Hindi Story: साधारण परिवार में पलाबढ़ा काजी कयूम किसी भी तरह रुपए जमा कर बड़ा आदमी बनना चाहता था. उस ने 2 पैसे वाली बेवा औरतों से शादी कर उन्हें  ठिकाने लगा दिया,   लेकिन जब  तीसरी का कत्ल किया तो...

मैं ने फाइल पर हाथ मारते हुए कहा, ‘‘वकील साहब मेरे मुवक्किल को मुजरिम कह रहे हैं, यह गलत बात है. जब तक जुर्म साबित नहीं हो जाता, मेरे मुवक्किल को मुजरिम नहीं कहा जा सकता.’’

‘‘ऐतराज दुरुस्त है.’’ जज ने कहा, ‘‘वकील साहब अपने बयान से खतरनाक मुजरिम हटा दीजिए.’’

वादी वकील मुझे घूर कर रह गया. मैं ने अपने मुवक्किल की जमानत के लिए जोर देते हुए कहा, ‘‘योरऔनर, इस मुकदमे को चलते 4 महीने हो गए हैं. मेरे मुवक्किल पर कत्ल का आरोप है. लेकिन वादी अब तक कोई भी ठोस सबूत उस के खिलाफ पेश नहीं कर सका, न ही कोई खास काररवाही हो सकी है. मैं ने केस आज ही हाथ में लिया है.’’

‘‘बेग साहब, काररवाही धीमी होने की वजह वादी और बचाव, दोनों की जिम्मेदारी है. इस स्थिति में जमानत मंजूर नहीं हो सकती.’’ जज ने कहा. बचाव वकील की लापरवाही की ही वजह से यह मुकदम्मा मेरे पास आया है. मुझे पता है कि कत्ल के केस में जमानत वैसे भी मुश्किल से मिलती है. पहले वाले वकील ने केस में जरा भी मेहनत नहीं की थी. मेरा मुवक्किल खलील एक बेवा मां का बेटा था. मध्यमवर्गीय लोग थे. खलील अपनी बेवकूफी और बदकिस्मती से एक कत्ल के केस में फंस गया था. काजी कयूम एक बेहद शातिर और चालाक आदमी था. एक फ्लैट में उस ने अपना औफिस खोल रखा था.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 12 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
सब्सक्राइब करें

बुकलेट की सुपर डील!

(डिजिटल + 12 प्रिंट मैगजीन + बुकलेट!)
₹ 1534₹ 999
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...