
सीरीज में कुल 28 गाने हैं, जो गिप्पी ग्रेवाल, मिका सिंह, मलकीत सिंह, एम सी स्क्वायर, अफसाना खान, असीस कौर, सुनिधि चौहान, कंवर ग्रेवाल, शाचत सिंह, जागीर सिंह, मैंडी गिल, जतिंदर शाह, स्टेबिज बेज, प्रिंस कंवलजीत, हरजोत कौर, मन्ना सिंह व अन्य गायकों ने गाए हैं.
वेब सीरीज ‘चमक’ में इन 28 गानों को पंजाबी म्यूजिक इंडस्ट्री के 14 गायकों ने न सिर्फ गाया है, बल्कि उन पर ये तमाम गाने फिल्माए भी गए हैं. कहानी की रवानगी में जहां भी मौका मिला है, गीत और संगीत का इस्तेमाल किया है. इस में कुछ गाने जरूर सार्थक हैं. सार्थक गानों के कारण ‘चमक’ के सही मायनों में म्यूजिकल थ्रिलर होने का एहसास बना रहता है.
गालियों का क्यों किया गया इस्तेमाल
तारा सिंह के इंट्रोडक्शन सीन से ले कर काला के रैप बैटल ‘मत मारी…’, पीर साहब के मेले में उस की पहली परफारमेंस, जुगराज का रियाज, उस की बेटी लता के साथ काला का पहला गाना या काला के घर पर हाउस वार्मिंग पार्टी… ऐसे कई लम्हे आते हैं, जहां संगीत ने अपनी भूमिका जरूर थोड़ी जिम्मेदारी के साथ निभाई है. गीतों का सूफियाना टच जरूर सुकून देता है. पंजाबी भाषा में होने के बावजूद ‘चमक’ सीरीज हिंदी भाषी दर्शकों को भी बांध कर रखती है.
हालांकि कुछ जगहों पर मुश्किल पंजाबी संवादों को स्क्रीन पर लिख कर समझाया गया है. इस से भाषा न समझने की दिक्कत पैदा नहीं होती. कुछ किरदारों के संवादों में हिंदी मिश्रित है.
संगीत में दिलचस्पी रखने वालों के लिए ‘चमक’ एक मुकम्मल सीरीज है, जिन को संगीत में रुचि नहीं, उन के लिए इस में कुछ खास नहीं है. मगर एक बात जरूर है सीरीज ‘चमक’ में, वह है यह सीरीज सितारों की बारात है.
वेब सीरीज ‘चमक’ में मीका के साथ रिकौर्डिंग वाले दृश्य में काला को मुंबई से मंगाया ब्लैक वाटर ले कर भेजना हो, काला का गाना हिट होने के बाद उसे तोहफे में गाड़ी देने के साथ ही उधार रहा थप्पड़ मारना हो या फिर काला को एक फ्लैट गिफ्ट करने वाला दृश्य हो, डिंपी के इस किरदार को मुकेश ने थोड़ा जीवंत जरूर बनाया है. यह सीरीज की अपराध कथा का हास्य है.
सीरीज में 3 कलाकारों का काम थोड़ा सा ठीक है. पहले मोहित मलिक जिन्होंने गुरु देओल की भूमिका निभाई है. गुरु बन कर काला के किरदार में परमवीर चीमा को टक्कर दी है. दूसरे नंबर पर है सीरीज में लता बराड़ का किरदार कर रही अकासा सिंह. अकासा ने अपने गाए तमाम गानों पर म्यूजिक वीडियो में जरूर ठीक अदाकारी दिखाई है.
एक दमदार कलाकार की हाशिए पर पड़ी बेटी को कैसे एक अनजान युवक अपने हुनर की कद्र करने के लिए राजी करता है, वेब सीरीज ‘चमक’ का यह सिरा थोड़ा दिलचस्प है. तीसरे नंबर पर ईशा तलवार. इस का अभिनय जितना बढिय़ा है, किरदार उस का अभी पहले सीजन में उतना नहीं जमा है.
हो सकता है दूसरे सीजन में उस का असल रूप सामने आए, लेकिन बस एक सीन में ढोल बजाते दिखाने के बाद फिर उस के हाथ में ढोल काला के कहने पर ही एक बार और आता है. तारासिंह के किरदार में गिप्पी ग्रेवाल सीरीज का जो मैदान पहले एपिसोड से बनाता है. वह छठे एपिसोड में काला के मंच पर आने और महफिल लूट लेने तक सधा रहता है.
जुगल बराड़ के किरदार में सविंदर पाल विक्की ने आखिरी 2 एपिसोड में थोड़ी सी चमक जरूर दिखाई है, वहीं जग्गा सिंह के किरदार में प्रिंस कंवलजीत की कलाकारी थोड़ी सी देखने लायक है.
इन कलाकारों के अलावा नवनीत निशान हौबी धालीवाल, सरन कौर, अंकिता गोराया, धनवीर सिंह और महावीर भुल्लर ने भी सीरीज को अपनेअपने कोनों से मजबूती से साधे रखा है. संदीप यादव की सिनेमैटोग्राफी, मंदार खानविलकर का संपादन, अपर्णा राणा की प्रोडक्शन डिजाइनिंग, प्रियंका मुनडाडा के कास्ट्यूम्स और कुणाल पंवार का कला निर्देशन सब अपनीअपनी जगह कुल मिला कर ठीक है.
सीरीज में गालियों का इस्तेमाल काफी किया है. बड़ेबुजुर्गों के साथ बैठ कर इस सीरीज को नहीं देखा जा सकता. हमारे समाज में आज की पीढ़ी पुरानी पीढ़ी के सामने गाली नहीं देती है. डायरेक्टर में इतनी समझ तो होनी चाहिए थी कि वह गालियों का इस्तेमाल सीरीज में न करे. गालियों ने ‘चमक’ की चमक धुंधली कर दी है.
अमर सिंह चमकीला और अमरजोत के तो कोई संतान ही नहीं थी. ऐसे में यह कहना कि चमक को चमकीला की कहानी से इंस्पायर हो कर बनाया है तो यह सरासर झूठ है. चमक वेब सीरीज का चमकीला की कहानी से कोई जोड़ नहीं है. ‘चमक’ अगर चमकीला की कहानी पर बनती तो इतना तय है कि उस का हश्र ‘चमक’ जैसा नहीं होता.
रोहित जुगराज
वेब सीरीज ‘चमक’ से चमकने वाले सितारों में प्रमुख है इस के निर्देशक रोहित जुगराज, जिस ने इस सीरीज का सधा हुआ निर्देशन किया है. पंजाब की म्यूजिक इंडस्ट्री के अपराध पर आधरित इस सीरीज की कहानी पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला और अमरसिंह चमकीला की हत्याकांड से प्रेरित बताई जा रही है.
रोहित जुगराज पंजाब का एक प्रतिष्ठित फिल्मकार है. उस में कहानी कहने और सिनेमाई कला की गहरी समझ है.
उन का करिअर निर्देशक रामगोपाल वर्मा के सान्निध्य में शुरू हुआ था. वहां से फिल्म निर्माण में कदम रखने और कहानी के कहने का जुनून मिला. चाहे वह निर्देशन, पटकथा लेखन या निर्माण हो, उस ने लगातार फिल्म निर्माण की ऐसी परियोजनाओं पर काम किया, जिस की चर्चा हुई. हालांकि उस की निर्देशित फिल्में बौक्स औफिस पर कमाल नहीं दिखा पाईं, फिर भी उस के निर्देशकीय सूझबूझ की काफी तारीफ हुई. उस के फिल्म निर्माण का बैनर आरजी रुद्रम प्रोडक्शंस है, जिसे वह अपनी पत्नी गीतांजलि मेहलवाल चौहान के साथ मिल कर संभाले हुए हैं.
रोहित ने अपनी चर्चित वेब सीरीज में पंजाबी संगीत उद्योग की गंभीर वास्तविकताओं को दर्शाया है. पंजाबी संगीत उद्योग में कलाकारों की गतिविधियों और उन की आकांक्षा और उन के बीच प्रतिस्पर्धा के बारे में बात करते हुए हकीकत बयान करने वाली टिप्पणी की है.
रोहित को यहां तक पहुंचने में भले ही काफी समय लग गया हो, लेकिन उसे संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘देवदास’ और ‘ब्लैक’ में सहायक निर्देशन का मौका मिला. राम गोपाल वर्मा के ‘भूत’ और ‘सरकार’ के निर्देशन में भी सहायक बना.
परमवीर सिंह चीमा
‘चमक’ के हीरो का किरदार निभाने वाले परमवीर सिंह चीमा ने अपने फिल्मी करिअर की शुरुआत एक कास्टिंग डायरेक्टर के तौर पर शुरू की थी. वैसे ‘चमक’ से पहले जीटीवी के शो ‘कलीरे’ में काम करने का मौका मिला था.
करीब डेढ़ साल तक कास्टिंग डायरेक्टर कवीश सिन्हा के साथ काम करने के दौरान ‘राकेट बौयज’, ‘सत्यमेव जयते 2’, ‘मुंबई डायरीज’ के लिए कास्टिंग के लिए काम करते हुए अभिनय और किरदार की जरूरतों की काफी समझ आ गई थी. कास्टिंग का काम करते हुए उसे लंबे समय बाद पहली बार ‘चमक’ में मुख्य भूमिका निभाने का मौका मिला.
मूलरूप से जालंधर के रहने वाले चीमा को लौकडाउन के दौरान मुंबई से वापस घर आना पड़ा था. इस के बाद दोबारा मुंबई आने के बारे में कोई निर्णय नहीं लिया जा सका.
मुंबई से किसी काम का औफर नहीं मिलने के चलते चीमा ने वकालत की प्रैक्टिस शुरू करने पर विचार किया. तभी मुकेश छाबड़ा की टीम से वेब सीरीज ‘टब्बर’ में एक रोल के लिए काल आ गई. इस के औडिशन के सिलसिले में मुंबई जाना हुआ. ‘टब्बर’ के लिए वह चुन लिया गया. इसी बीच उसे ‘चमक’ मिल गई.
एक एड फिल्म के सिलसिले में पहली बार मुंबई जाना हुआ तो तब वहां का माहौल और ऐक्टिंग में संभावनाएं देख कर इस फील्ड में करिअर बनाने का मन बना लिया. अपने दोस्त की मदद से मुंबई में थिएटर किया. इसी बीच जीटीवी के एक शो ‘कलीरे’ में काम करने का मौका मिल गया.
चीमा को पहली बार वेब सीरीज ‘चमक’ में लीड भूमिका निभाने का मौका मिला. इस तरह से अभिनय की बेहतरीन शुरुआत हो गई. ‘चमक’ में उस की भूमिका कनाडा से पंजाब लौटने वाले एक युवा महत्त्वाकांक्षी रैपर काला की थी. इस के लिए उस ने काफी तैयारी की थी. भूमिका के लिए उस ने टुपैक, आरिफ लोहार, सोनी पाबला, सिद्धू मूसेवाला और गुरदास मान जैसे रैप आइकन और गायकों से प्रेरणा ली और अपना चरित्र बनाया.
अकासा सिंह
एक भारतीय गायिका और कलाकार अकासा सिंह आस्था गिल के साथ नागिन गाने के लिए सब से ज्यादा जानी जाती है, उस ने 2016 की बौलीवुड फिल्म ‘सनम तेरी कसम’ से अभिनय की शुरुआत करते हुए उस ने रियलिटी शो के माध्यम से सोनी म्यूजिक इंडिया में साइन किया गया था.
उस का पहला पाप सिंगल ‘ठग रांझा’ एक महीने में 27 मिलियन से अधिक बार देखा जा चुका है. तब उस का वीडियो यूट्यूब पर दुनिया भर में सब से ज्यादा देखा जाने वाला भारतीय वीडियो बन गया था.
वैसे उस ने कई फिल्मों के लिए गाने गाए हैं, जैसे भारत से ऐथे आ, गुड न्यूज़ से दिल ना जानेया, साथ ही ठग रांझा, मासेराती, नैय्यो, याद ना आना, शोला, तेरी मेरी लडय़ी आदि.
ईशा तलवार
केरल से तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और राजस्थान होते हुए अभिनेत्री ईशा तलवार को पंजाब पृष्ठभूमि पर बनी सीरीज ‘चमक’ में देखना काफी रोमांचक है. वह एक संघर्षरत कलाकार की भूमिका में है.
वैसे उस ने अभिनय में करिअर बनाने के लिए काफी संघर्ष किया है. पहली बार उसे केरल में ही एक विज्ञापन फिल्म मिली थी. उस के कैमरामैन जोमन टी जान ने उसे मलयालम फिल्म ‘तट्टतिन मरयाद’ के बारे में जानकारी मिली थी. उस के लिए आडिशन दिया और सेलेक्ट हो गई. यह मौका मलयालम की फिल्म के लिए एक बड़ा मौका था.
फिल्म वहां ब्लाकबस्टर रही थी. जोमन टी जान साउथ के बहुत बड़े डायरेक्टर हैं, रोहित शेट्टी की फिल्मों के कैमरामैन वही रहते हैं. ‘तट्टतिन मरयाद’ के बाद तो साउथ की और भी कई फिल्मों में काम करने का मौका मिला.
मोहित मलिक
‘चमक’ के एक कलाकार का नाम मोहित मलिक है, जो टीवी के एक जानापहचान नाम है. उस ने जीटीवी की लोकप्रिय शृंखला ‘डोली अरमानों की’ में ‘सम्राट सिंह राठौड़’ और ‘कुल्फी कुमार बाजेवाला’ में सिकंदर सिंह गिल की भूमिका के लिए जाना जाता है.
मलिक ने अपने टेलीविजन करिअर की शुरुआत स्टार प्लस के टीवी शो ‘मिली’ में आओनी के रूप में की. उस के बाद उस ने ‘बेटियां अपनी या पराया धन’, ‘परी हूं मैं’, ‘बनूं मैं तेरी दुल्हन’, ‘गोद भराई’, ‘दुर्गेश नंदिनी’, ‘मन की आवाज प्रतिज्ञा’ और ‘फुलवा’ जैसे कई टीवी शो किए.
वह ‘नच बलिए 4’ के प्रतियोगी भी था. उस ने रेहान चाल्र्स के रूप में ‘सुवरीन गुग्गल टौपर औफ द ईयर’ भी किया है.
उसे ‘डोली अरमानों की’ में सम्राट सिंह राठौड़ के रूप से पहचान मिली. जून 2016 से जनवरी 2017 तक उस ने ‘सावधान इंडिया’ की मेजबानी की. 2018 में मोहित ने म्यूजिकल शो कुल्फी कुमार बाजेवाला में सिकंदर सिंह गिल के रूप में मुख्य भूमिका निभाई, जो स्टार प्लस पर प्रसारित हुआ.
अगस्त 2020 में उस ने स्टारप्लस की ‘लौकडाउन की लव स्टोरी’ में ध्रुव जायसवाल की भूमिका निभाई. 2022 में मोहित ने वूट पर साइबर वार – हर स्क्रीन क्राइम सीन के साथ वेब शो में डेब्यू किया, और ‘खतरों के खिलाड़ी’ सीजन 12 में भी भाग लिया, जिस में वह दूसरा रनर अप रहा.
2023 से 2024 तक उस ने डायरेक्टर कट प्रोडक्शंस निर्मित स्टार प्लस के शो ‘बातें कुछ अनकही सी’ में कुणाल मल्होत्रा की मुख्य भूमिका निभाई.
गिप्पी ग्रेवाल
अभिनेता, गायक, फिल्म निर्देशक और निर्माता गिप्पी ग्रेवाल की पहचान पंजाबी और हिंदी फिल्म के दर्शकों के बीच है. उस का एकल ‘फुुलकारी’ पंजाबी संगीत उद्योग में बहुत सफल रहा है. उस ने 2010 की फिल्म, मेल करादे रब्बा से अपने अभिनय की शुरुआत की थी और इस के बाद उस ने ‘कैरी आन जट्टा’, ‘लकी दी अनलकी स्टोरी’, ‘भाजी इन प्राब्लम’ और ‘जट जेम्स बौंड’ में काम किया. उस ने 2011 की फिल्म ‘जिन्हें मेरा दिल लुटेया’ में अपने प्रदर्शन के लिए 2011 में ‘पीटीसी सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार’ को पुनर्जीवित किया. उसे 2012 में दिलजीत दोसांझ के साथ पिफा सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार मिला और 2015 में दिलजीत दोसांझ के साथ ‘जट जेम्स बौंड’ के लिए पीटीसी सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार मिला.
प्रताप ढिल्लों पंजाबी म्यूजिक इंडस्ट्री का बेताज बादशाह है. बलवीर राजनीति का शातिर खिलाड़ी और पंजाब सरकार में हेल्थ मिनिस्टर है. जुगराज दिग्गज गायक है, जिसे लोगों से मिलना पसंद नहीं, मगर संगीत के तलबगार उस से मिलने को बेचैन रहते हैं. कभी ये सब तारासिंह की छाया हुआ करते थे.
काला इन सभी स्वर्गीय पिता तारासिंह के खास दोस्तों तक पहुंचने के रास्ते बनाता है और इस के लिए वह किसी से झूठ बोल सकता है, प्यार को धोखा दे सकता है, प्यार का नाटक कर सकता है, लोगों को इमोशनली मैनिपुलेट कर सकता है.
काला के ये हथकंडे कहानी में थोड़ा सा रोमांच बरकरार रखते हैं. ऐसे हथकंडे अकसर फिल्मों और सीरीज में कहानी को रोमांचक बनाने एवं दर्शकों को बांधे रखने के लिए जानबूझ कर डाले जाते हैं. ‘चमक’ में भी यही किया गया है. सीरीज को जिस सिंगर अमरसिंह चमकीला की कहानी से थोड़ा सा मिलता बताया जा रहा है, उन अमरसिंह चमकीला के बारे में भी हमारे सुधि पाठक जान लें.
पंजाब के मशहूर गायक थे अमरसिंह चमकीला. अमरसिंह देश के अलावा विदेशों में भी अपनी गायकी और स्टेज परफारमेंस के लिए जाने जाते हैं. कहा जाता है कि उन की यही दीवानगी और सच्चाई से भरपूर गाने उन की मुसीबत बन गए. इसीलिए आज तक अमरसिंह चमकीला की मौत एक अनसुलझा रहस्य भी है.
अमरसिंह चमकीला का जन्म 21 जुलाई, 1960 को लुधियाना के पिंड (गांव) डुगरी में हुआ था. अमरसिंह चमकीला का असली नाम धनीराम था. अमर जब थोड़ा बड़ा हुआ तो पाया कि परिवार की आर्थिक हालत खराब है. ऐसे में वह कपड़े की मिल में काम करने लगा.
अमरसिंह ने बचपन से ही संगीत से लगाव था तो काम के बीच में उस ने हारमोनियम और ढोलक सीख ली. कपड़ा मिल में नौकरी करतेकरते वह गाने लिखने लगा. अमरसिंह चमकीला खुद गाने लिखता और तुंबी (एक वाद्ययंत्र) के सहारे धुन देता. थोड़े दिनों बाद वह पंजाबी सिंगर सुरिंदर शिंदा से संपर्क में आया तो उन के लिए गाने लिखने लगा.
कौन था अमरसिंह चमकीला
18 साल की उम्र में अमरसिंह के गाने लोगों को पसंद आए, लेकिन आमदनी वैसी ही रही. फिर अमर सिंह ने खुद बड़ी मशक्कत के बाद गाना गाया और गाने के बोल में पंजाब की समस्याओं को भी बताया. 80 का दशक आतेआते उसे कुछ साथी मिले, जिन के साथ अमर सिंह स्टेज शो करने लगा.
कुछ सालों के संघर्ष के बाद अमरसिंह के गानों में पंजाब की सच्चाई दिखी तो लोग उस से जुड़े और कुछ उस से नाराज भी हुए. दरअसल, अमर सिंह अपने गानों में पंजाब में बढ़ती हिंसा, नशे के कारोबार, घरेलू हिंसा जैसे मुद्दों को भी उठाता था.
देखते ही देखते अमरसिंह ने गुरदास मान, सुरिंदर शिंदा और कुलदीप मानक जैसे गायकों को पीछे छोड़ दिया. 1980 में स्टेज शो में अमरसिंह को साथ मिला अमरजोत कौर का. जिस के साथ वह गाने तो गाता ही बल्कि बीचबीच में हंसीमजाक और पुरुषों पर कटाक्ष भी करता.
बाद में यही अमरजोत कौर चमकीला की पत्नी भी बनी थी. बताते हैं कि इन कुछ वर्षों में उस ने कई जगह ढेर सारे शो किए और अच्छे गानों के चलते अमर सिंह पंजाब का चमकीला सितारा हो गया. फिर यहीं से उसे अमरसिंह चमकीला के नाम से जाना जाने लगा.
दूसरी तरफ, पंजाब में आतंकवाद का दौर था. इंदिरा गांधी द्वारा चलाए गए औपरेशन ब्लू स्टार के बाद पुलिस की सख्ती थी. हालांकि इस बीच अमर सिंह ने कई स्टेज शो किए, जहां भारी भीड़ उमड़ी थी. उस दौर में अमर सिंह चमकीला मशहूर गायक था.
गायक के अलावा गीतकार, संगीतकार सब कुछ था. साथ ही चमकीला और अमरजोत की जोड़ी ने जो गाने लिखे और गाए, वह उस वक्त के पंजाब के मुद्दों से जुड़े तो थे ही, साथ ही समाज की बुराइयों पर भी सटीक बैठते थे.
कई बार अमर सिंह चमकीला के गाने विवादों में भी घिरे और माना जाता है कि यही गाने उस की मौत का कारण भी बने. चमकीला को कई बार उग्रवादी संगठनों द्वारा धमकी भी मिली थीं.
चमकीला ने 9 साल गायकी की दुनिया में बिताए थे और वह जब 8 मार्च, 1988 को पत्नी अमरजोत व साथियों के साथ जालंधर के महसामपुर में कार्यक्रम के लिए पहुंचा था, तभी गोली मार कर उस की हत्या कर हमलावर फरार हो गए.
अमर और अमरजोत की हत्या किस कारण की गई, इस के पीछे कई दावे हए कि उग्रवादियों का हाथ हो सकता है. फिर कुछ ने माना कि शायद प्रतिद्वंदी गायकों ने मरवाया है. वहीं कुछ ने इसे चमकीला और अमरजोत के प्रेम विवाह को कारण बताया.
हालांकि, आज तक इस हत्याकांड के एक भी आरोपी को पकड़ा नहीं गया है और यह कांड मर्डर मिस्ट्री में तब्दील हो गया. यह थी अमर सिंह चमकीला की असली कहानी.
अमरसिंह चमकीला पर ‘चमकीला’ फिल्म भी इम्तियाज अली ने बनाई है. ‘चमकीला’ फिल्म में दिलजीत दोसांझ ने अमरसिंह की भूमिका निभाई थी, वहीं परिणीति चोपड़ा उस की साथी अमरजोत कौर बनी थी. यह फिल्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज की गई थी.
‘चमकीला’ फिल्म 26 फरवरी, 2024 को नेटफ्लिक्स पर रिलीज कर दी गई है. अब चलते हैं वापस ‘चमक’ वेब सीरीज पर तो काला अपने पिता तारा सिंह के 3 दोस्तों तक पहुंचने के लिए साम, दाम, दंड, भेद के सभी दांव खेलता है. काला किसी से झूठ बोलता है तो प्यार के नाम पर धोखा भी देने से बाज नहीं आता. काला के हथकंडे कहानी का रोमांच कम नहीं होने देते.
इस कथा के साथ प्रताप ढिल्लों और उस के परिवार के इर्दगिर्द कुछ सब प्लौट्स भी हैं, जो चमक की कहानी की एकरूपता को तोड़ते हैं. खासकर, प्रताप के छोटे बेटे (मोहित मलिक) का समलैंगिक ट्रैक सामाजिक और पारिवारिक तानेबाने का प्रतिनिधित्व करता है. बीचबीच में एमसी स्क्वायर और मीका सिंह समेत कई जानेमाने कलाकारों का कैमियो समां बांधे रखता है.
काला जिस तरह अपनी गायन प्रतिभा का इस्तेमाल इन सभी लोगों तक पहुंचने के लिए करता है, वे दृश्य बहुत दिलचस्प हैं. काला के किरदार को परमवीर चीमा ने निभाया है, जो अमेजन मिनी टीवी की सीरीज ‘इश्कयापा’ में लीड रोल में नजर आया था. मगर परमवीर को काला के किरदार में देख कोई खास हैरानी नहीं होती.
परमवीर चीमा
इस किरदार का ढुलमुल स्वभाव, गुस्सा, संवेदनशीलता और भावनात्मक उतारचढ़ाव को परमवीर ने जीने की कोशिश जरूर की है, मगर पूरी तरह कामयाब नहीं हुआ है. जैसे जैसे कहानी आगे बढ़ती है, परमवीर की अदाकारी भी बोरियत लगती है.
काला लव इंटरेस्ट और संघर्षरत सिंगर जैज के किरदार में ईशा तलवार नैचुरल लगती है. अन्य कलाकारों में प्रताप ढिल्लों के किरदार में मनोज पाहवा ने जरूर जान डाली है. इस किरदार के लिए जिस तेज और गतिशीलता की जरूरत थी, वो मनोज पाहवा ले कर आता है. ‘कोहरा’ वेब सीरीज से मशहूर हुए सुविंदर विक्की ने जुगराज की चुप्पी और रहस्य को बखूबी बयां किया है. हालांकि, पहले सीजन में सुविंदर विक्की के हिस्से अधिक दृश्य नहीं आए हैं.
प्रताप के प्रतिद्वंदी और काला को स्टार बनाने वाले निर्माता के किरदार में मुकेश छाबड़ा थोड़ा प्रभावित अवश्य करता है.
जुगराज की बेटी ओर उभरती गायिका लता के रोल में अकासा सिंह ठीक लगी है. तारा सिंह के किरदार में गिप्पी ग्रेवाल की छोटी भूमिका है, जिस में वह जरूर जंचता है. मन्नासिंह के म्यूजिक ने सीरीज के संगीत की चमक को थोड़ा फीका किया है.
मामला लीगल है
रवि किशन का ‘मामला लीगल है’ एक मार्च को नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई कौमेडी ड्रामा है. यह वी.डी. त्यागी पर फोकस है, जो पटपडग़ंज बार एसोसिएशन का अध्यक्ष है और भारत का अटार्नी जनरल बनना चाहता है. इस में वकीलों की खट्टीमीठी दलीलों की मजेदार कहानी का तानाबना बुना गया है.
निर्देशक राहुल पांडे ने कुणाल अनेजा, सौरभ खन्ना की कथा पटकथा का बेहरीन फिल्मांकन किया है, जो हंसहंस कर लोटपोट होने पर मजबूर कर देगा. कुल 8 एपिसोड वाली इस सीरीज में अजीब मुकदमों की गजब कहानी को दिखाया गया है.
कहानी काफी रोचक है. दिल्ली के पटपडग़ंज इलाके के जिला न्यायालय के कुछ अतरंगी मुकदमों से इस सीरीज की शुरुआत होती है. वकील वी.डी. त्यागी के रूप में रवि किशन कानूनी प्रणाली में अपने गणित के दांवपेंच से खामियां तलाशता है.
अदालत में एक तोते द्वारा महिला को गाली देने के मामले की सुनवाई चलती है और उस दौरान वकीलों की दलीलें कुछ ऐसी होती हैं, जो आप को ठहाके मारने पर मजबूर कर देंगी. कौमिक टाइमिंग के जरिए इस पूरी सीरीज में रवि कहानी के केंद्र में बना हुआ है. दूसरी ओर अभिनेत्री नाइला ग्रेवाल महिला एडवोकेट अनन्या श्रौफ की मजेदार भूमिका में है.
अनन्या वेब सीरीज में तीसरी पीढ़ी की वकील है, जो हार्वर्ड से कानून की पढ़ाई कर के आई है. वह दिल्ली के जिला न्यायालय के सिस्टम को सुचारू रूप से चलाने की कोशिश करती है. इस के अलावा निधि बिष्ट, यशपाल शर्मा और 12वीं फेल के प्रीतम प्यारे यानी अनंत जोशी अपनेअपने रोल में फिट बैठे हैं.
लेखक कुणाल अनेजा और सौरभ खन्ना ने ‘मामला लीगल है’ की कहानी को बड़े शानदार तरीके से लिखा है. कोर्टरूम कौमेडी ड्रामा के आधार पर इन दोनों से ऐसी ऐसी कौमिक पंचलाइन को शामिल किया है, जो सुनने में मजेदार लगते हैं और हंसी आ जाती है.
सनफ्लावर 2
सुनील ग्रोवर और अदा शर्मा स्टारर ‘सनफ्लावर 2’ भी पहली मार्च को ही रिलीज हुई है. जी5 पर आ चुकी यह 2021 में आई ‘सनफ्लावर’ का सीक्वल है. इस क्राइम मिस्ट्री सीरीज में कौमेडी का तड़का लगाया है. सुनील ग्रोवर की ऐक्टिंग देखने लायक है. सीरीज में रणवीर शौरी, अदा शर्मा, आशीष विद्यार्थी, गिरीश कुलकर्णी, मुकुल चड्ढा, राधा भट्ïट, अश्विन कौशल, शोनाली नागरानी, अन्नपूर्णा सोनी और राधा पटेल हैं.
इस में 8 एपिसोड्स हैं. सुनील ग्रोवर के साथ अदा शर्मा इस बार लीड रोल में है. सुनील का किरदार एक कास्मेटिक कंपनी में सेल्समैन के पद का है. वहीं अदा शर्मा बार डांसर है, जिस का राज कपूर के कत्ल से गहरा संबंध है. इस सीजन में जांच की प्रक्रिया पर फोकस किया गया है.
मर्डर मिस्ट्री की इस सीरीज में कौमेडी की छौंक के साथ सुनील ने अपनी तरफ से रंग जमाने की कोशिश की है, मगर सस्पेंस भी बनाए हुए है. इस बार कुछ नाटकीय मोड़ भी हैं, जिस में दूसरे किरदारों के चेहरों के मुखौटे उतरते हैं.
दूसरे सीजन की शुरुआत वहीं से होती है, जहां पहला खत्म हुआ था. सोनू (सुनील ग्रोवर) सनफ्लावर सोसाइटी में रहने वाले राज कपूर (अश्विन कौशल) के कत्ल के केस में संदिग्ध है. पिछले सीजन में उसे किडनैप कर लिया गया था, मगर इस सीजन में वह किडनैपर्स से बच कर सनफ्लावर में पहुंचता है और पुलिस उसे पूछताछ के लिए साथ ले जाती है.
राज कपूर के पड़ोसी हिंदी का प्रोफेसर आहूजा (मुकुल चड्ïढा) भी शक के दायरे में है. उस की पत्नी मिसेज आहूजा (राधा भट्ट) शराफत का चोला उतार चुकी है और इस बार वह अलग रंग में आ चुकी है. जांच अधिकारी इंसपेक्टर दिगेंद्र (रणवीर शौरी) के साथ उस का अफेयर शुरू हो गया है.
राज कपूर की हत्या के लिए सोनू और आहूजा के अलावा उस की करीबी बार डांसर रोजी मेहता (अदा शर्मा) और बीवी नैना कपूर (शोनाली नागरानी) शक के दायरे में है. राजकपूर अपनी पत्नी को सबक सिखाने के लिए अपना फ्लैट बार डांसर के नाम कर चुका होता है. उस के मरने के बाद वह वहीं आ कर रहने लगती है.
मर्डर इनवैस्टिगेशन का बचाव पक्ष भी है. जिस तरह से दिगेंद्र और चेतन तांबे एकएक सुराग के सहारे आगे बढ़ते हैं, उस से कहानी दिलचस्प बन गई है. बार डांसर रोजी का किरदार जांचपड़ताल के लिए अहम है और मर्डर मिस्ट्री को अंजाम तक पहुंचाने में इस किरदार की भूमिका महत्त्वपूर्ण बन गई है.
महारानी 3
वेब सीरीज ‘महारानी’ के 2 सीजन आ चुके हैं. यह 1990 के दशक में बिहार की राजनीति पर आधारित है. सीरीज में हुमा कुरैशी लीड रोल में है. इस का तीसरा सीजन 7 मार्च को सोनी लिव पर रिलीज हो चुका है. हुमा कुरैशी की महारानी ओटीटी दुनिया की सब से चर्चित वेब सीरीज में से एक है. महारानी के पिछले 2 सीजन को दर्शकों ने बेहद पसंद किया है. इस में जबरदस्त पौलिटिकल ड्रामा है.
अब ‘महारानी 3’ के ट्रेलर के मुताबिक रानी भारती पर अपनी पति की हत्या का आरोप है. वेब सीरीज अपने किरदारों के अलावा शानदार डायलौग्स के लिए भी जानी जाती है. ‘महारानी 3’ में हुमा कुरैशी का डायलौग ‘बंदूक कमजोर लोग चलाते हैं, समझदार लोग दिमाग…’ हर किसी का दिल जीतने वाला है. महारानी वेब सीरीज शुरुआत से बिहार की राजनीति से प्रेरित रही है.
आप को बता दें कि बिहार की राजनीति को दिखाती इस सीरीज में हुमा कुरैशी ने लीड रोल निभाया है, जो एक ऐसी महिला के किरदार में दिखती है, जो घरगृहस्थी संभालना जानती है, लेकिन एक दिन वह राज्य की सीएम बन जाती है और फिर राजनीति के दांवपेंच खेलने लगती है.
ईगल
बीते महीने रिलीज हुई 100 करोड़ी फिल्म ‘ईगल’ बौक्स औफिस पर कुछ कमाल नहीं कर पाई थी. इसे ईटीवी विन पर रिलीज किया गया है. इस फिल्म में रवि तेजा, अनुपमा परमेश्वरन समेत कई अन्य कलाकार हैं.
इस की कहानी में तालाकोना के रहने वाले सहदेव वर्मा (रवि तेजा) दुर्लभ जंगली कपास का उत्पादन करता है. एक पत्रकार नलिनी (अनुपमा परमेश्वरन) को इस बारे में पता चल जाता है कि सहदेव द्वारा खेती की गई दुर्लभ कपास की यूरोप में ठोस मांग है.
नलिनी ने उस के बारे में एक लेख लिखा, जिस से वह मुसीबत में पड़ गई. उसे पता चलता है कि सहदेव रा, नक्सलियों और आतंकवादियों के लिए सब से वांछित व्यक्ति है. यह सहदेव कौन है? ये समूह उस के पीछे क्यों हैं? वह तालाकोना में क्या कर रहा है? इस का फिल्म के पास जवाब है.
‘ईगल’ में रवि तेजा ने कुछ अलग करने का प्रयास किया है. उस ने अपनी उम्र का किरदार निभाया और वह सहदेव के रूप में शानदार नजर आया है. उस का गेटअप, बौडी लैंग्वेज और स्क्रीन प्रेजेंस जबरदस्त है. वैसे वह सभी ऐक्शन दृश्यों में शानदार है.
इस का विषय वैश्विक मुद्दे से संबंधित है. फिल्म में दिखाया गया अंतरराष्ट्रीय मुद्ïदा काफी प्रासंगिक है. यह कुछ ऐसा है जिसे हम हाल ही में अकसर देख रहे हैं. इसे बड़े करीने से प्रेम कहानी से जोड़ा गया है. ‘ईगल’ में अद्ïभुत ऐक्शन सीक्वेंस हैं और वह सभी मारधाड़ पसंद करने वालों को रोमांचित कर देगी. उस की शूटिंग शानदार कही जा सकती है.
मेरी क्रिसमस
यह एक साइकोलौजिकल थ्रिलर फिल्म है, जो जनवरी में रिलीज हुई थी. फिल्म को श्रीराम राघवन ने डायरेक्ट किया है. इस में कैटरीना कैफ और विजय सेतुपति मुख्य भूमिका में हैं. इसे नेटफ्लिक्स पर रिलीज किया गया है.
हनुमान
तेलुगू की फिल्म ‘हनुमान’ पैन इंडिया ने जनवरी में रिलीज थी. इस फिल्म में तेजा सज्जा लीड रोल में था. फिल्म कहानी एक ऐसे लड़के के इर्दगिर्द घूमती है, जो पवनपुत्र हनुमान की महाशक्ति हासिल कर लेता है. इस फिल्म को जी5 पर रिलीज किया गया है.
कंप्यूटर ग्राफिक्स, स्पैशल इफेक्ट्स, कहानी, संवादों और संगीत में यह फिल्म महंगी फिल्मों की तुलना में कहीं बेहतर दिखती है. इस की कहानी है हनुमान की जन्मस्थली अंजनाद्रि की, जहां इंद्र के वज्र के प्रहार से हनुमान की ठुड्ïडी से गिरी रक्त की एक बूंद नदी की तलहटी में खुली सीप के भीतर जा कर रुद्रमणि बन चुकी है.
ये रुद्रमणि जब अंजनाद्रि गांव के एक टप्पेबाज छोकरे को मिलती है तो क्या कुछ गुल खिलते हैं, यही है फिल्म ‘हनुमान’. युवा निर्देशक प्रशांत वर्मा ने इस फिल्म में इस की सीक्वल ‘जय हनुमान’ का भी ऐलान कर दिया है, जो अगले साल रिलीज होगी.
फिल्म ‘हनुमान’ शुरू होती है बैंक डकैती की एक वारदात से, जिसे रोकने के लिए काले कपड़ों वाला एक सुपरमैन माइकल प्रकट होता है. उस ने तकनीक के सहारे शक्तियां पाई हैं. उस का जोड़ीदार सिरी उसे सुपरमैन एम बनाने में मदद कर रहा है. दूसरी तरफ कहीं दूर एक गांव में एक लड़का अपनी गुलेल से पेड़ों पर उछलकूद करते बंदर से कंपटीशन कर रहा है.
रुद्रमणि की रक्षा त्रेता युग से विभीषण करते आए हैं. इस मणि में देवों और असुरों के भीषण संग्राम की गाथा है और इसे पाने के लिए माइकल हर जतन करता है. कहानी एक ऐसे रोचक मोड़ पर आ कर थमती है, जहां अनिष्ट की आशंकाएं इस के सीक्वल का आधार बनाती हैं.
शो टाइम
इमरान हाशमी, महिमा मकवाना, मौनी राय, राजीव खंडेलवाल, श्रेया सरन, विजय राज और नसीरुद्ïदीन शाह स्टारर वेब सीरीज ‘शो टाइम’ को डिज्नी प्लस हौटस्टार पर रिलीज किया गया है. यह सीरीज फिल्मी दुनिया की चकाचौंध और संघर्ष को दिखाती है. इस में भाईभतीजावाद को दर्शाया गया है.
इस के जरिए करण जौहर ने धर्मा प्रोडक्शन को अब ओटीटी प्लेटफार्म पर उतार दिया है. करण की कंपनी ने 2018 में एक सहायक कंपनी शुरू की थी, जिस का नाम धर्माटिक एंटरटेनमेंट है.
इस प्रोडक्शन हाउस का लक्ष्य ओटीटी मीडियम के लिए डिजिटल सामग्री तैयार करना है, जो फिक्शन और नौनफिक्शन दोनों से संबंधित होगी. उन्होंने नेटफ्लिक्स इंडिया के साथ एक समझौता किया है.
‘शो टाइम’ में बौलीवुड के बादशाह के तौर पर इमरान हाशमी को दिखाया गया है. सीरीज में नसीरुद्ïदीन शाह भी अच्छे किरदार में है. भाईभतीजावाद के मुखौटे में हर बाहरी व्यक्ति अंदरूनी सूत्र बनाना चाहता है. यही इस सीरीज के केंद्र में है. यानी कि यह वेब शो पूरी तरह से सिनेमा और अभिनेता के प्रति अपने दृष्टिकोण को दर्शाती है.
साथ ही यह सिनेमा उद्योग से परिचय भी करवाती है. यह बताएगी कि कैसे सभी लोगों को एक एजेंडा पूरा करना चाहिए. इस सीरीज के माध्यम से इमरान हाशमी लंबे समय बाद दर्शकों के सामने दिखाई देगा.
ऐ वतन मेरे वतन
यह आजादी से पहले की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म है, जिस की कहानी उषा मेहता के जीवन पर आधारित है, जिन्होंने 1942 में एक अंडरग्राउंड रेडियो स्टेशन शुरू किया था. फिल्म 21 मार्च को प्राइम वीडियो पर रिलीज हुई. इस में सारा अली खान लीड रोल में है.
यह बौलीवुड एक्ट्रेस सारा अली खान की इस साल की सब से बड़ी फिल्म कही गई है. हालांकि उस की ‘मर्डर मुबारक’ भी डिजिटल प्लेटफार्म पर रिलीज होने के लिए तैयार है.
फिल्म में भारत के कुछ भूलेबिसरे हीरोज और उन की अनकही कहानियों के बारे में बात की है. वह दर्शकों को 22 वर्षीय उषा नाम की एक साहसी लड़की से परिचित कराते हैं, जो 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान ब्रिटिश राज के खिलाफ देश को एक साथ लाने के लिए एक अंडरग्राउंड रेडियो स्टेशन चलाती है और अपने देश के लिए खड़ी होती है. उस की प्रेरक कहानी को बताते हुए करण जौहर ने कुछ हीरोज के उदाहरण भी दिए हैं.
फाइटर
ऋतिक रोशन, अनिल कपूर, करण सिंह ग्रोवर, अक्षय ओबेराय , दीपिका पादुकोण स्टारर ‘फाइटर’ 21 मार्च को नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो चुकी है. इसे सिद्धार्थ आनंद ने डायरेक्ट किया.
ज्विगाटो
कपिल शर्मा और शहाना गोस्वामी स्टारर ‘ज्विगाटो’ भी 17 मार्च को नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हो गई. इसे नंदिता दास ने प्रोड्यूस और डायरेक्ट किया है. यह फिल्म एक फूड डिलीवरी बौय की कहानी को दिखाती है.
कलाकार: परमवीर चीमा, अकासा सिंह, सिद्धार्थ शा, ईशा तलवार, मोहित मलिक, मुकेश छाबड़ा, सुविंदर पाल, मनोज पाहवा, गिप्पी ग्रेवाल आदि.
लेखक: रोहित जुगराज चौहान, एस फकीरा, अविनाश सिंह, विजय नारायण वर्मा और गौरव शर्मा.
निर्देशक: रोहित जुगराज कास्टिंग: मुकेश छाबड़ा
निर्माता: गीतांजलि मेहलवाल, रोहित जुगराज चौहान, सुमित नंदलाल दुबे.
ओटीटी: सोनी लिव
एपिसोड: 6
यह बात 20 साल से पहले की है. उन दिनों के ट्रेंडसेटर निर्माता निर्देशक रामगोपाल वर्मा का अंधेरी पश्चिम में वर्सोवा टेलीफोन एक्सचेंज के पास ‘फैक्ट्री’ नाम से दफ्तर हुआ करता था. सुबह से ले कर शाम और देर रात तक दुनिया भर से आने वाले युवाओं का वहां मेला लगा रहता.
उसी मेले में एक रोज रोहित जुगराज की रामगोपाल वर्मा से मुलाकात हुई. राम को रोहित में काम करने की ललक दिखी. रामू की शागिर्दी में रोहित जुगराज काम करने यानी सीखने लगा. पहली फिल्म भी फैक्ट्री के लिए ही बनाई. लेकिन, न ‘जेम्स’ चली और न ‘सुपरस्टार’. रोहित को तब लगा कि यह अपने वश का काम नहीं है. रोहित ने तब पंजाबी सिनेमा की राह पकड़ी और वहां गिप्पी ग्रेवाल और दिलजीत दोसांझ के साथ मिल कर ‘जट्ट जेम्स बौंड’ और ‘सरदारजी’ जैसी हिट फिल्में बनाईं. हिंदी सिनेमा की उन की पिछली कोशिश ‘अर्जुन पटियाला’ फिर सिरे नहीं चढ़ सकी.
रोहित जुगराज
अब रोहित जुगराज अपनी पहली वेब सीरीज ‘चमक’ (Web Series ChamaK) के साथ हाजिर है. सीरीज बताती है कि चमक 2 तरह की होती है, एक तो वह जो दुनिया भर में दिखती रहती है, यानी ग्लैमर और दूसरी वो जो इंसान के भीतर होती है. यानी आत्मावलोकन, आत्मज्ञान. इन दोनों चमक के बीचोंबीच भाग रहे इंसान की कहानी है वेब सीरीज ‘चमक’.
गीतसंगीत के क्षेत्र में पंजाबी मिट्टी की खुशबू ही अलग रही है. यहां की कला और कलाकारों का जमीन से जुड़ाव होने की वजह से जो संगीत निकला, उस में एक रूहानी एहसास हमेशा रहा है. यह बात अलग है कि फिल्मों में पंजाबी रैप की लोकप्रियता ने यहां के सूफियाना संगीत को सीमित कर दिया है.
पंजाबी संगीत की इन 2 धाराओं को अगर एक रोमांचक कहानी के साथ गूंथ दिया जाए तो बनती है सोनी लिव की नई सीरीज ‘चमक’, जो एक म्यूजिकल थ्रिलर है.
रोहित जुगराज निर्देशित सीरीज के पहले सीजन की कहानी एक लोकप्रिय रैपर और उस की पत्नी की लाइव परफारमेंस के दौरान हत्या (यह पंजाब के मशहूर लोकगायक अमरसिंह चमकीला और उन की पत्नी की दिनदहाड़े गोलियों से भून कर हत्या सन 1988 में कर दी गई थी और उन के कातिलों का पता आज तक नहीं चला.
असल जीवन में यह घटना साल 1988 की है, मगर ‘चमक’ सीरीज शुरू होती है ऐसे ही एक कत्ल से 1999 में, औसतन 50 मिनट के 6 एपिसोड की सीरीज ‘चमक’ का सीजन वन रोहित जुगराज ने बनाने में जी जान लगाई है.
काला का खुलता है सफेद अतीत
हिंदी सिनेमा में रोहित जुगराज की फिल्मों की गति बहुत तेज रही है और शायद उस की विफलता की एक वजह यह भी रही कि रोहित के मन में जो चल रहा होता था, उसे वह परदे पर ला पाने में कहीं न कहीं चूक जाता था, लेकिन ‘चमक’ उस की भीतरी चमक को थोड़ा चमकाती नजर आई. मगर चमक में तारीफ करने लायक कुछ खास नहीं है.
सीरीज शुरू में सुस्त सी लगती है, लेकिन एक बार इस के मुख्य किरदार काला का सफेद अतीत जब खुलता है तो सीरीज में थोड़ी सी रफ्तार आती है. आइए जानते हैं, क्या है सीरीज ‘चमक’ की कहानी.
‘चमक’ की कहानी के केंद्र में कनाडा के वैंकुवर में अपने चाचा के पास रहने वाला पंजाब का काला (परमवीर चीमा) है, जो वहां की जेल में किसी अपराध के लिए बंद है. संगीत उस की नसनस में है और काला मशहूर सिंगर बनना चाहता है.
पहले एपिसोड की शुरुआत यहीं से होती हैं. काला जेल में बंद है. वह मशहूर सिंगर बनना चाहता है. तिकड़मबाजी लगा कर 6 महीने बाद काला पैरोल पर छूट जाता है. यहां पर यह बात थोड़ी अटपटी लगती है. अगर काला भारतीय जेल में होता तो हम मान लेते कि तिकड़म लगा कर वह 6 महीने नहीं एकदो महीने में ही पैरोल पर छूट जाता.
मगर कनाडा में भी लगता है भारतीय जेलों की तरह ही मामला लेदे कर रफादफा होता है. तभी तो काला 6 महीने में ही तिकड़मबाजी लगा कर पैरोल पर छूट जाता है. काला जेल से निकलते ही सीधे अपनी कथित गर्लफ्रेंड के पास जाता है. वह सोचता है कि उस की गर्लफ्रेंड उसे देख कर बहुत खुश होगी. मगर जब काला गर्लफ्रेंड के पास जाता है तो वहां उसे एक गोरा युवक गर्लफ्रेंड के पास मिलता है.
काला पंजाबी संस्कृति का भारतीय नौजवान है. उसे गर्लफ्रेंड के पास गोरा युवक दिखता है तो काला समझ जाता है कि वह क्या करने आया है. काला गुस्से से तमतमा उठता है, गोरे युवक को देख कर वह भड़क उठता है और गोरे को इतना मारता है कि वह मरणासन्न हालत में पहुंच जाता है.
गोरा युवक वैंकुवर के शैरिफ का बेटा है. काला को जैसे ही पता चलता है कि उस के हाथों पिटा युवक वैंकुवर के शैरिफ का बेटा है तो काला समझ जाता है कि अब उस का वैंकुवर में रहना ठीक नहीं है, इसलिए वह इंडिया जाना चाहता है.
काला अपने दोस्त टिड्डा (कपिल रेडेकर) की मदद से जाली पासपोर्ट और ‘डंकी’ तरीकों से कनाडा से पंजाब आ जाता है. काला पंजाब की धरती पर कदम रखता है तो उसे राहत की सांस मिलती है. काला पंजाब के मोहाली के पास स्थित अपने गांव पहुंच जाता है, टिड्डा की मदद से काला को स्थानीय बार में वैले (कार पार्क करने वाला स्टाफ) की नौकरी भी मिल जाती है.
पिता के कातिल को किस तरह ढूंढता है काला
एक रात एक घटनाक्रम के बाद बार के बाहर उस का रैप बैटल एमसी स्क्वायर से हो जाता है. वीडियो वायरल होता है. इस बीच काला को पता चलता है कि वैंकुवर में जिस शख्स ने उसे पालपोस कर बड़ा किया था, वह उस का पिता नहीं चाचा है. उस के मातापिता तारा सिंह (गिप्पी ग्रेवाल) और नवप्रीत कौर हैं, जिन्हें 1999 में लाइव स्टेज परफारमेंस के दौरान गोलियों से भून दिया गया था. यह केस कभी सुलझ नहीं सका.
इस केस की तफ्तीश करने वाले स्थानीय पत्रकार गुरपाल से उसे पिता के दोस्तों के बारे में पता चलता है, जो एक पुरानी तसवीर में तारा सिंह के साथ है. काला अपने पिता के कातिल को ढूंढने और वजह का पता लगाने के लिए इन चारों के पीछे लगता है.
काला इस के लिए जरिया बनाता है संगीत को, लेकिन इस सफर में उस के सामने कई मुश्किलें आती हैं. यह विडंबना ही है कि संगीत और कला के क्षेत्र में इतना समृद्ध होने के बावजूद पंजाब में कलाकारों के खिलाफ अपराधों का भी इतिहास रहा है.
1988 में लीजेंड्री सिंगर अमर सिंह चमकीला की उन की पत्नी के साथ गोलियों से भून कर हत्या कर दी गई थी. थोड़े समय पूर्व सिद्धू मूसेवाला की हत्या भी गोली मार कर कर दी गई थी.
सीरीज के पहले एपिसोड की शुरुआत ऐसे ही एक घटनाक्रम से होती है. रोहित जुगराज ने ‘चमक’ का कालखंड 1999 रखा है, जब सर्दी की एक सुबह पंजाब के एक गांव में लोकप्रिय गायक तारासिंह और नवप्रीत कौर की सरेआम हत्या कर दी जाती है. काला की कहानी 2023 में ही दिखाई गई है. बीचबीच में अतीत का सफर भी करती है. हालांकि अतीत वाले हिस्से को कम ही रखा गया है.
स्क्रीनप्ले का पूरा फोकस काला के अपने मातापिता के कातिलों की खोज और इस की वजह का पता लगाने पर रखा गया है. इसी क्रम में सीरीज में दिलचस्प मोड़ आते हैं. तारासिंह के साथ तीनों दोस्त बड़े आदमी बन चुके हैं.
पत्रकार चंद्रकांत रंगोट से बता देता है कि एसआई पल्लवी राज के पास कैरव के सारे कारनामों की फुटेज की हार्ड डिस्क है. इंसपेक्टर रंगोट पल्लवी के घर वह हार्ड डिस्क लेने पहुंच जाता है. जब पल्लवी कहती है कि इस बारे में उसे कुछ पता नहीं तो वह पल्लवी का गला दबाने लगता है. तब पल्लवी की मां इंसपेक्टर रंगोट की गरदन पर बंदूक रख कर उसे भगा देती है.
रंगोट कैलव से जा कर बताता है कि पल्लवी राज के पास उस के होटल में जो भी होता है, उस की सारी रिकार्डिंग की वीडियो की हार्ड डिस्क है. कैरव इंसपेक्टर रंगोट को गोली मार देता है. पल्लवी पत्रकार चंद्रकांत के घर पहुंच जाती है और उस की पत्नी से कहती है कि कल रात यह मेरे साथ था. पत्नी तमाचा मार कर चंद्रकांत को घर से बाहर कर देती है.
देव कैरव के होटल के सारे कैमरे बंद करवा कर जयंत की तलाश में उस के होटल पहुंच जाता है, जहां कैरव उसे बताता है कि संध्या और जयंत मिले हुए हैं. संध्या उसे बेवकूफ बना रही है. उन्हें पता है कि वह उसे मार देगा तो वह बचेगा नहीं. उस के पैसे से दोनों मौज करेंगे. वह ऐसा करे कि संध्या को बताए कि उस ने कैरव को मार दिया है तो वह देखे कि संध्या क्या करती है.
देव ने जब संध्या को बताया कि उस ने कैरव को मार दिया है तो संध्या अपने कुत्ते को जहर दे कर मार देती है. उस के बाद अपनी कार से बैंक जाती है, जहां लौकर में रखे रुपए निकालती है और चल पड़ती है. देव तो बाइक से उस का पीछा कर ही रहा था, भी भी अपनी कार से 3 लोगों के साथ उस का पीछा कर रही थी. पल्लवी राज कैरव के घर जाती है और वह हार्ड डिस्क कैरव को दे देती है.
देव एवं भी जयंत और संध्या का पीछा कर रहे होते हैं, तभी देव के बौस ने जो आदमी देव को लाने के लिए भेजे थे, वे देव को एक पेट्रोल पंप से पकड़ लेते हैं. आगे चल कर उन की कार भी की गाड़ी से टकरा जाती है, जिस से दोनों के बीच गोलियां चलने लगती हैं.
देव किसी तरह निकल कर सड़क पर खड़ी एक आदमी की कार ले कर जयंत और संध्या का पीछा करने लगता है. जबकि भी और उस के साथी तथा गुरुग्राम से देव को लेने आए सभी लोग मारे जाते हैं. एक जगह देव संध्या की कार रुकवा लेता है, जहां बातचीत में संध्या जयंत को गोली मार देती है तो पीछे से आ कर पल्लवी राज संध्या को गोली मार देती है.
संध्या की कार से रुपयों से भरा बैग पल्लवी देव को देते हुए कहती है कि रुपयों के लिए वह कैरव से कोई बहाना बना देगी. देव रुपए से भरा बैग घर ला कर विदुषी को सौंप देता है. उस के पिता साथ में ड्रिंक करने को कहते हैं. देव के पिता कुछ पुरानी बातें करते हैं तो देव उन्हें एक घड़ी गिफ्ट करता है.
देव अपनी गाड़ी ले कर गुरुग्राम आ जाता है, जहां उसे अपने पोस्ट बाक्स में एक पैकेट मिलता है, जिस में वही हार्ड डिस्क होती है, जो उस ने पल्लवी राज को दी थी.
पल्लवी ने उस के साथ एक नोट भी रखा था, जिस में लिखा था, ‘इस का मैं कुछ नहीं कर सकी, अगर तुम कुछ कर सको तो खुशी होगी.’ दूसरी ओर पल्लवी राज एसएचओ बन कर प्रैस कौन्फ्रेंस करती है, जिस में हाइवे पर हुए एनकाउंटर के चर्चे के साथ वह यह भी कहती है कि इंसपेक्टर राजबीर सिंह रंगोट के बारे में पता किया जा रहा है कि वह कहां गायब हो गए हैं. यहीं पर आठवां एपिसोड खत्म हो जाता है.
चंदन राय
चंदन राय का जन्म बिहार के जिला वैशाली के गांव महनार में पैदा हुआ था. वह स्कूल पढ़ाई के दौरान ही उसे नाटकों तथा सामुदायिक कार्यक्रमों में भाग लेना अच्छा लगता था, जिस की वजह से अभिनय में उसे रुचि पैदा हुई. जब वह उच्च शिक्षा के लिए पटना गया और वहां पटना विश्वविद्यालय से जनसंचार में ग्रैजुएशन किया.
पढ़ाई के साथसाथ उस ने कालेज थिएटर में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया, नाटकों में काम किया. आगे की पढ़ाई के लिए वह दिल्ली आ गया, जहां भारतीय जनसंचार संस्थान में दाखिला लिया और रेडियो तथा टेलीविजन में डिप्लोमा किया.
पढ़ाई पूरी करने के बाद चंदन राय ने दैनिक जागरण में पत्रकार के रूप में नौकरी कर ली. हालांकि भारतीय जनसंचार संस्थान में पढ़ाई के दौरान बहुरूप थिएटर ग्रुप, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और नैशनल स्कूल औफ ड्रामा रिपर्टरी से जुड़ा रहा. ढाई साल तक जागरण में नौकरी करने के बाद साल 2017 में नौकरी छोड़ कर वह मुंबई चला गया.
मुंबई पहुंच कर चंदन राय ने शुरुआत में दैनिक धारावाहिकों में छोटीछोटी भूमिकाएं कीं. अमेजन प्राइम की वेब सीरीज ‘पंचायत’ में काम मिलने तक वह संघर्ष करता रहा. इसी के साथ वह ‘द वायरल फीवर’, ‘हौस्टल डेज’ और ‘टीवीएफ पिचर्स’ में काम करता रहा. चंदन ने ‘छूना’, ‘शहर लखोट’ और ‘जांबाज हिंदुस्तान के’ जैसी वेब सीरीजों में अपनी पहचान बनाई है.
इस के अलावा राय को एक्शन ड्रामा फिल्म ‘सनक’ और पारिवारिक ड्रामा फिल्म ‘गुलमोहर’ में उन की हास्य भूमिका के लिए पहचान मिली. राय ने एफटीआईआई फिल्म डिप्लोमा फिल्म ‘चंपारण मटन’ में भी काम किया है, जिस ने छात्र अकादमी पुरस्कार में भारत का प्रतिनिधित्व किया.
श्रुति जौली
श्रुति जौली एक भारतीय अभिनेत्री और मौडल हैं. उस का जन्म हरियाणा के करनाल में हुआ था. श्रुति का एक भाई है राजन जौली. श्रुति को अमेजन प्राइम वीडियो पर आने वाली वेब सीरीज ‘शहर लखोट’ में भूमिका अदा करने के लिए जाना जाता है. उस ने इरोज नाउ की सीरीज ‘हिंदमाता’ और ‘होल्ड इट’ में भी काम किया था. इस के अलावा कई टेलीविजन पर आने वाले विज्ञापनों में भी काम किया है.
श्रुति को पृथ्वी थिएटर्स और दिल्ली थिएटर्स के साथ काम करने का अनुभव है. एक मौडल के रूप में उस ने बी-टाउन इंडस्ट्री के कई टौप फैशन डिजाइनरों के साथ काम किया है. वह लाइव आर्टस्टिक की सहसंस्थापक है, जो बेंगलुरु, हैदराबाद और मुंबई में स्थित एक लाइव परफार्मिंग आर्ट थिएटर है. श्रुति जौली साल 2019 में मिस लिनो पेरोस की विजेता भी रही.
एपिसोड- 9
वेब सीरीज ‘रंगबाज फिर से’ के नवें और आखिरी एपिसोड का नाम ‘सरेंडर’ यानी कि आत्मसमर्पण रखा गया है. शुरुआत में पुलिस की जीपें दिखाई गई हैं और बारबार मुख्यमंत्री सावित्री सिंह का यह कथन पहले और बारबार दोहराया गया है कि जो कुछ भी करो, कानून के दायरे में रह कर करना.
मुख्यमंत्री सावित्री सिंह सुंदर सिंह से मिलती है और फिर पुलिस कमिश्नर व संजय मीणा को बुलवा कर आदेश देती है कि अमरपाल का खात्मा कर दो, कानून के दायरे में.
यहां पर लेखक और निर्देशक ने फिर एक एसटीएफ के चीफ संजय मीणा को असहाय सा दिखा डाला है, जो राजनेताओं के आदेश को गवर्नर और न्यायाधीश से भी अधिक तवज्जो देने वाला एक मजबूर पुलिस अधिकारी है, जबकि वह यह काम करने के लिए मना भी कर सकता था.
यहां पर लेखक और निर्देशक ने यह साफ करने की कोशिश की है कि एसएसपी संजय मीणा शुरू से ही यानी कि छात्र जीवन से ही अमरपाल सिंह का प्रशंसक रहा है, इसलिए समयसमय पर वह उस की मदद करता रहता था. उस के बाद एपिसोड को कास्टिंग शुरू हो जाती है.
अमरपाल और उस के साथी हथियार ले लेते हैं. एसपी मीणा अपने भारी पुलिस दस्ते को किलेनुमा कोठी के चारों ओर और छत पर फैला देता है.
संजय मीणा कोठी में दाखिल होता है तो उसे अमरपाल के वही रूप फिर से सामने आते हैं. छात्रसंघ के अध्यक्ष के रूप में फूल मालाएं पहने, कालेज टौपर की ट्रौफी अपने हाथों में उठाए, आईपीएस का एग्जाम पास करते हुए. तभी अमरपाल एक पुलिसकर्मी को ढेर कर देता है. फिर एसएसपी मीणा अपनी पूरी पुलिस फोर्स को गोली चलाने का आदेश दे देता है. उस के बाद काफी संख्या में पुलिस वाले ढेर हो जाते हैं.
अमरपाल वहां से अनुप्रिया चौधरी को भगा देता है और अंत में अमरपाल के सभी साथी एकएक कर के फोर्स द्वारा मार दिए जाते हैं. अंत में अमरपाल अपने दोनों हाथों में पिस्टल व राइफल लिए एसएसपी मीणा के सामने आ जाता है और फिर एसएसपी मीणा अमरपाल के शरीर को गोलियों से छलनी कर देता है.
अमरपाल मरने से पहले एक बार अपनी बेटी चीकू के कहने पर ही आत्मसमर्पण कर रहा है क्योंकि वह अपने जीवन में अपनी बेटी चीकू से सब से ज्यादा प्यार करता है. उस के बाद अमरपाल सिंह का अंतिम संस्कार होता है, जिस में लाखों की संख्या में भीड़ जमा है.
इस एपिसोड में असली कहानी से लेखक एकदम से भटक गया है. असली कहानी में अमरपाल के शव को उठाने से पुलिस वाले भी डर रहे थे, यह सीन नहीं दिखाया गया है.
असली कहानी से भटक गया लेखक
अमरपाल की हत्या के बाद उस के शव को पूरे 3 हफ्ते डीप फ्रीजर में लोगों के आक्रोश के कारण रखा गया था. उस की हत्या के विरोध में असली कहानी में एक विशाल जनसभा का आयोजन भी इस वेब सीरीज में नहीं दिखाया गया.
असली कहानी में गैंगस्टर अमरपाल सिंह का अंतिम संस्कार पुलिस द्वारा गुपचुप तरीके से करवाया गया था, जबकि यहां पर इस वेब सीरीज में उस का अंतिम संस्कार उस की बेटी और उस के परिजनों की अपार भीड़ की उपस्थिति में दिखाया गया है. यदि असली कहानी को वेब सीरीज में दिखाया जाता तो यह कहानी और बेहतर साबित हो सकती थी.
इस सीरीज में लेखकनिर्देशक ने पूरा प्रयास गैंगस्टर आनंदपाल सिंह को पीडि़त के रूप में चित्रित करने और उस के दोस्तों और परिवार पर दबाब डालने जैसा दिखाया. लेखक व निर्देशक गैंगस्टर पीडि़त हुए निर्दोषों की भावनाओं को पकडऩे में एकदम नाकाम रहे.
एक और समस्या थी इसे बहुत कमजोर बनाना और बेवजह की नाटकीयता पैदा करना. चूंकि यह एक वास्तविक कहानी है, इसलिए लेखक निर्देशक किसी परिकल्पना के आधार पर नाटक बनाने के बजाय इसे प्रामाणिक बनाने के लिए इस वेब सीरीज में काम करना चाहिए था.
अंत में दर्शक अपने आप को ठगा हुआ सा महसूस करते हैं जैसे किसी ऐसी वेब सीरीज को देख रहे हैं, जहां पर एक गैंगस्टर को हीरो बना कर पेश किया था. एक क्रूर बदसूरत गैंगस्टर को नरम दिल वाले मासूम इंसान के रूप में दिखाया गया था.
जिमी शेरगिल
बौलीवुड अभिनेता जिमी शेरगिल का वास्तविक नाम जसजीत सिंह गिल है. जिमी का जन्म 3 दिसंबर, 1970 को गांव देवकाहिया, सरदार नगर जिला गोरखपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ था. जिमी शेरगिल के पिता का नाम सत्यजीत सिंह शेरगिल व माताजी का नाम बलराज कौर शेरगिल है. जिमी के एक भाई है जिस का नाम अमन शेरगिल है.
जिमी शेरगिल की पत्नी का नाम प्रियंका पुरी है, जो एक बेटे की मां है. जिमी ने विक्रम कालेज, पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला, पंजाब से कौमर्स में स्नातक किया.
जिमी शेरगिल ने अपने फिल्मी करिअर की शुरुआत 1996 की थ्रिलर ‘माचिस’ से की थी. उस की सफलता ब्लौकबस्टर, म्यूजिकल रोमांस ‘मोहब्बतें’ के साथ सामने आई, जो साल की सब से अधिक कमाई करने वाली बौलीवुड फिल्म बन गई, जिस के बाद उस ने ‘मेरे यार की शादी है’, ‘मुन्नाभाई एमबीबीएस’ सहित कई अन्य बौक्स औफिस हिट फिल्मों में अभिनय किया.
‘हम तुम’, ‘ए वेडनेसडे’, ‘तनु वेड्स मनु’, ‘स्पैशल 26’, ‘हैप्पी भाग जाएगी’ और ‘दे दे प्यार दे’ रोमांटिक कौमेडी सहित कई फिल्में कीं, इन में से कई फिल्में हिट रहीं.
जिमी ने वर्ष 2005 में ‘यारन लाल बहारन’ से पंजाबी फिल्मों में डेब्यू किया था. पंजाबी सिनेमा में उस के उल्लेखनीय काम में ‘मेल करादे रब्बा’, ‘धरती’, ‘आ गए मुंडे यूके दे’, ‘शारिक’ और ‘दाना पानी’ शामिल हैं. जिमी औसतन एक फिल्म के लिए 1 से 2 करोड़ रुपए तक लेता है. इस की कुल संपत्ति लगभग 68 करोड़ रुपए है.
स्पृहा जोशी
अभिनेत्री स्पृहा जोशी का जन्म 13 अक्तूबर, 1989 को मुंबई में हुआ था. इस के पिता का नाम शिरीष जोशी है, जो ट्रिमैक्स आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर एंड सर्विस लिमिटेड, मुंबई में काम करते हैं. इस का विवाह 2013 में वरद लाघाटे के साथ हुआ था.
स्पृहा जोशी एक भारतीय अभिनेत्री, कवि और लेखिका है. वह बचपन से ही अभिनेत्री बनना चाहती थी. 2004 में उस ने मराठी फिल्म से शुरुआत की थी. फिल्म ‘माय बाप’ से एक बाल कलाकार के रूप में अपने अभिनय की शुरुआत की थी.
स्पृहा जोशी ने अपनी स्कूली शिक्षा बालमोहन विद्यामंदिर, दादर से पूरी की और फिर रुइया कालेज मुंबई से स्नातक किया. मराठी फिल्म में डेब्यू के बाद उस ने अपनी ग्रैजुएशन पूरी करने के लिए फिल्मों से ब्रेक ले लिया.
जब वह रामनारायण रुइया कालेज में ग्रैजुएशन कर रही थी, तब उस ने गमभाना, युगमक, एक और मय्यत, सांता, एक आशी व्यक्ति, कोई ऐसा, कैनवास और अनन्या जैसे नाटकों (थिएटर) में अभिनय किया.
टेलीविजन पर उस की पहली उल्लेखनीय भूमिका ‘अग्निहोत्र’ में उमा बैंड की की थी. 2011 में उसे अवधूत गुप्ते द्वारा निर्देशित मराठी फिल्म ‘मोरया’ में देखा गया था.
2012 में मराठी फिल्म ‘उंच माजा जोका’ में रमाबाई रानाडे की मुख्य भूमिका निभाई, जिस का निर्देशन वीरेन प्रधान ने किया था.
स्पृहा जोशी ने ‘ए पेइंग घोस्ट’, ‘पैसा पैसा’, ‘माल कहिच मप नौट’, ‘होम स्वीट होम’ में उत्कृष्ट अभिनय किया था. 2019 में स्पृहा जोशी ‘द औफिस इंडिया’ वेब सीरीज में भी काम कर चुकी हैं.
स्पृहा जोशी ने कई लोकप्रिय मराठी गीतों के बोल लिखे हैं, जिन में से प्रमुख ‘डबल सीट’, ‘किती संगायचाय माला’, ‘मुंबई-पुणे-मुंबई 2’, ‘साद ही प्रीतिची’, ‘लास्ट ऐंड फाउंड’ प्रमुख हैं. स्पृहा जोशी ने एक अभिनेत्री, गीतकार व कवि के रूप में कई पुरस्कार जीते हैं.
गुल पनाग
गुल पनाग का जन्म 3 जनवरी, 1979 को चंडीगढ़ में हुआ था. इस के पिता का नाम हरचरणजीत सिंह पनाग और माताजी का नाम गुरजीत कौर है. पिता लेफ्टिनेंट जनरल एच.एस. पनाग रहे हैं और भारतीय सेना में आर्मी कमांडर के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं.
पिता के विभिन्न स्थानों पर ट्रांसफर के कारण गुल पनाग ने केंद्रीय विद्यालय सहित 14 स्कूलों में पढ़ाई की थी. गुल पनाग ने पंजाब यूनिवर्सिटी पटियाला से ग्रैजुएशन व राजनीति शास्त्र में परास्नातक की डिग्री हासिल की.
गुलकीत कौर पनाग उर्फ गुल पनाग एक भारतीय फिल्म अभिनेत्री, वायस ओवर आर्टिस्ट और राजनीतिज्ञ है. वह हिंदी सिनेमा में अपने दमदार किरदार और अभिनय के लिए जानी जाती है.
गुल पनाग ने अपने करिअर की शुरुआत बतौर मौडल से की, उस के बाद उस ने साल 1999 में मिस इंडिया और मिस ब्यूटीफुल का पुरस्कार जीता. उस के बाद उस ने मिस यूनिवर्स में भी भाग लिया, लेकिन वह ज्यादा आगे नहीं जा सकी.
गुल पनाग ने 2003 में ही फिल्मों में अभिनय की शुरुआत कर दी थी. ‘धूप’ उस की सब से पहली फिल्म थी. इस के अतिरिक्त ‘जुर्म’, नागेश कुकुनूर द्वारा निर्देशित ‘डोर’, ‘मनोरमा सिक्स फीट अंडर’, ‘समर 2007’, ‘हैलो’, ‘अभिनव’, ‘स्ट्रेट’, ‘रन’, ‘हेलो डार्लिंग’, ‘टर्निंग 30’, ‘फटसो’, ‘अब तक छप्पन 2’, ‘अंबरसरियां’, ‘स्टूडेंट औफ द ईयर 2’ प्रमुख फिल्में हैं. गुल पनाग का विवाह उन के कथित प्रेमी एयरलाइन पायलट ऋषि अटारी से चंडीगढ़ के गुरुद्वारा में हुआ था.
साल 2014 में गुल पनाग आम आदमी पार्टी से जुड़ गई थी. 2014 में लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने गुल पनाग को चंडीगढ़ से अपना प्रत्याशी घोषित किया था, जहां पर इस का सीधा मुकाबला भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार किरण खेर व कांग्रेस के पवन बंसल से था. लेकिन वह हार गई थी.
तरह तरह की वेब सीरीजों (Web Series) ने ओटीटी (OTT) पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली है. उस का जलवा पिछले साल तो बना ही रहा, इस साल इस में और इजाफा होने वाला है. उस का कारण है कि कई प्लेटफार्मों पर इसे मुफ्त कर दिया गया है. जहां उस के पुराने एपीसोड भी देखे जा सकते हैं.
मनोरंजन की इस बदलती हुई दुनिया में खास हिट वेब सीरीजों की लंबी लाइन लग चुकी है. इन से दर्शकों का अच्छा मनोरंजन हो रहा है, इस ने बौलीवुड के कई गुमनाम सितारों को एक घरेलू पहचान दे दी है. वे सितारे भी बड़े परदे के सितारों की तरह ही लोकप्रिय हो चुके हैं.
अब तो आलम यह है कि कई बौलीवुड हस्तियां भी इस में शामिल हो चुकी हैं. उन में सोनाक्षी सिन्हा, आर. माधवन, जूही चावला, केके मेनन, इरफान खान का बेटा बाबिल खान, पंकज त्रिपाठी, मनोज बाजपेयी, सुष्मिता सेन, शेफाली शाह, अरशद वारसी आदि का नाम सब से अगली पंक्ति में आ चुका है.
उन की लोकप्रियता का अंदाजा आईएमडीबी से पता चलता है, जो फिल्म, टीवी शो और वेब सीरीज की दर्शकों के बीच बने क्रेज और व्यूअरशिप के आधार पर लोकप्रियता का ग्राफ तैयार करते हैं. इन की लोकप्रियता की वजह इन की सच्ची घटनाओं पर आधारित सस्पेंस और क्राइम की कहानियां हैं. उस के अनुसार कुछ पौपुलर वेब सीरीज इस प्रकार हैं—
स्कूप
यह जर्नलिस्ट जिग्ना वोरा की असली जिंदगी पर आधारित वेब सीरीज है. इसे बीते साल 2023 की टौप 10 की लिस्ट में शामिल किया गया है. इस सीरीज में करिश्मा तन्ना, जीशान अय्यूब और हरमन बावेजा मुख्य भूमिकाओं में नजर आए थे.
हंसल मेहता के डायरेक्शन में बनी इस सीरीज को नेटफ्लिक्स पर देखा जा सकता है. इस बार की ‘बिग बौस 17’ में जिग्ना भी आई थी. यह अलग बात है कि वह लंबे समय तक घर में नहीं रह पाईं. लेकिन जितने समय तक रहीं, अच्छा प्रदर्शन किया.
द रेलवे मेन
यह एक शानदार वेब सीरीज है, जो 80 के दशक की बहुचर्चित भोपाल गैस कांड पर आधारित है. इसे भी नेटफ्लिक्स पर देखा जा सकता है. इस में आर. माधवन, जूही चावला, केके मेनन और बाबिल खान की एक्टिंग सीरीज की जान हैं. इस सीरीज को भी इसे भी आईएमबीडी के अनुसार कुछ टौप 10 की लिस्ट में शामिल किया गया है.
असुर 2
अरशद वारसी, बरुण सोबती, अनुप्रिया गोयनका और रिद्धि डोगरा की ‘असुर 2’ साल 2020 में आई ‘असुर’ का सीक्वल है. यह एक साइकोलौजिकल क्राइम थ्रिलर है, जिसे दर्शकों ने खूब पसंद किया है. इसे जियो सिनेमा पर फ्री में देखा जा सकता है.
ताली
सुष्मिता सेन की ‘ताली’ एक बेहतरीन वेब सीरीज है, इसे काफी सराहा गया. इस में ट्रांसजेंडर के जीवन की बारीकियों पर फोकस किया गया था. उन की जिंदगी पर आधारित ये कहानी एकदम सच्ची है, जिसे देखते समय किसी की भी आंखें नम हो जाएंगी.
मिस यूनिवर्स सुष्मिता सेन ने अपनी ऐक्टिंग से सीरीज के किरदार को जीवंत बना दिया है. इस में ट्रांसजेंडर गौरी सावंत की कहानी के संघर्ष को दिखाया गया है. उस के माध्यम से अन्य ट्रांसजेंडरों को समाज में जगह दिलाने के लिए किए गए संघर्ष को बड़ी खूबी के साथ दर्शाया गया है. इसे जियो सिनेमा पर देखा जा सकता है.
कोहरा
यह एक क्राइम थ्रिलर सीरीज है. इस में गजब का सस्पेंस और घटनाक्रम की तहें हैं. रणदीप झा के डायरेक्शन में यह सीरीज दर्शकों के बीच अपनी खास जगह बना चुकी थी. इस सीरीज में बरुण सोबती, हरलीन सेठी, सविंदर विक्की और मनीष चौधरी जैसे दिग्गज कलाकार हैं.
इंडियन पुलिस फोर्स
रोहित शेट्टी और सुशांत प्रकाश द्वारा निर्देशित ‘इंडियन पुलिस फोर्स’ की चर्चा इन दिनों दुनिया के 65 देशों में हो रही है. वैसे यह अपनी रिलीज के बाद से ही दर्शकों को आकर्षित करने में कामयाब हो गई थी. ऐक्शन से भरपूर इस सीरीज को शुरू से ही काफी पसंद किया गया. जल्द ही इसे टौप 10 ट्रेंडिंग सूची में भी शामिल होने में कामयाबी मिल गई. यह पहले सप्ताह में ही प्राइम वीडियो पर सब से अधिक बार देखी जाने वाली पहली इंडियन सीरीज बन गई और सारे रिकौर्ड तोड़ दिए.
‘इंडियन पुलिस फोर्स’ शानदार ऐक्शन सीक्वेंस, जबरदस्त कहानी और दमदार अभिनय की बदौलत यह सीरीज दर्शकों का खूब मनोरंजन कर रही है. 7 एपिसोड वाली इस सीरीज में भारतीय पुलिस अधिकारियों की निस्वार्थ सेवा और देशभक्ति की भावना को दिखाया गया है, जो देश को सुरक्षित रखने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा देते हैं.
यह कहना गलत नहीं होगा कि इस ने ओटीटी की दुनिया में एक नया कीर्तिमान स्थापित कर लिया है.
प्राइम वीडियो इंडिया के डायरेक्टर सुशांत श्रीराम के मुताबिक इस शो का उद्ïदेश्य न सिर्फ दर्शकों का मनोरंजन करना था, बल्कि उन वरदीधारी जवानों को श्रद्धांजलि देना भी था, जिन्होंने राष्ट्र के निर्माण में अपना योगदान दिया है.
सीरीज के निर्देशक रोहित शेट्टी के अनुसार, प्राइम वीडियो के साथ जुड़ कर ‘इंडियन पुलिस फोर्स’ के जरिए सफलता की कहानी लिखना अद्भुत अनुभव था.
डिजिटल निर्देशन को दुनिया भर के दर्शकों ने पसंद किया, इस से मेरी क्रिएटिविटी को एक उड़ान मिल गई. शेट्टी का कहना था कि उन के फैंस ने सालों से उन की फिल्मों को पसंद किया है.
‘इंडियन पुलिस फोर्स’ के माध्यम से अपनी कहानी कहने और ऐक्शन फिल्मोग्राफी की अपनी कला को इंटरनेट एंटरटेनमेंट की दुनिया में लाने पर बहुत खुशी हो रही है.
इस में काम करने वाले कलाकारों में सिद्धार्थ मल्होत्रा, शिल्पा शेट्टी कुंद्रा और विवेक ओबेराय ने मुख्य भूमिका निभाई है. इस के अलावा श्वेता तिवारी, निकितिन धीर, ऋतुराज सिंह, मुकेश ऋषि और ललित परिमू हैं. इसे दुनिया भर के 240 से अधिक देशों में प्राइम वीडियो पर दिखा जा सकता है.
जयंत ‘भो’ को ठिकाने लगाने ले जा रहा होता है, तभी भो होश में आ जाता है और जयंत का गला पकड़ कर दबाने लगता है. पर जयंत के पास रिवौल्वर होती है, जिस से वह उसे गोली मार देता है और पहाडिय़ों के बीच पत्थरों से उस की लाश को दबा देता है. वह गाड़ी स्टार्ट करता है, पर गाड़ी स्टार्ट नहीं होती. तब वह रोने लगता है.
दूसरी ओर कैरव भी से भो के बारे में पूछता है. वह भो को फोन कर करके परेशान थी. इस के बाद अपनी गाड़ी ले कर भो की तलाश में निकल पड़ती है. देव एसआई पल्लवी राज को रशियन लड़की की हत्या की सीसीटीवी फुटेज दे कर कैरव के होटल में क्या होता है, सब बता देता है. पल्लवी को इंसपेक्टर रंगोट पर बहुत गुस्सा आता है. कैरव रंगोट को फोन कर के बुलाता है, क्योंकि उस का बिजनैस पार्टनर केतन उसे बताता है कि रंगोट उस के बिजनैस के बारे में पता कर रहा है.
रंगोट के सम्मान में जुलूस निकलता है. एसआई पल्लवी राज ने रशियन लड़की की हत्या के मामले में जो सबूत जुटाए थे, उन्हें कैंची से काट कर नष्ट कर देती है और उस की अस्थियां पहाड़ी पर ले जा कर विसर्जित कर देती है.
देव अपनी भाभी विदुषी के साथ फाइलें देख कर पता करता है कि जयंत के पैसे कहां हैं. तभी पता चलता है कि वह कैरव के 2 नंबर के पैसों को जयंत एक नंबर का बनाने का काम करता था. देव विदुषी को गले लगाता है तो विदुषी उसे किस करने की कोशिश करती है, पर देव रोक देता है. विदुषी लज्जित हो कर चली जाती है.
कैरव के लिए काम करने वाले ‘भो’ की बहन ‘भी’ भाई की तलाश में उस होटल तक पहुंच जाती है, जहां जयंत नाम बदल कर ठहरा था. वह उस पर धनुषबाण से हमला कर के भो के बारे में पूछती है. इस के बाद वह उसे पकड़ कर ले आती है.
एपीसोड -7
सातवें एपीसोड में भी जयंत का टार्चर करते हुए भो के बारे में पूछती है तो संध्या बारबार जयंत को फोन कर रही होती है. लेकिन जयंत का फोन नहीं उठता. वह फोन उठाता कैसे, वह तो पकड़ा जा चुका था.
संध्या अतीत को याद करती है कि उस की जयंत से कैसे मुलाकात हुई थी, फिर दोनों में प्यार हो गया. संध्या ने ही उसे सलाह दी थी कि वह कैरव के रुपयों से थोड़ेथोड़े रुपए चोरी करता रहे. जब काफी रुपए हो जाएंगे तो दोनों वहां से कहीं दूर जा कर रहने लगेंगे. लेकिन जयंत से उस की बात नहीं हो रही थी, जिस की वजह से वह परेशान थी. इंसपेक्टर रंगोट कैरव के घर आता है और बिजनैस में हिस्सा देने की बात करता है.
देव जयंत की शेल कंपनी तलाशते हुए कैरव की उस कंपनी तक पहुंच जाता है, जहां कैरव ड्रग्स बनवा कर पैकिंग करवाता था. वहीं ‘भो’ की बहन ‘भी’ जयंत को बांध कर रखे थी. देव की उस पर नजर पड़ती है तो वह चौंकता है कि यह तो जिंदा है. देव जयंत को निकाल कर बाहर लाता है. तभी देव के बौस का फोन आता है. देव फोन नहीं उठाता तो बौस देव को लाने के लिए अपने आदमी भेजता है.
‘भी’ को जयंत बता देता है, जहां उस ने ‘भो’ की लाश को पत्थरों के नीचे दबाई थी. वह भाई की लाश को निकाल कर रोती है.
पल्लवी पत्रकार चंद्रकांत को डिनर पर बुलाती है और कैरव के होटल की फुटेज दिखा कर उसे फोटो के साथ अखबार में छापने के लिए कहती है. पत्रकार चंद्रकांत मना कर देता है तो पल्लवी उसे दुत्कार कर भगा देती है.
देव होटल में जयंत की मरहमपट्टी करता है. देव उस से पूछता है कि यह सब कैसे हुआ. जयंत झूठी कहानी बता कर कहता है कि वह फंस गया है. देव वहां से हटता है तो जयंत अतीत के बारे में सोचता है. जमाल उस से पैसे लेने आया था तो उस ने और संध्या से कैसे जमाल का मर्डर हो गया था. उन्होंने जमाल की लाश को जला कर जयंत की लाश घोषित करवा दिया था और जयंत छिप गया था.
जयंत अपना फोन उसी फैक्ट्री में भूल आया था, जहां भो की बहन भी ने उसे बांध कर रखा था. संध्या ने उस फोन पर फोन किया तो ‘भी’ को पता चल गया था कि संध्या उसे फोन कर रही है. इस का मतलब यह था कि संध्या को पता था कि जयंत जीवित है.
कैरव शराब पीते हुए मंत्रीजी से बात कर रहा है कि आंदोलन खत्म हो गया है. मंत्रीजी खुशी जाहिर करता है. संध्या आती है तो कैरव रात को संध्या के साथ सैक्स करता है. इस से संध्या बहुत दुखी थी. संध्या देव को फोन कर के यह बात बताती है तो वह कहता है कि वह आ रहा है. देव जाने लगता है तो जयंत कहता है कि वह उसे अकेला छोड़ कर न जाए. प्रोटेस्ट खत्म होने से नाराज विधायक प्रमोद इंसपेक्टर रंगोट को गालियां देता है और चप्पलों से पिटाई भी करता है.
यहीं पर यह भी दिखाया जाता है कि जयंत और संध्या ने कैसे जमाल की लाश ठिकाने लगाई थी. देव संध्या के यहां पहुंचता है तो वह रोरो कर उस से कैरव के बारे में बताती है. देव उसे सीने से लगा लेता है और यहीं सातवां एपीसोड खत्म होता है.
एपीसोड -8
आठवें एपीसोड में भो की बहन भी को कैरव आश्वासन देता है कि वह जयंत से और संध्या से भो की मौत का बदला लेगा. देव पल्लवी राज से बताता है कि जयंत जिंदा है, पर पल्लवी नहीं मानती. वह उसे दिखाने के लिए होटल में ले जाता है, पर वहां जयंत नहीं मिलता है. वह पल्लवी को गन दिखा कर होटल से निकल जाता है.