hindi love story in short : 33 वर्षीय पत्नी कामिनी और सास पुष्पा की कुल्हाड़ी से काट कर हत्या करने के बाद जोसेफ दोनों लाशों के पास ही गुमसुम बैठा था. उस की तंद्रा तब टूटी, जब पुलिस कमरे में पहुंची थी. जोसेफ ने कामिनी से लव मैरिज की थी. इस के लिए उसे अपने फेमिली वालों तक से संबंध खत्म करने पड़े थे. फिर ऐसी क्या वजह रही कि जिस कामिनी को वह अपनी जान से ज्यादा प्यार करता था, उसी को काट डाला?

मोबाइल फोन पर कामिनी की रसभरी बातें सुन कर जोसेफ पीटर का माथा ठनका. जोसेफ पलंग पर लेटा था. वह उठ कर बैठ गया और कामिनी की बातें गौर से सुनने लगा. फोन पर बतियाते हुए आखिर में जब कामिनी ने ‘आई लव यू टू वेरी मच’ कहा तो जोसेफ पीटर को लगा, जैसे किसी ने उस के कानों में पिघला शीशा उड़ेल दिया हो. आखिर जब उस से नहीं रहा गया तो उस ने पूछा, ”कामिनी, तुम किस से बात कर रही थी? मुझे तुम्हारी बातें बड़ी ही अटपटी और शर्मसार करने वाली लग रही थीं.’’

”अच्छा तो तुम मेरी बातें कान लगा कर सुन रहे थे और सोने का नाटक कर रहे थे. किसी से फोन पर बात करने के लिए अब मुझे तुम्हारी इजाजत लेनी पड़ेगी क्या?’’ कामिनी तुनक कर बोली.

”कामिनी, मैं तुम्हारा पति हूं. मुझे पूरा अधिकार है, यह जानने का कि तुम किस से बतिया रही थी. फिर तुम जिस तरह की बातें कर रही थी, वैसी बातें तो कोई अपने बौयफ्रेंड या लवर से ही करता है. मुझे सच जानना है.’’ जोसेफ पीटर तमतमा कर बोला.

जोसेफ पीटर की बात सुन कर कामिनी भी गुस्से से भर उठी, ”तुम मुझ पर रोक नहीं लगा सकते. मैं कहां जाती हूं, किस से मिलती हूं, किस से फोन पर बतियाती हूं. इस से तुम्हें कोई मतलब नहीं होना चाहिए. मैं अपनी मनमरजी से स्वच्छंद जिंदगी जीना चाहती हूं.’’ इस के बाद उत्तेजित कामिनी ने सांसें दुरुस्त करते हुए आगे कहा, ”तुम सच्चाई जानना चाहते हो तो सुनो, मैं अपने बौयफ्रेंड से ही बतिया रही थी. मेरे एक नहीं कई फ्रेंड्स हैं. तुम्हें मेरा बतियाना अच्छा लगे तो ठीक अन्यथा कान बंद कर लिया करो या कान में रूई ठूंस लिया करो.’’

जोसेफ पीटर मायूस हो कर बोला, ”जब तुम्हें बौयफ्रेंडस से ही दोस्ती करनी थी तो मुझ से शादी क्यों की? मुझे धोखा क्यों दिया? मेरी जिंदगी में जहर क्यों घोल रही हो?’’

”धोखा मैं ने नहीं, तुम ने मुझे दिया है. तुम ने मुझे अपने प्रेमजाल में फंसा कर मुझ से शादी कर ली और अब प्रतिबंध लगा कर मेरी जिंदगी बरबाद करना चाहते हो.’’

”कामिनी, मैं ने तो तुम से सच्चा प्यार किया और तुम्हारी मरजी से तुम से शादी की. तुम्हारे प्यार में मैं ने अपने पेरेंट्स और भाईबहनों से भी नाता तोड़ लिया और घरजमाई बन कर तुम्हारे साथ रह रहा हूं. फिर भी तुम मेरे साथ बेवफाई कर रही हो?’’

”जोसेफ, मैं तुम्हारे साथ कोई बेवफाई नहीं कर रही हूं. तुम्हें बस अपनी जुबान बंद रखनी होगी. तुम घरजमाई बन कर मेरी मम्मी के घर में रह रहे हो. इसलिए तुम्हें मेरी मम्मी व मेरे इशारों पर चलना होगा. तुम्हें आंखों पर पट्टी बांध कर कोल्हू के बैल की तरह चलना होगा.’’

कामिनी की नसीहत जोसेफ पीटर के मन को कांटे की तरह चुभी. इस चुभन से उस का मन कराह उठा. उस के मन में पत्नी के प्रति नफरत का बीज पनपने लगा. लेकिन वह मजबूर था, अत: जहर का घूंट पी गया. कामिनी के पापा एरन उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर के चकेरी थाना अंतर्गत फ्रेंड्स कालोनी में सपरिवार रहते थे. उन के परिवार में पत्नी पुष्पा के अलावा 2 बेटियां नीतू व कामिनी थीं. एरन की आर्थिक स्थिति मजबूत थी. वह अपने पुश्तैनी मकान में रहते थे.

बड़ी बेटी नीतू जब पढ़लिख कर जवान हुई तो उन्होंने क्रिश्चियन रीतिरिवाज से उस का विवाह ग्वालटोली स्थित चर्च से पादरी की उपस्थिति में कर दिया. विवाह के बाद नीतू अपने पति के साथ आलमबाग (लखनऊ) में रहने लगी. नीतू से छोटी कामिनी थी. वह अपनी बड़ी बहन नीतू से ज्यादा खूबसूरत थी. युवावस्था में कदम रखते ही उस की सुंदरता में गजब का निखार आ गया था. उस की मुसकान और छरहरी काया सामने वाले पर गहरा असर डालती थी. कामिनी पढऩे में भी तेज थी. वह माल रोड स्थित क्राइस्ट चर्च कालेज से बीए कर रही थी.

कामिनी के घर जोसेफ पीटर का आनाजाना लगा रहता था. वह उस का मौसेरा भाई था. दोनों हमउम्र थे. इसलिए दोनों में खूब पटती थी. जोसेफ पीटर के पापा जेरोड जेम्स उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के काला आम मोहल्ले में सपरिवार रहते थे. उन के परिवार में पत्नी लुईस मैरी के अलावा 3 बेटे जैकब जेम्स, साइमन जेम्स, जोसेफ पीटर तथा बेटी एलिजा थी. जैकब जेम्स व एलिजा की शादी हो चुकी थी. जोसेफ कामिनी को बहुत चाहता था. एक दिन उस ने कामिनी की खूबसूरती की खूब तारीफ की. तब कामिनी ने गहरी नजरों से जोसेफ को देखा और बोली, ”तुम मेरे हुस्न की तारीफ कर रहे हो या कुछ और कहना है? जो भी दिल में हो, कह दो, मैं बुरा नही मानूंगी.’’

जोसेफ पीटर समझ गया कि प्यार का सिलसिला शुरू करने के लिए कामिनी उकसा रही है. अत: उस ने दिल की बात कह दी, ”तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो. मुझे तुम से प्यार हो गया है.’’

कुछ देर तक कामिनी जोसेफ की आंखों में देखती रही फिर आहिस्ता से बोली, ”प्यार ही तो ऐसी चीज है, जिस पर न दुनिया का कोई कानून लागू होता है, न इसे दबाया या छिपाया जा सकता है. लेकिन प्यार के कुछ बंधन भी होते हैं.’’

जोसेफ पीटर ने धड़कते दिल से पूछा, ”कैसा बंधन?’’

”यही कि हम दोनों के बीच मौसेरे भाईबहन का बंधन है. हमारेतुम्हारे प्यार को न हमारे पेरेंट्स स्वीकार करेंगे और न ही तुम्हारे. भाईबहन के अनैतिक रिश्ते को समाज भी कभी स्वीकार नहीं करेगा.’’

”कैसी बात करती हो कामिनी. हम दोनों पढ़ेलिखे हैं. रुढि़वादी बेडिय़ों को तोडऩा हमारा फर्ज है. हम अपने फेमिली वालों को समझाएंगे. समाज का सामना करेंगे.’’

कामिनी 25 साल की भरीपूरी युवती थी. उस के मन में किसी का प्यार पाने और स्वयं भी उसे टूट कर चाहने की हसरत थी. मन में इच्छा थी कि कोई दिल से चाहने वाला मिल जाए तो वह भी जीवन भर के लिए उस का हाथ थाम ले. इस तरह उस का भी जीवन संवर जाएगा. समय के साथ कामिनी और जोसेफ पीटर का प्यार परवान चढ़ता रहा. दोनों इस कदर करीब आ गए थे, मानो जनमजनम का साथ हो. मीलों के फासले के बावजूद मोबाइल फोन के माध्यम से वे आपस में जुड़े रहते थे. रात के सन्नाटे में वे प्यार भरी बातें किया करते थे. कामिनी अकसर मम्मी के सो जाने के बाद बात करती थी.

अब तक कामिनी के पापा एरन की बीमारी के चलते मौत हो चुकी थी. पुष्पा के लिए अब कामिनी ही एकमात्र सहारा थी. वह उसे प्यार भी बेहद करती थी. कामिनी चंचल स्वभाव की थी फिर भी पुष्पा उसे डांटतीफटकारती नहीं थी. घर आनेजाने पर भी कोई प्रतिबंध नहीं था. फोन पर बतियाना तथा टीवी देखना उस का शौक था. एक रात 12 बजे पुष्पा की आंखें खुलीं तो कामिनी कमरे में नहीं थी. पुष्पा को चिंता हुई तो उस ने उस की खोज शुरू की. कामिनी छत पर थी और किसी से फोन पर बात कर रही थी. पुष्पा ने उस की बातें सुनीं तो उस का माथा ठनका. वह जान गई कि कामिनी का किसी लड़के से चक्कर चल रहा है.

पुष्पा वापस आ कर कमरे में पड़े पलंग पर लेट गई. कुछ देर बाद कामिनी भी आ गई और मम्मी के बगल में आ कर लेट गई. पुष्पा को उस रात नींद नहीं आई. वह आंखें बंद कर कामिनी के बारे में ही सोचती रही. सुबह उस ने कामिनी से पूछा, ”बेटी, आधी रात को तुम किस से बात कर रही थी?’’

”मम्मी, कालेज की सहेली का फोन आया था. उसी से बात कर रही थी.’’

”झूठ मत बोलो कामिनी, मैं ने तुम्हारी बातें सुनी थीं. सचसच बताओ, तुम किस से प्यारमोहब्बत की बातें कर रही थी.’’

कामिनी को समझते देर नहीं लगी कि उस की चोरी पकड़ी गई है. उस ने सच उगल दिया, ”मम्मी, मैं बुलंदशहर वाले जोसेफ भैया से फोन पर बात कर रही थी. हम दोनों एकदूसरे से बेहद प्यार करते हैं और शादी करना चाहते हैं.’’

कामिनी की बात सुन कर पुष्पा को लगा जैसे उस के पैरों तले से जमीन खिसक गई हो. वह कुछ क्षण असमंजस की स्थिति में रही. फिर बोली, ”बेटी, जोसेफ पीटर तो सगा मौसेरा भाई है. भला भाईबहन का रिश्ता कैसे हो सकता है? भूल जा उसे और तोड़ दे रिश्ता. तुम दोनों की शादी नहीं हो सकती.’’

”कैसे भूल जाऊं मम्मी, हम दोनों एकदूसरे से प्यार करते हैं. उस के बगैर न हम जी सकते हैं और न मेरे बगैर जोसेफ जी सकता है. इसलिए मम्मी, आप मान जाइए. नहीं मानी तो हम या तो भाग कर शादी कर लेंगे या फिर जान दे देंगे.’’

कामिनी की धमकी से पुष्पा का कलेजा कांप उठा. बेटी खोने के डर से वह नरम पड़ गईं और बोली, ”बेटी गलत कदम न उठाना, हम तुम्हारी बात मानने को तैयार हैं.’’

कामिनी खुशी से झूम उठी. उस ने मम्मी को गले लगा लिया. इस के बाद कामिनी ने फोन पर सारी बातें जोसेफ को बताईं और उस से पूछा कि उस ने अपने पेरेंट्स से शादी के बारे में बातचीत की या नहीं. इस पर जोसेफ ने जवाब दिया कि कोशिश में है. जोसेफ पीटर हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था कि वह पेरेंट्स से कैसे बात करे. वह कई दिनों तक असमंजस की स्थिति में रहा. फिर एक रोज अपनी मम्मी लुईस मैरी से हिम्मत कर के बात की और कहा कि वह कानपुर वाली पुष्पा मौसी की बेटी कामिनी से प्यार करता है. वह भी उसे प्यार करती है. हम दोनों शादी करना चाहते हैं.

”कदापि नहीं, तुम दोनों रिश्ते में भाईबहन हो. इसलिए शादी नहीं हो सकती. तुम अपने मन से शादी की बात निकाल दो.’’ लुईस ने टका सा जवाब दिया.

लेकिन जोसेफ पीटर जिद पर अड़ गया. उस ने मम्मी से साफ कह दिया कि वह कामिनी से ही शादी करेगा. इस के लिए उसे फेमिली ही क्यों न छोडऩी पड़े. जोसेफ के फैसले से घर में खूब कलह हुई. मम्मीपापा, भाईबहन सभी ने उसे समझाया, लेकिन वह अपने निर्णय पर कायम रहा. दिसंबर, 2017 में जोसेफ पीटर ने अपनी फेमिली से नाता तोड़ कर कामिनी से प्रेम विवाह कर लिया और कामिनी के घर में घरजमाई बन कर रहने लगा. कामिनी और जोसेफ के प्रेम विवाह में कामिनी की मम्मी पुष्पा तो शामिल हुई, लेकिन जोसेफ के परिवार से कोई शामिल नहीं हुआ.

शादी के बाद कामिनी और जोसेफ पीटर ने बड़े ही प्रेम से जीवन की शुरुआत की. शादी के बाद जोसेफ पीटर कानपुर में एक निजी संस्थान की कैंटीन में काम करने लगा. वह हुनरदार था, अत: उसे अच्छा वेतन मिलता था. कमाई का पैसा वह या तो कामिनी को देता था या फिर सासू मां के हाथ पर रखता था. इस से कामिनी व उस की मम्मी पुष्पा दोनों खुश रहते थे. इस तरह हंसीखुशी से 4 साल बीत गए. लेकिन इन सालों में कामिनी संतान सुख प्राप्त नहीं कर पाई. इस के लिए दोनों एकदूसरे को दोषी ठहराते थे. पुष्पा ने बेटी कामिनी का इलाज भी कराया, लेकिन सफलता नहीं मिली. वैसे भी कामिनी बच्चे की बजाए मौजमस्ती में ज्यादा रुचि रखती थी.

जोसेफ पीटर अपने परिवार के किसी सदस्य से न तो बात करता था और न ही बुलंदशहर अपने घर जाता था. लेकिन जब कभी मम्मी की याद आती थी तो वह मोबाइल फोन के जरिए मम्मी से बात करने का प्रयास करता था. मम्मी लुईस पति से चोरीछिपे जब कभी बात कर लेती थी और आंसू बहा लेती थी. लगभग 4 साल बाद एक रोज वह बेटे जोसेफ के जन्मदिन पर कानपुर आई और एक महीने तक रही, लेकिन कामिनी ने उस से ज्यादा बात नहीं की, बल्कि जाते समय उस ने 8 हजार रुपए खानेरहने का खर्चा भी मांग लिया. खर्चे को ले कर कामिनी और जोसेफ में कहासुनी भी हुई, लेकिन कामिनी नहीं मानी.

जोसेफ पीटर घरजमाई था. उसे कामिनी व उस की मम्मी पुष्पा के इशारों पर ही नाचना पड़ता था. जोसेफ सुबह घर से निकलता, फिर देर शाम ही घर आ पाता था. दिन भर कैंटीन में मेहनत करने से वह इतना थक जाता था कि उसे बिस्तर ही सूझता था. जबकि कामिनी उस का साथ चाहती थी. साथ न देने से दोनों में झगड़ा शुरू हो गया था. कामिनी का मन भी उचट गया था. मन ही मन वह पति से नफरत करने लगी थी. पति से दूरियां बढ़ीं तो कामिनी ने एक नया शौक पाल लिया. वह अपनी वीडियो बनाबना कर सोशल मीडिया पर अपलोड करने लगी. इस तरह उस ने कई फ्रेंड्स बना लिए. लड़कों से रसभरी बातें करना, उन से हंसनाबोलना, चैटिंग करना, उस ने अपनी दिनचर्या बना लिया. पुष्पा जब कभी टोकती तो वह उस की बात एक कान से सुनती और दूसरे कान से निकाल देती.

सोशल मीडिया के जरिए ही कामिनी की जानपहचान राहुल से हुई. राहुल किसी मल्टीनैशनल कंपनी में काम करता था और खूब ठाटबाट से रहता था. वह नजफगढ़ (दिल्ली) का रहने वाला था. जानपहचान हुई तो दोनों के बीच कभी फोन पर तो कभी वीडियो कालिंग के जरिए बातचीत होने लगी. चूंकि राहुल दिखने में आकर्षक और बातें भी खूब करता था, इसलिए कामिनी उस को दिल दे बैठी और उस से प्यार करने लगी. धीरेधीरे दोनों की मोहब्बत परवान चढऩे लगी. हर रोज उन की रसभरी बातें होने लगीं. उन्हीं दिनों राहुल ने कामिनी के सामने शादी का प्रस्ताव रखा तो वह राजी हो गई.

एक रात जोसेफ ने कामिनी को मोबाइल पर बात करते देखा तो उस का माथा ठनका. उस ने कामिनी से सवाल किया तो उस ने साफ कह दिया कि अपने बौयफ्रेंड से बात कर रही थी. इतना ही नहीं, उस ने जोसेफ को बेइज्जत करते हुए कहा कि वह घरजमाई है. औकात में रहे. कामिनी के एक नहीं अनेक बौयफ्रेंड्स थे, जिन से वह मोबाइल फोन पर बतियाती थी. लेकिन सब से ज्यादा तवज्जो वह दिल्ली वाले राहुल को देती थी. उस से वह रात में ही बात करती थी. जोसेफ पीटर को कामिनी के किसी भी बौयफ्रेंड की कोई ठोस जानकारी नहीं थी.

इस बात को ले कर अब जोसेफ और कामिनी के बीच अकसर तकरार होने लगी थी. कभीकभी तो झगड़ा इतना बढ़ जाता कि दोनों के बीच मारपीट तक की नौबत आ जाती. तब पुष्पा किसी तरह दोनों को समझा कर झगड़ा शांत कराती. जोसेफ पीटर अकसर कामिनी की शिकायत सासू मां से करता, लेकिन पुष्पा अपनी बेटी कामिनी का ही पक्ष लेती. एक शाम तो हद हो गई. जोसेफ घर आया तो कामिनी कान से फोन लगाए किसी आशिक से बातें कर रही थी. जोसेफ ने चाय बनाने को कहा तो कामिनी ने टका सा जवाब दिया, ”तुम्हारे हाथों में क्या मेहंदी लगी है. खुद बना कर क्यों नहीं पी लेते. मैं तुम्हारी गुलाम नहीं, जो तुम्हारा हुक्म मानूं.’’ फिर वह ताली पीटते हुए बोली, ”वाहवाह! मेरी बिल्ली और मुझ से ही म्याऊं.’’

कामिनी का कटाक्ष जोसेफ को बरदाश्त नहीं हुआ. उस ने कामिनी के हाथ से मोबाइल फोन छीना और जमीन पर पटक दिया. फिर बोला, ”सारे फसाद की जड़ यह मोबाइल फोन ही है.’’

मोबाइल फोन छीनना कामिनी को नागवार लगा. उस ने गुस्से में तमाचा जोसेफ के गाल पर जड़ दिया और बोली, ”तेरी हिम्मत कैसी हुई मेरा मोबाइल फोन छीनने की. आइंदा ऐसी हरकत की तो कुत्ते की तरह दुत्कार कर अपने घर से भगा दूंगी.’’

फिर तो उस रात दोनों में खूब गरमागरम बहस होती रही. जोसेफ पीटर ने जहां कामिनी को बदचलन, बेहया और धोखेबाज कहा तो वहीं कामिनी ने जोसेफ को कुत्ता, कमीना और नामर्द जैसे शब्दों से नवाजा. पुष्पा अपनी बड़ी बेटी नीतू के घर लखनऊ में थी. झगड़े की जानकारी पुष्पा को हुई तो उस ने भी जोसेफ को खूब फटकार लगाई. उस ने यहां तक कह दिया कि यदि उस की कामिनी से नहीं पटती तो वह अपना अलग रहने का इंतजाम कर ले. जोसेफ ने सफाई देने की भरपूर कोशिश की, लेकिन पुष्पा ने उस की एक नहीं सुनी. बड़ी बहन नीतू ने भी कामिनी का ही पक्ष लिया और जोसेफ को खरीखोटी सुनाई.

इस घटना के बाद जोसेफ और कामिनी के बीच दरार पड़ गई थी. वे दोनों एक छत के नीचे रहते जरूर थे, लेकिन साथ में उठनाबैठना और खानापीना सब बंद हो गया था. यह सिलसिला महीनों तक चला. फिर पुष्पा के हस्तक्षेप के बाद स्थिति सामान्य हुई. अक्तूबर, 2024 के दूसरे सप्ताह में कामिनी बुलंदशहर जाने की बात कह कर घर से चली गई. लेकिन जोसेफ को उस की बात पर विश्वास नहीं हुआ. 2 दिन बाद जोसेफ ने अपनी मम्मी लुईस मैरी से कामिनी के बारे में पूछा तो उस ने फोन पर बताया कि कामिनी बुलंदशहर आई ही नहीं. मम्मी की बात सुन कर जोसेफ समझ गया कि कामिनी किसी बौयफ्रेंड के साथ सैरसपाटे के लिए गई है. मौजमस्ती करने के बाद ही घर वापस आएगी.

इधर कामिनी बुलंदशहर के बजाए अपने आशिक राहुल के पास दिल्ली पहुंची और राहुल के साथ होटल में रुकी. जोसेफ पीटर ने कामिनी को फोन लगाया तो उस ने बुलंदशहर में होने की जानकारी दी. लेकिन जोसेफ को पता लग गया था कि वह दिल्ली में है. कामिनी कीपैड वाला फोन प्रयोग करती थी. जोसेफ से बात खत्म करने के बाद वह फोन बंद नही कर सकी और मोबाइल फोन चालू रहा, जिस से जोसेफ ने कामिनी और उस के आशिक के बीच होने वाली सारी बातें सुन लीं. उन की बातचीत से जोसेफ को कामिनी के दिल्ली वाले आशिक राहुल के बारे में पहली बार पता चला. उन की बातचीत से स्पष्ट था कि दोनों के बीच की दूरियां मिट गई थीं और दोनों शादी करना चाहते थे. वे दोनों 6 दिसंबर को शादी की बात कह रहे थे.

जोसेफ पीटर समझ गया कि कामिनी उसे धोखा दे कर राहुल से शादी करना चाहती है. इसलिए वह उस से दुव्र्यवहार करती है. उस ने इस बाबत सासू मां को बताया तो उस ने कहा तुम जैसे इंसान के साथ कामिनी तो क्या, कोई भी लड़की नहीं रह सकती. कामिनी की जिंदगी तुम ने नर्क बना दी है. इसलिए वह अपना नया जीवनसाथी ढूंढ रही है. इस में वह कोई भी हस्तक्षेप नहीं कर सकती. पुष्पा की बात से जोसेफ जान गया कि इस में उस की भी मिलीभगत हैै.

लगभग एक सप्ताह बाद कामिनी घर वापस आई. जोसेफ ने उस से कुछ सवाल किए, जिस के उस ने ऊटपटांग जवाब दिए. फिर भी जोसेफ नाराज नहीं हुआ. उस ने कामिनी को समझाया कि वह अपने बहके कदम रोक ले और उस के साथ खुशहाल जिंदगी जिए, लेकिन कामिनी के कान पर जूं नहीं रेंगी. वह अपने पुराने ढर्रे पर ही कायम रही. अब तो उस ने यह भी कहना शुरू कर दिया कि वह अपना इंतजाम कर ले. क्योंकि उस का जीवन उस के साथ सुकून से नहीं गुजर सकेगा.

जोसेफ पीटर ने कामिनी को बहुत समझाया, अपनी कुछ गलतियों के लिए उस से माफी भी मांगी. लेकिन जब वह नहीं मानी तो उस ने भी एक भयंकर निर्णय ले लिया. उस ने तय किया कि यदि कामिनी उस की हो कर नहीं रहेगी तो वह उसे किसी और की बांहों में भी नहीं झूलने देगा. अपनी योजना के तहत जोसेफ पीटर एक रोज हटिया बाजार गया और वहां से तेज धार वाली एक कुल्हाड़ी और एक हथौड़ा साढ़े 3 सौ रुपए में खरीद लाया और घर में छिपा कर रख दिया. पुष्पा उन दिनों लखनऊ में थी और कामिनी के घर आनेजाने का कोई समय नहीं था. इसलिए दोनों को जोसेफ द्वारा कुल्हाड़ी, हथौड़ा खरीद कर लाने व घर में छिपा कर रखने की जानकारी नहीं हुई.

25 नवंबर, 2024 को पुष्पा लखनऊ से कानपुर आ गई. जोसेफ पीटर और कामिनी में तनाव बरकरार था. कामिनी ने मम्मी से साफ कह दिया कि वह जोसेफ के साथ नहीं रहना चाहती, उसे घर से भगा दो. शाम को जोसेफ जब घर आया तो उस ने सीधे तौर पर तो उसे घर से जाने की बात नहीं कही, लेकिन कहा कि कामिनी तनाव में रहती है, इसलिए कुछ दिनों के लिए वह बुलंदशहर जा कर रहे. जोसेफ पीटर अपने घर बुलंदशहर जाने को तैयार तो हो गया, लेकिन शर्त रखी कि कामिनी भी उस के साथ चले. उस का मानना था कि परिवार के साथ कामिनी रहेगी तो उस का तनाव भी दूर हो जाएगा. कामिनी ने पहले तो जोसेफ के साथ जाने से इंकार कर दिया, लेकिन बाद में मान गई.

दरअसल, मांबेटी हर हाल में जोसेफ को घर से भगाना चाहती थीं. कामिनी ने सोचा कि यदि वह उस के साथ न गई तो जोसेफ भी नहीं जाएगा. अत: प्लान के तहत कामिनी ने जोसेफ के साथ बुलंदशहर जाने और फिर जोसेफ को वहीं छोड़ कर दिल्ली जाने व राहुल के साथ शादी रचाने का प्लान बनाया. पहली दिसंबर, 2024 को रविवार था. कामिनी सुबह से ही जोसेफ के घर बुलंदशहर जाने की तैयारी में जुट गई थी. शाम होतेहोते उस ने 2 बड़े बैग तैयार किए. एक बैग में कामिनी ने जोसेफ पीटर का एकएक सामान पैक किया तथा दूसरे बैग में उस ने अपना जरूरी सामान पैक किया. बुलंदशहर जाने के लिए रात 10 बजे उन की ट्रेन थी.

रात 8 बजे कामिनी ने मम्मी व पति के साथ बड़े इत्मीनान के साथ खाना खाया. उस समय तूफान आने से पहले जैसी शांति नजर आ रही थी. खाना खाने के बाद जोसेफ घर से बाहर निकला और रेलवे स्टेशन तक जाने के लिए ईरिक्शा ले आया. उस ने रिक्शे वाले से थोड़ी देर ठहरने व सामान लाने की बात कही. जोसेफ पीटर घर के अंदर आया और कामिनी से बैग ले कर निकलने को कहा. इसी समय कामिनी के मोबाइल फोन पर काल आई. वह काल रिसीव कर बतियाने लगी. काल शायद उस के आशिक राहुल की थी. उस ने जब काफी देर तक बतियाना बंद नहीं किया तो जोसेफ को गुस्सा आ गया. उस ने कामिनी के हाथ से मोबाइल फोन छीन लिया और पलंग पर फेंक दिया.

मोबाइल फोन छीनने और बातचीत को ले कर कामिनी और जोसेफ में झगड़ा शुरू हो गया. इस झगड़े में कामिनी का पक्ष ले कर पुष्पा भी कूद पड़ी. झगड़ा तब और बढ़ गया, जब कामिनी ने बुलंदशहर जाने से मना कर दिया और जोसेफ को घर से भगाने का प्रयास किया. कामिनी ने जैसे ही जोसेफ का बैग दरवाजे की तरफ फेंका, वैसे ही जोसेफ का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया. उस ने कामिनी को पकड़ कर फर्श पर पटक दिया. फिर कमरे में छिपा कर रखी गई कुल्हाड़ी ले आया.

कुल्हाड़ी देख कर कामिनी जान बचा कर दरवाजे की ओर भागी, लेकिन जोसेफ ने उसे पहले ही पकड़ लिया. फिर कुल्हाड़ी से ताबड़तोड़ कई प्रहार कामिनी पर किए. कामिनी खून से लथपथ हो कर फर्श पर बिछ गई. इस बीच कामिनी की मम्मी पुष्पा उसे बचाने आई तो जोसेफ ने उसे भी कुल्हाड़ी से काट डाला. कामिनी और पुष्पा की सांसें थम चुकी थीं, लेकिन जोसेफ को यकीन नहीं था. अत: वह हथौड़ा ले आया और जुनून में हथौड़े के वार से दोनों के चेहरे बिगाड़ दिए. इस के बाद खून सनी कुल्हाड़ी व हथौड़ा मांबेटी के शवों के बीच फेंक दिए.

मर्डर करने के बाद जोसेफ पीटर ने भागने का प्रयास किया. लेकिन भाग नहीं सका. दरअसल, घर के दरवाजों पर आटोमैटिक लौक लगे थे. जल्दबाजी में जोसेफ ने चाबी कुछ ज्यादा ताकत से घुमा दी, जिस से चाबी उसी में फंस गई और दरवाजा नहीं खुला. उस के बाद जोसेफ पलंग पर बैठ कर खून सने शवों को निहारता रहा. उस के हाथ भी खून से सने थे. इधर जब ईरिक्शा वाले ने घर के अंदर चीखपुकार सुनी तो उस ने पूरी बात पड़ोस में रहने वाले संजीव गुप्ता को बताई. हालांकि अब तक चीखपुकार बंद हो गई थी. लेकिन किसी अनहोनी की आशंका से संजीव गुप्ता ने डायल 112 पर काल कर के पुलिस बुला ली.

पुलिस कंट्रोल रूम से सूचना कानपुर के थाना चकेरी पुलिस को दी तो इंसपेक्टर अशोक कुमार दुबे पुुलिस बल के साथ फ्रेंड्स कालोनी स्थित घटनास्थल पहुंच गए. उन के पहुंचने के चंद मिनट बाद ही एडिशनल डीसीपी (पूर्वी) राजेश कुमार श्रीवास्तव तथा एसीपी (चकेरी) दिलीप कुमार सिंह भी आ गए. पुलिस अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुला लिया.

इंसपेक्टर अशोक कुमार दुबे पुलिस अधिकारियों के साथ गेट फांद कर घर के अंदर पहुंचे. फिर दरवाजे का लौक खोल कर कमरे में प्रवेश किया. कमरे का दृश्य बड़ा ही वीभत्स था. कमरे के अंदर फर्श पर 2 महिलाओं की लाशें खून से तरबतर पड़ी थीं. पलंग पर एक युवक पैर लटकाए बैठा था और लाशों को निहार रहा था. कमरे का सामान बिखरा पड़ा था और शवों के बीच खून से सनी कुल्हाड़ी व हथौड़ा पड़ा था. ऐसा लगता था कि कुल्हाड़ी और हथौड़े से ही दोनों की हत्या की गई थी. साक्ष्य के तौर पर पुलिस ने कुल्हाड़ी व हथौड़ा सुरक्षित कर लिया.

पुलिस अधिकारियों के आदेश पर इंसपेक्टर अशोक कुमार दुबे ने युवक को हिरासत में ले लिया. पूछताछ में उस ने अपना नाम जोसेफ पीटर बताया. उस ने मृतकों के संबंध में बताया कि एक लाश उस की 33 वर्षीय पत्नी कामिनी की है, जबकि दूसरी लाश 60 वर्षीय सास पुष्पा की है. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण बारीकी से किया तथा फोरैंसिक टीम ने भी जांच कर साक्ष्य जुटाए. टीम ने कुल्हाड़ी, हथौड़ा, पलंग आदि से फिंगरप्रिंट लिए तथा खूनआलूदा नमूना रासायनिक परीक्षण के लिए सुरक्षित किया. जांच के बाद दोनों शवों को पोस्टमार्टम हेतु लाला लाजपतराय अस्पताल भेज दिया गया.

थाना चकेरी पर पुलिस अधिकारियों ने डबल मर्डर के आरोपी जोसेफ पीटर से पूछताछ की तो उस ने उन्हें लव क्राइम की पूरी कहानी विस्तार से बता दी.

जोसेफ पीटर की रिक्वेस्ट पर इंसपेक्टर अशोक कुमार दुबे ने उस के पापा जेरोड जेम्स से फोन पर बात की. लेकिन उन्होंने आने से साफ मना कर दिया. उन्होंने कहा कि उन का बेटा 7 साल पहले ही मर गया था, जब उस ने रिश्तों को ताक पर रख कर मौसेरी बहन से शादी की थी. मृतका की बड़ी बेटी लखनऊ निवासी नीतू ने भी आने में असमर्थता जताई. चूंकि मृतकों की तरफ से हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए कोई उपलब्ध नहीं था, अत: रामादेवी चौकी इंचार्ज विनीत त्यागी ने वादी बन कर बीएनएस की धारा 103 के तहत जोसेफ पीटर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी तथा उसे विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया.

हत्या के दूसरे रोज जोसेफ पीटर का भाई जैकब जेम्स, मम्मी लुईस मैरी तथा मृतका पुष्पा की बड़ी बेटी नीतू थाना चकेरी पहुंची और उन्होंने इंसपेक्टर अशोक कुमार दुबे से मुलाकात की. जैकब जेम्स ने श्री दुबे से कहा कि वह अपने भाई की सिफारिश के लिए नहीं आए हैं और न ही उस की जमानत की पैरवी करेंगे. उस ने नाता तो पहले ही तोड़ लिया था. अब जैसा उस ने किया, वैसी सजा पाएगा. लेकिन मम्मी लुईस मैरी की आंखें नम थीं. उस ने कहा कि कामिनी और उस की मम्मी पुष्पा ने उन के बेटे को बहुत सताया. उसे बेइज्जत किया. 2 साल से वह बहुत परेशान था. कामिनी ने बेटे को पहले प्रेम जाल में फंसाया, फिर धोखा दिया. इसी खुन्नस में उस से इतना बड़ा गुनाह हो गया.

परिवार वालों के आ जाने के बाद पुलिस ने शवों का पोस्टमार्टम कराया. फिर शवों को उन के हवाले कर दिया. परिजनों ने पादरी की अनुमति मिलने के बाद दोनों शवों को ईसाई रीतिरिवाज से गोरा कब्रिस्तान में दफन कर दिया. पुलिस ने आरोपी जोसेफ पीटर को कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया. hindi love story in short

—कथा में राहुल नाम काल्पनिक है.

 

 

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