Mumbai News : मौडल की ब्लैकमेलिंग से सीए का सुसाइड

Mumbai News : औनलाइन सट्टेबाजी, कालगर्ल और अच्छे होटलों में करोड़ों रुपए खर्च कर पछताने वाले मुंबई के सीए राजलीला मोरे को जब होश आया, तब तक वह ब्लैकमेल में आकंठ डूब चुका था. नतीजा आत्महत्या. मशहूर मौडल सबा इकबाल अहमद कुरैशी और उस का बौयफ्रेंड राहुल शेरू परवानी पुलिस जांच के दायरे में आ गए. कैसे हुआ यह सब? पढ़ें शेयर बाजार से जुड़ी इस आत्महत्या की कहानी में…

मुंबई का एक पौश इलाका है सांताकु्रज ईस्ट. वहीं 32 वर्षीय चार्टर्ड अकाउंटेंट राजलीला मोरे का यशवंत नगर में घर है. मोरे अविवाहित था और अपनी मम्मी के साथ रहता था. मुंबई की एक कंपनी के अकाउंट विभाग में मोटी सैलरी पर नियुक्त था. अच्छा वेतन था तो काम का बोझ भी कम नहीं था. जब कभी वह काम से थकान महसूस करता या फिर अकेलापन काटने लगता, तब इंस्टाग्राम के रूमानी रील्स देख कर मन बहला लिया करता था. वैसे मोरे को शेयर और सट्टा में पैसा लगाने का भी शौक था. उस में रईस जैसी जिंदगी जीने की महत्त्वाकांक्षा भी कुछ कम नहीं थी. वह न केवल अमीर दिखना चाहता था, बल्कि अमीरों जैसे रहनसहन की भी चाहत थी.

बात इसी साल 7 जून की है. राजलीला मोरे अपने घर पर लैपटाप खोले गुमसुम बैठा था. माउस पैड पर अंगुली जमी थी. उस में कोई हरकत नहीं थी. स्क्रीन पर एक्सेल शीट खुली थी. संभवत: उस के किसी बैंक का अकाउंट स्टेटमेंट खुला था. चेहरा पसीने से गीला होने लगा था. उस की मम्मी कब उस के सामने आ कर खड़ी हो गईं, उसे पता ही नहीं चला. मम्मी हाथ में चाय का प्याला लिए थीं.

”क्या बात है बेटा, बहुत परेशान दिख रहे हो?’’

जवाब में मोरे ने एक नजर स्क्रीन पर डाली, फिर मम्मी से बोला, ”कुछ नहीं मम्मी. अकाउंट का काम ही ऐसा है…कब दिमाग को उलझा दे… कहा नहीं जा सकता…’’ मोरे किसी तरह यही बोल पाया.

”नहीं बेटा, मुझे तो तुम आज कुछ अधिक परेशान दिख रहे हो. लगता है मुझ से कुछ छिपा रहे हो?’’ मम्मी ने मानो मोरे की दुखती रग पर हाथ रख दिया हो.

उसी वक्त पास में रखे मोरे के आईफोन के स्क्रीन पर कुरैशी का नाम उभर आया. मोरे ने उसे तुरंत रिसीव किए बगैर कट कर दिया.

”फोन कट क्यों कर दिया?’’

”कुछ नहीं मम्मी…बाद में कौल कर लूंगा. अभी अपना यह काम पूरा कर लूं.’’ मोरे ने कहा और मम्मी के हाथों से चाय की प्याली ले कर फोन के बगल में रख दी. फोन की स्क्रीन पर फिर वही कौल आई. इस बार वाट्सऐप कौल थी. स्क्रीन पर चेहरा भी दिख रहा था.

”अरे! यह तो सबा कुरैशी है. इस ने मुझे भी कल रात को काल की थी. आज यहां आने को बोल रही थी. तुम्हारे द्वारा कौल रिसीव नहीं करने की शिकायत कर रही थी. कौन है बेटा यह लड़की…बहुत तीखेपन से बोल रही थी.’’

मोरे ने जैसे ही सुना कि सबा कुरैशी आज आने को उस की मम्मी को बता चुकी है, तब वह और भी परेशान हो गया. अपने दोनों हाथों से सिर पकड़ लिया. कुछ सेकेंड आंखें बंद किए रहा…फिर उस ने सिर को लैपटाप के आगे झुका लिया. जब आंखें खुलीं, तब पाया कि सबा की कौल आ रही थी. इस बार वीडियो कौल थी. राजलीला ने कौल कट कर दी. अगले ही पल सबा ने नारमल कौल की. 2 रिंग के बाद ही कौल करने वाले की आवाज मोरे के कानों में लगे ईयरबड्स से सुनाई दी, ”तुम बारबार फोन कट कर रहे हो. गलत बात है. वादे से भी मुकर रहे हो. मैं कुछ मिनटों में तुम्हारे घर पहुंचने वाली हूं. पैसे का इंतजाम रखना. वरना तुम्हारे साथ क्या हो सकता है, इस का अंदाजा तो हो ही गया होगा.’’

मोरे सिर्फ उस की बात सुनता रहा. कोई जवाब नहीं दिया. तब तक मम्मी वहां से अपने कमरे में चली गई थीं. जवाब में मोरे ने सिर्फ इतना ही कहा, ”घर पर नहीं, कहीं और बैठ कर बातें करते हैं…’’

”नहींनहीं आज ही फैसला हो जाएगा.’’ बीच में बोल कर फोन करने वाली सबा कुरैशी ने काल डिसकनेक्ट कर दी, जबकि मोरे अपनी कुछ और बातें कहने के लिए हैलोहैलो करता रह गया.

क्यों धमकाती थी मौडल सबा कुरैशी मोरे को

उस वक्त दिन के 11 बज चुके थे. मोरे लैपटाप के सामने बैठा रहा. हथेलियों से पसीना पोंछने लगा. सामने चाय की प्याली रखी थी, लेकिन उस ने एक चुस्की तक नहीं ली. जैसा सबा ने फोन पर कहा था, वैसा ही हुआ. वह मात्र 15 मिनट में उस के फ्लैट में आ धमकी थी. साथ में राहुल परवानी भी था. सभी मोरे के निजी कमरे में बैठे थे. मोरे की मम्मी अपने कमरे में चली गई थीं. मोरे और उन लोगों के बीच बंद कमरे में बातें होने लगीं. उन की बातों में गर्मजोशी थी, तल्खी थी और शिकायतों की भरमार भी. सबा और राहुल मोरे पर बरस रहे थे. धमका रहे थे, जबकि मोरे भीगी बिल्ली बना हुआ था.

जल्द ही बातें करतेकरते राहुल परवानी और सबा कुरैशी हाल में आ गए थे. दोनों तेजतेज आवाज में मोरे को धमकाए जा रहे थे. मम्मी ने जब उन की आवाजें सुनीं, तब उन्होंने महसूस किया कि उन के बीच तूतूमैंमैं हो रही है. वह हाल में आईं. सबा से टकरातेटकराते बचीं.

”तू क्या लेने आई है बुढिय़ा…चल भाग यहां से!’’ सबा बोली.

”अपने बेटे को समझा, वरना अंजाम बहुत बुरा होगा.’’ राहुल बोला.

”क्या बात है बेटा?’’ मम्मी ने पूछा.

”बेटे को बोल जल्दी पैसा ट्रांसफर करने का इंतजाम करे…’’ सबा गुस्से से बोली. मम्मी ने उस का हाथ पकडऩे की कोशिश की, तब उस ने झटक दिया. मम्मी लडख़ड़ा कर गिर गईं. मोरे ने मम्मी को संभाला. बोला, ”हमारेतुम्हारे लेनदेन के बीच मम्मी को मत लाओ.’’

”अब तो ऐसा ही होगा. बुढिय़ा को चोट लगेगी, तभी तुम समझोगे.’’ सबा बोली और एक झापड़ राजलीला मोरे की मम्मी को जड़ दिया.

राहुल सबा का हाथ खींचता हुआ बोला, ”चलो अभी यहां से. हमारे पास इस का वीडियो है न! कितना बचेगा हम से?’’

दोनों मोरे के घर से चले गए. उन के जाने के बाद मोरे वहीं सोफे पर धम्म से बैठ गया. मम्मी भी पास बैठी थीं. गिरने से उन के पांव में चोट लग गई थी. वह अपने हाथों से पांव को दबा रही थीं.

”ज्यादा चोट लगी है?’’ मोरे ने पूछा.

”पांव में क्या है, अभी मूव लगाऊंगी ठीक हो जाएगा. बड़ी चोट तो दिल पर लगी है. तुम मुझ से कोई बड़ी बात छिपा रहे हो. हमारे घर में पहली बार ऐसा हुआ है, जब पैसे के लेनदेन की कोई धमकी दे गया है. वे किस वीडियो की बातें कर रहे थे?’’ मम्मी की बातें दर्द से भरी थीं.

मोरे कुछ नहीं बोला और सीधे अपने कमरे में चला गया. दरअसल, उस रोज सबा और राहुल ने उस के साथ अपने संबंधों को ले कर बातें की थीं. बातोंबातों में उस ने अंतरंग वीडियो औनलाइन पोस्ट करने की धमकी दी थी. उस के बाद से मोरे और भी अधिक उदास रहने लगा था. मम्मी ने उस की उदासी और परेशानी का कारण जानने की कोशिश की, लेकिन वह अपनी समस्या के बारे में ज्यादा कुछ नहीं बताता था. जब कभी मम्मी उसे कुरेदतीं, तब वह अकाउंट की उलझनें बता कर किसी तरह उन को शांत कर देता था.

उस रोज की घटना के बाद से घर का माहौल तनावपूर्ण हो गया था. घर में वह अपनी मम्मी के साथ ही रहता था. दोनों घर के कामकाज में एकदूसरे के मददगार थे. समय पर मेड आती थी और साफसफाई का काम कर चली जाती थी. खाली समय में मम्मी टीवी देख कर समय गुजारती थीं, जबकि मोरे अपने काम में बिजी रहता था. उन से मिलने के लिए बीचबीच में मोरे की बड़ी बहन आ जाती थी, जो मुंबई के दूसरे इलाके में अपने परिवार के साथ रहती थी. शनिवार 5 जुलाई, 2025 को रात के भोजन के वक्त मोरे अपनी मम्मी के साथ डायनिंग टेबल पर था. भोजन करते वक्त मम्मी ने फिर वही बात दोहराई, ”बेटा, तुम अपने मन की तकलीफ मुझ से नहीं बताओगे, तब कैसे तुम्हारी समस्या का समाधान निकलेगा?’’

मोरे निरुत्तर था.

मम्मी फिर बोलीं, ”बेटा, मुझे उस रोज बहुत बुरा लगा, जब वे लोग मेरे सामने ही तुम्हारे साथ हाथापाई करने लगे थे.’’

”कुछ नहीं मम्मी, भूल भी जाओ उस बात को! तुम खाना खाओ, मैं सब कुछ संभाल लूंगा.’’ मोरे ने चिंतित मम्मी को आश्वस्त किया जरूर, लेकिन उस की आवाज में उदासी थी.

उस के बाद दोनों ने चुप्पी साध ली. डायनिंग टेबल के आसपास चम्मच और खाने की हल्कीहल्की आवाज के अलावा कुछ नहीं सुनाई दे रहा था.

सीए मोरे ने क्यों किया सुसाइड

आधी रात को मोरे की मम्मी ने पाया कि वह उल्टियां कर रहा है. उन्होंने पूछा, ”क्या बात है बेटा? कैसी तबियत है? कहो तो डौक्टर को फोन करूं?’’

मोरे उल्टियां बंद होने के बाद अपने कमरे में सोने चला गया. मम्मी ने समझा कुछ अपच हो गया होगा, शायद इसलिए उल्टियां की हों. उल्टियां कर के अब मन हल्का हो गया होगा. सुबह हुई, तब मम्मी ने पाया कि मोरे अपने बैड पर बेसुध पड़ा है. उन्होंने पड़ोसियों से मदद मांगी और तुरंत अपनी बेटी को फोन किया और उसे कूपर अस्पताल ले गए. इमरजेंसी के डाक्टर ने जांच कर बताया कि मोरे ने कोई जहरीली चीज पी ली है, जो शरीर में काफी फैल चुकी है. फिर क्या था, घर में अफरातफरी का आलम बन गया. मोरे का गहन इलाज हुआ, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका.

मामला पुलिस में चला गया. वाकोला थाने की पुलिस आई. मोरे की डैडबौडी की जांच रिपोर्ट के आधार पर आत्महत्या का मामला बन गया. पुलिस तुरंत मोरे के सांताकु्रज स्थित घर गई. वह आत्महत्या की वजह पता लगाने में जुट गई. उन की निगाह उस सुसाइड नोट को ढूंढने में लग गई, जो अमूमन आत्महत्या करने वाला व्यक्ति लिखता है. मोरे के कमरे की गहन तलाशी ली गई. कमरे से 3 पन्ने का पत्र बरामद किया गया. पत्र 3 लोगों को संबोधित कर लिखा गया था. उस से स्पष्ट था कि 32 वर्षीय राजलीला मोरे ने जहर खा कर आत्महत्या की थी. इस पत्र से ही पुलिस को पता चला कि उस की आत्महत्या के पीछे का कारण क्या था? किन की वजह से उस ने यह कदम उठाया? असली जिम्मेदारों के नाम मोरे ने अपने पत्र में लिखे थे.

मोरे ने लिखा, ‘मैं आज आत्महत्या कर रहा हूं. मेरी आत्महत्या के लिए राहुल परवानी और मशहूर मौडल सबा कुरैशी जिम्मेदार हैं. इन्होंने मेरे साथ हेराफेरी की और मुझे महीनों तक ब्लैकमेल किया. इन्होंने मुझे मेरी बचत खत्म करने के लिए मजबूर किया और मेरे कंपनी अकाउंट से पैसे चुराए.’ उस ने अपनी मौत के लिए राहुल शेरू परवानी (26) और सबा इकबाल अहमद कुरैशी (22) को जिम्मेदार ठहराया था. साथ ही यह भी लिखा था कि उन लोगों ने समलैंगिकता का एक वीडियो दिखा कर राहुल परवानी ने 2 करोड़ 44 लाख 80 हजार और सबा कुरैशी ने 2 लाख 60 हजार रुपए वसूल लिए थे.

पत्र में मोरे के दर्ज इस तथ्य के आधार पर सांताकु्रज (ईस्ट) इलाके की वाकोला पुलिस ने दोनों के खिलाफ जबरन वसूली और आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला बीएनएस की धारा 108, 308(2), 308(3) और 3(5) के तहत दर्ज कर लिया.

कंपनी अकाउंट से क्यों निकाली मोटी रकम

पत्र के एक पन्ने पर मोरे ने अपनी मम्मी से माफीनामा लिखा था. जबकि राजलीला मोरे द्वारा लिखे गए पत्र के एक अन्य पन्ने पर उन की कंपनी के खाते से की गई हेरीफेरी का कुबूलनामा था. उन्होंने अपने औफिस के सहकर्मी दीपा लखानी को संबोधित करते हुए लिखा था, ‘आज मेरे पास माफी मांगने के लिए शब्द नहीं हैं, क्योंकि मैं ने आप का विश्वास तोड़ा है, लेकिन मेरा विश्वास करो कि यह आखिरी बार था. मेरा आप का विश्वास तोडऩे का कोई इरादा नहीं था. मैं ने जो भी धोखाधड़ी की, मैं ने खुद की. किसी को कुछ पता नहीं चला. मैं ने अकाउंट स्टेटमेंट (खाते) में हेराफेरी की. इस बात की जानकारी श्वेता और जयप्रकाश को बिलकुल भी नहीं थी कि क्या हो रहा है. कृपया उन के खिलाफ कोई काररवाई न करें.’

इस संबंध में जब पुलिस ने जांच की, तब पता चला कि आरोपियों को राजलीला के शेयर बाजार में भारी निवेश और सीए के तौर पर उस की मोटी तनख्वाह वाली नौकरी के बारे में पता था. उस के निजी वीडियो को लीक करने की धमकी दे कर उन्होंने राज को उस की कंपनी के खाते से बड़ी रकम अपने निजी खातों में ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया था. साथ ही उस ने राज से जबरन एक लग्जरी कार भी किस्तों पर खरीदवा ली थी, जिस की ईएमआई राज मोरे के नाम थी. पत्र में मोरे ने यह भी लिखा था कि उसे परिवार की बचत से पैसे निकालने और आरोपियों को भुगतान करने के लिए अपनी कंपनी के खाते से भी पैसे निकालने के लिए मजबूर किया गया था.

मोरे के पत्र की जानकारी के मुताबिक पुलिस कंपनी के खातों से ऐसी निकासी की जांच में जुट गई थी. इसी के साथ मोरे की मम्मी से भी गहन पूछताछ की गई. उन्होंने बताया कि जब से दोनों आरोपी 7 जून को उन के घर आए थे, उस के बाद से ही मोरे और अधिक परेशान हो गया था. उस रोज आए सबा कुरैशी और राहुल ने मोरे के साथ अपने संबंधों का खुलासा किया था और किसी वीडियो के औनलाइन पोस्ट करने की धमकी दी थी. वे पैसे ट्रांसफर करने का दबाव बना रहे थे. दोनों आरोपी द्वारा मोरे को बारबार धमकी देने के कारण पुलिस में जब शिकायत दर्ज कराई थी. उस के बाद ही वे उन के घर गए थे.

मम्मी ने पुलिस को बताया कि उन्होंने बड़ी मुश्किल से अपने बेटे का विश्वास जीता और उस से अपनी समस्या साझा करने को कहा. इस पर बेटे ने बताया कि कैसे वह सबा और राहुल की गिरफ्त में फंस गया. मोरे ने मम्मी को बताया था कि 2024 में सोशल मीडिया के इंस्टाग्राम के जरिए दोनों से दोस्ती हुई थी. उन की दोस्ती दिखावा थी. वे 18 महीने के दरम्यान राजलीला से पैसे ऐंठते रहे. पैसे अपने बैंक खाते से ट्रांसफर करने के लिए मजबूर करते रहे. इस पूरे मामले की जड़ में इंस्टाग्राम की सबा कुरैशी और राहुल हैं. उन की जानपहचान होने के बाद दोनों की नजर राज मोरे की मोटी सैलरी पर टिक गई थी. उस की पूरी कहानी इस प्रकार है—

जनवरी, 2024 का पहला सप्ताह था. राज मोरे शाम को थकाहारा औफिस से घर लौटा था. उस दिन वह कुछ ज्यादा ही मानसिक थकान महसूस कर रहा था. मन बहलाने के लिए अपने कमरे में बैठा चाय की चुस्कियों के साथसाथ मोबाइल पर रील्स स्क्रोल कर रहा था. बारबार एक ही रील पर उस की नजर टिक जाती थी. उस ने जब उस पर क्लिक किया, तब कई तसवीरें इंस्टाग्राम पर दिख गईं. वह एक मौडल की बेहद लुभावनी तसवीर थी, जिस की अदाएं किसी को भी पहली ही नजर में लुभाने के लिए काफी थीं. रील के साथ सुनाई देने वाला 60 के दशक का पुराना रोमांटिक गाना दिलोदिमाग को सुकून देने वाला था. वह उस मौडल की अदाओं पर काफी जम रहा था. गाने की पंक्तियों के साथ उस की चुहलबाजी काफी मैच कर रही थी.

मोरे उस की खूसबूरती पर फिदा हो गया था. उस के कुंवारेपन की आग मानो भड़क उठी हो. अनायास रील के नीचे इंस्टाग्राम के फालो पर उस की अंगुली चली गई. उस ने न केवल मौडल के रील को फालो किया, बल्कि उसे सब्सक्राइब भी कर लिया. उस के बाद तो जैसे ही मौडल की कोई नई रील अपलोड होती, उस के मोबाइल पर भी तुरंत दिख जाती. मोरे 2-3 दिनों के भीतर ही मौडल की रील का जबरदस्त फालोअर बन गया था. इसी बीच उस ने मौडल से फ्रेंडशिप की रिक्वेस्ट कर डाली और उस का मोबाइल नंबर भी हासिल कर लिया. वह उभरती मौडल कोई और नहीं, 21 साल की सबा इकबाल अहमद कुरैशी थी.

मौडल सबा कुरैशी के ग्लैमर में फंस गया मोरे

मौडल ने भी मोरे के प्रोफाइल को देख कर तुरंत फ्रेंडशिप एक्सेप्ट कर ली. बहुत जल्द ही दोनों डिजिटल चैटिंग और डेटिंग करने लगे. मौडल सबा ने महसूस किया था कि अमीर व्यक्ति मोरे की बदौलत उस की आगे की राह आसान हो जाएगी. वह ऐसे व्यक्ति की तलाश में थी, जो अच्छी नौकरी करता हो. पैसे वाला हो. हालांकि सबा का एक बौयफ्रेंड राहुल शेरू परवानी भी था. वह शेयर और सट्टे का खिलाड़ी था. जब उसे मालूम हुआ कि सबा ने जिस व्यक्ति से वर्चुअल फ्रेंडशिप की है, वह सीए है तो उसे इस का जरा भी मलाल नहीं हुआ. बल्कि उस ने भी उस की बदौलत अपने सपने बुनने शुरू कर दिए. दिमाग में कई बातें तैरने लगीं. जैसे सबा की फ्रेंड राज मोरे का सीए होना, उसे मुंबई की बड़ी कंपनी के अकाउंट विभाग में बड़े पद पर नौकरी करना, शेयर में पैसे लगाने में मददगार साबित होना आदि.

दूसरी तरफ राज मोरे सबा के ग्लैमर की गिरफ्त में आ चुका था. सबा ने मोरे को जैसे ही कहा कि वह मिलना चाहती है, उस ने यह आमंत्रण स्वीकार कर लिया. समय शनिवार के वीकेंड की संध्या का और मीटिंग का स्थान मुंबई का एक भव्य रेस्टोरेंट तय हो गया. मोरे सबा से मिलने गया. वहां उस के साथ युवक को बैठा देख कर वह चौंक गया. सबा ने युवक का परिचय करवाया और बताया कि वह उस के साथ शेयर का बिजनैस शुरू करना चाहती है. इस के लिए उस की भी मदद चाहिए. तीनों के बीच काफी समय तक बातें होती रहीं. कुछ देशदुनिया की, कुछ मन बहलाव के हंसीमजाक की तो कुछ बिजनैस और पैसा कमाने के तरीके की.

वह शाम उन के लिए काफी खूबसूरत गुजरी. उन्होंने शराब के कुछ पैग भी लगाए. राहुल ने अपनी मार्केटिंग की जानकारी से मोरे को प्रभावित कर दिया तो सबा ने अपनी सुंदरता और अदाओं से उस के दिल में जगह बना ली. राहुल और सबा ने मोरे को अपनीअपनी बातों से न केवल प्रभावित ही किया, बल्कि उसे अपने विश्वास में भी ले ले कर अपने बिजनैस की योजनाओं में शामिल कर लिया. राहुल ने अधिक तेजी से पैसा कमाने के लिए सट्टेबाजी में हाथ आजमाने के लिए कहा. मोरे को उस का प्रस्ताव पसंद आया और हामी भर दी. उस के बाद सबा और मोरे के बीच हर रोज लंबीलंबी बातें होने लगीं. मोरे उस के बुलावे पर एकांत जगहों पर जाने लगा. उस के साथ शराब का पैग लगाने लगा.

उस पर पैसे भी लुटाने लगा. मोरे की जिंदगी में रंगीनियां आ गई थीं. वह खुश रहने लगा. किंतु जल्द ही मोरे ने महसूस किया कि सबा और राहुल द्वारा पैसे की मांग को पूरा करना उस की मजबूरी बन चुकी है. उन के कहने पर उस ने सट्टे और शेयर में काफी पैसा इनवेस्ट कर दिया था. वह पैसा भी उस ने गलत तरीके से हासिल किया था. कुछ पैसे अपने निजी खाते और मम्मी के खाते से निकाले थे तो मोटी रकम उस ने कंपनी के खाते में हेराफेरी कर निकाली थी. उन के खाते से कई ईएमआई भी जाती थीं. जब भी वह उन खातों की स्टेटमेंट देखने लगता, उस का दिमाग भन्ना जाता. वह उसे मैनेज करने की कोशिश करता, लेकिन तनाव में आ जाता.

एक दफा मोरे तब काफी परेशान हो गया, जब राहुल और सबा ने पैसा ट्रांसफर नहीं किए जाने पर उसे धमकी दे डाली. हालांकि तब तक मोरे दोनों पर करीब 3 करोड़ रुपए लुटा चुका था. वह उन्हीं पैसों की भरपाई की चिंता में घुला जा रहा था. ऊपर से उस के अश्लील वीडियो को सोशल मीडिया पर अपलोड करने की धमकी से वह और भी विचलित हो गया. मोरे मानसिक पीड़ा से भर चुका था. वह खतरे के निशान को पार करने की स्थिति में तब आ गया, जब राहुल और सबा ने उस के साथ उस की मम्मी के सामने मारपीट की. वह आत्मग्लानि से भर चुका था.

मम्मी के द्वारा बारबार उस की परेशानी के पूछे जाने पर उस ने उन्हें आधीअधूरी बातें बताई थीं. अपनी तकलीफ की कुछ बातें मम्मी के साथ शेयर करने के बावजूद उस की मानसिक उलझन कम नहीं हुई. फिर उस ने आत्महत्या कर डाली. पुलिस जांच में आरोपी राहुल परवानी ने स्वीकार कर लिया कि वह मोरे से करोड़ों की उगाही कर चुका था. उस ने ही औनलाइन सट्टेबाजी, कालगल्र्स और लग्जरी होटलों पर खर्च कर मोरे को इस हाल में पहुंचाया था. उस ने बिना बताए मोरे का निजी वीडियो रिकौर्ड किया और इसे ब्लैकमेल में इस्तेमाल किया.

राहुल ने यह भी बताया कि उस ने मोरे की कार जबरन ले ली और उस की कंपनी के खातों से भारी धनराशि ट्रांसफर करने के लिए उसे मजबूर किया. इसी तरह से सबा कुरैशी का कुबूलनामा भी पुलिस ने रिकौर्ड किया. सबा ने राहुल के साथ मिल कर वीडियो बनाया और ब्लैकमेल को अंजाम दिया और मोरे से नियमित रूप से धन वसूला. पुलिस ने उन पर आरोप लगाया है कि दोनों ने मोरे की मम्मी पर हमला कर धमकाया, जिस से स्थिति और बिगड़ गई. पुलिस जांच की स्थिति कथा लिखे जाने तक पूरी नहीं हुई थी. कारण सबा और राहुल के मोबाइल का डेटा डिलीट हो चुका था.

पुलिस दोनों के मोबाइल फोनों में फोरैंसिक जांच के जरिए हटाए गए डेटा को दोबारा हासिल करने की कोशिश में लगी थी. इस तरह से राहुल शेरू परवानी और मौडल सबा इकबाल अहमद कुरैशी ने स्पष्ट रूप से माना कि उन्होंने मोरे के निजी वीडियो को हथियार बना कर 3 करोड़ से अधिक की उगाही की, लग्जरी कार हड़प ली और उस के परिवार विशेषकर मम्मी पर हमला कर उसे मानसिक रूप से टूटने पर मजबूर किया. Mumbai News

 

 

Crime Story in Hindi : डैड किल्स डौटर टेनिस प्लेयर राधिका यादव

Crime Story in Hindi : राधिका यादव एक उभरती हुई टेनिस प्लेयर थी. वह गुरुग्राम में एक टेनिस एकेडमी चलाने के साथ म्यूजिक अलबम में भी काम कर चुकी थी. दिनोंदिन उस की पहचान बढ़ती जा रही थी. इसी बीच ऐसा क्या हुआ कि उस के पिता ने खुद उसे गोलियों से भून डाला?

राजधानी दिल्ली के एनसीआर गुरुग्राम सेक्टर 57 में स्थित सुशांत लोक एक पौश कालोनी है. इस के एक 3 मंजिला मकान को हर कोई जानता था. उस मकान में दीपक यादव अपने परिवार के साथ रहते थे. दीपक और मकान को लोग उन की 25 वर्षीया बेटी राधिका यादव की वजह से जानतेपहचानते थे. इस मकान में दीपक अपनी पत्नी, बेटे और बेटी राधिका के साथ रहते थे. साथ ही ग्राउंड फ्लोर पर उन के छोटे भाई कुलदीप यादव अपने परिवार समेत रहते थे.

राधिका हरियाणा की राज्य स्तरीय टेनिस खिलाड़ी रह चुकी है. उस ने कई टूर्नामेंट जीते थे. इस के अलावा वह पिछले एक साल से गुरुग्राम के ही सेक्टर 56 में एक टेनिस एकेडमी चला रही रही थी. इलाके के बच्चे वहां उस से टेनिस सीखने आते थे, किंतु 10 जुलाई, 2025 की सुबह बच्चे एकेडमी में नहीं आए. उन्हें राधिका ने सुबह में ही आने से मना कर दिया था. कारण, उसे ग्राउंड कोऔर्डिनेटर ने मैसेज कर बता दिया था कि बारिश की वजह से सुबह ग्राउंड खेलने के लिए नहीं मिल पाएगा.

उस ने बड़ी मुश्किल से बच्चों को समझाया था कि वे आज एकेडमी नहीं आएं. इस पर कुछ अभिभावकों ने राधिका से शिकायत भी की थी कि ऐसे तो बच्चों की प्रैक्टिस छूट जाएगी. उन से राधिका ने सौरी बोल कर पीछा तो छुड़ा लिया था, लेकिन उस के बाद से ही उस का मन और ज्यादा खिन्न हो गया था. सुबह के करीब 10 बज चुके थे. राधिका किचन में अपने लिए एनर्जी ड्रिंक बना रही थी. उस की मम्मी मीनू यादव दूसरे कमरे में लेटी थीं. उन्हें बीती रात से ही हलकाहलका बुखार था. उस रोज उन का जन्मदिन भी था. राधिका मम्मी के लिए उन की पसंद का कुछ स्पैशल खाना बनाना चाहती थी. मम्मी की सेहत को ध्यान में रख कर उस ने स्पैशल आइटम बनाने की तैयारी भी करनी थी.

उस के पापा दीपक यादव ड्राइंग रूम में बैठेबैठे बड़बड़ा रहे थे. वह थोड़ी देर पहले मार्निंग वाक कर लौटे थे. काफी तनाव में थे. सोफे पर कभी पैर पसार कर बैठते तो कभी उठ कर हाल में ही चहलकदमी करने लगते. वह जो कुछ बोल रहे थे, हाल से लगी रसोई में राधिका को भी सुनाई दे रहा था. अधिकतर बातें उस के बारे में ही कह रहे थे. वो भी सभी जलीभुनी, दिल को छेद करने वाली, मन को कचोटती हुई थीं. उन्होंने शिकायतें और घरपरिवार की मानमर्यादा, समाजसंस्कार की बातों का मानो पुलिंदा ही खोल दिया था.

जब ये बातें राधिका के कानों में पड़ीं तो वह तिलमिला उठी. उस के हाथ से चम्मच छूट कर फर्श पर जा गिरी. उसे उठाने लगी तो दूसरा बरतन गिर पड़ा…

”पापा! अब चुप भी हो जाओ. बंद करो अपनी बकवास!’’ राधिका तीखे लहजे में बोली और मिक्सी का बटन दबा दिया. घर्र… कर मिक्सी चल पड़ी.

”मैं बकवास कर रहा हूं…मुझे तो रोक लोगी, लेकिन उन को कैसे रोकोगी, जो मैं सुन कर आया हूं.’’

”तुम सब की बातों पर ध्यान ही क्यों देते हो?’’ वह बोली.

”क्यों न ध्यान दूं. तू कौन मेरी बात पर ध्यान दे रही है…कब से कह रहा हूं एकेडमी बंद कर दे, लोग मुझे ताने मारते हैं. कहते हैं कि बेटी की कमाई खा रहा है…’’ दीपक बोलते चले जा रहे थे. बीचबीच में राधिका बोलने लगी थी.

”तो क्या करूं? म्यूजिक एलबम बनाऊं…उस पर भी आपत्ति है. शक करते हो. रील बनाने की सोचती हूं, वह भी पसंद नहीं. …और अब कह रहे हो एकेडमी बंद कर दूं…’’

”मैं सही कह रहा हूं. जो लोग कह रहे हैं, मुझे ताने दे रहे हैं, वही कह रहा हूं. तुम्हारे म्यूजिक वीडियो को ले कर मुझे काफी सुनने को मिल रहा है.’’ दीपक ने कहा.

”मैं किसी की परवाह नहीं करती. दुनिया कुछ भी कहे…मैं अपने मन की ही करूंगी.’’

”मैं अब और नहीं झेल सकता लोगों की तीखी बातें.’’

”नहीं झेल सकते तो चुप हो जाओ. मुझे काम करने दो.’’ राधिका ने एक तरह से अपने पापा को डपट दिया था और बंद मिक्सी को फिर से चला दिया. अचानक गूंज उठी मिक्सी की आवाज और राधिका की बहस से दीपक तिलमिला गए थे. उन्होंने महसूस कि राधिका पर उन की बातों का कोई असर नहीं हुआ. गुस्से से पैर कांपने लगे थे. वह तेजी से अपने कमरे में गए. अगले पल ड्राइंगरूम में पहुंचे और तब उन के हाथ में लाइसेंसी रिवौल्वर थी. गुस्से से कांपते हुए हाथों से दीपक ने गोली दागनी शुरू कर दी. निशाने पर राधिका थी. एक गोली चूक गई. दीपक ने दनादन 4 गोलियां चला दीं.  गोलियां लगते ही वह फर्श पर गिर गई. लगातार गोलियां चलने की आवाज पूरे मकान और आसपास गूंज गई.

नीचे ग्राउंड फ्लोर पर उन के छोटे भाई कुलदीप यादव ने भी गोलियां चलने की आवाज सुनी. वह दौड़ेदौड़े दीपक के घर के मेन गेट पर आए. संयोग से दरवाजा खुला था. उन के साथ उन का बेटा भी आया था. उन्होंने देखा, ड्राइंग रूम में दीपक सोफे पर पसर कर बैठे थे, रिवौल्वर बगल में रखा था. सामने किचन में राधिका खून से लथपथ फर्श पर गिरी पड़ी थी. कुलदीप तुरंत बेटे के साथ जख्मी राधिका को कार से सेक्टर 56 स्थित एशिया मारिंगो अस्पताल ले गए, जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

इस वारदात की सूचना गुरुग्राम थाने की पुलिस को हो गई. एसएचओ विनोद कुमार मौके पर पहुंच गए. शुरुआती जांच में मृतका राधिका की पहचान 25 वर्षीय टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव के रूप में हुई. वह राज्य स्तरीय कई टूर्नामेंट में मेडल जीत कर राष्ट्रीय स्तर की टेनिस खिलाड़ी बन चुकी थी.  यह वारदात गुरुग्राम की पौश सोसायटी सुशांत लोक फेस-2 के फ्लैट नंबर ई-157 में हुई थी. पुलिस जांच में पाया गया कि उसे गोली उस के पापा दीपक यादव ने ही मारी है. घटनास्थल पर दीपक यादव मौजूद थे. पुलिस ने उन की 0.32 बोर की रिवौल्वर को तुरंत जब्त कर दीपक को हिरासत में ले लिया.

पूछताछ में पता चला कि हत्या परिवार में महीनों से चल रहे तनाव के बाद हुई. इस के कारणों में उन की आर्थिक आजादी, इंस्टाग्राम रील्स, कारवां नाम का एक म्यूजिक वीडियो और टेनिस एकेडमी की भूमिका सामने आई. 49 वर्षीय दीपक यादव बैंक में क्लर्क की नौकरी करते थे. नौकरी से वीआरएस ले कर वजीराबाद गांव में अपनी जमीनजायदाद की देखभाल के काम में लग गए थे. उन की आमदनी किराए के रूप में होती थी. उन की आमदनी के बारे में बताते हैं कि वह महीने की 15 लाख रुपए से अधिक की थी.

वह अपनी बेटी के बढ़ते कद और आजादी को ले कर पिछले 2 हफ्तों से नाराज चल रहे थे. खासकर सेक्टर 57 में अपनी टेनिस एकेडमी खोलने के बाद वह बेटी के व्यवहार मे आए बदलाव पर अकसर आक्रामक हो जाते थे. पुलिस को शुरुआती पूछताछ में ही हत्या की बात कुबूलते हुए दीपक ने बताया कि उन्हें गांव वाले बारबार अपनी बेटी की कमाई पर निर्भर रहने के लिए ताना मारते थे. उन्होंने कई बार राधिका से अपनी टेनिस एकेडमी बंद करने का आग्रह किया था. इस कारण बापबेटी के बीच अकसर टकराव हो जाता था. वे इस पर घंटों बहस करते रहते थे. बड़ी मुश्किल से राधिका की मम्मी बीचबचाव कर बहस को बंद करवाती थी. राधिका के एक म्यूजिक वीडियो के चर्चा में आने पर घर में तनाव और बढ़ गया था.

इस वीडियो में मुंबई के कलाकार इनाम का ‘कारवां’ नामक एक गाना है, जिसे जीशान अहमद ने प्रोड्यूस किया है. इसे एक साल पहले एलएलएफ रिकौड्र्स लेवल के तहत रिलीज किया गया था. हालांकि इस का ठीक से प्रमोशन नहीं हो पाया था. वीडियो में कई दृश्यों में राधिका इनाम के साथ नजर आती है. पिछले दिनों राधिका ने इसे अपने सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया था. यह भी कहा जाता है कि दीपक ने वीडियो पर आपत्ति जताई थी और उसे अपने सोशल मीडिया अकाउंट से इसे हटाने के लिए कहा था.

पुलिस का कहना है कि दीपक ने अपने गांव में अपनी बेटी की कमाई पर निर्भर रहने के बारे में टिप्पणी मिलने के बाद और भी आक्रामक तरीके से विरोध करना शुरू कर दिया था. उन्होंने पुलिस को बताया कि वह शर्मिंदा महसूस करता था और उस की बातों से ऐसा लगता था कि वह अपनी बेटी की कामयाबी पर जीता है. जब वह वजीराबाद गांव में दूध लेने जाते थे तो लोग उन्हें ताना मारते थे और कहते थे कि यह अपनी बेटी की कमाई पर जीता है.

इस तरह लोगों के तानों से उन्हें बहुत परेशानी होती थी और वह मानसिक तनाव में आ जाते थे. कुछ लोगों ने उन की बेटी के चरित्र पर भी सवाल उठाए थे. उन का यहां तक कहना था कि वह गैर जाति और गैरधर्म के लड़के के साथ फरार हो सकती है. इसी पर उन्होंने राधिका से कहा था कि वह अपनी टेनिस एकेडमी बंद कर दे, लेकिन उस ने साफसाफ मना कर दिया था. राधिका को पिछले दिनों एक मैच के दौरान कंधे में चोट लग गई थी, जिस के कारण उसे अपना खेल रोकना पड़ा था. हालांकि वह टेनिस से पूरी तरह दूर नहीं होना चाहती थी. इस कारण उस ने बच्चों को कोचिंग देने का काम चुना था.

दीपक ने यह भी कुबूल कर लिया कि 10 जुलाई, 2025 की सुबह उन्होंने अपनी लाइसेंसी 0.32 बोर की रिवौल्वर निकाली और बेटी राधिका को नाश्ता बनाते समय पीछे से गोली मार दी. 4 राउंड फायर किए गए, जिन में से 3 गोलियां उसे लगीं. इस मामले की रिपोर्ट राधिका के छोटे भाई और राधिका के चाचा कुलदीप यादव ने दर्ज कराई. कुलदीप ने रिपोर्ट में लिखवाया कि राधिका एक प्रसिद्ध टेनिस खिलाड़ी थी. उस ने कई ट्राफी जीती थीं. उस की मौत से सभी स्तब्ध हैं. उन्होंने बताया कि जब मैं पहली मंजिल पर गया तो वहां सिर्फ मेरा भाई दीपक, भाभी मंजू यादव और राधिका ही मौजूद थे.

कुलदीप की तहरीर पर पुलिस ने दीपक के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 103 (1) और शस्त्र अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया. गुरुग्राम पुलिस प्रवक्ता संदीप कुमार ने यह भी बताया कि हत्या में इस्तेमाल हथियार को जब्त कर लिया गया है और फोरैंसिक और बैलिस्टिक विश्लेषण के लिए भेज दिया गया है. दीपक यादव को मुख्य आरोपी बनाया गया था. उन की पत्नी मंजू यादव गोलीबारी के समय घर में मौजूद थीं, लेकिन उन्होंने लिखित बयान देने से इनकार कर दिया. उन का कहना था कि उन्हें बुखार था और वह कमरे में थीं. उन का बेटा धीरज घटना के समय घर पर नहीं था.

जब यह घटना हुई, तब वह अपने कमरे में आराम कर रही थीं और कहा कि उन्हें ‘प्रेशर कुकर फटने’ जैसी आवाज सुनाई दी थी, तब वह कमरे से बाहर निकली थीं. उन्होंने यह भी कहा कि राधिका का चरित्र अच्छा था और उस ने कभी परिवार को बदनाम नहीं किया. राधिका यादव एक पेशेवर टेनिस खिलाड़ी थी, जिस ने न सिर्फ राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान बनाई थी. इंटरनैशनल टेनिस फेडरेशन और वीमेंस टेनिस एसोसिएशन के कई टूर्नामेंट्स में उस ने भाग लिया था. जून 2024 में ट्यूनीशिया में आयोजित डब्लू 15 टूर्नामेंट में भी उतरी थी.

इस के अलावा उस का मुकाबला ताइवान, श्रीलंका और यूक्रेन की खिलाडिय़ों से भी हो चुका है. उस की आईटीएफ रैंकिंग 1600 के करीब रही थी, जो किसी भी उभरती भारतीय खिलाड़ी के लिए उपलब्धि मानी जाती है. राधिका केवल खिलाड़ी ही नहीं, एक कोच भी थी. उस ने गुरुग्राम में एक निजी टेनिस एकेडमी शुरू की थी, जहां वह दरजनों बच्चों को प्रशिक्षित कर रही थी. पुलिस ने राधिका की हत्या के आरोपी उस के पिता से पूछताछ करने के बाद उसे कोर्ट में पेश के जेल भेज दिया.

कथा लिखने तक पुलिस मामले की जांच कर रही थी. पुलिस राधिका के आईफोन को भी खंगाल रही है. शायद उस में कोई राज छिपा मिले. Crime Story in Hindi

 

Gujarat News : यूट्यूबर बन गई ब्लैकमेलर

Gujarat News : गुजरात की युवा यूट्यूबर कीर्ति पटेल ने अपनी मेहनत से सोशल मीडिया पर अलग पहचान बनाई थी. उस के 13 लाख से अधिक फालोअर्स हो गए थे. इसी दौरान उस के खिलाफ थाने में किडनैपिंग, धमकी देने, ब्लैकमेलिंग आदि के कई केस दर्ज हुए. एक उभरती यूट्यूबर आखिर कैसे बनी ब्लैकमेलर? जानने के लिए पढ़ें यह खास कहानी…

पढ़ाई पूरी होने के बाद कीर्ति पटेल ने फैशन डिजाइनर का कोर्स किया और फिर कुछ सालों तक फैशन डिजाइनिंग का काम भी किया. उस के बाद वह कौमेडी वीडियो बना कर यूट्यूब और टिकटौक पर डालने लगी. इस में उसे काफी लोकप्रियता मिली. धीरेधीरे उस की लोकप्रियता बढ़ती ही गई. टिकटौक पर वायरल होने के बाद कीर्ति सोशल मीडिया में इंफ्लुएंसर बन गई.

इस समय उस के फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब सहित सोशल मीडिया पर कुल मिला कर करीब 13 लाख फालोअर्स हैं. सोशल मीडिया पर इस तरह सफलता मिलने के बाद कीर्ति खुद को सेलिब्रिटी समझने लगी थी. कीर्ति पटेल मूलरूप से गुजरात के जिला सुरेंद्रनगर के वाघेला गांव की रहने वाली थी, लेकिन फिलहाल वह सूरत के परवत पाटिया इलाके के कुशल दर्शन वाटिका अपार्टमेंट में परिवार के साथ रहती थी. उस के परिवार में मम्मीपापा के अलावा एक भाई और 4 बहनें हैं. वह सब से छोटी है. पिता पहले हीरा के व्यवसाय से जुड़े थे, लेकिन अभी कुछ नहीं करते हैं.

सोशल मीडिया के लिए वीडियो बनातेबनाते कीर्ति कुछ ही समय में विवादों से घिरती चली गई. दूसरी ओर ट्रोलर्स उसे ट्रोल करने का मौका बिलकुल नहीं छोड़ते थे. उस ने हाथी और घोड़े को ले कर वीडियो बनाए थे, जिसे ले कर काफी विवाद पैदा हुआ था. इस के बाद अहमदाबाद में मारपीट को ले कर उस के खिलाफ शिकायत दर्ज हुई. फिर तो गुजरात के अलगअलग शहरों में उस के खिलाफ शिकायतें दर्ज हुईं और वह लगातार विवादों में रहने लगी. विवादों में रहने के लिए या फिर यह कह लीजिए कि फेमस होने के लिए कीर्ति लाइव हो कर जानेमाने लोगों पर तरहतरह के झूठे आरोप लगा कर सनसनी फैलाने लगी और उन पर अभद्र टिप्पणियां करने लगी.

कुछ दिनों पहले कीर्ति ने गुजरात के राजपूत आंदोलन से ख्याति पाने वाली पद्मिनी बा की तरह कपड़े पहन वीडियो डाल कर सभी को चौंका दिया था. भारी विवाद में कीर्ति तब आई, जब पिछले साल 2 जून, 2024 को सूरत के थाना कापोदरा में कीर्ति और 7 लोगों के खिलाफ एक बिल्डर वजु कात्रोडिया ने 2 करोड़ रुपए रंगदारी मांगने, सोशल मीडिया पर उसे बदनाम करने तथा बेटियों के साथ बलात्कार करने और जान से मारने की धमकी देने का वीडियो डालने की रिपोर्ट लिखाई थी.

दरअसल, विजय मनजी सावनी नामक व्यक्ति ने साल 2015-16 में बिल्डर वजु कात्रोडिया के उमरा-वेलंजा के प्रोजेक्ट में एक मकान खरीदा था. जिस के लिए विजय सावनी ने वजु कात्रोडिया को 5 लाख रुपए दिए थे, लेकिन बाद में न जाने क्या हुआ कि विजय ने अपनी बुकिंग कैंसिल करा कर बिल्डर से 7 लाख रुपए वापस मांगे. कोरोना के कारण बिल्डर वजु कात्रोडिया रुपए नहीं दे पाया तो विजय सावनी ने सोशल मीडिया में उसे बदनाम कर के 30 लाख रुपए की रंगदारी मांगते हुए वजु के खिलाफ कामरेज और सरथाणा में मामला दर्ज कराया. इस के अलावा कोर्ट में भी दावा किया.

कोर्ट में मामला जाते ही विजय सावनी का पक्ष ले कर कीर्ति पटेल भी इस मामले में कूद पड़ी. पहले तो उस ने सोशल मीडिया पर बिल्डर वजु कात्रोडिया और उस की पत्नी तथा बेटी को बदनाम किया. उस के बाद जाकिर पठान को भेज कर वजु कात्रोडिया को कोसमाडी के सिल्वर फार्महाउस में विवाद सुलझाने के नाम पर बुलवाया. जाकिर पठान वजु को ले कर फार्महाउस पर पहुंचा तो जानवी उर्फ मनीषा गोस्वामी वहां पहले से ही मौजूद थी. इस के बाद वजु कात्रोडिया को कोल्डड्रिंक पिलाई गई, जिस में नशीला पदार्थ मिला था.

वजु नशे में हो गया तो योजनानुसार कीर्ति ने जानवी उर्फ मनीषा गोस्वामी के साथ उस के अश्लील फोटो खींच लिए. इस के बाद ये अश्लील फोटो सोशल मीडिया पर डाल कर बदनाम करने की बिल्डर वजु कात्रोडिया को धमकी दे कर 2 करोड़ रुपए मांगे. वजु ने रुपए नहीं दिए तो उस ने वजु के फोटो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिए. यही नहीं, वजु कात्रोडिया की पत्नी और बेटी की फोटो के साथ अश्लील कहानियां लिख कर भी सोशल मीडिया पर डालीं. इस के अलावा वजु की बेटियों के साथ बलात्कार की भी धमकी देने के साथ उन्हें झूठे मामलों में फंसाने के लिए भी कहा.

कीर्ति पटेल ने वजु कात्रोडिया और जानवी के साथ रील बना कर सोशल मीडिया पर डालीं, जिस में वजु को गंदीगंदी गालियां देते हुए 2 करोड़ रुपए मांग रही थी. रुपए न देने पर जान से मारने की धमकी दे रही थी.

बिल्डर वजु के पीछे क्यों पड़ी कीर्ति पटेल

तब वजु कात्रोडिया ने सूरत के थाना  कापोदरा में कीर्ति पटेल, विजय सावनी, जाकिर पठान और जानवी सहित कुल 7 लोगों के खिलाफ मानसिक रूप से परेशान करने, जान से मारने की धमकी तथा 2 करोड़ रुपए रंगदारी मांगने का केस दर्ज करा दिया था. मामला दर्ज कर थाना कापोदरा पुलिस ने जांच शुरू की. पुलिस ने नामजद अभियुक्तों में से 4 लोगों को उसी समय गिरफ्तार कर लिया था. बाकी 2 लोग भी गिरफ्तार कर लिए गए. पर कीर्ति पटेल को पुलिस नहीं पकड़ सकी. वह फरार हो चुकी थी. पुलिस उस के पीछे पड़ी थी, क्योंकि वह धमकी भरी रील बना कर लगातार सोशल मीडिया पर डाल रही थी.

पुलिस से बचने के लिए कीर्ति अपने फोन का आईपी एड्रेस चेंज करती रहती थी. वह अपनी लोकेशन बदलने के साथसाथ फोन नंबर भी बदलती रहती थी, लेकिन वह इंस्टाग्राम पर अधिक सक्रिय रहती थी. काफी समय तक जब पुलिस उसे पकड़ नहीं सकी तो कोर्ट से उस के खिलाफ वारंट जारी हो गया. पुलिस कीर्ति के पीछे तो पड़ी ही थी, क्योंकि वह चुप नहीं बैठी थी. वह लगातार सोशल मीडिया पर रील डाल रही थी, जो एक तरह से पुलिस को चुनौती थी. उस ने प्रयागराज जा कर वहां से भी वीडियो डाले थे. अपने जन्मदिन पर भी उस ने अपने चाहने वालों के लिए वीडियो डाले थे.

पुलिस कीर्ति को हर हालत में गिरफ्तार करना चाहती थी. डीसीपी आलोक कुमार उसे गिरफ्तार करने के लिए मुखबिरों की भी मदद ले रहे थे और तकनीक का भी. आखिर 10 महीने लगातार प्रयास के बाद वह उसे पकडऩे में सफल रहे. 17 जून, 2025 को कीर्ति की लोकेशन अहमदाबाद शहर के सरखेज इलाके की मिली. इस के बाद कापोदरा पुलिस ने थाना सरखेज पुलिस की मदद से कीर्ति को गिरफ्तार कर लिया. अगले दिन यानी 18 जून, 2025 को उसे सूरत ला कर अदालत में पेश कर के पूछताछ के लिए 3 दिन का रिमांड मांगा गया. पर अदालत ने कीर्ति को रिमांड पर भेजने के बजाय ज्यूडिशियल कस्टडी में लाजोपर जेल भेज दिया.

कीर्ति पटेल के जेल भेजे जाने के बाद पुलिस ने अपील की कि अगर कीर्ति पटेल से किसी को किसी भी तरह की शिकायत है तो वह पुलिस थाने जा कर उस के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकता है. पुलिस उस मामले की जांच कर के उसे न्याय दिलाएगी. इस के बाद अहमदाबाद के वस्त्रापुर की रहने वाली संध्या पटेल (बदला हुआ नाम) ने शिकायत दर्ज कराई कि कीर्ति पटेल ने अपने दोस्त भरत भरवाड़ के साथ मिल कर उस के फोटो पर छेड़छाड़ कर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिए थे.

दरअसल, संध्या सूरत के रहने वाले अपने किसी रिश्तेदार के यहां शादी में गई थी. उस की वह रिश्तेदार कीर्ति की दोस्त थी. इसलिए कीर्ति भी शादी में आई थी. वहीं वह उस के संपर्क में आई. इस के बाद कीर्ति जेल चली गई. 2 महीने तक जेल में रहने के बाद कीर्ति बाहर आई तो उस ने संध्या से संपर्क किया. वह संध्या से कहती थी कि उस का कोई नहीं है. लोग उसे परेशान करते हैं. कीर्ति संध्या से इसी तरह की इमोशनल बातें करती थी. संध्या को लगा कि कीर्ति सचमुच बहुत परेशान है. इस की वजह यह थी कि संध्या को कीर्ति की असलियत पता नहीं थी. वह सोशल मीडिया का उपयोग भी नहीं करती थी. इसलिए उस के बारे में उसे कुछ पता नहीं था.

लगभग 2 साल दोनों का संबंध इसी तरह बना रहा. फिर संध्या दुबई चली गई. कीर्ति भी संध्या से दुबई जाने की बात करने लगी. जिस के लिए वह संध्या से कहती थी कि अभी उस के पास पैसे नहीं हैं. बाद में वह उस के पैसे दे देगी. धीरेधीरे संध्या को लगने लगा कि कीर्ति उसे जाल में फंसा रही है. तब वह उसे अवाइड करने लगी, जिस से कीर्ति नाराज हो गई और संध्या को बदनाम करने का षडयंत्र रचने लगी. संध्या का कहना है कि वह ऐसी महिला है, जिस ने किसी को नहीं छोड़ा. गृहिणी से ले कर अच्छे घरों के लड़केलड़कियों को, किसी को भी किसी के साथ जोड़ देती है. वह कुछ भी कर सकती है.

संध्या का कहना था कि वह सच थी, इसलिए उस पर कोई फर्क नहीं पड़ा. पर कीर्ति किसी को भी किसी तरह से बदनाम करने में सक्षम है. उस की बड़े और पहुंच वाले लोगों से संबंध हैं. इसलिए वह किसी को भी धमका देती है, सोशल मीडिया पर अभद्र भाषा वाले वीडियो डाल कर अपमानित करती है. मामला दर्ज कराने पर पहुंच वाले लोगों की बदौलत छूट जाती है. उस ने संध्या के साथ भी वही सब किया. उसे बदनाम करने वाले फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर डाले. तब परेशान हो कर संध्या ने थाना वस्त्रापुर में कीर्ति के खिलाफ मामला दर्ज कराया.

इस के पहले वर्षा पांचाल ने कीर्ति तथा उस के साथी भरत भरवाड़ के खिलाफ मारपीट, गंदी बातें लिख कर सोशल मीडिया पर वायरल करने तथा जान से मारने की धमकी का मामला पहले सूरत, फिर सेटेलाइट, उस के बाद थाना वस्त्रापुर में दर्ज कराया है. पुलिस ने अब इन दोनों मामलों को भी अपनी जांच में शामिल कर लिया है. कीर्ति का खजूरभाई उर्फ नितिन जानी यूट्यूबर से भी झंझट हो चुका है. इस मामले में दिनेश सोलंकी ने अपने चैनल पर खजूरभाई के फेवर और कीर्ति के विरोध में आपत्तिजनक वीडियो पोस्ट किए थे. इन्हीं वीडियो को ले कर यूट्यूबर रौयल राजा उर्फ दिनेश सोलंकी चर्चा में आया था.

उस के बाद 22 फरवरी, 2025 की देर रात गुंदाड़ा गांव से रौयल राजा उर्फ दिनेश सोलंकी का किडनैप हो गया था. पीडि़त दिनेश सोलंकी के अनुसार घंटिया गांव के फाटक के पास 3 कारों से करीब 10 लोग आए और उस का किडनैप कर लिया. अपहरण कर के उसे गुड़ बनाने वाले कारखाने में ले गए, जहां उस के सारे कपड़े उतार कर उलटा लिटा कर उसे बहुत मारा.

जब उस की पिटाई की जा रही थी, तभी कीर्ति पटेल ने वीडियो काल की थी. वीडियो काल पर ही उस ने कहा था कि रौयल राजा की मूंछें और बाल अच्छे नहीं लगते. इन्हें काट दो. कीर्ति पटेल के कहने के बाद किडनैपर्स ने उस के बाल और मूंछें काट दी थीं. दिनेश के अनुसार, उस ने यूट्यूब पर खजूरभाई उर्फ नितिन जानी के पक्ष में एक पोस्ट की थी. उस के बाद आरोपी मीत, अर्जुन काना और सिद्धराज से इस बात को ले कर विवाद हुआ था. जिस के बाद इस विवाद को ले कर उस ने थाना तलाला में मामला भी दर्ज कराया था.

किडनैप के इस मामले में दिनेश ने थाना सुत्रापाड़ा में अर्जुन परबत सोलंकी, मीत कानाभाई राम, सिद्धराज चुडासमा सहित 8 लोगों के खिलाफ अपहरण, मारपीट शांति भंग करने की धाराओं के अंतर्गत मामला दर्ज कराया था. पुलिस ने 2 आरोपियों को गिरफ्तार भी किया था. बाकी की तलाश चल रही है. दिनेश सोलंकी गीर सोमनाथ जिले में खासकर सुत्रापाड़ा और तवाला इलाके में कौमेडी वीडियो के लिए फेमस है. वह ‘रौयल राजा 32Ó के रूप में यूट्यूब चैनल चलाता है. ज्यादातर वह कौमेडी वीडियो बनाता है. उस के इस समय 1 लाख 62 हजार सबक्राइबर हैं और अब तक उस ने 267 वीडियो पोस्ट किए हैं.

पुलिस की अपील पर ही परवत पाटिया इलाके के मूलरूप से मेहसाणा के रहने वाले कीर्तिभाई और मंजुलाबेन पटेल ने कीर्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया कि उस ने जबरन उन का फ्लैट हथिया लिया है. उन्होंने साल 2016 में कुशल दर्शन वाटिका सोसायटी में 203 नंबर का फ्लैट खरीदा था, जिस की कीमत आज 20 लाख रुपए से अधिक है. इस की किस्तें वे आज भी भर रहे हैं. साल 2019 में कीर्ति ने वह फ्लैट किराए पर लिया था. फ्लैट का किराया साढ़े 9 हजार रुपए है. डिपौजिट के रूप में 30 हजार रुपए जमा कराए थे. हालांकि सोशल मीडिया पर प्रसिद्धि पाने के बाद कीर्ति ने किराया देने से इनकार कर दिया. तब कीर्तिभाई ने उस से फ्लैट खाली करने के लिए कहा था.

शुरू में तो वह कोरोना का बहाना करती रही. लेकिन बाद में फ्लैट खाली करने से भी इनकार कर दिया. उन का आरोप है कि उस ने अनुचित व्यवहार किया, धमकियां दीं और बिल्डिंग के अन्य निवासियों का जीना हराम कर दिया. फिर जब भी कीर्तिभाई कीर्ति पटेल से फ्लैट खाली करने को कहते, वह अभद्र भाषा का प्रयोग कर के उन्हें अपमानित करने लगी थी. तब कीर्तिभाई ने साल 2022 में थाना पुणा में कीर्ति के खिलाफ मामला दर्ज कराया था. लेकिन उस में कुछ हुआ नहीं. कीर्ति आज भी उस फ्लैट पर कब्जा जमाए है. वह किराया भी नहीं दे रही है. दूसरी ओर कीर्ति की बहनों का कहना है कि उन्होंने यह फ्लैट खरीदा है, इसलिए यह उन का है.

कीर्ति के खिलाफ अब तक लोगों से मारपीट करने, धमकाने, बदनाम करने, अपहरण करने और रंगदारी मांगने के करीब 10 मामले दर्ज हो चुके हैं. इस के पहले भी वह एक बार अहमदाबाद में गिरफ्तार की गई थी, जिस में 2 महीने बाद छूट कर बाहर आई थी. पिछले साल अहमदाबाद के सरखेज स्थित भारती आश्रम के विवाद में भी कीर्ति का नाम आया था. हरिहरानंद ने जैसे ही आश्रम की कमान संभाली थी, अपने दोनों शिष्यों को पद से हटा दिया था. इस के बाद कीर्ति ने आश्रम जा कर ऋषिभारती के कमरे में घुस कर उन के व्यक्तिगत सामान की तलाशी लेते हुए वीडियो बनाई थी, जिसे ले कर काफी विवाद हुआ था.

बिल्डर वजु कात्रोडिया से 2 करोड़ की रंगदारी मांगने के आरोप में पुलिस ने कीर्ति को 10 महीने की कोशिश के बाद पकड़ा था. पुलिस जब उसे गिरफ्तार कर के लौट रही थी तो उस के चेहरे पर जरा सी शिकन नहीं थी. पुलिस द्वारा पकड़े जाने के बाद भी उस के तेवर कम नहीं हुए थे. खिलखिला कर हंसते हुए वह कह रही थी कि टकाटक वीडियो बनाइए और पूरे गुजरात में फैलाइए. फिलहाल तो वह सूरत की लाजपोर जेल में बंद है. Gujarat News

 

 

 Facebook पर रिक्वेस्ट भेज पाकिस्तानी जासूस लड़कियां भारत के अधिकारियों को फंसाती

फेसबुक  (Facebook) और वाट्सऐप सोशल मीडिया के ऐसे आसान और सर्वसुलभ साधन हैं, जो परिचितों, मित्रों से निरंतर संपर्क बनाए रखने का जरिया तो हैं ही, लेकिन अब इन माध्यमों का उपयोग जासूसी के लिए भी होने लगा है. उत्तर प्रदेश एटीएस ने ऐसे ही मामले का भंडाफोड़ किया…   

दे के लिए रक्षा उपकरण बनाने वाली कंपनी में काम करने वाले विकास को इस बात का पता तक नहीं था कि वह एक विदेशी युवती के चक्कर में फंस कर हनीट्रैप का शिकार हो रहा है. सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाले तमाम भारतीयों की तरह विकास भी खाली समय में फेसबुक पर एक्टिव हो जाता था. एक दिन फेसबुक पर उसे एक पाकिस्तानी युवती सना और एक कश्मीरी युवती की फ्रैंड रिक्वेस्ट मिली. अधिकांश युवक लड़कियों से दोस्ती करना पसंद करते हैं. विकास को भी लड़कियों से दोस्ती करना अच्छा लगता था, इसलिए उस ने दोनों की फ्रैंड रिक्वेस्ट स्वीकार कर ली.

उन युवतियों के विकास के अलावा भारत में अन्य दोस्त भी थे. दोनों लड़कियां अपने उन दोस्तों के बारे में भी विकास से बातें किया करती थीं. धीरेधीरे उन के बीच आपस में निजी बातें होने लगीं. दोस्ती, लाइफस्टाइल और एकदूसरे की हौबीज से शुरू हुई बातचीत में कभीकभी काम के बारे में ज्यादा बात हो जाती थी. विदेशी युवतियां बातचीत में इतनी माहिर थीं कि उन की हकीकत का पता ही नहीं चला. वह अकसर रात में ही बात करती थीं. ज्यादातर बातें आपसी पसंदनापसंद की होती थीं. विकास को यह पता भी नहीं था कि इस के पीछे कोई वजह हो सकती है. कुछ दिन की बातचीत से विकास को यह अनुभव हो रहा था कि उस की महिला दोस्त उस के कामकाज के बारे में ज्यादा बात करती हैं. एक बार पाकिस्तानी महिला दोस्त सना ने उस से पूछा, ‘‘विकास, तुम अपने औफिस में क्याक्या करते हो?’’

‘‘मैं औफिस में डिजाइन वर्क देखता हूं. यह बहुत महत्त्वपूर्ण होता है. इस में मैं कई लोगों को सहयोग भी करता हूं.’’ विकास ने उसे बताया.

‘‘अच्छा, कभी हमें भी अपने डिजाइन दिखाओ. हम भी देखें कि तुम कैसे डिजाइन करते हो?’’ सना ने कहा.

‘‘नहीं भाई, यह बहुत ही कौन्फीडेंशियल होता है. हर किसी को नहीं दिखाया जा सकता.’’ कह कर विकास ने बात टाल दी.

कुछ दिन शांत रह कर सना ने इधरउधर की बातें कीं और फिर एक दिन वह घूमफिर कर डिजाइन और उस के काम की चर्चा करने लगी. विकास यह तो समझ रहा था कि इस तरह की जानकारी किसी को नहीं देनी चाहिए, पर वह सना की बातों में फंस जाता था. सना को वह इतना पसंद करता था कि वह उस से बातचीत किए बिना अधूराअधूरा महसूस करता था. उन के बीच वीडियो कौलिंग भी होने लगी थी. सना की अंगरेजी भाषा पर अच्छी पकड़ थी. वह फर्राटेदार अंगरेजी बोलती थी. इस के अलावा जब वह विकास से बात करती तो उस की बातों में अपनत्व झलकता था. वह उसे अपने फोटो भी भेजती थी. अलगअलग रोमांटिक अंदाज में खींचे गए उस के फोटो विकास के दिल में हलचल पैदा कर देते थे.

विकास को उस पर किसी तरह की शंका हो, इस के लिए सना अपने घरपरिवार के बारे में भी विकास को बताती थी. उस ने खुद को अविवाहित बताया था. विकास से वह भारत की बहुत तारीफ करती थी. कई बार वह विकास को यह भी बता चुकी थी कि इस बार वह ईद के मौके पर भारत घूमने आएगी. तब दोनों खूब घूमेंगे और मस्ती करेंगे. सना की यह बात सुन कर विकास मानो आसमान में उड़ने लगा था. उस ने उसी समय तय कर लिया था कि वह सना को घुमाने कहांकहां ले कर जाएगा.

विकास ने उस से कहा, ‘‘सना, वैसे तो हमें लंबी छुट्टी नहीं मिलती, क्योंकि आजकल हम लोग बहुत ही खास मिशन पर काम कर रहे हैं. लेकिन जब तुम भारत आओगी तो हम तुम्हारे साथ घूमने जरूर चलेंगे. मेरे लिए तुम्हारे साथ घूमना सपने जैसा है.’’

‘‘विकास, तुम चिंता मत करो, मैं जब भारत आऊंगी तो दोनों खूब ऐश करेंगे. तुम्हें तो पता ही है कि भारत पाकिस्तान में रहने वालों की बात छोड़ दी जाए तो बाकी देशों के लोग कितना घूमते हैं. केवल हम लोगों के ही पास घूमने और मजे करने का समय नहीं होता

‘‘तुम चिंता मत करो, बस अपनी बातें मुझ से शेयर करते रहो. इस तरह बातचीत करते रहने से हमारी दोस्ती मजबूत होती रहेगी.’’ सना ने विकास को समझाने की पूरी कोशिश की. विकास को अब सना की बातों में सच्चाई नजर आने लगी थी. वह उस के और करीब जाने लगा. अब वह अपने औफिस की बातें भी सना से शेयर करने लगा. बीचबीच में वह अपने काम के फोटो भी सना से शेयर करता थासना भी विकास की पर्सनल बातों से अधिक औफिस के कामों में रुचि लेने लगी थी. सना के साथ ही साथ एक और लड़की से भी उस की दोस्ती हो गई, जिस का नाम निक्की था. निक्की खुद को कश्मीरी बताती थी.

निक्की की बातों का फोकस कश्मीर को ले कर चल रही भारत की गतिविधियों पर था. वह उसे अपने बहुत ही ग्लैमरस फोटो भेजा करती थी. कई बार तो विकास अपनी तरफ से डिमांड कर देता था कि इस तरह की फोटो भेजो. निक्की उसे उसी तरह के फोटो भेज देती थीनिक्की हर दिन नए अंदाज में फोटो भेजने में माहिर थी. ऐसे में विकास जल्दी ही उस के जाल में फंस गया. वह यह पूछा करती थी कि कश्मीर में युद्ध कैसे होता है. वहां के लिए कैसी तैयारी होती है. इन सवालों से विकास को यह समझ गया कि वह किसी जाल में फंसता जा रहा है, इसलिए उस ने निक्की से दूरी बनानी शुरू कर दी.

खुफिया विभाग को इस बात की जानकारी मिल रही थी कि कुछ विदेशी ताकतें भारत की महत्त्वपूर्ण जानकारियां हासिल करने के लिए हनीट्रैप का सहारा ले रही हैं. इस के बाद खुफिया विभाग ने डेढ़ सौ से अधिक फेसबुक खातों को निशाने पर लिया. इस से कई ऐसे खाते मिले जो संदिग्ध लग रहे थे. उत्तर प्रदेश एटीएस और मिलिट्री इंटेलीजेंस ने जासूसी के आरोप में 8 अक्तूबर, 2018 को डीआरडीओ के सीनियर इंजीनियर निशांत को गिरफ्तार किया. आरोप है कि उस ने ब्रह्मोस मिसाइल यूनिट से अहम तकनीकी जानकारियां चोरी कर के अमेरिका और पाकिस्तान में हैंडलर्स तक पहुंचाईं. यह इंजीनियर अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए की एक महिला एजेंट के जाल में फंसा था

आरोपी के लैपटौप को चैक किया गया तो उस के लैपटौप में कई संवेदनशील जानकारियां मौजूद थीं. जांच में इस बात की भी पुष्टि हुई कि वह पाकिस्तान के किसी व्यक्ति के साथ फेसबुक पर चैटिंग करता था. आरोपी निशांत अग्रवाल डीआरडीओ के ब्रह्मोस एयरोस्पेस में 4 साल से सीनियर सिस्टम इंजीनियर के पद पर कार्यरत था. वह हाइड्रोलिक न्यूमेटिक्स और वारहेड इंटीग्रेशन प्रोडक्शन डिपार्टमेंट के 40 लोगों की टीम को लीड करता थानिशांत ब्रह्मोस की सीएसआर और आर ऐंड डी ग्रुप का सदस्य भी था. फिलहाल वह ब्रह्मोस के नागपुर और पिलानी साइट्स के प्रोजेक्ट का कामकाज देख रहा था

पिछले साल यूनिट की ओर से उसे युवा वैज्ञानिक का पुरस्कार मिला था. वह बहुत प्रतिभाशाली था. निशांत पर आरोप लगा कि वह सोशल मीडिया से खुफिया एजेंसियों को जानकारी भेजता था. निशांत दिल्ली में मौजूद अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए की एजेंट के करीब था. उस की बातचीत पाकिस्तान के हैंडलर से भी होती थी. वह मिसाइल तकनीक की जानकारियां भेजने के लिए सोशल मीडिया के एनक्रिप्टेड कोडवर्ड और गेम के चैट जोन का इस्तेमाल कर रहा था. मामला प्रकाश में आने पर सेना के वरिष्ठ अधिकारी भी इस मामले पर नजर बनाए हुए हैं. जांच एजेंसी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि आरोपी ने मिसाइल से जुड़ी कौनकौन सी सूचनाएं लीक की हैं. इस से पहले पुलिस ने कानपुर से एक महिला को भी गिरफ्तार किया था.

आईजी (एटीएस) असीम अरुण की अगुआई में कुछ समय पहले एटीएस ने बीएसएफ की एक महिला सिपाही को गिरफ्तार किया था, जिसे फेसबुक से फंसाया गया था. जांच के दौरान 2 फेसबुक की आईडी मिली थीं, जिन के आधार पर एटीएस ने जांच करते हुए गुजरात में निशांत की डिटेल चैक की तो उस के लैपटौप में कई संवेदनशील जानकारियां मिलीं. निशांत रुढ़की का रहने वाला है. उस के पास अतिगोपनीय दस्तावेज थे. उस ने कितने दस्तावेज किसी और को दिए, इस पर जांच चल रही है. उस से फेसबुक के द्वारा संपर्क साधा गया था. वहां से जौब औफर करने के बाद उसे फंसाया गया

उस के पास 2 लड़कियों की फेसबुक आईडी थीं, जो फरजी पाई गईं. इन का आईपी एड्रेस पाकिस्तान का पाया गया. लड़कियों की आईडी के जरिए वह लोगों को अपने जाल में फांसता था. लड़कियों की इन आईडी से किनकिन लोगों से संपर्क किया गया था, पुलिस जांच करने लगी. सेना के जंगी बेड़े में शामिल ब्रह्मोस मिसाइल परमाणु हथियारों के साथ हमला करने में सक्षम है. यह 3700 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से 290 किलोमीटर तक मार करने की क्षमता रखती है. कम ऊंचाई पर उड़ान भरने के कारण यह राडार की पकड़ में भी नहीं आती. इसे डीआरडीओ ने विकसित किया है

ब्रह्मोस मिसाइल को ले कर विदेशियों में एक डर बना हुआ है. ऐसे में वह इस बात की फिराक में रहते हैं कि भारत की रक्षा संबंधी ज्यादा से ज्यादा जानकारी हासिल हो सके. आज के दौर में जासूसी करना सरल हो गया है. क्योंकि अब सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जरिए जासूसी होने लगी है. फेसबुक और वाट्सऐप के जरिए लोगों को हनीट्रैप में फंसाना सरल हो गया है. ऐसे में जरूरी है कि कुछ ऐसे उपाय हों, जिस से हमारे खास लोगों को फंसाया जा सके.

   —कहानी में कुछ पात्रों के नाम परिवर्तित हैं

 

नकली Police बनकर प्रेमी और प्रेमिका ने गांव वालो को ठगा

भगवानदास और ज्योति ने नकली पुलिस बन कर कमाई का रास्ता तो निकाल लिया था, पर वे ये नहीं सोच सके कि नकली और असली का फर्क पता चल ही जाता है. आखिर…

मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिला मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर दूर एक गांव है कुम्हड़ी. आदिवासी बहुल इस छोटे से गांव में रहने वाले उम्मेद ठाकुर की 24 वर्षीय बेटी ज्योति की पुलिस में सिपाही की नौकरी लगने की जानकारी से गांव के लोग बहुत खुश थे.  गांव के युवक जब ज्योति को पुलिस की वरदी में देखते तो उन की आंखों में भी पुलिसिया रौब वाली इस नौकरी को पाने के सपने सजने लगते थे. ज्योति के पिता उम्मेद ठाकुर गांव वालों को बताते थे कि उन का दामाद सूरज धुर्वे पुलिस में दरोगा है, उस की पुलिस अधिकारियों से अच्छी जानपहचान है.

इसी जानपहचान की बदौलत उस ने ज्योति की सिपाही के पद पर नौकरी लगवा दी. गांव वाले उम्मेद ठाकुर की ही नहीं बल्कि उस की बेटी ज्योति की भी बहुत तारीफ करते और ज्योति से पुलिस में भरती होने के उपाय पूछते थे. तब ज्योति उन्हें कड़ी मेहनत करने और खूब पढ़ाई करने की सलाह देती थी. पिछले करीब एक महीने से गांव वाले देख रहे थे कि रात के समय उम्मेद ठाकुर के घर रोज पुलिस की नेमप्लेट लगी एक बोलेरो गाड़ी आती थी. सब लोग समझते थे कि उम्मेद ठाकुर की लड़की ज्योति पुलिस में है, ड्यूटी के बाद पुलिस की गाड़ी उसे छोड़ने आती होगी. नीली बत्ती लगी हूटर बजाती हुई वह बोलेरो गाड़ी जब उम्मेद के घर की तरफ आती तो उसे देखने के लिए अन्य लोगों के अलावा पढ़ेलिखे नवयुवक भी आ जाते.

गाड़ी से पुलिस की वरदी पहने एक साधारण कदकाठी और करीब 25 साल के युवक के साथ ज्योति नीचे उतरती तो गांव वाले उन्हें नमस्कार के साथ खूब सम्मान देते थे. पुलिस की वरदी पहने युवक के कंधे पर 2 स्टार लगे थे. सामने शर्ट की जेब के ऊपर लगी नेमप्लेट पर उस का नाम सूरज कुमार धुर्वे एसआई लिखा हुआ था. पुलिस बेल्ट में रिवौल्वर और सिर पर पुलिस कैप लगी रहती. गांव में बारबार आने वाले पुलिस दरोगा सूरज धुर्वे गांव के लोगों को पुलिसिया धौंस के साथ यह प्रलोभन भी देने लगे थे कि कुछ पैसे खर्च करो तो हम आप के बेटेबेटियों की पुलिस में भरती करवा देंगे. वह यह भी बताता कि उस की पुलिस मुख्यालय (भोपाल) में ऊंची पहुंच है, जिस के बूते पर उस ने ज्योति को पुलिस में भरती करा दिया है.

इसी साल के जुलाई महीने में यह गाड़ी ग्रामीण इलाकों में कुछ ज्यादा ही घूमने लगी थी. दरोगा सूरज धुर्वे गांव के कुछ युवाओं से पुलिस में नौकरी लगवाने के नाम पर खुलेआम पैसों की मांग करता था. एक दिन तो दरोगा सूरज एक मामले में ग्राम पंचायत के रोजगार सहायक का वारंट ले कर आया. उस के साथ ज्योति भी थी. इन दोनों ने रोजगार सहायक से 10 हजार रुपए ऐंठ लिए. आए दिन ये लोग क्षेत्र की किसी भी सड़क पर वाहन चैकिंग करने लगते. फिर गाड़ी के कागजों में कोई कमी निकाल कर या हेलमेट न पहनने के नाम पर वसूली करते थे. इस से लोगों में इन के प्रति नाराजगी भी दिखने लगी थी. पुलिस के इन दोनों कर्मचारियों की गतिविधियों की चर्चा जिला मुख्यालय नरसिंहपुर में भी होने लगी थी. इस के बाद तो लोग इन की कदकाठी और गतिविधियों को ले कर शंकित भी रहने लगे थे.

जब कुछ ग्रामीणों को इन की गतिविधियों पर शक हुआ तो कुम्हड़ी गांव के ही कालूराम मल्लाह और गंजन लोधी ने इस की सूचना थानाप्रभारी आर.के. गौतम को दी. थानाप्रभारी ने जब अपने स्तर से दरोगा सूरज धुर्वे और आरक्षक ज्योति की जांच की तो चौंकाने वाली जानकारी हाथ लगी. पता चला कि इस जिले में इस नाम का व्यक्ति पुलिस महकमे में पदस्थ नहीं है. थानाप्रभारी ने पुलिस अधीक्षक डी.एस. भदौरिया और एसडीपीओ राकेश पेंड्रो को इस मामले की सूचना दे दी. इस के बाद एसपी डी.एस. भदौरिया ने उन तथाकथित पुलिस वालों को गिरफ्तार करने के लिए एसडीपीओ के नेतृत्व में पुलिस टीम बनाई. टीम ने मुखबिरों को बता दिया कि जैसे ही सूरज धुर्वे और ज्योति पुलिस वरदी में दिखे, उन्हें सूचित कर दें.

19 जुलाई, 2018 की शाम को जैसे ही सूरज धुर्वे और ज्योति हूटर बजाती हुई गाड़ी में कुम्हड़ी गांव पहुंचे तो मुखबिर ने थानाप्रभारी आर.के. गौतम को इत्तला दे दी. सूचना मिलते ही पुलिस टीम कुम्हड़ी गांव पहुंच गई. टीम ने ग्रामीणों को ठगी का शिकार बना रहे तथाकथित दरोगा सूरज कुमार धुर्वे, आरक्षक ज्योति ठाकुर और वाहन चालक बृजेश मेहरा को धर दबोचा. पुलिस ने इन के पास से पुलिस को नकली आईडी कार्ड, एमपी49 टी1054 नंबर की बोलेरो गाड़ी जब्त की, जिस में हूटर और वायरलैस सेट लगा था. ग्रामीणों ने फिल्मों में नकली पुलिस की भूमिका निभाते ऐसे कई किरदार देखे थे परंतु नरसिंहपुर जिले में असल जिंदगी में भी नकली पुलिस बन कर ठगी करने वाला यह मामला पहली बार सामने आया था.

जिले के आला पुलिस अफसरों को जब इस की जानकारी मिली तो उन के होश उड़ गए. आरोपियों को पुलिस अभिरक्षा में ले कर की गई पूछताछ में पुलिस को जो जानकारी मिली, वह काफी चौंकाने वाली थी. प्रैसवार्ता का आयोजन कर एसडीपीओ आर.के. पेंड्रो ने बताया कि मूलरूप से सिंगरौली जिले के देवसर गांव का रहने वाला युवक भगवान दास, एसआई सूरज धुर्वे बन कर घूम रहा था. उस ने पुलिस का फरजी आईकार्ड भी बना रखा था. वहीं उस के साथ रह रही कुम्हड़ी गांव के उम्मेद ठाकुर की बेटी ज्योति ठाकुर फरजी महिला आरक्षी बन कर घूमती थी. दोनों करीब 7 महीने पहले जबलपुर रेलवे स्टेशन पर पहली बार एकदूसरे से मिले थे.

पहली ही मुलाकात में दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ गई थीं. महज नौवीं कक्षा तक पढ़े ये दोनों युवकयुवती प्यार की दुनिया में खो कर सुनहरे सपने तो सजा रहे थे लेकिन इन के बीच बेरोजगारी दीवार बन कर खड़ी थी. पैसों की तंगी से परेशान दोनों ने पैसा कमाने के लिए नकली पुलिस बनने की योजना बनाई थी.

पुलिस की वरदी इन्होंने जबलपुर के किसी टेलर से तैयार कराई थी. पुलिस वरदी में उपयोग होने वाली नेमप्लेट, स्टार, नकली रिवौल्वर, हूटर भी जबलपुर से खरीदे थे. आरोपी भगवानदास उर्फ सूरज कुमार खुद को डीजी पुलिस का करीबी बता कर लोगों से काम कराने के नाम पर वसूली करता था. वह और ज्योति पतिपत्नी के रूप में रह रहे थे. दोनों ने गांव नंदवारा निवासी राजेश की उक्त नंबर की बोलेरो जीप 22 हजार महीना किराए पर ले रखी थी. उस कार को उन्होंने पुलिस वाहन की तरह तैयार करवा लिया था, जिस में 2 जगह अंगरेजी में पुलिस लिखा हुआ था. इस वाहन में पुलिस वाहन की तरह ही एंप्लीफायर व हूटर भी लगे हुए थे. इसे राजेश का चचेरा भाई 32 वर्षीय ब्रजेश चलाता था.

ब्रजेश मेहरा का कहना था कि वह तो केवल ड्राइवर की नौकरी कर रहा था. उसे यह नहीं पता था कि ये नकली पुलिस वाले हैं. ये लोग जिस जगह के लिए गाड़ी ले कर चलने को कहते थे, वह चल देता था. फिल्म बंटी बबली की तर्ज पर सामने आए इस मामले ने क्षेत्र में गहमागहमी बढ़ा दी थी. जिले में नकली पुलिस के पकड़े जाने की घटना सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गई थी. बहरहाल, पुलिस ने ज्योति ठाकुर, भगवानदास उर्फ सूरज धुर्वे और बोलेरो चालक ब्रजेश मेहरा के खिलाफ भादंवि की धारा 419, 420, 471 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर के उन्हें न्यायालय में पेश किया, जहां से तीनों को जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर और जनचर्चा पर आधारित

युवाओं का रोल मौडल बना गैंगस्टर दुर्लभ कश्यप

युवाओं का रोल मौडल बना गैंगस्टर दुर्लभ कश्यप – भाग 3

दुर्लभ के स्टाइल में उतरी सोनिया

अक्तूबर, 2022 में वाराणसी के सिगरा में भाजपा नेता पशुपतिनाथ सिंह की हत्या के आरोप में पुलिस ने जिन लडक़ों को गिरफ्तार किया था, उन में से अधिकतर दुर्लभ कश्यप के फैन निकले थे. मुठभेड़ में गिरफ्तार 307 गैंग के सरगना राहुल सरोज के मोबाइल में दुर्लभ कश्यप पर बने कई वीडियो भी मिले थे.

यही नहीं, राहुल के इंस्टाग्राम पर रील और फेसबुक पर वीडियो भी दुर्लभ कश्यप से हूबहू मेल खाती है. माथे पर तिलक, आंखों में काजल, कंधे पर गमछा, हलकी दाढ़ी और गले में रुद्राक्ष की माला पहनने वाला राहुल भी दुर्लभ की स्टाइल में रहता था. उस के 307 गैंग में जयप्रकाश नगर, चंदुआ, छित्तूपुर, शिवपुरवा, माधोपुर के 40 से 45 नौजवान शामिल हैं. सभी वाट्सऐप ग्रुप 307 के सदस्य हैं, जिस का एडमिन राहुल सरोज, विकास राजभर और पवन हैं.

क्राइम ब्रांच ने राहुल और पवन के मोबाइल खंगाले तो कई वीडियो और फोटो निकल कर सामने आए. राहुल के इंस्टाग्राम और फेसबुक पर पोस्ट भी खतरनाक और चेतावनी वाले थे. दुर्लभ कश्यप का तो अंत हो गया, लेकिन आज भी कई युवा उसे अपना रोल मौडल मानते हैं.

ऐसी ही एक युवती को उज्जैन पुलिस ने जनवरी 2023 में गिरफ्तार किया. युवती ने सोशल मीडिया पर रिवौल्वर और चाकू के साथ अपने कुछ फोटो और वीडियो अपलोड किए थे. उस ने दुर्लभ की तरह ही माथे पर टीका लगा कर और गले में गमछा डाले हुए कुछ फोटो भी अपलोड किए तो पुलिस ने उस के खिलाफ आम्र्स ऐक्ट के तहत केस दर्ज कर लिया.

उज्जैन के पंवासा मल्टी के पास से एक युवती को रास्ते में धारदार चाकू लहराते हुए आतेजाते लोगों को धमकाते हुए देखा गया था. सूचना मिलने पर पुलिस ने घेराबंदी कर युवती को गिरफ्तार कर उस के पास से चाकू बरामद किया. युवती का नाम सोनिया उर्फ नेपु थापा था. वह 19 साल की थी और नानाखेड़ा के आनंद नगर इलाके में रहती थी.

छोटी उम्र में ही उस के पिता का देहांत हो गया था, तब से मां के साथ अकेली रहती थी. सोशल मीडिया पर सोनिया काफी ऐक्टिव है, जब पुलिस ने उस का इंस्टाग्राम अकाउंट देखा तो पिस्टल के साथ और नशा करते हुए कई फोटो दिखाई दिए. उस ने कुछ फोटो के कैप्शन में 307 और 302 भी लिख रखा था. इस के अलावा हुक्का पीते, डांस करते, सिगरेट के छल्ले उड़ाते और शराब पीते हुए वह अन्य कई फोटो व वीडियो में नजर आ रही थी.

दुर्लभ कश्यप सोशल मीडिया पर काफी पापुलर था और सोनिया उस से काफी प्रभावित है. वह उस की तरह दिखना चाहती है और उसे अपना रोल मौडल समझती है. उस ने पुलिस को बताया था कि दुर्लभ कश्यप की वीडियो वह सोशल मीडिया पर देखा करती थी और उस ने कुछ फोटो और वीडियो डाले हैं, जिस में खुद को दुर्लभ जैसा लुक देने की कोशिश की है.

दुर्लभ की मौत की कहानी

18 साल की उम्र में दुर्लभ कश्यप के खिलाफ 9 केस दर्ज हो गए थे. वह जेल से भी गैंग चलाता रहा. 2 साल जेल में बंद रहने के बाद कोरोना काल के दौरान साल 2020 में उस की रिहाई हो गई. वह कुछ दिन इंदौर में रह कर मां के पास उज्जैन लौट आया.

कहा जाता है कि बुराई का अंजाम बुरा ही होता है. ठीक वैसे ही दुर्लभ का बढ़ता कद अपराध की दुनिया के दूसरे बादशाहों को खटकने लगा था. उस की दुश्मनी दिनरात बढ़ती जा रही थी. ऐसे में उज्जैन के ही शाहनवाज गैंग ने दुर्लभ को खत्म करने का प्लान बनाया था.

6 सितंबर, 2020 को दुर्लभ अपने घर में कुछ दोस्तों के साथ मां के हाथ की बनाई दाल बाटी खाने के बाद रात को अपने साथियों के साथ घर से निकला था.

देर रात सडक़ों पर घूमते हुए दुर्लभ अपने साथियों से बोला, “यार, चाय पीने का मन हो रहा है, लेकिन आसपास की दुकानें तो बंद नजर आ रही हैं.”

“भाई, उधर हेलावाड़ी इलाके की एक दुकान देर रात तक खुली रहती है, वहां पर चल कर चाय की चुस्कियां लेंगे.” गैंग का एक साथी राजदीप बोला.

इस के बाद बाइक से दुर्लभ अपने साथियों के साथ हेलावाड़ी इलाके की चाय की दुकान पर पहुंच गया. इस दौरान पहले से शाहनवाज गैंग के लोग वहां मौजूद थे. जब दुर्लभ का शाहनवाज से आमनासामना हुआ तो दुर्लभ ने शाहनवाज पर गोली चला दी. गोली उस की गरदन के पास से हो कर निकली थी.

बदले में शाहनवाज के साथियों ने दुर्लभ को घेर कर चाकू से उस के पेट, पीठ, चेहरे, गरदन पर ताबड़तोड़ 34 वार किए. दुर्लभ के दोस्त इस दौरान उसे छोड़ कर भाग गए थे. दोनों के बीच जबरदस्त गैंगवार हुई, जिस में दुर्लभ की चाकुओं से गोदगोद कर हत्या कर दी गई.

घटना के बाद सुबह 4 बजे जीवाजीगंज थाने की पुलिस व उज्जैन के तत्कालीन सीएसपी ए.आर. नेगी मौके पर पहुंचे थे. एफएसएल अधिकारी डा. प्रीति गायकवाड़ ने घटनास्थल से 3 चप्पलें भी जब्त कराई थीं. पुलिस ने दुर्लभ की मां पद्मा को घटनास्थल पर ले जा कर दुर्लभ की शिनाख्त कराई. दुर्लभ के पिता भी सुबह अस्पताल पहुंचे.

चाय की दुकान चलाने वाला अमन उर्फ भूरा घटना का मुख्य चश्मदीद था, जिसे पुलिस ने फरियादी बनाया. उस की रिपोर्ट पर दुर्लभ, राजदीप, अमित सोनी, अभिषेक शर्मा समेत एक अन्य के खिलाफ हत्या के प्रयास समेत अन्य धारा में केस दर्ज किया.

दुकानदार ने बताया, “दुर्लभ ने कहासुनी के बाद जैसे ही गोली चलाई, शाहनवाज घायल हो कर सडक़ पर बैठ गया. इस के बाद भगदड़ मच गई. इरफान व अमन उस्ताद उसे अस्पताल ले कर भागे. मैं भी घबरा कर भाग गया था.”

दूसरे पक्ष से दुर्लभ के खास साथी अभिषेक शर्मा की रिपोर्ट पर जीवाजीगंज पुलिस ने घायल शाहनवाज, शादाब, हिस्ट्रीशीटर रमीज, राजा व भूरा के खिलाफ हत्या की धाराओं में केस दर्ज किया.

अभिषेक ने बताया, “दुर्लभ के घर दाल बाटी खाने के बाद रात करीब डेढ़ बजे सिगरेट व चाय पीने दुकान पर गए थे. वहां शाहनवाज व शादाब से किसी बात पर दुर्लभ का झगड़ा हो गया और दुर्लभ को चाकू मारने लगे. चायवाला अमन उर्फ भूरा चिल्ला कर कह रहा था कि शादाब भाई इसे जान से खत्म कर दो, जिंदा मत छोडऩा.”

दुर्लभ की मां इस सदमे को बरदाश्त नहीं कर सकी थीं. उज्जैन में वह एकदम अकेले पड़ गई थीं, यही वजह रही कि उन्होंने भी बेटे के गम में 7 महीने बाद दम तोड़ दिया था.

दुर्लभ के जीवन पर बनी फिल्में

छोटी उम्र में अपराध की दुनिया का एक ऐसा बेताज बादशाह जिस की दहशत से न सिर्फ धार्मिक नगरी उज्जैन कांपती थी, बल्कि मालवा के इलाकों में उस के अपराध की तूती बोलने लगी थी. एक ऐसा गैंगस्टर जो औनलाइन गैंग चलाता था और कई वारदातों को अंजाम दे कर उज्जैन में बड़े गैंगस्टरों की लिस्ट में शामिल हो गया था.

उज्जैन का दुर्लभ कश्यप एक ऐसा ही गैंगस्टर था, जिस ने नाबालिग अवस्था में ही जुर्म की दुनिया में अपना नाम बनाया. उसी समय उज्जैन के एसपी सचिन अतुलकर हुआ करते थे.

एक बार जेल विजिट के दौरान उन्होंने दुर्लभ को देख कर कहा था, “तू जेल में ही सेफ है, उम्र से ज्यादा दुश्मनी पाल ली है, बाहर निकलेगा तो कोई मार देगा.”

दुर्लभ कश्यप अपने आसपास के युवाओं के बीच इतना प्रसिद्ध था कि लोग उसे लायन औफ उज्जैन कहते थे. आज भी उस के नाम पर उज्जैन में गैंग चल रहे हैं. इतना ही नहीं, दुर्लभ कश्यप के जीवन पर फिल्में भी बन चुकी हैं. ‘शूटर’ फिल्म में शानदार अभिनय करने वाले पंजाबी फिल्मों के अभिनेता जय रंधावा ने इस फिल्म में दुर्लभ की भूमिका निभाई है.

गैंगस्टर दुर्लभ पर फिल्म निर्माता मोहित मनाल, निर्देशक रोहित कुमार आर्यन ने ‘गैंगस्टर दुर्लभ कश्यप’ नाम की फिल्म बनाई है. यूट्यूब चैनल और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी दुर्लभ के जीवन से जुड़ी फिल्में आसानी से देखी जा सकती हैं. कुछ भी हो, अपराध की दुनिया के युवाओं के लिए दुर्लभ कश्यप एक रोल मौडल है.

—कथा मीडिया रिपोर्ट पर आधारित

युवाओं का रोल मौडल बना गैंगस्टर दुर्लभ कश्यप – भाग 2

दुर्लभ और उस के साथी उज्जैन के दानी गेट इलाके में उस जगह बैठा करते थे, जहां मुर्दों का दाह संस्कार किया जाता था. दाह संस्कार करने वाले कुछ लोग काला पंछा यानी गमछा कंधे पर डाला करते थे. अपने आप को वजनी दिखाने के लिए इस गैंग के लोगों ने भी गमछा डालना शुरू कर किया. बाद में कंधों पर पंछा और खड़ा लाल टीका दुर्लभ गैंग की पहचान बन गए.

सोशल मीडिया के जरिए दिखाई ताकत

दुर्लभ कश्यप का फेसबुक अकाउंट था, जिस के जरिए वह अपराध फैलाता था. दुर्लभ सोशल मीडिया पर हमेशा सक्रिय रहता था. वह खुद को और अपने गैंग को प्रमोट करने के लिए फेसबुक का सहारा लेता था. दुर्लभ ने अपने एक सोशल मीडिया प्रोफाइल पर अपने आप को कुख्यात बदमाश और नामी अपराधी लिख रखा था.

दुर्लभ कश्यप का फेसबुक पर स्टेटस था कि वह कुख्यात बदमाश, हत्यारा और अपराधी है. कोई सा भी विवाद हो, कैसा भी विवाद हो तो उस से संपर्क करें. टीनएज में ही उसे अपराध करने का शौक चढ़ गया था. सोशल मीडिया पर उस के स्टाइल और पर्सनैलिटी से प्रभावित हो कर टीनएजर और युवा उस से जुडऩे लगे थे.

दुर्लभ कश्यप की फैन फालोइंग हर उगते सूरज के साथ बढऩे लगी. लोगों का साथ पा कर वह और मजबूत होने लगा. इस से वह शहर में छोटीमोटी वारदातें करने लगा. जुर्म करने के लिए अपने पेज पर विज्ञापन भी लिखता था. इस के अलावा सोशल मीडिया पर ही लोगों को धमकियां भी देता था. उस के अपराध का मुख्य जरिया सोशल मीडिया था. वह फेसबुक और वाट्सऐप के जरिए आपराधिक कामों को अंजाम देता था. वह हर रोज फेसबुक पोस्ट के जरिए रंगदारी, हफ्ता वसूली, लूटपाट और सुपारी लेता था.

दुर्लभ कश्यप चर्चा में उस वक्त आया, जब उस ने खुलेआम फेसबुक पर यह कहना शुरू कर दिया कि वह किसी से भी किसी के लिए विवाद कर सकता है, एवज में बस उसे पैसा चाहिए. दुर्लभ का सब से बड़ा हथियार था सोशल मीडिया. दुर्लभ गैंग के लोगों की प्रोफाइल पर हथियारों के साथ धमकाने और दहशत फैलाने वाली पोस्ट भी डाली जाती थी.

गैंग के लोगों की फेसबुक आईडी का संचालन करने के लिए भी उस ने एक टीम बना रखी थी, जो दहशत फैलने वाली पोस्ट करते थे. इस आईडी से जेल में बंद लोगों की भी फोटो पोस्ट की गई थी. उज्जैन में कम उम्र के लडक़ों के बीच दुर्लभ की लोकप्रियता बढऩे लगी थी. उस के गैंग में धीरेधीरे 100 से भी ज्यादा लड़के जुड़ चुके थे, जिन का उज्जैन में आतंक फैल चुका था. उस के नाम से चाय वाले से ले कर बड़ेबड़े बिजनैसमैन तक थरथर कांपते थे.

इस से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि एक 16 साल की लड़के ने किस तरह का आतंक मचा रखा था.
दुर्लभ कश्यप गैंग किसी कारपोरेट कंपनी की तरह काम करता था. गैंग का अपना स्टाइल और ड्रेस कोड था. बड़े बाल, माथे पर लाल टीका, आंखों में सुरमा, काला गमछा दुर्लभ गैंग की पहचान थी. गैंग के इसी स्टाइल के युवा और टीनएजर फैन हुए जा रहे थे.

सोशल मीडिया पर लोकप्रियता के चलते देखते ही देखते यह ग्रुप गैंग में बदल गया. दुर्लभ कश्यप का गैंग फेसबुक से चल रहा था. दुर्लभ कश्यप ने 17 साल की उम्र में फेसबुक पर एक पोस्ट डाल कर दहशत फैला दी थी. 18 साल की उम्र में कई सारे अपराध कर के वह बहुत ही कम उम्र में गैंगस्टरों की लिस्ट में शामिल हो गया.

वह गैंग के सदस्यों से रंगदारी, हफ्ता वसूली, लूटपाट जैसे अपराध करवाता था. जब सोशल मीडिया पर उस ने अपने इन्हीं कामों के लिए सुपारी लेने की पोस्ट शेयर की तो पुलिस ने इन्हें उठाना शुरू किया. तत्कालीन एसपी सचिन अतुलकर ने 2018 में दुर्लभ कश्यप के गैंग का परदाफाश कर दिया और 2 दरजन से अधिक लडक़ों को गिरफ्तार कर लिया.

दुर्लभ कश्यप बना युवा अपराधियों का रोल मौडल

कच्ची उम्र में ही दुर्लभ के इरादे जुर्म की दुनिया का बादशाह बनने के थे. उस के रहनसहन और कपड़े पहनने का अंदाज इस कदर युवाओं में पापुलर हो गया था कि कई लोग उस के इस अंदाज को फालो करने लगे थे. उसे बिल्लियों से बहुत प्यार था. वह अपने साथ कई बार बिल्ली भी रखता था.

पिछले साल 2022 में मध्य प्रदेश के सागर शहर में 60 साल के शिवकुमार दुबे, 57 साल के कल्याण लोधी, मंगल अहिरवार की सिर कुचल कर हत्या की गई. अगले दिन सोनू वर्मा नाम के युवक का भी मर्डर हो गया. इन सब में एक बात कौमन थी कि ये सभी चौकीदार थे.

कत्ल में एक नाम खुला 19 साल के शिवप्रसाद धुर्वे का. उसे भोपाल के कोहएफिजा इलाके के बसस्टैंड से पकड़ा गया. शिव प्रसाद धुर्वे ने जो नाम लिया, उसे सुन कर पुलिस चौंक गई. उस ने बताया, “वह भी दुर्लभ कश्यप की तरह मशहूर होना चाहता था.”

गिरफ्तारी के दौरान शिवकुमार धुर्वे पुलिस से हंसते हुए बोला, “एक और को निपटा दिया. काम के वक्त सोने वाले लोग मुझे पसंद नहीं. जितने भी चौकीदारों की हत्या की गई, वे सब काम के वक्त सो रहे थे. “

दुर्लभ गैंग का एक और सदस्य चयन बोहरा 14 जुलाई, 2022 को इंस्टाग्राम पर लाइव देखा गया. चयन और उस के साथी पार्टी कर रहे थे. इस पार्टी से 2 दिन पहले ही चयन और उस के एक साथी ने इंदौर में अनिल दीक्षित नाम के एक हिस्ट्रीशीटर पर गोलियां दागी थीं. जिस रोज चयन इंस्टाग्राम पर लाइव था, उसी दिन अनिल की मौत हुई. चयन ने इस वारदात को अंजाम देने से पहले इंस्टाग्राम पर ऐलान तक किया था. पुलिस ने इन पर 30 हजार रुपए का ईनाम घोषित किया. दोनों को 10 दिनों के भीतर अरेस्ट किया गया.

उज्जैन से 500 किलोमीटर दूर महाराष्ट्र का औरंगाबाद शहर. फरवरी, 2022 में एक दिन पुलिस को शिकायत मिली कि शुभम नाम के युवक पर हमला किया गया है. शुभम के पिता मनगटे अपने घर से कुछ ही दूरी पर किराने की दुकान चलाते हैं.

6 फरवरी, 2022 की रात का वक्त. कुछ लडक़ों ने मनगटे से सिगरेट देने को कहा. मनगटे बोले कि आधी रात का वक्त हो गया है और अब दुकान बंद कर रहे हैं. यह सुन सिगरेट मांग रहे युवकों ने लोहे की रौड और धारदार हथियार से मनगटे और उन के 22 साल के बेटे शुभम पर हमला कर दिया.

शुभम पर हमला करने वाले लडक़ों ने खुद को दुर्लभ कश्यप गैंग का बताया. जानकारी इस बात की भी मिली कि इस गैंग के लोग दुकानदारों से मुफ्त सामान लेते हैं और आनेजाने वाले लोगों को परेशान करते हैं. दिलचस्प बात यह है कि दुर्लभ अपनी जिंदगी में कभी औरंगाबाद नहीं आया. फिर इस गैंग ने खुद को दुर्लभ के साथ कैसे जोड़ा?

युवाओं का रोल मौडल बना गैंगस्टर दुर्लभ कश्यप – भाग 1

साल 2018 के अक्तूबर महीने की बात है. 2 महीने बाद मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने थे. विधानसभा चुनाव में सुरक्षा के मद्देनजर अपराधियों की धरपकड़ में उज्जैन पुलिस लगी हुई थी. उस समय महाकाल की नगरी उज्जैन शहर में कम उम्र के लड़कों के एक गैंग का तहलका मचा हुआ था. यह गैंग आए दिन शहर में बलवा कर शहर की शांति व्यवस्था को भंग कर रहा था.

इस गैंग का सरगना एक नाबालिग उम्र का मासूम सी सूरत वाला लड़का दुर्लभ कश्यप था, जिसे पुलिस ने शांति भंग करने के अपराध में गिरफ्तार किया था. उज्जैन के तत्कालीन एसपी सचिन अतुलकर एक प्रैस कौन्फ्रैंस कर रहे थे. दुर्लभ कश्यप और उस के 23 साथियों की मीडिया के सामने परेड कराई गई.  सचिन अतुलकर की कोशिश थी कि चुनाव से पहले पेशेवर अपराधियों को नियंत्रण में कर लिया
जाए.

उस वक्त दुर्लभ 18 साल का भी नहीं था और मीडिया वाले उस के चेहरे से भी अनजान थे. प्रैस कौन्फ्रैंस चल ही रही थी कि एक पत्रकार ने सवाल किया, “इन लड़कों में से दुर्लभ कौन है?”

“आप देखिए, वो खुद ही हाथ उठा कर बताएगा,” एसपी ने जबाव दिया.

फिर पुलिस अधिकारियों के पीछे खड़े लड़कों की टोली में से एक फटी शर्ट वाले लड़के ने बहुत अलग अंदाज में अपना हाथ ऊपर उठाया. दुर्लभ के इस अनोखे अंदाज में उठाए हाथ का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. यह वही वक्त था, जिस के साथ दुर्लभ सोशल मीडिया पर लोगों के बीच पहचान हासिल करने में सफल हो गया. दुर्लभ कश्यप ने अपने आप को गैंगस्टर साबित करने के लिए सोशल मीडिया साइट फेसबुक पर बाकायदा इश्तहार दे रखा था.

दुर्लभ कश्यप का जन्म 8 नवंबर, 2000 को उज्जैन में जीवाजीगंज के अब्दालपुरा में हुआ था. वह पिता मनोज कश्यप तथा माता पद्मा का इकलौता बेटा था. दुर्लभ की मां पद्मा कश्यप उज्जैन के क्षीरसागर स्कूल में शिक्षिका थीं. दुर्लभ के पिता मुंबई में नौकरी करने के बाद इंदौर शिफ्ट हो गए.

दुर्लभ का कुछ समय इंदौर में भी बीता. एक संभ्रांत व संपन्न परिवार के मनोज कश्यप ने बाद में अपना व्यवसाय शुरू किया. तब से ही इन का परिवार उज्जैन में रहने लगा था. मनोज कश्यप व पद्मा ने अपने बेटे का नाम ‘दुर्लभ’ भी इसलिए रखा था कि वह बड़ा हो कर कुछ अलग और अच्छा करेगा.

उन की उम्मीद थी कि वह सब से हट कर कुछ बड़ा काम करेगा, जिस से उन का नाम रोशन हो. दुर्लभ पढ़लिख कर डाक्टर या इंजीनियर बने, इस के लिए दुर्लभ की मां पद्मा ने उसे शहर के नामी स्कूल में दाखिला कराया था.

एक दिन दुर्लभ को स्कूल भेजते वक्त मां ने दुर्लभ से कहा, “बेटा, अच्छे से पढ़ाई करना और एक दिन हमारा नाम रोशन करना.”

“मां तुम ने मेरा नाम दुर्लभ रखा है, देखना एक दिन मेरा नाम इस शहर की गलीगली में गूंजेगा.” दुर्लभ ने मां को जबाब देते हुए कहा. दुर्लभ का नाम रोशन हुआ भी, पर अपराध की दुनिया में.

दुर्लभ के मातापिता कुछ निजी समस्याओं के कारण एकदूसरे से अलग रहने लगे थे. दुर्लभ भी कभी अपनी मां के साथ तो कभी अपने पिता के साथ रहता था. मातापिता दोनों ही उसे अपनी जान से ज्यादा प्यार करते थे. घर में किसी भी चीज की कमी नहीं थी. दुर्लभ की हर ख्वाहिश मांबाप पूरी करते थे, जिस का नतीजा यह हुआ कि लाड़प्यार में वह बिगड़ गया.

दुर्लभ सिगरेट पीने का आदी हो गया. काली शर्ट पहने हुए लड़के , आंखों में काजल, माथे पर अलग तरह का खड़ा लाल टीका, कंधे पर काला पंछा या कहें गमछा और एक नाम दुर्लभ कश्यप. फेसबुक पर तलाशेंगे तो इस नाम के कई अकाउंट्स, पेज और ग्रुप सामने आ जाएंगे. युवाओं में दुर्लभ खासा प्रचलित था.

वह अपने गैंग में अकसर कम उम्र के लड़कों को शामिल किया करता था. दुर्लभ वैसे तो बहुत ही शांत स्वभाव का था, लेकिन बचपन में ही बुरी संगत में पड़ गया था. वह कुछ गैंगस्टरों की दबंगई और
ठाठबाट से बहुत प्रभावित हुआ, इसलिए उस ने कच्ची उम्र में ही बड़ा गैंगस्टर बनने का ख्वाब देख लिया और उसी राह पर निकल पड़ा.

आवारा किस्म के लड़के स्कूल में पढ़ते वक्त ही दुर्लभ के फैन बन चुके थे. वे उसे कोहिनूर के नाम से बुलाते थे. महज 15 साल की उम्र में उस ने फेसबुक पर हथियारों के साथ फोटो डालने शुरू कर दिए और अपनी बदमाशी का प्रचार करना शुरू कर दिया. दुर्लभ का मकसद था कि वह अपना खुद का एक गैंग बनाए, जिस में वह कामयाब भी हुआ. कई नाबालिग लड़के उस के साथ जुड़ते चले गए.

दुर्लभ कश्यप कैसे बना गैंगस्टर

दुर्लभ कश्यप ने 15 साल की उम्र में 10वीं क्लास का इम्तिहान दिया, लेकिन 10वीं में फेल होते ही उस की संगति आवारा किस्म के लड़कों के साथ बढऩे लगी. जिस तरह पूत के पांव पालने में दिखाई दे जाते हैं, ठीक उसी तरह दुर्लभ के तौरतरीकों ने स्कूल में पढ़ते समय ही यह साबित कर दिया था कि वह एक दिन अपराधी ही बनेगा.

देखते ही देखते वह उज्जैन का मशहूर हिस्ट्रीशीटर बन गया था. दुर्लभ कश्यप जब 16 साल का हुआ तो पढ़ाई छोड़ उसे गैंगस्टर बनने की धुन सवार हो गई. वह निकल पड़ा ऐसे रास्ते पर जहां जाना तो बड़ा आसान था, लेकिन वहां से वापसी करना बहुत ही मुश्किल था.

उज्जैन में कार्तिक मेले में उठने वाले पार्किंग के ठेके से दुर्लभ के गैंगस्टर बनने की कहानी शुरू होती है. हेमंत बोखला के जरिए दुर्लभ डागर परिवार के करीबी राहुल किलोसिया के कौन्टैक्ट में आया था. किलोसिया को अपना कारोबार चलाने के लिए कुछ लड़कों की जरूरत थी. यहीं से दुर्लभ और उस के साथियों को पनाह दी जाने लगी.

राहुल किलोसिया ने उज्जैन के बाहरी इलाके में मौजूद एक फार्महाउस को दुर्लभ और उस के साथियों के लिए खोल दिया था. गैंग के लड़के यहां आते और शराबगांजे के नशे में डूब कर खूब मौजमस्ती करते. बदले में ये लड़के किसी भी वारदात को अंजाम देने के लिए तैयार रहते थे.

दुर्लभ कश्यप पर जनवरी, 2018 में पहली बार हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ था. 11-12 जनवरी, 2018 की दरमियानी रात दुर्लभ और उस के साथियों का सामना टाक परिवार से जुड़े कुछ लड़कों से हुआ. इस गैंगवार में कई लड़के घायल हुए. दोनों गुट अपनेअपने साथियों को ले कर उज्जैन के सिविल अस्पताल पहुंचे तो यहां फिर से दोनों गैंग आपस में टकरा गए.

दुर्लभ गैंग के लड़कों ने अर्पित उर्फ कान्हा पर चाकू से हमला किया. 13 जनवरी, 2018 को उस की मौत हो गई. इस मामले में दुर्लभ और उस के साथियों को आरोपी बनाया गया. दुर्लभ और उस का साथी राजदीप उस वक्त नाबालिग थे, जिस की वजह से उन्हें उज्जैन के बाल सुधार गृह भेज दिया गया. 4 महीने काटने के बाद दोनों को इस केस में जमानत मिल गई. दुर्लभ को फोटो खिंचवाने का बहुत शौक था. वह उज्जैन के अलगअलग पेशेवर फोटोग्राफर्स से अपनी फोटो खिंचवाता था.