Salakaar Web Series : फारुक कबीर द्वारा निर्देशित वेब सीरीज ‘सलाकार’ में 2 ऐसी जंगों की कहानी है, जिस में भारतीय जासूसों की मदद से पाकिस्तान को बिना किसी हथियार के मात दी गई है. 1978 में पाकिस्तान द्वारा परमाणु बम बनाने की कोशिश भारतीय जासूसों द्वारा इस तरह फेल कर दी जाती है कि…
निर्माता: संजोय बाधवा, निर्देशक: फारुक कबीर, लेखक: फारुक कबीर, श्रीनिवास अबरोल, स्पंदन मिश्रा, स्वाति त्रिपाठी ओटीटी: जियो हौटस्टार
कलाकार: नवीन कस्तूरिया, मुकेश ऋषि, मौनी राय, सूर्य शर्मा, पुरेंद्र भट्टाचार्य, कुलदीप सरीन, खुशी सिंह, मुकेश चौधरी, रोहित तिवारी, अस्वथ भट्ट, सागर मल्होत्रा, जाह्नïवी हरिदास, स्पंदन मिश्रा, अलेक्स विश्नोई, आसिफ अली बेग, अरबाज अफजल, पुष्कर राज, आनंद सलीम हुसैन मुल्ला, काजिम पवासकर, काजिम हाजी आदि.
जासूसी वेब सीरीज ‘सलाकार’ जियो हौटस्टार पर रिलीज हुई है. दरअसल, इस वेब सीरीज की कहानी 2 समय सीमाओं में बंटी हुई है. वर्ष 1978 में भारत का ‘रा’ एजेंट अधीर दयाल (नवीन कस्तूरिया) पाकिस्तान के गुप्त परमाणु संयंत्र को नाकाम करने का मिशन पूरा करता है, जबकि वर्ष 2025 में जनरल जियाउल हक (मुकेश ऋषि) का पोता कर्नल अशफाक उल्लाह (सूर्य शर्मा) अपने दादा के सपने को पूरा करने के लिए फिर से एक नई साजिश रचता है.
इस नई साजिश को रोकने के लिए इस मिशन की देखरेख कर रहा भारत का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार पुरेंद्र भट्टाचार्य (पुर्णेंदु शर्मा) अपनी खास एजेंट मरियम (मौनी राय) को एक खास मिशन के तहत पाकिस्तान भेजता है. कहानी की शुरुआत भारत की एजेंट मरियम से होती है, जो पाकिस्तान में ‘रा’ एजेंट के रूप में कार्य कर रही है. मरियम पाकिस्तानी कर्नल अशफाक उल्लाह के साथ गहरे रिश्ते में है. इसी बीच मरियम के हाथ कुछ अहम गोपनीय फाइलें लग जाती हैं, जिन से पता चलता है कि पाकिस्तान भारत के खिलाफ एक बड़ी साजिश रचने की तैयारी में है.
मरियम द्वारा भेजी गई जानकारी से ‘रा’ को पता चलता है कि पाकिस्तान एक परमाणु परियोजना पर काम कर रहा है और भारत को तबाह करने की फिराक में है, ऐसे में जब यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी के प्रमुख तक पहुंचता है तो देखने लायक होता है कि वह इस गंभीर समस्या को कैसे सुलझाते हैं. भारत सरकार को डर है कि अगर पाकिस्तान ने परमाणु बम बना लिया तो जियाउल हक उस का सीधा इस्तेमाल भारत पर ही करेगा, जिस का मुकाबला करने की ताकत भारत में नहीं है. बेहतर यही होगा कि पाकिस्तान को परमाणु बम बनाने ही न दिया जाए.
पाकिस्तान के न्यूक्लियर प्लान में पलीता लगाने के लिए ‘आईबी’ के जासूस अधीर दयाल (कोडनेम- सलाकार) को भारतीय उच्चायोग का अधिकारी बना कर भेजा जाता है, जहां पर वह पहले से ही मौजूद भारतीय जासूसों की मदद से न्यूक्लियर प्लांट का पता लगा कर उसे तबाह करता है.
अब 2025 में जियाउल हक का पोता जो पाकिस्तानी आर्मी में कर्नल है, अपने दादा के अधूरे सपने को पूरा करने में जुटा हुआ है. अब देश के रक्षा सलाहकार बन चुके अधीर दयाल के सामने एक बार फिर पाकिस्तान के न्यूक्लियर सपने को तोडऩे और अपनी जासूस सृष्टि चतुर्वेदी (मौनी राय) को पाकिस्तान से सुरक्षित निकालने की जिम्मेदारी है. इस वेब सीरीज में 5 एपिसोड हैं, जिन की अवधि 30 से 40 मिनट की है.
एपिसोड नंबर 1
वेब सीरीज के पहले एपिसोड का नाम ‘राष्ट्रीय सुरक्षा सलाकार’ रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत में वर्ष 2025 पाकिस्तान के ऐबटाबाद को दिखाया गया है, जहां पर एक कब्रिस्तान में गाडिय़ों के बड़े काफिले के साथ पाकिस्तानी फौज का कर्नल अशफाक उल्लाह (सूर्य शर्मा) फिल्मी स्टाइल में कार से उतरता है. वहां पर इंगलैंड का एक कर्नल अशफाक को ‘प्रोजेक्ट कहूटा’ की एक महत्त्वपूर्ण फाइल सौंपता था. फाइल देख कर कर्नल अशफाक उसे अपने एक सूटकेस में पैक कर लेता है.

उस के बाद क्रिकेट की कमेंट्री सुनते हुए कर्नल अशफाक क्रिकेट के बैट से विदेशी के कान पर मार कर उस की हत्या कर देता है. उस के बाद कर्नल अशफाक वहां पर कब्रिस्तान के आदमी को उस विदेशी को कब्र ने दफन करने का आदेश देता है. फिर कर्नल अशफाक अपनी फौजी गाड़ी से सीधे अपने आर्मी के घर पर पहुंचता है, जहां पर उस के बेटे जोरावर (अलेक्स विश्नोई) को उस की ट्यूशन टीचर मरियम (मौनी राय) पढ़ा रही होती है. जोरावर अपने पिता कर्नल अशफाक से अपनी ट्यूशन टीचर की बहुत तारीफ करता है, तभी जोरावर का एक दोस्त जोरावर को क्रिकेट खेलने बुलाने आ जाता है.
जोरावर के जाते ही कर्नल अशफाक मरियम को गोद में उठा कर उस से प्यार का इजहार कर के अपने बैड पर ले जाता है. दोनों सैक्स करने के बाद सिगरेट पीने लगते हैं, तब अशफाक मरियम से कहता है कि हमारी बीवी में न तो हुनर है, न ही कशिश.
मरियम उस से कहती है कि आप मायूस न हों, मैं आप से बहुत प्यार करती हूं और करती ही रहूंगी. उन दोनों की बातचीत को कमरे के बाहर कर्नल अशफाक की पत्नी सुन लेती है, कुछ देर के बाद दरवाजे पर दस्तक होती है. अशफाक जल्दी से कपड़े पहन कर बाहर जाता है तो उस का आर्मी का आदमी उसे बताता है कि सब काम हो चुके हैं कि आप लव से बात कर लीजिए. अशफाक फोन पर बात करने लग जाता है कि कर्नल अशफाक की अनुपस्थिति का फायदा उठा कर मरियम सूटकेस खोल कर उस में से प्रोजैक्ट कहूटा की फाइल निकाल कर अपने चश्मे के कैमरे से पूरी फाइल की तसवीरें ले लेती है.
असल में मरियम का असली नाम सृष्टि चतुर्वेदी (मौनी राय) है, जोकि भारत की एक टौप ‘रा’ एजेंट है. सृष्टि चतुर्वेदी को पाकिस्तान में एक टीचर बना कर एक विशेष योजना के तहत पाकिस्तानी कर्नल अशफाक से नजदीकियां बनाते हुए उस की जासूसी करने का महत्त्वपूर्ण काम सौंपा गया है. सृष्टि उर्फ मरियम अब अपने घर में पहुंच कर सारी फाइल दिल्ली के ‘रा’ औफिस को भेज देती है. दिल्ली के ‘रा’ औफिस में जब उस फाइल को खोला जाता है तो उस का लिंक 1978 में बनी एक फाइल से मिलता है, लेकिन उस फाइल को खोलने का अधिकार ‘रा’ औफिस को नहीं है. ‘रा’ अधिकारी यह बात अपने चीफ परेश पारुलकर (रोहित तिवारी) को बताता है कि इस फाइल को खोलने का अधिकार केवल प्रधानमंत्री और एनएसए प्रमुख को है.
उस के बाद ‘रा’ चीफ परेश सीधे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (पुर्णेंदु भट्टाचार्य) के पास जा कर उन्हें बताते हैं कि प्रोजैक्ट कहूटा की यह फाइल हमें सृष्टि चतुर्वेदी ने पाकिस्तान से भेजी है, जोकि हमारी वहां पर ‘रा’ एजेंट है. एनएसए प्रमुख बताते हैं कि यह फाइल सन 1978 में उन्होंने ही तैयार की थी. अब स्टोरी 1978 के फ्लैशबैक में चली जाती है, जहां पर आईबी चीफ मेहरा (कुलदीप सरीन) इंडिया के प्रधानमंत्री एम. देसाई (शपूर ईरानी) को गोपनीय सूचना देते हैं कि पाकिस्तानी राष्ट्रपति जनरल जिया ने गुयाना के साइंटिस्ट डा. अय्यूब खान (होमियर सचिन वाला) को पाकिस्तान बुला लिया है और उन की मदद से वह जल्द परमाणु परीक्षण का काम करने में लगे हैं.
प्रधानमंत्री कहते हैं कि हमें इसे हर हाल में रोकना होगा, क्योंकि जनरल जिया खुद को इंसान नहीं बल्कि एक मसीहा मानता था. एक ऐसा मसीहा जो हर हाल में भारत की बरबादी करना चाहता था. आईबी चीफ मेहरा ‘रा’ के चीफ अधीर दयाल (नवीन कस्तूरिया) को पाकिस्तान भेजने की सलाह देते हैं. उस के बाद भारत सरकार की ओर से ‘रा’ के चीफ अधीर दयाल को पाकिस्तान के इस खतरनाक मंसूबे को रोकने के लिए पाकिस्तान में भारतीय उच्चायोग का स्पोट्र्स ऐंड कल्चरल सेके्रट्री के रूप में नियुक्ति पर भेज दिया जाता है. अधीर दयाल एक जासूस है, यह बात पाकिस्तान के भारतीय उच्चायोग में अधीर के बौस तक को मालूम नहीं थी.
अधीर अपने डिपार्टमेंट में काम कर रही ज्योति चतुर्वेदी (जाह्नïवी हरदास) को अपनी बहन मानने लगता है. ज्योति चतुर्वेदी यहां पर अकेली रहती थी, जबकि उस की बेटी सृष्टि और पति भारत में ही रह रहे थे. यहां पर ज्योति अधीर के बेटे भरत को भी पढ़ाई में मदद करती रहती है.
अगले दृश्य में अधीर अपने बेटे भरत को स्कूल से लाने जाता है, तभी वहां पर कुछ अफगानी आतंकी गोलीबारी शुरू कर एक बच्चे का किडनैप कर लेते हैं और उसे एक कार में ले जाने लगते हैं. अधीर भरत को एक सुरक्षित स्थान पर बिठा कर अपनी जान जोखिम में डाल कर उस बच्चे को बचा लेता है. इस गोलीबारी में एक गोली अधीर की बांह पर भी लग जाती है.

अगले दिन पाकिस्तानी राष्ट्रपति जनरल जिया (मुकेश ऋषि) सीधे भारतीय दूतावास में पहुंच कर अधीर दयाल का शुक्रिया अदा करता है और कहता है कि आज तुम ने मेरे पोते की जान बचा कर मुझ पर बहुत बड़ा अहसान किया है. इसलिए आज रात आप अपने बेटे भरत के साथ मेरे घर पर डिनर में आमंत्रित हैं. रात को अधीर अपने बेटे भरत के साथ जनरल जिया के घर पर डिनर पर जाता है तो जनरल जिया अधीर से कहता है कि अधीर तुम 1974 में पोखरण परमाणु परीक्षण में वहां पर सिक्युरिटी का काम बखूबी देख रहे थे. तुम जैसा काबिल औफिसर यहां एंबेसी में एक फालतू मंत्रालय में क्यों काम कर रहा है.
अधीर बताता है कि सर मुझे बदकिस्मती से घटिया किस्म के बौस मिलते रहे हैं. आज भी झेल रहा हूं. जनरल कहता है कि तुम्हारे देश वालों को अच्छे औफिसर की कद्र करनी आती ही नहीं, यदि तुम ने पाकिस्तान में जन्म लिया होता तो आज तुम हमारे सुरक्षा सलाहकार जरूर होते. घर पर आ कर अधीर दिल्ली आईबी चीफ को बताता है कि हमारी प्लानिंग सफल हो रही है सर. अब यहां पर यह भी पता चलता है कि जनरल जिया के पोते अशफाक पर हमला भी अधीर ने ही करवाया था, ताकि जनरल जिया के विश्वास को जीता जा सके.
अब कहानी वर्तमान में आ जाती है, जहां सुरक्षा सलाहकार परेश पारुलकर को बताते हैं कि केवल 15 साल की उम्र में ही अशफाक ने अपने दादा का नाम और घर छोड़ दिया था. वह आगे बताते हैं कि कर्नल अशफाक का असली नाम अशफाक जिया ही है. यानी कि जिया का पोता, यह वही बच्चा है जिस की 1978 में मैं ने जान बचाई थी. इसी के साथ पहला एपिसोड यहीं पर समाप्त हो जाता है.
पहले एपिसोड का विश्लेषण करें तो इस में नौटंकी कुछ ज्यादा ही प्रदर्शित की गई है. एपिसोड की शुरुआत में कर्नल अशफाक को इस तरह दिखाया गया है जैसे वह किसी शैंपू या सूट के विज्ञापन को करता हुआ सीधे कब्रिस्तान पहुंच गया है. उस के बाद क्रिकेट की कमेंट्री करते हुए क्रिकेट के बैट से वह एक विदेशों का खून भी कर देता है. यह सीन बनावटी सा लगता है.
उस के बाद सृष्टि चतुर्वेदी को ‘रा’ एजेंट के रूप में कर्नल अशफाक के साथ प्रेम संबंध बनाते दिखाया गया है. यह बात कहीं भी सत्य नहीं है, केवल निर्देशक ने अपनी वेब सीरीज की टीआरपी को बढ़ाने के लिए ऐसे दृश्य दिखाए हैं. इस के अलावा ‘रा’ प्रमुख को एक फाइल खोलने का अधिकार तक नहीं है, केवल प्रधानमंत्री या सुरक्षा सलाहकार को ही यह हक है. यह दृश्य भी कोरी कल्पना दिखाई दे रहा है. यदि इसे किसी दूसरे रूप में प्रस्तुत किया जाता तो स्टोरी में वास्तविकता आ सकती थी.
अभिनय की बात करें तो सभी कलाकार निर्देशक की कठपुतली बन कर इधरउधर नाचते दिखाई दे रहे हैं.
एपिसोड नंबर 2
दूसरे एपिसोड का नाम ‘सूरमा’ रखा गया है, एपिसोड की शुरुआत में अधीर अपनी दराज से ज्योति और अपने पुराने फोटो देख रहा है, जिस में ज्योति उसे राखी बांध रही है. वर्तमान में एनएसए प्रमुख सृष्टि चतुर्वेदी का पूरा प्रोफाइल चैक कर रहा है. अब स्टोरी 1978 के फ्लैशबैक में चली जाती है. अधीर अपने बेटे भरत के साथ ज्योति के घर पर खाना खा रहा होता है, तभी ज्योति के पति (संदीप गुलाटी) का दिल्ली से फोन आता है कि ज्योति का ट्रांसफर अब वापस इंडिया में हो गया है.
यह खबर सुन कर भरत कहता है कि अब मुझे घर पर कौन पढ़ाएगा. अधीर कहता है कि मैं पढ़ाऊंगा तुम्हें, तब भरत कहता है कि आप को आइडिया नहीं है पढ़ाने का, ठीक हमारे प्रोफेसर रहमत आगा (कारिम हाजी) की तरह जो बम तो फोड़ नहीं पाए, इसलिए आजकल बच्चों के सिर फोड़ रहे हैं. तब अधीर को अचानक याद आ जाता है कि प्रोफेसर रहमत आगा तो वही साइंटिस्ट है, जो पाकिस्तान में परमाणु बम बनाने वालों में शामिल रहा है.
घर पर आ कर अधीर दिल्ली मेहरा को फोन करता है तो मेहरा उसे कहता है अपने पोते पर गोली लगने के बाद से जनरल जिया हाई अलर्ट पर है. इसलिए जिया का शक तुम पर बढ़ जाए, इस से पहले तुम यह पता लगाओ कि पाकिस्तान में आखिर परमाणु बम कहां पर बन रहा है. दूसरे दिन सुबह अधीर अपना वेश इंगलैंड में रहने वाले जफर इकबाल के रूप में प्रोफेसर रहमत आगा को देता है. उस से वह पहले दोस्ती का नाटक करता है, उस के बाद प्रोफेसर रहमत उस से शराब की व्यवस्था कराने को कहता है तो अधीर उसे खूब शराब पिला कर परमाणु बम प्रोजेक्ट के बारे में खोदखोद कर पूछता है तो प्रोफेसर रहमत बता देता है कि परमाणु बम कहूटा में बन रहा है.
इस के बाद प्रोफेसर रहमत शराब के नशे से बेहोश हो जाता है. अपने घर पर आ कर अधीर कहूटा के बारे में सर्च करने लगता है, तभी दरवाजे की घंटी बजती है. अधीर अपना सारा सामान छिपा कर जब दरवाजा खोलता है तो बाहर ब्रिगेडियर मोहसिन आलम कुछ सुरक्षाकर्मियों के साथ बाहर खड़ा मिलता है.
ब्रिगेडियर मोहसिन कहता है कि तुम्हें अभी जनरल जिया ने अपने घर पर बुलाया है. अधीर अपने बेटे भरत को ज्योति चतुर्वेदी को सौंप कर ब्रिगेडियर उस्मान के साथ चला जाता है. जाते समय ब्रिगेडियर उस्मान ज्योति की ओर संदेह की दृष्टि से देखता है. उधर ज्योति भी अधीर को इतने सारे सुरक्षाकर्मियों के साथ ले जाता देख कर घबरा जाती है.
ब्रिगेडियर जनरल जिया के एक तहखाने के अंदर ले जाता है. अधीर देखता है कि वहां पर एक आदमी के हाथपैर बंधे हुए हैं, उस से जबरदस्त मारपीट की गई है. उस के शरीर और मुंह से खून बह रहा है. तभी ब्रिगेडियर मोहसिन उस कैदी के हाथ के अंगूठे को प्लास से उखाड़ देता है तो वह दर्द से चिल्ला उठता है. वहां पर जनरल जिया भी होता है जो सिगरेट पी रहा होता है.
जनरल जिया अधीर से पूछता है कि आप इसे पहचानते हैं. इसी आदमी ने हमारे पोते पर गोलियां चलवाई थीं. अधीर कहता है, सौरी जनरल, यह सब कुछ इतने जल्दी हुआ कि मैं बच्चे को बचाने में लग गया, इसलिए ठीक से पहचान नहीं सकता. उस के बाद जनरल जिया उस कैदी की गरदन उठा कर अधीर की ओर इशारा करते हुए पूछता है कि तुम मुझे यह बताओ कि तुम इस आदमी को क्या जानते या पहचानते हो? इस पर वह आदमी भी अधीर को पहचानने से इंकार कर देता है.
अब फ्लैशबैक में वह सीन दिखाया जाता है, जहां पर अधीर एक अफगानी का वेश बदल कर इसी घायल आदमी को पैसे और गोलियां देते हुए दिखाया गया है. क्योंकि अधीर अफगानी भाषा में बात करता है, इसलिए वर्तमान में यह घायल आदमी अधीर को पहचान नहीं पाता. उस के बाद जनरल जिया अधीर से कहता है कि तुम्हारे हिंदुस्तानी शायद इस बात को भूल गए कि मैं ने भी देहरादून के इंडियन मिलिट्री एकेडमी में 1943 में ट्रेनिंग ली थी. जिस हथियार से हमारे पोते पर हमला किया गया, वह राइफल तो रशियन है, मगर उस में प्रयोग की गई गोलियां हिंदुस्तानी हैं. मैं ने इन्हीं बुलेट से भारत में ट्रेनिंग ली थी.
अब अगला दृश्य वर्तमान में आ जाता है, जहां एनएसए चीफ परेश पारुलकर से कहती कि सृष्टि से बात करो कि कर्नल अशफाक को आखिर फंडिंग कौन कर रहा है, क्योंकि आज पाकिस्तान खुद फाइनैंशियल क्राइसेज से गुजर रहा है. एनएसए चीफ परेश से कहता है कि अब इस केस को मैं खुद हैंडल करूंगा. तुम मेरी सृष्टि से बात कराओ.
एनएसए चीफ सृष्टि से कहता है कि फिलहाल तुम यह पता लगाओ कि अशफाक को फंडिग कौन दे रहा है. तुम घबराओ मत, हम तुम्हें पाकिस्तान से सुरक्षित निकाल लेंगे. उस के बाद एनएसए चीफ परेश पारुलकर को बताता है कि मरियम उर्फ सृष्टि चतुर्वेदी मेरे लिए सिर्फ एक ‘रा’ एजेंट ही नहीं है, वह 1978 में पाकिस्तान में मेरी कलीग रही. ज्योति चतुर्वेदी की नातिन भी है, जो मेरे साथ जनरल जिया के परमाणु मिशन को रोकने के लिए शामिल रही थी. कर्नल अशफाक को सृष्टि चतुर्वेदी की असलियत का पता लगने से पहले ही हमें सृष्टि को पाकिस्तान से निकालना होगा.
अगले दृश्य में अशफाक मरियम उर्फ सृष्टि चतुर्वेदी के घर पर आता है और उस के सौंदर्य पर लट्टू हो जाता है, फिर वह मरियम से कहता है कि मेरे साथ चलो आप को कुछ नई चीज दिखाते हैं. मरियम कहती है कि अभी मेरी कालेज में क्लासेज हैं, मगर कर्नल अशफाक उसे अपनी गाड़ी में बिठा कर ले जाता है.
अब हम देखते हैं कि 3 सेम रंग की गाडिय़ों के काफिले में कर्नल अशफाक की गाड़ी बीच में चल रही है, जो कहीं दूर जंगल की ओर जा रही है. रास्ते में मरियम कर्नल अशफाक से पूछती है कि अशफाक आखिर आप मुझे इतनी दूर कहां पर ले कर जा रहे हैं. कर्नल अशफाक उस से कहता है कि सब्र करो मरियम, थोड़ी ही देर के बाद तुम्हें सब पता चल जाएगा. उस के कुछ बाद हम देखते हैं कि सफर के बीच में एक माइलस्टोन आता है, जिस पर कहूटा 369 किलोमीटर दूर दिखाया गया है. इसी के साथ यहीं पर दूसरा एपिसोड समाप्त हो जाता है.
दूसरे एपिसोड की बात करें तो इस में एक इतने बड़े साइंटिस्ट को जिस का इस्तेमाल पहले परमाणु बम को बनाने में किया गया हो, उसे वहां से निकाल कर बच्चों के स्कूल में विजिटिंग प्रोफेसर बना दिया गया है. जी हां, यहां पर साइंटिस्ट कम प्रोफेसर रहमत आगा की इतनी ज्यादा तौहीन की गई है, जिस से यह दृश्य नाटकीय लगता है. दूसरा प्रोफेसर रहमत आगा अधीर से कहता है कि जनरल जिया ने तो पाकिस्तान में शराब पर ही बैन लगा रखा है.
उस के बाद अधीर प्रोफेसर को एक ऐसे आलीशान बार में ले कर जाता है, जहां पर बहुत सारे लोग खुलेआम शराब की चुस्कियां ले रहे हैं. इस के स्थान पर यदि अधीर प्रोफेसर को उसके कमरे, अपने कमरे या किसी एकांत स्थान पर शराब पीने ले कर जाता है तो यह दृश्य वास्तविक लग सकता था. इस के अलावा एक तरफ तो जनरल जिया अधीर पर खुश हो कर उसे डिनर पर बुलवाता है, उसे अपने पक्ष में करना चाहता है.
दूसरी ओर जब गोली चलाने वाला अफगानी पकड़ा जाता है तो वह आधी रात को अधीर को घर से जबरदस्ती उठवा कर उस अफगानी से आमनासामना करा रहा है. यह भी लेखक और निर्देशक की अपनी ओर से बनाई गई एक कल्पित कहानी दिखाई दे रही है. अभिनय की बात करें तो कोई भी कलाकार अपने अभिनय से दर्शकों को संतुष्ट करता नहीं दिखाई दे रहा है.
एपिसोड नंबर 3
तीसरे एपिसोड का नाम ‘ग्रहों का प्रभाव’ रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत कर्नल अशफाक के गाडिय़ों के काफिले से होती है, जहां पर वह मरियम को ले कर कहूटा की ओर जा रहा है. गाड़ी में उन की यह सभी गतिविधियों को सेटेलाइट से दिल्ली में एनएसए चीफ और ‘रा’ चीफ परेश देख रहे होते हैं. अब कहूटा की दूरी 190 किलोमीटर रह जाती है, तभी सेटेलाइट कनेक्शन कट जाता है. अगले दृश्य में तहखाने में जनरल जिया अब अपने पोते अशफाक (हसन सैयद) को बुलाता है और उस से कहता है कि इसी आदमी ने तुम्हारे ऊपर गोलियां चलवाई थीं.
उस के बाद यंग अशफाक डंडे से उस अफगानी कैदी का खून कर देता है. यह दृश्य देख कर अधीर को उल्टी आ जाती है. उस के बाद जनरल जिया अधीर से कहता है कि हिंदुस्तानी एजेंसी को क्या लगता है कि मेरी फेमिली पर हमला कर के मुझे डरा देंगे. अब जब हमारे घर पर हमला हुआ है तो जवाब तो देना ही पड़ेगा. इस दीवाली में आप इंडिया मत जाना. यहां पर रहोगे तो ज्यादा सुरक्षित रहोगे.
घर पर आ कर अधीर दिल्ली फोन कर के मेहरा को बताता है कि सर जिया ने इस बार मुझे दीवाली पर इंडिया जाने के लिए मना किया है. सर, मुझे लगता है कि दीवाली के दिन जनरल जिया परमाणु परीक्षण करेगा और अगर ऐसा कुछ हुआ तो उन्हें इंडिया पर परमाणु अटैक करने से केवल 2 दिन लगेंगे. मेहरा गुस्से में अधीर से कहता है कि क्या कोई सबूत है तुम्हारे पास?
अगले दृश्य में अधीर अपनी बुलेट बाइक पर बैठ कर कहूटा की तरफ पाकिस्तानी पुलिस की वरदी में जा रहा है. एक चैक पोस्ट पर एक पुलिस वाला उसे रोकता है तो अधीर उसे बताता है कि वह चकाला पुलिस चौकी में डिस्पैचर है, किसी जरूरी काम से कहूटा जा रहा है. अब चैक पोस्ट वाला पुलिस का सिपाही चकाला पुलिस चौकी में फोन करता है कि जनाब क्या आप की पुलिस चौकी में कांस्टेबल मकसूद अहमद नाम का पुलिस वाला है, जिसे कहूटा आना है.
चकाला पुलिस चौकी का इंचार्ज बताता है कि हां उसे कहूटा आना है. वह मेरे सामने ही है. कहो तो आप से बात करा दूं, लेकिन इस बात को सुनते ही चैक पोस्ट वाला दाफेदार सरताज खान फोन रख देता है.
उस के बाद सरताज खान अधीर से उस की बुलेट बाइक पर अलग नंबर होने के लिए सवाल पूछता है, लेकिन अधीर उसे गोलमोल बात कर हंसा कर चला जाता है. अब अधीर आगे कहता है तो एक गांव में जहां पर परमाणु संयंत्र लगा हुआ है, वहां के लोग सरपंच की अगुवाई में पुलिस वालों से झगड़ा कर रहे हैं.
अधीर एक दुकानदार के पास जा कर चाय पीने लगता है, तब वह दुकानदार अधीर को बताता है कि जो आदमी पुलिस वालों से झगड़ा कर रहा है. वह कहूटा गांव के सरपंच नूर खान (सिद्धार्थ भारद्वाज) हैं. इस हमारे गांव कहूटा में बनी इस फैक्ट्री में न जाने क्या काम चल रहा है कि इन लोगों ने गांव के पानी में न जाने कौन सा कैमिकल मिला दिया है, जिस के कारण बूढ़े बीमार हो रहे हैं और बच्चे मर रहे हैं. अब तो खुद सरपंच नूर खान का बेटा भी मर चुका है.
अधीर उस परमाणु संयंत्र के आसपास के फोटो खींच लेता है. अगले दृश्य में जनरल जिया ब्रिगेडियर मोहसिन से कहता है कि जिस भारतीय जासूस ने उस अफगानी को भारत में बनी बुलेट दी है, उस का सिर दीवाली तक काट कर मेरे कदमों में हाजिर कर दो.
इस के अगले दृश्य में हम देखते हैं कि अधीर का बौस एक अंगरेजी गाने पर अजीब से कपड़े पहने हुए किन्नरों की तरह डांस कर रहा है, तभी वहां पर ब्रिगेडियर मोहसिन आ कर उसे कुछ फोटो दिखाता है, जिस में अधीर का बौस एक पाकिस्तानी लड़के के साथ इंटीमेट हो रहा है. ब्रिगेडियर मोहसिन उस से कहता है कि यदि तुम अपनी बदनामी से बचना चाहते हो तो मुझे यह बताओ कि पिछले एक साल में कितने हिंदुस्तानी आ कर पाकिस्तान में लौंग वीजा में रह रहे हैं.
अधीर का बौस कहता है कि 2-3 लोग ही हैं, बाकी तो सब मेरा स्टाफ यानी कि इंडियन एंबेसी वाले ही हैं. यह सुन कर ब्रिगेडियर मोहसिन कुछ सोचने लग जाता है. अगले दृश्य में अधीर अब आगे बढ़ता है तो उसे कहूटा इनर्जी प्लांट का बोर्ड नजर आता है, जहां पर फौजी गाडिय़ों से पानी की सप्लाई हो रही है. फिर उसे पुल नजर आता है और उस के आगे उसे परमाणु संयंत्र नजर आ जाता है. अधीर वहां पर फोटो लेने लग जाता है.
फिर कर्नल अशफाक के उन्हीं 3 गाडिय़ों का काफिला दिखाया जाता है. कर्नल अशफाक की गाड़ी के आगे 4 स्टार लगे दिखाई दे रहे हैं. अब मरियम कर्नल अशफाक से पूछती है कि यह कौन सी जगह है अशफाक साहब? तब अशफाक बताता है कि मरियम, हमारे बाबाजान का एक ख्वाब है, वो ख्वाब जिसे एक हिंदुस्तानी जासूस ने तबाह कर डाला था, लेकिन अपने बाबाजान के उस ख्वाब को अब मैं पूरा करूंगा. अब कर्नल अशरफ गाड़ी से उतर कर मरियम से कहता है आप यहीं पर रुकें, मैं कुछ मेहमानों से मिल कर आता हूं.
मरियम गाड़ी से उतर कर देखती है कि यहां पर परमाणु संयंत्र लगा हुआ है और कर्नल अशफाक कुछ चाइनीज लोगों के साथ बातचीत कर रहा है. अगले दृश्य में हम देखते हैं कि मरियम उर्फ सृष्टि एनएसए चीफ को बताती है कि कर्नल अशफाक को चाइना से फंडिंग मिल रही है. वह बताती है कि जैसे ही अशफाक के हाथ में यूरेनियम आ जाएगा तो परमाणु बम बन जाएगा. वह इस के आगे बताती है सर अब कर्नल
अशफाक मुझ से शादी करना चाहता है, उस ने अपना यह इरादा एकदम पक्का कर लिया है. उस ने मुझे अपनी दूसरी बीवी बनाने का संकल्प कर लिया है. मुझे अब बहुत डर लग रहा है सर, अब मेरा अगला कदम क्या होगा सर, बताइए न प्लीज! तब इंडिया का एनएसए चीफ मरियम से कहता है घबराओ मत सृष्टि, मेरे पास एक प्लान है, जय हिंद. इस के बाद यहीं पर तीसरा एपिसोड समाप्त हो जाता है.
तीसरे एपिसोड में भी कई खामियां नजर आ रही हैं. जनरल जिया का अधीर को यह कहना कि तुम दीवाली पर इंडिया मत जाना, यहीं पर रहना, यहां पर तुम सुरक्षित रहोगे, यह बात बिलकुल भी गले से उत्तर नहीं पा रही है. एक जनरल जिस ने पाकिस्तान को सत्ता हासिल की हो वह एक एंबेसी के औफिसर को यह बात यानी कि इतना बड़ा सीके्रट भला कैसे बता सकता है?

दूसरे एक दृश्य में यह दिखाया गया है कि एनएसए चीफ उस समय के ‘रा’ प्रमुख को एक दुकानदार यह बात बता रहा है कि इस परमाणु संयंत्र के कारण लोग बीमार हो रहे हैं और बच्चे मर रहे हैं. भला यह संभव हो सकता है कि एक गांव के बीच में पाकिस्तान ने परमाणु संयंत्र लगाया हो, जहां पर लोगों की जानें जा रही हों? एक अन्य दृश्य में लेखक और निर्देशक ने कर्नल अशफाक की गाड़ी में पूरे के पूरे 4 स्टार लगा दिए हैं.
भारत और पाकिस्तान की सेना, नौसेना या वायुसेना में एक ही तरह की ब्रिटिश प्रक्रिया होती है, जिस के अंतर्गत ब्रिगेडियर की गाड़ी में एक स्टार, मेजर जनरल की गाड़ी में 2 स्टार, लेफ्टिनेंट जनरल की गाड़ी में 3 स्टार और चीफ औफ द आर्मी की गाड़ी पर ही 4 स्टार लगाए जाते हैं. यहां पर लेखक और निर्देशक ने एक बहुत भारी चूक कर दी है. कम से कम उन्हें किसी सेना के अधिकारी से इस बारे में मालूम करना चहिए था. यह दृश्य एकदम से बनावटी नजर आ रहा है. अभिनय की बात करें तो कोई भी कलाकार अच्छा अभिनय करने में पूरी तरह से असफल रहा है.
एपिसोड नंबर 4
चौथे एपिसोड का नाम ‘वंदे मातरम’ रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत में हम देखते हैं कि शादी की तैयारियां हो रही हैं. मरियम के लिए साडिय़ां पसंद की जा रही हैं. कर्नल अशफाक मरियम से कहता है कि 3 दिन के बाद तुम हमारी बेगम हो जाओगी, तुम अपनी अम्मी और छोटे भाई रसूल की शादी के लिए 10 जनवरी को बुला लो. अपनी अम्मी से कहो कि 10 तारीख को कर्नल अशफाक उल्ला जिया खुद पूरी मिलिट्री फोर्स के साथ इसलामाबाद एयरपोर्ट पर आ कर उन का स्वागत करेंगे.
मरियम उर्फ सृष्टि अब अपने घर पर आ कर एनएसए चीफ से कहती है सर, अशफाक खुद मेरी अम्मी को लेने 10 तारीख को इसलामाबाद एयरपोर्ट जाने को कह रहा है. 3 दिन के बाद मेरा उस से निकाह होने वाला है, अब जब मेरी खुद की फेमिली ही नहीं है तो क्या इसलामाबाद मेरी नकली फेमिली आएगी? मैं बहुत परेशान हूं. बाथरूम के अलावा सब जगह अशफाक के बौडीगार्ड मुझ पर कड़ी नजर रख रहे हैं. मैं बहुत परेशान हूं.
एनएसए चीफ मरियम को कहता है कि तुम घबराओ मत, तुम 10 जनवरी को खुद भी अशफाक के साथ इसलामाबाद एयरपोर्ट आ जाना. तुम उसी दिन हमारे साथ पाकिस्तान से वापस इंडिया आ जाओगी, यह मेरा तुम से प्रौमिस है. अगले दृश्य में एनएसए चीफ चाइनीज डेलीगेशन को बुला कर उन के साथ मीटिंग कर के उन्हें बताता है कि हम जानते हैं कि आप लोग कर्नल अशफाक को परमाणु बम बनाने के लिए फंडिंग कर रहे हो. ये रहे सबूत और फिर वह फाइल दिखाता है.
इस के बाद एएनएसए चीफ चाइनीज को धमकी देता है कि यदि तुम ने कर्नल अशफाक को फंडिंग देना बंद नहीं किया तो मैं सब बातें न्यूज कौन्फ्रैंस में बता दूंगा और सारे देशों को तुम्हारा काला सच पता चल जाएगा. चाइनीज भारत के एनएसए चीफ की बात मानन लेते हैं. चाइनीज मीटिंग से चले जाते हैं. उस के बाद एनएसए चीफ ‘रा’ चीफ परेश पारुलकर से कहता है कि अब वक्त आ गया है एक वादा निभाने का. परेश तुम 3 बेस्ट एजेंट को एक्टिवेट करो, मैं अब पाकिस्तान जा रहा हूं.
इस के बाद कहानी वर्ष 1978 में चली जाती है, जहां ज्योति चतुर्वेदी को बुरी तरह घायल अवस्था में अधीर एंबुलैंस में ले कर अस्पताल लाता है. अधीर जब ज्योति से पूछता है कि तुम्हारे साथ यह सब किस ने किया तो ज्योति बताती है कि ब्रिगेडियर मोहसिन आलम को मुझ पर शक था कि मैं भारतीय जासूस हूं. उस ने मुझे बुरी तरह से जूतों से कुचला और बाद में गोली मार दी. अगर में जानती हूं कि तुम ही वह जासूस हो, लेकिन मैं ने यह बात मोहसिन को नहीं बताई.
उस के बाद ज्योति अधीर से कहती है कि भैया, अब मैं बचूंगी नहीं. आप मुझ से प्रौमिस करो कि मेरे मरने के बाद तुम मेरी फेमिली का ध्यान रखोगे. अधीर ज्योति से प्रौमिस करता है कि मैं आखिरी सांस तक तुम्हारे परिवार की रक्षा करूंगा, उस के बाद ज्योति की मृत्यु हो जाती है. अगले दृश्य में रात के समय अधीर ब्रिगेडियर मोहसिन के घर पर जा कर उस के पहरे में खड़े गार्डों की हत्या कर के उस के घर में घुस जाता है. काफी देर तक दोनों की लड़ाई होती है और अंतत: अधीर ब्रिगेडियर मोहसिन के सीने में कटार भोंक कर उसे मार डालता है.
दूसरे दिन सुबह जनरल जिया मोहसिन के शव को देख कर आगबबूला हो जाता है, अब ज्योति चतुर्वेदी के शव को पूरे सैनिक सम्मान के साथ तिरंगे में लपेट कर प्लेन से इंडिया भेज दिया जाता है. उधर, अधीर एक छोटी जीप में कब्रिस्तान जाता है, जहां पर सरपंच नूर अपने बेटे की कब्र के पास रो रहा होता है. अधीर उसे कहता कि कहूटा की इस फैक्ट्री को बंद करने के लिए तुम्हें अब मेरा साथ देना होगा. अधीर बताता है कि उस का अपना एक एनजीओ है, जिस में वह ऐसी फैक्ट्रियों के खिलाफ मुहिम चला रहा है. अब अधीर आईबी चीफ मेहरा को बताता है कि सर, 2 आर्मी के ट्रक सुबह कहूटा से पानी लाते हैं. मेरा मिशन वहीं से शुरू होगा, हम उस पानी में कैमिकल मिला देंगे.
मेहरा अब अधीर पर गुस्सा करने लगता है, तभी उन की बातचीत के बीच कौन्फ्रैंस में डा. कलाम (सलीम हुसैन मुल्ला) बातचीत करने आ जाते हैं. डा. कलाम मेहरा को बताते हैं कि ये प्लान उन के द्वारा ही अप्रूव किया गया है. वह आगे बताते हैं कि जनरल जिया का न्यूक्लियर प्लान तब ही सफल होगा, जब उस का मिसाइल यूरेनियम 1200 डिग्री से जल्दी ठंडा होगा. यदि उस का न्यूक्लियर प्लांट ठंडा नहीं हुआ तो पूरा रिएक्टर प्लान टाइम बम बन जाएगा, क्योंकि अधीर का कैमिकल ट्रीटेड वाटर उसे ठंडा होने ही नहीं देगा.

मेहरा को यहां पर भी अधीर पर संदेह होता है तो डा. कलाम बताते हैं कि जब कभी भी भारत-पाकिस्तान के बीच में कुछ होता है तो पाकिस्तान के पीछे केवल चाइना ही खड़ा रहता है. अब अधीर वहां परमाणु संयंत्र के पास पहुंच कर वहां का पूरी तरह से जायजा लेता है और आसपास के इलाके को ध्यान से दूरबीन से देखता है. उस के बाद यहां पर चौथा एपिसोड समाप्त हो जाता है. चौथे एपिसोड की बात करें तो यहां पर एनएसए चीफ एक कालेज के प्रिंसिपल की तरह चाइनीज डेलीगेशन को डांटते हुए दिखाए गए हैं. वह उन्हें डांटते हैं और चाइनीज डांट खा कर बाहर चले जाते हैं और उन की बात को मान लेते हैं. यह दृश्य भी बनावटी सा नजर आता है.
उस के बाद अधीर अकेले जा कर ब्रिगेडियर मोहसिन के गार्ड और मोहसिन को मार डालता है. इस के अतिरिक्त अधीर और ब्रिगेडियर मोहसिन के बीच इतनी ज्यादा लंबी लड़ाई दिखाई गई है, जो दर्शकों को बोर करती नजर आ रही है. कुल मिला कर वास्तविकता कम और नाटकीयता ज्यादा नजर आ रही है. इस के अलावा कलाकारों का अभिनय भी औसत दरजे का है.
एपिसोड नंबर 5
पांचवें और अंतिम एपिसोड का नाम ‘तुरुप का इक्का’ रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत में फ्लैशबैक में 1978 का दृश्य दिखाया गया है, जहां पर अधीर सरपंच नूर के साथ उस जगह पर पहुंचता है, जहां पर पाकिस्तानी आर्मी की गाडिय़ां पानी भर कर परमाणु संयंत्र में ले जाती थीं. अधीर वहां पर खड़े सभी लोगों को गोली मार कर खत्म कर डालता है और फिर उन आर्मी वालों की वरदी पहन कर गाड़ी ले कर परमाणु संयंत्र की ओर चल पड़ता है.
अधीर गाड़ी खुद चलाता है, जबकि सरपंच नूर उस के साथ अगली सीट पर उस के बगल में बैठ जाता है. तभी फैक्ट्री के बाहर खड़ा सुरक्षा गार्ड गाड़ी को रोक देता है, लेकिन तभी वहां की गार्ड चेंज होने लगती है. उसी का फायदा उठा कर अधीर गार्ड से कहता है कि जनरल जिया साहब प्लांट में पहुंच चुके हैं. हमें यहां पानी उस प्लांट में डालना है. इस पर गार्ड अधीर को गेट से छोड़ देता है. अब अधीर डा. कलाम के बताए अनुसार गाड़ी के पानी के टैंक में कैमिकल मिला देता है. अधीर को डा. कलाम की यह बात भी याद आती है कि डा. कलाम ने कहा था कि प्लांट में गाड़ी से कैमिकल वाला पानी मिलने के बाद 3 मिनट में ब्लास्ट हो जाएगा, इसलिए अधीर टैंक से पानी परमाणु प्लांट में डालने के बाद तुरंत सरपंच नूर को ले कर उस जगह से तेजी से बाहर निकल जाता है.
उधर साइंटिस्ट जनरल जिया को बताते हैं कि प्लांट का पानी ठंडा होने की बजाय गर्म होता जा रहा है, तभी वहां पर एक भयंकर विस्फोट हो जाता है, जिस से कई लोग बुरी तरह से घायल हो जाते हैं. जनरल जिया को भी खून से लथपथ गाड़ी में बिठा कर उस के घर ले जाया जाता है. अब अधीर सरपंच को कुछ रुपए दे कर कहता है कि सरपंच साहब, लीजिए ये कुछ रुपए गांव वालों के काम आएंगे. अब हम दोबारा कभी नहीं मिलेंगे. सरपंच नूर अधीर से कहता है आप एनजीओ वाले तो नहीं लगते हो साहब, कौन हो आप?
अधीर उस से कहता है कि एक अच्छा पड़ोसी और फिर हाथ जोड़ते हुए सरपंच को खुदा हाफिज कह कर चला जाता है. नूर उसे कहता है खुदा हाफिज हिंदुस्तानी ब्रदर. घर पर जनरल जिया डायनिंग टेबल पर खाना खा रहा होता है. तभी उसे एक पैकेट और एक कार्ड मिलता है. कार्ड में लिखा होता हैप्पी दीवाली-अधीर और पैकेट के अंदर एक शीशी हरे रंग की होती है. यह वही कैमिकल होता है, जिसे अधीर ने परमाणु संयंत्र में मिलाया था. जनरल जिया गुस्से से वहां पर तोडफ़ोड़ करने लग जाता है.
जनरल जिया अपने औफिसरों से कहता है कि इंडियन एंबेसी के सभी लोगों को अभी मेरे सामने हाजिर करो. तब पाकिस्तानी औफिसर जनरल जिया को बताता है कि सर इंडिया एंबेसी के सभी लोग दीवाली मनाने के लिए आज शाम की फ्लाइट से दिल्ली चले गए हैं. इस के बाद तो जनरल जिया अपना सिर ही पटक लेता है.
अब सीन वर्तमान में शिफ्ट हो जाता है, जहां पर दुबई से आने वाली फ्लाइट लैंड हो जाती है. एयरपोर्ट पर मरियम और अशफाक पहुंच जाते हैं. अशफाक के फौजी बौडीगार्ड उन के पीछे लगे रहते हैं. उधर मरियम अशफाक के वाशरूम में जाने के लिए कहती है तो अशफाक अपने गार्ड को मरियम के पीछे भेज कर खुद मोबाइल पर बात करने लग जाता है. अशफाक का आदमी उसे बताता है कि चाइनीज ने उन्हें यूरेनियम देने से अब मना कर दिया है.
अब मरियम एनएसए चीफ के बताए गए वाशरूम से एक नया मोबाइल ले लेती है, जिस में एनएसए चीफ उसे बताता है कि सामने बुर्का टंगा है, अभी बुर्का पहन कर कुछ महिलाएं आएंगी तो तुम भी बुर्का पहन कर उन के साथ शामिल हो कर सीधे एग्जिट गेट पर पहुंच जाना. मरियम ऐसा ही करती है तो उसे वहां पर कबीर अहमद (अयान लाल) मिलता है, जो उसे उस का नकली पासपोर्ट शाजिया अहमद के नाम से बना हुआ देता है और बताता है कि वह इस नाटक में उस का शौहर है और उसे ले कर दुबई जाने वाली फ्लाइट में बैठ जाता है.
इधर दूसरी ओर कर्नल अशफाक अपने आदमियों से सभी बुर्का पहनी हुई महिलाओं को चैक करने का आदेश देता है. इस के बाद अशफाक जब दुबई जाने वाले पैसेंजरों की लिस्ट चैक करता है तो उसे मरियम के नकली पासपोर्ट की खबर पता चल जाती है. कर्नल अशफाक एयरपोर्ट अधिकारियों को और फ्लाइट के कैप्टन को बंदूक के जोर पर फ्लाइट रोकने के लिए कहता है, मगर वह उस फ्लाइट को रोक नहीं पाता, क्योंकि दुबई वाली फ्लाइट पहले ही टेक औफ हो चुकी होती है. क्योंकि उस फ्लाइट को उस विमान के पायलट के साथ एनएसए चीफ उड़ा रहे होते हैं. अब कर्नल अशफाक केवल उस जहाज को उड़ते हुए देखता है.
अब हम देखत हैं कि मरियम ने अपने कपड़े बदल दिए हैं और वह फ्लाइट में इत्मीनान से सो रही है. तभी वहां पर एनएसए चीफ आ कर कबीर अहमद को उस के काम के लिए बधाई देते हैं. उस के बाद एनएसए चीफ मरियम उर्फ सृष्टि को आंसू भरी निगाहों से देख कर परदा लगा देते हैं. अब हम अधीर को संदीप मेहरा के औफिस में बैठे देखते हैं, तभी वहां पर संदीप मेहरा आ कर अधीर से कहता है कि अधीर तुम्हारे काम से प्राइम मिनिस्टर साहब, डा. कलाम साहब और हम भी बहुत खुश हैं. अधीर उन से कहता है कि सर देश सुरक्षित है तो हम सब खुश हैं. अधीर मेहरा से कहता है कि सर को बरुवा कहां है?
तब मेहरा उस से कहता है कि बरुवा अब सारी जिंदगी जेल में ही सड़ता रहेगा. मेहरा आगे कहता कि अधीर तुम अब एक काम करो, कुछ दिनों के लिए छुट्टी ले लो, तुम से फिर एक जरूरी बात करनी है. अधीर कहता है सर, यदि वह बात या काम बहुत जरूरी है तो अभी बात कर लेते हैं. तब मेहरा अधीर को कहता है कि तुम्हारा अगला मिशन एक पर्सनल और हाई इंटरेस्ट है. हमें उस आदमी के बारे में अधिक से अधिक इनफार्मेशन इकट्ठा करनी है.
अधीर पूछता है सर, क्या मैं उस आदमी के बारे में जान सकता हूं कि वह आदमी आखिर कौन है? तब मेहरा बताता है कि वक्त आने पर मैं तुम्हें सब कुछ बता दूंगा. बस, तुम यह बात जान लो कि खतरा असली है और उस का टारगेट भारत है. मेहरा अब अधीर से हाथ मिलाता है और उस के बाद वेब सीरीज ‘सलाकार’ यहीं पर समाप्त हो जाती है. इसका मतलब यही निकलता है कि वेब सीरीज ‘सलाकार’ का दूसरा सीजन अब जल्द ही आने वाला है.
पांचवें एपिसोड में अधीर सरपंच नूर को अपने साथ मिला लेता है और औपरेशन के बाद अधीर उसे यह भी बता देता है कि वह भारत का है. उस के बाद सरपंच नूर उसे जाते हुए कहता है कि खुदा हाफिज हिंदुस्तानी ब्रदर. यह दृश्य बिलकुल भी हजम नहीं होता, यह लेखक और निर्देशक को अपनी ओर से एक कल्पना मात्र सा दिखाई देता है.
एक पाकिस्तानी भारतीय जासूस के साथ मिल कर गद्ïदारी कर रहा है, यह नामुमकिन सा लग रहा है. इस के अलावा एक दृश्य में एनएसए चीफ परदा उठा कर ज्योति की बेटी मरियम उर्फ सृष्टि को देख रहे हैं. यदि इस सीन में मरियम को जगा कर एनएसए चीफ और उस का परिचय कराते दिखाया जाता तो इस दृश्य को अधिक जीवंत किया जा सकता था.
अभिनय की दृष्टि से देखें तो कलाकार अपनी वास्तविक प्रतिभा को दिखाने बिलकुल ही नाकाम से रहे हैं. यदि पूरी वेब सीरीज की बात करें तो ऐसा लगता है जैसे हड़बड़ी और जल्दबाजी में तैयार किया गया यह एक औसत दरजे का नाटक हो. इस वेब सीरीज का लेखन बड़ी खामियों से भरा हुआ है. यह वेब सीरीज न तो जमीन पर न आसमां पर, बल्कि किसी दूसरे और अंजाने ग्रह पर रचीबसी नजर आ रही है.
इस में यदि अधीर और एनएसए चीफ का रोल एक ही कलाकार द्वारा अभिनीत किया जाता तो कहानी में काफी हद तक वास्तविकता लाई जा सकती थी. वेब सीरीज को देख कर ऐसा लगता है कि मानो लेखक, निर्माता और निर्देशक हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल का एक बहुत बड़ा प्रशंसक तो है, मगर कहानी पेश करने में उस के द्वारा कई गंभीर चूक की गई हैं, जो साफसाफ नजर भी आ रही हैं.
नवीन कस्तूरिया
नवीन कस्तूरिया का जन्म 26 जनवरी, 1984 को ओटुकपो, बेन्यू राज्य, नाइजीरिया में हुआ था. जब नवीन की उम्र महज एक वर्ष की थी तो इस का परिवार नाइजीरिया से भारत शिफ्ट हो गया था. इन का पालनपोषण दिल्ली में एक संयुक्त परिवार में हुआ. नवीन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बिड़ला विद्या निकेतन, पुष्प विहार, नई दिल्ली से पूरी की. उस के बाद उस ने नेताजी सुभाष प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से अपनी इंजीनियरिंग (विनिर्माण प्रक्रिया और स्वचालन) में पूरी की.
इस के पापा संतोष कस्तूरिया गणित शिक्षक एवं मम्मी वीना पाल कस्तूरिया मैराथन धावक रह चुकी हैं. नवीन कस्तूरिया की छोटी बहन का नाम नेहा कस्तूरिया है. नवीन कस्तूरिया का विवाह 2 दिसंबर, 2024 को शुभांजलि शर्मा के साथ उदयपुर, राजस्थान में हुआ था. नवीन को बचपन से ही हिंदी फिल्में देखना और बौलीवुड गानों पर डांस करना बहुत पसंद था. जब वह तीसरी कक्षा में था तो उस ने दिल्ली के इंडिया गेट पर आयोजित एक डांस शो के दौरान फिल्म खलनायक (1993) के गाने ‘चोली के पीछे क्या है…’ पर डांस किया था.

कालेज के दिनों से ही वह थिएटर के नाटक लिखने लगा था. उस का लिखा नाटक ‘लो कर लो जी बात’ काफी लोकप्रिय हुआ था. 2006 में नवीन कस्तूरिया ने गुडग़ांव स्थित एक निजी कंपनी में वित्त विश्लेषक के रूप में काम किया. लगभग 2 साल तक काम करने के बाद वह मुंबई में जेपी मोरगन में नौकरी करने चला गया. जब वह मुंबई में जेपी मोरगन में कार्यरत था, तब उस के एक दोस्त ने उसे मुंबई के कुछ प्रोडक्शन हाउसेज के नंबर दिए. उस के बाद नवीन ने विभिन्न प्रोडक्शन हाउस के चक्कर लगाने शुरू कर दिए और फिर ‘विशेष फिल्म्स’ में सहायक निर्देशक के रूप में नौकरी करने लगा.
नवीन कस्तूरिया ने उस के बाद हिंदी फिल्मों ‘लव सैक्स और धोखा’, ‘शंघाई’ और ‘टाइगर्स’ में सहायक निर्देशक के रूप में काम किया. 2012 में नवीन ने यूट्यूब वीडियो शृंखला ‘राउडीज 9: सब क्यूटियापा है’ में भारतीय अभिनेता वीजे रणविजय सिंह की भूमिका निभाई. इस में उस का संवाद ‘आई एम स्टंड’ काफी लोकप्रिय भी हुआ. इस के बाद उस की मुलाकात भारतीय फिल्म निर्देशक दिवाकर बनर्जी से हुई और दिवाकर ने उसे कोक के लिए एक टीवी विज्ञापन का प्रस्ताव दिया. इस के बाद नवीन कस्तूरिया ने वोडाफोन, महिंदा, टैपजो ऐप, मराठे ज्वैलर्स और ट्रू वैल्यू जैसे ब्रांडों के कई विज्ञापन किए.
नवीन ने कई हिंदी लघु फिल्में जैसे ‘स्टंट बौय’, ‘प्योर वेज’, ‘हाफ टिकट’, ‘माया’, आदि में काम किया. नवीन कस्तूरिया ‘लवशुदा’, ‘होप और हम’ और ‘वाह जिंदगी’ जैसी हिंदी फिल्मों में भी काम कर चुका है. इस के अलावा नवीन कस्तूरिया ने ‘बोस: डेड/अलाइव’ (आल्ट बालाजी), ‘हैप्पिली एवर आफ्टर (जूम स्टूडियो)’ और ‘कोटा फैक्ट्री सीजन-2 (नेटफ्लिक्स)’ जैसी हिंदी वेब सीरीज में भी काम किया है.
मौनी राय
अभिनेत्री मौनी राय का जन्म 28 सितंबर, 1985 को पश्चिम बंगाल के कूचबिहार शहर में अनिल राय और मुक्ति राय के घर में हुआ था. अनिल राय कूचबिहार जिला परिषद के कार्यालय अधीक्षक थे. मौनी एक फिल्मी बैकग्राउंड से आती है. उस की मम्मी मुक्ति एक थिएटर कलाकार थीं और उस के दादा शेखरचंद्र राय एक प्रसिद्ध थिएटर कलाकार थे. मौनी राय का एक छोटा भाई है, जिस का नाम मुखर राय है. मौनी एक बढिय़ा कथक और बैलेरीना डांसर है. वह सन 2014 में ‘झलक दिखला जा’ की फाइनलिस्ट भी रह चुकी है.

मौनी राय ने अपनी स्कूली शिक्षा कूचबिहार, बाबरहाट के केंद्रीय विद्यालय से पूरी की. उस के बाद उस ने मिरांडा हाउस, दिल्ली विश्वविद्यालय से अंगरेजी औनर्स में स्नातक की पढ़ाई पूरी की. मौनी के मम्मीपापा चाहते थे कि उन की बेटी एक पत्रकार बने और इसलिए मौनी ने जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, दिल्ली में मास कम्युनिकेशन के कोर्स में दाखिला ले लिया था. हालांकि अभिनय के प्रति उस के जुनून ने उसे पढ़ाई छोडऩे पर मजबूर कर दिया और मौनी मुंबई आ गई.

वर्ष 2007 में मौनी राय ने अपने अभिनय करिअर की शुरुआत टीवी धारावाहिक ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ से की थी. इस सीरियल में उस ने ‘कृष्णा तुलसी’ का किरदार अभिनीत किया था. साल 2008 में उस ने ‘जरा नचके दिखा’ के पहले सीजन में भाग लिया और इस शो मैं उसे विजेता घोषित किया गया. 2009 में उस ने टीवी सीरियल ‘पति पत्नी और वो’, 2010 में जी टीवी पर प्रसारित होने वाले शो ‘दो सहेलियां’, साल 2011 से साल 2014 तक ‘देवों के देव महादेव’ में शक्ति, सती, दुगा, पार्वती और महाकाली जैसी महादेवियों के किरदार को निभाया.
साल 2018 में मौनी राय ने अपने फिल्मी करिअर की शुरुआत रीमा कागती द्वारा निर्देशित फिल्म ‘गोल्ड’ में अक्षय कुमार के साथ की थी. साल 2019 में बौलीवुड अभिनेता जौन अब्राहम और जैकी श्राफ के साथ ‘रोमियो अकबर वाल्टर’ फिल्म की. इस के अलावा वह पंजाबी फिल्म ‘प्यार में हीरो हिटलर’ (2011) और हिंदी फिल्म ‘लंदन गोपनीय’ (2020) में भी काम कर चुकी है. मौनी राय ने 27 जनवरी, 2022 को अपने मंगेतर सूरज नांबियार के साथ गोवा में शादी की. दोनों ने दक्षिण भारतीय रीतिरिवाज से शादी की थी. Salakaar Web Series






