सपना का अधूरा सपना – भाग 3

अभिनय ने आर्यसमाज मंदिर में विधिविधान से सपना से शादी कर के सभी को मिठाई खिलाई. इस के बाद प्रार्थना को उस के घर भेज दिया और सपना को साथ ले कर लोहियानगर स्थित अपने घर आ गया. अभिनय के घर वालों ने सपना को बहू के रूप में स्वीकार कर के उस का भव्य स्वागत किया.

प्रार्थना घर पर पहुंची तो उसे अकेली देख कर घर वालों ने सपना के बारे में पूछा. जब उस ने कहा कि बाजार में सपना उसे चकमा दे कर भाग गई है तो घर वाले बौखला उठे. उन्होंने तुरंत सपना को फोन किया. जब सपना ने बताया कि उस ने अभिनय से शादी कर ली है और अब वह उसी के यहां रहेगी तो कुंवरपाल सपना को समझाने लगा कि उस के इस कदम से उस की कालोनी और समाज में बड़ी बदनामी होगी, इसलिए वह वापस आ जाए.

लेकिन जब सपना ने साफसाफ कह दिया कि अब वह किसी भी सूरत में अभिनय को छोड़ कर नहीं आ सकती तो खीझ कर कुंवरपाल ने फोन काट दिया. इस के बाद पतिपत्नी ने प्रार्थना की जम कर पिटाई की. इस तरह सपना की करनी की सजा प्रार्थना को भोगनी पड़ी.

अगले ही दिन कुंवरपाल ने अपने दोनों सालों नंदकिशोर तथा राधाकिशन को बुलाया और उन से पूछा कि अब क्या किया जाए? एक बार उन के मन में आया कि क्यों न वे अभिनय को मार दें. लेकिन जब इस बात पर उन्होंने गहराई से विचार किया तो उन्हें लगा कि इस मामले में अभिनय की क्या गलती है, भाग कर शादी तो सपना ने की है, इसलिए जो सजा दी जाए, उसे दी जाए. इस तरह सपना घर वालों की आंखों का कांटा बन गई.

कुंवरपाल अकसर फोन कर के सपना को समझाता और धमकी देता रहता था कि उस ने जो किया है, वह ठीक नहीं किया है, वह वापस आ जाए, इसी में उस की भलाई है. अगर उस ने उस का कहना नहीं माना तो वह उसे छोड़ेगा नहीं, भले ही उसे पूरी उम्र जेल में बितानी पड़े. इस तरह सिर नीचा कर के जीने से तो अच्छा है, वह पूरी जिंदगी जेल में ही काट दे.

अभिनय के घर वालों ने सपना को बहू के रूप में स्वीकार तो कर लिया था, लेकिन अभिनय के पिता शिशुपाल सिंह जादौन के मन में एक कसक थी कि वह अपने बेटे की शादी धूमधाम से नहीं कर सके. इसलिए वह चाहते थे कि सपना के घर वाले उस की शादी धूमधाम से कर दें. सपना जानती थी कि उस का बाप ऐसा कतई नहीं करेगा, इसलिए उस ने ससुर से कह दिया कि ऐसा होना नामुमकिन है.

शिशुपाल सिंह को लगा कि बेटे की शादी धूमधाम से नहीं हो सकती तो वह अपने घर इस शादी की दावत कर के अपने परिचितों और रिश्तेदारों को बता दें कि उन के बेटे ने प्रेम विवाह कर लिया है. वह दावत की तैयारी कर रहे थे कि एक दिन कुंवरपाल पत्नी उर्मिला और साली के साथ उन के घर आ पहुंचा.

कुंवरपाल और उस की पत्नी ने सपना और उस की ससुराल वालों से कहा कि जो हो गया, सो हो गया. अब वे अपनी बेटी की शादी सामाजिक रीतिरिवाज के अनुसार धूमधाम से करना चाहते हैं. इसलिए शादी की तारीख तय कर के वे सपना को अपने साथ ले जाना चाहते हैं.

सपना मांबाप के साथ घर जाना तो नहीं चाहती थी. लेकिन अभिनय और उस के ससुर शिशुपाल सिंह ने समझाबुझा कर उसे कुंवरपाल के साथ भेज दिया.

आखिर वही हुआ, जिस बात का सपना को डर था. घर आने के बाद कुंवरपाल सपना को इस बात के लिए राजी करने लगा कि उस ने एटा के जिस लड़के के साथ उस की शादी तय की है, वह उस के साथ शादी कर ले. सपना इस के लिए तैयार नहीं थी. उस का कहना था कि एक बार उस ने अभिनय से शादी कर ली है तो वह अब किसी दूसरे से शादी क्यों करे.

25 जुलाई की शाम को भी कुंवरपाल ने सपना से एटा वाले लड़के से शादी करने की बात कही. लेकिन सपना ने साफ मना कर दिया. इस के बाद रात का खाना खा कर जब घर के सभी लोग सो गए तो कुंवरपाल दबे पांव सपना के कमरे में पहुंचा. अंदर से सिटकनी बंद कर के उस ने एक बार फिर सपना को शादी के लिए मनाना चाहा. लेकिन सपना नहीं मानी तो वह उसे मनाने के लिए करंट लगाने लगा. इसी करंट लगाने में सपना बेहोश हो गई.

सपना का इस तरह बेहोश हो जाना कुंवरपाल को खतरे की घंटी लगा. उस ने सोचा कि अब इस का जिंदा रहना ठीक नहीं है, इसलिए उस ने उस की गर्दन और हाथ पर तार लपेट कर प्लग में लगा दिया, जिस से सपना तड़पतड़प कर मर गई.

सपना को मौत के घाट उतार कर कुंवरपाल ने यह बात पत्नी उर्मिला को बताई तो वह सन्न रह गई. उस ने सपने में भी नहीं सोचा था कि उस का पति इतना घिनौना काम भी कर सकता है. कुंवरपाल ने गुस्से में सपना को मार तो डाला, लेकिन अब उसे अपने किए पर पछतावा हो रहा था. अब उसे जेल जाने का भी डर सताने लगा था. उस समय रात के 2 बज रहे थे.

पुलिस से बचने के लिए उस ने अन्य बच्चों को जगाया और उन्हें घर से बाहर कर के सपना के मोबाइल फोन का स्विच औफ कर दिया. उन्होंने बच्चों को इस बात की जानकारी नहीं होने दी कि सपना के साथ क्या हुआ है. घर में बाहर से ताला लगा कर कुंवरपाल पत्नी और अन्य बच्चों के साथ फरार हो गया.

पूछताछ के बाद उत्तर कोतवाली पुलिस ने अपनी ही बेटी की हत्या के आरोप में कुंवरपाल सिंह यादव को जेल भेज दिया. कथा लिखे जाने तक बाकी कोई गिरफ्तार नहीं हुआ था. पुलिस उन की तलाश कर रही थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

चाहत का कहर : माशूका की खातिर – भाग 3

रामू की मुलायम सिंह, राहुल और तेजा से खूब पटती थी. इन में से मुलायम सिंह और तेजा पास के ही गांव के रहने वाले थे, जबकि राहुल मैनपुरी के कुरावली कस्बे का रहने वाला था. एक दिन सभी एक साथ एक ढाबे में बैठे खापी रहे थे, तभी राहुल न कहा, ‘‘यार रामू, कभी हम लोगों को भी कुसुमा भाभी से मिलवा.’’

‘‘तुम लोग उस से मिल कर क्या करोगे?’’ रामू ने पूछा.

तेजा ने हंसते हुए कहा, ‘‘जो तू करता है, वही हम लोग भी करेंगे.’’

‘‘खबरदार, कुसुमा के बारे में अब एक भी शब्द बोला तो…?’’ रामू गुर्राया.

‘‘इस में तुझे मिर्चें क्यों लग रही है? कौन सी वह तेरी बीवी है?’’ मुलायम सिंह ने रामू के कंधे पर हाथ रख कर कहा.

‘‘यह अच्छी बात नहीं है, इसलिए मैं चाहता हूं कि तुम लोग उस की बात बिलकुल मत करो.’’ कह कर रामू उठ खड़ा हुआ.

राहुल ने रामू का हाथ पकड़ कर बैठाने की कोशिश करते हुए कहा, ‘‘भई, हम सब दोस्त हैं, इसलिए जो भी मिले, हम सब को मिलबांट कर खाना चाहिए.’’

राहुल की यह बात रामू को इतनी बुरी लगी कि उस ने गुस्से में उसे 2-4 तमाचे जड़ दिए. मुलायम ने रामू को धकेल कर अलग करते हुए कहा, ‘‘यह तुम ने अच्छा नहीं किया रामू.’’

‘‘कान खोल कर सुन लो, तुम में से किसी ने भी मेरी जिंदगी में दखल देने की कोशिश की तो मैं उस के साथ भी यही करूंगा.’’ कह कर रामू चला गया.

बाकी तीनों दोस्त रामू के इस रवैये से सन्न थे. किसी से कुछ कहते नहीं बन रहा था. आखिर चुप्पी मुलायम सिंह ने तोड़ी. ‘‘हम इतने भी गएगुजरे नहीं हैं कि इस की मारपीट चुपचाप सह लेंगे.’’

रामू के ये सभी दोस्त उस से जल रहे थे. वे कुसुमा को पाना चाहते थे, लेकिन रामू ने उन की इच्छाओं पर पानी फेर दिया था. इसलिए वे रामू को सबक सिखाने के बारे में सोचने लगे. 2 दिनों तक तीनों रामू द्वारा किए अपमान का बदला लेने की साजिश रचते रहे.

अंतत: उन्होंने तय किया कि रामू को ऐसी सजा दी जाए कि कोई दोस्त फिर कभी अपने किसी दोस्त का इस तरह अपमान न कर सके. इस के बाद उन्होंने योजना भी बना डाली. उसी योजना के तहत तीनों ने रामू से माफी मांगी. रामू ने सोचा कि जब इन्हें अपनी गलती का अहसास हो गया है तो उसे भी अपनी गलती के लिए माफी मांग लेनी चाहिए. उस ने भी दोस्तों से अपनी गलती के लिए माफी मांग ली.

इस के बाद मुलायम ने कहा, ‘‘इस खुशी में आज रात मैं सभी को पार्टी दे रहा हूं.’’

‘‘क्या खिलाएगा पार्टी में?’’ रामू ने पूछा.

‘‘भई पार्टी है तो कुछ अच्छा ही होगा. शाम को हम तुझे तेरे घर लेने आएंगे, तू तैयार रहना.’’ तेजा ने कहा.

शाम को रामू घर में ही था. उस के दोस्त उसे बुलाने आए तो मां को बता कर वह उन के साथ चला गया. एक ढाबे से गोश्त और रोटियां पैक कराई गईं. इस के बाद शराब की दुकान से एक बोतल शराब खरीदी गई. सारी व्यवस्था कर के तय किया गया कि भूरा की दुकान की छत पर बैठ कर खानापीना होगा.

भूरा की दुकान हिंदपुरम कालोनी के सामने ही थी. कालोनी अभी नईनई बस रही है, इसलिए यहां अभी इक्कादुक्का मकान ही बने हैं. दूसरी ओर खेत हैं, इसलिए लोगों का आनाजाना इधर कम ही होता है. यही वजह थी कि अंधेरा होते ही इधर सन्नाटा पसर जाता था. यह मैनपुरी का काफी संवेदनशील इलाका माना जाता है.

तीनों दोस्त रामू को साथ ले कर भूरा की दुकान की छत पर आ गए. इस के बाद बातचीत के बीच खानापीना होने लगा. रामू काफी अच्छे मूड में था, इसलिए उस ने शराब थोड़ी ज्यादा पी ली. दोस्तों ने उसे पिलाई भी कुछ ज्यादा. काफी देर हो गई तो रामू ने कहा, ‘‘भई, अब घर चलना चाहिए.’’

‘‘कौन से घर, मां के या माशूका के?’’ मुलायम सिंह ने छेड़ा.

रामू लड़ाईझगड़े के मूड़ में नहीं था, इसलिए उठ कर खड़ा हो गया.

वह चलता, उस के पहले ही मुलायम सिंह ने उसे छेड़ते हुए कहा, ‘‘चल, हम भी तेरे साथ तेरी माशूका के यहां मौजमस्ती करने चलते हैं.’’

दरअसल, मुलायम सिंह उसे उकसाना चाहता था. मुलायम की इस बात पर रामू को गुस्सा आ गया तो वह उस की ओर झपटा. फिर क्या था, तीनों दोस्तों ने उसे दबोच कर गिरा दिया. इस के बाद वहां रखे फावड़े से उस की गर्दन काट दी. अब उन्हें लाश को ठिकाने लगाना था. काफी सोचविचार कर वे लाश को घसीट कर नीचे ले आए और सड़क के उस पार बहने वाले नाले में फेंक कर भाग खड़े हुए.

काफी रात बीत गई और रामू नहीं लौटा तो शांति परेशान होने लगी. उस ने सोचा कि वह कुसुमा के यहां होगा. इसलिए उस ने सवेरा होते ही मनोज को कुसुमा के घर भेजा. तब पता चला कि रात में वह कुसुमा के घर भी नहीं था. इस के बाद उस की खोज शुरू हुई.

रामू अपने दोस्तों के साथ गया था. उस के दोस्तों से उस के बारे में पूछा जाता, उस के पहले ही किसी लड़के ने आ कर बताया कि रामू की लाश सड़क के किनारे बहने वाले नाले में पड़ी है.

कोतवाली पुलिस को सूचना दी गई. सूचना मिलते ही इंस्पेक्टर शंकर सिंह और क्षेत्राधिकारी वी.पी. सिंह पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर आ पहुंचे. निरीक्षण में उन्होंने देखा कि खून नाले से सामने की दुकान तक फैला है. छत पर जाने वाली सीढि़यों पर भी खून फैला था. पुलिस छत पर पहुंची तो वहां भी खून फैला दिखाई दिया. वहीं खून से सना फावड़ा भी पड़ा था. इस का मतलब यह था कि उसी फावड़े से छत पर मृतक की हत्या की गई थी.

पूछताछ में पता चल गया कि मृतक के मोहल्ले की ही एक महिला से अवैध संबंध थे. घरवालों ने भी बता दिया था कि कल शाम को रामू को उस के 3 दोस्त बुला कर ले गए थे.

इस के बाद रामू के छोटे भाई शिवशंकर ने मैनपुरी कोतवाली में भाई की हत्या की रिपोर्ट दर्ज करने के लिए जो तहरीर दी, उस के आधार पर उसे पुलिस ने अपराध संख्या 641/13 पर भादंवि की धारा 302, 201, 120बी के तहत मुलायम सिंह पुत्र सूरज, निवासी नगला पंजाबा, राहुल पुत्र किशनलाल, निवासी कुरावली तथा तेजा पुत्र बाबूराम, निवासी हिंदपुरम कालोनी और कुसुमा पत्नी मुकेश, निवासी हिंदपुरम कालोनी के खिलाफ दर्ज कर लिया.

मुलायम सिंह, तेजा और राहुल तो पहले से ही फरार थे, कुसुमा को भी जब पता चला कि रिर्पोट में उस का भी नाम है तो वह भी फरार हो गई. लेकिन पुलिस ने जाल बिछा कर मुलायम सिंह, तेजा और राहुल को उसी दिन यानी 16 जुलाई, 2013 की देर शाम गिरफ्तार कर लिया.

तीनों को थाने ला कर पूछताछ की गई तो उन्होंने अपना जुर्म स्वीकार कर के रामू की हत्या की पूरी कहानी सुना दी. अगले दिन पुलिस ने तीनों को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. पूछताछ में उन्होंने साफसाफ कहा था कि रामू की हत्या में कुसुमा शामिल नहीं थी. लेकिन रिपोर्ट में उस का नाम शामिल था, इसलिए 26 जुलाई, 2013 को उस ने अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

इस तरह कुसुमा की वासना की आग ने अपना घर तो जलाया ही, शांति के घर को भी नहीं बख्शा. शांति का कहना है कि रामू ने तो नादानी की ही, कुसुमा भी कम गुनहगार नहीं है. उसी ने उस के मासूम बेटे को गुमराह किया था. कथा लिखे जाने तक चारों आरोपी जेल में थे.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

दो बहनों का एक प्रेमी – भाग 3

जिस जगह शमीम बानो का कत्ल हुआ था, वहां घनी आबादी थी. शमीम का गला तो रेता ही गया था. उस के हाथ की अंगुली भी कटी हुई थी. इस का मतलब था कि मृतका का हत्यारों से संघर्ष हुआ था और उसी की वजह से उस की अंगुली कटी थी. आश्चर्य की बात यह थी कि इस के बावजूद किसी ने शोरशराबे की आवाज नहीं सुनी थी.

शमीम की हत्या किस ने और क्यों की, यह बात किसी की समझ में नहीं आ रही थी. पुलिस ने इस मुद्दे पर गहराई से सोचा तो उस की निगाह रूबीना पर गई, क्योंकि शमीम और रूबीना की अच्छी दोस्ती थी. उसी ने उसे दिल्ली के किसी लड़के से मिलवाया था.

पुलिस ने इस पहलू पर भी गौर किया कि कहीं रूबीना कोई सैक्स रैकेट तो नहीं चलाती है. क्योंकि उस स्थिति में उस के रैकेट में शमीम के भी शामिल होने की संभावना हो सकती थी. साथ ही यह भी कि लेनदेन के किसी विवाद की वजह से शमीम की हत्या हो सकती थी.

शमीम की हत्या के मामले में कई दिनों तक अटकलों का बाजार गरम रहा. जितने मुंह उतनी बातें. पुलिस ने रूबीना से भी पूछताछ की. लेकिन रूबीना और शमीम की भाभी जरीना ने जो बयान दिए, उस ने आफरीन को ही कटघरे में ला कर खड़ा कर दिया.

रूबीना ने बताया कि आफरीन अपने चचेरे भाई सिद्दीक से प्यार करती थी. एक बार वह घर से 50 हजार रुपए ले कर सिद्दीक के साथ भाग भी चुकी है. वह सिद्दीक से शादी करना चाहती थी, लेकिन शमीम मना करती थी. उस का कहना था कि सिद्दीक एक तो कुछ कमाता नहीं है, ऊपर से लोफरलंपट स्वभाव का है.

रूबीना की भाभी जरीना ने बताया कि वह 4 बजे के आसपास शमीम के घर अपना सब्जी वाला डोंगा लेने गई थी. तब आफरीन घर में ही थी और उस ने दरवाजा नहीं खोला था. इस पर जरीना ने खिसिया कर कहा था कि कोई अंदर है क्या, जो तू दरवाजा नहीं खोल रही है. जवाब में आफरीन ने कहा था कि अप्पी घर में नहीं है, वह गेट नहीं खोलेगी.

जरीना ने अपना डोंगा मांगा तो उस ने गेट के ऊपर से उस का डोंगा थमा दिया. डोंगा ले कर वह अपने घर लौट आई थी. शाम 6 बजे के करीब जब जरीना खीर ले कर गई तो आफरीन ने दरवाजा खोल दिया और खीर लेने के बाद बोली, ‘‘भाभी, मेरी अप्पी को देख लो. किसी ने उस का गला काट दिया है.’’

जरीना और रूबीना के इस बयान के बाद शक की सुई आफरीन की तरफ घूम गई. सच्चाई की तह तक जाने के लिए पुलिस ने मुखबिरों का जाल बिछाया तो पता चला कि आफरीन साढ़े 4 बजे अपने घर से निकल कर सामने वाली पान की गुमटी पर आई थी और उस ने वहां से पान मसाला और सिगरेट लिया था. दुकानदार ने उस से पूछा भी था कि क्या कोई आया है. इस पर उस ने बताया था कि कुछ मेहमान आए हैं, उन्हीं के लिए ले जा रही हूं.

ये बातें पता चलने के बाद थानाप्रभारी आलोक कुमार ने आफरीन का मोबाइल अपने कब्जे में ले लिया. यहां स्पष्ट कर दें कि शमीम के पिता अब्दुल रशीद इस मामले में सिराज को दोषी ठहरा रहे थे और वह उस तसवीर को सिराज की बता रहे थे, जो आफरीन ने पुलिस को दी थी.

पुलिस ने वह तसवीर रूबीना सहित मोहल्ले के कई लोगों को दिखाई, लेकिन उसे किसी ने भी नहीं पहचाना. लोगों ने बताया कि तसवीर वाले लड़के को न तो कभी शमीम के घर पर देखा गया था और न ही वह कभी उसे मोहल्ले में दिखाई दिया था.

अगले दिन पोस्टमार्टम के बाद शमीम का शव सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया. दूसरी ओर पुलिस सिराज की तलाश में तो लगी ही थी, साथ ही उस ने आफरीन और शमीम के फोन नंबरों की काल डिटेल्स भी निकलवा ली थीं. आफरीन की काल डिटेल्स में एक नंबर पर बहुत ज्यादा बातें हुई थीं. पुलिस ने उस नंबर का पता किया तो वह सिद्दीक का निकला.

तीसरे दिन शमीम का तीजा होने के बाद देर रात को पुलिस ने आफरीन, उस के पिता अब्दुल रशीद और भाई अतीक को उठा लिया. थाने में तीनों से बारीबारी से लंबी पूछताछ की गई. अंतत: पुलिस के सवालों से घबरा कर आफरीन टूट गई. उस ने अपने बयान में बताया कि कुछ दिनों पहले शमीम के संबंध सिद्दीक से थे.

बाद में सिद्दीक को शमीम की जगह उस से प्यार हो गया था. शमीम उन दोनों के प्यार में रोड़ा बन रही थी, इसलिए उस ने अपना रास्ता साफ करने के लिए सिद्दीक के साथ मिल कर बहन की हत्या करने की योजना बनाई.

इस योजना के मुताबिक सिद्दीक 11 दिसंबर, 2013 को बाजार से तीन पैकेट बिरयानी ले कर आया. उस ने एक पैकेट में पहले ही नशीली दवा मिला दी थी. नशीले पदार्थ वाली बिरयानी उन्होंने शमीम को दे दी और एकएक पैकेट दोनों ने ले लिए.

बिरयानी खाने के बाद शमीम अर्धबेहोशी में चली गई. उस के हाथपैर उस के वश में नहीं रहे. यह देख सिद्दीक और आफरीन ने मिल कर उस का गला रेत दिया. शमीम पर दवा का इतना ज्यादा असर था कि वह चीख भी नहीं सकी. अर्धबेहोशी के उसी आलम में उस ने अपने हाथ चला कर बचाने की कोशिश की थी, जिस से उस के हाथ की अंगुली में जख्म आ गया था.

शमीम के मरने के बाद सिद्दीक बाहर निकलने के लिए उपयुक्त समय का इंतजार करता रहा. जब सूरज छिप गया और अंधेरा घिर आया तो वह चुपचाप बाहर निकल गया. आफरीन के इस बयान के बाद पुलिस ने देर रात सिद्दीक को उस के घर इफ्तखाराबाद से गिरफ्तार कर लिया और आफरीन के पिता तथा भाई को छोड़ दिया.

16 दिसंबर को आफरीन की डाक्टरी जांच कराई गई, जिस में वह 3 महीने की गर्भवती पाई गई. डाक्टरी जांच के बाद सिद्दीक और आफरीन को अदालत में पेश कर के जेल भेज दिया गया. कथा लिखे जाने तक दोनों जेल में थे.

— कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

प्यार की वो आखिरी रात – भाग 3

दीपक और बरखा हद से ज्यादा डूब चुके थे प्यार में

धीरेधीरे समय बीतता रहा. दीपक के दिल में प्रेमिका बनी बरखा के प्रति चाहत और बढ़ गई. यह चाहत उस रोज और बढ़ गई, जब बरखा ने एक रोज अंतरंग क्षणों में दीपक से कहा कि उस के पति और मोहल्ले वालों को उन के प्यार की भनक लग गई है. इस से पहले कि उन के प्यार पर पहरे लगा दिए जाएं, उन दोनों को भाग कर अपनी नई दुनिया बसा लेनी चाहिए.

“पर भाभी यह कैसे हो सकता है?” दीपक सोच में पड़ गया.

“क्या तुम मुझ से प्यार नहीं करते?” बरखा दीपक से लिपट कर उस का मुंह चूमने लगी.

“प्यार तो अपनी जान से ज्यादा करता हूं तुम्हें भाभी.”

“तो अब यह तुम जानो कि मुझे पाने के लिए तुम्हें क्या करना चाहिए. बस इतना जान लो कि मैं तुम्हारे बगैर नहीं रह सकती. अगर तुम मुझे न मिले तो जमाने के तानों से तंग आ कर मैं अपनी जान भी दे दूंगी. फिर मेरे मुर्दा शरीर से प्यार करते रहना.”

“ऐसा मत बोलो भाभी. तुम चली गईं तो मैं ही जी कर क्या करूंगा,” दीपक ने जवाब दिया.

कृष्णकांत को दीपक और बरखा के रिश्तों के बारे में आए दिन कुछ न कुछ सुनने को मिल रहा था, अत: वह भी उस पर शक करने लगा था. उस का शक तब और बढ़ गया, जब उस के साथी कर्मचारी ने शराब पीने के दौरान सारी सच्चाई बयां कर दी.

उस ने कहा, “कृष्णकांत, तुम्हारी बीवी बदचलन है. वह तुम्हारे दोस्त दीपक के साथ रंगरेलियां मनाती है. उस पर लगाम कसो वरना वह तुम्हें छोड़ कर उस के साथ भाग जाएगी.”

कृष्णकांत को सहकर्मी की बात कड़वी तो लगी, लेकिन नकार न सका. शक होने पर वह बरखा पर नजर रखने लगा. उन्हीं दिनों एक रोज कृष्णकांत ने भी बरखा को अपने ही घर में दीपक के साथ रंगरेलियां मनाते पकड़ लिया. दीपक तो भाग गया, पर बरखा कहां जाती. कृष्णकांत ने उसे खूब जलील किया.

पत्नी की इस बेवफाई से आहत कृष्णकांत ने बरखा को ऊंचनीच समझाने का प्रयास किया. वह नहीं समझी तो कृष्णकांत ने लातों से उस की खबर लेना शुरू कर दी. कृष्णकांत ने सोचा था कि शायद मार खा कर बरखा रास्ते पर आ जाए. लेकिन उस पर इस का असर उलटा ही हुआ. वह कृष्णकांत से और अधिक नफरत करने लगी.

पतिपत्नी के संबंध कसैले हुए तो घर में क्लेश का वातावरण बन गया. राजकुमार ने बेटे से हाल समाचार पूछा तो उस ने पिता को बता दिया कि उन की बहू कभी भी उन की इज्जत को धूल में मिला सकती है. बहू का सच जान कर राजकुमार को भी गहरा दुख हुआ.

प्रेमी के संग हो गई फरार

कृष्णकांत को जिस बात की आशंका थी, वही हुआ. एक रोज बरखा सचमुच उस की इज्जत को पैरों तले रौंदते हुए अपने आशिक दीपक के साथ भाग गई. 10 वर्षीय बेटे को भी वह अपने साथ नहीं ले गई. बेटे का मोह भी उसे बांध न सका. उस रोज कृष्णकांत घर आया तो उस का बेटा मयंक घर में गुमसुम बैठा था. पूछने पर उस ने बताया कि मम्मी दीपक अंकल के साथ बाजार गई हैं. अटैची में सामान भी ले गई हैं. कृष्णकांत तब सब कुछ समझ गया.

कृष्णकांत ने बरखा के भाग जाने की खबर अपने मातापिता तथा बरखा के घर वालों को दी. खबर पाते ही बरखा के पिता ओमप्रकाश सैनी तथा कृष्णकांत के पिता राजकुमार और मां सुनीता आ गई. राजकुमार ने 4 घर दूर रहने वाले विमल गुप्ता से मुलाकात की और उन के बेटे दीपक के बारे में पूछा. विमल गुप्ता ने पहले तो कुछ भी बताने से मना कर दिया, लेकिन जब उन्होंने रिपोर्ट दर्ज कराने की धमकी दी तो विमल गुप्ता ने बेटे का ठिकाना बता दिया.

लगभग एक सप्ताह बाद किसी तरह ओमप्रकाश सैनी व राजकुमार बरखा को शिवराजपुर कस्बे से समझाबुझा कर घर ले आए. दीपक भी साथ था. घर में सैनी समाज के खास लोगों को बुलाया गया. उस के बाद पंचायत हुई. पंचायत में तय हुआ कि दीपक बरखा से मिलने घर नहीं आएगा. बरखा इज्जत से घर में रहेगी. कृष्णकांत बरखा का पूरा खयाल रखेगा. उस के साथ किसी तरह की मारपीट व बदसलूकी नहीं करेगा.

बरखा और कृष्णकांत ने पंचायत के लोगों की बात मान ली. उस के बाद कृष्णकांत बरखा के साथ रहने लगा. बरखा के सासससुर भी साथ रहने लगे. बरखा सासससुर की निगरानी में रहने लगी तो उस का अपने प्रेमी दीपक से मिलनाजुलना बंद हो गया. अब वह जब भी घर से बाहर निकलती तो सास उस के साथ रहती.

दूसरे बेटे के जन्म के बाद नहीं छोड़ा प्रेमी को

समय बीतता रहा. अगस्त 2022 में बरखा ने दूसरे बेटे को जन्म दिया. दूसरे बेटे के जन्म से एक बार फिर से घर में खुशियां लौट आईं. खुशी इस बात की भी थी कि 10 वर्ष बाद बरखा ने फिर से बेटे को जन्म दिया था. इस खुशी में राजकुमार ने समाज के लोगों को दावत दी.

दूसरे बेटे के जन्म के बाद कृष्णकांत को लगा कि बरखा अपने आशिक दीपक को भूल गई है, लेकिन यह उस की भूल थी. बरखा के दिल में अब भी दीपक बसा हुआ था. वह उस के लिए तड़पती भी थी. अपनी तड़प वह फोन के माध्यम से मिटाती थी. बरखा को जब भी मौका मिलता, वह दीपक से बतिया लेती थी और अपनी लगी बुझा लेती थी. दीपक भी बरखा के लिए बेचैन था, लेकिन उस का मिलन नहीं हो पाता था.

27 मई, 2023 को बरखा के अशोक नगर निवासी मामा संजय की तेरहवीं थी. इस कार्यक्रम में शामिल होने बरखा अपने पति कृष्णकांत के साथ अशोक नगर पहुंच गई. यहां उस की मां सरला तथा पिता ओमप्रकाश सैनी भी आए हुए थे. दिन भर मामा के घर जमावड़ा बना रहा.

शाम को कृष्णकांत ने बरखा से घर चलने को कहा तो उस ने कहा कि वह मातापिता के साथ नवाबगंज जा रही है. कल वह घर आ जाएगी. इस के बाद वह अपने दोनों बच्चों के साथ नवाबगंज चली गई और कृष्णकांत अपने घर चला गया.

इधर दीपक को पता चला कि बरखा मामा के यहां गई है तो उस ने फोन पर बरखा से बात की और जीटी रोड स्थित हनुमान मंदिर पर मिलने को कहा. लेकिन बरखा ने उस की बात यह कह कर नहीं मानी कि वह पति और मातापिता की निगरानी में है. इस के बाद कई बार दीपक ने फोन किया और बरखा के संपर्क में बना रहा.

शाम 5 बजे दीपक ने बरखा को फोन किया तो उस ने बताया कि वह मायके नवाबगंज जा रही है. इस पर दीपक ने कहा, “बरखा, आज अगर हमारा मिलन तुम से न हुआ तो मैं अपनी जान दे दूंगा. मैं बहुत दिनों से तुम्हारे लिए तड़प रहा हूं. अब मुझ से रहा नहीं जाता.”

जवाब में बरखा ने कहा, “तुम जान देने की बात मत करो. तुम जागेश्वर मंदिर परिसर आ जाओ. फोन पर संपर्क बनाए रखना. मैं तुम्हारी इच्छा पूरी करने की पूरी कोशिश करूंगी. मेरी काल का इंतजार करना. कोई जल्दबाजी न करना.”

प्रेमिका को गोली मार की खुदकुशी – भाग 3

प्रेमी से दूर होने लगी नित्या

इधर कुछ दिनों से विशाल को यह लग रहा था कि उस की प्रेमिका नित्या उस से काफी दूरी रखने लगी है, मिलनाजुलना भी एकदम बंद सा कर दिया था. विशाल जब कभी उसे फोन करता तो पहले तो वह फोन उठाती ही नहीं थी. 8-10 बार काल करने के बाद फोन उठाती भी थी तो” ;बहुत बिजी हूं, बाद में बात करूंगी”, कह कर तुरंत फोन काट देती थी.

तभी विशाल को यह मालूम हुआ कि नित्या की शादी किसी इंजीनियर से तय हो गई है और इसी साल मई माह में शादी होगी. यह बात पता चलने पर विशाल को बहुत दुख हुआ और उस का गुस्सा सातवें आसमान चढ़ गया था  इसीलिए विशाल ने अब नित्या से अंतिम फैसला करने का निर्णय ले लिया था, इसीलिए 10 मार्च, 2023 को जैसे ही नित्या अपना पीरियड छोड़ कर आई तो विशाल उसे मिल मिल गया.

“नित्या, तुम से एक बात करनी है,” विशाल ने कहा.

“देखो, अभी मेरा पीरियड भी है और मुझे जल्दी घर भी जाना है.” नित्या ने उसे टालने के इरादे से कहा.

“नित्या, तुम से मेरी दोस्ती और प्यार एक लंबे समय से रहा है, आज मैं तुम से कुछ बात करना चाहता हूं. शायद यह मैं तुम से आखिरी बार कह रहा हूं, उस के बाद हमारे रास्ते अलग होने ही वाले हैं. इतनी सी बात है. चलो कहीं बैठ कर कुछ बातें करते हैं.” विशाल ने कहा.

नित्या ने सोचा कि आखिरी बार मिलने को कह रहा है तो मिल कर बात कर इस से हमेशा के लिए पल्ला भी छुड़ा लूंगी. इस को सच्चाई भी समझा दूंगी, यह सोचते हुए वह विशाल की बाइक पर बैठ गई थी.

विशाल अपनी प्रेमिका नित्या को ले कर जमसर गांव के पास स्थित रायल स्टार ढाबा एवं फैमिली रेस्टोरेंट पहुंचा, जहां पर वे दोनों पहले भी अकसर आया करते थे. विशाल ने चाय और साथ में खाने के लिए स्नैक्स का आर्डर दे दिया और नित्या के साथ रेस्टोरेंट के अंदर स्थित एक केबिन में बैठ गया.

“हां विशाल, बताओ मुझे मिलने के लिए क्यों बुलाया?”नित्या ने पूछा.

“आजकल तुम ने मिलना तो दूर, अब बात करनी तक छोड़ ही है. मुझ से कोई गलती हुई है क्या?” विशाल ने कहा.

‘नहीं, ऐसी बात नहीं है” नित्या ने कहा.

“साफसाफ क्यों नहीं कहती कि मई में तुम्हारी शादी एक इंजीनियर से होने जा रही है” विशाल ने कहा.

“तो क्या हुआ, ये सच बात तो है. इस में नई कौन सी बात है?” नित्या ने कहा.

“तो मेरे साथ अब तक पिछले डेढ़ साल से तुम ये सब कुछ कर रही थी, वह क्या था?” विशाल ने जोर से कहा.

“देखो विशाल, यही तो जिंदगी है. जिंदगी में परिवर्तन होना निश्चित है. मेरी शादी कहीं हो रही है, तुम्हारी भी शादी किसी लड़की से हो जाएगी, लेकिन हमारी दोस्ती बरकरार रहेगी, प्रेम संबंध अब खत्म, यही रीति भी है.” नित्या ने कहा.

नित्या, मैं ने तुम से अपने दिल की गहराइयों से प्यार किया है. तुम ने भी जिंदगी भर मेरा साथ निभाने का वादा किया था. तुम्हें आज अंतिम फैसला लेना होगा, नहीं तो हम दोनों के लिए अच्छा नहीं रहेगा.” यह कहते हुए विशाल अपनी कुरसी से खड़ा हो गया और उस ने अपनी कमर से तमंचा निकाल कर नित्या की ओर तान दिया.

विशाल ने नित्या पर चलाई गोली

अब नित्या सीधे आ कर विशाल को पकड़ कर उस से तमंचा छीनने का प्रयास करने लगी. दोनों के बीच हाथापाई होने लगी. तभी विशाल ने नित्या के सिर को निशाना बनाते हुए तमंचे से फायर झोंक दिया. वहां पर फायर की आवाज सुनते ही कर्मचारी आ गए.

विशाल ने सोचा कि नित्या शायद मर गई है, इसलिए वह वहां से सीधे दौड़ता हुआ बाथरूम में घुस गया और बाथरूम का दरवाजा भीतर से बंद कर उस ने अपनी कनपटी पर गोली मार कर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली.

रेस्टोरेंट के कर्मचारियों ने बताया कि उन्होंने विशाल को पकड़ने का भरसक प्रयास भी किया था, लेकिन वे जब तक विशाल को पकड़ पाते, वह भाग कर बाथरूम में घुस गया था और दरवाजा भीतर से बंद कर लिया था.

कर्मचारियों ने यह भी बताया कि खुद के विरोध करने पर ही नित्या की जान बच पाई विशाल ने जब नित्या को मारने के लिए तमंचा निकाला था तो वह उस के बाद अपने प्रेमी विशाल से भिड़ गई थी. हाथापाई के दौरान विशाल ने उस के सिर का निशाना बनाते हुए फायर झोंक दिया था, जिस पर गोली उस के सिर को छूते हुए निकल गई और उस की जान बच गई.

आज अपने स्वार्थ में लोग इतने अधिक अंधे हो गए कि उन्हें अपने ऊपर चिंतनमनन करने के लिए तनिक भी समय नहीं है. आज के युवा स्त्री की गरिमा और पुरुष की महिमा को देहसुख के लिए मलीन कर रहे हैं.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित, कथा में नित्या परिवर्तित नाम है.

कैसे हुईं 9 दिन में 3 बहनें गायब – भाग 3

स्टेशन पर भारत और राहुल कुछ बात करने लगेे. उस के बाद भारत ने राहुल को पैसे दिए, पैसे काफी अधिक दिख रहे थे. उस के बाद उन्होंने दोनों बहनों को मिठाई खाने के लिए दी. मिठाई खाने के बाद मनतारा की आंखें खुलीं तो वह पंजाब में थी. उस के साथ उस की बहन नहीं थी. वह एक कमरे में लेटी हुई थी. उस के सामने भारत बैठा हुआ था.

मनतारा ने उस से दीदी के बारे में पूछा तो वो बोला, “तुम्हारी दीदी दिल्ली में हैं. अभी हम लोग भी वहां चलेंगे.” उस के बाद भारत उसे भी दिल्ली ले कर चला गया. वहां उसे किसी के घर में रखा.

मनतारा हो चुकी थी गर्भवती

मनतारा ने बताया कि जहां रह रहे थे, उन्हें भारत ने बताया कि वो मुझे जौब दिलाने के लिए ले कर आया है. वहां भी उस की बहन नहीं थी. वह जब भी दीदी के बारे में पूछती तो भारत बोलता, “जल्द ही तुम अपनी दीदी से मिलोगी.”

फिर एक दिन भारत ने उस के साथ शारीरिक संबंध बनाए. भारत को रोकने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह नहीं माना. उस ने उसे भरोसा दिया कि वह उस से शादी करेगा और जौब भी दिला देगा. इसी तरह के आश्वासन दे कर उस ने कई बार उस के साथ संबंध बनाए. वह कभी दिल्ली तो कभी पंजाब उसे ले जाता.

मनतारा को डर बना रहता था कि कहीं विरोध करने पर वह उसे मार न डाले. फिर एक दिन उस घर में एक महिला आई, वह उसे ले कर पंजाब चली गई. वहां उस के साथ गलत काम होता. कभी होश में तो कभी बेहोशी में, उसे याद भी नहीं रहता था. मनतारा समझ गई थी कि उस के साथ बहुत गलत हुआ है. वे लोग उसे हमेशा घर में कैद रखते थे.

मनतारा किसी को देख नहीं सकती थी, न किसी से बात कर सकती थी. वह हमेशा रोती रहती थी. एक कमरे में ही उसे खाना और पानी दिया जाता था. मनतारा यह समझ गई थी कि बड़ी बहन ने ही उस के साथ छल किया है. वह बहुत परेशान रहती थी. वह समझ गई थी कि ये लोग उस से जिस्मफरोशी का धंधा कराना चाहते हैं.

निशा व राहुल को किया गिरफ्तार

अपहरण करने वाला आरोपी राहुल निवासी टिमरख तथा शमशाद की बड़ी बेटी निशा को इस बात का पता चल गया कि छोटी बहन मनतारा व भारत को पुलिस ने पकड़ लिया है. इस पर दोनों 19 मार्च, 2023 को मैनपुरी जायजा लेने के लिए आए.

उन की लोकेशन मिलने व मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने दबिश दे कर राहुल को मैनपुरी के तखरऊ पुल से गिरफ्तार कर लिया. उसे थाने ला कर पूछताछ की गई. राहुल की गिरफ्तारी की जानकारी होने पर निशा एसपी औफिस पहुंच गई. इस पर उसे पुलिस के सुपुर्द कर दिया गया.

दोनों को थाने लाया गया, जहां उन से गहराई से पूछताछ की गई. पूछताछ में बहुत ही चौंकाने वाला खुलासा हुआ. निशा और राहुल की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने इस पूरे घटनाक्रम का परदाफाश कर दिया.

पता चला कि बड़ी बहन निशा ने ही षडयंत्र रच कर इस घटना को अंजाम दिया था. उस ने अपनी दोनों नाबालिग बहनों को अपने प्रेमी राहुल की मदद से गायब कराया और अपने प्रेमी के दोस्त भारत सिंह को सौंपा था. पुलिस ने राहुल व निशा को जेल भेज दिया.

इस पूरी घटना के बाद घर वाले अब बीच वाली बेटी खुशबू के लिए परेशान थे. पिता का कहना था कि हम लोग एक बार बड़ी बेटी से मिलना चाहते हैं, उस से पूछना चाहते हैं उस ने ऐसा क्यों किया? निशा घर की बड़ी बेटी थी. उसे समझदार समझते थे, लेकिन वो तो अपनी ही बहनों की दुश्मन निकली. अपने इस कृत्य से उस ने पूरे परिवार की बदनामी करा दी है. हम किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहे हैं.

बहन के धोखे का शिकार हुई मनतारा गर्भवती होने के बाद अब न्याय के लिए कानून के दरवाजे खटखटा रही है. राज्य बाल आयोग की सदस्य की ओर से पीडि़ता के न्यायालय में दोबारा बयान दर्ज कराने की बात कही है. उधर मामले में पीडि़ता किशोरी के गर्भपात को ले कर अभी कोई आदेश प्राप्त नहीं हुए हैं. जबकि थाना पुलिस ने तीसरी बहन की तलाश और तेजी के साथ शुरू कर दी.

2 बहनों के मिलने के बाद पुलिस ने हार नहीं मानी. तीसरी किशोरी की बरामदगी के लिए अपने स्तर से प्रयास जारी रखे. राहुल और निशा की गिरफ्तारी के बाद पुलिस को उन के विभिन्न ठिकानों की जानकारी हो गई थी. इसी बीच पुलिस को तीसरी बेटी खुशबू के बारे में जानकारी मिली.

तब एक पुलिस टीम को राजस्थान के गंगानगर के लिए रवाना किया गया, जहां दबिश दे कर एक स्थान से 6 अप्रैल, 2023 को बीच वाली बेटी खुशबू को भी बरामद करने के साथ ही भारत सिंह को गिरफ्तार कर लिया. मैनपुरी ला कर पुलिस ने खुशबू का मैडिकल कराने के बाद न्यायालय में पेश किया. न्यायालय ने पिता शमशाद की सुपुर्दगी में उस की बीच वाली बेटी खुशबू को सौंप दिया.

एएसपी राजेश कुमार ने बताया कि इस पूरी साजिश में निशा और उस का प्रेमी राहुल शामिल थे. जौब के बहाने निशा अपने प्रेमी राहुल के साथ पहले भी दिल्ली और पंजाब जा चुकी है. इन दोनों ने ही षडयंत्र रच कर खुशबू और मनतारा को दिल्ली लाने को तैयार किया था.

इन लड़कियों को राहुल अपने दोस्तों के साथ रखने वाला था. उन की साजिश यह थी कि इन लड़कियों को यहां ला कर इन से जिस्मफरोशी का धंधा करा के पैसे कमाएंगे. दिसंबर महीने से ही दोनों बहनों को लाने की साजिश शुरू कर दी गई थी. निशा ने सब से पहले अपनी सब से छोटी बहन मनतारा को तैयार किया.

21 दिसंबर को निशा ने गुपचुप तरीके से रात के समय मनतारा को घर से निकाल दिया. इस की घर वालों को कानोंकान खबर तक नहीं हुई. सुबह होने पर मनतारा के गायब होने की जानकारी हुई. उस के 9 दिन बाद 30 दिसंबर, 2022 को जब पिता छोटी बेटी मनतारा की तलाश में पंजाब गए हुए थे, उस ने बीच वाली बहन खुशबू को बरगलाया और उसे अपने साथ ले कर घर से निकल गई.

 

कोर्ट से गर्भपात कराने की मांगी अनुमति

गर्भवती मनतारा की ओर से न्यायालय में प्रार्थनापत्र दे कर गर्भपात करवाने की अनुमति मांगी गई. इस पर न्यायालय ने चिकित्सक की रिपोर्ट पर मनतारा का गर्भपात कराने की अनुमति प्रदान कर दी. परिजनों द्वारा अनुमति मिलने के बाद मनतारा का अस्पताल ले जा कर गर्भपात करा दिया गया.

निशा, उस का प्रेमी राहुल व उस का दोस्त भारत इस समय जेल में हैं. भारत को अपहरण, रेप व पोक्सो एक्ट की धाराओं में जेल भेजा गया है.

ऐसा कोई सोच भी नहीं सकता है कि सगी बड़ी बहन अपने स्वार्थ की खातिर अपनी नाबालिग छोटी बहनों की लाइफ से खिलवाड़ कर सकती है. अपने प्रेमी व उस के दोस्तों के साथ षडयंत्र रच कर अपनी बहनों व परिवार की बदनामी करा कर निशा को क्या हासिल हुआ? उसे मिली जेल की सलाखें जिस की वह हकदार थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित, कथा में मनतारा व खुशबू परिवर्तित नाम हैं

प्यार का जूनून

शादी के नाम पर ऐसे होती है ठगी – भाग 4

अजय परेशान था कि ऐसा क्या काम करे कि उसे मोटी कमाई हो. तभी उस के दिमाग में उच्च परिवार की तलाकशुदा ऐसी महिलाओं को ठगने का आइडिया आया जो फिर से शादी करना चाहती हों. इस के लिए उस ने जीवनसाथी डौटकौम वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन करा कर अपनी आकर्षक प्रोफाइल बनाई.

प्रोफाइल में उस ने अपना नाम बदल कर राजीव यादव लिखा और अपनी जगह किसी दूसरे का फोटो लगा दिया. नोएडा के छलेरा गांव के रहने वाले युवक अमित चौहान को उस ने मोटी तनख्वाह पर नौकरी पर रख लिया था.

प्रभाव जमाने के लिए अजय ने खुद को आईपीएस अफसर और मिजोरम में डीआईजी के पद पर तैनात बताया. इस आकर्षक प्रोफाइल को देख कर ही अनुष्का उस के जाल में फंसी थी. जिस से उस ने साढ़े 24 लाख रुपए ठग लिए थे

पुलिस ने जालसाज अजय यादव उर्फ राजीव यादव और अमित चौहान को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश कर जेल तो भेज दिया. लेकिन इस के बाद भी अनुष्का की मुश्किलें कम नहीं हुई हैं. अब अदालत की काररवाई में उसे कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं.

अनुष्का की ही तरह शालिनी भी शादी के विज्ञापन की वेबसाइट के जरिए एक ऐसे व्यक्ति के चंगुल में फंसी कि उस युवक ने उस के 6 लाख रुपए बड़ी आसानी से ठग लिए.

दिल्ली के कृष्णानगर इलाके के रहने वाला वरुण बीए सेकेंड ईयर किए हुए है. उस ने दरजनों संस्थानों में जौब की, लेकिन कहीं भी टिक नहीं पाया. इसी दौरान उस ने टीवी पर एक क्राइम शो देखा. शो में दिखाया गया था कि एक शख्स मैट्रीमोनियल साइट्स पर एकाउंट बना कर किस तरह महिलाओं को ठगता था. उसी टीवी शो से प्रेरित हो कर वरुण पाल ने भी मैट्रीमोनियल साइट्स के जरिए ठगी करने की योजना बनाई.

योजना के तहत उस ने मैट्रीमोनियल की 3 बड़ी वेबसाइट्स पर अपने कई एकाउंट बनाए और फेसबुक में हैंडसम दिखने वाले लड़कों की तसवीरें लगा दीं. अपनी प्रोफाइल में उस ने खुद को माइक्रोसाफ्ट कंपनी का आईटी मैनेजर बताया. अपना प्रभाव जमाने के लिए वरुण ने अपनी फेसबुक में कुछ अच्छे बंगलों की तसवीरें भी अपलोड कर दीं. उन बंगलों को वह अपने बताता था. खुद को रसूख वाला प्रोजैक्ट करने के बाद कई महिलाएं उस के जाल में फंसीं.

महिलाओं को अपने जाल में फांसने के बाद वह उन से मुलाकात करता और किसी तरह उन के न्यूड फोटोग्राफ हासिल कर लेता था. इस के बाद वरुण का ठगी का खेल शुरू हो जाता था. वह बिजनैस में मोटा घाटा होने की बात कह कर उन से मोटी रकम ऐंठता. जब कोई महिला पैसे देने में आनाकानी करती तो वह न्यूड तसवीरों के जरिए उसे ब्लैकमेल करता.

शालिनी भी मैट्रीमोनियल साइट के जरिए वरुण पाल के जाल में फंस गई. वरुण ने शालिनी को शादी के जाल में फांस कर 6 लाख रुपए ठग लिए थे. शालिनी से जब वरुण ने और पैसों की डिमांड की तो शालिनी को अहसास हो गया कि उसे ठगा जा रहा है. उस ने और पैसे देने से मना कर दिया तो वरुण ने उसे धमकी दी कि यदि पैसे नहीं दिए तो वह उस के न्यूड फोटो इंटरनेट पर डाल देगा.

शालिनी अब समझ चुकी थी कि जिसे वह अपना जीवनसाथी चुनने जा रही थी, वह बहुत शातिर ठग है. उस ने उसे सबक सिखाने के लिए दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच में लिखित शिकायत कर दी.

आर्थिक अपराध शाखा के डीसीपी एस.डी. मिश्रा ने इस मामले में त्वरित काररवाई करते हुए एक पुलिस टीम बनाई. पुलिस टीम ने 8 अगस्त, 2014 को आरोपी वरुण पाल को गिरफ्तार कर लिया.

मैट्रीमोनियल साइटों पर आज भी तमाम फरजी एकाउंट एक्टिव हैं. जिन लोगों ने ऐसे एकाउंट बना रखे हैं, उन का मकसद भोलीभाली लड़कियों, महिलाओं को अपने जाल में फंसा कर उन का आर्थिक और शारीरिक शोषण करना होता है.

ऐसे विज्ञापनों के जरिए शादी के बंधन में बंधने वालों को पहले अच्छी तरह से छानबीन कर लेनी चाहिए कि उस ने अपने प्रोफाइल में जो कुछ दे रखा है, वह सही है या नहीं. यदि बिना जांच किए शादी का प्रपोजल स्वीकार कर लिया तो अनुष्का और शालिनी की तरह पछताना पड़ सकता है.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. अनुष्का और शालिनी नाम परिवर्तित हैं.

सपना का अधूरा सपना – भाग 2

सपना के परिवार में पिता कुंवरपाल सिंह यादव, मां उर्मिला यादव, 3 बहनें प्रार्थना, मधु और भावना के अलावा 1 छोटा भाई आशीष था. कुंवरपाल का दूध का अच्छाखासा व्यवसाय था. फिरोजाबाद के ही थाना सिरसागंज के गांव सिकरामऊ में उस की खेती की काफी जमीन भी थी. फिरोजाबाद के सुदामानगर की जिस नवनिर्मित कालोनी में कुंवरपाल रहता था, उस में उस की गिनती संपन्न लोगों में होती थी. उस का काफी बड़ा मकान भी था.

कुंवरपाल को राजनीति से लगाव था, इसलिए उस ने तमाम नेताओं से संबंध बना रखे थे. संबंध की ही वजह से उस के यहां तमाम नेताओं का आनाजाना लगा रहता था. सिरसागंज के विधायक से तो कुंवरपाल की दांत काटी दोस्ती थी. कुंवरपाल के 2 साले थे. दोनों ही एक राजनीतिक दल में पदाधिकारी थे. उन का अपने क्षेत्र में खासा रुतबा था. इस का असर उन की बहन यानी कुंवरपाल की पत्नी उर्मिला पर भी था. रौबरुतबे की ही वजह से पतिपत्नी कालोनी में किसी को कुछ नहीं समझते थे. वे जल्दी से किसी से बात भी नहीं करते थे.

सपना ने घर के नजदीक ही स्थित लिटिल ऐंजल्स कान्वेंट स्कूल से इंटर करने के बाद एम.जी. कालेज से ग्रैजुएशन किया. इस के बाद वह कोई प्रोफेशनल कोर्स करना चाहती थी. थोड़ी कोशिश के बाद उस का बीएड में हो गया, जिस के लिए उस ने दाऊदयाल महिला महाविद्यालय में दाखिला ले लिया.

सपना जिन दिनों हाईस्कूल में पढ़ रही थी, उन्हीं दिनों उस की मुलाकात अभिनय राणा से हुई थी. अभिनय सुदामानगर से 2 किलोमीटर दूर स्थित लोहियानगर में रहता था. उस के परिवार में पिता शिशुपाल सिंह जादौन, मां प्रेमा देवी जादौन और एक बड़ा भाई अभिषेक जादौन था. पिता उत्तर प्रदेश पुलिस में सिपाही थे. जादौन परिवार के पास काफी पुश्तैनी प्रौपर्टी थी, इसलिए इस परिवार का रहनसहन रईसों जैसा  था. उन दिनों वह बारहवीं में पढ़ रहा था.

एक दिन सपना स्कूटी से कोचिंग से घर जा रही थी, तभी एक बाइक सवार की टक्कर से गिर पड़ी. बाइक सवार तो भाग गया, लेकिन डिवाइडर से टकराने की वजह से सपना के पैर से खून बहने लगा. पीछे से आ रहे अभिनय ने उसे उठाया और मरहमपट्टी करा कर उसे उस के घर पहुंचाया. अभिनय का यह सेवाभाव सपना के दिल को छू गया. उस की छवि उस के दिल में एक अच्छे युवक की बन गई.

सपना जिस कोचिंग में पढ़ती थी, उसी में अभिनय भी पढ़ता था. अभिनय की गिनती कोचिंग इंस्टीट्यूट में अच्छे लड़कों में होती थी. ऐसी ही बातों से वह सपना के दिल की धड़कन बन गया. आमनेसामने पड़ने पर दोनों एकदूसरे को देख कर मुसकरा देते थे. कभीकभार बातचीत भी हो जाती थी. किसी दिन दोनों ने एकदूसरे के मोबाइल नंबर ले लिए तो दोनों के बीच लंबीलंबी बातें होतेहोते प्यार का भी सिलसिला शुरू हो गया.

दोनों में प्यार गहराया तो वे एकदूसरे की पसंद का खयाल रखने लगे. इस तरह प्यार की नाव पर सवार हुए उन्हें एकएक कर के 5 साल बीत गए. इस बीच सपना ने ग्रैजुएशन कर लिया तो अभिनय बीएसपी कर के ठेकेदारी करने लगा. इस समय वह फिरोजाबाद का एक बड़ा शराब व्यवसाई माना जाता है. शहर और कस्बों में उस की अंग्रेजी शराब और देशी शराब की तमाम दुकानें हैं. उस के कई बार भी हैं. अभिनय भले ही शराब का बड़ा कारोबारी बन चुका था, लेकिन सपना के प्रति उस का प्यार वैसा ही था.

सपना ने ग्रैजुएशन कर के बीएड में दाखिला ले लिया था. 5 सालों से उस का जो प्यार चोरीछिपे चल रहा था, अब तक कई लोगों की नजरों में आ चुका था. वे कुंवरपाल के परिचित थे, इसलिए यह बात उस तक पहुंच गई. जानकारी होने पर कुंवरपाल ने सपना को बुला कर अभिनय और उस से प्यार के बारे में पूछा तो उस ने इस बात को इसलिए नहीं छिपाया, क्योंकि अभिनय हर तरह से कुंवरपाल का दामाद बनने लायक था.

लेकिन जब कुंवरपाल को पता चला कि सपना का प्रेमी ठाकुर है तो वह बौखला उठा. उस ने चीखते हुए कहा, ‘‘यादवों ने चूड़ी पहन रखी है क्या, जो ठाकुर का लौंडा उन की लड़कियों के साथ गुलछर्रे उड़ाएगा.’’

बाप के गुस्से को देख कर सपना की समझ में आ गया कि उस का बाप ऊंची जाति से भी उतनी ही नफरत करता है, जितनी नीची जाति वालों से. कुंवरपाल ने उस से साफसाफ कह दिया कि आज से ही वह उस लड़के से सारे संबंध खत्म कर ले. अगर उस के साथ कहीं दिखाई दे गई तो वह उसे काट कर रख देगा.

कुंवरपाल ने भले ही अपना आदेश सुना दिया था, लेकिन सपना को अभिनय के बिना अपनी दुनिया अंधकारमय नजर आ रही थी. इसलिए उस ने भी तय कर लिया कि कुछ भी हो जाए, वह अभिनय का साथ किसी भी हालत में नहीं छोड़ेगी. इसलिए उस ने तुरंत फोन कर के सारी बातें अभिनय को बता दीं. अभिनय ने उस का हौसला बढ़ाते हुए कहा, ‘‘चिंता करने की कोई बात नहीं है. हम दोनों ही बालिग हैं, इसलिए अपनी जिंदगी के फैसले खुद लेने में सक्षम हैं.’’

प्रेमी की इस बात से सपना को काफी सुकून मिला. लेकिन अब उस के घर से अकेली निकलने पर पाबंदी लगा दी गई. इसी के साथ कुंवरपाल ने उस की शादी के लिए लड़के की तलाश भी जोरशोर से शुरू कर दी. वह बीएड की पढ़ाई पूरी होते ही सपना की शादी कर देना चाहता था.

इधर कुंवरपाल सपना की शादी के लिए लड़का ढूंढ रहा था, उधर उस ने अभिनय से शादी करने का फैसला कर लिया था. यह अप्रैल, 2014 की बात है.

दरअसल, सपना मौका निकाल कर अभिनय से बातें तो कर ही लेती थी, कभीकभार घर वालों की चोरी से मिल भी लेती थी. कुंवरपाल को संदेह था कि बेटी कोई भी उल्टासीधा कदम उठा सकती है, इसलिए उस ने रजिस्ट्रार औफिस के कर्मचारियों से सांठगांठ कर ली थी कि अगर सपना वहां विवाह के लिए आवेदन करती है तो तुरंत उसे इस बात की जानकारी दे दी जाए.

सपना के घर से निकलने पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी गई, जिस से उस का बीएड भी पूरा नहीं हो सका. उस का फोन भी छीन लिया गया था. ऐसे में सपना का साथ उस की छोटी बहन प्रार्थना ने दिया. बहन की भावनाओं का खयाल रखते हुए वह कभीकभार अपने फोन से उस की बात अभिनय से करा देती थी.

29 मई, 2014 को प्रार्थना की मदद से सपना घर से बाहर निकली और वहां पहुंच गई, जहां अभिनय 2-3 महिलाओं और 4-5 पुरुषों के साथ उस का बेसब्री से इंतजार कर रहा था. उस ने फिरोजाबाद के ही उलाऊखेड़ा प्रांगण में बने आर्यसमाज मंदिर में विधिविधान से विवाह करने की व्यवस्था पहले से ही कर रखी थी, इसलिए सपना को साथ ले कर वह सीधे वहीं पहुंच गया.

चाहत का कहर : माशूका की खातिर – भाग 2

रामू की इस करतूत से पूरा परिवार हैरान रह गया था. यह कोई अच्छी बात नहीं थी, इसलिए मां ने ही नहीं, भाइयों ने भी रामू को रोका. मारपीट भी की, लेकिन रामू नहीं माना तो नहीं माना. कुसुमा से उसे जो सुख मिलता था, उस की चाहत में वह उस के पास पहुंच ही जाता था. परेशान हो कर एक दिन शांति कुसुमा के घर जा पहुंची और उसे बुराभला कहने लगी.

तब कुसुमा ने कहा, ‘‘काकी, मैं तुम्हारे बेटे को बुलाने नहीं जाती, वह खुद ही मेरे पास आता है. तुम उसी को क्यों नहीं रोक लेती. अब तुम्हारे ही घर कोई आएगा, तो क्या तुम उसे भगा दोगी? तुम उसे तो रोकती नहीं, मुझे बेकार में बदनाम करने चली आई.’’

शांति चुपचाप घर लौट आई. उसी बीच मुकेश गांव आया तो किसी ने उस से रामू और कुसुमा के संबंधों के बारे में बताया. उस ने इस बारे में कुसुमा से पूछा तो रोते हुए उस ने कहा, ‘‘मैं कब से कह रही हूं कि तुम मुझे अपने साथ ले चलो. बीवी को इस तरह गांव में अकेली छोड़ोगे तो दिलजले लोग ऐसी ही बातें करेंगे.’’

मुकेश को लगा कि कुसुमा सच कह रही है, इसलिए उस की बात पर विश्वास कर के वह निश्चिंत हो कर दिल्ली चला गया. लेकिन अब मुकेश जब भी घर आता, गांव का कोई न कोई आदमी कुसुमा और रामू को ले कर उसे जरूर टोकता. इन बातों से उसे लगने लगा कि कुछ न कुछ जरूर गड़बड़ है. इस के बाद उस ने कुसुमा को मारपीट कर धमकाया कि अब अगर उस ने उस के बारे में कुछ सुना तो वह उसे उस के मायके पहुंचा देगा. यही नहीं, उस ने शांति के घर जा कर उस से भी कहा कि वह रामू को रोके अन्यथा ठीक नहीं होगा.

इस पर जलीभुनी शांति ने कहा, ‘‘मैं खुद ही तुम्हारी पत्नी से परेशान हूं. इस के लिए मैं पंचायत बुलाने वाली हूं.’’

शांति की इस धमकी से मुकेश परेशान हो गया. अगर शांति ने पंचायत बुलाई तो गांव में उस की इज्जत का जनाजा निकल जाएगा. नाराज और दुखी मुकेश ने सारा गुस्सा और क्षोभ घर आ कर कुसुमा की पिटाई कर के निकाला.

अगले दिन शांति ने पंचायत बुलाई, जिस में मुकेश और कुसुमा को भी बुलाया गया. पंचायत में कुसुमा ने साफ कहा कि रामू से उस का कोई संबंध नहीं है. इस बात को ले कर उसे बेकार ही गांव में बदनाम किया जा रहा है.

पंचों ने जब मुकेश से कुछ कहना चाहा तो उस ने कहा, ‘‘मैं इस मामले में कुछ नहीं कर सकता, क्योंकि कुसुमा अब मेरे वश में नहीं है.’’

पंचायत बिना किसी फैसले के ही खत्म हो गई. मुकेश दूसरे दिन शाम को दिल्ली चला गया. इस पंचायत के बाद मोहल्ले का हर आदमी कुसुमा को अपना दुश्मन नजर आने लगा. इसलिए वह मोहल्ले के हर आदमी से पंगा ले कर उस की ऐसीतैसी करने लगी. उस की इस हरकत से हर कोई उस से घबराने लगा. अब किसी की हिम्मत उस से कुछ कहने की नहीं पड़ती थी. इस के बाद उस की और रामू की मोहब्बत की गाड़ी आराम से चलने लगी. डर के मारे मोहल्ले वालों ने उन की ओर से आंखें मूंद लीं.

शांति रामू को कुसुमा से किसी भी तरह अलग नहीं कर पाई तो उस ने सोचा कि रामू की शादी कर दे. नईनवेली दुलहन पा कर वह खुद ही कुसुमा का पीछा छोड़ देगा. उस ने रामू के लिए लड़कियां देखनी शुरू कर दीं. जल्दी ही उस ने जिला मैनपुरी के थाना एलांद के गांव सुशनगढ़ी के रहने वाले मान सिंह की बेटी सुमन से उस की शादी तय कर दी.

कुसुमा को जब पता चला कि रामू की शादी तय हो गई है तो वह सुलग उठी. वह किसी भी कीमत पर यह शादी नहीं होने देना चाहती थी. भला वह कैसे चाहती कि उस का प्रेमी किसी से शादी कर के उसे सुलगने के लिए छोड़ दे. इसलिए उस ने रामू से साफसाफ कह दिया कि अगर उस ने यह शादी की तो वह जान दे देगी.

‘‘शादी के बाद भी मैं तुम्हारा ही रहूंगा भाभी. मां बहुत परेशान हैं. मैं अब उसे और दुखी नहीं कर सकता.’’ रामू ने कुसुमा को समझाना चाहा.

‘‘वाह, क्या बात कही है? तुम्हारी वजह से मैं कितनी बदनामी झेल रही हूं, तुम्हें पता है. लोग मुझे चरित्रहीन कहते हैं. अब बीच मंझधार में तुम मुझे छोड़ कर किसी और का होना चाहते हो. कान खोल कर सुन लो, जीते जी मैं ऐसा कभी नहीं होने दूंगी.’’ कुसुमा ने चेतावनी दी.

रामू घर वालों के बारे में सोच रहा था कि वह घर वालों को क्या जवाब दे. तभी कुसुमा ने उस का हाथ पकड़ कर कहा, ‘‘चलो, हम कहीं दूर भाग चलते हैं. अगर तुम ने ऐसा नहीं किया तो मेरा मरा मुंह देखोगे.’’

कुसुमा के तेवर देख कर रामू को यकीन हो गया कि अगर उस ने शादी कर ली तो कुसुमा सचमुच आत्महत्या कर लेगी. तब वह फंस सकता है. काफी सोचसमझ कर उस ने गहरी सांस ले कर कहा, ‘‘ठीक है, तुम तैयारी करो. मैं तुम्हें साथ ले कर भागने को तैयार हूं.’’

1 जून, 2013 को रामू की शादी होनी थी. दोनों ओर जोरशोर से शादी की तैयारियां चल रही थीं. शादी की तारीख से 2 दिन पहले रामू घर से गायब हो गया. रामू का गायब होना घर वालों के लिए सदमे की तरह था. उन के लिए परेशानी यह थी कि वे लड़की वालों को क्या जवाब देंगे. रिश्तेदारों को कौन सा मुंह दिखाएंगे. क्योंकि अब तक कार्ड भी बंट गए थे.

कुसुमा भी घर से गायब थी, इसलिए सब को पूरा यकीन था कि जहां भी हैं, दोनों एक साथ हैं. सब से बड़ी परेशानी यह थी कि लड़की वालों को कैसे समझाया जाए. शांति बेटे मनोज को ले कर सुशनगढ़ी पहुंची. जब उस ने मान सिंह को सारी बात बताई तो उस ने अपना सिर पीट लिया. उस की बेटी का क्या होगा, कौन करेगा उस से शादी? लोग पूछेंगे कि शादी क्यों टूटी तो वह क्या जवाब देगा?

मान सिंह को इस तरह परेशान देख कर शांति ने कहा, ‘‘हम बहुत शर्मिंदा हैं समधीजी. अब इज्जत बचाने का एक ही रास्ता है. अगर आप मान जाएं तो सब ठीक हो जाएगा.’’

‘‘कौन सा रास्ता?’’ मान सिंह ने पूछा.

‘‘मेरे बेटे शिवशंकर को तो आप ने देखा ही है. वह बहुत ही नेक है. कमाताधमाता भी ठीकठाक है. वह आप की बेटी को खुश रखेगा. अगर आप तैयार हों तो…?’’

मान सिंह के पास उन की बात मानने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं था. उस ने उदास मन से कहा, ‘‘ठीक है, इज्जत बचाने के लिए शिवशंकर से ही सुमन की शादी कर देता हूं.’’

इस के बाद शिवशंकर ने चुपचाप मां की बात मान ली तो 1 जून, 2013 को सुमन से उस की शादी हो गई. इस तरह उस ने 2 परिवारों की इज्जत बचा ली.

11 जून, 2013 को रामू और कुसुमा लौट आए. पत्नी की इस हरकत की जानकारी दिल्ली में रह रहे मुकेश को भी हो गई थी. लेकिन वह हालात के सामने हारा हुआ था. इसलिए चुप्पी साधे दिल्ली में ही पड़ा रहा.

सप्ताह भर बाद रामू घर लौटा तो सभी ने उसे

खूब खरीखोटी सुनाई. इस पर उस ने कहा, ‘‘मैं सुमन को धोखा नहीं देना चाहता था, इसलिए मैं कुसुमा के साथ चला गया था.’’

शांति ने सोचा, जो होता है, वह अच्छा ही होता है.