Bihar Crime News : 19 वर्षीय पूजा कुमारी और 21 वर्षीय अमित कुमार की दोस्ती उस समय से थी, जब वे स्कूल में साथसाथ पढ़ते थे. बाद में यह दोस्ती प्यार में बदल गई, दोनों शादी करना चाहते थे. न चाहते हुए भी पूजा के पेरेंट्स बेटी की शादी अमित से कराने को राजी हो गए. इसी बीच एक दिन पूजा की रक्तरंजिश लाश मिली. कौन था पूजा का हत्यारा? उस की हत्या क्यों की गई? पढ़ें, लव क्राइम की यह स्टोरी.
25 वर्षीय अमित कुमार बिहार में नालंदा जिले के नगर थानाक्षेत्र स्थित कागजी मोहल्ले के विजय कुशवाहा के मकान में किराए पर अकेला ही रहता था. यहां रह कर वह एक प्राइवेट फर्म में नौकरी करता था. वह कई दिनों से बुरी तरह से परेशान दिख रहा था, इस की वजह से नौकरी पर जा नहीं रहा था और वह इस से हमेशाहमेशा के लिए निजात पाना चाहता था, इसीलिए उस ने अपने दोस्त विशाल को कमरे पर बुलाया था. यह 10 जून, 2025 की बात है.
जैसे ही विशाल कमरे पर पहुंचा तो अमित बोला, ”यार, तू मेरा कैसा दोस्त है, जो मुसीबत में मेरा साथ नहीं दे सकता? यदि तेरी जगह मैं ने किसी और से मदद की गुहार लगाई होती तो वो अपना कलेजा निकाल कर अब तक मेरी हथेलियों पर रख दिया होता. और एक तू है कि मेरी मदद करने की बजाए मेरी खिल्ली उड़ा रहा है.’’
”नहीं यार, मैं खिल्ली नहीं उड़ा रहा हूं, बल्कि यह सोच रहा हूं कि मैं तेरी मदद कैसे करूं…’’ विशाल ने सोचने वाली मुद्रा में जवाब दिया.
”मैं कुछ नहीं जानता, बस तू इस मुसीबत की घड़ी में मेरा साथ देगा या नहीं?’’
”मैं साथ देने के लिए तैयार हूं, तू बता मुझे करना क्या होगा?’’
”देख भाई, तू जानता है कि पूजा से मैं कितना प्यार करता हूं, उस के बिना जी नहीं सकता.’’
”हुआ क्या यह तो बता..?’’ विशाल ने हैरानी से पूछा.
”उसे मेरे दूसरे प्यार वाली बात पता चल गई है. जब से उसे ये पता चला है कि मेरा अफेयर कंचन से भी था और मैं ने उसे यूज कर के छोड़ दिया, तब से वह विद्रोह पर उतर आई है. अगर उस ने कुछ ऐसावैसा कर दिया तो मैं अपने फेमिली वालों और कालेज में क्या मुंह दिखाऊंगा. जिस कालेज में मैं ने प्रोफेसरों के सामने अच्छी रेपुटेशन बनाई है, सब खत्म हो जाएगी. यही सोच कर मैं बहुत परेशान हूं. तभी मैं ने तुझ से हेल्प मांगी है.’’
”हंू तो यह बात है.’’ विशाल ने सिर हिलाते हुए कहा.
”हां, यह मुसीबत मेरे गले की हड्डी बनती जा रही है. इसे रास्ते से हटाया नहीं तो मैं बरबाद हो जाऊंगा. इसलिए अपनी सेफ्टी के लिए उसे मारना होगा. इस के अलावा और कोई दूसरा रास्ता बचा नहीं है.’’ अमित ने विशाल से मदद करने की रिक्वेस्ट की.
”जो करना है तुझे करना है, मैं तो तेरे साथ परछाई बन कर खड़ा रहूंगा. अब तू ही बता, उसे कैसे रास्ते से हटाएगा.’’ विशाल ने अमित के सवाल का जवाब सवाल में दिया.
”देख भाई, इस में कोई शक नहीं, आज भी पूजा मुझ से उतना ही प्यार करती है जितना कल करती थी. लेकिन यह सच है कि उस के यकीन का बांध थोड़ा डगमगा सा गया है, पर कोई बात नहीं. मैं उसे विश्वास में ले कर मजबूती से अपने प्यार के धागे से बांधने की कोशिश करूंगा. जब उसे मुझ पर पक्का यकीन हो जाएगा कि अमित मिस्टर फ्लर्ट नहीं रहा, वह सचमुच बदल गया है, तब मैं अपनी चाल चल दूंगा यानी उसे खलास कर दूंगा.’’ उत्साहित हो कर विशाल ने अपना प्लान समझाया.
”कह तो ठीक ही रहा है, लेकिन पूजा तेरी बातों पर यकीन करेगी, इस की गारंटी क्या है?’’
”वह तू मुझ पर छोड़ दो, मैं जानता हूं उसे कैसे यकीन दिलाना है. अब आगे सुन.’’
”बोल, सुन रहा हूं मैं.’’
”मेरा प्लान यह है कि उसे मौत के घाट उतारने के बाद लाश बोरे में भर सूटकेस में डाल कर किसी ऐसी जगह फेंक देंगे, जहां उस के फरिश्ते भी नहीं पहुंच पाएंगे.’’
20 वर्षीया पूजा कुमारी अमित के बगल वाले कमरे में किराए पर रहती थी. यहीं रह कर वह नर्सिंग की पढ़ाई करती थी. ये दोनों कालेज के दिनों से एकदूसरे को जानते थे. पहले दोनों के बीच में दोस्ती थी. दोस्ती ने कब उन के बीच प्यार का रूप ले लिया था, उन्हें पता नहीं चला.
धीरेधीरे 4 साल हो गए थे उन के प्यार को. पूजा के फेमिली वालों को बेटी के प्यार वाली बात पता चल चुकी थी. वे उसे अमित से मिलने से मना करते थे, लेकिन अमित के प्यार में अंधी और बहरी पूजा के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती थी.
पेरेंट्स की बातों का उस पर कोई असर नहीं हो रहा था. यहां तक कि उस ने अपना जीवनसाथी बनाने का फैसला कर लिया था. बेटी जब फेमिली वालों की बातें सुनने के लिए तैयार नहीं हुई तो उन्होंने उसे उस के हाल पर छोड़ दिया. पूजा यह नहीं जानती थी कि जिस प्यार के लिए वह अपनी फेमिली से बगावत पर उतर चुकी थी, जिस प्यार के लिए जेठ के महीने की तपती धूप में सावन की हरियाली देख रही थी, वह उस का आशिक नहीं, रसिकलाल है.
पूजा की हत्या करने के परफैक्ट प्लान को अमित ने पहले ही अंतिम रूप दे दिया था. बाजार से एक धारदार चापड़, जूट वाली 2 बड़ी बोरियां और लाश को ठिकाने लगाने के लिए एक बड़े साइज का नया मैरून कलर का सूटकेस खरीद कर कमरे में ला कर उसे तख्त के नीचे छिपा दिया, ताकि किसी को उस पर कोई संदेह न हो. उस ने जब पूरी तैयारी कर ली तो पूजा को उस के मोबाइल फोन पर काल की और घडिय़ाली आंसू बहाते हुए माफी मांगने का नाटक किया, ताकि उस का खतरनाक मकसद पूरा हो जाए, ”हैलो पूजा, मेरी पूरी बात सुने बगैर फोन मत काटना, प्लीज.’’
फोन पर अमित गिड़गिड़ाया. वह आगे कुछ और कहता, उस की बात सुने बगैर पूजा ने काल डिसकनेक्ट कर दी और अपने कामों में लगी रही. उस समय सुबह के साढ़े 10 बज रहे थे. पूजा अमित की बेवफाई और धोखेबाजी को भुला नहीं पाई थी. कैसे उस ने धोखा दिया था. वह कभी उस की बातों पर शायद यकीन नहीं करेगी, यही अमित सोच रहा था, लेकिन अमित अपनी योजना पर यूं ही पानी फिरने नहीं देना चाहता था. किसी भी हद तक जा कर पूजा को मनाने की अपनी जिद पर अड़ा रहा और 10-10 मिनट के अंतराल पर करीब 8 बार उसे फोन किया.
बारबार काल आने से पूजा परेशान हो गई थी. वह उस से बात करना नहीं चाहती थी. परेशान हो कर उसने काल रिसीव किया आर उसे झाड़ते हुए कहा, ”बारबार क्यों काल कर के मुझे परेशान कर रहे हो? जबकि मुझे तुम से कोई बात नहीं करनी है.’’
”मैं जानता हूं कि तुम मुझ से बहुत नाराज हो, ऐसा काम ही मैं ने किया है, लेकिन मैं उस के लिए तुम से सौरी बोलता हूं. बस, एक बार मेरी पूरी बात सुन लो, फिर तुम्हें जो सही लगे वो करना. तब मैं तुम्हें कभी न ही रोकूंगा और न ही टोकूंगा, बस एक बार मेरी बात सुन लो, प्लीज.’’
अमित ने मीठी और चिकनीचुपड़ी बातों का ऐसा तीर फेंका, जो सीधा उस के दिल के पार हो गया और एक पल के लिए पूजा विचलित हो गई थी.
न चाहते हुए भी उस ने उस की बातों को दिल पर लेते हुए कहा, ”यह मत समझना कि मैं ने तुम्हें माफ कर दिया.’’ एक लंबीगहरी सांस लेती हुई फिर आगे बोली, ”बताओ, क्या कहना चाहते हो?’’
”बात कुछ ऐसी है, जो मैं फोन पर नहीं कह सकता, एक बार आ कर मिल लो तो सारी बातें क्लीयर हो जाएंगी.’’ अमित अपने होंठों पर जहरीली मुसकान लिए बोला.
”ठीक है, तुम इतना जिद कर ही रहे हो तो तुम से मिलना ही पड़ेगा.’’ पूजा ने जवाब दिया तो अमित की आंखों में शैतानी चमक जाग उठी. मतलब उस ने अंधेरे में जो तीर चलाया था, वह ठीक निशाने पर जा कर लगा था.
पूजा के मुंह से हां सुन कर अमित की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था. दूसरी तरफ किसी अनहोनी से बेखबर पूजा अमित के किए को भुला कर उस से मिलने के लिए तैयार हो गई थी. उसी ने फोन पर 3 दिनों बाद यानी 17 जून, 2025 को मिलने के लिए कही. पूजा ने प्रेमी अमित से मिलने का वायदा कर दिया था. फेमिली वालों ने उस के घर से बाहर जाने पर सख्त पाबंदी लगा दी थी. यह कदम उन्होंने तब उठाया था, जब अमित के साथ उन्हें बेटी के अफेयर की जानकारी हुई थी.
बात 17 जून की है. पूजा जानती थी फेमिली वाले उसे आसानी से घर से बाहर अकेले निकलने नहीं देंगे. तब उस ने इस का एक आसान सा रास्ता निकाला. फेमिली वालों से उस ने झूठ बोला कि कल यानी 18 जून को उस की नर्सिंग की परीक्षा है, उस की ड्रेस कमरे पर है, बगैर ड्रेस के कालेज में एंट्री नहीं मिलेगी. उसे लेने कमरे पर जा रही है. फेमिली वालों ने पूजा की बातों पर यकीन कर लिया और उसे घर से अकेले जाने की परमिशन दे दी. जातेजाते उसे सख्त हिदायत भी दी कि ड्रेस ले कर जल्द से जल्द घर वापस लौट आना, वरना कभी घर से बाहर निकलने नहीं देंगे.
उस समय सुबह के करीब साढ़े 10 बज रहे थे. पूजा अपना मोबाइल साथ में ले कर निकली और फेमिली वालों को यकीन दिलाया था कि वह जल्दी घर वापस लौट आएगी. दोपहर करीब डेढ़ बजे पूजा अपने कमरे पर पहुंची, जहां अमित उस के आने का बेसब्री से इंतजार कर रहा था. उस ने पूजा को आते हुए जैसे देखा तो उस के चेहरे पर एक कुटिल मुसकान थिरक उठी. उस वक्त कमरे में पूजा और अमित के सिवाय कोई और नहीं था. मकान मालिक विजय कुशवाहा भी ड्यूटी जा चुका था.
धूप की तपन से जली और थकी हुई पूजा कमरे में पहुंची तो उस के आवभगत में अमित जुट गया था. चाय और नाश्ता कर के जब दोनों फारिग हुए तो अमित पूजा की ओर मुखातिब हुआ और अपनी बातों में उलझा कर बड़ी चालाकी से उस का मोबाइल फोन स्विच औफ कर दिया. इस के बाद उस ने कहा, ”मुझे माफ कर दो पूजा. मैं तुम्हारा गुनहगार हूं. मैं ने तुम्हें धोखा दिया, फिर भी तुम मेरी बात सुन कर मुझ से मिलने आ गई. मैं कैसे बताऊं कि मैं कितना खुश हूं. हनुमान होता तो सीना चीर कर दिखा देता कि किस कदर तुम्हारी तसवीर अपने दिल में बसा रखी है.’’
”ठीक है अमित. बीती बातों को कुरेद कर जख्मों को हरा मत करो तो ही अच्छा होगा.’’ पूजा तड़प कर बोली, ”बड़ी मुश्किल से मैं उन बातों भुला पाई हूं और घर वालों से झूठ बोल कर यहां तक आई हूं. मुझे घर जल्दी पहुंचना भी है. जो बात हो फटाफट बताओ.’’
”इतनी जल्दी भी क्या है. अभी तो आई हो, अभी जाने की बात कर रही हो, इस का मतलब तुम ने मुझे माफ नहीं किया है.’’
”नहीं…नहीं…ऐसी बात नहीं है. मैं ने तुम्हें माफ नहीं किया होता तो यहां आती नहीं. बस मम्मीपापा तुम्हारे खिलाफ हैं. उन्हें पता न चले इसीलिए जल्द घर पहुंचना है, वरना वो मुझे कभी घर से बाहर निकलने नहीं देंगे.’’
”ठीक है, जब तुम इतनी जिद कर रही हो तो थोड़ी देर बाद चली जाना, रोकूंगा नहीं मैं. बस, तुम ने मेरी बात का मान रख लिया और मुझे माफ कर दिया तो समझो मेरे सीने से एक बड़ा बोझ उतर गया.’’
जिस पल का अमित को बेसब्री से इंतजार था, वह समय आ गया था. अमित ने अपनी भावनाओं के भंवर में पूजा को पूरी तरह से उतार लिया था. पूजा से बात करतेकरते वह तख्त के नीचे झुका और चुपके से धारदार चापड़ निकाला. उस के हाथ में चापड़ देख कर पूजा डर गई तो अमित के चेहरे पर शैतानियत साफ झलकने लगी थी. गुस्से से उस की आंखें लाल हो गईं और जबड़ा भिंच गया था. पूरी तरह दैत्य दिख रहा था वह. पूजा समझ गई थी कि अमित ने उसे धोखा दिया है.
पूजा कुछ कर पाती, इस से पहले ही अमित ने चापड़ से उस की गरदन पर जोरदार प्रहार किया. एक ही प्रहार से पूजा की गरदन धड़ से कट कर लटक गई और वह फर्श पर गिर कर अपने ही खून में लथपथ हो कर छटपटाने लगी. उसे छटपटाता देख अमित ने नफरत भरी हुंकार ली और होंठों पर बुदबुदाया, ”चली थी हरामजादी मेरा करिअर बरबाद करने, मुझे नंगा करने. अब ऊपर जा कर मेरे नाम की माला जपना. हुंह..’’
पूजा की हत्या करने के बाद अमित जब होश में आया तो उस की आखों के सामने जेल की सलाखें नजर आने लगी थीं. फटाफट उस ने लाश को बोरी में भरी और पूजा के मोबाइल को उसी बोरी में डाल दिया, ताकि कोई सबूत न बचे और पुलिस किसी कीमत पर उस तक न पहुंच सके. लाश बोरी में भरने के बाद उस ने लाल सूटकेस में बोरी को डाल कर अच्छी तरह बंद कर दिया. फिर फर्श पर फैले खून को साफ कर दिया. इस के बाद उस ने वाशरूम में जा कर अपने शरीर और कपड़ों को अच्छी तरह साफ किया. यह सब करतेकरते शाम के 5 बज गए थे.
सारी तैयारी करने के बाद उस ने विशाल को फोन कर के उस की कार मांगी. विशाल के पास उस के पापा की कार थी. उस ने कह भी रखा था कि जब भी कहीं घूमने जाना हो तो वह उस की कार बेझिझक ले जा सकता है. लेकिन विशाल के फेमिली वालों ने उसे कार देने से साफतौर पर मना कर दिया. इस से उस की योजना पर पानी फिर गया. समझ नहीं पा रहा था कि अब वह लाश का क्या करे. वह डरने लगा कि लाश ठिकाने नहीं लगाई तो वह बुरी तरह फंस सकता था. जब कुछ समझ नहीं आया तो शहर के बाहर स्थित नाला याद आया. उसी नाले में लाश को ठिकाने लगाने की योजना बनाई.
जब उस बिल्डिंग के सभी लोग सो गए तो अमित दबे पांव अपने कमरे से बाहर निकला. घर का मुख्य दरवाजा आहिस्ता से खोला और चुपके से बाहर निकल गया. उस समय रात के करीब 11 बज रहे थे. फिर वह भाड़े पर एक टोटो (टैंपो) ले आया और सूटकेस को उस में रख दिया. टोटो चालक से शहर से बाहर की ओर चलने को कहा. वह जब बड़े नाले के पास पहुंचा तो उस ने टोटो वहीं रोकवा दिया और सूटकेस ले कर उतर गया. टोटो वाले को तय भाड़े से कुछ ज्यादा पैसे दे कर उसे छोड़ दिया. ज्यादा पैसे पा कर टोटो चालक बहुत खुश हुआ और दूसरी ओर चला गया.
चारों ओर गहरा सन्नाटा पसरा हुआ था. अमित ने इधरउधर चारों ओर देखा. वहां कोई आजा नहीं रहा था. जल्दीजल्दी उस ने सूटकेस खोला और बोरे में भरी लाश बाहर निकाली और बोरी कंधे पर उठा कर नाले में फेंक दी. सूटकेस वहीं सड़क पर ही छोड़ दिया था. फिर वहां से कमरे में आ कर सो गया, ताकि किसी को उस पर कोई शक न हो. इधर पूजा के फेमिली वाले उस के देर शाम तक घर वापस न लौटने पर परेशान हो गए थे. उस ने घर से निकलते वक्त उन से दोपहर तक वापस लौट आने को कहा था, लेकिन शाम के 6 बजे तक जब वह घर नहीं लौटी तो फेमिली वाले जवान बेटी को ले कर काफी परेशान थे.
उन के माथे पर चिंता की लकीरें तब और उभरी थीं, जब उस का मोबाइल लगातार स्विच्ड औफ आ रहा था. अपनी तरफ से उन्होंने हर जानपहचान वालों के पास फोन कर के पूछा, लेकिन उस का कहीं भी पता नहीं चला. सभी ने एक ही जवाब दिया था कि वह हमारे यहां नहीं आई थी. रात जैसेतैसे फेमिली वालों की आंखों में कटी. सुबह होते ही वे गांव के कुछ लोगों को ले कर अस्थावा थाने पहुंच गए. उस समय थाने के औफिस में हैडकांस्टेबल दयाराम मौजूद थे. पूजा के पापा संजय कुमार ने बताया कि उन की बेटी कल सुबह शहर गई थी, लेकिन अभी तक वह घर नहीं लौटी है. उस का मोबाइल फोन भी लगातार बंद आ रहा है.
हैडकांस्टेबल दयाराम ने यह बात एसएचओ सुशील कुमार को दी. इस के बाद संजय कुमार ने एसएचओ को बेटी पूजा के घर न लौटने की पूरी बात बता दी. तब एसएचओ ने पूजा की गुमशुदगी दर्ज करने के बाद आगे की काररवाई शुरू कर दी. एसएचओ सुशील ने संजय कुमार से किसी पर शक होने की बात पूछी तो उन्होंने बेटी के प्रेमी अमित पर शक जताया और पूरी बात विस्तार से बताई. पुलिस ने उस का मोबाइल नंबर ले कर जांच की तो संजय की बात सच निकली.
जांच में पता चला कि 17 जून, 2025 को सुबह के समय पूजा से अमित की आखिरी बार बात हुई थी और दोपहर बाद पूजा का फोन स्विच्ड औफ हो गया था. इस के बाद एक पुलिस टीम अमित की तलाश में भेज दी. वह कागजी मोहल्ले में स्थित अपने कमरे पर मिल गया. उसे हिरासत में ले कर पुलिस टीम थाने लौट आई. उस से सख्ती से पूछताछ शुरू की तो जल्द ही पुलिस के सामने उस ने घुटने टेक दिए और पूजा की हत्या का जुर्म आसानी से स्वीकार कर लिया.
एसएचओ ने यह जानकारी डीएसपी नुरुलहक को दी तो वह भी थाने में आ गए. डीएसपी ने भी पूजा की हत्या के बारे में कई सवाल किए. तब अमित ने घटना के बारे में तफसील से सारी जानकारी दे दी और जिस नाले में पूजा की लाश फेंकी थी, वहां ले कर गया. उस की निशानदेही पर पुलिस ने नाले में से मृतका की लाश बरामद कर उसे पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया. आरोपी अमित की निशानदेही पर उस के कमरे से हत्या में प्रयुक्त धारदार चापड़ और खून सने कपड़े बरामद कर लिए. जिस सूटकेस में लाश भर कर ले गया था, वह वहां नहीं मिला. उस टोटो (टैंपो) वाले की तलाश में जुटी थी, जिस में लाश ले कर वह गया था. पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में पूजा कुमारी के मर्डर के पीछे की जो सस्पेंस स्टोरी सामने आई, इस प्रकार निकली—
बिहार के नालंदा जिले के ओडा गांव के मूल निवासी संजय कुमार सरकारी प्राइमरी स्कूल के टीचर हैं. कुल 5 सदस्यों वाला उन का भरापूरा परिवार था, जिन में पतिपत्नी के अलावा 3 बेटियां थीं. 19 वर्षीय पूजा सब से बड़ी और समझदार थी. देखने में वह साधारण शक्लसूरत की थी, लेकिन उस की बोली में जैसे मिश्री घुली हुई थी. अपनी बातों से वह अपरिचितों को भी अपनी ओर खींच लेती थी. वह पढऩे में भी अव्वल थी. पढ़लिख कर वह डाक्टर बनना चाहती थी. जब वह डाक्टरों को सफेद पोशाक में देखती थी तो उस का रोमरोम खिल उठता था. वह यही सोचती थी कि एक दिन उस के भी बदन पर यह पोशाक झलकेगी.
बात साल 2022 के आसपास की है. हंसमुख और चंचल स्वभाव वाली पूजा जिस स्कूल में पढ़ती थी, उसी स्कूल में अमित भी पढ़ता था. पूजा 10वीं कक्षा की छात्रा थी. तब उस की उम्र 16 साल के आसपास रही होगी. उस समय 18 वर्षीय अमित भी इंटरमीडिएट में पढ़ रहा था. दोनों किशोरावस्था से जवानी की दहलीज की ओर कदम बढ़ा रहे थे. दोनों ही पैदल एक ही रास्ते से हो कर स्कूल जातेआते थे. अमित इसी नालंदा जिले के शेखपुरा गांव का रहने वाला था. 4 भाईबहनों में वह दूसरे नंबर पर था. उस के पापा रामबरन कुमार एक किसान थे.
खैर, उम्र के जिस पड़ाव पर पूजा और अमित खड़े थे, उस दौरान कइयों के कदम बहकने लगते थे. ऐसे में पूजा और अमित कहां अछूते रहने वाले थे यानी उन के भी कदम बहकने लगे थे. स्कूल से घर आतेजाते दोनों एकदूसरे को दिल दे बैठे. धीरेधीरे उन का प्यार समय के रथ पर सवार हो कर आगे बढ़ता रहा. बड़़े जतन से दोनों 3 सालों तक अपने प्यार को परदे के पीछे छिपाने में कामयाब रहे. आखिरकार बेटी पूजा की करतूतों की सच्चाई उस के पापा संजय कुमार के कानों तक पहुंची तो उन के पैरों तले की जमीन खिसक गई. वह आगबबूला हो उठे. उन्होंने बेटी को खूब खरीखोटी सुनाई और पत्नी को भी आड़ेहाथों लिया. उन्होंने पूजा का घर से निकलना बंद कर दिया.
पूजा ने थोड़ी चालाकी और समझदारी से काम लिया. उस ने फेमिली वालों के सामने पैंतरा खेला और झूठ बोलते हुए मम्मी से कहा, ”मम्मी, मुझ से गलती हो गई थी. इस गलती के लिए सब से माफी मांग रही हूं. मुझे माफ कर दो. अमित से अब मैं कभी नहीं मिलूंगी और न बात करूंगी.’’
बेटी की बातों पर फेमिली वालों को विश्वास हो गया और उन्होंने उसे माफ कर दिया. फिर अपना ध्यान उस की ओर से हटा लिया. पूजा यही चाहती थी. फेमिली वालों की तरफ से पूजा एक तरह से आजाद हो गई थी. अब कोई रोकटोक करने वाला नहीं था. इंटरमीडियट पास करने के बाद उस ने मैडिकल कालेज में दाखिला लिया और एएनएम की पढ़ाई शुरू की. वहीं दूसरी ओर अमित प्राइवेट जौब करते हुए बीएड की पढ़ाई कर रहा था. उस ने कागजी कालोनी में विजय कुशवाहा के मकान में एक किराए का कमरा ले लिया था. चूंकि पूजा को गांव से शहर आ कर क्लास लेने आने में बहुत दिक्कत उठानी पड़ती थी तो पापा से परमिशन ले कर अमित के बगल में किराए का एक कमरा ले कर रहने लगी.
पेरेंट्स की नजरों में पूजा ने यह साबित कर दिया था कि अब अमित से उस का कोई संबंध नहीं है और न ही उस से कभी मिलती है. जबकि हकीकत में मामला इस के विपरीत था. अब दोनों खुल्लमखुल्ला आपस में मिलते थे और टूट कर एकदूसरे से प्यार करते थे. धीरेधीरे यह बात फिर से संजय कुमार को पता चल गई तो उन के दिल को बहुत ठेस पहुंचा और बेटी को वापस घर बुलाया और समाज के ऊंचनीच रीतिरिवाजों को समझाया. संजय कुमार एक सुलझे हुए इंसान थे. उन्होंने बेटी को अपने पास बैठा कर समझाया कि वह अपने करिअर पर ध्यान दे, समय आने पर अच्छा घरवर देख कर धूमधाम से उस की शादी कर देंगे.
इस पर पूजा ने खुले शब्दों में जबाव दिया कि वह अमित से प्यार करती है उसी से शादी करेगी. चाहे जो हो जाए, वह अपने फैसले पर अडिग है और कोई भी कुरबानी देने के लिए तैयार है. फेमिली वालों ने पूजा को बहुत समझाया, लेकिन उस पर कोई असर नहीं हुआ तो वो चुप हो गए, मगर विचलित नहीं हुए. आखिरकार संजय कुमार को भी बेटी की जिद के सामने झुकना पड़ा, लेकिन कोई फैसला लेने से पहले वह अमित के बारे में खूब जांचपरख लेना चाहते थे. आखिर बेटी के जीवन का सवाल था. इस बात को उन्होंने सिर्फ अपने तक ही सीमित रखा था.
संजय ने अमित के बारे में पड़ताल शुरू की तो वह हैरान रह गए. जानकारी मिली कि कई लड़कियों के साथ अमित के संबंध हैं. उस आवारा ने कंचन नाम की एक लड़की का जीवन बरबाद कर दिया था. यह बात महीनों तक सुर्खियों में छाई रही. अमित की यह सच्चाई सामने आने के बाद संजय ने बेटी का रिश्ता अमित से जोडऩे का अपना इरादा बदल दिया. और फिर बेटी के सामने उस के प्रेमी की कलई खोल दी. पापा के मुुंह से अमित की सच्चाई सुन कर पूजा को धक्का लगा था.
पूजा ने सपने में भी कभी नहीं सोचा होगा कि जिस अमित से वह अंधा प्यार करती थी, जिस के लिए अपनी फेमिली से बगावत पर उतर आई थी, वह इतना बड़ा दगाबाज निकलेगा. उस के सारे सपने चूर हो गए थे. उस दिन के बाद से पूजा ने अमित से बात करनी बंद कर दी थी. उसे देखते ही अपना रास्ता बदल लेती थी. उसे उस से नफरत हो गई थी. पूजा अमित से इतनी नफरत करने लगी थी कि उस की शक्ल तक नहीं देखना चाहती थी. उस ने अमित को किसी माध्यम से संदेश भिजवाया था कि जैसे उस ने उस की जिंदगी के साथ खेला है, उसे धोखा दे कर खून के आंसू रुलाया है, वह भी उसी तरह उस की जिंदगी तबाह और बरबाद कर के दम लेगी. किसी कीमत पर उसे नहीं छोड़ेगी.
आखिर अमित को पता चल ही गया था कि पूजा को उस के और लड़कियों के साथ चक्कर वाली बात पता चल गई थी, इसलिए उस ने उस से दूरी बना ली. वह यह भी जानता था कि पूजा बहुत जिद्दी किस्म की है, एक बार जो ठान लेती है, उसे पूरा कर के ही दम लेती है. अमित को लगने लगा कि पूजा उस के भविष्य के लिए खतरा बन सकती है. इस से पहले कि वह उस के लिए खतरा बने, इस खतरे को मिटा देगा. उसे जान से मार देगा. न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी. इस के बाद अमित पूजा को मनाने में लग गया. आखिरकार अमित ने अपनी खतरनाक साजिश में फांसने के बाद 17 जून, 2025 को पूजा की हत्या कर दी.
पूजा की हत्या करने के बाद वह भी कानून के लंबे हाथों से बच नहीं सका और अपने असल ठिकाने तक पहुंच गया. पुलिस आरोपी अमित कुमार को गिरफ्तार कर उस की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त धारदार चापड़, फर्श पर फैले खून को साफ करने वाला कपड़ा बरामद कर उसे साक्ष्य के तौर पर अपने पास सुरक्षित कर लिया. मौके से गायब सूटकेस 2 दिन बाद उसी जगह से बरामद हो गया था, जहां से गायब हुआ था. जिस टोटो (टैंपो) से लाश ले जाई गई थी, 10 दिनों बाद उसे भी पुलिस ने जब्त कर लिया. Bihar Crime News