Haryana News: अपनी सर्विस रिवौल्वर से खुद को गोली मारने वाले हरियाणा के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडिशनल डीजीपी) वाई. पूरन कुमार की जेब से मिले 9 पन्नों के सुसाइड नोट में दरजन भर से अधिक आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के नाम मिले. फिर क्या था, प्रदेश के पुलिस महकमे से ले कर सरकार तक में हड़कंप मच गया. जैसेजैसे जांच आगे बढ़ी, वैसेवैसे भ्रष्टाचार, जातीय भेदभाव और प्रमोशन में गड़बडिय़ों की परतें ऐसे उधड़ती चली गईं कि…

हरियाणा के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) वाई. पूरन कुमार 29 सितंबर, 2025 से तबादले के बाद से छुट्टी पर चल रहे थे. मन क्षुब्ध था. बीते कुछ दिनों से दिमाग में कई बातें चल रही थीं. कुछ विभागीय काम को ले कर दबाव का तनाव था, मन बोझिल हुए जा रहा था तो वह अकेलापन भी महसूस कर रहे थे. चंडीगढ़ के सेक्टर 11 में उन के आवास पर परिवार के अधिकतर सदस्य अपनेअपने काम में व्यस्त थे. यहां तक कि आईएएस पत्नी अमनीत की भी अपनी अलग व्यस्तता थी.

अमनीत पी. कुमार हरियाणा सरकार में विदेश सहयोग विभाग में आयुक्त और सचिव के पद पर तैनात हैं. वह मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के साथ जापान दौरे पर गई हुई थीं. परिवार के सदस्यों में 2 बेटियां हैं. बड़ी बेटी पढ़ाई के सिलसिले में विदेश में थी, जबकि छोटी बेटी चंडीगढ़ में पढ़ाई कर रही है. कहने को घर में शांति का माहौल था, लेकिन पूरन कुमार के दिलोदिमाग में खलबली मची हुई थी. ऐसा लगता था जैसे वह अपने मन में दबी बातें किसी को बताना चाहते हों, लेकिन बता नहीं पा रहे हों. वह भीतर ही भीतर घुटेघुटे से थे. उन की यह स्थिति तभी से बन गई थी, जब उन्हें 29 सितंबर, 2025 को पुलिस ट्रेनिंग कालेज सुनारिया, रोहतक में पोस्टिंग दी गई थी. वह वहां जौइन करने के बजाय अवकाश पर चले गए थे.

बात 7 अक्तूबर, 2025 की है. वाई. पूरन कुमार अपने घर के साउंडप्रूफ बेसमेंट में थे. दोपहर का समय था. कमरे में ही चहलकदमी करते हुए कभी सोफे पर बैठ जाते थे तो कभी आराम करने वाली कुरसी पर आ कर बगल की टेबल पर रखे पन्ने उठा कर पढऩे लगते थे. यह सब करते हुए वह स्टडी टेबल के साथ लगी कुरसी पर जा बैठे. वहीं उन का खुला लैपटाप स्लीप मोड में था. उन्होंने उस की एंटर की को दबा दिया. पलक झपकते ही स्क्रीन पर वही पेज उभर कर आ गया, जिसे वह कुछ समय पहले पढ़ रहे थे. उसे ध्यान से देखा… पढ़ा, फिर वहां कुछ टाइप करने लगे.

इसी बीच पास में ही साइलेंट मोड पर रखे मोबाइल की स्क्रीन चमक उठी. कुमार ने एक नजर उस पर डाली. उस पर पत्नी अमनीत की कौल थी. उन्होंने कौल रिसीव नहीं की और लैपटाप पर अपने काम में लगे रहे. कुछ मिनटों में अमनीत की कई कौल्स आईं, जो उन्होंने नजरंदाज कर दीं. वह लैपटाप को शटडाउन करने के बाद ही स्टडी टेबल के साथ लगी कुरसी से उठे. इस से पहले उन्होंने फोन उठा कर सभी मिस्ड कौल देखे, उस में कुछ वाट्सऐप कौल भी थे.

तब तक दोपहर का एक बज चुका था. उस के बाद उन्होंने अपने सुरक्षाकर्मी को बुलाया. उस का सर्विस रिवौल्वर मांग लिया और उसे वहां से चले जाने को कहा. उन के आदेश का पालन करते हुए सुरक्षाकर्मी चला गया. फिर वह कुछ समय के लिए घर के ऊपर वाले कमरे में गए, जहां वह परिवार के साथ रहते थे. उस वक्त घर में नौकरों के अलावा कोई नहीं था. उन से उन्होंने कुछ बातें कीं और दोबारा 2 कमरे वाले बेसमेंट में चले आए.

करीब आधे घंटे बाद डेढ़ बजे उन की छोटी बेटी बेसमेंट में आई. वह किसी काम से मार्केट गई हुई थी. उसे जापान से मम्मा का कौल आया था. आते ही वह ‘डैड…डैड…’ की आवाज लगाती हुई बेसमेंट के मेन कमरे में पहुंची थी कि सामने उस के डैडी वाई. पूरन कुमार आराम कुरसी पर एक ओर मुंह किए लेटे थे और उन के सिर से खून बह रहा था. यह देखते ही उस के मुंह से ‘डैडी…’ की आवाज के साथ चीख निकल पड़ी. उस ने तुरंत सुरक्षाकर्मी को बुलाया. फिर सेक्टर 11 थाने में कौल किया.

सूचना पाते ही मौके पर चंडीगढ़ पुलिस टीम के साथ पहुंच गई. टीम में फोरैंसिक टीम भी थी. जांच एसएसपी कंवरदीप कौर के नेतृत्व में शुरू हुई. मृतक की पहचान अहम पदों पर रहे हरियाणा कैडर के आईपीएस वाई. पूरन कुमार के रूप में हुई. घटना के दौरान एडीजीपी रैंक के अधिकारी पूरन कुमार की आईएएस पत्नी अमनीत पी. कुमार घर में नहीं थीं. वह हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल के साथ जापान गई हुई थीं.

लाश की हालत से स्पष्ट था कि मृतक ने अपनी सर्विस रिवौल्वर से कनपटी पर गोली दागी थी. रिवौल्वर उन की बेटी को बेसमेंट में मिली थी, जो उन्होंने अपने गनमैन से ली थी. कौर ने घर के सभी सदस्यों के साथसाथ सुरक्षाकर्मी और बाहर के प्लौट पर काम करने वालों से भी पूछताछ की. खासकर एसएसपी कौर जानना चाहती थीं कि गोली चलने की आवाज किसकिस ने कब सुनी?

जबकि सभी ने इस बात से इनकार कर दिया. यानी किसी को भी घर के भीतर या फिर बेसमेंट से गोली चलने की आवाज नहीं आई? सभी ने गोली की आवाज सुनने से इनकार कर दिया. जांच में इस का कारण बेसमेंट का साउंडप्रूफ होना पाया गया. संभवत: यही कारण था, जो गोली चलने की आवाज वहां से बाहर नहीं जा पाई. यहां तक कि घर के ठीक ऊपर की मंजिल पर भी नहीं सुनी गई.

जांच टीम के सामने कई सवाल थे. जिस में सब से बड़ा सवाल यह था कि हरियाणा के सीनियर आईपीएस औफीसर वाई. पूरन कुमार ने आत्महत्या क्यों की? इस के बाद  दूसरा अहम सवाल था कि उन्होंने आत्महत्या की या फिर किसी ने उन की हत्या कर डाली? किंतु इसी के साथ यह सवाल भी था कि उन की हत्या भला कोई क्यों करेगा? वह भी उन के घर में घुस कर! इन सवालों के जवाब तुरंत ही नहीं मिल सकते थे, लिहाजा घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने पूरन कुमार के ओहदे को ले कर अटकलें लगाते हुए उन की मौत का जवाब तलाशने की कोशिश करने लगे.

कुछ लोगों ने उन की सीनियरिटी को ले कर सवाल उठाया. उन का एडीजीपी रैंक था, लेकिन जब उन्हें आईजी रैंक दिया गया था, तब उन्होंने बीते साल ‘वन औफीसर वन हाउस पौलिसी’ के तहत शिकायत कर दी थी. इसी के साथ उन्होंने प्रदेश के कई अफसरों की भी शिकायत की थी. उन्होंने आरोप लगाया था कि कई आईपीएस अफसरों ने एक से ज्यादा सरकारी आवास ले रखे हैं. इस के अलावा उन्होंने पूर्व डीजीपी और एडिशनल चीफ सेक्रेटरी पर भी जाति के आधार पर भेदभाव करने की शिकायत आयोग से की थी.

इस तरह उन के द्वारा सिस्टम को हमेशा चुनौती देने की बात भी सामने आई. क्योंकि यह बात हरियाणा के पुलिस महकमे में चर्चित थी कि वह समयसमय पर गृहमंत्री अनिल विज को भी पत्र लिखते थे. इन सब बातों को ले कर वह बीते डेढ़ साल से काफी सुर्खियों में रहे थे. साथ ही हरियाणा में टीचर हत्याकांड की जांच कर रहे थे. घटनास्थल पर सीएफएसएल (केंद्रीय फोरैंसिक विज्ञान प्रयोगशाला) की टीम जांच के साथसाथ पूछताछ में मिली जानकारी के आधार पर चंडीगढ़ की एसएसपी कंवरदीप कौर ने पाया कि घटना दोपहर करीब डेढ़ बजे हुई. घर में आराम कुरसी पर बैठेबैठे ही संभवत: उन्होंने खुद को गोली मार ली. उन की मौत हो चुकी थी.

आत्महत्या से पहले उन्होंने अपने सभी सुरक्षाकर्मियों को परिसर से बाहर जाने का निर्देश दिया था. पूरी जांच चंडीगढ़ के सेक्टर 11 थाने की पुलिस द्वारा की गई. वाई. पूरन कुमार ने इस वारदात से एक दिन पहले अपनी पत्नी पी. अमनीत कुमार के नाम एक वसीयत और 9 पन्नों का सुसाइड नोट भी तैयार किया था. उसे उन्होंने उसी दिन भेज दिया था. उस समय पत्नी जापान में थीं. वह मैसेज मिलने पर घबरा गईं और तुरंत कौल करने  लगीं. उन की कौल रिसीव नहीं हुई.

पूरन कुमार ने एक दिन पहले ही लिखी वसीयत

अगले रोज 7 अक्तूबर को भी उन्होंने करीब 15 बार फोन किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. फिर उन्होंने अपनी छोटी बेटी को फोन किया, जो खरीदारी से घर लौटी और उस ने अपने डैडी को बेसमेंट में एक आराम कुरसी पर बेजान पड़ा पाया. वसीयत और सुसाइड नोट दोनों घटनास्थल से बरामद किए गए, जो उन की जेब में थे. पूरन कुमार ने 6 अक्तूबर, 2025 को वसीयत का मसौदा तैयार किया था, जिस में उन्होंने अपनी सारी संपत्ति अपनी पत्नी के नाम कर दी थी. वही वसीयत और सुसाइड नोट मैसेज के जरिए मिलने पर पत्नी उन्हें बेतहाशा फोन करने लगी थीं.

चंडीगढ़ पुलिस को जांच में पता चला कि 7 अक्तूबर की सुबह पूरन कुमार अपने घरेलू रसोइए प्रेम सिंह के साथ घर पर थे, जो पिछले 6 सालों से उन के परिवार के लिए काम कर रहा था. प्रेम सिंह ने बताया कि सुबह लगभग 10 बजे साहब (पूरन कुमार) ने कहा कि वह बेसमेंट में जा रहे हैं, जहां 2 कमरे हैं. जिन में एक साउंडप्रूफ होम थिएटर भी है.

उन्होंने रसोइए से कहा कि वह उन्हें डिस्टर्ब न करे. सिंह से उन्होंने यह भी कहा कि वह अपने कुत्ते को टहलाने नहीं जाएंगे और फिर से सख्ती से हिदायत दी कि कोई भी नीचे न आए. लगभग 11 बजे पूरन कुमार कुछ देर के लिए ऊपर गए और सिंह से दोपहर के भोजन के लिए पूछा, फिर वापस बेसमेंट में चले गए. इस बीच उन की पत्नी लगातार उन्हें फोन करती रहीं.

शव को पोस्टमार्टम के लिए सेक्टर 16 स्थित अस्पताल में ले जाया गया. इसी बीच घटनास्थल पर एक सुसाइड नोट मिला. जिस में आत्महत्या के कारणों का विस्तार से जिक्र किया गया था. इस के लिए दरजन भर से अधिक प्रशासनिक अधिकारियों के नाम समेत प्रशासनिक व्यवस्था पर दोष लगाया गया था.

सुसाइड नोट से विभाग में मची हलचल

विशेष रूप से वाई. पूरन कुमार द्वारा छोड़े गए सुसाइट नोट, जिसे पुलिस ने ‘फाइनल नोट’ में जाति आधारित कई आरोप लगाए गए थे. उन्होंने लिखा कि उन्हें ‘लगातार स्पष्ट जाति आधारित भेदभाव’ झेलना पड़ा है. अंगरेजी में लिखे उन के नोट का शीर्षक था, ‘संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा लगातार घोर जाति आधारित भेदभाव, लक्षित मानसिक उत्पीडऩ, सार्वजनिक अपमान और अत्याचार.’

उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें उन के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा मानसिक उत्पीडऩ, सार्वजनिक अपमान, असैन्य और अनुचित व्यवहार का सामना करना पड़ा और ये सब ‘जाति आधारित’ रूप में थे. इस का वर्णन किया कि उन से जुड़े अधिकार, जैसे कि आधिकारिक वाहन, अधिकारी आवास, प्रमोशन आदि उन्हें जाति के आधार पर रोके गए या अनियोजित तरीके से प्रभावित हुए. इस पर उन्होंने विस्तार से लिखा कि उन्हें ‘लगातार स्पष्ट जाति आधारित भेदभाव’ झेलना पड़ा. इस के तहत वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा उन्हें निम्नलिखित तरह से निशाना बनाया गया था. जिस से वे मानसिक उत्पीडऩ से ग्रसित हो गए.

इसी तरह उन्हें ‘सार्वजनिक अपमान’ झेलना पड़ा. इस पर उन्होंने लिखा कि उन्हें वरिष्ठ अधिकारियों के सामने ड्यूटी के दौरान सार्वजनिक जगहों पर उन से नीचे के पद वाले अधिकारियों के सामने नीचा दिखाया गया.  इस पर उन्होंने स्पष्ट किया कि यह भेदभाव केवल एकदो घटनाओं तक ही नहीं था, बल्कि लंबे समय से चल रहा क्रम था. उन्होंने इस भेदभाव को व्यवस्थित बताया. उन का आरोप था कि ऐसा व्यवहार कोई एकदो व्यक्तियों द्वारा नहीं, बल्कि विधिविधान के तौर पर वरिष्ठ पदों से नीचे तक और सर्विस की व्यवस्थाओं में फैला हुआ है.

इन आरोपों के साथ उन्होंने जिन विशिष्ट वरिष्ठ अधिकारियों का नाम लिया, उन में शत्रुजीत सिंह कपूर (हरियाणा डीजीपी) तथा नरेंदर बिजारनिया (रोहतक एसपी) प्रमुख रूप से हैं. उन पर उन्होंने ‘मेरा नाम बदनाम करना’, ‘उलटा आदेश जारी करना’ और ‘मेरे खिलाफ योजनाबद्ध प्रेशर बनाए रखना’ जैसे आरोप लगाए.

उन के द्वारा नोट में डीजीपी शत्रुजीत सिंह कपूर पर विशेष आरोप लगाए गए, जिन में उन्हें बकाया राशि मिलने पर आपत्ति भी शामिल थी, जिस से उन के बैच को आर्थिक नुकसान हुआ. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि डीजीपी ने सरकारी आवास आवंटित करने में अतिरिक्त नियम लागू किए. उन के आवास के अनुरोध में बाधा डालने के लिए झूठा हलफनामा पेश किया और नवंबर 2023 में उन्हें परेशान करने के लिए उन का सरकारी वाहन वापस ले लिया.

इस तरह के व्यवहार को उन्होंने अपनी आत्महत्या के पीछे एक कारण के रूप में पेश करते हुए लिखा कि इस भेदभाव और उत्पीडऩ की वजह से उन्हें कोई और विकल्प नहीं बचा था. इन आरोपों के आधार पर ही उन की पत्नी अमनीत पी. कुमार (आईएएस) ने शिकायत दर्ज कराई कि इन के पति को एससी/एसटी (अत्याचार) अधिनियम के अंतर्गत भी मामला दर्ज होना चाहिए. कारण, यह भेदभाव उन के दलित समाज श्रेणी के कारण हुआ था.

इसी के साथ चंडीगढ़ पुलिस ने इस मामले की जांच के लिए पुष्पेंद्र कुमार (आईजी) की अगुवाई में 6 सदस्यीय विशेष जांच टीम (एसआईटी) गठित की. लेकिन परिवार ने डीजीपी और रोहतक एसपी को छुट्टी पर भेजने की मांग की. एसआईटी का गठन चंडीगढ़ के डीजीपी सागरप्रीत हुड्ïडा के निर्देश पर किया गया है.

आईजीपी के नेतृत्व में गठित इस टीम में एसएसपी (यूटी) कंवरदीप कौर, एसपी (सिटी) के. एम. प्रियंका, डीएसपी (ट्रैफिक) चरणजीत सिंह विर्क, एसडीपीओ (दक्षिण) गुरजीत कौर और इंसपेक्टर जयवीर सिंह राणा (एसएचओ, थाना-11) को शामिल किया गया. डीजीपी ने टीम को त्वरित, निष्पक्ष और व्यापक जांच सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं.

यह कदम हरियाणा भवन, नई दिल्ली में रेजीडेंट कमिश्नर डी. सुरेश के नेतृत्व में एससी/एसटी समुदाय के प्रतिनिधियों के एक प्रतिनिधिमंडल द्वारा पुलिस मुख्यालय में डीजीपी से मुलाकात के बाद उठाया गया. इस में सुरेश के अलावा पूरन कुमार के भाई विक्रम कुमार ने भी परिवार की मांगों से अवगत कराने के लिए डीजीपी हुड्ïडा से मुलाकात की थी.

इस बीच मृतक अधिकारी की पत्नी आईएएस अधिकारी अमनीत पी. कुमार ने एफआईआर में 2 आरोपी अधिकारियों हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर और रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजारनिया के नाम शामिल कर उन के खिलाफ काररवाई करने की मांग की है. उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्य नामों को हटा दिया गया है और एससी/एसटी अधिनियम की धाराओं को कमजोर किया गया है. इसी के साथ परिवार तब तक शव का पोस्टमार्टम और अंतिम संस्कार करने से इनकार करता रहा, जब तक कि दोनों अधिकारियों (हरियाणा के डीजीपी और रोहतक के एसपी) को छुट्टी पर नहीं भेज दिया जाता. इस बारे में परिवार को हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से आश्वासन मिला था.

इसी बीच राज्य मंत्री कृष्णलाल पंवार ने शोकसंतप्त परिवार से मुलाकात कर अंतिम संस्कार की अपील की थी, लेकिन परिवार ने दोहराया कि जब तक उन की मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक वे आगे नहीं बढ़ेंगे. राष्ट्रीय अनुसूचित जाति/जनजाति आयोग के अध्यक्ष किशोर मकवाना ने भी परिवार से मुलाकात की.

पोस्टमार्टम का किया विरोध

पोस्टमार्टम में इतनी जल्दबाजी क्यों? यह सवाल उठाते हुए आईपीएस अधिकारी की पत्नी ने चंडीगढ़ पुलिस पर शव के साथ ‘असम्मानजनक’ व्यवहार करने का आरोप लगाया तो सभी सकते में आ गए. अमनीत पी. कुमार ने आरोप लगाया कि पुलिस ने परिवार के किसी सदस्य की अनुपस्थिति के बावजूद शव को पोस्टमार्टम की औपचारिकताओं के लिए अस्पताल से ले लिया. वह वाई. पूरन कुमार के पोस्टमार्टम में चंडीगढ़ पुलिस द्वारा की गई जल्दबाजी से व्यथित हो गई थीं. इसे ले कर उन्होंने पुलिस पर जम कर निशाना साधा और आरोप लगाया कि उन्होंने शव के साथ कोई सम्मान नहीं दिखाया.

उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ पुलिस ने मेरे दिवंगत पति के प्रति कोई सम्मान नहीं दिखाया. मैं पोस्टमार्टम के लिए सहमत थी, लेकिन मैं ने स्पष्ट रूप से कहा था कि शव को ले जाने से पहले बच्चे अपने पिता को अंतिम श्रद्धांजलि देंगे. हालांकि, पुलिस ने पूरी तरह से अवहेलना करते हुए परिवार के किसी भी सदस्य की अनुपस्थिति के बावजूद औपचारिकताओं के लिए शव को अस्पताल से ले लिया. उन्होंने गुस्से में यह भी कहा कि अगर परिवार की सहमति इतनी अप्रासंगिक है तो उन्हें शव के साथ जो करना है, करने दीजिए. मैं ने अब तक चुप रह कर गरिमा बनाए रखी है. हालांकि अब यह पूरी तरह से नियंत्रण से बाहर हो रहा है. इतनी जल्दी क्या थी? चंडीगढ़ पुलिस को अपने आचरण पर स्पष्टीकरण देना चाहिए.

साथ ही उन्होंने पुलिस को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा, ‘सेक्टर 16 अस्पताल से शव को पीजीआई ले जाते समय, जहां पोस्टमार्टम होना है, महत्त्वपूर्ण सबूत नष्ट हो गए होंगे. किसी भी चूक के लिए चंडीगढ़ पुलिस जिम्मेदार होगी.’

आईजीपी पूरन कुमार का कथित तौर पर अनियमित पदोन्नति, जाति आधारित भेदभाव और प्रशासनिक उत्पीडऩ को ले कर वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विवादों को ले कर चर्चा में बने रहने का इतिहास रहा है. पिछले कुछ सालों में उन्होंने गृह मंत्रालय के मानदंडों के उल्लंघन, अनुसूचित जाति के अधिकारियों के प्रति कथित पक्षपात और पोस्टिंग व आधिकारिक विशेषाधिकारों में चयनात्मक व्यवहार पर अंगुली उठाई थी. इस संबंध में उन्होंने मुख्यमंत्री और शीर्ष नौकरशाहों को कई पत्र लिखे थे.

कई आईएएस/आईपीएस पर आत्महत्या का असर

वाई. पूरन कुमार की आत्महत्या का बड़ा असर होना निश्चित है. जैसेजैसे जांच में तेजी आएगी, वैसेवैसे आधा दरजन के करीब उन आईएएस और आईपीएस की मुश्किलें बढ़ जाएंगी, जिन के नाम सुसाइड नोट में दर्ज हैं. जापान से लौटने के बाद आईएएस अमनीत पी. कुमार ने जिस तरह अपनी बड़ी बेटी के विदेश से लौटने तक शव का पोस्टमार्टम नहीं होने दिया और सुसाइड नोट के आधार पर दोषियों के विरुद्ध काररवाई की मांग की, उस से राज्य की अफसरशाही में खलबली मच गई. पी. कुमार के सुसाइड नोट को पुलिस भी फाइनल नोट कह कर जांच को जरूरी मान चुकी है. हालांकि वे कौनकौन हैं, यह अभी सार्वजनिक नहीं हो पाया था.

जबकि राजनीति से ले कर प्रशासनिक गलियारे में हड़कंप मच गया कि कई आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के साथ राजनेता भी बेनकाब हो सकते हैं. जांच में 2 बातें सामने आई हैं. एक सुसाइड नोट में दर्ज नामों का ‘फाइनल नोट’ और उन के द्वारा लिखी गई वसीयत. हालांकि फाइनल नोटिस की परिभाषा क्या है, इस बारे में चंडीगढ़ पुलिस कुछ स्पष्ट नहीं कर पाई है, किंतु वाई. पूरन कुमार ने आत्महत्या से पहले जिस तरह वसीयत लिखी और सारी संपत्ति पत्नी अमनीत पी. कुमार के नाम की, उस से अनुमान लगाया गया कि वे पहले ही काफी कुछ मन बना चुके थे.

साथ ही समयसमय पर उन्होंने हरियाणा के मुख्य सचिवों, गृह सचिवों, पुलिस महानिदेशकों और मुख्य निर्वाचन अधिकारी तक के विरुद्ध शिकायतें दर्ज कराई थीं. उन की विभिन्न याचिकाओं पर अभी पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है. अनुसूचित जाति/जनजाति आयोग ने भी उत्पीडऩ की शिकायत के आधार पर सरकार से जवाब मांगा है. इस के अनुसार उन की पत्नी अमनीत पी. कुमार यदि अपने पति के सुसाइड नोट के आधार पर दोषियों के खिलाफ काररवाई की मांग पर अड़ी रहीं तो कई अधिकारियों की परेशानी बढ़ सकती है.

आईपीएस सुसाइड केस का ट्विस्ट एएसआई संदीप लाठर की खुदकुशी

हरियाणा में आईपीएस वाई. पूरन कुमार के सुसाइड की वारदात के सातवें दिन सरकार ने डीजीपी को हटा तो दिया, लेकिन इस के बाद पूरन कुमार के गार्ड को अरेस्ट करने और उन के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच करने वाले एएसआई संदीप लाठर ने आत्महत्या कर ली. एएसआई ने अपने 3 पेज के सुसाइड नोट में लिखा है कि वाई. पूरन कुमार भ्रष्टाचारी अफसर थे. उन के खिलाफ बहुत से सबूत मौजूद हैं. जातिवाद का सहारा ले कर उन्होंने सिस्टम को हाईजैक कर लिया और ईमानदार अधिकारियों को प्रताडि़त किया जा रहा है. एएसआई ने लिखा कि वह अपनी शहादत दे कर इस भ्रष्टाचार की जांच की मांग कर रहा है, ताकि सच सामने आ सके.

एएसआई संदीप एसपी कार्यालय स्थित साइबर सैल में तैनात थे. 14 अक्तूबर की दोपहर को एक सूचना के बाद संदीप का शव उन के मकान में चारपाई पर पाया गया था. उन्होंने सफेद रंग की शर्ट और नीले रंग की जींस पहन रखी थी. चारपाई के पास उन का सर्विस रिवौल्वर पड़ा था. डीएसपी गुलाब सिंह मौके पर पहुंची थीं.  एफएसएल एक्सपर्ट डा. सरोज दहिया को जांच के लिए बुलाया गया था. घटना के बाद पुलिस ने मौके से 3 पेज का सुसाइड नोट और एक वीडियो मैसेज बरामद किया.

संदीप ने सुसाइड नोट में यह भी दावा किया कि पूरन कुमार भ्रष्ट अधिकारी थे. उन के खिलाफ उस के पास कई सबूत मौजूद थे. उन्हें अपनी गिरफ्तारी का डर था, इसलिए उन्होंने यह खौफनाक कदम उठाने का फैसला किया. नोट में लाठर ने लिखा था कि पूरन कुमार के परिवार को भी नहीं छोड़ा जाना चाहिए.

लाठर की आत्महत्या ने पूरन कुमार की खुदकुशी मामले में नया ट्विस्ट ला दिया. उन्होंने भी आत्महत्या करने से पहले कुमार की तरह ही सुसाइड नोट लिखा और वीडियो भी बनाया. वीडियो में संदीप लाठर ने पूरन कुमार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए, जिस में उन्होंने लिखा कि पूरन कुमार ने राव इंद्रजीत को निकालने के लिए 50 करोड़ की डील की थी. साथ ही लाठर ने आत्महत्या से पहले रोहतक के पूर्व एसपी नरेंद्र बिजारणिया को ईमानदार पुलिस अफसर बताया. ऐसे में हरियाणा पुलिस के अंदर भ्रष्टाचार को ले कर चलने वाला मामला और भी पेचीदा हो गया. रोहतक के नए एसपी सुरेंद्र सिंह भोरिया ने संदीप लाठर को अच्छा मुलाजिम बताया.

2001 बैच के आईपीएस वाई. पूरन कुमार के सुसाइड कर लेने के बाद हरियाणा की आईपीएस और आईएएस लौबी समेत पूरी अफसरशाही में पहले से ही हड़कंप मचा हुआ था. उस में लाठर की आत्महत्या और उन के सुसाइड नोट में जिक्र हुए नामों से छौंक लग गई. संदीप लाठर के आरोपों से कई भ्रष्टाचारियों के नाम उजागर हो गए. इन में एक बड़ा नाम राव इंद्रजीत का आया, जिसे क्रिमिनल बताया गया. वह जेम्स म्यूजिक का मालिक है. पुलिस के डर से विदेश में बैठा है. उस के अमेरिका में होने की संभावना जताई गई है. मंजीत डीघल समेत कई मामलों का आरोपी है.

राव इंद्रजीत का नाम एल्विश यादव के घर पर फायरिंग के बाद भी सामने आया था. उसे एक कुख्यात गैंगस्टर बताया जाता है. हरियाणा से जुड़े राव इंद्रजीत हिमांशु भाऊ गैंग के लिए काम करता है. रोहतक में कुछ समय पहले एक फाइनेंसर की हत्या होने के बाद भी राव इंद्रजीत का नाम आया था. इसी के साथ उस का नाम हरियाणा के सिंगर फाजिलपुरिया पर भी हमले में आया था. एल्विश यादव के जानी दुश्मनों में नीरज फरीदपुरिया, हिमांशु भाऊ और राव इंद्रजीत यादव के नाम शामिल हैं.

पूरन कुमार की तरह ही संदीप लाठर ने भी सुसाइड नोट में संगीन आरोप लगाए हैं. इस के बाद यह मामला पेचीदा बन गया और हरियाणा के कार्यवाहक डीजीपी बने ओ.पी. सिंह के सामने एक साथ कई चुनौतियां आ गई थीं. उन के सामने पहली बड़ी चुनौती आईपीएस पूरन कुमार की पत्नी को पोस्टमार्टम और अंतिम संस्कार के लिए राजी करने की थी. दूसरी चुनौती एएसआई संदीप लाठर के भाई द्वारा पूरन के परिवार पर एफआईआर दर्ज करने की मांग का समाधान निकालने की थी. इस में पूरन कुमार की पत्नी अमनीत कुमार के खिलाफ भी ऐक्शन की मांग की गई थी.

संदीप लाठर ने वीडियो में कहा था कि वह भगत सिंह की तरह अपनी पहली आहुति दे रहे हैं. इस कारण नए डीजीपी के सामने फिर से खाकी पर लगे आरोपों के धुलने और दोनों परिवारों के इंसाफ दिलाने की चुनौती आ गई. संदीप कुमार लाठर हरियाणा के जींद जिले के गांव जुलाना के रहने वाले थे. वे हरियाणा पुलिस में सहायक उपनिरीक्षक पद पर तैनात थे और विशेष रूप से रोहतक जिले की साइबर सेल में कार्यरत थे. उन के परिवार में पत्नी संतोष, एक बेटा और 2 बेटियां हैं. उन की पारिवारिक पृष्ठभूमि पुलिस की रही है. पिता भी पुलिस में इंसपेक्टर थे.

15 अगस्त, 2025 को मुख्यमंत्री द्वारा उन्हें सम्मान मिला था. उन के बेटे का कहना है कि ‘मैं अपने पिता का सपना पूरा करूंगा.’ उन के अंतिम संस्कार में भारी जुड़ाव और स्थानीय स्तर पर गहरी संवेदना देखने को मिली. Haryana News

 

 

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...