सुबह कोई सवा 5 बजे पुलिस कंट्रोलरूम को सूचना मिली कि ओम एन्क्लेव कालोनी में एक लड़की ने आत्महत्या कर ली है. यह इलाका थाना सदर के अंतर्गत आता था. पुलिस कंट्रोलरूम ने यह सूचना थाना सदर पुलिस को दे दी. थानाप्रभारी नौरत्न गौतम उस दिन छुट्टी पर थे. थाने का चार्ज एसएसआई अखिलेश सिंह के पास था. वह किसी मामले की तफ्तीश में कहीं गए हुए थे.
एसएसपी की सूचना पर चौकीप्रभारी अरुण कुमार पुलिस बल के साथ ओम एन्क्लेव कालोनी स्थित घटनास्थल पर पहुंच गए. डौग स्क्वायड, फोरैंसिक टीम को भी सूचित कर दिया गया.
सूचना पा कर एसएसआई अखिलेश सिंह भी रविंद्र वर्मा के घर पहुंच गए. पुलिस ने निरीक्षण किया तो सीढि़यों पर रविंद्र की 20 साल की बेटी शिवानी की गरदन कटी लाश मिली.
लाश के आसपास काफी खून फैला था. वहीं पर एक पेपर कटर पड़ा था. वहां संघर्ष के निशान भी दिखाई दिए. पूछताछ में रविंद्र ने बताया कि उन की बेटी शिवानी ने आत्महत्या कर ली है.
अखिलेश सिंह ने पेपर कटर को कब्जे में ले लिया. फोरैंसिक टीम आई तो पेपर कटर उस के हवाले कर दिया गया. कुछ ही देर में एसपी (सिटी) कुमारी अनुपमा सिंह और महिला थाने का स्टाफ भी आ गया. पुलिस ने ध्यान से देखा तो शिवानी की लाश के पास खून से गौरव लिखा था.
पुलिस ने रविंद्र वर्मा से गौरव के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि वह किसी गौरव को नहीं जानते. सूचना पा कर इंसपेक्टर रकाबगंज संजीव भी वहां आ गए. फोरैंसिक टीम ने बताया कि खून सने पैरों के जो निशान हैं, ये अलगअलग आदमी के हैं. लेकिन छत तक पैरों के जो निशान गए हैं, वे एक ही आदमी के हैं.
पेपर कटर की मूठ पर एक हाथ का निशान था, लेकिन लोहे वाले हिस्से पर 2 हाथों के निशान थे. इस से साफ हो गया कि वहां शिवानी के अलावा 2 लोग थे. घर के सिंक की जांच की गई तो वहां खून के निशान पाए गए. इस का मतलब कत्ल कर के कातिल ने वहां हाथ धोए थे. किराएदार पंकज भदौरिया ने बताया कि उन्हें तो रविंद्र वर्मा ने जगा कर बताया था कि उन की बेटी ने आत्महत्या कर ली है. इस के अलावा उन्हें घटना के बारे में कोई जानकारी नहीं है.
रविंद्र वर्मा ने बताया कि गैस की दुर्गंध आने पर वह रसोई में गए और लाइट जलाने के बजाय पंखा औन कर दिया. इस के बाद ऊपर जाने लगे तो देखा कि बेटी की लाश पड़ी है. वह घबरा कर नीचे आ गए और किराएदार को जगा कर सारी बात बताई. इस के बाद पुलिस कंट्रोलरूम को सूचना दे दी.
रविंद्र की इस कहानी पर पुलिस को विश्वास नहीं हो रहा था. उन के कपड़े उतरवा कर देखा गया तो बनियान पर खून के निशान नजर आए. उन के पैरों पर भी खून लगा था. वह शक के दायरे में आ गए. घटनास्थल की काररवाई निपटा कर पुलिस ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया.
पुलिस रविंद्र को पूछताछ के लिए थाने ले आई. अज्ञात के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज करने के बाद पुलिस ने रविंद्र से पूछताछ शुरू की तो वह यही कहते रहे कि बेटी ने आत्महत्या की है. जबकि पुलिस की नजरों में यह सीधे हत्या का मामला था, क्योंकि कोई भी व्यक्ति खुद अपना गला नहीं रेत सकता.
बारबार पूछने के बाद भी रविंद्र ने गौरव के बारे में कुछ नहीं बताया, जबकि पुलिस के लिए फर्श पर लिखा गौरव एक महत्त्वपूर्ण सुराग था. पुलिस को इसी से आगे बढ़ने का रास्ता मिल सकता था.
पोस्टमार्टम के बाद शिवानी का शव रविंद्र वर्मा को सौंप दिया गया था. उन्होंने उस का दाहसंस्कार भी कर दिया. इस बीच पुलिस के सामने काफी कुछ साफ हो गया था. पुलिस को गौरव के बारे में पता चल गया था कि वह शिवानी का दोस्त था और उस के साथ पढ़ता था. वह आगरा के शाहगंज में रहता है.
अगले दिन इंसपेक्टर संजीव सिंह और चौकीप्रभारी अरुण कुमार को एसपी सिटी ने गौरव से पूछताछ करने के निर्देश दिए. पुलिस गौरव के घर पहुंची तो उस के पिता रामस्नेही ने बताया कि कुछ देर पहले ही वह घर से निकला है. पिता ने फोन कर के उसे घर बुला लिया. पुलिस पूछताछ के लिए उसे थाने ले आई.
गौरव ने अपना सिर मुंडवा रखा था. वह काफी डरा हुआ था. थाने आते ही उस ने कहा, ‘‘साहब, आप मुझे मारिएगा मत, मैं आप को सब कुछ सचसच बता दूंगा. मैं ने शिवानी को नहीं मारा है. मैं तो उस से प्यार करता था. हम ने कोर्टमैरिज भी कर ली थी. उसी के बुलाने पर 28 अक्तूबर, 2017 को मैं उस के घर गया था. दुर्भाग्य से उस के पिता ने दोनों को एक साथ देख लिया.’’
गौरव ने आगे जो बताया, उस के अनुसार, रविंद्र उसे मारना चाहते थे, लेकिन शिवानी उसे बचाने के लिए बीच में आ गई. रविंद्र वर्मा के हाथ से उस ने पेपर कटर छीनने की कोशिश की, जिस से उस की 2 अंगुलियां कट गईं. इस के बाद गुस्से में रविंद्र ने पेपर कटर चलाया तो शिवानी फिर सामने आ गई, जिस से पेपर कटर उस के गले में लगा और उस का गला कट गया.
रविंद्र वर्मा पर खून सवार था. शिवानी घायल हो कर सीढि़यों पर गिर गई, इस के बावजूद वह उस की ओर झपटा. तब शिवानी ने अपना गला पकड़े हुए कहा, ‘‘गौरव, भाग जाओ, वरना यह तुम्हें भी मार देंगे.’’
उस हालत में गौरव को कुछ नहीं सूझा. वह भाग कर छत पर गया और किसी तरह वहां से कूद कर भाग खड़ा हुआ. लेकिन शिवानी के बारे में सोचसोच कर वह परेशान होता रहा. अगले दिन गौरव ने पुलिस के डर से अपना सिर मुंडवा लिया. गौरव ने जो बताया था, वह पुलिस को सही लगा. गौरव से पूछताछ के बाद पुलिस ने रविंद्र वर्मा को थाने बुला लिया. थाने में गौरव को देख कर रविंद्र के पसीने छूट गए.
अब कहनेसुनने को कुछ नहीं था. पूछताछ में रविंद्र ने कहा कि शिवानी की हत्या करने का उस का इरादा नहीं था, पर गुस्से में पेपर कटर चल गया. उस ने यह भी स्वीकार किया कि बेटी के दूसरी जाति के लड़के के साथ संबंध उसे स्वीकार नहीं थे. वह अपनी बेटी की शादी अपनी ही जाति के लड़के के साथ करना चाहता था. लेकिन शिवानी बहुत जिद्दी थी, जिस का अंजाम अच्छा नहीं हुआ और डोली उठने से पहले उस की अर्थी उठ गई.
रविंद्र ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया तो पुलिस ने उसे जेल भेजने की तैयारी कर ली. पुलिस उसे ले जा रही थी, तभी उस के घर की महिलाओं ने थाने के बाहर हंगामा शुरू कर दिया. पुलिस के उच्चाधिकारियों ने उन्हें समझाबुझा कर शांत किया और रविंद्र वर्मा को 30 अक्तूबर को न्यायालय में पेश किया, जहां से जेल भेज दिया गया.
–कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित




