एटीएम : नाबालिगों को रूपए का लालच

आज का समय रुपयों का समय है. छोटे-छोटे बच्चे जैसे ही होश संभालते हैं उन्हें रूपया अपनी और आकर्षित करने लगता है उन्हें महसूस होता है कि उन्हें रुपया चाहिए और जब रूपया पैसा घर में नहीं मिलता तो वह राह चलते रूपयों के खजाने एटीएम की ओर ताकने लगते हैं. उन्हें लगता है कि यह कारू का खजाना है जिसे वह बहुत आसानी से पा सकते हैं, मगर…

छतीसगढ़ के जिला दुर्ग- उतई मेन रेड पर थाने से कुछ दूरी पर एक मकान में हिताची कंपनी का एटीएम लगा हुआ है. रात करीब रात 1.30 बजे 3 नाबालिग एटीएम बूथ के अंदर घुसे. अंदर घुसते ही वहां लगे लाइट और सीसीटीवी कैमरे तोड़ दिए.और रात करीब 3 बजे तक एटीएम में तोड़फोड़ करते रहे.
नाबालिगों ने ने एटीएम में लगी स्क्रीन व की-बोर्ड को भी बाहर निकाल लिया और पटक दिया. इसके बाद भी रुपयों से भरे चैंबर को खोलने में कामयाब नहीं हो सके. सुबह एटीएम में तोड़फोड़ देख पुलिस को सूचना दी गई.

इसके पहले भी नगर में एटीएम में चोरी का प्रयास हो चुका है. भिलाई में ही पहले भी हिताची कंपनी के एटीएम में चोरी का प्रयास किया जा चुका है. छावनी और वैशाली नगर क्षेत्र में भी ऐसी ही वारदात सामने आई थी. जब पुलिस छानबीन करने लगी तो जो चेहरे सामने आए उससे लोगों को आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा क्योंकि इस संपूर्ण वारदात में 18 साल से कम उम्र के नाबालिगों किशोरों की भूमिका उजागर हुई.

होना चाहते हैं मालामाल!

आदिवासी बाहुल्य जिला जशपुर कोतवाली पुलिस ने बैंक के एटीएम को तोड़ने के प्रयास और दुकानों के ताले तोड़कर चोरी करने के लिए आरोप में 4 लोग गिरफ्तार हुए है. और इस वारदात में 2 नाबालिग भी शामिल हैं. इन आरोपियों ने शहर के कई घरों में चोरी की घटना को अंजाम दिया था. फिलहाल पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है.

शहर में एटीएम तोड़ने के कई प्रयास हुए. कोतवाली के प्रभारी ओम प्रकाश ध्रुव ने हमारे संवाददाता को बताया कि 23 मई की रात को सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के मुंबई स्थित मुख्यालय से उन्हें एटीएम तोड़ने की सूचना दी गई. पुलिस को सूचना मिली की शहर के गम्हरिया रोड स्थित सेंट्रल बैंक के एटीएम बूथ में दो अज्ञात युवक घुसकर मशीन के केस वाल्ट को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. सूचना पर कोतवाली पुलिस की पेट्रोलिंग टीम एटीएम बूथ पहुंच गई, लेकिन उससे पहले एटीएम का सायरन बज जाने से आरोपी मौके से फरार हो गए.

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फिर इन लोगो ने हरि ओम किराना दुकान के शटर को तोड़ने की नाकाम कोशिश की शिकायत पुलिस को मिली. दुकान के सीसीटीवी कैमरे में आरोपी की तस्वीर कैद हो गई थी . इस फुटेज के आधार पर छानबीन शुरू की गई. फुटेज के आधार पर देव कुमार राम और लोकेश्वर राम का नाम सामने आया. संदेह के आधार पर पूछताछ के लिए हिरासत में लिए जाने पर इन आरोपियों ने दो बाल अपचारीयों के साथ मिलकर इन दोनों ही वारदातों के साथ घर में चोरी की बात स्वीकार की. दोनों ने शहर के भागलपुर मोहल्ले में स्थित बंसराज किराना स्टोर, अमेलिया मींस, विशाल सोनी और ओम प्रकाश सिन्हा के घर में चोरी की वारदात को अंजाम देने की बात स्वीकार की.

जरूरत अच्छे माहौल की

दरअसल किशोर अवस्था में अगर सही मार्गदर्शन नहीं मिले समझाइश न मिले तो रास्ता भटक जाने की बहुत ज्यादा आशंका रहती है.

ऐसे में परिजनों को चाहिए कि 12 वर्ष की उम्र के साथ ही बच्चों में स्वावलंबन और ईमानदारी का पाठ पढ़ाया जाना चाहिए, अच्छी अच्छी प्रेरक कहानियां बच्चों को पढ़नी चाहिए और उन्हें परिजनों को सुनानी चाहिए इस सबसे बच्चों में मनोविकार उत्पन्न नहीं होते.

पुलिस अधिकारी इंद्र भूषण सिंह के मुताबिक दरअसल युवा होते बच्चे पैसों के प्रति आकर्षण रखते हैं जो कि स्वाभाविक है. जब घर में रुपए पैसे नहीं मिलते तो उन्हें लगता है कि एटीएम तोड़ कर के भी अपनी जरूरत पूरा कर सकते हैं.मगर वे भूल जाते हैं कि एटीएम के आसपास सीसीटीवी लगे रहते हैं और एटीएम को तोड़ पाना भी इतना आसान नहीं है. इस तरह किशोर अपराधिक दुनिया में प्रवेश कर जाते हैं और अपनी जिंदगी बर्बाद कर लेते हैं.

सामाजिक कार्यकर्ता, टी महादेव राव के मुताबिक किशोरों को परिजनों का आदर्श मार्गदर्शन बहुत आवश्यक होता है उन्हें कानून का महत्व भी बताना जरूरी है और सबसे बड़ी चीज है कि मेहनत से रुपए कमाने की सीख बच्चों को किशोरावस्था में ही मिल जानी चाहिए.

यहां चल रहा था इंसानी खून का काला कारोबार

पैसा और जल्द अमीर बनने की लालसा इंसान को वह सब करने को मजबूर कर देता है कि एकबारगी यकीन ही नहीं होता कि क्या कोई ऐसा भी कर सकता है? यों अपराध करना और वह भी खुलेआम बिहार में आम बात है मगर पिस्तौल के बल पर आएदिन लोगों को शिकार बनाने वाले अपराधी किस्म के लोगों ने पैसे कमाने का नया तरीका ढूंढ़ा तो जान कर लोग सन्न रह गए.

बिहार के पटना में एक ऐसा ही वाकेआ घटित हुआ और पुलिस के हत्थे चढ़े ऐसे अपराधी जिन की तलाश में पुलिस खाक छान रही थी.

कमरा छोटा अपराध बड़ा

मामला पटना के जक्कनपुर थाने स्थित पोस्टल पार्क, खासमहाल इलाके की है. यहां एक छोटे से कमरे में चल रहे अपराध की सूचना पुलिस को मिली. पुलिस ने सुनियोजित तरीके से छापा मारा तो चारों तरफ बिखरे खून की छींटे देख कर हैरान रह गई. एकबारगी तो पुलिस ने सोचा कि यहां किसी की हत्या की गई है पर जब पुलिस ने तफ्तीश की और घर में सर्च औपरेशन चलाया तो माजरा समझते देर नहीं लगी.

दरअसल, इस छोटे से कमरे में इंसानी खून का काला कारोबार चलाया जा रहा था. पुलिस ने अपराध का भंडाफोड़ किया तो परत दर परत सचाई खुलती गई.

पुलिस ने गिरोह के सरगना संतोष कुमार और एजेंट सोनू को गिरफ्तार कर सख्ती से पूछताछ की. वहां खून से भरे 4 ब्लड बैग भी बरामद किए गए थे. पहले तो इन अपराधियों ने पुलिस को बरगलाने की कोशिश की पर जब पुलिस ने सख्ती दिखाई तो टूट गए और बताया कि पिछले 6 महीने से दोनों यहां रह कर खून की खरीदबिक्री कर रहे थे.

अपराध और अपराधी

जक्कनपुर थाना के इंचार्ज मुकेश कुमार वर्मा ने मीडिया को जानकारी दी और बताया,”पुलिस टीम द्वारा की गई पूछताछ में यह बात सामने आई है कि दोनों के तार कई निजी अस्पतालों से जुड़े हैं. छापे के दौरान कई डोनर्स भी पकड़े गए, जिन्हें पैसे का लालच दे कर खून निकलवाने लाया गया था.”

अब पुलिस मानव खून की खरीदबिक्री में शामिल दूसरे लोगों की तलाश में अलगअलग जगहों पर छापे मार रही है.

एक बार में 2 यूनिट तक खून निकाल लेते थे

खून की खरीदबिक्री का धंधा करने वाले 1 यूनिट खून निकालने की बात कह कर ब्लड डोनर्स को कमरे तक लाते थे. फिर धोखे से 1 की जगह 2 यूनिट खून निकाल लेते थे और उन्हें भनक तक नहीं लग पाती थी. खून लेने के तुरंत बाद सरगना संतोष डोनर को आयरन की कैप्सूल खिला देता था. फिर कुछ ही दिनों बाद वह डोनर दोबारा खून देने पहुंच जाता था. कई बार तो डोनरों की तबीयत तक बिगड़ जाती थी. ये ऐसे डोनर्स होते थे जिन्हें पैसों की सख्त जरूरत होती थी या फिर वे जो लंबे समय से बेरोजगार थे. कई तो नशाखोर भी थे, जो नशे की लत को पूरा करने के लिए ब्लड डोनेट करते और पैसा मिलने के बाद नशा करने चले जाते.

अस्पतालों में बिना जांच खरीद लिए जाते थे खून

कुछ निजी अस्पतालों के मालिक बिना जांच ही ऐसे लोगों से कम दाम पर खून खरीद लेते थे. उन की साठगांठ संतोष और सोनू के साथ थी. दोनों रोज अस्पतालों में खून की सप्लाई करते थे. सूत्रों के मुताबिक, पुलिस टीम उन अस्पतालकर्मियों की तलाश कर रही है, जो अकसर सोनू और संतोष से मिलने यहां आया करते थे.

जिन निजी अस्पतालों में खून की खरीदबिक्री करने वाला गैंग सक्रिय था, पुलिस के अनुसार अब वहां भी काररवाई हो सकती है.

हजारों कमाते थे सिर्फ 1 दिन में

पुलिस के मुताबिक, खून खरीदने वाला संतोष डोनर्स को महज 1 हजार रुपए देता था जबकि 1 यूनिट खून से वह 22 सौ रूपए का मुनाफा कमा लेता था. इस तरह 1 डोनर से वह 44 सौ बना लेता था जबकि डोनर्स को वह बताता तक नहीं था कि उस ने 2 यूनिट ब्लड निकाल लिए हैं.

वहीं सोनू खून देने वालों को रुपए का लालच दे कर अपने अड्डे तक लाता था. 1 डोनर को लाने के बदले उसे कमीशन के रूप में 11 सौ रुपए मिलते थे.

जिस कमरे में खून की खरीदबिक्री का खेल चल रहा था वह बेहद छोटा था. जाहिर है इस में संक्रमण का खतरा भी हो सकता है. सारे नियमकानून को ताक पर रख कर खून निकाले जाते थे. खास बात यह है कि ब्लड बैग तक का इंतजाम सरगना ने कर रखा था, जबकि ब्लड बैग आम आदमी को देने की मनाही है. उसे लाइसैंसी ब्लड बैंक ही ले सकता है.

पुलिस उगलवा रही है सच

अब पुलिसिया तफ्तीश जारी है. इस गैंग को चिह्नित कर पुलिस आगे की कार्रवाई कर रही है. सह भी पता एसएसपी उपेंद्र शर्मा ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि पुख्ता सुबूत जुटाने के बाद पुलिस आगे की कार्रवाई करेगी और यह पता लगाएगी कि इन अपराधियों के तार कहांकहां जुङे हैं.

शादी के नाम पर धोखाधड़ी करने वालों से बचकर रहे

13 नवंबर 2019 को मध्यप्रदेश की जबलपुर पुलिस ने एक यैसे मामले का खुलासा किया था , जिसमें कुंवारे लड़को की दूसरे राज्यों की खूबसूरत लड़कियों से शादी कराकर धोखाधड़ी की जाती थी. जबलपुर निवासी संजय सिंह नाम के युवक ने पुलिस को शिकायत में बताया  कि एक बेवसाइट के माध्यम से शादी के लिए रिश्ते की बात आगे बढ़ी तो लड़की ने अपने परिवार की तंगी का रोना रोया.

चूंकि लड़की खूबसूरत थी और फोन पर प्यार भरी बातें करती थी, तो संजय ने लड़की के झांसे में आकर शादी का खर्च उठाने के लिए उसके खाते में पांच लाख रुपए डाल दिए.कुछ दिनों बाद जब लड़की का मोबाइल बंद आने लगा तो संजय ने अपने आपको ठगा हुआ महसूस किया. बाद में पुलिस ने मामले की पड़ताल करते हुए बिहार निवासी मनोहरलाल और लड़कियों के बड़े गिरोह को पकड़ा था.

आजकल अपराधियों द्वारा धोखाधड़ी और ठगी के नये नये तरीके ईजाद किए जा रहे हैं, जिनके माध्यम से भोले भाले गांव कस्बों के लोगों के साथ पढे लिखे शहरी युवकों को भी लूटा जा रहा है. शादी विवाह तय कराने, शादी होने के बाद कुछ दिन ससुराल में रहकर सोने चांदी के गहने हड़पकर दुल्हन के गायब होने की घटनाएं आम हो गई हैं.

कहा जाता है कि शादी कोई गुड्डे गुड़ियों का खेल नहीं है.अपने लड़के लड़कियों की‌ शादी तय करने के पहले बिचोलियों की बातों पर भरोसा न कर दोनों पक्षों को एक दूसरे के साथ बैठकर आर्थिक स्थिति के साथ वर बधु की शिक्षा और काम धंधे के बारे में अच्छी तरह से जानकारी जुटा लेना चाहिए. क‌ई वार लोग बढ़ा चढ़ा कर अपनी हैसियत बताते हैं, इसलिए इसकी जानकारी तीसरे पक्ष से जुटाने में भी कोई परहेज़ नहीं करना चाहिए.अपनी लड़की की शादी तय कर लड़के वालों से नगदी रकम और स्वर्ण आभूषण लूटने वालों से सावधान रहने की जरूरत है.

मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले के पश्चिम में आखिरी छोर पर बसा एक गांव है सिरसिरी . यह गांव दो जिलों रायसेन और होशंगाबाद की सीमाओं से लगा हुआ है . कल कल बहती नर्मदा नदी और दुधी नदी के संगम पर बसे सिरसिरी गांव की आबादी मुश्किल से दो हजार होगी . आज भी इस गांव में स्वास्थ्य और शिक्षा की अच्छी सुविधायें गांव वालों को नसीब नहीं है .यही कारण है कि इस गांव के लड़कों की शादी मुश्किल से हो पाती है .

पहुंच बिहीन और बुनियादी सुख सुविधाओं से कोसो दूर  खेती किसानी वाली पृष्ठभूमि के इस गांव में शिवनारायण शर्मा का परिवार रहता है . नर्मदा नदी के तटो की उर्वर भूमि में कृषि कार्य करने वाले शिवनारायण के परिवार में एक अविवाहित वेटा रूपेश है ,जिसकी उम्र लगभग 25-26 वर्ष होगी.  रूपेश को गांव वाले प्यार से रूपा के नाम से भी बुलाते हैं. गांव में कक्षा दसवी तक पढ़ने के लिये एक सरकारी हाई स्कूल है जिसमें केवल एक शिक्षक ही है.

यही कारण है कि दसवी कक्षा पास होते ही गांव वाले अपने लड़के लड़कियों की शादी कर देते हैं . गांव देहात के परिवेश के लिहाज से  रूपेश की उम्र अधिक होने एवं दूरस्थ गांव में निवास करने के चलते शादी के लिये रिश्ते तो आते थे ,  परन्तु लड़की वाले गांव के हालात देखकर रिश्ता तय करने से परहेज करते थे . रूपेश की  शादी न होने से शिवनारायण काफी परेशान रहते थे .

दीपावली का त्यौहार बीतते ही रायसेन जिले के बम्हौरी गांव के एक परिचित रिश्तेदार कौशल प्रसाद शर्मा ने रूपेश की शादी के लिए रिश्ते की पेशकश की. कौशल प्रसाद ने शिवनारायण को बताया कि भोपाल के महामाई वाग इलाके में रहने वाले नंदकिशोर शर्मा अपनी वेटी रागिनी के लिये लड़का तलाश रहे हैं.  शिवनारायण ने इसके लिए हामी भर दी तो कुछ दिनों के बाद नंदकिशोर शर्मा रूपेश को देखने सिरसिरी गांव आ ग‌ए.

रिश्ते की बात चली तो घर वालों की खुशी का ठिकाना न रहा . नंदकिशोर शर्मा ने शिवनारायण को बताया  – “मेरी वेटी रागिनी बी ए तक पढ़ी लिखी  है . उसने कम्प्यूटर और ब्यूटी पार्लर का कोर्स भी किया है,परन्तु परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है . इसके चलते रागिनी की शादी नहीं हो पा रही है “.

शिवनारायण  ने भी यह सोचकर कि मुश्किल से वेटे के लिये कोई अच्छा रिश्ता आया है ,हामी भरते हुए कहा – “देखिए हमें दहेज की कोई भूख नहीं है . हमें तो अपने वेटे के लिये सुंदर और सुशील लड़की चाहिये “.

बात आगे बढते ही शिवनारायण रुपेश के लिए लड़की देखने रूपेश और कौशल प्रसाद के साथ भोपाल पहुंच गए. नंदकिशोर ने उनकी खूब खातिरदारी की . जब रागिनी उनके लिए चाय नाश्ता लेकर आई तो शिवनारायण और रूपेश को पहली ही नज़र में रागिनी भा गई.

लड़के लड़की की देखा परखी होते ही जब दोनों पक्षों की रजामंदी हुई तो पंडित को बुला कर सगाई की रस्म भी हो गई. पूरी तैयारी से गये शिवनारायण ने सगाई में पांच तोले सोने से बनी चूड़ियां और एक अंगूठी ,पायल , साड़ी , मिठाई और फल फूल देकर धूमधाम से सगाई की रस्म निभाई .

दोनों पक्षों के रिश्तेदारों की सहमति से 5 दिसम्बर शादी का मुहुर्त चुना गया . साथ ही केटरिंग का खर्चा आधा आधा देने की बात पर सबकी सहमति भी बन गई . नंदकिशोर वोले – “हम भोपाल के अवधपुरी इलाके के मैरिज गार्डन से  शादी समारोह करना चाहते हैं “.

शिवनारायण ने कहा – “ये तो बड़ी खुशी की बात है”.

“लेकिन मेरिज गार्डन में

कैटरिंग का खर्चा लगभग 4 लाख रूपये आयेगा” नंदकिशोर ने माथे पर चिंता की लकीरें बनाते हुए कहा.

शिवनारायण बोले -” आप चिंता न करें आधा खर्च हम दे देंगे”.

शादी समारोह की सहमति बनने के बाद दोनों पक्षों के शादी के आमंत्रण कार्ड भी बंटने लगे .  शादी के करीब एक सप्ताह पहले जब नंदकिशोर निमंत्रण पत्रिका देने सिरसिरी गांव आये तो उन्हे शिवनारायण ने केटरिंग के खर्च के लिये अपने हिस्से के दो लाख रूपये उसी समय यह सोचकर दे दिये कि उन्हें शहर में शादी की व्यवस्थाएं करने में कोई अड़चन न हो .

गांव देहात में प्रचलित परम्पराओं के अनुसार शिवनारायण के घर में मंगलगान होने लगे . 4 दिसम्बर को रूपेश के परिवार द्वारा गांव वालों को भोज में पंगत की जगह डिनर दिया गया . दूसरे दिन वे बड़े ही धूमधाम से अपने रिश्तेदारों और गांव के प्रमुख लोगों के साथ बस में सवार होकर दूल्हे की बारात लेकर शाम को भोपाल पहुच गये .लड़की पक्ष द्वारा कार्ड में दिये गये पते 284 /सी सेक्टर अवधपुरी में एक मैरिज गार्डन के पास जब वारात पहुंची तो वहां कोई इंतजाम न देखकर वारातियों को निराशा हुई.

लड़के के पिता को यह तो पता था कि लड़की के परिवार वालों की माली हालत ठीक नहीं है , लेकिन बारात के रूकने के लिये कोई माकूल इंतजाम न पाकर उन्हे भी हैरानी हुई . मैरिज गार्डन में मौजूद कर्मचारी से पूछताछ करने पर पता चला कि इस गार्डन में आज की तारीख में कोई शादी नहीं है ,तो वारातियों के साथ लड़के के पिता का माथा ठनका.

लड़की के पिता के मोबाइल नंबर पर बात करने की कोशिश की तो पता चला उनका मोबाइल स्विच आफ बता रहा है . आनन फानन में वारात की बस को सड़क किनारे खड़े करके वे नंदकिशोर के घर महामाई का वाग पहुंचे तो मकान मालिक ताराचंद जैन ने बताया कि वो एक महिना पहले ही मकान छोड़कर चले गये हैं .मकान मालिक ने बताया कि वे यह बताकर भी नहीं गये हैं कि कहां शिफ्ट हो रहे हैं .

अपने वेटे की शादी के अरमान पूरा न होते देख शिवनारायण को बड़ा दुख हुआ .पल भर को उनकी आंखों के सामने अंधेरा छा गया .होश आते ही उन्हे समझ आ गया था कि वेटे से शादी करने के नाम पर उनसे ठगी की गई है .दुल्हन रागिनी के अपने परिवार के साथ गायब होने से शिवनारायण को समझ नहीं आ रहा था कि वे क्या करें. उन्हे बार बार यही डर सता रहा था कि  समाज में उनकी क्या इज्जत रह जायेगी.

जैसे तैसे  शिवनारायण और दूल्हे के परिजनों ने वारातियों से आकर यह कह दिया कि लड़की के परिवार में गमी हो जाने के कारण शादी स्थगित हो गई है , इसलिये अब विवाह कार्यक्रम बाद में होगा . दूल्हे रूपेश को जब दुल्हन के गायब होने की जानकारी दी गई तो रूपेश का दिल कांच की तरह टूट गया . रूपेश ने जो अपनी शादी के लिए जो सपनों का महल बनाया था,वह   ताश के पत्तों की तरह पल भर में विखर चुका था .

किसी तरह साथ में आये वारातियों को बहाना बनाकर वापिस सिरसिरी गांव रवाना कर शिवनारायण अपने ममेरे भाई रमाकांत शुक्ला के साथ भोपाल के ऐशवाग पुलिस थाने पहुंचे .

उस समय पुलिस थाने में अपने कक्ष में मौजूद टी आई अजय नायर किसी जरूरी केस की फाईल पलट रहे थे . शिवनारायण और रमाकांत ने जैसे ही पुलिस थाने के अंदर बने टीआई साहब के कमरे में प्रवेश किया तो उनका ध्यान फाइल से हटा . प्रश्नवाचक निगाहो से घूरते हुये उन्होने पूछा – ‘‘क्या काम है कैसे आये हो’’ ? शिवनारायण ने घबराते हुये कहा – “साब हमारे साथ ठगी हुई है . रिपोर्ट लिखाने आये हैं”.

टीआई अजय नायर ने दोनों को सामने पड़ी कुर्सी पर बैठने का इशारा करते हुये कहा – ‘‘ हां , बताइये किसने आपके साथ धोखाधड़ी की  हैं’’ . भरी ठंड में अपने माथे पर उभर आये पसीना को पोंछते हुये शिवनारायण ने एक ही सांस में उनके साथ हुई घटना का ब्यौरा दे दिया . टीआई अजय नायर ने हबलदार को बुलाकर शिवनारायण की रिपोर्ट लिखने का निर्देश दिया और भरोसा भी दिलाया कि उनके साथ न्याय होगा .

जल्द ही धोखाधड़ी करने वाले नंदकिशोर को  खोज निकालेंगे .भोपाल के एशवाग पुलिस स्टेशन में अपने साथ हुई ठगी और धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज कराने के बाद शिवनारायण दूसरे दिन सुबह जब अपने गांव सिरसिरी पहुंचे तो उनके वेटे की वारात वैरंग आने की खबर पूरे गांव में जंगल की आग की तरह फैल चुकी थी.

शिवनारायण के घर में खुशी की जगह मातम जैसा माहोल था .दूल्हा रूपेश और उसकी मां गहरे सदमें में थे . भोपाल के अखवारों में इस धोखाधड़ी की खबर प्रकाशित हुई थी जो सोशल मीडिया में वायरल होकर गांव तक भी पहुंच चुकी थी . सिरसिरी गांव में शिवनारायण के घर उनके शुभचिंतकों का आना जाना शुरू हो गया था .

इस घटनाक्रम को चार महीने का समय हो चुका है , लेकिन भोपाल की ऐशबाग थाने की पुलिस को गायब दुल्हन और इसके परिजनों का अब तक कोई सुराग नहीं मिल पाया है. शिवनारायण को दो लाख नगद, लगभग तीन लाख रुपए के आभूषण, कपड़े और गांव में कराये गये भोज में तीन लाख रुपए सहित लगभग आठ लाख रुपए की चपत लगी है.

शादी कराने के नाम पर हुई धोखाधड़ी की यह घटना बताती है कि हमें विवाह संबंध तय करने से पहले अच्छी तरह से तहकीकात पूरी करके आगे के कदम उठाना चाहिए. शादी तय करने में केवल बिचोलियों पर भरोसा कर उतावले होने पर लाखों रुपए लुटने के साथ समाज में किरकिरी भी होती है.

मजदूरों का कोई माई बाप नहीं

किसी भी देश की तरक्की में उन मेहनत कश  मजदूरों का योगदान ही सबसे अधिक होता  है. खेती किसानी, उद्योग धंधे, फैक्ट्री, विभिन्न प्रकार के निर्माण कार्य मजदूर के हाथ बिना पूरे नहीं होते. मैले कुचैले कपड़ों में दो जून की रोटी के लिए गर्मी,सर्दी और बरसात में विना रूक काम करने वाले मजदूर काम की तलाश में अपना घर-बार छोड़कर मीलों दूर निकल जाते है.

आजादी के सात दशक बीत गए, लेकिन देश से हम गरीबी दूर नहीं कर पाये हैं.2014 में अच्छे दिन आने का सपना दिखाने वाली मोदी सरकार इन मजदूरों को रोटी,कपड़ा और मकान नहीं दे पाई है.सरकार पी एम आवास योजना का कितना ही ढोल पीटे, लेकिन अभी भी मजदूरों के परिवार पालीथीन तानकर अपने आशियाने बना रहे हैं. अपनी  बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए मजदूर एक राज्य से दूसरे राज्यों में जाने विवश हैं.

कोरोना वायरस के फैलने को रोकने के लिए 24 मार्च की रात जब प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में 21 दिन के लौक डाउन की घोषणा की तो पूरा देश अवाक रह गया. लौक डाउन की परिस्थितियों से निपटने किसी को मौका नहीं दिया गया और न ही कोई सुनियोजित तरीका अपनाया गया. जब मजदूरों को लगा कि वे शहर में विना काम धंधा 21 दिन नहीं रह सकते तो महिलाओं और छोटे छोटे बच्चों के साथ पैदल ही अपने गांव की ओर निकल पड़े.

समाचार चैनलों ने जब मजदूरों के घर लौटने की खबर दिखाई तो राज्य सरकारों ने अपनी इज्जत बचाने इन्हें रोक कर भोजन पानी का इंतजाम किया. इन मजदूरों के जत्थे को सरकारी जर्जर भवनों में रोककर न तो सोशल डिस्टेंस का पालन हो रहा है और न ही मजदूरों की मूलभूत आवश्यकताओं का ध्यान रखा जा रहा है. नरसिंहपुर जिले के गोटेगांव में जबलपुर की सीमा से सटे गांव में रूके मजदूरों के साथ महिलाओं और दुधमुंहे बच्चों को इस चिलचिलाती गर्मी में दो वक्त की रोटी भी नहीं मिल पा रही.

चुनाव के समय गरीब, मजदूरों से वोट की वटोरने वाले इन सफेद पोश नेताओं को  इन मजदूरों से जैसे कोई सरोकार ही नहीं है .

हरियाणा में काम करने वाले नरसिंहपुर जिले के एक गांव बरांझ के मजदूर सुन्दर कौरव ने बताया कि वह 10अप्रेल को एक मालगाड़ी के डिब्बे में बैठकर इटारसी आ गया. इटारसी से रेलवे ट्रैक के किनारे किनारे पैदल ही अपने गांव की ओर चल पड़ा.भूख प्यास से व्याकुल सुंदर को सर्दी खांसी के साथ बुखार आ गया तो सिहोरा स्टेशन के पास बोहानी गांव के मेडिकल स्टोर से दबा खरीदकर गांव की ओर जा रहा था,तभी चैक पोस्ट पर तैनात कर्मचारियों ने उसे रोककर पूछताछ की. सुन्दर की हालत देख कर कोरोना वायरस के संभावित लक्षणों के आधार पर उसे जिला अस्पताल भेज दिया है.जहां उसकी जांज कर आइसोलेशन वार्ड में भर्ती किया गया है.

हर साल फसलों की कटाई के लिए नरसिंहपुर जिले के गांवों में छिंदवाड़ा, सिवनी,मंडला, डिंडोरी जिलों से बड़ी संख्या में मजदूर आते हैं. इस वार लाक डाउन की बजह से इन मजदूरों को उतना काम नहीं मिला.और वे गांवों से घर की ओर निकल पड़े. गांव के स्थानीय लोगों ने उनसे रूकने और भोजन पानी की व्यवस्था का आश्वासन दिया तो उनका कहना था कि वे अपने 12 से 14 साल के बच्चों और बूढ़े मां-बाप को घर पर छोड़ कर फसल कटाई के लिए आये थे.लौक डाउन लंबा चला तो हमारे घर के सदस्यों का क्या होगा, इसलिए वे अपने गांव लौटने पैदल चल पड़े.

जब चीन के बुहान शहर में कोरोना वायरस का संक्रमण शुरू हुआ था, तो हमारे देश की सरकार ने चीन में लाखों डॉलर कमाने वाले अमीरों के साहबजादों को विशेष विमान से भारत बुला लियाथा, लेकिन भारत में कोरोना की महामारी फैलते ही इस देश के लाचार मजदूर को उसके गांव पहुंचाने कोई जनसेवक आगे नहीं आया.

इस सरकार को मजदूरों से ज्यादा चिंता तीर्थ यात्रा पर गये यात्रियों ,धर्म के ठेकेदारों और पुजारियों की ज्यादा थी, तभी तो वाराणसी में फंसे 900 तीर्थ यात्रियों को को आंध्रप्रदेश के राज्य सभा सांसद जीबीएल नरसिम्हा राव की पहल पर लक्जरी बसों में घर वापस भेजा गया.

14 अप्रैल को देश के प्रधान सेवक सुबह दस बजे यह सोचकर अपना संबोधन दे रहे थे मुंबई की सड़कों और धर्म शालाओं में मजदूर टेलीविजन देख रहे होंगे.किसी भी तरह की सूचना संचार की तकनीक से दूर जब यह अफवाह फैली कि आज‌लौक डाउन खत्म हो रहा है तो मजदूरों का हुजूम रेलवे स्टेशन की ओर बढ़ने लगा. बांद्रा स्टेशन पर घर जाने को उमड़ी भीड़ बता रही है कि लौक डाउन में फंसे मेहनत कश मजदूर  रोजी-रोटी की खातिर अपने घर लौट जाना चाहते हैं, लेकिन उन्हें  तो पुलिस के डंडे और आंसू गैस का सामना करना पड़ा .

देश के क‌ई हिस्सों से यह खबर आ रही हैं कि रेलवे के कोचों को आइसोलेशन वार्ड में तब्दील किया गया है. यैसे में ये राजनेताओं को यह बात नहीं सूझती कि इनही रेलवे कोचों में इन मजदूरों को उनके घर वापस पहुंचा दिया जाए. दरअसल इन मजदूरों का कोई माई बाप नहीं है.नेता इन्हें अपनी कठपुतली समझते हैं,वे जानते हैं कि जब इनसे वोट लेना होगी तो एक बोतल शराब हजार पांच सौ के नोटों से इन्हे बरगलाया जा सकता है.

चमत्कारी संदूक के लालच में 40 लाख गंवाए – भाग 2

जयप्रकाश शर्मा केकड़ी उपखंड में सब्जी मंडी क्षेत्र में रहता था. यहां उस का जो निवास स्थान था, वह किसी तांत्रिक के साधनास्थल सा दिखाई देता था. कमरे में यज्ञकुंड था, उस के अंदर हर वक्त लकडि़यां जलती रहतीं, कमरा धुएं से काला स्याह और अजीब महक वाला बन गया था.

सुगंधित धूप अगरबत्तियां जगहजगह खोंस कर जलाई जाती रही होंगी, उन के अधजले टुकड़ों के ढेर लगे हुए थे, जाने कभी वहां सफाई की जाती थी या नहीं. कमरे के बीच में बने यज्ञकुंड की धूनी के सामने जयप्रकाश का आसन बिछा रहता.

जयप्रकाश शर्मा वहीं बैठ कर अपनी तंत्रमंत्र साधना की कथित दुकान चलाता था.

प्रेम वशीकरण, टोनाटोटका, बिछुड़ों को मिलाना, गड़े धन की जानकारी, सौतन से छुटकारा जैसे काम करने का जयप्रकाश शर्मा के पास जैसे ठेका था. केकड़ी उपखंड में वह तांत्रिक जय शर्मा के नाम से विख्यात हो गया था. उस के साधनास्थल पर परेशान, किसी समस्या से त्रस्त पुरुषों, औरतों का जमावड़ा लगा रहता था.

जयप्रकाश के द्वारा वह अपनी समस्या का समाधान करवाने आते थे, उन्हें कितना फायदा होता था, यह वह खुद नहीं जानते थे. वह जयप्रकाश शर्मा से तंत्र क्रिया करवाते और मोटा चढ़ावा चढ़ा कर लौट जाते. वह कभी शिकायत ले कर जयप्रकाश या किसी अन्य के पास नहीं गए कि उन्हें लाभ नहीं हुआ है, ऐसी बातों के लिए उन्हें पुलिस से फटकार मिलने का डर बना रहता और लोगों से जगहंसाई का.

अंधविश्वास भरी इन बातों का आज 21वीं सदी में कोई स्थान नहीं था. फिर भी अंधविश्वासियों की वजह से जयप्रकाश शर्मा की दुकान चल रही थी. वह दोनों हाथों से पैसे बटोर रहा था.

लोग यह समझते थे कि जयप्रकाश के पास हवा में ताबीज पकड़ने, लड्डू या 5-5 सौ के नोट पैदा करने जैसे चमत्कारी गुण हैं. वह यह सब किस विधि से करता है, कोई नहीं जानता था. लोग बेवकूफ बन रहे थे और वह बना रहा था. जयप्रकाश शर्मा की नजर में अब मोटा मुरगा चढ़ गया था. वह मुरगा था अशोक मीणा.

जयप्रकाश ने अशोक मीणा को पूर्णिमा के दिन अपने हाथ की सफाई दिखा कर प्रभावित कर दिया था. अशोक मीणा चमत्कृत था. वह जयप्रकाश को कोई सिद्ध पुरुष मानने लगा था. अशोक मीणा नियमित रूप से ब्यावर के दीदारनाथ आश्रम में जाता था, जयप्रकाश शर्मा भी उस के पीछे दीदारनाथ आश्रम पहुंचने लगा.

जयप्रकाश अशोक मीणा को रोज नएनए चमत्कार दिखा कर प्रभावित करता. अशोक उस के चमत्कार देख कर हैरत में पड़ जाता था. उस का झुकाव अब जयप्रकाश शर्मा की तरफ हो गया था. वह जयप्रकाश का आदर करने लगा. एक दिन मौका देख कर जयप्रकाश ने उसे अपने साधनास्थल पर बुला लिया.

अपने सामने उसे बैठने को आसन दिया. अशोक मीणा उस के साधनास्थल को हैरत से देख रहा था.

‘‘इस साधनास्थल पर सब कुछ अलौकिक है अशोक मीणा, मैं ने कठोर परिश्रम कर के कुछ सिद्धियां प्राप्त की हैं. लेकिन मैं अभी गुरु शिवनाथ के मुकाबले बौना ही हूं.’’ जयप्रकाश ने बताया.

‘‘यह गुरु शिवनाथ कौन है?’’

‘‘यह विश्व के महान तंत्रमंत्र ज्ञाता हैं, अपनी कठोर साधना से मेरे गुरु शिवनाथ ने अनेक जिन्न, खबीश, प्रेत और चंडाल अपने वश में कर लिए हैं. वह उन से हर प्रकार का काम लेते हैं. किसी की कैसी भी समस्या हो, उन को वह चुटकी में हल कर देते हैं.’’ जयप्रकाश ने बता कर अशोक मीणा की तरफ देखा, ‘‘मैं तुम्हें एक ऐसी बात बताने जा रहा हूं, जो मेरे और गुरु शिवनाथ के अलावा कोई तीसरा व्यक्ति नहीं जानता, चूंकि तुम मेरे खास बन गए हो, इसलिए सिर्फ तुम्हें बता रहा हूं. थोड़ा आगे सरक आओ.’’

अशोक मीणा अपनी जगह से आगे सरका. उस के मन में वह खास बात जान लेने की जिज्ञासा थी.

‘‘अशोक, मेरे गुरु शिवनाथ ने अपने जिन्नों की मदद से रानी हलीमा का वह चमत्कारी बक्सा हासिल कर लिया है, जिस में से सोना, चांदी और नोट निकलते हैं.’’

‘‘भला बक्सा नोट, सोनाचांदी कैसे निकाल सकता है? क्या उस में पहले यह सब डालना पड़ता है?’’ अशोक ने आतुरता से पूछा.

‘‘नहीं अशोक. उस बक्से से अपनी इच्छा से जो मांगो, वह निकल आता है.’’ जयप्रकाश ने बताया.

‘‘मुझे इस बात पर यकीन नहीं हो रहा है.’’

जयप्रकाश हंसा, ‘‘तांत्रिक की किसी चमत्कार और शक्ति को नकारा नहीं जा सकता अशोक. मैं तुम्हें अपने गुरु शिवनाथ के पास ले कर चलूंगा, तुम अपनी आंखों से उस बक्से का चमत्कार देख लेना.’’

‘‘कब चलेंगे आप?’’ अशोक मीणा ने उतावलेपन से पूछा.

‘‘जब तुम चाहोगे.’’

‘‘मैं तो आज ही चलना चाहता हूं.’’

जयप्रकाश उस का उतावलापन देख कर मुसकराया फिर वह किसी गहरी सोच में डूब गया.

कक्ष में गहरी खामोशी छा गई.

कुछ देर बाद जयप्रकाश ने चुप्पी तोड़ी, ‘‘अशोक, मैं सोच रहा हूं कि बक्सा अपने गुरु से तुम्हें दिलवा दूं.’’

‘‘क्या वह बक्सा दे देंगे?’’ अशोक ने हैरानी से पूछा.

‘‘मैं कहूंगा तो वह इंकार नहीं कर सकेंगे.’’ जयप्रकाश गंभीर हो गया.

‘‘सोचो, यदि वह बक्सा तुम्हें मिल गया तो तुम दुनिया के सब से धनी व्यक्ति बन जाओगे.’’

अशोक मीणा की आंखों में तीखी चमक उभरी, ‘‘काश! ऐसा हो जाए.’’

‘‘हो जाएगा. मैं तुम्हारा भला चाहता हूं इसलिए हर सूरत में मैं वह बक्सा तुम्हें दिलवाऊंगा, लेकिन…’’ अपनी बात अधूरी छोड़ी जयप्रकाश ने.

‘‘लेकिन क्या महाराज, कोई अड़चन हो तो मुझे निस्संकोच बताइए.’’

‘‘तुम्हें कुछ खर्चा करना पड़ेगा.’’

‘‘कर दूंगा. बताइए, कितना खर्च करना होगा?’’

‘‘तुम एक लाख रुपया मेरे एकाउंट में जमा करवा दो, ये रुपए एक सिक्योरिटी के रूप में मेरे पास रहेंगे. तुम्हें मैं वह बक्सा दिलवा रहा हूं, जिस में से तुम रोज लाखों रुपए, सोनाचांदी प्राप्त कर सकोगे. समझ रहे हो न मेरी बात?’’

‘‘मैं एक लाख रुपया आज ही आप के एकाउंट में डाल देता हूं.’’ अशोक मीणा ने बगैर किसी हिचक के कहा, ‘‘आप तो अपने गुरु के पास मुझे ले चलिए.’’

‘‘मेरे गुरु महाराष्ट्र में शाहपुरा (ठाणे) में रहते हैं, वहां चलने में जो खर्चा होगा, वह तुम्हें ही करना होगा.’’

‘‘ठीक है महाराज. सारा खर्च मैं ही करूंगा, आप आज ही टिकट का रिजर्वेशन करवा लीजिए. मैं आप के बैंक एकाउंट में एक लाख 20 हजार रुपए डाल देता हूं. आप अपना एकाउंट नंबर मुझे दे दीजिए.’’

जयप्रकाश ने उसे अपना एकाउंट नंबर लिख कर दे दिया. अशोक मीणा वह नंबर ले कर उस साधनास्थल से बाहर निकला तो उस के मन में बेहद उत्साह और चेहरे पर खुशी थी.

अशोक मीणा ने एक घंटे बाद ही जयप्रकाश शर्मा के एकाउंट में एक लाख 20 हजार रुपए जमा करवा दिए.

तीसरे दिन जयप्रकाश शर्मा अपने साथ अशोक मीना को ले कर ठाणे के शाहपुरा में अपने गुरु शिवनाथ के यहां पहुंच गया.

नाबालिगों के खून से “रंगे हाथ”

जब कोई किसी की हत्या कर देता है तो समाज, कानून और हम सोच में पड़ जाते हैं. मगर जब कोई किशोर, नाबालिक किसी “अपने” की ही हत्या कर देता है तो एक गहरा सनाका खींच जाता है. एक चींटी को भी मारने से पहले कोई मनुष्य कई कई बार सोचता है.

दरअसल, मानव का मनोविज्ञान ही शांति भाव से सहजीवन है. ऐसे में कुछ परिस्थितियां ऐसी विकट हो जाती है कि बड़े बूढ़े, जवान तो क्या कभी-कभी किसी नाबालिग के हाथों भी अपने अथवा गैर की हत्या जैसा नृशंस कांड घटित हो जाता है.जो समाज को यह सोचने पर मजबूर करता है कि आज डिप्रेशन… तनाव और छोटी-छोटी बातों पर क्रोध के कारण ऐसी घटनाएं घटित हो रही हैं. जो मानव समाज के लिए एक गंभीर शोध और चिंता का सबब है.

आज इस रिपोर्ट में हम ऐसे ही कुछ घटनाक्रमों पर दृष्टिपात कर रहे हैं और यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि ऐसा क्यों और किस लिए हो रहा है. और ऐसी घटनाओं को किस तरह रोका जा सकता है.

पहला घटनाक्रम-

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के तेलीबांधा में एक 15 वर्ष के नाबालिक ने जब उसकी साइकिल एक पड़ोसी के हाथों क्षतिग्रस्त हो गई तो गुस्से में आकर पड़ोसी को मार डाला.

दूसरा घटनाक्रम-

छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में एक 16 वर्ष के लड़के के हाथों अपने ही एक दोस्त की हत्या हो गई, क्योंकि वह उसे गाली गलौज कर रहा था उसकी मां को गाली दी थी.

तीसरा घटनाक्रम-

जिला कोरबा के पाली थाना अंतर्गत ग्राम नूनेरा में एक किशोर बालक में अपने ही चाचा की हत्या कर दी क्योंकि चाचा उसे कुछ सीख दे रहा था और डांट भी रहा था.

ऐसी ही अनेक घटनाएं हमारे आस पास अचानक ही घट जाती हैं और हम सन्नाटे में रह जाते हैं. आइए! देखते हैं कि ऐसी घटनाएं क्यों घट रही हैं, और कैसे रोका जा सकता है.

गुस्से में दादी को मार डाला

छोटी उम्र में अगर कोई नशे का आदी हो जाता है तो यह उसके लिए भयंकर साबित हो सकता है. यह इस एक घटनाक्रम से स्पष्ट हो जाता है. सरगुजा जिले के सीतापुर थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत भिठुआ में 15 वर्षीय नाबालिग बालक के हाथ खून से रंग‌ गए. दरअसल, उसकी दादी ने उसे तंबाकू खाने से मना किया था, जिससे आहत होकर उसने यह कदम उठाया.

सीतापुर थाना जांच अधिकारी के अनुसार सीतापुर थाना क्षेत्र के ग्राम भिठुआ ढाबपारा निवासी एक बुजुर्ग ने जानकारी दी कि उसका नाती तम्बाकू का सेवन करता था. तम्बाकू सेवन करने से मना करने पर उसने गुस्से में आकर अपनी दादी फिरतीन बाई की हत्या कर दी

यहां यह महत्वपूर्ण है कि सरगुजा को एक अप्रैल से तंबाकू मुक्त बनाने जिला कलेक्टर व स्वास्थ्य विभाग के द्वारा लोगों को जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. लेकिन इस जागरूकता का असर ग्रामीण क्षेत्रों में दिखाई नहीं दे रहा है, जहां तंबाकू के सेवन से कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का सामना करना पड़ता है. वही हत्या और आत्महत्या जैसी घटनाएं भी प्रकाश में आ रही हैं.

कैसे मिल सकती है निजात

दरअसल, पम्पहाउस नाबालिक बच्चों को सही मार्गदर्शन और संवेदना के साथ एक ऐसा बेहतर माहौल मिलना चाहिए जिससे उनमें मानवीय भावना और आपसी स्नेह का संचार हो, जब इन सब चीजों का अभाव होता है और घर और समाज में तनाव बढ़ने लगता है माता-पिता अन्य परिजन आपसी विवाद में घर को जबरन असहज बनाने लगते हैं तो धीरे धीरे छोटे बच्चों में इसका गंभीर असर होने लगता है.

यही कारण है कि छोटे बच्चे जिनका समय शिक्षा एवं आपसी प्रेम में व्यतीत होना चाहिए वे भटक जाते हैं और क्रूर होने लगते हैं. परिणाम स्वरूप या तो छोटे बच्चे अवसाद में आकर आत्महत्या कर लेते हैं या फिर किसी की हत्या कर देते हैं. यह दोनों ही तो स्थितियां समाज के लिए चिंता का विषय है.

मनोविज्ञान के जानकार संगीत शिक्षक घनश्याम तिवारी का मानना है कि ऐसी परिस्थितियां इसलिए निर्मित होती है क्योंकि परिवार का माहौल असंवेदनशील होता है. नित्य माता पिता यानी पति पत्नी की तनावपूर्ण बातचीत व्यवहार का बच्चों में गंभीर असर होने लगता है और परिणाम स्वरूप बड़ी घटना घट जाती है.

डॉक्टर गुलाब राय पंजवानी के मुताबिक घर का माहौल ही इसके लिए सबसे जिम्मेवार है अगर माता-पिता संवेदनशील है तो बच्चों में भी आपसी प्रेम की भावना उत्पन्न हो सकती है अन्यथा वे भटक सकते हैं.

पुलिस अधिकारी इंद्र भूषण सिंह के मुताबिक अनेक दफा ऐसे गंभीर मामले प्रकाश में आए हैं जब बच्चों अथवा नाबालिगों के द्वारा आत्महत्या या हत्या की घटना घटित हुई है जांच में यह तथ्य सामने आता है कि घर और आसपास के माहौल के कारण बच्चे दिशा से भटक गए.

खूनी खेल और खिलाड़ी

हरियाणा के पहलवानों ने ओलिंपिक खेलों में मैडल जीत कर पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन किया है. पहलवानी से यहां के लोगों का इतना ज्यादा लगाव है कि जगहजगह देशी अखाड़े खुले हुए हैं. वहां के कोच या खलीफा या गुरुजी अपने शिष्यों को पहलवानी के दांवपेंच सिखाते हैं. पर कई बार ऐसे अखाड़ों में दबदबे का ऐसा घिनौना खेल खेला जाता है कि पूरा कुश्ती जगत शर्मसार हो जाता है.

हरियाणा के रोहतक में शुक्रवार, 12 फरवरी की शाम हुए एक हत्याकांड से पूरे राज्य में मानो हड़कंप मच गया. बताया जा रहा है कि एक कालेज के पास बने अखाड़े के संचालन को ले कर हुए झगड़े के चलते यह वारदात हुई और गोलीबारी की गई.

इस हत्याकांड में 5 लोगों की मौत हो गई और 2 घायल बताए गए. मरने वालों में 2 कोच और एक महिला पहलवान शामिल थी.

मरने वालों के नाम मनोज मलिक, उन की पत्नी साक्षी मलिक, प्रदीप मलिक उर्फ फौजी, सतीश दलाल और मथुरा, उत्तर प्रदेश की पूजा हैं. मनोज मलिक और साक्षी मलिक का एक 3 साल का बच्चा और पहलवान अमरजीत सिंह घायल हुए. मनोज मलिक और प्रदीप मलिक उर्फ फौजी नैशनल लैवल के खिलाड़ी रह चुके थे.

मारे गए मनोज मलिक जाट कॉलेज में डीपीई थे और वे इस अखाड़े का भी संचालन करते थे. उन की हत्या करने का आरोप अखाड़े में ट्रेनर का काम करने वाले सुखविंदर पर लगा. बताया जा रहा है कि सुखविंदर् इस अखाड़े में हिस्सेदारी की मांग कर रहे था, जबकि मनोज मलिक इस के लिए तैयार नहीं थे.

इसी बात को ले कर मनोज मलिक और सुखविंदर के बीच झगड़ा हुआ और सुखविंदर ने कथिततौर पर मनोज समेत 5 लोगों की गोली मार कर हत्या कर दी. इस के बाद वह फरार हो गया लेकिन अगले ही उसे गिरफ्तार भी कर लिया गया. उस पर एक लाख रुपए का इनाम भी रखा गया था.

इस गोलीकांड के बाद जो बातें सामने आ रही हैं, उन के मुताबिक सुखविंदर के खिलाफ अखाड़े में कुश्ती करने वाली कई महिला पहलवानों के परिवार वालों ने मनोज मलिक से शिकायत की थी. इस के चलते मनोज मलिक ने सुखविंदर को अखाड़े से हटा दिया था.

इस के अलावा अखाड़े में आने वाले कुछ पहलवानों का कहना है कि सुखविंदर का कहना था कि मनोज मलिक और उन की साक्षी मलिक पत्नी को नौकरी मिल चुकी है. ऐसे में अगर अखाड़े का संचालन उसे मिल जाता है तो उस की गुजरबसर आसान हो जाएगी.

इसी तनातनी को शांत करने के लिए शु्क्रवार, 12 फरवरी, 2021 को समझौते के लिए सुखविंदर ने मनोज मलिक और दूसरे लोगों को अखाड़े के पास बने कमरे में बुलाया था. आरोप है कि वहीं पर उस ने पिस्तौल से सब को गोली मार दी. इस से कमरे में मौजूद 5 लोगों की मौत हो गई और 2 लोग घायल हो गए. आरोपी सुखविंदर कमरे को ताला लगा कर भाग गया.

नीचे अखाड़े में प्रैक्टिस कर रहे पहलवानों को जब गोलियां चलने की आवाज आई तो वे ऊपर पहुंचे, लेकिन वहां ताला लगा हुआ था. कमरे से मनोज मलिक और साक्षी मलिक के छोटे बच्चे के रोने की आवाज आ रही थी, जिस के बाद वे पहलवान ताला तोड़ कर अंदर घुसे. वहां खून से सनी 5 लाशें पड़ी हुई थीं.

इस के बाद वहां मौजूद लोगों ने पुलिस को सूचना दी और घायलों को अस्पताल पहुंचाया. आरोपी ने सभी को सिर और गले में गोली मारी थी.

गोली लगने से घायल हुआ मनोज मलिक का 3 साल का बच्चा इलाज के दौरान कोमा में चला गया, जबकि घायल अमरजीत सिंह को बेहतर इलाज के लिए गुरुग्राम के बड़े अस्पताल रैफर किया गया.

आप को फिल्म ‘कमांडो-3’ तो याद ही होगी. उस फिल्म की शुरुआत में ही अखाड़े का एक सीन था, जिस में पहलवानी करने वाले लड़के स्कूल जाती लड़कियों से छेड़छाड़ करते हैं. उन लोगों से पूरा महल्ला डरता है. इस सीन में स्कूली लड़की की स्कर्ट को एक पहलवान खींचता है, जिस के बाद हीरो विद्युत जामवाल उन पहलवानों से भिड़ कर लड़की की बेइज्जती का बदला लेता है.

इस सीन को ले कर सोशल मीडिया पर काफी विवाद हुआ था और कई नामी पहलवानों ने इस सीन को अखाड़े और पहलवानी करने वालों की बेइज्जती बताया था. उन की दलील थी कि पहलवान अखाड़े में कोई जुर्म नहीं कर सकते हैं, पर रोहतक वाले मामले ने उन की इस दलील पर पानी फेर दिया.

और कांड भी हुए हैं

साल 2019 के नवंबर महीने में हरियाणा की रहने वाली नैशनल लैवल की ताइक्वांडो खिलाड़ी सरिता जाट को कुश्ती के एक खिलाड़ी सोमवीर जाट ने गोली मार दी थी.

सोमवीर जाट सरिता से प्यार करता था और उस से शादी करना चाहता था, पर सरिता के मना करने पर वह बहुत ज्यादा गुस्सा हो गया था और उस ने सरिता की मां के सामने ही उस की छाती में गोली ठोंक दी थी.

इस वारदात के तकरीबन एक साल बाद आरोपी सोमवीर जाट को पुलिस ने राजस्थान के दौसा इलाके से गिरफ्तार किया था.

साल 2015 में रोहतक के कबड्डी खिलाड़ी रह चुके सन्नी देव उर्फ कुक्की के सिर भी एक खून का इलजाम लगा था. कुक्की नैशनल लैवल का कबड्डी खिलाड़ी था. विरोधी पक्ष के हत्थे जब कुक्की नहीं लगा तो उस ने कुक्की के छोटे भाई और नैशनल लैवल के कबड्डी खिलाड़ी सुखविंदर नरवाल को गोलियों से भून डाला था.

हरियाणा के लिए क्रिकेट खेल चुका सुरजीत रंगदारी के मामले में पुलिस के हत्थे चढ़ा था. वह रंगदारी से पैसा इकट्ठा कर के फिर से क्रिकेट खेलना चाहता था, लेकिन पैसे कमाने का उस का यह तरीका उसे जुर्म की राह पर ले गया.

दिल्ली का जितेंद्र उर्फ गोगी वौलीबाल का नैशनल लैवल का खिलाड़ी था. उस का उठनाबैठना बदमाशों के साथ हो गया और उस ने खेल छोड़ कर दिल्ली, सोनीपत, पानीपत व दूसरी कई जगहों पर वारदात करनी शुरू कर दीं.

ऐसे अपराधी खिलाड़ियों की फेहरिस्त बड़ी लंबी है. बहुत बार तो खेल में मनमुताबिक कामयाबी न मिलने पर बहुत से खिलाड़ी अपराध की दुनिया में कदम रख देते हैं. वे सेहतमंद होते हैं और बदन से ताकतवर भी, खासकर कुश्ती और कबड्डी से जुड़े लोग, जो अपने दबदबे से लोगों में डर पैदा करने में कामयाब हो जाते हैं.

इस सिलसिले में रोहतक के एक वकील नीरज वशिष्ठ का कहना है, ‘सभ्य समाज में ऐसे अपराध की कोई जगह नहीं है और जब अपराध खेल जगत में अपने दबदबे के लिए दस्तक देने लगे तो हमें जरूर सोचना चाहिए. जिस खेलकूद से हम अपने बच्चों का भविष्य जोड़ कर देखते हैं, उस में अगर ‘मैं ही सबकुछ’ की जिद हावी हो जाती है तो उस से न केवल खेल, बल्कि उस में शामिल सभी का नुकसान ही होता है.

‘हम सब को इस आपराधिक सोच को रोकना होगा, नहीं तो खेल जगत में जो नाम हमारे देशप्रदेश ने हासिल किया है उसे धूल में मिलते देर नहीं लगेगी.’

‘अर्जुन अवार्ड’ विजेता पहलवान और कोच कृपाशंकर बिश्नोई ने इस हत्याकांड पर दुख और रोष जाहिर किया. मारे गए पहलवान प्रदीप मलिक उन्हीं की तरह रेलवे से जुड़े थे और रतलाम मंडल में अपनी सेवाएं दे रहे थे.

कृपाशंकर बिश्नोई के मुताबिक, ‘यह खेल दुनिया खासकर कुश्ती जगत के लिए बड़ा नुकसान है, जिस की भरपाई नहीं हो पाएगी.’

जब से देश में कुश्ती दोबारा मशहूर हुई है तब से अखाड़ों में रौनक बढ़ने लगी है, पर बहुत से अखाड़े नामचीन पहलवान बनाने के चक्कर में खुल तो गए हैं, लेकिन मानकों पर खरे नहीं उतर पाते हैं.

एक खबर के मुताबिक रोहतक जिले में ही 40 अखाड़ों में से 10 अखाड़े मानकों पर खरे उतरे हैं. बाकी का तो रजिस्ट्रेशन तक नहीं हुआ है. मतलब ये अब कमाई का जरीया बन गए हैं. इसी कमाई के चक्कर में यह हत्याकांड हुआ है.

महिलाओं की सुरक्षा के प्रति सजग उत्तर प्रदेश सरकार

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के समक्ष ‘मिशन शक्ति’ की प्रगति, इसके द्वितीय फेज़ तथा इसमें विभिन्न विभागों द्वारा दिए गए योगदान के सम्बन्ध में प्रस्तुतीकरण किया गया. इस अवसर पर मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य सरकार महिलाओं की सुरक्षा तथा आत्मसम्मान सुनिश्चित करने के लिए कटिबद्ध है. ‘मिशन शक्ति’ को इसी उद्देश्य से लागू किया गया था. उन्होंने कहा कि 08 मार्च, 2021 को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस है. इसके दृष्टिगत ‘मिशन शक्ति’ के तहत महिला सशक्तीकरण से सम्बन्धित विभिन्न विभागीय आयोजन 26 फरवरी, 2021 से ही शुरू कर दिए जाएं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इस अभियान का सकारात्मक प्रभाव समाज पर पड़ा है और महिलाओं की सुरक्षा और आत्मसम्मान के प्रति समाज अब और जागरूक हो रहा है. उन्होंने राजस्व विभाग को घरौनी के तहत स्वामित्व का अधिकार घर की महिला को देने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित किए गए सामुदायिक शौचालयों में महिला कर्मी की तैनाती शीघ्र की जाए. उन्होंने सभी जनपदों में अपर पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में एक रिपोर्टिंग चौकी स्थापित करने के निर्देश दिए, जहां महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों के सम्बन्ध में सूचना दर्ज कर त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी.

मुख्यमंत्री ने कन्या सुमंगला योजना और मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने के निर्देश दिए.

मुख्यमंत्री जी के समक्ष नारी सुरक्षा, नारी सम्मान तथा नारी स्वावलम्बन के लिए चलाए जा रहे ‘मिशन शक्ति’-द्वितीय फेज़ का प्रस्तुतीकरण अपर मुख्य सचिव गृह श्री अवनीश कुमार अवस्थी ने किया.

उन्होंने ‘मिशन शक्ति’ के द्वितीय फेज़ के दौरान महिला थाने की रिपोर्टिंग पुलिस चौकी की स्थापना तथा इससे सम्बन्धित प्रस्ताव, महिला साइबर क्राइम सेल, साइबर बुलीइंग व साइबर स्टॉकिंग के लिए डूज़ व डोन्ट्स, कम्युनिटी पुलिसिंग के तहत महिला सुरक्षा समिति के गठन, समिति के स्वरूप, महिला हेल्प डेस्क में प्राथमिक चिकित्सा की सुविधा, अत्यधिक वृद्ध महिला कैदी/शारीरिक रूप से अशक्त महिला कैदियों की रिहाई, ‘मिशन शक्ति’ पुरस्कार इत्यादि के सम्बन्ध में मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया.

प्रस्तुतीकरण के दौरान मुख्यमंत्री जी के समक्ष ‘मिशन शक्ति’ में प्रतिभाग करने वाले विभिन्न विभागों जिनमें कृषि, पंचायती राज, राजस्व, महिला कल्याण तथा बाल विकास एवं पुष्टाहार, चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास, युवा कल्याण, बेसिक शिक्षा, समाज कल्याण, उच्च शिक्षा, दुग्ध विकास, चिकित्सा शिक्षा, संस्कृति, माध्यमिक शिक्षा, प्राविधिक शिक्षा, औद्योगिक विकास, ग्राम्य विकास, सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, परिवहन, नगर विकास, पशुपालन, अल्पसंख्यक कल्याण, न्याय तथा सहकारिता विभाग शामिल हैं, ने अपने-अपने विभाग द्वारा किए गए कार्यों तथा उपलब्धियों के विषय में जानकारी दी.

उल्लेखनीय है कि ‘मिशन शक्ति’ की शुरुआत शारदीय नवरात्र 2020 से की गई थी. यह अभियान बासन्तिक नवरात्र 2021 तक चलेगा.

उधार के पैसे और हत्या

अपने परिजनों के राजनीतिक रसूख के चलते कोई बिगड़ैल नवाब अगर पैसे उधार लेकर आंखें दिखाने लगे, पैसे देना ना चाहे, तो उसका परिणाम जतिन राय जैसा हो सकता है.

रायपुर के खमताराई थाना इलाके में जतिन राय अभी नाबालिग ही था. उम्र थी 20 वर्ष और पार्षद अंजनी विभार का भतीजा था. चाचा भी प्रदेश में सत्ता में धमक रखते हैं.

राजधानी रायपुर के थाना खम्हारडीह इलाके में एक सूटकेस से जतिन राय नाम के युवक की लाश मिली. पुलिस इस हत्याकांड को अंजाम देने वाले प्रदीप नायक, सुजीत तांडी और केवी दिवाकर को गिरफ्तार तो कर लिया मगर संपूर्ण घटनाक्रम को देखें तो जहां यह घटना एक बड़ा संदेश देती है कि अगर परिजन राजनीति में है, प्रभावशाली है तो बच्चे किस तरह “बिगड़े नवाब” बन सकते हैं. दूसरी तरफ पुलिस हत्या जैसे गंभीर अपराध पर भी कैसा लचीला रुख अपनाती है और अगर राजनीतिक प्रभाव ना हो मुख्यमंत्री तक पहुंच नहीं हो तो कुंभकर्णी नींद में सोती रहती है.

अपनी मौत का सामान लेकर आया जतिन!

आरोपियों ने जो घटनाक्रम पुलिस के समक्ष बयां किया है उसके अनुसार जतिन राय को कहा गया था कि अपने साथ एक बड़ा सुटकेश ट्रॉली बैग लेकर आना. क्योंकि हमें कहीं बाहर जाना है. जतिन ने अपनी मां से बैग मांगा, उन्होंने बैग देने से मना कर दिया.दूसरी तरफ आरोपी बार-बार उसे कॉल कर बुला रहे थे.

जतिन ने आखिरकार अपने पड़ोसी अभय से एक बड़ा सूटकेस लिया और प्रदीप से मिलने के लिए निकला.आरोपी प्रदीप के बताए स्थान पर पहुंचने के बाद थोड़ी देर में अपने 20 हजार रुपए लौटाने को लेकर दोनों के बीच विवाद शुरू हुआ. फिर प्रदीप ने अपने साथियों के साथ मिलकर जतिन की गला दबाकर हत्या कर दी. उसकी लाश को उसी सूटकेस में भर दिया जिसे लेकर वह पहुंचा था. वे आरोपी जतिन का स्कूटर लेकर चंडीनगर में सुनसान इलाके के कुएं में लाश भरे बैग को डाल कर आराम से अपने अपने घर चले गए.

राजनीतिक रसूख!

9 फरवरी 2021को जतिन के लापता होने की शिकायत खमतराई थाने में परिवार ने दर्ज करवाई गई . मगर 5 दिनों तक पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रही जहां परिजनों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया. थाने तक महापौर एजाज मेंबर और पर्व मंत्री सत्यनारायण शर्मा आ पहुंचे. मामला मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के दरबार तक पहुंचा और पुलिस को तत्परता से आरोपियों को खोजने का निर्देश मिला.और कहते हैं न, जब पुलिस अपने पर आ जाए तो आरोपी बच नहीं सकते. इस घटनाक्रम में भी यही हुआ सख्ती बरतने पर प्रदीप, उसका साथी सूरज और केवी दिवाकर पुलिस के समक्ष सच स्वीकार कर लिया.

दरअसल, करीब एक महीने पहले हत्या के आरोपी प्रदीप ने अपनी बाइक गिरवी रखी थी. इसके बदले में उसे 30 हजार रुपए मिले थे. इसमें से 20 हजार रुपए मांगने पर प्रदीप ने जतिन को दिए थे. और अब इन रुपयों को जतिन लौटा नहीं रहा था. जब भी प्रदीप पैसा मांगता तो जतिन बहाने बनाने लगता और ऐसा व्यवहार करता कि रुपए तो नहीं मिलेंगे जो करना है कर लेना. हालांकि जतिन के परिवार वालों का कहना है कि प्रदीप, जतिन से चिढ़ता था, इसलिए उसकी हत्या की और अब झूठ ही रुपयों की देनदारी की बातें कर रहा है.

“क्राइम पेट्रोल” देख बनाया प्लान

इस सनसनीखेज हत्याकांड के संदर्भ में पुलिस ने हमारे संवाददाता को बताया कि इस हत्याकांड के पीछे जहां पैसों की लेनदेन थी, रुपए नहीं मिलने से नाराज प्रदीप को “क्राइम पेट्रोल” का एक एपिसोड देखकर यह सुझा कि क्यों ना जतिन राय को कुछ इस तरह सजा दे दी जाए. पुलिस के समक्ष यह भी सच सामने आ गया है कि प्रदीप घटना से पहले जतिन को लगातार फोन कर रहा था, वो उसे बुला रहा था, जतिन जाने से इनकार कर चुका था. मगर वह बार-बार दोस्ती की दुहाई दे रहा था.

जतिन जब प्रदीप के पास भनपुरी स्थित मकान में पहुंचा तो यहां दोस्तों ने उसका स्वागत किया और मिलकर शराब पार्टी की. प्रदीप ने जानबूझकर जतिन को ज्यादा शराब पिलाई. प्रदीप ने तीव्र आवाज में म्यूजिक चला रखा था ताकि किसी को कोई आभास ना मिले. इसके बाद हत्यारों ने मौका मिलते ही उसकी गला घोंट कर हत्या कर दी और जो सूटकेस जतिन लेकर आया था उसी में उसके शव को डालकर खम्हारडीह में फेंक दिया गया.

तीन दिन बाद कचरा बीनने वाले एक बच्चे की नजर कुएं में पड़े बैग और उसमें से निकले पैरों पर पड़ी थी. और मामला पुलिस तक पहुंचा. मगर पुलिस जांच में उदासीन रही जब जतिन राय के चाचा और परिजनों ने हंगामा किया तब जाकर पुलिस के उच्च अधिकारियों के कान में जूं रेंगी और मामले की जांच में में तेजी आई और अंततः मामले का खुलासा हुआ.