Love Story in Hindi : मनोज और स्वाति एकदूसरे को दिलोजान से चाहते थे, लेकिन उन के फेमिली वालों को यह बात बरदाश्त नहीं हुई. उन्होंने न सिर्फ स्वाति पर पहरा लगा दिया, बल्कि उस के प्रेमी मनोज को भी बुरी तरह हड़काया. अंकुश लगाया गया यह प्यार एक दिन ऐसा शोला बन गया कि…
बात 17 सितंबर, 2025 की रात लगभग साढ़े 11 बजे की है. उत्तर प्रदेश के जनपद मुरादाबाद के पुलिस कंट्रोल रूम को एक सूचना मिली. कौल करने वाले ने बताया, ”साहब, मैं गुरैठा गांव का योगेश हूं. गांव के ही शोभाराम और उस के 2 बेटे गौरव व कपिल मेरे साथ मारपीट कर रहे हैं. मैं बुरी तरह से घायल हूं. उन के चंगुल से किसी तरह छूट कर मैं अंधेरे में छिप गया हूं. वे लोग मुझे जान से मार देंगे. मैं इस समय मोढ़ा तैया गांव के कब्रिस्तान से आप को सूचना दे रहा हूं. साहब, मुझे आ कर बचा लो.’’
यह कौल सुन कर पुलिस तुरंत हरकत में आ गई. पुलिस कंट्रोल रूम (यूपी 112) की गाड़ी तुरंत सूचना में बताए गए पते पर रवाना कर दी गई.यह कब्रिस्तान जिला मुरादाबाद में अगवानपुर से पाकबड़ा की तरफ जाने वाले बाईपास के किनारे मोढ़ा तैया गांव के पास स्थित है. पुलिस जब वहां पहुंची तो वह वह अंधेरे में हाथपैर मार कर वापस आ गई थी. जिस फोन नंबर से पुलिस को सूचना मिली थी, उस नंबर पर कौलबैक की तो उस मोबाइल की घंटी तो बज रही थी, लेकिन उसे कोई उठा नहीं रहा था.
पुलिस ने समझा कि किसी ने शायद फेक कौल कर दी होगी या कोई शरारती तत्त्व नशा कर के पुलिस को गुमराह कर रहा है. यानी उस समय पुलिस ने मामले को हलके में लिया था. अगले दिन 18 सितंबर, 2025 की सुबह 8 बजे किसी व्यक्ति ने फोन द्वारा थाना पाकबड़ा पुलिस को सूचना दी कि मोढ़ा तैया कब्रिस्तान के पास एक रक्तरंजित शव पड़ा हुआ है. सूचना मिलते ही थाना पाकबड़ा के एसएचओ योगेश कुमार पुलिस टीम के घटनास्थल की तरफ रवाना हो गए. वहां पर लाश के आसपास लोगों का हुजूम लगा हुआ था, पुलिस को देख कर लोग दाएंबाएं हो गए.
एसएचओ योगेश कुमार ने लाश का मुआयना करने के बाद लोगों से शव की शिनाख्त करानी चाही, लेकिन लोगों ने शव पहचानने से इंकार कर दिया. इस से पुलिस ने अनुमान लगाया कि मृतक कहीं दूसरी जगह का हो सकता है. इस की हत्या कहीं और कर के शव यहां पर ला कर डाल दिया गया है. पुलिस को शव के पास से एक मोबाइल फोन भी मिला. मृतक का मुंह किसी भारी चीज से बुरी तरह कुचला गया था. एसएचओ योगेश कुमार ने शव मिलने की सूचना अपने उच्च अधिकारियों को दी.
सूचना मिलते ही मुरादाबाद के एसपी (सिटी) कुमार रणविजय सिंह व सीओ राजेश कुमार मौके पर पहुंच गए थे उन्होंने फोरैंसिक टीम भी बुला ली थी. जांचपड़ताल के बाद शव का पंचनामा भर कर उस मोर्चरी भिजवा दिया गया. इस के बाद जब हत्या की खबर सोशल मीडिया द्वारा फैली तो शव की भी शिनाख्त हो गई. पता चला कि मृतक घटनास्थल से करीब 3 किलोमीटर दूर स्थित गांव गुरैठा का रहने वाला 20 वर्षीय योगेश कुमार था.
उधर शाम तक योगेश की लाश का पोस्टमार्टम भी हो गया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया कि पहले उस का गला घोंटा गया था, बाद में किसी भारी वस्तु से उस का सिर कुचला गया था. योगेश के फेमिली वालों का रोरो कर बुरा हाल था. मृतक के भाई उमेश ने गांव गुरैठा निवासी शोभाराम व उस के 2 बेटों गौरव व कपिल के खिलाफ अपने भाई योगेश की हत्या का थाना पाकबड़ा में मुकदमा दर्ज करवाया. पुलिस ने नामजद आरोपियों के खिलाफ मुकदमा बीएनएस की धारा 103 (1) व 3 (2)(v) एससी/एसटी ऐक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया.
इस के बाद पुलिस ने गांव गुरैठा निवासी नामजद शोभाराम और उस के दोनों बेटों गौरव व कपिल को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. आरोपियों के हिरासत में लेने की सूचना पर मुरादाबाद के एसएसपी सतपाल अंतिल भी थाना पाकबड़ा पहुंच गए. पुलिस ने तीनों आरोपियों शोभाराम, गौरव व कपिल से गहनता से पूछताछ की. तीनों ही अपने को निर्दोष बताते रहे, ”सर, हमारा मृतक योगेश से कोई झगड़ा नहीं था और न उन के यहां पर हमारा कोई आनाजाना था. आप पूरे गांव से पता कर लें, घटना वाली रात हम अपने घर पर ही थे. खाना खाया, घूमे, फिर सो गए.
”सर, हम इस बात से परेशान हैं कि हमें कौन से लोगों ने फंसवा दिया. हम ने तो आज तक मक्खी तक नहीं मारी, हत्या करना तो दूर की बात है. सर, आप जांच करवा लें इस मामले में हमें किसी बड़े षडयंत्र के तहत फंसाया गया है. आप मृतक योगेश के परिवार से भी मालूम करो, हमारा उस परिवार से आज तक कोई लड़ाईझगड़ा तक नहीं हुआ है. हमारे पास तो खाने के भी लाले हैं, हम मुकदमा कैसे लड़ेंगे. न कोई मुकदमा लडऩे वाला. सर, हम तो बरबाद हो गए.’’
उसी समय अभियुक्त शोभाराम का बड़ा बेटा गौरव बोला, ”सर, घटना वाली रात मेरे मोबाइल पर एक कौल आई थी. जैसे ही मैं ने कौल रिसीव की, तभी उधर से कौल डिसकनेक्ट कर दी गई. आप इस कौल को भी चैक करवा लो. सर, हमारे साथ बहुत बड़ी साजिश रची जा रही है.’’ इतना सुनते ही एसएसपी सतपाल अंतिल का माथा ठनका. उन्होंने कौल की जांच करवाई तो वह नंबर मृतक योगेश का ही निकला. इस का मतलब यह हुआ कि हत्यारों ने मृतक योगेश के फोन से ही कौल की थी.
मामला बड़ा गंभीर था. उन्होंने तुरंत ही थाने में एक इमरजेंसी मीटिंग बुलवाई. मीटिंग में एसपी (सिटी) कुमार रणविजय सिंह, सीओ (हाइवे) राजेश कुमार, एसएचओ (पाकबड़ा) योगेश कुमार, एसओजी प्रभारी अमित कुमार, थाने के एसएसआई आदि की टीम बनाई गई. उन्हें समझाया गया मामला बहुत गंभीर है, इसलिए इस का जल्द से जल्द खुलासा किया जाए.
कप्तान साहब का आदेश मिलते ही टीम हरकत में आ गई. थाने के तमाम मुखबिर सक्रिय हो गए थे. जल्द ही पुलिस ने तमाम सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगालनी शुरू कर दी. इस जांच से यह पता चला कि घटनास्थल से पहले 3 लोग एक बाइक नंबर यूपी-21बीजेड 5949 से जाते दिखे. पुलिस टीम ने इस नंबर के आधार पर बाइक के मालिक से बात की तो उस ने बताया कि उक्त बाइक मैं ने हाल ही में पाकबड़ा कस्बे के मोहल्ला सैनियों वाला मंदिर के पास रहने वाले मनोज को बेची थी और मनोज राजेश दिवाकर के मकान में किराए पर रहता है. पुलिस ने मनोज के मकान पर दबिश दी तो पता चला कि वह ताला लगा कर वहां से फरार था.
एसपी (सिटी) कुमार रणविजय सिंह व सीओ राजेश कुमार ने वहां पर मनोज के बारे में जानकारी की तो पता चला कि कुछ माह पहले उस की पास के गांव गुरैठा में नाई की दुकान की थी. मनोज आपराधिक प्रवृत्ति का था. गुरैठा गांव के लोगों से अकसर उस का झगड़ा होता रहता था, जिस कारण उस ने अपनी नाई की दुकान बंद कर के मकानों की रंगाईपुताई के ठेके लेना शुरू कर दिया है. पुलिस को यह बात भी पता चली कि मृतक योगेश मनोज द्वारा लिए गए ठेकों में मजदूरी करता था. पुलिस को क्लू मिल चुका था, इसलिए पुलिस ने मनोज के तमाम ठिकानों पर दबिश दी तो वह पुलिस के पहुंचने से पहले गायब हो जाता था.
21 सितंबर रविवार की शाम को पुलिस हुड्डा तिराहे पर नाका लगा कर वाहनों की चैकिंग कर रही थी. तभी 2 व्यक्ति एक बाइक से आते दिखे. पुलिस ने जब उन्हें रुकने का इशारा किया तो उन्होंने बाइक की गति बढ़ा दी. जिस कारण बाइक फिसल कर गिर गई, लेकिन बाइक गिरने से पहले ही दोनों व्यक्ति कूद गए थे. जब पुलिस उन के पास पहुंचने वाली थी तो उन में से एक ने पुलिस पर फायर झोंक दिया. पुलिस ने अपने बचाव में फायर किए. गोली फायर करने वाले की टांग में लगी थी. वह कराह उठा.
फायर की आवाज सुनते ही चैकिंग कर रहे अन्य पुलिसकर्मी भी वहां पहुंच गए थे. पुलिस ने घेराबंदी कर दोनों को पकड़ लिया. पुलिस ने जब उन से उन के नाम व पते पूछे तो एक ने अपना नाम मनोज निवासी मोहल्ला सैनियों वाला मंदिर थाना पाकबड़ा और दूसरे ने अपना नाम मंजीत हाल निवासी एकता कालोनी थाना मझोला (मुरादाबाद) बताया.
पाकबड़ा पुलिस को जिस मनोज की तलाश थी, वही योगेश हत्याकांड का आरोपी था. अभियुक्त मंजीत को पुलिस थाना पाकबड़ा ले आई थी. मनोज पुलिस की गोली से घायल था, इसलिए उसे जिला अस्पताल में भरती करवा दिया. एसएसपी सतपाल अंतिल ने मनोज व मंजीत से योगेश की हत्या के विषय में पूछताछ की तो मनोज ने अपनी प्रेमिका स्वाति को पाने के लिए एक ऐसी साजिश रची, जिसे सुन कर पुलिस अफसरों के भी होश उड़ गए.
आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद एसएसपी ने 22 सितंबर, 2025 को आरोपी मंजीत और स्वाति को पुलिस लाइंस के सभागार में प्रैस कौन्फ्रेंस कर घटना का खुलासा किया. इस खुलासे में योगेश कुमार की हत्या के पीछे प्रेम संबंधों से लबालब एक दिलचस्प कहानी सामने आई. उत्तर प्रदेश के जिला मुरादाबाद से दिल्ली जाने वाले हाइवे पर करीब 10 किलोमीटर दूर स्थित है कस्बा पाकबड़ा. इसी थानाक्षेत्र के गांव गुरैठा में रहता था मनोज. वैसे मनोज मूलरूप से जिला बदायूं के गांव खेड़ादास का रहने वाला है. वह शुरू से ही आपराधिक प्रवृत्ति का है. थाना फैजगंज बेहटा, बदायूं में उस पर लूट, हत्या के करीब आधा दरजन मामले दर्ज हैं.
आए दिन पुलिस उसे परेशान करती थी, इसलिए वह अपने गांव से कुछ साल पहले पाकबड़ा कस्बे में राजेश दिवाकर के मकान में किराए पर रहने लगा. मनोज बाल काटने का काम जानता था. थाना पाकबड़ा के अंतर्गत गांव गुरैठा में मनोज ने बाल काटने का सैलून खोल लिया था. बराबर के ही गांव के निवासी शोभाराम की परचून की दुकान थी. शोभाराम के 2 बेटे गौरव व कपिल और एक बेटी स्वाति थी. अकसर शोभाराम की बेटी स्वाति भी परचून की दुकान पर अपने पापा का हाथ बंटाती थी. शातिर मनोज जब स्वाति को दुकान पर बैठे देखता तो वह अकसर सामान खरीदने के बहाने उस की दुकान पर आ धमकता था.
मनोज ने अपनी लच्छेदार बातों से स्वाति से नजदीकियां बढ़ा ली थीं. ज्यादातर समय अब स्वाति परचून की दुकान पर ही बिताती थी. मनोज व स्वाति में नैनमटक्का का खेल शुरू हो गया था. यानी दोनों एकदूसरे को दिल दे चुके थे. फिर एक दिन मौका पा कर उन्होंने अपनी हसरतें भी पूरी कर लीं. स्वाति तो मनोज के प्यार में ऐसी दीवानी हो गई थी कि वह अकसर रात के खाने में अपने फेमिली वालों को नींद की गोलियां डाल कर खिला देती थी. जब सब गहरी नींद में सो जाते तो वह अपने प्रेमी को घर बुला कर पूरी रात मौजमस्ती करती. सुबह होने के पहले ही मनोज स्वाति के घर से निकल कर अपनी दुकान में चला जाता था.
कहते हैं कि इश्क और मुश्क कभी छिपाए नहीं छिपते. यह बात इन के साथ भी चरितार्थ हुई. किसी तरह स्वाति के फेमिली वालों को जब सच्चाई पता लगी तो स्वाति के भाई गौरव ने स्वाति की पिटाई कर दी. इतना ही नहीं, उस के बाहर आनेजाने पर भी रोक लगा दी. उधर घटना से एक महीने पहले स्वाति के भाई गौरव ने मनोज की भी पिटाई कर दी थी. गौरव व गांव वालों ने मनोज को यह हिदायत दी थी कि तू बाहर का रहने वाला है, हमारी बहनबेटियों के साथ गंदी हरकत करता है. उन्होंने उस से साफ शब्दों में कहा कि दुकान बंद कर के यहां से चला जाए, वरना खैर नहीं.
इस धमकी के बाद मनोज ने दुकान बंद कर दी थी. वह कहीं और किसी दूसरे गांव में सैलून खोलने की सोच रहा था. मनोज बेरोजगार हो गया था. वह रंगाईपुताई का काम भी जानता था. पाकबड़ा दिल्लीमुरादाबाद हाइवे के किनारे पर स्थित है. यहां बड़ीबड़ी एक्सपोर्ट फर्म हैं, बड़ीबड़ी शिक्षण संस्थाए भी हैं. मुरादाबाद विकास प्राधिकरण की कई कालोनियां भी हैं. बहुत बड़ा इलाका आबादी में तब्दील हो चुका है. इसलिए यहां काम की कोई कमी नहीं है.
हाईस्कूल तक पढ़ा मनोज अब मकानों की पुताईरंगाई के ठेके लेने लगा और खुद भी रंगाईपुताई का कारीगर था. गांव गुरैठा निवासी योगेश भी इस के साथ काम करता था. अकसर स्वाति से मिलने के बहाने वह योगेश के घर आताजाता था. फेमिली वालों ने स्वाति पर घर से बाहर निकलने पर पूरी तरह पाबंदी लगा रखी थी. स्वाति व मनोज को एकदूसरे से संपर्क करने का एकमात्र साधन मोबाइल ही था. अकसर स्वाति व मनोज फोन पर घंटों बातें करते थे. यह बात स्वाति के फेमिली वालों को पता नहीं थी. वे तो यही समझ रहे थे कि अब स्वाति मनोज को भूल चुकी है. उन्होंने उस पर ज्यादा ध्यान देना बंद कर दिया था.
स्वाति पर गांव के बाहर आनेजाने पर पाबंदी जरूर थी, लेकिन वह अपने प्रेमी के लगातार संपर्क में थी. मनोज व स्वाति प्यार के लिए तरस रहे थे. आपस में मिलन की सारी योजना जब विफल हो गई तो स्वाति ने एक खतरनाक योजना बना डाली. वह अपने प्रेमी मनोज से बोली, ”क्यों न तुम मेरे पापा और भाइयों को हमेशा के लिए खत्म कर दो.’’
मनोज उस की इस सलाह को टाल गया था. उस ने स्वाति को भरोसा दिया कि वह एक ऐसा प्लान बनाएगा कि इतना खूनखराबा नहीं करना पड़ेगा. शातिर मनोज ने क्राइम सीरियल देख कर एक अलग योजना बनाई. फिर उस ने स्वाति से कहा, ”हम ने एक योजना बनाई कि हम गांव के किसी भी व्यक्ति की हत्या कर देंगे. उस हत्या का इलजाम तुम्हारे पापा शोभाराम, भाई गौरव व कपिल पर लग जाएगा. ऐसा में खुद करूंगा. इन तीनों को जेल जाने से कोई नहीं बचा सकता. इन के जेल जाने के बाद हमारे प्यार में कोई रुकावट नहीं रहेगी.’’
स्वाति व मनोज ने इस प्लान को अंजाम देने की ठान ली थी. मनोज ने अपनी इस योजना में अपने ममेरे भाई मंजीत को भी शामिल कर लिया था. वह थाना मझोला के मोहल्ला एकता कालोनी में रहता था. गुरैठा गांव निवासी योगेश सीधासादा व एक गरीब परिवार का था. मनोज व योगेश अकसर रंगाईपुताई का काम साथसाथ करते थे. उन का उठनाबैठना और खानपान भी साथसाथ चलता था. मनोज ने अपने ममेरे भाई मंजीत से कहा कि योगेश जब मुरादाबाद से काम के बाद शाम को अपने घर गुरैठा गांव लौटता है तो वह अकसर ड्रिंक किए होता है. उस के आनेजाने का समय भी मनोज को पता था. योगेश अकसर गांगन नदी वाले रास्ते से अपने गांव गुरैठा लौटता था.
योजना के मुताबिक 17 सितंबर, 2025 की शाम को मनोज व ममेरा भाई मंजीत दोनों ने योगेश को काम पर जाते देख लिया. वे शाम को गांगन नदी किनारे सड़क पर योगेश के आने का कई घंटे से इंतजार कर रहे थे. शाम करीब 7 बजे योगेश साइकिल से आता दिखाई दिया. मनोज व मंजीत ने योगेश को रोक लिया. मनोज बोला एक पार्टी से पेमेंट ले कर आ रहे हैं. मनोज ने योगेश से कहा कि इसी खुशी में आज की पार्टी मेरी तरफ से. तभी योगेश ने कहा, ”यार, मैं तो आधा क्वार्टर लिए हुए हूं.’’
”आधे से क्या होता है,’’ मनोज बोला.
”थोड़ीथोड़ी और ले लेते हैं. तीनों पी लेंगे.’’
योगेश उन की बातों में आ गया. तीनों वहां से दिल्ली हाइवे पर आ गए. मंगूपुरा के पेट्रोल पंप पर मनोज ने योगेश की साइकिल खड़ी करवा दी. पेट्रोल पंप के सामने ही देशी शराब का ठेका था. मनोज ने मंजीत को पैसे दे कर मंजीत से शराब मंगा ली. उस के बाद योगेश ने अपनी साइकिल उठाई, जबकि मनोज व मंजीत बाइक पर थे. तीनों धीरेधीरे एमडीए कालोनी होते हुए महा कालेश्वर मंदिर के पास से हर्बल पार्क जाने वाले रास्ते पर खड़े हो गए. मनोज ने योगेश को और पैसे दे कर नमकीन का पाउच लाने भेज दिया.
मंजीत ने अपने साथ लाए 3 डिस्पोजल गिलासों में पैग बना दिए. एक गिलास में मनोज ने अपने साथ लाई नींद की गोली के पत्ते से नींद की 7 गोलियां योगेश के क्वार्टर में डाल दीं. फिर उसे अंगुली से घोल दीं. इतनी देर में योगेश नमकीन ले कर लौटा तो मनोज बोला, ”सड़क पर आवाजाही हो रही है. हम तो पी चुके, तू भी पी ले.’’
इतना सुनते ही योगेश ने गिलास को एक सांस में खाली कर दिया. इस के बाद मनोज ने उसे एक और हैवी पैग पिला दिया. इस के बाद योगेश को नशा कुछ ज्यादा ही हो गया था. मनोज ने योगेश को अपनी बाइक पर बैठाया. मंजीत योगेश की साइकिल से चलने लगा. एक किलोमीटर जाने के बाद अंधेरे में योगेश को नीचे लिटा दिया. दोनों ने योगेश की साइकिल नीचे ढलान पर ले जा कर गांगन नदी में फेंक दी. फिर दोनों वहां पर वापस आ गए, जहां पर योगेश बेहोशी की हालत में था.
बाइक मनोज चला रहा था. बीच में योगेश को बैठा कर पीछे योगेश को पकड़ कर मंजीत बैठ गया. तीनों जीरो पौइंट पुल के नीचे से बागड़ पर होते हुए मोढ़ा तैया गांव से एक किलोमीटर दूर कब्रिस्तान के बराबर में पहुंचे. योगेश को नशे की हालत में नीचे उतार लिया. मनोज योगेश के ऊपर बैठ गया, उस ने योगेश के हाथ दबा लिए. वह ममेरे भाई मंजीत से बोला कि पास पड़ी ईंट से इस का सिर कुचल दो. मंजीत ने जब पहला बार योगेश के सिर पर किया तो योगेश चीखा कि मुझे क्यों मार रहे हो? वह नशे में था.
जब मनोज ने देखा कि यह तो बोल रहा है तो मनोज ने योगेश का गला दबा दिया, जिस कारण उस की मौत हो गई. उस के बाद मनोज ने स्वाति को फोन किया, ”अपने भाई गौरव का मोबाइल नंबर दो.’’
तो स्वाति ने गौरव का मोबाइल नंबर मनोज को दे दिया. उस के बाद मनोज ने योगेश के मोबाइल से गौरव को फोन किया. गौरव ने वह कौल उठा ली. दूसरी तरफ से कोई आवाज नहीं आई तो गौरव ने कौलबैक की तो उधर से कोई उत्तर नहीं मिला. उस के बाद मनोज ने योगेश के फोन से पुलिस कंट्रोल रूम को कौल कर कहा, ”मेरा नाम योगेश है. गांव के निवासी शोभाराम, उस के 2 बेटे गौरव व कपिल मेरे साथ मारपीट कर रहे हैं. मैं घायल होने के बाद भी उन के चंगुल से छूट कर आप को बता रहा हूं. वे मुझे अंधेरे में खोज रहे हैं. पता है मोढ़ा तैया गांव के पास कब्रिस्तान.’’
सूचना मिलते ही पीआरवी वैन वहां पर गई जरूर, लेकिन वहां पर पुलिस को कोई नहीं मिला तो पुलिस वापस लौट आई थी. घटना को अंजाम देने के बाद मनोज व मंजीत वापस पाकबड़ा मनोज के घर आ गए थे. मनोज घटना को अंजाम देने के बाद घबरा रहा था. बोला, ”यार, यहां पर रहना खतरे से खाली नहीं है, चल तेरे कमरे पर चलते हैं.’’
फिर मनोज मंजीत के कमरे एकता विहार वाले कमरे पर आ कर सो गए थे. सुबह उठ कर मंजीत अपने काम पर चला गया था. वह पाकबड़ा में नसीम ज्वैलर्स के यहां काम करता था. मनोज अपने मूल घर गांव खेड़ादास थाना फैजगंज बेहटा जिला बदायूं चला गया था. पुलिस को पीआरवी वैन पर योगेश के फोन से गलत सूचना दी थी. थाना पुलिस ने उस आवाज की रिकौर्डिंग लखनऊ से मंगाई थी. पीआरवी वैन का संबंध लखनऊ से जुड़ा होता है. उक्त काल की रिकौर्डिंग मृतक योगेश के घर वालों को सुनाई तो उन्होंने साफ मना कर दिया कि यह आवाज योगेश की नहीं है.
पुलिस ने हत्या की साजिश में शामिल मनोज की प्रेमिका स्वाति को भी गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में उस ने भी अपना जुर्म स्वीकार कर लिया. इस के बाद पुलिस ने आरोपी मनोज, मंजीत व स्वाति को 22 सितंबर, 2025 सोमवार को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. Love Story in Hindi