वासना में बनी पतिहंता : पत्नी ही बनी कातिल – भाग 3

सुनीता से नजदीकियां बढ़ाने के लिए मनदीप रोज बेटी को स्कूल छोड़ने के लिए आने लगा. इधर सुनीता भी मनदीप पर पूरी तरह फिदा हो थी. आग दोनों तरफ बराबर लगी थी. इस का एक कारण यह था कि अपनी उम्र के 40वें पड़ाव पर पहुंचने के बाद और 3 युवा बच्चों की मां होने के बावजूद सुनीता के शरीर में गजब का आकर्षण था.

दिन भर हाड़तोड़ मेहनत करने के बाद पति सुनील जब घर लौटता तो खाना खाते ही सो जाता था. जबकि उस की बगल में लेटी सुनीता उस से कुछ और ही अपेक्षा करती थी. लेकिन सुनील उस की जरूरत को नहीं समझता था. उसे मनदीप जैसे ही किसी पुरुष की तलाश थी, जो उस की तमन्नाओं को पूरा कर सके.

यही हाल मनदीप का भी था. पत्नी से मनमुटाव होने के कारण वह उसे अपने पास फटकने नहीं देती थी, इसलिए जल्दी ही सुनीता और मनदीप में दोस्ती हो गई, जिसे नाजायज रिश्ते में बदलते देर नहीं लगी थी. पति और बच्चों को स्कूल भेजने के बाद सुनीता स्कूल जाने के बहाने घर से निकलती और मनदीप के साथ घूमतीफिरती. कई महीनों तक दोनों के बीच यह संबंध चलते रहे.

इसी बीच अचानक सुनील को सुनीता के बदले रंगढंग ने चौंका दिया. उस ने अपने बच्चों से इस बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि स्कूल से लौटने के बाद मम्मी बनसंवर कर न जाने कहां जाती हैं और आप के काम से लौटने के कुछ देर पहले वापस लौट आती हैं. सुनील को तो पहले से ही शक था, उस ने सुनीता का पीछा किया और उसे मनदीप के साथ बातें करते पकड़ लिया. यह 2 मई, 2019 की बात है.

मनदीप की बात को ले कर सुनील का सुनीता से खूब झगड़ा हुआ और उस ने सुनीता का स्कूल जाना बंद करवा दिया. यहां तक कि उस ने उस का फोन भी उस से ले लिया.

बाद में सुनीता ने माफी मांग कर भविष्य में ऐसी गलती दोबारा न करने की कसम खाई और स्कूल जाना शुरू कर दिया था. बात करने के लिए मनदीप ने उसे एक नया फोन और सिमकार्ड दे दिया था. वे दोनों फोन पर बातें करते, मिल भी लेते थे. पर अब वे पहले जैसे आजाद नहीं थे.

इस तरह चोरीछिपे मिलने से सुनीता परेशान हो गई. एक दिन सुनीता ने अपने मन की पीड़ा जाहिर करते हुए मनदीप से कहा, ‘‘मनदीप, तुम कैसे मर्द हो, जो एक मरियल से आदमी को भी ठिकाने नहीं लगा सकते. तुम भी जानते हो कि सुनील के जीते जी हमारा मिलना मुश्किल हो गया है.’’

मनदीप ने उसे भरोसा दिया कि काम हो जाएगा. फिर दोनों ने मिल कर सुनील की हत्या की योजना बनाई. अब मनदीप के सामने समस्या यह थी कि वह यह काम अकेले नहीं कर सकता था.

नवंबर, 2019 में मनदीप जब जालसाजी के केस में जेल गया था, तब उस की मुलाकात जेल में बंद पंकज राजपूत से हुई थी. पंकज लुधियाना के थाना टिब्बा में दर्ज दफा 307 के केस में बंद था.

दोनों की जेल में मुलाकात हुई और दोस्ती हो गई थी. कुछ दिन बाद मनदीप की जमानत हो गई और वह जेल से बाहर आ गया. बाहर आने के बाद वह बीचबीच में पंकज से जेल में मुलाकात करने जाता रहता था.

सुनील की हत्या की योजना बनाने के बाद उस ने जेल जा कर पंकज को अपनी समस्या के बारे में बताया. पंकज ने उसे अपने 2 साथियों रमन और प्रकाश के बारे में बताया.

उस ने मनदीप के फोन से रमन को फोन कर मनदीप का साथ देने को कह दिया. रमन ने इस काम के लिए 10 हजार रुपए मांगे, जो मनदीप ने दे दिए थे. रमन और प्रकाश ने अपने साथ सन्नी को भी शामिल कर लिया था.

सुनीता ने किराए के हत्यारों को सुनील का पूरा रुटीन बता दिया कि वह कितने बजे काम पर जाता है, कितने बजे किस रास्ते से घर लौटता है, वगैरह.

इन बदमाशों ने तय किया कि सुनील को घर लौटते समय रास्ते में कहीं घेर लिया जाएगा. सुनील की हत्या के लिए 20 मई, 2019 का दिन चुना गया था पर टाइमिंग गलत होने से उस दिन सुनील बच गया.

अगले दिन 21 मई को रात 8 बजे मनदीप सन्नी को अपने साथ ले कर बीआरएस नगर से अपनी जेन कार द्वारा एक धार्मिक स्थल पर पहुंचा. रमन और प्रकाश भी बाइक से वहां पहुंच गए थे. इस के बाद चारों सुनील के मालिक की कोठी के पास मंडराने लगे.

सुनील अपने मालिक की कोठी पर फैक्ट्री की चाबियां देने के बाद अपनी इलैक्ट्रिक साइकिल से घर के निकला तो चीमा चौक के पास चारों ने उसे घेर कर जेन कार में डाल लिया. उस की साइकिल सन्नी ले कर चला गया जो उस ने लेयर वैली में फेंक दी थी.

सुनील को कार में डालने के बाद मनदीप ने उस के सिर पर लोहे की रौड से वार कर उसे घायल कर दिया. फिर सब ने मिल कर उस की खूब पिटाई की. इस के बाद साइकिल की चेन उस के गले में डाल कर उस का गला घोंट दिया.

सुनील की हत्या करने के बाद वे उस की लाश को सिटी सेंटर ले आए और सड़क किनारे सुनसान जगह पर फेंक कर रात 11 बजे तक सड़कों पर घूमते रहे. इस के बाद सभी अपनेअपने घर चले गए. शाम साढ़े 7 बजे से रात के 11 बजे तक सुनीता लगातार फोन द्वारा मनदीप के संपर्क में थी. वह उस से पलपल की खबर ले रही थी.

रिमांड अवधि के दौरान पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त चेन भी बरामद कर ली, लेकिन कथा लिखे जाने तक मृतक की साइकिल बरामद नहीं हो सकी.

रिमांड खत्म होने के बाद पुलिस ने सुनील की हत्या के अपराध में उस की पत्नी सुनीता, सुनीता के प्रेमी मनदीप उर्फ दीपा, रमन, प्रकाश और सन्नी को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया.

कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

सिरकटी लाश ने पुलिस को कर दिया हैरान – भाग 3

जब यह टीम काररवाई के लिए मौडल टाउन की ओर जा रही थी तो रास्ते में उन्हें स्थानीय नेता दिलीप चावला मिल गए. औपचारिक बातचीत के बाद सतीश मेहता ने उन्हें जग्गी की सिरकटी लाश मिलने वाली बात बताई तो उन्होंने कहा, ‘‘जग्गी मेहता का कत्ल 2 लड़कियों यवनिका, शामला और 2 लड़कों अमित और सुनील ने किया है.’’

‘‘आप को कैसे पता चला?’’

‘‘कुछ देर पहले वे चारों मेरे पास मदद के लिए आए थे. लेकिन मुझे उन की मदद करना उचित नहीं लगा. इसलिए मैं ने मना कर के उन्हें अपने घर से भगा दिया.’’

‘‘आप को पुलिस को बताना चाहिए था. खैर, इस समय वे कहां होंगे?’’

‘‘मेरे पास जाते वक्त उन्होंने अपनेअपने घर लौट जाने की बात कही थी. मैं समझता हूं कि इस समय वे अपनेअपने घरों में ही होंगे.’’

सतीश मेहता ने यह बात एसपी आर.सी. जोवल को बताई तो उन्होंने सीआईए इंसपेक्टर खुशहाल सिंह के नेतृत्व में एएसआई हरबंस लाल, हवलदार ललित कुमार, सिपाही रणबीर सिंह, बलबीर सिंह और सोहनलाल की एक टीम बना कर उन की मदद के लिए भेज दी.

अब तक सतीश मेहता के बुलाने पर थाने की महिला एएसआई सुदर्शना देवी, हवलदार संगीता, मनजीत कौर, सिपाही धर्मपाल कौर भी तैयार हो कर आ पहुंची थीं. सतीश मेहता अपनी टीम के साथ विश्वासनगर की ओर चल पड़े. ये पुलिस टीम हरीश विरमानी के घर पहुंची तो यवनिका और शामला घर पर ही मिल गईं. पुलिस वालों को देख कर उन लड़कियों को घबरा जाना चाहिए था, लेकिन घबराने के बजाय उन्होंने अपना अपराध स्वीकार करते हुए आत्मसमर्पण कर दिया.

इस के बाद खुशहाल सिंह दिलीप चावला को साथ ले कर अमित और सुनील को गिरफ्तार करने चले गए. संयोग से वे दोनों भी अपनेअपने घरों पर मिल गए. उन्होंने भी जग्गी मेहता के कत्ल का अपना अपराध स्वीकार कर लिया.

चारों अभियुक्तों को अगले दिन स्पैशल रेलवे दंडाधिकारी संतप्रकाश की अदालत में पेश कर के पूछताछ के लिए 3 दिनों के पुलिस रिमांड पर ले लिया गया. यह तब की बात है, जब जुवैनाइल एक्ट अस्तित्व में नहीं आया था. लिहाजा नाबालिग शामला के साथ भी अन्य अभियुक्तों जैसा ही व्यवहार किया जा रहा था.

रिमांड अवधि के दौरान की गई पूछताछ में चारों ने पुलिस को जो कुछ बताया, उस से जोगेंद्र कुमार मेहता उर्फ जग्गी मेहता की हत्या की कहानी सामने आ गई.

अंबाला के विश्वासनगर के रहने वाले टेलर मास्टर लेखराज के परिवार में पत्नी सुमित्रा देवी के अलावा 3 बेटे थे. जिन में सब से बड़ा था अमित, जिस ने आठवीं पास कर के पढ़ाई छोड़ दी थी. कुछ दिन उस ने मिक्सी बनाने का काम सीखा. जल्दी ही उस का इस काम से जी भर गया तो वह पिता के साथ टेलरिंग का काम करने लगा. अमित से दोनों छोटे भाई अभी पढ़ रहे थे.

विश्वासनगर के ही एक मंदिर में एक दिन शाम को अमित कुमार दर्शन करने गया तो प्रसाद खरीदते समय उस की नजर एक लड़की से टकरा गई. वह पहली ही नजर में उस की ओर आकर्षित हो गया. इस के बाद वह रोजाना वहां जाने लगा. आंखों ही आंखों में उस ने उस से प्रणय निवेदन किया तो लड़की ने मौन स्वीकृति दे दी.

वह लड़की यवनिका थी. जल्दी ही दोनों की मुलाकातें अंबाला के विभिन्न स्थानों पर होने लगीं. मांबाप के घर न होने पर यवनिका उसे अपने घर भी बुलाने लगी.

हरीश विरमानी के बीमार पड़ जाने के बाद दोनों की मौज आ गई. यवनिका रात में अमित को अपने घर बुलाने लगी तो दोनों के बीच शारीरिक संबंध भी बन गए.

एक दिन अमित यवनिका घर पर थे, तभी जग्गी मेहता अचानक आ पहुंचा. हरीश विरमानी से उस का अच्छा परिचय था. उसी की हालचाल लेने वह वहां आया था. मांबाप की अनुपस्थिति में अमित को देख कर जग्गी ने कहा, ‘‘विरमानी साहब तो अस्पताल में हैं. तुम्हारी मां और बहन भी शायद वहीं गई होंगी. ऐसे में तुम इस लड़के के साथ अकेली क्या कर रही हो?’’

जग्गी मेहता ने यह बात यवनिका से कही थी, लेकिन उस के बजाय जवाब अमित ने दिया, ‘‘तुम्हें क्या ऐतराज है?’’

‘‘मुझे इस में क्या ऐतराज हो सकता है. मेरे कहने का मतलब यह है कि तुम भी ऐश करो और कभीकभी मुझे भी करवा दिया करो.’’

जग्गी यवनिका के पिता का दोस्त था. उम्र में भी लगभग उन के बराबर था. पिता के दोस्त की बातें सुन कर उसे बड़ा अजीब लगा. लेकिन उस के मन में चोर था, इसलिए वह चुप रही.

जबकि अमित से यह बात बरदाश्त नहीं हुई. वह जग्गी को हड़काते हुए बोला, ‘‘तुम हमारे लिए पहले भी मुसीबत बनते रहे हो. उस दिन पुलिस बुला कर तुम हमारे ऊपर इस तरह रौब डाल रहे थे, जैसे तुम कहीं के मजिस्ट्रेट हो. ध्यान से सुन लो, यवनिका मेरी है, हम दोनों एकदूसरे को जीजान से चाहते हैं और जल्दी ही शादी भी करने वाले हैं.’’

‘‘भई, जब तुम्हें शादी करनी हो, कर लेना. मैं इस से कहां शादी करने जा रहा हूं.’’

‘‘तुम शादीशुदा हो और तुम्हारे बच्चे भी हैं, इसलिए तुम्हें यह सब शोभा नहीं देता. तुम हमारे रास्ते में मत आओ.’’

‘‘वाह! तुम तो बड़े अकड़ रहे हो भाई. एक बात याद रखना, मेरा नाम जग्गी मेहता है. मैं तुम्हें ऐसा सबक सिखाऊंगा कि जिंदगी भर याद रखोगे.’’ कह कर जग्गी पैर पटकता चला आया.

विश्वासनगर में ही शिंगाराराम रहते थे. लेकिन कुछ समय पहले ही उन की मौत हो गई थी. उन के परिवार में पत्नी दुलारी देवी के अलावा 3 बेटे थे. उन का बीच वाला बेटा सुनील कुमार था, जो दसवीं पास कर के सेल्समैनी करने लगा था.

अमित और सुनील एक ही कालोनी में आगेपीछे के मकानों में रहते थे. इसी वजह से दोनों में परिचय था. अमित का जिन दिनों यवनिका के साथ इश्क परवान चढ़ा था, एक दिन उस ने यवनिका को अपनी गर्लफ्रैंड बता कर सुनील से मिलवाया. इस के बाद अमित ने सुनील का परिचय यवनिका की छोटी बहन शामला से करवा दिया तो उन के बीच दोस्ती हो गई.

बड़ी बहन की देखादेखी किसी की बांहों में समाने को वह भी मचल रही थी. सुनील से दोस्ती हुई तो वह भी उस से संबंध बना बैठी. इस के बाद दोनों बहनें जब घर में अकेली होतीं, सुनील और अमित को बुला कर रासलीला रचातीं.

17 जून को जग्गी मेहता सुरजीत सिंह की कार में हरीश विरमानी का हालचाल लेने चंडीगढ़ जा रहा था. जाने से पहले उस ने फोन कर के यवनिका को भी साथ चलने को कहा. उस ने जाने से मना किया तो जग्गी ने कहा कि उस के साथ एक परिवार जा रहा है. इस के बाद यवनिका उस के साथ चंडीगढ़ चलने को तैयार हो गई.

उस दिन शाम को अंबाला लौटने पर अमित यवनिका से मिला तो उस ने रोते हुए कहा, ‘‘अमित आज जग्गी मेहता ने मेरे साथ बहुत गलत किया, वह बहुत गंदा आदमी है.’’

‘‘क्या किया उस ने तुम्हारे साथ…?’’

‘‘जाते वक्त तो सब ठीक रहा, लेकिन लौटते समय जीरकपुर पहुंचे तो वहां के एक होटल के सामने जग्गी ने कार रुकवा दी. अंदर जा कर दोनों ने बीयर पी. इस के बाद जग्गी मुझे होटल के कमरे में ले गया. सुरजीत बाहर ही बैठा रहा. जग्गी ने कमरे में ले जा कर मेरे साथ जबरन मुंह काला किया.’’

‘‘क्याऽऽ? उस ने तुम्हारे साथ जबरदस्ती की और तुम ने शोर भी नहीं मचाया?’’

बाप का इश्क बेटी को ले डूबा – भाग 2

जरूरी काररवाई पूरी कर के मुंबई पुलिस बच्ची के शव को अपने कब्जे में ले कर मुंबई लौट आई और उसे पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज दिया. इधर जब अंजलि की हत्या की बात उस बिल्डिंग और आसपड़ोस के रहने वालों को पता लगी तो लोगों में आक्रोश फूट पड़ा.

देखते ही देखते पुलिस स्टेशन के सामने हजारों की भीड़ जमा हो गई. भीड़ पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करने लगी. भीड़ तब तक शांत नहीं हुई, जब तक एसएसपी राजतिलक रोशन, एसपी मंजुनाथ शिंगे और एएसपी जयंत वंजवले ने पुलिस थाने आ कर 24 घंटे के अंदर हत्यारे को गिरफ्तार करने का आश्वासन नहीं दिया.

मामले को तूल पकड़ते देख पुलिस के बड़े अधिकारियों की आंखों से नींद गायब हो गई थी. उन्होंने जांच टीम को शीघ्र से शीघ्र अंजलि के हत्यारों को गिरफ्तार करने का निर्देश दिए. पुलिस टीम ने अंजलि के परिवार और आसपास के लोगों से गहराई से पूछताछ करने के अलावा इलाके में लगे सभी सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी खंगाली. लोकमान्य तिलक स्कूल के एक सीसीटीवी कैमरे की फुटेज में अंजलि एक महिला के साथ नालासोपारा स्टेशन की तरफ जाते हुए दिखाई दी.

वह महिला कौन थी और कहां से आई थी, यह जानने के लिए पुलिस टीम ने उस का स्केच बनवा कर जब मामले की जांच की तो पता चला कि वह महिला कई बार अंजलि के स्कूल और उस के घर साईं अपर्णा बिल्डिंग के आसपास संदिग्ध अवस्था में दिखाई दी थी. जिस दिन अंजलि गायब हुई थी, उस दिन भी वह बिल्डिंग परिसर में आई थी.

पुलिस जांच का चक्र तेजी से घूम रहा था. उस महिला का स्केच पूरे शहर में चिपकवाने के अलावा जनपद के सभी पुलिस थानों को भी भेज दिया गया. इस के अलावा स्केच अंजलि के पिता संतोष सरोज को भी दिखाया गया.

स्केच देखते ही संतोष ने अपना सिर पीट लिया. उस ने कहा कि यह तो उस की प्रेमिका है. पुलिस ने संतोष को सीसीटीवी कैमरे में अंजलि के साथ जाने वाली उस महिला की फुटेज दिखाई तो संतोष ने कहा कि यह उस की प्रेमिका अनीता वाघेला है और यह नालासोपारा (पूर्व) के नगीनदास पाड़ा इलाके में रहती है.

बिना देर किए पुलिस टीम अनीता के घर पहुंच गई. वह घर पर ही मिल गई. पुलिस उसे हिरासत में ले कर थाने लौट आई. पुलिस ने जब उस से अंजलि की हत्या के बारे में पूछताछ की तो उस ने आसानी से अपना जुर्म स्वीकार कर लिया. अनीता से पूछताछ के बाद अंजलि की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह प्यार में चोट खाई नागिन के प्रतिशोध वाली निकली—

22 साल की अनीता का रंग हालांकि बहुत साफ नहीं था, लेकिन कुदरत ने उसे कुछ इस तरह गढ़ा था कि जो भी उसे देखता, देखता ही रह जाता था. सांवले सौंदर्य की मालकिन अनीता के जिस्म की कसावट और फिगर देख मनचले गहरी सांसें लेते हुए फिकरे कसते थे. इस के अलावा अनीता खुले विचारों वाली महत्त्वाकांक्षी युवती थी.

आमतौर पर अनीता जैसी महत्त्वाकांक्षी युवतियां जो सपने देखती हैं, उन्हें किसी भी कीमत पर या कोई भी जोखिम उठा कर पूरा करने की कोशिश करती हैं.

यह अलग बात है कि इस के लिए उन्हें जो कीमत चुकानी पड़ती है, वह कभीकभी भारी पड़ जाती है. तब उन के पास हाथ मलने और अपनी नादानियों पर पछताने के सिवा कुछ नहीं रह जाता. यही हाल अनीता का हुआ था. वह आंख मूंद कर संतोष सरोज पर भरोसा कर के प्यार करने की भूल कर बैठी थी.

मूलरूप से गुजरात की रहने वाली अनीता वाघेला अपने मातापिता और भाईबहनों के साथ नालासोपारा (पूर्व) के नगीनदास पाड़ा इलाके में रहती थी. वह अपने और परिवार के लिए कैटरिंग का काम किया करती थी. उस की और संतोष सरोज की मुलाकात करीब 7 साल पहले नगीनदास पाड़ा के आटो स्टैंड पर हुई थी.

उस दिन वह अपने काम पर जाने के लिए काफी लेट हो रही थी. तब वह अपनी मंजिल तक संतोष के आटोरिक्शा से पहुंची थी. अनीता आटो से उतर कर चली तो गई लेकिन उस की शोख चंचल निगाहें, मुसकराता चेहरा संतोष के दिमाग में ही घूमता रह गया. उस की पहली ही झलक में संतोष अपना होशोहवास खो बैठा था, यह जानते हुए भी कि वह एक शादीशुदा और एक बच्ची का बाप है.

लेकिन वह यह सब भूल कर अनीता का सामीप्य पाना चाहता था. इस के लिए वह अकसर नगीनदास पाड़ा के आटो स्टैंड पर अनीता के आने का इंतजार करता था. वह दिख जाती तो वह मुसकराते हुए उस से अपने आटो में चलने की बात कहता. अनीता को तो किसी न किसी आटो से जाना ही था, लिहाजा वह संतोष के आग्रह पर उस के ही आटो में बैठ जाती.

2-4 बार संतोष के आटो से आनेजाने के बाद अनीता और संतोष के बीच बातों का सिलसिला शुरू हो गया. स्वयं को अविवाहित बता कर उस ने अनीता को अपने प्रभाव में ले लिया. बातों और मिलने का सिलसिला शुरू हो गया तो दोनों एकदूसरे के करीब आ गए. जब भी अनीता को संतोष के साथ कहीं घूमने के लिए जाना होता तो वह संतोष को बेझिझक फोन कर बुला लेती. इस तरह दोनों में गहरी दोस्ती हो गई.

दोस्ती का दायरा बढ़ा तो अनीता के मन में संतोष के प्रति प्यार का अंकुर फूट पड़ा. वह सरोज को अपने मनमंदिर में बैठा कर गृहस्थ जीवन के सुंदर सपने देखने लगी. जिस का संतोष ने भरपूर फायदा उठाया.

उस ने अनीता को शादी का लालच दे कर उस का अपनी पत्नी की तरह इस्तेमाल किया. 7 सालों में अनीता 2 बार गर्भवती भी हुई. लेकिन संतोष ने अपनी कोई न कोई मजबूरी बता कर उस का गर्भपात करवा दिया था.

पति बदलने की फितरत : कहीं नहीं मिला सुकून

—रणजीत सुर्वे

सुबह का आगाज होते ही शिवनगर में  लोगों की दिनचर्या शुरू हो गई थी. सड़क पर लोगों की आवाजाही बढ़ने लगी थी. इसी के साथ हत्या की एक सनसनीखेज घटना ने माहौल में गरमाहट पैदा कर दी. इस की सूचना पुलिस को दी गई तो थानाप्रभारी से ले कर एसपी तक हत्या की सूचना पा कर मौके पर पहुंच गए थे.

दरअसल, 17 नवंबर, 2021 की सुबह जनकगंज थाने के अतंर्गत आने वाले शिवनगर में खबर फैली कि दुष्कर्म के बाद किसी ने बबली कुशवाहा की गला घोंट कर हत्या कर दी है. इस मामले में अफवाह जंगल की आग की तरह इतनी तेजी से फैली कि थोड़ी ही देर में घटनास्थल पर लोगों की भीड़ लग गई.

इस भीड़ में क्षेत्रीय पार्षद से ले कर राजनैतिक दलों के कार्यकर्ता तक शामिल थे, जो इस हत्या को ले कर आपस में कानाफूसी करने में मशगूल थे. लेकिन उन में से किसी में भी इतनी हिम्मत नहीं थी जो मकान मालिक से पूछता कि अचानक किस ने बबली की हत्या कर दी?

इन सभी में इस घटना को ले कर काफी नाराजगी थी. वे सभी बबली के हत्यारे को तत्काल पकड़ने की मांग कर रहे थे.                                                                                    सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचे थानाप्रभारी ने महिला की हत्या के मामले से पुलिस के आला अधिकारियों को अवगत करा दिया.

इसी सूचना पर थोड़ी देर में एसपी अमित सांघी, एएसपी सतेंद्र सिंह तोमर, सीएसपी आत्माराम शर्मा भी घटनास्थल पर पहुंच गए. मामला दुष्कर्म की आशंका और हत्या का था, पुलिस अफसरों ने सब से पहले बबली के कमरे के बाहर खड़ी भीड़ को हटाया और उस के बाद घटनास्थल का गहनता से निरीक्षण किया.

एएसपी सतेंद्र सिंह तोमर और सीएसपी आत्माराम शर्मा ने जनकगंज थानाप्रभारी संतोष यादव के साथ कमरे के भीतर जा कर सब से पहले चारपाई पर अस्तव्यस्त हालत में पड़े बबली के शव को गौर से देखा तो पता चला कि मृतका की हत्या दुपट्टे से गला घोट कर की गई थी.

मृतका के गले में दुपट्टा कसा हुआ था. कमरे की तलाशी ली तो घटनास्थल पर नमकीन, चिप्स, कंडोम, बीयर की बोतल आदि के खुले पैकेट मिले.

संदिग्ध वस्तुओं को देख कर पुलिस को कुछ संदेह हुआ. इसी के मद्देनजर एक महिला कांस्टेबल को बुला कर बबली के सारे शरीर का निरीक्षण कराया गया. पता चला कि मृतका के शरीर से कीमती जेवर गायब थे.

घटनास्थल के निरीक्षण में सदिग्ध वस्तुएं मिलने से पुलिस टीम के लिए यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं था कि बबली और हत्यारे के मध्य यौन संबंध रहे होंगे और किसी बात पर विवाद होने पर हत्यारे ने उस के दुपट्टे से उस का गला घोट दिया होगा.

बबली की हत्या का दुखद समाचार सुन कर उस की मां और भाई भी वहां पहुंच गए थे, उन्होंने बबली के शव को देखा तो पता चला कि उस के कान के बाले, मंगलसूत्र, मोबाइल और 5 हजार रुपए गायब हैं.

चूंकि यह सब कीमती सामान था, इसलिए इस मामले में लूटपाट की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता था. कुल मिला कर यह मामला काफी उलझा हुआ लग रहा था.

आगे बढ़ने के लिए थानाप्रभारी संतोष यादव ने बारीकी से घटनास्थल पर पड़ी एकएक चीज का जायजा लेना शुरू किया. बबली का अस्तव्यस्त हालत में शव चारपाई पर पड़ा था. शव के निकट ही संदिग्ध वस्तुएं पड़ी हुई थीं.

मृतका के गले में दुपट्टा लिपटा हुआ था, जिसे देख कर उन्होंने अनुमान लगाया कि हत्यारे ने दुपट्टे से बबली की हत्या की होगी.

थानाप्रभारी ने क्राइम टीम को फोन कर के घटनास्थल पर बुला लिया था. इस के बाद बबली के शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल की मोर्चरी भेज दिया गया.

साथ ही घटनास्थल पर मौजूद संदिग्ध वस्तुओं को अपने कब्जे में ले कर संतोष यादव थाने लौट आए और हत्या के इस मामले के खुलासे के लिए एसपी अमित साहनी ने एसपी (सिटी) लश्कर आत्माराम शर्मा के निर्देशन में एक टीम बनाई. टीम में थानाप्रभारी संतोष यादव, एसआई पप्पू यादव आदि को शामिल किया गया.

थानाप्रभारी संतोष यादव ने हत्या की तह में जाने के लिए बबली की मकान मालकिन गीता से भी गहन पूछताछ की. उस ने बताया कि 13 नवंबर को ही बबली ने कमरा किराए पर लिया था.

यहां वह अकेली रहती थी. उस का पति गांव में रहता था. उस से उस की अनबन चल रही थी. बबली की पहली शादी 2003 में लक्ष्मण कुशवाहा से हुई थी. शादी के 8 साल बाद ही उस का पति से तलाक हो गया था. पहले पति से उस के एक बेटी रितिका है. बेटी पहले पति के साथ ही रहती है.

इस के बाद बबली ने 2015 में चीनौर के घरसौंदी में रहने वाले धर्मवीर कुशवाहा से दूसरी शादी कर ली थी, लेकिन आजादखयालों की बबली की अपने दूसरे पति से भी नहीं बनी और झगड़े होने लगे. जिस वजह से उस ने दूसरे पति को भी छोड़ दिया था. उस का दूसरा पति बेटे कार्तिक के साथ घरसौदी में रहता है.

गीता ने आगे बताया कि सुबह उठने पर जब उन्हें बबली दिखाई नहीं दी तो उन्हें हैरानी हुई. क्योंकि रोजाना वह उन से पहले उठ कर नल पर पानी भरने आ जाती थी. उन की समझ में नहीं आया कि बबली को क्या हो गया, जो आज वह इतनी देर तक सो रही है?

बबली को जगाने के लिए उन्होंने आंगन में खडे़ हो कर कई बार आवाज लगाई. बबली ने जब कोई जवाब नहीं दिया तो वह उसे जगाने के लिए उस के कमरे के दरवाजे को धकेलते हुए जैसे ही कमरे के भीतर दाखिल हुई, वहां का नजारा देख कर उस के होश उड़ गए.

मकान मालकिन ने बताया कि बबली बिस्तर पर मृत पड़ी थी. उस के गले में दुपट्टा कसा हुआ था और मुंह व नाक से खून बह रहा था. यह देख कर वह चीखती हुई बाहर की तरफ दौड़ी.

उस की चीख सुन कर आसपड़ोस के लोग आ गए. सभी ने कमरे के भीतर जा कर चारपाई पर बबली का शव पड़ा हुआ देखा. मगर किसी की समझ में नहीं आया कि आखिर हत्या किस ने कर दी.

मकान मालकिन के बयान से पुलिस अधिकारियों ने अंदाजा लगाया कि बबली की हत्या करने वाला उस का कोई पूर्व परिचित था. इस की वजह यह थी कि बबली किसी अंजान के लिए दरवाजा नहीं खोलती थी. अत: थानाप्रभारी द्वारा अज्ञात आरोपी के खिलाफ धारा 302 भादंवि के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली.

तहकीकात को गति देने  के लिए संतोष यादव ने सब से पहले साइबर सेल के तकनीकी विशेषज्ञों की मदद से बबली के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवा कर जांच की तो पता चला कि एक ही नंबर से बबली के मोबाइल पर बारबार फोन किए गए थे.

शक होने पर उस नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई गई तो पता चला वह मोबाइल नंबर डबरा के रहने वाले प्रेम कुशवाहा का था.

उस का नाम और पता मिल गया तो संतोष यादव की टीम ने पे्रम के घर पर दबिश दी. लेकिन वह घर से गायब मिला. फिर उस के मोबाइल को सर्विलांस पर लगाया तो उस की लोकेशन मिल गई. पुलिस ने उसे लक्ष्मीगंज सब्जीमंडी के पीछे स्थित संजय नगर से हिरासत में ले लिया.

प्रेम कुशवाहा को जनकगंज थाने ला कर  थानाप्रभारी ने उस से कहा, ‘‘तुम ने सोचा कि तुम से चालाक इस शहर में कोई दूसरा नहीं है. बबली को मार कर इत्मीनान से उस के गहने आदि समेट कर वहां से निकल लिए.’’

सख्ती से पूछताछ की गई तो थोड़ी आनाकानी के बाद उस ने स्वीकार कर लिया कि बबली की गला घोट कर हत्या उसी ने की थी. पे्रम ने हत्या की जो कहानी बताई, वह कुछ इस प्रकार थी—

प्रेम कुशवाहा ने पुलिस को यह भी बताया कि उस की बबली से दोस्ती 5 महीने पहले एक मिस्ड काल के जरिए हुई थी. बबली का मिस्ड काल उस के पास आई तो उस ने पलट कर काल की. इस के बाद हम दोनों में बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया.

इस तरह उन दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ती गईं. फिर जल्दी ही इश्क के मुकाम तक पहुंच कर अवैध संबंधों में बदल गई. उन्हें जब भी मौका मिलता, जिस्म की प्यास बुझा लेते थे.

अपने प्रेमी प्रेम कुशवाहा से सहजता से मिलने के मकसद से बबली ने हाल ही में शिवनगर में गीता शर्मा के मकान में एक कमरा किराए पर लिया था.

16 नवंबर की रात को प्रेम बबली से मुलाकात करने उस के कमरे पर गया था. बातों ही बातों में बबली ने उस से कहा, ‘‘अगर तुम मेरे जिस्म का आनंद लेना चाहते हो तो तुम्हें आज ही 10 हजार रुपया देने होंगे.’’

बबली के मुंह से पैसों की बात सुन कर प्रेम चौंक गया. उस ने उस से कहा कि अभी तो उस के पास पैसे नहीं हैं तो वह कहने लगी कि यदि अभी रुपया नहीं दोगे तो वह रेप के आरोप में उसे आज ही जेल भिजवा देगी.

उन दोनों में इसी बात को ले कर कुछ ज्यादा ही कहासुनी हो गई. बात इतनी बढ़ गई कि प्रेम को गुस्सा आ गया और उसी के दुपट्टे से उस का गला घोंट कर उसे मौत के घाट उतार दिया.

जाते वक्तपुलिस को गुमराह करने के लिए बबली के कान के बाले, मंगलसूत्र, मोबाइल फोन और उस के पर्स से रुपए निकाल कर वहां से फरार हो गया था, जिस से पुलिस लूट के लिए हत्या मान कर पड़ताल करती रहे.

प्रेम कुशवाहा को क्या पता था कि वह  बबली के जेवर बेच कर मौज करने के बजाए जेल चला जाएगा.

पुलिस ने बबली के प्रेमी की निशानदेही पर बबली के गहने, मोबाइल फोन बरामद कर उसे अदालत में पेश किया तो जज के सामने भी उसने अपना अपराध बिना किसी पछतावे के स्वीकार कर लिया.

प्रेम कुशवाहा को अदालत में पेश करने के बाद उसे जेल भेज दिया गया. भोलाभाला दिखने वाला शातिर हत्यारा प्रेम कुशवाहा अब सलाखों के पीछे है.द्य

प्रेमी का जोश, उड़ा गया होश

सुबह करीब साढ़े 5 बजे मोबाइल की घंटी बजने पर सोनू की नींद खुल गई. उस ने फोन उठाया. दूसरी ओर से आगरा के नगला कली में रहने वाले बड़े भाई नरेश की पत्नी प्रमिता की आवाज सुनाई दी. उन की आवाज भर्राई हुई थी. रात को तुम्हारे घर भैया आए थे?

इस पर सोनू ने कहा, ‘‘भाभी मेरे यहां तो नहीं आए, पापा के पास आए हों तो पूछ कर बताता हूं.’’

तभी सोनू ने अपने पिता सुरेशचंद्र को फोन कर भाई नरेश के रात को आने के बारे में पूछा. सुरेशचंद्र ने मना करते हुए कहा, ‘‘नरेश रात में यहां क्यों आएगा? वह यहां नहीं आया.’’

यह बात सोनू ने भाभी प्रमिता को बता दी कि भैया रात को पापा के यहां नहीं गए. इस पर प्रमिता ने सोनू को बताया, ‘‘तुम्हारे भैया ने रात को 2 रोटी खाईं, उन्होंने कहा कि सब्जी अच्छी बनाई है 2 रोटी और सेंक लो, तब तक मैं टहल कर आता हूं. यह कह कर वह रात साढ़े 10 बजे चले गए. सारी रात उन का इंतजार करती रही, लौट कर नहीं आए हैं. रात से उन का मोबाइल भी नहीं मिल रहा है. मुझे बहुत डर लग रहा है.’’

संजय ने भाभी को तसल्ली देते हुए कहा, ‘‘भाभी परेशान मत हो हम लोग आ रहे हैं.’’

सोनू ने यह बात पिता सुरेशचंद्र को बताई. इस के साथ ही भाई नरेश का मोबाइल नंबर मिलाया, लेकिन वह स्विच्ड औफ मिला. यह बात 8 जून, 2021 की है.

रात से नरेश के घर नहीं लौटने की जानकारी होने पर घर के सभी लोग चिंतित हो गए. गोबर चौक निवासी सुरेशचंद्र अपनी पत्नी, बेटे सोनू व 2 पड़ोसियों को साथ ले कर वहां से 7 किलोमीटर दूर आगरा के नगला कली स्थित पुष्पांजलि होम्स, नरेश के घर जहां वह किराए पर रहता है, पहुंच गए.

सभी ने मिल कर आसपास नरेश की तलाश शुरू कर दी. वे उसे काफी देर तक इधरउधर खोजते रहे. लेकिन उस का कोई पता नहीं चला.

8 जून की सुबह साढ़े 7 बजे एनआरआई सिटी के खाली प्लौट से हो कर निकल रहे लोगों ने वहां एक बोरी पड़ी देखी. बोरी पर खून लगा था और उस के ऊपर मक्खियां भिनभिना रही थीं.  बोरी में लाश की आशंका होने पर किसी ने थाना ताजगंज पुलिस को सूचना दी.

कुछ ही देर में थानाप्रभारी उमेशचंद्र त्रिपाठी पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए.  उन्होंने बोरी को खुलवाया. बोरी खुलते ही उस में से एक युवक की लहूलुहान लाश निकली. लाश देखते ही सभी के होश उड़ गए.

युवक की उम्र लगभग 30-35 साल के बीच थी. लाश से लगभग 200 मीटर की दूरी पर दूसरी बोरी पड़ी थी, उस में खून से सनी चादर, तकिया व अन्य कपड़े मिले. लाश मिलने की खबर फैलते ही वहां भीड़ जुट गई.

पुलिस ने लाश का निरीक्षण किया तो पता चला कि सिर पर किसी भारी चीज से वार किया गया था. इस के अलावा शरीर पर भी कई जख्म थे. वहां मौजूद कई लोगों ने मृतक की पहचान जूता कारखाना मालिक नरेश कुमार, निवासी नगला कली स्थित पुष्पांजलि होम्स के रूप में की.

पुलिस ने सूचना नरेश के घर भिजवाई तो रोतेबिलखते उस के घर वाले प्लौट पर पहुंच गए. मृतक के पिता सुरेशचंद्र ने उस की शिनाख्त अपने 35 वर्षीय बेटे नरेश कुमार के रूप में की. मृतक के बच्चों को बुला कर पुलिस ने कपड़े दिखाए तो उन्होंने बताया कि चादर और तकिए उन्हीं के घर के हैं.

थानाप्रभारी ने घटना की गंभीरता को देखते हुए अपने अधिकारियों को सूचना दी. सूचना मिलने पर एसएसपी मुनिराज, एसपी (सिटी) रोहन प्रमोद बोत्रे और सीओ (सदर) राजीव कुमार भी वहां आ गए. उन्होंने गहनता से घटनास्थल का निरीक्षण किया. इस बीच फोरैंसिक टीम को बुला लिया गया.

टीम ने घटनास्थल से साक्ष्य एकत्र किए. पुलिस ने घटनास्थल से चादर व अन्य कपड़े बरामद किए. जांचपड़ताल के बाद पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दिया.

पुलिस अधिकारियों ने मृतक के पिता व भाइयों से इस संबंध में पूछताछ की. नरेश की हत्या किन कारणों से की गई? पिता ने बताया कि नरेश की किसी से कोई रंजिश नहीं थी, नरेश का गोबर चौक में पार्टनरशिप में जूता कारखाना है. उस का काम भी अच्छा चल रहा था.

उस के परिवार में पत्नी प्रमिता, 12 वर्षीय बेटा सौम्या, 8 वर्षीय बेटी लाडो और 6 वर्षीय बेटा नन्हे है. नरेश परिवार के साथ किराए पर रहता है. पिता सुरेशचंद्र नरेश गोबर चौक में पुराने घर में रहते हैं. इस संबंध में पिता सुरेशचंद्र ने अज्ञात के खिलाफ बेटे की हत्या की रिपोर्ट थाना ताजगंज में भादंवि की धारा 302, 201 के अंतर्गत दर्ज कराई.

एसएसपी मुनिराज जी. ने घटना के खुलासे के लिए एसपी (सिटी) रोहन प्रमोद बोत्रे के नेतृत्व में गठित पुलिस टीम को लगाया. पुलिस टीम में थानाप्रभारी उमेशचंद्र त्रिपाठी, इंसपेक्टर नरेंद्र सिंह (प्रभारी सर्विलांस), एसआई मोहित सिंह, शैलेंद्र सिंह, महिला एसआई पूजा शर्मा, हैडकांस्टेबल विनीत व आदेश त्रिपाठी शामिल थे.

एनआरआई सिटी के खाली प्लौट जहां बोरी में नरेश का शव मिला था, वह स्थान मृतक के मकान के ठीक पीछे ही है. इस पर पुलिस व फोरैंसिक टीम जांच में जुट गई. मृतक के पुष्पांजलि होम्स स्थित घर जा कर जांच की. जांच के दौरान घर की छत पर खून मिला, वहां से भी साक्ष्य जुटाए गए.

पति की हत्या पर पत्नी प्रमिता का रोरो कर बुरा हाल था. पुलिस ने किसी तरह समझाबुझा कर उसे शांत कराया. पुलिस नरेश की हत्या में किसी करीबी व्यक्ति का हाथ होने की आशंका जता रही थी. पुलिस ने प्रमिता से पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली.

प्रमिता ने पुलिस को बताया, 7 जून की रात लगभग 10 बजे उस ने पति नरेश को फोन कर घर आने को कहा था, उस ने बताया कि वह रोज ही उन्हें फोन करती थी. क्योंकि वह देर से घर आते थे. वह कारखाने से रात साढ़े 10 बजे घर आए थे. वह हमेशा की तरह खाना खा कर घर के बाहर टहलने चले गए थे.

वह शराब पीते थे. देर लगने पर सोचा सड़क तक टहलने निकल गए होंगे. घर में तीनों बच्चे व स्वयं थी. हम लोग कमरे में एसी चला कर टीवी देखते रहे. जब वह देर रात तक नहीं लौटे तो वाचमैन व बड़े बेटे सौम्या को साथ ले कर उन्हें इधरउधर तलाश किया. उन के न मिलने पर बाद में गोबर चौक स्थित ससुराल व सदर भट्टी स्थित मायके वालों को फोन कर बुलाया.

जांच के दौरान प्रमिता ने थानाप्रभारी उमेश चंद्र त्रिपाठी को बताया, ‘‘सर उन पर बहुत केस चल रहे हैं और उन के बहुत दुश्मन हैं.’’

खून घर की छत पर मिलने की बात पर उस ने कहा, ‘‘सर, इस बारे में मुझे कुछ नहीं पता, क्योंकि कमरे में एसी चल रहा था और दरवाजा बंद था.’’

पुलिस को प्रमिता की बातें गले नहीं उतर रही थीं. शव भी घर के पीछे दीवार के सहारे पड़ा मिला था. ऐसे में मृतक के घर वालों से पुलिस ने पूछताछ की. घटना के जल्द खुलासे के लिए नरेश की काल डिटेल्स भी निकालने की बात पुलिस ने कही. घर में सोमवार को कौनकौन आया, इस बारे में पत्नी और बच्चों से भी जानकारी ली गई.

घर की छत पर खून मिलने व लाश वाली बोरी घर के ठीक पीछे मिलने से साफ हो गया था कि नरेश की हत्या करने के बाद उस के शव को बोरी में भर कर छत से ही पीछे प्लौट में फेंका गया था. पुलिस को घटना के बाद से प्रमिता पर ही शक था.

पोस्टमार्टम के बाद शव मृतक के पिता को सौंप दिया गया. शाम को ही नरेश की अंत्येष्टि कर दी गई.  इस सब से बेफिक्र पत्नी प्रमिता को अंत्येष्टि के बाद पुलिस ने आखिर मंगलवार की शाम को ही हिरासत में ले लिया. थाने ला कर उस से पूछताछ शुरू की गई. वह रटीरटाई कहानी दोहराने लगी.

पुलिस ने जब प्रमिता को बताया, ‘‘हमें एक सीसीटीवी फुटेज मिली है, जिस में एक व्यक्ति दिखाई दे रहा है, जो रात में तुम्हारे घर पर आया था. वह कौन था? फिर छत पर खून कैसे आया और किस का है? चादर, तकिया तो तुम्हारे घर के ही हैं. जिन्हें तुम्हारे बच्चे ने पहचान लिया है.’’

यह सुनते ही प्रमिता के होश उड़ गए. आवाज कंपकपाने लगी. पुलिस के आगे हथियार डालते हुए उस ने पति की हत्या का जुर्म कुबूल करते हुए पुलिस को बताया कि उसी ने अपने पति की हत्या की थी.

इस सनसनीखेज हत्याकांड के पीछे जो कहानी बताई, वह चौंकाने वाली थी—

सुरेशचंद्र के 6 बेटेबेटियों में नरेश दूसरे नंबर का था. नरेश से छोटे संजय व सोनू हैं. उत्तर प्रदेश की प्रेमनगरी के नाम से मशहूर शहर आगरा के गोबर चौक में नरेश के पिता व 2 भाई व एक अविवाहित बहन रहते हैं. 2008 में नरेश की शादी आगरा के मंटोला थाना के सदर भट्टी की रहने वाली प्रमिता के साथ हुई थी.

शादी से पहले नरेश भी गोबर चौक में रहता था. शादी के 6 माह बाद ही प्रमिता अपने पति के साथ अलग रहने लगी. घटना के समय नरेश का परिवार पुष्पांजलि होम्स में किराए पर रह रहा था.

2 साल पहले नरेश कुमार का विवाद मोहल्ले के ही एक व्यक्ति से हो गया था. उस दौरान थाना शिकोहाबाद के नगला केवल निवासी रविकांत राजपूत, जो आरएसएस का महानगर प्रचारक था, के एक परिचित ने इस मामले में नरेश की मदद कराई थी. रविकांत ने नरेश कुमार की मदद की. इसी के चलते रविकांत की नरेश से जानपहचान हो गई.

घर आनेजाने के दौरान नरेश की पत्नी प्रमिता और रविकांत का मिलनाजुलना शुरू हो गया, दोनों के बीच बातचीत भी होने लगी. हमउम्र होने से दोनों एकदूसरे के प्रति आकर्षित हो गए.

30 वर्षीय रविकांत अविवाहित था. घनिष्ठता बढ़ने पर दोनों के बीच दोस्ती हो गई और प्रेम संबंध हो गए. धीरेधीरे प्रमिता भी रविकांत के घर नगला केवल जाने लगी.

रविकांत ने अपने घर पर प्रमिता को मुंहबोली बहन बताया था. इस के चलते घर वाले भी प्रमिता के आनेजाने पर गौर नहीं करते थे. दोनों के बीच क्या खिचड़ी पक रही है, इस का पता रविकांत के घर वालों को नहीं चला. इस बीच दोनों एकदूसरे के काफी करीब आ गए.

नरेश को घटना से कुछ दिन पहले जब दोनों के प्रेम संबंधों की जानकारी हुई तो वह विरोध करने लगा. इसी बात को ले कर नरेश और प्रमिता के बीच झगड़ा होने लगा. वह बच्चों के सामने प्रमिता की बेइज्जती करने लगा.

इस पर प्रमिता ने ठान लिया कि वह प्रेमी रविकांत के साथ ही रहेगी. दोनों के प्यार के बीच पति रोड़ा बन रहा था. इसलिए उसे रास्ते से हटाने का तानाबाना प्रमिता ने बुना. उस ने प्रेमी रविकांत के साथ पति के कत्ल की खूनी साजिश रची.

7 जून को रविकांत अपने गांव में था. योजना के अनुसार वह बाइक से आगरा के लिए शाम को अपने छोटे भाई शशिकांत के साथ निकला. अपने घर वालों को बताया कि दोस्त की बर्थडे पार्टी में जा रहे हैं, रात में वापस आ जाएंगे.

दोनों भाई योजना के अनुसार आगरा पहुंचे. नरेश के मकान के पास ही एक मकान अधबना खाली पड़ा था. दोनों भाइयों ने अपनी बाइक उस में खड़ी कर दी. इस के बाद दोनों भाई उस मकान से नरेश के मकान की छत पर आ गए. रविकांत ने अपना मोबाइल स्विच्ड औफ कर लिया. उस समय रात के साढ़े 10 बजे का समय था. नरेश खाना खा कर दूसरे कमरे में सोने चला गया था.

इस बीच प्रमिता ने तीनों बच्चों को कोल्ड डिं्रक दी और मोबाइल दिया. कमरे का टीवी चला दिया, बच्चे खुश हो गए. कमरे की बाहर से कुंडी लगा दी. पति ने शराब पी रखी थी, वह गहरी नींद में सो चुका था.

जब प्रमिता ने अच्छी तरह परख लिया कि पति गहरी नींद में हैं, तब उस ने शशिकांत के मोबाइल पर ओके का मैसेज भेजा. दोनों भाई मकान में नीचे आ गए. सो रहे नरेश के सिर पर ईंटों से तीनों ने ताबड़तोड़ प्रहार किए.

बिस्तर पर खून बिखर गया. सिर से बह रहे खून को देख कर प्रमिता ने सिर पर पौलीथिन की थैली लगा दी, जिस से खून न गिरे.

सिर पर किए गए प्रहार से नरेश ने पल भर में दम तोड़ दिया. इस के बाद तीनों ने मिल कर शव को बोरे में बंद किया. कमरे के फर्श पर बिखरे खून को चादर से प्रमिता ने पोंछने के बाद धो दिया.

शशिकांत की पैंट पर हत्या के दौरान मृतक का खून लग गया था. उस ने अपनी पैंट उतारने के बाद कमरे में टंगी नरेश की पैंट पहन ली. इस के बाद बोरे को उठा कर छत पर ले गए और पीछे प्लौट में फेंक दिया. खून से सने सभी कपड़े दूसरी बोरी में भर कर लाश से लगभग 200 मीटर दूर उसी प्लौट में फेंक दिए.

हत्या करने के बाद रविकांत और शशिकांत रात साढ़े 12 बजे ही चले गए. अंधेरा होने की वजह से छत पर पड़ा खून दिखाई नहीं दिया.

पति की हत्या से प्रमिता घबरा गई थी, जिस के कारण वह छत पर पड़े खून को साफ नहीं कर सकी थी. प्रमिता के मोबाइल में चैटिंग थी, हत्या के बाद उस ने सारी चैट डिलीट कर दी, जिस से पुलिस मोबाइल देखे तो पता नहीं चल सके.

रविकांत ने भी ऐसा ही किया. पुलिस ने हत्या में पुख्ता सबूत के लिए चैट को फोरैंसिक एक्सपर्ट की मदद से रिकवर कराने के लिए भेज दिया है.

प्रमिता से पूछताछ के बाद पुलिस टीम ने शेष हत्यारोपियों की गिरफ्तारी के लिए कई स्थानों पर दबिश डाली. मुखबिर की सूचना पर थानाप्रभारी उमेशचंद्र त्रिपाठी ने आरोपी प्रेमी रविकांत को आगरा में टीडीआई माल के पास से घटना में प्रयुक्त मोटरसाइकिल के साथ उसी दिन गिरफ्तार कर लिया. आरोपी की निशानदेही पर पुलिस ने आला कत्ल खून से सनी ईंटें भी बरामद कर लीं.

9 जून को एसएसपी मुनिराज ने प्रैस कौन्फ्रैंस में घटना में शामिल 2 अभियुक्तों की गिरफ्तारी की जानकारी देते हुए सनसनीखेज घटना का खुलासा कर दिया.

पुलिस ने 9 जून, 2021 को दोनों को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया. इस के बाद पुलिस ने हत्याकांड में शामिल तीसरे हत्यारोपी शशिकांत को भी 10 जून की रात को गिरफ्तार कर दूसरे दिन जेल भेज दिया.

प्रमिता ने 12 साल पहले जिस नरेश कुमार के साथ सात फेरे लिए, उसे ही अपने प्रेमी व उस के भाई के साथ मिल कर खूनी साजिश के तहत मौत की नींद सुला दिया. एक सीधासादा पति अपनी बेवफा पत्नी के अवैध संबंधों की भेंट चढ़ गया.

प्रमिता ने अपना बसाबसाया घर भी उजाड़ लिया. अब बच्चों को मांबाप का प्यार नहीं मिल सकेगा. फिलहाल तीनों बच्चों को दादादादी अपने साथ ले गए.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारि

वासना में बनी पतिहंता : पत्नी ही बनी कातिल – भाग 2

एएसआई सुनील कुमार ने मृतक की फैक्ट्री में उस के साथ काम करने वालों के अलावा उस के मालिक प्रवीण गर्ग से भी पूछताछ की. यहां तक कि मृतक के पड़ोसियों से भी मृतक और उस के परिवार के बारे में जानकारी हासिल की गई, पर कोई क्लू हाथ नहीं लगा.

सब का यही कहना था कि सुनील सीधासादा शरीफ इंसान था. उस की न तो किसी से कोई दुश्मनी थी और न कोई लड़ाईझगड़ा. अपने घर से काम पर जाना और वापस घर लौट कर अपने बच्चों में मग्न रहना ही दिनचर्या थी.

एएसआई सुनील की समझ में एक बात नहीं आ रही थी कि मृतक की लाश इतनी दूर सिटी सेंटर के पास कैसे पहुंची, जबकि उस के घर आने का रूट चीमा चौक की ओर से था. उस की इलैक्ट्रिक साइकिल भी नहीं मिली. महज साइकिल के लिए कोई किसी की हत्या करेगा, यह बात किसी को हजम नहीं हो रही थी.

बहरहाल, अगले दिन मृतक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आ गई. रिपोर्ट में बताया गया कि मृतक के सिर पर किसी भारी चीज से वार किया गया था और उस का गला चेन जैसी किसी चीज से घोटा गया था. मृतक के शरीर पर चोट के भी निशान थे. इस से यही लग रहा था कि हत्या से पहले मृतक की खूब पिटाई की गई थी. उस की हत्या का कारण दम घुटना बताया गया.

पोस्टमार्टम के बाद लाश मृतक के घर वालों के हवाले कर दी गई. सुनील की हत्या हुए एक सप्ताह बीत चुका था. अभी तक पुलिस के हाथ कोई ठोस सबूत नहीं लगा था. मृतक की साइकिल का भी पता नहीं चल पा रहा था.

एएसआई सुनील कुमार ने एक बार फिर इस केस पर बड़ी बारीकी से गौर किया. उन्होंने मृतक की पत्नी, भाई और अन्य लोगों के बयानों को ध्यान से पढ़ा. उन्हें पत्नी सुनीता के बयानों में झोल नजर आया तो उन्होंने उस के फोन की कालडिटेल्स निकलवा कर चैक कीं.

सुनीता की काल डिटेल्स में 2 बातें सामने आईं. एक तो उस ने पुलिस को यह झूठा बयान दिया था कि पति ने उसे 8 बजे फोन कर कहा था कि वह घर आ रहा है, खाना तैयार रखना.

लेकिन कालडिटेल्स से पता चला कि मृतक ने नहीं बल्कि खुद सुनीता ने उसे सवा 8 बजे और साढ़े 8 बजे फोन किए थे. दूसरी बात यह कि सुनीता की कालडिटेल्स में एक ऐसा नंबर था, जिस पर सुनीता की दिन में कई बार घंटों तक बातें होती थीं. घटना वाली रात 21 मई को भी मृतक को फोन करने के अलावा सुनीता की रात साढ़े 7 बजे से ले कर रात 11 बजे तक लगातार बातें हुई थीं.

यह फोन नंबर किस का था, यह जानने के लिए एएसआई सुनील कुमार ने मृतक के भाई और बेटे से जब पूछा तो उन्होंने अनभिज्ञता जाहिर की. बहरहाल, एएसआई सुनील कुमार ने 2 महिला सिपाहियों को सादे लिबास में सुनीता पर नजर रखने के लिए लगा दिया. साथ ही मुखबिरों को सुनीता की जन्मकुंडली पता लगाने के लिए कहा. इस के अलावा उन्होंने उस फोन नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई तो पता चला कि वह नंबर आई ब्लौक निवासी मनदीप सिंह उर्फ दीपा का है.

मनदीप पेशे से आटो चालक था. सन 2018 में वह जालसाजी के केस में जेल भी जा चुका था. मनदीप शादीशुदा था और उस की 3 साल की एक बेटी भी थी. हालांकि उस की शादी 4 साल पहले ही हुई थी, लेकिन उस की पत्नी से नहीं बनती थी. पत्नी ने उस के खिलाफ वूमन सेल में केस दायर कर रखा था.

सुनीता पर नजर रखने वाली महिला और मुखबिरों ने यह जानकारी दी कि सुनीता और मनदीप के बीच नाजायज संबंध हैं. इस बीच फोरैंसिक लैब भेजा गया मृतक का फोन ठीक हो कर आ गया, जिस ने इस हत्याकांड को पूरी तरह बेनकाब कर दिया.

एएसआई सुनील कुमार ने उसी दिन सुनीता को हिरासत में ले कर पूछताछ की तो वह अपने आप को निर्दोष बताते हुए पुलिस को गुमराह करने के लिए तरहतरह की कहानियां सुनाने लगी. जब उसे महिला हवलदार सुरजीत कौर के हवाले किया गया तो उस ने पूरा सच उगल दिया.

सुनीता की निशानदेही पर उसी दिन 3 जून को 30 वर्षीय मनदीप सिंह उर्फ दीपा, 18 वर्षीय रमन राजपूत, 23 वर्षीय सन्नी कुमार और 21 वर्षीय प्रकाश को भाई रणधीर सिंह चौक से जेन कार सहित गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में सभी ने अपना अपराध स्वीकार करते हुए बताया कि उन्होंने सुनीता और मनदीप के कहने पर सुनील की हत्या की थी.

पांचों अभियुक्तों को उसी दिन अदालत में पेश कर 3 दिनों के पुलिस रिमांड पर लिया गया. रिमांड के दौरान हुई पूछताछ में सुनील हत्याकांड की जो कहानी सामने आई, वह पति और जवान बच्चों के रहते परपुरुष की बांहों में देहसुख तलाशने वाली एक औरत के मूर्खतापूर्ण कारनामे का नतीजा थी.

सुनील जब धागा फैक्ट्री में अपनी नौकरी पर चला जाता था तो सुनीता घर पर अकेली रह जाती थी. इसी के मद्देनजर उस ने पास ही स्थित प्ले वे स्कूल में चपरासी की नौकरी कर ली. पतिपत्नी के कमाने से घर ठीक से चलने लगा.

इसी प्ले वे स्कूल में मनदीप उर्फ दीपा की बेटी भी पढ़ती थी. पहले मनदीप की पत्नी अपनी बेटी को स्कूल छोड़ने और लेने आया करती थी, पर एक बार मनदीप अपनी बेटी को स्कूल छोड़ने आया तब उस की मुलाकात सुनीता से हुई.

सुनीता को देखते ही वह उस का दीवाना हो गया. हालांकि सुनीता उस से उम्र में 10-11 साल बड़ी थी, पर उस में ऐसी कशिश थी, जो मनदीप के मन भा गई. यह बात करीब 9 महीने पहले की है.

बेगम बनने की चाह में गवाया पति – भाग 2

पुलिस ने उसी समय अनवर शाह को भी उस ने घर से उठा लिया. चूंकि पिंकी पहले ही पूरी बात बता चुकी थी, इसलिए अनवर ने भी बिना किसी टालमटोल के अपना अपराध स्वीकार करते हुए पास के गांव नारायणपुर स्थित अपने खेत में दफन सुनील की लाश बरामद करवा दी.

पुलिस ने अनवर और पिंकी से विस्तार से पूछताछ की तो सुनील की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी—

मध्य प्रदेश के भैंसोड़ा गांव की रहने वाली पिंकी बचपन से ही काफी खूबसूरत और चंचल स्वभाव की थी. उस का काम दिन भर गांव की गलियों में धमाचौकड़ी मचाना था. बताते हैं कि इस दौरान किशोरावस्था में ही गांव के कुछ युवकों ने उस के चंचल स्वभाव का फायदा उठा कर उस के साथ यौन संबंध बनाने शुरू कर दिए थे. पिंकी को भी यह सब अच्छा लगता था. इसी वजह से उस के मांबाप ने काफी कम उम्र में ही उस की शादी बामनखेड़ा में रहने वाले सुनील कुमार के संग कर दी थी.

सुनील सीधा सच्चा युवक था. पत्नी को वह जितना प्यार करता था, उतना ही अपने मातापिता का सम्मान भी करता था. यह बात पिंकी को अच्छी नहीं लगती थी. वह सासससुर से दूर रहना चाहती थी, इसलिए सुनील पर गांव छोड़ कर शहर में रहने के लिए दबाव बनाने लगी. जिस के चलते करीब 10 साल पहले सुनील देवास में आ कर विजय रोड स्थित एक दुकान पर नौकरी करने लगा.

धीरेधीरे पैसे जोड़ कर उस ने विशाल नगर में एक मकान भी बनवा लिया. पिंकी अब तक 2 बच्चों की मां बन चुकी थी. उम्र भी 30 के आसपास पहुंच गई थी. लेकिन उस की सुंदरता में वह कसक अभी बाकी थी जो किसी को भी अपना दीवाना बनाने की कूवत रखती थी.

विशाल नगर में पिंकी के पड़ोस में अनवर शाह रहता था. अनवर खेती के अलावा ट्रैक्टर चलाने का काम करता था. कोई 2 साल पहले एक रोज उस की नजर सुबहसुबह धूप में बैठ कर बाल सुखाती पिंकी पर पड़ी तो वह उस के हुस्न पर फिदा हो गया.

अनवर औरतों का पुराना खिलाड़ी था. अपने खेत में काम करने वाली कई महिलाओं के साथ उस के यौनसंबंध थे. जिस दिन उस ने पिंकी को देखा, उसी दिन से उसे पाने की कोशिश करने लगा. इस के लिए उस ने सब से पहले सुनील से दोस्ती बढ़ाई और इस बहाने उस के घर आनेजाने लगा.

यही नहीं, वह जब भी सुनील के घर आता, उस के बच्चों के लिए खानेपीने की चीजें जरूर ले जाता. इस का नतीजा यह निकला कि कुछ समय बाद वह बच्चों को टौफी, चौकलेट देने के बहाने ऐसे समय पर भी सुनील के घर आने लगा, जब पिंकी घर पर अकेली होती थी.

अनवर था औरतों का शिकारी……………..

पिंकी के साथ भाभी का रिश्ता तो वह पहले ही बना चुका था, सो कभीकभी 2-4 मिनट रुक कर उस से बात भी करने लगा. अनवर जानता था कि कहानी 2-4 मिनट से ही शुरू हो कर पूरी रात तक पहुंचती है. इसलिए इस दौरान मौका मिलने पर वह पिंकी की सुंदरता की तारीफ करने से भी पीछे नहीं रहता था.

इतना ही नहीं, कभीकभार पिंकी की गोद से उस का बच्चा अपनी गोद में लेने के बहाने वह उस के नाजुक अंगों को छूने की भी कोशिश करता था. इस से पिंकी को जल्द ही अनवर के मन की बात समझ में आ गई.

इस के बाद उस के दिमाग में अनवर की चाहत लावा बन कर फूटने लगी. इसलिए उस ने भी अनवर के लिए अपने मन की लगाम को ढील देनी शुरू कर दी. इस से अनवर समझ गया कि मछली दाना निगल चुकी है.

2 साल पहले वह ईद के दिन जानबूझ कर ऐसे समय में पिंकी के घर गया, जब सुनील घर पर नहीं था. अनवर को देख कर पिंकी ने मुसकराते हुए उसे ईद की बधाई दी.

‘‘अपनी मुबारकबाद अपने पास ही रखिए, मुझे नहीं चाहिए.’’ अनवर ने गुस्सा होने का नाटक करते हुए कहा. ‘‘क्यों, मेरी मुबारकबाद में ऐसा क्या खोट है जो तुम्हें नहीं चाहिए?’’ पिंकी ने पूछा.

‘‘अरे, मुबारकबाद देनी ही है तो गले मिल कर दो. मालूम है आज सुबह से मैं ने किसी को मुबारकबाद नहीं दी. छिप कर घर में बैठा था कि सब से पहले आप से ही मुबारकबाद लूंगा. इसलिए मुबारकबाद देनी है तो गले मिल कर दो.’’

‘‘अच्छा बाबा, अंदर आ जाओ या बाहर दुनिया के सामने गले लगूंगी.’’ कहते हुए पिंकी उसे अपने साथ अंदर ले आई. फिर गहरी सांस लेते हुए उस के गले से लिपट गई.

अनवर को इसी मौके का इंतजार था. इस के बाद वह समझ गया कि पिंकी पूरी तरह उस के जाल में फंस चुकी है. इसलिए उस ने पिंकी को तभी अपनी बांहों से दूर किया, जब उस ने अगले दिन दोपहर में मिल कर उस के साथ एकांत में कुछ पल बिताने का वादा किया.

पिंकी की हां सुनते ही अनवर ने जेब से नया चमचमाता मोबाइल फोन निकाल कर उस के हाथ में देते हुए कहा, ‘‘ये लो दीवाने का ईद का पहला तोहफा. जब भी मौका मले मुझे फोन लगा दिया करो.’’

पिंकी ने उस के हाथ से मोबाइल ले कर चुपचाप छिपा कर रख दिया. ताकि उस पर सुनील की नजर न पड़े. पूरी रात पिंकी और अनवर ने अपनेअपने घरों में बेचैनी से काटी दूसरे दिन सुबह होते ही जब सुनील दुकान पर जाने के लिए घर से निकला, पिंकी ने नए मोबाइल से अनवर को फोन लगा कर कह दिया कि वह दोपहर होने का इंतजार नहीं कर सकती, इसलिए वह अभी घर आ जाए.

इश्क में सिर कलम : परिवार जान का दुश्मन

19 साल की कीर्ति हमेशा की तरह घर से बाजार जाने को कह कर निकली थी. मां को बताया था कि वह पहले कांता के पास जाएगी. उसे भी साथ में जाना है. उस को अपने लिए कुछ जरूरी सामान खरीदना है. रास्ते में ही उस का भाई कुणाल मिल गया. वह ट्यूशन पढ़ कर साइकिल से घर लौट रहा था. उस ने टोका था, ‘‘कहां जा रही है अकेली?’’

कुणाल कीर्ति से केवल एक साल छोटा था. भाई को भी उस ने सहमते हुए वही कहा, जो मां से बता कर निकली थी. इस पर उस ने सवाल भी किए थे, ‘‘लेकिन, कांता का घर तो पीछे रह गया?’’ कुणाल ने उस से कहा.

इस पर सफाई देते हुए वह बोली, ‘‘कांता खेत पर गई हुई है, रास्ते में मिल जाएगी.’’

उस के बाद कीर्ति तेजी से आगे बढ़ गई और कुणाल तेजी से साइकिल के पैडल मारते हुए वहां से चला गया.

उस के जाते ही कीर्ति अपने आप से बोलने लगी, ‘हुंह… बड़ा आया सवाल- जवाब करने वाला. खुद तो ट्यूशन के बहाने दोस्तों के साथ घूमता फिरता है और हमें रोकताटोकता रहता है.’

इस के बाद कीर्ति अपने प्रेमी अविनाश के पास एक निश्चित जगह पर पहुंच गई, जो उस का इंतजार कर रहा था. उसे देखते ही अविनाश खुश हो गया. वह अपने मोबाइल में टाइम दिखा कर चहकती हुई बोली, ‘‘देखो, आज मैं ने तुम्हारी शिकायत पूरी कर दी है. एकदम समय पर पहुंच गई हूं.’’

‘‘मुझे तुम्हारा भाई घर जाते हुए दिखा था, तब लगा तुम शायद आज नहीं आ पाओगी, लेकिन तुम ने तो वाकई कमाल कर दिया.’’ खुशी और आश्चर्य से अविनाश ने उस के हाथ पकड़ लिए.

‘‘चलो, उधर पीछे की ओर बैठते हैं. मैं तुम्हारे लिए कुछ लाई हूं.’’ कीर्ति स्कूल की पुरानी बिल्डिंग की ओर इशारा करती हुई बोली.

‘‘हां चलो, मैं ने वहां पर एक अच्छी जगह देखी है, जहां अब कोई आताजाता नहीं है. और वहां बैठने लायक थोड़ी साफसफाई भी है.’’ अविनाश बोला.

उस के बाद दोनों सरकारी स्कूल की पुरानी बिल्डिंग के पिछवाड़े खाली जगह पर चले गए. वहां छोटेबड़े पेड़पौधे लगे थे. हरियाली थी. मनमोहक जगह थी. लोगों की नजरों से बच कर कुछ समय वहां बिताया जा सकता था.

दोनों वहीं एक पेड़ की ओट में बैठ गए. कीर्ति अपने साथ पीठ पर लादे छोटा सा बैग उतार कर खोलने लगी. उस में से गांठ लगी पौलीथिन निकाली.

‘‘क्या है इस में?’’ अविनाश ने जिज्ञासावश पूछा.

‘‘अभी बताती हूं. इस में तुम्हारी पसंद का नाश्ता है. मैं ने खासकर तुम्हारे लिए कांदापोहा बनाया है. लेकिन मिर्ची तेज लगेगी. तुम्हें पसंद है न, इसीलिए हरी मिर्च ज्यादा डाली हैं.’’ कीर्ति पौलीथिन पैक की गांठ खोलती हुई बोली.

‘‘अरे वाह! मेरी पसंद का तुम कितना खयाल रखती हो. मैं भी तुम्हारे लिए कुछ ले कर आया हूं.’’ अविनाश सामने बैठते हुए बोला.

‘‘क्या लाए हो दिखाओ,’’ कीर्ति बोली.

‘‘पहले पोहा खा लेता हूं, फिर दिखाता हूं, खूशबू अच्छी आ रही है.’’ अविनाश बोला.

‘‘देखो कैसा कलर है पोहा का. नमक कम लगे तो बताना अलग से पुडि़या में है.’’ कीर्ति तब तक पोहा एक छोटी सी थर्मो प्लेट में निकाल चुकी थी.

अविनाश ने भी अपने बैग से एक छोटा सा पैकेट निकाल लिया था. उसे देखते ही कीर्ति चहक पड़ी, ‘‘अरे हेडफोन! यह महंगा वाला लगता है…’’

‘‘हां, थोड़ा महंगा है, लेकिन कार्डलैस है. तुम को औनलाइन पढ़ाई में दिक्कत आ रही थी, इसलिए तुम्हारे लिए खरीदा है.’’ अविनाश बोला. उस ने पैकेट खोल कर गले में पहनने वाले हेडफोन को उस के गले में डाल दिया.

‘‘पोहा भी खाओ ना,’’ कीर्ति खुशी से बोली.

‘‘कीर्ति हम लोग कब तक छिप कर मिलते रहेंगे. तुम्हारा भाई हमेशा हमें शक की निगाह से देखता है. वो है तो उम्र में छोटा लेकिन पता नहीं क्यों उस की नजरें हमेशा हमें तरेरती रहती हैं.’’

‘‘क्या करूं अविनाश, मैं भी उस से परेशान रहती हूं. पता नहीं इस हेडफोन को ले कर कितने सवालजवाब करे.’’

‘‘बोल देना मैं ने ट्यूशन पढ़ा कर कमाए पैसों से खरीदा है.’’

इस तरह कीर्ति और अविनाश का आपसी प्रेम परवान चढ़ने लगा था. वे एकदूसरे के दिलों की भावना को गहराई से समझने लगे थे, उन के बीच प्रेम में कोई छलावा या दिखावा नहीं था. केवल एक ही बात मन को कचोटती थी कि उन्हें मिलने के लिए घर वालों से कई तरह के झूठ बोलने पड़ते थे. ऐसा करते हुए कीर्ति कई बार परेशान हो जाती थी. मन दुखी हो जाता था.

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महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में वैजापुर तहसील के लाड़गांव शिवार की रहने वाली कीर्ति को गांव के ही अविनाश संजय थोरे से प्यार हो गया था. दोनों अकसर ही छिपछिप कर मिलते और घंटों प्यारभरी बातों में डूबे रहते थे. इस बीच उन्होंने हर तरह के सपने बुने थे.

उन के बीच पढ़ाईलिखाई से ले कर सिनेमा, संगीत, फैशन, मौडल, एंटरटेनमेंट, हाटबाजार, शहरी मौल मल्टीप्लेक्स और कोरोना तक की बातें होती थीं.

कई बार वे आलिया भट्ट से ले कर अमिताभ बच्चन और दीपिका पादुकोण से ले कर रणवीर, अक्षय और विराट कोहली को ले कर चर्चा और बहस करने लगते थे.

जब मोदी, राहुल, प्रियंका की बातें होतीं तब दोनों चिढ़ जाते थे. अविनाश कहता कि हमें राजनीति से कोई मतलब नहीं है. कीर्ति भी तुनकती हुई कहती, मुझे कौन सी राजनीति से मतलब है. अरे, लौकडाउन लगने से वे बातों में आ जाते हैं. मैं क्या करूं.

प्यार परवान चढ़ा तो दोनों ने जीवन भर साथ रहने का निश्चय कर लिया. इस बारे में उन्होंने अपनीअपनी किताबें हाथ में ले कर कसम खाई कि वे शादी करेंगे एकदूसरे के साथ ही.

उन्होंने अपनी किताबों पर एकदूसरे का नाम लिख कर अदलाबदली भी कर ली थी. हालांकि दोनों को ही मालूम था कि परिवार और बिरादरी वाले उन की शादी में रोड़ा अटकाएंगे. वजह थी दोनों ही जातियों के बीच बरसों से चला आ रहा मनमुटाव.

लाड़गांव शिवार में 2 उपनाम के परिवारों में विवाह संबंध नहीं होते हैं. यह कोई एक गोत्र वाला मामला नहीं है, बल्कि दोनों के बीच वर्चस्व और मानमर्यादा की लड़ाई का है. एक पक्ष का मानना है कि उन के नाम वाले लोग ही गांव के मुखिया रहे हैं, इसलिए यहां उन की ही चलेगी.

जबकि दूसरे पक्ष का तर्क होता है कि वह भी उसी जाति से ताल्लुक रखते हैं और उन्होंने भी राज किया है, इसलिए उन का वर्चस्व और मानसम्मान ज्यादा होना चाहिए. इस भाव के कारण दोनों बिरादरी के लोग एकदूसरे को नीचा दिखाने की जुगत में लगे रहते हैं.

ऐसे गांव में जब कीर्ति और अविनाश के दिलों में एकदूसरे के लिए प्यार की कोपलें फूटीं तो वे शादी की इच्छा घर वालों से बताने में डर गए. उन्हें पता था कि दोनों के घर वाले इस के लिए कभी भी राजी नहीं होंगे. अलबत्ता बात का बतंगड़ बन जाएगा और नौबत मरनेमारने तक आ जाएगी. तब दोनों प्रेमियों ने भाग कर शादी करने का फैसला कर लिया. जून 2021 में दोनों ने किसी को बताए बिना घर से भाग कर पुणे के आलंदी में विवाह कर लिया.

इस शादी की सूचना जब कीर्ति के पिता संजय मोटे को मिली, तो उस ने घर में तांडव शुरू कर दिया. वह आगबबूला हो गया. उसे लगा कि बेटी के इस कदम से उस की प्रतिष्ठा धूमिल हो गई है. गांव भर के आगे उस की नाक कट गई है. इस तनाव के चलते उस ने अपनी पत्नी शोभा पर ही बेटी को नहीं संभाल पाने का आरोप मढ़ दिया.

वह आए दिन अपनी पत्नी को कोसने लगा. उस के साथ गालीगलौज और मारपीट तक शुरू कर दी. हर गलती के लिए वह अपनी पत्नी को ही दोषी ठहरा देता. यही नहीं, कीर्ति के छोटे भाई कुणाल पर भी जबतब बाप का गुस्सा फूटने लगा.

संजय मोटे के उग्र तेवरों के कारण पूरा परिवार बुरी तरह तनाव में आ गया था. सब के दिमाग में यह बात बैठ गई कि कीर्ति ने प्रेम विवाह कर गांव भर में उन की इज्जत मिट्टी में मिला दी है.

कुछ दिनों बाद कीर्ति और अविनाश लाड़गांव आ कर रहने लगे. कीर्ति के अपनी ससुराल में पति के साथ रहने की खबर कीर्ति के घर वालों को मिली.

उन्हें यह भी मालूम हुआ कि कीर्ति को अविनाश के घर वालों ने अपना लिया है. कीर्ति अपनी ससुराल में रचबस गई थी. खुशी की बात यह थी कि वह गर्भवती थी. उस के पेट में 2 माह का गर्भ था.

कीर्ति की मां शोभा को जब दोनों के गांव लौटने का समाचार मिला तो एक दिन वह जा कर बेटीदामाद से उन के घर पर मिल आई. बेटी और दामाद से बड़ी आत्मीयता से मिली. कीर्ति ने महसूस किया कि उस की मां को अब उस की अविनाश से शादी को ले कर कोई शिकायत नहीं है.

मां ने मीठीमीठी बातें कर पिता को भी मना लेने का वादा किया. जबकि सच्चाई तो यह थी उस की मां भीतर ही भीतर सुलग रही थी. उस के दिलोदिमाग में खुराफाती योजना बन चुकी थी. यह बात उस ने केवल अपने बेटे संकेत को बताई.

योजना के मुताबिक ही 5 दिसंबर, 2021  को शोभा फिर अपने बेटे कुणाल के साथ कीर्ति की ससुराल गई. उस वक्त कीर्ति खेत में अपने सासससुर के साथ काम कर रही थी. मां और भाई को आया देख वह खेत का काम छोड़ कर खुशीखुशी घर दौड़ी आई.

उस ने बड़े प्यार से मां और भाई को पानी का गिलास दिया और चाय बनाने के लिए रसोई में चली गई. उस समय उस का पति अविनाश भी घर पर ही था, लेकिन तबियत ठीक नहीं होने के कारण वह दूसरे कमरे में लेटा हुआ था.

अचानक अविनाश को रसोई में बरतनों के गिरने की आवाज सुनाई दी. वह बिस्तर से उठ कर रसोई में आया. वहां का नजारा देख कर तो उस के होश ही उड़ गए. वह रसोई के दरवाजे पर ठिठक गया. हाथपैर जैसे सुन्न पड़ गए.

रसोई में शोभा यानी उस की सास ने अपनी बेटी कीर्ति के दोनों पैर कस कर पकड़ रखे थे और उस का छोटा भाई कुणाल एक धारदार हथियार कोयता से बहन की गरदन पर वार पर वार किए जा रहा था.

मां और भाई के हमले से कीर्ति बुरी तरह छटपटा रही थी. मगर उस की छटपटाहट क्षण भर में ठहर गई और भाई ने अंतिम वार कर उस की गरदन को धड़ से अलग कर दिया.

बहन का सिर बालों से पकड़ कर लहराते हुए दूसरे हाथ में खून सना कोयता लिए दरवाजे पर खड़े अविनाश को मारने के लिए झपटा. बीमार अविनाश कमजोरी महसूस कर रहा था. वह किसी तरह वहां से बच कर निकल भागा.

कीर्ति का भाई बहन का सिर हाथ में ले कर बाहर बरामदे में आया. बाहर खड़ी भीड़ को उस ने बहन का खून टपकता सिर दिखाया. मोबाइल निकाल कर सेल्फी खींची और फिर मां को मोटरसाइकिल पर बैठा कर पुलिस थाने जा पहुंचा. थाने में उस ने हत्या का जुर्म स्वीकारते हुए सरेंडर कर दिया.

वैजापुर के डीएसपी कैलाश प्रजापति ने इस बारे में मीडिया को जानकारी दी. उन्होंने कहा कि औनर किलिंग का यह रोंगटे खड़े कर देने वाला कांड है. छोटे भाई ने जिस बेरहमी से अपनी बड़ी बहन की हत्या की, उसे देख कर पुलिस भी थर्रा गई.

उन्होंने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला है कि कीर्ति 2 महीने की गर्भवती थी. एक मां द्वारा एक होने वाली मां की ऐसी जघन्य हत्या समाज की संकीर्ण मानसिकता बताती है.

अपनी झूठी इज्जत के लिए अपने खून का भी खून करने में लोग नहीं हिचकते हैं और यहां तो एक महिला ने ऐसा कांड कर डाला. इन दोनों से पूछताछ में पता चला कि ये लोग कीर्ति की हत्या की योजना पहले से ही बना कर बैठे थे. बस मौके की तलाश थी, जो उस रोज मिल गया था.

इस मामले में मां और बेटे के खिलाफ भादंवि की धारा 302 के तहत हत्या का आरोपी बनाया गया है. आधार कार्ड और स्कूल प्रमाण पत्र के अनुसार कुणाल नाबालिग था, इसलिए न्यायालय ने उसे नाबालिग मानते हुए औरंगाबाद के बाल न्यायालय के समक्ष हाजिर करने के आदेश दिए. जहां से उसे जुवेनाइल होम भेज दिया गया. जबकि मां शोभा को हत्या के आरोप में जेल भेजा गया है.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में कुणाल परिवर्तित नाम है.

एक गुनाह मोहब्बत के नाम : कातिल बेटी

मध्य प्रदेश के शहर ग्वालियर के थाना थाटीपुर के थानाप्रभारी आर.बी.एस. विमल 5 अगस्त की रात करीब 3 बजे इलाके की गश्त लगा कर थोड़ा सुस्ताने के मूड में थे. तभी उन के पास किसी महिला का फोन आया. महिला ने कहा, ‘‘सर, मैं तृप्तिनगर से बोल रही हूं. मेरे पति रविदत्त दूबे का मर्डर हो गया है. उन की गोली मार कर हत्या कर दी गई है,’’ इतना कहने के बाद महिला सिसकने लगी. अपना नाम तक नहीं बता पाई.

थानाप्रभारी ने उस से कहा भी, ‘‘आप कौन बोल रही हैं? घटनास्थल और आसपास की लोकेशन के बारे में कुछ बताइए. वहां पास में और कौन सी जगह है, कोई चर्चित दुकान, शोरूम या स्कूल आदि है तो उस का नाम बोलिए.’’

‘‘सर, मैं भारती दूबे हूं. तृंिप्तनगर के प्रवेश द्वार के पास ही लोक निर्माण इलाके में टाइमकीपर दूबेजी का मकान पूछने पर कोई भी बता देगा.’’ महिला बोली.

घटनास्थल का किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं करने की सख्त हिदायत देने के कुछ समय बाद ही थानाप्रभारी पुलिस टीम के साथ घनी आबादी वाले उस इलाके में पहुंच गए. थानाप्रभारी आर.बी.एस. विमल और एसआई तुलाराम कुशवाह के नेतृत्व में पुलिसकर्मियों को अल सुबह देख कर वहां के लोग चौंक गए.

लोगों से भारती दूबे का घर मालूम कर के वह वहां पहुंच गए. जब वह पहली मंजिल पर पहुंचे तो एक कमरे में भारती के पति रविदत्त दूबे की लाश पड़ी थी. पुलिस के पीछेपीछे कुछ और लोग भी वहां आ गए. उन में ज्यादातर परिवार के लोग ही थे.

थानाप्रभारी ने लाश का मुआयना किया तो बिस्तर पर जहां लाश पड़ी थी, वहां भारी मात्रा में खून भी निकला हुआ था. उन के पेट में गोली लगी थी.

मुंह से भी खून निकल रहा था, लाश की स्थिति को देख कर खुद गोली मार कर आत्महत्या का भी अनुमान लगाया गया, किंतु वहां हत्या का न कोई हथियार नजर आया और न ही सुसाइड नोट मिला.

घर वालों ने बताया कि उन्हें किसी ने सोते वक्त गोली मारी होगी. हालांकि इस बारे में सभी ने रात को किसी भी तरह का शोरगुल सुनने से इनकार कर दिया. थानाप्रभारी ने मौके पर फोरैंसिक टीम भी बुला ली.

पुलिस को यह बात गले नहीं उतरी. फिर भी थानाप्रभारी ने हत्या के सुराग के लिए कमरे का कोनाकोना छान मारा. उन्होंने घर का सारा कीमती सामान भी सुरक्षित पाया. इस का मतलब साफ था कि बाहर से कोई घर में नहीं आया था.

अब बड़ा सवाल यह था कि जब बाहर से से कोई आया ही नहीं, तो रविदत्त  को गोली किस ने मारी? फोरैंसिक एक्सपर्ट अखिलेश भार्गव ने रविदत्त के पेट में लगी गोली के घाव को देख कर नजदीक से गोली मारे जाने की पुष्टि की.

जांच के लिए खोजी कुत्ते की मदद ली गई. कुत्ता लाश सूंघने के बाद मकान की पहली मंजिल पर चक्कर लगाता हुआ नीचे बने कमरे से आ गया. वहां कुछ समय घूम कर बाहर सड़क तक गया, फिर वापस बैडरूम में लौट आया. बैड के इर्दगिर्द ही घूमता रहा. उस ने ऐसा 3 बार किया. फिगरपिं्रट एक्सपर्ट की टीम ने बैडरूम सहित अन्य स्थानों के सबूत इकट्ठे किए.

इन सारी काररवाई के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. साथ ही भादंवि की धारा 302/34 के तहत अज्ञात के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया गया. पुलिस को दूबे परिवार के बारे में भारती दूबे से जो जानकारी मिली, वह इस प्रकार थी—

ग्वालियर के थाटीपुर के तृप्तिनगर निवासी 58 वर्षीय रविदत्त दूबे अपनी पत्नी भारती, 2 बेटियों और एक बेटे के साथ रहते थे. रविदत्त लोक निर्माण विभाग में टाइमकीपर की नौकरी करते थे. उन की नियुक्ति कलेक्टोरेट स्थित निर्वाचन शाखा में थी.

साल 2006 में पहली पत्नी आभा की बेटे के जन्म देते वक्त मौत हो गई थी. उस के बाद उन्होंने साल 2007 में केरल की रहने वाली भारती नाम की महिला से विवाह रचा लिया था. वह अहिंदी भाषी और भिन्न संस्कार समाज की होने के बावजूद दूबे परिवार में अच्छी तरह से घुलमिल गई थी.

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दूबे ने भारती से कोर्टमैरिज की थी. शादी के बाद भारती ने दिवंगत आभा के तीनों बच्चों को अपनाने और उन की देखभाल में कोई कमी नहीं रहने दी थी. बड़ी बेटी कृतिका की शादी नयापुरा इटावा निवासी राममोहन शर्मा के साथ हो चुके थी, किंतु उस का ससुराल में विवाद चल रहा था, इस वजह से वह पिछले 3 सालों से अपने मायके में ही रह रही थी. छोटी बेटी सलोनी अविवाहित थी.

पुलिस ने इस हत्या की गुत्थी को सुलझाने के लिए कई बिंदुओं पर ध्यान दिया. मृतक की पत्नी भारती और बड़ी बेटी कृतिका समेत छोटी बेटी सलोनी ने पूछताछ में बताया कि 4-5 अगस्त की आधी रात को तेज बारिश होने कारण लाइट बारबार आजा रही थी.

रात तकरीबन 9 बजे खाना खाने के बाद वे अपने घर की पहली मंजिल पर बने बैडरूम में सोने के लिए चली गई थीं. घटना के समय परिवार के सभी बाकी सदस्य एक ही कमरे में सोए हुए थे.

भारती और बड़ी बेटी कृतिका को रात के ढाई बजे हलकी सी आवाज सुनाई दी थी तो उन्होंने हड़बड़ा कर उठ कर लाइट का स्विच औन किया. इधरउधर देखा. वहां सब कुछ ठीक लगा. वह तुरंत बगल में रविदत्त दूबे के कमरे में गई. देखा बैड पर वह खून से लथपथ पड़े थे. उन के पेट से खून निकल रहा था.

कृतिका और भारती ने उन्हें हिलायाडुलाया तब भी उन में कोई हरकत नहीं हुई. नाक के सामने हाथ ले जा कर देखा, उन की सांस भी नहीं चल रही थी. फिर भारती ने दूसरे रिश्तेदारों को सूचित करने के बाद पुलिस को सूचित कर दिया.

थानाप्रभारी को दूबे हत्याकांड से संबंधित कुछ और जानकारी मिल गई थी, फिर भी वह हत्यारे की तलाश के लिए महत्त्वपूर्ण सबूत की तलाश में जुटे हुए थे. घटनास्थल पर तहकीकात के दौरान एसआई तुलाराम कुशवाहा को दूबे की छोटी बेटी पर शक हुआ था.

कारण उस के चेहरे पर पिता के मौत से दुखी होने जैसे भाव की झलक नहीं दिखी थी. उन्होंने पाया कि सलोनी जबरन रोनेधोने का नाटक कर रही थी. उस की आंखों से एक बूंद आंसू तक नहीं निकले थे.

घर वालों के अलगअलग बयानों के कारण दूबे हत्याकांड की गुत्थी सुलझने के बजाय उलझती ही जा रही थी. उसे सुलझाने का एकमात्र रास्ता काल डिटेल्स को अपनाने की योजना बनी. मृतक और उस के सभी परिजनों के मोबाइल नंबर ले कर उन की काल डिटेल्स निकलवाई गई.

कब, किस ने, किस से बात की? उन के बीच क्याक्या बातें हुईं? उन में बाहरी सदस्य कितने थे, कितने परिवार वाले? वे कौन थे? इत्यादि काल डिटेल्स का अध्ययन किया गया. उन में एक नंबर ऐसा भी निकला, जिस पर हर रोज लंबी बातें होती थीं.

पुलिस को जल्द ही उस नंबर को इस्तेमाल करने वाले का भी पता चल गया. रविदत्त दूबे की छोटी बेटी सलोनी उस नंबर पर लगातार बातें करती थी. पुलिस ने उस फोन नंबर की जांच की तो वह नंबर परिवार के किसी सदस्य या रिश्तेदार का नहीं था बल्कि ग्वालियर में गल्ला कठोर के रहने वाले पुष्पेंद्र लोधी का निकला.

पुलिस इस जानकारी के साथ पुष्पेंद्र के घर जा धमकी. वह घर से गायब मिला. इस कारण उस पर पुलिस का शक और भी गहरा हो गया. फिर पुलिस ने 14 अगस्त की रात में उसे दबोच लिया.

उस से पूछताछ की. पहले तो उस ने पुलिस को बरगलाने की कोशिश की, लेकिन बाद में सख्ती होने पर उस ने दूबे की हत्या का राज खोल कर रख दिया.

साथ ही उस ने स्वीकार भी कर लिया कि रविदत्त दूबे की हत्या उस ने सलोनी के कहने पर की थी. उन्हें देशी तमंचे से गोली मारी थी. पुष्पेंद्र ने पुलिस को हत्या की जो वजह बताई, वह भी एक हैरत से कम नहीं थी. पुलिस सुन कर दंग रह गई कि कोई जरा सी बात पर अपने बाप की हत्या भी करवा सकता है.

बहरहाल, पुष्पेंद्र के अपराध स्वीकार किए जाने के बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर उस की निशानदेही पर हत्या में इस्तेमाल .315 बोर का तमंचा भी बरामद कर लिया. पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में पुष्पेंद्र लोधी ने बताया कि वह पिछले एक साल से सलोनी का सहपाठी रहा है. सलोनी के एक दूसरे सहपाठी करण राजौरिया से प्रेम संबंध थे. दोनों एकदूसरे को दिलोजान से चाहते थे. उस की तो सलोनी से केवल दोस्ती थी.

उस ने बताया कि एक बार करण के साथ सलोनी को रविदत्त दूबे ने घर पर ही एकदूसरे की बांहों में बांहें डाले देख लिया था.

अपनी बेटी को किसी युवक की बांहों में देखना रविदत्त को जरा भी गवारा नहीं लगा. उन्होंने उसी समय सलोनी के गाल पर तमाचा जड़ दिया. बताते हैं कि तमाचा खा कर सलोनी तिलमिला गई थी.

उस ने अपने गाल पर पिता के चांटे का जितना दर्द महसूस नहीं किया, उस से अधिक उस के दिल को चोट लगी. उस वक्त करण तो चुपचाप चला गया, लेकिन सलोनी बहुत दुखी हो गई. यह बात उस ने अपने दोस्त पुष्पेंद्र को फोन पर बताई.

फोन पर ही पुष्पेंद्र ने सलोनी को समझाने की काफी कोशिश की, लेकिन वह उस की सलाह सुनने को राजी नहीं हुई. करण के साथ पिता द्वारा किए गए दुर्व्यवहार और उस के सामने थप्पड़ खाने से बेहद अपमानित महसूस कर रही थी. अपनी पीड़ा दोस्त को सुना कर उस ने अपना मन थोड़ा हलका किया.

उस ने बताया कि उस घटना से करण भी बहुत दुखी हुआ था. उस के बाद से उस ने एक बार भी सलोनी से बात नहीं की, जिस से उसे कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था. सलोनी समझ रही थी कि उस के पिता उस की मोहब्बत के दुश्मन बन बैठे हैं.

इस तरह सलोनी लगातार फोन पर पुष्पेंद्र से अपने दिल की बातें बता कर करण तक उस की बात पहुंचाने का आग्रह करती रही. एक तरफ उसे प्रेमी द्वारा उपेक्षा किए जाने का गम था तो दूसरी तरफ पिता द्वारा अपमानित किए जाने की पीड़ा. सलोनी बदले की आग में झुलस रही थी. उस ने पिता को ही अपना दुश्मन समझ लिया था.

कुछ दिन गुजरने के बाद एक दिन पुष्पेंद्र की बदौलत सलोनी की करण से मुलाकात हो गई. उस ने मिलते ही करण से माफी मांगी, फिर कहा, ‘‘तुम अब भी दुखी हो?’’

‘‘मैं कर भी क्या सकता था उस वक्त?’’ करण झेंपते हुए बोला.

‘‘सारा दोष पापा का है, उन्होंने तुम्हें बहुत भलाबुरा कहा,’’ सलोनी बोली.

‘‘तुम्हें भी तो थप्पड़ जड़ दिया. कम से कम वह तुम्हारी राय तो जान लेते, एक बार…’’ करण बोला.

‘‘यही तकलीफ तो मुझे है. आव न देखा ताव, सीधे थप्पड़ जड़ दिया. मां रहती तो शायद यह सब नहीं होता. मां सब कुछ संभाल लेती.’’ कहती हुई सलोनी की आंखें नम हो गईं.

‘‘कोई बात नहीं, मैं उन से एक बार बात कर लूं?’’ करण ने सुझाव दिया.

‘‘अरे, कोई फायदा नहीं होने वाला, दीदी को ले कर वह हमेशा गुस्से में रहते हैं. दीदी की मरजी से शादी नहीं हुई थी. नतीजा देखो, उस का घर नहीं बस पाया. न पति अच्छा मिला और न ससुराल. 3 साल से मायके में हमारे साथ बैठी है.’’ सलोनी बिफरती हुई बोली.

‘‘तुम्हारी भी शादी अपनी मरजी से करवाना चाहते हैं क्या?’’ करण ने पूछा.

‘‘ऐसा करने से पहले ही मैं उन को हमेशा के लिए शांत कर दूंगी,’’ सलोनी गुस्से में बोली.

‘‘क्या मतलब है तुम्हारा?’’ करण ने पूछा.

‘‘मेरा मतलब एकदम साफ है. बस, तुम को साथ देना होगा. उन के जीते जी हम लोग एक नहीं हो पाएंगे. हमारा विवाह नहीं हो पाएगा.’’ सलोनी बोली.

‘‘मैं इस में क्या मदद कर सकता हूं?’’ करण ने पूछा.

इस पर सलोनी उस के कान के पास मुंह ले जा कर धीमे से जो कुछ कहा उसे सुन कर करण चौंक गया, अचानक मुंह से आवाज निकल पड़ी, ‘‘क्या? यह क्या कह रही हो तुम?’’

‘‘हां, मैं बिलकुल सही कह रही हूं, पापा को रास्ते से हटाए बगैर कुछ नहीं होगा. और हां, यह काम तुम्हें ही करना होगा.’’ सलोनी बोली.

‘‘नहींनहीं. मैं नहीं कर सकता हत्या जैसा घिनौना काम.’’ करण ने एक झटके में सलोनी के प्रस्ताव पर पानी फेर दिया. उस ने नसीहत देते हुए उसे भी ऐसा करने से मना किया.

सलोनी से दोटूक शब्दों में उस ने कहा कि भले ही वह उस से किनारा कर ले, मगर ऐसा वह भी कतई न करे. उस के बाद करण अपने गांव चला गया. उस ने अपना मोबाइल भी बंद कर लिया. करण से उस का एक तरह से संबंध खत्म हो चुका था. यह बात उस ने पुष्पेंद्र को बताई.

पुष्पेंद्र से सलोनी बोली कि करण के जाने के बाद उस का दुनिया में उस के सिवाय और कोई नहीं है, इसलिए दोस्त होने के नाते वह उस की मदद करे.

उस ने तर्क दिया कि अगर उस ने साथ नहीं दिया तो उस का हाल भी उस की बड़ी बहन जैसा हो जाएगा. एक तरह से सलोनी ने पुष्पेंद्र से हमदर्दी की उम्मीद लगा ली थी.

पुष्पेंद्र सलोनी की बातों में आ गया. वह उस की लच्छेदार बातों और उस के कमसिन हुस्न के प्रति मोहित हो गया था. मोबाइल पर घंटों बातें करते हुए सलोनी ने एक बार कह दिया था वह उसे करण की जगह देखती है. उस से प्रेम करती है.

करण तो बुजदिल और मतलबी निकला, लेकिन उसे उस पर भरोसा है. यदि वह उस का काम कर दे तो दोनों की जिंदगी संवर जाएगी. उस ने पुष्पेंद्र को हत्या के एवज में एक लाख रुपए भी देने का वादा किया.

पुष्पेंद्र पैसे का लालची था. उस ने सलोनी की बात मान ली और फिर योजनाबद्ध तरीके से 4 अगस्त, 2021 की रात को तकरीबन 10 बजे उस के घर चला गया. सलोनी ने उसे परिवार के लोगों की नजरों से बचा कर नीचे के कमरे में छिपा दिया, जबकि परिवार के लोग पहली मंजिल पर थे.

कुछ देर बाद जब घर के सभी सदस्य गहरी नींद में सो गए तो रात के ढाई बजे सलोनी नीचे आई और पुष्पेंद्र को अपने साथ पिता के उस कमरे में ले गई, जहां वह सो रहे थे.

रविदत्त अकेले गहरी नींद में पीठ के बल सो रहे थे. पुष्पेंद्र ने तुरंत तमंचे से रविदत्त के पास जा कर गोली मारी और तेजी से भाग कर अपने घर आ गया.

पुलिस के सामने पुष्पेंद्र द्वारा हत्या का आरोप कुबूलने के बाद उसे हिरासत में ले लिया गया. सलोनी को भी तुरंत थाने बुलाया गया. उस से जैसे ही थानाप्रभारी ने उस के पिता की हत्या के बारे में पूछा, तो वह नाराज होती हुई बोली, ‘‘सर, मेरे पिता की हत्या हुई है और आप मुझ से ही सवालजवाब कर रहे हैं.’’

यहां तक कि सलोनी ने परेशान करने की शिकायत गृहमंत्री तक से करने की धमकी भी दी.

थानाप्रभारी बी.एस. विमल ने जब पुष्पेंद्र लोधी से मोबाइल पर पिता की हत्या से पहले और बाद की बातचीत का हवाला दिया, तब सलोनी के चेहरे का रंग उतर गया. तब थानाप्रभारी विमल ने पुष्पेंद्र द्वारा दिए गए बयान की रिकौर्डिंग उसे सुना दी.

फिर क्या था, उस के बाद सलोनी अब झूठ नहीं बोल सकती थी. अंतत: सलोनी ने भी कुबूल कर लिया कि पिताजी की हत्या उस ने ही कराई थी.

पुलिस ने दोनों अभियुक्तों को रविदत्त दूबे की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश कर दिया. वहां से उन्हें हिरासत में ले कर जेल भेज दया गया.