रंगबाज सीजन 2 Review : गैंगस्टर आनंदपाल सिंह की कहानी – भाग 5

एपिसोड- 8

आठवें एपिसोड का नाम ‘दो और दो पांच’ रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत में एक किले में अमरपाल अपने साथियों के साथ बैठा है, जहां एक साथी अमर और उस के साथियों को हीरा सिंह की हत्या के बदले में राजा फोगाट के मर्डर पर मां भवानी का प्रसाद खिलाता है. तभी वहां पर अनुप्रिया चौधरी आती है और अमरपाल उसे गले मिल कर थैंक्यू कहता है. अनुप्रिया कहती है कि हीरा सिंह को नहीं बचा पाई.

अगले सीन में राजा फोगाट की हत्या का समाचार देख कर मुख्यमंत्री सावित्री सिंह सुंदर सिंह को फोन कर के कहती है कि देखिए जल्दी कीजिए अमरपाल का, अब तो आप गृहमंत्री भी हैं, आप को खुली छूट है.

यहां पर लेखक और निर्देशक ने पहले एपिसोड में रही अपनी कमियों को छिपाने के लिए अनुप्रिया के मुंह से फिर कहलवा दिया कि मैं हीरा सिंह को बचा नहीं सकी, फिर अमरपाल कहता है, जाना मुझे था लेकिन वह चला गया. इस का मतलब जो भी जाता वह मरता ही. यह बात गले से नहीं उतर पाती.

एपिसोड के पहले दृश्य में गृह मंत्री सुंदर सिंह चौहान (हर्ष छाया) अपने भाषण में अमरपाल को अप्रत्यक्ष रूप से काफी कुछ कहता है. वहां वेश बदल कर अमरपाल और अनुप्रिया चौधरी बैठे हुए हैं, जिन्होंने वहां टाइम बम फिट कर रखा है. अमरपाल और अनुप्रिया रिमोट दबाते हैं, मगर वह नहीं चल पाता. शायद बम पहले ही किसी ने डिफ्यूज कर दिया था.

अमरपाल को शक होता है कि कहीं हमारा ही कोई आदमी तो नहीं है. अब अगले दृश्य में फ्लैशबैक में एसपी संजय मीणा सभास्थल पर अनुप्रिया चौधरी को उस के आदमी के साथ देख लेता है और ढूंढ़ कर फिर बम डिफ्यूज कर देता है और गृहमंत्री सुंदर चौहान को ये सब बातें बता कर उसे सभा में भाषण देने को कहता है, जिसे सुंदर सिंह पुलिस के भरोसे से पूरा भी कर लेता है.

अब यहां पर लेखक की कमी यह साफसाफ नजर आ रही है कि यदि एसपी मीणा ने अनुप्रिया को देखा तो उसे तुरंत गिरफ्तार क्यों नहीं किया? यदि पुलिस को पता था कि अमरपाल खुद या उस के साथी रिमोट ले कर बम धमाका करने वाले हैं तो पुलिस या सरकार ने उन्हें गिरफ्तार करने की कोशिश क्यों नहीं की? यह बात सचमुच समझ से परे लग रही है.

आगे अमरपाल का साथी उसे कहता है कि अभी माहौल काफी विपरीत हो चुका है, इसलिए अमरपाल का कुछ सालों के लिए विदेश यानी दुबई या नैरोबी में 2-3 साल के लिए चले जाना चाहिए. बाद में फिर जब सरकार या परिस्थति बदलती है तो फिर वापस भारत आ सकते हैं.

अमरपाल विदेश जाने के लिए तैयार हो जाता है, मगर विदेश जाने से वह अपनी बेटी चीकू से एक बार मिलना चाहता है. उस के साथी और अनुप्रिया चौधरी उसे बहुत समझाते हैं, मगर वह नहीं मानता है. अगले दृश्य में गृहमंत्री सुंदर चौहान पुलिस अधिकारियों को अमरपाल की गिरफ्तारी के लिए मीटिंग करता है.

उस के बाद एक बार फिर से वेब सीरीज के निर्देशक की कमी साफसाफ दिखाई दे रही है कि कैसे मोस्टवांटेड क्रिमिनल, जिस पर पूरे 10 लाख का इनाम है, जिसे पकडऩे के लिए एक स्पैशल टास्क फोर्स बनाई गई है, उस की नाक के नीचे केवल बढ़ी हुई दाढ़ी में बाइक पर ट्रक में बैठ कर हौस्टल के गार्ड को धमका कर अपनी बेटी के कमरे तक बेझिझक पहुंच जाता है.

उस की बेटी उस से जयराम गोदारा की हत्या करने के कारण मिलने से मना कर देती है. वहां पर काफी शोर भी होता है, जिस से कई बच्चे अपनेअपने कमरों से बाहर आ जाते हैं, लेकिन वहां पर गार्ड सहित सभी मूकदर्शक बने हुए हैं.

यानी जिन्हें पुलिस को सूचना देनी चाहिए थी, जिस से पूरा राज्य यहां तक कि उस की अपनी बेटी तक नफरत करती है, उस के बारे में किसी ने भी पुलिस को सूचना तक देने का बिलकुल भी प्रयास तक नहीं किया.

पासपोर्ट मिलने के बावजूद अमरपाल क्यों नहीं गया विदेश

आगे अमरपाल का साथी उसे पासपोर्ट देता है, लेकिन अब अमरपाल सिंह अपनी बेटी के प्यार में पागल हो कर आत्मसमर्पण को तैयार हो जाता है.

फिर आगे अनुप्रिया चौधरी पूछती है कि आप की चीकू कैसी है तो वह कहता है कि वह कितना बदनसीब है कि जिसे वह जान से भी ज्यादा प्यार करता है, वह उस से नफरत करती है.

अगले दृश्य में अमरपाल एक चिट्ठी राज्यपाल और न्यायाधीश को लिखता है कि उस के ऊपर लगाए गए सभी आरोप राजनीति से प्रेरित हैं, इसलिए उस पर लगाए आरोपों की निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया जाए तो वह आत्मसमर्पण करने के लिए तैयार है.

अगले दृश्य में अनुप्रिया चौधरी और उस के साथी इस पत्र की कौपी मीडिया को दे देते हैं ताकि पुलिस और सरकार अमरपाल सिंह के खिलाफ नाइंसाफी न कर सके.

यह खबर अमरपाल की पत्नी रुक्मिणी भी देखती है. मुख्यमंत्री पुलिस अधिकारी संजय मीणा को आदेश देते हैं कि सारा काम कानून के दायरे में होना चाहिए. पुलिस का वरिष्ठ अधिकारी बन चुका संजय मीणा कई फाइलें देख कर अपना अगला प्लान बनाने की जुगत में लग जाता है और एपिसोड खत्म हो जाता है.

‘शहर लखोट’ रिव्यू : विश्वासघात और धोखे का खौफनाक शहर – भाग 4

एपीसोड-5

इस एपीसोड में देव संध्या के घर के सामने खड़ा था, तब संध्या आती है. वह उस से कहता है कि उस ने उस से सब झूठ बोला था. संध्या गुस्से में कहती है कि क्या वह उस से बताती कि कैरव जुए का अड्डा और रंडीखाना चलाता है, जिसे वह देखती है. तभी उसे यह भी पता चलता है कि जिस विदेशी लड़की की लाश सड़क बनने वाली जगह पर मिली थी, वह कैरव के यहां काम करती थी.

देव संध्या को पकड़ लेता है तो वह उसे तमाचा मार देती है और कहती है कि वह तो उसे छोड़ कर चला गया था. उस ने कैसे सर्वाइव किया, यह वही जानती है. वह गर्भवती थी. उस के पिता मर गए. तब कैरव ने उसे सहारा दिया. देव को वह घर से भगा देती है.

इंसपेक्टर रंगोट होटल के उस कमरे में पहुंच जाता है, जहां कैरव का बिजनैस पार्टनर केतन 2 लड़कियों के साथ अय्याशी कर रहा होता है. वह उस से बिजनैस डील की बात करता है. कैरव के आदमी भो और भी विकास को प्रोटेस्ट खत्म कराने को कहते हैं. विकास समय मांगता है.

इस के बाद वह विधायक प्रमोद से आंदोलन खत्म करने की बात करता है. लेकिन वह नहीं चाहता कि आंदोलन खत्म हो,  इसलिए वह इंसपेक्टर रंगोट से इस के लिए बात करता है तो रंगोट कहता है कि इस मामले में क्या करना है, यह वह उस पर छोड़ दें.

देव अस्पताल जाता है तो पता चलता है कि उस के पिता की तबीयत अब काफी ठीक है. उन्हें वह घर ले जा सकता है. इंसपेक्टर रंगोट करीम के घर जाता है और उस से कहता है कि वह सबूत के लिए सुनील महाजन की फैक्ट्री में जाए और वहां नौकरी की बात करे.

देव और विदुषी घर में रखी फाइलें देखते हैं तो पता चलता है कि जयंत मनीलांड्रिंग का काम करता था. इस के लिए वह कंपनी में काम करने वाली एक महिला से बात करते हैं. पर वह कहती है कि उसे कुछ नहीं पता. करीम सुनील महाजन के औफिस जाता है और कोर्ट में जाने, पुलिस में रिपोर्ट लिखाने और मीडिया से बात करने की धमकी देता है तो सुनील महाजन उसे कुछ रुपए देता है, जिसे ले कर वह चला जाता है.

देव विकास से मिल कर बधाई देता है कि उस ने प्रोटेस्ट खत्म कर दिया, बहुत अच्छा हुआ. तब विकास उसे दुत्कारता है कि उस ने दोस्ती कर के विश्वास जीता, फिर पीठ में छुरा घोंपा. उस के कहने का मतलब यह था कि उस ने कैरव से उस के उस आदमी से संबंध के बारे में बता दिया था, जिस की वजह से उसे ब्लैकमेल किया गया.

देव वहां से सीधे उस फोटोग्राफर दोस्त के पास जाता है, जिसे उस ने विकास के फोटो डिलीट करने को कहा था. लेकिन उस के फोटोग्राफर दोस्त ने विकास के वे अश्लील फोटो डिलीट नहीं किए थे. पहले तो वह उस की पिटाई करता है, उस के बाद उसे इस बात के लिए राजी करता है कि वह कैरव के होटल की सारी सीसीटीवी फुटेज ला कर देगा.

पत्रकार चंद्रकांत एसआई पल्लवी को कुछ जानकारी ला कर देता है और कहता है कि इस बार वह उस के साथ डिनर पर चलेगी.

इंसपेक्टर राजबीर सिंह रंगोट विकास को रात के समय सुनसान जगह पर बुलाता है और चाकू से उस की हत्या कर देता है. रंगोट और प्रमोद कक्षदारों के सामने कसम खाते हैं कि वे विकास के हत्यारों को जरूर पकड़ेंगे. विकास की हत्या का आरोप इंसपेक्टर रंगोट करीम पर लगाता है और उसे पकड़ कर उस का एनकाउंटर कर देता है.

विकास की हत्या की जानकारी कैरव को मिलती है तो वह हैरान रह जाता है. देव के पिता उसे जयंत की हत्या का दोषी मानते हैं, इसलिए उस से बात नहीं करना चाहते. देव संध्या के घर जाता है और उसे विश्वास दिलाता है कि वह उस से अभी भी बहुत प्यार करता है. संध्या उसे अंदर ले जाती है और उस से लिपट जाती है. दोनों एक साथ रात बिताते हैं.

एपीसोड-6

इस एपीसोड के शुरू में दिखाया जाता है कि कैरव के आदमी ‘भो’ और ‘भी’ कुछ फाइलें ले कर आते हैं, तभी देव का वह फोटोग्राफर दोस्त आता है और कहता है कि सर्वर अपडेट करना पड़ेगा. कैरव का आदमी भो उसे एक सिक्युरिटी गार्ड के साथ सर्वर वाले कमरे में ले जाता है, जहां वह सारी सीसीटीवी फुटेज की कौपी कर लेता है.

‘भो’ बसस्टैंड पर जाता है, जहां उसे कोटा की बस पर जाते हुए जयंत दिखाई देता है. जयंत को जीवित देख कर वह चौंकता है. वह बस के पीछे भागता है, लेकिन बस चली जाती है. वह गाड़ी से बस का पीछा करता है.

देव का बौस अपने एक आदमी रंगा को देव को लाने के लिए लखोट भेजता है. देव की गाड़ी पुलिस कस्टडी में थी, जिस से रंगा ताला तोड़ कर देव द्वारा लाई फाच्र्युनर निकालने जाता है. गाड़ी में देव और उस की हाथापाई होती है, जिस में वह हार्टअटैक से मर जाता है.

एक ढाबे पर बस रुकती है, जहां जयंत बस से नीचे उतरता है. भो जयंत को पीछे से आवाज देता है, तभी तेजी से आ रहा ट्रक ‘भो’ को टक्कर मार देता है. जयंत उसे वहां छोडऩे के बजाय उसे उठा कर उस की गाड़ी में डालता है और वहां से उस होटल में जाता है, जहां वह ठहरा था. वह ‘भो’ को सड़क पर नहीं छोडऩा चाहता था, वरना उस की बहन ‘भी’ उसे खोजते हुए वहां पहुंच जाती और फिर उस की पोल खुल जाती है.

देव उन सारी फुटेज को अपने उस फोटोग्राफर दोस्त के साथ देखता है. उन में उस रशियन लड़की की फुटेज होती है, जिस की मौत की जांच एसआई पल्लवी राज कर रही थी. उस लड़की की जब मौत हुई थी, तब विधायक प्रमोद बहनोई उस के साथ कुकर्म कर रहा था. मौत क्या हुई थी, वह बेहोश हुई थी. उस बेहोश लड़की को ठिकाने लगाने में कैरव भी शामिल था और इंसपेक्टर राजबीर सिंह रंगोट भी.

एसआई पल्लवी ने उस रशियन लड़की का अंतिम संस्कार खुद जा कर विद्युत शवदाह गृह में करवाया था. कैरव संध्या से जयंत के बारे में बात करता है. फिर उस के साथ पीछे से जबरदस्ती सैक्स करता है.

रंगबाज सीजन 2 Review : गैंगस्टर आनंदपाल सिंह की कहानी – भाग 4

एपिसोड- 7

इस सीरीज के सातवें एपिसोड का नाम ‘गिरगिट रंग बिरंग’ रखा गया है. जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, इस में धोखेबाजों का वर्णन है. एपिसोड की शुरुआत प्रजातांत्रिक सेना की मुख्यमंत्री उम्मीदवार सावित्री देवी के घर से होती है.

नेता सुंदर सिंह सावित्री देवी से अमरपाल पर कम सख्ती बरतने को कहता है. सावित्री देवी कहती है कि अब हम सत्ता में हैं, इसलिए दूसरी जातियों को भी साथ में लाना होगा. इस में एक महिला मुख्यमंत्री को अपने साथी सुंदर सिंह के साथ सार्वजनिक रूप से शराब पीना काफी अखरता है. निर्देशक यदि इसे परदे के भीतर दिखाता तो शायद अच्छा लगता.

अगले दृश्य में सुंदर सिंह गैंगस्टर राजा फोगाट से मिल कर अमरपाल सिंह के बारे में बात करता है. यहां पर लेखक और निर्देशक ने राजा फोगाट के मुंह से फिर गालियों का भरपूर इस्तेमाल किया है.

एपिसोड के पहले दृश्य में रुक्मिणी और चीकू की बातचीत दिखाई गई है, जिस में चीकू रुक्मिणी से पूछती है कि क्या उस के पापा अमरपाल ने ही चाचू (जयराम गोदारा) को मारा है? अगले दृश्य में मुख्यमंत्री सावित्री देवी एसपी मीणा से अमरपाल की गिरफ्तारी जल्द से जल्द करने का आदेश देती है.

उस के बाद नेता सुंदर सिंह एसपी मीणा से कहता है कि नागौर में जनसभा का आयोजन करो, जहां जनता को सुंदर सिंह संबोधित करेगा. तभी अनुप्रिया चौधरी (गुल पनाग) राजा फोगाट से मित्रता करने के मकसद से आती है और उसे अपने हुस्न के जाल में फंसाने की कोशिश करती है.

राजा फोगाट उसे रात डेढ़ बजे होटल शीतल में मिलने के लिए बुलवाता है और उसे अमरपाल को वहां पर बुलाने के लिए कहता है. उधर एसपी संजय मीणा अमरपाल को पकडऩे के मकसद से हर गली, हर कस्बे हर गांव और हर शहर में अमरपाल के पोस्टर लगवा देता है.

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कौन सा टेस्ट देने के बाद अनुप्रिया को गैंग में किया शामिल

इस के अगले दृश्य में अमरपाल अकेले में शराब पी कर कहता है मुझे सब छोड़ कर चले गए. उस के साथ उस समय उस का विश्वस्त साथी हीरा सिंह भी होता है. वह अमरपाल को विश्वास दिलाता है कि वह अपने खून की आखिरी बूंद तक तुम्हारा साथ देता रहेगा. तभी अनुप्रिया चौधरी का मैसेज अमरपाल के फोन पर आता है, उसे तुरंत हीरा सिंह देख लेता है और बहाना बना कर खुद होटल शीतल में जा कर राजा फोगाट को ढूंढता है.

राजा फोगाट के आदमी उसे पकड़ कर राजा फोगाट के सामने लाते हैं. राजा फोगाट और हीरा सिंह की बहस होती है. हीरा सिंह वहां पर अनुप्रिया चौधरी को देख कर उस पर ताने मारता है, तभी राजा फोगाट हीरा सिंह के ऊपर गोलियां बरसा कर उस की निर्मम हत्या कर देता है. और फिर वह अनुप्रिया चौधरी से कहता है कि तुम परीक्षा में पास हो गई हो, अब तुम मेरे साथ शामिल हो सकती हो.

उस के अगले सीन में अमरपाल के साथी बताते हैं कि राजा फोगाट ने हीरा सिंह की हत्या कर दी है. अब अमरपाल समझ जाता है कि हीरा सिंह ने उस की जान बचाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे डाली. अमरपाल भागने का प्लान बनाता है, क्योंकि पुलिस ने जगहजगह उस के पोस्टर लगा कर उसे पकडऩे या सूचना देने वाले को 10 लाख रुपए इनाम देने की घोषणा कर दी थी.

तभी रुक्मिणी अमरपाल से कहती है कि तुम हमारी बेटी चीकू से बात कर लो, क्योंकि उस ने टीवी में मधु गोदारा (जयराम गोदारा की पत्नी) का इंटरव्यू देख लिया है.

अगले दृश्य में अमरपाल अपनी बेटी को कई बार फोन करता है, परंतु उस की बेटी चीकू उस का फोन उठाती ही नहीं है. अगला सीन राजा फोगाट और अनुप्रिया चौधरी का है, जिस में सैक्स करने के बाद दोनों शराब पी रहे हैं.

जहां अनुप्रिया उसे कहती है कि अमरपाल सिंह की सब से बड़ी कमजोरी उस की बेटी चीकू है और वह कहां है मेरे अलावा कोई नहीं जानता. यदि उस की कमजोरी को हम ने काबू कर लिया तो अमरपाल का अंत हो सकता है. अगले दृश्य में राजा फोगाट मंत्री बन गए सुंदर सिंह को फोन करता है कि उसे एक राज पता चल गया है, जिस से वह अमरपाल को समाप्त करवा देगा.

सुंदर सिंह उस से प्लान पूछता है तो राजा फोगाट कहता है कि कल की हेडलाइन खुद ही देख लेना. इस के बाद सुंदर सिंह एसपी संजय मीणा को फोन पर बताता है कि राजा फोगाट एक अनहोनी करने वाला है, उस की हर गतिविधि पर कड़ी नजर रखो.

राजा फोगट अपने साथियों के साथ चीकू के हौस्टल पहुंच जाता है, मगर वहां पर उस के सभी आदमी मार दिए जाते हैं. वह अकेला खड़ा रहता है तब उसे याद आता है कि अनुप्रिया चौधरी ने उस के साथ दगा कर दी है. उस के बाद वहां पर अमरपाल अकेला राइफल लिए नजर आता है.

फिर अमरपाल अनुप्रिया चौधरी को फोन करता है कि यहां का चैप्टर खत्म हो गया, आगे की तैयारी करो. उस के बाद एक सभा का दृश्य आता है.

इस में लेखक और निर्देशक ने अपनी ओर से तो बहुत कोशिश की है, लेकिन इस की कमियां काफी रही हैं. मसलन, अनुप्रिया चौधरी को राजा फोगाट के गैंग में शामिल किया गया, उस में अगर वह अमरपाल सिंह के साथ थी तो दोनों के बीच कोई ऐसी बातें अथवा मैसेज क्यों नहीं थे?

सुंदर सिंह ने जब एसपी मीणा को कहा था कि राजा फोगाट की गतिविधि पर नजर रखो तो पुलिस क्या अमरपाल सिंह का साथ दे रही थी? यह कहीं पर भी दिखाया नहीं गया है. एक अकेला अमरपाल सिंह राजा फोगाट के अनगिनत साथियों की हत्या कर फिर राजा फोगाट को मार डालता है? अमरपाल सिंह के साथ उस के अन्य साथियों को क्यों नहीं दिखाया गया?

अनुप्रिया चौधरी यानी गुल पनाग का अभिनय इस एपिसोड में बिलकुल भी प्रभावित नहीं कर पाया है. यहां पर यह भी साफ साफ लगता है कि फिर तो गैंगस्टर अमरपाल सिंह ने अपने विश्वस्त साथी हीरा सिंह की खुद ही हत्या करा दी, जोकि शायद संभव नहीं हो सकता. लेखक व निर्देशक इस में पूरी तरह से नाकाम रहे हैं.

‘शहर लखोट’ रिव्यू : विश्वासघात और धोखे का खौफनाक शहर – भाग 3

कैरव के होटल में पार्टी चल रही होती है और वह मंत्रीजी के साथ बैठ कर प्रमोद की शिकायत कर रहा था. मंत्रीजी प्रमोद को फोन कर के विकास को छुड़वाने को कहते हैं.

एक रेस्टोरेंट में पत्रकार चंद्रकांत एसआई पल्लवी के साथ बैठा है और उस से कहता है कि वह अन्य महिलाओं से अलग है. वहीं कैरव अपने होटल में संध्या के साथ जबरदस्ती करने की कोशिश करता है. वह नहीं मानती तो वह उस की बेल्ट से पिटाई भी करता है.

कैरव जयंत के घर उस की शोकसभा आयोजित करता है. वहीं पल्लवी उसे बताती है कि हाइवे पर उस की गाड़ी मिल गई है. तभी वहां पत्रकार चंद्रकांत आ जाता है, जो पल्लवी से उल्टीसीधी बातें करता है तो देव उसे धक्के दे कर भगा देता है और फोटोग्राफर दोस्त के साथ अपनी कार लेने चला जाता है. वहीं से संध्या को फोन करता है. कार में उसे एक फोन मिलता है.

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वह घर जाता है और पिता से गुडग़ांव वापस जाने के लिए कहता है, तभी इंसपेक्टर राजबीर सिंह रंगोट देव को उस के घर पहुंच कर जयंत की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लेता है. क्योंकि उस की गाड़ी पर खून लगा था. तभी उस के पिता को हार्टअटैक आ जाता है. थाने में देव से पूछताछ की जाती है, तभी उसे वह पुरानी घटना याद आ जाती है, जब संध्या के लिए उस ने एक रेस्टोरेंट में एक युवक की हत्या कर दी थी.

कैरव परेशान है कि इंसपेक्टर राजबीर एमएलए प्रमोद के साथ मिल कर विरोध बढ़वा रहा है. वह थाने जा कर विकास को छोडऩे के लिए कहता है. पर इंसपेक्टर रंगोट इस का सारा श्रेय विधायक प्रमोद को दिलवा देता है.

देव को कोर्ट में पेश किया जाता है, जहां ठोस सबूत न होने के कारण जज देव को जमानत पर छोड़ देता है. लेकिन उसे रोजाना थाने में हाजिरी देने को कहता है. यहां पता चलता है कि जयंत कैरव के यहां काम करता था. देव अपने पिता के पास अस्पताल जाता है.

एपीसोड-4

वेब सीरीज के चौथे एपीसोड में विदुषी देव को बताती है कि बैंक एकाउंट में एक भी पैसा नहीं है. देव कहता है कि वह चिंता न करे सब ठीक हो जाएगा. तभी घर से खबर आती है कि घर में लूटपाट हो गई है.

देव और विदुषी घर आ जाते हैं. घर का सारा सामान बिखरा पड़ा है, लेकिन कुछ गायब नहीं है. देव को कैसीनो का एक कौइन मिलता है. विदुषी बताती है कि जयंत को जुआ खेलने की लत लग गई थी. कैरव विकास को अपने पक्ष में करना चाहता था, जबकि वह विधायक प्रमोद के साथ चला गया होता है. पल्लवी को भी देव पर शक था, पर विदुषी कहती है कि वह मेरा देवर है. अपने भाई को वह बिलकुल नहीं मार सकता.

देव एक जुआघर में यह पता लगाने जाता है कि उस का भाई जयंत वहां जुआ खेलने तो नहीं जाता था. लेकिन उस का औनर उसे पहचान लेता है और उसे धमका कर भगा देता है.

पल्लवी राज नगर निगम के औफिस में यह पता करने जाती है कि सड़क बनाने का आदेश किस ने दिया था. पर अधिकारी कहता है कि यह जानकारी लेने के लिए उस के बौस के हस्ताक्षर वाला कागज चाहिए. फिर एसआई पल्लवी वापस आ जाती है.

देव संध्या के घर खाने पर जाता है तो मोबाइल में लड़कियों के फोटो दिखा कर पूछता है कि क्या वह इन लड़कियों को पहचानती है. संध्या का कहना था कि ये विदेशी लड़कियां उस के होटल में आई होंगी.

देव थाने में हाजिरी लगाने जाता है तो एसआई पल्लवी राज विदेशी लड़की की हत्या वाले केस पर काम कर रही होती है. वह एक टैटू के बारे में पता कर रही होती है, तभी जमाल का भाई करीम देव की ओर इशारा कर के इंसपेक्टर से कहता है कि यही आदमी मेरे बड़े भाई को तलाश रहा था. पर उस की इस बात पर इंसपेक्टर रंगोट ध्यान नहीं देता.

तब वह इंसपेक्टर राजबीर से कहता है कि अगर वह उस के भाई के बारे में पता कर दे तो वह कैरव और सेंट्रल मार्बल के मालिक सुनील महाजन के बारे में अंदर की एक बात बताएगा. इंसपेक्टर मान जाता है तो करीम बताता है कि सेंट्रल मार्बल की उस फैक्ट्री से मार्बल के अंदर सफेद पाउडर भर कर भेजा जाता है. प्रोटेस्ट के कारण माल नहीं जा पा रहा है, इसीलिए कैरव बहुत परेशान है.

कैरव के आदमी ‘भो’ और ‘भी’ देव से विकास को कैरव के पास लाने को कहते हैं. देव विकास को कैरव के यहां ले आता है तो उसे वहां कुछ विदेशी लड़कियां दिखाई देती हैं, जिन से वह उस लड़की के बारे में पूछता है, जिस का फोटो उसे मोबाइल में मिला था. वे कुछ जवाब नहीं देती हैं.

विकास को कैरव के यहां शरबत में कोई पाउडर मिला कर पिलाया जाता है. इंसपेक्टर रंगोट विधायक प्रमोद को बताता है कि कैरव की फैक्ट्री से हेरोइन बाहर भेजी जाती है. वह उसे फंसा कर अपनी बेइज्जती का बदला लेगा.

अगले दिन देव सिक्युरिटी गार्डों को धोखा दे कर फिर कैरव के होटल में जाता है और मरी हुई लड़की का फोटो एक लड़की को दिखाता है तो वह चिल्लाने लगती है. सिक्युरिटी गार्ड देव को पकड़ लेते हैं. तभी कैरव आ जाता है और देव से कहता है कि अगर उसे होटल देखना था उस से कहता. कैरव देव को अपना होटल दिखाता है.

कैसीनो में जाने पर वहां क्वाइन देख कर देव को पता चलता है कि उस का भाई जयंत यहीं जुआ खेलने आता था. कैरव देव को सैक्स वर्कर्स का एरिया भी दिखाता है, जहां तमाम देशों की लड़कियां देह व्यापार करती थीं. इन सब को संध्या ही संभालती थी. संध्या को वहां देख कर देव दुखी हो कर चला जाता है.

रंगबाज सीजन 2 Review : गैंगस्टर आनंदपाल सिंह की कहानी – भाग 3

किले में क्यों मिले अमरपाल और जयराम

इस सीन में निर्देशक भाव धूलिया की एक बड़ी कमी साफ दिखाई दे रही है. जिस अमरपाल सिंह को पूरे राज्य की पुलिस ढूंढ रही है, जो जयराम गोदारा एक कुख्यात नाम है, जिस की फोटो अकसर अखबारों में छपती रहती है. वे अपने खुले चेहरे में उस सभा में बम फेंक कर वहां से मोटरसाइकिल से फरार भी हो जाते हैं. निर्देशक को कम से कम उन दोनों के चेहरे तो ढंक देने चाहिए थे. ये सारा दृश्य नाटकीय सा लगता है.

उस के बाद अगला सीन शुरू हो जाता है मदन सिंह (विधायक) अमरपाल से मिलने उस के घर आता है, तभी वहां जयराम गोदारा आ जाता है. राजपूत विधायक मदन सिंह जयराम गोदारा को दिल को चुभ जाने वाली काफी बातें कहता है.

अमरपाल किसी तरह से जयराम गोदारा को काबू में करता है. जयराम अपने साथ हवाई जहाज के 2 टिकट अमरपाल को दे कर गुस्से से वहां से चला जाता है.

एक दिन राजपूत विधायक मदन सिंह बाजार में मिठाई खरीदने के लिए अपनी गाड़ी रुकवाता है, तभी जयराम गोदारा गोली मार कर विधायक मदन सिंह की हत्या कर देता है. इस से पूरे राजस्थान में हड़कंप मच जाता है. किसी को पता नहीं चल पाता कि हत्या किस ने की है.

फिर राजा फोगाट का एक विश्वस्त पुलिस अधिकारी उसे फोन कर के कहता है कि अमरपाल ने विधायक मदन सिंह की हत्या कर दी है. राजा फोगाट उस से कहता है कि अमरपाल उसे नहीं मार सकता. पता करो किस ने हत्या की है.

अमरपाल को पता होता है कि जयराम गोदारा ने ही विधायक मदन सिंह की हत्या की है तो वह अपने साथियों से जयराम गोदारा को बुलाने और उस के पास लाने को कहता है. अमरपाल के गुस्से को उस का साथी बलराम राठी उसे समझाता नजर आ रहा है. यहां पर लेखक और निर्देशक ने एक बार फिर फ्लैशबैक में जाने की भूल की है, जिसे देख कर दर्शकों को खुद समझना पड़ता है कि बलराम राठी की तो पहले ही हत्या हो चुकी है. इस का मतलब यह फ्लैशबैक होगा.

जयराम गोदारा घर छिप कर आता है, उस से पहले अमरपाल के साथी उसे ढूंढने आए थे. जयराम गोदारा अपनी पत्नी को कुछ पैसे दे कर घर वालों का खयाल रखने को कहता है. इसी बीच उस के घर के बाहर दरवाजों को जोरजोर से खटखटाने की आवाज सुनाई पड़ती हैं.

उस के अगले सीन में अमरपाल को उस की पत्नी रुक्मिणी बताती है कि आज उन की बेटी का जन्मदिन है. वह 10 साल की हो गई है. रुक्मिणी हौस्टल में फोन कर के वैशाली सिंह उर्फ चीकू से बातें करती है उसी समय अमरपाल पत्नी से फोन ले कर अपनी बेटी से बात करता है तो चीकू बताती है कि चाचू (जयराम गोदारा) ने सब से पहले उसे जन्मदिन की बधाई दी है और ये मैसेज भी देती है कि चाचू ने कहा है कि यदि दोस्त मानते हो तो वहां मिलो, जहां दोस्त मिलते हैं. फिर रुक्मिणी चीकू से बातें करने लग जाती है.

तभी अमनपाल और जयराम गोदारा को उसी खंडहरनुमा किले में दिखाया जाता है, जहां पर वे पहले भी अकसर मिला करते थे. दोनों में काफी देर तक बातचीत होती है और इसी बीच अमरपाल मौका देख कर अपने दोस्त जयराम गोदारा की जान ले लेता है.

उस के बाद अमरपाल राजपूतों का मसीहा बन जाता है, क्योंकि उस ने एक जाट गैंगस्टर, जोकि उस के भाई से भी बढ़ कर एक दोस्त था, उस की हत्या कर दी थी. फिर अमरपाल का राजनीति, शराब, फिरौती और हथियार सप्लाई में चारों ओर दबदबा बढ़ता चला जाता है.

राजनीति में आने की इच्छा से अब अमरपाल सिंह राजपूतों की भवानी सेना का निर्माण करता है, जिस का आतंक पूरे प्रदेश में दिनबदिन बढ़ता चला जाता है.

इसी बीच एसपी संजय सिंह मीणा जयराम गोदारा की पत्नी से मिलता है और उसे अमरपाल सिंह के खिलाफ गवाही देने के लिए कहता है.

इस एपिसोड में एसपी संजय मीणा का असल में मकसद क्या है, वह डायरेक्टर अच्छी तरह से दिखाने में असफल रहा. अभिनय की दृष्टि से सभी कलाकारों का अभिनय औसत दरजे का रहा है, कोई भी कलाकार अपने अभिनय से प्रभावित करने में असफल रहा है.

एपिसोड- 6

वेब सीरीज ‘रंगबाज फिर से’ के छठें एपिसोड का नाम ‘चक्रव्यूह है फंस जाएगा’ के नाम से रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत में अमरपाल और अनुप्रिया चौधरी बातें करते हैं, तभी एसपी संजय मीणा को खबर मिलती है तो वह अपनी टीम और राजा फोगाट के आदमियों के साथ अमरपाल के ठिकाने पर दबिश देने पहुंचता है. मगर वहां पर कुछ नहीं मिलता.

हां, एक मैसेज शीशे में लिखा नजर आता है, ‘अगली बार और तैयारी कर के आना’, जिसे देख कर एसपी मीणा अपनी नाकामी पर जोरजोर से हंसता दिखाई पड़ता है. तभी अमरपाल अनुप्रिया चौधरी के साथ जीप में जाता दिखाई दे रहा है. वह रुक्मिणी और फिर विपक्षी पार्टी के नेता सुंदर सिंह से बात करता है.

अगले सीन में अमरपाल को खबर मिलती है कि राजा फोगाट किसी जगह पर जरूर जाएगा और इस के बाद एपिसोड की कास्टिंग शुरू हो जाती है. इस में निर्देशक ने कंफ्यूज सा कर एक सीन कहीं का तो दूसरा कहीं का जोड़तोड़ कर कहानी को भ्रमित सा कर दिया है.

विपक्षी पार्टी का नेता सुंदर सिंह अमरपाल से अपने दुश्मनों को ठिकाने लगाने और उन की प्रजातांत्रिक सेना पार्टी को जिताने के एवज में उस के ऊपर लगे सभी आरोपों को वापस लेने का वचन यह कहते हुए देता है कि यह एक राजपूत का वचन है.

नेता के कहने पर कौन कर रहा था हत्याएं

सुंदर सिंह (विपक्षी नेता) के कहने पर अमरपाल सिंह 5 बार के एमएलए और मंत्री रहे करमचंद्र शेखावत की हत्या एयर कंडीशन ब्लास्ट के रूप में आग लगा कर करवा देता है.

अगले सीन में एसपी संजय मीणा अमरपाल सिंह की सहयोगी अनुप्रिया चौधरी (गुल पनाग) से मिलता है और उसे बताता है कि सुंदर सिंह (विपक्षी पार्टी नेता) के कहने पर अमरपाल जो ये हत्याएं कर रहा है, उसे तुम रुकवा लो नहीं तो अमरपाल सिंह इस राजनीति के चक्रव्यूह में फंस कर खुद को बरबाद कर देगा. सुंदर सिंह की भूमिका हर्ष छाया ने निभाई है.

तभी एसपी संजय मीणा गृहमंत्री अहलावत को अपने साथ उस के घर ले जाता है यानी कि जयराम गोदारा की पत्नी मधु गोदारा को अमरपाल सिंह के खिलाफ गवाही देन के लिए राजी कर प्रैस कौन्फ्रैंस में अपने पति के हत्यारे का नाम जगजाहिर करवा देते हैं.

अमरपाल सिंह अपने साथी के साथ विपक्षी पार्टी के सर्वेसर्वा सुंदर सिंह का मुखौटा अपने चेहरे पर लगा कर सुंदर सिंह को बधाई देने का प्रोग्राम बनाता है.

इस दृश्य को अमरपाल की बेटी चीकू टीवी पर देख कर अपने चाचा जयराम गोदारा की यादों में खोई हुई दिख रही है. यह सीन पहले भी निर्देशक दिखा सकते थे. यह केवल एपिसोड को लंबा खींचने की कोशिश साफसाफ नजर आ रही है.

इस के अगले सीन में फिर वही पुराना सीन आगे दोहराया गया है, जिस में अमरपाल और साथी पटाखे जलाते, खुशियां मनाते सुंदर सिंह के घर पर पहुंचते हैं. वहां जब अमरपाल सिंह सुंदर सिंह को राजा फोगाट से गले मिलते देखता है तो अब उसे सारा माजरा समझ में आ जाता है. वह अपने साथी के साथ उलटे पांव वापस लौट जाता है.

‘शहर लखोट’ रिव्यू : विश्वासघात और धोखे का खौफनाक शहर – भाग 2

देव के भाई जयंत की अपनी पत्नी विदुषी से बिलकुल नहीं बनती, क्योंकि वह उसे बेवकूफ समझता है और उसे लगता है कि वह दिन भर कुछ नहीं करती, केवल वीडियो बनाती रहती है.

रात के समय कैरव का आदमी एक बैग में पैसे ले कर किसी को देने जा रहा था, जिसे चुराने के लिए जयंत आ जाता है. तभी वहां देव आ जाता है. वह जयंत को पकडऩे दौड़ता है, पर उसे पकड़ नहीं पाता. तभी देव की फाच्र्युनर चोरी हो जाती है. कैरव के आदमी ‘भो’ और ‘भी’ (दोनों भाईबहन) देव को पकड़ लाते हैं और उस की पिटाई करते हुए पूछते हैं कि वह कौन है और सूटकेस कौन ले गया? तभी सेंट्रल मार्बल के मालिक सुनील महाजन के साथ कैरव आता है.

देव को देख कर उसे याद आता है कि यह तो वही आदमी है, जो बचपन में उसे परेशान किया करता था. उसे बिल्ली मार कह कर चिढ़ाता था. कैरव देव को मारने लगता है. तब सेंट्रल मार्बल का मालिक उसे रोकता है और कहता है कि यह हमारा काम कराने के लिए गुरुग्राम से आया है.

‘भो’ की भूमिका संजय शिव नारायण ने की है. उस की बहन ‘भी’ की भूमिका में मंजरी पुपला है तो सुनील महाजन की भूमिका गौरव कोठारी ने की है.

एपीसोड-2

दूसरे एपीसोड में कैरव अपनी कोठी पर नाश्ता करते हुए देव से विकास से जल्दी समझौता कराने के लिए कहता है. उसी समय वहां संध्या आ जाती है. तब देव को पता चलता है कि संध्या कैरव के लिए काम करती है.

देव सेंट्रल मार्बल के मालिक के साथ उस की गाड़ी से निकलता है तो उस से अपनी गाड़ी दिलाने की बात करता है. वह देव को कुछ रुपए दे कर आश्वासन देता है कि भाई साहब (कैरव) उस की गाड़ी जल्दी दिलवा देंगे. इस के बाद देव उस की कार से उतर जाता है.

एसआई पल्लवी राज उस विदेशी महिला की हत्या का मामला देख रही है, जिस का सड़क के किनारे एक हाथ दिखाई दे रहा था. पल्लवी राज की भूमिका कुब्रा सैत ने की है. वह कहीं से भी पुलिस वाली नहीं लगती. पल्लवी राज विदुषी की बहुत अच्छी दोस्त है. जिस की वजह से देव उस से अपनी कार के बारे में पता करने को कहता है.

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पल्लवी से उस विदेशी महिला की हत्या वाले केस की फाइल बंद करने को कहा जाता है. पल्लवी समझ जाती है कि इंसपेक्टर राजबीर नहीं चाहता कि इस मामले का खुलासा हो. जबकि पल्लवी इस मामले को ले कर काफी गंभीर थी. क्योंकि उसे पता चल गया था कि उस विदेशी महिला को बेहोशी की हालत में जिंदा ही दफना दिया गया था.

इस के बाद वह पत्रकार चंद्रकांत से कहती है कि वह पता लगाए कि उस सड़क को बनाने की परमिशन किस ने दी थी. पत्रकार उस से डिनर पर चलने को कहता है, जहां बातचीत में उसे पता चलता है कि पल्लवी लेस्बियन है.

देव कैरव के लोगों ‘भो’ और ‘भी’ के साथ मिल कर अपनी कार चुराने वाले जमाल खान के घर जाता है और जमाल खान के बारे में पता करने के लिए उस के भाई करीम को उठा लाता है. उस का टार्चर किया जाता है, पर वह कुछ नहीं बताता. बाद में उसे छोड़ दिया जाता है.

कैरव मंत्रीजी से आंदोलन संभालने की बात करता है. पर मंत्रीजी कहते हैं कि वह इलाका एमएलए प्रमोद बहनोई के अंडर में आता है, जो उसे पसंद नहीं करता. फिर भी वह उस से बात करने की कोशिश करेंगे. इस के बाद मंत्रीजी प्रमोद को फोन करते हैं. प्रमोद कहता है कि उस की और विकास की कम्युनिटी अलगअलग है, इसलिए वह उस की बात नहीं मानेगा.

देव कहीं जा रहा होता है, तब उसे विकास एक बार-कम-रेस्टोरेंट में जाता दिखाई देता है. वह भी उस के पीछे जाता है और विकास से अपनी बात मनवाने के लिए उस की एक आदमी के साथ चुम्माचाटी की फोटो खींच लेता है.

पर बाद में वह वे फोटो अपने दोस्त से डिलीट करवा देता है. देव के दोस्त की भूमिका आशीष थपलियाल ने की है. देव को लगता है कि हर किसी को अपनी जिंदगी अपने ढंग से जीनी चाहिए. यहीं उसे अपने दोस्त से पता चलता है कि संध्या उस के बच्चे की मां बनने वाली थी.

देव संध्या के घर जाता है और उस से अपने प्रेम की दुहाई दे कर एक बार फिर उसे इमोशनल ब्लैकमेल करने की कोशिश करता है, पर संध्या उसे अपने घर से जाने को कहती है और दरवाजा बंद कर लेती है. देव वहां से दुखी हो कर चला जाता है और एक झील के किनारे शराब पी कर सो जाता है. सुबह उस की भाभी विदुषी उसे फोन कर के बताती है कि जयंत की एक्सीडेंट में मौत हो गई है.

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तीसरे एपीसोड की शुरुआत में दिखाया जाता है कि पुलिस जयंत की कार क्रेन से निकलवा रही है. देव बाइक से वहां पहुंचता है तो इंसपेक्टर राजबीर उस से सीधे कहता है कि उसी ने भाई को मारा है.

इंसपेक्टर राजबीर सिंह रंगोट प्रमोद के कहने पर विकास को गिरफ्तार कर लेता है. कक्षदार उसे छुड़ाने के लिए आंदोलन करते हैं. देव अस्पताल जाता है, जहां एसआई पल्लवी के साथ जयंत की लाश की शिनाख्त कर रहा है.

इंसपेक्टर राजबीर अपने गुंडों को भेज कर आंदोलन में कैरव के औफिस में तोडफ़ोड़ करवा देता है. कैरव के औफिस से निकल कर भाग रही संध्या को बचा कर देव उस के घर ले जाता है. यहां संध्या पिछली रात किए गए अपने व्यवहार के लिए माफी मांगती है और उसे घर के अंदर ले जाती है. उस रात देव उस के घर रुकता है. रात में दोनों शारीरिक संबंध भी बनाते हैं.

कैरव अपने घर में चिल्लाता है कि विकास को किस ने अरेस्ट कराया है. दूसरी ओर इंसपेक्टर राजबीर विकास को कैरव के खिलाफ भड़काता है और कहता है कि विधायक प्रमोद उसे ले कर बहुत परेशान है. देव को उस के बौस फोन करता है कि काम का क्या हुआ? देव बताता है कि उस के भाई की मौत हो गई है, पर बौस उस की कोई बात नहीं सुनता और फोन काट देता है.

रंगबाज सीजन 2 Review : गैंगस्टर आनंदपाल सिंह की कहानी – भाग 2

एपिसोड- 3

एपिसोड नंबर 3 का नाम धंधे का गणित दिया गया है. इस में लेखक और निर्देशक ने एक नाबालिग बच्चे के हाथ में जो राजा फोगाट का बेटा है, उसे पिस्तौल थमाने वाला बेतुका सीन दिखाया है, जो अनुचित दृश्य है.

इस के अलावा राजा फोगाट अपने बेटे को और पत्नी को गंदीगंदी गालियां देता और फिर नाबालिग बच्चे से पिस्तौल को चलाता हुआ दिखाया गया है, जो कहीं से कहीं तक भी दिखाया जाना बिलकुल भी जरूरी नहीं था.

अगले दृश्य में अमरपाल, जयराम गोदारा और बलराम राठी एकएक कर के राजा फोगट के आदमियों को मारते हुए दिखाई दे रहे हैं. इस के बाद वे तीनों राजा फोगट के उस आदमी को भी जान से मार डालते हैं, जिसे राजा फोगट ने अमरपाल को मारने के लिए कहा था.

अमरपाल फिर से जेल चला जाता है, जहां से पैरोल पर वह अपने पिता का अंतिम संस्कार करने के लिए आता है. सरकार की ओर से अमरपाल को अनुप्रिया चौधरी से मिलने को कहा जाता है कि यह आप की मदद करना चाहती है, बदले में तुम्हें उसे संरक्षण देना होगा. अनुप्रिया की भूमिका गुल पनाग ने निभाई है.

उस के बाद अनुप्रिया चौधरी (गुल पनाग) की एंट्री होती है. वह अमरपाल से कहती है कि आप मुझे मेरे कर्जदारों से बचा लो, बदले में मैं बाहर रह कर भी आप के वे सब काम करूंगी जो आप के आदमी कभी भी नहीं कर सकते. उस के बाद अमरपाल को वापस जेल ले जाते हुए दिखाया गया है और अमरपाल सिंह की मां को अपनी बहू रुक्मिणी से गले लग कर रोते हुए दिखाया गया है और फिर एपिसोड समाप्त हो जाता है.

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इस एपिसोड में एक दृश्य से दूसरे दृश्य में जाने की उत्सुकता जो दर्शकों के मन में रहती है, वह लगातार भटकती हुई दिखाई दे रही है. कहीं का सीन कहीं जोड़ कर कहानी को अनेक बार भ्रमित सा किया गया है.

एपिसोड- 4

वेब सीरीज के चौथे एपिसोड का नाम ओवर ऐंड आउट रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत में बलराम राठी की मृत्यु पर शोकसभा हो रही है, तभी वहां पर आ कर राजा फोगाट अमरपाल सिंह को गाली देते हुए दिखता है. तभी वहां पर अमरपाल सिंह की पत्नी रुक्मिणी आ कर बलराम राठी की पत्नी को सांत्वना देती है और राजा फोगट की गाली शालीनता के साथ ईंट के जवाब में पत्थर ठोक कर कहती है तो वहां से राजा फोगट गुस्से से चला जाता है.

अगले दृश्य में अमरपाल सिंह जेल में होता है, जेल का संतरी अखबार उस के कमरे के दरवाजे के बाहर छोड़ कर जाता है. अमरपाल अखबार के पहले पृष्ठ पर अपनी फोटो और खबर देख कर अखबार को फेंक देता है.

यहां पर लेखक और निर्देशक से एक बड़ी चूक हुई है कि वे इस बात को दर्शकों के पास ले कर आने में कामयाब नहीं हो सके कि आखिर वह खबर क्या और कौन सी थी, जिसे देखते ही अमरपाल सिंह ने अखबार फेंक डाला था.

उस के अगले दृश्य में अनुप्रिया चौधरी (गुल पनाग) की कहानी सामने आती है कि कितने कम समय में उस ने शेयर मार्केट में बुलंदियां हासिल की थीं. एमबीए करने के बाद वह शेयर मार्केट में कैसे छा गई थी और फिर उस का ग्राफ कैसे एकदम नीचे गिर गया था.

फिर अमरपाल का शराब के धंधे का पैसा हवाला में दिया जाता है. इस के अलावा वह बेशुमार दौलत अमरपाल सिंह अपने एक साथी अजय सिंह के माध्यम से अनुप्रिया चौधरी को शेयर मार्केट में लगाने दे देता था.

अनुप्रिया को इस बात का पता नहीं चलता कि इस में अमरपाल का पैसा भी लगा है. इस बीच अनुप्रिया ऊंची उड़ान भरना चाहती थी, लेकिन शेयर मार्केट में 5 लाख करोड़ रुपए डूब गए. अब जिन लोगों ने पैसे लगाए थे, वे आए दिन अनुप्रिया चौधरी को मारने की धमकी देने लगे थे.

अगले दृश्य में एसपी संजय सिंह मीणा (जीशान अय्यूब) और राणा फोगाट की मुलाकात को दिखाया गया है. यहां पर राजा फोगट के मुंह से धाराप्रवाह गालियां दी गई हैं, जिसे दूसरे तरीके से दिखाया जा सकता था. राजा फोगट कहता है कि मैं खुद अमरपाल को मारूंगा, क्योंकि उस को मारना आप लोगों और नेताओं के बस की बात नहीं है.

यहीं पर मुख्यमंत्री को गृहमंत्री अहलावत को डांटते दिखाया गया है. उस के बाद गृहमंत्री अहलावत और गैंगस्टर राजा फोगाट की मुलाकात होती है, जिस में एक अपराधी (राजा फोगट) एक गृहमंत्री से ऐसे बात करता है, जैसे गृहमंत्री उस का एक गुलाम हो. एक गैंगस्टर प्रदेश के मुख्यमंत्री को सरेआम धमकी देता है.

अगले सीन में करण चड्ढा जो राजा फोगट का खास आदमी है और उस के शराब के काम को देखता है. करण चड्ढा कोकीन और बड़ी उम्र की औरतों का शौकीन है, जो बार में अनुप्रिया चौधरी (गुल पनाग) को देख कर फिदा हो जाता है. फिर अनुप्रिया चौधरी और करण चड्ढा हमबिस्तर होते हैं. अनुप्रिया वहां पर करण चड्ढा की जासूसी करती है.

यहीं पर अमरपाल को नागौर जेल से अजमेर जेल शिफ्ट कराते समय सरकार और पुलिस द्वारा एनकाउंटर का प्रोगाम बनाया जाता है, लेकिन अमरपाल पुलिस वालों को नशे के लड्डू खिला कर वहां से अनुप्रिया चौधरी के साथ फरार हो जाता है. इस फरार होने के पीछे एसपी संजय मीणा का हाथ होता है.

अमरपाल सिंह के फरार होने पर राज्य सरकार की ओर से स्पैशल टास्क फोर्स का गठन किया जाता है, जो अमरपाल सिंह को पकडऩे और मारने के लिए गठित की जाती है. इस का मुखिया सरकार की ओर से एसपी संजय मीणा को बनाया जाता है.

कुल मिला कर यह एपिसोड भी साधारण सा दिखता है, जिस में सभी कलाकारों का अभिनय औसत नजर आता है.

एपिसोड- 5

सीरीज के पांचवें एपिसोड का नाम ‘सावधानी हटी, दुर्घटना घटी’ है. पहले सीन में एसपी संजय मीणा अपने साथियों के साथ अमरपाल को पकडऩे की प्लानिंग करता है. एसपी संजय मीणा फाइलें खोजने लगता है और जयराम गोदारा की क्राइम फाइल देखने लगता है. इस के बाद एपिसोड की कास्टिंग आरंभ हो जाती है.

अगले दृश्य में जयराम गोदारा और अमरपाल बातें करते हैं. उस के बाद वे दोनों विधायक मदन सिंह के पास जाते हैं और मदन सिंह अमरपाल को कुछ बड़ा करने को कहता है. उस के बाद के दृश्य में एक नेता नागौर में जनसभा को संबोधित कर रहा है.

‘शहर लखोट’ रिव्यू : विश्वासघात और धोखे का खौफनाक शहर – भाग 1

कलाकार:  चंदन राय, चंदन राय सान्याल, कुब्रा सैत, मनु ऋषि चड्ढा, प्रियांशु पेन्युली, श्रुति मेनन, मंजरी पुपला, आशीष थपलियाल, ज्ञान प्रकाश, गौरव कोठारी, श्रुति जौली, संजय शिव नारायण आदि.

निर्देशक: नवदीप सिंह

निर्माता: औफरोड फिल्म्स,

संगीतकार: शिवांश जिंदल

छायांकन: विशाल विट्ठल

लेखक: नवदीप सिंह और देविका भगत

प्लेटफार्म: अमेजन प्राइम वीडियो

एपिसोड: 8

अमेजन प्राइम वीडियो पर दिखाई जाने वाली वेब सीरीज ‘शहर लखोट’ (Shehar Lakhot) है तो आपराधिक, लेकिन अब तक आ चुकी वेब सीरीजों से यह थोड़ा हट कर है. इस वेब सीरीज (Web Series)  में वह सब लाने की कोशिश की गई है, जिस की वजह से कभी ‘मनोहर कहानियां’ पत्रिका (Manohar Kahaniyan) देश की नंबर वन पत्रिका थी. लेकिन अपराध कथाओं के साथ दिक्कत यह है कि हर बार वह नया स्वाद मांगती है, जबकि ‘शहर लखोट’ में वही नहीं है.

वेब सीरीज ‘शहर लखोट’ नवदीप सिंह (Navdeep Singh) ने देविका भगत (Devika Bhagat) के साथ मिल कर लिखी है. लेकिन इस में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो पहले नहीं देखा गया है. इस अपराध कथा का मुख्य आधार खनन माफिया है. इस की पटकथा को इस तरह लिखा गया है कि इस में सब कुछ दिखाने की कोशिश की गई है. लेकिन इस में कोई भी ऐसा सीन नहीं है, जिस पर दर्शकों की नजर गड़े या प्रभावित करे या सोचने को मजबूर करे.

सीरीज में पुलिस विभाग को तो माफिया और नेताओं का नौकर बना दिया गया है. यहां तक कि थाने का इंसपेक्टर नेता के लिए एक दूसरे नेता की हत्या तक कर देता है, जो सत्य से एकदम परे लगता है. इतना ही नहीं, बाद में पुलिस इंसपेक्टर भी मार दिया जाता है और पुलिस सब कुछ जानते हुए भी उसे गुमशुदा घोषित करने की कोशिश करती है.

इन बातों से सीरीज नाटक लगती है. जबकि दर्शक सत्य के साथ सस्पेंस भी देखना चाहते हैं. लेकिन इस सीरीज में न सस्पेंस है और न ही सत्य. जिन लोगों ने ‘मनोहर कहानियां’ पढ़ी है, उन्हें पता है कि अपराध कथाएं क्या होती हैं और कैसी कथाएं देखने या पढऩे में अच्छी लगती हैं.

अगर शहर लखोट के लेखकों ने ‘मनोहर कहानियां’ ध्यान से पढ़ी होती तो शायद उन्हें समझ होती कि दर्शक क्या चाहता है. पूरी सीरीज देख लेने के बाद भी पता नहीं चलता कि लेखक कहना या दिखाना क्या चाहते हैं. न पुलिस की भूमिका सशक्त लगती है न माफिया की और न नेता की. सारा कुछ गड्डमड्ड हो गया है.

कहानी का नायक हर जगह पिटता नजर आता है. वह न परिवार के लिए कुछ कर पाता है और न अपने बौस के लिए और न अपने लिए. अंत में निराश हो कर लौट जाता है. नेताओं की भूमिका भी कहीं खास नजर नहीं आती. खनन माफिया आधी हिंदी और आधी अंगरेजी में अटका रहता है. यह भी साफ नहीं हो पाता कि वह करता क्या है और करना क्या चाहता है?

इस में अभिनय करने वाला कोई भी कलाकार दर्शकों को न तो अपने अभिनय से प्रभावित कर पाता है और न ही बोली, भाषा या डायलौग से. सब से दुखद तो यह है कि कहानी में कोई चौंकाने वाला खुलासा नहीं होता, जिस का दर्शकों को इंतजार रहता है. इस सीरीज में सब से बड़ी कमी यह है कि इस के हर किरदार में सिर्फ ऐब ही ऐब है.

कोई भी ऐसा कलाकार नहीं है, जिस में कोई अच्छाई नजर आती हो. यह भी पता नहीं चलता कि हीरो कौन है और खलनायक कौन. ऐसी वेब सीरीज को देखना समय नष्ट करना है. हमारे खयाल से तो इसे न ही देखा जाए तो अच्छा रहेगा.

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पहले एपीसोड की शुरुआत शहर लखोट से होती है, जहां शहर के बाहर खेल रहे बच्चों को एक लाश दिखाई देती है. इस के बाद गुरुग्राम के एक गैंगस्टर का औफिस दिखाया जाता है, जहां देव यानी देवेंद्र सिंह तोमर उस के लिए काम करता है. देव की भूमिका प्रियांशु पिनयुल ने की है. वह अपनी भूमिका में न हीरो नजर आता है और न खलनायक. जहां भी जाता है, केवल पिटता ही है.

गैंगस्टर उसे शहर लखोट जाने को कहता है, अपने क्लाइंट कैरव सिंह की मदद के लिए. कैरव का रोल चंदन राय सान्याल ने किया है. वह अपनी पूरी भूमिका में नाटक करता नजर आया है, जबकि सीरीज में उस का महत्त्वपूर्ण रोल है. दरअसल, वहां के आदिवासी आंदोलन कर रहे होते हैं. देव को इस से छुटकारा दिलाने के लिए लखोट भेजा जाता है. देव बहुत दिनों से लखोट नहीं गया था, इसलिए वहां अपना रौब दिखाने के लिए अपने बौस की फाच्र्युनर मांगता है.

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फाच्र्युनर गैंगस्टर की रखैल पिंकी की थी. देव फाच्र्युनर ले कर लखोट स्थित माइनिंग पर जाता है, जहां कक्षदारों का लीडर विकास प्रोटेस्ट कर रहा होता है. विकास की भूमिका में चंदन राय है, जो कहीं से लीडर नजर नहीं आता. देव पैसा ले कर विकास से आंदोलन खत्म करने को कहता है, पर विकास इस के लिए साफ मना कर देता है. इस के बाद कैरव सिंह अपने कुत्ते को गोली मार देता है.

लखोट थाने के एसएचओ राजबीर सिंह रंगोट से उसे फेंकने को कहता है. इस के लिए राजबीर सिंह खुद को बहुत अपमानित महसूस करता है. इंसपेक्टर राजबीर सिंह रंगोट का रोल मनु ऋषि चड्ढा ने किया है. उस में कहीं भी पुलिसिया रौब नजर नहीं आता. वह नेताओं और गुंडों का नौकर बन कर रह गया है. कैरव सिंह विकास को अपने घर समझौता करने के लिए बुलाता है, पर विकास अपनी बात पर अडिग रहता है.

देव अपने पिता से मिलने उन के औफिस जाता है, जहां उस की अपने बड़े भाई जयंत से लड़ाई हो जाती है. यहां पता चलता है कि 10 साल पहले देव ने किसी का कत्ल किया था, जिस की वजह से उस के घर वालों ने उस से रिश्ता खत्म कर लिया था और इंसपेक्टर राजबीर भी उसे पसंद नहीं करता.

देव अपने पिता से मिलने घर जाता है, जहां उस की भाभी विदुषी उसे देख कर बहुत खुश होती है. पर पापा आज भी उस से बहुत नाराज हैं. पापा उसे घर से निकाल देते हैं तो वह घर के बाहर खड़ा रहता है. देव के पापा की भूमिका ज्ञान प्रकाश ने की है तो विदुषी की भूमिका में श्रुति जौली हैं.

तभी कुछ गुंडे उस के भाई जयंत को पैसों के लिए मारते हैं. देव कुछ कहने के बजाय अपनी पूर्व प्रेमिका संध्या के घर चला जाता है. संध्या का रोल श्रुति मेनन ने किया है. यहां पता चलता है कि देव ने जो 10 साल पहले हत्या की थी, वह संध्या के लिए ही की थी. क्योंकि जिस का कत्ल हुआ था, वह संध्या को छेड़ रहा था.

रंगबाज सीजन 2 Review : गैंगस्टर आनंदपाल सिंह की कहानी – भाग 1

निर्देशक: भाव धूलिया

संगीतकार: राबी अब्राहम

प्रोड्ïयूसर: राकेश भगवानी

लेखक: सिद्धार्थ मिश्रा

प्रोडक्शन: जार पिक्चर

एपिसोड-9

कलाकार: जिमी शेरगिल, सुशांत सिंह, गुल पनाग, रणवीर शौरी, रवि किशन, तिग्मांशु धूलिया, साकिब सलीम, स्पृहा जोशी, हर्ष छाया, महिमा मकवाना, सचिन पाठक आदि

एपीसोड- 1

क्राइम थ्रिलर ‘रंगबाज फिर से’ (Rangbaaz Phir se) का पहला एपीसोड जैसे ही शुरू होता है, इस के पहले दृश्य में बड़े पुल पर एक बस आती दिखाई देती है. 2 ग्रामीण दिखाई देते हैं. वे बस को जबरन रुकवा कर उस में सवार हो जाते हैं और बस में बैठे लोगों पर अपने साथ लाई पिस्टल से गोलियों की बौछार करने लगते हैं. अगले ही कुछ समय में पता चलता है कि बीकानेर से नागौर जाने वाली बस में 40 लागों की गोली मार कर हत्या कर दी गई है.

अगली खबर जयपुर से आती है, जहां राजपूतों के सम्मेलन में बम धमाका हो जाता है. राजपूतों और जाटों में आपसी टकराव की खबरें राज्य के सभी जगहों से आने लगती हैं. इस घटना में गैंगस्टर अमरपाल का नाम आता है. सरकार राजस्थान प्रदेश के सब से बड़े गैंगस्टर अमरपाल सिंह से बात कर उसे आत्मसमर्पण को कहती है. बदले में उसे चुनाव का टिकट देने का वादा भी किया जाता है. अमरपाल सिंह की भूमिका जिमी शेरगिल (Jimmy Shergill) ने निभाई है.

पुलिस अमरपाल सिंह को जेल में बाइज्जत ले जा कर उस से कहती है कि कुछ चाहिए तो बताना हुकुम. उस के बाद राजस्थान की पृष्ठभूमि में राजस्थान के इतिहास और राजपूतों व जाटों के संघर्ष की गाथा का वर्णन किया गया है.

इस के बाद कहानी फ्लैशबैक में चली जाती है, जहां पर अमरपाल सिंह का छात्र जीवन, यार दोस्तों के साथ दारूबाजी और फिर कालेज के चुनाव में उस का अध्यक्ष बनना आदि दिखाया जाता है.

अगले दृश्य में यह भी दिखाया गया है कि अमरपाल सिंह एक मेधावी छात्र है और वह आईपीएस बनना चाहता है. इसी बीच जाट समुदाय के एक गैंगस्टर जयराम गोदारा को दिखाया गया है. उस की दोस्ती की कहानी के पीछे उसे अमरपाल द्वारा बचाया जाना है. जयराम गोदारा के किरदार में सुशांत सिंह है.

उस के बाद अमरपाल का विवाह रुक्मिणी से हो जाता है, जहां पर राजपूत समाज अमरपाल को एक गांव में घोड़ी चढऩे पर मना कर देते हैं, क्योंकि अमरपाल के पिता ने एक गैर राजपूत की लड़की से विवाह किया था. यहां पर एक बार जयराम गोदरा आ कर राजपूतों को धमकाता है, अमरपाल सिंह को घोड़ी चढ़वाता है. रुक्मिणी की भूमिका स्पृहा जोशी ने निभाई है.

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उस के बाद अमरपाल सिंह को एक बड़ा नेता प्रधान का चुनाव लडऩे को कहता है. उन दिनों वहां पर रविराम बलौटिया की प्रधानी में एकछत्र राज था. अमरपाल सिंह और रविराम बलौटिया के बीच चुनाव में जयराम गोदरा (जाट गैंगस्टर) काफी मदद करता है, लेकिन अमरपाल सिंह की 377 और रविराम बलौटिया को 379 वोट मिलते हैं. इस तरह अमरपाल सिंह 2 वोट से चुनाव हार जाता है.

उस के बाद रविराम बलौटिया एक षड्यंत्र के तहत अमरपाल सिंह को जेल भिजवा देता है, जहां पुलिस द्वारा अमरपाल पर कई तरह के अत्याचार किए जाते हैं. इस के बाद एक पुलिस अधिकारी संजय सिंह मीणा, जो एक आईपीएस अधिकारी है, को एक चाल चलता दिखाया गया है. संजय सिंह मीणा की भूमिका में जीशान अय्यूब है.

एपिसोड- 2

इस एपिसोड की शुरुआत में गृहमंत्री अहलावत अपने अधिकारी से कहता है कि चुनाव आने वाले हैं. आचार संहिता लगने से पहले शिलान्यास के कार्यक्रम करने का प्रोग्राम बनाइए.

अगले दृश्य में अमरपाल सिंह को, बलराम राठी और अन्य कैदियों को जेल में टीवी देखते और चिकन खाते, शराब पीते हुए दिखाया गया है. शराब पीने के बाद अमरपाल बाथरूम में जाता है. पीछे से एक अन्य कैदी उस के ऊपर गोलियों की बौछार कर देता है.

बलराम राठी उसे पीछे से पकड़ लेता है और इस तरह अमरपाल की जान बचा कर बलराम राठी मर जाता है. गोलियों की आवाज सुन कर काफी संख्या में जेल के सिपाही आ जाते हैं.

इस बीच अमरपाल उसे दबोच लेता है, जिस ने उस पर गोलियां चलाई थीं. और इतने सारे पुलिस के जवानों के होने के बावजूद अमरपाल गला घोंट कर उस कैदी को मार डालता है. इस के बाद अमरपाल को कैदियों की पोशाक पहने एक कमरे में कैद कर दिया जाता है.

उस के आगे की कहानी फ्लैशबैक में चली जाती है. अमरपाल और बलराम राठी बात करते दिखते हैं. यह जेल का दृश्य है, जहां पर अमरपाल अपनी बेटी वैशाली उर्फ चीकू को याद करता दिखता है. वैशाली उर्फ चीकू की भूमिका महिमा मकवाना ने निभाई है.

काला चश्मा और उस के ऊपर काला हैट लगाए अमरपाल एकदम फिल्मी हीरो की तरह दिखता है. अगले दृश्य में जयराम गोदारा के घर दिखता है, जहां पर उस के पिता उसे उलाहना देते हुए कहते हैं कि एक जाट हो कर वह राजपूत अमरपाल सिंह के साथ क्यों है? जयराम गोदारा अपनी पत्नी से बात करता है, उस से कहता है कि उसे चीकू अपनी बेटी की तरह लगती है.

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अगले सीन में राजा फोगाट औरतों का डांस देखते और अय्याशी करते हुए दिख रहा है. अमरपाल सिंह की बेटी का जन्मदिन भव्य तरीके से मनाया जा रहा होता है, जहां पर कुछ लोग फायरिंग कर देते हैं. भगदड़ मच जाती है, अमरपाल और उस के दोनों साथी जयराम गोदारा और बलराम राठी रुक्मिणी और चीकू को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा देते हैं.

उस के बाद आटोमेटिक राइफलों से सारे हमलावरों पर गोलियों की बौछार कर देता है, कुछ मारे जाते हैं और कुछ बचते बचाते हुए भाग जाते हैं.

अमरपाल अपनी पत्नी से कहता है कि चीकू को यहां से बाहर भेजना होगा, तभी वह सुरक्षित रह सकती है. जयराम गोदारा चीकू को एक हौस्टल में ले जा कर उस का एडमिशन करवा देता है.

अगले दृश्य में राजा फोगाट के एक साथी की बेटी की शादी होती दिखाई गई है. राजा फोगाट दुलहन को अपनी ओर से उपहार देता है और अपने साथी से कहता है कि अब अमरपाल सिंह का जल्दी काम तमाम कर दो.

अगले दृश्य में गृहमंत्री अहलावत को मुख्यमंत्री डांटते हुए दिखते हैं. उस के बाद राजा फोगाट की मुलाकात गृहमंत्री अहलावत से होती है. कहानी आगे बढ़ती है और राजा फोगाट का आदमी करण चड्ढा अनुप्रिया को देखते ही उस पर फिदा हो जाता है. दोनों को हमबिस्तर होते हुए भी दिखाया जाता है. शरद केलकर राजा फोगाट के रोल में है.

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