Crime News : अपहर्त्ताओं ने व्यापारी मुकेश लांबा के एकलौते बेटे आदित्य उर्फ आदि का अपहरण कर 2 करोड़ की मांग की. ताज्जुब की बात यह रही कि पुलिस के मुस्तैद रहते हुए भी अपहर्त्ता फिरौती की रकम ले गए. इसी तरह के और भी अनेक ऐसे सवाल रहे जो पुलिस काररवाई पर अंगुली उठा रहे हैं.
शाम को करीब 6 बजे का समय रहा होगा. सुमन रसोई में शाम का खाना बनाने की तैयारी कर रही थी. सब्जी बनाने के लिए उसे जीरा चाहिए था. जीरा खत्म हो गया था. सुमन ने रसोई से ही बेटे आदित्य को आवाज दी, ‘‘आदि बेटे, किराने वाले की दुकान से जीरा ला दो.’’
13 साल का आदि उस समय मोबाइल पर गेम खेल रहा था. मां की आवाज सुन कर उसे झुंझलाहट हुई. उस ने ड्राइंगरूम से ही मां को आवाज दे कर कहा, ‘‘मम्मी, दीदी को भेज दो. मैं खेल रहा हूं.’’
अपने कमरे में पढ़ रही रितु ने छोटे भाई आदि की आवाज सुन ली. उस ने कहा, ‘‘मम्मी, मैं पढ़ रही हूं. यह मोबाइल में गेम खेल रहा है. इसे ही भेज दो.’’
‘‘बेटे आदि, तुम ही दुकान पर जा कर मुझे जीरा ला दो.‘‘ सुमन ने रसोई से बाहर निकल कर उसे 50 रुपए का नोट देते हुए कहा. आदि मना नहीं कर सका. उस ने मां से पैसे लिए और घर से निकल गया. किराने वाले की दुकान उन के घर के पास ही थी. वे घर के राशन की चीजें उसी से लाते थे. आदि उस किराना की दुकान पर पहुंचा ही था कि उधर से गुजरती एक स्विफ्ट कार वहां रुकी. कार में सवार लोगों ने आदि को इशारे से अपने पास बुला कर कहा, ‘‘बेटे, यहां आसपास ही मुकेश लांबा रहते हैं, क्या आप को पता है, उन का घर कहां है?’’
मुकेश लांबा का नाम सुन कर आदि बोला, ‘‘वे तो मेरे पापा हैं.’’
‘‘अरे तुम मुकेश के बेटे हो.’’ कार में सवार एक आदमी ने आदि की तरफ देखते हुए कहा, ‘‘बेटे हम आप के पापा के दोस्त हैं. हमें अपने घर ले चलो.’’
पापा के दोस्त होने की बात सुन कर आदि ने कहा, ‘‘चलो, मैं आप को घर ले चलता हूं.’’ यह कह कर आदि पैदल ही कार के आगे चलने लगा. आदि को पैदल चलते देख कार में सवार एक आदमी ने खिड़की से बाहर सिर निकाल कर उसे आवाज दे कर कहा, ‘‘बेटे, तुम हमारे साथ कार में ही बैठ जाओ.’’
वैसे तो आदि का मकान वहां से 2-3 सौ मीटर दूर ही था. फिर भी आदि उन के साथ कार में पीछे की सीट पर बैठ गया. कार में कुल 3 लोग थे. इन में एक कार चला रहा था. एक आगे की सीट पर और एक आदमी पीछे की सीट पर बैठा हुआ था. वे तीनों मास्क लगाए हुए थे. इसलिए उन के चेहरे साफ नजर नहीं आ रहे थे. आदि भी पीछे की सीट पर बैठ गया. आदि के बैठते ही आगे बैठे आदमी ने कार चला रहे अपने साथी से कहा, ‘‘यार, मुकेश के घर चल रहे हैं, तो कुछ मिठाई ले चलते हैं.’’ इस बात पर पीछे बैठे उन के साथी ने भी सहमति जताई.
आदि क्या कहता, वह चुप रहा. वे लोग कार में आदि को साथ ले कर काफी देर इधरउधर घूमते रहे. उधर आदी जीरा ले कर घर नहीं पहुंचा तो सुमन बुदबुदाने लगी, ‘‘पता नहीं ये लड़का कहां किस से बातें करने में लग गया. मैं सब्जी बनाने को बैठी हूं और यह नजाने कहां रुक गया. कम से कम जीरा तो मुझे दे कर चला जाता.’’
उधर वह लोग मिठाई की दुकान ढूंढने के बहाने कार को घुमाते रहे. बीच में मिठाइयों की कई दुकानें आईं, लेकिन उन्होंने मिठाई नहीं खरीदी. आखिर आदि ने उन से पूछ ही लिया कि अंकल आप को मिठाई खरीदनी है, तो कहीं से भी खरीद लो. मुझे घर जाना है. मम्मी ने मुझ से घर का कुछ सामान मंगाया है. मम्मी इंतजार कर रही होंगी.
‘‘लड़के, तू ज्यादा चपरचपर मत कर. चुपचाप बैठा रह.’’ कार में आगे की सीट पर बैठे आदमी ने उस से कहा, तो आदि सहम गया. उसे कुछ अनहोनी की आशंका हुई, लेकिन 13 साल का वह बालक क्या कर सकता था. पीछे बैठे आदमी ने उसे आंखें दिखाईं, तो वह सहम गया. कार के शीशे भी बंद थे. रात का अंधेरा भी घिर आया था. कुछ देर बाद कार सुनसान रास्ते पर एक मकान के आगे जा कर रुकी. कार से उतर कर वे तीनों आदमी आदि को भी उस मकान में ले गए. एक आदमी ने आदि से उस की मां और पापा के मोबाइल नंबर पूछे. आदि ने दोनों के नंबर उन्हें बता दिए.
शाम को करीब 7 बजे एक आदमी ने आदि की मां सुमन को मोबाइल पर काल कर कहा, ‘‘हम ने तुम्हारे बेटे का अपहरण कर लिया है. उसे जीवित देखना चाहती हो, तो 2 करोड़ रुपए का इंतजाम कर लो.’’
फोन सुन कर सुमन सन्न रह गई. वह काल करने वाले से बोली, ‘‘तुम कौन हो? मेरा बेटा कहां है?’’
‘‘तुम्हारा बेटा हमारे पास ही है. तुम पैसों का इंतजाम कर लो.’’ यह कह कर उस आदमी ने फोन काट दिया. दूसरी तरफ से सुमन हैलो.. हैलो.. ही करती रह गई. बेटे आदि के अपहरण और 2 करोड़ रुपए मांगने की बात सुन कर सुमन रोने लगी. घर पर आदि के पापा मुकेश लांबा भी नहीं थे. सुमन ने रोतेरोते फोन कर उन्हें बेटे का अपहरण होने की बात बताई. मुकेश तुरंत घर पहुंचे. उन्होंने पत्नी सुमन से सारी बातें पूछीं कि कैसे क्याक्या हुआ? आदि कहां गया था? अपहर्त्ताओं ने क्या कहा है? सुमन ने पति को सारी बातें बता दीं. यह बात 15 अक्तूबर, 2020 की है.
घटना मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर की है. शहर के धनवंतरी नगर में दुर्गा मंदिर के पास रहने वाले मुकेश लांबा माइनिंग विस्फोटक का काम करते थे. पहले वह ट्रांसपोर्ट का काम करते थे. मुकेश का कारोबार अब ठीकठाक चल रहा था. जिंदगी मजे से गुजर रही थी. घर में किसी बात की कमी नहीं थी. परिवार में कुल 4 लोग थे. मुकेश, उन की पत्नी सुमन, बड़ी बेटी रितु और छोटा बेटा आदित्य. आदित्य को प्यार से घर के लोग आदी कहते थे. बेटा और बेटी दोनों पढ़ते थे. बेटे आदि के अपहरण की बात जान कर मुकेश परेशान हो गए. अपहर्त्ता कौन थे, यह भी पता नहीं था. वे 2 करोड़ रुपए मांग रहे थे. भले ही मुकेश का कारोबार अच्छा चल रहा था, लेकिन 2 करोड़ की रकम कोई मामूली थोड़े ही थी.
वे सोचने लगे कि क्या करें और क्या नहीं करें. उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा था. आदि के अपहरण का पता चलने के बाद से पत्नी और बेटी के आंसू नहीं रुक पा रहे थे. मुकेश इसी बात पर सोचविचार कर रहे थे कि रात करीब 8 बजे उन के मोबाइल की घंटी बजी. उन्होंने तुरंत काल रिसीव कर कहा, ‘‘हैलो.’’
दूसरी तरफ से धमकी भरी आवाज आई, ‘‘मुकेश, हम ने तुम्हारे बेटे का अपहरण कर लिया है. बेटे को जिंदा देखना चाहते हो तो 2 करोड़ रुपए का इंतजाम कर लो. ध्यान रखना पुलिस को सूचना दी, तो तुम्हारा बेटा जिंदा नहीं बचेगा.’’
‘‘तुम कौन हो? मेरा बेटा कहां है और उस से मेरी बात कराओ?’’ मुकेश ने घबराई हुई आवाज में काल करने वाले से एक साथ कई सारे सवाल पूछे.
‘‘हम बहुत खतरनाक लोग हैं. तुम्हारा बेटा हमारे पास ही है, उस से बात भी करा देंगे. लेकिन तुम कल तक पैसों का इंतजाम कर लो.’’ काल करने वाले ने यह कह कर फोन काट दिया. पहले सुमन और इस के बाद मुकेश के पास आए फोन से यह साफ हो गया था कि आदि का अपहरण हो गया है. लेकिन यह पता नहीं चला था अपहर्त्ता कौन हैं? वे 2 करोड़ रुपए की रकम मांग रहे थे, जो मुकेश की हैसियत से बहुत ज्यादा थी. काफी सोचविचार के बाद मुकेश ने पुलिस को सूचना देने का फैसला किया और जबलपुर के संजीवनी नगर पुलिस थाने पहुंच कर उन्होंने रिपोर्ट दर्ज करा दी गई.
बच्चे के अपहरण और 2 करोड़ की फिरौती मांगने का पता चलने पर पुलिस अधिकारी धनवंतरी नगर में मुकेश लांबा के घर पहुंचे और घर वालों से पूछताछ कर बालक आदि की तलाश में जुट गए. दूसरे दिन 16 अक्तूबर को मुकेश के मोबाइल पर अपहर्त्ताओं का फिर फोन आया. उन्होंने उस से रकम के बारे में पूछा. मुकेश ने उन से कहा कि उस के पास 2 करोड़ रुपए नहीं हैं. वह मुश्किल से 8-10 लाख रुपए का इंतजाम कर सकता है. अपहर्त्ताओं ने कहा कि 2 करोड़ नहीं दे सकते, तो कुछ कम दे देना लेकिन 8-10 लाख से कुछ नहीं होगा. हम तुम्हें शाम को दोबारा फोन करेंगे, तब तक पैसों का इंतजाम कर लेना.
मुकेश ने अपहर्त्ताओं से हुई सारी बातें पुलिस को बता दीं. पुलिस ने उस मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लगा दिया, जिस नंबर से मुकेश के पास अपहर्त्ताओं का फोन आया था. अपहर्त्ताओं ने तब तक 3 बार फोन किए थे. ये फोन एक ही नंबर से किए गए थे. उसी दिन शाम को चौथी बार अपहर्त्ताओं का मुकेश के मोबाइल पर फिर फोन आया. मुकेश ने मिन्नतें करते हुए कहा कि मुश्किल से 8 लाख रुपए का इंतजाम हुआ है. ये पैसे तुम ले लो और मेरे बेटे को लौटा दो. मुकेश ने कहा कि बेटे से मेरी एक बार बात तो करा दो. मुकेश के अनुरोध पर अपहर्त्ताओं ने आदि से उस की बात कराई. मोबाइल पर आदि रोतीबिलखती आवाज में कह रहा था, ‘‘पापा, इन की बात मान लो. ये लोग बहुत खतरनाक हैं, मुझे मार डालेंगे.’’
बेटे की आवाज सुन कर मुकेश को कुछ संतोष हुआ. मुकेश के काफी गिड़गिड़ाने पर अपहर्त्ता 8 लाख रुपए ले कर आदि को छोड़ने पर राजी हो गए. अपहर्त्ताओं ने मुकेश को उसी रात जबलपुर में पनागर से सिरोहा मार्ग पर एक जगह नाले के पास पैसों का बैग रख आने को कहा और यह भरोसा दिया कि पैसे मिलने के आधे घंटे बाद बच्चे को तुम्हारे घर के पास छोड़ देंगे. अपहर्त्ताओं के 8 लाख रुपए लेने पर राजी हो जाने पर मुकेश को उम्मीद की कुछ किरण नजर आई. वह सोचने लगे कि यह बात पुलिस को बताए या नहीं. सोचविचार के बाद उन्होंने तय किया कि पुलिस को बताने में ही भलाई है, क्योंकि बेटे की वापसी का पुलिस को बाद में पता चलेगा, तो वे कई तरह के सवाल पूछेंगे. इसलिए मुकेश ने अपहर्त्ताओं से हुई सारी बात पुलिस को बता दी.
पुलिस अधिकारियों ने आपस में बातचीत कर फैसला किया कि मुकेश को 8 लाख रुपए एक बैग में ले कर तय जगह पर भेजा जाए. इस दौरान पुलिस दूर से निगरानी करती रहेगी. अपहर्त्ता जब पैसों का बैग लेने आएंगे, तो उन्हें वहीं से पकड़ लिया जाएगा. उस रात तय समय और तय जगह पर मुकेश ने 8 लाख रुपयों से भरा बैग रख दिया. कहा जाता है कि इस दौरान आसपास पुलिस निगरानी कर रही थी. इस के बावजूद अपहर्त्ता पैसों का वह बैग ले गए और पुलिस को कुछ पता नहीं चल सका. इधर, पैसों का बैग तय जगह पर छोड़ आने के बाद मुकेश और उस के घरवाले आदित्य के घर लौटने का इंतजार करते रहे. हरेक आहट पर उन की नजरें घर के गेट पर टिक जातीं.
घर में मौजूद एक भी आदमी सो नहीं सका. पूरी रात बेचैनी से गुजर गई, लेकिन आदि नहीं आया. मुकेश समझ नहीं पा रहे थे कि बेटा आदि वापस क्यों नहीं आया? अपहर्त्ताओं ने अपना वादा क्यों नहीं निभाया? क्या अपहर्त्ताओं को 8 लाख रुपए कम लगे या उन्होंने आदि को मार डाला? 17 अक्तूबर को आदित्य का अपहरण हुए तीसरा दिन हो गया था. पैसे भी चले गए थे और बेटा भी वापस नहीं आया तो मुकेश अपहर्त्ताओं के मोबाइल नंबर पर काल करने की कोशिश करते रहे, लेकिन वह नंबर नहीं मिल रहा था. मुकेश के साथ उन की पत्नी और बेटी मायूस हो गए. उन की आंखों से आंसू सूखने का नाम ही नहीं ले रहे थे. अब तो केवल अपहर्त्ताओं के फोन पर ही उम्मीद टिकी हुई थी.
पुलिस को भी मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लेने के बावजूद अपहर्त्ताओं का पताठिकाना नहीं मिल पाया था. अधिकारियों को इस बात पर भी ताज्जुब हो रहा था कि अपहर्त्ता मौके पर मौजूद पुलिस वालों को चकमा दे कर रकम से भरा बैग ले कर कैसे और कब निकल गए? जांचपड़ताल में मिले कुछ सुराग के आधार पर पुलिस ने 17 अक्तूबर की रात एक शराब की दुकान के पास 3 लोगों को नशे की हालत में पकड़ा. इन में राहुल उर्फ मोनू विश्वकर्मा, मलय राय और करण जग्गी शामिल थे. ये तीनों जबलपुर के अधारताल थाना इलाके के महाराजपुर के रहने वाले थे. पुलिस ने इन से सख्ती से पूछताछ की, तो आदित्य के अपहरण का मामला खुल गया. पूछताछ के दौरान पुलिस अधिकारियों को उस समय गहरा झटका लगा, जब राहुल और मलय ने बताया कि आदि को अपहरण के दूसरे ही दिन यानी 16 अक्तूबर को ही मार दिया था.
आदि को मारने का कारण रहा कि उस ने एक अपहर्त्ता राहुल को मास्क हटने पर पहचान लिया था. राहुल मुकेश लांबा को अच्छी तरह जानता था और उन के घर कई बार आजा चुका था. अपहर्त्ताओं ने 16 अक्तूबर को मुकेश से आदि की जो बात कराई थी, वह मोबाइल में रिकौर्ड की हुई थी. आदि को वे उस से पहले ही मार चुक थे. अपहर्त्ताओं की निशानदेही पर पुलिस ने 18 अक्तूबर, 2020 को पनागर के पास जलगांव नहर से आदि का शव बरामद कर लिया. उस के मुंह पर गमछा बंधा हुआ था. शव बरामद होने के बाद पुलिस ने तीनों आरोपियों का अधारताल इलाके में जुलूस निकाला.
उसी दिन पुलिस हिरासत में मुख्य आरोपी राहुल विश्वकर्मा की तबियत बिगड़ गई. पुलिस ने उसे अस्पताल में भरती कराया, लेकिन कुछ समय बाद ही उस की मौत हो गई. आरोपियों से पुलिस की पूछताछ में जो कहानी उभर कर सामने आई, वह इस प्रकार निकली—
राहुल और मलय दोस्त थे. राहुल मोबाइल इंजीनियर था. वह एक मोबाइल की दुकान पर काम करता था. वह मौका मिलने पर लूट, चोरी आदि भी करता था. मलय भी अपराधी किस्म का युवक था. वह भी चोरीलूट जैसे अपराध करता था. लौकडाउन में कामधंधे बंद होने से इन दोनों के सामने भी पैसों का संकट आ गया. राहुल पर पहले से ही लोगों की उधारी चढ़ी हुई थी. लौकडाउन में कर्ज और बढ़ गया. परेशान राहुल ने मलय के साथ मिल कर कोई बड़ा हाथ मारने की योजना बनाई. राहुल ने उसे बताया कि वह धनवंतरी नगर के रहने वाले माइनिंग कारोबारी मुकेश लांबा को जानता है. उन के पास मोटी दौलत है. वह कई बार उन के घर भी आजा चुका है. उन के बेटे का अपहरण कर मोटी रकम वसूली जा सकती है.
मलय को यह बात जंच गई. दोनों ने सोचविचार के बाद इस योजना में अपने एक अपराधी दोस्त करण जग्गी को भी शामिल कर लिया. तीनों ने योजना बना कर मुकेश लांबा के घर की रैकी करनी शुरू की. इस के लिए राहुल ने अपने दोस्त से जरूरी काम के लिए कार मांग ली थी. 15 अक्तूबर, 2020 की शाम जब वे तीनों स्विफ्ट कार से मुकेश के घर की रैकी करने आए तो राहुल को आदित्य नजर आ गया. उन्होंने उसी समय उन्होंने आदी का अपहरण कर लिया. योजना के तहत ही राहुल व मलय ने आदि के अपहरण से 3 दिन पहले 12 अक्तूबर को बेलखाडू में एक आदमी से मोबाइल लूटा था.
इसी मोबाइल नंबर से वे मुकेश लांबा और उस की पत्नी को फोन कर फिरौती मांगते रहे. चूंकि राहुल मोबाइल इंजीनियर था, इसलिए उस ने उस मोबाइल में ऐसी कारस्तानी कर दी कि पुलिस उस की लोकेशन ट्रेस नहीं कर पा रही थी. 16 अक्तूबर को राहुल के चेहरे से मास्क हट गया तो आदि ने उसे पहचान लिया और कहा कि अंकल आप तो हमारे घर आतेजाते हो. आदि की ये बातें सुन कर राहुल और उस के साथियों ने सोचा कि पैसा ले कर इसे छोड़ दिया तो यह हमें पकड़वा देगा. इसलिए उन्होंने उसी दिन गमछे से गला घोंट कर आदि की हत्या कर दी. इस के बाद जलगांव नहर में उस का शव फेंक आए.
अपराधी इतने शातिर रहे कि आदि की हत्या के बाद भी उस के पिता से फिरौती मांगते रहे. हत्या से पहले उन्होंने आदि की आवाज मोबाइल में रिकौर्ड कर ली थी. यही रिकौर्डिंग अपहर्त्ताओं ने 16 अक्तूबर को मुकेश को सुनवाई थी. राहुल और मलय 16 अक्तूबर की रात पुलिस को चकमा दे कर पनागर मार्ग पर नाले के पास मुकेश की ओर से रखे गए 8 लाख रुपए का बैग भी ले गए. अगले दिन उन्होंने अपने तीसरे साथी करण से कहा कि बच्चा भाग गया. इस कारण पैसा नहीं मिल सका. यह झूठ बोल कर राहुल और मलय ने 8 लाख रुपए का आपस में बंटवारा कर लिया.
आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने 7 लाख 66 हजार रुपए और अपहरण व शव फेंकने के काम ली गई 2 कार, एक बाइक और एक स्कूटी जब्त कर ली. इस के अलावा 12 अक्तूबर को लूटे गए मोबाइल सहित 2 अन्य मोबाइल भी बरामद कर लिए. मुख्य आरोपी 30 वर्षीय राहुल की पुलिस हिरासत में तबीयत बिगड़ने और बाद में अस्पताल में मौत हो जाने के मामले में सरकार ने न्यायिक जांच के आदेश दिए. 3 डाक्टरों के पैनल ने प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रैट उमेश सोनी की मौजूदगी में राहुल के शव का पोस्टमार्टम किया. इस दौरान वीडियोग्राफी भी कराई गई.
पोस्टमार्टम के बाद मजिस्ट्रैट ने राहुल के बड़े भाई सोनू विश्वकर्मा और दूसरे घर वालों के बयान दर्ज किए. राहुल का शव उस के घर वालों को सौंप दिया गया. राहुल के भाई का कहना था कि पुलिस ने कानून अपने हाथ में लिया और पिटाई से उस की मौत हुई. आदि के अपहरण-मौत के मामले में पुलिस पर लापरवाही के आरोप लगे हैं. तमाम सूचनाएं दिए जाने के बावजूद पुलिस अपहर्त्ताओं की लोकेशन ट्रेस नहीं कर सकी. अपराधी पुलिस की मौजूदगी में ही फिरौती के 8 लाख रुपए ले गए. आदि को तलाश करने के बजाय पुलिस उस के अपहरण के दूसरे दिन जबलपुर आए डीजीपी की अगवानी में जुटी रही.
इस वारदात के विरोध में 18 अक्तूबर को धनवंतरी नगर व्यापारी संघ और महाराणा प्रताप मंडल के नेताओं ने मार्केट बंद कर सांकेतिक धरना प्रदर्शन भी किए. मासूम आदि की मौत से उस के घर की सारी खुशियां छिन गई हैं. पिता की भविष्य की उम्मीदें चकनाचूर हो गईं. मां सुमन रात को सोते हुए बैठ जाती है और उसी समय बेटे के लिए दहाड़ें मार कर रोती है. बहन रितु अब किसे राखी बांधेगी? एक अपराधी तो चला गया. हालांकि उस की मौत के कारणों की जांच हो रही है. लेकिन दूसरे अपराधियों को कानून क्या सजा देगा. Crime News