Hindi love Story : जोधपुर रियासत से निर्वासित हो कर कुंवर भीमसिंह को जैसलमेर रियासत में शरण लेनी पड़ी. इसी दरम्यान उन्हें वहां की राजकुमारी नागरकुंवर से प्यार हो गया. इसी दौरान ऐसा वाकया हुआ कि कुंवर भीमसिंह को जोधपुर की राजगद्दी संभालनी पड़ी...
18 वीं शताब्दी काल के मराठा वीर पेशवा बाजीराव (प्रथम) की प्रेयसी मस्तानी की तरह उसी शताब्दी काल में जोधपुर रियासत के नरेश महाराजा विजय सिंह की चहेती थी गुलाबराय पासवान. वह अद्वितीय सुंदर थी. न तो मस्तानी ही कभी विधिवत परंपरा के अनुसार बाजीराव के साथ विवाह रचा सकी और न ही गुलाबराय कभी विजय सिंह की पत्नी का दरजा पा सकी. जोधपुर रियासत में गुलाबराय का सिक्का चलता था. गुलाबराय ने जोधपुर में कई अहम विकास कार्य करवाए. उस की सलाह के बिना विजय सिंह कोई भी कार्य नहीं करवाते थे. गुलाबराय ने पानी की समस्या दूर करने के लिए परकोटे के भीतर गुलाबसागर बनवाया. इस के अलावा कुंजबिहारी मंदिर, महिला बाग, गिरदीकोट आदि का निर्माण भी गुलाबराय की प्रेरणा से हुआ था.
वहीं सोजत शहर का परकोटा और जालौर किले में कुछ निर्माण भी उन्होंने करवाया था. महाराजा विजय सिंह का गुलाबराय से अत्यधिक प्रेम था, इस के चलते उन्होंने अपनी अन्य सभी रानियों को नाराज तक कर लिया था. गुलाबराय के मुंह से निकला हर वाक्य राजा का आदेश बन गया था. गुलाबराय बुद्धिमान और सरल हृदय की थी. उस ने वैष्णव धर्म को अपना रखा था. गुलाबराय ने राजा के माध्यम से पूरी रियासत में वैष्णव धर्मावलंबियों के नियमउपनियम लागू कर रखे थे. गुलाबराय की इच्छा से राज्य में पशुवध पर सख्ती से पाबंदी लगी. इस आज्ञा का पालन नहीं करने वालों को किले में बुला कर मृत्युदंड दिया जाता था. जोधपुर राजमहल की रानियों और रियासत के पंडितों ने गुलाबराय के साथ महाराजा विजय सिंह के संबंधों को स्वीकृति नहीं दी.