उस का दामाद रमन पाल ही है. वह बेटी सरिता को शारीरिक रूप से प्रताड़ित करता था. रक्षाबंधन वाले दिन भी उस ने सरिता को खूब पीटा था. उस के बाद वह मायके आ गई थी. रमन पाल ने ही षडयंत्र रच कर अपने साथियों के साथ मेरी बेटी को मार डाला और पुलिस से बचने के लिए उस ने उस के अपहरण की झूठी कहानी गढ़ दी.

क्या रमन ने ही सरिता की हत्या की थी? जानने के लिए पढ़ें कहानी का अगला भाग.

एक जवान औरत की नौटंकी

एक जवान औरत की नौटंकी – भाग 3

रीता की तहरीर पर पुलिस ने दीपक कपूर व नीरू के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया. पुलिस ने नीरू को थाने बुला कर उस से पूछताछ की तो उस ने स्वीकार कर लिया कि अपनी सास की हत्या उसी ने की थी. दीपक का इस में कोई हाथ नहीं था, लेकिन पुलिस के सख्ती करने पर नीरू ने कुबूल किया कि हत्या में दीपक कपूर भी साथ था. फिर नीरू ने मीरा की हत्या की जो कहानी बताई, वह इस प्रकार थी:

प्रेमी गौरव कपूर की हत्या के बाद नीरू दुखी रहने लगी थी. इस के लिए वह सास को ही कुसूरवार मान रही थी. क्योंकि वही जेल में बंद पति से मिल कर उस के कान भरती थी. इसीलिए उस के पति ने गौरव को मरवा दिया था.

नीरू ने फैसला कर लिया था कि जिस तरह गौरव को तड़पा तड़पा कर मारा गया था, उसी तरह वह सास को भी तड़पा तड़पा कर मारेगी. सास की हत्या कैसे की जाए, इस बारे में उस ने दीपक के साथ सलाहमशविरा किया. फिर दोनों ने एक योजना बना ली. योजना के अनुसार 12 फरवरी, 2014 की शाम को उस ने दीपक को अपने घर बुला लिया. उस समय उस का बेटा कशिश भी घर पर था. बेटे को उस ने फोन रिचार्ज कराने के लिए घर से बाहर भेज दिया.

सास मीरा यादव उस समय कमरे में सोफे पर बैठी थी. नीरू ने सास के सिर पर जमीन में गड्ढा खोदने वाले सब्बल का भरपूर वार किया. एक ही बार में मीरा का सिर फट गया और वह सोफे पर लुढ़क गई. इस के बाद उस ने कई और वार उस के ऊपर किए. थोड़ी देर तड़पने के बाद मीरा यादव की मौत हो गई. सास की हत्या कर के नीरू को बड़ा सुकून मिला.

सास की हत्या करने के बाद सब्बल को उस ने छत पर रखे कूलर के पास छिपा कर रख दिया और दीपक के चले जाने के बाद पुलिस कंट्रोल रूम के 100 नंबर पर फोन कर के सास की हत्या की सूचना दे दी. जिस सब्बल से मीरा यादव की हत्या की गई थी, उसे बरामद करना भी जरूरी था.

नीरू ने बताया था कि वह सब्बल उस ने अपने घर में ही छिपा दिया है. थानाप्रभारी ने वह सब्बल बरामद करने के लिए एसआई हरिशंकर मिश्रा, राजेश यादव, महिला सिपाही श्यामा देवी और प्रीती शाक्य को नीरू यादव के साथ उस के फ्लैट पर भेजा. नीरू ने चौथी मंजिल पर स्थित फ्लैट में पहुंच कर छत पर रखे कूलर के पास छिपा कर रखा सब्बल निकाल कर पुलिस को दे दिया.

पुलिस फर्द बरामदगी की काररवाई करने लगी, तभी मौका देख कर नीरू अपने बेटे कशिश को ले कर कमरे में जाने लगी, तो महिला सिपाहियों ने उसे रोकने की कोशिश की. उसी दौरान उस ने अपने पालतू कुत्ते को उन पर छोड़ दिया. दोनों सिपाही डर के मारे पीछे हट गईं. मौका देख नीरू ने झट से अंदर से दरवाजा बंद कर लिया.

पुलिस ने आवाज लगा कर नीरू से दरवाजा खोलने को कहा, लेकिन उस ने दरवाजा नहीं खोला. इसी दौरान एसआई राजेश कुमार के पास थानाप्रभारी का फोन आया तो राजेश ने उन्हें नीरू वाली बात बताते हुए तुरंत फोर्स भेजने को कहा.

गौरव कपूर की हत्या की तफ्तीश पूरी होने से पहले पुलिस के सामने मीरा यादव की हत्या का मामला सामने आ गया था. इन बातों को देख कर थाना प्रभारी को यह अंदेशा हो रहा था कि कहीं कमरे में बंद हो कर नीरू कोई उल्टासीधा काम न कर बैठे, जिस से नई समस्या पैदा हो जाए. इसलिए वह आवश्यक पुलिस बल के साथ खुद भी उस के घर पहुंच गए. लेकिन वहां उस का कुत्ता खुला हुआ देख कर वह भी घबरा गए.

देखने में वह कुत्ता खतरनाक लग रहा था. हिम्मत कर के थानाप्रभारी आगे बढ़े तो कुत्ते ने उन पर हमला कर के उन्हें घायल कर दिया. किसी तरह कुत्ते को काबू में किया गया. उसी समय फ्लैट में जलने की बू आने लगी और धुआं निकलता हुआ दिखा. यह देख कर पुलिस के हाथपांव फूल गए, क्योंकि फ्लैट के अंदर नीरू अपने बेटे के साथ मौजूद थी.  पुलिस ने दरवाजा तोड़ना शुरू कर दिया.

किसी तरह 2 दरवाजे तोड़ने के बाद पुलिस अंदर पहुंची तो वहां आग लगी थी, धुआं फैला था. आसपास के फ्लैटों में रहने वाले लोगों ने अपने यहां से पानी ला कर आग बुझाई.  धुआं छटा तो नीरू और उस के 13 वर्षीय बेटे की तलाश शुरू की गई. दोनों कहीं नहीं दिखे तो बाथरूम का दरवाजा तोड़ा गया. मांबेटे वहीं मिले, लेकिन बाथरूम में काफी मात्रा में खून फैला हुआ था, वह खून उन की कलाई से बह रहा था. नीरू ने अपनी और बेटे की जान लेने की गरज से नस काट ली थी.

पुलिस ने तुरंत दोनों को एक निजी अस्पताल पहुंचाया. फलस्वरूप उन की जान बच गई. चूंकि नीरू सास की हत्या की अभियुक्त थी, इसलिए पुलिस उसे थाने ले आई. कत्ल के अलावा पुलिस ने उस पर पुलिस के काम में बाधा डालने, आत्महत्या का प्रयास करने तथा बेटे की नस काट कर हत्या का प्रयास करने की धाराएं 309, 353, 352, 307 भी जोड़ दीं.

पूछताछ करने के बाद पुलिस ने नीरू को अदालत पर पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. अगले दिन दीपक को भी गिरफ्तार कर लिया गया. उस ने भी हत्या की बात कुबूल कर ली. उसे भी न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया. दूसरी ओर दीपक के परिजनों का कहना है कि दीपक बेकुसूर है. उस का मीरा और नीरू से कोई लेनादेना नहीं था. उसे जबरदस्ती फंसा कर जेल भेजा गया है.

—कथा पुलिस सूत्रों, मीडिया रिपोर्टों पर आधारित

एक जवान औरत की नौटंकी – भाग 2

चूंकि नीरू का पति फिर से जेल चला गया था, इसलिए उस ने गौरव से फिर मिलना शुरू का दिया. यह खबर राजा को जेल में मिली तो वह सुन कर तिलमिला उठा. 6 फरवरी, 2014 की रात 10 बजे गौरव अपने घर पर ही था. उसी समय उस के पास किसी का फोन आया कि केबिल खराब है, आ कर देख लो. फोन आने के फौरन बाद गौरव बाइक ले कर निकल पड़ा. वह अभी सेंटर पार्क फजलगंज के पास पहुंचा था कि उसे कुछ लड़कों ने घेर लिया.

इस से पहले कि गौरव कुछ समझ पाता, उन लड़कों ने उस पर लातघूंसों और चाकू से हमला कर दिया. उन के पास तमंचे भी थे. कुछ लोगों ने यह नजारा देखा, लेकिन उन लोगों के हथियारों को देख कर किसी ने पास जाने की हिम्मत नहीं की. उसी दौरान किसी व्यक्ति ने 100 नंबर पर फोन कर के पुलिस को सूचना दे दी कि सेंटर पार्क में एक युवक को कुछ लोग बुरी तरह मार रहे हैं.

सूचना पा कर फजलगंज पुलिस मौके पर पहुंची तो हमलावर फरार हो गए. वहां एक युवक की लहूलुहान लाश पड़ी थी. पुलिस उसे हैलट अस्पताल ले गई. लेकिन तब तक वह मर चुका था. पुलिस ने जब तलाशी ली तो जेब में एक आइडेंटी कार्ड मिला. जिस में गौरव कपूर नाम लिखा था. आईडी कार्ड पर लगी फोटो मरने वाले युवक के चेहरे से मेल खा रही थी, इसलिए पुलिस को लगा कि मरने वाले का नाम गौरव कपूर ही है.

पुलिस ने आइडेंटिटी कार्ड में लिखे फोन नंबर पर काल किया तो पता चला कि वह फोन नंबर गौरव के घर का है. पुलिस ने उस के घर वालों को इस हादसे की सूचना दे दी. घर के लोग तत्काल अस्पताल आ गए. उस के घर वालों को सांत्वना देने के बाद थानाप्रभारी अनिल कुमार शाही ने मृतक के पिता राजेश कपूर से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि उन के बेटे की रंजिश राजा यादव से थी.

पिछले साल भी राजा ने गौरव पर जानलेवा हमला किया था. राजा को शक है कि उस की पत्नी नीरू के अवैध संबंध उस के बेटे से थे. राजा ने खुद या फिर अपने गुर्गों से उन के बेटे की हत्या कराई है. अभी पिछले महीने भी खोया मंडी में उस के गुर्गों ने गौरव पर हमला किया था, जिस की सूचना थाने में दर्ज कराई गई थी.

9 फरवरी, 2014 को गौरव का पोस्टमार्टम कराने के बाद उस की लाश उस के घर वालों को सौंप दी गई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि गौरव की बाईं कनपटी पर गोली मारी गई थी. वह गोली दाईं आंख के नीचे से निकल गई थी. उस की नाक की हड्डियां भी टूटी मिलीं थीं. उस के शरीर पर धार और नोंकदार हथियार के कुल 10 घाव मिले.

एक गहरा वार दिल तक गया था, जबकि दूसरे वार से किडनी को क्षति पहुंची थी. इस के अलावा उस के चेहरे, हिप और छाती पर भी धारदार हथियारों के कई घाव मिले. डाक्टर ने उस की मौत का कारण अधिक खून बह जाना माना था.  राजेश कपूर की तहरीर पर पुलिस ने राजा यादव के अलावा रानी गंज निवासी अभिलाष द्विवेदी और 4 अन्य लोगों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया था.

रिपोर्ट दर्ज करने के बाद पुलिस ने तहकीकात की तो पता चला कि राजा यादव पहले से ही जेल में है. थानाप्रभारी अनिल कुमार शाही ने मुखबिर व सर्विलांस के जरिए अभिलाष और अमित को दबोच लिया. पूछताछ में दोनों ने बताया कि राजा यादव को शक था कि गौरव कपूर के उस की पत्नी नीरू यादव से नाजायज संबंध हैं. इसी वजह से उस ने गौरव को मारने की सुपारी उन्हें दी थी.

फजलगंज पुलिस अभी इस मामले की जांच कर रही थी कि किसी ने 12 फरवरी, 2014 को नजीराबाद थाना क्षेत्र में शिवधाम अपार्टमेंट में रह रही राजा यादव की बूढ़ी मां मीरा यादव की दिनदहाड़े बेरहमी से हत्या कर दी. पुलिस को यह खबर मृतका की बहू नीरू यादव ने दी.

खबर पा कर नजीराबाद थानाप्रभारी सैय्यद मोहम्मद अब्बास अपने साथ सबइंसपेक्टर राजबहादुर सिंह, हरीशंकर मिश्रा, राजेश कुमार, कांस्टेबल नागेश कुमार, धर्मेश कुमार, श्यामा देवी व प्रीति शाक्य को ले कर घटनास्थल पर पहुंचे. पुलिस ने देखा कि सोफे पर एक बूढ़ी औरत खून से लथपथ पड़ी थी. मृतका 60 वर्षीया मीरा यादव थी. उस की सांस चल रही थी. आननफानन में फोन कर के एंबुलेंस बुला कर उसे हैलट अस्पताल पहुंचाया गया. डाक्टरों ने उस का तुरंत इलाज शुरू कर दिया. लेकिन वह बोलने की स्थिति में नहीं थीं. देर रात को उस ने दम तोड़ दिया.

पुलिस ने नीरू यादव से पूछताछ की तो उस ने बताया कि उस की ननद रीता नर्सिंगहोम में अपनी ड्यूटी पर गई थी. जबकि वह बाजार गई हुई थी. देर शाम जब वह बाजार से लौटी तो सास को बुरी तरह घायल पाया. सास को उस हालत में देख कर वह घबरा गई और उस ने यह सूचना पुलिस को दे दी. थानाप्रभारी सैयद मोहम्मद अब्बास ने जब उस से पूछा कि उस समय तुम्हारा बेटा कहां था तो नीरू ने बताया कि वह मोबाइल रिचार्ज कराने गया था.

थानाप्रभारी को इस बात पर हैरानी हुई कि घर में खतरनाक कुत्ता होते हुए भी कोई अनजान व्यक्ति वहां कैसे आ गया. जबकि कुत्ता खुला हुआ था. इस से पुलिस को लगा कि हत्या में जरूर किसी परिचित का हाथ है. क्षेत्राधिकारी नजीराबाद ममता कुरील भी मौके पर पहुंच गईं. उन्होंने नीरू से बात की तो उन्हें भी लगा कि वारदात में जरूर किसी जानने वाले का हाथ है.

पुलिस दोनों हत्याओं की गुत्थी सुलझाने में लगी थी कि 12 फरवरी की देर रात मीरा की बेटी रीता यादव ने पुलिस को लिखित तहरीर दी, जिस में लिखा था कि उस की मां की हत्या उस की भाभी नीरू ने गौरव कपूर के चचेरे भाई दीपक कपूर के साथ मिल कर की है. रीता ने पुलिस को बताया कि रात में जब वह ड्यूटी से घर लौटी तब नीरू और दीपक घर की सीढि़यों से उतर रहे थे. वह दीपक को अपने घर में देख कर चौंकी भी. बाद में जब वह घर के अंदर पहुंची तो मां खून से लथपथ पड़ी थी.

एक जवान औरत की नौटंकी – भाग 1

कानपुर के थाना नजीराबाद के लाजपत नगर का रहने वाला राजा यादव अपने इलाके का माना हुआ बदमाश था. उस के खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज थे और थाने में उस की हिस्ट्रीशीट खुली हुई थी. इस वजह से वह या तो अकसर घर से फरार रहता था या फिर जेल में. ऐसे बदमाश जमाने के सामने खुद को भले ही दबंग समझते हों, लेकिन सच्चाई यह है कि जब वे जेल से बाहर होते हैं तो उन के घर वालों का अमन चैन गायब रहता है. आए दिन उन्हें पुलिस से अपमानित होना पड़ता है.

राजा यादव के परिवार में पत्नी नीरू यादव और 3 वर्षीय बेटे कशिश के अलावा मां मीरा यादव थीं. उस के पिता केदारनाथ की कुछ दिनों पहले मौत हो चुकी थी. पति के अकसर जेल में बंद होने की वजह से उस की पत्नी नीरू को आर्थिक परेशानी उठानी पड़ रही थी. वह चूंकि पढ़ीलिखी थी, इसलिए एक जीवन बीमा कंपनी में एजेंट बन गई. इस काम में वह जीजान से मेहनत करने लगी तो उसे ठीकठाक आमदनी होने लगी.

नीरू जो काम करती थी वह ऐसा था, जिस की वजह से उसे दिन में अकसर बाहर रहना पड़ता था. उस की सास मीरा यादव को यह पसंद नहीं था कि बहू घर से बाहर घूमे. लेकिन वह यह भी समझती थी कि बहू के कमाने से ही घर का खर्च चल रहा है, इसलिए वह चाहते हुए भी नीरू को घर से बाहर घूमने से मना नहीं कर पाती थी.

मीरा यादव की 2 बेटियां थीं, जिन में से एक नवाबगंज, कानपुर में ब्याही थी, जबकि छोटी रीता यादव की शादी देहरादून में हुई थी. लेकिन पति से विवाद के चलते वह पिछले एक साल से मायके में रह रही थी. किसी पर बोझ न बने, इसलिए वह एक प्राइवेट नर्सिंगहोम में नौकरी करती थी.

कानपुर के ही थाना फजलगंज के अंतर्गत दर्शनपुरवा के रहने वाले राजेश कपूर के परिवार में पत्नी के अलावा 2 बेटे गौरव उर्फ गगन कपूर और प्रतीक कपूर थे. प्रतीक 8वीं में पढ़ता था जबकि गौरव बीए सेकेंड ईयर में. गौरव पढ़ाई के साथसाथ अपने चाचा के काम में हाथ बंटाता था. उस के चाचा केबिल औपरेटर थे. पूरे इलाके में उन के ही केबिल की सर्विस थी. गौरव कंप्लेंट डील करता था. कंज्यूमर की शिकायत आने पर वही शिकायत करने वाले के घर जा कर केबिल वगैरह चेक कर के शिकायत का निपटारा करता था.

पिछले साल जनवरी की बात है. नीरू के टीवी पर कोई भी चैनल नहीं आ रहा था. उस ने गौरव कपूर को फोन कर के शिकायत की कि उस के यहां केबिल नहीं आ रहा है. कंप्लेंट मिलने पर गौरव नीरू यादव के घर गया. उस समय नीरू की सास मीरा यादव कहीं गई हुई थीं और बेटा कशिश स्कूल में था. घर पर नीरू अकेली थी. 34 साल की नीरू भले ही एक बच्चे की मां थी, लेकिन अभी भी वह जवान थी. पति के अकसर घर से बाहर रहने की वजह से उस की शारीरिक भूख पूरी नहीं हो पाती थी.

गौरव कपूर गोराचिट्टा औसत कदकाठी का बलिष्ठ युवक था. वह पढ़ालिखा भी था. उसे देख कर उस की कामना जागी तो उस ने गौरव को अपने मन में बसा लिया. गौरव ने जब केबिल ठीक कर दिया तो नीरू ने उस की खूब खातिर की और प्यार भरी बातें भी. चायपानी के बाद गौरव जब वहां से जाने लगा तो नीरू बोली, ‘‘अब कब आओगे?’’

‘‘जब भी आप के यहां केबिल न आने की शिकायत मिलेगी, चला आऊंगा. हम तो आप के नौकर हैं.’’

‘‘मैं तुम्हें नौकर नहीं समझती, यह तो तुम्हारा काम है. तुम मुझे यह बताओ कि क्या केबिल ठीक करने ही आ सकते हो या ऐसे भी? अरे, मैं भी पंजाबन कुड़ी हूं. राजा से लवमैरिज की तो यादव बन गई. कम से कम अपना समझ कर ही आ जाया करो.’’ नीरू ने कहा तो गौरव बोला, ‘‘ठीक है, आप जब भी बुलाएंगी, मैं चला आऊंगा.’’

नीरू गौरव से जिस तरह अपनेपन से बातें कर रही थी, उस से उस ने यही अनुमान लगाया कि शायद वह उस का बीमा करना चाहती है. 2 दिनों बाद ही नीरू ने गौरव को अपने यहां बुलाया और बीमा की बातों के बजाय और बहुत सारी बातें कीं. इस के बाद नीरू जब भी अकेली होती, उसे बुला कर प्यार भरी बातें करती. इस से गौरव समझ गया कि नीरू का इरादा कुछ और ही है. फिर क्या था, गौरव ने भी खुद को नीरू के रंग में रंगना शुरू कर दिया. यानी उस का झुकाव भी नीरू की तरफ हो गया.

इस के बाद दोनों के मिलने का सिलसिला शुरू हो गया. नीरू गौरव को कभी रेस्टोरेंट में ले जाती तो कभी उसे अपने घर बुला कर उस के साथ घंटों तक बातें करती. मीरा यादव को बहू की यह आदत अच्छी नहीं लगती थी. उस ने नीरू को कई बार समझाया भी, लेकिन उस ने गौरव से मिलना नहीं छोड़ा. इस पर मीरा यादव बहू पर बदचलनी का लांछन लगाने लगी. लेकिन नीरू ने सास की बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया, वह गौरव से लगातार मिलती रही.

धीरेधीरे दोनों बेहद करीब आ गए. इस बीच मीरा ने बहू की बातें जेल में बंद अपने बेटे राजा यादव तक पहुंचा दी थीं. पत्नी की बदचलनी की बात सुन कर राजा को गुस्सा तो बहुत आया, लेकिन जेल में बंद होने की वजह से वह कड़वा घूंट पी कर रह गया.

कुछ दिनों बाद जब राजा जेल से जमानत पर बाहर आया तो सब से पहले उस ने पत्नी की खबर ली. फिर वह गौरव की तलाश में लग गया. अक्तूबर, 2013 में एक दिन लाजपत नगर में उसे गौरव दिख गया तो राजा ने उसे जम कर पीटा और गोली मार दी. गोली लगने से गौरव बुरी तरह घायल हो गया. उसे उस के घर वालों ने अस्पताल में भरती कराया. गौरव के बयान के आधार पर थाना नजीराबाद में राजा यादव के खिलाफ जान से मारने की कोशिश की रिपोर्ट दर्ज हुई. पुलिस ने राजा को गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया. अस्पताल में कुछ दिनों इलाज कराने के बाद गौरव कपूर ठीक हो कर घर आ गया.

प्यार की वो आखिरी रात

दो बहनों का एक प्रेमी

शादी के नाम पर ऐसे होती है ठगी

प्यार की वो आखिरी रात – भाग 4

प्यार की थी वो आखिरी रात

रात 9 बजे के पहले ही दीपक जागेश्वर मंदिर परिसर पहुंच गया और बरखा की काल आने का इंतजार करने लगा. इधर बरखा व घर के अन्य सदस्य खाना खा कर आए ही थे सो सब सोने चले गए. बरखा, उस के दोनों बच्चे, बहन व मां एक कमरे में लेट गए. जबकि उस के पिता दूसरे कमरे में.

रात 10 बजे तक सभी गहरी नींद में सो गए. लेकिन बरखा को नींद कहां थी. वह छत पर जा कर चहलकदमी करने लगी. छत पर स्थित कमरे की भी उस ने साफसफाई कर दी थी.

रात करीब साढ़े 10 बजे बरखा ने दीपक को काल की और घर के दरवाजे पर आने को कहा. फोन पर बतियाते बरखा और दीपक दरवाजे पर आए. बरखा ने दरवाजा खोल कर दीपक को घर के अंदर कर लिया. इस के बाद वह दीपक को छत पर बने कमरे में ले आई. यहां दोनों ने पहले शारीरिक भूख मिटाई, फिर आपस में बतियाने लगे.

दीपक बोला, “बरखा, मैं तुम से बेइंतहा प्यार करता हूं. तुम्हारे बिना अब नहीं रह सकता. तुम मेरे साथ भाग चलो. हम दोनों अपनी नई दुनिया बसा लेंगे. इस बार हम इतनी दूर जाएंगे, जहां कोई हमें खोज न पाएगा.”

“दीपक अब यह सब संभव नहीं. अब मैं एक नहीं 2 बच्चों की मां हंू. छोटा बेटा बस 9 महीने का है. उसे छोड़ कर मैं तुम्हारे साथ नहीं जा सकती. फिर भागने से 2 परिवारों की इज्जत भी मिट्टी में मिल जाएगी. मेरा तुम्हारा मिलन जैसे आज हुआ है, वैसा आगे भी होता रहेगा. मैं भी तुम्हारे लिए तड़पती रहती हूं. तुम सदा हमारे दिल में रहते हो.”

“लेकिन मुझे अब छिपछिप कर मिलना पसंद नहीं है. तुम्हें मेरे साथ आज ही चलना होगा. नहीं चली तो अनर्थ हो जाएगा.”

“क्या अनर्थ हो जाएगा. मुझे मार डालोगे क्या?” बरखा गुस्से से बोली.

“हां, मैं तुझे मार डालूंगा और खुद को भी मिटा लूंगा,” दीपक भी गुस्से से भर उठा.

बरखा ने दीपक की बात को मजाक समझा और हंसने लगी. इस पर दीपक का गुस्सा और बढ़ गया. उस ने उस का गला पकड़ा और कसने लगा. बरखा बेहोश हुई तो दीपक ने जेब से चाकू निकाल लिया और बरखा का गला रेत दिया.

प्रेमिका की हत्या करने के बाद दीपक चला गया. प्रेमिका के घर से दीपक गुरुदेव चौराहे पर आया. यहां से आटो पर बैठ कर झकरकटी आया. अब तक वह ग्लानि व पकड़े जाने के डर से घबराने लगा था. कुछ देर वह झकरकटी पुल के नीचे रेल लाइन के किनारे बैठा रहा फिर देर रात रेल से कट कर आत्महत्या कर ली.

मायके में लहूलुहान मिली बरखा

इधर रात लगभग 12 बजे बरखा का मासूम छोटा बेटा जाग गया. भूख से वह रोने लगा तो सरला की आंखें खुल गईं. उस ने छोटी बेटी कल्पना को जगा कर कहा कि देखो बरखा कहां है? उस का बच्चा भूख से रो रहा है.

कल्पना बरखा को खोजती छत पर गई तो वहां कमरे में बरखा की खून से तरबतर लाश देख कर वह चीख पड़ी. उस की चीख सुन कर सरला वहां पहुंची फिर उस का पति ओमप्रकाश सैनी. दोनों बेटी का शव देख कर अवाक रह गए.

ओमप्रकाश सैनी ने पहले बरखा के पति कृष्णकांत को मौत की सूचना दी फिर थाना नवाबगंज पुलिस को बेटी की हत्या की खबर दी. सूचना पाते ही एसएचओ प्रमोद कुमार पांडेय पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर आ गए. उन की सूचना पर पुलिस कमिश्नर बी.पी. जोगदंड, एडिशनल डीसीपी (सेंट्रल) आरती सिंह तथा एसीपी (कर्नलगंज) मो. अकलम भी घटनास्थल आ गए.

पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. मृतका बरखा की उम्र 30 वर्ष के आसपास थी. उस की हत्या चाकू जैसे किसी नुकीले हथियार से की हुई लग रही थी. घटनास्थल से पुलिस को मृतका का मोबाइल फोन मिला, जिसे अधिकारियों ने अपनी सुरक्षा में ले लिया.

अब तक मृतका का पति कृष्णकांत तथा उस के मातापिता भी आ गए थे. पुलिस अधिकारियों ने मृतका के माता पिता तथा पति से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि रात 9 बजे तक सब कुछ सामान्य था. उस के बाद सब सो गए. आशंका है कि रात में बदमाश लूटपाट के इरादे से घुसे, शायद बरखा जाग गई तो उन्होंने उस का गला रेत दिया. पूछताछ के बाद अधिकारियों ने शव को पोस्टमार्टम के लिए लाला लाजपत राय अस्पताल भिजवा दिया.

रेलवे लाइनों में मिली दीपक गुप्ता की लाश

ओमप्रकाश सैनी के घर के ठीक सामने जागेश्वर मंदिर है. वहां सीसीटीवी कैमरे लगे थे. पुलिस अधिकारियों ने फुटेज चैक किए तो रात करीब साढ़े 10 बजे एक युवती फोन पर बतियाते घर से बाहर निकलते दिखाई दी. दूसरी तरफ एक युवक घर में प्रवेश करते दिखा. इस के बाद रात 11:35 पर वही युवक घर से बाहर जाते दिखा.

यह फुटेज ओमप्रकाश सैनी व कृष्णकांत को दिखाया गया तो उन्होंने बताया कि फोन पर बतियाती युवती उन की बेटी बरखा है. कृष्णकांत ने बताया कि फोन पर बतियाते दिख रहा युवक उस की पत्नी बरखा का प्रेमी दीपक गुप्ता है, जो उस के पड़ोस में रहता है.

इंसपेक्टर प्रमोद कुमार ने बरखा के फोन से दीपक को काल की तो जीआरपी थाने के एक सिपाही ने काल रिसीव की. उस ने बताया फोन धारक ने रेल से कट कर आत्महत्या की है. उस का शव अज्ञात में पोस्टमार्टम हाउस भेजा जा चुका है. दीपक के पिता विमल गुप्ता से शव की शिनाख्त कराई गई तो उन्होंने शव को तुरंत पहचान लिया.

पुलिस ने बरखा और दीपक के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाई तो पता चला कि मरने से पहले दोनों के बीच 23 बार बात हुई थी. पिछले 2 महीने में दोनों के बीच 500 बार बात मोबाइल फोन पर हुई थी. जांचपड़ताल से स्पष्ट था कि दीपक ने ही पहले प्रेमिका की हत्या की फिर खुद रेल से कट कर आत्महत्या कर ली.

मृतका बरखा के पति कृष्णकांत ने पत्नी की हत्या की रिपोर्ट दीपक के खिलाफ दर्ज कराई. लेकिन दीपक द्वारा भी आत्महत्या कर लेने से पुलिस ने इस मामले को बंद कर दिया.

कथा संकलन तक मृतका के दोनों बच्चे नानानानी के पास पल रहे थे. कृष्णकांत को अपने बच्चों की चिंता सता रही थी. वह उन का पालनपोषण स्वयं करना चाहता है. इस के लिए उस के मांबाप भी राजी हैं.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

दो बहनों का एक प्रेमी – भाग 3

जिस जगह शमीम बानो का कत्ल हुआ था, वहां घनी आबादी थी. शमीम का गला तो रेता ही गया था. उस के हाथ की अंगुली भी कटी हुई थी. इस का मतलब था कि मृतका का हत्यारों से संघर्ष हुआ था और उसी की वजह से उस की अंगुली कटी थी. आश्चर्य की बात यह थी कि इस के बावजूद किसी ने शोरशराबे की आवाज नहीं सुनी थी.

शमीम की हत्या किस ने और क्यों की, यह बात किसी की समझ में नहीं आ रही थी. पुलिस ने इस मुद्दे पर गहराई से सोचा तो उस की निगाह रूबीना पर गई, क्योंकि शमीम और रूबीना की अच्छी दोस्ती थी. उसी ने उसे दिल्ली के किसी लड़के से मिलवाया था.

पुलिस ने इस पहलू पर भी गौर किया कि कहीं रूबीना कोई सैक्स रैकेट तो नहीं चलाती है. क्योंकि उस स्थिति में उस के रैकेट में शमीम के भी शामिल होने की संभावना हो सकती थी. साथ ही यह भी कि लेनदेन के किसी विवाद की वजह से शमीम की हत्या हो सकती थी.

शमीम की हत्या के मामले में कई दिनों तक अटकलों का बाजार गरम रहा. जितने मुंह उतनी बातें. पुलिस ने रूबीना से भी पूछताछ की. लेकिन रूबीना और शमीम की भाभी जरीना ने जो बयान दिए, उस ने आफरीन को ही कटघरे में ला कर खड़ा कर दिया.

रूबीना ने बताया कि आफरीन अपने चचेरे भाई सिद्दीक से प्यार करती थी. एक बार वह घर से 50 हजार रुपए ले कर सिद्दीक के साथ भाग भी चुकी है. वह सिद्दीक से शादी करना चाहती थी, लेकिन शमीम मना करती थी. उस का कहना था कि सिद्दीक एक तो कुछ कमाता नहीं है, ऊपर से लोफरलंपट स्वभाव का है.

रूबीना की भाभी जरीना ने बताया कि वह 4 बजे के आसपास शमीम के घर अपना सब्जी वाला डोंगा लेने गई थी. तब आफरीन घर में ही थी और उस ने दरवाजा नहीं खोला था. इस पर जरीना ने खिसिया कर कहा था कि कोई अंदर है क्या, जो तू दरवाजा नहीं खोल रही है. जवाब में आफरीन ने कहा था कि अप्पी घर में नहीं है, वह गेट नहीं खोलेगी.

जरीना ने अपना डोंगा मांगा तो उस ने गेट के ऊपर से उस का डोंगा थमा दिया. डोंगा ले कर वह अपने घर लौट आई थी. शाम 6 बजे के करीब जब जरीना खीर ले कर गई तो आफरीन ने दरवाजा खोल दिया और खीर लेने के बाद बोली, ‘‘भाभी, मेरी अप्पी को देख लो. किसी ने उस का गला काट दिया है.’’

जरीना और रूबीना के इस बयान के बाद शक की सुई आफरीन की तरफ घूम गई. सच्चाई की तह तक जाने के लिए पुलिस ने मुखबिरों का जाल बिछाया तो पता चला कि आफरीन साढ़े 4 बजे अपने घर से निकल कर सामने वाली पान की गुमटी पर आई थी और उस ने वहां से पान मसाला और सिगरेट लिया था. दुकानदार ने उस से पूछा भी था कि क्या कोई आया है. इस पर उस ने बताया था कि कुछ मेहमान आए हैं, उन्हीं के लिए ले जा रही हूं.

ये बातें पता चलने के बाद थानाप्रभारी आलोक कुमार ने आफरीन का मोबाइल अपने कब्जे में ले लिया. यहां स्पष्ट कर दें कि शमीम के पिता अब्दुल रशीद इस मामले में सिराज को दोषी ठहरा रहे थे और वह उस तसवीर को सिराज की बता रहे थे, जो आफरीन ने पुलिस को दी थी.

पुलिस ने वह तसवीर रूबीना सहित मोहल्ले के कई लोगों को दिखाई, लेकिन उसे किसी ने भी नहीं पहचाना. लोगों ने बताया कि तसवीर वाले लड़के को न तो कभी शमीम के घर पर देखा गया था और न ही वह कभी उसे मोहल्ले में दिखाई दिया था.

अगले दिन पोस्टमार्टम के बाद शमीम का शव सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया. दूसरी ओर पुलिस सिराज की तलाश में तो लगी ही थी, साथ ही उस ने आफरीन और शमीम के फोन नंबरों की काल डिटेल्स भी निकलवा ली थीं. आफरीन की काल डिटेल्स में एक नंबर पर बहुत ज्यादा बातें हुई थीं. पुलिस ने उस नंबर का पता किया तो वह सिद्दीक का निकला.

तीसरे दिन शमीम का तीजा होने के बाद देर रात को पुलिस ने आफरीन, उस के पिता अब्दुल रशीद और भाई अतीक को उठा लिया. थाने में तीनों से बारीबारी से लंबी पूछताछ की गई. अंतत: पुलिस के सवालों से घबरा कर आफरीन टूट गई. उस ने अपने बयान में बताया कि कुछ दिनों पहले शमीम के संबंध सिद्दीक से थे.

बाद में सिद्दीक को शमीम की जगह उस से प्यार हो गया था. शमीम उन दोनों के प्यार में रोड़ा बन रही थी, इसलिए उस ने अपना रास्ता साफ करने के लिए सिद्दीक के साथ मिल कर बहन की हत्या करने की योजना बनाई.

इस योजना के मुताबिक सिद्दीक 11 दिसंबर, 2013 को बाजार से तीन पैकेट बिरयानी ले कर आया. उस ने एक पैकेट में पहले ही नशीली दवा मिला दी थी. नशीले पदार्थ वाली बिरयानी उन्होंने शमीम को दे दी और एकएक पैकेट दोनों ने ले लिए.

बिरयानी खाने के बाद शमीम अर्धबेहोशी में चली गई. उस के हाथपैर उस के वश में नहीं रहे. यह देख सिद्दीक और आफरीन ने मिल कर उस का गला रेत दिया. शमीम पर दवा का इतना ज्यादा असर था कि वह चीख भी नहीं सकी. अर्धबेहोशी के उसी आलम में उस ने अपने हाथ चला कर बचाने की कोशिश की थी, जिस से उस के हाथ की अंगुली में जख्म आ गया था.

शमीम के मरने के बाद सिद्दीक बाहर निकलने के लिए उपयुक्त समय का इंतजार करता रहा. जब सूरज छिप गया और अंधेरा घिर आया तो वह चुपचाप बाहर निकल गया. आफरीन के इस बयान के बाद पुलिस ने देर रात सिद्दीक को उस के घर इफ्तखाराबाद से गिरफ्तार कर लिया और आफरीन के पिता तथा भाई को छोड़ दिया.

16 दिसंबर को आफरीन की डाक्टरी जांच कराई गई, जिस में वह 3 महीने की गर्भवती पाई गई. डाक्टरी जांच के बाद सिद्दीक और आफरीन को अदालत में पेश कर के जेल भेज दिया गया. कथा लिखे जाने तक दोनों जेल में थे.

— कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित