पबजी गेम की आड़ में की मां की हत्या – भाग 2

बैठक में सब सामान्य था. वहां सामने 2 कमरों के दरवाजे नजर आ रहे थे. इंसपेक्टर धर्मपाल ने बाईं ओर के दरवाजे की तरफ कदम बढ़ा दिए. वह बैडरूम था. इंसपेक्टर धर्मपाल ने जैसे ही कमरे में कदम रखा. तेज बदबू का झोंका उन की नाक से टकराया. रुमाल नाक पर होने के बावजूद इंसपेक्टर धर्मपाल का दिमाग झनझना उठा. उन्होंने रुमाल को नाक पर लगभग दबा ही लिया. उन की नजर बैड पर पड़ी तो वह पूरी तरह हिल गए.

बैड पर एक महिला का शव पड़ा हुआ था, जो काफी हद तक सड़ चुकी थी. नजदीक आ कर इंसपेक्टर धर्मपाल ने लाश का बारीकी से निरीक्षण किया. महिला के माथे पर गहरा सुराख नजर आ रहा था, जिस के आसपास खून जम कर काला पड़ गया था. लाश सड़ जाने के कारण चेहरा काफी बिगड़ गया था और उस की पहचान कर पाना मुश्किल था.

लाश के पास ही एक रिवौल्वर रखा हुआ था. स्पष्ट था इसी रिवौल्वर से महिला के सिर में गोली मारी गई थी, जिस से इस की मौत हो गई है. उन के इशारे पर एक पुलिसकर्मी ने रिवौल्वर पर रुमाल डाला और उसे अपने कब्जे में ले लिया.

लाश 2-3 दिन पुरानी लग रही थी. उस में से असहनीय बदबू उठ रही थी. घटनास्थल की बारीकी से जांच कर लेने के बाद इंसपेक्टर धर्मपाल कमरे से बाहर आ गए.

‘‘यह लाश किस की है?’’ उन्होंने बैठक में खड़े दक्ष से सवाल किया.

‘‘यह मेरी मौम की लाश है.’’ दक्ष ने सपाट स्वर में कहा, ‘‘इन्हें मैं ने गोली मारी है.’’

इंसपेक्टर धर्मपाल ने हैरानी से दक्ष की तरफ देखा. उन्हें विश्वास नहीं हुआ, 16 साल का यह लडक़ा बड़ी सरलता से अपनी मां को गोली मार देने की बात स्वीकार कर रहा है, क्या यह सच बोल रहा है?

‘‘तुम ने अपनी मां को गोली मारी है?’’ इंसपेक्टर हैरानी से बोले, ‘‘क्या तुम ठीक कह रहे हो?’’

‘‘मैं झूठ नहीं बोल रहा हूं सर. मैं ने ही अपनी मौम को गोली मारी है.’’ दक्ष बेहिचक बोला.

‘‘तुम ने अपनी मां को गोली क्यों मारी और यह रिवौल्वर तुम कहां से लाए हो?’’ इंसपेक्टर धर्मपाल ने रुमाल में बंधा रिवौल्वर दिखा कर पूछा.

‘‘रिवाल्वर मेरे डैड का है सर. इस का लाइसेंस है डैड के पास. यह रिवौल्वर उन्होंने सुरक्षा के लिए घर में ही रखा हुआ था. मौम मुझे पबजी गेम खेलने से मना करती थी. बातबात पर मुझे पीटती रहती थी. मैं कब तक सहन करता सर… इसलिए शनिवार और रविवार की रात को मौम को गोली मार दी थी.’’

‘‘यानी 3 जून और 4 जून, 2023 की रात को तुम ने अपनी मां की गोली मार कर हत्या कर दी. हत्या किए हुए कई दिन हो गए, क्या तुम इतने समय तक इसी घर में मां की लाश के साथ रहे?’’

‘‘और कहां जाते सर. मैं और मेरी बहन प्रियांशी हत्या के बाद से घर में ही हैं.’’

इंसपेक्टर धर्मपाल को दक्ष की बेबाकी और हिम्मत दिखाने पर हैरानी हो रही थी. मां की हत्या कर के यह लडक़ा अपनी बहन के साथ सड़ती जा रही लाश के साथ बड़ी बेफिक्री से अपने घर में ही जमा रहा है, यह हैरानी की ही बात है. यदि पड़ोसी इस असहनीय बदबू की सूचना पुलिस को नहीं देते तो न जाने कब तक दोनों भाई बहन लाश के साथ घर में ही रहते.

इंसपेक्टर धर्मपाल घर से बाहर आ गए. बाहर आसपास के लोग एकत्र हो कर नवीन कुमार सिंह के घर में आई पुलिस के बाहर आने का बेचैनी से इंतजार कर रहे थे. वे लोग यह जानने को उत्सुक थे कि नवीन कुमार सिंह के घर में ऐसी कौन सी चीज सड़ रही है, जिस की बदबू ने सभी को परेशान करके रख छोड़ा है.

‘‘क्या इस बदबू का राज मालूम हुआ सर?’’ शर्माजी ने आगे बढ़ कर इंसपेक्टर धर्मपाल से पूछा.

‘‘हां, दक्ष ने अपनी मां की गोली मार कर 3 दिन पहले हत्या कर दी है. लाश सड़ गई है, यही यहां फैल रही बदबू का कारण है.’’ इंसपेक्टर धर्मपाल ने बताया.

उन की बात सुन कर सभी हैरान रह गए.

‘‘दक्ष की मां का नाम बताएंगे आप?’’ इंसपेक्टर धर्मपाल ने शर्माजी से पूछा.

‘‘साधना सिंह था दक्ष की मां का नाम.’’ शर्माजी बोले.

‘‘आप इन के पति का फोन नंबर जानते हैं तो मेरी बात करवाइए शर्माजी.’’

‘‘ठीक है सर.’’ कहने के बाद शर्माजी ने नवीन कुमार सिंह का मोबाइल नंबर अपने मोबाइल से निकाल कर मिलाया. घंटी बजते ही दूसरी तरफ से नवीन कुमार सिंह ने काल रिसीव कर ली, ‘‘हैलो शर्माजी… मेरी पत्नी साधना आप को नजर आ गई हो तो.. मेरी बात करवाइए प्लीज.’’ नवीन कुमार सिंह के स्वर में बहुत उतावलापन था.

‘‘वह अब इस दुनिया में नहीं रही नवीनजी. मैं ने पुलिस को इनफौर्म कर दिया है. लीजिए इंसपेक्टर साहब से बात कीजिए.’’ शर्माजी ने मोबाइल इंसपेक्टर धर्मपाल की तरफ बढ़ा दिया.

‘‘मिस्टर नवीन कुमार सिंह, मैं इंसपेक्टर धर्मपाल बोल रहा हूं. आप के लिए बड़ी बुरी खबर है, आप के बेटे दक्ष ने आप की पत्नी साधना सिंह की गोली मार कर हत्या कर दी है.’’

‘‘मेरे बेटे दक्ष ने…ओह!’’ दूसरी तरफ से नवीन कुमार सिंह का घबराया हुआ स्वर उभरा, ‘‘मुझे ऐसा ही लग रहा था सर..यह दक्ष किसी दिन ऐसा कदम उठा सकता है… मेरा तो सब कुछ उजड़ गया.’’

‘‘आप यहां आ जाइए नवीनजी…’’ इंसपेक्टर धर्मपाल गंभीर हो गए, ‘‘मुझे आप के बेटे को पुलिस कस्टडी में लेना पड़ेगा. वह अपना गुनाह कुबूल कर रहा है.’’

‘‘जैसा आप उचित समझें इंसपेक्टर, मैं लखनऊ आ रहा हूं.’’ नवीन सिंह ने आहत स्वर में कहा और संपर्क काट दिया.

इंसपेक्टर धर्मपाल अपने उच्चाधिकारी को इस घटना की जानकारी देने के लिए अपने मोबाइल से नंबर मिलाने लगे थे. साधना सिंह की लाश को फोरैंसिक जांच करने के बाद पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया गया था.

पूरी न हुई ख्वाहिश

उत्तर प्रदेश के लखनऊ के रहने वाले रीतेश का अपना छोटा सा टेंट का कारोबार था. जिस के  लिए उस ने अपने 3 मंजिला मकान के नीचे वाले हिस्से में गोदाम बना रखा था. पहली मंजिल पर पत्नी स्मिता और 6 साल के बेटे यथार्थ के साथ वह खुद रहता था तो दूसरी मंजिल उस ने किराए पर उठा रखी थी, जिस में मझोले अपनी पत्नी शारदा के साथ रहता था. वह भी छोटामोटा काम कर के गुजरबसर कर रहा था.

रीतेश की पत्नी स्मिता कानपुर के मूलगंज स्थित नौगढ़ खोयामंडी की रहने वाली थी. उस ने कानपुर विश्वविद्यालय से बीए किया था. उस के अलावा उस की 2 बहने और 2 भाई थे. सभी की शादियां हो चुकी थीं. स्मिता सब से छोटी थी, इसलिए वह बहुत लाड़प्यार से पली थी. सयानी होने पर घर वालों ने उस की शादी लखनऊ के रहने वाले टेंट कारोबारी रीतेश से कर दी थी.

रीतेश का पूरा परिवार कारोबारी था, इसलिए पढ़लिख कर उस ने भी अपना अलग कारोबार कर लिया था. लखनऊ में उस का अपना 3 मंजिला मकान था. यही सब देख कर स्मिता के घर वालों को लगा था कि रीतेश से शादी होने पर उस का जीवन हंसीखुशी से गुजर जाएगा. स्मिता पढ़ीलिखी भी थी और सुंदर भी, इसलिए पहली ही नजर में रीतेश और उस के घर वालों ने उसे पसंद कर लिया था.

रीतेश से शादी कर के स्मिता लखनऊ आ गई. शादी के बाद कुछ दिन तो दोनों के बढि़या गुजरे. लेकिन उस के बाद दोनों के संबंध बिगड़ने लगे. जहां पहले बातबात में प्यार बरसता था, अब बातबात में झगड़ा होने लगा. इस की सब से बड़ी वजह थी रीतेश की नशे की लत. वह किसी एक चीज का आदी नहीं था. वह नशे के लिए गांजा और शराब तो पीता ही था, कुछ न मिलने पर भांग भी खा लेता था.

पति की नशे की लत से जहां स्मिता असहज रहने लगी थी, वहीं रीतेश चिड़चिड़ा हो गया था. बिना नशा के वह रह नहीं सकता था, जबकि स्मिता उसे इन सब चीजों से दूर रहने को कहती थी. यही वजह थी कि रीतेश शाम को नशे में झूमता घर लौटता तो स्मिता टोंक देती. उस के बाद दोनों में झगड़ा होने लगता. स्मिता ने पति को सुधारने की बहुत कोशिश की, लेकिन उस पर कोई असर नहीं पड़ा.

शादी के 3 सालों बाद रीतेश के यहां एक बेटा पैदा हुआ, जिस का नाम उस ने यथार्थ रखा. बेटा पैदा होने के बाद उस का ध्यान पत्नी की ओर से बिलकुल हट गया. अब वह सिर्फ बेटे को ही प्यार करता था.

रीतेश और स्मिता के स्वभाव में काफी अंतर था. जहां स्मिता खुशदिल और जीवन में आगे बढ़ने के सपने देखने वाली थी, वहीं रीतेश की सोच सिर्फ नशे तक सीमित थी. उसे जितनी चिंता नशे की होती थी, उतनी काम की भी नहीं होती थी. यही वजह थी कि शाम होते ही दोस्तों के साथ उस की महफिल जम जाती थी.

अब वह स्मिता से ठीक से बात भी नहीं करता था. शायद इसीलिए स्मिता कुछ कहती तो वह अनसुना कर देता था. अगर सुन भी लेता तो उसे पूरा नहीं करता था. पति की यह लापरवाही स्मिता को बहुत बुरी लगती थी. इस पर स्मिता को भी गुस्सा आ जाता था और पतिपत्नी के बीच लड़ाईझगड़ा होने लगता था.

इधर वह दोस्तों के साथ कुछ ज्यादा ही महफिल जमाने लगा था. इन महफिलों का असर उस के कारोबार पर ही नहीं, घरगृहस्थी पर भी पड़ रहा था. क्योंकि नशे के चक्कर में उस का ध्यान दोनों चीजों से हट गया था. स्मिता की बातों पर तो ध्यान देना उस ने पहले ही बंद कर दिया था. अब लड़ाईझगड़े की भी चिंता नहीं रहती थी, इसलिए वह मन का मालिक हो गया था.

इन बातों को ले कर उस की किराएदार शारदा भी हंसती थी. स्मिता देख रही थी कि उस के किराएदार कितने प्यार और समझदारी से रहते थे, जबकि वे हमेशा लड़तेझगड़ते रहते थे.

एक दिन स्मिता ने रीतेश से बासमती चावल लाने को कहा तो शाम को रीतेश नशे में लड़खड़ाता खाली हाथ घर आ गया. उस की इस हरकत से उसे गुस्सा आ गया. उस ने गुस्से में पैर पटकते हुए कहा, ‘‘कितना कहा था कि यथार्थ बिना चावल के खाना नहीं खा रहा है, फिर भी तुम हाथ झुलाते चले आए. 2 दिनों से बेटा चावल नहीं खा रहा है. लेकिन तुम्हें क्या, तुम ने तो अपना नशा कर ही लिया.’’

‘‘भई, काम के चक्कर में चावल के बारे में भूल गया. कल ला दूंगा. अब रात में तो चावल बनाना नहीं है.’’ रीतेश ने कहा.

‘‘काम के चक्कर में नहीं, यह क्यों नहीं कहते कि नशे के चक्कर में भूल गया. काम भूल जाते हो, जबकि नशा करना नहीं भूलते.’’

‘‘आखिर मेरे नशे से तुम्हें इतनी परेशानी क्यों है?’’ रीतेश ने झुंझला कर पूछा.

‘‘क्योंकि तुम नशे के चक्कर में काम भूल जाते हो. यही हाल रहा तो एक दिन तुम यह भी भूल जाओगे कि तुम्हारी बीवी और बच्चे भी हैं. नशे के चक्कर में तुम ने कारोबार तो बरबाद कर ही दिया है, धीरेधीरे घरगृहस्थी भी बरबाद कर दोगे. अपने साथ के लोगों को देखो, सभी ने कितनी तरक्की कर ली है. एक तुम हो, आगे जाने के बजाय पीछे चले गए हो.’’

‘‘मैं जैसा भी हूं, अब वैसा ही रहूंगा. अगर तुम्हें मुझ से परेशानी है तो तुम अपना रास्ता बदल सकती हो.’’ कह कर रीतेश दूसरे कमरे में चला गया.

‘‘आज तो तुम चावल लाए नहीं, अगर कल भी नहीं लाए तो खाना नहीं बनेगा.’’ कह कर स्मिता बिना कुछ खाए सोने वाले कमरे में चली गई. रीतेश से भी उस ने खाने के लिए नहीं कहा. उस ने कपड़े बदले और सोने के लिए लेट गई. यह 22 अप्रैल की बात है.

यथार्थ पहले ही सो चुका था. स्मिता भी सोने के लिए लेट गई थी. रीतेश आगे वाले कमरे में लेटा था. पत्नी की किचकिच से परेशान रीतेश को नींद नहीं आ रही थी. जब काफी प्रयास के बाद भी उसे नींद नहीं आई तो उस ने उठ कर एक बार फिर शराब पी कि शायद नशे की वजह से नींद आ जाए. लेकिन शराब पीने के बाद भी उसे नींद नहीं आई.

करवट बदलतेबदलते रीतेश परेशान हो गया तो उस का पत्नी के करीब जाने का मन होने लगा. वह नशे में तो था ही, इसलिए शायद वह यह भूल गया कि अभी थोड़ी देर पहले ही तो पत्नी से लड़ाईझगड़ा हुआ है. वह उसे अपने करीब कैसे जाने देगी. वह उठा और लड़खड़ाते हुए स्मिता के कमरे में पहुंच गया.

खाली पेट स्मिता को भी नींद नहीं आ रही थी. इसलिए जैसे ही रीतेश ने उसे जगाने की गरज से उस के ऊपर हाथ रखा, वह गुस्से में चीखी, ‘‘खाने तो दिया नहीं, अब सोने भी नहीं दोगे.’’

पत्नी के इस तरह चीखने से रीतेश समझ गया कि यहां रुकने से कोई फायदा नहीं है. यहां समझौता के बजाय लड़ाईझगड़ा ही होगा. उसे भी क्रोध आ गया, लेकिन वह बिना कुछ कहे ही बाहर आ गया. बाहर खड़े हो कर वह सोचने लगा कि उस की औकात इतनी भी नहीं रही कि वह पत्नी के पास सो सके. पत्नी उसे पति नहीं, उठल्लू का चूल्हा समझने लगी है. यह अपने आप को समझती क्या है. इसे लाइन पर लाना ही होगा.

रीतेश स्मिता को सबक सिखाने के बारे में सोच रहा था कि तभी उस की नजर सामने रखे हथौड़े पर चली गई. हथौड़े पर नजर पड़ते ही उस का इरादा खतरनाक हो उठा. उस ने हथौड़ा उठाया और कमरे में वापस आ गया. स्मिता आंख बंद किए लेटी थी. उसे क्या पता कि यहां क्या होने जा रहा है, इसलिए वह उसी तरह चुपचाप लेटी रही. रीतेश ने उस की इस लापरवाही का फायदा उठाया और उस पर हथौड़े से वार कर के इस तरह उसे खत्म कर दिया कि वह चीख भी नहीं पाई.

कमरे में खून ही खून फैल गया था. बिस्तर भी खून से तर हो गया था. उस के भी कपड़े खराब हो गए थे. उस ने पहले तो अपने ही नहीं, स्मिता के भी कपड़े बदले. बिस्तर बदला. उस के बाद कमरा साफ किया. स्मिता की लाश उस ने चादर से ढक दी. उस ने सोचा कि सुबह जल्दी उठ कर वह लाश को ठिकाने लगा देगा. लेकिन पत्नी की हत्या करने के बाद उसे यह चिंता होने लगी कि अब वह बचे कैसे? यही सोचते-सोचते वह सो गया तो सुबह देर से आंखें खुलीं.

23 अप्रैल की सुबह रीतेश जागा तो रात का पूरा दृश्य उस की आंखों के आगे घूमने लगा. वह उठ कर बैठ गया और सोचने लगा कि अब स्मिता की लाश का क्या करे. तभी किराएदार मझोले की पत्नी शारदा किसी काम से ऊपर आई. रीतेश को बाहर वाले कमरे में परेशान बैठा देख कर पूछा, ‘‘क्या बात है भाईसाहब, आप कुछ परेशान लग रहे हैं? यथार्थ की मम्मी अभी नहीं उठीं क्या?’’

‘‘उन की तबीयत ठीक नहीं है, इसलिए वह अभी सो रही हैं.’’ कह कर रीतेश ने शारदा को टाल दिया.

शारदा और उस के पति मझोले ने रात में रीतेश और स्मिता के बीच जो झगड़ा हुआ था, सुना था. उन का यह रोज का मसला था, इसलिए वे बीच में नहीं बोलते थे. लेकिन जब उन्होंने रीतेश को परेशान देखा और स्मिता उन्हें दिखाई नहीं दी तो उन्हें संदेह हुआ. लेकिन उन्होंने कुछ कहा नहीं.

कुछ देर बाद रीतेश का 6 साल का बेटा यथार्थ उठा तो उस ने भी मां के बारे में पूछा. तब रीतेश ने कहा, ‘‘बेटा, उन की तबीयत ठीक नहीं है, इसलिए वह सो रही हैं. अभी तुम उन्हें जगाना मत.’’

उस ने यथार्थ को खाने के लिए बिस्कुट और साथ में चाय दी. बेटे को चायबिस्कुट दे कर वह नीचे गोदाम में चला गया. उस का वहां भी मन नहीं लगा. वह स्मिता की लाश को ले कर काफी परेशान था. वह सोच रहा था कि किसी तरह से रात हो जाए तो वह उसे ठिकाने लगा दे. लेकिन रात होने से पहले ही उस की पोल खुल गई.

यथार्थ अकेला ही इधरउधर खेल कर टाइम पास कर रहा था. कुछ देर के बाद शारदा फिर ऊपर आई. उस ने यथार्थ को अकेला खेलते देख कर पूछा, ‘‘बेटा, तुम्हारी मम्मी कहां है?’’

‘‘मम्मी की तबीयत ठीक नहीं है, इसलिए वह सो रही हैं. पापा ने कहा है कि उन्हें जगाना मत.’’ यथार्थ ने कहा.

शारदा को संदेह तो पहले ही था कि कुछ गड़बड़ है. यथार्थ की बात सुन कर उस का संदेह गहराया तो वह अंदर आ गई, जहां स्मिता सो रही थी. उस ने स्मिता को तो नहीं देखा, लेकिन इधरउधर देखा तो वहां उसे खून के छींटे दिखाई दिए. वह भाग कर नीचे आई और उस ने सारी बात पति को बता दी.

इस के बाद मझोले ने इस बात की सूचना सआदतगंज कोतवाली को दे दी. सूचना मिलते ही कोतवाली प्रभारी समर बहादुर यादव ने 2 सिपाहियों को मामले का पता लगाने के लिए भेज दिया. दोनों सिपाही रीतेश के घर पहुंचे तो उन्हें देख कर उस का चेहरा सफेद पड़ गया. लेकिन उस ने खुद को जल्दी से संभाल कर पूछा, ‘‘आप लोग यहां, कोई खास काम है क्या?’’

‘‘क्या तुम हमें बताओगे कि तुम्हारी पत्नी कहां है?’’ एक सिपाही ने पूछा.

‘‘मेरी पत्नी की तबीयत खराब है, वह सो रही है. आप लोगों को उस से क्या काम पड़ गया, जो आप लोग उस के बारे में पूछ रहे हैं?’’ रीतेश ने कहा.

पुलिस वाले उस की बात का जवाब देने के बजाय किराएदारों के इशारा करने पर स्मिता के कमरे की ओर चल पड़े. इस पर रीतेश सिपाहियों के आगे खड़ा हो गया और उन्हें ऊपर जाने से रोकने लगा.  लेकिन सिपाही उसे धकिया कर ऊपर चले गए. स्मिता चारपाई पर लेटी थी. उसे चादर ओढ़ाई हुई थी. उस के शरीर से किसी तरह की हरकत नहीं हो रही थी. ऐसे में सिपाहियों को भी शक हुआ तो उन्होंने ऊपर पड़ी चादर हटा दी.

स्मिता की खून से सनी लगभग अर्धनग्न लाश सामने आ गई. सिपाहियों ने रीतेश को दबोच लिया. इस के बाद सिपाहियों ने हत्या की सूचना थानाप्रभारी को दे दी. थानाप्रभारी समर बहादुर यादव ने इस बात की जानकारी पुलिस अधिकारियों को दे दी. थोड़ी ही देर में रीतेश के घर थानाप्रभारी समर बहादुर यादव के साथ क्षेत्राधिकारी राजकुमार अग्रवाल पहुंच गए.

यथार्थ मां की खून से लथपथ लाश देख कर रोने लगा. वह पुलिस को कुछ बताने लायक नहीं था, इसलिए पुलिस ने उसे बाहर भिजवा दिया. इस के बाद पुलिस ने रीतेश से पूछताछ शुरू की तो उस ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया. पुलिस ने घटना की सूचना स्मिता के भाई राजू द्विवेदी को दी तो वह कानपुर से लखनऊ आ गया. उस के पहुंचने पर पुलिस ने उस की ओर से स्मिता की हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया.

पुलिस ने रीतेश की निशानदेही पर वह हथौड़ा और ड्रम में छिपाए गए खून से सने कपड़े बरामद कर लिए. यथार्थ को पुलिस ने उस के मामा के हवाले कर दिया. इस के बाद रीतेश को अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. अब उसे अपने किए पर पश्चाताप हो रहा है, लेकिन अब उस के इस पश्चाताप से क्या हो सकता है.

— कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

पबजी गेम की आड़ में की मां की हत्या – भाग 1

साधना सिंह बहुत बदहवास नजर आ रही थी. 3 बार उस ने अपने बैडरूम में रखी अलमारी का लौकर और ड्राअर का सामान उलटपलट कर के अच्छे से चैक कर डाला था. रात को ही उस ने 10 हजार रुपए अलमारी में रखे थे, वे गायब थे.

‘कहां गए 10 हजार रुपए?’ वह बड़बड़ाई, ‘सारा दिन तो वह घर में ही थी, कोई आयागया भी नहीं. फिर रुपए कहां चले गए? कहीं दक्ष ने वे रुपए चुरा कर पबजी गेम में तो नहीं उड़ा दिए?’

‘यकीनन रुपए दक्ष ने ही चुराए हैं.’ साधना सिंह के मन में दृढ़ विचार कौंधा.

गुस्से में तनी साधना सिंह बेटे दक्ष को ढूंढती हुई उस के स्टडी रूम आई तो वहां दक्ष कुरसी पर बैठा दिखाई दे गया. उस के सामने की टेबल पर एक किताब उलटी पड़ी थी. दक्ष के हाथ में मोबाइल फोन था, उस का पूरा ध्यान मोबाइल की स्क्रीन पर था.

साधना सिंह के तनबदन में आग लग गई. गुस्से में तो वह पहले ही थी. उस ने दक्ष के हाथ से मोबाइल छीन कर टेबल पर पटक दिया और दक्ष को बालों से पकड़ कर चीखी, ‘‘ठहर, मैं खिलवाती हूं तुझे पबजी गेम.’’

साधना सिंह बेरहमी से उसे पीटने लगी. दक्ष रोने लगा, रोते हुए ही बोला, ‘‘मैं गेम नहीं खेल रहा था मौम, मैं औनलाइन पढ़ाई कर रहा था.’’

‘‘झूठ बोलता है नालायक,’’ साधना सिंह उस के गाल पर जोर से थप्पड़ मारते हुए चीखी, ‘‘मेरी अलमारी से 10 हजार रुपए गायब हैं. बता वे रुपए तूने क्या किए हैं?’’

‘‘मैं ने आप के रुपए नहीं लिए हैं मौम, डैड की कसम ले लो…’’

‘‘डैड के बच्चे… तू मोबाइल में गेम्स खेल खेल कर चोर और निकम्मा बन गया है. रुपए चोरी कर के गेम्स में उड़ाने लगा है.’’ साधना सिंह गुस्से से उस के बाल पकड़ कर हिलाने लगी.

‘‘नहीं मौम, मैं चोरी नहीं करता… मैं अब गेम भी नहीं खेलता हूं,’’ दर्द से तड़पते हुए दक्ष बोला, ‘‘आप प्लीज, मेरे बाल छोड़ दो. मुझे मत मारो.’’

‘‘मेरे 10 हजार रुपए चोरी गए हैं, जब तक तू उन रुपयों के बारे में नहीं बताएगा, मैं तुझे पीटना बंद नहीं करूंगी.’’

दक्ष को साधना सिंह पीटती रही. दक्ष रोता गिड़गिड़ाता मार खाता रहा, लेकिन साधना सिंह के हाथ नहीं रुके. दक्ष मार से जब बेहाल हो गया तो वह उसे घसीटती हुई स्टोर रूम में ले आई और उस में बंद करती हुई गुस्से से चीखी, ‘‘तू अब इसी में बंद रहेगा, तुझे खाना भी नहीं मिलेगा. यदि तूने 10 हजार रुपए के बारे में नहीं बताया तो मैं कल तुझ पर मिट्टी का तेल डाल कर आग लगा दूंगी.’’

मार से दक्ष बेहोश सा हो गया था. होश खोने के बाद भी उस के होंठों से मद्धिम स्वर निकल रहे थे, ‘‘मैं ने रुपए नहीं चुराए हैं मौम. मैं.. निर्दोष हूं.’’

उत्तर प्रदेश के महानगर लखनऊ की यमुनापुरम कालोनी में 7 जून, 2023 की सुबह असहनीय बदबू से लोग परेशान हो उठे. यह बदबू नवीन कुमार सिंह के घर से आ रही थी. लग रहा था इस घर में कोई चीज सड़ रही है.

नवीन कुमार सिंह सेना में जूनियर कमीशंड अधिकारी के पद पर तैनात थे, उन की पोस्टिंग बंगाल के आसनसोल में थी. घर में उन की पत्नी साधना सिंह 50 वर्ष, बेटी प्रियांशी 10 वर्ष और बेटा दक्ष 16 वर्ष रहते थे. उन के सामने वाले घर में शर्मा दंपति रहते थे. उन्हें कल ही आसनसोल से नवीन कुमार सिंह का फोन आया. उन्होंने शर्माजी से कहा था कि वह उन के घर जा कर देखें. उन की पत्नी साधना उन का फोन नहीं उठा रही है, वह साधना से उन की बात करवा दें.

शर्माजी ने अपनी पत्नी को नवीन कुमार सिंह के घर भेजा था. वह घर के दरवाजे तक पहुंची थी तो उन्हें वहां तेज स्मैल महसूस हुई. दरवाजे पर ही उन्हें नवीन कुमार का बेटा दक्ष मिल गया था. साधना के विषय में पूछने पर उस ने बताया था कि मौम बिजली का बिल जमा करवाने गई हैं. शर्माजी की पत्नी वापस लौट आई थी. यह बात नवीन सिंह को शर्माजी ने बता दी थी.

आज नवीन कुमार सिंह के घर से आ रही बदबू बढ़ती जा रही थी. इस से शर्माजी का माथा ठनका. वह अपनी पत्नी से बोले,

‘‘मुझे लग रहा है, नवीनजी के घर में कुछ गड़बड़ हुई है. इस असहनीय बदबू से सांस लेना दूभर हो रहा है. मैं पुलिस कंट्रोल रूम में सूचना दे देता हूं. पुलिस आ कर देख लेगी कि माजरा क्या है.’’

‘‘असहनीय बदबू है जी. आप पुलिस कंट्रोल रूम में फोन लगाइए.’’ पत्नी ने भी कह दिया.

शर्माजी ने पुलिस कंट्रोल रूम को फोन कर के नवीन कुमार सिंह के घर से आ रही असहनीय बदबू के विषय में बता दिया.

यमुनापुरम क्षेत्र का थाना कोतवाली पीजीआई पड़ता था. आधा घंटा में ही कंट्रोल रूम से सूचना पा कर कोतवाली पीजीआई थाना पुलिस यमुनापुरम आ गई. एसएचओ धर्मपाल नवीन कुमार सिंह के घर के सामने पहुंचे तो घर से आ रही बदबू के कारण उन्हें रुमाल निकाल कर नाक पर रखना पड़ा. साथ में आए पुलिस वालों ने भी ऐसा ही किया.

इंसपेक्टर धर्मपाल ने घर के दरवाजे की कालबेल बजाई. दरवाजा दक्ष ने खोला. पुलिस को देख कर वह एक क्षण को विचलित हुआ, फिर तुरंत संभल गया.

‘‘आप को किस से मिलना है?’’ उस ने सामान्य तौर पर पूछा.

‘‘तुम्हारे पापा हैं घर में?’’

‘‘नहीं सर. वह आसनसोल में ड्यूटी पर हैं. मेरे पापा सेना में हैं.’’

‘‘ओह.’’ इंसपेक्टर ने होंठ सिकोड़े, ‘‘इस घर से बहुत तेज बदबू आ रही है. मुझे अंदर तलाशी लेनी है.’’

दक्ष एक तरफ हट गया. इंसपेक्टर धर्मपाल ने अंदर बैठक में कदम रखा. वहां सोफे पर 10 साल की प्रियांशी बैठी अपने स्कूल का काम कर रही थी. पुलिस को देख कर वह सहम गई और उठ कर अपने भाई दक्ष के पीछे आ कर खड़ी हो गई.

रेशमा की हंसी ने बुलाई मौत

उत्तर प्रदेश के महानगर मुरादाबाद के डीआईजी निवास के नजदीक गौतम नगर की गली नंबर-9 में नन्हे अपनी पत्नी रेशमा और ढाई साल के बेटे व मां के साथ 2 कमरों के मकान में रहता था. 8 मई, 2023 की रात 11 बजे की बात है. नन्हे के पड़ोस में रहने वाली नाजमा की रसोई के शेड पर रात के करीब 11 बजे कुछ गिरने की आवाज आई, जिस से रसोई के ऊपर की सीमेंट की चादरें तक टूट गईं. नाजमा समझी कि घर में चोर आ गए, उस ने अपने परिवार के लोगों को उठाया और जोर से ‘चोर…चोर’ कहते हुए शोर मचा दिया.

शोर सुन कर आसपास के घरों से लोग निकल आए. उन्होंने तभी देखा कि नन्हे अपनी पत्नी रेशमा के बाल पकड़ कर खींचता हुआ अपने घर में ले गया था. उधर नाजमा व अन्य लोगों ने देखा कि रसोई का शेड टूटा हुआ नीचे पड़ा है, वहां पर खून भी पड़ा था. इस के अलावा जिधर से नन्हे अपनी पत्नी रेशमा को घसीट कर ले गया था, वहां पर खून की बूंदें दिखाई दे रही थीं. इकट्ठा हुए लोग यह जानने के लिए नन्हे के घर पहुंच गए थे कि आखिर हुआ क्या है.

खून देख कर लोगों को हुआ शक

नन्हे के घर का गेट अंदर से बंद था. लोगों ने नन्हे को आवाज लगाई और गेट खोलने को कहा. नन्हे बोला कुछ नहीं हुआ मेरी पत्नी रेशमा ने गुस्से में अपनी कलाई की नस काट ली है, वह अस्पताल गई है. पड़ोसी नाजमा ने आवाज दी, ‘‘नन्हे गेट तो खोल, तूने मेरी रसोई का शेड तोड़ दिया है, उसे अब कौन बनवाएगा.’’

इस के बाद नन्हे ने अपने घर का गेट खोल दिया. गेट खुलते ही वहां मौजूद लोग अंदर घर में दाखिल हो गए. उन्होंने नन्हे की पत्नी रेशमा को पूरे घर में तलाशा, वह नहीं मिली. लोगों ने इतना जरूर देखा कि मकान के सेप्टिक टैंक (गटर) के पास खून की बूंदें व खून साफ करने के निशान थे. लोगों को मामला गंभीर दिखा तो उसी समय किसी ने थाना सिविल लाइंस को फोन कर दिया.

उस समय एसएचओ गजेंद्र सिंह रात्रि गश्त की तैयारी कर रहे थे ड्राइवर गाड़ी में बैठा उन के आने का इंतजार कर रहा था. एसएचओ कमरे से बाहर आए. तभी ड्ïयूटी औफिसर ने उन्हें डीआईजी साहब के बंगले के पास गौतम नगर गली नंबर 9 में लोगों की भीड़ जमा होने की सूचना दी.

यह सुन कर एसएचओ सीधे गौतम नगर चले गए. पुलिस को देखते ही लोग अपनेअपने घरों में चले गए. कुछ लोग छतों पर खड़े हुए थे. एसएचओ गजेंद्र सिंह ने पूछा कि नन्हे का घर कौन सा है? लोगों ने इशारे से बताया, ‘‘साहब वो है.’’

नन्हे के मकान का गेट खुला था. पुलिस जब उस के घर में पहुंची तो घर में जगहजगह खून बिखरा पड़ा था. एक छोटा दोढाई साल का बच्चा सोता मिला. पूरा घर खाली था. पुलिस को देख नन्हे के घर में कुछ बुजुर्ग लोग भी आ गए थे. उन्होंने बताया, ‘‘साहब, नन्हे व उस की पत्नी रेशमा में झगड़ा हुआ था, सेप्टिक टैंक के पास ज्यादा खून पड़ा है.’’

एसएचओ गजेंद्र सिंह ने एक सिपाही से कह कर गटर का ढक्कन उठवाया तो उस में कंबल व अंदर कपड़े पड़े थे. उन्हें हटा कर देखा तो वहां मौजूद पुलिस व लोग सन्न रह गए. गटर के अंदर रेशमा की खून से लथपथ लाश पड़ी हुई थी. पुलिस ने शव को गटर से बाहर निकाला. रेशमा का गला काटा गया था.

नन्हे आया पुलिस हिरासत में

इस हत्याकांड की सूचना एसएचओ गजेंद्र सिंह ने अपने उच्च अधिकारियों को दी. सूचना मिलते ही मुरादाबाद के एसएसपी हेमराज मीणा, एसपी (सिटी) अखिलेश भदौरिया, सीओ अर्पित कपूर भी घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने भी घटनास्थल की जांच की.

पुलिस के आने से पहले हत्यारा नन्हे घर से भाग गया था. एसएसपी हेमराज मीणा ने सीओ अर्पित कपूर के नेतृत्व में एक पुलिस टीम का गठन किया. पुलिस टीम आरोपी नन्हे की तलाश में जुट गई. पुलिस को 9 मई, 2023 को सफलता मिल गई.

मुखबिर की सूचना पर टीम ने भीमराव अंबेडकर पुलिस अकादमी के केंद्रीय पुलिस अस्पताल के सामने से नन्हे को उस समय धर दबोचा, जब वह बाहर भागने की फिराक में था. थाना सिविल लाइंस में उच्च अधिकारियों के सामने नन्हे से पूछताछ की गई तो उस ने पत्नी की हत्या करने का जुर्म स्वीकार कर लिया. उस ने पत्नी रेशमा के मर्डर की जो कहानी बताई, इस प्रकार निकली—

रेशमा नन्हे की थी दूसरी बीवी

मुरादाबाद शहर के गौतम नगर निवासी नन्हे की पहली शादी काशीपुर निवासी नाजनीन से हुई थी. नन्हे ईरिक्शा चलाता था. पहली पत्नी नाजनीन से 2 बेटियां पैदा हुईं. किसी वजह से दोनों के बीच अकसर झगड़ा होने लगा तो एक दिन गुस्से में नाजनीन अपनी छोटी बेटी को ले कर अपने मायके काशीपुर चली गई. उस ने नन्हे के साथ रहने को मना कर दिया. बड़ी बेटी नन्हे की बड़ी बहिन के पास है.

पत्नी के वापस न आने की शिकायत नन्हे ने थाना सिविल लाइंस में भी की. पुलिस ने नाजनीन को काशीपुर से थाने बुलाया. थाने में ही नाजनीन ने पति के साथ न रहने की बात दोहरा दी. तब नन्हे ने उसे तलाक दे दिया. यह बात करीब ढाई साल पहले की है.

पत्नी से तलाक के बाद नन्हे अकेला हो गया. फिर करीब 2 साल पहले जिला बिजनौर के कस्बा नेहटौर के कासमपुर लेखराज बाग निवासी रेशमा से निकाह कर लिया था. रेशमा भी पहले से शादीशुदा थी. उस के भी 2 बच्चे थे.

रेशमा की पहले लव मैरिज हुई थी. बदायूं निवासी कन्हैया नाम के युवक के पिता नेहटौर, बिजनौर में लेखराज बाग में आम के बाग की रखवाली करते थे. आम के बाग में कन्हैया भी अपने पापा के साथ ही रहता था.

कन्हैया गठे शरीर का गबरू इंसान था. वह गांव में स्थित दुकान से अकसर घरेलू खानेपीने का सामान लेने जाता था. वहीं पर खूबसूरत रेशमा से उस की आखें चार हुईं. दोनों ही एकदूसरे को चाहने लगे. बाग का एकांत क्षेत्र दोनों के मिलने के लिए काफी मुफीद था. नैन मटक्का होतेहोते दोनों में शारीरिक संबंध बन गए थे.

अवैध संबंध हो जाने के बाद एक दिन कन्हैया व रेशमा दोनों गायब हो गए थे. उस के बाद दोनों ने लव मैरिज कर ली थी. रेशमा उस के साथ हंसीखुशी रह रही थी. वह 2 बच्चों की मां बन चुकी थी. बाद में रेशमा अकसर अपने मायके में रहने लगी थी. यह बात कन्हैया को पसंद नहीं थी. जिस कारण कन्हैया व रेशमा में झगड़ा रहने लगा था. रेशमा का बड़ा बेटा अपने पिता कन्हैया से बहुत लगाव रखता था.

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रेशमा ने भी छोड़ रखा था पहला पति

रेशमा के अब्बू मेहंदी हसन का पहले ही इंतकाल हो चुका था. रेशमा का छोटा बेटा उस समय गोद में था. उस के बाद से रेशमा अपनी ससुराल नहीं गई थी. कन्हैया व रेशमा के बीच संबंध बिलकुल खत्म हो गए थे.

उधर रेशमा की अम्मी नसीमा ने अपने एक परिचित की मदद से नन्हे की मां छोटी से संपर्क साधा कि तुम्हारा बेटा भी अपनी पहली पत्नी नाजनीन को तलाक दे चुका है, मेरी बेटी रेशमा भी अपने पहले पति से अलग हो गई. इसलिए क्यों न नन्हे और रेशमा का निकाह कर दिया जाए.

करीब 2 साल पहले नन्हे ने नेहटौर जिला बिजनौर की रेशमा से निकाह कर लिया. नन्हे रेशमा को पा कर बहुत खुश था, क्योंकि रेशमा बला की खूबसूरत थी. नन्हे रेशमा से बहुत प्यार करता था. नन्हे ईरिक्शा चला कर ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाने में लगा रहता था. थकाहारा नन्हे घर आ कर खाना खा कर सो जाता था.

रेशमा कहीं अपने घर या रिश्तेदारों में हंसहंस कर फोन पर बात करती तो नन्हे को शक पैदा होता था कि उस का किसी गैरमर्द से जरूर कोई चक्कर चल रहा है. इसी बात को ले कर अकसर नन्हे और रेशमा में झगड़ा होता रहता था. शक आदमी को पागल बना देता है, ऐसा ही नन्हे के साथ हुआ था. नन्हे द्वारा पत्नी के चरित्र पर शक करने के बाद रेशमा ने भी नन्हे से दूरी बनानी शुरू कर दी. नन्हे रेशमा की बेवफाई से परेशान था. सुंदर होना भी उस के लिए एक अभिशाप बन गया था.

आदमी की फितरत ही कुछ ऐसी होती है कि सुंदर पत्नी यदि किसी से हंस कर बात कर ले या फोन पर ज्यादा परिवार वालों से बात कर ले तो वह शक करने लगता है. नन्हे के मन में शक ज्यादा गहराने लगा था. घर में आए दिन झगड़े होने लगे थे.

पति को होने लगा रेशमा पर शक

8 मई, 2023 की रात करीब 11 बजे से पहले भी रेशमा के चरित्र को ले कर दोनों में झगड़ा हुआ था. नन्हे का शक इतना बढ़ गया था कि वह कुछ भी करने को तैयार था. उस दिन नन्हे की मां अपनी छोटी लडक़ी शहनाज की ससुराल काशीपुर, उत्तराखंड गई हुई थी. घर में रेशमा के पहले पति कन्हैया से पैदा ढाई साल का बेटा ही मौजूद था.

उस दिन नन्हे खाना खा कर सोने चला गया था. उस की पत्नी रेशमा भी अपने बच्चे के साथ दूसरे कमरे में सोने चली गई थी. उधर नन्हे की नींद जैसे कोसों दूर हो चुकी थी. उसे नींद नहीं आ रही थी. मन में तरहतरह के विचार आ रहे थे.

वह उठा व घर में रखा छुरा उठा कर दूसरे कमरे में सो रही रेशमा के पास पहुंच गया. उस ने उस की गरदन जैसे ही छुरा से रेतनी शुरू की रेशमा की नींद खुल गई. पूरा जोर लगा कर रेशमा ने नन्हे को पलंग से नीचे गिरा दिया और वह कमरे से बाहर आ गई थी.

घायल अवस्था में छत से कूद गई थी रेशमा

जान बचाने का रास्ता नहीं था. घायल रेशमा भाग कर मकान की सीढिय़ों पर चढ़ गई. वहां से उस ने बराबर में रहने वाली नाजमा के घर में छलांग लगा दी. वह घर में न गिर कर गली में गिर गई. ठीक उसी समय नन्हे भी पीछा करते हुए वहां पहुंचा. उस ने भी पड़ोसी के घर में छलांग लगा दी. वह नाजमा की रसोई, जिस की छत सीमेंट के चादरों की थी, पर जा कर गिरा. उस के कूदते ही रसोई का शेड धड़ाम से टूट कर नीचे गिरा. बहुत जोर की आवाज हुई.

शोर सुन कर नाजमा ने समझा कि घर में चोर आ गए हैं, उस ने शोर मचा दिया. चोरचोर सुनते ही पड़ोसी लोग अपनेअपने घरों से निकल आए. नाजमा और पड़ोसियों ने देखा नन्हे रेशमा के बाल पकड़ कर खींचते हुए अपने घर में ले गया. वहां घायल रेशमा नन्हे के पैरों पर पड़ कर अपनी जान की भीख मांगने लगी. नन्हे पर भूत सवार था. उस ने एक झटके में रेशमा का गला रेत कर मौत के घाट उतार दिया.

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आननफानन में नन्हे ने अपने सेप्टिक टैंक (गटर) का ढक्कन उठा कर रेशमा के शव को उस में डाल कर ऊपर से कंबल व अन्य कपड़े डाल दिए. जो खून घर में पड़ा था जो उसे दिखाई दिया, उसे उस ने साफ कर दिया था.

मोहल्ले वाले जब पुलिस बुलाने की कोशिश कर रहे थे तो पुलिस के आने से पहले ही नन्हे फरार हो गया था. पुलिस ने रेशमा की हत्या की सूचना उस के मायके वालों को दी. रेशमा की अम्मी नसीमा सूचना मिलते ही अपने बड़े बेटे नाजिम व छोटी बेटी व बहनोई को ले कर मुरादाबाद आ गई. रेशमा की लाश देख कर घर के लोगों का रोरो कर बुरा हाल था.

रेशमा की अम्मी नसीमा ने थाना सिविल लाइंस में नन्हे के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई. पोस्टमार्टम के बाद रेशमा का शव अपने घर नेहटौर ले कर चली गई थी. साथ में रेशमा का ढाई साल का बेटा भी अपने साथ ले गई थी. वहां जा कर उन्होंने रेशमा को दफन कर दिया था. नन्हे से पूछताछ के बाद पुलिस ने उसे 9 मई, 2023 को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया.

रोशन न हो सका चोरी का चिराग

हरिद्वार में बेलवाला पुलिस चौकी के फोन की घंटी कुछकुछ देर बाद बज रही थी. 3 बार पहले भी लंबी रिंग के बाद बंद हो चुकी थी. तभी चौकी इंचार्ज प्रवीण रावत वहां पहुंच गए. पास खड़े सिपाही ने उन्हें सैल्यूट मारा. अपनी कुरसी पर बैठने से पहले रावत नाराज होते हुए बोले, “इतनी देर से फोन की घंटी बज रही है, उठाते क्यों नहीं हो?

“उसी का फोन है साहब जी…! सिपाही तुरंत खीजता हुआ बोला.

“किसका? रावत ने पूछा.

“जी साहब जी, उसी लेडी रेखा का! जिस का बच्चा 9 दिनों से लापता है! सिपाही बोला.

“रेखा का है, तो क्या हुआ? उसे जवाब नहीं देना है क्या? तब तक फोन की घंटी बंद हो चुकी थी.

“साहब जी, वह सुबह से दरजनों बार फोन कर चुकी है…मैं उसे जवाब देतेदेते तंग आ गया हूं…बारबार वही रट लगाए रहती है-मेरा बाबू कब मिलेगा… भूखा होगा…मेरा दूध कब पिएगा बाबू!

“अरे, वह मेरे मोबाइल पर भी कई बार कौल कर चुकी है….मैं ने उसे बात कर समझा दिया है. बोल दिया है कि उस का बच्चा जल्द उसे मिल जाएगा.’’ यह कहते हुए रावत अपनी कुरसी पर बैठ गए. वह अपने बगल में रखी फाइल के पन्ने पलटने लगे. तभी फिर फोन पर रिंग होने लगा. इस बार रावत ने ही फोन का रिसीवर उठाया.

“हैलो! बोलो…तुम्हें तो मैं ने आधा घंटा पहले ही बता दिया था न!… तुम्हारे बच्चे की तलाशी के लिए हम ने पुलिस की 4 टीमें लगा दी हैं…अभी मैं उन की ही रिपोर्ट देख रहा हूं. मैं मानता हूं कि बच्चे के बिना आप बेचैन हैं लेकिन बारबार फोन करने से बच्चा तो मिलेगा नहीं. तुम परेशान मत हो, जल्द तुम्हारा बच्चा मिल जाएगा…पुलिस पर भरोसा रखो और अपना भी ख्याल रखो…रोना-बिलखना बंद करो….!’’ यह कहते हुए रावत ने फोन कट कर दिया.

फोन पर रेखा को आश्वसन देने के बाद चौकी इंचार्ज ने पास रखे गिलास का पानी पी लिया और सिपाही से चाय मंगवाने के लिए कहा. सिपाही ने तुरंत औफिस अटेंडेंट को चाय के लिए आवाज लगा दी और रावत  फाइल देखने लगे. कुछ समय में चाय भी आ गई. चाय पर नजर डालते हुए रावत बोले,”अरे, बिस्कुट नहीं मंगवाया’’

“जी सर’’ कह कर सिपाही चुपचाप वहीं खड़ा रहा. रावत बोले “एक पैकेट कोई बिस्कुट ले आओ, और हां, दरोगाजी को यहां आने के लिए बोलते जाना.’’

“जी सर!’’ कहता हुआ सिपाही चला गया.

थोड़ी देर में रावत अपने सामने बैठे एसआई को फाइल के पन्ने पलटते हुए कुछ समझाने लगे. दरअसल, वह फाइल फोन करने वाली लेडी रेखा के बच्चे के लापता होने से संबंधित थी.

हर की पौड़ी से हुआ बच्चा चोरी

रेखा का बच्चा 17 जून, 2023 की आधी रात से ही गायब था. इस की जानकारी उसे 18 जून की सुबह 5 बजे तब हुई, जब वह सो कर उठी. गरमी का मौसम होने के कारण 38 वर्षीया रेखा अपने 6 माह के बेटे अभिजीत के साथ घर के बाहर सोई हुई थी. सुबह उस की नींद खुली तब उस ने पाया कि बेटा पास में नहीं था.

बच्चे को नहीं पा कर उस ने बगल में ही सो रहे अपने पति शिव सिंह को जगाया. रेखा का देवर भोटानी भी उस से कुछ दूरी पर ही सोया हुआ था. बच्चे अभिजीत के लापता होने के कारण तीनों घबरा गए. वे समझ नहीं पा रहे थे कि बच्चा आखिर गया कहां?

वह घुटने और हाथ के बल ही चल पाता था. उसे रेखा ने अपने और पति के बीच में सुलाया था. बिछावन भी जमीन से ऊंचाई पर था. वहां से वह खुद नहीं उतर सकता था. उन्हें यह समझते देर नहीं लगी कि उन का बच्चा किसी ने चुरा लिया है.

यह घटना उत्तराखंड में हरिद्वार स्थित हर की पौडी के निकट ऊर्जा निगम कार्यालय के परिसर की है. धार्मिक स्थान होने के कारण उस समय स्थानीय लोग हर की पौड़ी के निकट पूजाअर्चना और गंगा आरती देखने में व्यस्त थे. चारों ओर लाउडस्पीकरों से भजन और मंदिरों से घंटे घड़ियाल की तेज आवाज आ रही थी. यह स्थान हरिद्वार नगर कोतवाली की रोडी बेलवाला पुलिस चौकी के अंतर्गत आता है.

रेखा अपने पति शिव सिंह और देवर भोटानी के साथ आसपास के क्षेत्र में बच्चे की तलाश करने लगी. वे एकदम बदहवास से हो गए थे. रेखा काफी बदहवास थी. बारबार दुपट्टे से आंखों से आंसू पोछे जा रही थी. जब भी उन्हें आसपास कोई छोटा बच्चा दिखता उसे गौर से देखने लगती.

हर की पौड़ी के निकट वे एक घाट से दूसरे घाट पर घूमघूम कर बच्चे को तलाश करते रहे, मगर उन्हें उन का बच्चा नहीं मिला. उस बारे में कोई जानकारी भी नहीं मिली. जबकि वह सैकड़ों रहागीरों से अपने बच्चे के बारे में पूछ चुकी थी.

इसी प्रकार 3 घंटे बीत चुके थे. अंत में वे तीनों थक हार कर रोडी बेलवाला पुलिस चौकी गए. वहां पर चौकी प्रभारी प्रवीण रावत से मिल कर अपनी परेशानी बताई. उन्होंने प्रवीण रावत को बच्चा चोरी होने की शिकायत दर्ज कर उस की तलाशी की गुहार लगाई.

अपने इलाके से बच्चा चोरी होने की बात सुन कर प्रवीण रावत चौंक पड़े. उन से बच्चे के बारे में पूरी जानकारी लेने के बाद रावत ने उस स्थान पर जा कर मुआयना किया जहां तीनों रात में सोए थे. इस के बाद रावत ने वहां पर आसपास रहने वाले लोगों से बच्चे के बारे में पूछताछ की. रावत ने रेखा के मोबाइल से बच्चे की कई तस्वीरें अपने मोबाइल में वाट्सएप करवा लीं.

बच्चे को तलाशने में जुटी पूरे जिले की पुलिस

जब प्रवीण रावत को लापता बच्चे के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली, तब उन्होंने इस मामले की जानकारी कोतवाल हरिद्वार भावना कैंथोला को भी दी. भावना कैंथोला ने सब से पहले बच्चे अभिजीत के चोरी होने की जानकारी सीओ (सिटी) जूही मनराल, एसपी सिटी स्वतन्त्र कुमार तथा एसएसपी अजय सिंह को भी दे दी. रावत ने इस मामले में उन का काररवाई से संबंधित आदेश और दिशानिर्देश भी मांगा.

अजय सिंह के निर्देश पर भावना कैंथोला ने बच्चा चोरी की घटना का बच्चे के हुलिए सहित प्रसारण हरिद्वार पुलिस कंट्रोल के वायरलैस द्वारा करवा दिया. इस के बाद कैंथोला ने कुछ पुलिसकर्मियों को बच्चे की तलाश में रेलवे स्टेशन तथा स्थानीय बस अड्डों पर भी भेज दिया.

बच्चे के परिजन तथा पुलिस वाले शाम तक बच्चे की तलाश करते रहे, मगर शाम तक पूरा हरिद्वार छान लेने के बाद भी पुलिस को लापता बच्चे के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई. हालांकि हरिद्वार पुलिस पिछले 6 माह में लापता 3 बच्चों को सकुशल बरामद कर उन के परिजनों को सौंप चुकी थी. रेखा का लापता बेटे की उम्र मात्र 6 माह ही थी. इसे देखते हुए एसएसपी अजय सिंह ने उस की सकुशल बरामदगी करने के लिए मेला नियंत्रण कक्ष में अपने अधीनस्थ कर्मचारियों की एक मीटिंग बुलाई.

इस मीटिंग में एसपी (सिटी) स्वतंत्र कुमार, सीओ जूही मनराल, कोतवाल नगर भावना कैंथोला, एसपी (क्राइम) रेखा यादव, सीआईयू प्रभारी रणजीत तोमर तथा एसएसपी के जन संपर्क अधिकारी विपिन चंद पाठक शामिल हुए थे. बैठक में ही गहन विचार विमर्श हुआ कि बच्चे की तलाशी किस प्रकार से की जाय. इसी के साथ एकमत से एक निर्णय लिया गया.

साथ ही अजय सिंह ने सीआईयू प्रभारी को सब से पहले ऊर्जा निगम की कालोनी से ले कर रेलवे स्टेशन व बस अड्डे जाने वाले मार्ग पर लगे सीसीटीवी कैमरे चेक करने का निर्देश दिया. इस के बाद उन्हें वहां पर बच्चे के लापता होने वाले स्थान का साइट से डाटा जुटाने के निर्देश दिए.

कोतवाल भावना कैंथोला ने रेखा के देवर भोटानी पुत्र धर्म सिंह निवासी अंबेडकर नगर, थाना विजय नगर गाजियाबाद उत्तर प्रदेश की तहरीर पर बालक अभिजीत के चोरी होने का मुकदमा भादंवि धारा 363 के अंतर्गत अज्ञात चोरों के खिलाफ दर्ज कर लिया.

इस प्रकरण की विवेचना थानेदार सुनील रावत को सौंपी गई थी. भोटानी ने पुलिस को बताया कि वह अपने भाई शिव सिंह, भाभी रेखा तथा अपने 6 माह के भतीजे अभिजीत के साथ गत 15 जून, 2023 को हरिद्वार घूमने के लिए आया था. इसी दौरान 17 व 18 जून 2023 की मध्य रात्रि में उस का भतीजा चोरी हो गया.

तकनीकी जांच के सहारे आगे बढ़ती रही जांच इस तरह तमाम जानकारी के बाद सीआईयू प्रभारी रणजीत तोमर, सीआईयू के सिपाहियों सतीश नौटियाल और निर्मल बच्चा चोरी वाली जगह पर इस्तेमाल किए गए मोबाइल नंबरों की जानकारी जुटाने में लग गए.

इस के साथ ही भावना कैंथोला ने घटनास्थल से ले कर रेलवे स्टेशन व रोडवेज बस स्टैंड तक लगे लगभग डेढ़ सौ सीसीटीवी कैमरों की फुटेज को चेक किया. हरिद्वार में चूंकि बस स्टैंड व रेलवे स्टेशन आमनेसामने ही हैं. अत: वहां पर लगे कैमरों की फुटेज को पुलिस चेक करने में जुट गई.

इस तरह से की गई गहन छानबीन के तहत तोमर ने संदिग्ध मोबाइल नंबरों को चेक किया. उन्होंने पाया कि कुछ मोबाइल नंबर ऐसे भी थे, जो घटनास्थल के पास भी चले थे और हरिद्वार रोडवेज बस स्टैंड के पास भी उन नंबरों से बातचीत हुई थी. इस के अलावा हर की पौड़ी के निकट कुछ लोग बाद में रेलवे स्टेशन से व बसों द्वारा वापस जाते दिखाई दिए.

वापस जा रहे इन लोगों की छानबीन करने के लिए पुलिस की 4 टीमों का गठन किया था. इन टीमों को संदिग्ध लोगों के मोबाइल की जानकारी करने के लिए लगाया गया था. इस के अलावा पुलिस ने कुछ मुखबिरों को भी लगा दिया था. हरिद्वार जिले की आधी से ज्यादा पुलिस फोर्स बच्चे की तलाश में जीजान से जुट गई थी. फिर भी एक सप्ताह बीत जाने पर भी कोई सुराग नहीं मिल पाया था.

इधर बच्चे के लापता होने के गम में रेखा का रोरो कर बुरा हाल हो गया था. वह बारबार पुलिस को फोन कर बच्चे के बारे में पूछती रहती थी. उस की स्थिति विक्षिप्तों जैसी हो गई थी. पति और देवर भी बारबार थाने का के चक्कर लगा रहे थे. वे अपने स्तर से भी बच्चे की तलाशी के लिए हर की पौड़ी, रेलवे स्टेशन, बाजार, बस स्टैंड आदि जगहों पर दिन में कई बार चक्कर काट चुके थे. यहां तक कि लक्ष्मण झूला तक जा चुके थे.

जांचपड़ताल से मिली जानकारियों के आधार पर तैयार हो चुकी मोटी फाइल का अध्ययन करते हुए रावत को कुछ मोबाइल नंबरों पर संदेह हुआ. वे नंबर शक के दायरे में इसलिए आ गए थे, क्योंकि घटना के दिन कुछ समय बाद ही वह स्विच्ड औफ हो गए थे. पुलिस की 2 टीमें उन मोबाइल नंबरों की जानकारी जुटाने में लगी हुई थी.

वह 29 जून, 2023 का दिन था. सीआईयू प्रभारी रणजीत तोमर और कोतवाल भावना कैंथोला को भी बच्चा चोरी के मामले में एक मोबाइल नंबर पर शक हो रहा था. उन्होंने उस मोबाइल नंबर के बारे में पूरी जानकारी जुटाने की योजना बनाई.

वह मोबाइल नंबर दिल्ली के थाना छावला निवासी प्रसून कुमार पुत्र प्रमोद कुमार का निकला. उन के बारे में आगे की जानकारी लेने के लिए पुलिस की 2 टीमें दिल्ली जा पहुंचीं. जल्द ही उन का पता मालूम हो गया.

स्थानीय लोगों ने हरिद्वार पुलिस को बताया कि प्रसून कुमार दिल्ली में सुरक्षा गार्ड की नौकरी करता है. उस की बीवी प्रीति काफी अरसे से दिल्ली के कुतुब विहार क्षेत्र में एक ब्यूटी पार्लर चलाती है. इस के अलावा हरिद्वार पुलिस को यह भी जानकारी मिली थी कि कुछ दिन पहले प्रीति ने एक पुत्र को जन्म दिया था.

हरिद्वार पुलिस पहुंची दिल्ली

यह जानकारी मिलते ही हरिद्वार पुलिस दिल्ली के दंपति प्रसून और प्रीति के घर जा धमकी. इस से पहले उन्होंने उन के मोबाइल नंबर की लोकेशन का विश्लेषण किया. उस से पता चला कि वे बच्चा गायब होने वाले दिन हरिद्वार में थे.

इस बारे में हरिद्वार पुलिस टीम ने एसएसपी अजय सिंह से विचार विमर्श किया. इस के बाद अजय सिंह ने उन्हें आगे की छानबीन के निर्देश दिए. हरिद्वार पुलिस प्रसून के मोबाइल नंबर की लोकेशन के आधार पर दिल्ली के मकान नं. 422, कुतुब विहार, गोयल डेरी जा धमकी और उसे गिरफ्तार कर लिया.

प्रसून से जब पुलिस ने बच्चा चुराने की बाबत सख्ती से पूछताछ की, तब उस ने जल्द ही अपना अपराध स्वीकार लिया. साथ ही इस में अपनी पत्नी का हाथ होना बताया.

इस के बाद हरिद्वार पुलिस ने प्रसून की निशानदेही पर उस के घर में सोए बच्चे अभिजीत को बरामद कर लिया. साथ ही दूसरी आरोपी प्रसून की पत्नी प्रीति को महिला सिपाही गुरप्रीत ने हिरासत में ले लिया. बच्चा समेत बच्चा चोर दंपति को जांच टीम हरिद्वार ले आई.

इस तरह से हरिद्वार पुलिस ने बच्चा चोरी की गुत्थी को सुलझा लिया था. बच्चे के लापता होने के 14वें दिन रेखा व शिव सिंह को उन का बच्चा सौंप दिया.

हरिद्वार में आने के बाद प्रसून व प्रीति से एसएसपी अजय सिंह ने बच्चा चुराने की सिलसिलेवार जानकारी ली. इस पूछताछ में प्रीति ने पुलिस से कुछ भी नहीं छिपाया और बच्चा चुराने की घटना को पुलिस के सामने सचसच ब्यान कर दिया. प्रीति ने हरिद्वार पुलिस को जो जानकारी दी, वह इस प्रकार है-

सास के तानों से परेशान हो कर चुराया बच्चा

प्रीति चौडा गांव, जिला संभल, उत्तर प्रदेश की रहने वाली है. प्रसून उस का दूसरा पति है. इस से 16 साल पहले उस की शादी दिल्ली निवासी प्रवीण कुमार से हो चुकी थी. प्रवीण से उस के 2 बच्चे हुए. कुछ दिन बाद प्रवीण से प्रीति का मनमुटाव हो गया और उन के बीच तलाक हो गया. पहले पति से तलाक होने के बाद प्रीति ने भविष्य में संतान नहीं होने के लिए औपरेशन भी करा लिया था.

जब प्रसून से उस की दूसरी शादी हुई तब 2 साल बाद उसे ससुराल में ताने मिलने लगे. सास ने उस की नाक में दम कर दिया. प्रीति ने सास को अपने औपरेशन के बारे में जानकारी नहीं दी थी. परिवार के वारिस न होने के कारण सास के ताने दिनप्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे थे. एक दिन तो सास ने बच्चा नहीं होने के कारण उसे घर से ही निकाल दिया.

बच्चे की लालसा में प्रीति अकसर परेशान रहने लगी थी. उस का 12 जून, 2023 को अपने पति प्रसून के साथ दिल्ली से हरिद्वार जाना हुआ. उस ने हरिद्वार में रह कर कोई छोटा बच्चा चुराने की योजना बना रखी थी.

17 जून, 2023 की आधी रात को उसे तब मौका मिल गया जब उस ने ऊर्जा निगम परिसर में एक महिला को अपने बच्चे के साथ बेसुध अवस्था में सोते हुए देखा. मौका मिलते ही प्रीति ने चुपचाप बच्चे को गोद में उठा लिया और अपने पति के साथ बस द्वारा दिल्ली चली गई.

इतनी बात बताते बताते प्रीति भावुक हो गई. इस के बाद इस घटना के विवेचक सुनील रावत ने प्रीति के यह बयान रिकौर्ड कर लिए. बाद में पुलिस ने प्रीति के कब्जे से वह मोबाइल फोन जिस में बच्चा चोरी से संबंधित बातचीत रिकौर्ड हुई थी, बरामद कर लिया.

एसएसपी अजय सिंह ने मेला नियंत्रण कक्ष में एक प्रैसवार्ता आयोजित कर बच्चे अभिजीत की चोरी की घटना के खुलासे की जानकारी सार्वजनिक कर दी. अगले दिन पहली जुलाई, 2023 को पुलिस ने प्रसून व प्रीति को कोर्ट में पेश कर के जेल भेज दिया.

-कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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दांपत्य की लालसा – भाग 3

प्रभावती को ही नहीं, उस के घर वालों को भी पता चल गया था कि तेजभान शादीशुदा है. एक शादीशुदा आदमी के साथ जिंदगी नहीं पार हो सकती थी, इसलिए प्रभावती की बड़ी बहन सविता ने अपनी ससुराल लोहारपुर में उस के लिए एक लड़का देखा. वह उस के साथ प्रभावती की शादी कराना चाहती थी. लड़के को देखने और बातचीत करने के लिए उस ने प्रभावती को अपनी ससुराल बुला लिया.

जब इस बात की जानकारी तेजभान को हुई तो वह भी लोहारपुर पहुंच गया. जब उस ने देखा कि वहां एक लड़के के साथ प्रभावती बात कर रही है तो उसे गुस्सा आ गया. उस ने प्रभावती का हाथ पकड़ कर उस लड़के को 2-4 थप्पड़ लगाते हुए कहा, ‘‘तूने अपनी शकल देखी है जो इस से शादी करेगा.’’

प्रभावती के घर वाले उस की शादी जल्द से जल्द करना चाहते थे. लेकिन तेजभान टांग अड़ा रहा था. वह उस से खुद तो शादी कर नहीं सकता था लेकिन वह उस की शादी किसी ऐसे आदमी से कराना चाहता था, जो शादी के बाद भी उसे प्रभावती से मिलने से न रोके. क्योंकि वह प्रभावती को खुद से दूर नहीं जाने देना चाहता था. इसीलिए तेजभान ने अपने एक रिश्तेदार प्रदीप को तैयार किया.

वह रिश्ते में उस का मामा लगता था. तेजभान को पूरा विश्वास था कि प्रदीप से शादी होने के बाद भी उसे प्रभावती से मिलनेजुलने में कोई परेशानी नहीं होगी. प्रदीप उम्र में तेजभान से काफी बड़ा था. प्रभावती का भरोसा जीतने के लिए उस ने उस की एक जीवनबीमा पौलिसी भी करा दी थी.

प्रदीप से बात कर के तेजभान ने प्रभावती से कहा, ‘‘अगर तुम कहो तो मैं तुम्हारी शादी प्रदीप से करा दूं. वह अच्छा आदमी है. खातेपीते घर का भी है.’’

प्रभावती ने तेजभान की इस बात का कोई जवाब नहीं दिया. 2 दिनों बाद तेजभान प्रदीप को साथ ले कर प्रभावती से मिला. तीनों ने साथ खायापिया. प्रदीप चला गया तो तेजभान ने कहा, ‘‘प्रभावती, प्रदीप तुम्हें कैसा लगा? मैं इसी से तुम्हारी कराना चाहता हूं.’’

एक तो प्रदीप शक्लसूरत से ठीक नहीं था, दूसरे उस की उम्र उस से दोगुनी थी. वह शराब भी पीता था, इसलिए प्रभावती ने कहा, ‘‘इस बूढ़े के साथ तुम मेरी शादी कराना चाहते हो?’’

‘‘यह बहुत अच्छा आदमी है. उस से शादी के बाद भी हमें मिलने में कोई परेशानी नहीं होगी. दूसरी जगह शादी करोगी तो हमारा मिलनाजुलना नहीं हो पाएगा.’’

‘‘उस दिन मारपीट कर के तुम ने मेरी शादी तुड़वा दी थी. मैं उस बूढ़े से हरगिज शादी नहीं कर सकती. अब मैं तुम्हीं से शादी करूंगी. तुम्हें ही मुझे अपने घर में रखना पड़ेगा.’’ प्रभावती ने गुस्से में कहा.

प्रभावती अब तेजभान के लिए मुसीबत बन गई. वह उस से पीछा छुड़ाने की कोशिश करने लगा. तब प्रभावती उस से अपने वे पैसे मांगने लगी, जो उस ने उसे मोटरसाइकिल खरीदने के लिए दिए थे. दोनों के बीच टकराव होने लगा. तेजभान के साथ शादी कर के घर बसाने का प्रभावती का सपना तेजभान के लिए गले की हड्डी बन गया.

प्रभावती ने कह भी दिया कि जब तक वह शादी नहीं कर लेता, तब तक वह उसे अपने पास फटकने नहीं देगी. वह प्रभावती से शादी तो करना चाहता था, लेकिन उस की मजबूरी यह थी कि वह पहले से ही शादीशुदा था. उस की पत्नी को प्रभावती और उस के संबंधों के बारे में पता भी चल चुका था.

तेजभान को प्रभावती से पीछा छुड़ाने की कोई राह नहीं सूझी तो उस ने उसे रास्ते से हटाने का फैसला कर लिया. इस के बाद 7 दिसंबर, 2013 की शाम प्रभावती को समझाबुझा कर वह पूरे मौकी मजरा जगदीशपुर चलने के लिए राजी कर लिया. प्रभावती तैयार हो गई तो वह उसे मोटरसाइकिल पर बैठा कर चल पड़ा. परशदेपुर गांव के पास वह नइया नाला पर रुक गया.

मोटरसाइकिल सड़क पर खड़ी कर के वह बहाने से प्रभावती को सड़क के नीचे पतावर के जंगल में ले गया. सुनसान जगह पर प्यार करने के बहाने उस ने प्रभावती को बांहों में समेटा और फिर उस का गला घोंट कर मार दिया. प्रभावती को मार कर उस की लाश उस ने नाले के किनारे पतावर में इस तरह छिपा दिया कि वह सड़गल जाए. इस के बाद उस का मोबाइल फोन और अन्य सामान ले कर वह अपने गांव डीह चला गया.

प्रभावती अपने घर नहीं पहुंची तो घर वालों को चिंता हुई. उन्होंने तेजभान को फोन किया तो उस ने कहा कि वह प्रभावती से कई दिनों से नहीं मिला है. उसी दिन प्रभावती के घर जा कर उस ने उस के घर वालों को प्रभावती के बारे में पता करने का आश्वासन दिया. प्रभावती के घर वालों ने पुलिस को सूचना देने की बात कही तो ऐसा करने से उस ने उन्हें रोक दिया. उस का सोचना था कि कुछ दिन बीत जाने पर प्रभावती की लाश सड़गल जाएगी तो वैसे ही उस का पता नहीं चलेगा.

प्रभावती की तलाश करने के बहाने वह रोज उस के घर जाता रहा. 4-5 दिनों बाद जब उसे लगा कि अब प्रभावती की लाश नहीं मिलेगी तो वह अपने काम पर जाने लगा. उस ने अपने साथियों से भी कह दिया था कि अगर उन से कोई प्रभावती के बारे में पूछे तो वे कह देंगे कि उन्होंने 10-15 दिनों से उसे नहीं देखा है.

11 दिसंबर, 2013 की सुबह चौकीदार छिटई को गांव वालों से पता चला कि नइया नाला के पास पतावर के बीच एक लड़की की लाश पड़ी है, जिस की उम्र 23-24 साल होगी. चौकीदार ने यह सूचना थाना डीह पुलिस को दी. उस दिन थानाप्रभारी बी.के. यादव छुट्टी पर थे. इसलिए सबइंसपेक्टर आर.के. कटियार सिपाहियों के साथ घटनास्थल पर जा पहुंचे. शव की पहचान नहीं हो पाई.

घटना की सूचना पा कर पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार पांडेय और क्षेत्राधिकारी महमूद आलम सिद्दीकी भी पहुंच गए थे. उस समय जोरदार ठंड पड़ रही थी. चारों ओर घना कोहरा छाया था. निरीक्षण के दौरान देखा गया कि लड़की के हाथ पर ‘आई लव यू’ लिखा है.

पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया. पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार पांडेय ने थाना डीह पुलिस को हत्यारे को जल्द से जल्द पकड़ने का आदेश दिया था. वह इस की रोज रिपोर्ट भी लेने लगे थे. पुलिस ने लड़की के कपड़े और उस के पास से मिले सामान को थाने में रख लिया था. 13 दिसंबर को जब इस घटना के बारे में अखबारों में छपा तो खबर पढ़ कर प्रभावती के घर वाले थाना डीह पहुंचे. उन्हें पूरा विश्वास था कि वह 6 दिनों पहले गायब हुई प्रभावती की ही लाश होगी.

थाने आ कर प्रभावती के भाई फूलचंद और पिता महादेव ने लाश से मिला सामान देखा तो उन्होंने बताया कि वह सारा सामान प्रभावती का है. अब तक थानाप्रभारी बी.के. यादव वापस आ चुके थे. शव की शिनाख्त होते ही उन्होंने जांच आगे बढ़ा दी.

प्रभावती के घर वालों से पूछताछ के बाद पुलिस की नजरें तेजभान पर टिक गईं. प्रभावती के गायब होने के कुछ दिनों बाद तक तो वह प्रभावती के घर जाता रहा था, लेकिन 2 दिनों से वह नहीं गया था. 15 दिसंबर को 2 बजे के आसपास तेजभान डीह के रेलवे मोड़ पर मिल गया तो थानाप्रभारी बी.के. यादव ने उसे पकड़ लिया.

शुरूशुरू में तो तेजभान प्रभावती के संबंध में कोई भी जानकारी देने से मना करता रहा, लेकिन जब पुलिस ने उस के और प्रभावती के संबंधों के बारे में बताना शुरू किया तो मजबूर हो कर उसे सारी सच्चाई उगलनी पड़ी.

प्रभावती की हत्या का अपना अपराध स्वीकार करते हुए उस ने कहा, ‘‘साहब, वह बहुत मतलबी और चालू औरत थी. मेरे अलावा भी उस के कई लोगों से संबंध थे. मैं ने उसे मना किया तो वह मुझ से शादी के लिए कहने लगी. उस ने मुझे जो पैसे दिए थे, उस से मैं ने उस का बीमा करा दिया था. फिर भी वह मुझ से अपने पैसे मांग रही थी. परेशान हो कर मैं ने उसे मार दिया.’’

पुलिस ने तेजभान के पास रखा प्रभावती का सामान भी बरामद कर लिया था. इस के तेजभान के खिलाफ प्रभावती की हत्या का मुकदमा दर्ज कर उसे अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. कथा लिखे जाने तक वह जेल में ही था.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

सपना का अधूरा सपना

मंगेतर की कब्र पर रासलीला – भाग 3

संतोष और रेखा मिलते तो थे सब की नजरें बचा कर, लेकिन उन के हावभाव से रमा को उन पर शक हो गया. इस की एक वजह यह थी कि रमा को अपने पति की फितरत पता थी. उस ने रेखा को अपने घर में रखने से मना किया तो संतोष ने उसे अपने मामा चंद्रपाल के यहां बेलहिया पहुंचा दिया. अपनी होने वाली ससुराल देख कर और होने वाले पति से मिल कर रेखा खुश थी.

संतोष ने वहां पहुंच कर चंद्रपाल से कहा था, ‘‘मामा, तुम्हारी होने वाली बहू ले आया हूं. कुछ दिन रख कर देख लो. मैं 10 दिन बाद अंबाला जाऊंगा, तब इसे साथ ले जाऊंगा.’’

चंद्रपाल ने रेखा को अपने घर में रख लिया. रामकुमार अपनी होने वाली पत्नी से बातचीत तो करता था, लेकिन संतोष की तरह कभी उस के नजदीक जाने की कोशिश नहीं की थी. वह सोचता था कि जो काम शादी के बाद होता है, उसे शादी के बाद ही होना चाहिए.

रेखा को मामा के यहां छोड़ कर संतोष अपने घर तो लौट गया, लेकिन जल्दी ही उसे रेखा की याद सताने लगी. 2-3 दिन तो उस ने किसी तरह बिताए, लेकिन जब उस से नहीं रहा गया तो वह मामा के घर आ गया. रेखा चंद्रपाल के यहां घर के अंदर वाले कमरे में लेटती थी, जबकि रामकुमार अपनी मां जनकदुलारी के साथ वाले कमरे में सोता था. संतोष के सोने की व्यवस्था रामकुमार वाले कमरे में की गई थी.

रात में जब संतोष को लगा कि रामकुमार सो गया है तो वह चुपके से उठा और रेखा के कमरे में जा पहुंचा. रेखा ने उसे मना किया तो उस ने कहा, ‘‘यहां सभी घोड़े बेच कर सो रहे हैं, इसलिए चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है. तुम्हें पता होना चाहिए कि इतनी दूर मैं सिर्फ तुम से मिलने आया हूं.’’

रेखा मान गई तो संतोष उस के साथ शारीरिक संबंध बनाने लगा. इसी बीच अचानक रामकुमार की आंख खुल गई तो उसे रेखा के कमरे में फुसफुसाने की आवाज सुनाई दी. उस ने संतोष का बिस्तर टटोला तो वह गायब था.

रामकुमार सारा माजरा समझ गया, वह उठ कर सीधे रेखा के कमरे में जा पहुंचा. उस ने वहां जो देखा, उसे देख कर उसे गुस्सा तो बहुत आया, लेकिन उस ने उस गुस्से को जब्त कर के सिर्फ इतना ही कहा,

‘‘तुम लोगों पर भरोसा कर के मैं ने शादी के लिए हामी भर दी थी. लेकिन यह सब देख कर मेरा इरादा बदल गया है. निश्चिंत रहो, मैं यह बात किसी से नहीं बताऊंगा. तुम लोग चुपचाप अपने घर चले जाना.’’

उन दोनों को चेतावनी दे कर रामकुमार अपने बिस्तर पर आ कर लेट गया. रामकुमार की इस धमकी से रेखा और संतोष सन्न रह गए. उन की समझ में नहीं आ रहा था कि वे क्या करें. पलभर सोचविचार कर के रेखा बोली, ‘‘तुम शादीशुदा हो, इसलिए मैं तुम्हारे साथ नहीं रह सकती. चिंता की बात यह है कि अंबाला लौट कर हम भैयाभाभी को क्या जवाब देंगे कि रामकुमार शादी क्यों नहीं करना चाहता? अगर रामकुमार ने यह बात सब को बता दी तो हम किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे.’’

सुन कर संतोष परेशान हो उठा. वह कुछ सोच कर बोला, ‘‘अगर रामकुमार न रहे तो किसी को पता ही नहीं चलेगा कि रात में क्या हुआ था. इस का हल अब यही है कि उसे खत्म कर दें. इस से सारा झंझट ही खत्म हो जाएगा.’’

‘‘मार तो देंगे, लेकिन उस की लाश का क्या करेंगे?’’ रेखा ने चिंता जाहिर की तो संतोष बोला, ‘‘उस की चिंता करने की जरूरत नहीं है. मैं ने इस बारे में भी सोच लिया है.’’

उस समय रात के करीब 12 बज रहे थे. रेखा और संतोष दबे पांव रामकुमार के कमरे में पहुंचे. तब तक वह सो गया था. संतोष ने रेखा का दुपट्टा ले कर फुर्ती से रामकुमार के गले में डाला और जल्दी से कस दिया. रामकुमार छटपटा कर मर गया.

इस के बाद दोनों लाश को उसी कमरे में ले आए, जहां थोड़ी देर पहले रंगरलियां मना रहे थे. उन्होंने तख्त हटा कर वहां 3 फुट गहरा गड्ढा खोदा और उस में लाश डाल कर मिट्टी भर दी. सारा काम निपटा कर संतोष ने कहा,  ‘‘रेखा हमें यहां 3-4 दिन रुकना पड़ेगा. अन्यथा लोग हम पर शंका करेंगे. जब मामला शांत हो जाएगा, उस के बाद अंबाला चले जाएंगे.’’

‘‘लेकिन लाश से बदबू आने लगेगी तो हमारा राज खुल जाएगा.’’ रेखा ने आशंका व्यक्त की.

‘‘तुम बेकार ही परेशान हो रही हो. आज मुझे किसी ने यहां आते देखा तो है नहीं. केवल रामकुमार जानता था, वह रहा नहीं. कल मैं 5-6 किलो नमक ले आऊंगा. उसे डाल देंगे तो लाश गल जाएगी और बदबू नहीं आएगी.’’ कह कर संतोष रात में ही अपने गांव चला गया.

सुबह किसी ने रामकुमार की ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया. लेकिन जैसेजैसे समय बीता, उस की तलाश शुरू हुई. शाम होतेहोते पूरे गांव में खबर फैल गई कि रामकुमार गायब है. रेखा भी घर वालों के साथ रामकुमार की तलाश में लगी थी.

चंद्रपाल ने संतोष को रामकुमार के गायब होने की बात बताई तो वह भी उस की तलाश के बहाने बेलहिया आ गया. जब सब सो गए तो वह रेखा के कमरे में गया और रामकुमार की लाश पर पड़ी मिट्टी हटा कर अपने साथ लाया नमक उस पर डाल कर ठीक से मिट्टी फैला कर गड्ढा बंद कर दिया. इस के बाद उस के ऊपर तख्त डाल दिया. उस कमरे में अंधेरा रहता था, इसलिए किसी का भी इस ओर ध्यान नहीं गया कि वहां गड्ढा खोदा गया है.

घर में अब रामकुमार की मां जनकदुलारी ही रह गई थी. ऐसे में उन्हें किसी का डर नहीं था. इसलिए संतोष रामकुमार की लाश के ऊपर पड़े तख्त पर रेखा के साथ हर रात रंगरलियां मनाने लगा. चूंकि उन्हें इस के बाद इस तरह का मौका फिर मिलने वाला नहीं था. इसलिए इस का वे भरपूर लाभ उठा रहे थे.

रामकुमार का जब कई दिनों तक पता नहीं चला तो चंद्रपाल ने थाना भदोखर में उस की गुमशुदगी दर्ज करा दी. पुलिस ने भी 2-4 दिनों तक राजकुमार को इधरउधर खोजा. जब उस के बारे में कुछ पता नहीं चला तो पुलिस भी सुस्त पड़ गई. अब तक सभी को यकीन हो गया था कि रामकुमार घर छोड़ कर कहीं चला गया है.

उधर जब संतोष को पूरा यकीन हो गया कि गांव और घर वालों ने रामकुमार को लापता मान लिया है तो वह रेखा को ले कर वापस अंबाला चला गया. वहां उस ने रामकुमार के गायब होने की बात बता कर रेखा और रामकुमार की शादी वाली बात खत्म कर दी.

बाद में संतोष को रेखा से भी डर लगने लगा कि कहीं वह किसी से सच्चाई न बता दे. इस से बचने के लिए उस ने रेखा की शादी भोपाल के कटरा सुल्तान के रहने वाले रामगोपाल यादव से करा दी. रामगोपाल उसी के साथ नौकरी करता था. इस के बाद संतोष निश्चिंत हो गया, क्योंकि उस ने फंसने के सारे रास्ते साफ कर दिए थे.

वह समयसमय पर फोन कर के रामकुमार के पिता चंद्रपाल से उस का हालचाल लेता रहता था. लेकिन रामकुमार की लाश मिली तो पुलिस ने चंद्रपाल से विस्तार से पूछताछ की. उस ने उस रात घर में रेखा और संतोष के होने की बात बता कर उन के बारे में भी सारी बातें बता दी थीं.

पुलिस को रेखा और संतोष पर संदेह हुआ तो अंबाला जा कर दोनों को पकड़ लिया. पहले तो वे आनाकानी करते रहे, लेकिन पुलिस ने अंतत: सच्चाई उगलवा ही ली. रेखा और संतोष ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया तो थाना भदोखर पुलिस ने दोनों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर उन्हें अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.द्य

— कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित है.