क्यों लगाया लाशों का ढेर
पांचवां एपिसोड सब से ज्यादा बोरियत वाला है. इस में दिखाते हैं कि दिव्या को बेहोश कर के डाला जाता है. होश में आने पर लाशों की एक थैली में लेट जाती है और वहां खिड़की में एक रस्सी बांध देती है, जिस से पता चले वह कूद कर भाग गई है. इस तरह वह वहां से बच कर निकल जाती है.
यह लाशों का ढेर किस का है? कहां से आया? इन्हें पौलीथिन में पैक क्यों किया गया? इस की कोई जानकारी नहीं है. उधर विक्रम जंगल में अकेला कराह रहा है. बुरी हालत में है. तभी साजिद का फोन आता है. पता नहीं विक्रम की जेब में फोन कहां से आ गया. वह बताता है कि स्वाति की हत्या करने के लिए एक बदमाश उस के घर के बाहर खड़ा है.
विक्रम यह सूचना स्वाति को फोन कर के देना चाहता है लेकिन वह फोन नहीं उठाती है. अंत में वह मैसेज कर देता है. तब तक दरवाजे के अंदर बदमाश आ चुका था. यहां बदमाश से लडऩे और बचने के बेवकूफी व बोरियत भरे सीन हैं. बदमाश बिजली से संचालित किसकिस मशीनरी से दरवाजे काटता है, उस में घुसता है. इस बीच स्वाति अपने पूर्व पति विक्रम से भी बातें करती है.
साजिद भी लीना के असली कातिल को ढूंढने और विक्रम को बचाने के लिए रिकौर्ड रूम पहुंचता है. कहता है कि डा. सतीश ने कहा है कि अशोक माथुर से मिल लेना. इस पर अशोक माथुर फाइल ला कर देता है. साजिद कुछ खास जानकारी कर के चला जाता है.
अगला सीन बहुत खतरनाक है. पल्लवी अपने प्रेमी के साथ तो कोई प्रेम प्रसंग नहीं करती, बल्कि विक्रम को बचाने के लिए थाने से वीडियो निकलवानी है तो उस के लिए वहां के एक इंजीनियर को बुलाती है. उस को अपने शबाब से जिस्म परोसने का भरपूर निमंत्रण देती है.
इस बीच एक गाना होता है, जिस में खूब ठुमके और खुले शरीर का प्रदर्शन चलता रहता है. इस बीच उस का प्रेमी सुदेश थाने में इंजीनियर के बदले जा कर वहां से वह वीडियो निकाल लाता है.
उस के बाद पल्लवी इंजीनियर को भैया थैंकयू कह कर भगा देती है. सिदेश व पल्लवी थाने से लाई गई वीडियो देखते हैं. यहां पर पल्लवी कुछ प्रेम मिलाप करना चाहती है, लेकिन सिदेश वीडियो में मस्त है. वह दोनों वीडियो की रियलिटी निकालने की कोशिश में लगे रहते हैं. एक और बेवकूफी का अगला सीन है.
जंगल में भटक रहे विक्रम के सामने एक मोटरसाइकिल सवार आता है. वहां कोई सड़क नहीं है. बस्ती नहीं है. कोई ट्रैफिक नहीं चल रहा है. विक्रम उसे हाथ दे कर रोकता है. वह भी डेविड का आदमी होता है. बदमाश होता है. दोनों में गुत्थमगुत्था शुरू हो जाती है. गाने की रिकौर्डिंग बजती रहती है, ‘दम मारो दम मिट जाएं गम…’
मारपीट में उन से ठिकाने लगाने के बाद विक्रम को याद आता है कि एक किडनी उस की कोई चुरा चुका है. दूसरी फेल होने के कगार पर है. इस के लिए वह अपने रकीब साजिद को फोन करता है.
एपिसोड-6
छठें एपिसोड की शुरुआत में साजिद कार में विक्रम को ले कर जाता है. रास्ते में दिखाता है कि इसे किसी कीड़े ने काट लिया है. साजिद जानता है कि इस का इलाज क्या है. यहां से डाक्टर के पास ले जाता है. विक्रम उसे डेविड के अड्डे पर पहुंचने को कहता है. दोनों वहां पहुंचते हैं.
फायरिंग शुरू हो जाती है. गाना बजने लगता है, ‘आवारा हूं…’
एक सड़ी हुई किडनी के साथ फाइटिंग करते हुए विक्रम को दिखाया गया है. गोलियां चल रही हैं. सिर्फ एपिसोड का समय पूरा करने के लिए यहां फाइटिंग और गोलीबारी के सीन हैं. अब डेविड घायल हो कर गिर पड़ता है. उस से अपनी किडनी मांगता है. दोनों में डायलौगबाजी होती है. वह अपनी मां की दास्तान सुनाता है. तभी 2 सुरक्षागार्ड महिलाएं रिवौल्वर ले कर आती हैं. इस से पहले भी वह दिखाई गई हैं. एपिसोड के अंत में विक्रम घायल अवस्था में भागता है और गिर कर बेहोश हो जाता है.
एपिसोड-7
सातवें एपिसोड में विक्रम एक अस्पताल में बेहोशी की हालत में भरती होता है. एक नर्स उस के पास दवा लिए खड़ी होती है. होश में आते ही वह दवाओं को झपट्टा मारता है. वह पुलिस को आवाज देती है. पुलिस अधिकारी आता है. वह बताता है कि तुम्हारी एक किडनी गायब थी. ये तो अच्छा हुआ कि तुम्हारे बैग में जो किडनी थी, वह मेल की थी. विक्रम कहता है कि वह मेरी किडनी थी. तब पता चलता है कि वह गिरफ्तार है और हथकड़ी उस के हाथ में पड़ी हुई है.
अस्पताल की नर्स दवा रख कर यह कह कर चली जाती है कि दवा खा लेना वरना मर जाओगे. विक्रम की चौकसी के लिए 2 सिपाही वार्ड के बाहर ड्यूटी दे रहे हैं. एक उस में चाय पीने को कह कर चला जाता है. दूसरा मोबाइल देख रहा है और उस में गाना बज रहा है, ‘पिया तू अब तो आजा…’ इस बीच डाक्टर इंजेक्शन लगाने आता है. विक्रम उस पर झपट पड़ता है. हथकड़ी बंधी है फिर भी डाक्टर से फाइटिंग हो रही है.
डाक्टर खून में लथपथ पड़ा है. वह हथकड़ी हाथ से निकाल कर भागता है. कई मंजिल का अस्पताल है. भागते में एक सिपाही का फोन छीन लेता है और पुलिस टीम को फोन कर देता है कि विक्रम चौथी मंजिल पर है. पुलिस ऊपर भागती है और वह निकल कर अस्पताल से बाहर आ जाता है.
बाहर एक फोर व्हीलर में बैठता है और ड्राइवर की किसी बात के जवाब में गाली देता है और सीधा स्वाति के घर पहुंचता है. वह उस से लिपट जाती है, जबकि उस से संबंध विच्छेद कर चुकी होती है. उस से साजिद की तारीफ करती है.
विक्रम को स्वामी की बात लग जाती है और वह घर से बाहर निकलता है. वहां एक कार खड़ी होती है, उस में बैठ कर चल देता है. कार कहां से आ गई. यह कुछ पता नहीं है. पुरानी बातें ध्यान में आती हैं और हर बात को कड़ी से कड़ी जोडऩे में विक्रम लगा रहता है. फिर सीधे प्रेमी युगल मास्टरमाइंड सिदेश पल्लवी के पास पहुंचता है.
यह दोनों उस वीडियो का पोस्टमार्टम कर चुके हैं. उस में लीना का मर्डर करने वाले का चेहरा साफ दिखाई देता है. विक्रम को दिव्या की तलाश है. हैकर्स प्रेमी युगल दिव्या की तलाश करता है. पता चलता है कि दिव्या रांची में है.
विक्रम रांची पहुंच जाता है. दिव्या व विक्रम एकदूसरे को देखते हैं और अचानक दिव्या हमला कर देती है. जो भी हाथ में आता है उठाउठा कर मारती है. अचानक दिव्या नुकीले धारदार हथियार विक्रम के सीने में घोंपने की कोशिश करती है. तभी विक्रम उसे रोक लेता है. दोनों बातचीत पर रजामंद हो जाते हैं और आपस में गिलेशिकवे करते हैं. लीना मर्डर केस डेविड पर चर्चा करते हैं. फिर दोनों में बिगड़ जाती है और दिव्या एकदम आक्रामक हो जाती है. विक्रम कहता है कि तुझे उस की बच्ची की जरूरत नहीं. कहां है वो. मैं उसे ढूंढ लूंगा? यह सारे सीन एकदम बकवास है. ऐक्टिंग में कोई जान नहीं है.
एपिसोड-8
आठवां एपिसोड बिलकुल बकवास है. उस में जो कुछ दिखाया गया है, उस की यहां कोई जरूरत भी नहीं थी. साजिद को बदमाशों के कब्जे में दिखाया गया है. उसे अस्पताल के एक बैड पर बांध रखा है. गरदन से खून निकल रहा है और उसे मारने की साजिश की जा रही है. मगर क्यों कुछ पता नहीं. उधर विक्रम और दिव्या डाक्टर सतीश की तलाश में आते हैं. अस्पताल की एक बहुत ऊंची बिल्डिंग में पहुंचते हैं. डाक्टर मिलता है. उस से पूछते हैं कि डाक्टर सतीश कहां है?
अचानक सतीश दिखाई देता है. कोई बताता है कि वह डाक्टर सतीश है. विक्रम और दिव्या उस के पीछे भागते हैं. बहुत ऊंची बिल्डिंग है. सतीश को पकड़ लेते हैं. दिव्या भी पहुंच जाती है. डा. सतीश को विक्रम नीचे लटका रखा है और उस का हाथ विक्रम ने पकड़ रखा है. उस से विक्रम सवालजवाब कर रहे हैं. उसे डेविड की बेटी और दिव्या की बहन के बच्चे की जानकारी कर रहे हैं.
अचानक उस का हाथ छूट जाता है. डाक्टर सतीश नीचे गिर जाता है. दिव्या और विक्रम आपस में लड़तेझगड़ते हैं. दिव्या कहती है कि मेरी बहन की बेटी का पता नहीं लगा सके. मेरा पूरा परिवार बरबाद कर दिया. अगला सीन पल्लवी एवं सिदेश के प्रेम प्रसंग का है. तभी विक्रम और दिव्या वहां पहुंच जाते हैं.
डेविड की बेटी यानी दिव्या की भांजी का पता लगाने के बाद यह दोनों उन के अड्डे पर जाना चाहते हैं. वहां घुसने से पहले दिव्या और विक्रम को बदमाश घेर लेते हैं. दोनों में फाइटिंग शुरू हो जाती है. गोलीबारी होने लगती है. विक्रम ने मारतेमारते लाशों का ढेर लगा दिया है और किसी तरह से अंदर घुस जाता है. दिव्या भी साथ में पहुंचती है.
डेविड की बेटी दिखाई जा रही है, जो डाक्टर के पास है. डाक्टर लड़की को कार में डाल कर भागता है. विक्रम भी कार से उस का पीछा करता है. कार अचानक नदी में गिर जाती है. विक्रम भी उस में कूद पड़ता है. लड़की को बचा लेता है. नदी में ही डूबने से पहले डाक्टर को गोली मार देता है.
यहां भी गाना बज रहा होता है, ‘किसी की मुसकराहटों पर हो निसार जीना इसी का नाम है…’ बारिश भी हो रही है.
बच्ची को दिव्या को सौंप दिया जाता है. इस मारधाड़ और बच्ची को बचाने में उस की हालत खराब हो जाती है. जब उसे होश आता है तो उस के पास उस की पूर्व पत्नी स्वाति होती है. दोनों में बातचीत होती है. विक्रम अपनी बेटी पूजा को पूछता है कि वह भी कहीं जीवित होगी. इमोशनल सीन की कोशिश की गई है. स्वाति विक्रम से लिपट जाती है.
संबंध विच्छेद होने के बाद भी पतिपत्नी जैसा रिश्ता दिखाया गया है. तभी फोन आता है, जो जैकी श्रौफ का होता है. वह कहता है तुम्हारी बेटी पूजा जीवित है, मेरे पास है और उस से बात भी कराता है. लेकिन सालों बाद भी बेटी उतनी ही बड़ी दिखाई देती है, जितनी बड़ी गायब हुई थी. यहीं पर एपिसोड और वेब सीरीज खत्म हो जाती है.
सवाल यह है कि कहानी कई एपिसोड में लीना के मर्डर के खुलासे की ओर चल रही थी और अंत में यह सब कहीं गायब हो जाता है. स्वाति की बेटी पूजा और डेविड की बेटी पर आ कर खत्म हो जाती है.