काली नदी के किनारे बंटी ने कार रोक दी. कार के रुकते ही जुल्फिकार, फिरोज, जावेद और वाहिद वहां आ गए. फिरोज ने कार का दरवाजा खोल कर इशरत की बेटी अर्शी को बाहर निकाला. अर्शी अपनी मां और बहन के साथ पिछली सीट पर बैठी थी. इशरत ने पूछा कि वे बेटी को कहां ले जा रहे हैं तो बदमाशों ने हथियार दिखा कर उसे चुप करा दिया.
इशरत बंटी के आगे गिड़गिड़ाने लगी कि बेटी को छुड़वा दे, लेकिन बंटी चुपचाप खड़ा रहा. कुछ दूर ले जा कर फिरोज ने अर्शी के सिर में गोली मार दी. गोली की आवाज सुन कर इशरत ने भागने की कोशिश की तो जुल्फिकार ने उस के सिर में गोली मार दी. इस के बाद उन्होंने आरजू की भी गोली मार कर हत्या कर दी.
नदी के किनारे बदमाशों ने 10 फुट गहरा गड्ढा पहले से ही खोद रखा था. तीनों के गहने उतार कर उन्हें उसी गड्ढे में दफना दिया गया. जहां पर तीनों लाशें दफनाई गई थीं, उस के ऊपर उन्होंने घास डाल दी थी. मांबेटियों को ठिकाने लगा कर सभी दिल्ली आ गए.
घर पर मौजूद मुनव्वर के दोनों बेटे आकिब और शाकिब अपनी अम्मी और बहनों के लौटने का इंतजार कर रहे थे. वह मां को बारबार फोन कर रहे थे, पर फोन नहीं लग रहा था. 23 अप्रैल को छोटा बेटा शाकिब मां के बारे में पता करने कमल विहार स्थित बंटी के औफिस पहुंचा.
वहां पर दीपक, फिरोज, जुल्फिकार आदि बैठे थे. उन्होंने शाकिब के मुंह में कपड़ा ठूंस कर उस के हाथपैर बांध कर औफिस में ही डाल दिया.
इस के बाद बंटी ने मुनव्वर के दूसरे बेटे आकिब को फोन कर के अपने औफिस बुला लिया. वह पहुंचा तो उस के भी मुंह में कपड़ा ठूंस कर उस के हाथपैर बांध कर शाकिब के पास डाल दिया. कई घंटे बंधे रहने के कारण दम घुटने से दोनों भाइयों की मौत हो गई. दोनों लाशों को ठिकाने लगाने के लिए बंटी ने अपने औफिस का फर्श खुदवा कर 3-4 फुट गहरा गड्ढा खोद कर दोनों भाइयों को भी दफना दिया.
लाशें जल्द गल जाएं, इस के लिए दोनों लाशों के ऊपर काफी मात्रा में नमक डाल दिया. बदबू न आए इस के लिए परफ्यूम भी डाला गया. इस के बाद दोनों लाशों के ऊपर आरसीसी लिंटर डलवा दिया.
चूंकि बंटी ही मुनव्वर के परिवार का नजदीकी और वफादार था, इसलिए वह इशरत और उस के बच्चों को खोजने का नाटक करता रहा. उन के रहस्यमय ढंग से गायब होने की खबर उस ने तिहाड़ जेल में बंद मुनव्वर को भी दे दी थी. बीवीबच्चों के गायब होने की खबर सुन कर मुनव्वर परेशान हो उठा. बंटी ही मुनव्वर को जेल से पैरोल पर बाहर निकलवाने की कोशिश में लग गया. पत्नी और बच्चों को ढूंढने के लिए कोर्ट ने 17 मई, 2017 को मुनव्वर की अंतरिम जमानत स्वीकार कर ली.
तिहाड़ जेल से पैरोल पर रिहा होने के बाद मुनव्वर अपने खासमखास दोस्त बंटी और दीपक के साथ घर पहुंचा. अगले दिन वह बंटी के साथ उसी औफिस में बैठ कर पत्नी और बच्चों को ढूंढने की योजना बनाता रहा, जहां उस के दोनों बेटे दफन थे. 18 मई को वह बंटी को ले कर बुराड़ी थाने पहुंचा. बंटी उस के साथ इस तरह से लगा था कि जैसे उस से ज्यादा उस का हमदर्द कोई और नहीं है.
19 मई को भी वह मुनव्वर के साथ इधरउधर घूमता रहा. पेशेवर बदमाश बुराड़ी में ही ठहरे थे. बंटी ने उन्हें पहले ही बता दिया था कि काम को कब अंजाम देना है. योजना के अनुसार, 20 मई, 2017 को बंटी मुनव्वर के घर सुबह ही पहुंच गया. थोड़ी देर बाद फिरोज, जुल्फिकार और जावेद भी पहुंच गए.
इन के लिए गेट मुनव्वर ने ही खोला था, क्योंकि वह पहले से इन सब को जानता था. मौका मिलते ही उन्होंने उस की गोली मार कर हत्या कर दी. वह जीवित न बच जाए, इस के लिए उसे 3 गोलियां मारी गई थीं. अपना काम कर के सभी चले गए. मुनव्वर और उस के बीवीबच्चों का नामोनिशान मिटा कर बंटी उस की प्रौपर्टी के कागजात अपने नाम कराने की कोशिश में जुट गया.
बंटी ने जानबूझ कर शाम के समय मुनव्वर के मोबाइल पर कई बार काल की थीं. शाम को वह उस के घर पहुंचा और उस की हत्या का शोर मचा दिया. बंटी ने योजना तो ऐसी फूलप्रूफ बनाई थी कि किसी को भी उस पर शक न हो, पर अपराध कभी किसी का छिपा है जो उस का छिपता. आखिर वह पुलिस की गिरफ्त में आ ही गया.
बंटी और दीपक से पूछताछ के बाद पुलिस ने 22 मई को ही कमल विहार स्थित बंटी के औफिस के फर्श की खुदाई शुरू करा दी. चूंकि उस ने फर्श पर लिंटर डलवा दिया था, इसलिए उस लिंटर को तोड़ने में काफी मशक्कत करनी पड़ी. करीब 4 घंटे की खुदाई के बाद पुलिस ने आकिब और शाकिब की गली हुई लाशें गड्ढे से निकालीं.
मोहल्ले वालों को पता चला कि मुनव्वर के जिगरी दोस्त बंटी ने ही उस के पूरे परिवार को मार दिया है तो लोगों में आक्रोश भर गया. सैकड़ों की संख्या में लोग वहां जमा हो गए. इस से पहले कि लोग गुस्से में कोई कदम उठाते, डीसीपी ने जिले के अन्य थानों की पुलिस बुला ली. जरूरी काररवाई पूरी करने के बाद पुलिस ने दोनों भाइयों की लाशें पोस्टमार्टम के लिए भेज दीं.
अब पुलिस को इशरत और उस की दोनों बेटियों की लाशें बरामद करनी थीं, जो अख्तियारपुर में काली नदी के किनारे दफन थीं. थाना दौराला पुलिस को सूचित करने के बाद दिल्ली पुलिस 23 मई, 2017 को सुबह 10 बजे काली नदी के किनारे पहुंची. उस समय फोरैंसिक टीम और सरधना तहसील के नायब तहसीलदार, दौराला के सीओ भी वहां मौजूद थे.
करीब 3 घंटे की खुदाई के बाद पुलिस ने 10 फुट गहरे गड्ढे से इशरत और उस की दोनों बेटियों आरजू एवं अर्शिता उर्फ अर्शी की लाशें बरामद कीं. खुदाई के दौरान आसपास के गांवों के सैकड़ों लोग वहां जमा हो गए थे. तीनों लाशें देख कर वे आक्रोशित हो गए. बंटी और दीपक पुलिस कस्टडी में थे. गांव वाले नारेबाजी करते हुए मांग करने लगे कि क्रूर हत्यारों को पब्लिक के हवाले किया जाए. पब्लिक उन्हें खुद सजा देगी.
पुलिस अधिकारियों ने बड़ी मुश्किल से गांव वालों को समझाबुझा कर शांत किया. पुलिस ने इन तीनों लाशों को भी पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. डाक्टरों के पैनल ने पोस्टमार्टम किया तो आरजू की खोपड़ी में गोली फंसी हुई मिली. जबकि अर्शिता के सीने पर गोली चलाई गई थी, जो आरपार निकल गई थी. इशरत के सिर में गोली मारी गई थी.
सभी लाशें बरामद होने के बाद पुलिस ने हत्यारों की गिरफ्तारी के लिए दौराला थाने के समौली गांव में छापा मार कर फिरोज और जुल्फिकार को हिरासत में ले लिया. इस के बाद जावेद भी गिरफ्तार हो गया पर उस का भाई वाहिद दीवार फांद कर भाग गया. लेकिन 28 मई को उस ने थाना बुराड़ी में आत्मसमर्पण कर दिया. कथा लिखे जाने तक एक अभियुक्त जसवंत गिरफ्तार नहीं हो सका था. पूछताछ के बाद सभी अभियुक्तों को न्यायालय में पेश कर के जेल भेज दिया गया.
बंटी ने अपने खास दोस्त मुनव्वर की करोड़ों की संपत्ति पर कब्जा करने के लिए उस के पूरे परिवार को दफन कर दिया. ऐसा कर के उस ने ‘दोस्ती’ नाम के शब्द को कलंकित किया है. अब उसे वह प्रौपर्टी मिलेगी या नहीं, यह तो समय बताएगा. पर उसे अपने अपराध की सजा जरूर मिलेगी.
एक ही परिवार के 6 लोगों की हत्या के इस केस की जांच के लिए डीसीपी जतिन नरवाल ने एक विशेष जांच टीम गठित कर दी है, जिस में एसीपी सिविल लाइंस इंद्रावती, प्रशिक्षु आईपीएस विक्रम सिंह, थाना बाड़ा हिंदूराव के इंसपेक्टर रविकांत, थाना बुराड़ी के अतिरिक्त थानाप्रभारी नरेश कुमार, इंसपेक्टर (इनवैस्टीगेशन) नरेंद्र कुमार, स्पैशल स्टाफ के इंसपेक्टर वी.एन. झा, थाना मौरिस नगर के अतिरिक्त थानाप्रभारी वेदप्रकाश, थाना रूपनगर के अतिरिक्त थानाप्रभारी पी.सी. यादव, चौकीइंचार्ज अमित कुमार, मजनूं का टीला के चौकीप्रभारी भारत, चर्च मिशन के चौकीप्रभारी पंकज तोमर को शामिल किया गया था. यह संयुक्त टीम गंभीरता से पूरे केस की जांच में जुट चुकी है.
– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित




