अय्याशी में डबल मर्डर : होटल मालिक और गर्लफ्रेंड की हत्या – भाग 1

जैसे ही इशिका ने घर का दरवाजा खोला, सामने कमरे में उस की मम्मी सरिता और उस के अंकल रवि ठाकुर के शव पड़े हुए थे. यह देखते ही उस की चीख निकल गई. फर्श पूरी तरह से खून से लाल हुआ पड़ा था. सरिता और रवि ठाकुर दोनों के शरीर पूरी तरह से नग्न थे.

घर का दृश्य देखते ही उस ने इस की सूचना सब से पहले पुलिस को दी. यह घटना मध्य प्रदेश के इंदौर के एरोड्रम थाना क्षेत्र में स्थित अशोक नगर में हुई थी. यहीं पर सरिता तीसरी मंजिल पर किराए के मकान में रहती थी. डबल मर्डर की सूचना पाते ही एरोड्रम थाने के एसएचओ राजेश साहू तुरंत ही पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए थे.

ममता अपने घर के काम में बिजी थी. उसी वक्त उस के मोबाइल पर किसी की काल आई. जैसे ही ममता ने अपने मोबाइल पर नजर डाली, रवि ठाकुर का फोन था. रवि बाबू का फोन देखते ही उस का दिल तेजी से धड़कने लगा. वह समझ नहीं पा रही थी कि वह उस की काल रिसीव करे या काट दे.

ममता का पति नितिन उस समय घर पर ही था. उस वक्त तो उस ने रवि की काल रिसीव नहीं की, लेकिन जैसे ही उस का पति घर से काम के लिए निकला, ममता ने रवि बाबू को काल बैक कर दी.

ममता की काल रिसीव करते ही रवि ठाकुर बोला, ”और ममता रानी, कैसी हो? क्या बात है, आजकल तो तुम हमारा फोन भी रिसीव नहीं कर रही हो?’’

”ठाकुर साहब, ऐसी कोई बात नहीं. दरअसल, उस वक्त मेरे पति घर पर ही थे, जिस वजह से मैं फोन रिसीव नहीं कर सकी. बोलिए ठाकुर साहब, कैसे फोन किया?’’ ममता ने पूछा.

तभी रवि ठाकुर ने कहा, ”ममता रानी, आज शाम को टाइम निकाल कर होटल चली आना. तुम्हारी दावत है.’’

”नहीं…नहीं…ठाकुर साहब, आज मैं आप के पास नहीं आ सकती. आज मुझे घर पर जरूरी काम है.’’

”ममता रानी, जरूरी काम तो हर रोज होते ही रहते हैं. हमारा भी आज जरूरी काम है. अगर आज तुम नहीं आई तो हमारा जरूरी काम कैसे होगा. आज तो तुम्हें आना ही पड़ेगा.’’ रवि अपनी जिद पर अड़ गया तो ममता के चेहरे पर परेशानी के भाव उभर आए थे.

फिर भी उस ने मरे मन से कहा, ”ठीक है, मैं आने की कोशिश करूंगी. लेकिन मैं आप के होटल नहीं आ पाऊंगी. अगर हम दोनों सरिता दीदी के घर पर मिलें तो ज्यादा अच्छा रहेगा.’’

रवि ठाकुर को सरिता के घर जाने में भी कोई परेशानी नहीं थी, क्योंकि सरिता के साथ भी ममता की तरह उस के गहरे संबंध थे. ममता का आज कहीं भी जाने का मन तो नहीं था. लेकिन रवि ठाकुर को मना करने की उस की हिम्मत नहीं थी.

सरिता मध्य प्रदेश के इंदौर शहर के अशोक नगर में अपनी बेटी इशिका और पति ऋषि के साथ रहती थी. दोपहर के कोई 11 बजे सरिता की बेटी इशिका कोचिंग जाने के लिए घर से निकली थी. पति भी किसी काम से घर से चला गया था. बेटी के घर से निकलते ही सरिता ने कहा था कि बेटी ठंड का मौसम है, टाइम से घर आ जाना.

इशिका को घर से निकले मुश्किल से एक घंटा भी नहीं हुआ था. तभी उस की मम्मी का उस के फोन पर मैसेज आ गया. उस ने जैसे ही मैसेज को पढ़ा तो वह हक्की बक्की रह गई. मैसेज में लिखा था, ‘बेटी कुछ लोग मुझे मारने की कोशिश कर रहे हैं. तू जल्दी से घर वापस आ जा.’

नग्न अवस्था में मिले रवि और ममता के शव

मैसेज पढ़ते ही इशिका बुरी तरह से घबरा गई. उस के बाद वह कामधाम छोड़ कर तुरंत ही घर पहुंची. घर पर अपनी मम्मी और अंकल की खून सनी लाशें देख कर वह घबरा गई. वह जोरजोर से चीखने लगी. कुछ देर बाद इशिका ने थाना एरोड्रम में फोन कर के इस मामले की सूचना दे दी.

घटनास्थल पर पहुंचते ही एसएचओ राजेश साहू ने कमरे की जांचपड़ताल की. सरिता और रवि ठाकुर के शव नग्न अवस्था में खून से लथपथ पड़े हुए थे. वहीं पर एक पुरानी तलवार भी पड़ी हुई थी.

पुलिस ने अपनी जांचपड़ताल की तो घर के दरवाजे पर भी जबरन प्रवेश के निशान पाए गए, जिस से पता चला कि हत्यारों की संख्या एक से अधिक थी. घर का दृश्य देख कर लगता था कि हत्यारों ने खून और सबूत को साफ करने की कोशिश भी की थी.

इस डबल मर्डर की सूचना पाते ही एडिशनल डीसीपी (जोन 1) आलोक शर्मा, एसीपी विवेक चौहान के साथ ही एफएसएल विशेशज्ञ भी मौके पर पहुंचे. विशेषज्ञों ने घटनास्थल से कुछ सबूत इकट्ठा किए.

पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल पर पहुंचते ही मृतका की बेटी इशिका से जानकारी ली. मृतका सरिता की बेटी इशिका ने पुलिस को जानकारी देते हुए बताया कि रवि बाबू का सरवटे बसस्टैंड इलाके में होटल है. उस की मम्मी सरिता एक ब्यूटीपार्लर चलाती थीं. दोनों में अच्छी जान पहचान और घरेलू संबंध थे, जिस के कारण दोनों ही रवि बाबू अकसर उन के घर पर आतेजाते रहते थे. रवि बाबू के 3 बच्चे थे.

इस जघन्य अपराध की तह तक पहुंचने के लिए एडिशनल डीसीपी आलोक शर्मा ने साइबर टीम के साथसाथ एक पुलिस टीम का भी गठन किया.

इस टीम में एसआई लक्ष्मण सिंह गौड़, रविराज सिंह बैस, हैडकांस्टेबल अरविंद तोमर, पवन पांडेय, कमलेश चावला, विलियम सिंह, जितेंद्र सांखला, विजय वर्मा, माखन चौधरी, कांस्टेबल संजय दांगी, विशाल दभाडे, महिला कांस्टेबल रितिका शर्मा आदि को शामिल किया गया था.

टीम का गठन होने के बाद पुलिस ने अपनी काररवाई करते हुए इस क्षेत्र में लगे लगभग 50 सीसीटीवी कैमरे खंगाले, साथ ही लगभग 100 से ज्यादा संदिग्धों से पूछताछ भी की.

कैमरों की जांच करने के बाद पुलिस को जानकारी मिली. इस दौरान मृतक रवि ठाकुर के अलावा 2 व्यक्ति (एक महिला और एक पुरुष) भी आए थे.

यह सब जानकारी जुटाने के बाद पुलिस ने रवि ठाकुर और सरिता ठाकुर के मोबाइलों की खोज की तो दोनों के मोबाइल ही गायब मिले.

पुलिस कैसे पहुंची हत्यारों तक

उस के बाद पुलिस ने दोनों के मोबाइल नंबरों को सर्विलांस पर लगा कर उन की काल डिटेल्स निकलवाई तो पता चला कि इस हत्याकांड से कुछ देर पहले ही सरिता ने अपनी सहेली ममता के फोन पर बात की थी. उसी काल डिटेल्स के द्वारा पता चला कि रवि ठाकुर सरिता के साथसाथ ममता से भी बात करता था.

पुलिस ने सीसीटीवी कैमरे की फुटेज के आधार पर ममता की शिनाख्त की तो पुलिस का शक उसी पर पक्का हो गया.

उसी शक के आधार पर पुलिस ने ममता के घर पर दबिश दी तो वह घर से गायब मिली. उस के बाद पुलिस ने उस के मोबाइल पर संपर्क करने की कोशिश की तो उस का मोबाइल भी बंद मिला. उस के मोबाइल को ट्रेस करते हुए पुलिस ने देर रात देवनगर (खजराना) से ममता उर्फ पिंकी और उस के पति नितिन को गिरफ्तार कर लिया था.

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दोनों पतिपत्नी को अपनी हिरासत में लेते ही पुलिस ने उन से इस हत्याकांड के संबंध में पूछताछ की तो दोनों ने जल्दी ही अपना अपराध स्वीकार कर लिया. ममता ने पुलिस को बताया कि काफी समय से रवि ठाकुर उस के साथ ब्लैकमेलिंग का खेल खेल रहा था.

पुलिस ने रवि ठाकुर के मोबाइल की गैलरी सर्च की तो उस में कई महिलाओं के अश्लील वीडियो मिले, जो सभी उसी के होटल में बनाए गए थे.

पुलिस को रवि ठाकुर के होटल में कई गुप्त कैमरे भी मिले, जिन के सहारे से ही वह महिलाओं के साथ अश्लील हरकतें करते हुए उन की अश्लील वीडियो बना कर उन के साथ अवैध संबंध बनाता था. पुलिस द्वारा पूछताछ के बाद इस हत्याकांड की जो कहानी उभर कर सामने आई, वह इस प्रकार थी.

मध्य प्रदेश के जिला इंदौर के नंदानगर निवासी रवि ठाकुर ने सरवटे बस स्टैंड के पास स्थित 3 होटल मां वैष्णो पैलेस, हनी और होटल सागर ठेके पर ले रखे थे. इन होटलों से रवि ठाकुर को अच्छी कमाई होती थी. सरिता ठाकुर से रवि ठाकुर की पुरानी जानपहचान थी.

अजमेर डिस्कॉम में करोड़ों का घोटाला करने वाली ब्यूटी क्वीन

अजमेर विद्युत वितरण निगम की सहायक प्रशासनिक अधिकारी शीतल जैन कई दिनों से परेशान  थीं. वह कर्मचारियों के वेतन, कैश वाउचर, चैक आदि का हिसाब रखती थीं. उन की परेशानी का कारण यह था कि कई वाउचर नहीं मिल रहे थे.

इस के अलावा कर्मचारियों की वेतन स्लिप और उन के बैंक खातों में जमा हो रही राशि में भी अंतर आ रहा था. शीतल की नजर में कई ऐसे बैंक खाते भी आए, जिन में निगम की ओर से वेतन जमा कराया जा रहा था. लेकिन उन खाताधारक कर्मचारियों का कोई रिकौर्ड नहीं मिल रहा था. शीतल जैन इस औफिस में कुछ समय पहले ही आई थीं.

कर्मचारियों की हाजिरी देख कर उन का मासिक वेतन बनाना, बिल वाउचर और कैश का हिसाबकिताब रखना उन के लिए कोई नई बात नहीं थी. न ही पहले इस काम में उन से कोई गड़बड़ हुई थी, लेकिन उन्हें यहां का काम समझ नहीं आ रहा था.

वह रोजाना कर्मचारियों का रजिस्टर ले कर बैठतीं और उन के वेतन के हिसाबकिताब देखतीं, उन्हें हर जगह भारी गड़बडि़यां नजर आ रही थीं. कई दिनों की माथापच्ची के बाद भी वह यह नहीं समझ पाईं कि यह गड़बडि़यां किस ने, कैसे और क्यों कीं.

अलबत्ता यह बात उन की समझ में आ गई थी कि राजस्थान सरकार की अजमेर बिजली वितरण कंपनी में सब कुछ ठीकठाक नहीं चल रहा, बल्कि बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हो रही हैं. यह गड़बड़ी किस स्तर पर हो रही हैं, यह पता जांच के बाद ही चल सकता था.

शीतल ने इस गड़बड़ी की जानकारी अपने उच्चाधिकारियों को देने का फैसला किया. यह दिसंबर 2018 की बात है.

एक दिन उन्होंने एक सहायक लेखाधिकारी के साथ अजमेर बिजली वितरण निगम यानी अजमेर डिस्काम के प्रबंध निदेशक बी.एम. भामू और डायरैक्टर फाइनैंस एस.एम. माथुर के पास पहुंच कर उन्हें इस बारे में बताया.  साथ ही उन्हें कुछ सबूत भी दे दिए. सरकारी रकम में गड़बड़ी के सबूत देख कर भामू साहब और माथुर साहब को यकीन हो गया कि अजमेर डिस्काम में बड़ा घपला हो रहा है.

डायरेक्टर फाइनैंस माथुर ने 3 अधिकारियों की जांच कमेटी बनाई. इस कमेटी में मुख्य लेखाधिकारी एम.के. जैन, बी.एल. शर्मा और सहायक लेखाधिकारी मनीष मेठानी को शामिल किया गया. तीनों अधिकारियों ने अजमेर डिस्काम मुख्यालय और हाथीभाटा पावर हाउस कार्यालय में कई दिनों तक जांचपड़ताल की.

प्रारंभिक जांच में पता चला कि अजमेर डिस्काम की सहायक प्रशासनिक अधिकारी अन्नपूर्णा सैन ने फरजी दस्तावेज तैयार कर कर्मचारियों के वेतन और बिलों में 96 लाख 36 हजार रुपए का गबन किया है. विस्तृत औडिट में यह राशि बढ़ने की आशंका जताई गई.

गबन का मामला सामने आने पर 17 दिसंबर, 2018 को अन्नपूर्णा सैन को निलंबित कर दिया गया. निलंबन काल में उस का स्थानांतरण नागौर स्थित मुख्यालय में कर दिया गया. इसी के साथ अजमेर डिस्काम प्रशासन ने अन्नपूर्णा के खिलाफ अजमेर के क्रिश्चियनगंज पुलिस थाने में मुकदमा दर्ज करा दिया.

डिस्काम कर्मचारियों का वेतन सीधे उन के बैंक खातों में जाता है. इस के लिए अजमेर डिस्काम की ओर से हर महीने भारतीय स्टेट बैंक की केसरगंज शाखा में कर्मचारियों के नाम, उन के वेतन बिल की राशि और बैंक खाता संख्या की सूची औनलाइन भेजी जाती है. इसी से कर्मचारियों को तनख्वाह मिलती थी.

प्रारंभिक जांच में सामने आया कि अन्नपूर्णा ने रोकडि़या के पद पर रहते हुए 378 कर्मचारियों के वेतन बिलों में काटछांट की थी. उस ने डिस्काम की ओर से अपने परिवार और रिश्तेदारों के बैंक खातों के नंबर भी बैंक को भेजी जाने वाली सूची में शामिल कर दिए थे.

वह कर्मचारियों की संख्या और तनख्वाह की राशि बढ़ा देती थी. बैंक डिस्काम की वेतन शीट के आधार पर खातों में राशि डाल देती थी. इस तरह फरजीवाड़े से डिस्काम कर्मचारियों के वेतन की रकम अन्नपूर्णा के जानकारों के बैंक खातों में पहुंच रही थी. अन्नपूर्णा इस गबन का खुलासा होने से पहले 14 नवंबर से ही स्वास्थ्य कारणों का हवाला दे कर छुट्टी पर चल रही थी. दरअसल, अन्नपूर्णा को अपना भांडा फूटने का अहसास नवंबर में ही हो गया था, इसलिए वह छुट्टी पर चली गई थी.

आगे बढ़ने से पहले उस अन्नपूर्णा की कहानी जानना जरूरी है, जिस ने अपनी खूबसूरती का जाल बिछा कर अजमेर डिस्काम में सवा 2 करोड़ रुपए से ज्यादा का गबन किया. अन्नपूर्णा की खूबसूरती पर फिदा अधिकारी आंखें मूंदे रहे. किसी अधिकारी ने कभी उस के तैयार किए कागजातों को जांचने की जरूरत महसूस नहीं की.

अजमेर शहर के चंदवरदाई नगर, रामगंज के रहने वाले वीरेंद्र सैन की बेटी अन्नपूर्णा की शादी अजमेर जिले के किशनगढ़ शहर में साधारण सैलून चलाने वाले युवक से हुई थी. अन्नपूर्णा पढ़ीलिखी थी. वह हाईप्रोफाइल तरीके से जीवन जीना चाहती थी, लेकिन उस के पति के सैलून से इतनी आमदनी नहीं थी कि उस के सपने साकार हो पाते.

फलस्वरूप घर में विवाद होने लगे. इस से उन के दांपत्य जीवन में दरार आने लगी. विवाद बढ़ा तो अन्नपूर्णा ने तलाक लेने का फैसला कर लिया. बाद में पतिपत्नी का तलाक हो गया. अन्नपूर्णा अपने पिता के घर आ गई. उस का भाई गौरव सैन रेलवे में लोको पायलट है.

बाद में अन्नपूर्णा ने परित्यक्ता कोटे से अजमेर बिजली वितरण निगम में 2012 में नौकरी हासिल कर ली. उस की पहली नियुक्ति कौमर्शियल असिस्टेंट के पद पर हुई. उसे अजमेर डिस्काम मुख्यालय में रोकडि़या और संस्थापन शाखा में रोकडि़या का काम सौंपा गया.

अन्नपूर्णा खूबसूरत थी, जब वह नौकरी में आई, तो बिलकुल भोलीभाली नजर आती थी. उस समय वह साड़ी पहनती थी और साधारण बन कर रहती थी.

डिस्काम में सर्विस रिकौर्ड में लगी अन्नपूर्णा की पासपोर्ट साइज फोटो उस की मासूमियत बयां करती थी. लेकिन वह ऐसी थी नहीं. वह महत्त्वाकांक्षी तो थी ही, सपने कैसे पूरे हो सकते हैं, यह बात भी जान गई थी.

डिस्काम की नौकरी करते हुए उसे अपने सपने पूरे होते नजर आने लगे. सपनों को पंख लगे, तो अन्नपूर्णा ने दूसरी शादी कर ली. उस की दूसरी शादी सुमित चौधरी से हुई. सुमित गुड़गांव में प्राइवेट नौकरी करता है. अन्नपूर्णा के एक दिव्यांग बेटा और एक बेटी है.

सरकारी नौकरी करते हुए अपने सपने पूरे करने के लिए उस ने अपनी खूबसूरती का जाल फैलाना शुरू किया. चेहरे से तो वह खूबसूरत थी ही, मेकअप करने के बाद वह मनचलों के दिलों पर भी गाज गिराने की क्षमता रखती थी.

अन्नपूर्णा की खूबसूरती से प्रभावित कई अधिकारी और कर्मचारी उस की ओर आकर्षित होने लगे. वह अधिकारियों और कर्मचारियों से नजदीकियां बढ़ाती रही. इसी के साथ वह अपने सपनों की उड़ान भरने के तरीके भी सोचती रही.

अन्नपूर्णा के कामकाज की जांच करने के लिए सीधे तौर पर 4 सहायक लेखाधिकारी थे और इन सहायक लेखाधिकारियों पर लेखाधिकारी, फिर मुख्य लेखाधिकारी और इन से भी बड़े अफसर थे. लेकिन किसी अधिकारी ने कभी अन्नपूर्णा के कामकाज की जांच करने की जरूरत महसूस नहीं की. अधिकारी उस के बनाए वेतन बिलों, बिल, वाउचर, चैक और रोकड़ के हिसाब पर आंख बंद कर के हस्ताक्षर कर देते थे.

अन्नपूर्णा ने इसी का फायदा उठाया. जब उस ने देखा कि कोई अधिकारी उस के बनाए कागजातों की जांच नहीं करता, तो उस ने अप्रैल 2017 से अजमेर डिस्काम के साथ गबन का खेल शुरू किया. यह सिलसिला अक्टूबर 2018 तक चलता रहा.

इस बीच, अन्नपूर्णा ने मुंबई में आयोजित प्रतियोगिता में मिसेज राजस्थान-2017 और मिसेज इंडिया मोस्ट एंटरटेनिंग-2017 का खिताब हासिल किया. यह प्रतियोगिता 2017 में 26 से 30 जून तक मुंबई के मड आइलैंड स्थित एक रिसोर्ट में हुई थी. इस प्रतियोगिता के अंतिम दौर में पूरे देश से करीब 200 प्रतियोगी पहुंचे थे. इन में राजस्थान की 5 महिलाएं भी शामिल थीं.

प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में फिल्म अभिनेता राज बब्बर, जयाप्रदा, टीवी कलाकार युवराज, किश्वर, पूनम झंवर व जय मदन आदि शामिल थे. राष्ट्रीय नाई महासभा ने अन्नपूर्णा की इस उपलब्धि को उल्लेखनीय बताया था. अन्नपूर्णा के पिता वीरेंद्र सैन नाई महासभा के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष हैं.

मिसेज राजस्थान का ताज पहनने के बाद अन्नपूर्णा का अपने औफिस में रुतबा और भी बढ़ गया था. उस की खूबसूरती की चर्चाएं भी होने लगी थीं. इसी खूबसूरती की चमक दिखा कर वह अधिकारियों के नजदीक बनी रही और डिस्काम को चपत लगाती रही. अफसरों की चहेती होने के कारण वह अपनी मनमर्जी से दफ्तर आती और जाती थी. वह छुट्टियां ले कर पति के पास गुड़गांव भी जाती रहती थी.

अनापशनाप पैसा आने लगा, तो वह उसी तरह से खर्च भी करने लगी. उस के फैशन स्टाइल और रहनसहन के तौरतरीके बदल गए. वह अपने पति से मिलने के लिए अजमेर से हवाई जहाज से गुड़गांव जाने लगी. वह मौडलिंग करने के प्रयास में भी जुटी हुई थी. इस के लिए वह हवाई जहाज से मुंबई और दिल्ली भी आतीजाती थी. वह सोशल मीडिया पर भी सक्रिय रहती थी.

गबन की राशि से अन्नपूर्णा ने होंडा सिटी जैसी महंगी गाड़ी खरीदी. उस ने कुछ जमीनों में भी निवेश किया. कहा जाता है कि उस ने अपने पिता द्वारा लिए गए कर्ज की मोटी राशि भी चुकाई. परिवार के विवाह में भी उस ने काफी पैसा खर्च किया.

अन्नपूर्णा ने कर्मचारी नेता और सेवानिवृत्त लेखाधिकारी रामवतार अग्रवाल के साथ मिल कर अजमेर में स्टीफन चौराहे पर ब्यूटी सैलून भी खोला था. उस ने अग्रवाल को काफी आर्थिक नुकसान भी पहुंचाया. वह अग्रवाल के एटीएम कार्ड से खरीदारी करती थी. आपसी विवादों के कारण बाद में यह सैलून बंद हो गया.

इस के बाद अन्नपूर्णा ने अमित वर्मा नामक युवक के साथ मिल कर अजमेर के पंचशील में ‘द रिपेयर’ नाम से दूसरा सैलून खोला. वह अमित के साथ महंगी कार में घूमती थी. गबन का मामला सामने के बाद जब से अन्नपूर्णा गायब हुई, तब से यह सैलून भी बंद है.

अन्नपूर्णा अजमेर डिस्काम के कर्मचारियों की संस्था राजस्थान राज्य विद्युत वितरण सहकारी बचत एवं साख समिति लिमिटेड की कोषाध्यक्ष बनना चाहती थी. इस के लिए उस ने अगस्त 2018 में सोसायटी के डायरेक्टर पद का चुनाव लड़ा. इस में वह जीत भी गई थी, लेकिन किसी भी पैनल का स्पष्ट बहुमत नहीं आने से वह कोषाध्यक्ष नहीं बन सकी थी.

लगभग डेढ़ हजार कर्मचारियों की इस सोसायटी का सालाना टर्नओवर करीब 60 करोड़ रुपए है. गबन का मामला सामने आने के बाद सोसायटी से जुड़े कर्मचारी इस बात को ले कर संतोष जता रहे हैं कि वे अन्नपूर्णा के कारनामे से बच गए. संभव था कि इस सोसायटी में भी हेराफेरी हो जाती.

अन्नपूर्णा ने इस सोसायटी से 6 लाख रुपए का हाउसिंग लोन भी लिया था. इस में से अभी 4 लाख रुपए से ज्यादा बकाया है. सोसायटी ने अब अन्नपूर्णा के नाम से उस के घर नोटिस भेज कर बकाया राशि जमा कराने को कहा है.

अजमेर डिस्काम प्रशासन ने विस्तार से जांच कराई, तो अधिकारी हैरान रह गए. जांच में सामने आया कि अन्नपूर्णा ने अप्रैल 2017 से अक्टूबर 2018 तक लगभग 2 करोड़ 28 लाख रुपए का गबन किया था. उस ने गबन की यह राशि करीब 65 संदिग्ध बैंक खातों में जमा करवाई थी.

डिस्काम के अधिकारियों ने बैंक से इन खाताधारकों की जानकारी ली है. इन में अधिकांश खाताधारक राजस्थान के और कुछ मध्य प्रदेश के हैं. पुलिस को इन खातों की सूची भी सौंपी गई है.

जांच में पता चला कि अन्नपूर्णा सैन ने 2017 के अप्रैल महीने में सब से पहले 30 हजार रुपए का गबन किया. उस ने मई में 2 लाख 49 हजार, जून में 11 लाख 35 हजार, जुलाई में 7 लाख 80 हजार, अगस्त में 25 लाख 63 हजार, सितंबर में 33 लाख 46 हजार, नवंबर में 7 लाख 68 हजार और दिसंबर में 9 लाख 21 हजार रुपए की हेराफेरी की.

अक्टूबर 2017 में कोई गड़बड़ी सामने नहीं आई. वर्ष 2018 के जनवरी महीने में उस ने 15 लाख 71 हजार, फरवरी में 9 लाख 43 हजार, मार्च में 12 लाख 41 हजार, अप्रैल में 9 लाख 79 हजार, मई में 6 लाख 11 हजार, जून में 11 लाख 16 हजार, जुलाई में 16 लाख 18 हजार, अगस्त में 6 लाख 70 हजार, सितंबर में 20 लाख 88 हजार और अक्टूबर में 15 लाख 30 हजार रुपए का गबन किया.

अन्नपूर्णा का तबादला 27 जून, 2018 को पंचशील स्थित अजमेर डिस्काम मुख्यालय से हाथीभाटा में अधीक्षण अभियंता कार्यालय में हो गया था. अधीक्षण अभियंता ने उसे अजमेर शहर सर्किल में रोकडि़या के पद पर लगा दिया. हाथीभाटा में भी उस ने 4 महीने गबन किया. इस बीच डिस्काम ने उसे पदोन्नति दे कर सहायक प्रशासनिक अधिकारी बना दिया.

इधर, पुलिस ने जांचपड़ताल के बाद 13 जनवरी 2019 को अन्नपूर्णा के पिता वीरेंद्र सैन और मामा नरेश कुमार सैन को सह आरोपी मानते हुए गिरफ्तार कर लिया.

मामा नरेश अजमेर में न्यू कालोनी सुभाष नगर का रहने वाला है. अन्नपूर्णा ने अपने पिता के खाते में 52 लाख 78 हजार 447 रुपए फरजी तरीके से जमा कराए थे. जबकि मामा नरेश के खाते में 2 लाख 73 हजार 336 रुपए जमा करवाए गए थे.

यह सारी राशि इन्होंने समयसमय पर पहले ही निकलवा ली थी. पुलिस ने संबंधित बैंकों से इन के खातों में हुए लेनदेन का ब्यौरा हासिल किया है. यह भी जानकारी जुटाई जा रही है कि इन आरोपियों के किसी अन्य बैंक में तो खाते नहीं हैं. अदालत ने दोनों आरोपियों को अगले दिन न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया.

अजमेर डिस्काम प्रशासन की ओर से कराई गई विस्तृत औडिट की रिपोर्ट आने के बाद 17 जनवरी को लेखा विभाग से जुड़े 16 अधिकारियों और कर्मचारियों को चार्जशीट थमा दी गई.

डिस्काम की सचिव प्रशासन नेहा शर्मा ने पंचशील स्थित मुख्यालय में अन्नपूर्णा सैन, वरिष्ठ लेखा अधिकारी जितेंद्र मकवाना, लेखा अधिकारी सुरभि पारीक, अशोक तिवाड़ी, सहायक लेखाधिकारी पल्लवी मीणा, तृप्ति तुनगरिया, नीता कृष्णानी, मिंटू जोधा, कनिष्ठ लेखाकार आशीष शर्मा, चंद्रप्रकाश, कीर्ति वर्मा और हाथीभाटा पावर हाउस में पवन कुमार शर्मा, आर.सी. पारीक, रजनी यादव, स्वाति अग्रवाल और शीतल जैन को आरोपपत्र दिए गए हैं.

गबन को उजागर करने वाली सहायक प्रशासनिक अधिकारी शीतल जैन को भी डिस्काम प्रबंधन ने काम में अनदेखी का दोषी मान कर आरोप पत्र दिया है. प्रबंधन का कहना है कि एक निश्चित अवधि तक शीतल जैन की ओर से जांच नहीं की गई.

अजमेर डिस्काम के एक कर्मचारी की मौत भी अन्नपूर्णा के गबन के मामले से जुड़ी होने की चर्चा है. इसी साल जनवरी की 13 तारीख को डिस्काम कर्मचारी प्रशांत की लाश आनासागर झील में तैरती मिली थी. उस समय प्रशांत की मौत के कारण स्पष्ट नहीं हुए थे. अन्नपूर्णा के गबन में उस के पिता और मामा की गिरफ्तारी भी इसी दिन हुई थी.

बाद में सामने आया कि अन्नपूर्णा ने प्रशांत के खाते में 3 लाख रुपए ट्रांसफर किए थे. प्रशांत की तनख्वाह 38 हजार 400 रुपए थी. अन्नपूर्णा ने उस के वेतन के शुरू में 3 का अंक और जोड़ दिया था. इस से एक बार प्रशांत के खाते में वेतन के रूप में 3 लाख 38 हजार 400 रुपए आ गए थे.

प्रशांत ने इस बारे में अन्नपूर्णा से एक बार पूछा था, तो उस ने बाद में बताने की कह कर उसे टाल दिया था. बाद में प्रशांत ने वह पैसे दूसरे काम में इस्तेमाल कर लिए. गबन की जांच होने पर प्रशांत के खाते में भी ज्यादा राशि जमा होने की बात सामने आई, तो वह परेशान हो गया.

माना जा रहा है कि अन्नपूर्णा के पिता और मामा की गिरफ्तारी से वह डिप्रेशन में आ गया और उस ने आनासागर झील में कूद कर जान दे दी. हालांकि प्रशांत की मौत के कारणों का खुलासा नहीं हुआ.

पुलिस ने गबन की आरोपी अन्नपूर्णा को गिरफ्तार करने के लिए बारबार कई जगह दबिश दी, लेकिन कथा लिखे जाने तक वह पुलिस की गिरफ्त से बाहर थी. डिस्काम प्रशासन की ओर से अन्नपूर्णा को नौकरी से बर्खास्त करने की कार्रवाई पर विचार किया जा रहा है.

बहरहाल, अन्नपूर्णा को पुलिस देरसवेर गिरफ्तार कर ही लेगी, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि बिजली निगम की सवा 2 करोड़ रुपए से ज्यादा की गबन की राशि की वसूली कैसे होगी? अन्नपूर्णा ने जिन खातों में गबन की राशि जमा कराई, उन में अब बहुत थोड़ाथोड़ा पैसा ही बाकी है. इन खातों से अधिकांश पैसा निकाला जा चुका है. यह पैसा किस ने निकाला, यह पुलिस की जांच का विषय है.

बैंक व वित्तीय मामलों के जानकार विधिवेत्ताओं का कहना है कि डिस्काम कानूनी रूप से गबन की राशि अन्नपूर्णा की व्यक्तिगत नामित संपत्तियों से ही वसूल सकता है. इस के अलावा उस की नौकरी के दौरान कटे जीपीएफ व अन्य जमा स्कीमों से भी रकम वसूली जा सकती है, लेकिन अन्नपूर्णा की नौकरी केवल 6-7 साल की है. इस अवधि में उस की जमा राशियां 10 लाख रुपए से कम होंगी.

पुलिस अगर गबन की राशि का उपयोग करने वाले उस के रिश्तेदारों व अन्य परिचितों के खिलाफ सख्त काररवाई कर अदालत में मामला पेश करे, तो उन से भी वसूली की काररवाई हो सकती है.

अजमेर डिस्काम प्रबंधन अभी यह जांच कर रहा है कि सिस्टम में लूपहोल कहां रही, जिस से गबन का मौका मिला. साथ ही सैलरी सिस्टम में भी बदलाव किया जा रहा है. अब डीओआईटी द्वारा तैयार सौफ्टवेयर लागू किया जाएगा. डिस्काम में स्पैशल औडिट भी कराई जाएगी.

हिना की शातिर चाल

जशन की एक गोली ने ली जान

एआई से खुली मर्डर मिस्ट्री – भाग 3

मृतक हितेंद्र के भाई राहुल यादव से जिन संदिग्ध युवकों के एड्रैस मिले थे, उन के ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की गई. लेकिन रौकी और जेम्स अपने घरों से फरार मिले. इन के घरों से इन के फोन नंबर मालूम कर के इन्हें फोन करने की कोशिश की गई, किंतु दोनों के फोन भी स्विच्ड औफ आ रहे थे.

पुलिस टीम ने इन के फोन नंबर सर्विलांस पर लगा दिए. इन के उठने बैठने के ठिकानों की भी जानकारी जुटाई गई और दिल्ली एनसीआर में विभिन्न स्थानों पर छापेमारी की गई. आखिर में जेम्स और हरजीत सिंह उर्फ रिकी उर्फ रौकी को गिरफ्तार कर लिया गया.

इन से मिली जानकारी द्वारा इन के साथी विपिन और जेम्स को प्रेमिका प्रियंका उर्फ एनी के साथ पकड़ लिया गया. कोतवाली में इन से कड़ी पूछताछ की गई तो बहुत ही चौंकाने वाली जानकारी सामने आई.

हितेंद्र कैसे बना लड़कियों का दलाल

परमवीर सिंह उर्फ नमन उर्फ जेम्स ने बताया, ”सर, मैं ने अपनी प्रेमिका एनी और रौकी के साथ मिल कर हितेंद्र की हत्या की है. उस की हत्या कर के मुझे थोड़ा सा भी पछतावा नहीं हुआ, क्योंकि हितेंद्र था ही इस लायक कि उसे जीवित नहीं छोड़ा जा सकता था. वह मतलबपरस्त व्यक्ति था. उसे दोस्तों की कद्र नहीं थी.

”आप को शायद अभी तक यह पता नहीं होगा कि हितेंद्र का काम क्या था. उस के भाई राहुल यादव ने आप लोगों को बताया होगा हितेंद्र एक बड़ी कंपनी में औडिट का काम करता था, लेकिन यह गलत है. हितेंद्र कालगर्ल के धंधे में लिप्त रहा है. वह लड़कियों का बहुत बड़ा दलाल था. एकएक लड़की को 50-50 हजार और एकएक लाख रुपए में होटलों में सप्लाई करता था.

”देह व्यापार में अपने जिस्म की कीमत वसूलने उतरी लड़कियों को वह बड़ेबड़े होटलों में भेजता था. उन लड़कियों को होटल वाले मोटे कमीशन पर अपने यहां बुक करते थे. अपना हिस्सा ले कर हितेंद्र अगले शिकार की तलाश में एक शहर से दूसरे शहर के चक्कर लगाता था.

”घर में उस ने यही कह रखा था कि वह कंपनी की ओर से विभिन्न शहरों में औडिट का काम करने जाता है. उस की बीवी पूजा उसे देवता मानती थी. उसे मालूम ही नहीं है कि उस का पति हितेंद्र वास्तव में लड़कियों का दलाल है.’’

”तुम इतना कुछ किस दावे के साथ कह रहे हो?’’ इंसपेक्टर जगदीप सिंह ने हैरानी से पूछा.

”साहब, मैं खुद हितेंद्र के साथ इसी अनैतिक धंधे में लगा हुआ था. मेरे साथ रौकी, विनीत, मेरी पार्टनर, मेरी लवर एनी भी इसी धंधे में हैं. हम ही नहीं और भी कुछ लोग इस काम में हितेंद्र के साथी रहे हैं.’’

”तुम हितेंद्र के लिए क्या काम करते थे?’’ एसआई सतेंद्र सिंह ने पूछा.

”हमारा काम शहरों में लड़कियां फंसाने का था. गरीब घरों की लड़कियां मोटा रुपया मिलने के लालच में जल्दी फंस जाती थीं, उन्हें नौकरी दिलाने के नाम पर शहरों में ला कर देह बेचने के लिए राजी किया जाता था. उन्हें हम हितेंद्र के हवाले कर देते थे. हितेंद्र के अनेक होटलों में अच्छे संपर्क थे. वह उन लड़कियों को कौंट्रैक्ट पर अच्छा कमीशन मिलने के नाम पर होटलों में बुक करवा देता था.’’

”हूं… हितेंद्र एक प्रकार से तुम लोगों का हैड था. यही बात है न?’’ एसआई सतेंद्र ने पूछा.

”जी हां.’’

”तो फिर तुम्हें अपने बौस की हत्या क्यों करनी पड़ी?’’

”साहब, 5 महीने पहले हितेंद्र 4 युवकों के साथ उस वक्त बेंगलुरु के ललित होटल में पकड़ा गया था, जब वह लड़की की सप्लाई दे रहा था. बेंगलुरु पुलिस ने लड़की के बयान पर उसे गिरफ्तार किया था. फिर उसे कोर्ट में पेश कर के जेल भेज दिया था.

”हितेंद्र को जेल में 3 महीने हो गए थे. वह डर रहा था कि लंबे समय तक जेल में रहा तो घर वालों के आगे उस के धंधे का भेद खुल जाएगा. हितेंद्र ने मुझ से कहा कि मैं उस की जमानत करवाऊं. मैं ने भागदौड़ कर के किसी तरह हितेंद्र की जमानत करवा दी थी. उस समय रौकी ने भी मेरा साथ दिया था. हम ने हितेंद्र की जमानत करवाने में एक लाख रुपया खर्च कर दिया था.

”हितेंद्र जमानत के बाद जेल से बाहर आ कर फिर अपने धंधे में रम गया. वह मांगने पर भी हमारा एक लाख रुपया नहीं दे रहा था. इसी बात पर हमारी हितेंद्र से कहासुनी होती थी. एक बार हमारे बीच जबरदस्त झगड़ा हुआ. मैं ने हितेंद्र की कार छीन ली और उसे पीटा भी.

”हितेंद्र की एक शादीशदा औरत से दोस्ती थी. मैं ने उस औरत के पति को मय सबूत के बता दिया कि तुम्हारी औरत के हितेंद्र से नाजायज संबंध हैं. तभी से हितेंद्र मुझ से खार खाने लगा. मैं ने सोचा कहीं हितेंद्र मेरे लिए कोई गलत कदम न उठा ले, इसलिए मैं ने उसे निपटाने का प्लान बना लिया. मैं ने हितेंद्र से माफी मांगी और उसे विश्वास दिलाया कि अब मैं उस से रुपयों की मांग नहीं करूंगा.

”प्लान बना कर मैं ने हितेंद्र को 9 जनवरी को रौकी के घर टैगोर गार्डन बुलाया. वह मंजीत के साथ आया तो हम ने मंजीत को वापस भेज दिया और हितेंद्र को कार में ड्रिंक करने के बहाने बैठा लिया. मेरे साथ रौकी, एनी और विपिन भी थे. हितेंद्र को बेवजह कार में इधरउधर तब तक घुमाता रहा, जब तक अंधेरा नहीं हो गया.

”अंधेरा होते ही मैं ने पीछे सीट पर हितेंद्र को दबोच लिया और उस की गरदन दबोच ली. उस की गरदन मैं ने तब तक दबाई, जब तक उस की मौत नहीं हो गई. इस के बाद हम ने रात के अंधेरे में उस की लाश गीता कालोनी फ्लाईओवर के नीचे झाडिय़ों में फेंक दी.’’

जेम्स के द्वारा जुर्म की स्वीकृति कर लेने के बाद पुलिस ने चारों को कोर्ट में पेश कर के जेल भिजवा दिया.

हितेंद्र की लाश पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दी गई थी. वे खुश थे कि पुलिस ने हितेंद्र के हत्यारों को जेल भेज दिया है. हितेंद्र का असली चेहरा क्या है, यह उन के लिए राज ही बना रहा. पुलिस टीम अब लड़कियों की सप्लाई में लिप्त गैंग के दूसरे फरार लोगों की तलाश में छापेमारी कर रही थी.

8 अरब की चोरी के लिए 3 साल की प्लानिंग – भाग 3

इमारत के अंदर कैसे दाखिल होना है, इस की पहले से ही रेकी की गई थी. इस में सीधे तो घुसा नहीं जा सकता था, क्योंकि अंदर कदम रखते ही कैमरों की नजर में आ जाते. इसलिए अंदर जाने के लिए इन लोगों ने बगल वाली इमारत का सहारा लिया. बगल वाली इमारत और डायमंड सेंटर के बीच ज्यादा फासला नहीं था. इसलिए उस इमारत पर ऊपर चढ़ कर एक पाइप के सहारे वे चारों डायमंड सेंटर की बालकनी तक पहुंच गए.

इस के बाद इन लोगों को अंदर दाखिल होना था. यह पहले से ही तय था कि अंदर दाखिल होते ही सब से पहले उस जगह की लाइट काटनी थी, जहां तिजोरी रखी थी. क्योंकि पूरी बिल्डिंग में कैमरे और सेंसर लगे थे. इन से बचने का उन के पास यही सब से उत्तम तरीका था.

इस के लिए इन्हें एक खिड़की खोलनी थी. उसी खिड़की से अंदर जाना था. एक बात और थी और वह यह थी कि जहां तिजोरी रखी थी, वहां एक लाइट जलती थी और उसी के साथ एक कैमरा भी लगा था.

इस का मतलब यह था कि उस तिजोरी के पास जैसे ही कोई जाता, उस कैमरे द्वारा रिकौर्ड होने के साथसाथ मौनिटरिंग करने वाला उसे देख भी लेता. इस से बचने के लिए अंधेरे में ही सब कुछ करना था यानी अंधेरे में ही अंदर जाना था, अंधेरे में ही तिजोरी खोलनी थी और अंधेरे में ही माल समेट कर बाहर आना था.

चारों ने खिड़की से अंदर प्रवेश किया. ये अंदर इस तरह घुसे कि सामने वाला कैमरा इन्हें रिकौर्ड नहीं कर सका. इन्हें पता था कि सेंसर बौडी टेंपरेचर से काम करता है, इसलिए ये हेयर स्प्रे साथ ले कर आए थे. अंदर जा कर इन्होंने दूर से ही सेंसर पर हेयर स्प्रे डाल दिया, जिस से उस ने काम करना बंद कर दिया. ऐसा ही उन्होंने अलार्म के साथ भी किया यानी सेंसर और अलार्म ने काम करना बंद कर दिया तो वे तिजोरी के पास जा पहुंचे.

कोड से पहले इन्होंने अंधेरे में ही बाहर वाला दरवाजा खोला. उस के बाद दूसरा दरवाजा था, जो एक फुट की चाबी से खुलता था, लेकिन इस के पहले इन्हें सेंसर और अलार्म बंद करना था. इन्होंने दूर से ही हेयर स्प्रे का उपयोग कर के सेंसर और अलार्म बंद किए. उस के बाद इन्होंने वह दरवाजा भी खोल लिया, जो एक फुट की चाबी से खुलता था.

अब इन के सामने वे लौकर थे, जिन में गोल्ड और हीरे रखे थे. इन्होंने लौकर खोलने शुरू किए. एकएक लौकर खोल कर उन में रखा गोल्ड और हीरे साथ लाए बैग में भरने शुरू कर दिए. यह सारा काम करने में इन्हें एक घंटा लग गया. चोरी करने के बाद ये जिस रास्ते से अंदर गए थे, उसी रास्ते से बाहर आ गए.

3 साल की योजना कैसे हुई सफल

बाहर डायमंड सेंटर से थोड़ी दूरी पर कार लिए लियोनार्डो इन का इंतजार कर ही रहा था. चारों चोरी का माल ले कर उस कार में सवार हो गए तो लियोनार्डो ने कार आगे बढ़ा दी. अब तक सुबह के 5 बज चुके थे. शहर की सड़कों पर आवाजाही शुरू हो चुकी थी. इसलिए लियोनार्डो कार ले कर सीधे हाईवे पर आ गया.

इन लोगों ने रात में कुछ खाया नहीं था, इसलिए सभी को भूख लगी थी. लियोनार्डो ने हाईवे के एक रेस्त्रां पर कार रोक कर सैंडविच खरीदे, जिस के पैसे उसी ने दिए. इस के बाद वे कार ले कर एक सुनसान जगह पर पहुंचे, जहां सभी ने अपने वे कपड़े, पहने हुए दस्ताने और चेहरे पर जो मास्क लगाए थे, सब कुछ जला दिए. पर इन में से एक व्यक्ति ने अपना कुछ भी नहीं जलाया.

उस ने कहा कि उस की तबीयत ठीक नहीं है, वह अपना सब कुछ बाद में जला देगा. उस ने सैंडविच का एक टुकड़ा भी वहां छोड़ दिया था. शायद वह इतनी बड़ी चोरी कर के बहुत घबराया हुआ था. वह अपना कुछ भी जलाए बिना वहां से चला गया. बाकी लोग भी यहीं से अलगअलग दिशाओं में चले गए.

सवेरा होने पर जब इस चोरी का पता चला तो पूरे देश में हड़कंप मच गया. पता चला कि पूरे 8 अरब के हीरे और गोल्ड की चोरी हुई थी. चारों ओर हंगामा मच गया. न जाने कितने लोग इस चोरी से बरबाद हो गए थे. पुलिस ने जांच शुरू की.

सीसीटीवी कैमरे देखे जाने लगे. इस में एक गाड़ी पर शक हुआ. यह वही गाड़ी थी, जो लियोनार्डो बाहर लिए बैठा था और चोरी करने के बाद सभी उसी से गए थे. पता चला कि वह कार हाईवे की ओर गई है. इस के बाद पुलिस उस रेस्त्रां तक पहुंची, जहां से लियोनार्डो ने सैंडविच खरीदे थे. वहां कुछ नहीं मिला.

पुलिस आगे बढ़ी तो उसे वह जगह भी मिल गई, जहां लियोनार्डो और उस के साथियों ने कपड़े आदि जलाए थे. सैंडविच का वह टुकड़ा और बिल मिला, जिस में लियोनार्डो का नाम लिखा था. उसे उस के उस साथी ने वहां छोड़ा था, जो बीमार था.

इस से साफ हो गया कि ये वही लोग थे, जिन्होंने डायमंड सेंटर में चोरी के बाद सैंडविच खरीद कर खाया था. नतीजतन, लियोनार्डो बेल्जियम से निकल पाता, उस के पहले ही पकड़ लिया गया. वह इटली भाग जाना चाहता था, लेकिन संयोग से पकड़ा गया. परंतु उस का एक भी साथी नहीं पकड़ा गया. लियोनार्डो ने भी उन के बारे में कुछ नहीं बताया. चोरी गए हीरे और गोल्ड भी नहीं बरामद किया जा सका.

इस मामले में लियोनार्डो को 10 साल की सजा हुई, जिसे काट कर वह बाहर आ गया है. मजे की बात यह है कि आज तक न तो लियोनार्डो के उन साथियों के बारे में पता चला है, जो इस चोरी में शामिल थे और न ही उन हीरों और गोल्ड के बारे में पता चला है, जो इन्होंने चुराया था.

चोरी के बाद हीरे कहां बेचे गए, उस से कितना पैसा मिला, वह पैसा कहां गया, इस बात की भी जानकारी नहीं हो पाई है. यहां तक कि पुलिस को लियोनार्डो के चोर साथियों के नाम भी आज तक पता नहीं चल पाए हैं.

एआई से खुली मर्डर मिस्ट्री – भाग 2

राहुल यादव ने छावला पुलिस स्टेशन के नोटिस बोर्ड पर लगे पैंफ्लेट को देख कर मृतक की पहचान अपने बड़े भाई हितेंद्र उर्फ हितु के रूप में की. उसे थाने से बताया गया कि यह फोटो थाना कोतवाली लालकिला एरिया के हैडकांस्टेबल प्रशांत द्वारा लगाया गया है. इसलिए उन्हें कोतवाली से संपर्क करना चाहिए.

वह लोग थाना कोतवाली (लालकिला) पहुंच गए. वहां उन की मुलाकात एसआई सतेंद्र सिंह से हुई. राहुल यादव ने जेब से एक फोटो निकाल कर एसआई सतेंद्र सिंह की ओर बढ़ाते हुए कहा, ”सर, यह मेरे बड़े भाई हितेंद्र उर्फ हितु की फोटो है. यह इस सप्ताह घर नहीं आए तो मेरी भाभी पूजा रानी ने मुझ से उन का पता लगाने के लिए कहा. चूंकि भाई हितेंद्र का फोन स्विच्ड औफ आ रहा है, इसलिए मैं घबरा गया.

”हम भाई का फोटो ले कर उन की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाने थाना छावला गए थे. वहां नोटिस बोर्ड पर अपने भाई का फोटो लगा देख कर मालूम किया तो बताया गया उन की लाश मिली है. पहचान नहीं हो पा रही थी, इसलिए पुलिस ने यह पैंफ्लेट चस्पा किया है. हमें यहां संपर्क करने को कहा गया, तब हम यहां आ गए हैं.’’

”आप मृतक के छोटे भाई हैं?’’ एसआई सतेंद्र सिंह ने पूछा.

”जी हां, मेरा नाम राहुल है. साथ में मेरी भाभी पूजा है. मेरे पिता का नाम नरेंद्र सिंह है. मेरे पिता सीआरपीएफ में हैं. मैं मानेसर (हरियाणा) में एक फर्म में प्राइवेट जौब करता हूं. हमारा घर दौलतपुर, दिल्ली में है.’’

”आप पूरे विश्वास से कह रहे हैं कि नोटिस बोर्ड पर आप ने जो फोटो देखी है, वह आप के बड़े भाई की है.’’

”जी हां, मैं ने अपने बड़े भाई की फोटो आप को दी है. आप देख लीजिए.’’

एसआई सतेंद्र सिंह ने फोटो देखी. वह मृतक के साथ हूबहू मिल रही थी.

”आप चल कर पहले मृतक की लाश देख लीजिए, फिर हम बैठ कर बात करेंगे.’’

”ठीक है साहब.’’

एसआई सतेंद्र सिंह ने राहुल यादव और उस की भाभी पूजा को हैडकांस्टेबल प्रशांत और ओमपाल के साथ सब्जी मंडी मोर्चरी भेज दिया.

सब्जी मंडी मोर्चरी में उस अज्ञात युवक की लाश का पोस्टमार्टम नहीं किया गया था. युवक की लाश जब राहुल यादव और उस की भाभी पूजा को दिखाई गई तो लाश की पहचान उन्होंने अपने बड़े भाई और पति हितेंद्र के रूप में की.

लाश को देख कर दोनों रोने लगे. किसी तरह उन्हें शांत करवा कर हैडकांस्टेबल प्रशांत और ओमपाल वापस कोतवाली ले आए. एसआई सतेंद्र सिंह उन्हीं का इतंजार कर रहे थे. एसआई सतेंद्र सिंह ने दोनों को सामने बैठा कर पूछताछ शुरू की.

”पूजा, तुम्हारे पति हितेंद्र की लाश हमें रिंग रोड पर गीता कालोनी फ्लाईओवर के नीचे झाडिय़ों में मिली थी. तुम्हारे पति की हत्या हुई है, यह मेरा मानना है. हत्या कैसे हुई, यह पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद मालूम होगा. पहले यह बताओ वह क्या काम करते थे?’’

”साहब, वह किसी कंपनी में औडिट का काम करते थे. उस कंपनी ने उन्हें नोएडा से उत्तराखंड तक का एरिया औडिट के लिए दिया हुआ था, इसलिए वह अधिकतर समय घर से बाहर ही रहते थे. एक सप्ताह में एक बार ही वह घर आते थे.

”सर, पिछले 10 दिनों से वह घर नहीं आए थे. मुझे उन की चिंता सता रही थी. 8 दिन गुजर जाने पर वह घर नहीं आए थे, न उन का फोन लग रहा था. तब तब मैं ने राहुल को अपनी चिंता से अवगत करवाया.

”2 दिन तक यह उन के विषय में मालूम करता रहा, फिर मुझे ले कर छावला पुलिस स्टेशन आ गया. यहां से मालूम हुआ कि मेरे पति की किसी ने हत्या कर दी है.’’ पूजा कहने लगी, ”सर, मेरे पति की हत्या किस ने की, आप यह पता लगा कर उसे फांसी पर चढ़ाइए, तभी मेरे मन को तसल्ली मिलेगी.’’

”मैं पूरी कोशिश करूंगा कि आप के पति के कातिल को कड़ी से कड़ी सजा मिले. आप मुझे बताइए, आप के पति हितेंद्र की किसी से कोई दुश्मनी थी, जो उस की मौत का कारण बनी.’’

”वह तो बहुत सीधेसादे थे, सर. उन का भला कौन दुश्मन होगा.’’ पूजा ने बताया.

”भाई साहब सचमुच बहुत सीधे इंसान थे. अपने आप में व्यस्त रहने वाले, लेकिन मुझे जेम्स और रौकी पर संदेह जा रहा है.’’ राहुल गंभीर हो कर बोला.

”यह जेम्स और रौकी कौन हैं?’’ एसआई सतेंद्र सिंह ने राहुल के चेहरे पर नजरें जमा कर पूछा.

”भाई के गहरे दोस्त रहे हैं ये. आजकल इन का भाई के साथ पैसों के लेनदेन पर क्लेश चल रहा था.’’

”क्या तुम्हारे भाई ने इन लोगों से कर्ज लिया था?’’

”यह तो नहीं मालूम साहब, लेकिन इतना मालूम हुआ है कि जेम्स और रौकी भाई से एक लाख रुपए मांग रहे थे. उन्होंने भाई की कार भी इसी चक्कर में छीन रखी थी.’’

एसआई सतेंद्र सिंह ने सिर हिलाया, ”इन दोनों को चैक करना पड़ेगा. क्या तुम इन के पते ठिकाने जानते हो?’’

”हां साहब, इन 2 दिनों में मैं ने यही मालूम किया है. मुझे परमवीर उर्फ नमन उर्फ जेम्स के घर का पता मालूम है, वह खरबंदा प्रौपर्टीज के पास संत कबीर के सामने वाली गली, चंदर विहार, दिल्ली में रहता है.’’

”…और रौकी?’’

”इस का असली नाम हरजीत सिंह है. लोगों में रौकी नाम से मशहूर है. पिता का नाम सतविंदर सिंह है. यह सी-27, थर्ड फ्लोर, टैगोर गार्डन एक्सटेंशन, दिल्ली में रहता है.

”साहब, मेरे भाई हितेंद्र का एक गहरा दोस्त है मंजीत. मैं ने जब भाभी पूजा से सुना कि इस हफ्ते भाई घर नहीं आए हैं और उन का फोन भी स्विच्ड औफ आ रहा है तो मैं मंजीत से मिला. उस ने मुझे बताया कि 9 जनवरी, 2024 को भाई उस के साथ था. वे दोनों टैगोर गार्डन गए थे. वहां से भाई रौकी और जेम्स के साथ उन की गाड़ी में बैठ कर कहीं चला गया था. मंजीत अकेला घर लौट आया था.’’

”यह बहुत महत्त्वपूर्ण खुलासा किया है तुम ने.’’ एसआई सतेंद्र सिंह खुश हो कर बोले, ”मैं अब रौकी और जेम्स की गरदन नापता हूं. तुम अपनी भाभी को ले कर घर जाओ. जैसे ही पोस्टमार्टम हो जाएगा, तुम्हारे भाई की लाश तुम्हें अंतिम क्रिया के लिए मिल जाएगी.’’ एसआई सतेंद्र सिंह कुरसी छोड़ते हुए बोले. राहुल यादव अपनी भाभी को ले कर बाहर निकल गया.

ACP Vijay kumar                           HC PRASHANT BHIDURI

एसीपी (कोतवाली) विजय सिंह                             एसआई  प्रशांत    

हितेंद्र उर्फ हितु की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई थी. उस की मौत का कारण दम घुटना बताया गया, जिस से हत्या की संभावना बनती थी. एसआई सतेंद्र सिंह ने इस हत्या के मामले को आईपीसी की धारा 302/201 के तहत दर्ज कर लिया. उन्होंने उच्चाधिकारियों को अपनी तरफ से की गई अब तक की जांच का पूरा विवरण दे दिया.

एसीपी (कोतवाली) विजय सिंह और औपरेशन सेल के एसीपी धर्मेंद्र कुमार के नेतृत्व में एडिशनल डीसीपी (नौर्थ) श्वेता के. सुगाथन के निर्देशन में एक पुलिस टीम का गठन किया गया.

इस टीम में जतन सिंह एसएचओ (कोतवाली), इंसपेक्टर नीरज कुमार, जगदीप सिंह, राज मलिक (औपरेशन सेल), एसआई रोहित सारस्वत, सतेंद्र सिंह कोतवाली, देवेंद्र,  विनीत, योगेश कुमार, सुरेश कुमार, प्रीति, हैडकांस्टेबल अनिल, ओमपाल, सौरव, प्रशांत, कांस्टेबल रितु और राहुल को शामिल किया गया.

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री के भाई का गोवा में मर्डर – भाग 3

नरोत्तम ढिल्लों को कैसे फंसाया जाल में

इस काम के लिए उस ने नवीन नगर, ऐशबाग, भोपाल निवासी अपनी गर्लफ्रेंड नीतू शंकर राहुजा से नरोत्तम सिंह ढिल्लों की पहचान कराई. उस ने अपनी गर्लफ्रेंड नीतू राहुजा को बताया था कि नरोत्तम सिंह ढिल्लों बहुत ही पैसे वाला आदमी है, तुम उन के साथ कुछ वक्त बिता लेना. इस से खुश हो कर ढिल्लों तुम्हें करोड़ों कपए दे देंगे, लेकिन इस के विपरीत उस ने नरोत्तम सिंह ढिल्लों को बताया था कि नीतू उन से विशेष रूप से प्रभावित है और वह अपनी इच्छा से उन से मिलने आ रही है.

शनिवार 3 फरवरी, 2024 की रात 2 बजे तक सभी पार्टी करते रहे. इसी बीच नरोत्तम सिंह ढिल्लों जितेंद्र साहू के इशारे पर नीतू के करीब आने लगे, तभी नीतू राहुजा ने ढिल्लों के गलत मंसूबे समझ कर उन की हरकतों का विरोध करना शुरू कर दिया.

नीतू ने जोर से धक्का दे कर नरोत्तम सिंह ढिल्लों को जमीन पर गिरा दिया. विवाद बढऩे पर जितेंद्र ने नीतू और अपने साथी की मदद से ढिल्लों का गला घोंट कर हत्या कर दी और उस के बाद करीब 45 लाख रुपए की नकदी व जेवर ले कर खिड़की के रास्ते वहां से फरार हो गए.

जितेंद्र साहू और नीतू राहुजा भोपाल के रहने वाले थे. जितेंद्र साहू स्टौक मार्केट में ट्रेडिंग का काम करता था, जबकि नीतू राहुजा एक इलेक्ट्रौनिक्स शोरूम में काम करती थी. नीतू राहुजा ने गोवा पुलिस को बताया कि जितेंद्र उस के ही मकान में अपनी मां के साथ रहता था. जबकि नीतू अपने मातापिता और भाई के साथ रहती थी. कुछ समय बाद एक ही मकान में रहने की वजह से उन में नजदीकियां बढऩे लगीं और फिर वे दोनों एकदूसरे से प्रेम करने लगे थे.

पूर्व मुख्यमंत्री के भाई थे नरोत्तम सिंह

पूछताछ के दौरान नीतू ने पुलिस को बताया कि 3-4 फरवरी की रात को ढिल्लों ने उस के साथ छेड़छाड़ की थी, जिस के कारण उन दोनों के बीच काफी विवाद हो गया था. उस के बाद उस ने अपने दोस्तों के साथ मिल कर ढिल्लों की हत्या कर दी और वहां से नकदी व जेवर ले कर फरार हो गए थे. 4 फरवरी, 2024 की सुबह ढिल्लों के विला की मैनेजर सीमा सिंह ने उन्हें मृत देख कर गोवा पुलिस को सूचना दी थी.

मृतक नरोत्तम सिंह ढिल्लों के पास एक समय में अमेरिका में फेरारी की डीलरशिप थी. वह वर्तमान में भारत में आतिथ्य, रियल एस्टेट, लग्जरी विला और कारों को किराए पर देने के व्यवसाय में थे. गोवा में उन से मिलने आए उन के रिश्तेदारों के अनुसार निम्स ढिल्लों विलासितापूर्ण जीवन जीने के शौकीन थे और अपनी संपत्तियों पर मेहमानों की मेजबानी करना पसंद करते थे.

नरोत्तम सिंह ढिल्लों पर 1990 के दशक में लग्जरी फेरारी कारों की बिक्री और खरीद पर कर चोरी कर के अमेरिकी सरकार को धोखा देने का आरोप लगाया गया था, जिसे उन्होंने एक बार झूठा मामला करार दिया था. नरोत्तम सिंह ढिल्लों को 2003 में पंजाब सतर्कता ब्यूरो ने शिमला के एक अपार्टमेंट से गिरफ्तार किया था.

वह अमेरिका में बादल परिवार का कारोबार देखते थे और उन के ऊपर हवाला के जरिए उन की संपत्ति विदेश ले जाने का आरोप था. बाद में उन्हें अदालत द्वारा बरी कर दिया गया था.

पंजाब की लांबी पुलिस ने उस समय कथित तौर पर नकली मुद्रा का उपयोग करने, नशीले पदार्थों का कारोबार करने, विस्फोटक अधिनियम, शस्त्र अधिनियम और विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत उन के खिलाफ मामला दर्ज किया था, लेकिन उन से कोई भी बरामदगी नहीं हो पाई थी.

मेजर भूपिंदर सिंह ढिल्लों जोकि पूर्व में प्रकाश सिंह बादल के राजनीतिक सचिव के रूप में काम कर चुके हैं और बादल परिवार के सब से पुराने सदस्यों में से एक हैं, ने कहा, ”नरोत्तम सिंह ढिल्लों के पास कई संपत्तियां हैं. उन की नृशंस हत्या से पूरा परिवार सदमे में है.’’

इसी बीच मृतक नरोत्तम सिंह ढिल्लों के चचेरे भाई पवनप्रीत सिंह बादल उर्फ बौबी ने कहा, ”निम्स के पास एक समय अमेरिका में फेरारी कार शोरूम था. इस से पहले वह कनाडा में बस गए थे. पिछले कुछ सालों से वह ज्यादातर समय गोवा में ही रह रहे थे. उन की पत्नी और बेटा दिल्ली में रहते हैं. उन की बेटी की शादी विदेश में हुई है. उन का बेटा कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने और निम्स का पार्थिव शव लेने गोवा गया था.’’

पवनप्रीत सिंह बादल ने आगे कहा, ”हमें इस की जानकारी नहीं है कि उन की किसी से भी दुश्मनी थी या नहीं. उन का मुख्य व्यवसाय गोवा, दिल्ली और शिमला में था. इस के अलावा उन के पास पंजाब के बादल गांव में कृषि भूमि और एक घर भी है.

”पुलिस ने महाराष्ट्र में एक युवा जोड़े को गिरफ्तार किया है, जो कथित तौर पर उन की हत्या की रात गोवा में उन के विला में रुके थे और उन की किराए की कार में भागने की कोशिश की थी. कार के जीपीएस से पुलिस को उन्हें पकडऩे में मदद मिली. ऐसा लग रहा था जैसे निम्स का गला घोंट दिया गया हो.’’

तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर गोवा पुलिस ने यह मामला आईपीसी की धारा 302 और 392 के तहत दर्ज कर लिया है. पुलिस ने आरोपी 32 वर्षीय जितेंद्र रामचंद्र साहू और 22 वर्षीया नीतू राहुजा को गोवा कोर्ट में पेश कर 10 दिन की रिमांड में ले कर उन से विस्तृत पूछताछ कर रही थी.

मर्डर केस का एक अन्य आरोपी कुणाल, जोकि उत्तर प्रदेश के झांसी का रहने वाला है, कथा लिखे जाने तक वह फरार था, जिसे गोवा पुलिस सरगर्मी से तलाश कर रही थी.

आज के दौर में आए दिन सोशल मीडिया की दोस्ती के साइड इफेक्ट मीडिया के माध्यम से जानने सुनने को मिलते रहते हैं.

कुछ दिनों की सोशल मीडिया की चकाचौंध और दिखावटी, चिकनी चुपड़ी दोस्ती के कारण शादीशुदा महिला या पुरुष अपनी बरसों पुरानी शादी, लोकलाज व बच्चों की परवाह किए बगैर दूसरों के साथ भाग जाने के लिए तत्पर हो जाता है. यह सब आखिर क्यों होता जा रहा है?

—कहानी पुलिस सूत्रों व जनचर्चा पर आधारित है.

स्विस महिला की हत्या का रहस्य

20 अक्तूबर, 2023 की सुबह वायरलेस से पश्चिमी दिल्ली के थाना तिलक नगर को सूचित  किया गया कि एमसीडी स्कूल के पास एक काली पौलीथिन में किसी महिला का शव पड़ा है. सूचना थाने के एसएचओ संजीव कुमार को दी गई. वह एसआई विकास फुगेडिय़ा, एएसआई प्यारे लाल, दीपक, हैडकांस्टेबल मोहित को साथ ले कर तुरंत घटनास्थल की ओर रवाना हो गए.

सुबह के पौने 9 बजे का वक्त हो गया था. धूप खिल गई थी. सुबह का वक्त होने के कारण अभी सड़कों पर ट्रैफिक का ज्यादा जोर नहीं था. इसलिए पुलिस टीम जल्दी ही घटनास्थल पर पहुंच गई.

घटनास्थल के पास काफी भीड़ जमा हो चुकी थी. एमसीडी स्कूल के पास लाश पड़ी है, यह सूचना आग की तरह आसपास के इलाकों में भी फैल गई थी. वहां के निवासी यह जानने की जिज्ञासा लिए घटनास्थल की तरफ जा रहे थे कि मरने वाली कौन महिला है. पुलिस वैन वहां पहुंची तो भीड़ काई की तरह छंटती चली गई. तमाशबीन लोग वहां से गए नहीं, केवल लाश से कुछ दूरी बना कर खड़े हो गए.

एसएचओ संजीव कुमार, एसआई विकास और एएसआई प्यारे लाल उस काली पौलीथिन के पास आ गए.

पुलिस ने लाश से पौलीथिन पूरी तरह हटा दी तो उस में एक गोरी चमड़ी वाली विदेशी युवती की लाश निकली. उस की उम्र 30 साल की लग रही थी. सब से चौंकाने वाली बात यह थी कि युवती के हाथपैरों में लोहे की जंजीर बंधी थी. जंजीर में ताला भी लगा था.

युवती को इस प्रकार जंजीरों से बांध कर ताला क्यों लगाया गया है, वहां मौजूद पुलिस टीम की समझ में नहीं आया. युवती के जिस्म पर चोट के निशान देख कर यह अनुमान लगाया गया कि इस की हत्या करने से पहले इसे प्रताडि़त किया गया होगा.

एसएचओ संजीव कुमार ने लाश के बारे में डीसीपी विचित्र वीर और एसीपी सुरेंद्र कुमार को सूचित कर दिया, क्योंकि वह युवती विदेशी मूल की थी.

SK SINGH INSP

इंस्पेक्टर एस के सिंह

युवती की लाश तिलक नगर क्षेत्र में एमसीडी स्कूल के पास मिलने की जानकारी दे दी. इस के बाद उन्होंने फोरैंसिक टीम को वहां बुलवा लिया. यह टीम अपने काम में लग गई. थोड़ी देर में डीसीपी विचित्र वीर और एसीपी सुरेंद्र कुमार मौके पर आ गए. दोनों ने लाश का बारीकी से निरीक्षण किया. वहां पर हत्यारे ने ऐसा कोई सुराग नहीं छोड़ा था.

एसीपी सुरेंद्र कुमार

डीसीपी विचित्र वीर के कहने पर एसएचओ संजीव कुमार ने एक घंटे के अंदर स्पैशल टीम और दीनदयाल उपाध्याय हौस्पिटल से 2 डाक्टरों को वहां बुला लिया.

डाक्टरों ने युवती की लाश की जांच कर के बताया कि काफी टौर्चर करने के बाद युवती को गला घोंट कर मारा गया है. इस की मौत 3 दिन पहले हुई है, लाश सडऩे लगी है.

इंस्पेक्टर हरी सिंह

डीसीपी ने वहां लगे सीसीटीवी कैमरे चैक करने के निर्देश दिए. स्पैशल टीम और थाना पुलिस टीम ने सड़कों पर लगे हुए सीसीटीवी कैमरों की फुटेज चैक करनी शुरू की तो एक कैमरे में उस स्थान पर जहां लाश पाई गई थी, एक सैंट्रो कार नजर आई.

कार की दिशा से अनुमान लगाया गया कि इसी कार में हत्यारा युवती की लाश को यहां ले कर आया और लाश फेंक कर चला गया है. कार की नंबर प्लेट को जूम कर के देखने पर नंबर स्पष्ट हो गया. उसे नोट कर लिया गया.

फोरैंसिक टीम ने वहां से काफी सूक्ष्म सुराग एकत्र कर लिए थे. सभी काररवाई पूरी कर लाश का पंचनामा तैयार कर के लाश को दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया गया.

हत्यारे तक कैसे पहुंची पुलिस

पुलिस टीम ने ट्रांसपोर्ट अथारिटी से सैंट्रो कार के रजिस्ट्रैशन नंबर से मालिक का पता निकाल लिया.

उस के पास पुलिस टीम पहुंची तो उस ने बताया कि उस ने सैंट्रो कार को जनकपुरी में एक युवती को 2 महीने पहले बेच दिया था. उस के पास से सैंट्रो कार खरीदने वाली युवती का जो एड्रैस मिला, वह जांच करने पर फरजी निकला.

पुलिस टीम का नेतृत्व खुद एसएचओ संजीव कुमार कर रहे थे. उन्होंने टीम के सभी सदस्यों में नया जोश भरते हुए आदेश दिया, ”सैंट्रो कार हमें हत्यारे तक पहुंचाएगी. आप सभी जनकपुरी के चप्पेचप्पे पर तलाश करें. कार जनकपुरी के एड्रैैस पर फरजी तरीके से ली गई है, उम्मीद है कि हत्यारा जनकपुरी का ही होगा. मैं समझता हूं कि कोशिश करने पर हमें सफलता अवश्य मिलेगी.’’

पुलिस टीम जनकपुरी में फैल गई. जनकपुरी की हर गली को देखा गया, खाली मैदान और कार पार्किंग में भी चैक किया गया. मेहनत की गई तो उस में पुलिस को सफलता भी मिल गई.

जनकपुरी के बी ब्लौक क्षेत्र में एक जगह वह संदिग्ध सैंट्रो कार पुलिस को खड़ी मिल गई. वहां मौजूद 2-3 युवकों से कार के मालिक के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बता दिया कि यह कार यहां रहने वाले गुरप्रीत सिंह की है. उन्होंने दूर से ही पुलिस को गुरप्रीत का मकान भी दिखा दिया.

पुलिस ने उस मकान के दरवाजे पर पहुंच कर घंटी बजाई तो दरवाजा खोलने वाला व्यक्ति पुलिस देख कर उलटे पैर भागा. पुलिस ने दौड़ कर उसे अंदर दबोच लिया. पूछने पर उस ने अपना नाम गुरप्रीत सिंह बताया.

पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. उसे और सैंट्रो कार को साथ ले कर पुलिस टीम थाना तिलक नगर लौट आई.

क्यों की गई लीना की हत्या

गुरप्रीत सिंह के पकड़े जाने की जानकारी डीसीपी विचित्रवीर और एसीपी सुरेंद्र कुमार को दे दी गई. उच्चाधिकारियों के सामने गुरप्रीत से पूछताछ शुरू की गई.

”क्या नाम है तुम्हारा?’’एसएचओ संजीव कुमार ने पूछा.

”गुरप्रीत सिंह है साहब.’’

”इस युवती को पहचानते हो?’’संजीव कुमार ने मोबाइल से ली गई विदेशी युवती की लाश का फोटो गुरप्रीत को दिखा कर प्रश्न किया

”यह लीना बर्गर है साहब, स्विट्जरलैंड में रहती है.’’

”स्विटजरलैंड की है तो यह तुम्हारे संपर्क में कैसे आ गई थी?’’

”यह मेरी दोस्त थी साहब. मैं 2021 में पहली बार स्विट्जरलैंड गया था, तब यह मेरे संपर्क में आ गई थी.’’

”तुम ने इस की हत्या क्यों की?’’

गुरप्रीत तुरंत जवाब नहीं दे सका. संजीव कुमार ने उसे घूरा, ”मेरी बात का जवाब दो, तुम ने लीना बर्गर की हत्या क्यों की?’’

”मैं उसे चाहने लगा था, साहब.’’गुरप्रीत ने लंबी सांस भर कर कहा, ”लीना मुझे अच्छी लगती थी. मैं ने उस के सामने शादी का प्रस्ताव रखा, लेकिन वह किसी और को प्यार करती थी, उस से शादी करना चाहती थी. मुझे इसी बात पर गुस्सा आ गया और मैं ने उस की हत्या कर दी.’’

”यदि तुम को लीना की हत्या करनी थी तो तुम ने उस के हाथपांव लोहे की जंजीर से बांध कर ताला क्यों लगाया? तुम ने उस की हत्या करने से पहले उसे टौर्चर भी किया था, इस की क्या वजह थी?’’इस बार डीसीपी विचित्रवीर ने प्रश्न कर दिया.

”मैं लीना को डराधमका कर अपने पक्ष में करना चाहता था. इसीलिए मैं ने उसे जंजीर से बांधा और पीटा भी था.’’

”तुम ने लीना बर्गर को कब मारा था?’’

”तारीख मुझे याद नहीं है साहब. हां, मैं यह कुबूल करता हूं कि लीना की हत्या कर देने के बाद मैं ने लाश को कार में रखा. 2 दिन तक लाश कार में रख कर मैं दिल्ली की सड़कों पर घूमता रहा, लेकिन मुझे कहीं भी लाश फेंकने के लिए उचित ठिकाना नहीं मिला.

”तीसरे दिन मैं लाश को ले कर रात के वक्त घर से निकला. मैं ने लाश को काली पौलीथिन में बांध दिया था ताकि उस में से बदबू न फैले. मैं रात के अंधेरे में सुनसान पड़े एमसीडी स्कूल के पास आया और लाश वहां डाल कर भाग गया.’’

गुरप्रीत ने खोले गहरे राज

”तुम्हारा मोबाइल फोन कहां पर है?’’एकाएक डीसीपी विचित्र वीर ने पूछ लिया.

”वह तो घर पर ही रह गया है साहब.’’

लीना बर्गर के हत्यारे गुरप्रीत सिंह के मोबाइल को पुलिस ने कब्जे में ले कर देखा तो उस में गुरप्रीत के संपर्क में कितने ही विदेशी युवकयुवतियों के कौंटेक्ट नंबर मिले. इस के अलावा उस के फोन पर विदेशी लोगों ने लाखों रुपया पेटीएम व अन्य ऐप द्वारा भेजा था.

यह ऐसी जानकारी थी, जिस के खुलासे ने यह जाहिर कर दिया कि गुरप्रीत कोई मामूली व्यक्ति नहीं है. वह अपने अंदर बहुत गहरे राज छिपाए हुए है. यह जानने के लिए उसे रिमांड पर लेना जरूरी हो गया. इस से पहले उस के मोबाइल को खंगालने के लिए मोबाइल सर्विलांस विभाग के हवाले कर दिया गया.

किसी मकसद से उस ने लीना बर्गर को फांसा था, यह मोबाइल जांच से मालूम हो सकता था.

गुरप्रीत को दूसरे दिन न्यायालय में पेश कर के 3 दिन की रिमांड पर ले लिया गया.  रिमांड के दौरान गुरप्रीत ने जो कुछ बताया, वह इस प्रकार है—

33 साल का गुरप्रीत बांका नौजवान था. उस के पिता अर्जुन सिंह खुद को तंत्रमंत्र का महान ज्ञाता बताते थे. पश्चिमी दिल्ली में उन्होंने तंत्रमंत्र की दुकान खोल रखी थी, जिस में टोनेटोटके, जादू आदि से संबंधित पुस्तकें, रत्न और ज्योतिष का सामान बेचा जाता था. वह परेशान, कारोबार में विफल, धन की हानि होने और प्रेम मिलन बाधा होने वाले व्यक्तियों का अपनी दुकान में तंत्रमंत्र और पूजाहवन द्वारा समाधान करने का दावा भी करते थे.

भारत भ्रमण पर आए कुछ विदेशी युवतियां और युवक उन के संपर्क  में आ गए थे. उन के द्वारा अर्जुन सिंह ने अपनी रत्न ज्योतिष की दुकान का विदेशों तक विस्तार कर लिया था.

गुरप्रीत अपने पिता के साथ ही ज्यादा रहता था. धीरेधीरे वह भी उन के नक्शेकदम पर चलने लगा. उस ने पिता को ज्योतिष अथवा मंत्रों द्वारा उपचार करते कई बार देखा था. उस ने भी वह पिता से सीख लिया और उन के नाम को आगे बढ़ाने लगा.

उस ने 2-3 बार हवाई जहाज में सफर कर के विदेशी धरती पर कदम रखा, वहां अपने दरजनों भक्त बनाए. उन को अपने ज्योतिष चमत्कार से प्रभावित कर के उन से धन भी प्राप्त किया. हालांकि उसे ज्योतिष और तंत्रमंत्र का इतना ज्ञान नहीं था, पर वह तिकड़मबाजी से अपने क्लाइंट को संतुष्ट करने में हमेशा सफल हो जाता था. उस ने विदेशी रूबल, डालर में बहुत धन कमाया.

स्विस महिला लीना का गुरप्रीत से कैसे हुआ संपर्क

एक बार वह स्विटजरलैंड गया हुआ था. वहां एक स्विस व्यक्ति का उसे मानसिक उपचार करना था. गुरप्रीत ने उस व्यक्ति को पूजापाठ करने का विधान समझा कर पूजा करने का दिन तय किया. जोजो सामान पूजा के लिए चाहिए था, वह मंगवाया और निश्चित दिन वह उस व्यक्ति के घर पूजा करने पहुंच गया.

वहां एक खूबसूरत स्विस युवती लीना बर्गर भी आई हुई थी. लीना बर्गर एक प्राइवेट फर्म में नौकरी करती थी. उस की अपने काम को ले कर हमेशा टेंशन बनी रहती थी. उस की फर्म घाटे में चल रही थी, वह बंद हो जाती तो लीना बर्गर को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ता.

यही टेंशन लीना बर्गर को रातदिन परेशान करती थी. उस की पहचान वाले एक व्यक्ति ने अपने मानसिक इलाज के लिए भारत के गुरप्रीत को अपने आवास पर बुलाया तो जिज्ञासावश लीना बर्गर भी वहां आ गई.

गुरप्रीत ने पूजापाठ का पूरा आडंबर रच कर उलटेसीधे मंत्रों का उच्चारण शुरू किया तो लीना बर्गर उस से बहुत प्रभावित हो गई. उस मानसिक विकार वाले व्यक्ति को गुरप्रीत के मंत्रोजाप और पूजापाठ से कुछ लाभ हुआ या नहीं, यह लीना ने नहीं पूछा, लेकिन उस ने गुरप्रीत को अपने घर आमंत्रित कर लिया.

गुरप्रीत ने दूसरे दिन लीना बर्गर के घर की काल बेल बजा दी. लीना ने दरवाजा खोल कर उसे सम्मान से अंदर बुलाया. उस की बहुत खातिरदारी की. फिर अपनी परेशानी बताई.

गुरप्रीत ने मुसकरा कर चुटकी बजाते हुए कहा, ”बस इतनी सी बात पर आप परेशान हो. मैं आप की समस्या चुटकी बजाते दूर कर दूंगा.’’

”मैं आप का एहसान जिंदगी भर मानूंगी गुरप्रीतजी, आप को जो सामान चाहिए बता दीजिए. जो फीस आप लेंगे वह भी मैं दूंगी. आप अपना काम शुरू कर दीजिए.’’

गुरप्रीत ने उसे पूजा के सामान की लिस्ट थमा दी. लीना ने सामान ला दिया तो एक दिन गुरप्रीत ने हवन का पूरा ड्रामा रच कर लीना बर्गर को संतुष्ट कर दिया.

इसे चमत्कार समझो या गुरप्रीत की किस्मत, लीना बर्गर की मानसिक परेशानी कुछ हद तक ठीक हो गई. उस की फर्म भी फिर से स्टैंड होने लगी.

लीना बर्गर गुरप्रीत से बहुत प्रभावित हो गई थी. गुरप्रीत भारत लौट आया, तब भी लीना उस के संपर्क में रही. लीना धनी थी. गुरप्रीत की नजरें उस की दौलत पर जम गईं. वह लीना को पूजापाठ के जाल में उलझा कर उस से ज्यादा से ज्यादा पैसे ऐंठ लेना चाहता था.

वह इसी चक्कर में 2-3 बार स्विटजरलैंड गया. लीना बर्गर ज्यूरिख में रहती थी. गुरप्रीत ने वहां उस के यहां पूजापाठ का आयोजन कराया और हर बार लीना से मोटी रकम डालर के रूप में ले कर वह वापस आया.

अब वह लीना को उस मुरगी की तरह एक ही बार में काट डालना चाहता था, जो सोने के अंडे देती थी.

लीना को जंजीर से किस ने और क्यों बांधा?

उस ने अंतिम हवन पूजा के नाम पर लीना बर्गर को भारत बुलाया. लीना बर्गर 11 अक्तूबर, 2023 को दिल्ली आ गई और एक होटल में ठहरी. इस बीच गुरप्रीत उस से होटल में मिलता रहा. 16 अक्तूबर, 2023 को उस ने पश्चिमी दिल्ली के तिलक नगर से एक जंजीर और ताला खरीद लिया और शाम को लीना बर्गर को अपने घर बुला लिया.

गुरप्रीत के पिता उस समय पेरिस में थे. घर में गुरप्रीत अकेला था. लीना बर्गर घर आई तो गुरप्रीत ने उसे चाय पिलाई, फिर उस से कहा कि वह उसे एक ऐसा जादू दिखाएगा जो उसे हैरत में डाल देगा.

लीना बर्गर जादू देखने को तैयार हो गई तो गुरप्रीत ने लोहे की जंजीर से लीना के हाथपांव बांध कर ताला लगा दिया. लीना जिसे जादू समझ रही थी, वह गुरप्रीत का वहशी रूप था.

लीना के हाथपांव जंजीर और ताले से बांध देने के बाद गुरप्रीत ने रंग बदला. उस ने लीना से कहा कि यह अपने बैंक से सारा रुपया उस के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर दे, तभी वह उसे आजाद करेगा. नहीं मानेगी तो वह उस की जान ले लेगा.

लीना बर्गर ऐसा करने को तैयार नहीं हुई तो गुरप्रीत ने उसे बेरहमी से पीटा, सिगरेट से जलाया. जब लीना किसी भी तरीके से नहीं मानी हो उस ने लीना की गरदन दबा कर हत्या कर दी और लाश को पौलीथिन में डाल कर 2 दिन उसे सही जगह ठिकाने लगाने की कोशिश करता रहा. तीसरे दिन उस ने इलाके के ही एमसीडी स्कूल के पास रात के वक्त वह लाश फेंक दी.

गुरप्रीत के इस खुलासे के बाद उस को साथ ले कर उस के घर की तलाशी ली गई. उस के घर से पौने 2 करोड़ रुपए, 4 रिवौल्वर लीना बर्गर का लैपटाप, पासपोर्ट, वीजा, मोबाइल फोन और अन्य दस्तावेज बरामद कर लिए गए.

गुरप्रीत के बैंक खाते में लाखों रुपयों के लेनदेन का भी पता लगा. पुलिस ने इस की सूचना इनकम टैक्स विभाग को दे दी. गुरप्रीत पर एफआईआर 712/2023 धारा 302/201 आईपीसी के तहत अपराध दर्ज कर के उसे न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

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लीना बर्गर की हत्या की सूचना डीसीपी विचित्र वीर ने स्विस दूतावास को दे कर उन से लीना बर्गर का पोस्टमार्टम और अंतिम क्रियाकर्म भारतीय रीतिरिवाज से करने की अनुमति मांग ली. लीना बर्गर का लैपटाप, मोबाइल एफएसएल टीम को जांच के लिए सौंप दिया गया.

लीना बर्गर का दीन दयाल उपाध्याय हौस्पिटल में पोस्टमार्टम करवाने के बाद रिपोर्ट में उस को टौर्चर करने और गला घोंट कर मार देने की बात सामने आई. पोस्टमार्टम होने के बाद लीना बर्गर का भारतीय रीतिरिवाज से अंतिम संस्कार करवा कर उस की राख को स्विस दूतावास के हवाले कर दिया गया.

कथा लिखे जाने तक मृतका लीना बर्गर का कोई रिश्तेदार दिल्ली नहीं आया था. कथा लिखने तक पुलिस लीना बर्गर के हत्यारे गुरप्रीत को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाने के लिए उस के खिलाफ चार्जशीट तैयार करने में लगी थी.

रेप के आरोप में पुलिस अफसर

जब विनीता होटल के अपने कमरे में चली गई तो थोड़ी देर बाद राहुल भी उस के कमरे में आ गए. विनीता को यह नहीं पता था कि राहुल भी उसी होटल में रह रहे हैं, जहां उसे ठहराया गया था. विनीता का आरोप है कि राहुल ने बातचीत के दौरान उसे कौफी में नशीला पदार्थ पिलाया. जब वह नशे में हो गई, तब राहुल ने उस के साथ मनमानी की. अपने मोबाइल में उस की न्यूड फोटो भी ले लीं.

होश आने पर जब विनीता को उस सब का पता चला तो उस ने विरोध किया, तब बेहतर कोचिंग के माध्यम से तैयारी कराने का राहुल ने उसे भरोसा दिया. लेकिन इस के बाद कभी होटल, तो कभी अपने दोस्त विक्रम के घर ले जा कर वह विनीता के साथ मनमानी करते रहे.

लखनऊ के गोमती नगर में रहने वाली विनीता ने युवावस्था की दहलीज पर कदम रखते ही रंगीन सपने देखने शुरू कर दिए थे. उस की तमन्ना एक बड़ा अधिकारी बनने की थी. इसलिए वह सिविल सर्विस (यूपीएससी) परीक्षा की तैयारी में जुट गई. उस समय वह 16-17 साल की थी. परीक्षाओं की तैयारी के दौरान ही विनीता की वर्ष 2018 में फेसबुक के जरिए राहुल श्रीवास्तव से दोस्ती हुई थी.

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राहुल श्रीवास्तव उत्तर प्रदेश में एडिशनल एसपी थे. उन की तैनाती लखनऊ में थी. पहले ‘हायहैलो’ से शुरुआत हुई. इस के बाद विनीता से राहुल ने पूछा, ”पढ़ाई करती हो?’’

तब विनीता ने बताया कि वह यूपीएससी की तैयारी कर रही है. एडिशनल एसपी राहुल श्रीवास्तव ने विनीता को यूपीएससी एग्जाम क्वालीफाई करने में उस की सहायता करने का भरोसा दिलाया.

विनीता समझ गई कि राहुल श्रीवास्तव पुलिस में सीनियर औफिसर हैं, उन से यूपीएससी परीक्षा के संबंध में काफी हेल्प मिल सकती है. वह उन से स्टडी मटीरियल लेती रही. स्टडी मटीरियल देने लेने के दौरान उन के बीच नजदीकियां बढऩे लगीं.

तब दोनों ने एकदूसरे को अपनेअपने मोबाइल नंंबर भी दे दिए. धीरेधीरे दोनों का मेलजोल इस कदर बढ़ गया कि ऐसा कोई दिन नहींं जाता था, जब दोनों के बीच बातचीत न होती हो. दोनों के बीच अंतरंगता बढ़ती गई. अब दोनों का ये हाल हो गया कि जब तक दोनों एक दूसरे से मिल न लेते या बातचीत न कर लेते उन्हें चैन ही नहीं मिलता था.

वर्ष 2019 में प्रयागराज में कुंभ मेला लगा था. राहुल ने स्टडी मटीरियल देने और रिसर्च वर्क कराने के लिए विनीता को वहां बुलाया.  कुंभ के दौरान राहुल श्रीवास्तव ने नैनी के पास टेंट मे विनीता के रहने का इंतजाम कराया. बाद में सेफ्टी की बात कहकर होटल में भेज दिया.

उसी दौरान राहुल ने विनीता को अपने दोस्त सतीश से मिलवाया और बताया कि सतीश इग्नू में पौलिटिकल साइंस के प्रोफेसर हैं और रिसर्च में उस की मदद करेंगे.

नहीं भुलाई जा सकती होटल की वह रात

विनीता का कहना है कि राहुल ने एक दिन होटल में नशीली कौफी पिलाने के बाद रेप किया. विनीता को उस ने पुलिस का रौब दिखाते हुए काफी डरा दिया था, जिस से वह यह बात किसी से कह भी नहीं सकी थी.

राहुल के मामा का लखनऊ के मंदाकिनी एनक्लेव में फ्लैट था. साल 2022 में राहुल ने उन से वो फ्लैट ले लिया. राहुल मामा के उस फ्लैट पर आने के लिए उसे खींची गई उस की न्यूड फोटो दिखाकर आने को मजबूर करते रहे. वह हर वीकेंड उसे वहां बुलाते और उस के साथ मनमानी करते थे. यह सिलसिला 5 सालों तक निरंतर चलता रहा. इस दौरान राहुल ने विनीता को कीमती गिफ्ट और गहने भी दिलाए.

अप्रैल, 2023 में विनीता राहुल श्रीवास्तव से प्रेग्नेंट हो गई. जब इस बात की जानकारी विनीता ने राहुल को दी तो एक दिन धोखे से विनीता को राहुल सहारा हौस्पिटल में लेडी डाक्टर के पास ले गए. उस समय राहुल का दोस्त विक्रम भी साथ था. कुछ देर में वहां सिद्धार्थ, सतीश और सौरभ भी आ गए.  उन्होंने विनीता का अबार्शन करा दिया.

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बाद में विनीता का चैकअप मेदांता अस्पताल में कराया गया. इस दौरान विनीता का आधार कार्ड या अन्य कोई डाक्युमेंट भी नहीं लिया गया. विनीता का कहना था कि उस की उम्र और पिता का नाम भी वहां गलत लिखवाया. अबार्शन के बाद विनीता की राहुल से खूब लड़ाई हुई.

अबार्शन के कुछ दिनों बाद विनीता के शरीर पर असर पड़ा. तब विनीता ने फैसला लिया कि वह राहुल की इस करतूत को उस की पत्नी मानिनी श्रीवास्तव को बताएगी. इस के बाद वह मानिनी के घर जा पहुंची. उस ने मानिनी को उस के पति राहुल श्रीवास्तव की काली करतूतों के बारे में बताया कि वह पिछले 5 सालों से उसे उस की न्यूड फोटो के बल पर ब्लैकमेल कर उस का लगातार शारीरिक शोषण कर रहे हैं.

विनीता ने कहा कि चाहे कुछ भी हो जाए, वह पुलिस में उस की शिकायत जरूर करेगी. इस की जानकारी होने पर राहुल फोन कर के विनीता के घर वालों को धमकी देने लगे कि तुम लोगों को झूठे केस में फंसा दूंगा.

जब विनीता ने साफ शब्दों में कहा कि वह उन की पुलिस से शिकायत करेगी तो वह बोले, ”मैं पुलिस के ऐसे डिपार्टमेंट में हूं कि कोई तुम्हारी एफआईआर भी नहीं लिखेगा.’’ इतना ही नहीं, उन्होंने धमकी भी दी कि तुम्हारी फोटो फैमिली को भेज दूंगा.

विनीता और राहुल के बीच चल रहे इस लुकाछिपी के खेल में तब नया मोड़ आया, जब विनीता ने इस संबंध में राहुल की पत्नी मानिनी श्रीवास्तव, जोकि लखनऊ विश्वविद्यालय के साइकोलौजी डिपार्टमेंट में प्रोफसर हैं, को जानकारी दी.

विनीता ने बताया कि राहुल उसे ब्लैकमेल कर उस का लगातार शारीरिक शोषण कर रहे हैं. धोखे से उस का गर्भपात करा देने से अब उस के शरीर पर असर पड़ रहा है. इस पर मानिनी व राहुल के दोस्तों ने विनीता को राहुल के खिलाफ कोई शिकायत न करने के लिए कहा. शिकायत करने पर जान से मारने की धमकी दी.

इन सभी आरोपियों ने उसे व उस के घर वालों को झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी दी. इस से विनीता घबरा गई. विनीता के परिवार में उस के मम्मीपापा के अलावा उस का छोटा भाई है. यदि परिवार के लोगों को कुछ हो जाता है तो वह क्या करेगी? इस बात को  सोचसोच कर वह परेशान हो गई.

राहुल श्रीवास्तव अभी लखनऊ में एंटी टेररिस्ट स्क्वायड यानी एटीएस में पोस्टेड हैं. उन के पास यूपी पुलिस के सोशल मीडिया के काम की भी जिम्मेदारी है.

गर्भपात से शरीर में असर पडऩे पर आखिरकार विनीता ने हिम्मत जुटाई. विनीता ने राहुल की पुलिस हैडक्वार्टर में शिकायत की. पुलिस हैडक्वार्टर से एफआईआर की जगह पहले डिपार्टमेंटल जांच कराई गई.

विनीता का कहना है कि उस ने जौइंट सीपी (कानूनव्यवस्था) उपेंद्र कुमार अग्रवाल को भी फोन कर मदद मांगी थी, जिस पर अधिकारी ने जांच की बात कही थी. विनीता एफआईआर के लिए इधर से उधर 2 महीने तक चक्कर काटती रही, लेकिन उसे हर तरफ से निराशा ही मिल रही थी.

पुलिस क्यों नहीं लिख रही थी रिपोर्ट

विनीता द्वारा राहुल के खिलाफ शिकायत किए जाने की जानकारी जैसे ही उस की पत्नी मानिनी श्रीवास्तव को हुई, तब उस ने व राहुल के दोस्त सौरभ, सतीश, विक्रम, सिद्धार्थ व अन्य ने मिल कर विनीता पर उस के द्वारा की गई शिकायतों को वापस लेने का दबाव बनाया.

मानिनी ने धमकाया कि उन का भाई आईएएस अफसर है, जबकि पति पुलिस में अफसर हैं. तुम्हारी एफआईआर नहीं लिखी जाएगी. तुम्हारी बात कोई नहीं सुनेगा.

विनीता का कहना है कि इस संबंध में कंप्रोमाइज की बात कहते हुए उस के एक दोस्त के बैंक एकाउंट में कुछ धनराशि भी जमा करा दी. लेकिन उस ने इस धनराशि को लेने से साफ इंकार कर दिया. विनीता ने डीजीपी और स्पैशल डीजी से अपनी सुरक्षा की गुहार लगाई. तब अधिकारियों ने जांच के बाद काररवाई की बात कही.

पीडि़ता विनीता की शिकायत को एडीजी पद्मजा चौहान ने गंभीरता से लिया और 4 नवंबर, 2023 को पुलिस आयुक्त एस.बी. शिरोडकर को पत्र लिख कर विनीता को सुरक्षा देने को कहा था. इस के बाद उसे सुरक्षा मुहैया कराई गई.

19 दिसंबर, 2023 को महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन मुख्यालय की एसपी रवीना  त्यागी ने पत्र भेज कर 22 दिसंबर, 2023 को बयान के लिए विनीता के मम्मीपापा को बुलाया था. उन्होंने एसपी रवीना के पास अपने बयान दर्ज कराए. राहुल श्रीवास्तव को भी बयान के लिए तलब किया था, लेकिन वह हाजिर नहीं हुए थे. इस की सारी जानकारी एडीजी ने अधिकारियों को बता दी.

विनीता के पापा ने कहा कि वह बेटी के साथ हैं. उन्होंने इस मामले में सीएम योगी से मिलने की बात भी कही. उन्होंने कहा, ”मैं राहुल श्रीवास्तव को नहीं जानता. अक्तूबर, 2023 में उन की पत्नी ने मुझे काल की थी. राहुल की पत्नी ने मुझ से कई बातें कहीं. मैं ने अपनी बेटी से इस बारे में पूछा. पहले तो वह कुछ बताने को तैयार नहीं थी. काफी समझाने पर रोने लगी. फिर उस ने राहुल की हरकत के बारे में बताया. कहा कि उसे धमकी दे कर डराया जा रहा है. मैं अपनी बेटी के साथ मजबूती से खड़ा हंू. उस की हर लड़ाई में साथ दंूगा.’’

एटीएस में तैनात एएसपी राहुल श्रीवास्तव पर यौन शोषण और जबरन गर्भपात का आरोप लगाने वाली पीडि़ता विनीता 2 महीने तक गोमती नगर विस्तार थाने, 1090 और अधिकारियों के चक्कर लगाती रही. हर बार अधिकारी जांच की बात कह कर उसे टालते रहे. लेकिन उस ने हिम्मत नहीं हारी.

विनीता ने कई महीने पहले 28 नवंबर, 2023 को शिकायत की थी. पुलिस अधिकारियों को रजिस्टर्ड पोस्ट से भी शिकायत भेजी. वीमेन पावर लाइन में तैनात एसपी रवीना त्यागी प्रकरण की जांच कर रही थीं. कुछ दिन पहले विनीता के बयान के कई वीडियो वायरल हुए. इस में उस ने आरोप लगाया था कि मामले में काररवाई नहीं हो रही है.

एक्स पर पोस्ट के बाद क्यों सक्रिय हुए अधिकारी

विनीता ने 25 दिसंबर, 2023 को सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर सीएम योगी, डीजीपी समेत कई अफसरों से काररवाई की गुहार लगाई थी. इस के बाद 5 जनवरी, 2024 को विनीता ने एक्स पर पोस्ट की. इस में लिखा, ”मामले में काररवाई नहीं हो रही है. आखिर में कोर्ट जाने का ही रास्ता बचा है. अगर अब मुझे कुछ होता है तो पुलिस जिम्मेदार होगी.’’

सोशल मीडिया पर इंसाफ पाने के लिए वह ट्वीट कर न्याय के लिए लगातार गुहार लगती रही. मामले को गले की फांस बनता देख आखिरकार पुलिस अधिकारियों ने रिपोर्ट दर्ज करने का फरमान जारी कर दिया. 6 जनवरी, 2024 को लखनऊ के गोमती नगर एक्सटेंशन थाने में रेप, धमकी देने एवं महिला की सहमति के बिना अबार्शन कराने में भादंवि की धारा 376, 506 व 313 के अंतर्गत एफआईआर दर्ज हुई.

विनीता ने पुलिस आयुक्त, लखनऊ के अलावा अन्य को भी अपनी जो शिकायत 28 नवंबर, 2023 को डाक से भेजी थी. इसी तहरीर के आधार पर 6 जनवरी, 2024 को एफआईआर थाना गोमती नगर विस्तार में राहुल श्रीवास्तव, मानिनी श्रीवास्तव, सौरभ, सतीश, विक्रम, सिद्धार्थ व अन्य के खिलाफ दर्ज की गई.

आरोपी को क्यों नहीं किया गया निलंबित

मुकदमे की काररवाई आरोपी के खिलाफ लगाए गए आरोपों की प्रारंभिक जांच के बाद ही हुई. जांच का जिम्मा महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन की एसपी रवीना त्यागी के पास था.

लखनऊ के गोमती नगर विस्तार थाना के प्रभारी निरीक्षक सुधीर अवस्थी ने बताया कि एक युवती की शिकायत पर एएसपी व अन्य के खिलाफ संबंधित धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की गई है. एसएचओ ने बताया कि मामले की जांच शुरू कर दी गई है और साक्ष्य मिलने पर काररवाई की जाएगी.

ब्लैकमेल और यौन शोषण की पीडिता विनीता ने अधिकारियों से मांग की है कि आरोपी एएसपी राहुल श्रीवास्तव के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हो चुकी है. अब उसे तुरंत निलंबित किया जाए इस के साथ ही उस की पत्नी समेत सभी दोस्तों पर सख्त काररवाई की जाए.

विनीता ने दावा किया है कि उस के पास हर आरोप के साक्ष्य मौजूद हैं. उस के पास होटल्स में चेक-इन और चेक-आउट के समय बातचीत के कुछ स्क्रीनशौट भी हैं. राहुल देर रात तक काल पर बात करता था. स्नैपचैट पर अपनी प्राइवेट फोटो भेजता था.

महंगे गिफ्ट और ज्वैलरी दिया करता था. उन बिलों पर भी राहुल की ईमेल आईडी है. मेरे अबार्शन की मैडिकल रिपोर्ट पर चैकअप और टॢमनेशन की सारी डिटेल है.

फिलहाल राहुल कहां हैं? ये पुलिस को भी नहीं पता. जांच अधिकारी सुनील कुमार ने बताया कि हमें एएसपी राहुल श्रीवास्तव का एड्रेस नहीं पता है. मोबाइल नंबर भी नहीं है, इसलिए उन से संपर्क नहीं हो पा रहा है. पता चला कि 50 वर्षीय राहुल श्रीवास्तव का होम प्लेस यूपी का सोनभद्र है. इस समय वह छुट्टी पर हैं और अभी शहर से बाहर है.

7 जनवरी, 2024 को रविवार का अवकाश होने के कारण विनीता के कोर्ट में कलमबंद बयान नहीं हो सके, न ही मैडिकल कराया जा सका. अगले दिन पुलिस मैडिकल करा सकती है. इस के बाद कोर्ट में बयान कराएगी. तब आगे की काररवाई करेगी. केस के विवेचक ने मामले में साक्ष्य जुटाने शुरू कर दिए हैं.

आरोपी क्यों बता रहे हैं बेकसूर

एएसपी राहुल श्रीवास्तव की पत्नी मानिनी श्रीवास्तव का कहना है कि शिकायतकर्ता ने मेरे खिलाफ लखनऊ विश्वविद्यालय में अक्तूबर 2023 में एक फरजी शिकायत की थी. इस शिकायत में उस ने स्वयं मेरे पति राहुल श्रीवास्तव से किसी भी तरह के संबंध होने से नकारा था.

पिछले कई महीनों से मुझे व मेरी बेटियों पर एसिड अटैक करवाने व जान से मारने की धमकी दी जा रही है. मेरे परिवार को ब्लैकमेल किया जा रहा है. इस की शिकायत उस ने नवंबर, 2023 में पुलिस कमिश्नर से की थी. इस की जांच वीमेन पावर लाइन ने की, जिस में पूरे साक्ष्य दिए गए हैं. मानिनी भरोसा जताया है कि सच सामने आएगा.

उधर एक चैनल से एएसपी राहुल श्रीवास्तव ने बात की. उन्होंने बताया कि युवती की काउंसलिंग चल रही थी. वह मेरी पत्नी के पास काउंसलिंग के लिए आई थी. इस दौरान ही उस से मुलाकात हुई. वह मेरी बेटी के समान है. उस के द्वारा मेरे ऊपर लगाए गए आरोप झूठे हैं. अपने से उम्रदराज व्यक्ति पर ऐसे आरोप लगाना उचित नहीं है.

कोर्ट से मिली राहत, गिरफ्तारी पर रोक

विनीता की पढ़ाई में मदद के बहाने उस के साथ दुष्कर्म करने के आरोपी एडिशनल एसपी राहुल श्रीवास्तव और उस की पत्नी मानिनी श्रीवास्तव को 16 जनवरी, 2024 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई के दौरान फिलहाल राहत मिल गई है.

लखनऊ बेंच में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने दुष्कर्म मामले में दोनों की गिरफ्तारी पर बुधवार तक के लिए रोक लगा दी थी. कोर्ट ने 17 जनवरी को दोबारा सुनवाई की तारीख निश्चित कर सरकारी वकील को याचियों के खिलाफ एकत्र किए गए साक्ष्य, अगर कोई हों, तो उन की जानकारी पेश करने को कहा था. साथ ही याचियों को भी मामले की तफ्तीश में सहयोग करने का आदेश दिया.

बताते चलें कि याचिका में इस मामले में दर्ज कराई गई एफआईआर को चुनौती दे कर याचियों की गिरफ्तारी पर रोक लगाने का आग्रह कोर्ट से किया गया था. याचियों की ओर से दलील दी गई कि उन्हें इस मामले में झूठा फंसाया गया है. उधर, सरकारी वकील ने दायर की गई याचिका का विरोध किया था.

एक तरफ यूपी सरकार कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा का दंभ भरती है. वहीं ऐसे दावों के बीच एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी पर लगे आरोप महिला सुरक्षा को ले कर कई सवाल खड़े कर रहे हैं.

निंदनीय घटना है, पीडि़ता को मिले न्याय

विवेक श्रीवास्तव, एडवोकेट (आगरा)

Vivek Srivastava, Advocate

इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक श्रीवास्तव का कहना है कि एक सीनियर पुलिस अधिकारी पर छात्रा के साथ रेप करने का आरोप बहुत चिंता का विषय है. कानून की रक्षा करने वाले ही जब भक्षक बन जाएं तब सामाजिक असंतुलन होना तय है. प्रशासन को इस विषय में आरोपी के विरूद्ध सख्त निर्णय लेना चाहिए.

यह विश्वास को भंग करने का अपराध है. समाज या परिवार जिन पर आंख मंूद कर विश्वास करता हो, वे जब इस विश्वास का अनुचित लाभ उठा कर किसी की अस्मत पर हाथ डालें तो उस की सजा उसे जरूर मिलनी चाहिए.

आरोपी एडिशनल एसपी राहुल श्रीवास्तव को तुरंत सस्पेंड कर समाज के लिए उदाहरण पेश करना चाहिए, ताकि वह आगे की काननूनी काररवाई में किसी प्रकार का अवरोध उत्पन्न न कर सके. इस के साथ ही एफआईआर के अन्य आरोपियों के पर भी प्रभावी काररवाई की जानी चाहिए. पीडि़ता को पुलिस प्रशासन की तरफ से उस की सुरक्षा का उचित प्रबंध भी करना चाहिए.

अधिवक्ता विवेक श्रीवास्तव का कहना है कि नैतिकता और सामाजिक दृष्टिकोण से ऐसी घटना जिम्मेदार पुलिस अधिकारी द्वारा करना बहुत ही निंदनीय है. आरोपी पर धारा 376, 506, 313 के अंतर्गत कम से कम 10 साल की सजा हो सकती है तथा धारा 506 के अंतर्गत भी 7 साल तक की सजा का प्रावधान भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत दिया गया है.

जब रक्षक ही भक्षक बन जाए तब देश की बेटियां कहां जाएंगी? इस मामले में पीडिता को जल्द से जल्द न्याय मिले.

थाने का होगा घेराव

छात्रा विनीता को ब्लैकमेल कर यौन शोषण करने के मामले में राष्ट्रवादी जनसत्ता दल ने विरोध व्यक्त करते हुए एटीएस में तैनात एडिशनल एसपी राहुल श्रीवास्तव की शीघ्र गिरफ्तारी की मांग की है.

Rastravadi Jansatta Dal Je Mahasachiv Dr.BPS Tyagi

दल के महासचिव डा. बी.पी.एस. त्यागी

दल के महासचिव डा. बी.पी.एस. त्यागी ने कहा कि विनीता नीले आकाश में अपने पंखों से ऊंची उड़ान भरना चाहती थी. उसे सहारे की जरूरत थी. लेकिन जिन हाथों ने उसे सहारा देने का भरोसा दिया, उन्हीं हाथों ने उस की अस्मत लूट ली. वह कटे पंखों के पङ्क्षरदे की तरह जमीन पर गिर कर तडफ़ड़ाने लगी.

दल के महासचिव ने कहा कि पहले पुलिस एफआईआर दर्ज करने में देरी करती रही. अब आरोपी की गिरफ्तारी में देर कर रही है. उन्होंने कहा कि यह बेहद शर्मनाक घटना है. पढ़ाई में मदद के बहाने छात्रा का शारीरिक शोषण एक पुलिस अधिकारी द्वारा किया गया. उस की तुरंंत गिरफ्तारी की मांग करते हुए उन्होंने कहा यदि गिरफ्तारी में देरी होगी तो उन का दल संबंधित थाने का घेराव करेगा.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में विनीता परिवर्तित नाम है