Pahalgam Terror Attack : पाकिस्तान भारत में आतंकी वारदातों को अंजाम दे कर कश्मीर मुद्दे को जीवित रखना चाहता है. पूरी दुनिया को पता है कि पाकिस्तान आतंकियों की फैक्ट्री बना हुआ है. भले ही वह बरबादी के मुहाने पर खड़ा है, लेकिन भारत के खिलाफ जहर उगलना बंद नहीं कर रहा है. यह अब उस की फितरत बन गई है, लेकिन पहलगाम में आतंकियों ने जिस तरह टूरिस्टों को निशाना बनाया, उस का अंजाम उसे भुगतना पड़ेगा.
करनाल के रहने वाले भारतीय नौसेना के अधिकारी लेफ्टिनेंट विनय नरवाल ने अपनी शादी और जन्मदिन समारोह के लिए 28 मार्च, 2025 से 40 दिनों की छुट्टी ले ली थी. इन सब के लिए उन्होंने भव्य और यादगार बने रहने वाली योजना बनाई थी. मसूरी में डेस्टीनेशन वेडिंग के बाद, करनाल में वेडिंग रिसैप्शन से ले कर शादी के बाद हनीमून पर यूरोप जाने का प्लान था. किंतु यूरोप का वीजा नहीं मिलने की वजह से उन्होंने अंत समय में पहलगाम (कश्मीर) का प्लान बना लिया था.
विनय नरवाल का पहली मई को बर्थडे भी था. शादी के बाद पहले बर्थडे को ले कर परिवार ने ग्रैंड पार्टी प्लान की थी. इस के बाद 3 मई को उन्हें पत्नी के साथ कोच्चि ड्यूटी पर लौटना था. विनय के दादा हवा सिंह पहले बीएसएफ में थे और बाद में हरियाणा पुलिस में भी नौकरी की थी. विनय का परिवार मूलरूप से करनाल के भूसली गांव से है, लेकिन मौजूदा समय में वे करनाल के सेक्टर-7 में रहते थे. घर में एक बहन और एक भाई और है. विनय कोच्चि में तैनात थे.
26 साल के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की शादी गुरुग्राम की हिमांशी से हुई थी. हिमांशी के पिता हरियाणा के टैक्स विभाग में ईटीओ के पद पर नौकरी करते हैं और सपरिवार सेक्टर-47 में रहते हैं. जबकि विनय नरवाल ने करनाल के संत कबीर स्कूल से पढ़ाई की थी. बाद में उन्होंने कंबाइंड डिफेंस सर्विस (सीडीएस) का एग्जाम दिया था. हालांकि वह एसएसबी के जरिए 3 साल पहले सेना में गए थे. 16 अप्रैल, 2025 को शादी और 19 अप्रैल को ग्रैंड रिसैप्सन के बाद 21 अप्रैल को विनय अपनी नवविवाहिता हिमांशी के साथ जब हनीमून मनाने के लिए कश्मीर गए थे, तब हिमांशी के हाथों की मेहंदी और कलाइयों में लाल कंगन व चूडिय़ां चमक रही थीं. वे एक पर्यटक की तरह 22 अप्रैल, 2025 को जम्मूकश्मीर के पहलगाम में थे.
हरियाली से ढके ढलानों और खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों के आनंद में खोए हुए थे. भविष्य के सुनहरे सपने बुनते हुए सौंदर्य को हमेशाहमेशा के लिए अपने जेहन में समेट लेना चाहते थे. कौन किस की तारीफ कर रहा था, कहना मुश्किल था, लेकिन नवविवाहित जोड़े के मुंह से बारबार प्राकृतिक सौंदर्य, हरियाली व रंगीन फूलों के बीच पगडंडियां, आबोहवा, बेहतरीन अनुकूल मौसम की छुअन, स्थानीय लोगों के पहनावे, जीवनशैली और खानपान की केवल तारीफ ही तारीफ निकल रही थी.
भारत का ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ कहे जाने वाले पहलगाम की बैसरन घाटी हर किसी को अपनी ओर खींच लेती है. यहां घने देवदार के जंगलों से घिरी एक सुंदर घाटी है, जो पहलगाम से लगभग 6 किलोमीटर दूर स्थित है. बैसरन घाटी पहलगाम में एक सुरम्य घास का मैदान है, जो क्षेत्र के मुख्य शहर श्रीनगर से 30 मील दक्षिणपूर्व में स्थित एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है. इस स्थान पर केवल पैदल या खच्चरों के माध्यम से ही पहुंचा जा सकता है.
उस रोज दोपहर के करीब 3 बज चुके थे. अचानक माहौल में अजीब तरह की हलचल मच गई थी. सेना की वरदी में 5 लोग आ धमके थे. एके 47 लहराते हुए तेजी से पर्यटकों की तरफ आगे बढ़ गए थे. वे जंगल के रास्ते घाटी में पहुंचे थे. आते ही उन्होंने पुरुष पर्यटकों से पहचान पत्र मांगा. उन का धर्म पूछा. इस पूछताछ के क्रम में पुरुषों से उन के धर्म की पुष्टि के लिए कलमा पढ़वाया और कुछ की शारीरिक (गुप्तांग) जांच भी की. कुछ को किनारे कर दिया, फिर उन पर्यटकों को एके 47 के निशाने पर ले लिया, जिन्होंने खुद को हिंदू बताया था. उस के बाद उन्होंने गोलीबारी शुरू कर दी थी.
वहां उपस्थित लोगों के बीच भगदड़ मच गई. उन्हें समझने में देर नहीं लगी कि आतंकी हमला हो चुका है. अचानक हुए इस हमले के दौरान एक स्थानीय खच्चर चालक सैय्यद आदिल हुसैन शाह ने पर्यटकों की रक्षा करने का प्रयास किया और हमलावरों से भिड़ गए, लेकिन उन्हें भी गोली मार दी गई. हमले में कई पर्यटक घायल हो गए. कई की घटनास्थल पर ही मौत हो गई. उन में लेफ्टिनेंट विनय नरवाल भी थे. उन के सीने, छाती और बाजू में गोलियां मारी गई थीं. उन्हें बचाने के लिए पत्नी हिमांशी गुहार लगाती रही, लेकिन हमलावरों ने उस की नहीं सुनी.
कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा किए गए इस हमले में 26 पर्यटक घटनास्थल पर ही मारे गए थे, जबकि 17 जख्मी हो गए थे. यह हमला उस वक्त हुआ, जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत की 4 दिवसीय यात्रा पर थे. मृतकों में देश के विभिन्न राज्यों के पर्यटक थे. इन में सब से ज्यादा 6 लोग महाराष्ट्र से, गुजरात, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक से 3-3, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, चंडीगढ़, मध्य प्रदेश, जम्मू कश्मीर, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, केरल और ओडिशा से एकएक और एक नेपाली नागरिक की जान गई. हमले में 17 घायलों में 5 लोग महाराष्ट्र के, तमिलनाडु, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और गुजरात के 2-2 और पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और नेपाल का एकएक शख्स शामिल था.
आतंकी हमले के बाद घाटी का माहौल चीखपुकार में बदल चुका था. अज्ञात आतंकवादी फुरती से जिस रास्ते आए थे, उसी रास्ते देवदार के जंगल से होते हुए लापता हो गए. वहां उपस्थित पर्यटकों और लोगों को हैरानी हुई कि उन के खिलाफ जवाबी काररवाई करने वाला वहां भारतीय सेना का एक भी जवान क्यों नहीं मौजदू था?
सच तो यह था कि घाटी में आतंकी हमले के दौरान भारतीय सुरक्षा व्यवस्था काफी कमजोर थी. जबकि बैसरन घाटी के एक पर्यटक स्थल होने और वहां मुख्यरूप से पैदल या खच्चरों के माध्यम से पहुंचने के कारण सुरक्षा बल की स्थाई तैनाती की उम्मीद थी. घाटी में केवल कुछ स्थानीय पुलिस और वन सुरक्षाकर्मी गश्त पर थे. ऐसे में जब सेना की वरदी में आतंकी घुसे थे, तब आम पर्यटकों और स्थानीय लोगों को उन की सुरक्षा में आए सेनाकर्मी होने का भ्रम हुआ था और उन्होंने उन के द्वारा पूछताछ किए जाने का कोई विरोध नहीं किया. इस ने सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता और पहचान प्रणाली की एक बड़ी कमजोरी को उजागर कर दिया है.
यहां तक कि इस आतंकी हमले के संबंध में खुफिया तंत्र की विफलता भी सामने आ गई. पर्यटकों समेत स्थानीय लोगों को हैरानी इस बात की हुई कि हमले से पहले कोई भी ठोस खुफिया सूचना उन तक क्यों नहीं मिल पाई, जिस से वे सतर्क हो जाते और पर्यटकों को सचेत करते. इस का मतलब था कि आतंकी गतिविधियों की पहले से सुरक्षा एजेंसियों को जानकारी नहीं मिल पाई थी. एक और सुरक्षा में चूक की तकलीफ देने वाली बात यह भी सामने आई कि हमले के बाद दुर्गम और पहाड़ी इलाका होने के कारण पुलिस और सेना को मौके पर पहुंचने में काफी समय लग गया.
भारत सरकार और जम्मूकश्मीर प्रशासन ने सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने के लिए आतंकी घटना के बाद घाटी में अतिरिक्त सेना और सीआरपीएफ की कंपनियां तैनात की. साथ ही घाटी में आनेजाने वाले सभी पर्यटकों का डिजिटल रजिस्ट्रैशन और आधार सत्यापन की प्रक्रिया शुरू की गई तथा ड्रोन्स और सीसीटीवी कैमरों की निगरानी बढ़ाई गई, तब तक वहां से पर्यटक जा चुके थे. जल्द ही स्थानीय लोगों और वहां आए पर्यटकों के द्वारा घटना के वीडियो क्लिपिंग्स सोशल मीडिया पर वायरल हो गए. तेजी से साझा किए गए ग्राफिक वीडियो में घायल पर्यटक खून से लथपथ पड़े हुए दिखाई दे रहे थे, जबकि उन के रिश्तेदार चीख रहे थे और मदद की गुहार लगा रहे थे.
इलाके में सड़क मार्ग की कमी के कारण घायलों को निकालने के लिए हेलीकौप्टर सेवा का सहारा लिया गया था, लेकिन तत्काल मदद की सुविधा में कमी के चलते लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. वहां मौजूद स्थानीय टूर गाइड वाहिद ने लोगों की मदद की. ऐसे ही एक गाइड ने मीडिया को घटना के बारे में बताया कि गोलियों की आवाज सुनने के बाद वह घटनास्थल पर पहुंचा था. कुछ घायलों को घोड़े पर बिठा कर ले गया था. उन्होंने देखा कि कुछ लोग जमीन पर पड़े हुए थे, जो मृत लग रहे थे. उन में एकदो मरने से पहले अपना केवल नाम ही बता पाए थे. वहां मौजूद एक महिला पर्यटक ने बताया, ‘मेरे पति को सिर में गोली लगी थी, जबकि वहीं 7 दूसरे घायल हो गए थे.’
सोशल मीडिया पर कांग्रेस नेता उमर अब्दुल्ला ने लिखा, ‘यह हमला हाल के सालों में नागरिकों पर किए गए किसी भी हमले से कहीं बड़ा है.’ स्थानीय पुलिस अधिकारियों के अनुसार 2 से 3 बंदूकधारियों ने उस क्षेत्र में पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलीबारी की थी, जहां केवल पैदल या घोड़े पर सवार हो कर ही पहुंचा जा सकता है और फिर वे घटनास्थल से भाग गए थे. जबकि एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि गोलीबारी हमारे ठीक सामने हुई. पहले तो हमें लगा कि यह सिर्फ पटाखे हैं, लेकिन जब हम ने दूसरों को चिल्लाते हुए सुना तो हम खुद को बचाने के लिए वहां से भाग गए.
एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी, जिस ने अपना नाम नहीं बताया, ने कहा कि हम 4 किलोमीटर तक भागते रहे. मैं अभी भी कांप रहा हूं. पहलगाम में आतंकी हमले में वायरल हुई कई तसवीरें और वीडियो में एक तसवीर करनाल के विनय नरवाल और उन की पत्नी की भी थी. विनय नरवाल और हिमांशी की खौफनाक तसवीर थी, जिस में आतंकी हमले की भयावहता स्पष्ट तौर पर देखी जा सकती थी. पहलगाम की खूबसूरत बैसरन घाटी में एक भूरे रंग के स्थान पर विनय का शव पड़ा था. हिमांशी पास में ही बैठी हुई थी और एक काला बैग उलटा पड़ा था.
कलेजा चीर देंगी ये सिसकियां
वीडियो में हिमांशी कहती हुई सुनाई दे रही थी, ‘मैं अपने पति के साथ भेलपूरी खा रही थी. एक आदमी आया और उस ने पूछा कि क्या वह (नरवाल) मुसलिम हैं? जब उस ने कहा कि नहीं तो उस आदमी ने पति के सिर में गोली मार दी. इस के बाद आतंकियों ने छाती, गले और उल्टी बाजू के पास गोलियां मारी थीं.’ नरवाल की मौके पर ही मौत हो गई थी. उन के परिवार को जैसे ही इस की सूचना मिली तो उन की बहन और पापा श्रीनगर गए.
नरवाल के दोस्तों और पड़ोसियों के अनुसार, नरवाल पहली मई को अपना 27वां जन्मदिन मनाने के लिए भी उत्सुक थे, जिस के लिए उन्होंने एक भव्य कार्यक्रम की योजना बनाई थी. 2 दिन बाद हिमांशी के साथ उन्हें कोच्चि जाना था. जहां वह रहते थे, उन के घर के बाहर, सजावटी लटकन, दीवारों पर मेहंदी के दाग और प्रवेश द्वार पर आम के पत्तों की माला इस बात की गवाही दे रही थी कि क्या हुआ था. लेकिन अचानक वहां के बदले माहौल में सफेद टेंट और निराशा की चीखें वास्तविकता को बता रही थीं.
नरवाल के दादा हवा सिंह, जो हरियाणा पुलिस में सेवा देने से पहले बीएसएफ से सेवानिवृत्त हुए थे, ने कहा, ‘मैं ने कभी नहीं सोचा था कि मेरा पोता मुझे इस तरह छोड़ देगा. वह अपने कालेज के दिनों से ही रक्षा बलों में शामिल होना चाहता था. वह संयुक्त रक्षा सेवा परीक्षा पास नहीं कर सका, इसलिए उस ने सेवा चयन बोर्ड की परीक्षा दी और 3 साल पहले नौसेना में शामिल हो गया.’ विनय नरवाल के पापा राजेश कुमार (54) पानीपत में कस्टम विभाग में अधीक्षक के पद पर कार्यरत हैं और उन की मम्मी आशा देवी (51) गृहिणी हैं. उन की जुड़वां बहन सृष्टि दिल्ली में सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रही है.
परिवार के सदस्यों ने बताया कि विनय की शादी करीब 2 महीने पहले हिमांशी से तय हुई थी, जो छात्रों के लिए औनलाइन कोचिंग क्लास भी चलाती है. हिमांशी के पिता सुनील कुमार तो और भी गम में डूबे थे. उन्होंने कहा, ‘कुछ दिन पहले मैं ने उस के हाथों में मेहंदी और चूड़ा (दुलहन की चूडिय़ां) सजाया था. आज मेरे पास उसे सांत्वना देने के लिए कोई शब्द नहीं हैं.’
विनय का पार्थिव शरीर 23 अप्रैल को श्रीनगर से दिल्ली लाया गया और उसी रोज शाम को करनाल ले जाया गया. करनाल में अंतिम संस्कार के समय हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी भी शामिल हुए. विनय को श्रद्धांजलि देने और हिमांशी को सांत्वना देने दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता भी पहुंची थीं. पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए व्यक्तियों के परिजनों की सिसकियां हर किसी का कलेजा चीर कर रख देंगी. उन में भावनगर के पिता और पुत्र यतीशभाई सुधीरभाई परमार (45) और स्मित यतीशभाई परमार (17) रहे हैं. वह श्रीनगर के शेरएकश्मीर इंटरनैशनल कन्वेंशन सेंटर में धार्मिक उपदेशक मोरारी बापू की कथा में भाग लेने के लिए जम्मूकश्मीर गए थे.
भावनगर शहर के कालियाबीड़ इलाके में नंदनवन सोसायटी में रहने वाले परमार परिवार के 7 सदस्य श्रीनगर गए थे, लेकिन केवल 5 ही वापस लौट पाए. गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने दिवंगत पिता और पुत्र को उन के आवास पर श्रद्धांजलि दी. जब देर रात उन के पार्थिव शरीर भावनगर लाए गए तो सीएम पटेल उन के घर गए और शोकसंतप्त परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की.
कलमा पढऩे पर ऐसे बची प्रोफेसर की जान
असम विश्वविद्यालय में हिंदू प्रोफेसर की जान इसलिए बच गई, क्योंकि उन्होंने आतंकियों के सामने कलमा सुना दिया. इस बारे में कश्मीर से लौटने के बाद असम विश्वविद्यालय के बंगाली विभाग के प्रमुख प्रोफेसर देबाशीष भट्टाचार्य ने बताया कि कैसे आतंकवादी ने उन की 2 बार जांच की और कैसे कलमा का पाठ करने पर आतंकवादी ने उन की जान बख्श दी थी. अब यह उन की दूसरी जिंदगी जैसा लगता है. भट्टाचार्य याद करते हुए बताते हैं कि उन्होंने भी गोलियां चलने की आवाजें सुनीं और उन के बेटे ने एक आतंकवादी को एक पर्यटक से कुछ पूछते और फिर उसे गोली मारते देखा.
प्रोफेसर देबाशीष भट्टाचार्य अपने परिवार के साथ 6 दिवसीय कश्मीर दौरे पर थे, उस दुर्भाग्यपूर्ण दिन मौत से बस एक गोली दूर थे, जब 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकवादियों ने पर्यटकों को गोलियों से भून दिया था. हिंदू ब्राह्मïण परिवार में जन्मे भट्टाचार्य ने बचने की अपनी रोंगटे खड़े कर देने वाली कहानी सुनाते हुए इंडियन एक्सप्रैस को बताया कि जब उन्होंने 4 आतंकवादियों को अपनी आंखों के सामने (हिंदू) लोगों को गोली मारते देखा तो उन्होंने कलमा पढ़ा.
इसी बीच अचानक उन्होंने गोलियों की आवाजें सुनीं और स्थानीय फोटोग्राफर से इस के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि जंगल के लोग बंदरों को डराने के लिए गोलियां चलाते हैं. भट्टाचार्य ने देखा कि कई गोलियां चलीं. उन के बेटे ने देखा कि एक आदमी एक पर्यटक से कुछ पूछ रहा था और फिर उसे गोली मार दी. उन्हें माजरा समझते देर नहीं लगी और वे सभी जल्दी से एक पेड़ की ओर भागे और लेट गए. एक और जोड़ा अपने बच्चे के साथ वहां शरण लेने आ गया. तभी एक आतंकवादी वहां पहुंच गया. उस ने पति से कुछ ऐसा पूछा जो उन्हें सुनाई नहीं दिया. फिर उन्होंने देखा कि उस आदमी ने उन की आंखों के सामने उसे गोली मार दी.
कुछ सेकेंड में ही आतंकवादी चुपचाप उस समूह के पास गया, जहां प्रोफेसर थे. उन से पूछा, ‘क्या बोल रहे हो?’ (आप क्या कह रहे हैं?)
उस समय सभी आतंकवादी ‘ला इलाहा इललल्लाह…’ का नारा लगा रहे थे. तब प्रोफेसर ने भी डर के मारे उस आयत को बोलना शुरू कर दिया. हालांकि उन के मुंह से कोई स्पष्ट आवाज नहीं निकल रही थी. उन्हें नहीं पता चला कि आतंकवादी को उन की स्थिति देख कर क्या महसूस हुआ, लेकिन वह वहां से चला गया. कुछ सेकेंड बाद आतंकवादी दूसरी तरफ से वापस आया. एक चक्कर लगाया और फिर चला गया. जब आतंकवादी 20 मीटर दूर था तो सभी बाड़ पार कर के अपनी जान बचाने के लिए भागे और 2 घंटे तक पहाड़ों में भटकते रहे, कोई सिग्नल नहीं मिला.
भट्टाचार्य ने उस वक्त की स्थिति के बारे में बताया कि मोबाइल नेटवर्क नहीं होने और पहाड़ों से आतंकवादी कहां से निकलेंगे, इस का कोई अंदाजा नहीं होने के कारण वे घोड़ों के पदचिह्नों का अनुसरण करते हुए एक गांव में पहुंच गए. वहां उन्हें राहत मिली, क्योंकि उन का अपने स्थानीय ड्राइवर से संपर्क हो गया. एक स्थानीय निवासी ने उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया. छत्तीसगढ़ का एक परिवार भी उन के साथ था, जो समूह से भटक गया था. सौभाग्य से उन का बच्चा और उस परिवार के अन्य सदस्य प्रोफेसर के साथ थे. उस के बाद वे जल्दी से उतर कर श्रीनगर वापस आ गए. यह उन के लिए एक नई जिंदगी की तरह था. उन्होंने मौत का सामना किया था.
खून से रंग गई घाटी
सुदीप एक संपन्न परिवार से थे, जिन के लिए धरती का स्वर्ग नर्क साबित हुआ. सुदीप ने होराइजन बोर्डिंग स्कूल में शिक्षा प्राप्त की थी, जिसे इस क्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ स्कूलों में माना जाता है. सुदीप नेउपाने अपने जीवन के दोराहे पर थे. 27 साल की उम्र में वह विभिन्न करिअर विकल्पों की खोज कर रहे थे, लेकिन अभी तक उन्होंने कोई निर्णय नहीं लिया था. पब्लिक हेल्थ में स्नातक की डिग्री पूरी करने के बाद वह डायलिसिस सेंटर खोलने के लिए नेफ्रोलौजी कोर्स करने पर विचार कर रहे थे. इस बीच उन की मम्मी और बहन उन के लिए जीवनसाथी की तलाश कर रही थीं.
24 अप्रैल को नेपाल के त्रिवेणी घाट पर 3 पवित्र नदियों— त्रिशूली, गंडकी और नारायणी के संगम पर उन के सभी सपने राख हो गए. कारण, पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए 26 लोगों में से सुदीप नेउपाने एकमात्र गैरभारतीय थे. गोलियों से छलनी उन के शव को नेपाल के लुंबिनी प्रांत के बुटवल शहर में उन के घर पर कुछ घंटों के लिए रखा गया था, ताकि रिश्तेदार और दोस्त उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दे सकें. उस के बाद शव को अंतिम संस्कार के लिए लगभग 70 किलोमीटर दूर घाट पर ले जाया गया.
छत्तीसगढ़ के एक व्यवसायी दिनेश मिरानिया (47) और उन की पत्नी 22 अप्रैल, को पहलगाम में अपनी शादी की सालगिरह मना रहे थे. वहीं एक आतंकवादी ने उन पर गोली चला दी. वह बैसरन मैदान में मारे गए 26 पर्यटकों में से एक थे. मिरानिया के अंतिम संस्कार के एक दिन बाद 25 अप्रैल को उन की पत्नी नेहा और 18 वर्षीय बेटे शौर्य ने रायपुर में अपने निवास से घटना के बारे में बताया, ‘मेरे पति एक दशक से अधिक समय से वैष्णोदेवी जाना चाहते थे और हम पहली बार वहां गए थे.
हम सपरिवार 18 अप्रैल को रायपुर से जम्मू और कश्मीर के लिए रवाना हुए थे. गोलीबारी शुरू होने से कुछ देर पहले मैं वाशरूम गई थी और मेरी बेटी लक्षिता दिनेश के साथ थी. अचानक गोलीबारी शुरू हो गई और मुझे मेरे पति के पास जाने से रोक दिया गया. मुझे दूसरों ने नीचे जाने के लिए मजबूर किया, जिन्होंने आश्वासन दिया कि मेरा परिवार भी वापस आ जाएगा.’
शौर्य ने कहा, ‘लक्षिता ट्रैम्पोलिन पर जाना चाहती थी, इसलिए मैं ने पापा से उसे ले जाने के लिए कहा. जैसे ही वे गए, गोलीबारी शुरू हो गई. मेरे बगल में खड़े एक चाचा को गोली लग गई और मेरे चेहरे पर थोड़ा खून फैल गया. मुझे जमीन पर धकेल दिया गया. हम उस जगह से रेंग कर बाहर निकले और मेरे घोड़े वाले ने मुझे देख लिया. उस ने मेरा हाथ पकड़ा और हम दोनों सुरक्षित जगह पर भागे. एक बार जब मैं उस जगह से बाहर निकल गया तो मैं ने पापा को बहुत फोन किए, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया. फिर मेरी बहन ने मुझे फोन किया और बताया कि पापा को गोली लग गई है.’
शौर्य ने आगे बताया, ‘मेरी बहन ने बताया कि जब वह पापा का हाथ पकड़े हुए थी तो एक आतंकवादी दौड़ता हुआ आया. उस ने पापा से कलमा पढऩे को कहा, जो मेरे पिता को नहीं आता था. उन्होंने अपनी टोपी और चश्मा उतार दिया और आतंकवादी ने उन्हें गोली मार दी. यह देख कर एक चाचा ने अपनी बेटी को अपनी ओर खींचा, तभी आतंकवादी ने उन्हें गोली मारने से पहले वही सवाल पूछा. फिर आतंकवादी ने वही सवाल एक तीसरे व्यक्ति से पूछा, जो कलमा पढ़ सकता था और उसे छोड़ दिया गया. यह व्यक्ति फिर मेरी बहन को वापस ले आया.’
भारत के सख्त कदम से पाक की उड़ी नींद
इस आतंकी हमले में भारत और पकिस्तान एक बार फिर आमनेसामने हैं. दोनों ओर तनाव का माहौल है. भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कई सख्त कदम उठाए हैं. भारत सरकार द्वारा उठाए गए प्रमुख कदमों में सिंधु जल संधि का निलंबन है. इस के तहत भारत ने 1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है, जिस से पाकिस्तान को बहने वाले जल की आपूर्ति पर असर पड़ सकता है. दूसरी अहम सख्ती वाघाअटारी सीमा बंद करने को ले कर है, जिस में भारत ने पाकिस्तान के साथ एकमात्र सड़क सीमा वाघाअटारी को बंद कर दिया है. जिस से दोनों देशों के बीच यातायात और व्यापार प्रभावित हो गया है.
इसी तरह से पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द की भी सख्ती की गई है. भारत ने सभी पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द कर दिए हैं और उन्हें 48 घंटे के भीतर देश छोडऩे का आदेश दे दिया गया है. राजनयिक संबंधों में कटौती के अलावा कूटनीतिक दबाव बनाने की काररवाई की गई है. इस के अंतर्गत भारत ने पाकिस्तान में अपने सैन्य सलाहकारों को वापस बुला लिया है और पाकिस्तान के सैन्य सलाहकारों को भारत छोडऩे का आदेश दे दिया है. कूटनीतिक दबाव बनाते हुए भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को आतंकवाद के समर्थन के लिए जिम्मेदार ठहराने के प्रयास तेज कर दिए हैं.
दूसरी तरफ इन कदमों के जवाब में पाकिस्तान ने भी भारत के खिलाफ कुछ प्रतिरोधी कदम उठाए हैं, जैसे कि भारतीय विमानों के लिए अपने हवाई क्षेत्र को बंद करना और व्यापारिक संबंधों को निलंबित करना. इस स्थिति में दोनों तरफ तनाव बढ़ गया है और दोनों देशों के बीच राजनयिक और सैन्य संबंधों में खटास आ गई है. आतंक, आतंकी और ऐक्शन खुद को ‘कश्मीर प्रतिरोध’ के रूप में पहचानने वाले एक उग्रवादी समूह ने सोशल मीडिया संदेश में हमले की जिम्मेदारी ली है. समूह ने 85 हजार से अधिक ‘बाहरी लोगों’ को घाटी में बसाए जाने पर गुस्सा जताया, जिस के बारे में उस का कहना है कि यह क्षेत्र में ‘जनसांख्यिकीय परिवर्तन’ को बढ़ावा दे रहा है.
उल्लेखनीय है कि इस पर्वतीय क्षेत्र पर भारत और पाकिस्तान दोनों का पूर्ण रूप से दावा है, लेकिन आंशिक रूप से इस पर शासन है. 1989 में भारत विरोधी विद्रोह की शुरुआत के बाद से यह क्षेत्र उग्रवादी हिंसा से त्रस्त है. इस कारण तब से हजारों लोग मारे गए हैं, हालांकि हाल के वर्षों में हिंसा कम हुई है. भारत ने 2019 में कश्मीर के स्वायत्त राज्य के विशेष दरजे को रद्ïद कर दिया, जिस से राज्य को 2 संघशासित क्षेत्रों जम्मू और कश्मीर और लद्ïदाख में विभाजित कर दिया गया. इस से स्थानीय अधिकारियों को बाहरी लोगों को अधिवास अधिकार जारी करने की भी अनुमति मिल गई, ताकि उन्हें नौकरी मिल सके और क्षेत्र में जमीन खरीदने की अनुमति मिल सके. अधिकारियों ने हमले को लक्षित बताया है और इस का उद्ïदेश्य
कश्मीर आने वाले पर्यटकों के बीच आतंक फैलाना है. ताजा हमला क्षेत्रीय संघर्ष में एक बड़े बदलाव की तरह है. बैसरन क्षेत्र में भारतीय पर्यटक आते हैं. खासकर गर्मियों के महीनों के दौरान, जब तापमान बढ़ जाता है. हाल के वर्षों में आतंकवादियों ने क्षेत्र के पहाड़ी और जंगली इलाकों में सुरक्षा बलों को तेजी से निशाना बनाया है. केंद्र सरकार ने आतंकी हमले की जांच एनआईए (नैशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी) को सौंपी है. कश्मीर में आतंकियों को तलाशने के लिए सर्च औपरेशन के तहत सुरक्षाबलों ने 2 दिनों में 8 आतंकियों के घर धमाके से ढहा दिए हैं. वे त्राल, अनंतनाग, पुलवामा, कुलगाम और शोपियां में दूसरे इलाके थे.
कुलगाम में आतंकी संगठनों के 2 मददगारों को गिरफ्तार किया. जिन के पास से भारी मात्रा में हथियार और बारूद बरामद हुआ. घाटी में ऐक्टिव 14 लोकल आतंकियों की लिस्ट जारी की गई. भारत सरकार ने सभी मीडिया संस्थानों को एडवाइजरी जारी करते हुए कहा है कि वे डिफेंस औपरेशन और फोर्स के मूवमेंट की कवरेज न करें. गुजरात में 26 अप्रैल की सुबह 1000 से ज्यादा घुसपैठियों को गिरफ्तार किया गया.
हमले के मास्टरमाइंड कौन
इस कायराना हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्करएतैयबा से जुड़े गुट ‘द रेजिस्टेंस फ्रट’ (टीआरएफ) ने ली है. खुफिया एजेंसियों से जुड़े सूत्रों के मुताबिक इस हमले का मास्टरमाइंड लश्कर का डिप्टी चीफ सैफुल्लाह खालिद है. बताया जा रहा है कि सैफुल्लाह खालिद आतंकी हाफिज सईद का बेहद करीबी है. पाकिस्तानी सेना पर उस का इतना प्रभाव है कि सेना उस का फूलों से स्वागत करती है. वह सेना के अधिकारियों की पूरी मदद करता है. साथ ही पाकिस्तानी सेना के जवानों को भारत के खिलाफ भड़काता है.
पहलगाम आतंकी हमले से 2 महीने पहले सैफुल्लाह खालिद पाकिस्तान के पंजाब के कंगनपुर पहुंचा था. यहां उसे पाकिस्तानी सेना के कर्नल जाहिद जरीन खट्टक ने जिहादी भाषण देने के लिए बुलाया था. वहां उस ने पाकिस्तानी सेना को भारत के खिलाफ भड़काया. जम्मूकश्मीर में लश्कर और टीआरएफ की आतंकी गतिविधियों को वही अंजाम दे रहा है. पहलगाम हमले के आतंकियों की जारी की गई लिस्ट में 4 आतंकी संगठनों से जुड़े 14 स्थानीय आतंकियों की लिस्ट जारी की गई है. उन की तलाश में सर्च औपरेशन तेज कर दिया गया है. इस आतंकी हमले के बाद दुनिया के कई ताकतवर देश भारत के साथ खड़े हैं.
इस लिस्ट में लश्करएतैयबा का सोपोर का कमांडर आदिल रहमान देंतू, जैशएमोहम्मद का आतंकी और अवंतीपुरा का जिला कमांडर आसिफ अहमद शेख, पुलवामा में ऐक्टिव लश्कर का आतंकी एहसान अहमद शेख और जैशएमोहम्मद का आतंकी हरीश नजीर, आमिर नजीर वानी, यावर अहमद भट्ट का नाम सब से ऊपर है. इस के साथ ही हिजबुल मुजाहिदीन का आतंकी और अनंतनाग का औपरेशनल कमांडर जुबेर अहमद वानी, आसिफ अहमद कंडे, हारुन रशीद गनी, शोपियां में ऐक्टिव लश्कर आतंकी नसीर अहमद वानी, जुबेर अहमद गनी, टीआरएफ आतंकी शाहिद अहमद कुटे, आमिर अहमद डार और अदनान सफी डार के नाम शामिल हैं.
पूरे राज्य में सेना सीआरपीएफ और अन्य सुरक्षा बलों के साथ मिल कर सघन तलाशी, घेराबंदी अभियान और छापेमारी की जा रही थी. कथा लिखे जाने तक करीब 175 संदिग्धों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया जा चुका था. लोगों से भी सहयोग की अपील की गई है. संदिग्ध गतिविधियों के बारे में तुरंत नजदीकी पुलिस स्टेशन को सूचित करने को कहा गया है. संदिग्धों पर नजर रखने के लिए एक अलग टीम बनाई गई है. जानकारी के मुताबिक, विभिन्न जिलों में अतिरिक्त मोबाइल वाहन चेक पोस्ट (एमवीसीपी) स्थापित किए गए हैं. खासकर घने जंगल वाले इलाकों में घेराबंदी, तलाशी अभियान, घात और गश्त तेज कर दी गई है. आतंकवादियों के संभावित ठिकानों का पता लगाने और जिले की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अलग से तैयारी की जा रही है.