न्यूज एंकर सलमा सुलताना मर्डर मिस्ट्री – भाग 1

सलमा सुलताना जब मधुर साहू के अमरैया पारा, कोरबा स्थित जिम पहुंची तो वह किसी दूसरे कमरे में कुछ कर रहा था. उस के एक कर्मचारी ने आ कर जब उसे बताया कि एक पत्रकार सिटी न्यूज चैनल से आप का इंटरव्यू लेने आई है तो मधुर साहू ने कुछ सोचते हुए कहा, “उसे मेरे चैंबर में बैठाओ, मैं अभी आता हूं.”

थोड़ी देर में जब वह केबिन में पहुंचा तो एक तीखे नाकनक्श की आकर्षक युवती को अपने चैंबर में देखा तो देखता ही रह गया. उस के मुंह से शब्द ही नहीं फूट रहे थे. मधुर उस की सुंदरता पर उसी समय मर मिटा था. मधुर को सामने खड़ा देख सलमा सुलताना ने उसे ऊपर से नीचे तक देखा और प्रोफेशनल तरीके से मुसकराते हुए कहा, “मैं सिटी न्यूज चैनल से आई हूं. आप से मिलने…”

यह सुनते ही मधुर ने मुसकराते हुए कहा, “आप का बहुत बहुत स्वागत है, बताइए आप की क्या सेवा कर सकता हूं.”

सलमा ने एक रहस्यमय मुसकराहट बिखेरते हुए कहा, “दरअसल, हमारे केबल चैनल में एक नया विशेष शो शुरू किया जा रहा है, मैं उसी सिलसिले में आप का इंटरव्यू लेने के लिए आई हूं.”

यह सुन कर मधुर बहुत खुश हुआ. इस से पहले कभी भी उस का कोई इंटरव्यू किसी चैनल पर नहीं आया था. उस ने अपनी कुरसी पर बैठ कर सलमा सुलताना की ओर देखते हुए कहा, “आप का शुभ नाम जान सकता हूं, प्लीज?”

सलमा सुलताना बोली, “जी, मैं सलमा सुलताना हूं. हमारे चैनल हैड के पास आप के जिम की खूब तारीफ पहुंच रही है, इसीलिए मैं आप के यहां इंटरव्यू के लिए आई हूं.”

“मेरा इंटरव्यू. मैं कोई विशेष तो नहीं हूं और आज से पहले कभी कोई पत्रकार मुझ से मिलने भी नहीं आया है. खैर, आप आई हैं तो आप का स्वागत है.”

सलमा सुलताना बला की खूबसूरत थी. उस की सुंदरता का जलवा कुछ ऐसा था कि मधुर साहू मुश्किल से कुछ कह पा रहा था.

“कुछ नहीं, आप को बस अपने काम के बारे में अच्छे से बताना है ताकि हमारे दर्शक आप के जिम की गतिविधियों को देख कर के अपने स्वास्थ्य के प्रति और जागरूक हो जाएं.” सलमा सुलताना ने सहज रूप से समझाया.

“अच्छी बात है. आप सवाल पूछिए मैं जवाब देने का प्रयास करूंगा.” मधुर साहू ने सलमा की आंखों में देखते हुए बमुश्किल कहा.

इस के बाद सलमा ने कैमरे पर मधुर साहू का एक अच्छा सा इंटरव्यू ले लिया. मधुर साहू ने भरसक प्रयास किया कि सलमा को अच्छे से जवाब दे दे और उसे प्रभावित कर दे, क्योंकि उसे देखने के बाद उसे कुछ ऐसा महसूस हुआ मानो सलमा सुलताना के सामने और जितनी भी उस की गर्लफ्रैंड हैं, सभी फेल हैं.

सलमा जैसी बला की खूबसूरत कमसिन लडक़ी उस ने आज तक नहीं देखी थी. उसे ऐसा लगा कि ऊपर वाले ने मानो सलमा को सिर्फ उसी के लिए ही बनाया और आज खुद उस के पास इंटरव्यू के लिए भेज दिया है.

इंटरव्यू के बाद सलमा उस से विदा लेने लगी तो मधुर साहू ने कहा, “मैडम, आप सौभाग्य से पहली दफा मेरे यहां आई हैं. आप कुछ चायनाश्ता कर के ही जाएं.”

लाख मना करने के बाद भी मधुर ने नाश्ता और उस के लिए कोल्डड्रिंक मंगवा ली. इस दौरान उन के बीच इधरउधर की बातें होती रहीं.

जब मधुर साहू का साक्षात्कार स्थानीय चैनल पर प्रसारित हुआ तो उसे देख कर उस की खुशी का ठिकाना नहीं था. सब से बड़ी बात यह हुई कि कई दिनों तक लोग उस के साक्षात्कार का जिक्र करते रहे, लोग उस की और उस के गंगा श्री जिम की बड़ी प्रशंसा करते रहे थे. चैनल पर उस के इंटरव्यू के प्रसारण के बाद शहर में उस की वैल्यू और काम अचानक बढ़ गया.

यह देख कर उस ने पत्रकार सलमा सुलताना को एक दिन काल किया और कहा, “मैडम, आप ने तो कमाल कर दिया, मुझे कहां से कहां पहुंचा दिया.”

यह सुन कर के सलमा उस की भावना को तुरंत भांप गई. मगर अनजान बनते हुए बोली, “अरे भला क्या हो गया! कुछ गलती हो गई क्या मुझ से.”

“कैसी बात कर रही हैं, आप मेरा मजाक बना रही हैं क्या. अरे भाई, मैं तो आप का शुक्रगुजार हूं, जो आप ने एक ही इंटरव्यू ले कर के मुझे कहां से कहां पहुंचा दिया, लोकप्रिय बना दिया है मुझे.”

सलमा सुलताना यही तो सुनना चाहती थी. वह खिलखिला कर हंसती हुई बोली, “मेरा चैनल ऐसा ही है जिस की रिपोर्टिंग कर दे, वह हीरो बन जाता है.”

“मगर मेरा खयाल कुछ और है. सच तो यह है कि आप जिस का भी इंटरव्यू लेंगी, वह दुनिया भर में छा जाएगा.” मधुर साहू ने सलमा की प्रशंसा करते हुए आगे कहा, “सलमा, आप का शुक्रिया. मगर मैं आप से कुछ आग्रह करना चाहता हूं, अगर आप बुरा न मानें तो…” कुछ रहस्यमय भाव से मधुर साहू ने अब अपना जाल फेंका.

“कहिए, मैं आप की और क्या खिदमत कर सकती हूं.”

“आप बुरा न मानें तो मुझे शाम को समय दे दीजिए, मैं कुछ…” सुलताना भी मधुर के बात व्यवहार से प्रभावित हो चुकी थी. वह सहसा शाम को कौफी हाउस में मिलने के लिए तैयार हो गई.

मधुर साहू के प्यार में डूब चुकी थी सलमा

छत्तीसगढ़ की औद्योगिक नगरी कोरबा अपने विशाल कल कारखानों, कोयला खदानों, भारत अल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड वेदांता और नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन देश की नवरत्न कंपनी जिस के विद्युत उत्पादन से महाराष्ट्र, गोवा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान जगमगाते हैं, के कारण एशिया भर में प्रसिद्ध है. कोरबा को लघु भारत भी कहा जाता है, जहां केरल, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, असम, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार जैसे अनेक राज्यों से लोग आ कर के अपनीअपनी भूमिका निभाते हुए विभिन्न कंपनियों में कार्यरत हैं और जीवनयापन कर रहे हैं.

यहां कुसमुंडा कोयला खदान में असम से आ कर 4 दशक से ड्राइवर के रूप में नौकरी करते हुए एम. डी. मानिक सेवानिवृत्त हो चुके थे. उन की 2 बेटियों के अलावा एक बेटा सुलेमान है. बड़ी बेटी शबनम का विवाह ओडिशा में हो गया था. उन की छोटी बेटी सलमा सुलताना बचपन से ही पढ़ाईलिखाई में आगे रहती थी. पढ़ाई के बाद मन में कुछ बनने की उमंग के साथ सलमा एक स्थानीय न्यूज चैनल में एंकर बन गई और धीरेधीरे अपनी पहचान बना रही थी.

इसी दरमियान उस की पहचान मधुर साहू जिम संचालक से हुई और दोनों देखते ही देखते दोनों एकदूसरे के आकर्षण में बंधते चले गए. सलमा एक भोलीभाली सरल स्वभाव की युवती थी. मधुर साहू के दिखावे और चिकनीचुपड़ी बातों से वह प्रभावित होती चली गई. धीरेधीरे वह घर वालों से काम की व्यस्तता बता कर के मधुर साहू के साथ लिवइन रिलेशन में कोरबा के शिवजी नगर में रहने लगी.

घर वाले जब पूछते तो वह कहती मैं सहेली की यहां रह रही हूं. सलमा सुलताना मधुर साहू को दिलोजान से चाहती थी. इतना ही नहीं, दोनों ने शादी करने का फैसला तक कर लिया था, लेकिन सलमा जब उस से जल्द शादी करने को कहती तो मधुर बहाना बना कर टाल जाता था और आगे चल कर सलमा सुलताना के जीवन में कुछ ऐसा घटनाक्रम घटित हो गया, जिस की कल्पना नहीं की जा सकती.

सुमित और दिव्या के प्यार में पिसी अक्षया

10 जुलाई, 2023 को रात के लगभग 8 बजे का वक्त रहा होगा, दिव्या रोज की तरह अपनी सहेली अक्षया यादव की स्कूटी पर बैठ कर कोचिंग से घर वापस लौट रही थी. उन दोनों सहेलियों में से किसी को जरा भी अनुमान नहीं था कि मौत दबे पांव उन की ओर बढ़ी आ रही है.

उसी समय अक्षया की स्कूटी के नजदीक से एक बाइक गुजरी. उस पर 4 नवयुवक सवार थे. बाइक पर सवार उन युवकों में से 2 के हाथ में देशी पिस्टल थी. उन चारों में से 2 को पहचानने में अक्षया और उस की सहेली दिव्या ने भूल नहीं की. वे दोनों आर्मी की बजरिया में रहने वाले सुमित रावत और उपदेश रावत थे.

एक नजर चारों तरफ देखने के बाद सुमित नाम के युवक ने रुकने का इशारा कर के अक्षया को बेटी बचाओ चौराहा (मैस्काट चिकित्सालय) के पास रोक लिया.

सडक़ पर ही सुमित और दिव्या में होने लगी नोंकझोंक

अक्षया के स्कूटी रोकते ही सुमित दिव्या से बात करने लगा. कुछ ही पल की बातचीत में दिव्या और सुमित में नोंकझोंक शुरू हो गई. दोनों के बीच सडक़ पर नोंकझोंक होती देख उधर से गुजर रहे कुछ राहगीरों ने महज शिष्टाचार निभाते हुए रुक कर सुमित को समझाने का प्रयास किया, लेकिन सुमित ने लोगों से दोटूक शब्दों में कह दिया कि अगर कोई भी हम दोनों के बीच में आया तो उसे सीधे यमलोक पहुंचा दूंगा.

इतना ही नहीं, सुमित और उस के साथ बाइक पर सवार हो कर आए अपराधी किस्म के साथी तमंचा दिखा कर राहगीरों को बिना किसी हिचकिचाहट के धमकाने लगे. सुमित को समझाने की कोशिश में लगे राहगीर उन युवकों के हाथों में तमंचा देख डर कर दूर हट गए.

राहगीरों के दूर हटते ही सुमित दिव्या को धमकाने लगा, “सोनाक्षी, मैं तुम्हें हमेशा के लिए भूल जाऊं, ये कभी नहीं हो सकता. और मेरे रहते किसी भी सूरत में तुम्हें अपने से मुंह नहीं फेरने दूंगा. अब अपनी जान की खैरियत चाहती हो तो चुपचाप जैसा में कहूं वैसा करो, वरना तुम्हारी लाश ही यहां से जाएगी.

अपनी आगे की जिंदगी का निर्णय खुद तुम्हें लेना है, मेरे साथ दोस्ती रखना चाहती हो याा नहीं? तुम और तुम्हारी मां ने मुकदमा दर्ज करा कर मुझे जेल भिजवा कर मेरी जिंदगी को तबाह कर के रख दिया है. अब बचा ही क्या है मेरी जिंदगी में.”

“सुमित, तुम कान खोल कर सुन लो, सिर्फ मेरी मां ही नहीं मैं भी तुम से नफरत करती हूं. मैं अपने जीते जी तुम जैसे घटिया इंसान से कभी भी दोस्ती नहीं रखूंगी, ये मेरा आखिरी निर्णय है.” दिव्या ने भी उसे साफ बता दिया.

दिव्या का यह फैसला सुन कर सुमित की त्यौरियां चढ़ गईं. उस ने दिव्या को भद्दी सी गाली देते हुए कहा, “साली, तू और तेरी मां अपने आप को समझती क्या है?”

दिव्या की जान खतरे में देख कर सडक़ चल रहे किसी राहगीर ने समूचे घटनाक्रम की सूचना माधोगंज थाने को दे दी.

दिव्या पर चली गोली से अक्षया की गई जान

इस से पहले कि पुलिस घटनास्थल पर पहुंच पाती, सुमित ने बिना एक पल गंवाए देशी कट्टे का रुख दिव्या की ओर कर गोली दाग दी, लेकिन दुर्भाग्यवश गोली दिव्या को न लग कर उस की सहेली अक्षया के सीने में जा धंसी. उस के शरीर से खून का फव्वारा फूट पड़ा. इस के बाद वे सभी युवक वहां से फरार हो गए. मदद के लिए आगे आए राहगीर अक्षया को बगैर वक्त गंवाए आटोरिक्शा में डाल कर जेएएच अस्पताल ले गए.

यह खबर समूचे शहर में आग की तरह फैल गई. देखते ही देखते घटनास्थल पर लोगों का जमघट लग गया. मृतका स्व. मेजर गोपाल सिंह व पूर्व डीजीपी सुरेंद्र सिंह यादव की नातिन थी और घटनास्थल के करीब ही सिकंदर कंपू में रहती थी.

इसी दौरान किसी परिचित ने फोन से इस घटना की खबर अक्षया के पापा शैलेंद्र सिंह को दे दी. शैलेंद्र सिंह को जैसे ही अपनी एकलौती बेटी के गोली लगने की खबर लगी, वह और उन की पत्नी विक्रांती देवी हैरत में पड़ गए. क्योंकि वह काफी विनम्र स्वभाव की थी तो किसी ने उसे गोली क्यों मार दी? अक्षया को गोली मारे जाने की खबर से समूचे सिकंदर कंपू इलाके में सनसनी फैल गई.

सरेराह बेटी को गोली मारे जाने की सूचना मिलने के बाद शैलेंद्र सिंह कार से पत्नी विक्रांती देवी को साथ ले कर अस्पताल के लिए निकले, लेकिन रास्ते में उन की कार सडक़ खुदी होने से फंस कर रह गई. इस के बाद वे अपने दोस्त की गाड़ी से अस्पताल पहुंचे, लेकिन बेटी का इलाज शुरू होने से पहले ही उस ने दम तोड़ दिया.

हत्यारे अपना काम करके हथियार लहराते हुए मौकाएवारदात से चले गए. तब माधोगंज थाने के एसएचओ महेश शर्मा पुलिस टीम के साथ मौकाएवारदात पर पहुंचे. वहां पहुंचने के बाद उन्होंने आसपास के लोगों से घटना के बारे में पूछताछ की. घटनास्थल पर 2 पुलिसकर्मियों को छोड़ कर वह जेएएच अस्पताल की ओर चल पड़े. वारदात की सूचना उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को भी दे दी.

खबर पा कर एसपी राजेश सिंह चंदेल, एसपी (सिटी पूर्व, अपराध) राजेश दंडोतिया, एसपी (सिटी पश्चिम) गजेंद्र सिंह वर्धमान, सीएसपी विजय सिंह भदौरिया सहित क्राइम ब्रांच के इंसपेक्टर अमर सिंह सिकरवार भी अस्पताल पहुंच गए. वहां मौजूद मृतका के मम्मीपापा को ढांढस दिलाते हुए पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने उन्हें बताया कि हत्यारों पर ईनाम घोषित कर दिया गया है. सभी आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा.

उधर डाक्टरों के द्वारा अक्षया को मृत घोषित करते ही एसएचओ महेश शर्मा ने जरुरी काररवाई निपटाने के बाद अक्षया की लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और मृतका की 16 वर्षीया सहेली दिव्या शर्मा निवासी बारह बीघा सिकंदर कंपू की तहरीर पर सुमित रावत, उस के बड़े भाई उपदेश रावत सहित 2 अज्ञात युवकों के खिलाफ भादंवि की धारा 307,34 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर लिया.

पुलिस ने आरोपियों को पकडऩे के लिए तत्काल संभावित स्थानों पर दबिश देनी शुरू कर दी थी, लेकिन हत्यारे हाथ नहीं लगे. क्योंकि आरोपी घर छोड़ कर फरार हो चुके थे. अनेक स्थानों पर असफलता मिलने के बावजूद पुलिस टीम हताश नहीं हुई.

पुलिस आरोपियों की तलाश बड़ी ही सरगर्मी से कई टीमों में बंट कर कर रही थी, लेकिन शहर के बहुचर्चित अक्षया हत्याकांड के हत्यारे पता नहीं किस बिल में जा कर छिप गए थे. अक्षया की हत्या हुए तकरीबन 24 घंटे होने को थे, लेकिन उस के हत्यारों को पकडऩे की बात तो दूर, पुलिस को उन का कोई सुराग तक नहीं मिला था.

12 जुलाई, 2023 की सुबह का समय था, तभी एक मुखबिर ने पुलिस को बताया कि अक्षया के जिन हत्यारों को वह तलाश रही है, उन में से एक आरोपी उपदेश रावत कोट की सराय डबरा हाईवे पर अपनी ससुराल में छिपा हुआ है. यह खबर मिलते ही क्राइम ब्रांच व थाना माधोगंज की टीम ने मुखबिर के द्वारा बताई जगह पर छापा मार कर मुख्य आरोपी सुमित रावत के बड़े भाई उपदेश रावत को गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस ने अलगअलग राज्यों से किए 7 आरोपी गिरफ्तार

10 हजार रुपए के ईनामी उपदेश को पुलिस टीम ने थाने ला कर उस से अक्षया यादव की हत्या के संदर्भ में पूछताछ शुरू की. पहले तो उपदेश अपने आप को निर्दोष बता कर पुलिस टीम को गुमराह करने की कोशिश करता रहा, लेकिन जब पुलिस ने थोड़ी सख्ती की तो वह टूट गया.

उस ने पूछताछ में खुलासा किया कि इस हत्याकांड में 7 लोग शामिल थे. उक्त वारदात को अंजाम देने से पहले हत्या का षडयंत्रकारी सुमित रावत 6 जुलाई को अपने दोस्तों के साथ कंपू स्थित होटल में रुका था. होटल में 7 जुलाई को विवाद होने पर वह अपने दोस्तों के साथ लाज में ठहरने चला गया था. इस वारदात से पहले तक लाज में ही ठहरा था.

यहीं पर हिस्ट्रीशीटर बाला सुबे के साथ बैठ कर दिव्या और उस की मां करुणा की हत्या की उस ने योजना बनाई थी. इन दोनों की हत्या के लिए हथियारों का इंतजाम भी बाला सुबे ने ही कराया था.

पूछताछ में यह भी पता चला कि हत्या वाले दिन से ठीक एक दिन पहले इस हत्याकांड में उस का नाम न आए, इसलिए शातिरदिमाग बाला सुबे एक दिन पहले ही महाराष्ट्र के धुले में अपने रिश्तेदार के यहां चला गया था. धुले में सुमित रावत व उस के सहयोगी विशाल शाक्य की फरारी की व्यवस्था बाला सुबे ने ही कर रखी थी.

योजनानुसार उपदेश और उस के छोटे भाई सुमित अपने 2 साथियों विशाल शाक्य व मनोज तोमर एक बाइक पर तथा दूसरी बाइक पर राकेश सिकरवार और अशोक गुर्जर ने सवार हो कर मृतका व उस की सहेली की रेकी की थी.

आरोपियों के नामों का खुलासा होने पर पुलिस ने बिना देरी किए सातों आरोपियों की कुंडली खंगाली और सभी आरोपियों सुमित रावत, उपदेश रावत,विशाल शाक्य, मनोज तोमर, राकेश सिकरवार, अशोक गुर्जर सहित बाला सुबे को अलगअलग राज्यों से हिरासत में ले लिया. मुख्य आरोपी सुमित रावत से की पूछताछ के बाद अक्षया हत्याकांड की जो कहानी निकल कर सामने आई, वह कुछ इस तरह थी.

16 वर्षीय दिव्या ग्वालियर शहर के बारह बीघा सिकंदर कंपू के रहने वाले विवेक शर्मा की बेटी थी. दिव्या एक होनहार छात्रा थी. इन दिनों वह ग्यारहवीं की तैयारी कर रही थी. उस ने सुमित के बारे में अपनी मां से कुछ भी नहीं छिपाया था.

सुमित उस का 3 साल पुराना फेसबुक फ्रैंड अवश्य था, लेकिन अपराधी प्रवृत्ति का था. जैसे ही उसे सुमित की हकीकत पता चली तो उस ने उसे ब्लौक कर दिया. ब्लौक किए जाने के बाद सुमित दिव्या को फोन ही नहीं करने लगा, बल्कि उस ने प्यार का इजहार भी कर दिया.

सिरफिरा आशिक निकला सुमित रावत

दिव्या के लिए तो यह परेशानी वाली बात थी. वह उस से इसलिए नाराज थी कि पहले तो उस ने शरीफ युवक बन कर उस से दोस्ती की और जैसे ही सारी हकीकत सामने आई तो फोन पर प्यार का इजहार करने लगा. सुमित के इस दुस्साहस से नाराज दिव्या ने उसे जम कर लताड़ा और आइंदा कभी फोन न करने की हिदायत दी.

लेकिन सुमित नहीं माना. दिव्या द्वारा उस की काल रिसीव न करने पर वह उसे मैसेज करने लगा. इस से दिव्या और उस की मां करुणा को लगा कि सुमित अव्वल दरजे का बेशर्म और सिरफिरा लडक़ा है, यह मानने वाला नहीं है, इसलिए उन दोनों ने उस पर गौर करना बंद कर दिया और दिव्या अपनी पढ़ाई में मन लगाने लगी.

जब दिव्या सुमित की फोन काल और मैसेज की अनदेखी करने लगी तो सुमित उस की मम्मी करुणा शर्मा को फोन कर दिव्या से बात कराने की हठ करने लगा. करुणा शर्मा ने सख्ती दिखाते हुए बात कराने से उसे मना कर दिया तो कभी वह करुणा शर्मा के गुढ़ा स्थित सेंट जोसेफ स्कूल पहुंच कर हडक़ाने लगता था.

करुणा शर्मा पेशे से शिक्षक हैं, पति का निधन हो जाने के बाद से वह प्राइवेट स्कूल में नौकरी कर अपने बेटेबेटी का पालनपोषण कर रही हैं. उन के दिव्या के अलावा एक 12 वर्षीय बेटा है.

दिव्या काफी होशियार और समझदार लडक़ी थी. उस का पूरा ध्यान अपनी पढ़ाई और कैरियर पर रहता था. अपनी इसी इच्छा को पूरा करने के लिए उस ने अपनी सहेली के साथ लक्ष्मीबाई कालोनी में कोचिंग जौइन कर रखी थी और बारह बीघा सिकंदर कंपू क्षेत्र में सुकून के साथ अपनी मां और छोटे भाई के साथ रह रही थी.

दिव्या के साथ उस की मम्मी को भी धमकाना शुरू कर दिया सुमित ने

बेहद हंसमुख और खूबसूरत दिव्या का अधिकांश समय पढ़ाईलिखाई में बीतता था. दिन में फुरसत के वक्त वह सोशल मीडिया फेसबुक पर बिता देती थी. फेसबुक का उपयोग करते वक्त क्याक्या ऐहतियात बरतनी चाहिए, उस के बारे में भी उसे जानकारी थी. इसलिए अंजान लोगों और खासकर लडक़ों से वह दोस्ती नहीं करती थी. लेकिन सुमित के मामले में वह भूल कर बैठी, जिसे वक्त रहते उस ने सुधार लिया था.

हालांकि सुमित से चैटिंग के दौरान दिव्या ने अंतरंग बातें कर ली थीं, जो स्वाभाविक भी थी, क्योंकि वह तो उसे बेहद शरीफ समझ रही थी. उसे इस बात का कतई अहसास नहीं था कि इस मासूम से चेहरे के पीछे हैवानियत और वहशीपन छिपा है, लेकिन जैसे ही दिव्या ने सुमित से दूरी बनानी शुरू की तो उस ने उस की मम्मी के साथ बदसलूकी और उन्हें धमकाना शुरू कर दिया. तब दिव्या को अपनी ग़लती का अहसास हुआ.

सुमित दिव्या शर्मा के पीछे इस कदर हाथ धो कर पड़ा था कि उस की कारगुजारियों का खुल कर विरोध करने वाली करुणा शर्मा को भी उस ने नहीं छोड़ा था. सुमित ने उन के साथ भी सरेराह उसी रास्ते पर कट्टा अड़ा कर छेड़छाड़ की थी, जहां दिव्या की सहेली अक्षया यादव की हत्या को अंजाम दिया था.

तब अंत में दिव्या ने कंपू थाने में सुमित रावत के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. उस की शिकायत पर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था.

बात 18 नवंबर, 2022 की है. रोज की तरह सेंट जोसेफ स्कूल में पढ़ाने वाली शिक्षिका करुणा शर्मा अपने नाबालिग बेटे के साथ सुबह के समय स्कूल जा रही थीं. वह जैसे ही कंपू थाना क्षेत्र स्थित हनुमान सिनेमा तिराहे के निकट पहुंची ही थी कि तभी अचानक सुमित रावत आ धमका. उस ने उन का रास्ता रोक कर सरेराह बिना किसी संकोच के उन के साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी.

मां के साथ सुमित रावत द्वारा की जा रही छेड़छाड़ को देख कर बेटा बुरी तरह से खौफजदा हो गया था. करुणा ने सुमित की इस हरकत का खुल कर विरोध किया तो वह बौखला गया. उस ने कट्टा निकाल कर करुणा के सीने से लगा दिया. सुमित खुलेआम कट्टे की नोंक पर राहगीरों के सामने करुणा के साथ छेड़छाड़ करता रहा, लेकिन कोई मदद के लिए आगे नहीं आया.

सुमित जान से मारने की धमकी दे कर कट्टा लहराते हुए भाग गया. इस घटना के बाद करुणा ने थाने पहुंच कर सुमित के खिलाफ भादंवि की धारा 341, 354, 345, 506 के तहत प्राथमिकी दर्ज करा दी. इस के बाद पुलिस ने सुमित को दबोच कर जेल भेज दिया था. करुणा शर्मा अभी तक उस घटना को नहीं भूल सकी हैं.

उधर अक्षया यादव हत्याकांड में संलिप्त सातों आरोपियों को अलगअलग जगहों से गिरफ्तार करने के बाद पुलिस ने उन की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त 2 देशी कट्टे और बाइक बरामद करने के बाद मुख्य अभियुक्त सुमित रावत , उपदेश रावत, विशाल शाक्य सहित बाला सुबे को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया, जबकि अन्य तीन आरोपियों के नाबालिग होने की वजह से बाल न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन तीनों को बाल सुधार गृह भेज दिया गया है.

गौरतलब बात है कि सुमित रावत पर पुलिस के मुताबिक 2 हत्या सहित आधा दरजन प्रकरण दर्ज हैं. इसी क्रम में बाला सुबे पर 27 आपराधिक मामले, उपदेश रावत पर मारपीट और गोली चलाने के 7 मामले, विशाल शाक्य पर गोली चलाने का एक प्रकरण दर्ज है.

72 घंटे में पुलिस की आधा दरजन टीमों के द्वारा महाराष्ट्र, दिल्ली और धौलपुर से अक्षया यादव हत्याकांड में शामिल सातों आरोपियों को दबोचे जाने के बाद एडिशनल डीजीपी डी. श्रीनिवास वर्मा, एसपी राजेश सिंह चंदेल व एडिशनल एसपी राजेश डंडोतिया ने संयुक्त रूप से प्रैस कौन्फ्रैंस कर पत्रकारो को अपराधियों के बारे में जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि मुख्य आरोपी सुमित रावत को जब पुलिस की टीम ग्वालियर ले कर आ रही थी, तभी उस ने घाटीगांव पनिहार के बीच लघुशंका के बहाने पुलिस का वाहन रुकवाया और वाहन से उतरते ही भागने का प्रयास किया. इस प्रयास में गिर जाने से उस के पैर में फ्रैक्चर हो गया था, अत: उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 17 जुलाई को अस्पताल ने उसे डिस्चार्ज कर दिया तो न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया है.

हकीकत यह थी कि सुमित दिव्या से एकतरफा प्यार करने लगा था और उस के इंकार करने से बुरी तरह बौखला गया था. फेसबुक की दोस्ती में ऐसे अपराध वर्तमान दौर में आम हो चले हैं, जिन का शिकार दिव्या जैसी भोलीभाली लड़कियां हो रही है. ऐसे में उन्हें और ज्यादा संभल कर रहने की जरूरत है.

दिव्या उस का पहला प्यार था और उस के ठुकरा देने से वह उस से नफरत करने लगा था. उस की इसी नफरत की आग ने बेकुसूर छात्रा अक्षया यादव की जान ले ली. हालांकि अक्षया की हत्या के बाद उस के मातापिता की शेष जिंदगी तो अब दर्द में ही निकलेगी.

ताउम्र ये सवाल चुभेगा कि हमारी लाडली बिटिया ही क्यों? लेकिन पुलिस के लिए यह सिर्फ एक केस नंबर रहेगा. कुछ समय बाद ये नंबर भी शायद ही किसी को याद रहे. बेटी के बदमाशों के हाथों मारे जाने के गम का बोझ तो मातापिता को ही उठाना होगा.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में मनोज तोमर, राकेश सिकरवार और अशोक गुर्जर परिवर्तित नाम हैं.

सूटकेस में मिली लाश का रहस्य – भाग 3

हेमंत का गृहस्थ जीवन ठीकठाक गुजर रहा था कि एक रात यह गृहस्थ जीवन पूरी तरह छिन्नभिन्न हो गया.

12 नवंबर, 2021 की शाम को हेमंत घर पहुंचा. रितु खाना बना कर उसी के आने का इंतजार कर रही थी. हेमंत के आते ही रितु ने उस से शराब की बोतल ले ली और गिलास ले कर पैग बनाने लगी.

रितु पति के साथ पीती थी शराब

हेमंत ने हाथमुंह धोए और रितु के पास आ कर बैठ गया. रितु ने शराब का गिलास उस की तरफ बढ़ाया और अपने गिलास को उठा कर गट गट शराब पी गई.

“यह क्या रितु, तुम ने आज चीयर्स भी नहीं किया.” हेमंत ने हैरानी से कहा.

“मुझे जोरों की तलब लगी है हेमंत, चीयर्स करने में मैं समय बरबाद नहीं करना चाहती थी, इसलिए बगैर चीयर्स किए पी गई.” अपने लिए दूसरा पैग तैयार करते हुए रितु ने कहा.

“यह असभ्यता है,” हेमंत मुंह बिगाड़ कर बोला.

रितु ने दूसरा पैग गले में उड़ेलते हुए हेमंत को घूरा, बोली कुछ नहीं. इस के बाद उस ने 3 पैग और बनाए और पी गई. उस पर नशा हावी होने लगा था. हेमंत हैरानी से उसे देख रहा था. रितु ने उस के लिए आज एक ही पैग बनाया था. खुद ही पैग बनाबना कर पी रही थी.

कहीं रितु को शराब का नशा ज्यादा न हो जाए, यह सोच कर उस ने रितु के सामने से शराब की बोतल उठा लेनी चाही. उस ने जैसे ही बोतल पकड़ी रितु भडक़ गई, “ऐ बोतल नीचे रख.”

“कैसे बोल रही हो रितु ..?”

“ठीक बोल रही हूं, तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरे सामने से बोतल उठाने की, हरामी की औलाद.”

“रितूऽऽ” हेमंत गुस्से से चीखा.

“चिल्ला मत भड़वे…” रितु उस से तेज चीखी, “अपनी औकात जानता है न तू, कल तक मेरी चौखट पर नाक रगड़ा करता था.”

हेमंत का रोम रोम गुस्से से सुलग गया. उस ने रितु के गाल पर 3-4 थप्पड़ जड़ दिए. रितु शेरनी की तरह बिफर गई. वह हेमंत पर झपट पड़ी. दोनों में हाथापाई होने लगी. हेमंत के नथुने क्रोध से फडक़ने लगे, उस ने रितु को नीचे पटक दिया और उस के गले पर पंजे कस कर पूरी ताकत से दबाने लगा. रितु हलाल होती मुरगी की तरह फडफ़ड़ा गई और कुछ ही देर में उस की सांसें उखड़ गईं.

रितु के शरीर में हलचल न होती देख कर हेमंत चौंका. उस ने रितु को हिलाया, लेकिन उस का शरीर बेजान हो चुका था. हेमंत घबरा कर खड़ा हो गया. काफी देर तक उस की समझ में नहीं आया कि वह क्या करे. जब कुछ होश आया तो उस ने अपने जीजा ललित कुमार को फोन मिला कर कांपती आवाज में बताया, “जीजा, मेरे हाथ से रितु की हत्या हो गई है.”

“कैसे?” ललित की चौंकती हुई आवाज आई.

हेमंत ने कुछ देर पहले घटा सब कुछ विस्तार से अपने जीजा को बता दिया. ललित ने कुछ क्षण सोच लेने के बाद हेमंत को सलाह दी कि वह रितु की लाश ले कर उस के घर आल्हापुर आ जाए.

घर वालों के सहयोग से सूटकेस में भरी लाश

हेमंत ने बाहर निकल कर देखा. बाहर सन्नाटा था. सर्दी होने की वजह से सभी पड़ोसियों के घरों के दरवाजे बंद हो गए थे. हेमंत ने अपने घर के साथ वाले घर में रह रहे अपने पिता राजेंद्र और मां सीमा देवी को यह जानकारी दी कि क्रोध में उस ने रितु की हत्या कर दी है. लाश को वह अपनी बहन नीतू और जीजा ललित के घर ले कर जा रहा है. लाश को सूटकेस में पैक करने में उस की मदद करें.

उस के पिता और मां ने रितु की लाश को घर में रखे बड़े सूटकेस में पैक करवाने में बेटे हेमंत की मदद की. हेमंत ने पिता के सहयोग से सूटकेस अपनी स्कूटी के पीछे बांधा और स्कूटी से वह अपने जीजा के घर आल्हापुर आ गया.

ललित ने सूटकेस अपनी कार की डिक्की में रखवा लिया और मथुरा की तरफ रवाना हो गया. मथुरा के छाता में छाता नहर की तरफ सन्नाटा रहता था. नहर के पास पहुंच कर ललित ने हेमंत की मदद से सूटकेस छाता नहर में फेंक दिया. सूटकेस में ऐसा कुछ भी सूत्र नहीं छोड़ा गया था कि पुलिस रितु के विषय में या हेमंत के विषय में जान सके. आज 2 साल हो गए हैं. अब तक तो रितु का नामोनिशान मिट गया होगा.

सीआईए प्रभारी इलियास और उन की टीम हेमंत की कहानी सुन कर हैरान रह गए. यदि हेमंत उन के हाथ नहीं लगता तो रितु की हत्या का राज राज ही रह जाता.

प्रभारी इलियास ने छाता कोतवाली में फोन मिला कर 2 साल पहले 12 या 13 नवंबर को किसी सूटकेस में युवती की लाश मिलने की बाबत मालूम किया तो उन्हें बताया गया कि 13 नवंबर, 2021 को छाता नहर से एक सूटकेस मिला था, जिस में युवती की लाश थी. उसे गला घोंट कर मारा गया था. युवती की लंबे समय तक पहचान न होने पर यह केस बंद कर दिया गया था. युवती का सरकारी खजाने से दाह संस्कार करवा दिया गया था.

पुलिस ने 5 आरोपी किए गिरफ्तार

मोहम्मद इलियास ने छाता कोतवाली को खुशखबरी दे कर उस युवती के हत्यारे हेमंत वर्मा के पकड़े जाने की जानकारी दे दी.

दूसरे ही दिन छाता कोतवाली पुलिस ने आ कर हेमंत वर्मा, उस के जीजा ललित, उस की पत्नी नीतू, हेमंत के पिता राजेंद्र और मां सीमा को हिरासत में ले लिया. इन सभी ने हेमंत को रितु की लाश ठिकाने लगाने में सहयोग किया था. छाता कोतवाली पुलिस सभी गुनहगारों को छाता ले गई. सीआईए प्रभारी मोहम्मद इलियास पकड़े गए ठगों को सजा दिलाने के लिए चार्जशीट तैयार करने में लग गए.

इस दोहरी सफलता के लिए डीसीपी (पलवल) संदीप मोर ने प्रैस कौन्फ्रेंस बुला कर सीआईए प्रभारी मोहम्मद इलियास के नेतृत्व में ठगों का गिरोह पकडऩे और 2 साल पहले छाता नहर में फेंके गए सूटकेस से बरामद हुई युवती की लाश का जिक्र करते हुए बताया कि हत्या का मुजरिम हेमंत वर्मा को पकडऩे का श्रेय भी सीआईए प्रभारी मोहम्मद इलियास और उन की टीम को जाता है. मैं इन्हें दिल से शाबासी देता हूं. मुजरिमों को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाने की भी कोशिश की जाएगी.

छाता कोतवाली पुलिस ने सभी आरोपियों से पूछताछ के बाद उन्हें कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में रितु, जयपाल और भीकू परिवर्तित नाम हैं.

जुल्मी से प्यार : सनकी प्रेमी से छुटकारा – भाग 3

किसी दिन दीपेंद्र और अंकिता को कहीं एकांत में प्रेमी-प्रेमिका की तरह सट कर बैठे अंकिता के मंगेतर विशाल ने देख लिया. उस समय तो उस ने कुछ नहीं कहा, लेकिन शाम को वह अंकिता के घर पहुंच गया. वहां भी उस ने अंकिता से कुछ कहने के बजाय अपने होने वाले ससुर राजा से कहा. ‘‘बाबूजी, आप ने अंकिता की शादी तय तो मेरे साथ की है, लेकिन यह गुलछर्रे किसी और के साथ उड़ा रही है. आप इसे रोकिए, वरना मैं यह रिश्ता तोड़ दूंगा.’’

‘‘ऐसा मत करना बेटा, मैं अंकिता को समझाऊंगा.’’ राजा ने विशाल को समझाने की कोशिश की.

विशाल के जाने के बाद राजा ने अंकिता से पूछा, ‘‘बेटी, विशाल जो कह रहा था, क्या वह सच था? कहीं वह तुम्हें बदनाम कर के यह रिश्ता तो नहीं तोड़ना चाहता? बेटी मुझे तुम पर पूरा भरोसा है, इस के बावजूद सच्चाई जानना चाहता हूं.’’

‘‘पापा, विशाल जो कह रहा था, वह सच है. उस ने मुझे दीपेंद्र के साथ देख लिया था. दीपेंद्र और मैं एकदूसरे से प्यार करते हैं, इसलिए अकसर मिलते रहते हैं.’’ अंकिता ने सच्चाई बता दी.

अंकिता ने जो बताया, उसे सुन कर राजा के पैरों तले से जमीन खिसक गई. उन्होंने कहा, ‘‘बेटी, तुम्हारी शादी विशाल से तय हो चुकी है. इसलिए तुम्हारा दीपेंद्र से एकांत में मिलना ठीक नहीं है. ठीक होते ही मैं तुम्हारी शादी उस के साथ कर दूंगा, इसलिए अब तुम दीपेंद्र से मिलनाजुलना बंद कर दो.’’

अंकिता की मां मीना ने भी प्यार से समझाया, ‘‘बेटी, तू दीपेंद्र से मिलनाजुलना बंद कर दे, इसी में हम सब की भलाई है. दीपेंद्र और हमारी जाति अलगअलग है, इसलिए उस के घर वाले कभी तेरी शादी उस के साथ नहीं करेंगे. तेरी सगाई हो चुकी है. 2 नावों पर पैर रखना ठीक नहीं है.’’

मांबाप की नसीहत अंकिता को उचित तो लगी, लेकिन वह उस पर अमल नहीं कर सकी. क्योंकि दीपेंद्र से मिलने से वह खुद को एकदम से रोक नहीं पा रही थी. लेकिन पहले से कुछ कम जरूर कर दिया था.

दीपेंद्र उसे मिलने के लिए पार्क या रेस्टोरेंट में बुलाता तो वह कोई न कोई बहाना बना कर मना कर देती. जबकि दीपेंद्र मानता ही नहीं. वह नाराज हो कर उसे जलील करने लगता. कभीकभी तो वह रास्ते में ही उस का हाथ पकड़ लेता और साथ चलने की जिद करने लगता. यही नहीं, मना करने पर वह गालीगलौज और मारपीट पर उतारू हो जाता.

दीपेंद्र की इन हरकतों से अंकिता परेशान रहने लगी. वह उस से डरने लगी. होली के त्योहार पर दीपेंद्र ने अंकिता का हाथ पकड़ा और जबरदस्ती साथ ले जाने लगा. अंकिता ने मना किया तो उस ने गालीगलौज तो की ही, उस पर हाथ भी उठा दिया. दीपेंद्र की इस हरकत से परेशान हो कर अंकिता ने अपने मंगेतर विशाल से उस की शिकायत कर दी. मामला पुलिस तक पहुंचा. तब पुलिस ने दोनों पक्षों में समझौता करा दिया.

पुलिस ने कोई काररवाई नहीं की तो दीपेंद्र और भी आक्रामक हो गया. वह अंकिता को मोबाइल फोन पर बात करने के लिए दबाव डालता, गंदे और अश्लील मैसेज भेजता. बात न करने या जवाब न देने पर गालीगलौज करता, धमकियां देता. डर के मारे वह कभी उस से प्यार की 2-4 बातें कर लेती तो कभी कोई बहाना बना देती. अब वह उस के साथ कहीं आनेजाने से भी बचने लगी थी. अगर कभी जाती तो मजबूरी में जाती.

इस तरह अंकिता प्रेमत्रिकोण में उलझ कर रह गई थी. दीपेंद्र सामने होता तो उसे उस की बांहों में झूलना पड़ता और जब मंगेतर विशाल सामने होता तो उसे उस की वफादार बनना पड़ता.

दीपेंद्र के घर वालों को भी अंकिता और उस के प्रेमसंबंधों के बारे में पता था. सब जानते थे कि वह अपनी कमाई उसी पर लुटा रहा है. लेकिन उन्होंने साफसाफ कह दिया था कि वह किसी भी हालत में यह शादी नहीं होने देेंगे. दीपेंद्र को समझाया भी गया था, लेकिन वह अंकिता से संबंध तोड़ने को तैयार नहीं था.

17 जुलाई को दीपेंद्र ने अंकिता से साथ चलने को कहा. उस ने मना कर दिया तो दीपेंद्र ने गालीगलौज करते हुए उसे खूब जलील किया. गालीगलौज में उस ने ऐसे ऐसे गंदे शब्दों का उपयोग किया कि अंकिता का कलेजा छलनी हो गया. उस ने उसी समय तय कर लिया कि अब किसी भी सूरत में इस आदमी से छुटकारा पाना है.

उस ने अपने मंगेतर विशाल से दीपेंद्र की शिकायत कर के उस से छुटकारा दिलाने की विनती की. इस के बाद विशाल ने अंकिता की मदद से दीपेंद्र को ठिकाने लगाने की योजना बना डाली.

दीपेंद्र को ठिकाने लगाना विशाल के अकेले के वश का नहीं था, इसलिए उस ने इस योजना में अपने छोटे भाई विकास से बात की. बात घर की इज्जत की थी, इसलिए वह भाई की मदद के लिए राजी हो गया.

योजना के अनुसार अंकिता ने 20 जुलाई की दोपहर को दीपेंद्र को फोन कर के घंटे वाले मंदिर पर बुलाया. दीपेंद्र तो ऐसा मौका ढूंढता ही रहता था. वह तुरंत घंटे वाले मंदिर पर पहुंच गया. अंकिता वहां उस का इंतजार कर रही थी. दोनों बातें करने लगे. योजना के अनुसार थोड़ी देर बाद विशाल भी आ गया.

उस के आते ही अंकिता चली गई तो विशाल दीपेंद्र को बातचीत करने के बहाने घंटे वाले मंदिर के पीछे नगर निगम वर्कशौप पार्क में ले आया. पार्क में बड़ीबड़ी झाडि़यां थीं. दोपहर होने की वजह से वहां सन्नाटा पसरा था.

अंकिता को ले कर दीपेंद्र और विशाल में बातचीत शुरू हुई. जल्दी ही यह बातचीत गालीगलौज और मारपीट में बदल गई. विकास पहले से ही आ कर वहां छिपा था. दीपेंद्र और भाई के बीच मारपीट होते देख उस ने वहां पड़ी ईंट उठाई और दीपेंद्र के सिर पर दे मारी. दीपेंद्र की आंखों के सामने अंधेरा छा गया और वह लड़खड़ा कर जमीन पर गिर गया.

उस के गिरते ही विकास ने दूसरा वार कर दिया. ईंट की चोटों से दीपेंद्र बिना चीखे ही बेहोश हो गया. उस के बेहोश होते ही विशाल ने चाकू निकाला और बेरहमी से उस की गरदन रेत दी. इतने से भी उस का मन नहीं भरा तो उस ने उस का एक कान काट दिया और एक आंख फोड़ दी.

इस तरह कू्ररता से हत्या करने के बाद दोनों भाइयों ने शव को घसीट कर पार्क में सूखे पड़े कुएं में फेंक दिया. घसीटते समय ही दीपेंद्र का जूता निकल गया था, जिस ने कुएं में लाश पड़ी होने की चुगली कर दी थी.

लाश कुएं में फेंक कर विशाल ने अंकिता को फोन कर के दीपेंद्र की हत्या की सूचना दे दी. इस के बाद दोनों भाई वहां से फरार हो गए.

पुलिस ने उसी दिन घटनास्थल से वह ईंट बरामद कर ली थी, जिस से दीपेंद्र के सिर पर चोट पहुंचाई गई थी. इस के बाद विशाल की निशानदेही पर चाकू और उस के कपड़े बरामद कर लिए गए थे. सारे सुबूत जुटा कर पुलिस ने 24 जुलाई को अंकिता और विशाल को अदालत में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया.

कथा लिखे जाने तक विकास नहीं पकड़ा जा सका था. पुलिस उस की तलाश कर रही थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

सूटकेस में मिली लाश का रहस्य – भाग 2

आधी रात को आल्हापुर गांव के एक मकान को सीआईए प्रभारी मोहम्मद इलियास के नेतृत्व में गई टीम ने घेर लिया. मोहम्मद इलियास के साथ उन का खास मुखबिर था. उसी ने वह घर चिह्निïत किया था. एक एसआई ने आगे बढ़ कर मकान का दरवाजा खटखटाया.

अंदर से थोड़ी देर बाद किसी महिला का स्वर उभरा, “कौन है बाहर?”

“दरवाजा खोलो, गांव के एक घर में आग लग गई है.” एसआई ने घबराए हुए स्वर में कहा.

“यह बहाना काम कर गया. मकान का दरवाजा तुरंत खुला और एक महिला बाहर निकल कर बोली, “किस के मकान में आग लगी है.”

“अभी बता देंगे.” एक हैडकांस्टेबल ने उस की कनपटी पर रिवौल्वर सटाते हुए गुर्रा कर कहा. बाकी टीम धड़धड़ाती हुई अंदर घुस गई. अंदर 2 पुरुष थे. उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.

मकान की तलाशी ली गई. वहां से काफी मात्रा में नकदी, 3 मोबाइल फोन, एक चिटफंड सोसायटी के फार्म, बैंकों की पासबुकें और लोन एप्लाई करने वाले लोगों के नाम की लिस्ट बरामद की गई. सभी सामान जब्त कर के तीनों पुरुषमहिला को सीआईए के औफिस में लाया गया.

पुलिस की गिरफ्त में आए ठग

पूछताछ में उन के नाम ललित कुमार, अजीत कुमार और भावना मालूम हुए. रात भर उन्हें लौकअप में रखा गया. तीनों को दूसरे दिन न्यायालय में पेश कर के रिमांड पर ले लिया गया.

रिमांड में जब उन से सख्ती से पूछताछ शुरू हुई तो एक ठग का नाम सामने आया हेमंत वर्मा. हेमंत वर्मा पकड़ में आए ललित कुमार का साला था. वह पलवल में कृष्णा कालोनी में रहता था. सीआईए की टीम ने कृष्णा कालोनी में हेमंत वर्मा के घर पर दबिश दी.

हेमंत वर्मा उन्हें घर में ही मिल गया. उसे गिरफ्तार कर के सीआईए के औफिस में लाया गया, वहां पहले से मौजूद अपने साथियों को देख कर हेमंत वर्मा को समझते देर नहीं लगी कि उन का ठगी के धंधे का भंडाफोड़ हो गया है. वह गहरी सांस ले कर रह गया.

उसे भी कोर्ट में पेश कर के रिमांड पर ले लिया गया. पूछताछ में सभी ने यह कुबूल लिया कि वह मध्यम वर्ग के लोगों को लोन दिलाने का झांसा दे कर फंसाते थे. बैंक से लोन पास करवाने के नाम पर उन से रुपया ऐंठा जाता. फार्म भरवाए जाते. लोन पास नहीं होता तो वह कागजों में कमी होने की बात कह कर उन्हें टरका देते. इस तरह वह सैकड़ों लोगों को फांस कर उन का पैसा डकार गए थे.

सीआईए टीम ने उन से उन के दूसरे किसी अपराध में फंसे होने की बात पूछना शुरू की तो हेमंत वर्मा ने एक ऐसा खुलासा किया, जिस ने टीम के लोगों को बुरी तरह चौंका दिया.

ठग हेमंत ने पत्नी की हत्या का जुर्म भी कुबूला

हेमंत वर्मा ने बताया कि उस ने 2021 में अपनी पत्नी रितु की गला घोंट कर हत्या की थी. लाश को उस ने अपने जीजा ललित के सहयोग से एक सूटकेस में भर कर मथुरा के छाता शहर की छाता नहर में फेंक दिया था.

उस ने पत्नी की हत्या क्यों की? इस विषय में पूछताछ की गई तो उस ने रितु के साथ अपनी प्रेम कहानी और उसे पत्नी बनाने की जो कथा बयान की, वह इस प्रकार है—

हरियाणा के शहर पलवल की कृष्णा कालोनी में रहने वाला हेमंत वर्मा आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी था. उसे आधुनिक फैशन के कपड़े पहनने और बनसंवर कर रहने का शौक था. वह दिलफेंक युवक था. दिल को हथेली पर ले कर घूमता था. उस की युवा जिंदगी में एक नहीं अनेक लड़कियां आईं. हेमंत उन से दिल बहलाता. उन के साथ मौजमस्ती करता.

गले में हड्डी लटकाने की उस की आदत नहीं थी. उस की सोच थी, हड्डी चूसो और उसे फंक दो. हेमंत यही करता था. जो लडक़ी उस के संपर्क में आती, उस से किसी न किसी तरह जिस्मानी संबंध बनाता. जब उस से दिल भर जाता तो उस से किनारा कर के दूसरी लडक़ी की तलाश में निकल जाता.

पिता संपन्न व्यक्ति थे. हेमंत खुद कमाताधमाता नहीं था, पिता की दौलत पर मौजमस्ती करता घूम रहा था. उस की ऐशभरी रसिक जिंदगी में तब बड़ा मोड़ आया, जब वह अपने एक दोस्त के साथ दिल्ली घूमने गया. उस का दोस्त उसे दिल्ली घुमाने के बाद शाम ढलने पर जीबी रोड पर ले गया.

जीबी रोड पर कोठा संचालिका से उन्होंने 2 युवतियों का पूरी रात का सौदा किया. हेमंत वर्मा का दोस्त अपनी पार्टनर को ले कर एक केबिन में चला गया तो हेमंत भी अपनी पार्टनर का हाथ पकड़ कर एक खाली केबिन में आ गया.

जीबी रोड की वेश्या रितु से हुआ प्यार

उस ने अपने लिए जो युवती पसंद की थी, उस का नाम रितु था. गोरे रंग, तीखे नयननक्श वाली रितु का अंगअंग सांचे में ढला था. वह कोठे पर कैसे आई, इस का उसे खुद पता नहीं. उस ने बताया कि उसे चाहने वाला एक आशिक, जिसे वह सच्चा प्यार करती थी, बहका कर दिल्ली लाया था.

एक होटल में उस की अस्मत लूट लेने के बाद उस ने नशीला पदार्थ खाने में मिला कर उसे बेहोश कर दिया था. उसी बेहोशी में वह उसे इस कोठे पर बेच कर चला गया था. जीबी रोड के कोठे पर पहुंच कर रितु ऐसे पिंजरे में आ फंसी थी, जिस में वह फडफ़ड़ा सकती थी, चीख सकती थी, लेकिन उस पिंजरे से बाहर नहीं निकल सकती थी.

शुरू में उस ने अपने जिस्म पर हाथ नहीं रखने दिया, लेकिन यह कोठा था, यहां अडिय़ल से अडिय़ल युवतियों को रूह कंपा देने वाली यातना दे कर जिस्म बेचने को मजबूर कर दिया जाता है. रितु पर भी यातना के पहाड़ तोड़े गए, घबरा कर वह जिस्म बेचने को मजबूर हो गई.

हेमंत पूरी रात रितु के जिस्म से लिपटा रहा. रितु उसे इतना पसंद आई कि वह कई रात दिल्ली में रुक कर रितु के साथ रात गुजारने के लिए कोठे पर जाता रहा. रितु भी उस की मर्दानगी की दीवानी हो चुकी थी. हेमंत ने उसे अपने साथ जिंदगी गुजारने का औफर दिया तो वह तैयार हो गई.

अब तक हेमंत अपने जीजा ललित के साथ मिल कर ठगी का धंधा करने लगा था. उस को इस धंधे में मोटा हिस्सा मिल रहा था. रितु की मालकिन से उस ने रितु को अपने लिए मोटी कीमत चुका कर हमेशा के लिए खरीद लिया.

हेमंत ने रितु से कर ली शादी

यह जनवरी, 2021 की बात है. रितु को कोठे से लाने के बाद उस ने उस से लव मैरिज कर ली और उसे दुलहन बना कर अपने घर कृष्णा कालोनी में ले आया. रितु अब हेमंत के साथ उस की पत्नी बन कर रहने लगी. वह एक सुघड़ गृहिणी की तरह हेमंत का घर संभालने लगी.

और तो सब सामान्य था, लेकिन रितु को शराब पीने की बुरी लत थी. रोज रात शुरू होने पर वह शराब के 2-4 पैग गले में उड़ेलती, फिर खाना खा कर सो जाती. हेमंत को उस ने गृह प्रवेश वाले दिन ही अपनी इस आदत के विषय में बता दिया था.

रितु की चाहत में दीवाना बने हेमंत को रितु की इस आदत पर ऐतराज नहीं था, वह शाम को घर लौटता था तो स्वयं एक अंगरेजी शराब का अद्धा खरीद कर ले आता था. रितु के साथ वह बैठ कर शराब पीता. रितु साकी बन कर उस के लिए और अपने लिए पैग बनाती थी. पीने के बाद दोनों खाना खाते फिर एकदूसरे के आगोश में लिपट कर सो जाते.

जुल्मी से प्यार : सनकी प्रेमी से छुटकारा – भाग 2

घटनास्थल पर होने वाले बवाल को तो पुलिस अधिकारियों ने समझाबुझा कर टाल दिया था, लेकिन उन के मन में जो आग जल रही थी, उसे शांत करने के लिए वे दीपेंद्र की प्रेमिका अंकिता, जिस पर हत्या का शक था, के घर जा पहुंचे. दीपेंद्र की मां आशा, बहन आरती, ज्योति, बुआ बब्बन और चाची कांति अंकिता को पकड़ कर पिटाई करने लगीं. उन्होंने उस के कपड़े भी फाड़ दिए.

अंकिता के पिता राजा और मां ने उसे छुड़ाना चाहा तो साथ आए लोगों ने उन की भी पिटाई कर दी. कपड़े फट जाने से अंकिता अर्धनग्न हो गई थी. उसी हालत में उसे घर के बाहर खींच लाया गया. लोग उस का तमाशा बना रहे थे. तभी इस बात की सूचना पा कर वहां पुलिस पहुंच गई और काफी मशक्कत कर के भीड़ से निकाल कर उसे थाने ले आई.

दीपेंद्र के घर वालों ने अंकिता और उस के मंगेतर विशाल पर हत्या का आरोप लगाया था. अंकिता गिरफ्त में आ चुकी थी. अब विशाल को गिरफ्तार करना था.

पुलिस ने जब मुखबिरों से विशाल के बारे में पता किया तो जानकारी मिली कि वह बकरमंडी ढाल पर मौजूद है. थानाप्रभारी अनिल कुमार सिंह यादव पुलिसबल के साथ वहां पहुंचे और मुखबिर की निशानदेही पर विशाल को गिरफ्तार कर लिया. उसे थाना कर्नलगंज ले आया गया. इस तरह लाश मिलने वाले दिन ही यानी 23 जुलाई को दोनों अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया गया.

थाने में विशाल से दीपेंद्र की हत्या के बारे में पूछा गया तो बड़ी आसानी से उस ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया. उस ने पुलिस को बताया कि मंगेतर अंकिता और भाई विकास की मदद से उस ने दीपेंद्र की हत्या की थी. इस के बाद अंकिता से पूछताछ की गई तो उस ने बताया कि वह दीपेंद्र से प्यार करती थी. लेकिन उस की जिद, गालीगलौज और धमकियों से परेशान हो कर उस ने अपने मंगेतर विशाल से कह कर उस की हत्या करा दी थी.

विशाल और अंकिता ने दीपेंद्र की हत्या का अपना अपराध स्वीकार कर लिया था. इसलिए थाना कर्नलगंज पुलिस ने मृतक दीपेंद्र की मां आशा देवी की ओर से उस की हत्या का मुकदमा विशाल, विकास और अंकिता के खिलाफ दर्ज कर विस्तार से पूछताछ की. इस पूछताछ में प्रेमत्रिकोण में हुई हत्या की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी.

उत्तर प्रदेश के महानगर कानपुर के थाना कर्नलगंज का एक मोहल्ला है मकराबर्टगंज. इसी मोहल्ले में राजा अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी मीना के अलावा 2 बेटियां अंकिता उर्फ लाडो और सुनीता थीं. राजा प्राइवेट नौकरी करता था, जिस के वेतन से किसी तरह गुजरबसर हो रहा था.

राजा की आर्थिक स्थिति भले ही बहुत अच्छी नहीं थी, लेकिन संयोग से उस की दोनों ही बेटियां बहुत खूबसूरत थीं. बड़ी बेटी अंकिता थोड़ा आजाद खयाल की थी. उसे सहेलियों के साथ घूमनेफिरने, गप्पे लड़ाने में बड़ा मजा आता था. राजा और मीना को लगा कि अंकिता सयानी हो गई है और उस के कदम बहक सकते हैं तो वे उस की शादी के बारे में सोचने लगे. उन्होंने उस के लिए घरवर की तलाश शुरू कर दी.

उन की कोशिश का सुखद परिणाम निकला. पास के ही मोहल्ले कर्नलगंज में रहने वाला विशाल उन्हें पसंद आ गया. उस के परिवार में मातापिता के अलावा एक भाई विकास था. विशाल शरीर से हृष्टपुष्ट था ही, देखने में भी सुंदर था. लेकिन अभी वह करता धरता कुछ नहीं था. दिनभर इधरउधर घूमता रहता था. इस के बावजूद ज्यादा दानदहेज न दे पाने की वजह से राजा ने बेटी की शादी उस के साथ तय कर दी.

शादी हो पाती, उस के पहले ही राजा की तबीयत खराब हो गई. राजा की बीमारी काफी गंभीर थी. जांच में पता चला था कि उसे कैंसर है. कैंसर का इलाज काफी महंगा था. अंकिता अपनी शादी को भूल कर मां की मदद से पिता का इलाज कराने लगी. इस के लिए मीना को दूसरे के घरों में जा कर काम करना पड़ रहा था, फिर भी उस ने हिम्मत नहीं हारी.

पिता की बीमारी की वजह से अंकिता की शादी टल गई थी. मजबूरी की वजह से विशाल भी चुप था.

मकराबर्टगंज के जिस हाता नंबर 8 में अंकिता रहती थी, उसी में दीपेंद्र सैनी भी रहता था. वह सुरेंद्र मोहन सैनी का बेटा था, लेकिन उन की मौत हो चुकी थी. उस के परिवार में मां आशा देवी के अलावा एक भाई अतुल तथा 2 बहनें, अनीता और ज्योति थीं. अनीता की शादी हो चुकी थी. खातेपीते परिवार का दीपेंद्र शरीर से स्वस्थ और हंसमुख स्वभाव का था. वह मैग्ना फाइनैंस कंपनी में नौकरी करता था. आकर्षण व्यक्तित्व वाला दीपेंद्र रहता भी बनसंवर कर था.

पड़ोस में रहने की वजह से अकसर दीपेंद्र की नजर अंकिता पर पड़ जाती थी. जवानी की दहलीज पर खड़ी अंकिता धीरेधीरे उस के दिल में हलचल पैदा करने लगी. दीपेंद्र का दिल उस पर आया तो वह उस की एक झलक पाने के लिए उस के घर के चक्कर लगाने लगा. तभी उसे पता चला कि अंकिता के पिता को कैंसर हो गया है. हमदर्दी जताने के बहाने वह उस के घर आनेजाने लगा.

अंकिता ने दीपेंद्र की चाहत को भांप लिया था. इसलिए जब दीपेंद्र उस के घर आता, वह उस के आसपास ही बनी रहती और इस बात की कोशिश करती कि दीपेंद्र ज्यादा से ज्यादा देर तक उस के घर रुके. उसे रोकने के लिए ही वह उसे चाय पिए बिना नहीं जाने देती थी.

अंकिता अब दीपेंद्र की नींद हराम करने लगी थी. उसी की यादों में वह पूरी की पूरी रात करवटें बदलता रहता था. दिन में भी उस की वजह से उस का मन काम में नहीं लगता था. लगभग वही हाल अंकिता का भी था. दीपेंद्र की चाहत ने अंकिता को मंगेतर से बेवफाई के लिए मजबूर कर दिया. चाहत की आग दोनों ओर बराबर लगी थी, इसलिए दोनों को अपनेअपने दिलों की बात एकदूसरे से कहने में जरा भी झिझक नहीं हुई.

मीना पति को अस्पताल ले कर चली जाती तो अंकिता घर में अकेली रह जाती थी, क्योंकि उस की बहन भी मां की मदद के लिए उस के साथ चली जाती थी. अंकिता से मिलने का दीपेंद्र के लिए यह उचित समय होता था. जल्दी ही दोनों इस एकांत का गलत फायदा उठाने लगे. धीरेधीरे दोनों की प्रेमकहानी बढ़ती ही गई. अंकिता के शरीर पर जो हक उस के मंगेतर विशाल का होना चाहिए था, अब वह उस के प्रेमी दीपेंद्र का हो गया था.

अंकिता से प्रेमसंबंध बनने के बाद दीपेंद्र का उस के घर आनाजाना कुछ ज्यादा ही हो गया था. अंकिता से वह उस के घर में तो मिलता ही था, उसे होटल रेस्टोरेंट भी ले जाता था. कमाई का एक बड़ा हिस्सा वह अंकिता और उस के घर वालों पर खर्च करने लगा था.

वह अंकिता का पूरा खर्च तो उठाता ही था, उस के बाप के इलाज के साथसाथ घर खर्च के लिए भी पैसे देता था. उस की इस मदद से राजा और मीना भी उस के एहसानों तले दब गए थे. कहा जाता है कि जब राजा का औपरेशन हुआ था तो उस ने 50 हजार रुपए दिए थे.

सूटकेस में मिली लाश का रहस्य – भाग 1

भीकू और जयपाल बचपन के गहरे दोस्त थे. दोनों की शादी हो गई थी. इस के बाद भी उन की दोस्ती कायम रही. लोग उन्हें लंगोटिया यार कहते थे. बात 13 नवंबर, 2021 की है. सुबहसुबह भीकू ने जयपाल के दरवाजे पर दस्तक दी तो अंदर से जयपाल का अलसाया हुआ स्वर उभरा, “सुबहसुबह कौन आ गया?”

“मैं भीकू हूं जयपाल.”

“ठहरो, मैं दरवाजा खोलता हूं.” जयपाल ने कहा, फिर रजाई से निकल कर उस ने दरवाजा खोला. जयपाल अधेड़ उम्र का था. भीकू को देखते ही जयपाल बोला, “सुबहसुबह कैसे आना हुआ भीकू.. सब ठीक तो है न?”

“सब ठीक है यार. आज छुट्टी की है मैं ने, तुम कई दिनों से मछली पकडऩे चलने को कह रहे थे, सोचा आज तुम्हारी इच्छा पूरी कर देता हूं, पहले एक कप चाय पिलाओ, फिर चलने की तैयारी करो.”

“बैठो, मैं फ्रैश हो कर तुम्हारे लिए चाय बनाता हूं.”

“क्यों, क्या तुम ने चाय पीनी छोड़ दी है?” भीकू ने हैरानी से पूछा.

“नहीं दोस्त, अब तुम्हारे लिए चाय बनाऊंगा तो एक कप मैं भी पी लूंगा.”

भीकू हंस पड़ा, “मान गया तुम्हें, तुम्हारी कंजूसी की आदत कभी जाएगी नहीं.”

जयपाल मुसकराता हुआ फ्रैश होने चला गया. फ्रैश होने के बाद उस ने चाय बनाई. चाय पीने के बाद मछली पकडऩे का कांटा ले कर दोनों मछली पकडऩे के लिए छाता नहर की तरफ पैदल ही चल पड़े. जयपाल जिस कालोनी में रहता था, वहां से छाता नहर कोई एकडेढ़ किलोमीटर पर ही थी. थोड़ी ही देर में वह सडक़ रास्ते से छाता नहर पर पहुंच गए.

सडक़ छोड़ कर दोनों नहर के किनारे की कच्ची पगडंडी से होते हुए एक जगह पहुंच कर रुक गए. यहां के कुछ हिस्से पर झाडिय़ां नहीं थीं. अकसर दोनों यहां मछली पकडऩे आते रहते थे. उन्होंने नहर के किनारे फैली झाडिय़ों को इस जगह से हटा कर अपने बैठने की जगह बना ली थी. दोनों किनारे पर बैठ गए और कांटा तैयार कर के दोनों ने अपने कांटे नहर के पानी में डाल दिए. काफी देर हो गई. उन के कांटों में मछली नहीं फंसी.

“सुबहसुबह तुम्हारी मनहूस सूरत देखी है मैं ने. आज एक भी मछली कांटे में नहीं फंसेगी.” जयपाल खीझ कर बोला.

“फंसेगी यार, धीरज रख कर बैठ. देख कांटा हिल रहा है, शायद कोई मछली चारे में मुंह मार रही है.”

कांटा वाकई हिलने लगा था. जयपाल ने कांटे की डोर मजबूती से पकड़ ली. उस की नजरें कांटे पर जमी थीं. तभी उस के कान में भीकू की हैरत में डूबी आवाज पड़ी, “जयपाल वो देख सूटकेस…” जयपाल ने देखा.

नहर की धारा में बहता हुआ एक सूटकेस उन्हीं की ओर आ रहा था. वह चौंक कर बोला, “नहर में सूटकेस…”

भीकू ने सिर खुजाया, “लगता है, किसी ने चोरी का माल नहर में बहा दिया. इस सूटकेस को बाहर निकाल कर देखते हैं

जय…”

“उतर जा नहर में.”

सूटकेस देख नहर में कूद गया भीकू

भीकू तुरंत नहर में उतर गया. उस ने सूटकेस को पास आने दिया. जैसे ही सूटकेस पास आया, उस ने सूटकेस को पकड़ लिया और उसे खींच कर किनारे पर ले आया. उस ने ऊपर आ कर सूटकेस बाहर खींचा तो वह नहीं खींच पाया. जयपाल ने सूटकेस बाहर निकालने में उस की मदद की.

“बहुत भारी है यार, लगता है नोटों से भरा हुआ है.” भीकू सांसें दुरुस्त करता हुआ बोला.

“खोल कर देख.”

भीकू ने सूटकेस के लौक देखे. दोनों लौक खुले हुए थे. उस ने लौक सरका कर जैसे ही ढक्कन उठाया, उस के मुंह से चीख निकल गई. जयपाल भी उछल कर खड़ा हो गया. सूटकेस में एक जवान युवती की लाश थी.

दोनो थरथर कांपने लगे. थोड़ा संयत होने पर भीकू होंठों पर जुबान घुमा कर बोला, “पुलिस को बताना पड़ेगा.”

“क्यों मुसीबत मोल ले रहा है… चुपचाप यहां से निकल चल.”

“ऐसा करेंगे तो, हम ही फंस जाएंगे जयपाल. हमारे पांव के निशान कच्ची पगडंडी और यहां भी बन गए हैं. बस्ती वाले बहुत से लोग यह जानते हैं कि हम दोनों यहां मछली पकडऩे आते हैं. पुलिस को थोड़ा सा भी सुराग लगा तो हमें धर दबोचेगी. भलाई इसी में है कि हम खुद इस लाश के मिलने की सूचना पुलिस को दे दें.”

“ठीक है.” जयपाल ने सिर हिला कर कहा, “करो पुलिस को फोन.”

भीकू ने अपने मोबाइल से पुलिस कंट्रोल रूम का नंबर मिला कर सूटकेस में लाश मिलने की सूचना दे दी.

कंट्रोल रूम ने यह सूचना संबंधित थाना छाता कोतवाली को दे दी. वहां से एसएचओ प्रदीप कुमार पुलिस टीम को ले कर छाता नहर की ओर रवाना हो गए. जब वह छाता नहर पर पहुंचे, उन्हें भीकू और जयपाल सूटकेस के साथ वहीं बैठे मिले.

सूटकेस में जवान और खूबसूरत युवती की लाश थी. युवती के पैर घुटनों से मोड़ कर उसे जबरन सूटकेस में ठूंसा गया था. युवती के शरीर पर लाल रंग का कुरता और सलवार थी. उस के हाथों में उसी रंग की चूडिय़ां और पैरों में बिछुए थे, इस से इस युवती के शादीशुदा होने का पता चलता था.

युवती की लाश को सूटकेस से निकाल कर बारीकी से उस की पहचान के लिए सूत्र तलाशा गया, लेकिन एसएचओ को ऐसा कोई सूत्र युवती की लाश के पास से नहीं मिला, जिस से उस की पहचान हो सके. प्रदीप कुमार ने एसएसपी डा. गौरव ग्रोवर को इस लाश की जानकारी दे दी. साथ ही फोरैंसिक जांच टीम घटनास्थल पर बुलवा ली. कुछ ही देर में एसएसपी डा. गौरव ग्रोवर और फोरैंसिक जांच टीम के लोग वहां पहुंच गए.

सूटकेस में मिली लाश का किया निरीक्षण

एसएसपी डा. गौरव ग्रोवर ने लाश का निरीक्षण किया. फोरैंसिक टीम अपने काम में लग गई थी. सूटकेस पानी में भीगा हुआ था. गनीमत थी कि पानी सूटकेस में नहीं गया था, इस कारण युवती की लाश को नुकसान नहीं पहुंचा था. युवती के गले पर लाल निशान थे, इस से अनुमान लगाया गया कि उसे गला घोंट कर मारा गया है.

फोरैंसिक जांच टीम ने बारीक से बारीक साक्ष्य एकत्र किए. लाश के विभिन्न कोणों से फोटो लिए गए. डा. गौरव ग्रोवर ने एसएचओ प्रदीप कुमार की ओर देख कर कहा, “इस युवती की पहचान का कोई सूत्र नहीं मिल रहा है, आप आसपास के थानों में पता करवाइए कि इस हुलिए की किसी युवती की गुमशुदगी दर्ज करवाई गई है या नहीं. इस की पहचान के लिए इश्तहार और अन्य उपाय भी करिए. इस की पहचान होगी, तभी हत्यारे तक पहुंचा जा सकता है, आप समझ रहे हैं न?”

“जी सर,” प्रदीप कुमार ने सिर हिलाया, “मैं पूरी कोशिश करूंगा सर. इस के हत्यारे तक पहुंचने की.”

एसएसपी अन्य निर्देश दे कर वापस चले गए तो एसएचओ प्रदीप कुमार ने लाश की कागजी काररवाई पूरी कर के वह पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी. इस युवती की शिनाख्त के लिए कोतवाली छाता के प्रभारी प्रदीप कुमार की ओर से अनेक उपाय किए गए, लेकिन युवती की पहचान नहीं हो पाई, न यह मालूम हो सका कि इस की हत्या करने वाला कौन व्यक्ति है. इस हत्या के लिए अज्ञात हत्यारे के खिलाफ केस दर्ज किया गया.

यह लाश 13 नवंबर, 2021 को छाता नहर से सूटकेस में मिली थी. जब काफी भागदौड़ के बाद भी इस के संबंध में कोई जानकारी नहीं मिली तो इस हत्या को ब्लाइंड मर्डर मान कर इस केस की फाइल बंद कर दी गई.

ठगों की गिरफ्तारी की बनाई योजना

2 साल ऐसे ही गुजर गए. 3 जुलाई, 2023 सीआईए प्रभारी मोहम्मद इलियास ने अपने कक्ष में सीआईए के 8 चुनिंदा एसआई और हैडकांस्टेबल्स की मीटिंग बुलाई. सभी उन के कक्ष में पहुंच गए तो ऐहतियात के लिए कक्ष का दरवाजा बंद कर दिया गया.

प्रभारी मोहम्मद इलियास ने सभी पर बारीबारी से नजरें डालने के बाद कहना शुरू किया, “आप सभी ने सुना होगा, कुछ लोग लोन दिलाने के नाम पर लोगों को ठग रहे हैं. कितने ही लोगों ने अपने ठगे जाने की रिपोर्ट विभिन्न थानों में दर्ज भी करवाई है. पुलिस इस मामले में जांच कर रही है, किंतु अभी तक वह उन शातिर ठगों तक नहीं पहुंच पाई है, जो यह ठगी का धंधा कर कर रहे हैं.”

कुछ क्षण रुकने के बाद मोहम्मद इलियास ने कहा, “मुझे अपने मुखबिर द्वारा यह सूचना मिली है कि वह शातिर ठग यहां आल्हापुर गांव में हैं. यहीं से वह ठगी का नेटवर्क चला रहे हैं. मैं चाहता हूं आज रात को ही हम आल्हापुर गांव में रेड डालें और उन ठगों को गिरफ्तार करें.”

“ओके सर. हम सब रेड के लिए तैयार हैं.” एक एसआई ने जोश भरे स्वर में कहा.

“हम रात के अंधेरे में आल्हापुर के लिए निकलेंगे, आप लोग तब तक रेड की पूरी तैयारी कर लें.”

“जी सर.” सभी ने एक स्वर में कहा.

सभी कक्ष से बाहर निकल गए. मोहम्मद इलियास मुखबिर को फोन लगा कर आवश्यक निर्देश देने लगे थे.

जुल्मी से प्यार : सनकी प्रेमी से छुटकारा – भाग 1

मोबाइल फोन की घंटी बजते ही दीपेंद्र की नजर स्क्रीन पर चली गई. अंकिता उर्फ लाडो का  नाम देख कर उस के चेहरे पर चमक सी आ गई. झट से फोन रिसीव कर के बोला, ‘‘हैलो अंकिता कैसी हो, सब ठीक तो है?’’

‘‘कुछ भी ठीक नहीं है दीपेंद्र. मैं बहुत परेशान हूं.’’ अंकिता भर्राई आवाज में बोली.

‘‘क्या बात है, साफसाफ बताओ?’’ दीपेंद्र ने परेशान हो कर पूछा.

‘‘विशाल ने मेरा जीना दूभर कर दिया है. अभीअभी धमकी दे कर गया है कि अगर मैं तुम से मिली या बात की तो वह दोनों के हाथपैर तोड़ देगा. मेरा जी बहुत घबरा रहा है. तुम जल्दी से आ जाओ, घंटे वाले मंदिर पर मैं तुम्हारा इंतजार कर रही हूं.’’ अंकिता ने रोआंसी हो कर कहा तो दीपेंद्र ने धमकाने वाले अंदाज में कहा, ‘‘उस हरामजादे की इतनी हिम्मत कि वह तुम्हें धमकी दे. तुम बिलकुल मत घबराना. मैं अभी तुम्हारे पास पहुंच रहा हूं.’’

यह कह कर दीपेंद्र ने फोन काट दिया. इस के बाद वह तैयार होने लगा तो छोटी बहन ज्योति ने पूछा, ‘‘भैया इस समय कहां जा रहे हो?’’

‘‘कहीं नहीं, बस अभी आता हूं.’’ दीपेंद्र ने कहा.

‘‘भैया जल्दी आ जाना. अकेले घर में डर लगता है.’’ ज्योति ने कहा.

‘‘तुम अंदर से दरवाजा बंद रखना. मैं एक दोस्त से मिलने जा रहा हूं. किसी भी सूरत में डेढ़-2 घंटे में आ जाऊंगा.’’ दीपेंद्र ने कहा और घर से निकल गया. यह 20 जुलाई की दोपहर की बात है.

ज्योति घर में अकेली थी, इसलिए वह बेसब्री से भाई के वापस आने का इंतजार कर रही थी. दीपेंद्र ने डेढ़-2 घंटे में आने के लिए कहा था. उतना समय तो उस ने आसानी से बिता दिया. लेकिन जब समय ज्यादा होने लगा तो उस ने दीपेंद्र को फोन किया. पता चला, उस का फोन बंद है. उस की मां आशा छोटे भाई अतुल के साथ बड़ी बहन अनीता की ससुराल गई थीं.

इसलिए दीपेंद्र का फोन बंद होने से उसे घबराहट होने लगी. वह लगातार भाई को फोन लगाने लगी. काफी कोशिश के बाद भी जब दीपेंद्र के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली तो उस ने बरेली गई मां को सारी बात बता कर तुरंत घर आने को कहा.

ज्योति को लग रहा था कि भाई के साथ कुछ गड़बड़ हो गई है, इसलिए मां को सूचना देने के बाद उस ने मौसा मुकुंद वल्लभ, चचेरे भाई सागर, ज्ञान, चाची कांति और बुआ बब्बन को भी इस बात की सूचना दे दी. दीपेंद्र के घर न लौटने की जानकारी मिलते ही सभी ज्योति के घर आ गए. सलाहमशविरा कर के सभी दीपेंद्र की खोज में जुट गए. काफी कोशिश के बाद भी दीपेंद्र का कुछ पता नहीं चला. मोबाइल बंद होने की वजह से उस से संपर्क भी नहीं हो पा रहा था.

जब दीपेंद्र का कहीं पता नहीं चला तो देर रात उस के चाचा वीरेंद्र मोहन सैनी थाना कर्नलगंज पहुंचे और थानाप्रभारी अनिल कुमार सिंह यादव  को सारी बात बता कर गुमशुदगी दर्ज करानी चाही, लेकिन बिना गुमशुदगी दर्ज किए ही थानाप्रभारी अनिल कुमार सिंह यादव ने उन्हें वापस भेज दिया.

सुबह दीपेंद्र की मां आशा देवी भी बरेली से आ गईं. आते ही वह छोटे बेटे अतुल के साथ सीधे थाने गईं और थानाप्रभारी अनिल कुमार सिंह यादव से बताया कि उन के बेटे दीपेंद्र का अपहरण हुआ है.

थानाप्रभारी अनिल कुमार सिंह यादव ने पूछा, ‘‘तुम्हें कैसे पता चला कि उस का अपहरण हुआ है? किस ने और क्यों किया है उस का अपहरण?’’

‘‘साहब, विशाल और उस की मंगेतर अंकिता उर्फ लाडो ने उस का अपहरण किया है. पहले भी वह उस के साथ मारपीट कर चुका है.’’ आशा देवी ने रोते हुए कहा.

‘‘क्यों किया था मारपीट?’’ थानाप्रभारी ने पूछा.

‘‘साहब, मेरा बेटा दीपेंद्र अंकिता से प्रेम करता था. जबकि अंकिता की शादी विशाल से तय थी. इसलिए विशाल को अंकिता और दीपेंद्र का मिलनाजुलना पसंद नहीं था. इसी बात को ले कर अकसर दोनों में तकरार होती रहती थी.’’ आशा देवी ने कहा.

‘‘ठीक है, तुम अभी जाओ. शाम को दीपेंद्र की 2 फोटो ले कर आना. उस के बाद हम तुम्हारी रिपोर्ट दर्ज कर लेंगे.’’ आश्वासन दे कर थानाप्रभारी अनिल कुमार सिंह यादव ने आशा देवी को घर भेज दिया.

दीपेंद्र के फोटो ले कर आशा देवी शाम को थाने पहुंची और थानाप्रभारी से दीपेंद्र के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज करने को कहा. लेकिन बुलाने के बावजूद थानाप्रभारी ने रिपोर्ट दर्ज नहीं की. इस तरह 22 जुलाई का भी दिन बीत गया.

23 जुलाई की सुबह वीरेंद्र मोहन सैनी अपनी पालतू कुतिया को टहलाने के लिए थाना कर्नलगंज के ठीक पीछे बने नगर निगम वर्कशौप पार्क में ले गए. पार्क में बने कुएं के पास उन्हें एक जूता दिखाई दिया. जूते पर उन्हें संदेह हुआ तो उन्होंने फोन कर के घर वालों को बुला लिया. जूता देखते ही अतुल ने कहा, ‘‘अरे यह जूता तो दीपेंद्र भइया का है.’’

इस के बाद अतुल, सागर और ज्ञान ने कुएं में झांका तो उन्हें उस में एक लाश दिखाई दी.

जूते से सब को यही लगा कि कुएं में पड़ी लाश दीपेंद्र की हो सकती है. इसलिए तुरंत इस बात की सूचना थाना कर्नलगंज पुलिस को दी गई. सूचना मिलते ही थानाप्रभारी अनिल कुमार सिंह यादव सिपाहियों के साथ वहां आ पहुंचे.

उन्होंने साथ आए सिपाहियों की मदद से लाश बाहर निकलवाई तो उसे देखते ही आशा देवी रोने लगीं. उन्हीं के साथ घर के अन्य लोग भी रोने लगे. वह लाश 2 दिनों से गायब आशा देवी के 30 वर्षीय बेटे दीपेंद्र की थी.

दीपेंद्र की हत्या और लाश बरामद होने की खबर आसपास के मोहल्लों तक पहुंची तो पार्क में अच्छीखासी भीड़ जमा हो गई. लोगों को लग रहा था कि अगर पुलिस ने समय पर काररवाई की होती तो उस की जान बच सकती थी. इसी बात को ले कर लोगों में गुस्सा था. सूचना पा कर एसपी (क्राइम) एम.पी. वर्मा और क्षेत्राधिकारी पी.के. चावला भी घटनास्थल पर आ गए थे.

भीड़ की नाराजगी को भांप कर उन्हें लगा कि यहां बवाल हो सकता है, इसलिए उन्होंने बजरिया, नवाबगंज, ग्वालटोली, स्वरूपनगर, काकादेव आदि थानों की पुलिस बुला ली. इस के बाद गुस्साई भीड़ को उचित काररवाई का आश्वासन दे कर समझाया और कोई अनहोनी हो, उस के पहले ही घटनास्थल की सारी काररवाई निबटा कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया.

आफरीन के प्यार में मनोहर के 8 टुकड़े

6 जून, 2023 की सुबह लगभग साढ़े 7 बजे मनोहर लाल हर रोज की तरह अपने साथ 2 खच्चर ले कर रोजीरोटी की तलाश में घर से निकला था. घर से निकलते समय उस ने बताया था कि वह अपना काम खत्म करने के बाद अपने एक परिचित से मिलने जाएगा, जिस के कारण घर आने में थोड़ा लेट भी हो सकता है.

15 दिन बाद उस की शादी की डेट फिक्स थी. उसी कारण उस के घर की कुछ मरम्मत का काम चल रहा था. शादी के कारण ही उस ने अपने परिचित से कुछ पैसों की व्यवस्था करने को कहा था. जिस के कारण वहां पर उस का जाना बहुत ही जरूरी था.

मनोहर लाल अपना काम खत्म कर अकसर 4-5 बजे तक घर पहुंच जाता था, लेकिन उस दिन वह शाम के 6 बजे तक भी घर नहीं पहुंचा तो उस के परिवार वाले चिंतित हो उठे. फिर भी उन्होंने सोचा कि कुछ देर आ जाएगा. लेकिन वह देर रात तक घर नहीं पहुंचा तो उसे ले कर घर वाले परेशान हो उठे. उन्होंने यह बात अपने पड़ोसियों के अलावा अपने कुछ रिश्तेदारों को भी बता दी थी.

उसी समय उन्होंने रिश्तेदारों के साथ मनोहर लाल की खोजबीन शुरू की. हालांकि मनोहर लाल अपने घर वालों से किसी परिचित के यहां जाने वाली बात कह कर गया था, लेेकिन वह किस के पास गया था, यह नहीं जानते थे. यही कारण रहा कि रात भर घर वाले अपने रिश्तेदारों के साथ उसे इधरउधर ढूंढते रहे, लेकिन मनोहर लाल का कहीं भी पता नहीं चला.

उस के बाद घर वालों ने 7 जून, 2023 को अपने रिश्तेदारों के साथ हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले के अंतर्गत किहार थाने में जा कर उस की गुमशुदगी दर्ज करा दी. थाने में गुमशुदगी की सूचना दर्ज होते ही पुलिस प्रशासन ने उसे हर जगह खोजने की भरसक कोशिश की, किंतु उस का कहीं भी अतापता नहीं चल सका.

9 जून को सलूनी इलाके में एक नाले से वहां से गुजर रहे लोगों को बदबू आती महसूस हुई. तब स्थानीय लोगों ने इस की सूचना पुलिस के गश्ती दल को दी. इस सूचना पर गश्ती दल पुलिस नाले पर पहुंची. तब पुलिस ने वहां से 3 बोरियां निकालीं. तीनों बोरियों को खोल कर देखा तो वहां मौजूद सभी लोगों की आंखें खुली रह गईं. उन बोरियों में किसी पुरुष के शव को 8 टुकड़ों में काट कर भरा गया था. फिर तीनों ही बोरियों को नदी में डाल कर पत्थरों से दबा दिया गया था.

पुलिस ने उस शव की शिनाख्त कराने की कोशिश की तो उस की पहचान मनोहर लाल के रूप में हुई. वीभत्स तरीके से की गई हत्या की यह खबर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई. इस तरह से मनोहर लाल की हत्या की बात सामने आते ही पूरे हिमाचल प्रदेश में सनसनी सी मच गई.

मनोहर लाल की दर्दनाक और निर्मम हत्या ने आसपास के लोगों को झकझोर कर रख दिया दिया था. सभी लोग इस बात को सोच कर परेशान थे कि आखिर मनोहर लाल के साथ क्या हुआ और किस ने, क्यों उस के साथ जघन्य अपराध किया.

प्रेम प्रसंग का मामला आया सामने

उसी जांचपड़ताल के दौरान पुलिस को जानकारी मिली कि मनोहर लाल की एक मुसलिम लडक़ी से दोस्ती थी. जबकि इस बात की जानकारी उस के घर वालों को नहीं थी. यह बात सामने आते ही पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया और उस की तुरंत ही जांचपड़ताल भी शुरू कर दी.

पुलिस को लग रहा था कि मनोहर लाल की हत्या की मुख्य वजह उस की दोस्ती ही रही होगी. इसी शक के आधार पर पुलिस ने उस मुसलिम युवती के घर वालों को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया.

चूंकि मामला दूसरे धर्म से जुड़ा था, इसलिए गैर मुसलिम लोग आरोपियों को फांसी की सजा देने की मांग करने लगे. विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने इस घटना के विरोध में जिला मुख्यालय से रोष मार्च निकाला और आरोपियों को फांसी की सजा देने की मांग की.

क्षेत्र में इस मामले के तूल पकड़ते ही 13 जून, 2023 चंबा जिला मुख्यालय में जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन द्वारा संयुक्त प्रैस कौन्फ्रैंस का आयोजन किया गया, जिस में चंबा एसपी अभिषेक यादव ने पत्रकारों को बताया कि इस मामले को गंभीरता से लेते हुए एसआईटी तेजी के साथ जांचपड़ताल कर रही है. उन्होंने बताया कि इस मामले में शब्बीर नाम के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है. साथ ही 2 नाबालिग लड़कियों को भी पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है, जिन से लगातार पूछताछ जारी है.

उसी पूछताछ के दौरान पुलिस को पता चला कि मनोहर लाल के एक मुसलिम युवती के साथ प्रेम प्रसंग चल रहा था, जिस की जानकारी होने के बाद युवती के घर वालों ने मनोहर लाल को अपने घर बुला कर उस के साथ मारपीट भी की थी. पता चला कि मारपीट में युवती के चाचा-चाची मुसाफिर हुसैन और फरीदा बेगम भी शामिल थी. पुलिस ने पूछताछ के लिए दोनों को हिरासत में ले लिया है.

प्रैस वार्ता करते हुए डिप्टी कमिश्नर अपूर्व देवगन ने मीडिया को बताया कि इस जघन्य अपराध के खुलासे के लिए प्रशासन पूरी तरह से लगा हुआ है. इस मामले को ले कर समाज के हर वर्ग को एक साथ मिल कर खड़े होने की जरूरत है. कोई भी राजनैतिक नुमाइंदा या समाजसेवी ऐसी धार्मिक सूचनाएं न फैलाए, जिस से आपस में मनमुटाव की स्थिति पैदा हो. स्थिति पूरी तरह से जिला प्रशासन के नियंत्रण में है.

घटना के विरोध में लोग हुए बेकाबू

प्रशासन की लाख कोशिशों के बावजूद भी क्षेत्र की स्थिति बिगड़ती गई. 15 जून, 2023 को कुछ स्थानीय लोग आक्रोशित हो उठे और उन्होंने आरोपियों के घरों में आग लगा दी. यही नहीं आक्रोशित भीड़ ने किहार थाने पहुंच कर सभी आरोपियों को फांसी की सजा देने की मांग की. आक्रोशित भीड़ ने थाने के भीतर घुसने की भी कोशिश की, जिसे बमुश्किल पुलिस बल द्वारा रोका गया.

इस सब की सूचना पाते ही चंबा एसपी अभिषेक यादव और डिप्टी कमिश्नर अपूर्व देवगन भी थाने पहुंच गए. इस दौरान दोनों ही अधिकारियों ने इस मामले में संलिप्त लोगों के खिलाफ सख्त काररवाई करने का आश्वासन दिया. अपूर्व देवगन ने इस तरह के बेकाबू हुए उग्र स्वरूप को देखते हुए सलूणी में धारा 144 लागू करने की अधिसूचना जारी करा दी.

क्षेत्र में धारा 144 लगने के बावजूद भी स्थानीय लोगों का गुस्सा शांत होने का नाम नहीं ले रहा था. उसी दौरान 17 जून, 2023 को बीजेपी ने एक प्रैस कौन्फ्रैंस कर आरोपियों पर इलजाम लगाते हुए बताया कि आरोपी परिवार ने 100 बीघा सरकारी जमीन पर कब्जा कर रखा है. उन के बैंक अकाउंट में 2 करोड़ रुपए जमा हैं. इस के अलावा आरोपी परिवार बैंक से 2 हजार रुपए के नोट के 95 लाख रुपए की मोटी रकम अब तक बदलवा चुका है.

आरोपी परिवार के सरफराज मोहम्मद का आपराधिक रिकार्ड भी रहा है. इस के अतिरिक्त जयराम ठाकुर ने यह भी आरोप लगाया कि इस परिवार के तार 1998 में साटुंडी में सामूहिक हमले से भी जुड़े हुए थे. इस घटना में 35 बेकुसूर लोगों की जान चली गई थी.

लोगों का कहना था कि मनोहर लाल ने आखिर 6 जून की सुबह आफरीन के घर में ऐसा क्या देखा, जिसके कारण उसकी निर्मम हत्या कर दी गई? लोग उस परिवार को आतंकी माफिया मानते थे. शक इस बात का भी हो रहा है कि परिवार के अतिरित उस दिन उस घर में कोई अन्य संदिग्ध भी मौजूद थे? या फिर मनोहर लाल को कातिल परिवार के आतंकियों से संबंधों का पता चल गया थाï. तभी तो उसे निर्मम तरीके से मार दिया.

लोग कातिल परिवार के घर को आतंकी होने की बात को कैसे झुठला सकते थे, क्योंकि इन के मुखिया की आतंकी हमले में भी पूर्व में संदिग्ध भूमिका रही थी? इस के अलावा कातिल परिवार के पास इतनी अधिक मात्रा में अकूत संपत्ति होना भी कहीं न कहीं एक प्रश्नचिह्न खड़ा करता है. जिस की विस्तृत जांच एनआईए से कराए जाने की लोग मांग करने लगे.

लोगों का कहना है कि आरोपी परिवार ने अपने काले कारोबार, आतंकियों से संबंधों और मनोहर हत्याकांड से जुड़े सभी साक्ष्यों को समाप्त करने की मंशा से अपने घरों में सुनियोजित षडयंत्र के तहत खुद आग लगवाई, आक्रोशित भीड़ के वहां पर पहुॅचने से पहले ही वहां पर आग लग चुकी थी. इस बात की भी विस्तृत जांच कराने की मांग की गई.

साल 1998 में चंबा के शतकंडी कांड जिस में इस्लामिक आतंकवादियों ने गोली मार कर 35 हिंदुओं की निर्मम हत्या की थी और एक मुसलिम को छोड़ दिया था. यह भी जांच एजेंसियों के घेरे में था. आरोप है कि यह परिवार शुरू से ही राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल रहा है. अब लोग यह जानना चाहते हैं कि आखिर इस के ऊपर किस का वदहस्त है?

लोगों के आक्रोश को देखते हुए पुलिस ने इस मामले में आरोपी परिवार के 11 लोगों को हिरासत में ले लिया था. थाने ले जा कर उन से कड़ी पूछताछ की गई. पुलिस पूछताछ के दौरान मनोहर लाल मर्डर केस का जो खुलासा हुआ, उस की कहानी इस प्रकार निकली—

हिमाचल प्रदेश की सुरम्य चंबा घाटी में बसा सलूणी का भंडाल गांव लुभावने पहाड़ी दृश्यों, नदी किनारे बने घरों, स्टेट छत वाली घास के शेड, सुंदर रास्तों और आकर्षक जंगलों के साथ अपने आप में एक छोटा स्वर्ग माना जाता है. इस गांव में लगभग 100 घर हैं, जिन में हिंदू, मुसलिम के अलावा बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय है.

शब्बीर के घर मनोहर का था आनाजाना

ग्राम पंचायत भोदल के गांव थरोली में रहता था रामू अधवार का परिवार. रामू अधवार शुरू से ही खच्चरों के सहारे अपनी रोजीरोटी चलाते आ रहे थे. उन के पास खेती की थोड़ीबहुत जमीन भी थी. मनोहर लाल 3 बहनों में सब से बड़ा और इकलौता भाई था.

मनोहर लाल कुछ समझदार हुआ तो उस ने अपने पापा की जिम्मेदारी संभालते हुए खेती करने के अलावा खच्चरों पर सामान ढोने का काम शुरू कर दिया, जिस के सहारे उस के परिवार की रोजीरोटी ठीक से चलने लगी थी.

मनोहर लाल इस वक्त 22 साल का हो चुका था. उस की शादी की उम्र हुई तो उस के घर वालों ने उस के लिए एक लडक़ी की तलाश शुरू कर दी. उसी दौरान उन्हीं के एक रिश्तेदार के माध्यम से एक लडक़ी से उस की शादी की बात भी पक्की हो गई थी.

शादी की बात पक्की होते ही उस के घर वालों ने शादी की तैयारियां शुरू कर दी थीं. उसी तैयारी के चलते सब से पहले उन्होंने अपने घर की मरम्मत का काम भी शुरू कर दिया था. उसी मरम्मत के लिए वह 6 जून, 2023 को अपने एक परिचित से कुछ पैसे लाने की बात कह कर घर से निकला था.

पुलिस पूछताछ के दौरान जो जानकारी सामने आई, उस में पता चला कि मनोहर लाल का शब्बीर के घर आनाजाना था. शब्बीर अहमद की 2 नाबालिग बहने थीं. उन्हीं में से एक का नाम आफरीन था. उसी आनेजाने के दौरान मोहन लाल की आफरीन से दोस्ती हो गई.

दोस्ती होने के बाद दोनों ही मोबाइल पर बात करने लगे थे, जिस की जानकारी धीरेधीरेआफरीन के घर वालों को भी हो गई थी. इस जानकारी के मिलते ही आफरीन के घर वालों ने उसे समझाने की कोशिश की, लेकिन उस के बावजूद भी दोनों ही मोबाइल पर बात करने से बाज नहीं आए.

आफरीन के घर वालों ने पुलिस को बताया कि उन्होंने कई बार मनोहर लाल को अपने घर आने से मना किया था, लेकिन वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आया. उस की उन्हीं हरकतों से आजिज आ कर उन्होंने आफरीन से ही फोन करा कर उसे अपने घर बुलाया.

2 दिनों तक लाश के पास खड़े रहे खच्चर

6 जून, 2023 को मनोहर लाल अपने घर वालों से झूठ बोल कर अपने साथ दोनों खच्चरों को ले कर घर से निकला था. मनोहर लाल ने आफरीन के घर जाने से पहले ही अपने दोनों खच्चरों को सलूनी नाले के पास छोड़ दिया. फिर वह आफरीन के घर चला गया. उस के बाद उन्होंने उसे फिर से समझाने की कोशिश की. लेकिन वह उन की एक भी बात मानने को तैयार न था.

उसी से तंग आ कर उन्होंने उसे घर में ही डंडों से बुरी तरह से मारापीटा. जब मनोहर लाल बेहोश हो गया तो उन्होंने उस की हत्या कर दी. उस के बाद उस की लाश को ठिकाने लगाने के लिए लकड़ी काटने वाली आरी से उसे 8 टुकड़ों में काट डाला. फिर उस के सभी टुकड़ों को 3 बोरियों में भर कर नाले में पानी के नीचे पत्थरों से दबा दिया.

तभी मनोहर लाल के गायब होने की खबरें फैलीं. उस के गायब होते ही उसे उस के घर वालों के साथसाथ पुलिस ने भी सभी जगह ढूंढा, लेकिन उस का कहीं भी अतापता नहीं चला. उसी दौरान सलूनी इलाके में एक नाले के पास से अचानक आई बदबू से लोग परेशान हो उठे थे. उसी नाले के पास कई दिनों से 2 खच्चर लगातार खड़े हुए थे.

स्थानीय लोगों को उन खच्चरों का लगातार खड़े रहना अजीब सा लगा. वहां पर रह रहे कुछ लोग जानते भी थे कि ये खच्चर मनोहर लाल के हैं. लेकिन फिर भी किसी ने उस के बारे में गहराई से नहीं सोचा. धीरेधीरे जब मनोहर लाल के गायब होने की खबर क्षेत्र में फैली तो लोगों ने अनुमान लगाया कि इस तरह से खच्चरों के खड़े होने का मतलब मनोहर लाल के साथ कुछ अनहोनी होने की संभावना को दर्शाता है.

यही सोच कर लोगों ने वहां से गुजर रहे नाले में देखा तो वहां पर एक व्यक्ति के पैर का जूता और उस के पास ही बोरे दबे नजर आए. तब उस की सूचना पुलिस को दी गई. फिर उसी नाले से मनोहर लाल के शव के 8 टुकड़े बरामद हुए.

इस केस में जहां एक तरफ आरोपी के घर वालों ने मनोहर लाल पर एक साथ 2 युवतियों के साथ प्रेम प्रसंग का आरोप लगाया था. वहीं इंटरनेट पर मृतक मनोहर लाल के बारे में कई आधारहीन खबरें प्रसारित होने से पीडि़त परिवार के लोग बेहद दुखी और परेशान थे.

घर वालों ने प्रेम प्रसंग की बात को नकारा

इस मामले में मीडिया से बातचीत करते हुए मनोहर लाल के पिता रामू अधवार, मां जानकी, बहनें त्रिशला, सृष्ठा, सीमा और चचेरे भाई मानसिंह, उत्तम सिंह व अन्य ने बताया कि मनोहर लाल के बारे में जो प्रेम संबंधों की अफवाहें उड़ाई जा रही हैं, वे सब बेबुनियाद हैं. इस मामले को प्रेम संबंध से जोड़ कर केस को भटकाने का प्रयास किया जा रहा है.

परिजनों ने बताया कि मनोहर लाल एक शांत स्वभाव वाला सीधासादा युवक था. जो कि सभी लोगों से मुसकराते हुए प्रेम से बात करता था. वह हमेशा ही अपने काम से काम रखता था. अगर उस का किसी युवती से प्रेम प्रसंग चल रहा होता तो वह शादी की बात चलने से पहले ही अपने परिवार वालों को जरूर बता देता.

मनोहर लाल के बुजुर्ग मातापिता का कहना था कि उन के इकलौते बेटे के आरोपियों को फांसी की सजा मिलनी चाहिए. मृतक मनोहर लाल की बुजुर्ग मां जानकी का रोरो कर बुरा हाल था. मां ने रोते हुए बताया कि 15 दिन बाद ही उन के बेटे की शादी थी. शादी की पूरे घर में धूमधाम से तैयारियां चल रही थी. जैसेतैसे कर घर की मरम्मत का काम चल रहा था. लेकिन उस के बेटे के खत्म होते ही उस की सारी तैयारियां धरी की धरी रह गईं. बुजुर्ग मां का बेटे के लिए बहू लाने का सपना भी उस की अर्थी के साथ ही टूट गया.

पुलिस इस मामले में 11 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी थी. पुलिस इस मामले से जुड़े सभी आरोपियों की पृष्ठभूमि भी खंगाल रही थी. आरोपियों के व्यवसाय से ले कर कहांकहां इन लोगों को आनाजाना था. किन लोगों से ये लोग मिलते थे. इस सब की जानकारी जुटाई जा रही थी.

आरोपियों की जम्मूकश्मीर के डोडा जिले में भी रिश्तेदारी है. वहां से भी लोग इन के घर आतेजाते रहते थे. इस बात को भी गंभीरता से लेते हुए हिमाचल प्रदेश की पुलिस डोडा पुलिस के साथ संपर्क साधने में लगी हुई थी.

प्रदेश सरकार ने एसआईटी से 15 दिन के भीतर पूरे घटनाक्रम की रिपोर्ट मांगी थी. पुलिस प्रशासन ने शांति व्यवस्था को देखते हुए चंबा में 160 दिनों के लिए धारा 144 लगाई थी. वहीं नेताओं व अन्य लोगों को पीडि़त परिवार के सदस्यों से मिलने पर भी पाबंदी लगा दी थी. साथ ही कुछ संदिग्धों पर भी पुलिस अपनी नजर रखे हुए थी.

बहरहाल, पुलिस ने आरोपियों से पूछताछ करने के बाद उन्हें कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

(कथा पुलिस सूत्रों व जनचर्चा पर आधारित है )

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