एक रोटी के लिए हत्या – भाग 3

रोजी उसे कम खानापीना देती थी. चाय भी छोटी सी प्याली में मिलती थी. उसे रात के खाने में अधिकांशत: दोपहर का बासी खाना दिया जाता था. खाना मांगने पर वह अकसर कहा करती थी, ‘तुम खाने के लिए जानवरों की तरह बोलते हो और जानवरों की तरह ही खाते हो.’

पिता के मरने के बाद राजेश के सामने यह समस्या आ खड़ी हुई थी कि रोजी उसे गिन कर 4-5 रोटियां देती थी, जिस में से एक रोटी वह अपने दिवंगत पिता के नाम की निकाल कर कुत्तों को खिला देता था. इसलिए उस की एक रोटी और कम होने लगी थी. पहले ही 4 रोटी से उस का पेट नहीं भरता था, अब तो उसे पता भी नहीं चलता था कि उस ने खाना खाया भी है या नहीं.

घटना वाले दिन 16 मई, 2019 को भी यही हुआ था. सुबह 7 बजे से काम करतेकरते दोपहर को जब उसे भूख लगी तो उस ने खाना मांगा. इस पर मालकिन रोजी ने उस से कहा, ‘‘खाना अभी बना नहीं है. दीपांशु के आने के बाद बनेगा. तभी मिलेगा.’’

इस पर राजेश ने हाथ जोड़ कर निवेदन करते हुए कहा, ‘‘भाभीजी, साहब लोग पता नहीं कब तक आएंगे, लेकिन भूख से मेरी जान निकल रही है. यदि आप खाना नहीं बना सकतीं तो मैं खुद बना कर खा लूंगा.’’

रोजी ने तब उसे रटेरटाए शब्द सुनाए कि तुम खाने के लिए जानवरों की तरह बोलते हो और जानवरों की तरह खाते हो. हर बार यह बातें सुनतेसुनते इस बार राजेश को गुस्सा आ गया था. बात उस की बरदाश्त से बाहर चली गई थी.

वह उसी समय रसाई में गया और वहां से सब्जी काटने वाला चाकू उठा लाया. उस समय रोजी कमरे में बैठी मोबाइल फोन पर गेम खेलने में व्यस्त थी. दबे पांव वह उस के पीछे पहुंचा और बाएं हाथ से उस का गला कस कर पकड़ लिया और दाहिने हाथ से गरदन पर वार चाकू से करने लगा.

अचानक हुए इस हमले से रोजी घबरा गई. फिर जल्द ही उस ने अपने आप को उस के चंगुल से छुड़ाने के प्रयास शुरू कर दिए. चीखनेचिल्लाने के साथ उस ने अपनी गरदन छुड़ाने के लिए राजेश के हाथ पर अपने दांतों से काटना शुरू कर दिया था. उस ने राजेश के हाथ की 2 अंगुलियों पर अपने दांत गड़ा दिए.

इस के बावजूद भी राजेश ने पकड़ ढीली नहीं की. अधिक देर तक संघर्ष न कर सकी. तब तक राजेश ने चाकू से उस की गरदन रेत दी. इस के बाद वह कटे हुए वृक्ष की तरह लहराते हुए फर्श पर गिरी और कुछ देर तड़पने के बाद हमेशा के लिए शांत हो गई.

रोजी की हत्या करने के बाद उस ने चाकू को धो कर रसोई में रख दिया और वहां से फरार हो गया. बड़े गेट पर खून के निशान न आएं इसलिए वह छोटे गेट के ऊपर से कूद कर बाहर अपने कमरे में पहुंच गया. उस ने खून से सने कपड़े भी धो दिए. किसी को उस पर शक न हो इस के लिए उस ने खुद ही रोजी के पति दीपांशु उर्फ मोंटी को फोन कर के बताया था कि उसे वाशिंग मशीन में कपड़े सुखाने हैं, लेकिन भाभी जी गेट नहीं खोल रही हैं.

नौकर राजेश ने रोजी की हत्या प्रोफेशनल हत्यारों जैसे तरीके से की थी. राजेश के बयान कलमबद्ध करने के बाद जगाधरी सिटी एसएचओ इंसपेक्टर राजेश और इंसपेक्टर श्रीभगवान यादव ने 18 मई, 2019 को आरोपी को एसीजेएम (जगाधरी) गगनदीप मित्तल की अदालत में पेश कर 5 दिनों के पुलिस रिमांड पर लिया. रिमांड के दौरान उसे मनोरोग चिकित्सक को भी दिखाया पर किसी ने यह बात दावे के साथ नहीं कही कि वह साइको है या नहीं.

रिमांड अवधि समाप्त होने के बाद 21 मई, 2019 को अभियुक्त राजेश को जब दोबारा अदालत में पेश किया गया तब अचानक इस मामले में एक चौंका देने वाला मोड़ सामने आया.

शहर के चर्चित हाईप्रोफाइल रोजी सिक्का मर्डर केस के आरोपी नौकर राजेश उर्फ विलट पासवान ने एक बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि उस ने रोजी की हत्या उस के ससुर राजिंदर सिक्का के कहने पर की थी. राजिंदर सिक्का ने उसे 50 हजार रुपए का लालच दे कर यह हत्या करवाई थी.

दोपहर बाद आरोपी को एसीजेएम गगनदीप मित्तल की अदालत में पेश किया गया. जब वह अदालत से बाहर निकला तो उस ने सीआईए-2 स्टाफ की मौजूदगी में पूरी मीडिया के सामने अपने मालिक पर कई गंभीर आरोप जड़े. उस ने कहा कि उस पर दबाव बनाया गया था कि वह रोजी की हत्या करे. यह सारी योजना हत्या से एक रात पहले ही बना ली गई थी.

नौकर राजेश के अनुसार राजिंदर सिक्का ने उस से कहा था कि घर में इतना पैसा आता है पर पता ही नहीं चलता कि वह जाता कहां है. उन्हें पैसों का कोई हिसाबकिताब नहीं मिलता.

राजेश के अनुसार उस ने रोजी की हत्या करने से मना कर दिया था. तब उन्होंने उसे धमकी दी कि यदि तू यह काम नहीं करेगा तो तू मरेगा. इसलिए अपनी सुरक्षा के लिए उस ने यह काम किया था.

राजिंदर सिक्का ने उसे विश्वास दिलाया था कि तुझे कुछ नहीं होगा. यदि कोई बात होती है तो तू रोजी द्वारा रोटी कम देने की बात बता देना. राजेश के अनुसार इस काम के लिए उसे कोई एडवांस धनराशि नहीं दी गई थी. यह कहा गया था कि अगले साल जब तुम शादी करोगे तो तुम्हें तुम्हारे 50 हजार रुपए मिल जाएंगे.

नौकर के इस सनसनीखेज बयान से केस में नया ट्विस्ट आ गया था. पुलिस जहां अब राजिंदर सिक्का को हिरासत में ले कर पूछताछ करेगी तो मृतका के पति दीपांशु उर्फ मोंटी ने सीधेसीधे पुलिस पर आरोप लगाया कि वह जानबूझ कर उस के पिता को फंसाने की कोशिश कर रही है.

उधर 4 जून, 2019 को रोजी के पिता जनकराज और मां सीमारानी ने एसपी को दी गई शिकायत में आरोप लगाया कि दीपांशु ने 9 मई, 2019 को उन्हें फोन कर के 10 लाख रुपए की मांग की थी. जिस पर उन्होंने उस से कहा कि उन्होंने अपनी जमीन का सौदा कर दिया है, जिस की रजिस्ट्री अभी नहीं हुई है. रजिस्ट्री होते ही वह पैसे दे देंगी.

16 मई यानी घटना वाले दिन दीपांशु ने फिर फोन कर के पैसे मांगे थे. मना करने पर कुछ घंटे बाद ही रोजी की हत्या की खबर आ गई. उन्होंने आरोप लगाया कि बेटी की हत्या में राजिंदर सिक्का और दीपांशु भी शामिल हैं. उन्होंने केस की सीबीआई जांच कराने की मांग की.

पुलिस की तरफ से नौकर राजेश द्वारा दिए गए बयानों की पुलिस ने जांच शुरू कर दी गई, पर कथा संकलन तक इस मामले में कुछ नया सामने नहीं आया था.

रिमांड अवधि समाप्त होने के बाद अभियुक्त राजेश को न्यायिक हिरासत में जिला जेल भेज दिया गया और पुलिस मामले की जांच कर रही थी.

प्यार किसी का मौत किसी को

7 मई, 2017 को मध्य प्रदेश के जिला झाबुआ की कोतवाली के प्रभारी आर.सी. भास्करे को हाथीपावा पहाड़ी पर चल रहे श्रमदान में जाना था. वहां एसपी महेशचंद जैन तथा जिलाधिकारी भी आ रहे थे, इसलिए वह समय से वहां पहुंच गए थे.

लेकिन आर.सी. भास्करे जैसे ही वहां पहुंचे, उन्हें किसी ने बताया कि नयागांव और डगरा फलिया के बीच सड़क पर एक लाश पड़ी है, जो नयागांव के रहने वाले तूफान थामोर की है. उस की मोटरसाइकिल भी वहीं पड़ी है. शायद रात को शराब पी कर वह मोटरसाइकिल से घर जा रहा था, तभी उस का एक्सीडेंट हो गया है.

आर.सी. भास्करे ने यह बात एसपी महेशचंद जैन को बताई तो उन्होंने दिशानिर्देश दे कर तुरंत उन्हें घटनास्थल पर पहुंचने को कहा. जब वह घटनास्थल पर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि मोटरसाइकिल गिरी पड़ी है. लाश उसी मोटरसाइकिल के नीचे पड़ी थी. उन्होंने गौर से मोटरसाइकिल और लाश का निरीक्षण किया तो उन्हें यह देख कर हैरानी हुई कि न तो मोटरसाइकिल में किसी तरह की टूटफूट हुई थी और न ही मृतक को कहीं चोट लगी थी.

वहां मोटरसाइकिल के घिसटने का भी कोई निशान नहीं था. जबकि अगर एक्सीडेंट हुआ होता तो मृतक को तो गंभीर चोट आई ही होती, मोटरसाइकिल भी उस के ऊपर गिरने के बजाय कहीं दूर पड़ी होती, साथ ही उस के घिसटने या गिरने के निशान भी होते.

मृतक और मोटरसाइकिल की स्थिति देख कर आर.सी. भास्करे को समझते देर नहीं लगी कि यह हत्या का मामला है. तूफान की हत्या कर के उस के ऊपर मोटरसाइकिल रख कर उसे एक्सीडेंट का रूप देने की कोशिश की गई है. आर.सी. भास्करे ने मृतक के घर सूचना भिजवा दी थी. सूचना पा कर मृतक की पत्नी रेमुबाई रोती हुई आ पहुंची. वह लाश पर सिर पटकपटक कर रो रही थी. पुलिस ने सांत्वना दे कर उसे अलग किया.

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आर.सी. भास्करे लाश और मोटरसाइकिल का निरीक्षण कर रहे थे कि एसपी महेशचंद्र जैन भी आ गए. उन्होंने भी लाश एवं घटनास्थल का निरीक्षण किया. आर.सी. भास्करे ने उन्हें अपने मन की बात बताई तो उन्होंने भी उन की बात का समर्थन किया. एसपी साहब थानाप्रभारी को आवश्यक निर्देश दे कर चले गए.

इस के बाद आर.सी. भास्करे के साथ आए एसआई पी.एस. डामोर, एम.एल. भाटी, एएसआई अनीता तोमर, आरक्षक रामकुमार व गणेश की मदद से घटनास्थल की काररवाई निपटाने लगे. उन्होंने सारी औपचारिकताएं पूरी कर के लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया.

अब तक मृतक की पत्नी रेमुबाई काफी हद तक शांत हो गई थी. आर.सी. भास्करे ने उस से पूछताछ शुरू की तो उस ने बताया कि उस के पति की मौत एक्सीडेंट से हुई है. पुलिस ने जब उस से कहा कि तूफान की मौत एक्सीडेंट से नहीं हुई, किसी ने उस की हत्या की है तो उस ने हैरानी से कहा, ‘‘साहब, मेरे पति की कोई हत्या क्यों करेगा? उन की तो किसी से कोई दुश्मनी भी नहीं थी. आप को गलतफहमी हो रही है. रात में वह रोज शराब पी कर लौटते थे. कल भी शराब पी कर आ रहे होंगे, रास्ते में दुर्घटना हो गई होगी.’’

‘‘जब तुम्हारे पति रात में घर नहीं पहुंचे तो तुम ने उन की खोजखबर नहीं ली?’’ आर.सी. भास्करे ने पूछा.

‘‘साहब, खोजखबर क्या लेती, यह कोई एक दिन की बात थोड़े ही थी. अकसर शराब पी कर वह रात को घर से गायब रहते थे. कल वह घर नहीं पहुंचे तो मैं ने यही समझा कि हमेशा की तरह आज भी कहीं रुक गए होंगे.’’ रेमुबाई ने कहा.

रेमुबाई जिस तरह आत्मविश्वास के साथ पुलिस के सवालों का जवाब दे रही थी, वह भी हैरानी की बात थी. जिस औरत का पति मर गया हो, उस का इस तरह जवाब देना पुलिस को शक में डाल रहा था. क्योंकि इस स्थिति में तो औरत को कुछ कहनेसुनने का होश ही नहीं रहता.

बहरहाल, इस पूछताछ में पता चला था कि मृतक तूफान झाबुआ के बसस्टैंड के पास स्थित नीरज राठौर के टेंटहाउस में काम करता था. उस दिन शाम को घर आने के बाद साढ़े 10 बजे के करीब थोड़ी देर में लौट आने को कह कर वह मोटरसाइकिल ले कर घर से निकला तो लौट कर नहीं आया था.

आर.सी. भास्करे ने टेंटहाउस के मालिक नीरज राठौर और उस के यहां काम करने वाले कर्मचारियों से पूछताछ की तो उन सभी ने भी यही बताया कि तूफान बहुत ही मेहनती और सीधासादा आदमी था. ऐसे आदमी की भला किसी से क्या दुश्मनी होगी, जो उस की हत्या कर दी जाए.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, तूफान की मौत मारपीट की वजह से हुई थी. अब पूरी तरह से साफ हो गया था कि यह एक्सीडेंट का मामला नहीं था. इस के बाद कोतवाली पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी.

आर.सी. भास्करे जल्द से जल्द इस मामले का खुलासा करना चाहते थे, लेकिन 3 दिनों की जांच में उन के हाथ कोई सुराग नहीं लगा. अंत में उन्होंने मुखबिरों की मदद ली. किसी मुखबिर से उन्हें पता चला कि तूफान की हत्या के बाद से उस की पत्नी रेमुबाई ने अपना मोबाइल फोन बंद कर लिया है.

यह सुन कर आर.सी. भास्करे सोच में पड़ गए कि रेमुबाई ने आखिर अपना मोबाइल फोन क्यों बंद कर लिया है? उन्हें कुछ गड़बड़ लगा तो उन्होंने तूफान के बेटे को कोतवाली बुला कर पूछताछ की. एक सवाल के जवाब में बच्चा गड़बड़ाया तो उस का जवाब उन्होंने अपनी मां से पूछ कर बताने को कहा.

इस पर बच्चे ने कहा कि उस की मां का मोबाइल फोन बंद है, इसलिए वह उन से सवाल का जवाब नहीं पूछ सकता. थानाप्रभारी की समझ में नहीं आ रहा था कि ऐसी कौन सी वजह है कि रेमुबाई ने अपना मोबाइल फोन बंद कर दिया है.

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अब उन्हें तूफान की हत्या में रेमुबाई का हाथ होने का शक हुआ. उन्होंने यह बात एसपी महेशचंद्र जैन को बताई तो उन्होंने तुरंत रेमुबाई को थाने बुला कर पूछताछ करने का आदेश दिया.

थाने बुला कर रेमुबाई से पूछताछ शुरू हुई तो वह एक ही जवाब दे रही थी कि उसे नहीं मालूम कि उस रात क्या हुआ था? उसे सिर्फ यही पता है कि वह रात को घर से निकले तो लौट कर नहीं आए. घर आते समय उन का एक्सीडेंट हो गया था.

जब आर.सी. भास्करे ने पूछा कि तूफान की मौत के बाद उस ने अपना मोबाइल फोन क्यों बंद कर लिया तो इस का जवाब देने में रेमुबाई बगलें झांकने लगी. घबराहट उस के चेहरे पर साफ नजर आने लगी.

फिर तो थानाप्रभारी को समझते देर नहीं लगी कि तूफान की हत्या में किसी न किसी रूप में इस का भी हाथ है.  उन्होंने रेमुबाई को एएसआई अनीता तोमर के हवाले कर दिया. उन्होंने सख्ती से उस से पूछताछ शुरू की तो रेमुबाई ने पति की हत्या का अपना अपराध स्वीकार करने में देर नहीं लगाई. इस के बाद उस ने पति की हत्या की जो कहानी सुनाई, वह कुछ इस तरह थी—

मध्य प्रदेश के जिला झाबुआ की कोतवाली के अंतर्गत रहने वाले तूफान की पत्नी रेमुबाई के पेट में ऐसा दर्द उठा कि कई डाक्टरों के इलाज के बाद भी ठीक नहीं हुआ. तभी उस के एक परिचित ने बताया कि झाबुआ से ही जुड़े गुजरात के जिला दाहोद के थाना कतवारा के गांव खगेला का रहने वाला तांत्रिक मंथूर उस का इलाज कर सकता है.

उसे पूरा विश्वास है कि उस की झाड़फूंक से वह निश्चित रूप से ठीक हो जाएगी. यह करीब 4 साल पहले की बात है. रेमुबाई पति तूफान को ले कर तांत्रिक मंथूर के पास पहुंची. रेमुबाई पर एक गहरी नजर डाल कर तांत्रिक मंथूर ने कहा कि उसे 16 शनिवार बिना नागा लगातार आना पड़ेगा. तूफान नौकरी करता था, इसलिए वह पत्नी को हर शनिवार ले कर तांत्रिक के यहां नहीं जा सकता था. इसलिए रेमुबाई अकेली ही तांत्रिक मंथूर के यहां हर शनिवार झाड़फूंक कराने जाने लगी.

तांत्रिक मंथूर ने 4 शनिवार तक नीम की पत्तियों से उस की झाड़फूंक की. 5वें शनिवार को उस ने रेमुबाई से अपने कपड़े ढीले कर के फर्श पर लेट जाने को कहा. रेमुबाई को किसी तरह का कोई शकशुबहा तो था नहीं, इसलिए वह कपड़े ढीले कर फर्श पर लेट गई. करीब 2 घंटे तक मंथूर मंत्र पढ़ते हुए उस के शरीर पर हाथ फेरते हुए उस की बीमारी भगाता रहा.

रेमुबाई के अनुसार, मंथूर भले ही अधेड़ था, लेकिन उस के हाथों में ऐसी तपिश थी कि जब वह उस के शरीर पर हाथ फेरता था तो उसे अजीब सा सुख मिलता था.

7वें शनिवार को मंथूर ने उस से सारे कपड़े उतार कर लेटने को कहा तो रेमुबाई मना नहीं कर सकी. वह कपड़े उतार कर लेटने लगी तो तांत्रिक मंथूर ने दवा के नाम पर उसे थोड़ी शराब पीने को दी.

इस के बाद तांत्रिक ने भी शराब पी. झाड़फूंक करतेकरते मंथूर रेमुबाई के ऊपर लेट गया तो तांत्रिक प्रक्रिया समझ कर रेमुबाई ने कोई विरोध नहीं किया. इस तरह तांत्रिक मंथूर ने उस के साथ शारीरिक संबंध बना लिए.

इस के बाद रेमुबाई जब भी उस के यहां इलाज कराने जाती, मंथूर उसे शराब पिला कर उस के साथ शारीरिक संबंध बनाता. मंथूर के प्यार में तूफान से ज्यादा जोश और गरमी थी, इसलिए उसे उस के साथ शारीरिक संबंध बनाने में आनंद आने लगा. दूसरी ओर मंथूर भी रेमुबाई का दीवाना हो चुका था. अब वह इलाज के बहाने उस के घर भी आने लगा था.

16 शनिवार पूरे हो गए तो तूफान ने पत्नी से कहा, ‘‘अब तो तुम्हारा इलाज पूरा हो चुका है, अब तुम तांत्रिक के यहां क्यों जाती हो?’’

तांत्रिक के प्यार में उलझी रेमुबाई ने कहा, ‘‘अभी मैं पूरी तरह स्वस्थ नहीं हुई हूं, इसलिए अभी मुझे इलाज की और जरूरत है.’’

आखिर कब तक रेमुबाई बहाने बना कर तांत्रिक के पास जाती रहती. मंथूर भी उस के घर लगातार आता रहा. इन्हीं बातों से तूफान को पत्नी पर शक हुआ तो वह पत्नी को मंथूर के यहां जाने से रोकने लगा. अब इलाज तो सिर्फ बहाना था, रेमुबाई तो मंथूर से मिलने जाती थी, इसलिए पति के मना करने के बावजूद वह नहीं मानी.

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रेमुबाई की जिद से तूफान को चिंता हुई. फिर तो दोनों में झगड़ा होने लगा. रेमुबाई को लगा कि इलाज और बीमारी के नाम पर अब यह खेल ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकता. जबकि वह मंथूर के प्यार में इस कदर कैद हो चुकी थी कि अब उस के बिना नहीं रह सकती थी, इसलिए वह उस के लिए कुछ भी कर सकती थी.

शायद यही वजह थी कि उस ने मंथूर से तूफान को रास्ते से हटाने के लिए कह दिया. मंथूर भी रेमुबाई के लिए कुछ भी करने को तैयार था. इसलिए उस के कहने पर वह भी तूफान की हत्या करने को तैयार हो गया.

योजना बना कर 6 मई, 2017 को मंथूर अपने दोस्त गोरचंद के साथ नयागांव डूंगरा के जंगल में पहुंचा और एक पेड़ की आड़ में छिप कर बैठ गया. रेमुबाई को उस ने यह बात बता दी, इसलिए जैसे ही तूफान घर आया, उस ने बहुत ज्यादा पेट में दर्द होने की बात कह कर कहा, ‘‘मंथूर किसी का इलाज करने झाबुआ आया है, मैं ने उसे फोन किया था, वह आने को तैयार है, इसलिए तुम डूंगरा जा कर उसे ले आओ.’’

तूफान बिना देर किए मोटरसाइकिल ले कर तांत्रिक मंथूर को लेने चला गया. नयागांव और डूंगरा के बीच मंथूर गोरचंद के साथ बैठा तूफान के आने का इंतजार कर रहा था.

जैसे ही तूफान उन के करीब पहुंचा, दोनों ने लाठियों से पीटपीट कर उस की हत्या कर दी. इस के बाद उस की लाश को मोटरसाइकिल के नीचे रख दिया, ताकि देखने से लगे कि इस का एक्सीडेंट हुआ है.

लेकिन उन की यह चाल कामयाब नहीं हुई और थानाप्रभारी आर.सी. भास्करे को सच्चाई का पता चल गया.

रेमुबाई की गिरफ्तारी के बाद आर.सी. भास्करे ने तांत्रिक मंथूर और उस के साथी गोरचंद को भी गिरफ्तार कर लिया था. इस के बाद तीनों को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. जेल जाने के बाद रेमुबाई के हाथ से वह सब भी निकल गया, जो था. आखिर पति के साथ उसे ऐसी क्या तकलीफ थी, जो अधेड़ तांत्रिक के प्यार में पड़ कर अपना सब लुटा बैठी.

हिमानी का याराना : पति का किया शिकार

24 वर्षीय सोनू अपनी पत्नी हिमानी के साथ बाहरी दिल्ली स्थित बादली गांव के सिसोदिया मोहल्ले में रहता था. वह और हिमानी घर की ऊपरी मंजिल पर रहते थे, जबकि उस के पिता माधव सिंह और बहन पिंकी ग्राउंड फ्लोर पर रहते थे.

सोनू पेशे से ड्राइवर था और एक टूरिस्ट कंपनी की कार चला कर पूरे परिवार की जीविका चलाता था. 7 सितंबर, 2019 की रात 11 बजे तक परिवार के सभी सदस्य खाना खा चुके थे. सोनू को नींद आ रही थी, इसलिए वह हिमानी और डेढ़ साल के बच्चे के साथ पहली मंजिल पर अपने बैडरूम की ओर बढ़ गया. बेटे और बहू के जाने के बाद घर के बाकी सदस्य भी सोने चले गए.

सुबह करीब 7 बजे भाभी हिमानी के चीखनेचिल्लाने की आवाजें सुन कर पिंकी उस के कमरे में गई तो हिमानी ने रोते हुए बताया कि रात को किसी बदमाश ने इन की हत्या कर दी है. अभी थोड़ी देर पहले जब नींद खुली तो देखा तो ये मरे पड़े थे.

बैड पर भाई सोनू की लाश देख कर पिंकी ने बदहवास हो कर रोना शुरू कर दिया. बेटी और बहू के रोने की आवाज सुन कर सोनू के मातापिता भी भागते हुए वहां पहुंच गए. सोनू की लाश देख कर चीखपुकार मच गई.

तभी पिंकी ने अपने मोबाइल से 100 नंबर पर पुलिस को फोन कर अपने भाई की हत्या की सूचना दे दी. थोड़ी देर बाद बादली थाने से एसआई मनीष कुमार वहां पहुंच गए. लाश को दख्ेने के बाद उन्होंने पाया कि सोनू के गले पर एक स्याह निशान बना हुआ था. चूंकि मामला हत्या का था, इसलिए उन्होंने इस मामले की सूचना थानाप्रभारी अक्षय कुमार को दे दी.

थोड़ी देर में थानाप्रभारी अक्षय कुमार थाने में मौजूद पुलिस स्टाफ के साथ सिसोदिया मोहल्ला स्थित माधव सिंह के घर जा पहुंचे. घर की पहली मंजिल पर पहुंच कर उन्होंने लाश का मुआयना किया तो मृतक के गले पर गहरा स्याह निशान मिला.

ऐसा लग रहा था मानो किसी ने रस्सी या चुन्नी से उस का गला घोंटा हो. कमरे का बारीकी से निरीक्षण करने पर उन्होंने पाया कि सभी सामान अपनी जगह पर था. घर से कोई सामान गायब नहीं था. मतलब हत्यारा जो भी रहा हो, उस की मंशा सिर्फ सोनू की हत्या करने की रही थी.

थानाप्रभारी ने फोरैंसिक टीम को बुला लिया. मृतक के पिता माधव सिंह से पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि रात के 12 बजे सोनू अपनी पत्नी हिमानी के साथ ग्राउंड फ्लोर से पहली मंजिल स्थित इस कमरे में आ गया था. इस के बाद सुबह 7 बजे हिमानी ने नीचे आ कर बताया कि सोनू की हत्या कर दी है.

यह सुन कर थानाप्रभारी अक्षय कुमार ने मृतक की पत्नी हिमानी से पूछताछ की. पति की मौत से बुरी तरह आहत हिमानी की स्थिति बहुत खराब थी. वह छाती पीटपीट कर लगातार रोए जा रही थी. उस ने बस इतना बताया कि वह डेढ़ साल की बेटी के साथ पति की बगल में सो रही थी. गरमी ज्यादा होने के कारण ये कमरे का दरवाजा खुला छोड़ कर सोते थे. पता नहीं रात में वहां कौन आया और इन की हत्या करने के बाद फरार हो गया.

थानाप्रभारी अक्षय कुमार ने उस वक्त हिमानी से ज्यादा पूछताछ करना उचित नहीं समझा. क्योंकि घर में सभी रोपीट रहे थे और माहौल गमगीन था. अलबत्ता उन्हें हिमानी पर शक हुआ.

फोरैंसिक एक्सपर्ट का काम निपट जाने के बाद उन्होंने एसआई मनीष कुमार तथा अन्य स्टाफ के साथ घर का मुआयना करना शुरू किया तो देखा बगल की छत उन की छत से मिली हुई थी. यह देख कर उन्होंने अनुमान लगाया कि हत्यारा संभवत: इसी रास्ते सोनू के कमरे तक पहुंचा होगा और वारदात को अंजाम देने के बाद चुपचाप इसी रास्ते फरार हो गया होगा. एसआई मनीष की भी यही सोच थी.

संदेह की हुई शुरुआत

मौकामुआयना करने के बाद पुलिस टीम ने सोनू की लाश पोस्टमार्टम के लिए बाबू जगजीवन राम अस्पताल, जहांगीरपुरी भेज दी. वहां की सारी काररवाई पूरी करने के बाद पुलिस टीम थाने लौट गई.

10 सितंबर को मृतक की बहन पिंकी की शिकायत पर थाने में सोनू की हत्या का मामला सागर उर्फ बलवा और राहुल के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत दर्ज कर लिया गया.

मामले की जांच खुद थानाप्रभारी अक्षय कुमार कर रहे थे. उन्होंने एसआई मनीष को कुछ निर्देश दे कर दोबारा मृतक के परिजनों को टटोलने के लिए उन के घर भेजा. वहां सभी ने सोनू की हत्या में पड़ोस में रहने वाले बदमाश सागर उर्फ बलवा पर शक जताया. एफआईआर में भी सागर को ही नामजद किया गया था.

पूछताछ के दौरान एसआई मनीष ने मृतक की पत्नी हिमानी को बुला कर उस से एक बार फिर पूछताछ की तो उन्हें ऐसा लगा जैसे वह जानबूझ कर इस केस का रुख दूसरी दिशा में मोड़ना चाह रही हो. यह देख कर उन्होंने उस का मोबाइल नंबर नोट कर लिया.

थाने लौट कर उन्होंने हिमानी के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाई और उस का बारीकी से निरीक्षण करने लगे.

काल डिटेल्स की जांच के दौरान वह यह देख कर चौंके कि हिमानी लगातार एक मोबाइल नंबर के संपर्क में थी. वारदात वाली रात में भी हिमानी ने इस नंबर पर काफी देर बात की थी. मनीष कुमार ने यह बात थानाप्रभारी को बताई तो उन्होंने उस नंबर की काल डिटेल्स निकालने के आदेश दिए. मोबाइल नंबर की जांच की गई तो नंबर उसी सागर उर्फ बलवा का निकला, जिस पर मृतक के पिता एवं परिवार के अन्य लोगों ने सोनू की हत्या का आरोप लगाया था.

यह देख कर थानाप्रभारी और एसआई मनीष के चेहरों पर मुसकराहट दौड़ गई. उन्हें लगा कि हत्यारा अब उन की पकड़ से ज्यादा दूर नहीं है.

11 सितंबर की शाम को थानाप्रभारी अक्षय कुमार ने हिमानी को पूछताछ के लिए थाने बुलाया. पूछताछ के दौरान हिमानी मासूम बन कर चालाकी से पुलिस की जांच की दिशा भटकाने की कोशिश करती रही लेकिन जब उस के सामने उस की काल डिटेल्स दिखा कर उस के और सागर के रिश्तों के बारे में पूछा गया तो उस का हलक सूख गया.

आखिरकार उस ने स्वीकार कर लिया कि उस के और सागर उर्फ बलवा के बीच जिस्मानी रिश्ते हैं और उस ने सागर के साथ मिल कर 7-8 सितंबर के तड़के पति की हत्या की थी.

जुर्म स्वीकार कर लेने के बाद हिमानी को गिरफ्तार कर लिया गया. उसी शाम सागर के घर पर दबिश दे कर उसे भी दबोच लिया गया. पूछताछ के दौरान जब उसे बताया गया कि उस की माशूका हिमानी को गिरफ्तार कर लिया गया है, तो वह बुरी तरह चौंका.

जब उसे उस की काल डिटेल्स दिखाई गई तो उस ने भी अपना जुर्म स्वीकार कर लिया. बाद में दोनों की निशानदेही पर सोनू की हत्या में प्रयुक्त वह रस्सी भी बरामद कर ली, जिस से सोनू का गला घोंटा गया था. सोनू हत्याकांड के पीछे की जो कहानी उभर कर सामने आई, वह इस तरह है.

बाहरी दिल्ली जिले में एक गांव है बादली. माधव सिंह अपने परिवार के साथ यहीं रहते हैं. उन के परिवार में पत्नी अंजू (काल्पनिक नाम), 24 साल का बेटा सोनू, बेटी पिंकी थे. माधव सिंह की माली हालत बहुत अच्छी नहीं थी. वह एक होटल में काम करते थे. सोनू पेशे से ड्राइवर था, जबकि पिंकी एक बड़े अस्पताल में काम करती थी.

शादी के बाद खुश थे दोनों

सोनू की शादी करीब 3 साल पहले हिमानी के साथ हुई थी. हिमानी गोरे रंग, आकर्षक नैननक्श की खूबसूरत युवती थी. हंसमुख और मिलनसार स्वभाव की हिमानी को पत्नी के रूप में पा कर सोनू बहुत खुश था. हिमानी भी इस घर में आ कर खुश थी. पिंकी भाभी का पूरा खयाल रखती थी.

सोनू और हिमानी अपनी दुनिया में खुश रहते थे. सोनू का काम ऐसा था कि वह सुबह घर से निकलता था. इस के बाद उसे खुद भी पता नहीं रहता था कि वह घर कब लौटेगा.

हिमानी अपनी सास के साथ घर का कामकाज निबटाती और दिन का बाकी समय टीवी देखती या सो कर गुजारती थी. जब कभी उसे सोनू की याद सताती तो वह उस के मोबाइल पर फोन कर के उस का हालचाल पूछ लिया करती थी. सोनू भी खाली वक्त में फोन करता था. बेटी के जन्म से घर में सभी खुश थे.

हिमानी का कमरा घर की पहली मंजिल पर था. जब कभी उसे बोरियत महसूस होती तो वह अपना मन बहलाने के लिए बालकनी में आ कर खड़ी हो जाती थी. इसी दौरान एक दिन उस की निगाहें पड़ोस में रहने वाले युवक सागर की निगाहों से टकराईं तो उस के तनबदन में सिहरन सी दौड़ गई.

पहले भी उस ने गौर किया था कि वह किसी न किसी बहाने उस के घर के सामने आ कर उसे एकटक निहारता है. उस दिन तो उसे सागर का यूं अपनी ओर बेशरमी से देखना अच्छा नहीं लगा, लेकिन बाद में उसे लगा कि पति के अलावा पड़ोस के लड़के भी उसे पसंद करते हैं तो उस के चेहरे पर मुसकराहट तैरने लगी.

हौलेहौले चाहत भरी नजरों के इस खेल में उसे भी मजा आने लगा. उस ने भी सागर की नजरों से नजरें मिलानी शुरू कर दीं. बात बढ़ती गई और मामला बातचीत से शुरू हो कर मोबाइल नंबर के आदानप्रदान तक पहुंच गया.

सागर में घुलमिल गई हिमानी

सागर हिमानी को फोन कर के उस से मिलने की जिद करने लगा तो एक दिन जब वह घर में अकेली थी तो उस ने मौका देख कर सागर को अपने कमरे में बुला लिया. सागर बहुत बातूनी युवक था. उस ने हिमानी को अपनी मीठीमीठी बातों में ऐसा फंसाया कि वह उस की बांहों में अपनी सुधबुध खो बैठी.

हिमानी के बदन से खेलने के बाद सागर वहां से चला गया, लेकिन उस दिन के बाद जब कभी हिमानी को मौका मिलता, वह सागर को मिलने के लिए अपने घर में बुला लेती थी. कभीकभी वह खुद भी किसी काम के बहाने घर से निकल कर सागर की बताई हुई जगह पर पहुंच जाती थी.

शुरुआत में हिमानी और सागर के अवैध रिश्तों की जानकारी किसी को नहीं हुई, लेकिन यह बात ज्यादा दिनों तक छिपी नहीं रह सकी. एक दिन सोनू को उस के किसी दोस्त ने उस की बीवी की बेवफाई की दास्तान बताई तो उसे उस की बातों पर विश्वास नहीं हुआ. लेकिन जब लोगों ने सागर के साथ हिमानी का नाम जोड़ कर छेड़ना शुरू कर दिया तो उसे उन की बात पर विश्वास करना पड़ा.

सागर मोहल्ले का दबंग युवक था. लोग उस के सामने आने में कतराते थे. फिर भी सोनू ने उस से कहा कि वह हिमानी से मिलना छोड़ दे. सागर ने उस समय तो उस की बात मान ली लेकिन उस ने अपनी हरकतें जारी रखीं.

घटना के 4 दिन पहले सोनू और सागर के बीच बच्चों को ले कर जोरदार झगड़ा हुआ. इस दौरान सागर ने सोनू को 8 दिनों के अंदर जान से मारने की धमकी दी.

हिमानी का दिल अपने पति सोनू से भर चुका था. उसे सोनू से सागर ज्यादा प्यारा था, इसलिए जब सागर ने सोनू की हत्या करने की बात उसे बताई तो वह उस का साथ देने के लिए तैयार हो गई.

योजना के अनुसार 8 सितंबर की रात हिमानी ने सोनू के खाने में नींद की गोलियां मिला दीं. आधी रात को जब वह हिमानी के साथ अपने बैडरूम में पहुंचा तो लेटते ही नींद की आगोश में चला गया.

रात के करीब ढाईतीन बजे के बीच जब सारा मोहल्ला चैन की नींद सो रहा था, तभी हिमानी ने फोन कर सागर को अपने कमरे में आने के लिए कहा. सागर को पहले से ही हिमानी के फोन का इंतजार था. जैसे ही हिमानी ने बुलाया, वह दबे पांव छत के रास्ते हिमानी के कमरे में पहुंचा और एक रस्सी से सोनू का गला घोंट दिया.

रात भर हिमानी अपने पति की लाश के साथ सोई रही. सुबह 7 बजे उठ कर उस ने अपने ससुर माधव सिंह तथा सास अंजू को पति की हत्या होने की जानकारी दी.

12 सितंबर, 2019 को थानाप्रभारी अक्षय कुमार ने सोनू हत्याकांड के दोनों आरोपियों हिमानी और सागर उर्फ बलवा को रोहिणी कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

इस हत्याकांड में दूसरे नामजद आरोपी राहुल का कोई हाथ न होने के कारण उस के खिलाफ काररवाई नहीं की गई. मामले की जांच थानाप्रभारी अक्षय कुमार कर रहे थे. – कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

मुंहबोले भाई की करतूत : अपनों ने ही दिया धोखा

18 जून, 2017 की  सुबह होते ही मानिकपुर गांव के कुछ लोग खेतों की तरफ जा रहे थे, तभी उन में से किसी की नजर एक बैंगन के खेत की ओर चली गई. उस खेत में किनारे पर ही एक युवक की लाश पड़ी थी. लोग वहां इकट्ठा हो कर लाश को पहचानने की कोशिश करने लगे.

लाश को नजदीक से देख कर लोग हैरान रह गए, क्योंकि लाश गांव के अजय कुमार राव उर्फ बबलू की थी. अजय की हत्या की खबर गांव पहुंची तो उस के घर वालों के अलावा गांव के और लोग भी घटनास्थल पर पहुंच गए. अजय के घर वाले गांव वालों की मदद से लाश को बैंगन के खेत से घर ले आए. इसी बीच किसी ने इस की सूचना थाना अहरौरा पुलिस को दे दी थी.

सूचना पा कर कुछ ही देर में थानाप्रभारी प्रवीन कुमार सिंह एसएसआई विनोद कुमार दुबे और अन्य स्टाफ के साथ मानिकपुर गांव स्थित अजय के घर पहुंच गए. उन्होंने लाश का मुआयना किया तो उस के गले पर निशान पाए गए. इस के बाद उन्होंने उस जगह का निरीक्षण किया, जहां लाश मिली थी.

प्रवीण कुमार सिंह ने मृतक के घर वालों से किसी से दुश्मनी के बारे में पूछा तो मृतक अजय के पिता ने बताया कि उन की किसी से दुश्मनी नहीं है. अजय भी मोहल्ले में सब से मिलताजुलता था. उस का मकान बन रहा था, बीती रात उस ने घर पर मजदूरों को दावत भी दी थी.

दावत खा कर सभी मजदूर अपनेअपने घर चले गए थे. उन के जाने के बाद अजय भी छोटे भाई प्रद्युम्न के साथ सोने चला गया था. इस के बाद रात करीब साढ़े 11 बजे उस के मोबाइल पर किसी का फोन आया था. फोन पर बातें करता हुआ वह घर से गया तो फिर लौट कर नहीं आया.

उच्चाधिकारियों को घटना की सूचना देने के बाद थानाप्रभारी प्रवीण कुमार सिंह ने जरूरी काररवाई पूरी कर के लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया. सूचना मिलने पर एसपी आशीष तिवारी, एएसपी (औपरेशन) हफीजुल रहमान, सीओ (औपरेशन) के.पी. सिंह ने भी घटनास्थल का निरीक्षण कर मृतक के घर वलों से बातचीत की. मृतक के पिता रामराज की तहरीर पर पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया.

एसआई विनोद कुमार ने केस की जांच शुरू की. अजय ने जिन लोगों को अपने यहां पार्टी में बुलाया था, उन से बात की गई. अजय जिस मोबाइल फोन पर बात करता हुआ घर से निकला था, वह मोबाइल गायब था. वह बैंगन के खेत में लाश के पास भी नहीं मिला था. अजय के पास आखिरी फोन किस का आया था, यह जानने के लिए पुलिस ने उस के नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई.

काल डिटेल्स से पता चला कि अजय के फोन पर आखिरी काल थाना इलिया के गांव डेहरी निवासी अनीता की आई थी. वह दिनेश कुमार की पत्नी थी. पुलिस अनीता के घर पहुंची तो पता चला कि वह पति के साथ कहीं गई हुई है.

एक मुखबिर ने थानाप्रभारी को बताया कि अनीता और अजय के बीच नाजायज संबंध थे. यह बात गांव के बच्चेबच्चे को पता है. इस जानकारी के बाद थानाप्रभारी के दिमाग में हत्या की पूरी कहानी घूमने लगी. वह समझ गए कि मामला प्रेमसंबंध का है. पुलिस ने उन दोनों की गिरफ्तारी के प्रयास शुरू कर दिए. मदद के लिए मुखबिरों को भी लगा दिया.

घटना के 3 दिनों बाद 21 जून की देर शाम मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने दिनेश और उस की पत्नी अनीता को चकिया तिराहा, अहरौरा से गिरफ्तार कर लिया. वे दोनों कहीं भागने की फिराक में थे.

पुलिस दोनों को पकड़ कर थाने ले आई. उन से अजय की हत्या के बारे में पूछताछ की गई तो उन्होंने हत्या का अपराध स्वीकार करते हुए हत्या की जो कहानी बताई, वह अवैध संबंधों की नींव पर उपजे अपराध की कहानी थी-

दिनेश कुमार उत्तर प्रदेश के जिला चंदौली के थाना इलिया के गांव डेहरी का रहने वाला था. पैतृक संपत्ति के बंटवारे को ले कर उस का अपने घर वालों से विवाद चल रहा था. कलह ज्यादा बढ़ गई तो वह परेशान रहने लगा. उस का कामधंधे में भी मन नहीं लगता था, जिस से पत्नी को घर का खर्च चलाने में परेशानी होने लगी.

इस के बाद दिनेश का अनीता से भी रोजाना विवाद होने लगा. रोजरोज की किचकिच से तंग आ कर अनीता मायके चली गई. उस का मायका मीरजापुर जिले के मानिकपुर गांव में था. पिछले 3 सालों से वह मायके में ही रह रही थी.

चूंकि इलिया और अहरौरा गांवों के बीच कोई खास दूरी नहीं थी, इसलिए जब भी दिनेश का मन करता, पत्नी से मिलने ससुराल पहुंच जाता. जिस तरह गांव के लोग एकदूसरे के घर आतेजाते हैं, उसी तरह अनीता के घर गांव के ही अजय उर्फ बबलू का आनाजाना था. दोनों का रिश्ता भाईबहन का था, इसलिए अजय अनीता से बातें करता तो उस के घर वालों को जरा भी बुरा नहीं लगता था.

पर युवा मन कब फिसल जाए, कहा नहीं जा सकता. ऐसा ही कुछ अजय और अनीता के साथ भी हुआ. कहने को तो उन का रिश्ता भाईबहन का था, लेकिन अजय अनीता को दूसरी ही नजरों से देखता था. और वह उस के यहां अकसर तभी आता था, जब उस के घर कोई नहीं होता था.

बातोंबातों में वह अनीता को छू भी लिया करता था. कभी सिर पर हाथ फेर देता तो कभी हाथ पकड़ लेता. पहले तो अनीता ने उस की इन बातों पर गौर नहीं किया, लेकिन धीरेधीरे उस की भी समझ में आने लगा कि अजय के मन में क्या चल रहा है. वह चुप रही, इसलिए अजय उस की स्वीकृति समझ बैठा.

अब वह उपयुक्त अवसर की तलाश में था. संयोग से एक दिन उसे मौका मिल ही गया. उस दिन अनीता घर पर बिलकुल अकेली थी. घर के कामकाज निपटा कर वह थोड़ी फुरसत में हुई ही थी कि दबेपांव अजय घर में आ गया. अचानक अजय को आया देख कर अनीता बोली, ‘‘बबलू भैया तुम?’’

अनीता उसे बबलू ही कहती थी. उस की बात बीच में ही काट कर अजय ने कहा, ‘‘क्यों क्या हुआ, मैं ने आ कर कोई गलत किया क्या?’’

‘‘अरे नहीं, तुम तो बुरा मान गए. मेरे कहने का मतलब यह नहीं था.’’ अनीता कुछ और कहती, अजय उस के मुंह पर हाथ रख कर, ‘‘अब छोड़ो न उस बात को, मुझे प्यास लगी है.’’

‘‘…तो पहले क्यों नहीं कहा तुम ने, मैं अभी पानी लाती हूं.’’ इतना कह कर अनीता पलट कर पानी लेने जाने लगी. अनीता के पीछेपीछे अजय भी हो लिया और जैसे ही वह मटके से पानी ले कर चलने को हुई, उस ने अनीता को पीछे से अपनी बांहों में दबोच लिया.
अजय की इस हरकत से अनीता घबरा गई. उस ने कहा, ‘‘यह तुम क्या कर रहे हो? छोड़ो, कोई देख लेगा तो बवाल हो जाएगा.’’

‘‘घबराने की कोई बात नहीं है, मैं ने आते समय दरवाजे की कुंडी लगा दी है.’’ इतना कह अजय ने अपनी बांहों की जकड़न और बढ़ा दी. अनीता ने उस से बचने की लाख कोशिश की, लेकिन उस के आगे वह बेबस हो गई. अंतत: अजय ने उस दिन अपनी इच्छा पूरी कर ही ली. इस के बाद अजय जातेजाते अनीता को धमका भी गया कि अगर उस ने इस बात को किसी से बताया तो उसी की बदनामी होगी.

अपनी बदनामी की वजह से अनीता ने यह बात किसी को नहीं बताई. वह चुप्पी साधे रही. अनीता से एक बार जबरन संबंध बनाने के बाद अजय ने उस की चुप्पी को हथियार बना लिया. वह अकसर मौका देख कर उस के घर आ आता और संबंध बनाने के लिए उसे विवश करता. अनीता चाह कर भी अपना मुंह नहीं खोल पा रही थी. धीरेधीरे वह अजय की हरकतों से तंग आ चुकी थी.

आखिर वह ऐसे कब तक घुटघुट कर जीती रहती. उस ने एक दिन अपने पति दिनेश को सारी बात बता दी. पत्नी की व्यथा सुन कर दिनेश आगबबूला हो उठा. उस ने तय कर लिया कि वह अजय को इस की सजा जरूर देगा. इस के बाद उस ने पत्नी के साथ मिल कर अजय को ठिकाने लगाने की योजना बना डाली.

योजना के मुताबिक अनीता ने 17 जून, 2017 की रात अजय को फोन कर के उस के घर से करीब 200 मीटर दूर सीवान के करीब एक बैंगन के खेत में बुलाया. उस दिन अजय ने अपने घर पर मजदूरों को पार्टी दी थी. खापी कर वह अपने छोटे भाई प्रद्युम्न के साथ सोया हुआ था. मोबाइल फोन की घंटी बजने पर उस ने जैसे ही हैलो कहा. दूसरी ओर से अनीता की आवाज सुन कर उस की नींद गायब हो गई.

उस ने कहा, ‘‘बबलू अभी मौका है, तुम सीवान के पास बैंगन वाले खेत में आ जाओ. मैं वहां पहुंच रही हूं.’’

यह सुन कर अजय की बांछें खिल उठीं. खुशी में पागल हुआ अजय फोन कान से लगाए बातें करता हुआ अपने कमरे से बाहर आ गया और सीधे बैंगन के खेत की ओर चल पड़ा. वहां पहले से ही दिनेश छिपा बैठा था. रात करीब साढ़े 11 बजे जैसे ही अजय बैंगन के खेत में पहुंचा, वहां अनीता को देख कर खुशी से झूम उठा.

अजय को इस बात की जरा भी आशंका नहीं थी कि जिस अनीता को देख कर वह खुशी के मारे पागल हुआ जा रहा है, आज वही खुशी उस की मौत बन कर खड़ी है.

सुनसान जगह पर अनीता को देख कर अजय ने उसे अपनी बांहों में समेटने की कोशिश की तो तभी अनीता ने कहा, ‘‘अरे, इतनी भी क्या जल्दी है, जो इतना उतावले हुए जा रहे हो. मैं कहीं भाग नहीं रही हूं. आज तुम्हें यहां इसीलिए बुलाया है कि हम जी भर कर प्यार करेंगे.’’

‘‘मुझे पता था कि एक न एक दिन तुम मेरी बांहों में खुद आओगी. देखो वह दिन आ भी गया.’’ अजय ने कहा.
अजय ने फिर से अनीता को बांहों में समेटने की कोशिश की तो पीछे से घात लगाए बैठे अनीता के पति दिनेश ने दबेपांव आ कर अजय के गले में नायलौन की रस्सी डाल कर गला कसना शुरू कर दिया.

अप्रत्याशित ढंग से हुए इस हमले से अनभिज्ञ अजय अपने बचाव में जब तक कुछ कर पाता, तब तक दिनेश ने दोनों हाथों से उस के गले में पड़ी रस्सी कस दी, जिस से उस की मौत हो गई.

दिनेश ने उसे बचने का बिलकुल भी मौका नहीं दिया. अजय उर्फ बबलू को मौत की नींद सुलाने के बाद दिनेश और अनीता ने उस की लाश को बैंगन के खेत में डाल दिया और अपनेअपने घर चले गए.

घटना के बाद दोनों गांव में ही लोगों की नजरों से बच कर रह रहे थे और पुलिस की हर गतिविधि पर नजर रख रहे थे.

जब उन्हें लगा कि वह गांव में ज्यादा दिनों तक पुलिस से बच कर नहीं रह सकते तो कहीं जाने के लिए वे अहरौरा के चकिया तिराहे पर पहुंचे, तभी पुलिस की गिरफ्त में आ गए.

दोनों से पूछताछ कर के पुलिस ने उन की निशानदेही पर बैंगन के खेत से नायलौन की रस्सी और मृतक का मोबाइल फोन बरामद कर लिया. पुलिस ने दोनों को सक्षम न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया. कथा लिखे जाने तक दोनों की जमानत नहीं हो पाई थी.

उधर पुलिस अधीक्षक आशीष तिवारी ने अभियुक्तों को गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम की पीठ थपथपाई. अनीता ने अगर यह बात पहले ही घर वालों को बता दी होती तो आज इस की नौबत नहीं आती. उस ने समझदारी से काम लिया होता तो पति के साथ उसे जेल भी न जाना पड़ता.

—कथा पुलिस तथा मीडिया सूत्रों पर आधारित

अवैध संबंध पत्नी के, जान गई पति की

12 मई, 2017 की बात है. उस दिन पंजाब के शहर जालंधर का रहने वाला रिंकू सुबह से ही काफी परेशान था. क्योंकि तलाक के मामले में उस की पेशी थी. वह उस रात भी सो नहीं सका था. उस के दोनों बच्चे स्कूल चले गए तो कमरे में बैठ कर वह कुछ सोचने लगा. 10 बजे वह बच्चों को खाना पहुंचाने स्कूल गया, जहां से 11 बजे लौटा.

इस के बाद वह कमरे में बैठ कर कुछ लिखने लगा. दोपहर को 11 साल की बेटी पलक घर लौटी तो उस ने जैसे ही दरवाजा खोला, सामने का दृश्य देख कर वह चीख पड़ी. उस के पिता बलविंदर उर्फ रिंकू कपड़े के फंदे में पंखे से लटके थे.

पलक की चीख और रोने की आवाज सुन कर घर वालों के अलावा पड़ोसी भी आ गए. रिंकू को उस हालत में देख कर उस के पिता प्रेमनाथ भी फफकफफक कर रो पड़े. यह पुलिस केस था, इसलिए लाश को नीचे नहीं उतारा. किसी ने फोन कर के इस घटना की सूचना पुलिस को दे दी थी.

सूचना मिलते ही थानाप्रभारी जीवन सिंह एएसआई कुलविंदर सिंह, हवलदार जगजीत सिंह, सुरजीत सिंह, सिपाही जसप्रीत सिंघौर, महिला सिपाही वीना रानी के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए थे. पुलिस ने रिंकू की लाश उतार कर कब्जे में ले ली.

चूंकि आमतौर पर आत्महत्या के मामलों में आसपास सुसाइड नोट मिल जाता है, इसलिए पुलिस ने कमरे की तलाशी शुरू कर दी. इस तलाशी में बैड के गद्दे के नीचे एक सुसाइड नोट मिल गया. जिस में रिंकू ने अपनी मौत का जिम्मेदार अपनी पत्नी ज्योति और उस के प्रेमी रजनीश को ठहराया था. सुसाइड नोट में साफसाफ लिखा था कि इन्हीं दोनों के डर की वजह से वह मौत को गले लगा रहा है.

पुलिस ने मृतक के घर वालों से जरूरी पूछताछ कर के लाश को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया और मृतक के पिता प्रेमनाथ के बयान और सुसाइड नोट  के आधार पर ज्योति और उस के प्रेमी रजनीश मल्होत्रा के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा दर्ज कर लिया.

पुलिस घटनास्थल पर काररवाई कर ही रही थी कि रोतीबिलखती ज्योति वहां पहुंच गई. थानाप्रभारी के आदेश पर महिला सिपाही वीना रानी ने ज्योति को हिरासत में ले लिया. थाने ला कर उस से पूछताछ की गई तो उस ने अपने प्रेमप्रसंग से ले कर पति के आत्महत्या करने तक की जो कहानी सुनाई, वह इस प्रकार थी-

ज्योति जालंधर शहर की बस्ती दनिशां के कटरा मोहल्ले के रहने वाले बलविंदर उर्फ रिंकू की पत्नी थी. रिंकू 4 भाईबहनों में सब से बड़ा था. उस के पिता प्रेमनाथ का टैंट हाउस था. वह पिता के साथ उसी पर बैठता था. करीब 14 साल पहले सन 2003 में ज्योति  के साथ उस की शादी हुई थी. ज्योति जम्मू की रहने वाली थी.

दोनों की गृहस्थी ठीकठाक चल रही थी. ज्योति 2 बच्चों की मां बन गई थी. वह काफी बोल्ड स्वभाव की थी. शादी से पहले उस के कहीं आनेजाने पर रोक नहीं थी. पर शादी के बाद उस की स्थिति खूंटे से बंधी गाय की तरह हो गई थी. वह घर से निकल कर बाहर घूमना चाहती थी. वह चाहती थी कि उस के ऊपर किसी तरह की कोई पाबंदी न हो. जहां उस का मन करे, वह आएजाए. रिंकू से वह अपने मन की यह बात कहती तो वह खुद के व्यस्त होने की बात कह देता.

एक बार ज्योति पति के साथ जालंधर के शेखां बाजार स्थित आर्टिफिशियल ज्वैलरी के शोरूम पर गई. यह शोरूम जालंधर के टांडा रोड के रहने वाले रजनीश मल्होत्रा का था. वह काफी बड़ा शोरूम था, जहां तमाम लड़कियां काम करती थीं. ज्योति बेहद खूबसूरत थी.

रजनीश मल्होत्रा दिलफेंक किस्म का इंसान था. हालांकि वह बालबच्चेदार था, इस के बावजूद वह सुंदर महिलाओं की तरफ आकर्षित हो जाता था. ज्योति भी उस के दिल की घंटी बजा गई. इसलिए वह उस के बारे में जानने के लिए बेचैन हो उठा. बहरहाल, अपने यारदोस्तों से उस ने पता कर लिया कि जो महिला उस के दिल की घंटी बजा कर बेचैन कर गई है, उस का नाम ज्योति है और वह कटरा मोहल्ले के रहने वाले रिंकू की बीवी है. इस के बाद रजनीश ने कटरा मोहल्ले के ही रहने वाले अपने एक दोस्त से ज्योति और उस के परिवार के बारे में पता किया और ज्योति से नजदीकी संबंध बनाने के उपाय खोजने लगा.

रजनीश ने सोचा कि पहले ज्योति के पति से दोस्ती की जाए, पर पता चला कि रिंकू तो दिन भर पिता के साथ टैंट हाउस पर बैठा रहता है. वह किसी के साथ उठताबैठता नहीं है.

दोस्त ने बताया कि ज्योति को घर में कैद रहना पसंद नहीं है. वह कहीं नौकरी करना चाहती है. यह सुन कर रजनीश खुश हो गया. उस ने दोस्त से कहा कि वह किसी से ज्योति के पास तक यह खबर पहुंचवा दे कि उस की ज्वैलरी शौप में एक काउंटर गर्ल की जरूरत है. दोस्त ने यह बात ज्योति तक पहुंचा दी.

ज्योति अपने घर वालों की इच्छा के खिलाफ नौकरी के लिए रजनीश के शोरूम पर पहुंच गई. रजनीश ने औपचारिक बातचीत के बाद उसे नौकरी पर रख लिया. इस के बाद दोनों में बातें होने लगीं. जल्दी ही उन में दोस्ती भी हो गई.

रजनीश ने अपनी लच्छेदार बातों से ज्योति को जल्द ही अपने जाल में फांस लिया. कुछ ही दिनों में ज्योति वहां केवल मुलाजिम ही नहीं रही, बल्कि रजनीश के दिल पर राज करने लगी. केवल रजनीश ही उसे नहीं चाहता था, बल्कि वह भी रजनीश की दीवानी हो गई थी. ज्योति और रजनीश के बीच अवैधसंबंध बन गए थे.

ज्योति के अवैधसंबंधों की बात गलीमोहल्ले में फैली तो प्रेमनाथ की बदनामी होने लगी. वह सीधेसादे शरीफ इंसान थे. चार लोगों के बीच उन का उठनाबैठना था. लोग उन का बड़ा सम्मान करते थे. बहू के बारे में ऐसी बातें सुन कर उन का सिर शर्म से झुक गया.

और यही बात जब मोहल्ले से होते हुए रिंकू के कानों तक पहुंची तो घर में क्लेश होने लगा. रिंकू ने ज्योति को प्यार से समझाते हुए कहा, ‘‘तुम शादीशुदा और 2 बच्चों की मां हो. हमारे बच्चे अब बड़े हो रहे हैं. घर की बड़ी बहू होने के नाते परिवार के प्रति तुम्हारी कुछ जिम्मेदारियां हैं, जिन से तुम मुंह नहीं मोड़ सकती. ऐसी बातें तुम्हें शोभा नहीं देतीं.’’

‘‘दम घुटता है मेरा यहां, मैं खुले आसमान और खुली हवा में जीना चाहती हूं. अपनी खुशी के लिए अगर मैं किसी से हंसबोल लेती हूं तो बताओ किसी का क्या बिगड़ जाता है.

नहीं बनना है मुझे किसी के घर की छोटीबड़ी बहू. मत पढ़ाओ मुझे खोखली मर्यादाओं और खोखले संस्कारों का पाठ. मैं किसी बात की परवाह नहीं करती. मैं जैसी हूं, वैसी ही बनी रहना चाहती हूं. मुझे जंजीरों में जकड़ने की कोशिश मत करो.’’ ज्योति ने मन की बात कह दी.

पत्नी की बातें सुन कर रिंकू का मुंह खुला का खुला रह गया. वह जानने की कोशिश कर रहा था कि बड़ों का सम्मान करने वाली ज्योति एकदम से बदल कैसे गई. रिंकू को मुंह तोड़ जवाब दे कर ज्योति की जैसे हिम्मत ही बढ़ गई थी. अब वह अपनी मरजी से घर के बाहर जाती, मरजी से लौटती और कभीकभी तो लौटती ही नहीं थी.

जब ज्योति बेकाबू हो गई तो रिंकू ने इस बात की शिकायत उस के मायके वालों से कर दी. ज्योति के पिता कृष्णलाल ने भी उसे समझाया, पर उस पर तो इश्क का जुनून सवार था, इसलिए उस पर पिता की भी बात का कोई असर नहीं हुआ. समय के साथ मामला इतना बढ़ गया कि ज्योति की शह पर रिंकू के घर में रजनीश का पूरा दखल हो गया.

जब भी रिंकू पत्नी को समझाने की कोशिश करता, रजनीश उस के घर आ जाता और रिंकू को बुराभला कहता. कई बार तो उस ने ज्योति के सामने रिंकू की पिटाई भी की. रिंकू बच्चों के भविष्य और परिवार की इज्जत की खातिर अपना मुंह बंद किए रहा. पतिपत्नी के झगड़े के बीच अब अकसर बातबात में ज्योति तलाक की मांग करने लगी.

लगभग 6 महीने पहले रिंकू की बेटी पलक का जन्मदिन था. ज्योति ने घर पर छोटी सी पार्टी रखी थी, जिस में रजनीश ने भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया था. रिंकू के पिता इस पार्टी में नहीं आए थे. पिता होने के नाते रिंकू को बच्चों के साथ बैठना पड़ा.

पार्टी के दौरान ही रजनीश के सामने ज्योति ने तलाक की बात छेड़ते हुए कहा कि उसे हर हालत में तलाक चाहिए. उसी बीच कुछ ऐसा हुआ कि रजनीश ने बच्चों के सामने ही रिंकू के गालों पर 3-4 थप्पड़ जड़ दिए. इस के 2 दिनों बाद ही ज्योति ने पति का घर छोड़ दिया और वह मखदूमपुर के चरनजीतपुरा में अलग कमरा ले कर रहने लगी.

दिखावे के लिए उस ने यह कमरा अपने आप लिया था, पर वास्तविकता यह थी कि यह कमरा उसे रजनीश ने दिलवाया था और वह भी उसी के साथ रहता था. मार्च, 2017 मे रिंकू ने थाना डिवीजन-5 में ज्योति के घर छोड़ने और रजनीश द्वारा मारपीट करने की शिकायत दर्ज करवा दी थी.

इस के पहले भी समयसमय पर रिंकू ने थाने जा कर अपने घर में बढ़ रहे रजनीश के दबदबे की शिकायत की थी, पर रजनीश अपने प्रभाव से उस की शिकायत की सुनवाई नहीं होने देता था. स्थानीय भाजपा नेता होने के कारण रजनीश का क्षेत्र में काफी दबदबा था. पर इस बार रिंकू ने पुलिस के बड़े अधिकारियों के सामने गुहार लगाई थी, इसलिए उसे थाने में पेश होना पड़ा.

पुलिस पर दबाव बनाने के लिए रजनीश पार्टी कार्यकर्ताओं के पूरे काफिले के साथ थाने पहुंचा था. उस ने पुलिस के सामने लिखित में माफी मांगते हुए रिंकू से कहा था कि आज के बाद वह उस के घर में कोई दखल नहीं देगा. यह 16 मार्च, 2017 की बात है.

इस के 2 दिनों बाद ही रिंकू को ज्योति का तलाक के लिए भेजा हुआ अदालत का नोटिस मिला था. उसी शाम ज्योति ने रिंकू के घर पहुंच कर उसे धमकी दी थी कि बात बढ़ाने से कोई फायदा नहीं है, वह उसे तलाक दे कर अपना पीछा छुड़ा ले वरना अंजाम बड़ा भयानक होगा.

रिंकू अदालत की नोटिस से उतना नहीं डरा था, जितना ज्योति की धमकी से डर गया था. वह अच्छी तरह से जानता था कि ज्योति की इस धमकी के पीछे रजनीश का हाथ है. वह रजनीश की दबंगई से अच्छी तरह परिचित था. इस के बाद रिंकू डराडरा रहने लगा था. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह इस मामले में क्या करे.

पत्नी की वजह से रिंकू की समाज में काफी बदनामी हो चुकी थी. पत्नी की वजह से उस का परिवार समाज में मुंह दिखाने लायक नहीं रहा था. इस के अलावा रजनीश ने पिटाई कर के उसे कई बार बेइज्जत किया था. इस से वह काफी हताश हो गया था. इसलिए उस ने 12 मई, 2017 को पंखे से लटक कर आत्महत्या कर ली. पूछताछ के बाद ज्योति को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

रजनीश कुछ दिनों तक अपने बचाव के लिए सिफारिशें करवाता रहा. उस ने भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं से थाने और रिंकू के पिता के पास फोन करवा कर मामले को रफादफा करवाने की कोशिश की, पर उस की दाल नहीं गली, अंत में उस ने थाने में आत्मसमर्पण कर दिया. पूछताछ के बाद उसे भी कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

-कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

मामा का खूनी सिंदूर : परिवार ही बना निशाना – भाग 3

इज्जत के नाम पर दबा दी बात

अपराधबोध के कारण प्रवींद्र ने सिर झुका लिया. फिर जब ऊषा का गुस्सा ठंडा पड़ गया तो प्रवींद्र ने बहन के पैर पकड़ लिए, ‘‘दीदी, जवानी के जोश में हम और संगीता बहक गए थे. इस बार माफ कर दो. आइंदा ऐसी गलती नहीं होगी.’’चूंकि बेटी का मामला था. ज्यादा शोर मचाने से उसी की बदनामी होती, इसलिए ऊषा ने हिदायत दे कर प्रवींद्र को माफ कर दिया. प्रवींद्र अपने घर चला गया. इस के बाद करीब 3 महीने तक प्रवींद्र बहन के घर नहीं आया. हां, इतना जरूर था कि संगीता और प्रवींद्र जबतब मोबाइल फोन पर बात कर लेते थे और अपने दिल की लगी बुझा लेते थे.

3 माह बाद जब प्रवींद्र को संगीता की ज्यादा याद सताने लगी तो वह एक रोज बहन के घर आ पहुंचा. ऊषा ने प्रवींद्र के आने पर ऐतराज तो नहीं जताया, लेकिन संगीता से दूर रहने की हिदायत दी. प्रवींद्र अब ऊषा के सामने ही संगीता से बात करता तथा रात को घर के अंदर के बजाए घर के बाहर सोता. इस तरह प्रवींद्र का आनाजाना फिर से शुरू हो गया.कहावत है कि आग और फूस एक साथ होंगे तो धुआं तो उठेगा ही और जलेंगे भी. संगीता और प्रवींद्र भी आगफूस की तरह थे. कुछ दिनों तक तो वे दोनों सुलगते रहे. आखिर में जब नहीं रहा गया तो वे पुन: सतर्कता के साथ मिलने लगे. ऊषा और रमेश दोनों ही संगीता व प्रवींद्र पर नजर रखते थे, परंतु वे उन की पकड़ में नहीं आए.

संगीता अब तक 20 साल की उम्र पार करचुकी थी और उस के कदम भी बहक गए थे. इसलिए ऊषा और रमेश चाहते थे कि जितना जल्दी हो, उस के हाथ पीले कर दिए जाएं. संगीता का विवाह करने के लिए दोनों ने उपयुक्त घरवर की तलाश भी शुरू कर दी.संगीता को शादी वाली बात पता चली तो वह प्रवींद्र की छाती से मुंह छिपा कर बिलख पड़ी, ‘‘कुछ करो मामा, किसी दूसरे से मेरी शादी हो गई तो मैं जहर खा कर मर जाऊंगी.’’प्रवींद्र की आंखें भी बरसने लगीं, ‘‘तुम्हारे बगैर मैं भी कहां जिंदा रह सकता हूं. तुम ने जहर खाया तो मैं भी जहर खा कर अपनी जीवनलीला समाप्त कर लूंगा.’’

‘‘हमारी आशिकी का जनाजा निकलने में देर नहीं है, इसलिए कह रही हूं कि जल्दी ही कुछ करो.’’
‘‘करना तो चाहता हूं पर समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करूं.’’ प्रवींद्र उलझन में पड़ा हुआ था, ‘‘हम दोनों की शादी हो नहीं सकती और हमेशा के लिए तुम्हें अपना बनाने का रास्ता सूझ नहीं रहा है.’’

‘‘प्रवींद्र, मुझे एक तरकीब सूझी है,’’ संगीता अचानक उल्लास से भर गई, ‘‘अगर तुम उस पर अमल करने को राजी हो जाओ तो हम हमेशा के लिए एक हो सकते हैं.’’‘कैसी तरकीब?’’ प्रवींद्र ने पूछा ‘‘चलो हम भाग चलें,’’ संगीता ने राह सुझाई, ‘‘दिल्ली, मुंबई जैसे शहर में हम अपने प्यार की अलग दुनिया बसाएंगे. वहां इतनी भीड़ रहती है कि कोई भी हमें ढूंढ नहीं सकेगा.’’प्रवींद्र कुछ देर सोचता रहा फिर बोला, ‘‘संगीता, तुम्हारी तरकीब तो सही है लेकिन मुझे डर सता रहा है.’’

‘‘कैसा डर?’’ संगीता ने अचकचा कर पूछा. ‘‘यही कि मैं तुम्हें ले कर भागा तो तुम्हारे घर वाले मेरे खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा देंगे. फिर पुलिस हमें पकड़ेगी. उस के बाद तुम अपने मातापिता के सुपुर्द कर दी जाओगी. और मैं जेल जाऊंगा. जब तक मैं जेल से बाहर आऊंगा, तब तक पता चलेगा कि घर वालों ने तुम्हें समझाबुझा कर किसी दूसरे से तुम्हारी शादी कर दी है. ऐसे मामलों में अकसर यही होता है.’’ प्रवींद्र बोला.  प्रवींद्र की बात सुन कर संगीता के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गईं. अपनी बात का असर पड़ता देख प्रवींद्र आगे बोला, ‘‘दूसरी बात यह है कि घर से भाग कर दूसरे शहर में बसना आसान नहीं. उस के लिए पैसे चाहिए. और पैसे हमारे पास हैं नहीं.’’

संगीता कुछ देर सोच में डूबी रही. उस के बाद बोली, ‘‘प्रवींद्र, मुझे मातापिता का विरोध और तुम्हारी जुदाई बरदाश्त नहीं होती. हम हर हाल में अपना घर बसाना चाहते हैं. इस के लिए तुम कुछ भी करो, मैं तुम्हारा साथ दूंगी.’’ ‘‘तो सुनो, एक तरकीब है मेरे पास. लेकिन उस के लिए तुम्हें अपना कलेजा मजबूत करना होगा. उस तरकीब से हमारी सारी समस्या हल हो जाएगी और धन भी मिल जाएगा.’’ प्रवींद्र ने कहा.

‘‘ऐसी कौन सी तरकीब है?’’ संगीता ने विस्मय से पूछा.‘‘मुझे अपने बहनबहनोई और तुम्हें अपने मातापिता को मौत की नींद सुलाना होगा. फिर घर से नकदी और गहने ले कर फरार हो जाएंगे. इस तरकीब से किसी को हम पर शक भी नहीं होगा. लोग समझेंगे कि बदमाशों ने घर में लूट की और विरोध पर दोनों की हत्या कर दी और लड़की का अपहरण कर लिया.’’

बन गई खून बहाने की योजना

संगीता, प्रवींद्र के प्यार में अंधी हो चुकी थी, इसलिए वह खूनी मांग सजाने को तैयार हो गई. उस ने प्रेमी मामा प्रवींद्र की तरकीब को मान लिया और अपनों का खून बहाने को राजी हो गई.इस के बाद प्रवींद्र और संगीता ने रमेशचंद्र और ऊषा के कत्ल की योजना बनाई. योजना के तहत प्रवींद्र अपने गांव चला गया ताकि बहन के पड़ोसियों को उस पर शक न हो. गांव में रहने के दौरान वह संगीता के संपर्क में बना रहा.

8 अक्तूबर, 2019 की सुबह प्रवींद्र ने संगीता से मोबाइल पर बात की और रात में घटना को अंजाम दे कर फरार होने की बात बताई. उस ने यह भी कहा कि वह रात 10 बजे उस के घर पहुंचेगा, दरवाजा खुला रखे. प्रेमी मामा से बात होने के बाद संगीता घर से भागने की तैयारी में जुट गई.

उस ने मां से चोरीछिपे बैग में अपने कपड़े तथा जरूरी सामान रख लिया. बैग को उस ने कमरे में रखे बड़े संदूक में छिपा दिया. अन्य दिनों के अपेक्षा उस शाम संगीता ने कुछ जल्दी खाना बना कर मांबाप को खिला दिया. खाना खा कर ऊषा और रमेश कमरे में पड़े तख्त पर जा कर लेट गए. कुछ देर बाद दोनों गहरी नींद सो गए.इधर रात 10 बजे प्रवींद्र संगीता के दरवाजे पर पहुंचा. उस ने दरवाजे पर दस्तक दी तो संगीता ने दरवाजा खोल कर उसे घर के अंदर कर लिया. वह बेसब्री से उसी का इंतजार कर रही थी. संगीता प्रवींद्र को कमरे में ले गई. एकांत पा कर प्रवींद्र का मन मचल उठा और वह संगीता से शारीरिक छेड़छाड़ करने लगा.

प्रेम त्रिकोण : एक नहीं दो लोगों से थे इस औरत के नाजायज संबंध

12 अप्रैल, 2017 को जैसेजैसे रात गहराती जा रही थी, जगमोहन की चिंता बढ़ती जा रही थी. कभी वह दरवाजे की ओर ताकते तो कभी टिकटिक करती घड़ी की ओर. इस की वजह यह थी कि उन का जवान बेटा शिवकुमार शाम 4 बजे घर से निकला था तो अभी तक लौट कर नहीं आया था. परेशानी की बात यह थी उस का मोबाइल फोन स्विच औफ आ रहा था. बेटे से संपर्क नहीं हो सका तो जगमोहन ने रिश्तेदारों तथा उस के यारदोस्तों से पूछा, लेकिन कोई भी उस के बारे में कुछ नहीं बता सका. उन्होंने अपनी रिश्तेदार ममता से भी उस के बारे में पूछा था, उस ने भी कुछ नहीं बताया था.

जगमोहन ने वह रात चहलकदमी करते गुजारी. सवेरा होते ही जब उन्होंने पड़ोसियों से बेटे के गायब होने की चर्चा की तो किसी ने बताया कि वेदप्रकाश के बाग में पेड़ से एक युवक की लाश लटक रही है. जगमोहन पड़ोसियों के साथ वहां पहुंचे तो पेड़ से लटक रही लाश देख कर चीख पड़े.

क्योंकि वह लाश उन के बेटे शिवकुमार की थी. थोड़ी ही देर में यह बात पूरे गांव में फैल गई. फिर तो पूरा गांव वेदप्रकाश के बाग में इकट्ठा हो गया. लोगों का यही कहना था कि शिवकुमार ने फांसी लगा कर आत्महत्या की है. लेकिन जगमोहन यह बात कतई मानने को तैयार नहीं था. किसी ने फोन द्वारा इस घटना की सूचना थाना घाटमपुर पुलिस को दे दी थी.

थाना घाटमपुर के थानाप्रभारी अरविंद कुमार सिंह ने मिली सूचना की जानकारी अपने अधिकारियों को दी और खुद पुलिस बल के साथ बडेरा गांव पहुंच गए. उस समय तक बाग में काफी भीड़ लग चुकी थी. घटनास्थल पर मौजूद जगमोहन ने अरविंद कुमार सिंह को बताया कि फांसी के फंदे पर लटक रहा युवक उन का बेटा शिवकुमार है, जो कल शाम 4 बजे से गायब था.

अरविंद कुमार सिंह ने बारीकी से घटनास्थल और लाश का निरीक्षण किया. मृतक की उम्र 30 साल के आसपास थी. वह अपनी ही शर्ट के फंदे से लटक रहा था. उस के पैर जमीन को छू रहे थे. उस के शरीर पर भी चोटों के निशान थे. इस सब से यही लग रहा था कि पहले मृतक की जम कर पिटाई की गई थी. उस के बाद उसे फांसी पर लटकाया गया था. देखने में ही मामला पूरी तरह से संदिग्ध लग रहा था.

अरविंद कुमार सिंह लाश और घटनास्थल का निरीक्षण कर रहे थे कि एसपी (ग्रामीण) सुरेंद्रनाथ तिवारी और सीओ (घाटमपुर) जितेंद्र कुमार भी आ गए. अधिकारियों ने भी लाश और घटनास्थल का निरीक्षण किया. इस के बाद मृतक के पिता जगमोहन से पूछताछ की गई. जगमोहन ने बताया कि उस के बेटे ने आत्महत्या नहीं की, बल्कि उस की हत्या की गई थी और गुमराह करने के लिए लाश को यहां लटका दिया गया है.

‘‘तुम्हें क्या किसी पर शक है?’’ एसपी सुरेंद्रनाथ तिवारी ने पूछा.

‘‘जी साहब, मुझे गांव की ममता और उस के प्रेमी पप्पू पर शक है.’’ जगमोहन ने कहा.

सुरेंद्रनाथ तिवारी ने थानाप्रभारी को निर्देश दिया कि लाश की पोस्टमार्टम की काररवाई के बाद ममता और उस के प्रेमी पप्पू से पूछताछ की जाए. मौके की काररवाई निपटाने के बाद थानाप्रभारी अरविंद कुमार ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए लाला लाजपतराय अस्पताल भिजवा दिया.Crime thriller love story

ममता बडेरा गांव के ही अमित की पत्नी थी. अरविंद कुमार ने ममता को थाने बुलवा लिया. उस से शिवकुमार की मौत के बारे में पूछताछ की गई तो वह साफ मुकर गई कि उसे कुछ नहीं पता. इस का कहना था कि शिवकुमार उस की जातिबिरादरी का तो था ही और रिश्तेदार भी था. भला वह उस की हत्या क्यों करेगी. उस के घर वाले उसे झूठा फंसा रहे हैं.

ममता के साथ उस का 8 साल का बेटा कल्लू भी था. ममता उसे अपने साथ लाई थी. अरविंद कुमार ने उस मासूम को एकांत में ले जा कर उस से प्यार से पूछा तो उस ने सारा भेद खोल दिया. उस ने बताया कि उस की मम्मी और पप्पू चाचा ने मिल कर शिवकुमार चाचा को खूब पीटा था. उस के बाद रात में ही दोनों शिवकुमार चाचा को घर के बाहर ले गए थे.

बच्चे के बयान के बाद थानाप्रभारी ने ममता पर सख्ती की तो वह टूट गई. उस ने हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. उस ने बताया कि हालात ऐसे बन गए कि उसे शिवकुमार की हत्या करनी पड़ी. इस के बाद पुलिस उस के प्रेमी पप्पू को भी हिरासत में ले कर थाने ले आई गई.

दोनों से की गई पूछताछ में शिवकुमार की हत्या के पीछे प्रेमत्रिकोण में की गई हत्या की कहानी सामने आई, जो इस प्रकार थी-

उत्तर प्रदेश के कानपुर (देहात) जनपद के डेरापुर थाने के तहत एक गांव है मटेरा. इसी गांव में जयकुमार अपने परिवार के साथ रहता था. उस के पास खेती की जो थोड़ीबहुत पुश्तैनी जमीन थी, उसी के सहारे वह अपना परिवार पाल रहा था.

उस की 3 बेटियां थीं, जिन में ममता सब से छोटी थी. बड़ी बेटियों की शादी करने के बाद छोटी बेटी ममता भी शादी के लायक हो गई थी. वह उस के हाथ पीले कर के चिंतामुक्त हो जाना चाहता था. इसलिए उस के लिए भी लड़का देखने लगा. उसे किसी से अमित बारे में पता चला तो वह उसे देखने पहुंच गया.

अमित कानपुर जनपद के कस्बा घाटमपुर से 2 किलोमीटर दूर बडेरा गांव का रहने वाला था. उस के पास भी खेती की ठीकठाक जमीन थी. उस के बड़े भाई अमन की शादी हो चुकी थी. अमित का मन न तो पढ़ाई में लगा और न ही खेती में. वह घाटमपुर स्थित कपड़ों के एक शोरूम पर काम करने लगा था जयकुमार को अमित ठीकठाक लगा तो उस ने ममता की शादी उस के साथ कर दी.

अमित ममता को पा कर बेहद खुश था, क्योंकि ममता उस की कल्पना के अनुरूप निकली थी. हंसीखुशी से उन की गृहस्थी की गाड़ी चल निकली थी. उसी दौरान ममता एक बेटे कमल उर्फ कल्लू की मां बनी.

ममता की जेठानी बरखा तेजतर्रार थी. चूंकि ममता उस से ज्यादा खूबसूरत थी, इसलिए वह उस से ईर्ष्या करती थी. जबतब वह उसे महारानी कह कर ताने भी मारती थी. घरेलू कामकाज को ले कर भी दोनों में अकसर झगड़ा होता रहता था.

बरखा पति पर अलग रहने का दबाव बनाने लगी, लेकिन अमन राजी नहीं था. कुछ दिनों बाद बरखा ने त्रियाचरित्र की ऐसी चाल चली कि दोनों भाइयों के बीच खेती की जमीन और मकान का बंटवारा तक हो गया.

अमित अलग रहने लगा तो उस के ऊपर नौकरी के अलावा जमीन की देखरेख की भी जिम्मेदारी आ गई. वह दिनरात काम में व्यस्त रहने लगा, साथ ही वह शराब भी पीने लगा. कुल मिला कर व्यस्तता की वजह से वह पत्नी को समय नहीं दे पाता था.

एक दिन ममता घर में अकेली थी, तभी शिवकुमार आ गया. वह उसी की जाति का था और गांव के पूर्वी छोर पर रहता था. वह गांव के जानेमाने किसान जगमोहन का एकलौता बेटा था. वह पिता के साथ खेती के कामों में हाथ बंटाता था. वह रंगीनमिजाज था और बनसंवर कर रहता था.

शिवकुमार की दोस्ती अमित से थी, इसलिए ममता उसे अच्छी तरह जानती थी. ममता और शिवकुमार का आमनासामना हुआ तो दोनों एकदूसरे को अपलक देखते रह गए. ममता की खूबसूरती ने शिवकुमार के दिल में हलचल मचा दी. कुछ पलो बाद ममता के होंठ फड़के, ‘‘कैसे आना हुआ शिव, कोई काम था क्या?’’

‘‘हां भाभी, अमित के पास आया था. उस ने कुछ पैसे उधार लिए थे?’’ शिवकुमार ने कहा.

‘‘वह तो हैं नहीं, अभी खेतों पर गए हैं?’’ ममता ने कहा.

‘‘तो फिर मैं चलता हूं. कल सुबह आऊंगा.’’ शिवकुमार ने कहा.

‘‘अरे वाह, ऐसे कैसे चले जाओगे. आज इतने दिनों बाद तो आए हो, कम से कम चाय तो पीते जाओ.’’ ममता ने मुसकराते हुए कहा.

शिवकुमार भी यही चाहता था. कुछ देर में ही ममता चाय बना लाई. चाय पीने के दौरान शिवकुमार की नजरें ममता की देह पर ही टिकीं रहीं. जब दोनों की नजरें टकरातीं शिवकुमार कामुक अंदाज से मुसकरा देता. उस की मुसकराहट से ममता के दिल में हलचल मच जाती.

शिवकुमार ममता से मिल कर अपने घर लौटा तो ममता का खूबसूरत चेहरा उस के दिलोदिमाग में ही घूमता रहा. दूसरी ओर ममता का भी यही हाल था. वह शिवकुमार की आंखों की भाषा पढ़ चुकी थी. इस के बाद शिवकुमार ममता के नजदीक आने की तरकीबें सोचने लगा.

ममता का पति अमित शराब पीता था. इसी का उस ने फायदा उठाया. वह देर शाम शराब की बोतल ले कर उस के घर पहुंच जाता और दोनों जाम से जाम टकराने लगते थे. खानेपीने का खर्चा शिवकुमार ही उठाता था. वह ममता पर भी खर्च करने लगा था. उस की इस दरियादिली की ममता अपने पति से खूब तारीफ करती.

एक दिन शिवकुमार दोपहर को ममता के घर पहुंचा. उस समय वह घर में अकेली थी और चारपाई पर लेटी थी. शिवकुमार को देख कर वह उठ कर खड़ी होते हुए मुसकरा कर बोली, ‘‘अरे, तुम इस वक्त कैसे चले आए, तुम्हारी महफिल तो शाम को सजती है?’’

‘‘तुम ठीक कहती हो भाभी, लेकिन आज मैं दोस्त से नहीं, तुम से मिलने आया हूं.’’

‘‘अच्छा,’’ ममता खिलखिला कर हंसी, ‘‘इरादा तो नेक है.’’

‘‘नेक है तभी तो अकेले में मिलने आया हूं. भाभी मैं तुम से बहुत प्यार करने लगा हूं.’’ शिवकुमार ने सीधे ही मन की बात कह दी.

‘‘शिव, यह तुम ने कह तो दिया पर जानते हो प्यार की राह में कितने कांटे हैं?’’ ममता ने गंभीरता से कहा, ‘‘मैं शादीशुदा और एक बच्चे की मां हूं.’’

‘‘जानता हूं, फिर भी जब तुम चाहोगी, मैं सारी बाधाओं को तोड़ दूंगा.’’ शिवकुमार ने ममता के करीब जा कर कहा.

इस के बाद शिवकुमार के गले में बांहें डाल कर ममता ने कहा, ‘‘शिव, मैं भी तुम्हें बहुत चाहती हूं. लेकिन शर्म की वजह से दिल की बात नहीं कह पा रही थी.’’

शिवकुमार ने ममता को पकड़ कर सीने से लगा लिया. फिर तो मर्यादा भंग होते देर नहीं लगी. जिस्मानी रिश्ते की नींव पड़ गई तो वासना का महल खड़ा होने लगा. शिवकुमार को जब भी मौका मिलता, वह ममता के घर आ जाता और इच्छा पूरी कर चला जाता. जब शिवकुमार का  आने का सिलसिला बढ़ने लगा तो आसपड़ोस के लोगों की नजरों में दोनों खटकने लगे. मोहल्ले में इस बारे में चर्चा होेने लगी तो उड़तेउड़ते यह खबर अमित के कानों तक पहुंच गई.

अमित अपनी पत्नी ममता पर बहुत विश्वास करता था. पर इस बात ने उसे विचलित कर दिया. उसे पत्नी और विश्वासघाती दोस्त पर बहुत गुस्सा आया. उस ने शिवकुमार को खूब खरीखोटी सुनाई और ममता की जम कर पिटाई कर दी. ममता की जेठानी बरखा ने इस बात को चटकारे ले कर खूब प्रचार किया.

अमित की सख्ती के बाद शिवकुमार का उस के घर आनाजाना बंद हो गया. काफी दिनों तक ममता भी घर से बाहर नहीं निकली. इस से अमित ने सोचा कि शायद अब वह सुधर गई है. लेकिन उस की सोच गलत निकली. इस बीच उस ने पड़ोसी गांव मानपुर के रहने वाले पप्पू यादव से संबंध बना लिए थे. वह दबंग किस्म का युवक था और ब्याज पर पैसे देता था.

अमित ने भी उस से कुछ पैसे ब्याज पर ले रखे थे. पैसा व ब्याज वसूली के लिए वह अमित के घर आता रहता था. इसी आनेजाने में ममता ने उस से नाजायज संबंध बना लिए थे.

शिवकुमार कुछ समय तक ममता से नहीं मिल सका था, लेकिन बाद में वह चोरीछिपे उस से मिलने आने लगा था. अब ममता के पप्पू और शिवकुमार दोनों से संबंध बनाए थे. वह दोनों में से किसी को भी नाराज नहीं करना चाहती थी. किसी तरह अमित को पता चल गया कि ममता ने पप्पू यादव से संबंध बना लिए हैं तो वह बहुत दुखी हुआ.

काफी समझाने पर भी जब ममता नहीं मानी तो उस ने कलह करने के बजाय उस से दूर रहना उचित समझा. अत: वह पत्नी से अलग घाटमपुर में रहने लगा. बीचबीच में वह अपने बेटे से मिलने आ जाता था.

एक दिन शिवकुमार ममता से मिल कर घर से निकल रहा था, तभी पप्पू यादव आया. शक होने पर पप्पू ने ममता से पूछा. त्रियाचरित्र करते हुए उस ने कहा, ‘‘शिवकुमार मेरा रिश्तेदार है. इसलिए वह मेरे साथ जबरदस्ती करता है.’’

ममता की बात सुन कर पप्पू गुस्से से बोला, ‘‘अगर ऐसी बात है तो उसे सबक सिखाना पड़ेगा. तुम भी ध्यान रखो कि मेरी हो तो मेरी ही रहो. एक म्यान में 2 तलवारें नहीं रह सकतीं.’’

इस के बाद पप्पू यादव शिवकुमार पर कड़ी नजर रखने लगा. 12 अप्रैल, 2017 की रात 10 बजे शिवकुमार ममता के घर पहुंचा. उस समय पप्पू यादव ममता के घर में ही था. आते ही शिवकुमार ममता के साथ जबरदस्ती करने लगा. उस ने पप्पू को देखा नहीं था.

ममता ने विरोध किया, लेकिन शिवकुमार नहीं माना. तभी पप्पू यादव ने उसे ललकारा. दोनों के बीच मारपीट होने लगी. उसी बीच ममता एक डंडा ले आई और शिवकुमार को पीटने लगी. शिवकुमार चीखने लगा. चीख से ममता के बेटे कल्लू की आंखें खुल गईं. डर की वजह से वह बिस्तर पर ही पड़ा रहा.

कुछ ही देर में शिवकुमार पस्त पड़ गया. इस के बाद ममता ने शिवकुमार के पैर पकड़ लिए और पप्पू यादव ने उस का गला दबा दिया. शिवकुमार की हत्या कर लाश को ठिकाने लगाना जरूरी था. आधी रात बीतने के बाद दोनों ने शिवकुमार की लाश को साइकिल पर रखा और उसे गांव के बाहर वेदप्रकाश के बाग में ले गए.

मामला आत्महत्या का लगे, इस के लिए उन्होंने शिवकुमार की शर्ट निकाल कर एक बांह उस की गरदन में कस दी और दूसरी पेड़ से बांध दी. शिवकुमार की लाश को लटका कर दोनों अपनेअपने घर आ गए.

सुबह के समय गांव के किसी व्यक्ति ने बाग में लटक रही लाश देखी तो उस ने यह बात गांव वालों को बता दी. जानकारी मिली तो जगमोहन बाग में पहुंचा तो बेटे की लाश देख कर दहाड़ें मार कर रोने लगा. इसी बीच किसी ने घाटमपुर पुलिस को सूचना दे दी थी.

पुलिस ने 15 अप्रैल, 2017 को अभियुक्त पप्पू यादव और ममता को रिमांड मजिस्ट्रैट के समक्ष माती अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जिला कारागार भेज दिया गया. कथा लिखे जाने तक उन की जमानतें स्वीकार नहीं हुई थीं.  ?

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

प्रेमिका भाभी बनी तो : जब सोनी बन गई बबलू की भाभी

सियाराम के तीसरे नंबर के बेटे अनिल कुमार उर्फ बंटू की पत्नी सोनी उर्फ सुनीता ने शादी के डेढ़ साल बाद बेटे को जन्म दिया था. अनिल ने जब फोन कर के यह खुशखबरी गांव में रह रहे अपने पिता को दी तो पूरे परिवार में खुशी छा गई.

घर में जश्न मनाने की तैयारियां शुरू हो गईं. कार्यक्रम में शामिल होने के लिए अनिल भी पत्नी सोनी और नवजात शिशु के साथ गांव आ गया. किसी ने सोचा भी नहीं था कि परिवार की खुशियों को अचानक ऐसा ग्रहण लगेगा कि 2-2 लाशें बिछ जाएंगी.

उत्तर प्रदेश के जिला फिरोजाबाद के थाना नगला खंगर क्षेत्र में एक गांव है गलपुरा. इस गांव में रहने वाले सियाराम के 5 बेटे हैं, इन में 3 बेटों राजेश, संजय व अनिल कुमार उर्फ बंटी की शादी हो चुकी थी, जबकि 19 साल का श्यामगोपाल उर्फ बबलू व सब से छोटा लवकुश अभी अविवाहित थे. बड़े बेटे राजेश की सीमा से, संजय की विनीता से और अनिल उर्फ बंटी की शादी सोनी से हुई थी.

22 साल की सोनी की शादी डेढ़ साल पहले ही अनिल के साथ हुई थी. संजय की पत्नी विनीता और अनिल की पत्नी सोनी सगी बहनें थीं. दोनों का मायका जिला इटावा के थाना जसवंतनगर क्षेत्र के गांव बनामई में था.

13 अगस्त, 2018 को सोमवार था. परिवार के लोग सुबह ही खेत पर धान की रोपाई करने चले गए थे. बहू विनीता कुछ देर पहले ही घर वालों के लिए खाना ले कर खेत पर गई थी. घर में केवल लवकुश और उस की भाभी सोनी ही थे.

अचानक घर के अंदर से गोली चलने की आवाज आई. कोई कुछ समझ पाता इस से पहले ही घर के अंदर से लवकुश का बड़ा भाई श्यामगोपाल उर्फ बबलू तेजी से बाहर निकला, उस के हाथ में तमंचा था. घर से 10-12 कदम की दूरी पर गली में पहुंचते ही उस ने अपने सिर में गोली मार ली. गोली लगते ही वह रास्ते में गिर गया. उस के सिर से खून बह रहा था.

गोलियां चलने की आवाज सुन कर गांव में सनसनी फैल गई. सियाराम के घर के बाहर गांव वालों की भीड़ लग गई. घर के अंदर बबलू की भाभी सोनी और घर के बाहर देवर बबलू की लहूलुहान लाशें पड़ी थीं.

बबलू की लाश के पास ही .315 बोर का तमंचा भी पड़ा था. बबलू ने अपनी भाभी सोनी को गोली मार कर हत्या करने के बाद खुद को गोली मार ली थी.

सियाराम के दूसरे नंबर के बेटे संजय की शादी विनीता के साथ हुई थी. शादी के समय संजय की साली सोनी और भाई बबलू जवानी की दहलीज पर कदम रख रहे थे. कभीकभी बबलू अपनी भाभी को विदा कराने उस के मायके बनामई जाता था. वहीं पर सोनी और बबलू की नजरें एकदूसरे से टकरा गईं. बबलू को सोनी अच्छी लगी. सुंदर, चंचल और अल्हड़ सोनी को भी गठे बदन का बबलू मन भा गया. कुछ ही मुलाकातों में दोनों एकदूसरे को दिल दे बैठे थे.

दोनों के बीच काफीकाफी देर तक प्यार भरी बातें होने लगीं. बातों के बीच चुहलबाजी भी खूब होती. दोनों ही एकदूसरे को पसंद करने लगे थे. एक दिन अकेले में मौका पा कर बबलू ने सोनी का हाथ अपने हाथों में ले कर कहा, ‘‘इस जन्म में ही नहीं, हम 7 जन्मों तक साथ रहेंगे.’’

दोनों ने एकदूसरे का साथ निभाने की कसमें खाईं. प्यार के इजहार के बाद दोनों भविष्य के इंद्रधनुषी सपने संजोने लगे. अब दोनों को केवल सही वक्त का इंतजार था.

सोनी और बबलू अपने प्यार की पीठ पर सवार हो कर भविष्य के सपने देख रहे थे. लेकिन इसी बीच सोनी की बड़ी बहन विनीता को अपने देवर और बहन के बीच पनपे प्रेम की खबर लग गई.

विनीता ने यह बात घरपरिवार के लोगों को बता दी. कच्ची उम्र के दोनों प्रेमी कोई ऐसा भी कदम उठा सकते थे, जिस से परिवार की बदनामी हो. इसलिए उन लोगों ने सोनी की शादी बबलू के बड़े भाई अनिल से तय कर दी. बबलू चाह कर भी इसलिए कुछ नहीं कर सका, क्योंकि शादी दोनों परिवारों की मरजी से तय हुई थी.

दरअसल सोनी के घर वालों को मालूम था कि बबलू सोनी से उम्र में छोटा तो है ही, गुस्सैल स्वभाव का भी है. वह शराब भी पीता था. जबकि अनिल की हेयर कटिंग की दुकान थी, जिस से वह ठीकठाक पैसा कमा लेता था.

दूसरी ओर सोनी और बबलू के दिलों में बराबर की आग लगी थी. बबलू इस इंतजार में था कि भाई अनिल की शादी हो जाने के बाद वह अपनी प्रेमिका सोनी से शादी करेगा. लेकिन अचानक ऐसी स्थिति बन जाएगी, इस बारे में उस ने सोचा तक नहीं था.

सोनी ने तो कल्पना भी नहीं की थी कि उसे अपने प्रेमी बबलू के घर उस के भाई की पत्नी बन कर जाना पड़ेगा. उस के दिल के अरमान आंसुओं में बह गए थे. मजबूरी में उस ने दिल पर पत्थर रख लिया. अंतत: अनिल और सोनी की शादी हो गई.

सोनी बबलू की भाभी बन कर उसी के घर में आ गई थी. प्रेमिका की शादी बड़े भाई से हो जाने की वजह से बबलू पूरी तरह टूट गया. वह चोरीछिपे सोनी से अपने प्यार का इजहार करता, लेकिन उस की ओर से अब कोई जवाब नहीं मिलता था.

घर में सोनी के जेठजेठानी, बहन, ससुर, सास जावित्री के अलावा छोटा देवर लवकुश भी था. एक तो संयुक्त परिवार, दूसरे बदनामी का डर, इसलिए सोनी ने शादी के बाद बबलू के प्यार को हवा नहीं दी. इस से बबलू परेशान रहने लगा. वह बिन पानी की मछली की तरह तड़प रहा था. गुस्सेबाज तो वह था ही, ऐसी स्थिति में उस का गुस्सा और भी बढ़ गया. घर हो या बाहर वह किसी से भी उलझ पड़ता था. अब गांव में बबलू का मन नहीं लगता था.

घर वालों के कहने पर बबलू गुड़गांव की एक कंपनी में काम करने चला गया. बबलू घर से दूर जरूर चला आया, लेकिन सोनी की यादों को दिल से दूर नहीं कर सका. उस के साथ बिताए पल उसे याद आते रहते थे. सोतेजागते उस की आंखों के सामने सोनी की तसवीर घूमती रहती थी. वह चाहता था कि सोनी को भूल जाए, लेकिन चाह कर भी वह उसे भुला नहीं पा रहा था.

इसी बीच अनिल अपनी पत्नी सोनी को ले कर सिरसागंज चला गया और वहां किराए का मकान ले कर रहने लगा. सिरसागंज में अनिल की हेयर कटिंग की दुकान भदान रेलवे फाटक के पास थी. सब कुछ ठीकठाक चल रहा था. शादी के डेढ़ साल बाद सोनी ने बेटे को जन्म दिया. इस की जानकारी उस ने गांव में रह रहे अपने परिवार को दी, तो सभी खुश हुए. उन्होंने जश्न मनाने की तैयारी शुरू कर दी.

घटना से 20 दिन पूर्व अनिल अपनी पत्नी व 25 दिन के बच्चे के साथ गांव आ गया. उधर घर में सोनी के आ जाने की जानकारी मिलने पर बबलू भी गुड़गांव से गांव आ गया. घर पहुंचते ही उस की नजर भाभी बनी सोनी से मिली तो दिल में समाई पुरानी यादें फिर से ताजा हो गईं.

बच्चे को गोद में ले कर उस ने खूब प्यार किया. एक दिन अकेले में मौका मिलने पर जब उस ने सोनी के सामने अपने प्यार का वास्ता दिया तो सोनी ने उस का कड़ा विरोध करते हुए पुरानी बातें भूल जाने को कहा. बबलू को सोनी से ऐसी उम्मीद नहीं थी. प्रेमिका रह चुकी सोनी की इस बेरुखी से बबलू अंदर तक टूट गया.

बबलू को गुड़गांव से आए अभी कुछ दिन ही हुए थे. 13 अगस्त की सुबह 7 बजे सोनी ने लंच बना कर अपने पति अनिल को दिया. लंच ले कर अनिल अपनी कटिंग की दुकान पर चला गया. परिवार के सदस्य खेत पर धान की रोपाई करने गए हुए थे. सियाराम की पत्नी जावित्री 8 दिन पहले अपनी बेटी की ससुराल गांव दौकेली चली गई थी.

जावित्री की बेटी गर्भवती थी, इस लिए उस ने मदद के लिए मां को अपने पास बुला लिया था. उस दिन बबलू सुबह ही घर से निकल कर गांव में घूमने चला गया था. सोनी और उस की बहन विनीता ने मिल कर खाना बनाया. विनीता सभी के लिए खाना ले कर खेतों पर चली गई. छोटा देवर लवकुश कमरे में बैठा खाना खा रहा था.

उस समय 10 बजे थे. सुनीता उर्फ सोनी हैंडपंप से पानी भर रही थी. वह एक बार पानी भर कर अंदर रख आई थी. दूसरी बार जब वह पानी लेने जा रही थी तभी बबलू घर आ गया. घर में आते ही उस ने आंगन में खड़ी सोनी के सामने गुस्से में बीती बातों को दोहराया. इस पर सोनी ने झुंझलाते हुए कहा कि तुम्हें घर और समाज में इज्जत से रहना है तो बीती बातों को भूलना होगा.

सोनी के इतना कहते ही बबलू ने अपनी कमर में खोंसा हुआ तमंचा निकाला और उस की कनपटी पर लगा कर गोली चला दी. गोली लगते ही सोनी कटे पेड़ की तरह आंगन में गिर पड़ी. बबलू ने जैसे ही दोबारा तमंचे में कारतूस डालने का प्रयास किया, कमरे में खाना खा रहा छोटा भाई लवकुश चीखता हुआ उस की तरफ दौड़ा और उसे रोकने की कोशिश की.

इस पर बबलू तमंचा लोड कर के घर के बाहर भागा और घर से 10-12 कदम चलते ही उस ने तमंचे से अपने सिर में गोली मार ली. गोली लगते ही वह गिर कर ढेर हो गया.

गांव वालों ने इस घटना की सूचना पुलिस और बबलू के घर वालों को दी. जब यह खबर खेत पर पहुंची, तब सभी लोग खाना खा रहे थे, घर पर खूनी खेल खेला जाएगा इस का उन्हें अंदाजा नहीं था. सभी खाना छोड़ कर घर की ओर दौड़े. उधर कुछ गांव वालों ने अनिल की दुकान पर जा कर उस की पत्नी की हत्या की जानकारी दी. अनिल दुकान बंद कर के आ गया.

सूचना मिलते ही नगला खंगर के थानाप्रभारी दीपक चंद्र दीक्षित, क्षेत्राधिकारी सिरसागंज अजय कुमार चौहान घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने इस वारदात की सूचना अपने उच्चाधिकारियों को भी दे दी. एसएसपी फिरोजाबाद सचिंद्र पटेल, एसपी (ग्रामीण) महेंद्र सिंह गांव गलपुरा पहुंच गए. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण करने के साथसाथ गांव वालों व घर वालों से घटना की विस्तार से जानकारी ली.

पुलिस ने आंगन में पड़ी सोनी की लाश के पास से खाली कारतूस तथा बबलू की लाश के पास से तमंचा व उस में फंसा खोखा जब्त कर लिया. मृतका का पति अनिल जब गांव पहुंचा तो घर पर पुलिस व गांव वालों की भीड़ मौजूद थी. जावित्री को भी सूचना दे कर बुला लिया गया था.

जावित्री ने जैसे ही बहू सोनी की लाश देखी तो वह उस से लिपट कर रोने लगी. गांव वालों के अनुसार बबलू सोनी को गोली मारने के बाद उस की लाश पर ही खुद को गोली मारना चाहता था, लेकिन भाई लवकुश के शोर मचाने पर उस ने घर के बाहर जा कर आत्महत्या कर ली.

घटना के संबंध में अनिल ने अपने भाई बबलू के खिलाफ अपनी पत्नी सोनी की हत्या की रिपोर्ट भादंवि की धारा 302 के अंतर्गत थाना नगला खंगर में दर्ज कराई. पुलिस ने दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया.

बबलू के सिर इश्क का जुनून इस कदर हावी था कि वह अपना पराया कुछ भी नहीं सोच पा रहा था. इसी के चलते उस ने यह घातक कदम उठाया. उस ने भाई की बसीबसाई गृहस्थी तो उजाड़ी ही, उस के दुधमुंहे बच्चे से उस की मां भी छीन ली.

सोनी को बेटा पैदा होने पर सियाराम के परिवार में खुशियां मनाई जानी थीं, लेकिन परिवार की खुशियों में 2-2 मौतों से ग्रहण लग गया.

— कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित