फेसबुकिया प्यार बना जी का जंजाल – भाग 3

आखिर विनीत को मुखबिर की सूचना पर लोनी गोल चक्कर से गिरफ्तार कर लिया गया.

आइए, पहले जान लेते हैं कि विनीत पंवार कौन है और उस ने माही की हत्या क्यों की.

विनीत और माही की फेसबुक से हुई थी जानपहचान

उत्तर प्रदेश के जिला बागपत का एक छोटा सा गांव है कागदीपुर. इसी गांव का निवासी था विनय पंवार. उस के 2 बेटे विनीत और मोहित थे तथा एक बेटी थी पारुल. विनय पंवार मेहनतमजदूरी कर के बच्चों का पेट पालता था. उस की पत्नी का देहांत हो गया था. विनय पंवार ने जैसेतैसे बच्चों की परवरिश की.

पारुल सयानी हुई तो उस ने उस की शादी विदिशा के साथ कर दी. विदिशा दिल्ली में काम करता था. बहन की शादी के बाद विनीत भी कामधंधे की तलाश में अपने जीजा के पास रहने आ गया. वह ज्यादा पढ़ालिखा नहीं था, इसलिए उसे अच्छी नौकरी तो नहीं मिली. हां, गुजरबसर करने लायक एक फैक्ट्री में काम जरूर मिल गया. वह बहन और जीजा के पास ही रहने लगा. वह बहन को अपने खाने का खर्चा देने लगा.

विनीत को अच्छा पहनने और फिल्में देखने का शौक था. धीरेधीरे उस ने कुछ रुपए जोड़ कर किस्तों पर मोबाइल फोन भी ले लिया था. वह दिन में फैक्ट्री में काम करता. शाम को नहाधो कर अच्छे कपड़े पहनता और मोबाइल हाथ में ले कर घूमने निकल जाता.

उसी मोबाइल पर फेसबुक द्वारा विनीत की रोहिना उर्फ माही नाम की एक लडक़ी से जानपहचान हो गई. यह जानपहचान धीरेधीरे दोस्ती और फिर प्यार में बदल गई. विनीत खाली समय में रोहिना उर्फ माही से प्रेम की बातें करता रहता.

दोनों के बीच यह प्यार इस कदर बढ़ा कि माही अपना घरद्वार छोड़ कर विनीत के साथ रहने को राजी हो गई. विनीत उसे लेने के लिए उत्तराखंड पहुंच गया. हरिद्वार के एक गांव मिर्जापुर में रहती थी रोहिना उर्फ माही. वह विनीत से मिलने हरिद्वार आ गई. दोनों पहली बार यूं आपस में गले मिले जैसे उन में बरसों की गहरी मित्रता हो.

माही अपना सामान बैग में भर कर लाई थी. विनीत उसे अपने साथ बागपत के गांव कागदीपुर ले गया. माही बगैर शादी किए उस के साथ लिवइन रिश्ता जोड़ कर रहने लगी. विनीत की इस हरकत पर उस के पिता विनय पंवार ने कोई विरोध नहीं किया.

उसे बेटे की शादी करनी ही थी. बेटा अपनी पसंद की कोई लडक़ी घर ले आया तो विनय पंवार को क्या एतराज होता. बस उसे यही अखरता था, माही के साथ विनीत बगैर शादी किए रह रहा था. लेकिन विनय पंवार खामोश रहा. माही उन के घर में रहती रही.

विनीत के जीवन में आया नया मोड़

लेकिन अभी विनीत की जिंदगी में और भी उतारचढ़ाव आने शेष थे. वह माही के साथ आराम से रह रहा था कि एक दिन उसे और उस के पिता विनय पंवार को पुलिस ने एक हत्या का दोषी मान कर गिरफ्तार कर लिया और जेल भेज दिया. यह सन 2017 की बात है. जुर्म साबित होने पर उसे सजा हो गई.

पिता विनय पंवार और भाई विनीत जेल चला गया तो माही को पारुल अपने पास दिल्ली ले गई. माही के कदम अच्छे नहीं थे. एक दिन पारुल के पति विदिशा की अचानक मौत हो गई. पारुल खूब रोईधोई, फिर उस ने मन को धीरज दे कर अपनी जिंदगी की गाड़ी को पटरी पर लाने का रास्ता तलाशना शुरू कर दिया.

कहा जाता है औरत का एक सहारा टूटता है तो अनेक हाथ उसे सहारा देने के लिए आगे बढ़ जाते हैं, लेकिन तब जब औरत जवान और सुंदर हो. पारुल जवान भी थी और खूबसूरत भी. उस की तरफ इरफान ने हाथ बढ़ाया तो पारुल ने तुरंत उस का हाथ थाम लिया. पारुल की जिंदगी मजे में कटने लगी. साथ ही वह माही का भी खर्च उठाने में सक्षम हो गई.

पारुल को माही भाभी मानती थी. माही यहां विनीत के भरोसे अपने मांबाप, बहनभाई छोड़ कर आई थी. विनीत जेल चला गया तो माही उदास हो गई. विनीत के बगैर उसे कुछ अच्छा नहीं लगता था. लेकिन वह कर ही क्या सकती थी. वह यह सोच कर संतोष कर रही थी कि विनीत जल्दी ही जेल से छूट कर घर आएगा, तब वह उस से शादी कर के उस की दुलहन बन जा जाएगी.

नवंबर, 2022 में हाईकोर्ट के आदेश पर विनीत पैरोल पर जेल से बाहर आया तो माही उसे सामने देख कर खुशी से नाच उठी. उस ने विनीत के आगे शादी की बात रखी, लेकिन विनीत उसे गले की हड्डी नहीं बनाना चाहता था.

उस ने बहन पारुल से बात की तो पारुल ने संजीदगी से कहा, “विनीत, माही वह लडक़ी नहीं है जिसे मैं भाभी बनाऊं, इसे दफा करो और किसी धनी बाप की बेटी को फांसो, ताकि लडक़ी के साथ मोटी रकम भी हाथ आए.”

“मेरी जिंदगी पर अपराधी का ठप्पा लग गया है बहन, मुझे कोई पैसे वाला अपनी लडक़ी क्यों देगा?”

“तो फिर माही को बेच डालो, मोटी रकम हाथ आएगी तो हमारे दिन संवर जाएंगे.”

“हां, यह ठीक रहेगा.” विनीत ने खुश हो कर कहा.

उसी दिन से वह और पारुल रोहिना उर्फ माही को बेचने की जुगत में लग गए. काफी भागदौड़ करने पर भी माही के लिए मोटी कीमत देने वाला नहीं मिला. इधर माही रोज विनीत पर शादी करने का दबाव बना रही थी. आखिर इस से तंग आ कर विनीत ने माही से पीछा छुड़ाने के लिए उस का गला दबा कर उस की जान ले ली.

माही मर गई तो विनीत डर गया. उस ने माही की लाश दीवान में छिपा कर रखी. फिर पारुल को माही की हत्या कर देने की बात बता दी. पारुल ने माही की लाश ठिकाने लगाने के लिए अपने प्रेमी इरफान की मदद मांगी तो वह तुरंत रात को बाइक ले कर आ गया. उस वक्त पारुल का छोटा भाई मोहित भी घर पर था.

पारुल ने इरफान की बाइक पर रोहिना उर्फ माही की लाश लादने में विनीत और इरफान की मदद की. इरफान और विनीत माही की लाश रात के अंधेरे में करावल नगर के महालक्ष्मी विहार में डाल आए.

क्राइम ब्रांच और करावल नगर थाने की पुलिस टीम के संयुक्त प्रयास से इरफान, विनीत, पारुल और मोहित की गिरफ्तारी संभव हो सकी. विनीत ने भी अपना अपराध कबूल कर लिया था. पुलिस ने उन चारों अभियुक्तों को सक्षम न्यायालय में पेश कर के कोर्ट के आदेश पर जेल भेज दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित सत्य कथा का नाट्य रूपांतरण है.

न्यूज एंकर सलमा सुलताना मर्डर मिस्ट्री – भाग 3

जांच के दरमियान रौबिंसन गुडिय़ा को यह जानकारी मिली कि यूनियन बैंक औफ इंडिया की कोरबा शाखा से सलमा ने लोन लिया हुआ था, बैंक से पता करने पर जानकारी मिली कि उस के लोन की ईएमआई तो लगातार मधुर साहू द्वारा जमा करवाई जा रही है.

उन्हें कुछ बातें अपने आप में शंक पैदा करने वाली महसूस हुईं. उन्होंने सलमा सुलताना की गुमशुदगी को एक चुनौती के रूप में लिया. इस मामले को ले कर जांच को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया. उन्होंने कुछ लोगों के बयान लिए तो उन्हें यह महसूस हुआ कि मामला किसी रहस्यमयी हत्या का है और घटना का परदाफाश किया जा सकता है.

क्योंकि 21 अक्तूबर, 2018 के बाद सलमा का फेसबुक, इंस्टाग्राम अकाउंट बंद हो गया था. उस में कोई पोस्ट नहीं थी और मनोवैज्ञानिक तथ्य यह है कि कोई भी बौद्धिक या सामाजिक व्यक्ति, जो पत्रकारिता और सार्वजनिक जीवन में है, इस तरह सोशल मीडिया से अचानक गायब नहीं हो सकता.

इधर सलमा का इतने लंबे समय तक गायब रहना अपने आप में कई सवाल खड़े कर रहा था कि आखिर सलमा गई कहां या फिर किसी ने उस की हत्या कर दी है.

आईपीएस रौबिंसन गुडिय़ा ने कोरबा में तैनाती होने के बाद न्यूज चैनल में काम कर रही एंकर सलमा सुलताना से जुड़े गवाहों के बयान एक बार फिर से लेने शुरू किए. बयान लेने के दौरान 2 महिला सविता और कोमल और 3 पुरुषों के कथन में विरोधाभास महसूस किया गया.

इन सब से सख्ती से पूछताछ करने पर 21 अक्तूबर, 2018 एलआईजी 17 शारदा विहार में मधुर साहू एवं कौशल श्रीवास के द्वारा सलमा सुलताना का गला घोट कर हत्या करने और उस की लाश को अतुल शर्मा की मदद से भवानी मंदिर के पास सडक़ किनारे दफनाए जाने की बात सामने आई.

सविता ने भी पुलिस को अपने बयान में बताया कि उस ने खुद मधुर साहू और कौशल श्रीवास को सलमा की हत्या करते देखा था, यही कारण है कि मधुर ने उसे अपने यहां नौकरी पर रखा हुआ था. उस ने यह सब घटना कोमल को बता दी थी, जिस के कारण मधुर साहू दोनों को अपने यहां काम पर रखने को मजबूर था.

इस के बाद जैसे ही पुलिस मधुर साहू के गंगा श्री जिम, अमरैया पारा पहुंची तो पता चला कि वह फरार हो चुका है. उस का सहयोगी कौशल श्रीवास भी गायब मिला. पुलिस ने अतुल शर्मा से पूछताछ कर अपने तौर तरीके से जांच को आगे बढ़ाना शुरू किया. उस ने बताया कि मधुर साहू ने उस के नाम पर भी बैंक से लोन दिलवा कर पैसा अपने पास रख लिया था. इसी तरह कुछ लोगों के साथ और भी जालसाजी की है, जिस की शिकायत आईटीआई थाने में की गई है.

5 साल बाद ऐसे खुली मर्डर मिस्ट्री

आईपीएस जांच अधिकारी रौबिंसन गुडिय़ा ने अतुल शर्मा को अपने विश्वास में लिया और थोड़े से ही पुलिसिया दबाव में उस ने सारी हकीकत बयान कर दी. वह पुलिस से मधुर साहू के संदर्भ में इधरउधर की बातें तो खुल कर करने लगा था, मगर जैसे ही रौबिंसन गुडिय़ा ने सलमा सुलताना के बारे में सवाल किया तो वह घबराया और बोला कि वह सलमा को नहीं जानता है.

मगर जब कड़ी से कड़ी मिलने लगी तो उसे स्वीकार करना पड़ा कि वह सलमा सुलताना की हत्या के बाद उस के शव को दफनाने में मददगार बना था. अब मुख्य आरोपियों की तलाश जारी थी. पुलिस को यह जानकारी मिली थी कि दोनों आरोपी मधुर साहू और उस का कर्मचारी कौशल श्रीवास दिल्ली में छिपे हुए हैं. बीचबीच में वह अपने परिचितों से बात कर रहे हैं और रुपए मंगा रहे हैं.

इसी बीच जून 2023 महीने में जहां सलमा की लाश दफनाई गई थी, पुलिस को शुरुआती पूछताछ में मिली जानकारी के बाद सस्पेक्टेड जगह के आसपास में सेटेलाइट डेटा, थर्मल इमेजिंग एवं ग्राउंड पेनेट्रेशन राडार मशीन और भूवैज्ञानिक की मदद से मृत देह अस्थियों के बारे में पता करने का प्रयास शुरू किया गया.

अभी वहां कोरबा से बिलासपुर को जोडऩे वाला नैशनल हाईवे बन चुका है. इसलिए पुलिस को सफलता नहीं मिल पाई. यह कथा लिखे जाने तक सलमा सुलताना के शव की अस्थियां पुलिस को बरामद नहीं हुई थीं. अब पुलिस ने तीनों आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद स्पष्ट किया कि चिह्नित जगह पर आगे की काररवाई न्यायालय के आदेश के बाद शुरू की जाएगी. क्योंकि जहां इन्होंने लाश दफनाई थी, वहां अब हाईवे बन चुका है.

पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर 14 अगस्त, 2023 को आरोपी मधुर साहू और कौशल श्रीवास को उस समय कोरबा जिले के कटघोरा बाईपास से गिरफ्तार कर लिया, जब वह कोरबा की तरफ आ रहे थे.

26 वर्षीय सलमा सुलताना की हत्या के आरोपी 37 वर्षीय मधुर साहू निवासी साबिन अमरैया पारा, 17 शिवाजी नगर, कोरबा, कौशल श्रीवास (29 वर्ष) निवासी साकिन दर्री सिंचाई विभाग, थाना दर्री, जिला कोरबा एवं अतुल शर्मा (26 वर्ष) निवासी साकिन दर्री जिला कोरबा को भादंवि की धारा 302, 201, 34 के तहत गिरफ्तार कर तीनों से पूछताछ की गई.

पुलिस ने मधुर साहू की कार सीजी12ए वी1615 और लैपटौप जिस में कई संदिग्ध वीडियो और फोटोग्राफ्स मिले हैं, जांच के लिए जब्त कर लिया गया. पुलिस को दिए गए बयान में तीनों ने हत्या की बात स्वीकार कर ली. आईपीएस अधिकारी रौबिंसन गुडिय़ा द्वारा 5 साल पहले हुए हत्याकांड का खुलासा करने की पुलिस अधिकारी ही नहीं पब्लिक भी सराहना कर रही है.

रोचक तथ्य यह भी है कि सलमा सुलताना की बौडी को बातचीत में ‘जिमी की बौडी’कहने वाले ये तीनों आरोपी आखिरकार पुलिस के सामने सच बताने को विवश हो गए और अंतत: पुलिस ने मधुर साहू के पालतू डौगी जिमी को भी बरामद कर लिया.

इस से स्पष्ट हो गया कि जिम्मी जिंदा था और वे बातचीत में जिस जिम्मी का उल्लेख करते थे. दरअसल, वह सलमा सुलताना का जिक्र हुआ करता था. तीनों को पूछताछ के बाद 15 दिनों के पुलिस पुलिस रिमांड पर ले लिया. कथा लिखने तक पुलिस आरोपियों से पूछताछ कर रही थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

17 साल बाद खुला मर्डर मिस्ट्री का राज

फेसबुकिया प्यार बना जी का जंजाल – भाग 2

आखिरी कैमरे में पुलिस को जो दृश्य नजर आया, वह उन के लिए बड़ी सफलता ले कर आया था. दोनों युवकों में से एक युवक उन्हें बाइक लिए सडक़ पर खड़ा दिखाई दिया, दूसरा युवक गली में से आता नजर आया, आने वाले युवक के कंधे पर लडक़ी थी. वह निर्जीव यानी लाश लग रही थी.

“सर, यहीं कहीं से यह युवक युवती की लाश ले कर महालक्ष्मी विहार के लिए चले थे.” एसआई मनदीप जोश में भर कर बोले, “हमें यहां पर युवती की फोटो दिखा कर मालूमात कर लेनी चाहिए.”

“ठीक कहते हो.” एसएचओ नफे सिंह मुसकरा कर बोले.

आखिर पुलिस पहुंच ही गई ठिकाने

सभी के मोबाइल में उस मृत युवती का फोटो अपलोड था. उसे वहां के दुकानदारों, पटरी वालों और मजदूरी करने वाले लोगों को दिखाया गया तो एक पटरी वाले ने युवती को पहचान लिया. उस ने बताया, “साहब, यह युवती तो रोहिना है, यह छोटा बाजार में स्थित जाट धर्मशाला के पास पारुल के साथ रहती है.”

“क्या तुम हमें पारुल के घर तक पहुंचा सकते हो?” इंसपेक्टर राजेंद्र कुमार ने पटरी वाले से कहा.

“क्यों नहीं साहब,” वह व्यक्ति अपनी जगह पर खड़ा हो कर बोला, “आप किसी को मेरे सामान के पास खड़ा कर दीजिए.”

एसएचओ ने कांस्टेबल शुभम और निखिल को वहां खड़ा कर दिया. बाकी पुलिस टीम उस व्यक्ति के साथ पारुल के घर की ओर चल पड़ी. वह व्यक्ति उन्हें जाट धर्मशाला के पास एक मकान पर ले कर आया. मकान के दरवाजे पर ताला लटक रहा था.

“यहीं पारुल रहती है साहब, आप मकान मालिक से पूछ लीजिए.” उस व्यक्ति ने कहा.

पुलिस टीम को अपने मकान के दरवाजे पर देख कर ऊपर मौजूद मकान मालिक नीचे आ गया. वह काफी डरा हुआ दिखाई दे रहा था.

“क्या बात है साहब, आप मेरे मकान पर किसे तलाशने आए हैं?” मकान मालिक ने कांपती आवाज में पूछा.

“तुम्हारे कमरे में पारुल रहती है, हमें उस से मिलना है.” इंसपेक्टर राजेंद्र कुमार ने पूछा.

“वो तो कल शाम को मेरा कमरा खाली कर के कहीं दूसरी जगह चली गई है साहब.”

“ओह!” इंसपेक्टर ने गहरी सांस ली, फिर कुछ सोच कर उन्होंने मृत युवती का फोटो मकान मालिक को दिखाया, “इसे पहचानते हो?”

“जी हां, यह रोहिना उर्फ माही है. यह पारुल के साथ ही मेरे कमरे में कई सालों से रह रही थी. हां, मैं ने 2-4 दिन से इसे पारुल के साथ नहीं देखा तो पारुल से पूछा था, तब उस ने बताया था कि माही घूमने के लिए कहीं गई है.”

“पारुल तुम्हारा कमरा छोड़ कर अब कहां रहने गई है?”

“मुझे नहीं मालूम साहब, कल तांगे में अपना सामान लाद कर उस ने मुझे बाकी बचा किराया चुकाया और चली गई. कहां गई, मैं नहीं बता सकता.”

हत्यारे चढ़े पुलिस के हत्थे

पुलिस टीम वापस लौट आई. उन्हें पारुल के नए ठिकाने को तलाश करना था. पारुल ने सामान शिफ्ट करने में तांगा इस्तेमाल किया था. उस तांगे को ढूंढ कर पारुल के नए ठिकाने पर पहुंचा जा सकता था. तांगे का स्टैंड शाहदरा में फ्लाईओवर के नीचे था. वहां जा कर ही तांगा वाले का पता लगाया जा सकता था. यह काम एसआई मनदीप और हैडकांस्टेबल मनीष यादव को सौंपा गया. दोनों उसी वक्त शाहदरा में तांगा स्टैंड के लिए थाने से रवाना हो गए.

एसआई मनदीप ने हैडकांस्टेबल मनीष के साथ उस तांगे वाले को खोज निकाला. उस ने बताया कि वह एक महिला का सामान तेलीवाड़ा (शाहदरा) से अपने तांगे में लाद कर कांतिनगर ले गया था. उस ने एसआई मनदीप को कांतिनगर में पारुल के नए आशियाने पर पहुंचा दिया.

पारुल ने यहां कमरा किराए पर लिया था, इस वक्त वह और उस का भाई मोहित घर पर ही थे. एसआई मनदीप और हैडकांस्टेबल ने दोनों को हिरासत में ले लिया. उन दोनों को करावल नगर थाने में लाया गया. इन की गिरफ्तारी की सूचना डीसीपी डा. जौय टिर्की को दी गई तो वह करावल नगर थाने में आ गए. उन की मौजूदगी में पारुल से पूछताछ शुरू की गई.

एसएचओ नफे सिंह ने रोहिना उर्फ माही की तसवीर मोबाइल में पारुल को दिखाते हुए पूछा, “इसे तो पहचानती हो न पारुल?”

पारुल काफी डरी और सहमी हुई लग रही थी. वह थूक गटकती हुई बोली, “जी.. मैं इसे पहचानती हूं, यह माही है.”

“इस की हत्या किस ने की, क्यों की, इस बात का ठीकठीक जवाब दो. अगर चालाकी दिखाने की कोशिश करोगी तो तुम्हारे हक में अच्छा नहीं होगा.”

“साहब, मैं ने माही की हत्या नहीं की है. माही का गला मेरे भाई विनीत ने दबाया था, वह उसे मारना नहीं चाहता था, लेकिन माही की जिद के कारण विनीत को गुस्सा आ गया और उस ने माही का गला दबा दिया. उस ने डर के कारण माही का शव दीवान में छिपा कर रखा. जब अंधेरा फैलने लगा तो विनीत ने मेरे प्रेमी इरफान को घर बुला लिया.

“वह बाइक ले कर आया. मैं ने और विनीत ने माही की लाश को बाइक तक पहुंचाया. विनीत माही की लाश ले कर बैठा और इरफान ने बाइक संभाली. दोनों रात को माही की लाश करावल नगर क्षेत्र में डाल कर आ गए.”

“विनीत कहां छिपा हुआ है? अपने प्रेमी इरफान की भी जानकारी दो हमें.” डीसीपी जौय टिर्की ने सख्त लहजे में पूछा.

“साहब, मैं नहीं जानती विनीत कहां चला गया है. हां, इरफान के घर का पता मैं आप को बता देती हूं.” पारुल ने कहा और इरफान का पता बता दिया.

पुलिस टीम ने इरफान को उस के घर से दबोच लिया. उसे करावल नगर लाया गया तो वहां अपनी प्रेमिका पारुल उर्फ चिंकी को देख कर वह समझ गया कि माही की हत्या का राज पुलिस के सामने खुल गया है. फिर इरफान ने भी अपना गुनाह चुपचाप कुबूल कर लिया. अब असली कातिल विनीत की गिरफ्तारी शेष थी.

पुलिस ने विनीत पंवार की गिरफ्तारी के लिए जगहजगह दबिश दी, लेकिन वह बड़ी चालाकी से इधरउधर भाग रहा था. जब वह पुलिस टीम के हाथ नहीं आया तो डीसीपी जौय टिर्की ने क्राइम ब्रांच की ईस्टर्न रेंज (2) के हाथ में विनीत की गिरफ्तारी की कमान सौंप दी. अपराध शाखा के एसीपी राजकुमार साहा की देखरेख में क्राइम ब्रांच की टीम ने विनीत की खोज शुरू कर दी. मुखबिर भी विनीत की टोह में लगा दिए गए.

न्यूज एंकर सलमा सुलताना मर्डर मिस्ट्री – भाग 2

सलमा सुलताना कुछ दिन अपने पिता एम.डी. मानिक के कुसमुंडा स्थित आवास में रहने के बाद जब वापस 21 अक्तूबर, 2018 को अपनी स्कूटी से जब मधुर साहू के आवास एलआईजी 17 शिवाजी नगर पहुंची तो देखा नजारा पहले जैसा नहीं है.

भीतर के कमरे में मधुर और किसी लडक़ी की आवाज सुनाई दी. दोनों बातें कर रहे थे. यह सुनना था कि सलमा सुलताना मानो आसमान से जमीन पर गिर पड़ी. उस की आंखों के आगे मधुर और उस के प्रेम संबंधों के दृश्य घूमने लगे. वह कितना प्यार करती है मधुर से, मगर यह तो छिपा रुस्तम निकला.

मधुर साहू ने बड़ी चतुराई के साथ सलमा के नाम यूनियन बैंक औफ इंडिया से 7.50 लाख रुपए लोन ले कर वहां वह पैसा अपने पास रख लिया था. उस ने वादा किया था कि सलमा के भाई को जिम में पार्टनर रखेगा. अब वह उस से भी मुंह चुरा रहा था.

अब धीरेधीरे मधुर की असलियत उस के सामने खुलती चली जा रही थी. पहले शादीशुदा होना फिर कई लड़कियों के साथ उस के संबंध और फोन पर बातचीत ने सलमा के सामने प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया था. लेकिन उस दिन तो वह प्रत्यक्ष रूप से देख रही थी कि उस के साथ कमरे के भीतर कोई लडक़ी है.

यह सब देख कर उस का मिजाज बिगड़ गया और उस ने अधिकारपूर्वक मधुर को बाहर बुलाया. जब मधुर साहू कमरे से बाहर आया तो सलमा ने नाराज होते हुए कहा, “यह सब क्या हो रहा है, तुम मुझे धोखा दे रहे हो.”

इतना सुन कर मधुर साहू मुसकराया और बोला, “तुम मेरे साथ शादी करने का सपना देखना भूल जाओ और हां, संबंध रखना हो तो बात दूसरी है.”

“तुम ने मेरे साथ क्या वादा किया था, वह भूल गए क्या?” सलमा ने पूछा.

“वादे तो होते ही हैं तोडऩे के लिए, मैं तो कह रहा हूं न, अब शादी ब्याह की बात भूल जाओ और सुन लो मैं किसी एक बंधन में नहीं रह सकता.”

“तुम मेरे साथ धोखा नहीं कर सकते, तुम जानते नहीं, मैं कौन हूं.” सलमा ने उसे धमकाया.

इस बीच कमरे से लडक़ी बाहर आ गई और दोनों को देखते हुए वह वहां से बाहर चली गई.

“देखो सलमा, मैं शादी करने की स्थिति में नहीं हूं. मैं शादीशुदा हूं, यह तुम जान चुकी हो. हां, साथ रहो, मेरे लायक जो भी बात हो बता देना, मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा.”

सलमा का उसी की चुनरी से घोंटा गला

दोनों आपस में बात कर रहे थे और दोनों के बीच गरमागरमी बढ़ती चली गई. इसी दरमियान गुस्से में आ कर के मधुर साहू ने सलमा को थप्पड़ जड़ दिया. इस से सलमा बिफर पड़ी.

मधुर साहू एक हृष्टपुष्ट शख्स था. वह सलमा पर भारी पड़ रहा था. इसी समय दूसरे कमरे से उस का सहयोगी कौशल श्रीवास आ गया. मधुर के धोखे को देख कर सलमा ने आंसू बहाते हुए कहा, “तुम ने तो मेरी जिंदगी बरबाद कर दी. मैं ने तुम पर विश्वास किया था, अब मैं किसी को मुंह दिखाने के काबिल भी नहीं रही.”

यह कह कर के वह जाने लगी तो मधुर साहू ने उस का रास्ता रोक लिया और बोला, “देखो, मेरे सामने नौटंकी मत करो. तुम्हारे कदम मुझे ठीक नहीं लग रहे हैं.”

मधुर की मंशा को समझ कर सलमा बोली, “तुम्हें मेरे एप्रोच के बारे में मालूम नहीं है, मैं तुम्हें बरबाद कर दूंगी, जेल भिजवा दूंगी. मेरी एक शिकायत पर पुलिस तुम्हें उठा कर ले जाएगी.”

“अच्छा तो फिर तुम पुलिस के पास कभी जा ही नहीं पाओगी.” यह कहते हुए मधुर की आंखों में एक अलग ही चमक आ गई थी. उस ने सलमा का गला दबोच लिया और मारपीट करने के बाद उस की चुनरी से उस का गला दबाता चला गया. पास खड़े कौशल श्रीवास ने चीखतीछटपटाती सलमा के पांव पकड़ लिए थे.

थोड़ी ही देर में सलमा सुलताना वहां मृत पड़ी थी. यह दृश्य मधुर साहू के यहां नौकरानी का काम करने वाली सविता ने देख लिया था. उसे रुपए का लालच और पुलिस का डर दिखा कर के दोनों ने चुप रहने के लिए मना लिया. फिर देर रात मधुर और कौशल अपने एक सहयोगी अतुल शर्मा के साथ कार सीजी12ए वी1615 में सलमा के शव को रूमगढ़ा ले गए और उन्होंने शव को ‘जिमी की बौडी’ कह कर संबोधित करने का कोडवर्ड बना लिया. जिमी मधुर का पालतू डौगी था.

यह सब मधुर साहू ने इसलिए किया ताकि आगे कभी बातचीत मोबाइल पर हो तो कोई इस कोडवर्ड को समझ न सके. वहां खेत में सलमा के शव को ठिकाने लगाने की नाकामी के बाद कोरबा दर्री मुख्य सडक़ पर कोहडिय़ा, भवानी मंदिर के पास सडक़ किनारे गड्ढे में डाल कर ऊपर से मिट्टी डाल कर दफन कर दिया.

इस बीच सलमा के घर वालों ने उस की कोई खोजखबर नहीं ली. सलमा की बिंदास जीवनशैली को देख कर वे मानते रहे कि वह अपने पत्रकारिता के कार्य में व्यस्त है. मगर 20 जनवरी, 2019 को सलमा सुलताना के पिता एम.डी. मानिक का इंतकाल हो गया. पिता के अंतिम संस्कार में सलमा का मौजूद नहीं होना रिश्तेदारों को हैरानपरेशान कर रहा था. और यह चर्चा का सबब बन गया कि आखिर सलमा कहां चली गई है.

इस के बाद घर वालों ने सलाहमशविरा कर के कुसमुंडा थाने में सलमा सुलताना की गुमशुदगी दर्ज कराई. पुलिस ने कुछ लोगों के बयान दर्ज किए और कोई जानकारी नहीं मिलने पर फाइल बंद कर दी.

आईपीएस रौबिंसन गुडिय़ा ने खोली फाइल

घटना को 4 साल से ज्यादा बीत गए. इस दौरान कोरबा में आईपीएस व एसपी (सिटी) राबिन्सन गुडिय़ा आए. उन की नजर सलमा की गुमशुदगी की फाइल पर पड़ी. जब उन्होंने सलमा के फोटोग्राफ पढ़े और लोगों के बयान देखे तो महसूस हुआ कि सलमा के साथ कुछ अनहोनी हो गई है. इस के बाद उन्होंने इस की खोजखबर लेनी शुरू कर दी.

एक दिन खुद आईपीएस रौबिंसन गुडिय़ा कुसमुंडा स्थित सलमा सुलताना के घर जा पंहुचे और घर वालों से बातचीत की. यहां उस के भाई और अन्य लोगों ने जो जानकारी दी, उस के आधार पर उन्होंने जांच को गति दी. रौबिंसन गुडिय़ा को पता चला कि 21 अक्तूबर को सुबह सलमा घर से निकली थी. वह स्कूटी ले कर गई थी, मगर घर में बताया नहीं था.

इसलिए 22 तारीख को जब स्कूटी के चोरी की शंका से रिपोर्ट लिखाने की बात की जाने लगी तो यह खबर जिम संचालक मधुर साहू को हो गई, उस दिन रिपोर्ट लिखवा दी गई कि स्कूटी चोरी चली गई है. मगर दूसरे दिन सविता और कोमल ने आ कर के स्कूटी को वापस रख दिया था. उन्होंने बताया कि सलमा पुणे महाराष्ट्र चली गई है और अब वह वहीं काम करेगी.

 

शराफत का इनाम

फेसबुकिया प्यार बना जी का जंजाल – भाग 1

बात 12 अप्रैल, 2023 की है. उत्तरपूर्वी दिल्ली के करावल नगर क्षेत्र के महालक्ष्मी विहार में 12 अप्रैल की सुबह उस वक्त होहल्ला मच गया, जब मकान नंबर बी-85 के बाहर दरवाजे पर एक युवती की लाश किसी ने पड़ी देख कर शोर मचाया. देखते ही देखते अड़ोसपड़ोस ही नहीं, दूसरी गलियों के लोग भी उस मकान के आगे आ कर लाश देखने के लिए जमा होने लगे. युवती के शरीर पर सलवारसूट था. उस की उम्र 30 साल के करीब लग रही थी. चेहरे मोहरे से वह मध्यम परिवार की दिखाई देती थी.

किसी ने इस लाश की सूचना फोन द्वारा पुलिस कंट्रोल रूम को दे दी. करीब 20-25 मिनट में ही करावल नगर थाने के एसएचओ नफे सिंह 2-3 पुलिसकर्मियों को ले कर वहां आ गए. पुलिस ने पहले वहां एकत्र भीड़ को दूर हटाया, फिर युवती की लाश का निरीक्षण किया गया. युवती के शरीर पर किसी भी प्रकार की चोट अथवा जख्म के निशान नहीं थे, एसएचओ नफे सिंह की पैनी निगाहों ने युवती के गले पर लाल निशान देखे तो तुरंत अनुमान लगा लिया कि युवती को गला घोंट कर मारा गया है.

सब से पहले युवती की शिनाख्त का प्रश्न था. अभी तक वहां जमा लोगों में से किसी ने भी मृतका की पहचान नहीं की थी. इस से यही लगा कि यह युवती इस क्षेत्र की नहीं है. उन्होंने इस लाश की सूचना मोबाइल फोन द्वारा नार्थ ईस्ट डिस्ट्रिक्ट के डीसीपी जौय टिर्की को दे दी. उन से सलाहमशविरा करने के बाद उन्होंने फोटोग्राफर और फोरैंसिक टीम को मौके पर बुला लिया. उन के आ जाने पर दूसरी आवश्यक कागजी काररवाई पूरी कर के लाश को जीटीबी अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया गया.

15 अप्रैल, 2023 को इंसपेक्टर (इनवैस्टीगेशन) राजेंद्र कुमार ने वादी बन कर अज्ञात हत्यारे के खिलाफ भादंवि की धारा 302/201 के तहत रिपोर्ट दर्ज करवा दी. उसी दिन उस युवती की लाश का पोस्टमार्टम करवाया गया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह स्पष्ट हो गया कि युवती की हत्या गला दबा कर की गई है. युवती शादीशुदा होगी, इस बात के कोई सुहाग चिह्न युवती के जिस्म पर नहीं थे, इस से यह अनुमान लगाया गया कि युवती कुंवारी थी और किसी साथ प्रेम संबंध में फंस कर उस ने अपनी अस्मत ही नहीं खोई थी, खुद भी दुनिया से विदा कर दी गई.

‘युवती कौन थी,’ सब से पहले यह पता लगाना जरूरी था.

मृतका की शिनाख्त कराने की हुई कोशिश

डीसीपी डा. जौय टिर्की ने युवती की शिनाख्त और उस के हत्यारे का पता लगाने के लिए एक पुलिस टीम एसीपी संजय सिंह (खजूरी खास) के नेतृत्व में गठित कर दी. इस टीम में करावल नगर थाने के एसएचओ नफे सिंह, इंसपेक्टर (इनवैस्टीगेशन) राजेंद्र कुमार, एसआई मनदीप कुकाना, एएसआई माथी, हैडकांस्टेबल मनीष यादव, अमरीश, कांस्टेबल शुभम, निखिल को शामिल किया गया.

युवती की पहचान के लिए दिल्ली के सभी थानों में लाश की फोटो भेज कर यह मालूम करने की कोशिश की गई कि इस युवती की गुमशुदगी उन के यहां दर्ज तो नहीं है, यदि है तो वह थाना करावल नगर में इस की इत्तला दें. लेकिन 2-3 दिन बीत जाने के बाद भी किसी भी थाने में सूचना नहीं मिली तो युवती के पैंफ्लेट छपवा कर करावल नगर और आसपास के इलाकों में चिपकाए गए.

इस से भी बात नहीं बनी तो अखबारों में मृतका की फोटो छपवा दी गई और उस को पहचानने वाले को उचित ईनाम देने की घोषण कर दी गई, लेकिन इस से भी पुलिस को युवती के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली. फिर 4-5 दिन बाद पुलिस ने युवती के शव का अंतिम संस्कार करवा दिया.

एक बार पूरी टीम उच्चाधिकारियों के साथ सिर जोड़ कर मंत्रणा के लिए बैठी. सभी से इस केस में आगे बढऩे के लिए उन के सुझाव पूछे गए.

इंसपेक्टर (इनवैस्टीगेशन) राजेंद्र कुमार ने अंधेरे में भटकती पुलिस टीम के सामने अपना सुझाव रखते हुए कहा, “सर, यदि हम सीसीटीवी का सहारा लें तो हमें सफलता मिलने की संभावना है. मेरा मानना है कि जहां युवती की लाश मिली है, हमें वहां के सीसीटीवी को खोजना होगा. यदि वहां सीसीटीवी मिला तो काफी हद तक हम हत्यारों का सुराग पा सकते हैं.”

“शाबाश, मिस्टर राजेंद्र कुमार, आप ने बहुत अच्छा सुझाव दिया है, निस्संदेह वहां सीसीटीवी होंगे. उन में अपराधी द्वारा लाश उस मकान के बाहर डालने का एक भी फोटो यदि मिलता है तो हमें आगे बढऩे की राह मिल जाएगी.” डीसीपी जौय टिर्की राजेंद्र कुमार की पीठ थपथपा कर बोले, “आप सभी लोग इस बात पर अमल करिए.”

पुलिस टीम उसी वक्त थाने से निकल कर महालक्ष्मी विहार के मकान नंबर बी-85 के सामने पहुंच गई. उस युवती की लाश वहीं पाई गई थी. पुलिस वालों की खोजी नजरें वहां आसपास सीसीटीवी कैमरों को तलाशने लगीं. उस जगह पर तो नहीं, सामने सडक़ पर उन्हें सीसीटीवी कैमरा एक पोल पर लगा दिखलाई दे गया.

सीसीटीवी फुटेज से मिला सुराग

तुरंत उस की फुटेज निकलवा कर कंट्रोल रूम में चैक की गई तो पुलिस टीम की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उस सडक़ पर उन्हें एक बाइक पर 3 लोग बैठ कर गली की ओर जाते नजर आ गए. उन तीनों में एक बाइक चला रहा युवक था, दूसरा पीछे बैठा युवक दिखलाई दे रहा था. दोनों के बीच में एक युवती बैठी थी. जूम कर के देखने पर यह स्पष्ट हो गया कि युवती की आंखें बंद हैं यानी वह मुरदा हालत में है, जिसे पीछे बैठे युवक ने थाम रखा है.

यह युवती वही थी, जिस की लाश पुलिस को बी-85 घर के बाहर मिली थी. फुटेज में दोनों युवकों के चेहरे ज्यादा स्पष्ट नहीं थे. कुछ दूरी पर एक सीसीटीवी और नजर आया. उस की फुटेज देखी गई तो वे दोनों युवक बीच में मृत युवती को बाइक पर बिठा कर महालक्ष्मी विहार की तरफ आते नजर आए.

पुलिस टीम ने युवती और उन युवकों का पताठिकाना जानने के लिए सीसीटीवी को आधार बनाया. रास्ते में लगे सीसीटीवी कैमरों को खंगालती हुई पुलिस टीम आखिर में शाहदरा के तेलीवाड़ा क्षेत्र तक पहुंच गई. यहां से आगे के पोल पर भी सीसीटीवी थे लेकिन उन में इन युवकों की तसवीर नहीं थी.

न्यूज एंकर सलमा सुलताना मर्डर मिस्ट्री – भाग 1

सलमा सुलताना जब मधुर साहू के अमरैया पारा, कोरबा स्थित जिम पहुंची तो वह किसी दूसरे कमरे में कुछ कर रहा था. उस के एक कर्मचारी ने आ कर जब उसे बताया कि एक पत्रकार सिटी न्यूज चैनल से आप का इंटरव्यू लेने आई है तो मधुर साहू ने कुछ सोचते हुए कहा, “उसे मेरे चैंबर में बैठाओ, मैं अभी आता हूं.”

थोड़ी देर में जब वह केबिन में पहुंचा तो एक तीखे नाकनक्श की आकर्षक युवती को अपने चैंबर में देखा तो देखता ही रह गया. उस के मुंह से शब्द ही नहीं फूट रहे थे. मधुर उस की सुंदरता पर उसी समय मर मिटा था. मधुर को सामने खड़ा देख सलमा सुलताना ने उसे ऊपर से नीचे तक देखा और प्रोफेशनल तरीके से मुसकराते हुए कहा, “मैं सिटी न्यूज चैनल से आई हूं. आप से मिलने…”

यह सुनते ही मधुर ने मुसकराते हुए कहा, “आप का बहुत बहुत स्वागत है, बताइए आप की क्या सेवा कर सकता हूं.”

सलमा ने एक रहस्यमय मुसकराहट बिखेरते हुए कहा, “दरअसल, हमारे केबल चैनल में एक नया विशेष शो शुरू किया जा रहा है, मैं उसी सिलसिले में आप का इंटरव्यू लेने के लिए आई हूं.”

यह सुन कर मधुर बहुत खुश हुआ. इस से पहले कभी भी उस का कोई इंटरव्यू किसी चैनल पर नहीं आया था. उस ने अपनी कुरसी पर बैठ कर सलमा सुलताना की ओर देखते हुए कहा, “आप का शुभ नाम जान सकता हूं, प्लीज?”

सलमा सुलताना बोली, “जी, मैं सलमा सुलताना हूं. हमारे चैनल हैड के पास आप के जिम की खूब तारीफ पहुंच रही है, इसीलिए मैं आप के यहां इंटरव्यू के लिए आई हूं.”

“मेरा इंटरव्यू. मैं कोई विशेष तो नहीं हूं और आज से पहले कभी कोई पत्रकार मुझ से मिलने भी नहीं आया है. खैर, आप आई हैं तो आप का स्वागत है.”

सलमा सुलताना बला की खूबसूरत थी. उस की सुंदरता का जलवा कुछ ऐसा था कि मधुर साहू मुश्किल से कुछ कह पा रहा था.

“कुछ नहीं, आप को बस अपने काम के बारे में अच्छे से बताना है ताकि हमारे दर्शक आप के जिम की गतिविधियों को देख कर के अपने स्वास्थ्य के प्रति और जागरूक हो जाएं.” सलमा सुलताना ने सहज रूप से समझाया.

“अच्छी बात है. आप सवाल पूछिए मैं जवाब देने का प्रयास करूंगा.” मधुर साहू ने सलमा की आंखों में देखते हुए बमुश्किल कहा.

इस के बाद सलमा ने कैमरे पर मधुर साहू का एक अच्छा सा इंटरव्यू ले लिया. मधुर साहू ने भरसक प्रयास किया कि सलमा को अच्छे से जवाब दे दे और उसे प्रभावित कर दे, क्योंकि उसे देखने के बाद उसे कुछ ऐसा महसूस हुआ मानो सलमा सुलताना के सामने और जितनी भी उस की गर्लफ्रैंड हैं, सभी फेल हैं.

सलमा जैसी बला की खूबसूरत कमसिन लडक़ी उस ने आज तक नहीं देखी थी. उसे ऐसा लगा कि ऊपर वाले ने मानो सलमा को सिर्फ उसी के लिए ही बनाया और आज खुद उस के पास इंटरव्यू के लिए भेज दिया है.

इंटरव्यू के बाद सलमा उस से विदा लेने लगी तो मधुर साहू ने कहा, “मैडम, आप सौभाग्य से पहली दफा मेरे यहां आई हैं. आप कुछ चायनाश्ता कर के ही जाएं.”

लाख मना करने के बाद भी मधुर ने नाश्ता और उस के लिए कोल्डड्रिंक मंगवा ली. इस दौरान उन के बीच इधरउधर की बातें होती रहीं.

जब मधुर साहू का साक्षात्कार स्थानीय चैनल पर प्रसारित हुआ तो उसे देख कर उस की खुशी का ठिकाना नहीं था. सब से बड़ी बात यह हुई कि कई दिनों तक लोग उस के साक्षात्कार का जिक्र करते रहे, लोग उस की और उस के गंगा श्री जिम की बड़ी प्रशंसा करते रहे थे. चैनल पर उस के इंटरव्यू के प्रसारण के बाद शहर में उस की वैल्यू और काम अचानक बढ़ गया.

यह देख कर उस ने पत्रकार सलमा सुलताना को एक दिन काल किया और कहा, “मैडम, आप ने तो कमाल कर दिया, मुझे कहां से कहां पहुंचा दिया.”

यह सुन कर के सलमा उस की भावना को तुरंत भांप गई. मगर अनजान बनते हुए बोली, “अरे भला क्या हो गया! कुछ गलती हो गई क्या मुझ से.”

“कैसी बात कर रही हैं, आप मेरा मजाक बना रही हैं क्या. अरे भाई, मैं तो आप का शुक्रगुजार हूं, जो आप ने एक ही इंटरव्यू ले कर के मुझे कहां से कहां पहुंचा दिया, लोकप्रिय बना दिया है मुझे.”

सलमा सुलताना यही तो सुनना चाहती थी. वह खिलखिला कर हंसती हुई बोली, “मेरा चैनल ऐसा ही है जिस की रिपोर्टिंग कर दे, वह हीरो बन जाता है.”

“मगर मेरा खयाल कुछ और है. सच तो यह है कि आप जिस का भी इंटरव्यू लेंगी, वह दुनिया भर में छा जाएगा.” मधुर साहू ने सलमा की प्रशंसा करते हुए आगे कहा, “सलमा, आप का शुक्रिया. मगर मैं आप से कुछ आग्रह करना चाहता हूं, अगर आप बुरा न मानें तो…” कुछ रहस्यमय भाव से मधुर साहू ने अब अपना जाल फेंका.

“कहिए, मैं आप की और क्या खिदमत कर सकती हूं.”

“आप बुरा न मानें तो मुझे शाम को समय दे दीजिए, मैं कुछ…” सुलताना भी मधुर के बात व्यवहार से प्रभावित हो चुकी थी. वह सहसा शाम को कौफी हाउस में मिलने के लिए तैयार हो गई.

मधुर साहू के प्यार में डूब चुकी थी सलमा

छत्तीसगढ़ की औद्योगिक नगरी कोरबा अपने विशाल कल कारखानों, कोयला खदानों, भारत अल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड वेदांता और नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन देश की नवरत्न कंपनी जिस के विद्युत उत्पादन से महाराष्ट्र, गोवा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान जगमगाते हैं, के कारण एशिया भर में प्रसिद्ध है. कोरबा को लघु भारत भी कहा जाता है, जहां केरल, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, असम, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार जैसे अनेक राज्यों से लोग आ कर के अपनीअपनी भूमिका निभाते हुए विभिन्न कंपनियों में कार्यरत हैं और जीवनयापन कर रहे हैं.

यहां कुसमुंडा कोयला खदान में असम से आ कर 4 दशक से ड्राइवर के रूप में नौकरी करते हुए एम. डी. मानिक सेवानिवृत्त हो चुके थे. उन की 2 बेटियों के अलावा एक बेटा सुलेमान है. बड़ी बेटी शबनम का विवाह ओडिशा में हो गया था. उन की छोटी बेटी सलमा सुलताना बचपन से ही पढ़ाईलिखाई में आगे रहती थी. पढ़ाई के बाद मन में कुछ बनने की उमंग के साथ सलमा एक स्थानीय न्यूज चैनल में एंकर बन गई और धीरेधीरे अपनी पहचान बना रही थी.

इसी दरमियान उस की पहचान मधुर साहू जिम संचालक से हुई और दोनों देखते ही देखते दोनों एकदूसरे के आकर्षण में बंधते चले गए. सलमा एक भोलीभाली सरल स्वभाव की युवती थी. मधुर साहू के दिखावे और चिकनीचुपड़ी बातों से वह प्रभावित होती चली गई. धीरेधीरे वह घर वालों से काम की व्यस्तता बता कर के मधुर साहू के साथ लिवइन रिलेशन में कोरबा के शिवजी नगर में रहने लगी.

घर वाले जब पूछते तो वह कहती मैं सहेली की यहां रह रही हूं. सलमा सुलताना मधुर साहू को दिलोजान से चाहती थी. इतना ही नहीं, दोनों ने शादी करने का फैसला तक कर लिया था, लेकिन सलमा जब उस से जल्द शादी करने को कहती तो मधुर बहाना बना कर टाल जाता था और आगे चल कर सलमा सुलताना के जीवन में कुछ ऐसा घटनाक्रम घटित हो गया, जिस की कल्पना नहीं की जा सकती.

खुशी के माहौल में 4 हत्याएं

बात 3 अप्रैल, 2023 की है. राजस्थान के नागौर जिले के दिलढाणी गांव के रहने वाले मनाराम गुर्जर के घर में खुशी का माहौल था. उस की 20 वर्षीय छोटी बेटी रेखा का अगले दिन 4 अप्रैल को गौना या कहें दुरगमन होना था.

यह बात तय थी कि अगले रोज सुबह में ही उस का पति उसे विदा करवाने कुछ लोगों के साथ आएगा. दुरागमन की रस्म दिन में ही पूरी कर ली जाएगी. फिर दोपहर के भोजन के बाद रेखा अपने पति के साथ विदा हो जाएगी. रेखा की मां केसर बहुत खुश थी कि उस की छोटी बेटी भी बड़ी बेटी मीरा की तरह अपनी ससुराल में जा कर बस जाएगी.

इस मौके पर बड़ी बहन मीरा भी अपने परिवार के साथ आई हुई थी. उस का पति और 7 साल का बेटा प्रिंस भी आया हुआ था. रात का खाना खाने के बाद मीरा छोटी बहन रेखा के हाथों पर मेहंदी लगा रही थी. पास में बैठा प्रिंस उबासी लेने लगा था.

“नींद आ रही है तो जा कर सो जाओ,” मीरा बेटे से बोली.

“कहां सोऊं?” प्रिंस ने पूछा.

“नानी के कमरे में चले जाओ, हम लोग भी वहीं आ रहे हैं.” मीरा अपनी मां के कमरे की ओर इशारा कर बोली.

“वहां नाना भी होंगे?” प्रिंस पूछा.

“नहीं, अगर होंगे भी तो तुम्हें क्या? तुम को नानी के साथ बिछावन पर सोना है.” मीरा बोली.

“नाना से डर लगता है,” प्रिंस बोला.

“चलो, अब जाओ यहां से, बड़ा डर लगता है, वह भी नाना से.” मीरा डांटने के अंदाज में बोली.

तभी उस के पिता की आवाज आई, “मैं मार दूंगा…सब को मार दूंगा…कोई मत अइयो मेरे पास…अरे! मैं कब से पानी मांग रहा हूं. कहां मर गए सब के सब.” यह आवाज घर के मुखिया 57 वर्षीय मनाराम गुर्जर की थी.

“आ रही हूं…आ रही हूं, जरा भी सब्र नहीं है. घर में कामकाज बढ़ा हुआ है. जानते हुए भी बातबात पर चिल्लाते रहते हो,”

केसर अपने कमरे से बोलती हुई निकली और सीधी रसोई में घुस गई. मीरा उसे हैरानी से देखने लगी.

“दीदी, तू मेहंदी लगा न. यह तो पापा का रोज का ड्रामा है.” रेखा बहन का हाथ पकड़ती हुई बोली.

“रेखा, मुझे लगता है पापा की तबीयत पहले से ज्यादा खराब हो गई है, दवाइयां तो चल रही हैं न. डाक्टर क्या बोलते हैं?” मीरा चिंता से बोली.

“डाक्टर क्या बोलेंगे दीदी, उन की बीमारी तो ठीक होने से रही. लेकिन हां, गुस्सा पहले से अधिक करने लगे हैं. वह तो मैं बचपन से देख रही हूं. तुम्हें भी तो पता है, उन का गुस्सा मुझ पर ही ज्यादा उतरता है. मैं जानती हूं, वह मुझे ले कर ही गुस्सा हो रहे होंगे. हमेशा अपनी आंखों के सामने देखना चाहते हैं.” रेखा रुकरुक कर बोलने लगी.

“हम लोग कर भी क्या सकते हैं, बीमारी ही ऐसी है. लाओ, दूसरा हाथ दो, उस में भी मेहंदी लगा दूं.” इधर मीरा सांसें खींचती हुई बोली, उधर मनाराम के कमरे से जमीन पर गिलास फेंके जाने की आवाज आई, “चल भाग हरामजादी, तै काहे पानी लाइयो. रेखा मर गई सै…जा भेज ओहके…म्हारे को तैरे हाथ का पाणी न पीनो सै.”

मनोरोगी हो गया मनाराम

रेखा और मीरा ने भी पिता की गुस्से से भरी आवाज सुनी. मनाराम गुर्जर के परिवार में पत्नी केसर के अलावा 3 बेटे गोपाल, हजारी, भगवान राम और 3 बेटियां देवी, मीरा और रेखा थी. परिवार का पालनपोषण खेतीबाड़ी, पशुपालन और मजदूरी करता था.

जैसेतैसे उस के परिवार का गुजारा चल रहा था. एक दशक पहले तक जैसेतैसे गुजारा हो रहा था. मनाराम हाड़तोड़ मेहनत करने से कभी पीछे नहीं हटता था. मजदूरी करने के लिए वह पत्थरों के खदानों में भी चला जाता था. मजदूरी के काम के दौरान पत्थरों की ढुलाई करते हुए उस के साथ हुई एक दुर्घटना से उस की जिंदगी ही बदल गई.

दरअसल, वह एक बड़े पत्थर पर ही सिर के बल गिर पड़ा था. सिर में गहरी चोट लगने से वह बेहोश हो गया था. जब उसे अस्पताल में होश आया तो डाक्टर ने पाया कि वह काफी बेचैन हो चुका है. वह अजीबोगरीब हरकतें करने लगा था. डाक्टर ने उस के घर वालों को बताया कि मनाराम की मानसिक स्थिति बिगड़ चुकी है. उस की अच्छी तरह से देखभाल करनी होगी, फिर उस का इलाज मनोचिकित्सक के यहां शुरू हो गया.

उसे रेग्युलर खाने को कुछ दवाइयां दे दी गईं और वह परिवार के लिए एक रोगी बन गया. परिवार के सदस्यों का मनाराम के प्रति व्यवहार प्रेम के साथ देखभाल का बना रहा, लेकिन उस की स्थिति पागलों जैसी बन गई. बातबात पर नाराज हो जाना, गुस्से में आ जाना, अकेले में बैठेबैठे बुदबुदाने लगना, संदेह करना, बातबात पर पास रखा सामान फेंक देना आदि.

उस की इन हरकतों के बावजूद घर वालों का उस के प्रति हमदर्दी और प्रेमभाव बना रहता था. वह बेटियों के प्रति थोड़ा नर्म रहता था, लेकिन जब उन से नाराज होता था तो गर्म चाय की प्याली भी उन पर फेंकने से नहीं चूकता था.

समय गुजरने के साथसाथ बड़ी बेटियों देवी और मीरा की शादी हो गई. रेखा सब से छोटी थी. उस का अपने पिता के प्रति लगाव कुछ अधिक ही बना हुआ था. मनाराम एक किस्म का सनकी बन चुका था. हर छोटीछोटी बात पर घर वालों को मारने की धमकी देता था. जब भी गुस्से में आता तो सीधे जान से मार डालने की धमकी देता था. कई बार तो गांव वालों के सामने भी परिवार को कह चुका था कि एक दिन सभी को मार डालेगा. लोग उस की बात पर ध्यान नहीं देते थे.

कुल्हाड़ी से काटा अपनों को

4 अप्रैल, 2023 को रेखा ससुराल जाने वाली थी. उस की शादी बड़ू में हुई थी. मनाराम की बड़ी बेटी मीरा (26 साल) भी अपने 7 साल के बेटे प्रिंस के साथ पीहर आई हुई थी. छोटी बेटी के ससुराल भेजने को लेकर घर में तैयारियां चल रही थीं.

3 अप्रैल की देर रात तक बहनें हंसीमजाक कर रही थीं. घर के अधिकतर सदस्य सो गए थे. केसर भी उसी कमरे में सो गई थी. पास में ही प्रिंस भी सो गया था. रेखा अपनी मेहंदी का थोड़ा सूखने का इंतजार कर रही थी. हालांकि उस की आंखों में नींद भर आई थी और मीरा भी जम्हाई लेने लगी थी.

वे दोनों भी कब सो गए, उन्हें नहीं पता चला. रात के 2 बज गए थे. अचानक घर में चीखपुकार मच गई. गांव वाले भी चीखने की आवाजें सुन कर मनाराम के घर की ओर दौड़ पड़े. घर से आ रही रोनेधोने और चीखने की आवाजों के अलावा ‘मैं मार दूंगा…सब को मार दूंगा’ की आवाज भी शामिल थी. गांव वाले कुछ समझ पाते, इस से पहले ही उन्होंने मनाराम को कुल्हाड़ी ले कर घर से निकलते देखा.

वह बाहर आया और वहीं लडख़ड़ाता हुआ धड़ाम से गिर पड़ा. उस के हाथ की कुल्हाड़ी छिटक कर दूर गिर गई. उस पर खून लगा हुआ था. जमीन पर गिरा हुआ मनाराम अब भी बड़बड़ा रहा था, ‘मार डालूंगा…सब को मार डालूंगा…मुझे भी मार दो!’

लोगों को समझते देर नहीं लगी कि मनाराम ने घर में जरूर किसी पर कुल्हाड़ी से हमला किया है. कुछ लोग घर के भीतर दाखिल हुए.

जो कहता था वही कर बैठा मनाराम

घर में एक कमरे का दृश्य भयावह बना हुआ था. मनाराम की दोनों बेटियां रेखा (20 वर्ष) और मीरा (26 वर्ष) खून से लथपथ थीं. उस की मां केसर (57 साल) भी दूसरे बैड पर मरी पड़ी थी. पास में मासूम प्रिंस (7 साल) भी खून से लथपथ हो चुका था. उस ने सभी को कुल्हाड़ी से काटा था. लग रहा था कि शायद सभी की मौत हो चुकी है.

घर में खून ही खून बिखरा था. सूचना पर थाना परवतसर पुलिस भी पहुंची, घटनास्थल का मुआयना किया. पुलिस आरोपी मनाराम से हत्या के कारणों का पता लगाने की कोशिश में जुट गई.

सनकी बाप मनाराम ने वही किया, जो हमेशा बकता रहता था. उस ने अपने घर के ही 4 सदस्यों को कुल्हाड़ी से मौत के घाट उतार दिया था. घर में लोग मृतकों की स्थिति का पता लगाने में लगे थे, उधर मनाराम मौका देख कर घटनास्थल से फरार हो गया. तब तक सुबह हो चुकी थी. पुलिस टीम मनाराम की तलाश में फिर से जुट गई. साथ ही रक्तरंजित चारों लाशों को अस्पताल भेजा गया. वहां डाक्टर ने सभी को मृत घोषित कर दिया.

शाम होतेहोते हैवान बाप मनाराम को पुलिस ने पहाडिय़ों के पीछे से गिरफ्तार कर लिया. थाने में भी वह ‘मार डालूंगा’ की ही रट लगाए हुए था. थाने में आए परिवार वालों ने पुलिस को मनाराम की मानसिक स्थिति के बारे बताया. परिजनों ने बताया कि वह बीते 10 साल से मानसिक बीमार है. पुलिस जांच में यह पता लगाना मुश्किल था. सभी यही अनुमान लगा रहे थे कि मनाराम ने सनकपन में वहां मौजूद सभी को कुल्हाड़ी से काट डाला.

पुलिस ने 6 अप्रैल, 2023 को आरोपी मनाराम गुर्जर का मैडिकल परीक्षण कराने के बाद नागौर की एसडीजेएम कोर्ट में पेश जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

जब शिकारी बना शिकार

सुबह नहाधो कर मैरी बाथरूम से निकली तो उस की दमकती काया देख कर डिसिल्वा खुद को रोक नहीं पाया और लपक कर उसे बांहों में भर कर बेतहाशा चूमने लगा. मैरी ने मोहब्बत भरी अदा के साथ  खुद को उस के बंधन से आजाद किया और कमर मटकाते हुए किचन की ओर बढ़ गई. उस के होंठों पर शोख मुस्कान थी. थोड़ी देर में वह किचन से बाहर आई तो उस के हाथों में कौफी से भरे 2 मग थे. एक मग डिसिल्वा को थमा कर वह उस के सामने पड़े सोफे पर बैठ गई.

डिसिल्वा कौफी का आनंद लेते हुए अखबार पढ़ने लगा. उस की नजर अखबार में छपी हत्या की एक खबर पर पढ़ी तो तुरंत उस के दिमाग यह बात कौंधी कि वह अपनी बीवी मैरी की हत्या किस तरह करे कि कानून उस का कुछ न बिगाड़ सके. वह ऐसा क्या करे कि मैरी मर जाए और वह साफ बच जाए. वह उस कहावत के हिसाब से यह काम करना चाहता था कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे.

डिसिल्वा ने 2 साल पहले ही मैरी से प्रेमविवाह किया था. अब उसे लगने लगा था कि मैरी ने उस पर जो दौलत खर्च की है, उस के बदले उस ने उस से अपने एकएक पाई की कीमत वसूल कर ली है. अब उसे अपनी सारी दौलत उस के लिए छोड़ कर मर जाना चाहिए, क्योंकि उस की प्रेमिका सोफिया अब उस का और ज्यादा इंतजार नहीं कर सकती.

वह खुद भी उस से ज्यादा दिनों तक दूर नहीं रह सकता. लेकिन यह कमबख्त मैरी रास्ते का रोड़ा बनी हुई है. इस रोड़े को हटाए बगैर सोफिया उस की कभी नहीं हो सकेगी. लेकिन इस रोड़े को हटाया कैसे जाए? डिसिल्वा मैरी को ठिकाने लगाने के बारे में सोचते हुए इस तरह डूब गया कि कौफी पीना ही भूल गया.

डिसिल्वा को सोच में डूबा देख कर मैरी बोली, ‘‘तुम कहां खोए हो कि कौफी पीना भी भूल गए. तुम्हारी कौफी ठंडी हो रही है. और हां, हमारी बालकनी के एकदम नीचे एक गुलाब खिल रहा है. जरा देखो तो सही, कितना खूबसूरत और दिलकश लग रहा है. शाम तक वह पूरी तरह खिल जाएगा. सोच रही हूं, आज शाम की पार्टी में उसे ही अपने बालों में लगाऊं. डार्लिंग, आज हमारी मैरिज एनवरसरी है, तुम्हें याद है ना?’’

‘‘बिलकुल याद है. और हां, गुलाब कहां खिल रहा है?’’ डिसिल्वा ने मैरी की आंखों में शरारत से झांकते हुए हैरानी से पूछा.

‘‘बालकनी के ठीक नीचे जो गमला रखा है, उसी में खिल रहा है.’’ मैरी ने कहा.

बालकनी के ठीक नीचे गुलाब खिलने की बात सुन कर डिसिल्वा के दिमाग में तुरंत मैरी को खत्म करने की योजना आ गई. उस ने सोचा, शाम को वह गुलाब दिखाने के बहाने मैरी को बालकनी तक ले जाएगा और उसे नीचे खिले गुलाब को देखने के लिए कहेगा. मैरी जैसे ही झुकेगी, वह जोर से धक्का देगा. बस, सब कुछ खत्म. मैरी बालकनी से नीचे गमलों और रंगीन छतरियों के बीच गठरी बनी पड़ी होगी.

इस के बाद वह एक जवान गमजदा पति की तरह रोरो कर कहेगा, ‘हाय, मेरी प्यारी बीवी, बालकनी से इस खूबसूरत गुलाब को देखने के लिए झुकी होगी और खुद को संभाल न पाने की वजह से नीचे आ गई.’

अपनी इस योजना पर डिसिल्वा मन ही मन मुसकराया. उसे पता था कि शक उसी पर किया जाएगा, क्योंकि बीवी की इस अकूत दौलत का वही अकेला वारिस होगा. लेकिन उसे अपनी बीवी का धकेलते हुए कोई देख नहीं सकेगा, इसलिए यह शक बेबुनियाद साबित होगा. सड़क से दिखाई नहीं देगा कि हुआ क्या था? जब कोई गवाह ही नहीं होगा तो वह कानून की गिरफ्त में कतई नहीं आ सकेगा. इस के बाद पीठ पीछे कौन क्या सोचता है, क्या कहता है, उसे कोई परवाह नहीं है.

डिसिल्वा इस बात को ले कर काफी परेशान रहता था कि सोफिया एक सस्ते रिहाइशी इलाके में रहती थी. वैसे तो उस की बीवी मैरी बहुत ही खुले दिल की थी. वह उस की सभी जरूरतें बिना किसी रोकटोक के पूरी करती थी. तोहफे देने के मामले में भी वह कंजूस नहीं थी, लेकिन जेब खर्च देने में जरूर आनाकानी करती थी. इसीलिए वह अपनी प्रेमिका सोफिया पर खुले दिल से खर्च नहीं कर पाता था.

सोफिया का नाम दिमाग में आते ही उसे याद आया कि 11 बजे सोफिया से मिलने जाना है. उस ने वादा किया था, इसलिए वह उस का इंतजार कर रही होगी. अब उसे जाना चाहिए, लेकिन घर से बाहर निकलने के लिए वह मैरी से बहाना क्या करे? बहाना तो कोई भी किया जा सकता है, हेयर ड्रेसर के यहां जाना है या शौपिंग के लिए जाना है.

वैसे शौपिंग का बहाना ज्यादा ठीक रहेगा. आज उस की शादी की सालगिरह भी है. इस मौके पर उसे मैरी को कोई तोहफा भी देना होगा. वह मैरी से यही बात कहने वाला था कि मैरी खुद ही बोल पड़ी, ‘‘इस समय अगर तुम्हें कहीं जाना है तो आराम से जा सकते हो, क्योंकि मैं होटल डाआर डांसिंग क्लास में जा रही हूं. आज मैं लंच में भी नहीं आ सकूंगी, क्योंकि आज डांस का क्लास देर तक चलेगा.’’

‘‘तुम और यह तुम्हारी डांसिंग क्लास… मुझे सब पता है.’’ डिसिल्वा ने मैरी को छेड़ते हुए कहा, ‘‘मुझे लगता है, तुम उस खूबसूरत डांसर पैरी से प्यार करने लगी हो, आजकल तुम उसी के साथ डांस करती हो न?’’

‘‘डियर, मैं तो तुम्हारे साथ डांस करती थी और तुम्हारे साथ डांस करना मुझे पसंद भी था. लेकिन शादी के बाद तो तुम ने डांस करना ही छोड़ दिया.’’ मैरी ने कहा.

‘‘आह! वे भी क्या दिन थे.’’ आह भरते हुए डिसिल्वा ने छत की ओर देखा. फिर मैरी की आंखों में आंखें डाल कर पूछा, ‘‘तुम्हें जुआन के यहां वाली वह रात याद है न, जब हम ने ब्लू डेनूब की धुन पर एक साथ डांस किया था?’’

डिसिल्वा ने यह बात मैरी से उसे जज्बाती होने के लिए कही थी. क्योंकि उस ने तय कर लिया था कि अब वह उस के साथ ज्यादा वक्त रहने वाली नहीं है. इसलिए थोड़ा जज्बाती होने में उसे कोई हर्ज नहीं लग रहा था.

‘‘मैं वह रात कैसे भूल सकती हूं. मुझे यह भी याद है कि उस रात तुम ने अपना इनाम लेने से मना कर दिया था. तुम ने कहा था, ‘हम अपने बीच रुपए की कौन कहे, उस का ख्याल भी बरदाश्त नहीं कर सकते.’ तुम्हारी इस बात पर खुश हो कर मैं ने तुम्हारा वह घाटा पूरा करने के लिए तुम्हें सोने की एक घड़ी दी थी, याद है न तुम्हें?’’

‘‘इतना बड़ा तोहफा भला कोई कैसे भूल सकता है.’’ डिसिल्वा ने कहा. इस के बाद डिसिल्वा सोफिया से मिलने चला गया तो मैरी अपने डांस क्लास में चली गई.

डिसिल्वा सोफिया के यहां पहुंचा. चाय पीने के बाद आराम कुर्सी पर सोफिया को गोद में बिठा कर डिसिल्वा ने उसे अपनी योजना बताई. सोफिया ने उस के गालों पर एक चुंबन जड़ते हुए कहा, ‘‘डार्लिंग, आप का भी जवाब नहीं. बस आज भर की बात है, कल से हम एक साथ रहेंगे.’’

दूसरी ओर होटल डाआर में मैरी पैरी की बांहों में सिमटी मस्ती में झूम रही थी. वह अपने पीले रंग के बालों वाले सिर को म्यूजिक के साथ हिलाते हुए बेढंगे सुरों में पैरी के कानों में गुनगुना रही थी. पैरी ने उस की कमर को अपनी बांहों में कस कर कहा, ‘‘शरीफ बच्ची, इधरउधर के बजाए अपना ध्यान कदमों पर रखो. म्यूजिक की परवाह करने के बजाए बस अपने पैरों के स्टेप के बारे में सोचो.’’

‘‘मैं तुम्हारे साथ डांस कर रही होऊं तो तुम मुझ से इस तरह की उम्मीद कैसे कर सकते हो? फिर यह क्या मूर्खता है, तुम मुझे बच्ची क्यों कह रहे हो?’’

‘‘बच्ची नहीं तो और क्या हो तुम?’’ पैरी ने कहा, ‘‘एक छोटी सी शरीफ, चंचल लड़की, जो अपने अभ्यास पर ध्यान देने के बजाए कहीं और ही खोई रहती है. अच्छा आओ, अब बैठ कर यह बताओ कि रात की बात का तुम ने बुरा तो नहीं माना? रात को मैं ने तुम्हारे पैसे लेने से मना कर दिया था ना. इस की वजह यह थी कि मैं इस खयाल से भी नफरत करता हूं कि हमारी दोस्ती के बीच पैसा आए.’’

‘‘मैं ने बिलकुल बुरा नहीं माना. उसी कसर को पूरा करने के लिए मैं तुम्हारे लिए यह प्लैटिनम की घड़ी लाई हूं, साथ में चुंबनों की बौछार…’’ कह कर मैरी पैरी के चेहरे को अपने चेहरे से ढक कर चुंबनों की बौछार करने लगी.

डिसिल्वा ने मैरी को तोहफे में देने के लिए हीरे की एक खूबसूरत, मगर सेकेंड हैंड क्लिप खरीदी थी. उस के लिए इतने पैसे खर्च करना मुश्किल था, लेकिन उस ने हिम्मत कर ही डाली थी. क्योंकि बीवी के लिए उस का यह आखिरी तोहफा था. फिर मैरी की मौत के बाद यह तोहफा सोफिया को मिलने वाला था. जो आदमी अपनी बीवी की शादी की सालगिरह पर इतना कीमती तोहफा दे सकता है, उस  पर अपनी बीवी को कत्ल करने का शक भला कौन करेगा?

डिसिल्वा ने हीरे की क्लिप मैरी को दी तो वाकई वह बहुत खुश हुई. वह  नीचे पार्टी में जाने को तैयार थी. उस ने डिसिल्वा का हाथ पकड कर बालकनी की ओर ले जाते हुए कहा, ‘‘आओ डार्लिंग, तुम भी देखो वह गुलाब कितना खूबसूरत लग रहा है. ऐसा लग रहा है, कुदरत ने उसे इसीलिए खिलाया है कि मैं उसे अपने बालों में सजा कर सालगिरह की पार्टी में शिरकत करूं.’’

डिसिल्वा के दिल की धड़कन बढ़ गई. उसे लगा, कुदरत आज उस पर पूरी तरह मेहरबान है. मैरी खुद ही उसे बालकनी की ओर ले जा रही है. सब कुछ उस की योजना के मुताबिक हो रहा है. किसी की हत्या करना वाकई दुनिया का सब से आसान काम है.

डिसिल्वा मैरी के साथ बालकनी पर पहुंचा. उस ने झुक कर नीचे देखा. उसे झटका सा लगा. उस के मुंह से चीख निकली. वह हवा में गोते लगा रहा था. तभी एक भयानक चीख के साथ सब कुछ  खत्म. वह नीचे छोटीछोटी छतरियों के बीच गठरी सा पड़ा था. उस के आसपास भीड़ लग गई थी. लोग आपस में कह रहे थे, ‘‘ओह माई गौड, कितना भयानक हादसा है. पुलिस को सूचित करो, ऐंबुलेंस मंगाओ. लाश के ऊपर कोई कपड़ा डाल दो.’’

थोड़ी देर में पुलिस आ गई. दूसरी ओर फ्लैट के अंदर सोफे पर हैरान परेशान उलझे बालों और भींची मुट्ठियां लिए, तेजी से आंसू बहाते हुए मैरी आसपास जमा भीड़ को देख रही थी. लोगों ने उसे दिलासा देते हुए इस खौफनाक हादसे के बारे में पूछा तो मैरी ने रोते हुए कहा, ‘‘मेरे खयाल से वह गुलाब देखने के लिए बालकनी से झुके होंगे, तभी…’’ कह कर मैरी फफक फफक कर रोने लगी.