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महावीर सिंह से पहले इसी थाने में जज आशीष बिश्नोई द्वारा ठगी की कई और शिकायतें आई थीं. उन सभी को भी उस ने जज बन कर ठगा था. थानाप्रभारी ने महावीर सिंह की शिकायत पर 22 अगस्त, 2014 को भादंवि की धाराओं 420, 406, 117 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर इस की विवेचना एएसआई त्रिलोक चंद को सौंप दी.

इस से पहले इसी थाने में 11 अगस्त, 2014 को गुड़गांव निवासी राजेंद्रलाल मलिक ने आशीष बिश्नोई के खिलाफ साढ़े 24 लाख रुपए की धोखाधड़ी करने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. राजेंद्रलाल का गुड़गांव के सेक्टर-57 स्थित हांगकांग बाजार में ज्वैलर्स का शोरूम है.

आशीष बिश्नोई अपनी पत्नी मेनका के साथ कई बार उन के शोरूम पर आया था. उस ने पत्नी को वहां से 40-50 हजार रुपए की ज्वैलरी खरीदवाई थी. वह बड़े ही ठाठबाट से वहां आता था. खुद को जज बताता था. राजेंद्रलाल भी उसे मोटी आसामी समझते थे.

आशीष के फोन करने के बाद राजेंद्रलाल ने आशीष बिश्नोई के फ्लैट पर ज्वैलरी पहुंचाई थी. घर पर उस ने जो ज्वैलरी खरीदी, उस के पैसे नकद दे दिए थे. इस तरह उन का आशीष पर विश्वास बढ़ गया. एक दिन आशीष ने राजेंद्रलाल से कहा, ‘‘मेरे पिता भी जज हैं और ताऊ चीफ एडमिनिस्टे्रटिव औफिसर हैं. तुम चाहो तो मैं हुडा स्कीम के तहत तुम्हें प्लौट दिला सकता हूं.’’

राजेंद्रलाल ने हुडा स्कीम में प्लौट पाने की कई बार कोशिश की थी, लेकिन उन्हें प्लौट नहीं मिला था. सिफारिश से प्लौट पाने के लिए राजेंद्रलाल तैयार हो गए. प्लौट पाने के लिए उन्होंने आशीष बिश्नोई को 12 लाख रुपए दे दिए. पैसे लेने के बाद आशीष उसे प्लौट दिलाने का झांसा देता रहा.

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