कातिल निगाहों ने बनाया कातिल – भाग 1

3 अगस्त, 2023 को रात के कोई 2 बजे का वक्त रहा होगा. उत्तराखंड के जिला ऊधमसिंह नगर के शहर रुद्रपुर की घनी आबादी वाले ट्रांजिट कैंप इलाके में सन्नाटा पसरा हुआ था. उसी दौरान संजय यादव के 12 वर्षीय बेटे जय की चीखपुकार ने सभी लोगों की नींद उड़ा दी थी.

जय जोरजोर से चीख रहा था, ‘‘बचाओबचाओ, बदमाशों ने मेरे मम्मीपापा को मार डाला.’’

उस की चीखपुकार सुन कर लोग इकट्ठा हुए. फिर लोगों ने उस के घर के अंदर का मंजर देखा तो सभी के रोंगटे खड़े हो गए. लोगों ने घटनास्थल पर देखा, एक कमरे में उस के मम्मीपापा की लाश खून से लथपथ पड़ी हुई थी. जबकि दूसरे कमरे में उस की नानी बेहोशी की हालत में पड़ी हुई चीखपुकार मचा रही थी. जय ने लोगों को बताया कि उस ने भी शोर मचाने की कोशिश की तो आरोपी उसे धक्का मार कर एक बदमाश फरार हो गया.

इस जघन्य अपराध को देखते ही वहां पर मौजूद लोगों ने पुलिस को सूचना दी. सूचना पाते ही आननफानन में घटनास्थल पर पुलिस भी पहुंच गई थी. पुलिस ने इस मामले में मृतक संजय यादव के बेटे जय से जानकारी जुटाई तो उस ने बताया कि रात के कोई 2 बजे उस के घर में बदमाश घुस आए. घर में घुसते ही बदमाशों ने उस के पिता की धारदार हथियार से गला रेत कर हत्या कर दी.

उस के बाद पास में ही सो रही उस की मां के चेहरे पर कई वार करने के बाद उन के हाथ की नस काट दी, फिर उन की कमर पर धारदार हथियार से हमला कर हत्या कर दी. दोनों की चीख सुन दूसरे कमरे में सो रही उस की नानी गौरी मंडल मौके पर पहुंची तो बदमाशों ने उन के पेट पर भी वार कर दिया, जिस के कारण वह भी गंभीर रूप से घायल हो गईं.

दोहरे मर्डर से क्षेत्र में मची सनसनी

3 लोगों की नाजुक हालत को देखते ही पुलिस ने एंबुलेंस भी बुला ली थी. तीनों को तुरंत जिला अस्पताल पहुंचाया गया, जहां पर डाक्टरों ने संजय यादव और उन की पत्नी सोनाली को मृत घोषित कर दिया. जबकि सोनाली यादव की मां गौरी मंडल की हालत गंभीर दखते हुए उन्हें शहर के एक निजी अस्पताल में रेफर कर दिया था. रात अधिक होने के कारण पुलिस ने दोनों मृतकों की लाश को मोर्चरी में रखवा दिया था.

अगले दिन सुबह ही पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंच कर मृतक परिवार के घर की जांचपड़ताल की. जांच के लिए डौग स्क्वायड को भी बुलाया गया था. इस दौरान भी सारे दिन देखने वालों की भीड़ लगी रही.

इस केस की अधिक जानकारी के लिए पुलिस ने कुमाऊं फोरैंसिक टीम भी बुला ली थी. घटना के बाद घर में मौजूद बिस्तर खून से लथपथ पड़ा हुआ था. फर्श पर भी कई जगह खून बिखरा मिला. फोरैंसिक टीम ने घटनास्थल पर पहुंचते ही टीम ने साक्ष्य जुटाए. उस के बाद पुलिस ने अपनी काररवाई करते हुए दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था.

7 पुलिस टीमों के 45 पुलिसकर्मी जुटे जांच में

इस जघन्य डबल मर्डर के शीघ्र खुलासे के लिए एसएसपी मंजूनाथ टीसी द्वारा जगदीश की गिरफ्तारी हेतु पुलिस अपराध एवं यातायात, एसपी (सिटी), सीओ अनुषा बडोला व पंतनगर के सीओ व एसएचओ कोतवाली सुंदरम शर्मा के निर्देशन में 7 पुलिस टीमों का गठन किया गया.

इस केस की गहराई तक जाने के लिए सब से पहले पुलिस ने घटनास्थल के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली. जिस के द्वारा राजवीर नाम का एक शख्स सुर्खियों में उभर कर सामने आया. पुलिस ने राजवीर की छानबीन की तो उस के कई नाम उभर कर सामने आए. जो जगदीश उर्फ राजकमल उर्फ राज नाम से ज्यादा जाना जाता था. उसी दौरान पुलिस को जानकारी मिली कि वह राजवीर नाम से कई साल पहले संजय यादव के घर के सामने किराए पर रह चुका था.

जगदीश उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर का मूल निवासी था. इस वक्त वह कहां रह रहा था, किसी के पास कोई ठोस जानकारी नहीं थी. फिर भी पुलिस ने उस के फोन नंबर को सर्विलांस पर लगा दिया. लेकिन वह नंबर काफी समय से बंद आ रहा था, जिस से पता चला कि अभियुक्त पुलिस की पकड़ से बचने के लिए पलपल स्थान बदल रहा था.

उस के बाद गठित टीमों द्वारा अपनाअपना काम करते हुए 5 राज्यों उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा व दिल्ली में जा कर लगभग 1200 सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली. लेकिन वह पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ रहा था. उस के बाद एसएसपी मंजूनाथ टीसी ने आरोपी की पकडऩे के लिए 25 हजार रुपए का ईनाम घोषित करते हुए अखबारों में भी विज्ञापन दिया. साथ ही आरोपी को शीघ्र पकडऩे के लिए पुलिस ने उस के पीछे मुखबिर भी लगा दिए.

9 अगस्त, 2023 को पुलिस को एक मुखबिर द्वारा सूचना मिली कि डबल मर्डर केस का आरोपी उत्तर प्रदेश के रामपुर शहर में मौजूद है. इस जानकारी के मिलते ही पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए मुखबिर की लोकेशन के आधार पर चारों तरफ से घेराबंदी करते हुए उसे अपनी हिरासत में ले लिया.

जगदीश को गिरफ्तार करते ही पुलिस टीम रुद्रपुर चली आई. रुद्रपुर लाते ही पुलिस ने इस हत्याकांड के बारे में उस से कड़ी पूछताछ की. जगदीश ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया. जगदीश ने बताया कि वह उसे दिलोजान से चाहता था. लेकिन सोनाली उस से प्रेम करने को तैयार न थी, जिस के कारण ही उसे इतना बड़ा कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा.

संजय और सोनाली ने की थी लव मैरिज

पुलिस पूछताछ और संजय यादव के परिवार से मिली जानकारी से इस मामले में जो कथा उभर कर सामने आई, वह इस प्रकार थी—

संजय यादव उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ का मूल निवासी था. 5 भाइयों में सब से छोटा संजय यादव अब से लगभग 17 साल पहले नौकरी की तलाश में रुद्रपुर आया था. उस वक्त वह अविवाहित था. रुद्रपुर आ कर उस ने एक किराए का कमरा लिया और यहीं पर नौकरी भी करने लगा था. उसी नौकरी करने के दौरान उस की मुलाकात सुभाष कालोनी निवासी सोनाली से हुई. उस वक्त सोनाली भी सिडकुल की एक फैक्ट्री में काम करती थी.

दो बहनों का एक प्रेमी – भाग 1

इफ्तखाराबाद के अब्दुल रशीद को कानपुर की एक टेनरी में नौकरी मिल गई थी. कुछ सालों बाद उन्होंने कानपुर के मुसलिम बाहुल्य इलाके राजीवनगर में जमीन खरीदकर अपना छोटा सा  मकान बना लिया और परिवार के साथ उसी में रहने लगे. कालांतर में उन के 7 बच्चे हुए, जिन में 3 बेटे थे और 4 बेटियां. वक्त के साथ उन के सभी बच्चे बड़े हो गए तो उन्होंने 2 बड़ी बेटियों की शादी कर दी.

कई साल पहले अब्दुल रशीद की शरीक ए हयात का इंतकाल हो गया तो वह टेनरी की नौकरी छोड़ कर छोटे बेटे अतीक अहमद के साथ बेल्ट बनाने का काम करने लगे. उन के दोनों बड़े बेटों, रईस अहमद और अनीस अहमद ने अपनी मरजी से शादियां कर ली थीं और अलग मकान ले कर रहने लगे थे. अब अब्दुल रशीद के घर में 4 ही लोग बचे थे, वह, उन की 2 बेटियां शमीम बानो और आफरीन और छोटा बेटा अतीक अहमद.

शमीम और आफरीन दोनों ही जवान थीं, लेकिन आर्थिक परेशानियों के चलते उन की शादियां नहीं हो पा रही थीं. अब्दुल रशीद और अतीक सुबह को काम पर निकल जाते थे तो फिर दिन छिपने के बाद ही घर लौट कर आते थे. शमीम और आफरीन दिन भर घर में अकेली रहती थीं. उन पर किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं थी.

खाली रहने की वजह से शमीम की दोस्ती रूबीना नाम की एक युवती से हो गई. रूबीना ने 5 साल पहले अपनी पसंद के एक युवक से शादी की थी. इस में उस के घर वालों की सहमति भी शामिल थी. लेकिन शादी के बाद रूबीना एक बार ससुराल जाने के बाद दोबारा नहीं गई. नतीजतन उस का तलाक हो गया. इस के कुछ दिनों बाद रूबीना ने एक ऐसे आदमी से शादी कर ली, जिस की पहले से ही 2 बीवियां थीं.

इस बात को ले कर खूब हंगामा हुआ. उस आदमी की दोनों बीवियों ने भी रूबीना को जम कर लताड़ा और गालीगलौज की. उन्होंने अपने पति को भी चेतावनी दी. फलस्वरूप रूबीना को उस आदमी का भी साथ छोड़ना पड़ा. इस तरह रूबीना एक बार फिर अकेली रह गई. अब तक उस के मातापिता की मृत्यु हो चुकी थी और वह अपने भाई शाहिद और भाभी जरीना के साथ राजीवनगर में ही रह रही थी. भैयाभाभी का उस पर कोई कंट्रोल नहीं था, वह पूरी तरह आजाद थी.

रूबीना जैसा ही हाल शमीम बानो का भी था. उस के 2 भाई अपनी पत्नियों के साथ अलग रहते थे. पिता और छोटा भाई सुबह काम पर चले जाते थे तो फिर रात में ही लौटते थे. उन के जाने के बाद शमीम पूरी तरह आजाद हो जाती थी यानी अपनी मरजी की मालिक. एक ही मोहल्ले में रहने और एक जैसी आदतों की वजह से दोनों में दोस्ती हो गई. दोनों साथसाथ घूमने लगीं.

शमीम खूबसूरत थी. उस पर मोहल्ले के कई लड़कों की निगाहें जमी थीं, जिन में एक उस के चाचा वहीद का बेटा सिद्दीक भी था. करीबी रिश्तेदार होने की वजह शमीम और सिद्दीक के बीच नजदीकी संबंध बन गए. फिर जल्दी ही ऐसा समय भी आया, जब दोनों एकदूसरे को तनमन से समर्पित हो गए.

इधर बड़ी बहन शमीम चाचा के लड़के सिद्दीक से इश्क लड़ा रही थी तो उधर छोटी आफरीन भी 22 की हो चुकी थी. आफरीन शमीम से ज्यादा खूबसूरत भी थी और स्मार्ट भी. सिद्दीक यूं तो आफरीन को बचपन से देखता आया था, लेकिन शमीम से शारीरिक संबंध बनने के बाद उस का आफरीन को देखने का भी नजरिया बदल गया था. वह शमीम से ज्यादा आफरीन में दिलचस्पी लेने लगा. शमीम को हालांकि यह अच्छा नहीं लगा, लेकिन वह कर भी क्या सकती थी.

सिद्दीक से मोहभंग हुआ तो शमीम अपनी दोस्त रूबीना के और भी ज्यादा करीब आ गई. इस के बाद दोनों कानपुर के ही नहीं बल्कि दिल्ली तक के चक्कर लगाने लगीं. शमीम के पैर चूंकि पहले ही घर से बाहर निकल चुके थे, इसलिए अब्दुल रशीद चाह कर भी उस पर पाबंदी नहीं लगा सके. जब उस का मन होता रूबीना के साथ चली जाती और जब मन होता घर लौट आती. पिछले साल शमीम जब ईद के दिन दिल्ली चली गई तो अब्दुल रशीद को बहुत बुरा लगा. वह वापस लौटी तो उन्होंने उसे डांटाफटकारा भी, पर उस पर कोई असर नहीं हुआ.

शमीम के बाहर चली जाने के बाद आफरीन घर में अकेली रह जाती थी. इस का फायदा उठाया सिद्दीक ने. वह अपना ज्यादा से ज्यादा समय आफरीन के साथ गुजारने लगा. इस का नतीजा यह हुआ कि प्यार के नाम पर दोनों एकदूसरे के बेहद करीब आ गए. यहां तक कि दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया.

इसी बीच शमीम एक बार रूबीना के साथ दिल्ली गई तो उस ने लौट कर बताया कि रूबीना दिल्ली के एक युवक से उस की शादी की बात चला रही है. उस युवक का वह फोटो भी साथ लाई थी. घर में किसी की इतनी हिम्मत नहीं थी कि उस का विरोध करता. वैसे भी सभी चाहते थे कि किसी तरह उस की शादी हो जाए तो अच्छा है. दिल्ली से लौटने के बाद शमीम का अधिकतर समय फोन पर बतियाने में बीतने लगा. वह आफरीन से बताती थी कि वह उसी युवक से बातें करती है, जिस से शादी करेगी.

जब से शमीम का दिल्ली वाले लड़के से चक्कर चला था, वह ज्यादातर घर में ही रहने लगी थी. इस से आफरीन को परेशानी होती थी, क्योंकि वह सिद्दीक से नहीं मिल पाती थी. यह देख कर उस ने अपने इस प्रेमी से घर के बाहर मिलना शुरू कर दिया. जब यह बात शमीम को पता चली कि उस का पूर्व प्रेमी उस की छोटी बहन के साथ इश्क लड़ा रहा है तो उसे बहुत बुरा लगा. उस ने आफरीन को समझाने की कोशिश की कि वह सिद्दीक के चक्कर में न पड़े, क्योंकि वह अच्छा लड़का नहीं है.

शमीम आफरीन से कई साल बड़ी थी, तजुर्बेकार भी थी. वह जानती थी कि सिद्दीक आफरीन का फायदा उठा कर उसे किनारे लगा देगा. इसलिए वह कोशिश करने लगी कि वे दोनों न मिल पाएं. लेकिन यह बात आफरीन को बुरी लगती थी और सिद्दीक को भी. इस की एक वजह यह थी कि शमीम अपने मामले में हमेशा से आजाद रही थी, जबकि वह उन दोनों पर पाबंदी लगाना चाहती थी.

कैसे हुईं 9 दिन में 3 बहनें गायब – भाग 1

सुबह के 7 बजे थे, शमशाद अली अपने घर के बाहर बैठे हुए थे. उन्होंने किसी काम के लिए अपनी 14 वर्षीय बेटी मनतारा को आवाज लगाई. लेकिन मनतारा ने कोई जबाव नहीं दिया. इस पर पास बैठे बेटे सलमान से उन्होंने मनतारा को बुलाने के लिए कहा.

सलमान बहन को बुलाने घर में गया, लेकिन उसे मनतारा घर में दिखाई नहीं दी. उस ने पूरे घर में बहन को तलाशा, दूसरी बहनों व मां ने भी अनभिज्ञता व्यक्त की. मनतारा नहीं मिली. तब गांव में उसे तलाश किया गया. लेकिन वह गांव में होती तो मिलती. वह कहीं नहीं मिली. दरअसल, मनतारा गायब हो चुकी थी.

उत्तर प्रदेश में मैनपुरी जिले के थाना क्षेत्र कुर्रा का एक गांव है रम्पुरा. जिला मुख्यालय से इस गांव की दूरी करीब 25 किलोमीटर है. इसी गांव का रहने वाला है शमशाद अली. शमशाद की 3 बेटियों में 22 साल की निशा, 16 साल की खुशबू और 14 साल की मनतारा जबकि एक बेटा सलमान है. शमशाद मेहनतमजदूरी कर के परिवार का पालनपोषण करता था. इस काम में बेटा उस का हाथ बंटाता था.

जब मनतारा कहीं नहीं मिली तो परेशान शमशाद थाना कुर्रा जा पहुंचा और एसएचओ जयश्याम शुक्ला से मिला. उस ने उन्हें अपनी 14 वर्षीय नाबालिग बेटी के लापता होने की जानकारी दी. शमशाद ने आरोप लगाया कि उस की बेटी को कोई किडनैप कर ले गया है. पुलिस ने इस की रिपोर्ट दर्ज कर ली और बेटी को ढूंढने की बात कही. यह भी कहा कि आप भी अपने स्तर से पता लगाइए. यह बात 21 दिसंबर, 2022 की है.

पिता द्वारा रिपोर्ट दर्ज कराए 8 दिन हो गए थे. पुलिस ने नाबालिग बच्ची को ढूंढने का वायदा भी किया था, लेकिन पुलिस उस का कोई सुराग नहीं लगा पाई थी. शमशाद का आरोप था कि पुलिस ने इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया. पुलिस के ढुलमुल रवैए को देखते हुए शमशाद ने खुद अपनी बेटी की तलाश करने का निर्णय लिया.

शमशाद अली ने अपनी लापता हुई बेटी के संबंध में स्वयं छानबीन शुरू कर दी. इस बीच पड़ोसियों से उसे पता चला कि बेटी पंजाब के मुक्तसर ले जाई गई है. शमशाद के पड़ोसी राकेश के यहां कुछ दिन पहले शादी में पंजाब के मुक्तसर का रहने वाला एक लडक़ा आया था. वही उन की बेटी को बहलाफुसला कर भगा ले गया है. प्रयास करने पर उस लडक़े के पिता का मोबाइल नंबर भी शमशाद को मिल गया.

एक बेटी को ढूंढने गए, 2 और हो गईं गायब

30 दिसंबर, 2022 को शमशाद के मोबाइल पर आरोपी का फोन आया. बेटी से बात भी की. इस संबंध में शमशाद ने थाना कुर्रा जा कर पुलिस को पूरी बात से अवगत कराया. पुलिस ने तब उस मोबाइल की लोकेशन पता की. लोकेशन की जानकारी के बाद शमशाद को लोकेशन दे कर पंजाब के मुक्तसर भेजा.

उसी दिन शमशाद बेटी की तलाश के लिए मुक्तसर के लिए कार बुक करा कर अपने 3 रिश्तेदारों के साथ घर से निकला. शमशाद अभी अलीगढ़ तक ही पहुंचा था कि घर से बेटे का फोन आ गया. बेटे ने कहा, “अब्बा, 2 बहनें और किडनैप हो गई हैं.”

यह सुनते ही शमशाद के होश उड़ गए.

शमशाद ने बिना देर किए अपने मोबाइल से कुर्रा थाने के अलावा पुलिस के कई अधिकारियों को काल किया, लेकिन उसे कोई उत्तर नहीं मिला. उस समय शमशाद ने घर लौटना उचित नहीं समझा और पंजाब पहुंच गया. वहां संबंधित थाने में पहुंचा और कुर्रा थाना द्वारा दी गई आरोपी के मोबाइल की लोकेशन से मुक्तसर स्थित थाना पुलिस को अवगत कराया.

वहां के एसएचओ ने कुर्रा के एसएचओ से बात कराने को कहा. थाने व क्राइम ब्रांच को कई बार फोन किए, लेकिन नेटवर्क न मिलने के कारण बात नहीं हो सकी. शमशाद ने वहां की पुलिस को बताया कि उस के पड़ोसी राकेश के रिश्तेदारों की मदद से हम ने उस लडक़े के बारे में जानकारी जुटाई है कि वह लडक़ा मुक्तसर का रहने वाला है. हमें उस लडक़े के पिता का मोबाइल नंबर भी मिल गया था. उसी के आधार पर थाना कुर्रा से आरोपी की लोकेशन निकलवाई थी.

पंजाब पुलिस ने कहा, आप को अपने राज्य की पुलिस के साथ आना चाहिए था. इस तरह हम आप की कोई मदद नहीं कर सकतेे हैं. थकहार कर शमशाद वापस लौट आया.

पंजाब से खाली हाथ लौटने के बाद शमशाद ने थाना कुर्रा जा कर अपनी 2 और बेटियों निशा और खुशबू के किडनैप होने की जानकारी देते हुए अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कराई. इन में निशा बालिग जबकि खुशबू नाबालिग थी. थाना कुर्रा में अब तक शमशाद की 3 बेटियों के अपहरण की भादंवि की धारा 363 के अंतर्गत 2 मामले दर्ज किए जा चुके थे. शमशाद ने पुलिस के सामने आशंका व्यक्त की, अपहत्र्ता उस की बेटियों को मार डालेंगे. उन के अंग निकाल लेंगे.

पंजाब के युवक ने किया किडनैप

शमशाद ने बताया कि 4 नवंबर को घर के सामने रहने वाले राकेश की बेटी की शादी थी. शादी में राकेश के रिश्तेदारों के साथ उन के दोस्त भी आए थे. आरोपी युवक भारत सिंह पंजाब के मुक्तसर से आया था. वह यहां करीब 15 दिन रुका था. उस समय घर वालों ने कोई ध्यान नहीं दिया, लेकिन बाद में पता चला कि वह लडक़ा उन की बेटियों के पीछे पड़ा था. उसी ने तीनों बेटियों का अपहरण 9 दिन में कराया है.

शमशाद ने आशंका व्यक्त की कि वह युवक किसी बड़े गिरोह का सदस्य भी हो सकता है. वह बेटियों को बेच भी सकता है. उस ने अपनी तीनों बेटियों की जान को खतरा बताया. बेबस पिता शमशाद ने राष्ट्रपति, प्रदेश के मुख्यमंत्री और एसपी (मैनपुरी) के नाम अपनी शिकायत फैक्स द्वारा भेज दी. इस के साथ ही मैनपुरी जा कर एसपी विनोद कुमार से मिल कर पूरे घटनाक्रम की जानकारी उन्हें देते हुए तीनों बेटियों को बरामद करने की गुहार लगाई.

3 बेटियों के अपहरण पर प्रशासन हुआ अलर्ट

एसपी विनोद कुमार ने शमशाद को आश्वासन देते हुए कहा, जल्द से जल्द आप की तीनों बेटियां आप के पास होंगी. बेटियों को ले जाने वाले अपराधियों को पकडऩे के लिए हम स्पैशल टीम बनाएंगे. उस के बाद एसपी द्वारा 2 टीमें गठित कर दी गईं.

9 जनवरी, 2023 को कुर्रा के एसएचओ जयश्याम शुक्ला से शमशाद मिला. जिस लडक़े पर बेटियों के अपहरण का शक था, उस के पिता को फोन मिलाया. लडक़े के पिता ने फोन उठाया तो पीछे से छोटी बेटी मनतारा की आवाज आई. इस पर बेटी से बात कराने को कहा. बेटी ने डरी आवाज में कहा, “पापा, अब मैं वापस नहीं आ पाऊंगी.”

इस के बाद फोन कट गया. शमशाद ने बताया कि बेटी को ज्यादा बात करने से रोक दिया. बेटी को धमकाने की आवाज फोन में आ रही थी.

एसपी मैनपुरी ने थाना कुर्रा पुलिस को लड़कियों को शीघ्र बरामद करने के निर्देश दिए. इस पर 10 जनवरी, 2023 को शमशाद को साथ ले कर थाना कुर्रा पुलिस पंजाब के लिए रवाना हुई. जिस मोबाइल नंबर पर बात हुई थी, पुलिस ने उस मोबाइल की लोकेशन ट्रैक की.

जब पुलिस वहां पहुंची तो घर पर ताला लटका मिला. आसपास पूछताछ की, लेकिन उन लोगों के बारे में कुछ पता नहीं चला. थकहार कर सभी लोग खाली हाथ वापस आ गए. धीरेधीरे डेढ़ महीने का समय बीत गया.

सूटकेस में मिली लाश का रहस्य

जुल्मी से प्यार : सनकी प्रेमी से छुटकारा

फेसबुकिया प्यार बना जी का जंजाल – भाग 3

आखिर विनीत को मुखबिर की सूचना पर लोनी गोल चक्कर से गिरफ्तार कर लिया गया.

आइए, पहले जान लेते हैं कि विनीत पंवार कौन है और उस ने माही की हत्या क्यों की.

विनीत और माही की फेसबुक से हुई थी जानपहचान

उत्तर प्रदेश के जिला बागपत का एक छोटा सा गांव है कागदीपुर. इसी गांव का निवासी था विनय पंवार. उस के 2 बेटे विनीत और मोहित थे तथा एक बेटी थी पारुल. विनय पंवार मेहनतमजदूरी कर के बच्चों का पेट पालता था. उस की पत्नी का देहांत हो गया था. विनय पंवार ने जैसेतैसे बच्चों की परवरिश की.

पारुल सयानी हुई तो उस ने उस की शादी विदिशा के साथ कर दी. विदिशा दिल्ली में काम करता था. बहन की शादी के बाद विनीत भी कामधंधे की तलाश में अपने जीजा के पास रहने आ गया. वह ज्यादा पढ़ालिखा नहीं था, इसलिए उसे अच्छी नौकरी तो नहीं मिली. हां, गुजरबसर करने लायक एक फैक्ट्री में काम जरूर मिल गया. वह बहन और जीजा के पास ही रहने लगा. वह बहन को अपने खाने का खर्चा देने लगा.

विनीत को अच्छा पहनने और फिल्में देखने का शौक था. धीरेधीरे उस ने कुछ रुपए जोड़ कर किस्तों पर मोबाइल फोन भी ले लिया था. वह दिन में फैक्ट्री में काम करता. शाम को नहाधो कर अच्छे कपड़े पहनता और मोबाइल हाथ में ले कर घूमने निकल जाता.

उसी मोबाइल पर फेसबुक द्वारा विनीत की रोहिना उर्फ माही नाम की एक लडक़ी से जानपहचान हो गई. यह जानपहचान धीरेधीरे दोस्ती और फिर प्यार में बदल गई. विनीत खाली समय में रोहिना उर्फ माही से प्रेम की बातें करता रहता.

दोनों के बीच यह प्यार इस कदर बढ़ा कि माही अपना घरद्वार छोड़ कर विनीत के साथ रहने को राजी हो गई. विनीत उसे लेने के लिए उत्तराखंड पहुंच गया. हरिद्वार के एक गांव मिर्जापुर में रहती थी रोहिना उर्फ माही. वह विनीत से मिलने हरिद्वार आ गई. दोनों पहली बार यूं आपस में गले मिले जैसे उन में बरसों की गहरी मित्रता हो.

माही अपना सामान बैग में भर कर लाई थी. विनीत उसे अपने साथ बागपत के गांव कागदीपुर ले गया. माही बगैर शादी किए उस के साथ लिवइन रिश्ता जोड़ कर रहने लगी. विनीत की इस हरकत पर उस के पिता विनय पंवार ने कोई विरोध नहीं किया.

उसे बेटे की शादी करनी ही थी. बेटा अपनी पसंद की कोई लडक़ी घर ले आया तो विनय पंवार को क्या एतराज होता. बस उसे यही अखरता था, माही के साथ विनीत बगैर शादी किए रह रहा था. लेकिन विनय पंवार खामोश रहा. माही उन के घर में रहती रही.

विनीत के जीवन में आया नया मोड़

लेकिन अभी विनीत की जिंदगी में और भी उतारचढ़ाव आने शेष थे. वह माही के साथ आराम से रह रहा था कि एक दिन उसे और उस के पिता विनय पंवार को पुलिस ने एक हत्या का दोषी मान कर गिरफ्तार कर लिया और जेल भेज दिया. यह सन 2017 की बात है. जुर्म साबित होने पर उसे सजा हो गई.

पिता विनय पंवार और भाई विनीत जेल चला गया तो माही को पारुल अपने पास दिल्ली ले गई. माही के कदम अच्छे नहीं थे. एक दिन पारुल के पति विदिशा की अचानक मौत हो गई. पारुल खूब रोईधोई, फिर उस ने मन को धीरज दे कर अपनी जिंदगी की गाड़ी को पटरी पर लाने का रास्ता तलाशना शुरू कर दिया.

कहा जाता है औरत का एक सहारा टूटता है तो अनेक हाथ उसे सहारा देने के लिए आगे बढ़ जाते हैं, लेकिन तब जब औरत जवान और सुंदर हो. पारुल जवान भी थी और खूबसूरत भी. उस की तरफ इरफान ने हाथ बढ़ाया तो पारुल ने तुरंत उस का हाथ थाम लिया. पारुल की जिंदगी मजे में कटने लगी. साथ ही वह माही का भी खर्च उठाने में सक्षम हो गई.

पारुल को माही भाभी मानती थी. माही यहां विनीत के भरोसे अपने मांबाप, बहनभाई छोड़ कर आई थी. विनीत जेल चला गया तो माही उदास हो गई. विनीत के बगैर उसे कुछ अच्छा नहीं लगता था. लेकिन वह कर ही क्या सकती थी. वह यह सोच कर संतोष कर रही थी कि विनीत जल्दी ही जेल से छूट कर घर आएगा, तब वह उस से शादी कर के उस की दुलहन बन जा जाएगी.

नवंबर, 2022 में हाईकोर्ट के आदेश पर विनीत पैरोल पर जेल से बाहर आया तो माही उसे सामने देख कर खुशी से नाच उठी. उस ने विनीत के आगे शादी की बात रखी, लेकिन विनीत उसे गले की हड्डी नहीं बनाना चाहता था.

उस ने बहन पारुल से बात की तो पारुल ने संजीदगी से कहा, “विनीत, माही वह लडक़ी नहीं है जिसे मैं भाभी बनाऊं, इसे दफा करो और किसी धनी बाप की बेटी को फांसो, ताकि लडक़ी के साथ मोटी रकम भी हाथ आए.”

“मेरी जिंदगी पर अपराधी का ठप्पा लग गया है बहन, मुझे कोई पैसे वाला अपनी लडक़ी क्यों देगा?”

“तो फिर माही को बेच डालो, मोटी रकम हाथ आएगी तो हमारे दिन संवर जाएंगे.”

“हां, यह ठीक रहेगा.” विनीत ने खुश हो कर कहा.

उसी दिन से वह और पारुल रोहिना उर्फ माही को बेचने की जुगत में लग गए. काफी भागदौड़ करने पर भी माही के लिए मोटी कीमत देने वाला नहीं मिला. इधर माही रोज विनीत पर शादी करने का दबाव बना रही थी. आखिर इस से तंग आ कर विनीत ने माही से पीछा छुड़ाने के लिए उस का गला दबा कर उस की जान ले ली.

माही मर गई तो विनीत डर गया. उस ने माही की लाश दीवान में छिपा कर रखी. फिर पारुल को माही की हत्या कर देने की बात बता दी. पारुल ने माही की लाश ठिकाने लगाने के लिए अपने प्रेमी इरफान की मदद मांगी तो वह तुरंत रात को बाइक ले कर आ गया. उस वक्त पारुल का छोटा भाई मोहित भी घर पर था.

पारुल ने इरफान की बाइक पर रोहिना उर्फ माही की लाश लादने में विनीत और इरफान की मदद की. इरफान और विनीत माही की लाश रात के अंधेरे में करावल नगर के महालक्ष्मी विहार में डाल आए.

क्राइम ब्रांच और करावल नगर थाने की पुलिस टीम के संयुक्त प्रयास से इरफान, विनीत, पारुल और मोहित की गिरफ्तारी संभव हो सकी. विनीत ने भी अपना अपराध कबूल कर लिया था. पुलिस ने उन चारों अभियुक्तों को सक्षम न्यायालय में पेश कर के कोर्ट के आदेश पर जेल भेज दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित सत्य कथा का नाट्य रूपांतरण है.

न्यूज एंकर सलमा सुलताना मर्डर मिस्ट्री – भाग 3

जांच के दरमियान रौबिंसन गुडिय़ा को यह जानकारी मिली कि यूनियन बैंक औफ इंडिया की कोरबा शाखा से सलमा ने लोन लिया हुआ था, बैंक से पता करने पर जानकारी मिली कि उस के लोन की ईएमआई तो लगातार मधुर साहू द्वारा जमा करवाई जा रही है.

उन्हें कुछ बातें अपने आप में शंक पैदा करने वाली महसूस हुईं. उन्होंने सलमा सुलताना की गुमशुदगी को एक चुनौती के रूप में लिया. इस मामले को ले कर जांच को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया. उन्होंने कुछ लोगों के बयान लिए तो उन्हें यह महसूस हुआ कि मामला किसी रहस्यमयी हत्या का है और घटना का परदाफाश किया जा सकता है.

क्योंकि 21 अक्तूबर, 2018 के बाद सलमा का फेसबुक, इंस्टाग्राम अकाउंट बंद हो गया था. उस में कोई पोस्ट नहीं थी और मनोवैज्ञानिक तथ्य यह है कि कोई भी बौद्धिक या सामाजिक व्यक्ति, जो पत्रकारिता और सार्वजनिक जीवन में है, इस तरह सोशल मीडिया से अचानक गायब नहीं हो सकता.

इधर सलमा का इतने लंबे समय तक गायब रहना अपने आप में कई सवाल खड़े कर रहा था कि आखिर सलमा गई कहां या फिर किसी ने उस की हत्या कर दी है.

आईपीएस रौबिंसन गुडिय़ा ने कोरबा में तैनाती होने के बाद न्यूज चैनल में काम कर रही एंकर सलमा सुलताना से जुड़े गवाहों के बयान एक बार फिर से लेने शुरू किए. बयान लेने के दौरान 2 महिला सविता और कोमल और 3 पुरुषों के कथन में विरोधाभास महसूस किया गया.

इन सब से सख्ती से पूछताछ करने पर 21 अक्तूबर, 2018 एलआईजी 17 शारदा विहार में मधुर साहू एवं कौशल श्रीवास के द्वारा सलमा सुलताना का गला घोट कर हत्या करने और उस की लाश को अतुल शर्मा की मदद से भवानी मंदिर के पास सडक़ किनारे दफनाए जाने की बात सामने आई.

सविता ने भी पुलिस को अपने बयान में बताया कि उस ने खुद मधुर साहू और कौशल श्रीवास को सलमा की हत्या करते देखा था, यही कारण है कि मधुर ने उसे अपने यहां नौकरी पर रखा हुआ था. उस ने यह सब घटना कोमल को बता दी थी, जिस के कारण मधुर साहू दोनों को अपने यहां काम पर रखने को मजबूर था.

इस के बाद जैसे ही पुलिस मधुर साहू के गंगा श्री जिम, अमरैया पारा पहुंची तो पता चला कि वह फरार हो चुका है. उस का सहयोगी कौशल श्रीवास भी गायब मिला. पुलिस ने अतुल शर्मा से पूछताछ कर अपने तौर तरीके से जांच को आगे बढ़ाना शुरू किया. उस ने बताया कि मधुर साहू ने उस के नाम पर भी बैंक से लोन दिलवा कर पैसा अपने पास रख लिया था. इसी तरह कुछ लोगों के साथ और भी जालसाजी की है, जिस की शिकायत आईटीआई थाने में की गई है.

5 साल बाद ऐसे खुली मर्डर मिस्ट्री

आईपीएस जांच अधिकारी रौबिंसन गुडिय़ा ने अतुल शर्मा को अपने विश्वास में लिया और थोड़े से ही पुलिसिया दबाव में उस ने सारी हकीकत बयान कर दी. वह पुलिस से मधुर साहू के संदर्भ में इधरउधर की बातें तो खुल कर करने लगा था, मगर जैसे ही रौबिंसन गुडिय़ा ने सलमा सुलताना के बारे में सवाल किया तो वह घबराया और बोला कि वह सलमा को नहीं जानता है.

मगर जब कड़ी से कड़ी मिलने लगी तो उसे स्वीकार करना पड़ा कि वह सलमा सुलताना की हत्या के बाद उस के शव को दफनाने में मददगार बना था. अब मुख्य आरोपियों की तलाश जारी थी. पुलिस को यह जानकारी मिली थी कि दोनों आरोपी मधुर साहू और उस का कर्मचारी कौशल श्रीवास दिल्ली में छिपे हुए हैं. बीचबीच में वह अपने परिचितों से बात कर रहे हैं और रुपए मंगा रहे हैं.

इसी बीच जून 2023 महीने में जहां सलमा की लाश दफनाई गई थी, पुलिस को शुरुआती पूछताछ में मिली जानकारी के बाद सस्पेक्टेड जगह के आसपास में सेटेलाइट डेटा, थर्मल इमेजिंग एवं ग्राउंड पेनेट्रेशन राडार मशीन और भूवैज्ञानिक की मदद से मृत देह अस्थियों के बारे में पता करने का प्रयास शुरू किया गया.

अभी वहां कोरबा से बिलासपुर को जोडऩे वाला नैशनल हाईवे बन चुका है. इसलिए पुलिस को सफलता नहीं मिल पाई. यह कथा लिखे जाने तक सलमा सुलताना के शव की अस्थियां पुलिस को बरामद नहीं हुई थीं. अब पुलिस ने तीनों आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद स्पष्ट किया कि चिह्नित जगह पर आगे की काररवाई न्यायालय के आदेश के बाद शुरू की जाएगी. क्योंकि जहां इन्होंने लाश दफनाई थी, वहां अब हाईवे बन चुका है.

पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर 14 अगस्त, 2023 को आरोपी मधुर साहू और कौशल श्रीवास को उस समय कोरबा जिले के कटघोरा बाईपास से गिरफ्तार कर लिया, जब वह कोरबा की तरफ आ रहे थे.

26 वर्षीय सलमा सुलताना की हत्या के आरोपी 37 वर्षीय मधुर साहू निवासी साबिन अमरैया पारा, 17 शिवाजी नगर, कोरबा, कौशल श्रीवास (29 वर्ष) निवासी साकिन दर्री सिंचाई विभाग, थाना दर्री, जिला कोरबा एवं अतुल शर्मा (26 वर्ष) निवासी साकिन दर्री जिला कोरबा को भादंवि की धारा 302, 201, 34 के तहत गिरफ्तार कर तीनों से पूछताछ की गई.

पुलिस ने मधुर साहू की कार सीजी12ए वी1615 और लैपटौप जिस में कई संदिग्ध वीडियो और फोटोग्राफ्स मिले हैं, जांच के लिए जब्त कर लिया गया. पुलिस को दिए गए बयान में तीनों ने हत्या की बात स्वीकार कर ली. आईपीएस अधिकारी रौबिंसन गुडिय़ा द्वारा 5 साल पहले हुए हत्याकांड का खुलासा करने की पुलिस अधिकारी ही नहीं पब्लिक भी सराहना कर रही है.

रोचक तथ्य यह भी है कि सलमा सुलताना की बौडी को बातचीत में ‘जिमी की बौडी’कहने वाले ये तीनों आरोपी आखिरकार पुलिस के सामने सच बताने को विवश हो गए और अंतत: पुलिस ने मधुर साहू के पालतू डौगी जिमी को भी बरामद कर लिया.

इस से स्पष्ट हो गया कि जिम्मी जिंदा था और वे बातचीत में जिस जिम्मी का उल्लेख करते थे. दरअसल, वह सलमा सुलताना का जिक्र हुआ करता था. तीनों को पूछताछ के बाद 15 दिनों के पुलिस पुलिस रिमांड पर ले लिया. कथा लिखने तक पुलिस आरोपियों से पूछताछ कर रही थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

फेसबुकिया प्यार बना जी का जंजाल – भाग 2

आखिरी कैमरे में पुलिस को जो दृश्य नजर आया, वह उन के लिए बड़ी सफलता ले कर आया था. दोनों युवकों में से एक युवक उन्हें बाइक लिए सडक़ पर खड़ा दिखाई दिया, दूसरा युवक गली में से आता नजर आया, आने वाले युवक के कंधे पर लडक़ी थी. वह निर्जीव यानी लाश लग रही थी.

“सर, यहीं कहीं से यह युवक युवती की लाश ले कर महालक्ष्मी विहार के लिए चले थे.” एसआई मनदीप जोश में भर कर बोले, “हमें यहां पर युवती की फोटो दिखा कर मालूमात कर लेनी चाहिए.”

“ठीक कहते हो.” एसएचओ नफे सिंह मुसकरा कर बोले.

आखिर पुलिस पहुंच ही गई ठिकाने

सभी के मोबाइल में उस मृत युवती का फोटो अपलोड था. उसे वहां के दुकानदारों, पटरी वालों और मजदूरी करने वाले लोगों को दिखाया गया तो एक पटरी वाले ने युवती को पहचान लिया. उस ने बताया, “साहब, यह युवती तो रोहिना है, यह छोटा बाजार में स्थित जाट धर्मशाला के पास पारुल के साथ रहती है.”

“क्या तुम हमें पारुल के घर तक पहुंचा सकते हो?” इंसपेक्टर राजेंद्र कुमार ने पटरी वाले से कहा.

“क्यों नहीं साहब,” वह व्यक्ति अपनी जगह पर खड़ा हो कर बोला, “आप किसी को मेरे सामान के पास खड़ा कर दीजिए.”

एसएचओ ने कांस्टेबल शुभम और निखिल को वहां खड़ा कर दिया. बाकी पुलिस टीम उस व्यक्ति के साथ पारुल के घर की ओर चल पड़ी. वह व्यक्ति उन्हें जाट धर्मशाला के पास एक मकान पर ले कर आया. मकान के दरवाजे पर ताला लटक रहा था.

“यहीं पारुल रहती है साहब, आप मकान मालिक से पूछ लीजिए.” उस व्यक्ति ने कहा.

पुलिस टीम को अपने मकान के दरवाजे पर देख कर ऊपर मौजूद मकान मालिक नीचे आ गया. वह काफी डरा हुआ दिखाई दे रहा था.

“क्या बात है साहब, आप मेरे मकान पर किसे तलाशने आए हैं?” मकान मालिक ने कांपती आवाज में पूछा.

“तुम्हारे कमरे में पारुल रहती है, हमें उस से मिलना है.” इंसपेक्टर राजेंद्र कुमार ने पूछा.

“वो तो कल शाम को मेरा कमरा खाली कर के कहीं दूसरी जगह चली गई है साहब.”

“ओह!” इंसपेक्टर ने गहरी सांस ली, फिर कुछ सोच कर उन्होंने मृत युवती का फोटो मकान मालिक को दिखाया, “इसे पहचानते हो?”

“जी हां, यह रोहिना उर्फ माही है. यह पारुल के साथ ही मेरे कमरे में कई सालों से रह रही थी. हां, मैं ने 2-4 दिन से इसे पारुल के साथ नहीं देखा तो पारुल से पूछा था, तब उस ने बताया था कि माही घूमने के लिए कहीं गई है.”

“पारुल तुम्हारा कमरा छोड़ कर अब कहां रहने गई है?”

“मुझे नहीं मालूम साहब, कल तांगे में अपना सामान लाद कर उस ने मुझे बाकी बचा किराया चुकाया और चली गई. कहां गई, मैं नहीं बता सकता.”

हत्यारे चढ़े पुलिस के हत्थे

पुलिस टीम वापस लौट आई. उन्हें पारुल के नए ठिकाने को तलाश करना था. पारुल ने सामान शिफ्ट करने में तांगा इस्तेमाल किया था. उस तांगे को ढूंढ कर पारुल के नए ठिकाने पर पहुंचा जा सकता था. तांगे का स्टैंड शाहदरा में फ्लाईओवर के नीचे था. वहां जा कर ही तांगा वाले का पता लगाया जा सकता था. यह काम एसआई मनदीप और हैडकांस्टेबल मनीष यादव को सौंपा गया. दोनों उसी वक्त शाहदरा में तांगा स्टैंड के लिए थाने से रवाना हो गए.

एसआई मनदीप ने हैडकांस्टेबल मनीष के साथ उस तांगे वाले को खोज निकाला. उस ने बताया कि वह एक महिला का सामान तेलीवाड़ा (शाहदरा) से अपने तांगे में लाद कर कांतिनगर ले गया था. उस ने एसआई मनदीप को कांतिनगर में पारुल के नए आशियाने पर पहुंचा दिया.

पारुल ने यहां कमरा किराए पर लिया था, इस वक्त वह और उस का भाई मोहित घर पर ही थे. एसआई मनदीप और हैडकांस्टेबल ने दोनों को हिरासत में ले लिया. उन दोनों को करावल नगर थाने में लाया गया. इन की गिरफ्तारी की सूचना डीसीपी डा. जौय टिर्की को दी गई तो वह करावल नगर थाने में आ गए. उन की मौजूदगी में पारुल से पूछताछ शुरू की गई.

एसएचओ नफे सिंह ने रोहिना उर्फ माही की तसवीर मोबाइल में पारुल को दिखाते हुए पूछा, “इसे तो पहचानती हो न पारुल?”

पारुल काफी डरी और सहमी हुई लग रही थी. वह थूक गटकती हुई बोली, “जी.. मैं इसे पहचानती हूं, यह माही है.”

“इस की हत्या किस ने की, क्यों की, इस बात का ठीकठीक जवाब दो. अगर चालाकी दिखाने की कोशिश करोगी तो तुम्हारे हक में अच्छा नहीं होगा.”

“साहब, मैं ने माही की हत्या नहीं की है. माही का गला मेरे भाई विनीत ने दबाया था, वह उसे मारना नहीं चाहता था, लेकिन माही की जिद के कारण विनीत को गुस्सा आ गया और उस ने माही का गला दबा दिया. उस ने डर के कारण माही का शव दीवान में छिपा कर रखा. जब अंधेरा फैलने लगा तो विनीत ने मेरे प्रेमी इरफान को घर बुला लिया.

“वह बाइक ले कर आया. मैं ने और विनीत ने माही की लाश को बाइक तक पहुंचाया. विनीत माही की लाश ले कर बैठा और इरफान ने बाइक संभाली. दोनों रात को माही की लाश करावल नगर क्षेत्र में डाल कर आ गए.”

“विनीत कहां छिपा हुआ है? अपने प्रेमी इरफान की भी जानकारी दो हमें.” डीसीपी जौय टिर्की ने सख्त लहजे में पूछा.

“साहब, मैं नहीं जानती विनीत कहां चला गया है. हां, इरफान के घर का पता मैं आप को बता देती हूं.” पारुल ने कहा और इरफान का पता बता दिया.

पुलिस टीम ने इरफान को उस के घर से दबोच लिया. उसे करावल नगर लाया गया तो वहां अपनी प्रेमिका पारुल उर्फ चिंकी को देख कर वह समझ गया कि माही की हत्या का राज पुलिस के सामने खुल गया है. फिर इरफान ने भी अपना गुनाह चुपचाप कुबूल कर लिया. अब असली कातिल विनीत की गिरफ्तारी शेष थी.

पुलिस ने विनीत पंवार की गिरफ्तारी के लिए जगहजगह दबिश दी, लेकिन वह बड़ी चालाकी से इधरउधर भाग रहा था. जब वह पुलिस टीम के हाथ नहीं आया तो डीसीपी जौय टिर्की ने क्राइम ब्रांच की ईस्टर्न रेंज (2) के हाथ में विनीत की गिरफ्तारी की कमान सौंप दी. अपराध शाखा के एसीपी राजकुमार साहा की देखरेख में क्राइम ब्रांच की टीम ने विनीत की खोज शुरू कर दी. मुखबिर भी विनीत की टोह में लगा दिए गए.

न्यूज एंकर सलमा सुलताना मर्डर मिस्ट्री – भाग 2

सलमा सुलताना कुछ दिन अपने पिता एम.डी. मानिक के कुसमुंडा स्थित आवास में रहने के बाद जब वापस 21 अक्तूबर, 2018 को अपनी स्कूटी से जब मधुर साहू के आवास एलआईजी 17 शिवाजी नगर पहुंची तो देखा नजारा पहले जैसा नहीं है.

भीतर के कमरे में मधुर और किसी लडक़ी की आवाज सुनाई दी. दोनों बातें कर रहे थे. यह सुनना था कि सलमा सुलताना मानो आसमान से जमीन पर गिर पड़ी. उस की आंखों के आगे मधुर और उस के प्रेम संबंधों के दृश्य घूमने लगे. वह कितना प्यार करती है मधुर से, मगर यह तो छिपा रुस्तम निकला.

मधुर साहू ने बड़ी चतुराई के साथ सलमा के नाम यूनियन बैंक औफ इंडिया से 7.50 लाख रुपए लोन ले कर वहां वह पैसा अपने पास रख लिया था. उस ने वादा किया था कि सलमा के भाई को जिम में पार्टनर रखेगा. अब वह उस से भी मुंह चुरा रहा था.

अब धीरेधीरे मधुर की असलियत उस के सामने खुलती चली जा रही थी. पहले शादीशुदा होना फिर कई लड़कियों के साथ उस के संबंध और फोन पर बातचीत ने सलमा के सामने प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया था. लेकिन उस दिन तो वह प्रत्यक्ष रूप से देख रही थी कि उस के साथ कमरे के भीतर कोई लडक़ी है.

यह सब देख कर उस का मिजाज बिगड़ गया और उस ने अधिकारपूर्वक मधुर को बाहर बुलाया. जब मधुर साहू कमरे से बाहर आया तो सलमा ने नाराज होते हुए कहा, “यह सब क्या हो रहा है, तुम मुझे धोखा दे रहे हो.”

इतना सुन कर मधुर साहू मुसकराया और बोला, “तुम मेरे साथ शादी करने का सपना देखना भूल जाओ और हां, संबंध रखना हो तो बात दूसरी है.”

“तुम ने मेरे साथ क्या वादा किया था, वह भूल गए क्या?” सलमा ने पूछा.

“वादे तो होते ही हैं तोडऩे के लिए, मैं तो कह रहा हूं न, अब शादी ब्याह की बात भूल जाओ और सुन लो मैं किसी एक बंधन में नहीं रह सकता.”

“तुम मेरे साथ धोखा नहीं कर सकते, तुम जानते नहीं, मैं कौन हूं.” सलमा ने उसे धमकाया.

इस बीच कमरे से लडक़ी बाहर आ गई और दोनों को देखते हुए वह वहां से बाहर चली गई.

“देखो सलमा, मैं शादी करने की स्थिति में नहीं हूं. मैं शादीशुदा हूं, यह तुम जान चुकी हो. हां, साथ रहो, मेरे लायक जो भी बात हो बता देना, मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा.”

सलमा का उसी की चुनरी से घोंटा गला

दोनों आपस में बात कर रहे थे और दोनों के बीच गरमागरमी बढ़ती चली गई. इसी दरमियान गुस्से में आ कर के मधुर साहू ने सलमा को थप्पड़ जड़ दिया. इस से सलमा बिफर पड़ी.

मधुर साहू एक हृष्टपुष्ट शख्स था. वह सलमा पर भारी पड़ रहा था. इसी समय दूसरे कमरे से उस का सहयोगी कौशल श्रीवास आ गया. मधुर के धोखे को देख कर सलमा ने आंसू बहाते हुए कहा, “तुम ने तो मेरी जिंदगी बरबाद कर दी. मैं ने तुम पर विश्वास किया था, अब मैं किसी को मुंह दिखाने के काबिल भी नहीं रही.”

यह कह कर के वह जाने लगी तो मधुर साहू ने उस का रास्ता रोक लिया और बोला, “देखो, मेरे सामने नौटंकी मत करो. तुम्हारे कदम मुझे ठीक नहीं लग रहे हैं.”

मधुर की मंशा को समझ कर सलमा बोली, “तुम्हें मेरे एप्रोच के बारे में मालूम नहीं है, मैं तुम्हें बरबाद कर दूंगी, जेल भिजवा दूंगी. मेरी एक शिकायत पर पुलिस तुम्हें उठा कर ले जाएगी.”

“अच्छा तो फिर तुम पुलिस के पास कभी जा ही नहीं पाओगी.” यह कहते हुए मधुर की आंखों में एक अलग ही चमक आ गई थी. उस ने सलमा का गला दबोच लिया और मारपीट करने के बाद उस की चुनरी से उस का गला दबाता चला गया. पास खड़े कौशल श्रीवास ने चीखतीछटपटाती सलमा के पांव पकड़ लिए थे.

थोड़ी ही देर में सलमा सुलताना वहां मृत पड़ी थी. यह दृश्य मधुर साहू के यहां नौकरानी का काम करने वाली सविता ने देख लिया था. उसे रुपए का लालच और पुलिस का डर दिखा कर के दोनों ने चुप रहने के लिए मना लिया. फिर देर रात मधुर और कौशल अपने एक सहयोगी अतुल शर्मा के साथ कार सीजी12ए वी1615 में सलमा के शव को रूमगढ़ा ले गए और उन्होंने शव को ‘जिमी की बौडी’ कह कर संबोधित करने का कोडवर्ड बना लिया. जिमी मधुर का पालतू डौगी था.

यह सब मधुर साहू ने इसलिए किया ताकि आगे कभी बातचीत मोबाइल पर हो तो कोई इस कोडवर्ड को समझ न सके. वहां खेत में सलमा के शव को ठिकाने लगाने की नाकामी के बाद कोरबा दर्री मुख्य सडक़ पर कोहडिय़ा, भवानी मंदिर के पास सडक़ किनारे गड्ढे में डाल कर ऊपर से मिट्टी डाल कर दफन कर दिया.

इस बीच सलमा के घर वालों ने उस की कोई खोजखबर नहीं ली. सलमा की बिंदास जीवनशैली को देख कर वे मानते रहे कि वह अपने पत्रकारिता के कार्य में व्यस्त है. मगर 20 जनवरी, 2019 को सलमा सुलताना के पिता एम.डी. मानिक का इंतकाल हो गया. पिता के अंतिम संस्कार में सलमा का मौजूद नहीं होना रिश्तेदारों को हैरानपरेशान कर रहा था. और यह चर्चा का सबब बन गया कि आखिर सलमा कहां चली गई है.

इस के बाद घर वालों ने सलाहमशविरा कर के कुसमुंडा थाने में सलमा सुलताना की गुमशुदगी दर्ज कराई. पुलिस ने कुछ लोगों के बयान दर्ज किए और कोई जानकारी नहीं मिलने पर फाइल बंद कर दी.

आईपीएस रौबिंसन गुडिय़ा ने खोली फाइल

घटना को 4 साल से ज्यादा बीत गए. इस दौरान कोरबा में आईपीएस व एसपी (सिटी) राबिन्सन गुडिय़ा आए. उन की नजर सलमा की गुमशुदगी की फाइल पर पड़ी. जब उन्होंने सलमा के फोटोग्राफ पढ़े और लोगों के बयान देखे तो महसूस हुआ कि सलमा के साथ कुछ अनहोनी हो गई है. इस के बाद उन्होंने इस की खोजखबर लेनी शुरू कर दी.

एक दिन खुद आईपीएस रौबिंसन गुडिय़ा कुसमुंडा स्थित सलमा सुलताना के घर जा पंहुचे और घर वालों से बातचीत की. यहां उस के भाई और अन्य लोगों ने जो जानकारी दी, उस के आधार पर उन्होंने जांच को गति दी. रौबिंसन गुडिय़ा को पता चला कि 21 अक्तूबर को सुबह सलमा घर से निकली थी. वह स्कूटी ले कर गई थी, मगर घर में बताया नहीं था.

इसलिए 22 तारीख को जब स्कूटी के चोरी की शंका से रिपोर्ट लिखाने की बात की जाने लगी तो यह खबर जिम संचालक मधुर साहू को हो गई, उस दिन रिपोर्ट लिखवा दी गई कि स्कूटी चोरी चली गई है. मगर दूसरे दिन सविता और कोमल ने आ कर के स्कूटी को वापस रख दिया था. उन्होंने बताया कि सलमा पुणे महाराष्ट्र चली गई है और अब वह वहीं काम करेगी.

 

फेसबुकिया प्यार बना जी का जंजाल – भाग 1

बात 12 अप्रैल, 2023 की है. उत्तरपूर्वी दिल्ली के करावल नगर क्षेत्र के महालक्ष्मी विहार में 12 अप्रैल की सुबह उस वक्त होहल्ला मच गया, जब मकान नंबर बी-85 के बाहर दरवाजे पर एक युवती की लाश किसी ने पड़ी देख कर शोर मचाया. देखते ही देखते अड़ोसपड़ोस ही नहीं, दूसरी गलियों के लोग भी उस मकान के आगे आ कर लाश देखने के लिए जमा होने लगे. युवती के शरीर पर सलवारसूट था. उस की उम्र 30 साल के करीब लग रही थी. चेहरे मोहरे से वह मध्यम परिवार की दिखाई देती थी.

किसी ने इस लाश की सूचना फोन द्वारा पुलिस कंट्रोल रूम को दे दी. करीब 20-25 मिनट में ही करावल नगर थाने के एसएचओ नफे सिंह 2-3 पुलिसकर्मियों को ले कर वहां आ गए. पुलिस ने पहले वहां एकत्र भीड़ को दूर हटाया, फिर युवती की लाश का निरीक्षण किया गया. युवती के शरीर पर किसी भी प्रकार की चोट अथवा जख्म के निशान नहीं थे, एसएचओ नफे सिंह की पैनी निगाहों ने युवती के गले पर लाल निशान देखे तो तुरंत अनुमान लगा लिया कि युवती को गला घोंट कर मारा गया है.

सब से पहले युवती की शिनाख्त का प्रश्न था. अभी तक वहां जमा लोगों में से किसी ने भी मृतका की पहचान नहीं की थी. इस से यही लगा कि यह युवती इस क्षेत्र की नहीं है. उन्होंने इस लाश की सूचना मोबाइल फोन द्वारा नार्थ ईस्ट डिस्ट्रिक्ट के डीसीपी जौय टिर्की को दे दी. उन से सलाहमशविरा करने के बाद उन्होंने फोटोग्राफर और फोरैंसिक टीम को मौके पर बुला लिया. उन के आ जाने पर दूसरी आवश्यक कागजी काररवाई पूरी कर के लाश को जीटीबी अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया गया.

15 अप्रैल, 2023 को इंसपेक्टर (इनवैस्टीगेशन) राजेंद्र कुमार ने वादी बन कर अज्ञात हत्यारे के खिलाफ भादंवि की धारा 302/201 के तहत रिपोर्ट दर्ज करवा दी. उसी दिन उस युवती की लाश का पोस्टमार्टम करवाया गया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह स्पष्ट हो गया कि युवती की हत्या गला दबा कर की गई है. युवती शादीशुदा होगी, इस बात के कोई सुहाग चिह्न युवती के जिस्म पर नहीं थे, इस से यह अनुमान लगाया गया कि युवती कुंवारी थी और किसी साथ प्रेम संबंध में फंस कर उस ने अपनी अस्मत ही नहीं खोई थी, खुद भी दुनिया से विदा कर दी गई.

‘युवती कौन थी,’ सब से पहले यह पता लगाना जरूरी था.

मृतका की शिनाख्त कराने की हुई कोशिश

डीसीपी डा. जौय टिर्की ने युवती की शिनाख्त और उस के हत्यारे का पता लगाने के लिए एक पुलिस टीम एसीपी संजय सिंह (खजूरी खास) के नेतृत्व में गठित कर दी. इस टीम में करावल नगर थाने के एसएचओ नफे सिंह, इंसपेक्टर (इनवैस्टीगेशन) राजेंद्र कुमार, एसआई मनदीप कुकाना, एएसआई माथी, हैडकांस्टेबल मनीष यादव, अमरीश, कांस्टेबल शुभम, निखिल को शामिल किया गया.

युवती की पहचान के लिए दिल्ली के सभी थानों में लाश की फोटो भेज कर यह मालूम करने की कोशिश की गई कि इस युवती की गुमशुदगी उन के यहां दर्ज तो नहीं है, यदि है तो वह थाना करावल नगर में इस की इत्तला दें. लेकिन 2-3 दिन बीत जाने के बाद भी किसी भी थाने में सूचना नहीं मिली तो युवती के पैंफ्लेट छपवा कर करावल नगर और आसपास के इलाकों में चिपकाए गए.

इस से भी बात नहीं बनी तो अखबारों में मृतका की फोटो छपवा दी गई और उस को पहचानने वाले को उचित ईनाम देने की घोषण कर दी गई, लेकिन इस से भी पुलिस को युवती के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली. फिर 4-5 दिन बाद पुलिस ने युवती के शव का अंतिम संस्कार करवा दिया.

एक बार पूरी टीम उच्चाधिकारियों के साथ सिर जोड़ कर मंत्रणा के लिए बैठी. सभी से इस केस में आगे बढऩे के लिए उन के सुझाव पूछे गए.

इंसपेक्टर (इनवैस्टीगेशन) राजेंद्र कुमार ने अंधेरे में भटकती पुलिस टीम के सामने अपना सुझाव रखते हुए कहा, “सर, यदि हम सीसीटीवी का सहारा लें तो हमें सफलता मिलने की संभावना है. मेरा मानना है कि जहां युवती की लाश मिली है, हमें वहां के सीसीटीवी को खोजना होगा. यदि वहां सीसीटीवी मिला तो काफी हद तक हम हत्यारों का सुराग पा सकते हैं.”

“शाबाश, मिस्टर राजेंद्र कुमार, आप ने बहुत अच्छा सुझाव दिया है, निस्संदेह वहां सीसीटीवी होंगे. उन में अपराधी द्वारा लाश उस मकान के बाहर डालने का एक भी फोटो यदि मिलता है तो हमें आगे बढऩे की राह मिल जाएगी.” डीसीपी जौय टिर्की राजेंद्र कुमार की पीठ थपथपा कर बोले, “आप सभी लोग इस बात पर अमल करिए.”

पुलिस टीम उसी वक्त थाने से निकल कर महालक्ष्मी विहार के मकान नंबर बी-85 के सामने पहुंच गई. उस युवती की लाश वहीं पाई गई थी. पुलिस वालों की खोजी नजरें वहां आसपास सीसीटीवी कैमरों को तलाशने लगीं. उस जगह पर तो नहीं, सामने सडक़ पर उन्हें सीसीटीवी कैमरा एक पोल पर लगा दिखलाई दे गया.

सीसीटीवी फुटेज से मिला सुराग

तुरंत उस की फुटेज निकलवा कर कंट्रोल रूम में चैक की गई तो पुलिस टीम की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उस सडक़ पर उन्हें एक बाइक पर 3 लोग बैठ कर गली की ओर जाते नजर आ गए. उन तीनों में एक बाइक चला रहा युवक था, दूसरा पीछे बैठा युवक दिखलाई दे रहा था. दोनों के बीच में एक युवती बैठी थी. जूम कर के देखने पर यह स्पष्ट हो गया कि युवती की आंखें बंद हैं यानी वह मुरदा हालत में है, जिसे पीछे बैठे युवक ने थाम रखा है.

यह युवती वही थी, जिस की लाश पुलिस को बी-85 घर के बाहर मिली थी. फुटेज में दोनों युवकों के चेहरे ज्यादा स्पष्ट नहीं थे. कुछ दूरी पर एक सीसीटीवी और नजर आया. उस की फुटेज देखी गई तो वे दोनों युवक बीच में मृत युवती को बाइक पर बिठा कर महालक्ष्मी विहार की तरफ आते नजर आए.

पुलिस टीम ने युवती और उन युवकों का पताठिकाना जानने के लिए सीसीटीवी को आधार बनाया. रास्ते में लगे सीसीटीवी कैमरों को खंगालती हुई पुलिस टीम आखिर में शाहदरा के तेलीवाड़ा क्षेत्र तक पहुंच गई. यहां से आगे के पोल पर भी सीसीटीवी थे लेकिन उन में इन युवकों की तसवीर नहीं थी.