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मुन्नाभाई कैसे चढ़े पुलिस के हत्थे

पैसा कमाने और रातोंरात अमीर बनने के चक्कर में कुछ लोग डाक्टरी पेशे में भी फरजीवाड़ा करने से बाज नहीं आते. वे सभी की आंखों में धूल झोंकने के धंधे में लग कर लोगों की जान लेने से भी नहीं चूकते. ऐसे ही झोलाछाप डाक्टरों को 16 नवंबर, 2023 को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया. आरोपियों में डा. नीरज अग्रवाल (एमबीबीएस), निदेशक अग्रवाल मैडिकल सेंटर, उस की पत्नी पूजा अग्रवाल,  महेंद्र सिंह पूर्व लैब टैक्नीशियन,  डा. जसप्रीत सिंह (एमबीबीएस और एमएस), जिस ने फरजी सर्जरी नोट्स तैयार किए, सभी को गिरफ्तार कर लिया गया.

डा. जसप्रीत का लैटर हैड भी बरामद हुआ, जिस पर वह सर्जरी नोट्स लिखता था. गिरफ्तार आरोपियों में 2 एमबीबीएस डाक्टर हैं और 2 फरजी डाक्टर शामिल हैं. पुलिस ने गिरफ्तार आरोपियों को न्यायालय के समक्ष पेश किया. अदालत ने इन सभी को 5 दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया. पुलिस को पूछताछ में इन आरोपियों से कई महत्त्वपूर्ण जानकारियां मिलीं.

दिल्ली के सर्जरी स्कैम में एक और डाक्टर के शामिल होने की बात सामने आई है. उस के बारे में पुलिस पता लगा रही है. इस के साथ ही यह बात भी सामने आई है कि आरोपी डाक्टर नीरज अग्रवाल मरीजों के औपरेशन अपनी पत्नी पूजा व लैब टेक्नीशियन महेंद्र से भी करवाता था,

जिन के पास डाक्टरी की कोई डिग्री तक नहीं थी.

पुलिस की काररवाई के दौरान डा. नीरज अग्रवाल के घर से संदिग्ध दस्तावेज और अन्य चीजें पाई गईं. इन में डाक्टर के हस्ताक्षर के साथ 414 पर्चे, पर्चियां जिन में ऊपर काफी खाली जगह छोड़ी गई थी. 2 रजिस्टर जिन में उन मरीजों का विवरण था, जिन का चिकित्सीय गर्भपात केंद्र में किया गया था.

प्रतिबंधित दवाएं, इंजेक्शन जो केवल अस्पतालों में ही स्टोर करने चाहिए, इस्तेमाल किए गए सर्जिकल ब्लेड, विभिन्न रोगियों के मूल पर्चे, पर्चियां, 47 विभिन्न बैंकों की चैकबुक्स, विभिन्न बैंकों के 54 एटीएम कार्ड, विभिन्न डाकघरों की पासबुकें, 6 पीओएस टर्मिनल क्रेडिट कार्ड मशीनें शामिल थीं. इन लोगों ने औपरेशन थिएटर एक छोटे से रूम में बना रखा था.

जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने काररवाई करते हुए फरजी सर्जरी करने वाले अस्पताल में सस्ते व अच्छे इलाज के नाम पर मरीजों को मौत के मुंह में भेजने वाले एक व्यक्ति पर शिकंजा कसा. पुलिस ने 42 साल के फार्मासिस्ट जुल्फिकार को 19 नवंबर, 2023 को गिरफ्तार कर लिया. जुल्फिकार प्रह्लादपुर के लाल कुंआ का रहने वाला है. इस फार्मासिस्ट की गिरफ्तारी के बाद कई राज भी उजागर हुए.

दक्षिणी दिल्ली के पुलिस आयुक्त चंदन चौधरी ने जानकारी देते हुए बताया कि जुल्फिकार को संगम विहार इलाके से गिरफ्तार किया गया. जुल्फिकार डी. फार्मा कोर्स किए हुए है. वह संगम विहार में क्लीनिक-कम-मैडिसन नाम से दुकान चलाता था. वह बिना वैध लाइसेंस के होम्योपैथी और एलोपैथी दवाइयां बेचने का काम अपनी दुकान से करता था.

जुल्फिकार दुकान पर किडनी स्टोन, आंत की समस्या और अन्य बीमारियों की दवाएं लेने आने वाले पीड़ितों को वह स्वयं को होम्योपैथी का डाक्टर बताता था. वह सस्ते और अच्छे इलाज का भरोसा दिलाते हुए अग्रवाल मैडिकल सेंटर पर उन्हें भेजा करता था. कभी मरीज को आटोरिक्शा में अपने साथ भी लाता था. इस के बदले में जुल्फिकार को अच्छाखासा कमीशन मिलता था.

पुलिस के अनुसार, जुल्फिकार को एक मरीज को इस सेंटर पर भेजने के बदले में मरीज के इलाज में आने वाले कुल खर्च का 35 परसेंट कमीशन मिलता था.

डीसीपी ने बताया कि जुल्फिकार पिछले 5-6 साल से इस सेंटर के लिए काम कर रहा था. जुल्फिकार ने जिस अंतिम मरीज को इस अग्रवाल मैडिकल सेंटर में भेजा था, वह असगर अली था. उस की सर्जरी के दौरान मौत हो गई थी. इन 5-6 सालों में जुल्फिकार ने लगभग 40-50 मरीजों को इस सेंटर में डिलीवरी, गर्भपात और अन्य रोगों के इलाज के लिए भेजा था.

पेट दर्द की शिकायत पर क्यों किया 2 बार औपरेशन

डा. नीरज के खिलाफ साल 2011 में शशिभूषण नाम के एक व्यक्ति ने शिकायत पुलिस को दी थी. इस में आरोप लगाया गया था कि उस की पत्नी रिंंकी 4 माह की गर्भवती थी. उस के पेट में दर्द होने के साथ ब्लीडिंग हो रही थी. वह डा. अग्रवाल के सेंटर पर पत्नी को उपचार के लिए ले कर आया था. डा. नीरज ने एक ही बीमारी के लिए 2 औपरेशन कर दिए थे. फीस के रूप में 2.10 लाख रुपए भी लिए थे.

पीड़ित ने आरोप लगाया कि डा. नीरज के उपचार के चलते उस के गर्भ के बच्चे की मौत हो गई थी. औपरेशन के कुछ दिनों बाद रिंकू को पेट में दर्द की शिकायत बनी रही और लगातार उल्टी होती रही. इस के बाद शशिभूषण ने पत्नी का अल्ट्रासाउंट कराया, तब पता चला कि भ्रूण हत्या का एक हिस्सा अभी भी उस के अंदर था.

देश की राजधानी दिल्ली के अस्पताल में चल रहे मौत के खेल में रोज नए चौंकाने वाले खुलासे हुए. पौश इलाके ग्रेटर कैलाश स्थित अग्रवाल मैडिकल अस्पताल के झोलाछाप डाक्टरों की करतूत सुन सभी हैरान हैं. बिना डिग्री फरजी अस्पताल चला कर लोगों की जान से खिलवाड़ करने वाले इस अस्पताल पर अब कानून का शिकंजा कसा हुआ है.

इस अस्पताल और इस से जुड़े लोगों की जांच के बाद पुलिस को पता चला कि अस्पताल में आ कर कुल 9 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. ये सभी मौतें साल 2016 के बाद हुई हैं.

जांच में पता चला कि डा. नीरज अग्रवाल एक फिजीशियन है, लेकिन वह गैरकानूनी तरीके से अस्पताल में मैडिकल सर्जरी भी करता था. पता चला कि 2016 से अब तक विभिन्न शिकायतकर्ताओं द्वारा अग्रवाल मैडिकल सेंटर के खिलाफ दिल्ली मैडिकल एसोसिएशन और डा. नीरज अग्रवाल व उस की पत्नी पूजा अग्रवाल के खिलाफ 7 शिकायतें दर्ज कराई गई थीं. इस के बावजूद ये अस्पताल धड़ल्ले से चलता रहा.

सर्जरी जैसा जटिल इलाज करने के लिए उस के पास कोई योग्यता ही नहीं थी. इस से पता चलता है कि मरीज की जान कितनी सस्ती है, इस मौत के अस्पताल में सर्जरी के बाद अगर कोई मरीज बच गया तो वह उस की किस्मत होती थी.

एक्सपायरी इंजेक्शन व दवाओं ने बयां की हकीकत

पुलिस ने बताया कि आरोपी नीरज अग्रवाल पहले सफदरजंग अस्पताल में  नौकरी करता था, जिस के बाद उस ने यह मैडिकल सेंटर खोला. इस सेंटर का हैड डा. जसप्रीत सिंह को बनाया था. पुलिस को शक है कि बीते कुछ सालों में इस फरजी अस्पताल ने मरीजों को लगभग 80 करोड़ रुपए का चूना लगाया है. पुलिस ने इंडियन मैडिकल एसोसिएशन को इस अस्पताल के लाइसैंस को निरस्त करने के लिए लिखा है.

18 नवंबर, 2023 को भी एम्स के डाक्टर अभिलाष फोरैंसिक टीम, एसएचओ अजय कुमार, इंसपेक्टर अनिल कुमार, एसआई भगवान और राकेश कुमार के साथ गिरफ्तार किए गए मुख्य आरोपी डा. नीरज अग्रवाल और उस के साथी डा. जसप्रीत सिंह को ले कर अग्रवाल मैडिकल सेंटर पहुंचे, जहां भारी मात्रा में एक्सपायरी दवादयां और इंजेक्शन मिले.

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