
लेकिन सोनाली ने उस के पत्र का कोई जबाव नहीं दिया और न ही यह बात उस ने संजय को बताई. सोनाली नहीं चाहती थी कि किसी बाहर वाले के कारण उस के घर में किसी तरह का कोई विवाद खड़ा हो. लेकिन किसी तरह से यह बात संजय के सामने पहुंच गई, जिसे ले कर मियांबीवी के बीच काफी मनमुटाव हुआ.
संजय ने सोनाली पर शक भी किया. सोनाली ने इस बात को ले कर संजय के सामने काफी सफाई भी पेश की, लेकिन वह उस की एक भी बात मानने को तैयार न था. उस के कुछ दिन बाद जगदीश उसे मिला तो सोनाली ने उसे काफी खरीखोटी सुनाई और उस के बाद कभी भी उस के घर न आने की चेतावनी भी दी. लेकिन इस के बावजूद भी जगदीश अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा था.
खुराफाती दिमाग में रच डाली खौफनाक साजिश
उस के एक महीने बाद ही जगदीश फिर से सोनाली के घर आ धमका. उस वक्त संजय यादव भी घर पर नहीं था. घर आते ही वह सोनाली से लडऩेझगडऩे लगा. तब बात बढ़ते देख पड़ोसियों ने उसे घर से धक्का मार कर बाहर निकाला. लेकिन इस सब के बावजूद भी वह घर से जाने को तैयार न था.
जगदीश का कहना था कि वह बहुत समय पहले से उसे अपनी बीवी मान चुका है, वह उस के बिना नहीं रह सकता. उस की बातें सुन कर तभी किसी ने उसे पुलिस के हवाले करने वाली बात कही तो वह वहां से चला गया. लेकिन उस दिन के बाद सोनाली और संजय के प्रति उस के दिल में नफरत पैदा हो गई थी.
उस ने उसी दिन सोच लिया था कि सोनाली जब उस की नहीं हो सकती तो वह किसी की भी नहीं हो सकती. जगदीश ने उसी दिन तय किया कि वह संजय को मौत की नींद सुला देगा. उस के बाद वह संजय को ठिकाने लगाने के मौके की तलाश में जुट गया.
दोहरे हत्याकांड से 2 दिन पहले ही उस ने ट्रांजिट कैंप बाजार से एक कांपा खरीदा. फिर वह मौके तलाशता रहा. 3 अगस्त, 2023 की रात को संजय के पड़ोस में एक शादी का प्रोग्राम था. आसपड़ोस के लोगों ने मिलजुल कर एक युवती का प्रेम विवाह कराया था. उस दिन कालोनी के सभी लोग वहां पर जमा थे.
देर रात शादी का प्रोग्राम खत्म हुआ तो सभी अपनेअपने घर चले गए थे. उस वक्त जगदीश भी वहीं पर मंडरा रहा था. जब सब लोग अपनेअपने घर चले गए तो जगदीश कांपा ले कर संजय के घर पहुंचा. उस वक्त तक सभी लोग गहरी नींद में सो चुके थे.
संजय यादव के घर के बाहर टिन का पतला दरवाजा लगा हुआ था, जो कुंडी के सहारे ताले से बंद था. जगदीश ने आरी के ब्लेड से कुंडी को काटा और घर में घुस गया. आसपास के घरों में कूलर पंखे व एसी चलने के कारण किसी को भी कोई आवाज सुनाई नहीं दी.
दोनों की हत्या कर फरार हो गया जगदीश
घर में घुसते ही जगदीश ने संजय की गला रेत कर हत्या कर दी. उस के बाद वह दूसरे कमरें में गया, जहां पर सोनाली सोई हुई थी. उस वक्त सोनाली भी गहरी नींद में थी. सोनाली को सोते देख उस ने कांपे से उस के ऊपर कई वार किए, जिस से उसकी जोरदार चीख निकली.
सोनाली के चीखने की आवाज सुन कर उस की मम्मी गौरी सोनाली के पास पहुंचीं तो उस ने उन पर भी वार कर बुरी तरह से घायल कर दिया. उस के बाद जय की नींद टूटी तो वह भी घर में शोर सुन कर बाहर आया तो जगदीश उसे भी धक्का मारा और घर से फरार हो गया.
इस घटना को अंजाम देने के बाद जगदीश सिडकुल चौक तक पैदल पहुंचा. वहीं पर उस ने झाडिय़ों में हत्या में प्रयुक्त कांपा भी फेंक दिया. उस के बाद वह रात में ही किसी तरह से हल्द्वानी पहुंच गया. उसी दौरान उस का मोबाइल भी पानी में गिर कर बंद हो गया था.
हल्द्वानी जाने के बाद वह सडक़ों पर घूमता रहा और शाम को उस ने एक जनसेवा केंद्र से रुपए निकाले और फिर वह रामपुर चला गया. रामपुर से दिल्ली होते हुए वह अंबाला जाने का प्लान बना चुका था, लेकिन उसी दौरान पुलिस ने उसे दबोच लिया.
इस जघन्य अपराध को अंजाम देने वाला आरोपी 45 पुलिसकर्मियों की टीम के द्वारा पूरे 150 घंटे में गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तारी के दौरान भी आरोपी ने वही घटना वाले ही कपड़े पहन रखे थे. उस के कपड़ों पर जगहजगह खून के निशान मौजूद थे. इस दौरान न तो वह नहाया था और न ही उस ने कपड़े बदले थे.
पुलिस ने उस के कपड़े बदलवा कर खून लगे कपड़े सील कर दिए. पुलिस ने कपड़ों के साथ घटना में प्रयुक्त कांपा भी जांच के लिए फोरैंसिक लैब भेज दिया था.
पुलिस ने जगदीश उर्फ राजकमल उर्फ राज उर्फ राजवीर से पूछताछ करने के बाद उसे कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया. आईजी नीलेश आनंद भरणे ने टीम में शामिल सभी पुलिसकर्मियों को 2,500 और एसएसपी डा. मंजूनाथ टीसी ने 5,000 का ईनाम देने की घोषणा की थी. इस घटना में आरोपी तक पहुंचते के लिए एसआई अरविंद बहुगुणा की भूमिका सराहनीय थी.
साइबर सेल में तैनात एसआई अरविंद बहुगुणा ने आरोपी के ठेकेदार के पास जा कर उस के बैंक खाते का पता लगाया, जो यूनियन बैंक का था. जिस में से आरोपी ने हल्द्वानी जाने के बाद रुपए निकाले थे.
इस मामले में सोनाली की बहन रूपाली पत्नी संजय निवासी सुभाष कालोनी ने पुलिस को लिखित तहरीर दे कर मुकदमा दर्ज कराया था, जिस को थाना ट्रांजिट कैंप में मुकदमा संख्या 224/23 के अंतर्गत भादंवि की धारा 457/302/307 पर पंजीकृत किया गया था. इस की विवेचना इंसपेक्टर सुंदरम शर्मा स्वयं ही कर रहे थे.
सोनाली देखने भालने में खूबसूरत थी. दोनों ही एक साथ काम करते थे. साथ रहते रहते दोनों में दोस्ती हुई और फिर वही दोस्ती प्यार में बदल गई. दोनों के प्यार मोहब्बत की बात ज्यादा दिनों तक सोनाली के घर वालों से नहीं छिप सकी. उस के पापा दिलीप सिंह ठेके पर धान की रोपाई का काम करते थे.
दिलीप सिंह के 2 बेटियां थीं. उन के कोई बेटा नहीं था. संजय यादव देखनेभालने में ठीकठाक था, ऊपर से सोनाली के साथ ही काम भी करता था. वह सोनाली को पसंद भी था. यही कारण रहा कि सोनाली के घर वालों ने दोनों के प्यार को देखते हुए जल्दी ही शादी करने की रजामंदी दे दी थी.
घर वालों की तरफ से रजामंदी मिलते ही सोनाली के साथसाथ संजय यादव को भी बहुत खुशी हुई थी. संजय यादव ने यह बात अपने घर वालों को बता दी. इस सिलसिले में जल्दी ही सोनाली के पापा दिलीप सिंह संजय यादव के घर वालों से जा कर मिले. हालांकि दोनों की जाति बिरादरी अलगअलग थी. लेकिन जब 2 परिवार प्यार से मिले तो दोनों ही शादी के लिए राजी हो गए. जिस के बाद दोनों परिवारों की तरफ से हां होते ही शादी की तैयारी शुरू हो गई. एक शुभ मूहूर्त पर दोनों ही शादी के बंधन में बंध भी गए.
सोनाली का कोई भाई नहीं था. उस का परिवार भी छोटा ही था. संजय यादव इस से पहले एक किराए के मकान में रहता था. लेकिन शादी हो जाने के बाद वह भी अपनी ससुराल में घरजमाई बन कर रहने लगा था. उस के कुछ समय बाद ही सोनाली की मां ने उन्हें ट्रांजिट कैंप में एक घर खरीद कर दे दिया और वह भी उन्हीं के साथ रहने लगी थी.
दोनों ही शादी बंधन में बंधने के बाद हंसीखुशी से रहने लगे थे. संजय यादव जितना सोनाली को प्यार करता था, उस से कहीं ज्यादा वह भी उस का ध्यान रखती थी. वक्त के साथ सोनाली एक बच्चे की मां बनी. उस बच्चे का दोनों ने प्यार से जय नाम रखा. जय के जन्म लेने के बाद उन के परिवार में और अधिक खुशहाली आ गई थी.
सोनाली की खूबसूरती पर मर मिटा जगदीश
कुछ समय पहले जगदीश ने सोनाली के घर के सामने ही मिश्री लाल के घर में एक किराए का कमरा लिया. जगदीश मूलरूप से अनावा थाना पुवायां, जिला शाहजहांपुर का रहने वाला था. वह भी कई साल पहले नौकरी की तलाश में रुद्रपुर आया था. उस दौरान उसे नौकरी नहीं मिली तो उस ने राजमिस्त्रियों के साथ काम करना शुरू कर दिया.
राजमिस्त्रियों के साथ काम करतेकरते वह भी राजमिस्त्री बन गया था. उस वक्त जगदीश ने अपना नाम राजवीर रख रखा था. किराए के मकान में रहते हुए ही एक दिन उस की नजर सोनाली पर पड़ी. सोनाली जितनी देखनेभालने में सुंदर थी, उस से कहीं ज्यादा बोलनेचालने में मृदुभाषी. उस के रहनसहन को देख कर वह उस की सुंदरता का दीवाना बन गया. वह मन ही मन सोनाली को प्यार करने लगा था.
उस वक्त जगदीश को हर रोज काम नहीं मिलता था. जिस दिन उसे काम नहीं मिलता तो वह अपने कमरे पर ही रहता था. उस दौरान वह मकान की छत पर ही घूमता रहता था. उसी दौरान एक दिन उस की नजर छत पर खड़ी सोनाली पर पड़ी, उस ने सोनाली को पास से देखा तो वह उस के लिए पागल हो गया. उस के बाद वह हर वक्त उसे ही निहारता रहता था.
पड़ोसीे होने के नाते जल्दी ही उस ने सोनाली से जानपहचान भी बढ़ा ली थी. उसी जानपहचान के जरिए वह सोनाली के घर भी आनेजाने लगा था. एक पड़ोसी होने के नाते सोनाली जगदीश से अच्छा व्यवहार रखती थी. लेकिन जगदीश उसे मन ही मन चाहने लगा था.
उस की बदनीयत हर वक्त सोनाली की सुंदरता पर काली छाया बन कर मंडराती रहती थी, लेकिन सोनाली ने कभी भी जगदीश को प्रेम भरी निगाहों से नहीं देखा था. जगदीश हर तरफ से कोशिश कर के हार चुका तो वह उस के पति संजय यादव से ही नफरत करने लगा था.
उसी दौरान देश में कोरोना फैल गया. कोरोना से जगदीश का काम भी प्रभावित हुआ था. उस का काम बंद हुआ तो वह आर्थिक स्थिति से गुजरने लगा. जिस के कारण उस की स्थिति ऐसी हो गई कि वह कई महीने से अपने कमरे का किराया भी नहीं चुका पाया था. लौकडाउन लगने के बाद मजबूरन उसे मिश्रीलाल का कमरा छोड़ कर जाना पड़ा. उस के बाद उस ने शमशान घाट रोड पर एक सस्ता कमरा किराए पर लिया और वहीं रहने लगा.
एकतरफा प्यार ने डाली गृहस्थी में फूट
साल 2020 में कोरोना काल में वह रुद्रपुर छोड़ कर दिल्ली चला गया. कुछ समय तक उस ने वहां पर नौकरी की और सन 2022 में फिर से रुद्रपुर आ गया. रुद्रपुर आने के बाद उस ने वेल्डिंग का काम करना शुरू किया. तब उस ने रैन बसेरा, मंदिर और अन्य जगहों पर शरण ले कर वेल्डिंग का काम किया.
उस के बाद भी वह संजय यादव और सोनाली से जानपहचान का फायदा उठाते हुए उन के घर आताजाता रहा. जिस के बाद से सोनाली ने उस से बात करना कुछ कम कर दी थी. जब जगदीश को लगने लगा कि सोनाली किसी भी कीमत पर उसे भाव देने वाली नहीं है तो उस ने उस की पड़ोसन की तरफ निगाहें डालनी शुरू कर दी.
वह महिला भी सोनाली के घर के सामने ही रहती थी. सोनाली की उस महिला से अच्छी दोस्ती थी. वह महिला भी देखनेभालने में सुंदर थी. उस ने कई बार सोनाली से उस महिला का मोबाइल नंबर मांगा, लेकिन सोनाली ने उस का नंबर देने से मना कर दिया था.
सोनाली जान चुकी थी कि उस की नीयत साफ नहीं है. उस की बदनीयती को देखते हुए सोनाली उस से कटने लगी थी. लेकिन जगदीश कभी भी उस के घर आ जाता और उस महिला का मोबाइल नंबर मांगने लगता था. उस के बाद सोनाली ने उसे अपने घर आने के लिए भी मना कर दिया था.
इतना सब कुछ करने के बाद भी वह सोनाली का पीछा छोडऩे को तैयार नहीं था. उस की दीवानगी की हद तो उस दिन हो गई, जब उस ने सोनाली के घर पर एक गुलदस्ता, कीपैड मोबाइल फोन व उस के साथ एक परची डाली, जिस में उस ने लिखा था कि वह उसे दिलोजान से चाहता है और उस के प्यार में कुछ भी करने को तैयार है. अगर उसे उस का यह तोहफा पसंद आया तो जवाब जरूर देना.
3 अगस्त, 2023 को रात के कोई 2 बजे का वक्त रहा होगा. उत्तराखंड के जिला ऊधमसिंह नगर के शहर रुद्रपुर की घनी आबादी वाले ट्रांजिट कैंप इलाके में सन्नाटा पसरा हुआ था. उसी दौरान संजय यादव के 12 वर्षीय बेटे जय की चीखपुकार ने सभी लोगों की नींद उड़ा दी थी.
जय जोरजोर से चीख रहा था, ‘‘बचाओबचाओ, बदमाशों ने मेरे मम्मीपापा को मार डाला.’’
उस की चीखपुकार सुन कर लोग इकट्ठा हुए. फिर लोगों ने उस के घर के अंदर का मंजर देखा तो सभी के रोंगटे खड़े हो गए. लोगों ने घटनास्थल पर देखा, एक कमरे में उस के मम्मीपापा की लाश खून से लथपथ पड़ी हुई थी. जबकि दूसरे कमरे में उस की नानी बेहोशी की हालत में पड़ी हुई चीखपुकार मचा रही थी. जय ने लोगों को बताया कि उस ने भी शोर मचाने की कोशिश की तो आरोपी उसे धक्का मार कर एक बदमाश फरार हो गया.
इस जघन्य अपराध को देखते ही वहां पर मौजूद लोगों ने पुलिस को सूचना दी. सूचना पाते ही आननफानन में घटनास्थल पर पुलिस भी पहुंच गई थी. पुलिस ने इस मामले में मृतक संजय यादव के बेटे जय से जानकारी जुटाई तो उस ने बताया कि रात के कोई 2 बजे उस के घर में बदमाश घुस आए. घर में घुसते ही बदमाशों ने उस के पिता की धारदार हथियार से गला रेत कर हत्या कर दी.
उस के बाद पास में ही सो रही उस की मां के चेहरे पर कई वार करने के बाद उन के हाथ की नस काट दी, फिर उन की कमर पर धारदार हथियार से हमला कर हत्या कर दी. दोनों की चीख सुन दूसरे कमरे में सो रही उस की नानी गौरी मंडल मौके पर पहुंची तो बदमाशों ने उन के पेट पर भी वार कर दिया, जिस के कारण वह भी गंभीर रूप से घायल हो गईं.
दोहरे मर्डर से क्षेत्र में मची सनसनी
3 लोगों की नाजुक हालत को देखते ही पुलिस ने एंबुलेंस भी बुला ली थी. तीनों को तुरंत जिला अस्पताल पहुंचाया गया, जहां पर डाक्टरों ने संजय यादव और उन की पत्नी सोनाली को मृत घोषित कर दिया. जबकि सोनाली यादव की मां गौरी मंडल की हालत गंभीर दखते हुए उन्हें शहर के एक निजी अस्पताल में रेफर कर दिया था. रात अधिक होने के कारण पुलिस ने दोनों मृतकों की लाश को मोर्चरी में रखवा दिया था.
अगले दिन सुबह ही पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंच कर मृतक परिवार के घर की जांचपड़ताल की. जांच के लिए डौग स्क्वायड को भी बुलाया गया था. इस दौरान भी सारे दिन देखने वालों की भीड़ लगी रही.
इस केस की अधिक जानकारी के लिए पुलिस ने कुमाऊं फोरैंसिक टीम भी बुला ली थी. घटना के बाद घर में मौजूद बिस्तर खून से लथपथ पड़ा हुआ था. फर्श पर भी कई जगह खून बिखरा मिला. फोरैंसिक टीम ने घटनास्थल पर पहुंचते ही टीम ने साक्ष्य जुटाए. उस के बाद पुलिस ने अपनी काररवाई करते हुए दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था.
7 पुलिस टीमों के 45 पुलिसकर्मी जुटे जांच में
इस जघन्य डबल मर्डर के शीघ्र खुलासे के लिए एसएसपी मंजूनाथ टीसी द्वारा जगदीश की गिरफ्तारी हेतु पुलिस अपराध एवं यातायात, एसपी (सिटी), सीओ अनुषा बडोला व पंतनगर के सीओ व एसएचओ कोतवाली सुंदरम शर्मा के निर्देशन में 7 पुलिस टीमों का गठन किया गया.
इस केस की गहराई तक जाने के लिए सब से पहले पुलिस ने घटनास्थल के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली. जिस के द्वारा राजवीर नाम का एक शख्स सुर्खियों में उभर कर सामने आया. पुलिस ने राजवीर की छानबीन की तो उस के कई नाम उभर कर सामने आए. जो जगदीश उर्फ राजकमल उर्फ राज नाम से ज्यादा जाना जाता था. उसी दौरान पुलिस को जानकारी मिली कि वह राजवीर नाम से कई साल पहले संजय यादव के घर के सामने किराए पर रह चुका था.
जगदीश उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर का मूल निवासी था. इस वक्त वह कहां रह रहा था, किसी के पास कोई ठोस जानकारी नहीं थी. फिर भी पुलिस ने उस के फोन नंबर को सर्विलांस पर लगा दिया. लेकिन वह नंबर काफी समय से बंद आ रहा था, जिस से पता चला कि अभियुक्त पुलिस की पकड़ से बचने के लिए पलपल स्थान बदल रहा था.
उस के बाद गठित टीमों द्वारा अपनाअपना काम करते हुए 5 राज्यों उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा व दिल्ली में जा कर लगभग 1200 सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली. लेकिन वह पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ रहा था. उस के बाद एसएसपी मंजूनाथ टीसी ने आरोपी की पकडऩे के लिए 25 हजार रुपए का ईनाम घोषित करते हुए अखबारों में भी विज्ञापन दिया. साथ ही आरोपी को शीघ्र पकडऩे के लिए पुलिस ने उस के पीछे मुखबिर भी लगा दिए.
9 अगस्त, 2023 को पुलिस को एक मुखबिर द्वारा सूचना मिली कि डबल मर्डर केस का आरोपी उत्तर प्रदेश के रामपुर शहर में मौजूद है. इस जानकारी के मिलते ही पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए मुखबिर की लोकेशन के आधार पर चारों तरफ से घेराबंदी करते हुए उसे अपनी हिरासत में ले लिया.
जगदीश को गिरफ्तार करते ही पुलिस टीम रुद्रपुर चली आई. रुद्रपुर लाते ही पुलिस ने इस हत्याकांड के बारे में उस से कड़ी पूछताछ की. जगदीश ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया. जगदीश ने बताया कि वह उसे दिलोजान से चाहता था. लेकिन सोनाली उस से प्रेम करने को तैयार न थी, जिस के कारण ही उसे इतना बड़ा कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा.
संजय और सोनाली ने की थी लव मैरिज
पुलिस पूछताछ और संजय यादव के परिवार से मिली जानकारी से इस मामले में जो कथा उभर कर सामने आई, वह इस प्रकार थी—
संजय यादव उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ का मूल निवासी था. 5 भाइयों में सब से छोटा संजय यादव अब से लगभग 17 साल पहले नौकरी की तलाश में रुद्रपुर आया था. उस वक्त वह अविवाहित था. रुद्रपुर आ कर उस ने एक किराए का कमरा लिया और यहीं पर नौकरी भी करने लगा था. उसी नौकरी करने के दौरान उस की मुलाकात सुभाष कालोनी निवासी सोनाली से हुई. उस वक्त सोनाली भी सिडकुल की एक फैक्ट्री में काम करती थी.