21 फरवरी की सुबह अपना कालेज बैग ले कर रूबी कालेज जाने के लिए घर से निकली और इलकल से बस पकड़ कर वह रात साढ़े 9 बजे बंगलुरु एयरपोर्ट पर पहुंच गई. वहां सुजाय उस का पहले से इंतजार कर रहा था.
रूबी और सुजाय ने जब पहली बार एकदूसरे को हकीकत में देखा तो रूबी उस के सीने से लिपट गई. दोनों के दिल करीब आए तो धड़कनें स्वाभाविक ही बढ़ गईं. चूंकि वह सार्वजनिक जगह थी, इसलिए उन्होंने न चाहते हुए भी खुद को कंट्रोल किया. सुजाय ने बंगलुरु से दिल्ली तक की जेट एयरवेज की 2 टिकटें पहले से बुक कर रखी थीं. वहां से दोनों फ्लाइट से रात करीब डेढ़ बजे दिल्ली आ गए.
चूंकि दोनों पहली बार मिले थे, इसलिए सुजाय उस से जी भर कर बातें करना चाहता था. इसलिए रूबी को ले कर दिल्ली एयरपोर्ट के नजदीक महिपालपुर इलाके में गया और वहां स्थित एक गेस्टहाउस में एक कमरा बुक करा लिया. रूबी ने अपना फोन स्विच्ड औफ कर दिया था, ताकि घर वाले उसे ढूंढ़ न सकें.
कोई भी जवान लड़कालड़की, जो आपस में सगेसंबंधी न हों, अगर उन्हें लंबे समय तक एकांत में रहना पड़ जाए तो उन के बहकने की आशंकाएं अधिक होती हैं. रूबी और सुजाय तो प्रेमीप्रेमिका थे, इसलिए गेस्टहाउस के कमरे में वे इतने नजदीक आ गए कि उन के बीच की सारी दूरियां मिट गईं.
उधर रूबी शाम तक घर नहीं लौटी तो घर वालों को उस की चिंता हुई. उन्होंने उस का फोन मिलाया, वह स्विच्ड औफ मिला. इस के बाद उन का परेशान होना लाजिमी था. वैसे भी कोई जवान बेटी घर वालों से बिना कुछ बताए गायब हो जाए तो मांबाप की क्या स्थिति होगी, इस बात को रूबी की अम्मी और अब्बू ही महसूस कर रहे थे.
उन्होंने रूबी के बारे में संभावित जगहों पर फोन कर के पता किया, लेकिन जब उस के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली तो वह थाना इलकल पहुंच गए और 22 वर्षीया रूबी की गुमशुदगी दर्ज करा दी. रूबी के पिता ने बेटी के गायब होने की सूचना दर्ज करा जरूर दी थी, लेकिन उन्हें इस बात पर यकीन नहीं हो रहा था कि पुलिस बेटी के बारे में कुछ पता लगा पाएगी. बेटी की चिंता में उन्हें नींद नहीं आई.
अगले दिन 22 फरवरी को भी वह अपने तरीके से बेटी को खोजने लगे. तभी सुबह 10 बजे उन के मोबाइल की घंटी बजी. उन्होंने धड़कते दिल से काल रिसीव कर के जैसे ही हैलो कहा, दूसरी ओर से रौबदार आवाज में कोई आदमी बोला, ‘‘तुम रूबी के लिए परेशान हो रहे हो न..?’’
उस की बात पूरी होने से पहले ही रूबी के पिता बोले, ‘‘हां…हां, कहां है मेरी बेटी?’’
‘‘वह जिस के पास है, हमें पता है. वे लोग इतने खतरनाक हैं कि अगर उन की मांग नहीं मानी गई तो वे लड़की को खत्म कर देंगे या फिर उसे किसी कोठे पर बेच देंगे.’’ फोन करने वाले ने कहा.
‘‘मेरी बेटी को कुछ नहीं होना चाहिए. मैं उन की सारी मांगें मानूंगा. मगर यह तो बता दो कि जिन के पास मेरी बेटी है, वे लोग मुझ से चाहते क्या हैं?’’
‘‘10 पेटी. यानी 10 लाख रुपए दे दो और बेटी को ले जाओ. एक बात का ध्यान रखना, यह बात पुलिस को पता नहीं लगनी चाहिए, वरना बेटी को कफन ओढ़ाने की नौबत आ जाएगी. पैसे ले कर कब और कहां आना है, बाद में बता दिया जाएगा. और पैसे ले कर अकेले ही आना.’’ कहने के बाद फोन काट दिया गया.
फोन पर बात करने के बाद रूबी के पिता को यह तो पता चल गया कि बेटी का किसी ने अपहरण कर लिया है. लेकिन उन के दिमाग में एक दुविधा यह भी थी कि वह इस मामले की खबर पुलिस को दें या नहीं? क्योंकि पुलिस में सूचना देने पर अपहर्त्ता ने उन्हें अंजाम भुगतने की चेतावनी दी थी. उन की पत्नी ने पुलिस को खबर न करने को कहा, जबकि सगेसंबंधियों और दोस्तों ने पुलिस के पास जाने की सलाह दी.
फिर वह काफी सोचनेसमझने के बाद पुलिस के पास पहुंच गए. उन्होंने इलकल के थानाप्रभारी को वह मोबाइल नंबर भी दे दिया, जिस से उन के मोबाइल पर फिरौती का फोन आया था.
थानाप्रभारी ने उन की तहरीर पर एफआईआर नंबर 33/2014 भादंवि की धारा 364ए के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी. जिस नंबर से फिरौती की काल आई थी, थानाप्रभारी ने उस नंबर को इलैक्ट्रौनिक सर्विलांस पर लगाया तो उस की लोकेशन दिल्ली की मिली. थानाप्रभारी ने यह बात अपने उच्चाधिकारियों को बताई.
बगालकोट जिले में एक आईपीएस अधिकारी हैं मिस्टर मार्टिन. मार्टिन दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के डीसीपी कुमार ज्ञानेश से अच्छी तरह परिचित थे. उन्होंने आईपीएस अधिकारी कुमार ज्ञानेश से फोन पर बात कर के रूबी को सकुशल बरामद कराने में सहयोग मांगा.
चूंकि मामला अंतरराज्यीय था, इसलिए कुमार ज्ञानेश ने क्राइम ब्रांच के अतिरिक्त आयुक्त रविंद्र यादव की जानकारी में यह बात लाई. दिल्ली पुलिस इस से पहले भी दूसरे प्रदेशों में बड़े अपराध कर के भागे अनेक अभियुक्तों को गिरफ्तार कर के संबंधित राज्यों की पुलिस के हवाले कर चुकी थी.
इसलिए अतिरिक्त आयुक्त रविंद्र यादव ने कर्नाटक पुलिस का सहयोग करने के लिए क्राइम ब्रांच की एंटी स्नैचिंग सेल के इंसपेक्टर सुशील कुमार की अध्यक्षता में एक पुलिस टीम बनाई, जिस में एसआई सुरेंद्र दलाल, एएसआई मुकेश त्यागी, हेडकांस्टेबल राजबीर सिंह, ऋषि कुमार आदि को शामिल किया. टीम का निर्देशन डीसीपी कुमार ज्ञानेश को सौंपा गया.
उधर कर्नाटक पुलिस के इंसपेक्टर रविंद्र शिरूर, एसआई प्रदीप तलकेरी, बस्वराज लमानी की टीम 23 फरवरी, 2014 को दिल्ली पुलिस के क्राइम ब्रांच औफिस पहुंच गई. टीम के साथ रूबी का बहनोई भी था. जिस मोबाइल नंबर से अपहर्त्ता ने रूबी के पिता को फिरौती की काल की थी, उस नंबर को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने भी इलैक्ट्रौनिक सर्विलांस पर लगा दिया था. उस की लोकेशन लगातार महिपालपुर इलाके की आ रही थी.
महिपालपुर के जिस इलाके की फोन की लोकेशन आ रही थी, उस इलाके में अनेक गेस्टहाउस और होटल थे. पुलिस ने अनुमान लगाया कि शायद अपहर्त्ताओं ने लड़की को किसी गेस्टहाउस या होटल में बंद कर रखा है, इसलिए कर्नाटक पुलिस के साथ दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की टीम ने उस इलाके के एकएक होटल और गेस्टहाउस की तलाशी लेनी शुरू कर दी.