लेखक - गीतांजलि, Hindi Kahani: अनुज और आरुषि को बेटे के बाद एक बेटी की तमन्ना थी, लेकिन डाक्टर ने आगे बच्चा पैदा करने के लिए मना किया था. उन की यह तमन्ना पूरी तो हुई, लेकिन कैसे...
अनुज और आरुषि की शादी 6 साल पहले हुई थी. दोनों ही एकदूसरे को बहुत ज्यादा प्यार करते थे. वे मानसिक रूप से एकदूसरे के बहुत करीब थे. उस स्थिति में भी जब जन्म के 3 महीने बाद ही उन की बेटी की मौत हो गई थी, तब भी दोनों ने एकदूसरे का बहुत खयाल रखा था. दोनों को ही बच्ची के मरने का बहुत दुख था. वे चाहते थे कि जल्दी ही उन के यहां कोई संतान हो जाए. कुछ महीनों बाद आरुषि एक बार फिर जब उम्मीद से हुई तो दोनों ने बहुत ज्यादा सावधानी रखी, ताकि कुछ गलत न हो जाए.
जब अगली बार उन के यहां बेटा पैदा हुआ तो उन की खुशी का ठिकाना न रहा. लेकिन इस के साथ ही उन्हें डाक्टर ने चेतावनी भी दी कि अब वे कोई बच्चा न करें. उन्होंने अपने बेटे का नाम अनुग्रह रखा. अनुग्रह को हर वह खुशी मिली, जो उस के मातापिता दे सकते थे. बेटे के जन्म के बाद भी आरुषि अपनी बेटी को याद कर के दुखी हो जाया करती थी और उस की आंखों से आंसू बह निकलते थे. वह जानती थी कि अनुज को भी कम से कम एक और बच्चे की तीव्र इच्छा है. उस का मानना था कि परिवार में एक लड़की होना जरूरी है. लेकिन उस ने कभी भी अपनी जुबान से इस बारे में कुछ नहीं कहा. यही बात आरुषि को और ज्यादा तकलीफ देती थी.






