प्रेमी ने खोदी मोहब्बत की कब्र : भाग-2

नंदकिशोर और उस की पत्नी सुधा को खुशबू और आकाश की नजदीकियों की जानकारी थी, इसलिए दोनों का शक आकाश पर ही था, परंतु आकाश नंदकिशोर के साथ खुशबू को खोजने में उस का साथ दे रहा था. इसलिए कई बार नंदकिशोर को लगता कि खुशबू के गायब होने में आकाश का हाथ न हो.

रांझी पुलिस ने जब खुशबू की मम्मी सुधा से पूछा कि तुम्हें किसी पर शक है, जो खुशबू को अगवा कर सकता है तो सुधा ने बेहिचक आकाश का नाम लिया था.

पुलिस टीम ने आकाश को 4 बार हिरासत में ले कर पूछताछ की, मगर वह हर बार वह यही कहता कि उसे खुशबू के गायब होने के संबंध में कोई जानकारी नहीं है.

धीरेधीरे समय बीत रहा था और पुलिस खुशबू को नहीं खोज पाई थी. नंदकिशोर पुलिस के बड़े अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर लगा चुका था, लेकिन उस की शिकायत दर्ज कर उसे केवल आश्वासन ही दिया जा रहा था.

पुलिस की हीलाहवाली से परेशान हो कर नंदकिशोर ने मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज करा दी. शिकायत की जांच हेतु जब रांझी पुलिस थाने के टीआई पर दबाव पड़ा तो टीआई आर.के. मालवीय ने खुशबू को तलाश करने के बजाय नंदकिशोर को थाने में तलब किया.

टीआई ने नंदकिशोर को 2 दिन के भीतर खुशबू को खोज निकालने का भरोसा दिला कर उस पर दबाव बना कर शिकायत वापस करवा ली.

2 दिन बाद नंदकिशोर जब पुलिस स्टेशन गया तो टीआई बेकाबू हो कर बोले, ‘‘पुलिस के पास बहुत सारे काम हैं, एक अकेली तुम्हारी लड़की को खोजने नहीं बैठे रहेंगे.’’

पुलिस के इस व्यवहार से नंदकिशोर बहुत दुखी हुआ. अपनी बेटी के बारे में पता लगाने के लिए नंदकिशोर पिछले 3 महीनों में 50 बार से अधिक रांझी थाने और 5 बार एसपी से मिल चुका था, परंतु उसे कोरे आश्वासन ही मिलते थे. जिस से वंशकार समाज के लोग लामबंद हो कर पुलिस की इस लापरवाही पर आक्रोशित थे.

इस के बाद टीआई आर.के. मालवीय का तबादला कर दिया गया और रांझी पुलिस थाने की कमान तेजतर्रार टीआई विजय परस्ते को सौंप दी गई. टीआई विजय परस्ते ने एएसआई रामकुमार मार्को की मदद से पूरे केस की फिर से पड़ताल शुरू कर दी.

टीआई विजय परस्ते के निर्देश पर पुलिस टीम ने लापता खुशबू के प्रेमी आकाश की निगरानी शुरू कर दी. उस की हर गतिविधि पर कड़ी नजर रखी जा रही थी.

इधर चारों तरफ से घोर निराशा मिलने के बाद नंदकिशोर ने वकील से मिल कर जबलपुर हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगा दी. हाईकोर्ट ने इस मामले में दखल दे कर जबलपुर एसपी को खुशबू को खोजने का आदेश दिया तो एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा ने प्रकरण में क्राइम ब्रांच को भी लगा दिया.

पूरे मामले में शुरू से ही आकाश बेन पहला संदेही था. क्राइम ब्रांच और रांझी पुलिस ने 23 सितंबर, 2021 की रात को आकाश को थाने में बुला कर जब सख्ती से पूछताछ की तो वह टूट गया. पुलिस पूछताछ में दिल दहला देने वाली कहानी सामने आई.

रांझी के बजरंग नगर के गंगा मैया इलाके में रहने वाला सूरज बेन व्हीकल फैक्ट्री के मेस में खानसामा था. उस के 2 बेटे आकाश और प्रकाश थे. 24 साल का आकाश कुछ समय पहले रिछाई के इंडस्ट्रियल एरिया में एक इंजेक्शन बनाने वाली फार्मा कंपनी में काम करता था.

बाद में अपने पिता सूरज बेन के कहने पर वह उस के साथ ही व्हीकल फैक्ट्री के मेस में वेटर का काम करने लगा. लौकडाउन के चलते व्हीकल फैक्ट्री का मेस जब बंद हो गया तो आकाश का काम छूट गया.

लौकडाउन खत्म होने के बाद वह काम की तलाश में राइस मिल गया तो उसे हम्माल का काम मिल गया. राइस मिल में चावल के बोरे काटने, भरने और सिलने का काम करने वाले मजदूरों को हम्माल कहा जाता है. आकाश मैट्रिक तक ही पढ़ा था, लेकिन वह फैशनपरस्त लड़का था.

पिता की आमदनी भी परिवार के लिए ऊंट के मुंह में जीरा के बराबर थी, इस वजह से आकाश ने हम्माली के काम को शौक से अपना लिया था.

आकाश और खुशबू दसवीं कक्षा तक जबलपुर के स्कूल में साथसाथ ही पढ़े थे और दोनों के परिवारों की आपस में नजदीकियां थीं.

रोज ही उन का एकदूसरे के घरों में आनाजाना लगा रहता था. इसलिए उन के मेलजोल पर किसी को ऐतराज भी नहीं था.

स्कूल में हुई बचपन की दोस्ती जवां होते ही कब प्यार में बदल गई, दोनों को पता ही नहीं चला. दोनों एकदूसरे को दिलोजान से चाहने लगे. आकाश और खुशबू के घरवाले भी उन की परवान चढ़ती मोहब्बत से अंजान नहीं थे.  आकाश अकसर ही खुशबू को बाइक से शहर घुमाने ले जाता था. जबलपुर शहर के पार्क में घंटों वे बांहों में बांहें डाल अपने प्यार की पींगें बढ़ाने लगे थे. दोनों को जब भी एकांत मिलता तो आकाश खुशबू के होंठों को चूमते हुए कहता, ‘‘खुशबू, मैं तुम्हें अपनी जान से भी ज्यादा चाहता हूं और जल्दी ही तुम से शादी करना चाहता हूं.’’

आकाश खुशबू की हर ख्वाहिश का ध्यान रखता था. वह उसे घुमानेफिराने के साथ उसे नए कपड़े गिफ्ट करता था. यही वजह थी कि खुशबू भी आकाश की दीवानी थी.

पिछले साल मार्च 2020 में कोरोना महामारी के चलते जब लौकडाउन हुआ तो आकाश की फैक्ट्री बंद हो गई और उसे पैसे की तंगी होने लगा.

आकाश खुशबू की फरमाइशें पूरी नहीं कर पा रहा था. घूमनेफिरने की आदी और स्मार्टफोन की शौकीन खुशबू सोशल मीडिया के जरिए दूसरे लड़कों से नजदीकियां बढ़ाने लगी तो खुशबू के पिता नंदकिशोर और उस की पत्नी बेटी की इन हरकतों से परेशान रहने लगे.

मोहल्ले में नंदकिशोर की बदनामी होने लगी तो उस ने घमापुर में रहने वाले दिनेश नाम के लड़के से खुशबू की शादी तय कर दी. जून महीने में खुशबू की शादी होने वाली थी. खुशबू भी इस रिश्ते को ले कर अब गंभीर हो गई थी.

बेवफाई रास न आई : परिवार बना प्रेमी का हत्यारा – भाग 2

मौकेमुआयने के दौरान पुलिस को वहां कारतूस का एक खाली खोखा भी मिला. संतोष के पास मोबाइल फोन था, जो उस के पास नहीं मिला. इस का मतलब था कि हत्यारे उस का मोबाइल अपने साथ ले गए थे. बहरहाल, पुलिस ने कागजी काररवाई कर के लाश पोस्टमार्टम के लिए सरकारी अस्पताल भिजवा दी.

पुलिस ने मृतक के पिता हरिदास यादव की तहरीर पर अज्ञात हत्यारों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया. थानाप्रभारी चंद्रभान यादव ने सब से पहले संतोष के फोन नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई.

काल डिटेल्स खंगाली तो पता चला कि संतोष के सेलफोन पर 30 दिसंबर, 2017 की सुबह आखिरी काल आजमगढ़ के छितौना गांव की रहने वाली ज्योति यादव की आई थी. पुलिस ने ज्योति को पूछताछ के लिए थाने बुला लिया. ज्योति से पूछताछ में पुलिस को पता चला कि वह मृतक संतोष यादव की प्रेमिका थी.

पुलिस ने जब ज्योति से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने संतोष की हत्या की पूरी कहानी बता दी. उस ने कहा कि संतोष को उस ने ही फोन कर के गांव से बाहर अरहर के खेत में मिलने के लिए बुलाया था. वहां पहले से छिपे बैठे उस के घर वालों ने उसे मौत के घाट उतार दिया. पुलिस ने वारदात में शामिल अन्य आरोपियों की तलाश में दबिश दी तो वे सभी अपने घरों से गायब मिले.

पुलिस ने सिपाही संतोष यादव हत्याकांड का खुलासा 60 घंटों में कर दिया था. ज्योति से विस्तार से पूछताछ की गई तो उस ने अपने प्रेमी की हत्या की जो कहानी बताई, वह रोमांचित कर देने वाली थी—

22 वर्षीया ज्योति उर्फ रजनी मूलरूप से आजमगढ़ के अहरौला थाने के छितौना गांव के रहने वाले रामकिशोर यादव की बेटी थी. 3-4 भाईबहनों में वह दूसरे नंबर की थी. रामकिशोर यादव की खेती की जमीन थी, उसी से वह अपने 6 सदस्यों के परिवार की आजीविका चलाते थे. सांवले रंग और सामान्य कदकाठी वाली ज्योति बिंदास स्वभाव की थी. वह एक बार किसी काम को करने की ठान लेती तो उसे पूरा कर के ही मानती थी.

ज्योति ने 12वीं तक पढ़ाई के बाद आगे की पढ़ाई नहीं की. आगे की पढ़ाई में उस का मन नहीं लग रहा था. हालांकि मांबाप ने उसे आगे पढ़ाने की कोशिश की, लेकिन उन की कोशिश बेकार गई थी.

ज्योति जिस स्कूल में पढ़ने जाया करती थी, उस स्कूल का रास्ता शंभूपुर दमदियावन गांव हो कर जाया करता था. ज्योति सहेलियों के साथ इसी रास्ते से हो कर आतीजाती थी. इसी गांव का रहने वाला संतोष कुमार यादव ज्योति के स्कूल आनेजाने वाले रास्ते में खड़ा हो जाता और उसे बड़े गौर से देखता था. ज्योति भले ही सांवली थी, लेकिन उस में गजब का आकर्षण था. यही आकर्षण संतोष को उस की ओर खींच रहा था.

संतोष ने ज्योति के बारे में जानकारी हासिल की तो पता चला कि वह पड़ोस के गांव छितौना के रहने वाले रामकिशोर यादव की बेटी है और उस का नाम ज्योति है. ज्योति के बारे में सब कुछ पता लगाने के बाद संतोष उस के पीछे पागल दीवानों की तरह घूमने लगा.

ज्योति के घर से स्कूल जाते समय और स्कूल से लौटते समय वह गांव के बाहर खड़ा हो कर उस का इंतजार करता था. ज्योति ने संतोष की प्रेमिल नजरों को पढ़ लिया था. वह जान चुकी थी कि संतोष उस से बेपनाह मोहब्बत करता है. इस के बाद ज्योति के दिल में भी संतोष के प्रति चाहत पैदा हो गई.

ज्योति और संतोष दोनों एकदूसरे को चाहने जरूर लगे थे, लेकिन अपनी मोहब्बत का इजहार नहीं कर पा रहे थे. एक दिन ज्योति घर से स्कूल के लिए अकेली निकली. संतोष पहले से ही गांव के बाहर एक सुनसान जगह पर खड़ा उस का इंतजार कर रहा था.

जब उस ने देखा कि ज्योति अकेली है तो उस ने पक्का मन बना लिया कि कुछ भी हो जाए, आज उस से अपने दिल की बात कह कर ही रहेगा. ज्योति उस के नजदीक पहुंची तो संतोष उस के सामने आ कर खड़ा हो गया.

ज्योति के दिल की धड़कनें भी तेज हो गईं. जब वह रिलैक्स हुई तो संतोष बोला, ‘‘ज्योति, मैं तुम से कुछ कहना चाहता हूं.’’

ज्योति कुछ बोले बिना साइड से निकल कर आगे बढ़ गई.

‘‘रुक जाओ ज्योति, एक बार मेरी बात सुन लो, फिर चली जाना.’’ वह बोला.

‘‘जल्दी बताओ, क्या कहना चाहते हो. किसी ने देख लिया तो जान पर बन आएगी.’’ ज्योति घबराई हुई थी.

‘‘नहीं, मैं तुम्हारी जान पर आफत नहीं आने दूंगा.’’ संतोष ने कहा.

‘‘क्या मतलब?’’ ज्योति चौंक कर बोली.

‘‘यही कि आज से इस जान पर मेरा अधिकार है.’’

‘‘होश में तो हो तुम, क्या बक रहे हो, कुछ पता भी है.’’ ज्योति ने हलके गुस्से में कहा.

‘‘मुझे पता है कि तुम पड़ोस के गांव छितौना के रामकिशोर यादव की बेटी हो,’’ संतोष कहता गया, ‘‘जानती हो, जिस दिन से मैं ने तुम्हें देखा है, अपनी सुधबुध खो बैठा हूं. न दिन में चैन मिलता है और रात को नींद आती है. बस तुम्हारा खूबसूरत चेहरा मेरी आंखों के सामने घूमता रहता है. मैं तुम से इतना प्यार करता हूं कि अब मैं तुम्हारे बिना नहीं जी पाऊंगा.’’

‘‘लेकिन मैं तो तुम से प्यार नहीं करती.’’ ज्योति ने तुरंत कहा.

‘‘ऐसा मत कहो ज्योति, वरना मैं सचमुच मर जाऊंगा.’’ संतोष गिड़गिड़ाया.

‘‘ठीक है तो मर जाओ, किस ने रोका है.’’ कहती हुई ज्योति होंठ दबा कर मुसकराती हुई स्कूल की ओर बढ़ गई. संतोष तब तक उसे निहारता रहा, जब तक वह उस की आंखों से ओझल नहीं हो गई. ज्योति की तरफ से कोई सकारात्मक उत्तर न पा कर वह मायूस हो कर घर लौट आया.

ज्योति ने संतोष के मन की टोह लेने के लिए अपने मन की बात जाहिर नहीं की थी, जबकि वह संतोष से दिल की गहराई से प्रेम करने लगी थी. ज्योति का नहीं में उत्तर सुन कर संतोष को रात भर नींद नहीं आई, इसलिए अगले दिन वह फिर उसी जगह जा कर खड़ा हो गया था, जहां उस की ज्योति से मुलाकात हुई थी.

जिम ट्रेनर की आखिरी ट्रेनिंग : सृष्टि ने कैसे जितेंद्र को निपटाया – भाग 3

हरियाणा की ओर से खेलते हुए जितेंद्र ने देशविदेश की कई प्रतियोगिताओं में स्वर्णपदक जीते. उस ने उज्बेकिस्तान, क्यूबा, फ्रांस और रूस की कई चैंपियनशिप के जूनियर वर्ग में भारत की अगुवाई की.

जितेंद्र मान की उपलब्धियों का ही नतीजा था कि उसे फौज में नौकरी मिल गई. भरती के समय सेनाधिकारियों ने मान को आश्वस्त किया था कि जल्द ही उसे प्रमोशन दे कर हवलदार बना दिया जाएगा.

मान ने सेना के लिए कई बार मैडल जीते. कई साल बीतने के बावजूद पदोन्नति नहीं मिली तो 2 साल पहले मान नौकरी छोड़ कर घर आ गया. फिर वह प्रीतम के जिम में ट्रेनर के रूप में काम करने लगा.

पूर्व फौजी था जितेंद्र मान

मार्च, 2017 में सृष्टि ने प्रीतम की अल्टीमेट फिटनैस एकेडमी जौइन की. खूबसूरत होने के साथसाथ जितेंद्र मान का व्यक्तित्व भी आकर्षक था. जितेंद्र और सृष्टि की ऐसी दोस्ती बढ़ी कि दोनों जिम के बाहर भी मिलने लगे.

सृष्टि से मिलने के लिए जितेंद्र उस के घर तक पहुंचने लगा. एक दिन दोपहर में मान सृष्टि के घर आया तो उस ने कौफी बनाई. सृष्टि ने कौफी के दोनों कप मेज पर रख दिए. तभी मान ने उस से पानी मांगा. सृष्टि पानी लेने गई. तभी मौका देख कर मान ने उस की कौफी में नशे की गोली मिला दी. कौफी पीते ही सृष्टि अर्द्धबेहोश हो गई. इस के बाद मान ने उस के साथ शारीरिक संबंध बनाए तो ही, उस की वीडियो क्लिप भी बना ली.

उसी अश्लील वीडियो क्लिप के जरिए वह सृष्टि को ब्लैकमेल कर के उस का शारीरिक ही नहीं बल्कि आर्थिक शोषण भी करने लगा. यह बात सृष्टि ने इमरान को भी बता दी. उस ने इमरान से कहा कि जो पैसे तुम मुझे देते हो, उन में से आधे तो मान ऐंठ लेता है. उस ने इमरान को पूरी बात बता कर कहा कि वह किसी भी तरह जितेंद्र मान से पीछा छुड़ाना चाहती है.

इमरान कुछ देर सोचने के बाद बोला, ‘‘सृष्टि अवैध संबंध ऐसा खेल है, जिस में किसी न किसी को मरना पड़ता है.’’

यह सुन कर सृष्टि के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं. उस ने कहा, ‘‘इमरान, क्या तुम मुझे मार दोगे?’’

‘‘अगर तुम अपनी मरजी से मान के साथ मौजमस्ती कर रही हो तो मैं तुम्हें बेहिचक मार दूंगा.’’ इमरान ने जिंदगी और मौत के खेल में उसे भी शामिल करते हुए कहा, ‘‘और हां, अगर तुम वाकई मान की ब्लैकमेलिंग का शिकार हो रही हो तो तुम्हें ही उस का कत्ल करना होगा.’’

‘‘इमरान, मैं मान से बहुत परेशान हूं. मैं उस से वाकई निजात पाना चाहती हूं.’’ वह बोली.

‘‘तो ठीक है, तुम उसे निपटा दो. इस काम में मैं तुम्हारी मदद करने को तैयार हूं.’’ इमरान ने कहा.

इमरान ने रची थी साजिश

इस के बाद इमरान ने अपने ड्राइवर नफीस और सृष्टि को बिठा कर एक योजना बनाई. योजना के अनुसार, इमरान ने कहीं से एक पिस्तौल ला कर सृष्टि को दे दी और उसे पिस्तौल चलाना सिखा भी दिया. 9 जनवरी, 2018 को इमरान ने सृष्टि से जितेंद्र मान को फोन कराया.

सृष्टि ने उस से प्यार भरी बातें करते हुए कहा, ‘‘मान, कल मैं बिलकुल खाली हूं, इसलिए चाहती हूं कि कल कुछ खास एंजौय किया जाए.’’

‘‘बताओ जानेमन, तुम क्या चाहती हो?’’ मान बोला.

‘‘मैं चाहती हूं कि कल मैं तुम्हारे फ्लैट पर आ जाऊं. वहीं वोदका पिएंगे.’’ सृष्टि ने कहा.

‘‘ठीक है, तुम आ जाना. मैं इंतजार करूंगा.’’ जितेंद्र मान बोला.

जितेंद्र अपने भाई प्रीतम के एवीजे हाइट्स सोसाइटी स्थित फ्लैट में रहता था. 10 जनवरी, 2018 को सृष्टि एवीजे हाइट्स सोसाइटी पहुंच गई, जहां मान उस का इंतजार कर रहा था.

मान ने उस का बड़ी गर्मजोशी से स्वागत किया. फिर उस के और सृष्टि के बीच खानेपीने का दौर चला. बाद में मान ने अपनी हसरतें भी पूरी कर लीं. इस के बाद सृष्टि ने मान से अश्लील क्लिपिंग डिलीट करने को कहा. इस पर मान ने कोई जवाब देने के बजाय उस की तरफ पीठ घुमा ली.

सृष्टि को समझ में आ गया कि वह क्लिपिंग डिलीट नहीं करेगा. उस ने अपने बैग से पिस्तौल निकाली और एकएक कर के उसे 4 गोलियां मारीं. कुछ ही देर में मान की मौत हो गई. सृष्टि ने लाश को चित कर के उसे कंबल ओढ़ा दिया.

इस के बाद सृष्टि ने मान के मोबाइल से जिम वाले फोन पर मैसेज किया, ‘‘मैं जरूरी काम से बाहर जा रहा हूं. शाम को जिम नहीं आऊंगा.’’

सृष्टि ने होशियारी तो बहुत की पर फंस ही गई

सृष्टि अपने साथ एक जोड़ी कपड़े ले कर गई थी. पहने हुए कपड़ों पर खून लग गया था, अत: बाथरूम में जा कर उस ने अपने कपड़े बदले. फिर फ्लैट को बाहर से बंद कर के चाबी पर्स में डाली और चेहरे पर स्कार्फ बांध कर सोसायटी से बाहर निकल आई. वहां से वह डीएलएफ मौल पहुंची, जहां इनोवा कार में इमरान व ड्राइवर नफीस उस का इंतजार कर रहे थे.

सृष्टि ने एक चालाकी यह भी की थी कि वह अपने दोनों मोबाइल नफीस के पास ही छोड़ गई थी. नफीस उस के मोबाइल ले कर दिलशाद गार्डन होता हुआ दुर्गापुरी चौक पहुंच गया था.

तभी योजनानुसार इमरान ने अपने फोन से सृष्टि के फोन पर 2 बार काल की, जो नफीस ने रिसीव कर ली थी. यह इन्होंने इसलिए किया था, ताकि वारदात के समय सृष्टि के फोन की लोकेशन घटनास्थल के बजाय कहीं दूसरी जगह की आए.

सृष्टि से पूछताछ के बाद पुलिस ने उस के प्रेमी इमरान व उस के ड्राइवर नफीस को भी गिरफ्तार कर लिया. इमरान की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त पिस्तौल भी बरामद कर ली. लेकिन जितेंद्र का मोबाइल फोन बरामद नहीं हो सका. वह मोबाइल उस ने दनकौर नहर में फेंक दिया था.

इस के बाद इमरान और नफीस से भी उन्होंने पूछताछ की. तीनों अभियुक्तों को सीजेएम गौतमबुद्धनगर की अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

प्रेमिका नहीं थी वो : आशुतोष के लिए कैसे खतरा बन गई विभा

विभा केवट की उम्र 24 साल थी. सामान्य कदकाठी की विभा देखने में सुंदर होने के साथ पढ़नेलिखने में भी होशियार थी. चूंकि उस के घर की माली हालत अच्छी नहीं थी इसलिए पिछले 2 सालों से वह फैमिली दंत चिकित्सालय में अटेंडेंट की नौकरी कर रही थी.

सतना के धावरी स्थित कलैक्ट्रेट रोड पर यह दंत चिकित्सालय डा. आशुतोष त्रिपाठी का था. विभा का घर मल्लाह मोहल्ले में था. वह हर रोज सुबह 8 बजे घर से क्लीनिक के लिए निकल जाती थी और पेशेंट देखने में डा. आशुतोष की मदद करती थी.

दोपहर में वह लंच करने के लिए घर लौटती. लंच के बाद फिर वापस क्लीनिक में लौट आती थी. रात के 8 बजे डा. आशुतोष त्रिपाठी क्लीनिक बंद कर के कार से पहले विभा को उस के घर के पास छोड़ता फिर अपने घर जाता था. यह विभा की रोज की दिनचर्या थी.

नौकरी में अपना अधिकतर समय देने के बाद भी विभा पढ़ाई के लिए समय निकाल लेती थी. उस का सपना एलएलबी कर के वकील बनने का था. वह एक प्राइवेट कालेज से एलएलबी कर रही थी.

चूंकि घर की हालत सही न होने के कारण वह अपनी पढ़ाई के खर्चों को पूरा करने में असमर्थ थी. इसलिए पिछले 2 सालों से इस क्लीनिक में नौकरी कर रही थी. वह अपने काम से खुश थी और जिंदगी सामान्य ढर्रे पर चल रही थी.

पिछले साल 14 दिसंबर को वह रोज की तरह घर से ड्यूटी पर गई थी. दोपहर के समय वह घर आई और लंच कर के वापस ड्यूटी पर लौट गई. उस रात नौ बजे तक वह घर नहीं लौटी तो उस के पिता रामनरेश केवट और मां रमरतिया की आंखों में परेशानियों के बादल घुमड़ने लगे. उस का मोबाइल फोन भी स्विच्ड औफ था. उन के मन में तरह तरह के बुरे खयाल आ रहे थे.

रात भर इंतजार के बाद सुबह भी विभा घर नहीं लौटी तो क्लीनिक खुलने के समय दोनों डाक्टर से मिलने उस के क्लीनिक जा पहुंचे. डा. आशुतोष क्लीनिक में पेशेंट देख रहे थे. बुरी तरह परेशान रामनरेश केवट ने जब डा. आशुतोष से बेटी के बारे में पूछा तो उस ने विभा के घर नहीं पहुंचने पर हैरानी जाहिर करते हुए कहा कि कल शाम विभा ने उस से पगार के छह हजार रुपए लिए और कुछ जरूरी काम से बाहर जाने की बात कह कर चली गई थी. लगता है, उस ने कहीं दूसरी जगह काम पकड़ लिया है. चिंता न करो वह कुछ दिनों में खुद ही घर लौट आएगी.

रामनरेश और रमरतिया वहां से घर लौट आए और बारबार विभा के मोबाइल पर काल कर उस से संपर्क साधने का प्रयास करते रहे. लेकिन बीती रात से ही उस का मोबाइल स्विच्ड औफ आ रहा था. रामनरेश ने अपने सभी रिश्तेदारों से फोन कर पूछा, लेकिन निराशा ही हाथ लगी.

बाद में रामनरेश ने फिर डा. आशुतोष त्रिपाठी से विभा के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि विभा ने उस के यहां से नौकरी छोड़ दी है. वह तुम लोगों से नाराज है और किसी दूसरी जगह पर कमरा ले कर रहने लगी है. उस ने अपना फोन नंबर भी बदल लिया है. विभा ने कहां पर कमरा लिया है इस की जानकारी उसे नहीं है.

बेटी के अलग रहने की बात रामनरेश और रमरतिया के गले से नहीं उतरी. फिर भी उन्होंने बेटी की तलाश में शहर का चप्पाचप्पा छान मारा लेकिन वह उस का पता लगाने में नाकामयाब रहे. किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि उसे जमीन निगल गई या आसमान खा गया.

दरअसल, विभा के मातापिता को ऐसा लग रहा था जैसे डाक्टर को विभा के बारे में जानकारी है और वह शायद बाद में विभा के बारे उन्हें बता देगा.

विभा की तलाश करतेकरते डेढ़ महीने गुजर जाने के बाद भी जब उस का पता नहीं चला तो रमरतिया ने एक फरवरी, 2021 को धवारी की सिटी कोतवाली में बेटी की गुमशुदगी दर्ज करा दी और पुलिस अधिकारियों से उसे तलाश करने की गुहार लगाई.

सिटी कोतवाली इंसपेक्टर अर्चना द्विवेदी ने 24 वर्षीय युवती विभा केवट के गायब होने के मामले को गंभीरता से लिया. वह इस की जांच में जुट गईं.

इंसपेक्टर अर्चना द्विवेदी ने विभा के मातापिता से उस के गायब होने के बारे में विस्तार से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि 14 दिसंबर की सुबह विभा डा. आशुतोष के क्लीनिक में ड्यूटी पर गई थी. जहां डाक्टर के अनुसार उस ने शाम तक ड्यूटी की.

इस के बाद वह डाक्टर से 6 हजार रुपए लेने के बाद कहीं दूसरी जगह रहने चली गई. उस ने अपना मोबाइल नंबर भी बदल लिया था.

यह जानकारी मिलने के बाद इंसपेक्टर अर्चना द्विवेदी ने डा. आशुतोष त्रिपाठी को कोतवाली बुला कर उस से विभा केवट के बारे में पूछताछ की. थोड़ी पूछताछ के बाद डा. आशुतोष को घर जाने की इजाजत मिल गई.

लेकिन डाक्टर के बारबार बदले बयानों को ले कर इंसपेक्टर अर्चना द्विवेदी को उस पर संदेह हो गया था. उन्होंने डा. आशुतोष त्रिपाठी और विभा के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवा कर देखी तो पता चला कि विभा ने आखिरी बार 14 दिसंबर को डा. आशुतोष त्रिपाठी से 750 सेकंड बातें की थीं.

इस के बाद उस का मोबाइल स्विच्ड औफ हो गया था, जो फिर औन नहीं हुआ था. इस का मतलब था कि विभा के गायब होने का राज डा. आशुतोष को मालूम था.

इंसपेक्टर अर्चना द्विवेदी ने डा. आशुतोष त्रिपाठी को दोबारा थाने बुला कर मनोवैज्ञानिक तरीके से कुरेदना शुरू किया तो वह ज्यादा देर तक नहीं टिक सका.

उस ने विभा के बारे में जो कुछ बताया उसे सुन कर अर्चना द्विवेदी आश्चर्यचकित रह गईं. उस ने बताया कि दरअसल विभा का कत्ल हो चुका है और उस की लाश एक गड्ढे में दबा दी गई थी.

कत्ल की बात पता चलते ही इंसपेक्टर अर्चना द्विवेदी ने डा. आशुतोष को गिरफ्तार कर लिया और इस की सूचना सतना के एसपी (सिटी) विजय प्रताप सिंह को दी.

20 फरवरी, 2021 शनिवार को एसपी (सिटी) विजय प्रताप सिंह, तहसीलदार अनुराधा सिंह, नायब तहसीलदार हिमांशु भलवी, यातायात थानाप्रभारी राजेंद्र सिंह राजपूत और इंसपेक्टर अर्चना द्विवेदी आरोपी डा. आशुतोष के साथ घटनास्थल पर पहुंचे जहां पर विभा की लाश एक गड्ढे में दबी थी.

मिल गई विभा की लाश

डा. आशुतोष की निशानदेही पर नगर निगम के श्रमिकों की मदद से गड्ढे की खुदाई की गई तो कुछ देर खुदाई के बाद उस में से एक कुत्ते की लाश निकली. कुत्ते की लाश को बाहर निकालने के बाद थोड़ी और खुदाई की गई तो वहां एक युवती की लाश दिखाई पड़ी.

लाश को बाहर निकाला गया. लाश के गले में एक दुपटटा तथा कमर के नीचे लोअर मौजूद था. रामनरेश केवट और उस की पत्नी रमरतिया को लाश दिखाई गई तो दोनों ने कपड़ों के आधार पर उस की पहचान अपनी बेटी विभा केवट के रूप में की.

शिनाख्त हो जाने के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी गई. डा. आशुतोष के बयान और पुलिस की तहकीकात के आधार पर विभा केवट हत्याकांड के पीछे एक सनसनीखेज कहानी उभर कर सामने आई—

सतना के धावरी इलाके में चांदमारी रोड, मंगल भवन के पीछे अंग्रेजी के शिक्षक नरेंद्र त्रिपाठी अपने परिवार के साथ रहते थे. वह राजकीय कन्या विद्यालय, धावरी में नौकरी करते हैं. उन के 2 बेटे हैं. बड़ा बेटा अभिषेक त्रिपाठी छत्तीसगढ़ के रायपुर शहर स्थित एक रियल एस्टेट फर्म में बतौर फाइनेंस मैनेजर कार्यरत है. दूसरा बेटा आशुतोष डेंटिस्ट है. 2 साल पहले आशुतोष को अपने क्लीनिक के लिए एक अटेंडेंट की जरूरत थी.

मल्लाह मोहल्ले में रहने वाले रामनरेश केवट की दूसरी बेटी विभा को जब इस नौकरी बारे में पता चला तो उस ने डा. आशुतोष से मिल कर उस के यहां काम करने की इच्छा जाहिर की. डा. आशुतोष ने विभा को क्लीनिक से संबंधित जरूरी कामकाज के बारे में समझाते हुए जब सैलरी के बारे में उसे बताया तो उस ने वहां काम करने के लिए हामी भर दी. यह बात सन 2018 की थी.

डा. आशुतोष ने विभा को क्लीनिक से संबंधित सभी बातों को समझने के बाद यह भी समझा दिया कि वहां आने वाले पेशेंट से किस प्रकार व्यवहार करना है. फिर उसे अपना मोबाइल नंबर देते हुए कहा कि अगर उस की अनुपस्थिति में उसे कोई भी मुश्किल आए तो मुझे कभी भी काल कर सकती हो. उसी समय विभा और डा. आशुतोष ने अपनेअपने मोबाइल में एक दूसरे के नंबर सेव कर लिए.

विभा तेजतर्रार युवती थी. थोड़े ही दिनों में वह सारा काम सीख गई. उस की कुशलता देख कर डा. आशुतोष भी खुश हुआ. विभा यहां काम पा कर पूरी तरह संतुष्ट थी. क्योंकि उस के प्रति डाक्टर का व्यवहार ठीक था. वह वेतन भी टाइम से दे देता था.

इस तरह धीरेधीरे समय का पहिया घूमता रहा. सालभर गुजर जाने के बाद डाक्टर आशुतोष और विभा आपस में काफी घुलमिल गए थे. पेशेंट की मौजूदगी में वे दोनों एक दूसरे से सिर्फ काम की ही बातें करते थे.

लेकिन जब वहां कोई नहीं होता तो वे हंसीमजाक से ले कर दुनियाजहान की बातें करते थे. बातों बातों में वक्त आसानी से कट जाता था. इसी दौरान डाक्टर आशुतोष ने मन ही मन विभा को पाने की योजना तैयार की और उस पर अमल करना आरंभ कर दिया.

अपनी योजना के तहत शाम को जब वह क्लीनिक बंद करता तो घर जाने से पहले विभा को उस के घर छोड़ने जाने लगा.

विभा डा. आशुतोष के इस बदले हुए व्यवहार के पीछे की चाल को नहीं भांप सकी. उस ने सोचा कि डा. आशुतोष खुश हो कर उस की मदद कर रहे हैं. कभीकभार वह विभा को घर छोड़ने से पहले किसी होटल या रेस्टोरेंट में ले जाता जहां खाने के दौरान वह विभा का दिल जीतने की कोशिश करता था.

विभा एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखती थी. जल्द ही वह उस की बातों में आ गई.

डा. आशुतोष ने जब ताड़ लिया कि विभा उस की इच्छा का विरोध नहीं करेगी तो एक दिन उस ने विभा को शादी करने का झांसा दे कर उस के साथ शारीरिक संबंध बना लिया. उस दिन के बाद विभा के प्रति डा. आशुतोष का व्यवहार एकदम बदल गया.

विभा को खुश रखने के लिए वह उसे महंगे तोहफे आदि देता रहता था. ताकि उस की जिस्मानी जरूरतों को पूरा करने में विभा आनाकानी न करे. अलबत्ता एक दिन विभा ने अपनी बड़ी बहन को आशुतोष से अपने अफेयर की बात बता दी और यह भी कहा कि कुछ दिनों के बाद डाक्टर उस से शादी कर लेगा.

इस पर उस की बहन ने उसे समझाते हुए कहा भी कि अमीर लोग गरीब घर की लड़की से शादी करने की बात अपना मतलब निकालने के लिए करते हैं. कहीं तुम आगे चलकर ठगी न जाओ, इसलिए जितनी जल्दी हो सके शादी कर लो.

बहन की बात सुन कर विभा ने उसे जवाब दिया कि उस का प्यार इतना कच्चा नहीं है कि डाक्टर उस से शादी का बहाना कर असानी से अपना मुंह फेर ले. उस वक्त कहने के लिए तो विभा ने बड़़े ही आत्मविश्वाश के साथ अपनी बड़ी बहन को जवाब दे दिया. लेकिन उसी दिन उस ने मन में ठान लिया कि वह डाक्टर से जल्द शादी करने को कहेगी.

विभा बन गई गले की हड्डी

इस के बाद जब भी आशुतोष विभा को शारीरिक संबंध बनाने के लिए राजी करने की कोशिश करता तो वह उस से पहले शादी करने की बात करती. इतना ही नहीं, जब भी दोनों क्लीनिक में अकेले होते वह उस से शादी करने का दबाव डालना शुरू कर देती थी.

आशुतोष एक बड़े परिवार से ताल्लुक रखता था. समाज में उस की अपनी अच्छीखासी हैसियत थी. उस ने तो केवल विभा के साथ मौजमस्ती करने के लिए उस से शादी की बात कही थी. वास्तव में उस ने दिल से कभी विभा से शादी के बारे में सोचा तक नहीं था. इसलिए जब विभा ने उस पर शादी का अधिक दबाव बनाना शुरू किया तो 14 दिसंबर, 2020 को आशुतोष ने बात बढ़ जाने पर विभा की गला घोंट कर हत्या कर दी.

उस समय क्लीनिक में उन दोनों के सिवा कोई नहीं था. विभा की हत्या करने के बाद आशुतोष ने उस की लाश एक बोरी में डाल कर क्लीनिक के अंदर ही एक कोने में रख दी. अगले दिन वह क्लीनिक में पेशेंट का इलाज करते हुए मन ही मन विभा की लाश को ठिकाने लगाने की तरकीब सोचता रहा. दोपहर के बाद उस ने कुछ मजदूरों को बुलाया और क्लीनिक के पीछे बारिश का गंदा पानी जमा करने की बात कह कर एक 6 फुट गहरा गड्ढा खुदवाया. रात को उस ने विभा की लाश गड्ढे में डाल कर उस के उपर नमक डाला फिर उस पर थोड़ी मिट्टी डाल दी.

इस के बाद कहीं से उस ने एक कुत्ते की लाश का इंतजाम किया. कुत्ते की लाश को उसी गड्ढे में डालने के बाद उस ने उस के उपर अच्छी तरह मिट्टी भर दी. कुत्ते की लाश गड्ढे में इसलिए डाली गई कि ताकि विभा की लाश की बदबू आसपास फैलने पर अगर लोग बदबू उठने का कारण पूछे तो वह सब को बता सके कि वहां कुत्ते की लाश दबाई गई है.

इस तरह विभा की लाश इस गड्ढे में दबी होने की बात उजागर नहीं होगी. लेकिन पुलिस को विभा की अंतिम काल और उस के मोबाइल फोन की लोकेशन के आधार पर आशुतोष के ऊपर शक हो गया.

जब उस से थोड़ी सख्ती बरती गई तो उस ने सारा सच उगल दिया. विभा की लाश का डीएनए टेस्ट कराने के लिए सैंपल भी सुरक्षित रख लिया गया ताकि तय हो सके कि लाश विभा की ही थी.

विभा की लाश की बरामदगी के बाद इस मामले में हत्या और साजिश की धारा 302, 201, जोड़ दी गई. पुलिस ने आशुतोष त्रिपाठी से पूछताछ करने के बाद उसे गिरफ्तार कर सतना की अदालत में पेश किया

गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

बेवफाई का बदनाम वीडियो : प्रेमी को सिखाया सबक – भाग 2

उन के बीच बातचीत का समय सोनू के घर से निकलने के ठीक बाद साढ़े 10 और 12 बजे के बीच का था. उस के अलावा सोनू की किसी और से बात नहीं हुई थी.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक सोनू की मौत दिन में करीब ढाई बजे हो चुकी थी. मधु के बारे में नारायण और गायत्री से अलगअलग पूछताछ की गई.

नारायण ने मधु के संबंध में इतना बताया कि वह उस की बहन की 20 वर्षीया अविवाहित ननद है. वह सिहोरा तहसील के ही मढ़ई गांव में अपने मांबाप और भाईबहनों के साथ रहती है.

गायत्री से पूछने पर उस ने मधु के बारे में जो बताया उस से जांच को आगे बढ़ाते हुए मामले को सुलझाने की खास कड़ी मिल गई. हालांकि गायत्री ने बताया कि उस के पति और मधु के बीच प्रेमसंबंध थे.

जबकि उस बारे में पति ने यह कहा था कि अब उन के बीच के सारे संबंध खत्म हो चुके हैं और मधु की भी शादी तय हो चुकी है.

पुलिस द्वारा बारबार गायत्री से सोनू के बारे में सवाल पूछे जा रहे थे. पुलिस को लग रहा था कि गायत्री कुछ बातें छिपा रही है. अंतत: वह अपनी पीड़ा ज्यादा समय तक छिपा नहीं पाई. एक बार पुलिस से गायत्री ने पूछ लिया, आखिर इस में उस की क्या गलती है?

उन्होंने पुलिस से कहा कि वह बेहद दुखी है. एक तरफ उस की उजड़ी हुई जिंदगी है, दूसरी तरफ घरपरिवार वाले उसे अपशकुन, कुलच्छनी और न जाने क्याक्या कह कर दोषी ठहरा रहे हैं.

उस ने अपने पति को मोबाइल ठीक करवाने को क्या कहा, वह सब के निशाने पर आ गई है. जबकि सच तो यह था उस ने ही मोबाइल ठीक कराने की जिद की थी.

कुछ लोग तो उसे भी पति की हत्या में शामिल बता रहे थे. गायत्री ने बेहद दुखी हो कर पुलिस को पूछताछ में बताया कि उस की भावनाओं और दु:ख को समझने वाला कोई नहीं है.

दरअसल, गायत्री दुखी होने के साथसाथ अज्ञात आशंका को ले कर बेचैन हो गई थी. उस के मन पर एक बोझ बना हुआ था, जो सोनू ही लाद गया था. अब उस के लिए उस राज को मन में दबाए रखना मुश्किल हो रहा था, जो सोनू ने बताए थे. इसे ले कर शादी के दूसरे दिन ही सोनू से उस की तब कहासूनी हो गई थी. जब उस ने मधु के बारे में पूछ लिया था.

जवाब में सोनू ने गुस्से में कह दिया था, ‘‘घर में आए एक दिन भी नहीं हुआ और जासूसी करने लगी हो?’’

इस का जवाब गायत्री ने सहजता से दिया था, ‘‘मधु कुछ देर पहले ही सबकुछ बता गई है.’’

‘‘क्या कहा उस ने?… और, और…! तुम ने उसे अपने पास आने कैसे दिया?’’ वह बोला.

‘‘क्यों? मैं भला उसे कैसे रोकती. वह आप की बहन की ननद है. हमारी रिश्तेदार है. उसे अपने पास नहीं बैठने देती तो परिवार वाले क्या कहते? ’’ गायत्री ने सफाई दी.

‘‘खैर, बताओ उस ने क्या कहा?’’ सोनू अब थोड़ा नरम पड़ गया था.

‘‘वह बहुत तेवर में मेरे साथ पेश आई थी. बातें गुस्से में करती हुई तुम से प्रेम करने की बात कह डाली.’’

यह सुन कर सोनू सन्न रह गया. गायत्री ने उसे बताया कि मधु उस के साथ किस तरह झगड़ा कर धमकियां देती हुई अपने घर गई. उस ने सोनू को यह भी बताया उसे हमारी शादी से उसे बेहद नाराजगी है.

उस ने तुम पर बेवफाई का आरोप लगाया था. तुम्हें उस ने धोखेबाज प्रेमी कहा था. उस का कहना था कि तुम ने उस से शादी का वादा किया था. तुम ने मुझ से शादी की इसलिए मैं भी अब उस की दुश्मन हूं.

सोनू और गायत्री की शादी के दूसरे दिन मधु को ले कर उन के बीच काफी नोकझोंक हुई. गायत्री ने सोनू को यहां तक कहा कि वह उस के बहन की ननद होने कारण चुप रही. उस के हर इलजाम को नजरंदाज किया.

खैर, सोनू ने गायत्री पर गुस्सा होने और मामले को आगे बढ़ने से रोकने के बजाय उस से माफी मांग ली. मधु से तमाम संबंध तोड़ने का वादा भी किया.

बातोंबातों में सोनू ने बताया कि अब वह उस की ब्लैकमेल का शिकार हो रहा है. कुछ चीज मधु के पास है, जिस की वजह से उस के तेवर बदले हुए हैं.

काफी पूछने पर भी सोनू ने उस राज के बारे में नहीं बताया और इसे अपने तक सीमित रखने की कसम खिलाई. ये सारी बातें गायत्री ने पूछताछ में पुलिस को भी बताईं.

पुलिस के लिए गायत्री द्वारा सोनू के साथ मधु के प्रेम संबंध की जानकारी हत्या की गुत्थी सुलझाने में काफी महत्त्वपूर्ण साबित हुई.

हालांकि एक तरफ गायत्री के हाथों में लगी मेहंदी का रंग फीका नहीं हुआ था कि उस की मांग का सिंदूर उजड़ गया था. उस के लिए सुहाग का जोड़ा 4 दिन की चांदनी बन कर रह गया था. शादी से पहले उस ने जो सपने देखे थे, वह रेत के महल साबित हुए.

एक पल में शादी की खुशियां और विवाहित जीवन के सभी अरमान चकनाचूर हो गए. जिस घर में कल तक ढोलक की थाप पर वैवाहिक गीत गूंज रहे थे, वहां चीखपुकार और  सिसकियां पसरी हुई थीं.

पति को खो चुकी गायत्री अपनी पीड़ा और परिजनों के ताने से काफी तनाव में थी. दूसरी तरफ पुलिस ने संदेह के आधार पर 12वीं तक पढ़ी मधु पटेल को भी पूछताछ के लिए थाने बुलावा लिया. उस से महिला पुलिस ने पहले बातों से अपने जाल में उलझाया और अलग अंदाज में पूछताछ की.

‘‘तुम सोनू को कब से जानती हो?’’

‘‘जब से उस की बहन की शादी मेरे भाई से हुई. 2 साल हो गए.’’ मधु बोली.

‘‘तुम सोनू से प्रेम करती हो?’’ पुलिस ने पूछा.

‘‘जी नहीं.’’ वह बोली.

‘‘लेकिन तुम उस से शादी करना चाहती थी.’’ पुलिस ने अगले सवाल किया.

‘‘किस ने बताया कि मैं उस से शादी करना चाहती थी?’’

‘‘तुम ने ही तो कहा है.’’ यह कहते हुए पूछताछ करने वाली महिला पुलिस अधिकारी ने उसे एक आडियो सुनाया. आडियो में मधु तेज आवाज में बोल रही थी ‘तुम ने मुझ से शादी नहीं की तो मैं सब को बरबाद कर दूंगी. देख लेना… तुम्हें भी नहीं छोडूंगी.’

‘‘यह धमकी तुम ने किसे दी थी, यह तुम बताओगी या मैं ही बताऊं.’’ पुलिस अधिकारी ने कहा.

‘‘बताती हूं, बताती हूं! लेकिन सोनू को मैं ने नहीं मारा.’’

‘‘अरे, मैं ने तो सोनू की हत्या के बारे में तुम से कुछ पूछा ही नहीं.’’

‘‘गलती हो गई मैडम.’’

‘‘अच्छा चलो, उस की हत्या के बारे में ही कुछ बता दो, जो तुम जानती हो. किस ने मारा उसे?’’

‘‘मुझे नहीं मालूम? मैं कुछ नहीं जानती.’’

‘‘उस की मौत का तुम्हें तो जरा भी दुख नहीं हुआ. तुम उस की विधवा पत्नी को ढांढस बंधाने भी नहीं गई.’’

‘‘मुझे कुछ नहीं मालूम… एक बार गायत्री से फोन पर बात करने की कोशिश की थी. बात नहीं हो पाई.’’

‘‘जिस दिन सोनू की हत्या हुई उस के 2 घंटे पहले उस ने केवल तुम से ही फोन पर बात की थी.’’

‘‘जी..जी… मैं कुछ नहीं जानती…’’

2 करोड़ की प्रेमिका : प्रेमी ही बना कातिल -भाग 2

मौडलिंग की दुनिया से निराश ज्योति एक बार में डांस का काम करने लगी. उसे भीमराव रोड स्थित एक बार में डांसर की नौकरी मिल गई थी. कमसिन ज्योति की अदाओं ने लोगों पर ऐसा जादू चलाया कि उस की एक थिरकन पर नोटों की बरसात होने लगती. इस के बाद उस ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा.

प्रीतेश अमीर बाप का बेटा था, पैसे के नशे में डूबा हुआ

गांव टिंबा के रहने वाले 30 वर्षीय प्रीतेश पटेल के पिता विदेश में रह कर नौकरी करते थे. विदेश की कमाई से ही उन्होंने करोड़ों की संपत्ति अर्जित की थी. गांव में प्रीतेश का जलवा था, उस के पास पैसों की कोई कमी नहीं थी. वह मांबाप का एकलौता बेटा था. मातापिता का जो कुछ भी था, उसी का था. इसलिए वह यारदोस्तों पर पानी की तरह पैसा बहाता था.

प्रीतेश शादीशुदा था. प्रीतेश के पिता जब भी विदेश से सूरत आते थे, उन्हें मुंबई एयरपोर्ट पर उतरना पड़ता था. मुंबई से प्रीतेश उन्हें अपनी स्विफ्ट डिजायर कार से टिंबा ले आता था. जब वह विदेश वापस जाते तब भी वह उन्हें मुंबई एयरपोर्ट तक छोड़ने जाता था.

प्रीतेश जब भी पिता को मुंबई पहुंचाने जाता, मनोरंजन के लिए बार डांस क्लब जरूर जाता. जब पहली बार उस ने स्टेज पर थिरकती ज्योति को देखा तो उस की कमसिन जवानी उस की आंखों में बस गई. छरहरे बदन की खूबसूरत ज्योति रंगीन रोशनी की लहरों के बीच किसी हूर सी लग रही थी. वह पहली ही नजर में प्रीतेश के दिल की गहराइयों में उतर गई. उस दिन तो वह घर वापस लौट आया, लेकिन उस दिन के बाद ज्योति के दीदार के लिए वह बुरी तरह छटपटाने लगा. सोतेजागते, उठतेबैठते उस की आंखों के सामने ज्योति का सलोना चेहरा नाचता रहता था.

प्रीतेश ज्योति के दीदार के लिए अकसर मुंबई आनेजाने लगा. वह बार में बैठा ज्योति को अपलक निहारता रहता. उस पर पानी की तरह पैसा बहाता. इस बीच ज्योति की निगाह जब भी प्रीतेश से टकराती, वह दांतों तले होंठ दबा कर मुसकरा देती. ज्योति कई दिनों से देख रही थी कि वह जब भी आता है तो उसे आशिकी भरी निगाहों से निहारता है.

ज्योति की कातिल निगाहों से घायल प्रीतेश पटेल ने बार डांसर का नाम पता किया. उस के बाद प्रीतेश ज्योति तक पहुंच गया. धीरेधीरे दोनों में परिचय हुआ. यह परिचय पहले दोस्ती में बदला, फिर यह दोस्ती प्यार में बदल गई. प्रीतेश जब मुंबई आता, ज्योति से जरूर मिलता. यही नहीं उस पर लाखों रुपए उड़ा देता.

महत्वाकांक्षी ज्योति बार डांसर थी. उसे किसी की भावनाओं से कोई सरोकार नहीं था. उस का दीनईमान केवल पैसा था. वह इतना पैसा कमाना चाहती थी कि जीवन ठाठ से गुजरे. प्रीतेश के रूप में उसे सोने का अंडा देने वाली मुर्गी मिल गई थी. वह जो भी फरमाइश करती, प्रीतेश उसे पूरी करने से पीछे नहीं हटता.

ज्योति और प्रीतेश को मिलते और एकदूसरे से प्यार करते करीब डेढ़ साल बीत गया. वह शादीशुदा था, यह अलग बात है. हालांकि उस ने ज्योति से कुछ नहीं छिपाया था. ज्योति को उस के शादीशुदा होने से कोई ऐतराज भी नहीं था. प्रीतेश की हकीकत जान कर पीछे हटने के बजाय वह उस पर और भी ज्यादा मरमिटने लगी थी.

प्रीतेश और ज्योति की प्रेम कहानी

एक दिन प्रीतेश ज्योति से मिलने मुंबई गया था. वह उसे ले कर काफी संजीदा था. उसे ले कर कई दिनों से उस के मन में एक सवाल उथलपुथल मचा रहा था. सवाल था उसे अपनी बनाने का. मौका देख कर आखिर उस ने अपने मन की बात ज्योति से कह दी, ‘‘ज्योति, तुम्हें लेकर मेरे मन में कई दिनों से एक सवाल उथलपुथल मचाए हुए है. मैं अपने मन की बात कह कर मन हल्का करना चाहता हूं.’’

‘‘तो कह डालो, मना किस ने किया है. मन की बात मन में रखने से मन और दिल दोनों पर बोझ बढ़ता है. समझे मिस्टर लल्लू.’’ ज्योति अदा के साथ बोली.

‘‘पता नहीं, मुझे ले कर तुम्हारे मन में कैसी फीलिंग होती है, पर मैं तुम्हें ले कर एकदम संजीदा हूं.’’ कहतेकहते प्रीतेश गंभीर हो गया.

‘‘यह तो तुम्हारी बातों से ही झलकता है. अब बता भी दो प्रीतेश, तुम क्या कहना चाहते हो?’’

‘‘मैं तुम से शादी करना चाहता हूं ज्योति. जब से तुम्हें देखा है, मेरी रातों की नींद और दिन का चैन सब हराम हो गया है. मैं तुम्हारे बिना जिंदा नहीं रह सकता.’’ हिम्मत जुटा कर प्रीतेश ने अपने मन की बात कह दी. उस की बात सुन कर ज्योति गंभीर हो गई.

वह कुछ नहीं बोली तो प्रीतेश ने आगे कहा, ‘‘जितना तुम से दूर जाने के बारे में सोचता हूं, उतना ही खुद को तुम्हारे करीब पाता हूं.’’ प्रीतेश की यह बात सीधे ज्योति के दिल में घर कर गई.

‘‘दोबारा ऐसा मत कहना.’’ ज्योति ने प्रीतेश के होंठों पर अंगुली रख दी, फिर बोली, ‘‘मैं भी तुम्हारे बिना जिंदा नहीं रह सकती प्रीतेश. बहुत प्यार करती हूं तुम से. लेकिन क्या है कि हमारे रास्ते में एक बाधा है.’’ ज्योति उस की आंखों में झांकते हुए बोली.

‘कैसी बाधा?’’

‘‘तुम यह भूल रहे हो कि घर में तुम्हारी पत्नी भी है. उस के रहते हम दोनों कभी एक नहीं हो सकते. उस का क्या करोगे तुम?’’

प्रीतेश ज्योति का चेहरा दोनों हाथों में समेट कर बोला, ‘‘तुम शादी करने के लिए तैयार हो तो मैं उसे तलाक दे दूंगा.’’

‘‘सच में तुम ऐसा कर सकते हो?’’

‘‘तुम्हें मेरी बातों पर यकीन नहीं है.’’

‘पूरा यकीन है. तुम जो कहते हो उसे करते भी हो. तुम्हारी यही अदा तो मुझे भा गई थी, जो तुम से दिल लगा बैठी.’’

‘‘वैसे भी वाइफ को मेरे और तुम्हारे रिश्तों के बारे में पता चल चुका है. इसे ले कर घर में हम दोनों के बीच आए दिन झगड़े होते हैं. मैं ने उसे साफ कह दिया है कि मैं तुम्हें तलाक दे कर ज्योति से शादी कर लूंगा.’’

‘‘तो ठीक है. बात जब यहां तक पहुंच चुकी है तो मैं तुम से शादी करने के लिए तैयार हूं. पर एक शर्त है?’’

‘‘कैसी शर्त?’’

‘‘यही कि तुम पहले उसे तलाक दोगे. फिर मैं तुम से शादी करूंगी.’’

‘‘ठीक है, मुझे तुम्हारी यह शर्त मंजूर है. मैं पत्नी से तलाक ले कर ही तुम से शादी करूंगा. लेकिन मेरी भी एक शर्त है, जिसे तुम्हें मानना होगा.’’

‘‘कैसी शर्त?’’

प्रेमी ने खोदी मोहब्बत की कब्र : भाग-1

मध्य प्रदेश की संस्कारधानी कहे जाने वाले जबलपुर शहर का उपनगरीय इलाका रांझी पूरे देश में व्हीकल फैक्ट्री के लिए जाना जाता है, जहां पर भारतीय सेना के उपयोग में आने वाले व्हीकल का निर्माण किया जाता है. रांझी के झंडा चौक के पास ही नंदकिशोर वंशकार का परिवार रहता है. नंदकिशोर की रांझी के बाजार में एक छोटी सी दुकान है, जिस में वह टूव्हीलर वाहनों के सीट कवर बनाने का काम करता है.

नंदकिशोर के परिवार में उस की पत्नी सुधा, 2 बेटे और 2 बेटियां खुशबू और आरजू थीं. 23 साल की बड़ी बेटी खुशबू मौडर्न खयालों की थी, जिसे सजनेसंवरने के साथ घूमनेफिरने का भी शौक था.

मई 2021 की 31 तारीख की बात थी. दोपहर के करीब डेढ़ बजे का समय था. खुशबू अपनी मां सुधा से बोली, ‘‘मम्मी लौकडाउन की वजह से कई दिनों से मैं घर से बाहर नहीं निकल पाई, इसलिए आज ब्यूटीपार्लर जा रही हूं.’’

सुधा बेटी की फितरत जानती थी इसी वजह से उस ने यह कहते हुए खुशबू को ब्यूटीपार्लर जाने की अनुमति दे दी कि जा तो रही है, लेकिन जल्दी घर आ जाना.

इस के बाद खुशबू इठलाती हुई ब्यूटीपार्लर जाने की बोल कर घर से निकल गई और सुधा खाना बनाने में व्यस्त हो गई.

रात के 8 बजे तक जब खुशबू घर नहीं लौटी तो सुधा परेशान हो गई. सुधा ने जब खुशबू के मोबाइल पर काल किया तो उस का फोन स्विच्ड औफ बता रहा था. उस ने अपनी छोटी बेटी आरजू को आसपास के घरों में खुशबू को खोजने के लिए भेज दिया.

इसी दौरान सुधा ने अपने पति नंदकिशोर को फोन कर कहा, ‘‘आप जल्दी घर आ जाइए, खुशबू दोपहर को ब्यूटीपार्लर गई थी, लेकिन अभी तक घर नहीं लौटी है.’’

यह सुन कर नंदकिशोर भी घबरा गया. वह पत्नी को तसल्ली देते हुए बोला, ‘‘चिंता मत करो, मैं जल्द ही घर पहुंच रहा हूं.’’

इधर आरजू आसपास के घरों में चक्कर लगा कर वापस आ गई थी, लेकिन खुशबू कहीं नहीं थी. करीब 9 बजे जैसे ही नंदकिशोर अपनी दुकान से घर पहुंचा तो सुधा बहुत घबराई हुई हालत में थी. वह बारबार नंदकिशोर से कह रही थी, ‘‘आप जल्दी से खुशबू का पता कीजिए. आजकल समय बहुत खराब है.’’

नंदकिशोर भी रोज ही लड़कियों के अपहरण और उन के साथ होने वाली जोरजबरदस्ती की घटनाएं सुनता रहता था, इसलिए वह भी किसी अज्ञात आशंका के चलते भयभीत हो गया. उस के मन में बुरेबुरे खयाल आने लगे.

नंदकिशोर ने अपने पड़ोसी को साथ ले कर रांझी इलाके के 4-5 ब्यूटीपार्लरों में जा कर खुशबू के बारे में पूछताछ की, लेकिन पता चला कि खुशबू किसी पार्लर में नहीं पहुंची थी. सुधा सब रिश्तेदारों को फोन लगा कर बेटी के बारे में पूछ चुकी थी. खुशबू के छोटे भाईबहन भी अपने घर के आसपास अपनी बहन की तलाश कर चुके थे, लेकिन कहीं से भी उस की कोई खबर नहीं मिल रही थी.

तब तक रात के 12 से ज्यादा का वक्त हो चुका था. थकहार कर नंदकिशोर अपने घर आ गया. घर में तो जैसे मातम छाया हुआ था. चिंता और भय के माहौल में जैसेतैसे पूरे परिवार ने रात काटी और सुबह होते ही नंदकिशोर अपनी पत्नी सुधा के साथ रांझी पुलिस स्टेशन पहुंच गया.

थाने में टीआई आर.के. मालवीय को पूरी जानकारी बताते हुए नंदकिशोर ने बेटी की गुमशुदगी की सूचना दर्ज कराई. सुधा रोरो कर टीआई मालवीय से बेटी को खोजने की गुहार लगा रही थी. टीआई आर.के. मालवीय ने खुशबू की फोटो, मोबाइल नंबर ले कर सूचना दर्ज करते हुए उन्हें भरोसा दिया, ‘‘आप चिंता न करें, पुलिस जल्द से जल्द आप की बेटी को खोज निकालेगी.’’

अगले ही दिन जबलपुर शहर से निकलने वाले समाचार पत्रों में खुशबू की फोटो के साथ उस की गुमशुदगी की सूचना छप चुकी थी. सोशल मीडिया में भी खुशबू के गुम होने का समाचार उस की फोटो के साथ जम कर वायरल हो चुका था.

नंदकिशोर का हर दिन अब अपनी दुकान का कामधंधा छोड़ कर बेटी की खोजखबर लेने में बीतने लगा था. इधर रांझी पुलिस ने आसपास के इलाकों में खुशबू की तलाश की.

खुशबू के घर वालों और पड़ोसियों से पूछताछ में पुलिस को पता चला कि खुशबू का आकाश बेन नाम के लड़के से प्रेम प्रसंग था. खुशबू के मोबाइल की काल डिटेल्स में भी 31 मई को करीब आधे घंटे तक उस की बातचीत आकाश से होने की जानकारी मिली. इस से पुलिस को पूरा भरोसा हो गया था कि खुशबू के अपहरण में आकाश बेन का ही हाथ होगा.

पुलिस ने जब आकाश को थाने बुला कर पूछताछ की तो उस ने खुशबू से प्रेम होने की बात तो कुबूल ली, परंतु उस ने पुलिस को बताया कि वह लौकडाउन के बाद से खुशबू से मिला तक नहीं है.

पुलिस ने लगातार आकाश से खुशबू के बारे में पूछताछ की, लेकिन हर बार वह भावुक हो कर पुलिस को यही कहता कि मैं भी खुशबू की तलाश में लगा हूं. मैं उस के बिना जिंदा नहीं रह सकता.

बेवफाई रास न आई : परिवार बना प्रेमी का हत्यारा – भाग 1

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के अहिरौली थानाक्षेत्र का एक गांव है शंभूपुर दमदियावन. इसी गांव में हरिदास यादव अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के 2 बेटे थे संतोष यादव और विनोद यादव. संतोष बड़ा था. अपनी मेहनत और लगन की बदौलत वह सन 2015 में उत्तर प्रदेश पुलिस में सिपाही के पद पर भरती हो गया था. उस की पहली पोस्टिंग चंदौली जिले के चकिया थाने में हुई थी. नौकरी लग जाने पर घर वाले भी बहुत खुश थे. जब लड़का कमाने लगा तो घर वालों ने उस का रिश्ता भी तय कर दिया.

30 दिसंबर, 2017 को उस का बरच्छा था, इसलिए वह एक सप्ताह की छुट्टी ले कर अपने गांव आया था. बरच्छा का कार्यक्रम सकुशल संपन्न हो गया था. अगली सुबह 8 बजे के करीब संतोष अपने 2 दोस्तों राहुल यादव और सुरेंद्र के साथ टहलते हुए गांव से बाहर की ओर निकला. शादी को ले कर राहुल और सुरेंद्र दोनों ही संतोष से हंसीमजाक कर रहे थे, तभी संतोष के मोबाइल पर किसी का फोन आ गया.

संतोष ने अपने मोबाइल स्क्रीन पर नजर डाली तो वह नंबर उस के किसी परिचित का निकला. काल रिसीव कर के उस ने उस से बात करनी शुरू की. अपने दोनों दोस्तों से वहीं रुकने और थोड़ी देर में लौट कर आने की बात कह कर वह वहां से चला गया. संतोष के इंतजार में राहुल और सुरेंद्र वहां काफी देर तक खड़े रहे. जब 2 घंटे बाद भी वह नहीं लौटा तो दोनों दोस्त यह सोच कर घर लौट गए कि हो सकता है संतोष अपने घर चला गया हो.

संतोष के यहां मांगलिक कार्यक्रम था. घर में मेहमान आए हुए थे. दोस्तों ने सोचा कि हो सकता है वह उन के सेवासत्कार में लग गया हो और उसे लौटने का समय न मिला हो. संतोष को घर से निकले 3 घंटे बीत चुके थे. घर वाले उसे ले कर काफी परेशान थे कि सुबह का निकला संतोष आखिर कहां घूम रहा है. सब से ज्यादा परेशान उस के पिता हरिदास थे.

उन्होंने छोटे बेटे विनोद को संतोष का पता लगाने के लिए भेज दिया. विनोद को पता चला कि 3 घंटे पहले संतोष को राहुल और सुरेंद्र के साथ गांव से बाहर जाते देखा गया था. यह जानकारी मिलते ही विनोद राहुल और सुरेंद्र के घर पहुंच गया. दोनों ही अपनेअपने घरों पर मिल गए. विनोद ने उन से संतोष के बारे में पूछा तो वह यह सुन कर चौंक गए कि संतोष अब तक घर पहुंचा ही नहीं था. आखिर वह कहां चला गया.

राहुल ने विनोद को बताया कि वे तीनों साथ में गांव से बाहर निकले थे तभी संतोष के मोबाइल पर किसी का फोन आया था. वह कुछ देर में वापस आने की बात कह कर चला गया था. जब 2 घंटे बीत जाने के बाद भी वह नहीं लौटा तो वे दोनों यह सोच कर लौट आए कि शायद वह घर चला गया होगा.

संतोष को ले कर जितना ताज्जुब दोस्तों को हो रहा था, विनोद भी उतनी ही हैरत में डूबा हुआ था कि बिना किसी को कुछ बताए भाई आखिर गया कहां. इस से भी बड़ी बात यह थी कि उस का मोबाइल फोन भी स्विच्ड औफ था. संतोष का नंबर मिलातेमिलाते विनोद भी परेशान हो चुका था.

संतोष का जब कहीं पता नहीं चला तो विनोद घर लौट आया और पिता हरिदास को सब कुछ बता दिया. अचानक संतोष के लापता हो जाने की बात सुन कर हरिदास ही नहीं, बल्कि पूरा परिवार स्तब्ध रह गया.

संतोष की गांव भर में तलाश की गई, लेकिन उस का कहीं पता नहीं चला. संतोष को तलाशते हुए पूरा घर और नातेरिश्तेदार परेशान हो गए. विनोद भी मोटरसाइकिल ले कर संतोष को खोजने गांव के बाहर निकल गया था. लेकिन उस का कहीं पता नहीं चला.

दोपहर 2 बजे के करीब गांव के कुछ चरवाहे बच्चे गांव से करीब आधा किलोमीटर दूर अरहर के खेत के पास अपने पशु चरा रहे थे. भैंसें चरती हुई अरहर के खेत में घुस गईं तो चरवाहे खेत में गए. चरवाहे जैसे ही बीच खेत पहुंचे तो वहां दिल दहला देने वाला दृश्य देख कर उन के हाथपांव फूल गए.

अरहर के खेत के बीचोबीच संतोष यादव की खून से सनी लाश पड़ी थी. लाश देखते ही चरवाहे जानवरों को खेतों में छोड़ कर चीखते हुए उल्टे पांव गांव की ओर भागे. वे दौड़ते हुए सीधे हरिदास यादव के घर जा कर रुके और एक ही सांस में पूरी बात कह डाली.

बेटे की हत्या की बात पर एक बार तो हरिदास को भी विश्वास नहीं हुआ. उन्होंने उन बच्चों से कहा, ‘‘बेटा, किसी और की लाश होगी. तुम ने ठीक से पहचाना नहीं होगा.’’

बच्चे पासपड़ोस के थे, इसलिए वे संतोष को अच्छी तरह जानतेपहचानते थे. बच्चों ने जब उन्हें फिर से बताया कि लाश किसी और की नहीं बल्कि संतोष चाचा की ही है तो हरिदास के घर में रोनापीटना शुरू हो गया.

हरिदास छोटे बेटे विनोद को ले कर अरहर के खेत में उस जगह पहुंच गए, जहां संतोष की लाश पड़ी होने की सूचना मिली थी. बेटे की रक्तरंजित लाश देख कर हरिदास गश खा कर वहीं गिर पड़े. कुछ ही देर में यह बात पूरे गांव में फैल गई तो वहां पूरा गांव उमड़ आया.

यह सूचना थाना अहरौला के थानाप्रभारी चंद्रभान यादव को दे दी गई थी. चूंकि हत्या एक पुलिसकर्मी की हुई थी, इसलिए आननफानन में थानाप्रभारी एसआई रमाशंकर यादव, कांस्टेबल महेंद्र कुमार, अखिलेश कुमार पांडेय, ओमप्रकाश यादव और महिला कांस्टेबल अनीता मिश्रा के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने इस की सूचना एसपी अजय कुमार साहनी और एसएसपी नरेंद्र प्रताप सिंह को भी दे दी.

सूचना मिलने के कुछ ही देर बाद दोनों पुलिस अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए. पुलिस ने घटनास्थल का निरीक्षण किया. जिस जगह लाश पड़ी थी, वहां आसपास अरहर की फसल टूटी हुई थी. इस से लग रहा था कि मृतक ने हत्यारों से संघर्ष किया होगा.

संतोष की हत्या कुल्हाड़ी जैसे तेज धारदार हथियार से की गई थी. हथियार के वार से उस का जबड़ा भी कट कर अलग हो गया था. गले पर कई वार किए गए थे. इस के अलावा उसे 2 गोली भी मारी गई थीं. इस से साफ पता चलता था कि हत्यारे नहीं चाहते थे कि संतोष जिंदा बचे. इसलिए मरते दम तक उस पर वार पर वार किए गए थे.

जिम ट्रेनर की आखिरी ट्रेनिंग : सृष्टि ने कैसे जितेंद्र को निपटाया – भाग 2

मामले की तह तक पहुंचने के लिए एसआई हरिराज सीधे होराइजन सोसाइटी पहुंचे. सृष्टि गुप्ता जिस फ्लैट में रहती थी, वह बंद मिला. इस पर एसआई ने सोसाइटी के सुरक्षाकर्मियों को सृष्टि का फोटो दिखाया. सुरक्षाकर्मियों ने फोटो पहचानते हुए कहा कि यह लड़की यहीं रहती है. उन्होंने  बताया कि सृष्टि स्टूडेंट है और फ्लैट में अकेली ही रहती है. उस के यहां एक मेड काम करने आती है.

पर कुछ दिनों से सृष्टि फ्लैट में नहीं है, इसलिए मेड भी काम पर नहीं आती. एसआई हरिराज ने उन सुरक्षाकर्मियों को अपना फोन नंबर देते हुए कहा कि जब भी सृष्टि सोसाइटी में आए तो वह उन्हें फोन कर दें.

एक दिन एसआई हरिराज को होराइजन सोसाइटी के एक सुरक्षागार्ड ने फोन कर के सूचना दी कि सृष्टि अपने फ्लैट में मौजूद है. सूचना मिलते ही एसआई हरिराज महिला कांस्टेबल मोनिका व ऋचा को ले कर सृष्टि के फ्लैट पर पहुंच गए. वह पूछताछ के लिए सृष्टि को सूरजपुर थाने ले आए.

संदेह के दायरे में आई सृष्टि

थानाप्रभारी अखिलेश प्रधान ने सृष्टि से जितेंद्र मान के बारे में पूछताछ की तो उस ने यह बात कबूल कर ली कि वह जितेंद्र मान को जानती है. क्योंकि वह पहले जितेंद्र के जिम में जाती थी.

‘‘आप कब से कब तक जिम जाती रहीं?’’ थानाप्रभारी ने पूछा.

‘‘मार्च से सितंबर 2017 तक.’’ सृष्टि बोली.

‘‘जिम छोड़ने के बाद आप की जितेंद्र से कभी बात हुई?’’ उन्होंने पूछा.

‘‘नहीं, मेरी उस से कोई बात नहीं हुई.’’ सृष्टि ने बताया.

तभी थानाप्रभारी ने उस के फोन नंबर की काल डिटेल्स उस के सामने रखते हुए कहा, ‘‘आप झूठ क्यों बोल रही हैं? उस से आप की रोजाना बात होती थी.’’

थानाप्रभारी की बात का सृष्टि ने कोई जवाब नहीं दिया. उस ने अपनी नजरें भी झुका लीं. वह आगे बोले, ‘‘अच्छा, यह बताओ कि 10 जनवरी को दोपहर 12 बजे से शाम 5 बजे तक आप कहां थीं?’’

कुछ देर के बाद वह बोली, ‘‘उस दोपहर को मैं अपना कैमरा रिपेयर कराने के लिए दुर्गापुरी चौक गई थी.’’

‘‘उस के बाद..?’’

‘‘उस के बाद रोजमर्रा का सामान लेने जीआईपी मौल गई थी. वहां से लौटतेलौटते शाम हो गई थी. आप चाहें तो इस बारे में दुकानदार और मौल से मेरी बात की सच्चाई जान सकते हैं.’’

थानाप्रभारी ने सृष्टि के घरपरिवार की भी जानकारी हासिल कर ली थी. उस ने बताया कि वह उत्तर प्रदेश के जिला बुलंदशहर के खुर्जा की रहने वाली है. उस के पिता की खुर्जा में मोबाइल एक्सेसरीज की दुकान है.

सृष्टि से पूछताछ के बाद थानाप्रभारी ने उसे हिदायत दे कर थाने से भेज दिया. साथ ही उन्होंने कांस्टेबल राजेश को सृष्टि की निगरानी के लिए लगा दिया.

आगे की जांच के लिए एक पुलिस टीम खुर्जा में सृष्टि के पिता सुधीर गुप्ता के पास भेजी गई. सुधीर गुप्ता ने बताया कि करीब 2 साल से उन के सृष्टि से कोई संबंध नहीं हैं. इस की वजह बताते हुए वह नरवस भी हो गए. उन्होंने कहा कि 2 साल पहले सृष्टि मेरठ यूनिवर्सिटी में बीबीए की पढ़ाई के दौरान किसी मुसलमान लड़के के चक्कर में पड़ गई थी. वह उसी के साथ रह रही थी. यह बात मुझे पता लगी तो मैं ने बेटी को समझाया, जब वह नहीं मानी तो हम ने उस से नाता ही तोड़ लिया.

आखिर फंस ही गई जितेंद्र मान की कातिल

17 जनवरी की शाम को कांस्टेबल राजेश ने थानाप्रभारी को सूचना दी कि एक इनोवा कार में सृष्टि अपना सामान रख रही है. उस का इरादा शायद फ्लैट खाली करने का है.

खबर मिलते ही थानाप्रभारी अखिलेश प्रधान पुलिस टीम के साथ होराइजन सोसाइटी पहुंच गए. पुलिस सृष्टि को फिर से थाने ले आई. इस बार उस से सख्ती से पूछताछ की गई तो उस ने अपना जुर्म स्वीकार करते हुए कहा कि उस ने ही जितेंद्र मान की हत्या की थी. हत्या के पीछे उस ने जो कहानी बताई, वह प्रेम संबंधों पर आधारित निकली—

24 वर्षीय सृष्टि गुप्ता जब मेरठ यूनिवर्सिटी में बीबीए की पढ़ाई कर रही थी, तभी उस ने अपना खर्च चलाने के लिए नोएडा स्थित इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी के सेल्स डिपार्टमेंट में नौकरी जौइन कर ली थी.

वह फ्लैट बेचने के लिए टेलीकालिंग करती थी. इस काम के लिए उसे हर महीने 25 हजार रुपए वेतन मिलता था. एक दिन वह रुटीन में इमरान कुरैशी नाम के व्यक्ति से फ्लैट बेचने के लिए काल कर रही थी, तभी इमरान बातों बातों में उस की पर्सनल लाइफ से जुड़े सवाल पूछने लगा. जब सृष्टि ने बताया कि वह खुर्जा की रहने वाली है तो इमरान बोला, ‘‘मैं भी खुर्जा का रहने वाला हूं. मोहल्ला तारीनान में जो किला मसजिद है, उसी गली नंबर-7 में रहता हूं.’’

सृष्टि को जब यह पता चला कि इमरान भी खुर्जा का है तो उसे बड़ी खुशी हुई. उस दिन दोनों के बीच काफी देर तक बातचीत होती रही. उस दिन के बाद दोनों की अकसर फोन पर बातें होने लगीं, जो बाद में प्यार में बदल गईं. वे दोनों रेस्टोरेंट वगैरह में मिलने भी लगे.

इमरान न तो हैंडसम था और न ही ज्यादा पढ़ालिखा, मगर वह गले में सोने की मोटी चेन, अंगुलियों में हीरे की अंगूठियां पहनता था और स्कोडा कार से चलता था. इस सब से उस की संपन्नता साफ झलकती थी.

इमरान शादीशुदा था. इतना ही नहीं, उस के 4 बच्चे भी थे. उस के 6 भाई थे जो सभी बीफ एक्सपोर्ट करते थे. गोश्त के इस धंधे में उन्हें अच्छीखासी आमदनी होती थी.

इमरान की पैसों की चमकदमक देख कर सृष्टि उस पर मर मिटी. उसी ने होराइजन सोसाइटी में उसे फ्लैट ले कर दे दिया था. सृष्टि किराए के मकान से फ्लैट में आ गई. इतना ही नहीं, इमरान उसे हर माह 50 हजार रुपए खर्च के लिए भी देता था. जब इमरान उस का हर तरह से खयाल रखने लगा तो सृष्टि ने इमरान को अपना पति मान लिया और नौकरी छोड़ दी.

मातापिता से नहीं था कोई संबंध

ये सारी बातें सृष्टि के पिता को पता चलीं तो उन्होंने अपनी बेटी से संबंध खत्म कर लिए, पर सृष्टि ने इस सब की परवाह नहीं की.

इसी दौरान सृष्टि की बीबीए की पढ़ाई पूरी हो गई. वह पत्रकार बनना चाहती थी, इसलिए उस ने ग्रेटर नोएडा के एक संस्थान में मास कम्युनिकेशन का कोर्स करने के लिए दाखिला ले लिया. इस का खर्च भी इमरान उठा रहा था.

इमरान सृष्टि पर दोनों हाथों से पैसा लुटा रहा था. सृष्टि ने शरीर की फिटनेस बनाए रखने के लिए एक जिम भी जौइन कर लिया. वह जिम प्रीतम का था, जिस में जितेंद्र मान ट्रेनर था.

जितेंद्र मान बाहरी दिल्ली के अलीपुर गांव के रहने वाले सत्यप्रकाश मान का बेटा था. सत्यप्रकाश के परिवार में पत्नी के अलावा 3 बेटे व एक बेटी थी. जितेंद्र भाइयों में छोटा था. जितेंद्र जब 2 साल का था, तभी उस की मां की मृत्यु हो गई थी. जब वह 10 साल का हुआ तो उस के पिता का भी स्वर्गवास हो गया.

जितेंद्र मान की एक बुआ मुंडका में रहती थी. भाई की मौत के बाद वह जितेंद्र को अपने साथ ले गई थी. उन्होंने ही जितेंद्र की परवरिश की. मान की बुआ का बेटा प्रीतम टोकस जितेंद्र से 3 साल बड़ा था. जितेंद्र ने आगे की पढ़ाई अपने फुफेरे भाई प्रीतम के साथ ही की. दोनों ने दयाल सिंह कालेज ने ग्रैजुएशन किया.

प्रीतम और जितेंद्र को कुश्ती व बौक्सिंग का शौक था. किशोरावस्था में पहुंचते ही दोनों का रुझान मुक्केबाजी की ओर हो गया. दोनों ने नैशनल लेवल के कोच राजेश टोकस से कोचिंग ली और दिल्ली की ओर से मुक्केबाजी प्रतियोगिता में भाग लेने लगे. बाद में जितेंद्र मान और प्रीतम ने हरियाणा स्टेट बौक्सिंग में भी अपना पंजीकरण करा लिया.

2 करोड़ की प्रेमिका : प्रेमी ही बना कातिल – भाग 1

उस दिन नए साल का पहला दिन था यानी 1 जनवरी, 2018. लोग नए साल का स्वागत कर रहे थे. सूरत के कामरेज थानाक्षेत्र के टिंबा गांव का करोड़पति प्रीतेश पटेल भी अपने दोस्तों के साथ नए साल के आगमन की खुशियां मना रहा था. उस के खास दोस्तों में सब से महत्त्वपूर्ण थी मुंबई की मौडल और बार डांसर ज्योति सुरजीत सिंह उर्फ निशा ज्योति. कभी मौडल रह चुकी ज्योति मुंबई की मशहूर बार डांसर बन गई थी. प्रीतेश और ज्योति दोनों एकदूसरे को प्यार करते थे.

प्रीतेश पटेल के निमंत्रण पर ज्योति, उस का ड्राइवर संदीप सिंह और संदीप की पत्नी निकिता सिंह मुंबई से टिंबा घूमने आए थे. उन के आगमन से प्रीतेश बेहद खुश था, क्योंकि उस की प्रेयसी ज्योति पहली बार उस के घर आई थी.

स्वागत और खातिदारी के बाद प्रीतेश पटेल ने उन लोगों को अपनी केले की खेती दिखाने को कहा तो वे खुशीखुशी तैयार हो गए. उस समय दिन के 11 बजे थे. प्रीतेश की केले की फसल कई एकड़ में थी. केले के व्यवसाय से ही वह करोड़पति बना था.

दोस्तों के तैयार होने के बाद प्रीतेश ने घूमने जाने के लिए अपनी सफेद रंग की कार निकाली. उस ने ड्राइविंग सीट संभाली तो ज्योति उस के साथ आगे की सीट पर बैठ गई, जबकि संदीप और उस की पत्नी निकिता पीछे की सीट पर बैठे. कच्ची सड़क से होते हुए वे कुछ ही देर में खेतों पर पहुंच गए.

खेतों पर पहुंच कर प्रीतेश ने संदीप और निकिता को वहीं उतार दिया. ज्योति को उस ने यह कह कर कार से नीचे नहीं उतरने दिया कि थोड़ा आगे जा कर मोड़ से कार टर्न कर के लाएगा.

कार जैसे ही मोेड़ से टर्न हुई, ज्योति के मुंह से एक दर्दनाक चीख निकली. उस की चीख सुन कर संदीप और निकिता हैरान रह गए. दोनों उस दिशा की ओर लपके, जिधर से चीखें आई थीं. मोड़ के पास पहुंच कर अचानक दोनों के पांव जड़ हो गए.

वहां का हृदयविदारक दृश्य देख कर दोनों के मुंह से चीख निकल गई. कार एक ओर खड़ी थी, जबकि केले के खेत में बैठे प्रीतेश के हाथों में केला काटने वाला हंसिया था, जो खून में डूबा था. उस के कपड़े भी खून से तर थे. ज्योति का सिर धड़ से अलग पड़ा था. मतलब प्रीतेश ने धारदार हंसिया से ज्योति की हत्या कर दी थी. दोनों की चीख सुन कर प्रीतेश उन की ओर लपका तो डर के मारे संदीप और निकिता की घिग्घी बंध गई और वे वहां से उल्टे पांव भाग खड़े हुए. दोनों सीधे कामरेज थाना जा कर रुके.

थाने के पीआई किरण सिंह चुड़ासमा दफ्तर में  मौजूद थे. हांफते हुए संदीप और निकिता ने उन के कक्ष मे प्रवेश किया तो उन्होंने सामने पड़ी कुर्सियों की ओर इशारा कर के बैठने को कहा. थानेदार चुड़ासमा समझ गए थे कि दोनों जरूर किसी बड़ी मुसीबत में हैं और दौड़ कर वहां पहुंचे हैं. थानेदार किरण सिंह ने संदीप की ओर मुखातिब होते हुए कहा, ‘‘हां, बताइए क्या बात है और इस तरह हांफ क्यों रहे हैं?’’

‘सर, मैं संदीप सिंह हूं और यह मेरी पत्नी निकिता. हम पंजाब के भटिंडा के रहने वाले हैं और अपनी मालकिन ज्योति के साथ मुंबई घूमने आए थे.’’ संदीप ने अपना परिचय दिया.

‘‘आगे बताइए?’’

‘‘27 दिसंबर, 2017 को ज्योति मैडम के बौयफ्रैंड प्रीतेश का जन्मदिन था. मुंबई घूमने के बाद 31 दिसंबर की रात प्रीतेश साहब हमें अपने गांव टिंबा घुमाने लाए. आज सुबह वह हमें अपनी कार में बिठा कर अपने केले के खेत दिखाने ले गए. खेत में पहुंचने के बाद उन्होंने मुझे और निकिता को कार से नीचे उतार दिया.’’ इस के बाद संदीप ने किरण सिंह चुड़ासमा को ज्योति के हत्या की बात बता दी.

हकीकत जान कर थानाप्रभारी चुड़ासमा भी हैरत में रह गए

ज्योति की हत्या की बात सुन कर थानेदार चुड़ासमा कुर्सी छोड़ कर खड़े हो गए और पुलिस टीम के साथ घटनास्थल के लिए रवाना हो गए. घटनास्थल थाने से करीब 7-8 किलोमीटर दूर था. अचानक गांव में पुलिस को आया देख कर गांव वाले हैरान रह गए. वे समझ नहीं पाए कि अचानक ऐसा क्या हो गया, जो पुलिस आई है.

पुलिस की जीप गांव के बाहर रुक गई. जीप से उतर कर पुलिस सीधे केले के खेतों की ओर बढ़ी, जहां ज्योति की सिर कटी लाश पड़ी थी. पुलिस के पीछेपीछे गांव वाले भी आ गए थे. केले के खेत में पड़ी सिरकटी लाश देख कर गांव वाले हैरान रह गए. घटनास्थल से थोड़ी दूरी पर आड़ीतिरछी स्विफ्ट कार खड़ी थी.

मृतक लड़की गांव या आसपास के इलाके की नहीं थी. चेहरेमोहरे और पहनावे से वह किसी बडे़ घर की लग रही थी. लाश देख कर पुलिस भी हैरत में रह गई. इसी बीच पुलिस को सूचना मिली कि एक युवक जिस के कपड़े खून से सने हैं, वह गांव की ओर भागा जा रहा है. इस सूचना पर विश्वास कर के थानेदार किरण सिंह चुड़ासमा जीप ले कर गांव की ओर रवाना हुए. सफेद रंग की टीशर्ट और काली पैंट पहने एक युवक गांव से शहर की ओर भाग रहा था.

पुलिस की जीप देख कर उस की चाल तेज हो गई. युवक को भागते देख पुलिस ने उसे दौड़ा कर धर दबोचा. उस की सफेद टीशर्ट सामने से खून से सनी थी. पुलिस उस युवक को पकड़ कर थाने ले आई. लाश का पंचनामा भर कर उसे पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया गया था. पुलिस ने मौके से मिली खून सनी हंसिया और खून सनी मिट्टी को बतौर साक्ष्य कब्जे में ले लिया था.

कड़ाई से पूछताछ करने पर युवक ने अपना नाम प्रीतेश पटेल बताया. उस ने बताया कि उसी ने धारदार हंसिया से अपनी पे्रमिका ज्योति सुरजीत सिंह उर्फ निशा ज्योति का कत्ल किया है. उस ने कत्ल की वजह उस के द्वारा की गई बेवफाई को बताया. बाद में उस ने पूरी घटना तफ्सील से बयान की.

22 वर्षीया ज्योति सुरजीत सिंह उर्फ निशा ज्योति मूलरूप से पंजाब के बठिंडा की रहने वाली थी. खूबसूरत ज्योति मौडल बनना चाहती थी. मांबाप भी बेटी का सपना पूरा करने के लिए तैयार थे. इंटरमीडिएट तक पढ़ाई कर के ज्योति ने पढ़ाई छोड़ दी और मौडल बनने के लिए मायानगरी मुंबई चली गई.

ज्योति ने मुंबई में अपने एक परिचित के घर रह कर मौडलिंग की दुनिया में पांव जमाने की कोशिश की, लेकिन उसे मनचाही सफलता नहीं मिली. फिर भी ज्योति ने हिम्मत नहीं हारी.