Web series : इस वेब सीरीज में 2 पक्ष अपने प्रियजनों की मौत का बदला लेने के मकसद से एक हो जाते हैं. हालांकि उन के एक होने में कई तरह की बाधाएं थीं, फिर भी चूंकि दोनों का टारगेट एक ही था इसलिए वे मिल जाते हैं. बदला लेने के इर्दगिर्द घूमती कहानी ने सीरीज को इतना उबाऊ बना दिया है कि…

कलाकार: विमल, पवनी रेड्डी, सीमा बिस्वास, इलोगो कुमारवेल, गांजा करुप्पु, डगलस कुमारमूर्ति, पुगाज, क्वींसी स्टेनली, डीआरके किरण, बरनी, मणिकंदन आर अचारी निर्देशक और लेखक: रामू चेलप्पा निर्माता: जगन भास्करन संपादन: प्रवीण के.एल. ओटीटी: जियो हौटस्टार वेब सीरीज ‘ओम काली जय काली’ एक ऐक्शन से भरपूर है, जो दशहरा उत्सव की जीवंत पृष्ठभूमि पर आधरित है. इस में विमल नामक युवक की कहानी दिखाई गई है, जो धार्मिक जुलूस के दौरान देवता की तरह कपड़े पहनता है व देवता की तरह ही व्यवहार भी करता है. उस की जिंदगी में तब मोड़ आता है, जब वह जिस लड़की से प्यार करता है उस की हत्या हो जाती है.

कहानी तब शुरू होती है, जब नायक विमल के सभी करीबी लोग उस की जिंदगी से गायब हो जाते हैं और उस की दुनिया को हिला देने वाले लोगों से बदला लेने की योजना शुरू हो जाती है. तब कोथाड़ी आती है, जो जासूसों का इस्तेमाल कर के एक मास्टर प्लान बनाती है और विमल को इस की जानकारी देती है क्योंकि उन दोनों का दुश्मन एक ही होता है.

एपिसोड नंबर 1

 

पहले एपिसोड का नाम ‘सरेंडिंग टू गौड’ रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत में कोथाड़ी (सीमा बिस्वास) रात को जंगल में बीड़ी पीती हुई दिखाई गई है, तभी वहां से वनदेसम गांव वाले पिडारी पूजा के लिए कुएं पर जा रहे होते हैं. पुजारी वेंबूजी बताता है कि पुत्रालम हमारी जन्मभूमि है. भक्ति में मग्न होने वाले को हम कुएं में भेज देते हैं, वह वहीं पर अपनी देह त्याग देता है. उस की देवी प्रकट हो कर हमें आशीर्वाद देती है. उधर दूसरी ओर एक बस में गर्भवती नीला (क्वींसी स्टेनली) अपने प्रेमी वर्गीस के साथ चिंतित अवस्था में बैठी है. एक जगह बस रुकती है तो एक आदमी कोथाड़ी को बता देता है कि इस बस में नीला बैठी है. बस चलती है तो जंगल में एक जगह बस रोक कर वर्गीस नीला को भगा देता है.

बाद में कोथाड़ी बम फोड़ कर राजदुरई के गुंडों को संकेत दे देती है कि बस में नीला सफर कर रही है. गुंडे आ कर वर्गीस को पकड़ कर मार डालते हैं. दूसरी ओर कुछ गुंडे नीला के पीछे जंगल में जाते हैं तो नीला उन्हें नहीं मिल पाती. अगले दृश्य में पूजा करने के लिए गणेशन (विमल) जब कुएं के अंदर जाता है तो उसे वहां पर नीला बेहोशी की हालत में मिलती है तो उसे बचा लिया जाता है. पुजारी वेंबूजी कहता है कि यह महिला हम सब के देवी के रूप में प्रकट हुई है. अब यह हमारी रक्षा करेगी, इसे अपने गांव सम्मान के साथ ले चलो.

इधर गांव में नीला की बेटी 4-5 साल की हो जाती है, जिस का नाम मुथरा है. यहां पर नीला ने अपना नाम बदल कर मल्लिका रख लिया था. मल्लिका औरतों के सहयोग से मुथरा को नहलाती है. उसे चेचक हो गया था. उस के बाद मंदिर में वेंबूजी मुथरा को माला पहनाता है. वेंबूजी मल्लिका से कहता है कि तुम्हें अब पूजा करनी होगी, लेकिन तुम डरना मत देवी मां रक्षा करेगी. मल्लिका अब लता के घर पर वनदेसम गांव में रहने लगी थी. लता उसे अपनी बेटी समझ कर प्यार करती थी.

अगले सीन में गणेशन अपनी साइकिल पर छोटी बच्चियों को घुमा रहा होता है, तभी वहां पर लता दौड़ कर आ कर उसे बताती है कि उस की मां यानी लता की मां को मिर्गी का दौरा पड़ गया है. गणेशन लता की मां को गोद में ले कर मल्लिका यानी कि नीला के घर पर ले जाता है. मल्लिका यहां पर आयुर्वेद पद्धति से लोगों का इलाज भी करती है. मल्लिका उसे थोड़ी ही देर में ठीक कर देती है. तभी लता गणेशन से कहती है कि तुम कब तक कुंवारे रहोगे, मेरी बेटी मल्लिका से विवाह कर लो, मै तुम्हें ढेर सारा दहेज भी दूंगी. तभी वहां पर एक छोटी बच्ची यह बात गणेशन की प्रेमिका वामा (पवनी रेड्डी) को बता देती है.

अगले दृश्य Web series में कोथाड़ी अपने पति कोथार के साथ नीला को ढूंढने में कामयाब हो जाती है. वह जान जाती है कि नीला मल्लिका के नाम से तिरुमेलवली के वनदेसम में रह रही है. कोथार दुराई को बता देता है कि मल्लिका के नाम से उस के एक बेटी भी है. दुरई कोथार से कहता है कि तुम नीला की चिंता छोड़ दो, उस के लिए गुंडे भेज रहा हूं. मगर तब तक तुम उस की बेटी मुथरा को मार दो. इस के लिए मैं तुम्हें 20 हजार रुपए दूंगा और फिर तुम वहीं पर मेरा इंतजार करना.

अगले दृश्य में कुछ बच्चियां मल्लिका से मुथरा को अपने साथ खेलने के लिए ले जाती हैं तो वहां पर कोथार मुथरा को अपने साथ ले जाता है. बाद में जब मल्लिका मुथरा को ढंूढती है तो पता चलता है कि एक बूढ़ा आदमी मुथरा को वहां से मल्लिका के पास ले जाने की बात कह कर अपने साथ ले गया है. मल्लिका अब घबरा जाती है और सभी मुथरा की खोजबीन करने लगते हैं. इधर बाइक से मुकंडी भी अपने दोस्त के साथ मुथरा को ढूंढने लगता है तो उन्हें सड़क किनारे एक बोरी मिलती है. तब तक तमाम लोग वहां पर आ जाते हैं, मल्लिका को लोग बोरी के पास जाने से रोकने लगते हैं.

मुकंडी जब बोरे के अंदर हाथ डालता है तो उस का हाथ खून से सन जाता है. जब मुकंडी बोरी के अंदर का दृश्य देखता है तो वह जोर से चीखने और चिल्लाने लग जाता है और इसी के साथ पहला एपिसोड समाप्त हो जाता है. यदि हम पहले एपिसोड का विश्लेषण करें तो कहानी में स्थिरता नजर नहीं आ रही है. कहानी कोई भी गति को पाने के लिए संघर्ष करती नजर आती है. यहां पर काफी कुछ नाटकीय सा नजर आता है.

नीला कैसे उस कुएं में गिरी, कब उस की 5 साल की बेटी मुथरा भी इतनी बड़ी हो गई. नीला ने अपना नाम मल्लिका कब और कैसे रखा, इस का भी वर्णन कहीं पर नहीं है. अभिनय की दृष्टि से भी कलाकारों का प्रदर्शन अपनी छाप छोडऩे में पूरी तरह से विफल रहा है.

एपिसोड नंबर 2

दूसरे एपिसोड का नाम ‘कारण और प्रतिशोध’ रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत में कोथार पत्थर ले कर जैसे ही मुथरा को मारने लगता है, तभी तेजी से एक ट्रक आ कर कोथार को कुचल देता है. उस के बाद पुलिस वाले आ कर गणेशन और मल्लिका को सौंप देते हैं. उस के बाद नीला गणेशन को बताती है कि ये काम मेरे भाइयों ने ही किया होगा और इस के बाद कहानी पास्ट में चली जाती है.

नीला गणेशन को बताती है कि उस के मम्मीपापा की मृत्यु के बाद उस के साथ उस के 2 बड़े भाइयों को एक आयुर्वेद केंद्र ने गोद ले लिया था. वहीं हम सब का खानापीना मिलने लगा था. मगर एक दिन मेरे दोनों बड़े भाइयों ने वहां पर चोरी कर दी. उस के बाद वे वहां पूरे गांव में चोरी और लूटपाट करने लगे. जबकि मैं अकेली आयुर्वेद केंद्र में रह कर आयुर्वेद की शिक्षा लेने लगी थी.

नेता बरनी (पवन) के कहने पर मेरे बड़े भाई एजे (डीआरके किरण) ने एमएलए का मर्डर कर दिया और उस के मर्डर केस में अपने छोटे भाई दुरई (मणिकंदन आर) को जेल भिजवा दिया. इसी तरह मेरे दोनों बड़े भाई एजे और दुरई अपना गैंग चला रहे थे, जहां मर्डर एजे करता था और मर्डर के इल्जाम में दुरई को जेल भेज देता था. बरनी के मंत्री होने के कारण उस के प्रभाव में एजे दुरई का सजा कम करवा देता था. इस के बाद एजे के दिमाग में एक नया आइडिया आता है. वह कई सालों बाद अपनी छोटी बहन नीला से मिलने आयुर्वेद केंद्र में जाता है और वहां एक बच्चे के साथ जा कर नीला से कहता है कि अब मैं ने भी शादी कर ली है. तू अब यहां पर मत रह, हमारे साथ चल.

इस के बाद नीला अपने भाई एजे के घर पर रहने लगती है. एक दिन वह नीला को बरनी से मिलाने ले जाता है तो बरनी उसे देखते हो उस पर लट्टू हो जाता है. एजे समझ जाता है कि काम बन गया. दूसरे दिन एजे नीला से कहता है कि बरनी भाई के पैर पर मोच आ गई है, तुम वैद्य हो इसलिए उसे ठीक कर दो. उस की पत्नी के मना करने पर भी वह नीला को बरनी के पास ले जाता है और नीला को बरनी के कमरे में भेज कर दरवाजा बाहर से बंद कर देता है, जहां पर बरनी नीला के साथ दुष्कर्म कर देता है. जब नीला वापस घर आती है तो अपनी भाभी से कहती है कि मेरा भाई मेरा यौन शोषण करता रहा है. मैं अब यहां से जा रही हूं.

भाभी उस का साथ देती है, मगर एजे उन दोनों की पिटाई कर देता है और बताता है कि आज बरनी भाई ने खुश हो कर एक प्रौपर्टी मेरे नाम कर दी है. अब एजे रोज बरनी के पास अपनी बहन को भेजने लगा था. नीला को घर से लाने और बरनी तक लाने और वापस घर तक छोडऩे के लिए बरनी का ड्राइवर वर्गीस आता है. नीला और वर्गीस धीरेधीरे एकदूसरे के प्रति आकर्षित होने लगते हैं और एकदूसरे से प्यार करने लगते हैं.

एक दिन जब वर्गीस नीला को छोडऩे गाड़ी में लाता है तभी बरनी का गुंडा थंबुरन नीला को छेडऩे लगता है कि आज मुझे भी खुश कर दे, तब वर्गीस उस की जम कर पिटाई कर देता है. इस के बाद वर्गीस नीला से अपने प्यार का इजहार करते हुए कहता है कि एक दिन हम दोनों भाग जाएंगे. नीला उस का प्रेम प्रस्ताव स्वीकार कर लेती है. अगले दृश्य में दुरई जेल से बाहर आता है तो जेल के बाहर थंबुरन उसे कहता है कि बरनी ने बाबूराजा को मारने के लिए कहा है. यदि यह हुआ तो बरनी एमएलए बन जाएगा तो हमारी मौज हो जाएगी. मगर इस बार तू जेल मत जाना, तेरी जगह कोई और जेल जाएगा. उस के बाद वह झूठ बोल कर दुरई से कहता है कि वर्गीस तेरी बहन नीला को भगाना चाहता है.

अगले दृश्य में नेता बाबूराजा को मारने के लिए दुरई थंबुरन और एजे एक समारोह में आ जाते हैं. वह वहां तुम फोड़ देते हैं और इसी बीच एजे बाबूराजा का मर्डर कर देता है. तभी दुरई पुलिस को बुला लेता है और अपने भाई एजे को फंसा देता है. अगले दृश्य में दुरई अपने भाई एजे के घर पर फोन कर कहता है कि क्या नीला घर पर है तो एजे की बीवी बताती है कि वह तो वर्गीस के साथ कार में गई है शायद बरनी के घर. तभी हम देखते हैं कि वर्गीस और नीला तो एजे की पत्नी मुथरा के पीछे खड़े थे. तब मुथरा उन दोनों से वहां से सदासदा के लिए भागने को कहती है और कहती है कि तुम दोनों यहां से दूर चले जाओ, वरना तुम्हारा भाई तुम दोनों को मार डालेगा.

अगले दिन एजे को सजा हो जाती है तो वहां पर दुरई उसे बताता है कि वर्गीस लीला को ले कर भाग गया है. एजे गुस्से में आ कर उन को ढूंढने के लिए कहता है. थंबुरन फिर दुरई से कहता है कि हमें वर्गीस और नीला को अब खत्म करना होगा. कहीं अगर एजे को सच्चाई पता चली तो वह हम दोनों को मार डालेगा. दुरई के गुंडे वर्गीस को मार देते हैं और नीला बच जाती है. और अब कहानी वर्तमान में आ जाती है, जहां नीला गांव वालों को अपनी आपबीती सुना रही है. अब सभी गांव वाले नीला को दिलासा दिलाते हैं कि वे सभी उस का हमेशा साथ देंगे.

अगले दिन कोथाड़ी की बेटी की सगाई की रस्म होती है तो बेटी के ससुराल वाले कोथाड़ी के पैसे न देने के कारण रिश्ता तोड़ कर चले जाते हैं. इधर थंबू और दुरई जेल में एजे को बताते हैं कि हम ने नीला की बेटी को मरवा दिया है, अब केवल नीला बची है, उसे भी मार देंगे. गांव में दशहरे का उत्सव हो रहा है. उधर कथाडी थंबू और दुरई से अपने पति के बारे में पूछती है तो वे बताते हैं कि कोथार एक्सीडेंट में मारा गया. कोथाड़ी बेटी की सगाई के लिए पैसे मांगती है तो वे उसे धक्के दे कर भगा देते हैं. कोथाड़ी खूब रोती है. इधर दुरई अपने साथियों से कहता है कि आज रात हमें नीला को मारना है.

उत्सव में दुरई और उस के आदमी मुखौटे लगा कर नीला को मारने लगते हैं तो वामा बीच में आ कर नीला और उस की बेटी मुथरा को बचा लेती है. इस बीच गुंडे नीला को चाकू मार देते हैं तो मुकंडी बचाने आता है तो गुंडे उसे भी घायल कर देते हैं. मुकंडी एक गुंडे को पकड़ लेता है तो गुंडे अपने आदमी का ही सिर काट कर ले जाते हैं, जिस से उस की पहचान न हो सके. वहीं गुंडे भाग जाते हैं और अधिक घायल होने के कारण वामा की मृत्यु हो जाती है. इसी के साथ दूसरा एपिसोड समाप्त हो जाता है.

दूसरे एपिसोड के बारे में बात करें तो कहानी में जगहजगह फ्लैशबैक दिखाया गया है, जिस से कहानी में नीरसता आ जाती है. इस के अतिरिक्त भाई अपने काम के लिए अपनी सगी बहन का इतना अधिक दैहिक शोषण करा सकते हैं और फिर उसे जान से मारने पर भी उतारू रहते हैं, यह बात हजम नहीं होती. अभिनय की दृष्टि से भी कलाकारों का अभिनय अपनी छाप छोडऩे में असफल रहा है.

एपिसोड नंबर 3

तीसरे Web series एपिसोड का नाम ‘बदला सामने आता है’ रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत में वामा और मुकंडी की असमय मौत पर वनदेसम गांव में शोक मनाया जा रहा है, जबकि नीला को इलाज के लिए अस्पताल भेज दिया गया है. इन सब हादसों से गणेशन बिलकुल ही टूट और बिखर जाता है. इधर दुरई के गुंडे रघु की पत्नी मीना को लेने उस के घर पर आते हैं और उस से कहते हैं कि दुरई ने तुम्हें बुलाया है तो वह उन के साथ दुरई के घर चली जाती है. इधर गणेशन लोगों को दुरई के गुंडों को मारने के लिए इकट्ठा करता है. नीला हौस्पिटल से घर आ कर आत्महत्या करने वाली होती है कि तभी गणेशन आ कर उसे बचा लेता है और कहता है कि हम में से अब कोई जान देगा नहीं, बल्कि जान लेगा.

अब नीला भी उन के साथ बदला लेने के लिए निकल पड़ती है. अगले दृश्य में गुंडे मीना को दुरई के दूसरे घर में ले जा कर उस के हाथपांव बांध देते हैं और उसे कहते हैं कि रघु तो अब मारा गया, इसलिए दुरई भाई अब तुझे अपनी प्रेमिका बना कर रखना चाहते हैं. यह सुन कर मीना रोने लगती है, क्योंकि अब तो वह भाग भी नहीं सकती थी.अगले दिन गणेशन, नीला और उन के साथी कोर्ट के बाहर खड़े हो जाते हैं. कोर्ट में सरेंडर करने जो अपराधी आते हैं, उन्हें देखते ही नीला कहती है कि जिन्होंने मर्डर किए, वे अलग थे और जो अब सरेंडर करने आ रहे हैं, वे सब दूसरे लोग हैं. अब कोथाड़ी अपने एक साथी से दुरई का पता लगवाती है, ताकि गणेशन उसे मार सके. अब कोथाड़ी भी दुरई से बदले के मूड में आ जाती है.

गणेशन और उस के साथी दुरई के अड्डे में पहुंच जाते हैं, लेकिन वहां पर दुरई नहीं मिलता. नीला गणेशन से कहती है कि क्यों न हम मुकंडी के परिवार के लिए दुुरई से मदद मांग लें, क्योंकि हम तो उसे मार नहीं पाएंगे. हम दुरई को बताएंगे कि हम को सब पता चल गया है तो वह डर कर हमें पैसे दे देगा, जो मुकंडी के परिवार के काम आ सकते हैं. गणेशन तो नहीं मानता पर अन्य साथी मान जाते हैं. यह सुन कर थंबू हैरान हो जाता है कि नीला तो अभी भी जिंदा है तो वह अपने साथियों से हमला करने के लिए कहता है. वे आपस में लड़ते हुए एक कमरे में पहुंचते हैं, जहां पर बरनी एक लड़की के साथ संबंध बनाता हुआ मिलता है.

पाणि तब गणेशन को बताता है कि बरनी वही व्यक्ति है, जिस ने नीला की जिंदगी खराब की थी. ये लोग बरनी को पकडऩे के लिए जाते हैं तो वह छत से कूद कर बिजली के ट्रांसफार्मर पर गिर जाता है, जिस से उस की वहीं पर मौत हो जाती है. यहां पर तीसरा एपिसोड भी समाप्त हो जाता है. तीसरे एपिसोड की बात करें तो इस एपिसोड में भी वास्तविकता कम नाटकीयता अधिक दिखाई गई है. रघु के मरने पर दुरई अपने सभी गुंडों के सामने रघु की पत्नी मीना को उस के घर लाने और उस से मजे लेने के लिए कहानी वास्तविक लग सकती थी. इस का अर्थ तो यही है कि दुरई बाकी सब गुंडों की मौत के बाद उन की पत्नियों या बहनों के साथ मजे लेगा, वह भी खुलेआम.

वहीं दूसरी ओर जिन भाइयों ने नीला का जीवन बरबाद किया, उस के प्रेमी पति को मार डाला. उन को मारने या बदला लेने की बात को न कह कर वह उन से पैसे लेने की बात कर रहा है. यह दृश्य भी समझ से परे लगता है, मात्र लेखक या निर्देशक के दिमाग की उपज भर, वास्तविकता से परे लगता है.

एपिसोड नंबर 4

 

इस एपिसोड का नाम ‘न्याय हुआ’ रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत में हम पुलिस वालों को देखते हैं, जो नेता बरनी की मौत की जांच कर रहे हैं. तभी वहां पर एक आदमी आता है, जो दुरई का ही आदमी होता है, वह इस केस को पुलिस वालों से मिल कर उन को घूस दे कर मामला रफादफा करवा देता है. अगले दृश्य में दुरई के आदमी रघु की पत्नी मीना को मनाने की भरपूर कोशिश करते हैं, परंतु मीना इस दुष्कृत्य को किसी भी तरह स्वीकार नहीं करती है. इस के बाद दुरई का एक गुंडा मीना की जम कर पिटाई कर देता है.

वहां पर उन सब के बीच एक बूढ़ा आदमी भी होता है, जोकि मीना की इस दुखद स्थिति को देख कर उस की मदद करने के लिए उस की तरफ खिड़की से चुपके से एक चाकू फेंक देता है, ताकि वह अपने बंधन खोल कर वहां से आजाद हो सके. दुरई अपने आदमी को फोन कर के कहता है कि वह मीना को यह बात बता दे कि दुरई उस से बाकायदा शादी कर के अपनी बनाना चाहता है. वहीं गणेशन और कोथाड़ी बात कर रहे होते हैं कि देवी मां के कारण ही दुरई इस तरह से अपने बुरे कर्मों का फल भोग कर बुरी तरह से मरा. अब कोथाड़ी कहती है कि दुरई और उस के साथी इतने अधिक शक्तिशाली हैं कि हम चाह कर भी दुरई को मार नहीं सकते हैं.

इधर गुंडे थंबू और दुरई को यह बात बताते हैं कि गांव वाले नीला का साथ अपने परिवार की बेटी की तरह दे रहे हैं, जिस के कारण वे नीला का मर्डर नहीं कर पा रहे हैं. इधर जेल में एजे के पास थंबू और दुरई जाते हैं तो एजे उन से कहता है कि अब बरनी की मौत के बाद उस का एमएलए बनना आसान होता जा रहा है. वह अब जरूर एमएलए बन जाएगा. उस के बाद एजे एक चिंता यह व्यक्त करता है. एजे आगे यह कहता है कि मेरा बेटा अरुण अब जल्द ही विदेश से वापस लौटने वाला है, उस का जन्मदिन भी आने वाला है. उस के जन्मदिन पर ही हम उसे एमएलए प्रत्याशी के रूप में खड़ा करेंगे. एजे की इस बात को सुन कर दुरई को एजे पर बड़ा गुस्सा आता है कि मेरी तो परिवार और समाज में कोई औकात ही नहीं है.

अगले दृश्य में गणेशन और उस के साथी दुरई और उस के गुंडों को मारने के लिए अपनी तैयारी में लगे हुए थे. तभी दुरई आ कर एजे की पत्नी यानी अपनी भाभी को आ कर बताता है कि मेरा भाई एजे मुझे यानी अपने छोटे भाई की नहीं, बल्कि अपने बेटे अरुण को अगला एमएलए बनाना चाहता है. इस पर उस की भाभी मुथरा कहती है कि तुम इस में इतनी चिंता और गुस्सा क्या कर रहे हो. यदि मेरा बेटा अरुण यानी तुम्हारा भतीजा अरुण एमएलए बनता है तो इस में बुरा क्या है? यह तो अच्छी बात है. यहां पर अब यह बात सामने दिखाई जाती है कि दरअसल अरुण एजे का नहीं, बल्कि दुरई का ही असली बेटा है यानी कि अपनी भाभी के साथ देवर दुरई के अवैध संबंधों का नतीजा.

कई सालों से एजे का बीवी मुथरा एजे को धोखा दे कर अपने देवर के साथ अवैध संबंधों में थी. फिर दुरई कहता है कि एमएलए तो मुझे ही बनना है क्योंकि उसे अरुण से बिलकुल भी लगाव ही नहीं था. इस के बाद हम देखते हैं कि कोथाड़ी जगहजगह पोस्टर लगा रही है, जिस में यह लिखा है कि बाबूराजा का असली कातिल एजे नहीं बल्कि दुरई है. यह पोस्टर देख कर दुरई बौखला और डर जाता है. अगले दृश्य में जेल में कुछ लोग एजे से मजाक करने लगते हैं पर कुछ देर बाद इन में आपस में लड़ाई होने लगती है और जेल के कर्मचारी आ कर सब को पकड़ कर बंद कर देते हैं.

इधर दुरई के पास उस के आदमी का फोन आता है कि रघु की बीवी मीना उस की बात मान गई है और वह तुम्हारी हमेशा के लिए बनने के लिए तैयार है. इस बात को सुन कर दुरई बहुत खुश हो जाता है कि अब जिंदगी का असली मजा आएगा. गणेशन और उस के साथी दुरई को जान से मारने की प्लानिंग के लिए तैयारी कर रह थे, तभी कोथाड़ी उन्हें फोन कर के यह जानकारी देती है कि दुरई आज कहीं विशेष जगह आने वाला है. वह सारी बात बता देती है. तब गणेशन और उस के साथी वहां पर पहुंच जाते हैं, जहां पर मीना को रखा गया था. तभी एक आदमी वहां से भाग निकलता है मगर दूसरा एक गुंडा गणेशन की पकड़ में आ जाता है, जिसे वह जान से मार डालता है.

तभी वहां पर दुरई खुशीखुशी आता है, मगर वहां पर अपने आदमी की लाश देख कर चौंक जाता है. वह इधरउधर चौकन्ना हो कर खूनी को देखने लगता है, तभी मौका पा कर गणेशन दुरई को कुएं में फेंक देता है और मीना को वहां से ले कर भाग जाता है. मीना गणेशन को सारी बातें सचसच बता देती है कि वह यहां पर किन परिस्थितियों में गई थी और इसी के साथ चौथा एपिसोड समाप्त हो जाता है. चौथे एपिसोड की बात करें तो इस में भी कहानी की वास्तविकता भटकती हुई साफसाफ नजर आ रही है.

इस एपिसोड में लेखक ने एक नया एंगल और डाल दिया है कि दुरई का अपनी सगी भाभी से अनैतिक संबंध रहा है, जिस के कारण एजे का बेटा अरुण उस का नहीं बल्कि दुरई का बेटा है. इन दोनों यानी भाभीदेवर के अवैध संबंध कब और कैसे बने, यह भी कहीं नहीं दिखाया गया है. उल्टा दुरई को न तो अपनी भाभी से लगाव है और न ही अपने बेटे अरुण से प्यार है. यह इस एपिसोड में दिखाने का प्रयास किया है, जो कहीं से कहीं तक सत्य नहीं लगता. इस के अलावा पूरा एपिसोड अपनी दिशा से भटक रहा है. कहानी में एकरूपता बिल्कुल भी नहीं दिखाई दे रही है.

एपिसोड नंबर 5

पांचवें और अंतिम एपिसोड का नाम ‘अंतिम फैसला’ रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत में दुरई को जब होश आता है तो वह अपने आप को एक कुएं के अंदर पाता है तो वह मदद के लिए जोरजोर से चिल्लाने लगता है. अगले सीन में कोथाड़ी दुरई और उस के गुंडों को मारने के लिए एक वैद्य के पास आती है. वैद्य उन्हें एक विशेष प्रकार का जहर देता है, जिसे किसी भी हथियार में लगाने पर किसी की भी तुरंत मौत हो सकती है. कोथाड़ी जहर ले कर अपने घर आ जाती है. उधर गणेशन अपने गांव के एक आदमी को फोन कर के कोथाड़ी के बारे में पूछताछ करता है. इस के बाद वह रघु की पत्नी मीना को कुछ पैसे देता है, ताकि वह रोजाना की जरूरत का सामान खरीद सके.

उस के बाद गणेशन मीना को समझाता है कि अब तुम अपनी सास के पास चली जाओ. मगर मीना कहती है कि वो गुंडे बहुत खतरनाक हैं, मुझे कभी भी उठवा सकते हैं. इसलिए मजबूरीवश गणेशन मीना को अपने साथ चलने के लिए कहता है. अगले दृश्य में कोर्ट में एजे का वकील एजे की बेल एप्लीकेशन प्रस्तुत करता है, क्योंकि एजे अपने बेटे अरुण का जन्मदिन बाहर धूमधाम से मनाना चाहता है, लेकिन अदालत में एजे को बेल नहीं मिल पाती. तब एजे गुस्से से थंबू से कहता है कि मेरे बेटे का जन्मदिन तुम सब मिल कर धूमधाम के साथ मनाना.

कोथाड़ी और उस के साथी एक जगह पर इकट्ठे हैं, जहां पर ये सब मिल कर दुरई को मारने की प्लानिंग बना रहे थे, तभी उन पर नजर रख रहे दुरई के आदमी कोथाड़ी और उस के साथियों पर हमला कर देते हैं. उन सब में आपस में लड़ाई होने लगती है जिस में कोथाड़ी और उस के साथी उन सब गुंडों को मार डालते हैं. लेकिन इस लड़ाई में एक लड़की भी बुरी तरह से घायल हो जाती है और एक जगह निकल जाती है. इस हमले में दुरई का एक गुंडा भी बच निकलता है. गणेशन और मीना कोथाड़ी से मिलने आते हैं तो रास्ते में उन्हें घायल अवस्था में वह युवती नगनी मिलती है, जो हमले में बुरी तरह से रक्तरंजित थी.

गणेशन नगनी को इलाज कराने के लिए अस्पताल ले कर आ जाता है. जब नगनी को अस्पताल में होश आ जाता है तो वह और मीना आपस में बातें करने लगते हैं. तब मीना को पता चलता है कि उस रात मीना के पति रघु ने ही गणेशन की प्रेमिका वामा और दोस्त मुकंडी की जान ली थी, जिस से बदला लेने के लिए गणेशन अपने साथियों के साथ उसे ढूंढ रहा था. यह सुन कर मीना को बड़ा दुख और अफसोस होता है कि मेरा पति पापी था. उस ने बहुत गलत काम किया, अब मैं जीना नहीं चाहती और मीना आत्महत्या करने के लिए वहां से भाग जाती है. तब गणेशन उसे समझाता है और जीने के लिए प्रोत्साहित करता है कि वह अब आगे अच्छे काम कर अपनी जिंदगी अच्छी तरह से जी सकती है.

अगले दृश्य में कुएं से दुरई के चिल्लाने की आवाज उसी गांव का एक आदमी सुन लेता है और कुएं में झांकता है. तब दुरई उस से कहता कि मुझे जल्दी से कुएं से बाहर निकाल दो, मैं तुम्हें सोने की एक चेन दूंगा. लालच में आ कर वह आदमी दुरई को कुएं से बाहर निकाल देता है. बाहर निकलते ही दुरई उस आदमी को चांटा मार कर बिना सोने की चेन दिए वहां से भाग जाता है. इधर थंबू और उस के साथी दुरई को ढूंढ रहे होते हैं, तभी वहां पर दुरई आ जाता है. दूसरी ओर गणेशन गांव के आदमी से पता कर के कथाड़ी के पास पहुंच जाता है और गणेशन वहां पर मीना को सभी से मिलवाता है.

तब कोथाड़ी गणेशन से कहती है कि एजे का बेटा अरुण कल विदेश से वापस लौट रहा है, जिसे एयरपोर्ट पर लाने के लिए उस का परिवार व साथी जा रहे हैं. वहां पर हम दुरई को मार सकते हैं. तब गणेशन कोथाड़ी से कहता है कि हम कल कैसे जा पाएंगे, क्योंकि कल तो तुम्हारी बेटी की शादी हो रही है. चलो, पहले तुम्हारे घर चल कर यह काम निपटा लेते हैं. कोथाड़ी कहती है, अरे हां यह बात तो मैं बिलकुल भूल ही गई थी. अगले दिन गणेशन और सभी साथी मिल कर कोथाड़ी की बेटी की शादी धूमधाम से संपन्न करा देते हैं. यह सब देख कर कोथाड़ी बहुत खुश हो जाती है. उस के बाद रात को वे सभी दुरई को मारने निकल पड़ते हैं. वहीं गणेशन दुरई के उस आदमी को मार डालता है, जिस ने वामा का मर्डर किया था यानी कि गणेशन का एक बदला पूरा हो चुका था.

इधर थंबू और उस के साथी जब एयरपोर्ट पर अरुण को लेने पहुंचते हैं तो उन्हें पता चला कि अरुण तो वहां से न जाने कहां गायब हो गया. यह देख कर वे सभी बहुत घबरा जाते हैं. तभी पता चलता है कि अरुण का तो कोथाड़ी ने अपहरण कर लिया था. इधर एयरपोर्ट पर एजे की पत्नी और दुरई के बीच में काफी कहासुनी हो जाती है, इस पर एजे की पत्नी दुरई से कहती है कि बेटा तो वह तुम्हारा ही है, इसलिए कहीं से भी उसे ढूंढ कर लाओ. यह सच्चाई सुन कर थंबू हैरान हो जाता है. फिर दुरई और उस के आदमी उसी गांव वनदेसम में पहुंच जाते हैं, जहां नीला रहती थी. एक आदमी से दुरई को पता चलता है कि वे सब लोग एक जगह पर इकट्ठा हो कर दुरई का ही इंतजार कर रहे हैं.

इस के बाद दुरई अपने गुंडों के साथ वहां पहुंचता है तो वहां पर सभी गांव वाले पहले से खड़े उस का इंतजार कर रहे थे. वहां पर अरुण दुरई से कहता है कि चाचा दुरई, तुम ने ही तो मेरे पापा एजे को गिरफ्तार कर जेल भिजवाया था न! इस पर दुरई अरुण को अपने पास आने को कहता है. असल में अब तक दुरई ने यह फैसला कर लिया था कि वह अब गांव वालों के साथ अरुण को भी जान से मार डालेगा, ताकि यह सच इसी गांव में दफन हो कर रह जाए. पर इसी बीच गणेशन दुरई पर हमला कर देता है, वहां पर दोनों पक्षों में जोरदार लड़ाई शुरू हो जाती है. उसी समय मौका पा कर थंबू वहां से निकल भागता है.

 

यहां पर लड़ाई में नीला बुरी तरह से जख्मी हो जाती है. तभी मौका पा कर अरुण पत्थर से दुरई को कुचल कर मार देता है, फिर वहां पर पुलिस का सायरन सुनाई देता है और गांव वाले वहां से नीला को ले कर निकल जाते हैं, जिन के साथ अरुण भी था. फिर अगले दिन थंबू और एसपी आ कर जेल में एजे से कहते हैं कि अरुण एयरपोर्ट से ही गायब हो गया है और दुरई की मौत हो चुकी है. यह सुन कर एजे काफी टेंशन में आ जाता है कि मेरा बेटा न जाने किस हाल में होगा. फिर एजे यह सोच लेता है कि वह उस पूरे गांव को ही खत्म कर देगा, जिस ने अरुण को खत्म किया और नीला को बचाने की कोशिश की थी. यहीं पर पांचवां और अंतिम एपिसोड भी समाप्त हो जाता है.

पांचवें एपिसोड Web series का विश्लेषण करें तो कहींकहीं पर बेतुकी घटनाएं दिखाई गई हैं. कोथाड़ी और दुरई के बीच लड़ाई में दुरई के एक गुंडे को बच कर भागता दिखाया गया है. वह बच कर कहां और किस के पास गया, इस का जिक्र कहीं पर भी नहीं है. सीरीज के अंत में एजे को जिंदा दिखाया गया है और वह अब नीला सहित पूरे गांव को खत्म करने की प्रतिज्ञा ले रहा है. यह सीरीज बिलकुल भी गले से उतर नहीं रही है. यदि पूरी वेब सीरीज ‘ओम काली जय काली’ का विश्लेषण करें तो इस में दशहरा उत्सव का चित्रण केवल सजावटी लगता है. वेब सीरीज में जब इस बात पर जोर दिया जाता है कि एक दैवीय शक्ति ही सब कुछ संचालित करती है तो कहानी लडख़ड़ा सी जाती है.

कहानी में एक बार महिला को फिर से बेचारी दिखा कर प्रस्तुत किया गया है और उसे अनिवार्य रूप से बचाने के लिए एक पुरुष की जरूरत होती है. मौजूदा मानदंडों को तोडऩे का कोई प्रयास नहीं किया है. तमिल ओटीटी स्पेस के संदर्भ के विषय में सब से अधिक चिंता की बात यह है कि नई कहानियां बताने के लिए कोई भी ठोस प्रयास ही नहीं किया गया है. लेखक इस मामले में कोई नई राय नहीं बना पा रहे हैं. इतने सारे जानेपहचाने चेहरों के बावजूद भी यह वेब सीरीज अपनी गति पाने के लिए संघर्ष करती दिखाई दे रही है.

औनर किलिंग, सत्ता लालच और बदला लेने की अलगअलग घटनाएं इसे बेहद थकाऊ बना देती हैं. असल में वेब सीरीज ‘ओम काली जय काली’ भी हौटस्टार के दूसरे शो ‘हरिकथा’ की तरह ही लग रही है, जिस में एक नाटक को कई हत्याओं को अंजाम देने के लिए मुखौटों के रूप में इस्तेमाल किया गया था.

विमल

अभिनेता विमल का जन्म 27 अप्रैल, 1980 को तमिलनाडु के त्रिचुरापल्ली जिले के मणप्पराई के पास स्थित गांव पन्ननकोंबू में हुआ था. इस के बाद वह अपने परिवार के साथ चेन्नई चला गया. विमल का रुझान इस बीच नृत्य की ओर हो गया, जिस के कारण उस ने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और चेन्नई थिएटर ग्रुप कुथु पी पट्टराई में शामिल हो गया. वर्ष 2001 में उस ने एक महत्त्वाकांक्षी मौडल के रूप में अपने करिअर की शुरुआत की. थिएटर समूह कुथु पी पट्टराई का हिस्सा होने के दौरान विमल ने कई हाईप्रोफाइल तमिल फिल्मों में छोटेमोटे रोल करने शुरू कर दिए, जिन में ‘घिल्ली’ (2004), ‘किरीदम’ (2007) और ‘कुरुवी’ (2008) शामिल है. उसे फिर एक अच्छी और बड़ी फिल्म ‘कांचीवरम’ (2008) में कैमियो की भूमिका निभाने का अवसर मिला.

उस के बाद तो उस की किस्मत ही चमक पड़ी. उसे पंडिराज द्वारा निर्देशित ‘पासंगा’ (2004) में प्रमुख भूमिका मिली. उस की प्रमुख फिल्में ‘कलवाणी’ (2010), ‘थुंगा नगरम’ (2010), ‘स्थयन’ (2010), ‘वागई सूदा वा’ (2011), ‘कलकलप्पू’ (2012) ‘इष्टम’ (2012), ‘केडी बिल्ला किलाडी रंगा’ (2012), ‘देसिगु राजा’ (2013), ‘मंजापाई’ (2013), ‘कावल’ (2015), ‘अजला’ (2016), ‘भापला सिंघम’ (2016), ‘कलवाणी 2’ (2019), ‘कन्नी रासी’ (2020), ‘महोदय’ (2024), ‘बढ़ावा’ (2024), ‘गैंगर्स’ (2024), ‘दे सिग राजा 2’ (2025) और ‘बेल्लाखेला’ (2025) रही हैं. इस के अलावा विमल ने वेब सीरीज ‘विलंगु’ (2022) में भी अभिनय किया है.

विमल विवाहित है. उस की पत्नी का नाम अक्षया है और उस के 2 बच्चे हैं. विमल की पत्नी उस की गर्लफ्रेंड रही है और एक सरकारी अस्पताल में डाक्टर है. विमल के पापा का नाम नरसिंह व मम्मी का नाम रमणी है. विमल केवल दसवीं तक पढ़ा है. उस के प्रेरणास्रोत प्रभुदेवा रहे हैं, जिन के कारण उस ने अपनी पढ़ाई छोड़ दी और डांस करना शुरू कर दिया था.

क्वींसी स्टेनली

क्वींसी स्टेनली एक तमिल अभिनेत्री और मौडल है. क्वींसी का जन्म 21 फरवरी, 1999 में कोयंबटूर, तमिलनाडु में हुआ था. उस ने कोयंबटूर में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और उस के बाद श्री कृष्णा आट्र्स ऐंड साइंस कालेज, कोयंबटूर से स्नातक की डिग्री हासिल की. अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद क्वींसी ने मौडलिंग की दुनिया में कदम रखा. उस के बाद 2019 में उस ने ‘करुप्प कन्नडी’ फिल्म के साथ तमिल फिल्म इंडस्ट्री में अपने अभिनय की शुरुआत की. उस के बाद उस ने तमिल फिल्म ‘विदियम वरई काथिरु’ (2022) में अपने अभिनय की कुशल छाप छोड़ी. क्वींसी ने लघु फिल्म ‘कौफी 50 कथल 50’ में भी काम किया है.

क्वींसी ने टेलीविजन इंडस्ट्री में सन टीवी पर तमिल धारावाहिक ‘अनबे वा’ से कदम रखा, जिस ने उसे एक बहुमुखी अभिनेत्री के रूप में एक नई पहचान दिलाई. क्वींसी अक्तूबर 2022 में लोकप्रिय तमिल रियलटी शो ‘बिग बौस तमिल सीजन 6’ की प्रतियोगी भी रही है. क्वींसी स्टेनली सिर्फ एक अभिनेत्री ही नहीं है, उस ने कई टीवी शो में एंकर के तौर पर भी अपनी बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है. उस की रुचियों में नृत्य करना, साहित्य पढऩा, फिल्में देखना और नईनई जगहों की यात्रा करना शामिल है, जो उस की औनस्क्रीन भूमिकाओं से परे एक बहुमुखी व्याक्तित्त्व को दर्शाता है.

क्वींसी एक उभरती हुई अभिनेत्री है. वह टीवी धारावाहिक ‘सत्या’ के लिए जानी जाती है. उसे कमल हासन की फिल्म ‘विक्रम’ में भी देखा गया था, जहां पर उस ने विजय सेतुपति की पत्नी का किरदार निभाया था. क्वींसी अभी अविवाहित है.

प्रस्तुति: अनीता

 

 

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