Crime Story Hindi: एक लाख रुपए प्रतिबीघा के हिसाब से एडीएम दूडि़या ने सौ बीघे के लिए पूरे एक करोड़ रुपए घूस मांगी थी. पवन गोयल 75 लाख रुपए देने को तैयार भी हो गए. फिर ऐसा क्या हुआ कि एडीएम को जेल जाना पड़ा. उस आलीशान सरकारी बंगले के गेस्टहाउस में मेजबान और मेहमान के बीच चाय की चुस्कियों के साथ चल रही बातचीत अंतिम नतीजे पर पहुंचने वाली थी. गेस्टहाउस की सजावट देखने लायक थी. भव्य आधुनिक सोफा सैट और खिड़कियों पर लहरा रहे बेशकीमती परदे देख कर ही लग रहा था कि मेजबान कोई रसूखदार करोड़पति सेठ होगा.

लेकिन सच्चाई यह थी कि यह बंगला किसी सेठ का नहीं, राजस्थान प्रदेश के जिला हनुमानगढ़ के एडीएम (अपर जिलाधिकारी) कजौड़मल (के.एम.) दूडि़या का था और मेहमान थे जयपुर में प्रौपर्टी डीलिंग का व्यवसाय करने वाले पवन गोयल. पवन गोयल और के.एम. दूडि़या के बीच पिछले सप्ताह ही जानपहचान हुई थी. यह जानपहचान एक बिचौलिए ने कराई थी. दरअसल पवन गोयल के एक रिश्तेदार की कृषि भूमि का एक प्रकरण, एडीएम दूडि़या की अदालत में विचाराधीन था. उसी के निपटारे के लिए मल्ली साहब (बदला हुआ नाम) की मदद से वह उन के गेस्टहाउस तक पहुंच पाए थे.

एडीएम साहब ने जितनी रकम बताई थी, वह काफी बड़ी थी. इसलिए पवन गोयल रकम कुछ कम कराना चाहते थे. तब एडीएम साहब ने कहा, ‘‘देखिए पवनजी, मामला छोटामोटा नहीं, पूरे सौ बीघे कृषि भूमि का है. इन दिनों हमारे यहां एक लाख रुपए प्रति बीघा सुविधा शुल्क की दर चल रही है. उस हिसाब से कुल रकम एक करोड़ बनती है. रेट कम करने का मतलब है अन्य मामलों में भी घाटा उठाना. इसलिए रुपए कम करना जरा मुश्किल है.’’

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