हत्यारे की घर में हुई फ्रेंडली एंट्री
एक दूसरी बात प्राथमिक जांच में साफ हो रही थी, वह यह थी कि कातिल मुकेश का परिचित था. क्योंकि घर में किसी तरह की जोरजबरदस्ती से प्रवेश के कोई निशान नहीं मिले थे. इतना ही नहीं कातिल वारदात को अंजाम देने के बाद घर के दरवाजे की कुंडी बाहर से बंद करके चला गया था. दूसरी बात जो एकदम साफ थी वो यह कि घर के अंदर से कोई भी कीमती सामान गायब नहीं हुआ था. यानी कत्ल करने वाले का मकसद चोरी या लूट करने का नहीं था, बल्कि मुकेश की हत्या करना ही था.
हत्यारे ने जिस बेरहमी से मुकेश का कत्ल किया था, उस से लग रहा था कि वह बेहद गुस्से में रहा होगा, क्योंकि उस ने तवे से मुकेश पर ताबड़तोड़ वार किए थे. फोरैंसिक टीम ने अपना काम खत्म कर लिया था, लिहाजा एसपी अभिषेक वर्मा ने एसएचओ नीरज कुमार को शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाने का आदेश दिया. जिस के बाद शव का पंचनामा तैयार किया गया और उसे पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया गया.
इंसपेक्टर नीरज कुमार ने मृतक मुकेश के साले की शिकायत पर अज्ञात हत्यारों के खिलाफ 21 सिंतबर को भादंसं की धारा 302 (हत्या) और 201 (सबूत नष्ट करने की धारा) में मुकदमा दर्ज कर जांच का काम अपने हाथों में ले लिया. उच्चाधिकारियों के आदेश पर उन की मदद के लिए एक टीम का गठन कर दिया गया, जिस में एसआई राकेश कुमार, हैडकांस्टेबल अजीत सिंह, रविंद्र सिंह, दीपक कुमार, दिनेश कुमार और विष्णु के साथ कांस्टेबल सुनील कुमार को जांच दल में शामिल किया गया.
पोस्टर्माटम के बाद शव परिजनों को सौंपा जा चुका था. परिवार के लोग जब अंतिम संस्कार के काम से फारिग हो गए और माहौल थोड़ा शांत हो गया तो जांच अधिकारी नीरज कुमार ने सब से पहले मृतक मुकेश की पत्नी कृष्णा से यह जानना जरूरी समझा कि उन्हें अपने पति की हत्या में किसी पर शक तो नहीं है.
लेकिन कृष्णा ने जो कुछ बताया, उसे जान कर इंसपेक्टर नीरज कुमार का दिमाग ही घूम गया. कृष्णा ने बताया कि उस के पति मुकेश का अपने दोनों भाइयों राकेश और विनोद से पैतृक संपत्ति को ले कर मनमुटाव चल रहा था. उसे शक था कि उन दोनों ने ही मुकेश की या तो खुद हत्या की है या उन्होंने किसी से करवाई है.
जब तक कातिल पुलिस के हाथ में न आ जाए, तब तक पुलिस की नजर में हर शख्स कातिल ही लगता है. चूंकि मुकेश की पत्नी कृष्णा ने दोनों जेठों पर सीधे आरोप लगाया था. लिहाजा पहले जांच इसी बिंदु से शुरू हुई. पुलिस ने दोनों भाइयों को सब से पहले हिरासत में ले लिया.
उन के बारे परिवार के दूसरे सदस्यों से जानकारी ली गई तो पता चला कि दोनों बड़े भाइयों का मुकेश से एक पैतृक प्लौट को ले कर विवाद जरूर था, लेकिन विवाद ऐसा नहीं था कि दोनों भाई अपने छोटे भाई की हत्या कर दें. दोनों भाई मुकेश से बेहद प्यार करते थे. उल्टा मुकेश ही यदाकदा बड़े भाइयों से लड़ जाता, लेकिन वे नजरअंदाज कर देते थे.
पुलिस ने सच का पता लगाने के लिए मुकेश के दोनों भाइयों के मोबाइल नंबरां की काल डिटेल्स, उन की लोकेशन और वाट्सऐप चैट निकलवाई तो पता चला कि दोनों भाइयों की वारदात वाले दिन या इस के आसपास मुकेश के घर के आसपास लोकेशन भी नहीं थी. यानी उन के खिलाफ आरोप सिर्फ शक की वजह से थे, लेकिन उन के पीछे ठोस सबूत नहीं था.
हालांकि इंसपेक्टर नीरज कुमार ने मुकेश के दोनों भाइयों को अभी शक के दायरे से बाहर नहीं किया था, लेकिन उन्होंने दोनों को हिरासत से रिहा कर दिया और अपने 2 हैडकांस्टेबल को दोनों की निगरानी और कुछ अन्य जानकारियां एकत्र करने के काम पर लगा दिया.
अलगअलग टीमें जुटी जांच में
जांच अधिकारी नीरज कुमार ने अब हत्याकांड के दूसरे पहलुओं पर जांच शुरू कर दी. पुलिस की नौकरी के दौरान नीरज कुमार ने अपने अनुभव से एक बात सीखी थी कि जिस आदमी के साथ अपराध घटित होता है, उस का कारण भी उसी इंसान के इर्दगिर्द होता है. नीरज कुमार समझ गए कि हो न हो, मुकेश की हत्या का राज उसी से जुड़ा हुआ है. कातिल तक पहुंचने के लिए उन्होंने सब से पहले मुकेश कर्दम की छानबीन करने का फैसला किया.
उन्होंने अपनी टीम को 2 भागों में बांट दिया. एक टीम को मुकेश के मोबाइल की काल डिटेल्स, उस की लोकेशन और वाट्सऐप से जुड़ी सारी चैट निकालने के काम पर लगाया और साथ ही मुकेश के फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म का पता लगा कर उन की छानबीन करने का काम शुरू कर दिया. पुलिस की एक टीम मुकेश के घर के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की छानबीन करने लगी.
24 घंटे के भीतर इस जांच के परिणाम सामने दिखने लगे. मोबाइल की काल डिटेल्स से पता चला कि जिस रात मुकेश की हत्या हुई थी, उस से पहले दिन में और शाम को एक मोबाइल नंबर पर मुकेश की कई बार बातचीत हुई थी. मुकेश के मोबाइल में आखिरी काल भी इस नंबर पर की गई थी और उस के बाद मुकेश का मोबाइल स्विच्ड औफ हो गया. यह करीब शाम साढ़े 7 बजे की बात है.
जांच अधिकारी इंसपेक्टर नीरज कुमार के लिए अब यह जानना बहुत जरूरी हो गया था कि वह नंबर आखिर किस का था. उस नंबर की काल डिटेल्स निकाली गई तो पता चला कि वह किसी हसन नाम के व्यक्ति के नाम पर पंजीकृत था. हसन का पता मेरठ जिले के धोलड़ी गांव का था.
काल डिटेल्स से यह भी पता चला कि मुकेश और हसन के बीच पिछले एक महीने से बातचीत का सिलसिला चल रहा था. जब हसन की लोकेशन चेक की गई तो पता चला दिन में उस की लोकेशन मोदीनगर के राज चोपड़ा के आसपास थी, जबकि शाम साढ़े 7 बजे के बाद से 19 सितंबर की सुबह 4 बजे तक उस के मोबाइल की लोकेशन मुकेश के घर के आसपास ही थी.
इस का मतलब साफ था कि हसन वारदात वाली रात को मुकेश के घर पर था. यह जानकारी बेहद काम की थी, लेकिन हत्या की गुत्थी सुलझाने और कातिल तक पहुंचने के लिए अभी कई सवालों के जवाब ढूंढे जाने बाकी थे.