social story : 33 वर्षीय व्लौगर ज्योति मल्होत्रा पर पाकिस्तानी हाई कमीशन का औफिसर अहसान उर रहीम उर्फ दानिश पूरी तरह मेहरबान था. उसी के कहने पर ज्योति जब पाकिस्तान गई, उसे वीआईपी की तरह से रिसीव कर सुरक्षा के बीच पाकिस्तान में घुमाया गया. इस के बदले में ज्योति पाकिस्तान को भारत की सुरक्षा से संबंधित महत्त्वपूर्ण जानकारियां भेज रही थी. ज्योति के अलावा पुलिस ने ऐसे दरजनों लोगों को गिरफ्तार किया है, जो पाकिस्तान के लिए जासूसी कर रहे थे. आखिर ये लोग देश के साथ क्यों कर रहे थे गद्दारी?

कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद जांच एजेंसियां पूरी तरह से सतर्क हो चुकी थीं. सोशल मीडिया पर भी सरकार पूरी तरह से निगाहें गड़ाए हुए थी. उसी दौरान सोशल मीडिया पर 22 मार्च, 2025 को एक वीडियो वायरल हुआ था, जो हरियाणा के हिसार की निवासी ज्योति मल्होत्रा ने अपलोड किया था. वह वीडियो दिल्ली स्थित पाकिस्तानी दूतावास में बनाया गया था. उस वीडियो में ज्योति की फोटो पाकिस्तानी उच्चायोग के कर्मचारी अहसान उर रहीम उर्फ दानिश के साथ साझा की गई थी, जिसे भारत सरकार पहलगाम हमले के तुरंत बाद ही 48 घंटे में देश छोडऩे का अल्टीमेटम दे चुकी थी.

ज्योति मल्होत्रा एक यूट्यूबर थी. उस का सोशल मीडिया पर ‘ट्रेवल विद जो’ नाम से व्लौग था. 22 अपै्रल, 2025 को पहलगाम आतंकी हमले पर उस ने एक वीडियो अपलोड की थी, जिस में उस ने कहा था, ‘मैं जानती हूं कि कश्मीर में हर जगह सुरक्षाबल तैनात रहते हैं. फिर भी अगर यह घटना हुई तो कहीं न कहीं हम भी दोषी हैं. हम सतर्क नहीं थे, जिस के कारण यह घटना घटी. हमें सतर्क और जिम्मेदार होना चाहिए. टूरिस्टों को भी वाचफुल होना चाहिए.

‘अगर  किसी ने उन आतंकियों की मदद की है तो वह भारतीय नहीं है. जो भी उन आतंकवादियोंं का साथ दे रहा है, वह बहुत ही गलत कर रहा है. इस के लिए हम सब जिम्मेदार हैं. हमारी सरकार जिम्मेदार है. क्योंकि कहीं न कहीं सुरक्षा में कमी रह गई. वहां सुरक्षा में चूक हुई. कुछ तो गड़बड़ है, जिस की वजह से इतना बड़ा हमला हुआ.’

ज्योति मल्होत्रा के इस वीडियो के बाद जांच एजेंसियां पूरी तरह से सतर्क हो चुकी थीं. उस के बाद जांच एजेंसियों ने ज्योति मल्होत्रा द्वारा अपलोड हुई सारी वीडियो की जांचपड़ताल की. जिस से पता चला कि ज्योति मल्होत्रा ने देश के अलगअलग 14 राज्यों में जा कर वीडियो बनाई थी, जिन में मुंबई महानगर भी मौजूद था. ज्योति मल्होत्रा ने मुंबई की 3 बार यात्रा की. वहां पर रहते हुए उस ने अलगअलग संवेदनशील क्षेत्रों में जा कर भी वीडियो बनाई थी. ज्योति ने अयोध्या के मंदिर की भी 32 सेकेंड की वीडियो बना कर अपलोड की थी.

4 मई, 2025 को पंजाब पुलिस ने पलक शेर मसीहा और सूरज मसीहा नाम के 2 पाकिस्तानी जासूसों को गिरफ्तार किया था. उस के बाद 8 मई को पंजाब के मलेरकोटला से गजाला और यामीन मोहम्मद को गिरफ्तार किया था. जिस के बाद पता चला कि गजाला पाकिस्तान हाई कमीशन में तैनात अहसान उर रहीम उर्फ दानिश के संपर्क में थी. यामीन वीजा एजेंट का काम करता था. वह पाकिस्तानी हाई कमीशन में लोगों को वीजा दिलाने के लिए संपर्क कराता था, इसी काम के लिए उसे कमीशन मिलता था. गजाला और यामीन से पूछताछ के बाद दानिश का नाम उजागर हुआ था, जिस को भारत सरकार ने 13 मई, 2025 को ही देश छोड़ कर जाने का आदेश दिया था.

ज्योति को कौन कर रहा था फंडिंग

Vlogger suspected of spying

ज्योति मल्होत्रा की वीडियो देखने के बाद जांच एजेंसियों ने उस पर भी शिकंजा कसा. फिर 16 मई, 2025 को हरियाणा के हिसार से ज्योति मल्होत्रा को अरेस्ट किया गया. वह भी दानिश के सीधे संपर्क में थी. ज्योति मल्होत्रा के वीडियो सामने आने के बाद जांच एजेंसियों का उस पर शिकंजा कसता गया. ज्योति ने देश में कई सामरिक महत्त्व के कई हिस्सों में जा कर वीडियो बनाए थे. जांच एजेंसियां उस के द्वारा कश्मीर में बनाए वीडियो की भी बारीकी से जांच करने लगीं. ज्योति ने कश्मीर में जो भी वीडियो बनाए थे, उन की 20 से 25 मिनट की अवधि थी. जिस से अनुमान लगाया गया कि इन वीडियो से ही आतंकवादियों को विभिन्न स्थानों को समझने में मदद मिली होगी.

पहलगाम में आतंकी हमले के बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो खूब वायरल हुआ था, जिस में दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में एक युवक केक ले कर पहुंचा था. ज्योति ने पहलगाम हमले से करीब एक महीने पहले अपने यूट्यूब चैनल पर लाहौर की एक पार्टी का वीडियो अपलोड की थी. उस वीडियो में ज्योति मल्होत्रा उसी शख्स के साथ नजर आ रही थी. वह व्यक्ति भी पाकिस्तानी उच्चायोग में दानिश का साथी था. दानिश के जरिए ही ज्योति पााकिस्तान पहुंची और फिर खुफिया एजेंसी आईएसआई से जुड़ कर वह भारत के बारे में संवेदनशील जानकारियां दुश्मन देश पाकिस्तान तक पहुंचाने में लगी थी.

ज्योति 3 बार पाकिस्तान गई, लेकिन वहां पर उस के द्वारा बनाई गई किसी भी वीडियो से नहीं लग रहा था कि वह एक भारतीय लड़की है. ज्योति को हर बार वीआईपी सुरक्षा और वीआईपी ट्रीटमेंट मिल रहा था. उस के एक भारतीय होने के बावजूद भी पाकिस्तान सरकार की ओर से पाकिस्तान उच्चायोग की पार्टियों में शामिल होने से ले कर नवाज शरीफ की बेटी मरियम नवाज के इंटरव्यू करने तक ज्योति पर कोई पाबंदी नजर नहीं आई. हिसार पुलिस के अनुसार ज्योति के 4 बैंक अकाउंट हैं, जिन में से एक खाते में दुबई से लेनदेन किया गया था. हिसार पुलिस ने ज्योति के 3 मोबाइल फोन व एक लैपटाप को अपने कब्जे में ले कर जांच के लिए फोरैंसिक लैब भेज दिया था.

ज्योति मल्होत्रा एक यूट्यूबर थी. उसी के सहारे उस ने बांग्लादेश, पाकिस्तान, इंडोनेशिया, नेपाल, भूटान, दुबई, थाईलैंड आदि देशों की बिना किसी रोकटोक के यात्रा भी की. साथ ही उस ने चीन, नेपाल, भूटान व पाकिस्तान में अपनी पहुंच से बात भी अच्छी बना रखी थी. एक यूट्यूबर होते हुए उस के पास इतना पैसा कहां से आया. कौन उस पर इतना पैसा खर्च करता है, यह एक बड़ा सवाल था. उस की गूगल से आमदनी मात्र 20-25 हजार रुपए प्रतिमाह रही होगी. उस से वह अपने पिता हरीश कुमार मल्होत्रा को भी थोड़ा खर्च देती थी. लेकिन वह यात्रा पर बेहिसाब पैसा खर्च कर रही थी.

हरियाणा में एक शहर है हिसार. इसी शहर की न्यू अग्रसेन कालोनी में ही रहते थे हरीश कुमार मल्होत्रा. वर्ष 1992 में जन्मी ज्योति का जन्म हरीश कुमार की ही बेटी है. शुरू से ही हरीश कुमार और उन की पत्नी के विचार आपस में नहीं मिलते थे. ज्योति के जन्म के बाद लगभग डेढ़ साल की उम्र में ही हरीश मल्होत्रा की पत्नी ज्योति को छोड़ कर चली गई थी. उस के बाद हरीश मल्होत्रा और दादादादी ने ज्योति की परवरिश की. अब से लगभग 20 साल पहले उन की पत्नी ने हरीश कुमार मल्होत्रा से तलाक ले लिया था. उस वक्त ज्योति 13 साल की थी. हरीश कुमार मल्होत्रा लकड़ी के सामानों पर पौलिश का काम किया करते थे.

उसी कालोनी में मात्र 58 गज में उन का एक सामान्य सा मकान बना हुआ था. उन के मकान में मात्र 2 कमरे थे. एक कमरे में वह अपने भाई के साथ रहते थे. भाई सरकारी नौकर थे, जबकि दूसरे कमरे में ज्योति अकेले ही रहती थी. हरीश कुमार के बड़े भाई किसी नौकरी से रिटायर थे. उन की पेंशन से ही हरीश कुमार के परिवार का खर्च चलता था. ज्योति मल्होत्रा पढऩे में बहुत तेज थी. ज्योति ने कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई पूरी की. फिर वह नौकरी की तलाश में लग गई. कोई 14 साल पहले उस ने एक कोचिंग इंस्टीट्यूट में बतौर रिसैप्शनिस्ट की नौकरी जौइन की. यह उस की पहली नौकरी थी.

उस के बाद वह रिसैप्शनिस्ट की नौकरी छोड़ हिसार से 20 किलोमीटर दूर एक निजी स्कूल में पढ़ाने लगी थी. उस स्कूल में भी उस ने कुछ ही दिन काम किया. उस के बाद उस ने हिसार में ही राजकीय कालेज के पास स्थित मार्केट में एक प्राइवेट औफिस में फिर से रिसैप्शनिस्ट की नौकरी जौइन कर ली, लेकिन ज्योति वहां पर भी ज्यादा दिन तक नहीं टिक सकी. कई साल पहले उस ने दिल्ली से सटे गुरुग्राम में एक प्राइवेट नौकरी कर ली थी. लेकिन कोरोना काल में लौकडाउन लगने के दौरान उसे अपनी नौकरी छोड़ कर अपने घर वापस आना पड़ा. 22 अक्तूबर, 2018 को ज्योति ने अपना पासपोर्ट बनवाया था.

उस के बाद उस ने घर पर रहते ही एक इंस्टाग्राम पर ‘टे्रवल विद जो’ नाम से एक व्लौग बनाया और उस पर वीडियो डालनी शुरू कीं.

ज्योति पर दानिश क्यों हो रहा था मेहरबान

शुरूशुरू में ज्योति मल्होत्रा अपने व्लौग पर धार्मिक स्थलों की वीडियो डाला करती थी. लेकिन काफी कोशिश करने के बाद भी उस के सब्सक्राइबर्स नहीं बढ़ रहे थे. न ही उसे किसी भी वीडियो पर ज्यादा व्यूज मिल पा रहे थे. लेकिन जब से उस ने ट्रैवल व्लौगिंग करना शुरू किया तो उस का व्लौग चल निकला था. हर वर्ष 23 मार्च को पाकिस्तान में एक राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन वहां रष्ट्रीय अवकाश रहता है. मुख्यरूप से 23 मार्च, 1956 को पाकिस्तान के इसलामिक गणराज्य में परिवर्तन के बाद वहां पहला संविधान लागू हुआ था. जिस से पाकिस्तान दुनिया का पहला इसलामी गणराज्य बन गया था.

वर्ष 2023 में ज्योति पाकिस्तान का वीजा लगवाने के लिए दिल्ली स्थित पाकिस्तान हाई कमीशन गई थी. वहीं पर उस की पहली मुलाकात अहसान उर रहीम उर्फ दानिश से हुई थी. यह मुलाकात एजेंट हरकीरत सिंह ने कराई थी. उसी पहली मुलाकात के दौरान ज्योति ने दानिश का मोबाइल नंबर ले लिया था. उस के बाद ज्योति मोबाइल द्वारा दानिश से बातें करने लगी थी. बातों के सिलसिले के दौरान दोनों के बीच गहरे संबंध बन गए थे. उसी दौरान ज्योति पाकिस्तान गई तो दानिश के कहने पर वह अली अहवान से मिली. जहां पर अली ने ही दानिश के कहने पर उस के रुकने, ठहरने, खानेपीने से ले कर घूमने तक का सारा इंतजाम किया था.

अली ने ही आईएसआई और पाकिस्तान सुरक्षा एजेंसी के अधिकारियों से मिलने के साथ ही उस की मुलाकात शाकिर और राणा शहबाज से करवाई गई थी. पाकिस्तान में मोबाइल नंबर का आदानप्रदान करने के बाद वह फिर भारत वापस आ गई थी. 23 मार्च, 2024 को भी दिल्ली स्थित पाकिस्तानी दूतावास में पाकिस्तान दिवस का आयोजन किया गया था. उस आयोजन में ज्योति मल्होत्रा को भी आमंत्रित किया गया था. इस के दौरान ज्योति मल्होत्रा के दूतावास पर पहुंचते ही अहसान उर रहीम उर्फ दानिश ने उस का बहुत ही गर्मजोशी से स्वागत किया था. वह वीडियो ज्योति ने अपने व्लौग पर 30 मार्च, 2024 को अपलोड की थी.

उस के बाद ज्योति को पाकिस्तान दूतावास से फिर 23 मार्च, 2025 को भी आमंत्रित किया गया. वह उस समारोह में भी शामिल हुई थी. पाकिस्तान दूतावास के वीडियो वायरल होते ही उस के व्यूज भी बढ़ गए थे, साथ ही व्लौगिंग से पैसे भी आने लगे थे. उस के बाद ज्योति ने वही राह पकड़ ली. वहीं से उस की जिंदगी की कहानी ने नया मोड़ लिया. बड़े लोगों के साथ उठनाबैठना, बड़ी गाडिय़ों में घूमना, अच्छे से अच्छा खाना तथा बैंक खाते में मोटी रकम देखना उस का बड़ा शौक बन गया था. जिस के कारण वह उसी व्लौग के सहारे वह खुले गगन में उडऩे लगी थी.

ज्योति मल्होत्रा के यूट्यूब व्लौग पर धीरेधीरे 3.77 लाख और इंस्टाग्राम पर 1.31लाख फालोअर्स हो गए थे. वह अधिकांश देशविदेश के स्थानों की यात्रा से जुड़े संस्मरण और स्थान विशेष की जानकारियां साझा करती हुई वीडियो बनाती थी, जिस के कारण उस के व्यूज देश ही नहीं बल्कि विदेशों के भी थे. उस के सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर कई ऐसे वीडियो हैं, जिस में पाकिस्तान की सकारात्मक छवि दिखाई गई थी. उस ने भारत में हुए बीते क्रिकेट वल्र्ड कप के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच खेले गए मैचों पर भारतीय और पाकिस्तानी दर्शकों की प्रतिक्रिया वाले वीडियो भी अपलोड किए थे. उस के साथ ही उस ने कश्मीर टूर पर भी कई वीडियो बनाए थे, जिस में सैनिकों को भी फिल्माया गया था.

औपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान से 4 दिनों तक चले सैन्य संघर्ष के दौरान ज्योति मल्होत्रा नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग के अधिकारियों के संपर्क में थी. यही नहीं, 22 अपै्रल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले से पहले मार्च में वह पाकिस्तान और चीन भी गई थी. वह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों के संपर्क में बनी हुई थी. इस मामले में हिसार के एसएसपी शशांक कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियां ज्योति को एक अहम मोहरे के रूप में विकसित कर रही थीं.

पुलिस और जांच एजेंसियां ज्योति की यात्राओं और इस दौरान उस ने किनकिन लोगों से मुलाकात की, इस का पता लगाने में जुट गईं. ज्योति मल्होत्रा का ‘ट्रेवल विद जो’ नामक इंस्टाग्राम एकाउंट भी बंद कर दिया गया था. उस के यूट्यूब और फेसबुक अकाउंट पर भी बंद की प्रकिया चल रही थी. दरअसल, सुरक्षा एजेंसियों को संदेह था कि ज्योति के सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अपलोड वीडियो सुरक्षा की दृष्टि से देश के लिए घातक साबित हो सकती थीं. इस का मुख्य कारण था कि उस के पाकिस्तानी जासूस के रूप में सामने आते ही मात्र 24 घंटे में एक लाख से अधिक लोगों ने उसे गूगल पर सर्च किया था. उस के साथ ही यूट्यूब और इंस्टाग्राम पर उस के फालोअर्स की संख्या तेजी से बढऩे लगी थी.

ज्योति टे्रवल व्लौग बना कर व्यूज, लाइक्स और शेयर के चक्कर में आईएसआई की गहरी साजिश का हिस्सा बन गई थी. ज्योति की गिरफ्तारी के बाद उस की सभी तरह से जांच जारी थी. जिस जांच से जो तथ्य सामने आ रहे थे, ज्योति बुरी तरह से दलदल में फंसती जा रही थी. पाकिस्तान के लिए ज्योति के क्या जज्बात थे, उस की हर रोज की लिखी डायरी के पन्नों में दर्ज थे. वह दिनचर्या की तमाम बड़ी बातें अपनी डायरी में नोट करती थी. ज्योति भारत से अटारी बौर्डर क्रौस कर वाघा होते हुए सीधे लाहौर पहुंची थी, जहां पर उस ने पाकिस्तान की हरी ट्रेन का वीडियो बनाया था.

इसी वीडियो में एक पाकिस्तानी पुलिस वाला उसे चाय के 3 कप पकड़ाता हुआ नजर आया था. चाय पीने से पहले वह पुलिस वालों के कप के साथ टकरा कर चीयर्स भी कहती नजर आई थी. ज्योति से कड़ी पूछताछ के दौरान कुछ ऐसे पुख्ता सबूत मिले थे, जो उसे पाकिस्तानी जासूस साबित के लिए काफी थे. सब से पहला सबूत उस का पाकिस्तान एंबेसी के कर्मचारी अहसान उर रहीम उर्फ दानिश से घनिष्ठ संबंध, दूसरा पाकिस्तान में बैठे आईएसआई अधिकारी अली हसन से वाट्सऐप चैट के डिटेल्स, तीसरा उस ने खुद ही कुबूल किया कि उस ने पाकिस्तानी एजेंट्स के मोबाइल नंबर फरजी नामों से सेव किए थे, ताकि वह किसी की पकड़ में न आए.

ज्योति ने पाकिस्तान की यात्राओं को रिलीजियस टूरिज्म और माइनारिटी आउटरीच नाम दिया, लेकिन उस की एक्टिविटी पाकिस्तान-अफगानिस्तान बौर्डर तक पहुंच चुकी थी, जो आतंकी गतिविधियों का सेंटर माना जाता है. जांच एजेंसियों को आशंका है कि आईएसआई ज्योति के ट्रैवल व्लौग को रेकी टूल की तरह इस्तेमाल कर रही थी. ज्योति उन के लिए डिजिटल एसेट बन गई थी. फिलहाल एनआईए, आईबी, मिलिट्री इंटेलिजेंस और अन्य सुरक्षा एजेंजियां सवालों की लंबी लिस्ट के साथ उस के पाकिस्तानी कनेक्शन और जासूसी के जाल को खंगालने में लगी हुई थीं. ज्योति मल्होत्रा के पिता हरीश मल्होत्रा ने जांच एजेंसियों को बताया कि ज्योति जब भी घर से निकलती थी तो दिल्ली जाने की बात कह कर जाती थी. वह कब कश्मीर और पाकिस्तान व अन्य देशों में घूमने गई, उन्हें कोई जानकारी नहीं.

हालांकि, जांच एजेंसियों को ज्योति के किसी आतंकी संगठन से जुड़े होने या कोई खास सूचना लीक किए जाने की पुष्टि नहीं हो पाई थी. ज्योति ने कुछ चैट जरूर डिलीट किए थे. पुलिस ने उस के लैपटाप, मोबाइल और दूसरे इलेक्ट्रौनिक डिवाइसेस फोरैंसिक जांच के लिए भेज दिए. जब पाकिस्तानी जासूसों का एक बार नेटवर्क खुला तो एक के बाद एक कई गिरफ्तारियां हुईं. हरियाणा के कैथल से देविंदर सिंह, नूंह से तारीफ और अरमान को गिरफ्तार किया गया. तारीफ और अरमान से कड़ी पूछताछ से पता चला कि दोनों ही पाकिस्तानी हाई कमीशन में अधिकारियों को भारतीय सिम कार्ड देने और वीजा दिलाने का काम करते थे, जिस के बदले उन्हें मोटी कमाई होती थी.

अरमान के पिता गांव के पूर्व सरपंच थे, जो इस वक्त छत्तीसगढ़ की जेल में बंद हैं. तारीफ 2018 से 2024 के बीच 3 बार पाकिस्तान की यात्रा कर चुका था. वह चौथी बार पाकिस्तान जाने की तैयारी में था, लेकिन जांच एजेंसियों ने उसे पहले ही धर दबोचा. तारीफ की पाकिस्तान में रिश्तेदारी भी है. वह एक छोलाछाप डाक्टर है. उस ने स्वीकार किया है कि वर्ष 2018 में दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग में उस की मुलाकात वहां के अधिकारी आसिफ बलोच से हुई थी. उसी दौरान आसिफ ने उस से 2 भारतीय सिम लिए थे. उस के बाद ही दोनों के बीच सांठगांठ हुई थी.

जासूसों पर ऐसे कसने लगा पुलिस का शिकंजा

तारीफ पाकिस्तान का वीजा बनवाने के के लिए लोगों को उसी के पास भेजने लगा था, जिस से उसे मोटी कमाई होने लगी थी. उसी वक्त आसिफ ने तारीफ को उच्चायोग के एक अन्य अधिकारी जाफर से मिलवाया था. जाफर की मांग पर तारीफ ने उसे भी भारतीय सिम दिलाए थे. पानीपत निवासी नोमान ने भी पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के हैंडलर इकबाल उर्फ काना के लिए जासूसी की थी. वह पानीपत में रह कर भारतीय सेना की गतिविधियों और ट्रेनों के आवागमन से संबंधित गोपनीय जानकारी इलेक्ट्रौनिक उपकरणों के माध्यम से इकबाल को भेजता था. नोमान भी पाकिस्तान की 4 बार यात्रा कर चुका था.

गिरफ्तारी के समय उस के पास से 8 पासपोर्ट बरामद हुए थे. इकबाल के एक  साथी कलीम के पकड़े जाने के बाद वह आतंकी नेटवर्क से जुड़ा था. उस का काम पंजाब और हरियाणा में एजेंटों का नेटवर्क खड़ा करना था. नोमान के पिता अहसान इलाही की मौत हो चुकी है. 6 भाईबहनों में वह सब से छोटा है. उस के सभी बहनभाइयों की शादी हो चुकी है. अपने घर पर वही अकेला रहता था, जिस के कारण उसे कहीं भी आनेजाने के लिए कोई भी रोकनेटोकने वाला नहीं था. उस की बुआ और मौसी पाकिस्तान में ही रहती थीं, जिस के कारण उसे पाकिस्तान आनेजाने में कोई ज्यादा परेशानी नहीं होती थी.

गजाला भी पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में पकड़ी गई थी. वह भी पाकिस्तान उच्चायोग में वीजा के लिए गई थी, जहां पर उस की मुलाकात अहसान उर रहीम उर्फ दानिश से हुई थी. दानिश के संपर्क में आने के बाद वह जासूसी नेटवर्क से जुड़ी. उस का काम भारतीय सेना के ठिकानों के साथ सेना के ट्रकों की आवाजाही व अन्य संवेदनशील क्षेत्रों की जानकारी साझा करना था. अपै्रल 2025 में वह अपनी सहेली बानू नसरीना के साथ दोबारा उच्चायोग गई थी, जहां दानिश ने उसे पाकिस्तान का वीजा दिलाया था. गजाला के परिवार की आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं थी. उस के पति की पहले ही मौत हो चुकी थी. इस वक्त वह अपने पिता के साथ रह रही थी.

देवेंद्र पर भी पाकिस्तानी एजेंटों को जानकारी भेजने का आरोप था. वह पाकिस्तान में सिख धार्मिक स्थलों का दर्शन करने गया था, जहां पर एक युवती ने उसे हनीट्रैप में फंसा लिया. उस के बाद उस ने उसे 7 दिन अपने पास रखा. उसी युवती ने उसे पाकिस्तान में जासूसी की ट्रेनिंग दिलाई. जिस के बाद वह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के 5 एजेंटों के संपर्क में आया. पाकिस्तानी युवती ने उसे लालच दिया था कि अगर वह भारत से खुफिया सूचनाएं देगा तो वह उस की फ्रेंडशिप खूबसूरत युवतियों से कराएगी. उस के साथ ही उसे काफी मोटी रकम भी मिलेगी.

देवेंद्र युवा था, जिस के कारण वह आसानी से उस युवती के जाल में फंस गया. फिर वह भारत से सेना से जुड़ी जानकारियां पाकिस्तान भेजने लगा था. सोशल मीडिया पर हथियारों के साथ फोटो डालने पर वह पुलिस के हत्थे चढ़ गया. पाकिस्तान के लिए जासूसी करने वालों में अगला नाम मुर्तजा का सामने आया. मुर्तजा मूलरूप से बिहार का रहने वाला था. वह जालंधर में पैसे कमाने के इरादे से आया था. भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के दौरान उस ने एक विशेष ऐप बनाया था, जिस के जरिए वह भारतीय न्यूज चैनलों की सामग्री और देश के आतंरिक हालात की खबरें पाकिस्तान को भेजता था. इस के बदले पाकिस्तान से उसे मोटी रकम मिलती थी.

आरोपी के कब्जे से 4 मोबाइल फोन और 3 सिम कार्ड बरामद हुए थे. भारत पाकिस्तान युद्ध के कई संदिग्ध वीडियो और न्यूज के लिंक और फोन नंबर उस के ऐप से मिले थे. उस के खाते में एक महीने में 40 लाख का लेनदेन हुआ था, जिस के कारण वह शक के दायरे में आ गया. वाराणसी के नवापुर, आदमपुरा निवासी मोहम्मद तुफैल भी जासूसी करने के आरोप में वाराणसी से गिरफ्तार किया गया था. तुफैल की जांचपड़ताल में जानकारी मिली कि उस ने पाकिस्तान के प्रतिबंधित आंतकी संगठन तहरीक ए लब्बैक के नेता मौलाना शाद रिजवी के वीडियो वाट्सऐप ग्रुप में शेयर किए थे.

वह पाकिस्तानी सेना के एक अफसर की पत्नी के साथ 4 महीने तक संपर्क में रहा. वह गजवा ए हिंद करने, बाबरी मसजिद का बदला लेने और भारत में शरीयत लागू करने से जुड़े मैसेज शेयर करता था. तुफैल ने दिल्ली के राजघाट, जामा मसजिद की तसवीरों से ले कर वाराणसी तक के अहम स्पौट की तसवीरें और डिटेल्स पाकिस्तान को भेजी थीं. इन के अलावा उस ने काशी के नमोघाट और ज्ञानवापी से जुड़े कंटेंट भी पाकिस्तानी नंबरों पर शेयर किए थे. तुफैल बाबरी मसजिद का बदला लेने और शरीयत कानून लागू करने के मैसेज शेयर करता था. जिस में वह पाकिस्तानियों का समर्थन भी मांगता था.

तुफैल 600 से ज्यादा पाकिस्तानी फोन नंबरों के संपर्क में था. वह फेसबुक के जरिए फैसलाबाद (पाकिस्तान) की नफीसा नाम की एक महिला के संपर्क में भी था, जिस का पति पाकिस्तानी सेना में है. 18 मई, 2025 को एटीएस ने मुरादाबाद से एक पाकिस्तानी जासूूस शहजाद को गिरफ्तार किया था. शहजाद भी कई बार पाकिस्तान की यात्रा कर चुका है. शहजाद रामपुर, टांडा थाना क्षेत्र के आजाद नगर मोहल्ले का रहने वाला है. उस से पूछताछ के बाद जानकारी मिली कि वह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के कहने पर कई बार भारत में मौजूद उन के एजेंटों को पैसे उपलब्ध कराता था.

एटीएस के अनुसार वह देश विरोधी गतिविधियों में शामिल था. वह चोरीछिपे कौस्मेटिक्स, कपड़े, मसाले अवैध रूप से सीमा पार ले कर जाता था. शहजाद के कई पाकिस्तानी एजेंटों से अच्छे संबंध थे. उस ने भारत की सुरक्षा से जुड़ी कई गोपनीय सूचनाएं पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के एजेंट्स को शेयर की थीं. एटीएस ने मार्च 2025 में आईएसआई एजेंट रवींद्र कुमार को भी गिरफ्तार किया था. वह भी काफी समय से पाकिस्तान के लिए जासूसी कर रहा था. रवींद्र फिरोजाबाद के हजरतपुर की आर्डिनेंस फैक्ट्री में चार्जमैन था. वह पाकिस्तान से आपरेट होने वाले सोशल मीडिया अकाउंट पर जानकारी दे रहा था.

रवींद्र कुमार भी आईएसआई के बिछाए हनीट्रैप के जाल में फंस गया था. वह काफी समय से खुफिया सूचनाएं पाकिस्तान को लीक कर रहा था. 24 मई, 2025 को एटीएस ने गुजरात के कच्छ से एक शख्स सहदेव गोहिल को गिरफ्तार किया था. सहदेव से पूछताछ के दौरान जानकारी मिली कि वह बीएसएफ और नेवी की मौजूदा सैन्य इकाइयों की फोटो और वीडियो वाट्सऐप के जरिए पाकिस्तानी एजेंट को भेज रहा था. सहदेव गोहिल कच्छ के लखपत तालुका में स्वास्थ्य विभाग में संविदा पर नौकरी कर रहा था.

अदिति भारद्वाज पाकिस्तान के रावलपिंडी की रहने वाली थी. वर्ष 2023 में सहदेव गोहिल का संपर्क वाट्सऐप पर हुआ था. उस के बाद दोनों के बीच विश्वास बन गया. फिर अदिति ने सहदेव के सामने अपने इरादे साफ तरह से बताते हुए पाकिस्तान के लिए जासूसी करने का दबाव बनाया. उस के बदले सहदेव को मोटी रकम देने का लालच दिया गया था. सहदेव पैसे के लालच में उस के साथ शामिल हो गया. सहदेव गोहिल ने 2024 में अपने आधार कार्ड पर एक नया सिम लिया था. उस के बाद उस ने उस का ओटीपी नंबर आदिति को भेजा था, जिस के सहारे अदिति पाकिस्तान से उस नंबर पर वाट्सऐप चला रही थी.

पाकिस्तानी एजेंट खासकर सरकारी ठेकों पर काम करने वाले लोगों को निशाना बनाते थे. सब से पहले ये जासूस किसी तरह से सरकारी ठेकों पर काम करने वाले लोगों का डेटा हासिल कर लेते थे. फिर उन्हें अलगअलग तरीकों से जाल में फंसा कर अपने साथ संपर्क बनाने को मजबूर कर देते थे.

गद्दारों की सूचना पर किए पाक ने हमले

उस के बाद पाकिस्तानी एजेंट्स इन लोगों से नौसेना, वायु सेना और सेना के बन रहे या नए बनाए गए भवनों के फोटोग्राफ, स्थान और उन की जानकारी हासिल करते थे. सहदेव गोहिल को पहली बार संवेदनशील सूचनाएं भेजने पर 40 हजार रुपए मिले थे. गुजरात के एटीएस के डीआईजी सुनील जोशी ने बताया कि सहदेव गोहिल पर शक है कि उस के द्वारा भेजी गई संवेदनशील जानकारी का इस्तेमाल पाकिस्तानी सेना ने ‘औपरेशन सिंदूर’ के बाद कच्छ के सीमावर्ती इलाकों में ड्रोन हमलों के लिए किया था. जिस से साफ होता है कि पाकिस्तानी सेना ने सहदेव सिंह से मिली जानकारी का इस्तेमाल कच्छ में ड्रोन हमले में किए थे.

पाकिस्तान ने कच्छ में भुज और नलिया 2 एयरबेस को निशाना बनाया था. उसी दौरान नलिया के पास से एक ड्रोन का मलबा भी पाया गया था. एटीएस को संदेह है कि गोहिल की तरह कच्छ या उस के आसपास कुछ अन्य लोग भी अदिति के जाल में फंसे हो सकते हैं. 26 मई, 2025 को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवान मोतीराम को राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने गिरफ्तार किया. आरोप है कि उस ने राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी संवेदनशील जानकारी पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों को साझा की थी.

अधिकारियों के अनुसार, वह 2023 से पाकिस्तान इंटेलिजेंस औफिसर्स के संपर्क में था. वह काफी समय से देश की सुरक्षा से जुड़ी महत्त्वपूर्ण जानकारी पाकिस्तान को भेज रहा था, जिस के बदले उसे मोटी रकम मिलती थी. मोतीराम जाट सीआरपीएफ की 116वीं बटालियन में एएसआई के पद पर तैनात था. बाद में उस का तबादला किया गया था. एनआईए ने उसे दिल्ली से गिरफ्तार किया. अधिकारियों ने जानकारी देते हुए बताया कि वह विभिन्न माध्यमों से पाकिस्तानी अधिकारियों से पैसे हासिल कर रहा था. पटियाला हाउस की विशेष अदालत ने मोतीराम जाट को 6 जून, 2025 तक एनआईए की हिरासत में भेज दिया था.

दिल्ली पुलिस की स्पैशल सेल ने एक बड़ी काररवाई करते हुए 29 अप्रैल, 2025 को जासूसी के आरोप में एक और शख्स को गिरफ्तार किया. आरोपी का नाम कासिम अली था. आरोपी को मेवात से दबोचा गया था. कासिम पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए जासूसी करने का आरोप है. पता चला कि कासिम 2 बार पाकिस्तान जा चुका है. उसे वहां पर बाकायदा टे्रनिंग दी गई थी. वह भारत में रह कर सेना से जुड़ी संवेदनशील और खुफिया जानकारी आईएसआई को भेज रहा था. पूछताछ में पता चला कि इस का भाई शकूर खान भी पाकिस्तानी जासूस है.

पुलिस ने त्वरित काररवाई करते हुए शकूर खान को भी गिरफ्तार कर लिया. वह राजस्थान के जैसलमेर में जिला रोजगार अधिकारी था. इस के अलावा वह पूर्व कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे शाले मोहम्मद का निजी सचिव भी रह चुका है. शकूर खान के कनेक्शन ज्योति मल्होत्रा के साथ भी मिले हैं. इस के पास से कई संदिग्ध दस्तावेज बरामद किए गए. यह पाक दूतावास के अधिकारियों के लगातार संपर्क में रहता था. पुलिस और जांच एजेंसियां 7 बार पाकिस्तान जा चुके शकूर खान के बैंक खातों को भी खंगाल रही हैं. कासिम 2 बार पाकिस्तान गया और 3 महीने तक पाकिस्तान में रुका. उस ने पाकिस्तान से जासूसी की टे्निंग ली थी.

यही नहीं, एक माह तक आईएसआई के हैंडलर्स और बड़े अधिकारियों ने उसे टेंरड किया था. कासिम एक मौलवी है और उस के लिंक जयपुर से जुड़े थे. कासिम ने दिल्ली में कुछ लोगों को सिम उपलब्ध कराए थे. दिल्ली पुलिस को कासिम पर संदेह था कि वह दिल्ली से जानकारी जुटाने के साथसाथ एक स्लीपर सेल भी तैयार कर रहा था, जिस का मकसद सीरियल ब्लास्ट जैसी बड़ी वारदातों को अंजाम देना था. हरियाणा के मेवात से गिरफ्तार कासिम के पास से पुलिस ने मोबाइल, फरजी दस्तावेज और कुछ संदिग्ध डिजिटल डिवाइसेस बरामद कीं.

पुलिस ने पाकिस्तान की जासूसी के आरोप में अब तक 13 लोगों की गिरफ्तारी की थी, जिन में 7 पंजाब और 5 हरियाणा और एक उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार किए गए. पुलिस इन लोगों से जांच कर रही थी कि आखिर पाकिस्तानी इंटेलिजेंस एजेंटों का इन लोगों से संपर्क करने का मकसद क्या था. वे इन लोगों से सिर्फ फोटो और वीडियो ही मांग रहे थे या फिर इन की आड़ में कोई बड़ी वारदात को अंजाम देने की तैयारी में थे. फिलहाल तो इन लोगों की करतूतों ने लोगों के जहन में एक बार फिर से जासूस नाम को जिंदा कर दिया है. social story

 

 

 

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