Uttar Pradesh News : 25 वर्षीय शिल्पा और 22 वर्षीय अमित तिवारी चचेरे भाईबहन थे, लेकिन दोनों ही एकदूसरे को प्यार करते थे. घर वालों की बंदिशों को तोड़ कर एक दिन शिल्पा सूरत से प्रेमी अमित के पास दिल्ली आ गई. दोनों हंसीखुशी से लिवइन रिलेशन में रहने लगे. इसी दौरान एक दिन शिल्पा की लाश सूटकेस में मिली. आखिर किस ने की उस की हत्या?
अमित तिवारी के कदम लडख़ड़ा रहे थे. वह अभीअभी शराब के ठेके से पूरा पव्वा खरीद कर गले से नीचे उतार चुका था. न पानी, न सोडा. और तो और अमित ने शराब की कड़वाहट कम करने के लिए चखना भी नहीं खरीदा था, जबकि ठेके के साथ ही ‘चखना फैक्ट्री’ नाम से एक दुकान थी, जहां नमकीन आइटम के ढेरों पैकेट सजा कर रखे हुए थे. पूरी शराब नीट पीने के बाद अमित पर गहरा नशा सवार हो गया था. वह सड़क पर लडख़ड़ा कर चल रहा था. वह गिरने वाला ही था, लेकिन बिजली के एक खंबे का सहारा ले कर थोड़ी देर के लिए नहीं खड़ा रहा. इस वजह से गिरने से बच गया.
कुछ ही देर बाद वह सड़क पर पैदल ही चलने लगा तो उस की चाल में लडख़ड़ाहट आना स्वाभाविक थी. वह चल रहा था, लडख़ड़ाते हुए, झूमते हुए. अब तो उस के होंठों पर एक फिल्मी तराना भी आ गया था— ‘पी ले..पी ले… ओ मोरे राजा, पी ले पी ले ओ मोरे जानी…’
मस्ती में गाते हुए अमित अपने घर के दरवाजे पर जब पहुंचा, उस वक्त रात के पौने 12 बज चुके थे. घर का दरवाजा बंद था. अमित ने इसे धकेला तो वह खुल गया. अंदर जीरो वाट का बल्ब जल रहा था. अमित लडख़ड़ाते हुए अपने बिस्तर की तरफ बढ़ा तो उस की नजर बैड पर सो रही शिल्पा पर चली गई. वैसे शिल्पा उस की चचेरी बहन थी, लेकिन फिलहाल वह उस की प्रेमिका थी, जो नींद की आगोश में सोई हुई थी. नींद की वजह से उसे अपने कपड़ों का होश नहीं था. उस की सलवार घुटनों से ऊपर सरक गई थी, जिस की वजह से उस की मखमली टांगें नग्न हो गई थीं. पेट से ऊपर तक उस का कुरता भी हट गया था.
सुतवां पेट और उस की खूबसूरत नाभि नशे में भी उस के होश उड़ा रही थी. शराब के बाद लाजवाब शवाब की कामना हर शराबी पुरुष के मन में पैदा होती है, जो जल्दी से हासिल नहीं होता. लेकिन यहां तो शवाब अद्र्धनग्न हालत में शराबी के सामने था. अमित की रगों में खून उबाल मारने लगा, उस की सांसें अनियंत्रित होने लगीं. वह लडख़ड़ाती चाल से आगे बढ़ा और प्रेमिका के पास लेट गया. उस ने अपना हाथ बढ़ा कर उस की गुदाज देह को अपनी तरफ खींचा तो प्रेमिका शिल्पा कुनमुनाई, उस की नींद से बोझिल आंखें हलकी सी खुलीं, फिर बंद हो गईं. उस ने नींद की खुमारी में अपनी बांहें अमित की गरदन में डाल दीं और उस के सीने से चिपक गई.
उस की गर्म सांसें अमित की चौड़ी छाती से टकराईं तो अमित की वासना और ज्यादा भड़क गई. उस ने शिल्पा को अपनी आगोश में समेट लिया और उस की देह पर छाता चला गया. रात को अमित ने प्रेमिका के साथ जी भर कर मौजमस्ती की, फिर उसे गहरी नींद आ गई, जब उस की आंखें खुलीं उस वक्त दिन के साढ़े 10 बज चुके थे. भरपूर अंगड़ाई ले कर वह उठने के लिए पांव नीचे रखने ही वाला था कि एक मधुर आवाज उस के कानों में पड़ी, ‘चाय… गरमागरम चाय’. अमित ने तिरछी नजर से देखा. शिल्पा उस की ओर चाय का कप बढ़ा रही थी. हाथ बढ़ा कर उस ने चाय का कप ले लिया. शिल्पा मुसकराती हुई उस के सामने बैठ गई. अमित ने उसे देखा.
वह नहा चुकी थी. उस के लंबे घने केशों से अभी भी पानी की बूंदे टपक रही थीं. उस के तन पर इस वक्त साफ धुला हुआ पिंक रंग का सूट था. उस ने हलका सा मेकअप किया था. अमित ने चाय का घूंट भरा. चाय बहुत बढिय़ा बनाई गई थी. एक ही घूंट ने अमित में ताजगी भर दी. शिल्पा उस के सामने बैठी मुसकरा रही थी. अमित उस के सामने बैठा जरूर था, लेकिन वह कहीं विचारों में खो गया था.
”हैलो!’’ शिल्पा ने उस की आंखों के सामने चुटकी बजाई, ”यहां मैं भी हूं जनाब.’’
अमित ने चौंकते हुए बोला, ”ओह! सौरी मैं कहीं खो गया था.’’
”सौरीवौरी छोड़ो और मेरी एक बात यह मान लो कि अब तुम बाहर से शराब पी कर मत आया करो. घर पर बैठ कर थोड़ीबहुत पी लिया करो. मैं पिछले 3 महीने से देख रही हूं कि तुम शराब ज्यादा पीने लगे हो.’’ शिल्पा ने अमित को समझाया.
”ठीक है मेरी जान, मैं ऐसा ही करूंगा.’’ अमित बोला.
कह कर अमित ने शिल्पा का चेहरा चूम लिया. शिल्पा ने उस के गले में प्यार से बांहें डाल दीं, ”तुम मेरी बाहों में हमेशा यूं ही खिलेखिले और मुसकराते रहोगे, मैं वादा करती हूं कि तुम्हारे हर सुखदुख में पूरा साथ दूंगी. अब उठो और फ्रेश हो जाओ, मैं तुम्हारे लिए नाश्ता बनाती हूं.’’
”हां, अब पेट की भूख सताने लगी है.’’ अमित शिल्पा की बाहों से निकलते हुए उठ खड़ा हुआ और टावेल उठा कर वह बाथरूम की तरफ बढ़ गया.
सूटकेस में निकली लाश
26 जनवरी, 2025. जब देश 76वां गणतंत्र दिवस मनाने के लिए पूरे हर्षोल्लास से तैयार था. भोर के 4-सवा 4 बजे के बीच पुलिस कंट्रोल रूम को एक चौंका देने वाली सूचना मिली, ‘गाजीपुर आईएफसी पेपर मार्केट के पास शिवाजी रोड और अंबेडकर चौक के बीच में खाली पड़ी जगह पर जमा कूड़े के ढेर पर एक सूटकेस जली अवस्था में पड़ा है, जिस में किसी की लाश दिखाई दे रही है.’
कंट्रोल रूम से यह जानकारी पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर थाने में दी गई तो वहां के एसएचओ निर्मल झा पुलिस टीम के साथ थाने से सूचना में बताए गए पते पर रवाना हो गए. जब वह घटनास्थल पर पहुंचे, वहां पर अच्छीखासी भीड़ लग चुकी थी. अभी दिन का उजाला नहीं फैला था, लेकिन सब से पहले जिस ने भी उस सूटकेस में जली लाश को देखा था, उस से यह बात आसपास की बस्ती तक पहुंच गई थी और लोग बिस्तरों से निकल कर वहां आ गए थे. सभी यह जानने को उत्सुक थे कि यह सूटकेस यहां कूड़े के ढेर पर कौन ले कर आया और इसे आग के हवाले क्या उसी व्यक्ति ने किया और इस में जो लाश है, वह किस की है.
पुलिस ने भीड़ को पीछे हटाया. एसएचओ श्री झा उस सूटकेस के पास आए, जो पूरी तरह जल चुका था. उस के स्टील के हैंडल आदि साफ दिखाई दे रहे थे. वह आग में जले नहीं थे. जले सूटकेस में एक लाश दिखाई दे रही थी, जो झुलस कर काली पड़ गई थी. लाश को पहचानना नामुमकिन था, लेकिन उस लाश से यह अनुमान लगाया जा सकता था कि लाश किसी युवती की है. उसे सूटकेस में जबरन ठूंसा गया था, वह जिस अवस्था में ठूंसी गई थी, उसी अवस्था में अभी भी थी. झुलस जाने के कारण वह पहचानी नहीं जा सकती थी.
एसएचओ निर्मल झा ने वहां बारीकी से जांच की, लेकिन वहां कोई ऐसा सूत्र उन्हें नहीं मिला, जिस से मृतका और कातिल के बारे में कुछ पता चल सके, लेकिन पुलिस को यह सिखाया जाता है कि राख के ढेर में भी सूई की तलाश की जा सकती है. निर्मल झा की नजरें वहां कुछ दूरी पर लगे सीसीटीवी कैमरे पर चली गई थीं. उन्हें विश्वास था उस सीसीटीवी कैमरे से इस सूटकेस को यहां फेंकने वाले का कुछ सुराग अवश्य मिलेगा. उन्होंने पूरी जांच के बाद ईस्ट डिस्ट्रिक्ट के डीसीपी अभिषेक धानिया को इस घटना की जानकारी दे दी. एसएचओ ने तब फोरैंसिक टीम को भी घटनास्थल पर आने के लिए फोन कर दिया.
थोड़ी ही देर में डीसीपी अभिषेक धानिया वहां घटनास्थल पर पहुंच गए. एसएचओ निर्मल झा ने उन्हें सैल्यूट करने के बाद वह सूटकेस दिखाया, जो वहां फेंका गया था और उसे नष्ट करने के लिए आग के हवाले भी कर दिया गया था. डीसीपी धानिया ने सूटकेस सहित जली हुई लाश को ध्यान से देख कर कहा, ”यह युवती ज्यादा उम्र की नहीं लगती मिस्टर झा, इस की हत्या कर के जिस ने भी इसे सूटकेस में भर कर यहां फेंका है, वह इस का पति या प्रेमी हो सकता है. हमें दोनों को ध्यान में रख कर जांच करनी होगी. किसी महिला से पीछा छुड़ाने के लिए प्रेमी या पति ही ऐसा काम करते हैं.’’
”आप ठीक कह रहे हैं सर.’’ निर्मल झा बोले, ”इस की हत्या कर के लाश को ठिकाने लगाने के लिए इस के प्रेमी या पति ने इसे सूटकेस में ठूंसा और इस निर्जन नजर आने वाले स्थान पर ला कर सूटकेस सहित जला डाला. वह लाश की शिनाख्त मिटाने के मकसद से ऐसा कर गया. मेरे विचार से वह यहीं आसपास का ही होगा.’’
”यह आप किस आधार पर कह रहे हैं?’’ डीसीपी ने एसएचओ की ओर प्रश्नसूचक नजरों से देखते हुए पूछा.
”सर, आज 26 जनवरी है यानी हमारा गणतंत्र दिवस. इस के लिए 2 दिन पहले से ही हर बोर्डर, हर नाके पर पुलिस के बैरिकेड लग जाते हैं. कड़ी जांच होती है, हर वाहन को चैक किया जाता है. ऐसे में कोई इस सूटकेस को किसी वाहन में दूर से ले कर यहां नहीं आ सकता. मैं ने इसी से अनुमान लगाया है कि वह शख्स यहीं आसपास का ही होगा.’’
”गुड.’’ डीसीपी अभिषेक धानिया ने निर्मल झा की प्रसंशा की, ”आप का सोचना ठीक ही है. कड़ी चैकिंग के बीच कोई हत्यारा लाश ले कर दूर से यहां नहीं आएगा, वह आसपास का ही होगा. आप फोरैंसिक जांच करवा कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए नजदीक के हौस्पिटल भेज दीजिए. मैं आप को इस ब्लाइंड केस को सौल्व करने के लिए नियुक्त कर रहा हूं, आप का साथ देने के लिए स्पैशल स्टाफ को भी मैं आप के साथ लगा रहा हूं. आप को हत्यारे का पता लगा कर उसे जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाना है.’’
”मैं आप के विश्वास पर खरा उतरने की पूरी कोशिश करूंगा सर.’’ श्री निर्मल झा गंभीर स्वर में बोले.
डीसीपी धानिया कुछ जरूरी हिदायतें दे कर वहां से चले गए. फोरैंसिक टीम अपना काम निपटाने में लगी हुई थी. इस बीच निर्मल झा ने वहां उपस्थित भीड़ के पास जा कर इस सूटकेस के विषय में पूछा, ”क्या इस सूटकेस को यहां फेंकते हुए किसी ने देखा है?’’
सीसीटीवी फुटेज से मिली जांच को दिशा
भीड़ ने इस के लिए इंकार में सिर हिला दिया. तभी भीड़ में से एक अधेड उम्र का व्यक्ति आगे आया, ”सर, यह सूटकेस यहां रात को डेढ़ से 2 बजे के करीब ला कर जलाया गया है.’’
”तुम यह किस आधार पर कह रहे हो?’’ श्री झा ने हैरानी से पूछा.
”सर, मैं रात को लघुशंका के लिए उठा था, मेरा टौयलेट छत पर है, मैं वहां गया और मैं ने लघुशंका की. जब मैं वहां से लौटने लगा तो मुझे कूड़े के ढेर पर कुछ जलता हुआ दिखाई दिया. मेरा ध्यान एकाएक इधर इसलिए गया कि आग की लपटें बहुत ऊपर तक उठ रही थीं यानी कुछ ही देर पहले वह आग भड़की थी. मैं ने ज्यादा ध्यान यूं नहीं दिया कि अकसर यहां कूड़े में आग लगती रहती है. कुछ ऐसा ही समझ कर मैं नीचे कमरे में चला गया और सो गया. सुबह कालोनी में यह शोर हुआ कि कूड़े पर किसी सूटकेस को जलाया गया है, उस सूटकेस में लाश थी, जो बुरी तरह जल गई है. मैं यही देखने यहां आ गया.’’
”इस पर तुम ने कमरे में जा कर घड़ी देखी थी या लघुशंका को उठते समय घड़ी में समय देखा था?’’
”सर, लघुशंका कर के लौटने पर मैं ने मोबाइल में टाइम देखा था. उस वक्त 2 बजने में 10 मिनट शेष थे.’’ अधेड़ ने बताया.
”इस का मतलब यहां सूटकेस रात को डेढ़ बजे के बाद ही फेंका गया और जलाया गया है.’’
”हां साहब.’’ उस व्यक्ति ने सिर हिला कर कहा.
”तुम्हारी बात की पुष्टि हम जांच करेंगे तो हो जाएगी.’’ श्री झा ने कहा. अब तक फोरैंसिक टीम अपना काम निपटा चुकी थी. एसएचओ ने सूटकेस सहित लाश लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल की मोर्चरी में भिजवा दी. फिर वह वहां एक सिपाही का पहरा लगवा कर वापस थाना गाजीपुर के लिए लौट आए. थाने में यह ब्लाइंड मर्डर केस बीएनएस की धारा 103(1), 238 (ए) के तहत दर्ज कर लिया गया. डीसीपी (पूर्वी जिला) अभिषेक धानिया के निर्देश पर पुलिस की स्पैशल स्टाफ और गाजीपुर थाने के एसएचओ निर्मल झा अपनी टीम के साथ सूटकेस में मिली लाश के केस पर काम करने के लिए पूरी मुस्तैदी से जुट गए थे.
सब से पहले उन्होंने घटनास्थल के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज चैक की. कैमरे में सड़क से रात के एक बजे से 2 बजे के बीच जितने वाहन गुजरे थे, उन्हें देख कर नोट किया गया. इन में बड़े वाहन नहीं थे. कुछ स्कूटर और कारें वहां से रात को एक से 2 बजे के बीच सड़क पर आतेजाते दिखाई दिए. पुलिस टीम ने सिर्फ कारों को फोकस किया. इन में जो कारें संदिग्ध नजर आईं, उन के नंबर को आटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन तकनीक द्वारा जांच कर के नोट कर लिया गया.
टीम ने इन कारों के रजिस्ट्रैशन नंबर से इन के मालिकों का पता मालूम किया और इन की जांचपड़ताल शुरू कर दी. लगभग सभी कारों के मालिकों को जांच में सही पाया गया, लेकिन एक कार के मालिक तक टीम लोनी (उत्तर प्रदेश) में उस के घर पहुंची तो उस ने बताया, ”साहब, मैं ने अपनी हुंडई वेरना कार कुछ दिन पहले अमित तिवारी नाम के व्यक्ति को बेच दी थी. मेरी कार का नंबर- यूपी16ईटी 0329 है, जिसे अब अमित कैब के रूप में इस्तेमाल कर रहा है.’’
”यह अमित कहां रहता है?’’ एसएचओ निर्मल झा ने पूछा.
”अमित तिवारी पुत्र गुलाब शंकर तिवारी, एसबीआई बिल्डिंग, थर्ड फ्लोर मंगल बाजार रोड, खोड़ा कालोनी, गाजीपुर. साहब, कार के सौदे में यहीं एड्रैस लिखवाया गया था मुझे.’’ उस व्यक्ति ने बताया.
यह एड्रैस पुलिस टीम को चौंका गया. कारण जिस सूटकेस को युवती की लाश सहित जिस जगह जलाया गया था, वह जगह खोड़ा रोड पर गाजीपुर पेपर मार्केट ही थी. पुलिस टीम तुरंत बिना देर किए अमित तिवारी की तलाश में उपरोक्त पते पर पहुंच गई. अमित तिवारी उस वक्त अपना बैग तैयार कर रहा था. वह कहीं जाने की फिराक में लग रहा था. दरवाजे पर पुलिस के दरजनों लोगों को देख कर उस के चेहरे का रंग उड़ गया. वह बुरी तरह घबरा गया.
”आप?’’ वह कांपते स्वर में बोला
”हां, हम.’’ एसएचओ मुसकराए, ”कहां भागने की तैयारी हो रही है अमित तिवारी?’’
”आ…प मेरा नाम कैसे जानते हैं?’’ अमित तिवारी घबराते हुए बोला.
”हम तुम्हारे बारे में बहुत कुछ जानते हैं तिवारी.’’ श्री निर्मल झा ने अंधेरे में तीर चलाया, ”रात को तुम ने जिस सूटकेस में अपनी प्रेमिका की लाश गाजीपुर की पेपर मार्किट के पास जलाई थी, यह भी हमें मालूम है. अब तुम चुपचाप थाने चलो. बाकी पूछताछ वहीं कर लेंगे.’’
”मैं ने किसी सूटकेस को नहीं जलाया, मैं तो कल रात अपने कमरे में ही सो रहा था.’’
”फिर तुम्हारी हुंडई वरना कार रात डेढ़ बजे पेपर मार्केट, गाजीपुर कौन चला कर ले गया था?’’
”म…मैं नहीं जानता सर.’’ अमित हकलाया.
श्री निर्मल झा ने इशारा किया तो 2 पुलिस वालों ने अमित तिवारी को दबोच लिया. वह चीखता रहा, लेकिन इस की परवाह न कर के पुलिस टीम उसे थाने ले गई. थाने में उस से सख्ती से पूछताछ हुई तो उस ने अपना जुर्म कुबूल करते हुए कहा, ”सर, मैं ने शिल्पा की हत्या की थी, वह मुझ पर शादी के लिए दवाब बना रही थी. शनिवार को रात साढ़े 8 बजे मेरा उस से शादी की बात पर झगड़ा हुआ तो गुस्से में मैं ने उस का गला दबा कर जान से मार डाला.’’
शिल्पा को चचेरे भाई से हुआ प्यार
कहतेकहते अमित रोने लगा. रोते हुए ही बोला, ”सर, मैं ने शिल्पा को कभी दिल से नहीं चाहा, वही मेरे प्यार में पागल हो कर एक महीने पहले घर से भाग कर मेरे पास खोड़ा कालोनी (गाजियाबाद) में आ गई थी. वह मेरे साथ रहने लगी तो जवान होने के कारण हम बहक गए. हमारे बीच अनैतिक संबंध बन गए. बस यहीं मुझ से चूक हो गई. वह मुझ पर शादी के लिए दबाव बनाने लगी. मुझे धमकी देने लगी कि मैं शादी नहीं करूंगा तो रेप केस में फंसा देगी.. मुझे जेल में सड़ा देगी. आखिर तंग आ कर मैं ने उस की हत्या करने का निर्णय लिया और उसे मार डाला.’’
”उस का परिवार कहां रहता है, वह कहां से भाग कर तुम्हारे पास आई थी?’’ श्री झा ने पूछा.
”सर, मैं उस का चचेरा भाई हूं. हमारा परिवार प्लौट नंबर ए-19 खसरा नंबर 2020, शिवा ग्लोबल सिटी-4, मेन रोड, थाना बादलपुर, दादरी गौतमबुद्ध नगर में रहता है. शिल्पा के पिता गुजरात में नौकरी करते हैं तो उस का परिवार इस वक्त गुजरात के सूरत में ही है. शिल्पा वहीं से नवंबर, 2024 में भाग कर मेरे पास आई थी.’’
”तुम को शिल्पा की लाश सूटकेस में रखने का आइडिया किस ने दिया?’’
”मेरे दोस्त अनुज का आइडिया था. शिल्पा की हत्या करने के बाद मैं ने यह बात अनुज शर्मा को बता कर उस से लाश को ठिकाने लगाने के लिए सहयोग मांगा था. अनुज मेरे पास तुरंत आ गया. उस ने ही आइडिया दिया कि सूटकेस में लाश रख कर कैब से ले जाते हैं और उत्तरी पश्चिम उत्तर प्रदेश के इलाके में किसी नदी में इसे फेंक आते हैं.
”मेरे पास बड़ा सूटकेस था. मैं ने अनुज के सहयोग से लाश सूटकेस में रखी. हम पहले रास्ते की रैकी करने कैब से दोनों ही यूपी बौर्डर गए. वहां 26 जनवरी के चलते बहुत सख्त चैकिंग चल रही थी. हमारी वैन की भी 2 बार चैकिंग हुई तो हम घबरा गए. हमें लगा, यदि तलाशी में पुलिस को लाश वाला सूटकेस मिलेगा तो हम फंस जाएंगे. हम ने दूर जाने का प्लान छोड़ दिया.
”हम रात को एक बजे सूटकेस कैब की डिक्की में रख कर गाजीपुर की पेपर मार्किट की तरफ आए. हम ने एक पेट्रोल पंप से 160 रुपए का डीजल बोतल में भरवा दिया. हम गाजीपुर के शिवाजी रोड, खोड़ा रोड़ के नजदीक, आईएफसी पेपर मार्केट की तरफ आए. वहां कूड़े का ढेर लगा था. चारों ओर सन्नाटा था. हम ने कार की डिक्की से सूटकेस कूड़े के ढेर पर रखा, ऊपर घासफूस डाल कर उस पर डीजल डाला और आग लगा दी.
”आग की लपटें उठीं तो हम कैब ले कर वहां से भाग निकले. अनुज रात को ही अपने घर चला गया और मैं सो गया. आज मैं प्रयागराज भाग जाना चाहता था कि आप के द्वारा पकड़ा गया.’’
”अनुज का एड्रैस दो हमें.’’ श्री झा ने पूछा.
अमित तिवारी ने अनुज शर्मा का पता नोट करवा दिया. अनुज, डी-162, करण विहार, खोड़ा कालोनी में रहता था.
पुलिस ने उस के घर दबिश दी तो वह घर में ही मिल गया. उसे हिरासत में थाना गाजीपुर लाया गया. अनुज शर्मा की उम्र 22 साल थी, उस के पिता जगदीश शर्मा गांव में रहते थे. अनुज यहां वेल्डर का काम करता था. कभीकभी कैब भी चला लेता था. शिल्पा अमित से 3 साल बड़ी थी. अमित 22 साल का था और शिल्पा 25 साल की थी. पुलिस ने उस के परिवार को उस की हत्या की जानकारी फोन द्वारा दे दी. उन्हें गाजीपुर थाने आने को कह दिया गया.
शिल्पा की लाश का पोस्टमार्टम होने के बाद लाश को उस के घर वालों को सौंपना आवश्यक था. अमित तिवारी और अनुज शर्मा उर्फ भोला को डीसीपी अभिषेक धानिया के समक्ष पेश किया गया तो उन्होंने 24 घंटे में इस ब्लाइंड केस को हल करने के लिए इस केस को हैंडिल करने वाले स्पैशल पुलिस स्टाफ और गाजीपुर थाने के एसएचओ निर्मल झा को शाबासी दी. प्रैस कौन्फ्रैंस करने के बाद डीसीपी अभिषेक धानिया ने दोनों आरोपियों को जेल भिजवा दिया. कथा लिखे जाने तक पुलिस आगे की काररवाई निपटाने में व्यस्त हो गई थी.