true crime stories : करीब 20 सालों से फरार रंगदारी, हत्या समेत लगभग 200 मामलों में वांटेड फिल्मी हस्तियों, बिल्डरों, नेताओं और बिजनैसमैनों को धमकी दे कर पैसे की उगाही करने वाला कुख्यात गैंगस्टर रवि पुजारी आखिर पकड़ा ही गया. कर्नाटक पुलिस उसे पश्चिमी अफ्रीकी देश सेनेगल से भारत ले तो आई, पर क्या उस का अंजाम भी छोटा राजन जैसा ही…
अंडरवर्ल्ड डौन रवि पुजारी करीब 2 साल के अथक प्रयास के बाद आखिर पश्चिमी अफ्रीकी देश सेनेगल की राजधानी डकार से नाटकीय ढंग से एक नाई की दुकान से पुलिस के हाथ लग ही गया. डौन रवि पुजारी 90 के दशक का मुंबई का सक्रिय अपराधी रह चुका था. उस के खिलाफ ही नहीं, उस की पत्नी के खिलाफ भी इंटरपोल का रेड कार्नर नोटिस जारी था. लेकिन वह लंबे समय से फरार चल रहा था. वह बहुत ही चालाक अपराधी था, इसलिए उसे पकड़ने के लिए काफी सतर्कता बरती गई थी. रवि पुजारी कई बार पुलिस के हाथों से निकल चुका था. उसे पकड़ने के लिए सेनेगल पुलिस 3 बसों में भर कर पहुंची थी और उसे चारों तरफ से घेर लिया था.
रवि पुजारी की कहानी भी वैसी ही है, जैसी आम बदमाशोें या अंडरवर्ल्ड डौन की होती है. मूलरूप से वह मंगलुरु का रहने वाला था. मंगलुरु में एक जगह है माल्पे, जहां वह 1968 में पैदा हुआ था. उस के पिता शिपिंग फर्म में काम करते थे. रवि पढ़ाई में काफी कमजोर था. लगातार फेल होने की वजह से उसे स्कूल से निकाल दिया गया. बचपन से ही उसे फिल्मों का बहुत शौक था. स्कूल से निकाले जाने के बाद अपने इसी शौक की वजह से रवि मुंबई आ गया था. मुंबई में रोजीरोटी के लिए यह अंधेरी में एक चाय की दुकान पर काम करने लगा, जहां वह लोगों को चाय सर्व करता था.
रवि पुजारी की मुंबई में यह शुरुआत थी. यह उस समय की बात है, जब मुंबई के पुराने डौन खत्म हो रहे थे और नएनए डौन उभर रहे थे. उन में दाऊद इब्राहीम और छोटा राजन मुख्य थे. रवि पुजारी जिस चाय की दुकान पर काम करता था, उस दुकान पर इलाके के तमाम मवाली और गुंडे चाय पीने आते थे. उन का रौबदाब और शाही रहनसहन देख कर रवि पुजारी उन मवालीगुंडों से काफी प्रभावित था. फलस्वरूप रवि पुजारी भी जुर्म की दुनिया में अपना नाम कमाने के बारे में सोचने लगा. संबंध बनाने के लिए वह ऐसे लोगों की खूब आवभगत करता था. उन्हें बढि़या से बढि़या चाय बना कर पिलाता था. उन से दोस्ती करने की कोशिश करता था.
उस दुकान पर आनेजाने वाले मवालीगुंडों में रोहित वर्मा और विनोद मटकर नाम के 2 गुंडे भी थे. ये दोनों छोटा राजन के लिए काम करते थे. एक तरह से ये छोटा राजन के शूटर थे. उस समय छोटा राजन दाऊद इब्राहीम के लिए काम करता था. यह 80 के दशक यानी सन 90 के पहले की बात है. उसी इलाके में एक गैंगस्टर और था, जिस का नाम था बाला जाल्टे. बाला जाल्टे और रोहित वर्मा के बीच किसी बात को ले कर ठनी हुई थी. एक दिन रोहित वर्मा अपने साथियों के साथ वहां पहुंचा और बाला जाल्टे की गोली मार कर हत्या कर दी. कहा जाता है कि बाला जाल्टे की हत्या करने के लिए हथियार रवि पुजारी ने ही ला कर दिया था.
इस के बाद रोहित वर्मा की रवि पुजारी से दोस्ती हो गई. रवि पुजारी शूटर बनना चाहता ही था, इसलिए जल्दी ही वह रोहित वर्मा के करीब आ गया. रोहित वर्मा ने उस से वादा किया कि वह उसे छोटा राजन से मिलवा देगा. करीब आने के बाद रोहित वर्मा उस से छोटेमोटे काम कराने के साथसाथ उसे टे्रनिंग दे कर शूटर बनाने लगा, जो वह जल्दी ही बन भी गया. उस का नाम भी छोटा राजन के शूटरों में जुड़ गया और धमकी दे कर उस के पास पैसा आने लगा. उस का निशाना होते थे फिल्म वाले, बिल्डर, नेता, होटल मालिक और बिजनैसमैन. जरूरत होती तो वह बात न मानने पर किसी की हत्या भी करा देता था. हथियार हाथ में आया तो रवि का ठिकाना मुंबई ही नहीं, कर्नाटक भी बन गया.
जान से मारने की धमकी दे कर वह बिल्डरों, बिजनैसमैनों और नेताओं से लाखोंकरोड़ों वसूलता था. जल्दी ही कर्नाटक में उस के खिलाफ 90 केस दर्ज हो गए. इन में से 37 केस बेंगलुरु में और 36 मेंगलुरु में दर्ज हुए. सरकार तक बात पहुंची तो उसे पकड़ने के लिए स्पैशल टीम बनाई गई. जो कर्नाटक, मुंबई में उसे सब जगह ढूंढ रही थी. पैसा आया तो रवि पुजारी दुबई चला गया और वहीं से अपने टारगेट को धमकी दे कर वसूली करने लगा. रवि पुजारी से लोग काफी परेशान हो चुके थे. वह देश में भले नहीं था, लेकिन उस की दहशत काफी थी. इसी वजह से उसे ले कर कर्नाटक पुलिस काफी परेशान थी.
अंतत: कर्नाटक सरकार ने पुलिस टीम से कहा कि रवि पुजारी नाम की इस आफत का किसी भी तरह पता लगाओे और उसे गिरफ्तार कर के भारत ले आओ. 2 मार्च, 2018 को कर्नाटक के एडीजीपी अमर कुमार पांडेय की अगुवाई में पुलिस की एक टीम बना कर रवि पुजारी को गिरफ्तार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई. पुलिस को रवि पुजारी की गिरफ्तारी की जिम्मेदारी तो सौंप दी गई, लेकिन उस के बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं थी. सिर्फ इतना पता था कि 20 साल पहले 1990 में वह मुंबई से दुबई गया था और वहां से वह लोगों को धमका कर पैसे मांगता था. कर्नाटक और मुंबई में उस के कई शूटर थे. पुलिस टीम ने पता लगाना शुरू किया तो जानकारी मिली कि रवि दुबई से युगांडा गया और वहां से केन्या.
कुछ समय वह आस्ट्रेलिया में भी रहा. आस्ट्रेलिया छोड़ कर अब वह साउथ अफ्रीका में कहीं रह रहा है. रवि का टैरर गुजरात में भी था. वहां उस के कई साथी भी थे. गुजरात की एसटीएफ को भी उस की तलाश थी. रवि पुजारी के बारे में पुलिस के पास कोई निश्चित जानकारी नहीं थी. काफी कोशिश के बाद भी उस का पता नहीं चल पा रहा था. इस की एक वजह यह भी थी कि रवि पुजारी थोड़ा अलग किस्म का डौन था. वह टेक्नोलौजी का उपयोग बहुत कम करता था, जिस से किसी को उस का सुराग नहीं मिल पा रहा था. इस के बावजूद उस का वसूली का धंधा धड़ल्ले से चल रहा था. वह मुंबई में ही नहीं, कर्नाटक, केरल, उत्तर प्रदेश और गुजरात तक लोगों को धमकी दे कर वसूली कर रहा था.
रवि पुजारी को गिरफ्तार करने के लिए एडीजीपी अमर कुमार पांडेय की अगुवाई में टीम बन गई थी. उसे गिरफ्तार करने के लिए टीम ने अपने मुखबिर लगा दिए. क्योंकि उस के आदमी तो भारत में थे ही, जिन के माध्यम से वह वसूली कर रहा था. उन्हीं मुखबिरों से पुलिस टीम को पता चला कि मंगलुरु में एक ऐसा आदमी है, जिसे रवि पुजारी के बारे में हर छोटी से छोटी जानकारी है. दबिश दे कर पुलिस ने उस आदमी को उठा लिया. दबाव में आ कर वह आदमी वादामाफ गवाह बन कर रवि पुजारी की हर छोटी से छोटी जानकारी देने लगा. लेकिन उस आदमी द्वारा दी गई जानकारी से भी पुलिस को कोई खास सफलता नहीं मिली.
उसी दौरान पुलिस को कर्नाटक के एक और डौन बन्नाजी राजा के बारे में पता चला. वह मोरक्को में रह रहा था. सन 2015 में उसे मोरक्को से पकड़ कर भारत लाया गया. पुलिस को लगा था कि बन्नाजी राजा और मंगलुरु से पकड़े गए आदमी से रवि पुजारी के बारे में कुछ इस तरह की जानकारी मिल जाएगी कि उस तक पहुंचा जा सके. पर दोनों से ही इस तरह की कोई जानकारी नहीं मिली. फिर भी पुलिस दोनों से लगातार बातचीत करती रही. इस बातचीत में रवि पुजारी के साथी ने पुलिस टीम को बताया कि वह रेस्टोरेंट की चेन खोलना चाहता था. चूंकि वह इंडिया में मोस्टवाटेंड था, इसलिए उस ने अपना नाम भी बदल लिया था. उसे एक नाम बहुत पसंद था और वह था एंथोनी फर्नांडीज.
रवि का परिवार भी नहीं लगा हाथ पुलिस को रवि पुजारी का नाम तो पता चल गया था, पर इतनी बड़ी दुनिया में किसी को सिर्फ नाम के सहारे तो नहीं ढूंढा जा सकता था. फिर भी पुलिस उस के पीछे लगी रही. रवि पुजारी की पत्नी पद्मा दिल्ली में अपनी सास, 2 बेटियों और बेटे के साथ रह रही थी. सन 2005 में वह फरजी पासपोर्ट बनवाने के आरोप में गिरफ्तार हुई थी. लेकिन जमानत होते ही अपनी बेटियों और बेटे के साथ अचानक फरजी पासपोर्ट के सहारे गायब हो गई थी. पुलिस ने जब उस के बारे में पता लगाया तो पता चला कि वह भाग कर अपने पति रवि पुजारी के पास पहुंच गई है.
इस के बाद पुलिस रवि की खोज में और जोरशोर से लग गई. आखिर पुलिस की कोशिश रंग लाई और इस बार एक अहम जानकारी यह मिली कि रवि को अफ्रीका के एक पश्चिमी अफ्रीकी देश सेनेगल की राजधानी डकार में देखा गया है. पुलिस ने अपने मुखबिरों से उस के बारे में पता किया, पर कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिली. इसी बीच पुलिस को अपने सूत्रों से पता चला कि रवि पुजारी पश्चिमी अफ्रीकी देश बुर्कीना फासो में देखा गया है. लेकिन वह वहां से निकल गया. उसी दौरान पुलिस को कुछ फोटो मिले, जिन्हें रवि पुजारी के 20 साल पुराने फोटो से मिलाया गया. वे फोटो पूरी तरह तो नहीं मिल रहे थे, फिर भी ऐसा लग रहा था कि फोटो उसी के हैं.
इस के बाद कर्नाटक पुलिस ने अपने मुखबिरों को सतर्क कर दिया. स्थानीय पुलिस की भी मदद ली गई. तब पुलिस को पता चला कि बुर्कीना फासो में एंथोनी फर्नांडीज नाम का एक आदमी रह रहा है. वहां पर एक रेस्टोरेंट की चेन चल रही है, जिस का नाम है नमस्ते इंडिया. रवि पुजारी भी इंडिया का था और रेस्टोरेंट की चेन का भी नाम नमस्ते इंडिया था. उस के इंडिया वाले साथी ने पुलिस को बताया भी था कि वह रेस्टोरेंट की चेन खोलना चाहता था. इस से लगा कि हो न हो ये नमस्ते इंडिया नाम के जो रेस्टोरेंट हैं, वे रवि पुजारी के ही हों. इस का मतलब था कि इन का मालिक एंथोनी फर्नांडीज ही रवि पुजारी है.
मुखबिरों और स्थानीय पुलिस से कर्नाटक पुलिस को पता चला कि नमस्ते इंडिया रेस्टोरेंट की चेन का मालिक एंथोनी फर्नांडीज बुर्कीना फासो के कंबोडिया इंटरनैशनल स्कूल के पास रहता है. इस के बाद पुलिस ने उस घर के जरिए काफी जानकारियां जुटाईं. पुलिस अब उस घर की निगरानी करने लगी थी कि शायद रवि पुजारी के बारे में और कोई पुख्ता जानकारी मिल जाए. उसी दौरान अक्तूबर, 2018 में पुलिस को पता चला कि सेनेगल में नमस्ते इंडिया रेस्टोरेंट की जो चेन चल रही है, उस का मालिक डांडिया नाइट करा रहा है. उस डांडिया नाइट में वही सब होगा, जो इंडिया में डांडिया नाइट में होता है.
इस के बाद पुलिस ने मुखबिर के जरिए उस डांडिया नाइट की वीडियो और तस्वीरें हासिल कीं. उस वीडियो में पुलिस ने देखा कि एंथोनी फर्नांडीज वहां के लड़कों से हाथ मिला रहा है और डांस कर रहा है. पुलिस ने उन तसवीरों को गौर से देखा तो 20 साल पहले के रवि पुजारी से एंथोनी फर्नांडीज की शक्ल काफी मिलतीजुलती लगी. लेकिन पुलिस के लिए इतना काफी नहीं था. पुलिस और सबूत जुटाती, उस के पहले ही एंथोनी फर्नांडीज बुर्कीना फासो से गायब हो गया. लेकिन वहां स्थित पुलिस के मुखबिर उस के बारे में पता करने में लगे थे. पुलिस को उन मुखबिरों से पता चला कि डकार में भी नमस्ते इंडिया रेस्टोरेंट की चेन है.
पुलिस मुखबिरों की मदद से डकार में नमस्ते इंडिया नाम के रेस्टोरेंट्स पर नजर रखने लगी. पुलिस इस चक्कर में थी कि शायद यहां से भी उस की कुछ तसवीरें मिल जाएं. तभी पता चला कि डकार में नमस्ते इंडिया रेस्टोरेंट की ओर से वहां एक क्रिकेट मैच कराया जा रहा है, जिस का नाम है इंडियन क्रिकेट क्लब सेनेगल. इस क्रिकेट मैच के आर्गनाइजरों में जो नाम थे, उन में एक नाम एंथोनी फर्नांडीज का भी था. इनविटेशन कार्ड में जो फोन नंबर थे, उन में एक नंबर बुर्कीना फासो स्थित एंथोनी फर्नांडीज के घर का था, इस से पुलिस को लगा कि यह वही आदमी है.
जहां मैच हो रहा था, पुलिस ने मुखबिर के जरिए उस पर नजर रखी. जिस समय क्रिकेट खेला जा रहा था, उसे इंडियन जर्सी में मैच देखते पाया गया. मुखबिर द्वारा पुलिस को उस की फोटो भी मिल गई. इस बार टेक्नोलौजी के जरिए रवि पुजारी की 20 साल पहले की फोटो से मिलाई गई तो साफ हो गया कि एंथोनी फर्नांडीज ही रवि पुजारी है. बहुत चालाक निकला रवि पुजारी नाम, रेस्टोरेंट की चेन और फोटो से यह बात जाहिर हो गई कि एंथोनी फर्नांडीज ही रवि पुजारी है तो कर्नाटक पुलिस ने कर्नाटक सरकार की मदद से सेनेगल सरकार से संपर्क किया. कहा जाता है कि सेनेगल के राष्ट्रपति मैकी शाल अपराध और अपराधी से बहुत नफरत करते हैं.
उन्होंने कई देशों के गैंगस्टरों को पकड़वा कर उन के देश भेजा भी था. इस से उम्मीद जागी कि वह रवि पुजारी को भी गिरफ्तार कराने में जरूर मदद करेंगे. भारत सरकार ने इंटरपोल के जरिए इस बात के सारे दस्तावेज सेनेगल की सरकार को सौंपे कि भारत को रवि पुजारी की 100 से ज्यादा मामलों में तलाश है तो वहां के राष्ट्रपति ने मदद करने का वादा ही नहीं किया, बल्कि अपनी पुलिस और इंटेलिजेंस को नमस्ते इंडिया रेस्टोरेंट पर नजर रखने के लिए लगा दिया. महीनों की कोशिश के बाद जब निश्चित हो गया कि एंथोनी फर्नांडीज नाम का आदमी ही रवि पुजारी है तो रविवार के दिन जब वह सैलून गया तो सेनेगल की पुलिस ने उसे दबोच लिया.
इस के बाद कर्नाटक पुलिस को सूचना दी गई. पुलिस को पूरा विश्वास था कि अब रवि पुजारी को उन्हें सौंप दिया जाएगा. लेकिन रवि पुजारी कर्नाटक पुलिस से भी ज्यादा होशियार निकला. उस ने पुलिस वालों, कुछ माफियाओं और अपने लोगों के जरिए बुर्कीना फासो में अपने खिलाफ धोखाधड़ी का एक पुराना मामला दर्ज करा दिया. सेनेगल का यह कानून है कि किसी भी आदमी के खिलाफ अगर वहां कोई मामला दर्ज है, तो जब तक उस का निपटारा नहीं हो जाता, उसे किसी भी देश को नहीं सौंपा जा सकता. रवि पुजारी के मामले में भी यही हुआ. उस के खिलाफ मामला दर्ज होते ही वहां की सरकार ने फैसला आने तक उसे सौंपने से मना कर दिया. इस तरह रवि पुजारी पुलिस के हाथ आतेआते रह गया.
धोखाधड़ी का मामला बहुत गंभीर नहीं था, इसलिए पुलिस को लगा कि यह जल्दी ही निपट जाएगा. परंतु मामला गंभीर न होने की वजह से रवि पुजारी को जमानत मिल गई. जमानत इस शर्त पर मिली थी कि वह सेनेगल छोड़ कर कहीं नहीं जाएगा. जबकि रवि पुजारी को इसी का इंतजार था. वह जनवरी, 2019 में पकड़ा गया था, फरवरी में जमानत मिली. जमानत इस शर्त पर मिली थी कि वह सेनेगल से बाहर नहीं जाएगा, परंतु जमानत मिलते ही वह गायब हो गया. इस के बाद एक बार फिर उस की तलाश शुरू हुई. 8-9 महीने बाद फिर उस का पता चला. इस बार वह साउथ अफ्रीका में मिला.
वहां से भारत लाने में काफी दिक्कतें पेश आतीं, इसलिए भारत के अनुरोध पर साउथ अफ्रीका से गिरफ्तार कर के उसे सेनेगल ले जाया गया. सेनेगल में धोखाधड़ी का एक मुकदमा उस पर पहले से ही था, दूसरा जमानत तोड़ने का हो गया था. लेकिन दोनों ही मामले ज्यादा गंभीर नहीं थे, इसलिए दोनों मामलों में उसे जल्दी ही सजा सुना दी गई. जिसे पूरा करतेकरते सन 2019 बीत गया. फरवरी, 2020 में सजा पूरी होते ही सेनेगल सरकार ने उसे भारत की कर्नाटक पुलिस के हवाले कर दिया. उस के बाद कर्नाटक पुलिस उसे 22 फरवरी, 2020 को भारत ले आई. कैसे बना छोटा राजन का खास 1993 में जब मुंबई में बम धमाके हुए तो दाऊद इब्राहीम और छोटा राजन के बीच दुश्मनी हो गई.
दोनोें ने अपनेअपने अलग गैंग बना लिए. दाऊद से अलग होने के बाद छोटा राजन बैंकाक चला गया और वहीं से अपना गैंग चलाने लगा. रवि पुजारी भी बैंकाक में छोटा राजन से मिलने गया. पहली बार बैंकाक में उस की मुलाकात छोटा राजन से हुई. इस के बाद छोटा राजन से उस की बातचीत होने लगी. जबकि अभी तक वह छोटा राजन के लिए रोहित वर्मा के माध्यम से काम करता था. अब वह उस के लिए सीधे काम करने लगा था. रवि पुजारी अब छोटा राजन के कहने पर मुंबई में बिल्डरों, नंबर दो का बिजनैस करने वालों और फिल्मी दुनिया से जुड़े लोगों से उगाही करने लगा. इस के बाद रवि पुजारी की छोटा राजन से अच्छी दोस्ती हो गई. वह उसे काफी इज्जत देने लगा. लेकिन अभी भी वह रोहित वर्मा को ज्यादा महत्त्व देता था.
रवि पुजारी के साथ ही एक और शूटर था गुरु साटम. दोनों में अच्छी बनती थी. इन्हें एक बात खटकती थी कि मोटी रकम वसूल कर के तो वे दोनों छोटा राजन को देते हैं, जबकि छोटा राजन उन दोनों के बजाय रोहित वर्मा पर ज्यादा विश्वास ही नहीं करता, बल्कि ज्यादा महत्त्व भी देता है. इसी बात को ले कर दोनों के मन में छोटा राजन के प्रति खटास पैदा होने लगी. वे दोनों उस से अलग हो कर अपना गैंग बनाना चाहते थे. तभी दाऊद के खास छोटा शकील ने बैंकाक में छोटा राजन पर हमला करा दिया, जिस में वह बालबाल बच गया, लेकिन रोहित वर्मा उस हमले में मारा गया. इस के बाद हालात काफी बदल गए.
छोटा राजन को अपनी जान बचाने के लिए ठिकाना ढूंढना पड़ा, तो रवि पुजारी ने अपना खुद का गैंग बना लिया. गुरु साटम उस के साथ था ही. बैंकाक में ही रह कर उस ने उगाही का काम शुरू भी कर दिया. उस का एक ही लक्ष्य था बहुत बड़ा डौन बनना और खूब पैसा कमाना. उस समय मुंबई में अंडरवर्ल्ड के 2 ही बड़े गैंग थे. एक दाऊद इब्राहीम का और दूसरा छोटा राजन का. छोटा राजन पर हमले के बाद उस का गैंग थोड़ा कमजोर पड़ गया था. इसी का फायदा उठा कर रवि पुजारी ने अपना गैंग बनाया और लोगों को धमका कर वसूली शुरू कर दी. इस के लिए उस ने उगाही का अपना अलग ही रास्ता अपनाया.
वह उन लोगों की लिस्ट पहले ही बना लेता था, जिन से वसूली करनी होती थी, साथ ही यह भी तय कर लेता था कि किस से किस तरह और कितना पैसा लेना है. उस ने अपनी उस लिस्ट में कुछ नेताओं, बिल्डरों, फिल्मी दुनिया से जुड़े लोगों, होटल मालिकों के अलावा 2 नंबर का काम करने वाले इस तरह के लोगों को शामिल किया, जिन से उगाही की जा सकती थी. अपनी इस लिस्ट में उस ने नेताओं और फिल्मी हस्तियों का नाम इसलिए शामिल किया, क्योंकि उन से पैसे भले न मिलें, पर पब्लिसिटी जरूर मिले. वह किसी को भी फोन कर के पैसे देने के लिए कह कर वादा करता था कि अगर वे उसे पैसे देंगे तो वह सुरक्षित तो रहेंगे ही, साथ ही वह उन्हें दूसरे अंडरवर्ल्ड के लोगों से भी बचाएगा.
जान सब को प्यारी होती है, लोग डर के मारे रवि पुजारी को पैसे देने लगे. जिस ने उसे पैसे नहीं दिए, उन पर उस ने हमला भी करवाया. अपनी दहशत फैलाने के लिए उस ने 1990 में चेंबूर में कुकरेजा बिल्डर के मालिक ओमप्रकाश कुकरेजा की हत्या करवा दी थी. इस के बाद उस ने नवी मुंबई के बिल्डर सुरेंद्र बाधवा पर भी हमला कर के उन की हत्या करानी चाही, पर उन्होंने भाग कर किसी तरह अपनी जान बचा ली थी. रवि पुजारी ने भारत में रहना ठीक नहीं समझा. क्योंकि वह जानता था कि भारत में रहने पर वह कभी भी पकड़ा जा सकता था. इसलिए वह पहले आस्टे्रलिया गया और फिर वहां से अफ्रीकी देश सेनेगल पहुंच गया और वहीं पर अपना स्थाई ठिकाना बना लिया.
क्योंकि अभी तक वहां भारत के किसी अन्य डौन की पहुंच नहीं थी. वह वहां से मुंबई पुलिस को फोन कर के कहता था कि पुलिस के वे लोग भी उस के निशाने पर हैं, जो दाऊद की मदद करते हैं. धीरेधीरे उस ने अपना वसूली का काम बढ़ा दिया. इसी के साथ उस ने रेस्टोरेंट की चेन नमस्ते इंडिया नाम से सेनेगल के शहरों में रेस्टोरेंट खोलने शुरू कर दिए. उसी बीच उस ने अपना नाम ही नहीं बदला, बल्कि एंथोनी फर्नांडीज नाम से अपना पासपोर्ट भी बनवा लिया. अब वह बुर्कीना फासो का निवासी बन गया. रवि पुजारी लोगों को इंटरनेट के जरिए फोन करता था, जिस की वजह से पता नहीं चल पाता था कि फोन कहां से किया गया है.
वह फोन कर के लोगों से पैसे मांगता और कहता कि अगर पैसे नहीं दिए तो जान से जाओगे. वह उन्हें ज्यादा से ज्यादा तीन दिनों का समय देता था. रवि पुजारी ने कुछ ऐसे लोगों को भी फोन कर के धमकियां दीं, जिन से उसे कुछ मिला तो नहीं, पर उस की पब्लिसिटी जरूर हुई. ऐसे लोगों में गुजरात के विधायक जिग्नेश मेमानी और केरल के विधायक पी. जार्ज भी शामिल थे. पुलिस का कहना है कि वह ऐसा जानबूझ कर करता था. पब्लिसिटी का भूखा था रवि उस ने उत्तर प्रदेश के एक ब्लौक प्रमुख अरुण सिंह को भी फोन कर के 5 करोड़ रुपए मांगे थे. उस ने कहा था कि अगर उन्होंने उसे पैसे नहीं दिए तो वह उन्हें ठोक देगा.
अरुण सिंह अपनी सुरक्षा के लिए एसएसपी के पास पहुंच गए. यहां स्पष्ट कर दें कि नाम के आगे पुजारी लगा होने से लोग उसे उत्तर प्रदेश का रहने वाला समझते थे. रवि पुजारी को अरुण सिंह से मिला तो कुछ नहीं, पर यह धमकी खबर बन गई. उत्तर प्रदेश के अखबारों में भी उस के बारे में खूब छपा. इस के बाद उत्तर प्रदेश के लोग भी उस के बारे में जान गए. दरअसल उसे मीडिया में अपनी पब्लिसिटी का बहुत शौक था. इसीलिए वह इस तरह के नेताओं, बड़ीबड़ी फिल्मी हस्तियों को फोन कर के धमकाता था. वह जानता था कि इस तरह के लोगों को फोन करने से उस की बात मीडिया वालों तक पहुंचेगी और मीडिया वाले उस की खबर छापेंगे या टीवी पर दिखाएंगे तो आम लोगों में उस की दहशत फैलेगी और उसे उगाही करने में आसानी रहेगी.
उस ने फिल्मी हस्तियों सलमान खान, शाहरुख खान, अक्षय कुमार, महेश भट्ट, प्रीति जिंटा, नेस वाडिया, करन जौहर, फरहान अख्तर आदि को फोन कर के मोटी रकम मांगी थी. करिश्मा कपूर के पूर्व पति को भी उस ने पैसों के लिए ईमेल भेजा था. उन से उस ने 50 करोड़ रुपए मांगे थे. उस ने महेश भट्ट को धमकी देने के बाद अपने लड़कों को भेज कर उन के घर के बाहर गोलियां भी चलवाई थीं. प्रीति जिंटा और नेस वाडिया को फोन करने के बाद उस ने प्रैस वालों को फोन कर के सफाई दी थी कि वह प्रीति जिंटा की बड़ी इज्जत करता है, वह बड़ी एक्ट्रैस हैं. उन का तो वह फैन है. उन के साथ भला वह ऐसा कैसे कर सकता है. वह गलत कह रही हैं. इसी तरह नेस वाडिया के बारे में भी उस ने कहा था कि उसे किसी वाडिया का नंबर चाहिए था, इसलिए फोन किया था.
अलग तरह का डौन रवि पुजारी के बारे में यह भी कहा जाता है कि रंगदारी वसूली की जो प्रोफेशनल रूपरेखा है, वह इसी की देन है. ऐसे तमाम लोग हैं, जिन्होंने उसे मोटी रकम दी है. क्योंकि उसने जिस तरह सेनेगल में रेस्टोरेंट बनवाए हैं, उस से साफ लगता है कि वह इसी तरह की गई उगाही के पैसों से बने हैं. कहा जाता है कि उस ने गुजरात के एक बिल्डर से करोड़ों रुपए वसूले थे. लेकिन इस तरह पैसे देने वाले जल्दी सामने नहीं आते. इसलिए इस मामले में कोई शिकायत नहीं दर्ज कराई गई थी. रवि पुजारी के बारे में एक बात यह भी कही जाती है कि अगर कोई दूसरा अंडरवर्ल्ड डौन भी इस तरह पैसों के लिए धमकी देता था तो अपनी पब्लिसिटी के लिए रवि मीडिया वालों को फोन कर के कहता था कि वह धमकी उसी ने दी थी.
मुंबई के जानेमाने दीपा बार के मालिक को भी उस ने पैसों के लिए धमकी दी थी. यही नहीं, उस ने दीपा बार के बाहर अपने गुर्गों को भेज कर गोली भी चलवाई थी. मुंबई के एक जानेमाने वकील हैं माजिद मेमन. सन 2004-5 में उन्हें भी उस ने धमका कर पैसे ही नहीं मांगे, बल्कि उन की हत्या कराने की कोशिश भी की थी. उस का कहना था कि मेमन के संबंध अंडरवर्ल्ड डौन दाऊद इब्राहीम से हैं, इसलिए वह उन्हें जिंदा नहीं छोड़ेगा. वह खुद को हिंदू डौन कहता था. इसीलिए दाऊद इब्राहीम और छोटा शकील भी उस के निशाने पर थे.
13 फरवरी, 2016 को उस ने कट्टरपंथी हुर्रियत नेता सैय्यद अली शाह गिलानी को भी खत्म करने की धमकी दी थी. रवि पुजारी का कहना था कि वह उन सभी लोगों को खत्म कर देना चाहता है, जिन का दाऊद या छोटा शकील से किसी भी तरह का संबंध है. दाऊद इब्राहीम भारत विरोधी है और उस का संबंध आईएसआई से है. मुबई, कर्नाटक ही नहीं, पूरे देश में दहशत फैलाने वाले रवि पुजारी को आखिर सेनेगल से गिरफ्तार कर लिया गया और 22 फरवरी, 2020 को भारत लाया गया, जहां उसे अदालत में पेश किया गया. उसे रिमांड पर ले कर उस से विस्तारपूर्वक पूछताछ की गई. फिलहाल वह बेंगलुरु की जेल में बंद है. अलगअलग राज्यों की पुलिस उस से पूछताछ करने का प्रयास कर रही है. true crime stories