
राक्षसों की दयानतदारी भी कितनी भारी पड़ती है, इस का अहसास अनामिका को कुछ देर बाद हुआ. लगभग एक घंटे तक ज्यादती करने के बाद अमर और गोलू ने तय किया कि अनामिका को यूं निर्वस्त्र छोड़ा जाना ठीक नहीं, इसलिए उस के लिए कपड़ों का इंतजाम किया जाए. नशे में डूबे इन हैवानों की यह दया अनामिका पर और भारी पड़ी.
गोलू ने अमर को अनामिका की निगरानी करने के लिए कहा और खुद अनामिका के लिए कपड़े लेने गोविंदपुरा की झुग्गियों की तरफ चला गया. वहां उस के 2 दोस्त राजेश और रमेश रहते थे. गोलू ने उन से एक जोड़ी लेडीज कपड़े मांगे तो इन दोनों ने इस की वजह पूछी. इस पर गोलू ने सारा वाकया उन्हें बता दिया.
गोलू की बात सुन कर राजेश और रमेश की हैवानियत भी जाग उठी. वे दोनों कपड़े ले कर गोलू के साथ उसी पुलिया के नीचे पहुंच गए, जहां अनामिका निर्वस्त्र पड़ी थी.
अनामिका अब लाश सरीखी बन चुकी थी. उन चारों में से कोई जा कर स्टेशन के बाहर से चाय और गांजा ले आया. इन्होंने छक कर चाय गांजे की पार्टी की और बेहोशी और होश के बीच झूल रही अनामिका के साथ अमर और गोलू ने एक बार फिर ज्यादती की. फूल सी अनामिका इस ज्यादती को झेल नहीं पाई और बेहोश हो गई.
जब वासना का भूत उतरा तो इन चारों ने अनामिका को जान से मार डालने का मशविरा किया, जिसे इन में से ही किसी ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि रहने दो, लड़की किसी को कुछ नहीं बता पाएगी, क्योंकि यह तो हमें जानती तक नहीं है. बेहोश पड़ी अनामिका इन चारों की नजर में मर चुकी थी, इसलिए चारों अपने साथ लाए कपड़े उस के पास फेंक कर फरार हो गए और अनामिका से लूटे सामान का आपस में बंटवारा कर लिया.
थोड़ी देर बाद अनामिका को होश आया तो वह कुछ देर इन के होने न होने की टोह लेती रही. उसे जब इस बात की तसल्ली हो गई कि बदमाश वहां नहीं हैं तो उस ने जैसेतैसे उन के लाए कपडे़ पहने और बड़ी मुश्किल से महज 100 फीट दूर स्थित जीआरपी थाने पहुंची.
पुलिस ने नहीं किया सहयोग
थाने का स्टाफ उसे पहचानता था. मौजूदा पुलिसकर्मियों से उस ने कहा कि पापा से बात करा दो तो एक ने उस के पिता को नंबर लगा कर फोन उसे दे दिया. फोन पर सारी बात तो उस ने पिता को नहीं बताई, सिर्फ इतना कहा कि आप तुरंत यहां थाने आ जाइए.
बेटी की आवाज से ही पिता समझ गए कि कुछ गड़बड़ है इसलिए 15 मिनट में ही वे थाने पहुंच गए. पिता को देख कर अनामिका कुछ देर पहले की घटना और तकलीफ भूल उन से ऐसे चिपट गई मानो अब कोई उस का कुछ नहीं बिगाड़ सकता.
बेटी की नाजुक हालत देख पिता उसे घर ले आए और फोन पर पत्नी को भी तुरंत भोपाल पहुंचने को कहा तो वह भी भोपाल के लिए रवाना हो गईं. देर रात मां वहां पहुंची तो कुछकुछ सामान्य हो चली अनामिका ने उन्हें अपने साथ हुई ज्यादती की बात बताई. जाहिर है, सुन कर मांबाप का कलेजा दहल उठा.
बेटी की एकएक बात से उन्हें लग रहा था कि जैसे कोई धारदार चाकू से उन के कलेजे को टुकड़ेटुकडे़ कर निकाल रहा है. चूंकि रात बहुत हो गई थी और भोपाल में मध्य प्रदेश स्थापना दिवस की तैयारियां चल रही थीं, इसलिए उन्होंने तय किया कि सुबह होते ही सब से पहला काम पुलिस में रिपोर्ट लिखाने का करेंगे, जिस से अपराधी पकड़े जाएं.
इधर से उधर टरकाती रही पुलिस
अनामिका के मातापिता अगली सुबह ही कोई साढ़े 10 बजे एमपी नगर थाने पहुंचे. खुद को बेइज्जत महसूस कर रही अनामिका को उम्मीद थी कि थाने पहुंच कर फटाफट आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हो जाएगी. एमपी नगर थाने में इन तीनों ने मौजूद सबइंसपेक्टर आर.एन. टेकाम को आपबीती सुनाई.
तकरीबन आधे घंटे तक इस सबइंसपेक्टर ने अनामिका से उस के साथ हुई ज्यादती के बारे में पूछताछ की लेकिन रिपोर्ट लिखने के बजाय वह इन तीनों को घटनास्थल पर ले गया. घटनास्थल का मुआयना करने के बाद टेकाम ने उन पर यह कहते हुए गाज गिरा दी कि यह जगह तो हबीबगंज थाने में आती है, इसलिए आप वहां जा कर रिपोर्ट लिखाइए.
यह दरअसल में एक मानसिक और प्रशासनिक बलात्कार की शुरुआत थी. लेकिन दिलचस्प इत्तफाक की बात यह थी कि ये तीनों जब एमपी नगर से हबीबगंज थाने की तरफ जा रहे थे, तब हबीबगंज रेलवे स्टेशन के बाहर सामने की तरफ से गुजरते अनामिका की नजर गोलू पर पड़ गई. रोमांचित हो कर अनामिका ने पिता को बताया कि जिन 4 लोगों ने बीती रात उस के साथ दुष्कर्म किया था, उन में से एक यह सामने खड़ा है. इतना सुनते ही उस के मातापिता ने वक्त न गंवाते हुए गोलू को धर दबोचा.
गोलू का इतनी आसानी और बगैर स्थानीय पुलिस की मदद से पकड़ा जाना एक अप्रत्याशित बात थी. अब उन्हें उम्मीद हो गई कि अब तो बाकी इस के तीनों साथी भी जल्द पकडे़ जाएंगे. गोलू को दबोच कर ये तीनों हबीबगंज थाने पहुंचे. हबीबगंज थाने के टीआई रवींद्र यादव को एक बार फिर अनामिका को पूरा हादसा बताना पड़ा.
रवींद्र यादव ने गोलू से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने अपने साथियों के नामपते भी बता दिए. उन्होंने मामले की गंभीरता को समझते हुए आला अफसरों को भी वारदात के बारे में बता दिया. टीआई उन तीनों को ले कर फिर घटनास्थल पहुंचे. हबीबगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई पर अच्छी बात यह थी कि मुजरिमों के बारे में काफी कुछ पता चल गया था. आला अफसरों के सामने भी अनामिका को दुखद आपबीती बारबार दोहरानी पड़ी.
रवींद्र यादव ने हबीबगंज जीआरपी को भी फोन किया था, लेकिन वहां से कोई पुलिस वाला नहीं आया. सूरज सिर पर था लेकिन अनामिका और उस के मातापिता की उम्मीदों का सूरज पुलिस की काररवाई देख ढलने लगा था. बारबार फोन करने पर जीआरपी का एक एएसआई घटनास्थल पर पहुंचा लेकिन उस का आना भी एक रस्मअदाई साबित हुआ. जैसे वह आया था, सब कुछ सुन कर वैसे ही वापस भी लौट गया.
इस के कुछ देर बाद हबीबगंज जीआरपी के टीआई मोहित सक्सेना घटनास्थल पर पहुंचे. उन के और रवींद्र यादव के बीच घंटे भर बहस इसी बात पर होती रही कि घटनास्थल किस थाना क्षेत्र में आता है. इस दौरान अनामिका और उस के मांबाप भूखेप्यासे उन की बहस को सुनते रहे कि थाना क्षेत्र तय हो तो एफआईआर दर्ज हो और काररवाई आगे बढ़े. आखिरी फैसला यह हुआ कि अनामिका गैंगरेप का मामला हबीबगंज जीआरपी थाने में दर्ज होगा.
अब तक रात के 8 बज चुके थे. अनामिका के पिता को बेटी की चिंता सताए जा रही थी, जो थकान के चलते सामान्य ढंग से बातचीत भी नहीं कर पा रही थी. तमाम पुलिस वालों के सामने अनामिका को अपने साथ घटी घटना दोहरानी पड़ी. यह सब बताबता कर वह इस तरह अपमानित हो रही थी, जैसे उस ने अपराध खुद किया हो.
दिनेश ने उस युवती के साथ चलते हुए एकदो कमरों में झांक कर देखा तो वहां की भव्यता देख कर दंग रह गए. युवती उन्हें एक कमरे में ले गई, जहां बैठी एक लड़की मोबाइल पर गेम खेल रही थी. लड़की की ओर इशारा कर के युवती ने कहा, ‘‘यह बेबी मिजोरम की है.’’
दिनेश की ओर दिलकश अदा से देखते हुए मिजोरम वाली लड़की ने कहा, ‘‘हाय हैंडसम.’’
दिनेश ने उस लड़की की ओर उपेक्षा से देखते हुए साथ आई युवती से कहा, ‘‘आप तो फौरनर ब्यूटी की बात कह रही थीं?’’
युवती ने अर्थपूर्ण मुसकराहट के साथ पूछा, ‘‘यह आइटम आप को पसंद नहीं आया?’’
दिनेश ने कुछ नहीं कहा तो युवती उन्हें दूसरे कमरे में ले गई, जहां 3 लड़कियां बैठी आपस में बातें कर रही थीं. युवती ने उन की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘जनाब, ये थाइलैंड की गर्ल्स हैं. आप इन में से पसंद कर लीजिए. आप कौन सी बेबी से मसाज कराना चाहेंगे? यह भी बता दीजिए कि आप फुल बौडी मसाज कराएंगे या केवल सिर की और कितनी देर की?’’
दिनेश ने उन में से एक लड़की को पसंद कर के अपने पास बुलाया. थाईलैंड की उस लड़की ने इशारों में सैक्स करने की बात कही तो नीचे से आई लड़की ने सैक्स के लिए 10 हजार रुपए मांगे. दिनेश ने रकम ज्यादा बताई तो सौदा 5 हजार रुपए में तय हो गया.
सौदा तय होने के बाद साथ आई युवती ने दिनेश से थाइलैंड की लड़की को एक कमरे में ले जाने को कहा. दिनेश चलने को हुए तभी जैसे उन्हें कुछ याद आया हो. उन्होंने कहा, ‘‘ओह सौरी, मैं नीचे सोफे पर अपना मोबाइल भूल आया हूं. पहले उसे ले आता हूं.’’
वह युवती कुछ कहती, उस के पहले ही दिनेश तेजी से सीढि़यां उतर कर ग्राउंड फ्लोर पर आ गए. सिगरेट पीने के बहाने वह बाहर आए और गोपालस्वरूप मेवाड़ा को मोबाइल फोन से अलर्ट कर दिया. एडीशनल एसपी साहब को उन्हीं के फोन का इंतजार था.
उन्होंने पहले से गठित टीम में शामिल सीओ सिटी राजेंद्र त्यागी, कोतवाली प्रभारी बिरदीचंद गुर्जर, थाना सदर के थानाप्रभारी यशदीप भल्ला, थाना सुभाषनगर के थानाप्रभारी प्रमोद शर्मा, थाना हमीरगढ़ के थानाप्रभारी गजराज चौधरी और एसआई पुष्पा कासोटिया आदि को स्पा पैलेस पर छापा मारने के लिए भेज दिया.
कुछ ही देर में पुलिस की कई गाडि़यों से आए पुलिस वालों ने स्पा पैलेस को घेर लिया. मसाज पार्लर की तलाशी में थाइलैंड की 3 और मिजोरम की एक लड़की को गिरफ्तार कर लिया गया. इन के साथ स्पा पैलेस के मैनेजर नवीन शर्मा और उस की एक सहयोगी महिला को भी गिरफ्तार किया गया.
मैनेजर नवीन शर्मा मूलत: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले का रहने वाला था. वह भीलवाड़ा में शास्त्रीनगर में रहता था. पुलिस सभी को थाने ले आई. पुलिस को हैरानी हो रही थी कि 10 दिन पहले ही कोटा में थाइलैंड की लड़कियां मसाज पार्लर की आड़ में अनैतिक कार्य करते हुए पकड़ी गई थीं, इस के बावजूद भीलवाड़ा में मसाज पार्लर चलाने वाले थाइलैंड की लड़कियों से अनैतिक धंधा करा रहे थे.
जांच में पता चला कि स्पा पैलेस नाम से मसाज का लाइसैंस मध्य प्रदेश के रतलाम शहर के रहने वाले व्यवसाई सुनील गोवानी के नाम था. सुनील के मध्य प्रदेश के शहर रतलाम, उज्जैन, इंदौर, नागदा, नीमच सहित राजस्थान के कई शहरों में मसाज पार्लर चल रहे थे. उसी ने थाइलैंड की इन लड़कियों को भीलवाड़ा पहुंचाया था. उस ने मिजोरम की लड़की के माध्यम से थाइलैंड की लड़कियों से संपर्क किया था. उस के बाद उन का वीजा तैयार करवाया था.
थाइलैंड से 2 लड़कियां इसी 8 जून को मुंबई उतरी थीं, जबकि एक लड़की 23 जून को हैदराबाद उतरी थी. इन सब को मुंबई और हैदराबाद से भीलवाड़ा लाया गया था. थाइलैंड की ये लड़कियां 3 महीने के टूरिस्ट वीजा पर भारत आई थीं. पुलिस को इन के पासपोर्ट मिले हैं. थाइलैंड की लड़कियों से पूछताछ में पुलिस को भाषा की परेशानी आई, क्योंकि ये हिंदी नहीं समझती थीं, लेकिन अंगरेजी फर्राटे से बोल रही थीं.
पूछताछ में पता चला कि थाइलैंड की ये तीनों लड़कियां पहली बार भारत आई थीं. वे मोटी कमाई के लालच में देहव्यापार में धकेल दी गई थीं. जबकि वहीं मिजोरम वाली लड़की इस के पहले इंदौर स्थित सुनील के स्पा में काम कर चुकी थी. भीलवाड़ा के इस पार्लर पर दिल्ली, मुंबई और कोलकाता से भी लड़कियां आ चुकी हैं.
सुनील गोवानी के इस काम में भीलवाड़ा के शास्त्रीनगर का रहने वाला मनोज लालवानी भी जुड़ा था. उस की शास्त्रीनगर में इलैक्ट्रिक के सामानों की दुकान है. वह रोजाना शाम को स्पा पैलेस आ कर मैनेजर नवीन शर्मा से उस दिन की कमाई ले जाता था, जिसे वह और गोवानी आपस में बांट लेते थे.
स्पा पैलेस पर काम करने वाली लड़कियां भीलवाड़ा के शास्त्रीनगर में किराए के मकान में रहती थीं. मकान का किराया ही नहीं, उन के खानेपीने के खर्च के साथ स्पा पैलेस तक आनेजाने के लिए जो वैन लगी थी, उस का खर्चा मनोज ही देता था.
इस स्पा पैलेस का उद्घाटन करीब सवा साल पहले फिल्म अभिनेत्री मोनिका बेदी ने किया था. पार्लर में औनलाइन बुकिंग भी होती थी. इस के लिए वेबसाइट भी बनी थी. पार्लर में थाइलैंड एवं मिजोरम से बुलाई गई लड़कियों को 25-25 हजार रुपए वेतन के साथ इंसेंटिव भी दिया जाता था.
पार्लर में रोजाना 10 से 30 ग्राहक आते थे. पार्लर में मसाज का जो ब्रोशर ग्राहक को दिखाया जाता था, उस में 30 मिनट, 60 मिनट, 90 मिनट एवं 120 मिनट के मसाज के अलगअलग रेट निर्धारित थे.
पार्लर में काम करने वाली लड़कियों को सवा से डेढ़ महीने में बदल दिया जाता था. उन के स्थान पर दूसरे पार्लर से लड़कियां बुला ली जाती थीं, ताकि ग्राहकों को नईनई लड़कियां मिलती रहें, जिस से पार्लर से ग्राहक जुड़े रहें. स्पा पैलेस में सदस्य बना कर भी ग्राहकों को जोड़ा जाता था.
इस के लिए 11 हजार रुपए सदस्यता ली जाती थी. ये सदस्यता 3 महीने के लिए होती थी. इस अवधि में मसाज की संख्या तय कर दी जाती थी. इस बीच उस से कोई पैसा नहीं लिया जाता था. पुलिस को पार्लर की तलाशी में एक फाइल मिली है, जिस में सदस्यों के फोटो के साथ पूरा ब्यौरा दिया था.
जिस तरह सड़क पर थोड़ी सी चूक दुर्घटना आमंत्रित करती है. वैसे ही जिंदगी की अंतिम सीढी में अगर कोई बुजुर्ग धोखे और चालबाजी का शिकार हो जाए तो उसकी जिंदगी नरक बनने से भला कौन बचा सकता है. दरअसल,छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में रिटायर अफसर को बुढ़ापे में शादी महंगी पड़ गयी.लूटेरी दुल्हन ने अफसर से 40 लाख रुपये तो ठगे ही “कार” भी लेकर फरार हो गयी.
अब इस मामले मे, पुलिस शिकायत के बाद जांच कर रही है. छत्तीसगढ़ के खाद्य विभाग में अधिकारी रहे एमएल पस्टारिया 77 वर्ष के हो चुके हैं, और अपनी अकेली की जिंदगी से अजीज आकर कुछ माह पूर्व उन्होंने एक अपरिचित महिला से ब्याह रचाया. और फिर धीरे-धीरे हो गए ठगी के शिकार । महिला ने उक्त शख्स को धीरे धीरे आईने में उतारा और उसे रुपए पैसों के मामले में नित्य नए किस्से गढ़ कर रुपए ऐंठती चली गई. श्रीमान बुरी तरह लूट गए तो एक दिन महिला रफूचक्कर हो गई. अब स्थिति यह है कि माया मिली ना राम! ऐसे घटनाक्रम से सबक लेकर कुछ तथ्यों को जाने समझे. ताकि हमारे आसपास, समाज में ऐसी घटनाएं ना हो और लोग सुरक्षित रहें.आबाद रहें.
मेट्रोमोनियल से बचकर
दरअसल ,कुछ समय पूर्व उनकी पत्नी का निधन हो गयी था तत्पश्चात बिना सोचे समझे उन्होंने ‘मैट्रोमानियल’ साइट पर अपना सीवी डाला दिया था.सीवी के बाद एक महिला ने उनसे संपर्क किया और शादी के लिए हामी भर दी. महिला ने खुद का नाम आशा बताया था. दिसंबर 2016 में “मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री विधवा एवं परित्याक्ता कन्यादान योजना” का लाभ उठा कर दोनों ने विवाह किया . दोनों छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के बंधवापारा में आ कर रहने लगे . इस दरम्यान आशादेवी बीच-बीच में किसी ना किसी बहाने से मायके के नाम पर चली जाती थी. महिला ने श्रीमान को भरमा कर इस दौरान घूमने फिरने के नाम पर एक बेहतरीन कार भी लोन से खरीदवा ली.
महिला के साथ आशीष व राहुल नाम के युवक भी आते थे, जिसे महिला अपना रिश्तेदार बताया करती थी. महिला ने रिटायर अफसर को झांसा दिया कि उसके नाम पर काफी जमीन है, जो बंधक पड़ी हुई हैं. वो अपने रिश्तेदार को जमीन बेचना चाहती है, जिसका सौदा भी वो करोड़ों में कर चुकी है. महिला ने कहा कि बेचने के लिए पहले उसे अपनी जमीन छुडानी पड़ेगी. इस बहाने से एमएल पस्टरिया वह लाखों रुपये लेती चली गई. करीब 40 लाख रुपये वो जब ले चुकी श्रीमान को शक होने लगा. रिटायर अधिकारी ने महिला की बात पर विश्वास पर जेवर बेचकर और उधार लेकर पैसे तक लिये. एक दिन जैसा की होना था महिला ने जब देखा कि अब श्रीमान कंगाल हो चुके हैं तो शायद दूसरा शिकार पकड़ने के लिए उड़ गई. इसमें बुजुर्ग अधिकारी ने लिखवाया है कि चार महीने पहले वो जमीन का सौदा कराने के नाम पर गयी और फिर नहीं लौटी यही नहीं महिला जाते-जाते कार भी ले गयी.बहरहाल, बुजुर्गवार थोड़ी समझदारी दिखाते और मेट्रोमोनियल में विज्ञापन देने की बजाय अपने आसपास किसी चिर परिचित महिला से ब्याह रचाते तो उन्हें न ठगी का शिकार होना पड़ता, न हीं धोखा खाकर पुलिस के चक्कर लगाने पड़ते.
1 मार्च, 2017 की सुबह सरिता की आंख खुली तो बेटी को बिस्तर पर न पा कर वह परेशान हो उठी. उस की समझ में नहीं आया कि 6 साल की मासूम बच्ची सुबहसुबह उठ कर कहां चली गई. उस ने कई आवाजें लगाईं, जब वह नहीं बोली तो उस ने सोचा कि कहीं वह चाची के पास तो नहीं चली गई. वह देवरानी रीना के घर गई, लेकिन नंदिनी वहां भी नहीं थी.
नंदिनी के इस तरह गायब होने से रीना भी परेशान हो उठी. वह जिस हालत में थी, उसी हालत में सरिता के साथ नंदिनी की तलाश में निकल पड़ी. सरिता और उस की देवरानी रीना अकेली ही थीं. दोनों के ही पति विदेश में रहते थे. कोई मर्द न होने की वजह से नंदिनी को ले कर दोनों कुछ ज्यादा ही परेशान थीं.
धीरेधीरे नंदिनी के गायब होने की बात गांव वालों को पता चली तो सरिता से सहानुभूति रखने वाले उस के साथ नंदिनी की तलाश में लग गए. बेटी के न मिलने से सरिता काफी परेशान थी.
बेटी को तलाशती हुई वह अकेली ही गांव से करीब 3 किलोमीटर दूर कुआवल नदी पर बने पुल पर पहुंची तो वहां से नदी के किनारे एक जगह पर भीड़ लगी दिखाई दी. उत्सुकतावश सरिता वहां पहुंची तो नदी के रेत पर उसे एक बच्ची का अर्द्धनग्न शव दिखाई दिया. सरिता का कलेजा धड़क उठा, क्योंकि वह लाश उस की बेटी नंदिनी की थी.
बेटी की लाश देख कर वह चीखचीख कर रोने लगी. उस के इस तरह रोने से वहां इकट्ठा लोगों को समझते देर नहीं लगी कि लाश इस की बेटी की है. थोड़ी ही देर में यह खबर जंगल की आग की तरह हरपुरबुदहट गांव पहुंची तो गांव वाले घटनास्थल पर आ पहुंचे.
किसी ने इस बात की सूचना थाना हरपुरबुदहट पुलिस को दे दी थी. थानाप्रभारी बृजेश कुमार यादव पुलिस टीम के साथ वहां पहुंच गए. उन्होंने इस घटना की सूचना एसएसपी रामलाल वर्मा, एसपी (ग्रामीण) ज्ञानप्रकाश चतुर्वेदी और सीओ को भी दे दी थी. कुछ देर में ये पुलिस अधिकारी भी आ गए थे.
घटनास्थल और लाश की बारीकी से जांच की गई. लाश और घटनास्थल की स्थिति देख कर यही लग रहा था कि हत्या कहीं और कर के लाश वहां ला कर फेंकी गई थी. पुलिस ने घटनास्थल की काररवाई निपटा कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए बाबा राघवदास मैडिकल कालेज भिजवा दिया.
बृजेश कुमार यादव ने जांच शुरू की तो पता चला कि जमीन को ले कर गांव के ही चांदबली और उन के बेटे दुर्वासा से सरिता की रंजिश थी. सरिता ने उन पर आशंका भी व्यक्त की थी. सूचना पा कर विदेश में रह रहा सरिता का पति दिनेश कुमार भी आ गया था. उस ने बेटी की हत्या के लिए चांदबली और दुर्वासा को जिम्मेदार ठहराते हुए उन के खिलाफ तहरीर भी दे दी थी. दिनेश की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने बापबेटे को गिरफ्तार कर लिया था.
पुलिस ने चांदबली और उस के बेटे दुर्वासा से नंदिनी की हत्या के बारे में सख्ती से पूछताछ की, लेकिन वे खुद को निर्दोष बताते रहे. जब नंदिनी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई तो सारी कहानी ही बदल गई. जिस चांदबली और उस के बेटे को पुलिस जमीन के विवाद की वजह से नंदिनी की हत्या का दोषी मान रही थी, वह गलत निकला. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, हत्या से पहले नंदिनी के साथ दुष्कर्म भी किया गया था.
चांदबली और दुर्वासा ऐसा नहीं कर सकते थे. यह पुलिस ही नहीं, नंदिनी के घर वाले भी मान रहे थे. जब बापबेटे इस मामले में निर्दोष पाए गए तो पुलिस ने उन्हें हिदायत दे कर छोड़ दिया और इस मामले में नए सिरे से जांच में जुट गई.
बृजेश कुमार यादव ने घटना के खुलासे के लिए मुखबिरों की मदद ली. घटना के 12 दिनों बाद 12 मार्च, 2017 को एक मुखबिर ने पुलिस को सूचना दी कि गांव का ही 22 साल का गोरखप्रसाद इधर कुछ दिनों से सैक्स क्षमता बढ़ाने वाली दवाएं खा रहा है. डेढ़ साल पहले उस की पत्नी उसे छोड़ कर मायके चली गई थी. मुखबिर की इस बात से पुलिस को लगा कि हो न हो, सैक्स क्षमता बढ़ाने वाली दवा खाने वाले गोरखप्रसाद ने ही मासूम नंदिनी के साथ दुष्कर्म किया हो और पहचाने जाने के डर से उस की हत्या कर दी हो.
बृजेश कुमार यादव ने शक के आधार पर गोरखप्रसाद को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. थाने में जब उस से सख्ती से पूछताछ की गई तो उस ने मासूम नंदिनी के साथ दुष्कर्म कर हत्या की बात स्वीकार कर ली. उस ने वजह बताई कि नंदिनी की चाची रीना ने उसे धोखा दिया था, इसलिए उस ने बदला लेने के लिए यह सब किया.
‘‘नंदिनी की चाची ने तुम्हारे साथ कैसा धोखा किया?’’ बृजेश कुमार यादव ने पूछा.
‘‘सर, वह मुझ से प्यार करती थी लेकिन इधर वह मुझ से कटीकटी रहने लगी, जबकि उसी की वजह से मेरी पत्नी छोड़ कर चली गई. अब वह किसी और से प्यार करने लगी थी.’’ गोरखप्रसाद ने कहा.
गोरखप्रसाद द्वारा अपराध स्वीकार करने के बाद पुलिस उसे उस जगह पर ले गई, जहां उस ने यह सब किया था. घटनास्थल से पुलिस ने मृतका नंदिनी के कपड़े बरामद किए. इस के बाद रोजनामचे से चांदबली और दुर्वासा का नाम हटा कर गोरखप्रसाद को आरोपी बना कर उसी दिन अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. गोरखप्रसाद ने पुलिस को नंदिनी की चाची रीना से प्रेम करने से ले कर उस की हत्या तक की जो कहानी सुनाई, वह इस प्रकार थी—
22 साल का गोरखप्रसाद जिला गोरखपुर के थाना हरपुरबुदहट का रहने वाला था. 2 भाईबहनों में वह सब से बड़ा था. उस के पिता खेती करते थे. इंटर तक पढ़ा गोरखप्रसाद छोटामोटा काम करता था. उस के घर से थोड़ी दूरी पर रीना का घर था. पड़ोसी होने के नाते रीना के पति विनोद से उस की खूब पटती थी. रिश्ते में वह गोरखप्रसाद का चाचा लगता था.
विनोद बड़े भाई दिनेश के साथ विदेश कमाने चला गया तो घर में रीना अकेली रह गई. जेठानी सरिता भी बेटी के साथ रहती थी. रीना का कोई बच्चा नहीं था. दोनों भाइयों के बीच नंदिनी ही एकलौती बेटी थी, इसलिए वह पूरे परिवार की दुलारी थी. विनोद के विदेश चले जाने के बाद भी गोरखप्रसाद उस के घर आताजाता रहा. इसी आनेजाने में उस की नजर रीना पर जम गई. अविवाहित गोरखप्रसाद को लगा कि रीना का पति बाहर रहता है, अगर कोशिश की जाए तो वह उस के वश में आ सकती है.
बस फिर क्या था, वह रीना को चाहतभरी नजरों से ताकने लगा. जल्दी ही रीना ने उस के मन की बात को ताड़ भी लिया. रीना भी पुरुष सुख से वंचित थी, इसलिए उसे गोरखप्रसाद का इस तरह देखना अच्छा लगा. गोरखप्रसाद गबरू जवान था, रीना भी उस पर मर मिटी. जब दोनों ओर से चाहत जागी तो वे मिलने का मौका तलाशने लगे.
एक दिन दोपहर को गोरखप्रसाद रीना के घर पहुंचा तो सरिता बेटी को ले कर कहीं गई हुई थी. घर में रीना अकेली ही थी. उसे देखते ही रीना ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘आओ…आओ, बैठो. कहो, कैसे आना हुआ?’’
गोरखप्रसाद रीना से सट कर बैठते हुए बोला, ‘‘बस, आप के दीदार करने चला आया. बताओ, कैसी हो तुम?’’
‘‘अच्छी हूं, तुम्हारे चाचा की याद में एकएक दिन काट रही हूं.’’
‘‘और दिन है कि काटे नहीं कट रहे.’’
‘‘हां, सच कहते हो. लेकिन मन की बात कहूं भी तो किस से. निगोड़ी रात है कि काली नागिन की तरह डंसती है. पति के बिना बिस्तर कांटों की तरह चुभता है.’’
‘‘चाहो तो मुझ से कह सकती हो. मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं. आखिर मैं किस दिन के लिए हूं चाची.’’
‘‘तुम्हारी इसी अदा पर तो मैं तुम पर मर मिटी हूं. लेकिन तुम भी तो दूर से ही देख कर चले जाते हो.’’
‘‘क्यों, इस गरीब का मजाक उड़ा रही हो. मर तो मैं तुम पर गया हूं. मुझे लगता है, मैं तुम्हारे बिना जी नहीं पाऊंगा.’’
‘‘मुझे भी यही लगता है.’’ कह कर रीना ने गोरखप्रसाद को बांहों में भर लिया.
इस के बाद तो रिश्तों के बारे में न रीना ने सोचा और न गोरखप्रसाद ने. रिश्तों को तारतार करने का दोनों ने पश्चाताप भी नहीं किया. जबकि दोनों चाचीभतीजे तो थे ही, उम्र में भी 8 साल का अंतर था. एक बार मर्यादा टूटी तो सिलसिला बन गया. जब भी दोनों को मौका मिलता, जिस्म की भूख मिटा लेते.
गोरखप्रसाद ने रीना से वादा किया था कि वह उसी का हो कर रहेगा. लेकिन उस ने रीना को बताए बगैर शादी कर ली. रीना को पता तो तभी चल गया था, जब उस की शादी तय हुई थी. लेकिन शादी होने तक गोरखप्रसाद मुंह छिपाए रहा. प्रेमी की इस बेवफाई से त्रस्त रीना ने भी तय कर लिया था कि गोरखप्रसाद से ऐसा बदला लेगी कि वह सोच भी नहीं सकता.
उस ने कुछ ऐसा किया भी. उसी की वजह से शादी के एक हफ्ते बाद ही गोरखप्रसाद की पत्नी उसे छोड़ कर चली गई. उस ने आरोप लगाया कि उस का पति नामर्द है. वह उसे संतुष्ट नहीं कर पाता. इस तरह रीना ने प्रेमी से उस की बेवफाई का बदला ले लिया. जबकि रीना ने उस से अपने संबंधों के बारे में बता दिया था.
गोरखप्रसाद की पत्नी ने उस पर जो आरोप लगाया था, उस से गांव में गोरखप्रसाद की खूब बदनामी हुई. गांव वालों के सामने निकलने में उसे शर्मिंदगी महसूस होने लगी थी. पत्नी छोड़ कर चली गई तो गोरखप्रसाद रीना के घर के चक्कर लगाने लगा. रीना ने उसे प्यार तो दिया, लेकिन अब पहले वाली बात नहीं रही. शायद वह उस की बेवफाई को भुला नहीं पाई थी.
गोरखप्रसाद की इस बेवफाई से नाराज रीना ने किसी और से संबंध बना लिए थे. इसीलिए वह गोरखप्रसाद को पहले जैसा प्यार नहीं दे रही थी. रीना उस से कटीकटी रहने लगी थी. रीना का यह व्यवहार गोरखप्रसाद को अखरने लगा था. इस से उसे लगा कि पत्नी ने उस पर जो आरोप लगाया था, वह सच है. रीना भी उस की नामर्दी की वजह से उसे पहले जैसा प्यार नहीं दे रही है.
यही सोच कर गोरखप्रसाद मर्दानगी बढ़ाने के लिए नौसड़ के एक वैद्य से इलाज कराने लगा. 6 महीने तक इलाज कराने से वह खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ महसूस करने लगा था.
27 फरवरी, 2017 की रात गांव में एक बारात आई थी. बारात के साथ आर्केस्ट्रा भी था. घर से निकलने से पहले गोरखप्रसाद ने सैक्स क्षमता बढ़ाने वाली दवा खा ली और आर्केस्ट्रा देखने चला गया. दवा ने अपना असर दिखाया तो उसे रीना की याद आई. उस के जिस्म में शारीरिक सुख का कीड़ा कुलबुलाया तो वह रीना के घर जा पहुंचा.
उस समय रात के करीब 12 बज रहे थे. गहरी नींद में सोई रीना के जिस्म पर गोरखप्रसाद ने हाथ फेरा तो रीना चौंक कर उठ बैठी. गोरखप्रसाद को देख कर उस ने कहा, ‘‘इतनी रात को तुम यहां क्या कर रहे हो?’’
‘‘तुम से मिलने आया हूं.’’
‘‘देखो, अभी मेरा मन नहीं है. मुझे सोने दो.’’
‘‘मेरा बड़ा मन है. मन नहीं मान रहा.’’
‘‘मैं ने तुम्हारे मन को मनाने का ठेका ले रखा है क्या?’’
‘‘मेरी हालत पर तरस खाओ रीना, तुम्हारा प्यार पाने के लिए मन बड़ा बेचैन है. खुद को संभाल नहीं पा रहा हूं.’’
‘‘कहा न, मैं ने तुम्हारे मन को मनाने का ठेका नहीं ले रखा. जाते हो या…’’ रीना गुर्राई.
‘‘ठीक है भई, जाता हूं, नाराज क्यों हो रही हो.’’ कह कर गोरखप्रसाद रीना के पास से उठ कर आगे बढ़ा तो बरामदे में रीना की जेठानी सरिता अपनी मासूम बेटी नंदिनी के साथ सोती दिखाई दी. नंदिनी को देख कर उस की नीयत खराब हो गई, साथ ही रीना की बेवफाई भी याद आ गई. उस से बदला लेने के लिए वह दबे पांव सरिता की चारपाई के पास पहुंचा और गहरी नींद में सो रही नंदिनी को गोद में उठा कर बाग की ओर चल पड़ा.
बाग में पहुंच कर नंदिनी की आंखें खुलीं तो वह रोने लगी. गोरखप्रसाद पूरी तरह से हैवान बन चुका था. उस ने नंदिनी के कपड़े उतार दिए और जब उस के साथ जबरदस्ती की तो वह चिल्ला पड़ी. उसे चुप कराने के लिए गोरखप्रसाद ने उस का मुंह इतने जोर से दबाया कि उस की सांस थम गई. इसी के साथ उस ने पूरी ताकत से उस के सिर पर 2-3 घूंसे भी मार दिए थे. रहीसही कसर इन घूंसों ने पूरी कर दी थी.
जिस्म की आग ठंडी पड़ी तो उस ने नंदिनी को हिलाडुला कर देखा. उस के शरीर में हरकत न होते देख गोरखप्रसाद कांप उठा. उस ने सोचा कि अगर उस ने नंदिनी की लाश को यहां छोड़ दिया तो वह कभी भी पकड़ा जा सकता है. इसलिए उस ने नंदिनी की लाश को कंधे पर रखा और गांव से 3 किलोमीटर दूर ले जा कर कुआवल नदी में फेंक कर वापस आ गया. रीना ने कभी यह नहीं सोच रहा होगा कि उस का प्रेमी गोरखप्रसाद दरिंदगी की इस हद तक गुजर जाएगा और उस के घर का चिराग बुझा देगा. रीना पश्चाताप की आग में जल रही है. क्योंकि उसी के कारण मासूम बेटी नंदिनी की जान गई.
रीना का कोई दोष नहीं था, इसलिए पुलिस ने उस पर कोई काररवाई नहीं की. कथा लिखे जाने तक गोरखप्रसाद जेल में बंद था. पुलिस ने जांच पूरी कर आरोपपत्र दाखिल कर दिया था.
– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कुछ पात्रों के नाम बदले गए हैं.
भीकाजी बोर्डे का घर औरंगाबाद के चिखनठाना की चौधरी कालोनी में था.बोर्डे परिवार में कुल जमा 3 सदस्य थे. भीकाजी बोर्डे, पत्नी कमलाबाई और बेटा भगवान दिनकर बोर्डे. भीकाजी की एक बेटी भी थी विमल, जिस की वह शादी कर चुके थे. विमल 2 बच्चों की मां थी और पति से चल रहे किसी विवाद की वजह से मायके में रह रही थी. उस के दोनों बच्चे पति के पास रह रहे थे.
23 वर्षीय अमोल बोर्डे भगवान दिनकर बोर्डे का दोस्त था. उस का घर बोर्डे परिवार के घर से कुछ दूरी पर था. दोनों हमउम्र थे. दोस्ती के नाते दोनों का एकदूसरे के घर आनाजाना था.
जब से भीकाजी की बेटी विमल मायके आई थी, तब से अमोल भीकाजी के घर कुछ ज्यादा ही आने लगा था. उसे इस बात की जानकारी थी कि विमल और उस के पति के बीच तनातनी चल रही है और वह हालफिलहाल पति के पास जाने वाली नहीं है. दरअसल, अमोल अभी अविवाहित था, इसलिए दोस्त की बहन को दूसरी नजरों से देखने लगा था.
भाई का दोस्त होने के नाते विमल उसे भी भाई समझती थी. वह बात भी उसी अंदाज में करती थी. वैसे भी विमल बातूनी लड़की थी. जब विमल और अमोल के बीच बातों का सिलसिला जुड़ा तो अमोल ने बातों के कुछ शब्दों को ऐसा रंग देना शुरू कर दिया कि उस की चाहत नजर आए. उस के ऐसे शब्दों पर या तो विमल ने ध्यान नहीं दिया या दिया भी तो उस की बातों को गंभीरता से नहीं लिया.
अमोल ने मीठीमीठी बातों से विमल को शीशे में उतारने की काफी कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली. बहुत कुछ समझ कर भी विमल अमोल को ऐसा कुछ नहीं कहना चाहती थी जिस से भाई भगवान दिनकर और अमोल की दोस्ती में दरार पड़े. लेकिन वह कब तक यह सब सहन करती.
आखिर एक दिन सब्र का प्याला छलक ही गया. हुआ यह कि उस दिन विमल घर पर अकेली थी. अमोल को पता चला तो वह मौके का फायदा उठाने की सोच कर उस के घर पहुंच गया.
विमल ने उसे बैठने के लिए कुरसी दी और उस के लिए चाय बनाने चली गई. उस समय वह घर में अकेली थी. अमोल ने अपनी मनमरजी करने के लिए इस मौके को उचित समझा. वापस लौट कर विमल ने चाय का प्याला अमोल को दिया तो उसी समय अमोल ने उस का हाथ पकड़ लिया.
उस की इस हरकत पर विमल चौंक गई. उस की नीयत में खोट देख कर उसे गुस्सा आ गया. उस ने अपना हाथ छुड़ाने के बाद चाय का प्याला मेज पर रखा, फिर उसे जम कर लताड़ा और उसी समय घर से भगा दिया.
अमोल को इस बात की उम्मीद भी नहीं थी कि विमल उस की इतनी बेइज्जती करेगी. विमल के हंसहंस कर बात करने से वह तो यही सोचता था कि विमल भी उसे चाहती है. इसी का फायदा उठाने के लिए वह आया भी था. लेकिन उसे उलटे विमल के गुस्से का सामना करना पड़ा. बेइज्जती सह कर वह उस समय वहां से चला गया.
घर पहुंचने के बाद भी विमल द्वारा की गई बेइज्जती अमोल के दिमाग में घूमती रही. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि इस स्थिति में वह क्या करे.
उधर शाम के समय विमल के मातापिता और भाई घर लौटे तो विमल ने अमोल की हरकत मां कमलाबाई को बता दी. कमलाबाई को बहुत गुस्सा आया. अमोल उस के बेटे का दोस्त था इसलिए वह उसे भी अपने घर का सदस्य समझती थी, लेकिन उस की सोच इतनी घटिया थी, वह नहीं समझ पाई थी. घर की बदनामी को देखते हुए कमलाबाई ने इस बात का शोरशराबा तो नहीं किया लेकिन बेटी को उस से सतर्क रहने की सलाह जरूर दे दी.
अगले दिन अमोल को अपने दोस्त यानी विमल के भाई भगवान दिनकर बोर्डे की याद आई. वह उस के साथ घूमता और गप्पें मारता था, इसलिए उस का मन दोस्त से मिलने के लिए कर रहा था. विमल ने जिस तरह उसे लताड़ा था, वह बात भी उस के दिमाग में घूम रही थी.
अमोल यह समझ रहा था कि उस ने विमल के साथ जो हरकत की थी, उस के बारे में विमल अपने घर वालों से चर्चा तक नहीं करेगी, क्योंकि ज्यादातर लड़कियां इस तरह की बातें शुरुआत में अपने तक ही छिपा कर रखती हैं. मातापिता को ये बातें बताने में उन्हें शर्म महसूस होती है.
यही सोच कर अमोल बिना किसी डर के अपने दोस्त भगवान दिनकर बोर्डे से मिलने उस के घर पहुंच गया. विमल अमोल की हरकत मां को पहले ही बता चुकी थी. लिहाजा विमल की मां कमलाबाई ने अमोल को आड़े हाथों लिया.
उस ने भी अमोल को जम कर खरीखोटी सुनाई. इतना ही नहीं, उसे बेइज्जत करते हुए धमकी दी कि वह इसी समय वहां से चला जाए और आइंदा उस के घर में कदम न रखे.
बेइज्जती सह कर अमोल वहां से उलटे पांव लौट आया. इस अपमान की ज्वाला उस के सीने में दहकने लगी थी. उस ने तय कर लिया कि विमल और उस की मां ने उस की जो बेइज्जती की है, वह उस का बदला जरूर लेगा. बदले की भावना उस के मन में घर कर गई.
बात 25 सितंबर, 2019 की है. अमोल अपने घर पर ही था. उस के दिमाग में बेइज्जती वाली बातें ही घूम रही थीं. वह सोच रहा था कि इस अपमान का बदला कैसे ले.
रात के 8 बजे थे. उस समय अमोल को भूख लगी थी. उस ने अपनी मां से खाना परोसने को कहा. मां खाना परोस कर ले आई.
निवाला तोड़ कर वह खाने को हुआ, तभी उस के दिमाग में बदला लेने वाली बात फिर आ गई. अमोल ने खाना छोड़ दिया और किचन की तरफ चल दिया.
उस की मां ने बिना खाना खाए उठने की वजह पूछी, लेकिन वह कुछ नहीं बोला. अमोल ने किचन से चाकू उठा कर अपनी जेब में रख लिया. उस की मां पूछती रही, लेकिन उस ने कोई जवाब नहीं दिया. वह घर के बाहर निकल गया. मां पूछने के लिए उस के पीछेपीछे आ रही थी, लेकिन अमोल ने घर का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया ताकि मां घर से बाहर न आए. उस की मां, पिता और भांजी घर में ही बंद रह गए. वे समझ नहीं पा रहे थे कि अमोल ने ऐसा क्यों किया.
अपने घर से करीब 70 मीटर दूर वह सीधे विमल के घर में घुस गया. घर में घुसते ही उस ने मुख्य दरवाजा बंद कर दिया. उस समय वह बहुत गुस्से में था. विमल के मांबाप ने जब अमोल को अपने घर में देखा तो उन्होंने उस से वहां आने की वजह पूछी. तभी अमोल ने जेब में रखा चाकू निकाल लिया और अपने दोस्त दिनकर बोर्डे की तरफ बढ़ा.
अमोल को गुस्से में देख कर भगवान बोर्डे अपनी जान बचाने के लिए भागा. अमोल ने दौड़ कर भगवान को पकड़ लिया और उस की गरदन पर चाकू से वार कर दिया. तभी भगवान के मातापिता भी वहां आ गए. बेटे के खून के छींटें उन के ऊपर भी गए. दिनकर भगवान बोर्डे वहीं गिर गया और कुछ ही देर में उस की मृत्यु हो गई.
इस के बाद अमोल बोर्डे ने दिनकर की मां कमलाबाई पर हमला किया. फिर उस ने उस के पिता को भी निशाने पर ले लिया. इस तरह उस ने परिवार के 3 लोगों की हत्या कर दी. इस दौरान विमल दरवाजा खोल कर बाहर भाग गई थी. विमल ने यह बात पड़ोसियों को बताई तो वे घरों से बाहर निकल आए.
3 हत्याएं करने के बाद अमोल खून सना चाकू ले कर घर से बाहर निकला तो कई लोग वहां खड़े थे. लेकिन अमोल की आंखों में तैर रहे गुस्से और खून सने चाकू को देख कर कोई भी कुछ कह नहीं सका और वह वहां से चला गया.
किसी ने इस तिहरे हत्याकांड की खबर पुलिस को दे दी थी. सूचना मिलने पर एमआईडीसी सिडको थाने के प्रभारी सुरेंद्र मोलाले थोड़ी देर में दिनकर बोर्डे के घर पहुंच गए. तभी लोगों ने पुलिस को अमोल बोर्डे के बारे में जानकारी दी कि वह चौराहे पर खड़ा है.
यह सूचना मिलने के बाद पुलिस ने चौराहे पर खड़े अमोल बोर्डे को हिरासत में ले लिया. थानाप्रभारी सुरेंद्र मोलाले ने अभियुक्त अमोल से ट्रिपल मर्डर के बारे में पूछताछ की तो उस ने सारी कहानी बता दी.
उस ने कहा कि उस ने अपनी बेइज्जती का बदला लेने के लिए इस वारदात को अंजाम दिया. अमोल बोर्डे से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.
उस दिन गुरुवार था. तारीख थी 2018 की 13 दिसंबर. कोटा के विशेष न्यायिक मजिस्ट्रैट (एनआई एक्ट) राजेंद्र बंशीलाल की अदालत में काफी भीड़ थी. वजह यह थी कि एक नृशंस हत्यारे को उस के अपराध की सजा सुनाई जानी थी. हत्यारे का नाम लालचंद मेहता था और जिन्हें उस ने मौत के घाट उतारा था, वह थीं बीएसएनएल की उपमंडल अधिकारी स्वाति गुप्ता. लालचंद मेहता उन का ड्राइवर रह चुका था. उस के अभद्र व्यवहार को देखते हुए स्वाति गुप्ता ने घटना से 2 दिन पहले ही उसे नौकरी से निकाला था.
3 साल पहले 21 अगस्त, 2015 की रात को लालचंद ने स्वाति की हत्या उन के घर के बाहर तब कर दी थी, जब वह औफिस से लौट कर घर पहुंची थीं. लालचंद ने स्वाति गुप्ता पर चाकू से 10-15 वार किए थे. इस केस में गवाहों के बयान, पुलिस द्वारा जुटाए गए सबूत और अन्य साक्ष्य अदालत के सामने पेश किए जा चुके थे. दोनों पक्षों के वकीलों की जिरह भी हो चुकी थी. सजा के मुद्दे पर बचाव पक्ष के वकील ने कहा था, ‘‘आरोपी का परिवार है, उसे सुधरने का अवसर देने के लिए कम सजा दी जाए.’’
जबकि लोक अभियोजक नित्येंद्र शर्मा तथा परिवादी के वकील मनु शर्मा और भुवनेश शर्मा ने दलील दी थी कि आरोपी लालचंद मेहता मृतका स्वाति का ड्राइवर-कम-केयरटेकर था. परिवादी पक्ष ने उस की हर तरह से मदद की थी, लेकिन उस ने मामूली सी बात पर जघन्य हत्या कर दी थी. इसलिए अदालत को उस के प्रति जरा भी दया नहीं दिखानी चाहिए.
विशेष न्यायिक मजिस्ट्रैट राजेंद्र बंशीलाल जब न्याय के आसन पर बैठ गए तो अदालत में मौजूद सभी लोगों की नजरें उन पर जम गईं. गिलास से एक घूंट पानी पीने के बाद न्यायाधीश ने एक नजर भरी अदालत पर डाली. फिर फाइल पर नजर डाल कर पूछा, ‘‘मुलजिम कोर्ट में मौजूद है?’’
‘‘यस सर,’’ एक पुलिस वाले ने जवाब दिया जो लालचंद को कस्टडी में लिए हुए था.
न्यायाधीश राजेंद्र बंशीलाल ने अपने 49 पेजों के फैसले की फाइल पलटते हुए कहना शुरू किया, ‘‘अदालत ने इस केस के सभी गवाहों को गंभीरतापूर्वक सुना, प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों को कानून की कसौटी पर परखा, जानसमझा. बचाव पक्ष और अभियोजन पक्ष की सभी दलीलों को सुना. तकनीकी साक्ष्यों का गहन अध्ययन किया. पूरे केस पर गंभीरतापूर्वक गौर करने के बाद अदालत इस नतीजे पर पहुंची कि लालचंद मेहता ने स्वाति की हत्या बहुत ही नृशंस तरीके से की. यहां तक कि जब उस का चाकू हड्डियों में अटक गया, तब भी उस ने चाकू को जोरों से खींच कर निकाला और फिर वार किए. निस्संदेह यह उस का गंभीर, जघन्य और हृदयविदारक कृत्य था.’’
इस केस का निर्णय जानने से पहले आइए जान लें कि 35 वर्षीय गजेटेड औफिसर स्वाति गुप्ता को क्यों जान गंवानी पड़ी.
बुधवार 20 अगस्त, 2015 को रिमझिम बरसात हो रही थी. रात गहरा चुकी थी और तकरीबन 9 बज चुके थे. बूंदाबादी तब भी जारी थी. घटाटोप आकाश को देख कर लगता था कि देरसवेर तूफानी बारिश होगी.
कोटा शहर के आखिरी छोर पर बसे उपनगर आरके पुरम के थानाप्रभारी जयप्रकाश बेनीवाल तूफानी रात के अंदेशे में अपने सहायकों से रात्रि गश्त को टालने के बारे में विचार कर रहे थे, तभी टेलीफोन की घंटी से उन का ध्यान बंट गया. उन्होंने रिसीवर उठाया तो दूसरी तरफ से भर्राई हुई आवाज आई, ‘‘सर, मेरा नाम दीपेंद्र गुप्ता है. मेरी पत्नी स्वाति गुप्ता का कत्ल हो गया है. हत्यारा मेरा ड्राइवर-कम-केयरटेकर रह चुका लालचंद मेहरा है.’’
हत्या की खबर सुनते ही थानाप्रभारी के चेहरे का रंग बदल गया. उन्होंने पूछा, ‘‘आप अपना पता बताइए.’’
‘‘ई-25, सेक्टर कालोनी, आर.के. पुरम.’’
‘‘ठीक है, मैं फौरन पहुंच रहा हूं.’’ कहते हुए थानाप्रभारी ने फोन डिसकनेक्ट कर दिया. बेनीवाल पुलिस फोर्स के साथ उसी वक्त घटनास्थल की तरफ रवाना हो गए. उस समय रात के करीब साढ़े 9 बज रहे थे.
थानाप्रभारी बेनीवाल अपनी टीम के साथ 15 मिनट में दीपेंद्र गुप्ता के आवास पर पहुंच गए. उन के घर के बाहर भीड़ लगी हुई थी. बेनीवाल की जिप्सी आवास के मेन गेट पर पहुंची. जिप्सी से उतर कर जैसे ही वह आगे बढ़े तो एकाएक उन के पैर खुदबखुद ठिठक गए. गेट पर खून ही खून फैला था. उन्होंने बालकनी की तरफ नजर दौड़ाई तो व्हीलचेयर पर बैठे एक व्यक्ति को लोग संभालने की कोशिश कर रहे थे, जो बुरी तरह बिलख रहा था.
स्थिति का जायजा लेने के बाद थानाप्रभारी बेनीवाल ने फोन कर के एसपी सवाई सिंह गोदारा को वारदात की सूचना दे दी. इस से पहले कि बेनीवाल तहकीकात शुरू करते, एसपी तथा अन्य उच्चाधिकारी फोटोग्राफर व फिंगरप्रिंट एक्सपर्ट के साथ वहां पहुंच गए..
एसपी सवाई सिंह गोदारा और उच्चाधिकारियों के साथ थानाप्रभारी बेनीवाल बालकनी में व्हीलचेयर पर बैठे बिलखते हुए व्यक्ति के पास गए. पता चला कि दीपेंद्र गुप्ता उन्हीं का नाम था. बेनीवाल के ढांढस बंधाने के बाद उन्होंने बताया, ‘‘सर, फोन मैं ने ही किया था.’’
दीपेंद्र गुप्ता ने उन्हें बताया कि उस की पत्नी स्वाति गुप्ता बीएसएनएल कंपनी में उपमंडल अधिकारी थीं. लगभग 9 बजे वह कार से घर लौटी थीं.
जब वह मेनगेट बंद करने गई तभी अचानक वहां छिपे बैठे उन के पूर्व ड्राइवर लालचंद मेहता चाकू ले कर स्वाति पर टूट पड़ा और तब तक चाकू से ताबड़तोड़ वार करता रहा जब तक स्वाति के प्राण नहीं निकल गए. चीखतीचिल्लाती स्वाति लहूलुहान हो कर जमीन पर गिर पड़ीं.
दीपेंद्र की रुलाई फिर फूट पड़ी. उन्होंने सुबकते हुए कहा, ‘‘अपाहिज होने के कारण मैं अपनी पत्नी को हत्यारे से नहीं बचा सका. बादलों की गड़गड़ाहट में हालांकि स्वाति की चीख पुकार और मेरा शोर भले ही दब गया था, लेकिन जिन्होंने सुना वे दौड़ कर पहुंचे, लेकिन तब तक लालचंद भाग चुका था.’’
एक पल रुकने के बाद दीपेंद्र गुप्ता बोले, ‘‘संभवत: स्वाति की सांसों की डोर टूटी नहीं थी, इसलिए पड़ोसी लहूलुहान स्वाति को तुरंत ले अस्पताल गए, लेकिन…’’ कहतेकहते दीपेंद्र का गला फिर रुंध गया.
‘‘स्वाति को बचाया नहीं जा सका. मुझ से बड़ा बदनसीब कौन होगा. जिस की पत्नी को उस के सामने वहशी हत्यारा चाकुओं से गोदता रहा और मैं कुछ नहीं कर पाया?’’
वहशी हत्यारे की करतूत और लाचार पति की बेबसी पर एक बार तो पुलिस अधिकारियों के दिल में भी हूक उठी.
एसपी सवाई सिंह गोदारा ने कुछ सोचते हुए कहा, ‘‘हत्यारे के बारे में मालूम है. वह जल्द ही पुलिस की गिरफ्त में होगा.’’ उन्होंने बेनीवाल से कहा, ‘‘बेनीवाल, मैं चाहता हूं हत्यारा जल्द से जल्द तुम्हारी गिरफ्त में हो. अभी से लग जाओ उस की तलाश में.’’
इस बीच फिंगरप्रिंट एक्सपर्ट और फोटोग्राफर अपना काम कर चुके थे.
‘‘…और हां,’’ एसपी ने बेनीवाल का ध्यान वहां लगे सीसीटीवी कैमरों की तरफ दिलाते हुए कहा, ‘‘इस मामले में लालचंद को पकड़ना तो पहली जरूरत है ही. लेकिन सीसीटीवी फुटेज भी खंगालो, फुटेज में पूरी वारदात नजर आ जाएगी.’’
पुलिस की तत्परता कामयाब रही और देर रात लगभग 2 बजे आरोपी लालचंद को रावतभाटा रोड स्थित मुरगीखाने के पास से गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस ने उस के कब्जे से हत्या में इस्तेमाल किया गया चाकू भी बरामद कर लिया.
इस बीच दीपेंद्र गुप्ता की रिपोर्ट पर भादंवि की धारा 402 और 460 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया था. गुप्ता परिवार ने खुद पाला था मौत देने वाले को मौके पर की गई पूछताछ के बाद पुलिस ने स्वाति गुप्ता की लाश मोर्चरी भिजवा दी. पोस्टमार्टम के बाद स्वाति का शव अंत्येष्टि के लिए घर वालों को सौंप दिया गया.
पुलिस के लिए अहम सवाल यह था कि आखिर इतनी हिंसक मनोवृत्ति के व्यक्ति को दीपेंद्र गुप्ता ने ड्राइवर जैसे जिम्मेदार पद पर कैसे नौकरी पर रख लिया. लालचंद पिछले 20 सालों से दीपेंद्र गुप्ता के यहां नौकरी कर रहा था. आखिर उसे किस की सिफारिश पर नौकरी दी गई थी. पुलिस ने यह सवाल दीपेंद्र गुप्ता से पूछा ‘‘उस आदमी के बारे में तो अब मुझे कुछ याद नहीं आ रहा.’’ दीपेंद्र गुप्ता ने कहा, ‘‘उस का कोई रिश्तेदार था, जिस के कहने पर मैं ने लालचंद को अपने यहां नौकरी पर रखा था. लालचंद झालावाड़ जिले के मनोहरथाना कस्बे का रहने वाला था. शायद उस का सिफरिशी रिश्तेदार भी वहीं का था.’’
बेनीवाल ने पूछा, ‘‘जब वह पिछले 20 सालों से आप को यहां काम कर रहा था तो जाहिर है काफी भरोसेमंद रहा होगा. फिर अचानक ऐसा क्या हो गया कि आप ने उसे नौकरी से निकाल दिया.’’
‘‘उस में 2 खामियां थीं…’’ कहतेकहते दीपेंद्र गुप्ता एक पल के लिए सोच में डूब गए. जैसे कुछ याद करने की कोशिश कर रहे हों.
वह फिर बोले, ‘‘दरअसल, उसे एक तो शराब पीने की लत थी और दूसरे वह परिवार की जरूरतों का रोना रो कर हर आठवें दसवें दिन पैसे मांगता. शुरू में मुझे उस की दारूबाजी की खबर नहीं थी. पारिवारिक मुश्किलों का हवाला दे कर वह इस तरह पैसे मांगता था कि मैं मना नहीं कर पाता था. लेकिन स्वाति को यह सब ठीक नहीं लगता था.
दीपेंद्र गुप्ता ने आगे कहा, ‘‘स्वाति ने मुझे कई बार रोका और कहा, ‘बिना किसी की जरूरत को ठीक से समझे बगैर इतनी दरियादिली आप के लिए नुकसानदायक हो सकती है.’ लेकिन मैं ने यह कह कर टाल दिया कि कोई मजबूरी में ही पैसे मांगता है.’’
बेनीवाल दीपेंद्र की बातों को सुनने के साथसाथ समझने की भी कोशिश कर रहे थे. दीपेंद्र ने आगे कहा, ‘‘लेकिन…लालचंद ने शायद मेरी पत्नी स्वाति की आपत्तियों को भांप लिया था. कई मौकों पर मैं ने उसे स्वाति से मुंहजोरी भी करते देखा. मैं ने उसे आड़ेहाथों लेने की कोशिश की. लेकिन उस की मिन्नतों और आइंदा ऐसाकुछ नहीं करने की बातों पर मैं ने उसे बख्श दिया.’’
दीपेंद्र गुप्ता से लालचंद के बारे में काफी जानकारियां मिलीं. लालचंद पिछले 20 सालों से गुप्ता परिवार के यहां काम कर रहा था. अपंग गुप्ता के लिए उसे निकाल कर नए आदमी की तलाश करना पेचीदा काम था.
दरअसल, दीपेंद्र गुप्ता भी एक सफल बिजनैसमैन थे, लेकिन जीवन में घटी एक घटना ने सब कुछ बदल कर रख दिया. दीपेंद्र गुप्ता को उन के दोस्त विनय गुप्ता के नाम से जानते थे. कभी शैक्षिक व्यवसाय से जुड़े दीपेंद्र का लौर्ड बुद्धा कालेज नाम से अपना शैक्षणिक संस्थान था. लेकिन सन 2011 में चंडीगढ़ से कोटा लौटते समय हुए एक रोड ऐक्सीडेंट में उन्हें गंभीर चोटें आईं. ऊपर से इलाज के दौरान उन्हें पैरालिसिस हो गया. तब उन्हें अपना संस्थान बेचना पड़ा.
उन की पत्नी स्वाति गुप्ता उपमंडल अधिकारी थीं, जिन का अच्छाखासा वेतन घर में आता था. इस के अलावा गुप्ता ने अपने आवास के एक बड़े हिस्से को किराए पर भी दे दिया, जिस से मोटी रकम मिलती थी. लालचंद मेहता को दीपेंद्र गुप्ता ने सन 2003 में ड्राइवर की नौकरी पर रखा था. उन की शादी स्वाति से सन 2004 में हुई थी, यानी लालचंद मेहता उन की शादी के एक साल पहले से ही उन के यहां नौकरी कर रहा था.
दीपेंद्र गुप्ता के व्हीलचेयर पर आने के बाद लालचंद सिर्फ ड्राइवर ही नहीं रहा, बल्कि गुप्ता का केयरटेकर भी बन गया. एक तरह से अब दीपेंद्र गुप्ता लालचंद पर निर्भर हो गए थे. लालचंद ने उन की इस लाचारी का फायदा उठाया. वह शराब पी कर घर आने लगा था. गुप्ता के सामने ही स्वाति से बदतमीजी से पेश आने लगा था. अब वह पैसे भी दबाव के साथ मांगने लगा था. उस पर गुप्ता की इतनी रकम उधार हो गई थी कि अपनी 2 सालों की तनख्वाह से भी नहीं चुका सकता था.
उस की दाबधौंस 20 अगस्त, 2015 को दीपेंद्र गुप्ता के सामने आई. उस समय वह दारू के नशे में धुत था. उस की आंखें चढ़ी हुई थीं और स्वाति से अनापशनाप बोल कर पैसे ऐंठने पर उतारू था.
आजिज आ कर स्वाति ने डांटा था लालचंद को पानी सिर से गुजर चुका था. इस से पहले कि गुप्ता कुछ कह पाते, स्वाति ने उसे दो टूक लफ्जों में कह दिया, ‘‘तुम्हें इतना पैसा दिया जा चुका है कि तुम सात जनम तक नहीं उतार सकते. तुम परिवार की जरूरतों के बहाने पैसे मांगते हो और दारू में उड़ा देते हो. फौरन यहां से निकल जाओ. आइंदा इधर का रुख भी मत करना.’’
एसपी सवाई सिंह गोदारा ने इस मामले की सूक्ष्मता से जांच कराई. इस केस में चश्मदीद गवाह कोई नहीं था, लेकिन तकनीकी साक्ष्य इतने मजबूत थे कि उन्हीं की बदौलत केस मृत्युदंड की सजा तक पहुंच पाया.
घर में लगे सीसीटीवी कैमरों में पूरी वारदात की फुटेज मिल गई थी, जिस में लालचंद स्वाति गुप्ता पर चाकू से वार करता हुआ साफ दिखाई दे रहा था.
जांच के दौरान मौके से मिले खून के धब्बे, चाकू में लगा खून और पोस्टमार्टम के दौरान मृतका के शरीर से लिए गए खून के सैंपल का मिलान कराया गया. मौके से मिले फुटप्रिंट का भी आरोपी के फुटप्रिंट से मिलान कराया गया. इन सारे सबूतों को अदालत ने सही माना.
न्यायाधीश राजेंद्र बंशीलाल ने सारे सबूतों, गवाहों और दोनों पक्षों के वकीलों की जिरह सुनने के बाद 49 पेज का फैसला तैयार किया था. अभियुक्त लालचंद को दोषी पहले ही करार दे दिया गया था. 13 दिसंबर, 2018 को उसे सजा सुनाई जानी थी.
न्यायाधीश ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा, ‘‘इस में कोई दो राय नहीं कि लालचंद मेहता ने जिस तरह स्वाति की जघन्य हत्या की, वह रेयरेस्ट औफ रेयर की श्रेणी में आता है. लेकिन इस के साथ ही हमें यह भी देखना होगा कि उस ने केवल स्वाति की हत्या ही नहीं की बल्कि अपाहिज दीपेंद्र गुप्ता का सहारा भी छीन लिया. साथ ही उन की मासूम बेटी के सिर से मां का साया भी उठ गया.’’
न्यायाधीश राजेंद्र बंशीलाल ने आगे कहा, ‘‘सारी बातों के मद्देनजर दोषी लालचंद को मृत्युदंड और 30 हजार रुपए जुरमाने की सजा देती है.’’
फैसला सुनाने के बाद न्यायाधीश अपने चैंबर में चले गए.
जज द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद पुलिस ने मुलजिम लालचंद मेहता को हिरासत में ले लिया. अदालत द्वारा मुलजिम को मौत की सजा सुनाए जाने पर लोगों ने संतोष व्यक्त किया.
उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के नौशाद नामक शख्स के गेहूं के खेत में 11 अप्रैल, 2016 की सुबह लोगों ने एक नौजवान की लाश देख कर पुलिस को सूचना दी. तकरीबन 30 साला नौजवान खून से लथपथ था. उस की हत्या किसी धारदार हथियार से गरदन काट कर की गई थी. उस की पैंट भी नदारद थी. पुलिस नौजवान की शिनाख्त कराने में नाकाम रही. मामला दर्ज कर के पुलिस ने जांचपड़ताल शुरू कर दी. कई दिनों तक कोई नतीजा नहीं निकला.
इधर 16 अप्रैल, 2016 को दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके के कुछ लोग थाना कोतवाली पहुंचे. उन लोगों के मुताबिक, उन के परिवार का एक नौजवान ब्रजेश यादव लापता था. उन्हें पता चला कि उन के यहां कोई लाश मिली है.
पुलिस ने फोटो और बरामद सामान दिखाया, तो मृतक की पहचान ब्रजेश के रूप में हो गई.
पुलिस को ताज्जुब यह था कि वे लोग दिल्ली से बागपत किस सूचना पर पहुंचे थे. ब्रजेश के परिवार वालों ने अपने साथ आए नौजवान की ओर इशारा कर के बताया कि वह तांत्रिक है और उस के सिर पर आए जिन्न ने ही बताया था कि लापता ब्रजेश बागपत में यमुना किनारे मरा मिला है.
पुलिस को उस तथाकथित तांत्रिक की हरकतें कुछ ठीक नहीं लगीं, तो उसे हिरासत में ले लिया गया. उस तांत्रिक से सख्ती से पूछताछ हुई, तो मामला खुला.
यों उलझे जाल में
दरअसल, गिरफ्तार तांत्रिक इलियास बागपत इलाके का ही रहने वाला था. आवारागर्दी और ठगबाज लोगों की संगत ने उसे पाखंडी बना दिया. उस ने दाढ़ी बढ़ाई और सफेद कपड़े पहन कर तंत्रमंत्र के ढोंग कर लोगों को ठगना शुरू कर दिया. उस ने अपने कई आवारा दोस्त भी अपने साथ मिला लिए, जो उस के चमत्कार के किस्से लोगों को मिर्चमसाला लगा कर सुनाते थे.
समाज में पाखंडियों पर भरोसा करने वाले लोगों की कमी नहीं होती. आज भी लोग तांत्रिकों की तमाम बुरी करतूतों के बाद अपनी तकलीफों का इलाज झाड़फूंक, तंत्रमंत्र में खोजते हैं. ऐसे ही लोगों के पैसे पर वह भी मौज करने लगा.
जहांगीरपुरी के रहने वाले राजू यादव की पत्नी लीला देवी की तबीयत खराब रहती थी. पहले उस का डाक्टर से इलाज कराया. जब उसे कोई फायदा नहीं हुआ, तो उन्होंने मुल्लामौलवियों में झाड़फूक के सहारे इलाज की खोज शुरू कीं. वे इलियास से मिले, तो उस ने खुद को पहुंचा हुआ तांत्रिक बताया और तंत्र विद्या के बल पर इलाज करने को तैयार हो गया.
यादव परिवार उसे आसान शिकार लगा. अपने सिर पर वह जिन्न आने की बात करता और इलाज करने का ढोंग करता. चमत्कार की आस में पूरा परिवार उस के झांसे में आ गया.
इलियास अकसर उस के घर पहुंच जाता. इस दौरान उस की खूब इज्जत होती और मुंहमांगी रकम भी मिलती. जिन्न को खुश करने के नाम पर वह शराब और कबाब की दावत भी उड़ाता.
यादव परिवार उसे न्योता दे कर सोच रहा था कि वह उन्हें सारे दुखों से नजात दिला देगा. पाखंड के दम पर तांत्रिक मौज करता रहा. महीनों इलाज का फायदा नहीं दिखा, तो उस ने बहका दिया कि बुरी आत्माओं का साया पूरे परिवार पर है. उन्होंने लीला देवी को जकड़ लिया है. वे आत्माएं धीरेधीरे ही उस की तंत्र क्रियाओं से जाएंगी.
एक दिन लीला देवी का बेटा ब्रजेश अचानक गायब हुआ, तो परिवार के लोगों ने उस की खोजबीन शुरू की. दिल्ली में कई जगह वह उसे ढूंढ़ते रहे. कोई समझ नहीं पा रहा था कि वह कहां चला गया था.
इस खोजबीन में इलियास भी उन के साथ रहता. जब सभी थक गए, तो इलियास ने तंत्र विद्या के बल पर ब्रजेश का पता लगाने की बात की और तंत्र क्रिया के नाम पर रुपए ऐंठ लिए. इस के बाद उस ने बताया कि उस के सिर पर आए जिन्न ने बताया है कि बागपत में यमुना किनारे ब्रजेश को मार दिया गया है.
सब लोगों के साथ वह भी थाने पहुंचा, तो उस की बात एकदम सच निकली, लेकिन वह पुलिस के जाल में खुद ही उलझ गया.
इसलिए की हत्या
दरअसल, यादव परिवार तांत्रिक इलियास का पूरी तरह मुरीद हो गया था. उन के पैसे पर वह मौज कर रहा था. तंत्र क्रियाओं के नाम पर शराब के साथ दावतें लेता था. परिवार की एक लड़की को भी उस ने अपने प्रेमजाल में फांस लिया और डोरे डालने शुरू कर दिए. ब्रजेश को उस की हरकतें पसंद नहीं आईं. उसे यह भी लगने लगा कि तंत्र क्रिया की आड़ में इलियास उन लोगों को लूट रहा है.
इलियास को यह बात अखर गई. यादव परिवार उस के लिए सोने के अंडे देने वाली मुरगी बन गया था. उन की जायदाद पर उस की नजर थी. सभी का विश्वास उस ने अपने पाखंड से जीत लिया था. अपने पाखंड के पैर जमाए रखने के लिए उस ने ब्रजेश को ही रास्ते से हटाने का फैसला कर लिया.
एक दिन उस ने ब्रजेश को बताया कि उसे अपनी तंत्र क्रियाओं से पता चला है कि बागपत में गंगा किनारे खजाना दबा हुआ है, लेकिन उसे वह खुद नहीं निकाल सकता. उस ने ब्रजेश को समझाया कि उसे वह निकाल ले, बाद में दोनों आधाआधा बांट लेंगे. ऐसे में उस से जिन्न भी नाराज नहीं होंगे.
ब्रजेश को उस ने यह भी समझाया कि वह यह बात किसी को न बताए, वरना खजाना गायब हो जाएगा और उस के हाथ कुछ भी नहीं आएगा. ब्रजेश उस के झांसे में आ गया.
10 अप्रैल की शाम को वह इलियास के साथ बागपत पहुंच गया. अंधेरा होने पर इलियास उसे खेत में ले गया. ब्रजेश को जान का खतरा महसूस हुआ, तो वहां दोनों के बीच लड़ाई हो गई, लेकिन इलियास ने गंड़ासे से उस की गरदन काट कर हत्या कर दी.
ब्रजेश की पहचान जल्द न हो, इसलिए उस ने उस की पैंट उतार कर छिपा दी. इस दौरान इलियास के माथे पर भी चोट आई. बाद में वह ब्रजेश के परिवार में पहुंचा. वह भी ब्रजेश की खोजबीन कराता रहा. उस पर शक न हो, इसलिए उस ने जिन्न वाली मनगढ़ंत कहानी बताई.
पाखंडी की पोल खुलने से यादव परिवार के पास पछताने के सिवा कुछ नहीं बचा था. तांत्रिक को न्योता दे कर उस ने धनदौलत और बेटा गंवा दिया था. पाखंडी तांत्रिक अब सलाखों के पीछे है, लेकिन अपनी करतूत का उसे कोई अफसोस नहीं है.
तांत्रिक के कहने पर बनाया चोर
एक नौजवान को तांत्रिक के कहने पर पूरे गांव ने चोर मान लिया. मामला बदायूं के लभारी गांव में सामने आया. दरअसल, हरीकश्यप नामक शख्स के घर से 15 अप्रैल, 2016 को कुछ गहने चोरी हो गए थे. हरी अपने एक तांत्रिक गुरु की शरण में पहुंच गया.
तांत्रिक ने पहले पूरी बात सुनी और उस का शक जान कर एक परची पर ‘द’ शब्द से शुरू होने वाला नाम लिख कर उसे थमा दिया. हरी का शक एक झोंपड़ी में रहने वाले दिनेश पर चला गया. अगले दिन गांव में तांत्रिक की मौजूदगी में पंचायत हो गई.
तांत्रिक का कहा लोगों के लिए पत्थर की लकीर हो गया. तांत्रिक ने उस पर जुर्माना थोपने के साथ ही अपनी 5 हजार फीस और आनेजाने का खर्चा भी मांग लिया. दिनेश ने जुर्माना भरने से मना किया, तो उसे गांव से निकल जाने का फरमान सुनाया गया. दिनेश पुलिस की शरण में पहुंच गया.
पहली अगस्त, 2017 को भीलवाड़ा के एडीशनल एसपी गोपालस्वरूप मेवाड़ा अपने औफिस में बैठे थानाप्रभारी से किसी आपराधिक मामले पर चर्चा कर रहे थे, तभी अंजान नंबर से उन के मोबाइल पर फोन आया. उस समय वह गंभीर मसले पर विचार कर रहे थे, इसके बावजूद उन्होंने फोन रिसीव कर के जैसे ही मोबाइल कान से लगाया, दूसरी ओर से फोन करने वाले ने कहा, ‘‘सर, आजकल आप शहर में रोजाना कोई न कोई बड़ा धमाका कर रहे हैं, इसलिए अपराधियों में दहशत छाई हुई है.’’
‘‘भई वह तो ठीक है, यह मेरी ड्यूटी भी है,’’ गोपालस्वरूप मेवाड़ा ने जवाब में कहा, ‘‘पर यह बताइए कि आप ने फोन क्यों किया है, आप कौन बोल रहे हैं?’’
‘‘सर, आप यही समझ लीजिए कि हम आप के शुभचिंतक हैं.’’ फोन करने वाले ने कहा.
‘‘चलो, यह भी ठीक है, पर मैं यह जानना चाहता हूं कि आप ने फोन क्यों किया है? आप को कोई शिकायत हो तो बताइए, अभी मैं थोड़ा व्यस्त हूं.’’ गोपालस्वरूप मेवाड़ा ने फोन करने वाले की चिकनीचुपड़ी बातें सुन कर पीछा छुड़ाने के लिए कहा.
‘‘सर, मेरी कोई शिकायत नहीं है. मैंने तो आप को यह बताने के लिए फोन किया था कि शहर में आजकल तितलियों की बहार आई हुई है.’’ फोन करने वाले ने कहा.
तितलियों की बात सुन कर एसपी साहब ने कहा, ‘‘तितलियों की बहार का क्या मतलब? तुम कहना क्या चाहते हो? जो भी कहना है, साफसाफ कहो.’’
‘‘सर, शहर में देशी ही नहीं, विदेशी तितलियां भी आने लगी हैं. ये तितलियां मसाज पार्लरों में आ रही हैं.’’ फोन करने वाले ने कहा.
‘‘क्या मसाज पार्लरों में गलत काम भी हो रहे हैं?’’ गोपालस्वरूप मेवाड़ा ने फोन करने वाले से पूछा.
‘‘सर, यह पता करना पुलिस का काम है. इस बारे में आप पता करवा लीजिए.’’ उस आदमी ने इतना कह कर फोन काट दिया.
फोन कटने के बाद गोपालस्वरूप मेवाड़ा उस आदमी की बातों पर विचार करने लगे. उन्हें मामला गंभीर लगा तो थानाप्रभारी से उस फाइल पर बाद में चर्चा करने की बात कह कर उसे भेज दिया. इस के बाद अपने खास मुखबिरों को फोन कर के यह पता लगवाया कि शहर में कहांकहां मसाज पार्लर और स्पा सैंटर चल रहे हैं, साथ ही यह भी पता करवाया कि इन मसाज पार्लरों में किस तरह की गतिविधियां चल रही हैं?
2-3 घंटे में ही उन्हें मुखबिरों से जो जानकारियां मिलीं, वे चौंकाने वाली थीं. उन्होंने तुरंत अपने सूचना तंत्र से उन जानकारियों की पुष्टि करवाई. वे जानकारियां सही निकलीं तो गोपालस्वरूप मेवाड़ा ने पुलिस अधिकारियों की एक टीम बनाई. टीम में शामिल प्रशिक्षु डीएसपी दिनेश परिहार को कुछ बातें समझा कर प्राइवेट कार से सामान्य कपड़ों में शहर के महावीर पार्क के पास स्थित स्पा पैलेस भेज दिया.
कोतवाली से करीब 3 सौ मीटर दूर स्थित इस स्पा पैलेस पर दिनेश परिहार एक पढ़ेलिखे व्यापारी की तरह कार से उतरे. उन्होंने एक नजर स्पा पैलेस की बिल्डिंग पर डाली. बाहर से वह किसी मध्यम शहर के मसाज पार्लर जैसा नजर आ रहा था. लेकिन वह स्पा पैलेस का शीशे का दरवाजा खोल कर अंदर दाखिल हुए तो वहां की चमकदमक देख कर दंग रह गए. अंदर दाखिल होते ही रिसैप्शन पर चुस्त पोशाक पहने बैठी युवती ने मुसकरा कर उन का स्वागत करते हुए कहा, ‘‘वेलकम सर, मैं आप की क्या सेवा कर सकती हूं?’’
‘‘यार, मैं तो यहां घूमने आया था. आप के स्पा का नाम सुना तो आप से मिलने चला आया,’’ दिनेश परिहार ने एक शौकीनमिजाज नौजवान की तरह अपनी पैंट की जेब से महंगी सिगरेट का पैकेट निकालते हुए कहा, ‘‘क्या मैं यहां सिगरेट पी सकता हूं?’’
‘‘सौरी सर, यहां स्मोकिंग अलाऊ नहीं है. इसकी वजह यह है कि हमारे यहां विदेशी लड़कियां भी काम करती हैं. उन्हें स्मोकिंग से एलर्जी है. इस के अलावा हमारे कस्टमर भी ऐतराज करते हैं.’’ रिसैप्शनिस्ट ने मोहक मुसकान बिखेरते हुए कहा.
‘‘ओके, आप कह रही हैं तो हम सिगरेट नहीं पीते हैं.’’ दिनेश ने रिसैप्शन के पास दीवारों पर लगी मसाज के अलगअलग तरीकों वाली तसवीरों पर नजर डालते हुए कहा.
‘‘सर, पहले आप हमारे स्पा पर कभी नहीं आए?’’ रिसैप्शनिस्ट ने पूछा.
VIDEO : सर्दी के मौसम में ऐसे बनाएं जायकेदार पनीर तवा मसाला…नीचे देखिए ये वीडियो
ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTube चैनल.
‘‘यू आर राइट, मैं जयपुर का रहने वाला बिजनैसमैन हूं. आप के स्पा पैलेस का नाम सुना तो मसाज कराने का मूड बन गया और आप के यहां चला आया.’’ दिनेश ने रिसैप्शनिस्ट के चेहरे को गौर से देखते हुए कहा.
‘‘यस सर, योर मोस्ट वेलकम.’’ युवती ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘सर, हमारे यहां 900 रुपए एंट्री फीस लगती है. पहले आप उसे जमा करा दीजिए, उस के बाद जैसा और जिस लड़की से मसाज करवाना चाहेंगे, आप को उस का अलग से पैसा देना होगा.’’
‘‘डोंट वरी,’’ दिनेश ने पैंट की जेब से नोटों से भरा पर्स निकाल कर उस में से 5-5 सौ रुपए के 2 नोट रिसैप्शनिस्ट को देते हुए कहा, ‘‘यह लीजिए, एंट्री फीस.’’
युवती ने एक हजार रुपए कैश काउंटर में रख कर सौ रुपए का नोट लौटाते हुए कहा, ‘‘सर, योर गुडनेम प्लीज.’’
‘‘व्हाय…’’ दिनेश ने सौ रुपए का नोट युवती को देते हुए कहा, ‘‘ये आप के लिए टिप है.’’
‘‘थैंक्स सर,’’ युवती ने कहा, ‘‘हम रजिस्टर मेंटेन करते हैं, इसलिए आप का नाम जानना चाहती हूं.’’
‘‘ठीक है, आप को फार्मैलिटी करनी है तो लिख लीजिए दिनेश फ्राम जयपुर.’’ दिनेश ने जानबूझ कर सरनेम छिपाते हुए कहा.
‘‘सर, आप मोबाइल नंबर भी बता दीजिए तो हम आप को भविष्य में हमारी नई सेवाओं की समयसमय पर जानकारी देते रहेंगे.’’ युवती ने कहा.
‘‘ओह नो, आप अभी मोबाइल नंबर छोडि़ए,’’ दिनेश ने कहा, ‘‘मुझे आप की सर्विसेज पसंद आईं तो मैं खुद ही मौका मिलने पर यहां हाजिर हो जाऊंगा.’’
‘‘ओके सर, प्लीज सिट औन सोफा,’’ युवती ने कहा, ‘‘हमारी मसाज गर्ल आप को ब्रोशर दिखाएगी. आप उन में से पसंद कर लीजिए कि कौन सी मसाज कराएंगे.’’
दिनेश सामने रखे सोफे पर बैठ गए. रिसैप्शनिस्ट ने इंटरकौम से एक युवती को बुला कर कहा, ‘‘यह सर मसाज कराना चाहते हैं, इन से बात कर लीजिए.’’
चुस्त कपड़े पहने वह युवती ब्रोशर ले कर दिनेश के बगल में बैठ गई और अपने उभारों को दिखाते हुए बोली, ‘‘सर, आप कैसी गर्ल्स से मसाज कराना चाहेंगे, इंडियन बेबी से या फौरनर बेबी से?’’
‘‘वाव, आप के यहां फौरनर गर्ल्स भी हैं?’’ दिनेश ने चौंकते हुए कहा, ‘‘तब तो आज मजा आ जाएगा. लेकिन पहले आप उस ब्यूटी के दीदार तो कराइए.’’
‘‘सर, आप मेरे साथ आइए.’’ युवती ने उठते हुए कहा.
वह युवती दिनेश को पहली मंजिल पर ले गई, जहां गलियारे के दोनों तरफ 8-10 कमरे बने हुए थे. पांच सितारा होटलों की तरह सजे गलियारे और उन कमरों में तमाम सुविधाएं थीं. कमरों में मद्धिम रोशनी के बीच एसी के अलावा बैड, मसाज टेबल और शौवर आदि लगे हुए थे.